Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.
प्रश्न 1.
जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धान्त के बुनियादी तर्क को स्पष्ट कीजिये। संक्रमण अवधि 'जनसंख्या विस्फोट' के साथ क्यों जुड़ी है?
उत्तर:
जनसंख्या संक्रमण सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास के सभी स्तरों के साथ जुड़ी होती है एवं प्रत्येक समाज विकास से सम्बन्धित जनसंख्या वृद्धि के एक निश्चित स्वरूप का अनुसरण करता है। जनसंख्या वृद्धि के तीन चरण-जनसंख्या वृद्धि के तीन बुनियादी चरण हैं।
(1) प्रथम चरण में जनसंख्या वृद्धि कम होती है क्योंकि समाज अल्पविकसित और तकनीकी दृष्टि से पिछडा हुआ होता है। इसमें जनसंख्या वृद्धि दरें इसलिए कम होती हैं क्योंकि मृत्युदर और जन्मदर दोनों ही बहुत अधिक होती हैं। अतः शुद्ध वृद्धि दर (दोनों के बीच का अन्तर) निम्न पायी जाती है।
(2) तीसरे और अन्तिम चरण में विकसित समाज में जनसंख्या वृद्धि दर नीची रहती है क्योंकि ऐसे समाज में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों ही काफी कम हो जाती हैं और उनके बीच का अन्तर बहुत कम रहता है।
(3) इन दोनों ही अवस्थाओं में तीसरा संक्रमणकालीन चरण होता है, जिसमें समाज पिछड़ी अवस्था से उन्नत अवस्था में जाता है। इस अवस्था की सबसे महत्त्वपूर्ण अवस्था यह होती है कि इसमें जनसंख्या वृद्धि दरें बहुत उच्च होती हैं क्योंकि इसमें जन्म दर ऊँची होती है और मृत्यु दर निम्न हो जाती है।
संक्रमण अवधि में जनसंख्या विस्फोट इसलिए होता है क्योंकि मृत्यु दर को रोग नियंत्रण, जनस्वास्थ्य और बेहतर पोषण के उन्नत तरीकों के द्वारा तेजी से नीचे ला दिया जाता है। यही कारण है कि संक्रमण अवधि में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति उत्पन्न होती है। इस प्रकार का संक्रमण पश्चिमी यूरोप में 19वीं सदी के अन्तिम वर्षों में और 20वीं सदी के आरम्भिक चरणों में दिखाई दिया था।भारत में भी अभी जनसांख्यिकीय संक्रमण की स्थिति है क्योंकि यहाँ पर मृत्यु दर को कम कर दिया गया है परन्तु जन्म दर को उसी अनुपात में नहीं घटाया जा सका है। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि संक्रमण अवधि और जनसंख्या विस्फोट के बीच निकट का सम्बन्ध पाया जाता है।
प्रश्न 2.
माल्थस का यह विश्वास क्यों था कि अकाल और महामारी जैसी विनाशकारी घटनायें, जो बड़े पैमाने पर मृत्यु का कारण बनती हैं, अपरिहार्य हैं?
उत्तर:
जनसंख्या का महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त प्रसिद्ध राजनीतिक अर्थशास्त्री माल्थस के द्वारा दिया गया था। इस सिद्धान्त के अन्तर्गत माल्थस के द्वारा यह माना गया था कि अकालों और बीमारियों के रूप में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के प्राकृतिक निरोध अनिवार्य होते हैं क्योंकि वे ही खाद्य आपूर्ति और बढ़ती हुई जनसंख्या के बीच असंतुलन को रोकने के प्राकृतिक उपाय हैं।
माल्थस के द्वारा अपने सिद्धान्त में स्पष्ट किया गया कि मानव जनसंख्या उस दर की अपेक्षा तेजी के साथ बढ़ती है जिस दर से मानव के भरण - पोषण के साधन जैसे कृषि उपज इत्यादि बढ़ सकते हैं। चूँकि जनसंख्या वृद्धि की अपेक्षा कृषि उत्पादन की दर हमेशा ही नीची होती है, अतः मनुष्य को दण्डित किया जाता है। अतः जनसंख्या नियंत्रण ही एकमात्र खुशहाली का उपाय है।
प्रश्न 3.
