RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 1 भारतीय समाज : एक परिचय

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 1 भारतीय समाज: एक परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Sociology in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Sociology Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Sociology Notes to understand and remember the concepts easily. The bhartiya samaj ka parichay is curated with the aim of boosting confidence among students.

RBSE Class 12 Sociology Solutions Chapter 1 भारतीय समाज : एक परिचय

RBSE Class 12 Sociology भारतीय समाज: एक परिचय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
समाजशास्त्र अन्य सभी विषयों से पृथक् है, क्योंकि
(क) सभी को समाज के बारे में पहले से कुछ न कुछ ज्ञात होता है। 
(ख) समाज के बारे में सभी को ज्ञान नहीं होता है। 
(ग) समाज के बारे में घर-विद्यालय में बताया जाता है।
(घ) समाज के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है। 
उत्तर:
(क) सभी को समाज के बारे में पहले से कुछ न कुछ ज्ञात होता है। 

प्रश्न 2. 
समाजशास्त्र को सीखने से पहले आवश्यक है
(क) समाज के बारे में धारणायें बनाना। 
(ख) समाज के बारे में अपनी पूर्व धारणाओं को उधेड़ना। 
(ग) समाज के बारे में आधारभूत ज्ञान प्राप्त करना।
(घ) सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करना। 
उत्तर:
(ख) समाज के बारे में अपनी पूर्व धारणाओं को उधेड़ना। 

प्रश्न 3. 
समाजशास