मृत्यु दर और जन्म दर का क्या अर्थ है? कारण स्पष्ट कीजिये कि जन्म दर में गिरावट अपेक्षाकृत धीमी गति से क्यों आती है जबकि मृत्यु दर बहुत तेजी से गिरती है?
उत्तर:
मृत्यु दर का अर्थ - सामान्य रूप से मृत्यु दर एक ऐसा आँकड़ा है, जो किसी एक क्षेत्र - विशेष में एक हजार की जनसंख्या में एक निर्धारित अवधि के दौरान हुई मृत्यु की संख्या को अभिव्यक्त करता है।
जन्म दर का अर्थ - प्रति एक हजार की जनसंख्या पर जीवित उत्पन्न हुए बच्चों की संख्या को जन्म दर कहा जाता है।जन्म दर में धीमी गति से और मृत्यु दर में तेजी से गिरावट क्यों-यद्यपि भारत में मृत्यु दर में तेजी के साथ संजीव पास बुक्स गिरावट आई है परन्तु उतनी ही तेजी के साथ जन्म दर में गिरावट नहीं आई है। इसका कारण यही है कि जन्म एक ऐसी सामाजिक और सांस्कृतिक प्रघटना है जिसमें अपेक्षाकृत धीमी गति से परिवर्तन आते हैं। सामान्य रूप से समृद्धि का बढ़ता हुआ स्तर जन्म दर को मजबूती के साथ नीचे की ओर खींचता है। जब एक बार शिशु मृत्यु में गिरावट आ जाती है और शिक्षा एवं जागरूकता के स्तरों में वृद्धि होने लग जाती है, तो इसके परिणामस्वरूप परिवार के आकार में भी छोटापन आने लग जाता है।
प्रश्न 4.
भारत में कौन-कौन से राज्य जनसंख्या संवृद्धि के 'प्रतिस्थापन स्तरों' को प्राप्त कर चुके हैं अथवा प्राप्ति के बहुत नजदीक हैं? कौन - से राज्यों में अब भी जनसंख्या संवृद्धि की दर बहुत ऊँची है? आपकी राय में इन क्षेत्रीय अन्तरों के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
प्रतिस्थापन स्तर का अर्थ है - प्रति जोड़े अर्थात् पति - पत्नी के द्वारा दो बच्चों को जन्म देना। भारत में प्रतिस्थापन स्तर को प्राप्त राज्य - केरल, तमिलनाडु, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैण्ड, जम्मू - कश्मीर, पंजाब और गोवा ऐसे.राज्य हैं जो कि प्रतिस्थापन स्तर को प्राप्त कर चुके हैं। जिन राज्यों में जनसंख्या संवृद्धि की दरें बहुत उच्च हैं, वे हैं - राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश। केरल में प्रजनन दर वस्तुतः प्रतिस्थापन दर से काफी कम है। इसका सीधा अर्थ यही है कि भविष्य में यहाँ पर जनसंख्या में कमी आयेगी।भारत में जो राज्य प्रतिस्थापन स्तर के निकट हैं, वे हैं - हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम। क्षेत्रीय अन्तर के कारण इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
प्रश्न 5.
जनसंख्या की 'आयु संरचना' का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास और संवृद्धि के लिए उसकी क्या प्रासंगिकता है?
उत्तर:
आयु संरचना का अर्थ-जनसंख्या की आयु संरचना का अर्थ है-आयु के आधार पर जनसंख्या का वर्गीकरण। भारत में इस आधार पर तीन आयु समूह हैं
(1) देश में 0 से 14 वर्ष के आयु समूह की कुल जनसंख्या में निरन्तर गिरावट आ रही है क्योंकि यह सन् 1971 में 42 प्रतिशत, 2011 में 29 प्रतिशत था और 2026 में 23 प्रतिशत पर आने का अनुमान है। इसका अर्थ है कि देश में जन्म दर में धीमी गति से गिरावट आ रही है।
(2) देश की कुल जनसंख्या में 15 से 59 वर्ष के आयु समूह का प्रतिशत बढ़ रहा है, जो कि 1961 में 53 प्रतिशत, 2011 में 63 प्रतिशत रहा और सन् 2026 में 64 प्रतिशत तक बढ़ जाने का अनुमान है। इससे स्पष्ट होता है कि यह आयु समूह बढ़ रहा है।
(3) तीसरे 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में इसका अनुपात सन् 1961 में 6 प्रतिशत, 2011 में 8 प्रतिशत 17 रहा तथा सन् 2026 में इसके 12 प्रतिशत होने की आशा है। इसका कारण जीवन प्रत्याशा में अभूतपूर्व वृद्धि का होना है। आर्थिक संवृद्धि और
विकास में आयु संरचना की प्रासंगिकता:
(1) 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की जनसंख्या का बढ़ना इस बात का परिचायक है कि लोगों की जीवन प्रत्याशा तेजी से बढ़ रही है, जो कि चिकित्सा सुविधाओं तथा पोषण सम्बन्धी सुविधाओं के साथ जुड़ी है, जो कि देश में संवृद्धि और विकास दर के सूचक हैं।
(2) 0 से 14 वर्ष की आयु संरचना में गिरावट आने से स्पष्ट होता है कि देश में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति को सही तरीके से क्रियान्वित किया गया है। देश में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए लोग परिवार नियोजन कार्यक्रमों को अपनाने लगे हैं।
(3) आयु संरचना यह भी बताती है कि देश में आश्रित जनसंख्या धीरे - धीरे कम होती जा रही है और अर्जक जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि देश में प्रौढ़ों अर्थात् अर्जक समूह की जनसंख्या बढ़ती जा रही है।
(4) जनसंख्या की आयु संरचना में सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, आर्थिक व राजनीतिक परिवर्तन की झलक भी स्पष्ट दिखाई देती है।
प्रश्न 6.
'स्त्री-पुरुष अनुपात' का क्या अर्थ है? एक गिरते हुए स्त्री-पुरुष अनुपात में क्या निहितार्थ है? क्या आप यह महसूस करते हैं कि माता-पिता आज भी बेटियों की बजाय बेटों को अधिक पसन्द करते हैं? आपकी राय में इस पसन्द के क्या-क्या कारण हो सकते हैं?
अथवा
'स्त्री - पुरुष अनुपात' का क्या अर्थ है ? भारत में गिरते हुए स्त्री-पुरुष अनुपात के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक क्या हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्त्री - पुरुष अनुपात का अर्थ-प्रति एक हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की औसत संख्या को स्त्री-पुरुष अनुपात कहा जाता है। सन् 1961 में देश में स्त्री-पुरुष अनुपात 941 था जो कि सन् 2011 में मामूली बढ़कर 943 हो गया है। स्त्री - पुरुष अनुपात में गिरावट के निहितार्थ - भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात में गिरावट आई है। इसके निम्न कारण हैं।
(1) मातृ-मृत्यु दर: यद्यपि देश में विकास के साथ - साथ मातृ मृत्यु दर में गिरावट आई है। इसके लिए पोषण, शिक्षा, जागरूकता, चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधायें जैसे कारण उत्तरदायी रहे हैं। फिर भी मातृ मृत्यु दर की अधिकता के कारण स्त्री - पुरुष अनुपात की स्थिति बिगड़ती जा रही है।
(2) बालिका शिशुओं की उपेक्षा एवं हत्या: बालिका शिशुओं की हत्या भी देश में स्त्री-पुरुषों के अनुपात में गिरावट के कारण उत्तरदायी रहे हैं। इसके लिए शैशवावस्था में बालिकाओं की देखभाल की घोर उपेक्षा, गर्भपात इत्यादि कारण उत्तरदायी रहे हैं।
(3) कन्या भ्रूण हत्यायें: सोनोग्राफी के द्वारा लिंग परीक्षण किया जाता है जिससे कन्या भ्रूण हत्यायें होती हैं जिसके कारण देश में स्त्री-पुरुष अनुपात विषम होता जा रहा है।
(4) अन्य कारक: आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न लोगों के द्वारा एक-दो बच्चों को ही जन्म दिया जाता है। सोनोग्राफी के द्वारा ऐसा कर पाना सम्भव हो गया है। कितने ही लोगों के द्वारा पुत्र पाने के लिए गर्भ में पल रही कन्याओं का गर्भपात करवा दिया जाता है। इसके कारण स्त्री - पुरुष अनुपात विषम होता जा रहा है।
(5) सामाजिक व सांस्कृतिक परम्पराएँ - प्रायः अधिकांश माता - पिता के द्वारा पुत्रियों की अपेक्षा पुत्रों की चाहत रखी जाती है। इसके पीछे निम्न कारण उत्तरदायी रहे हैं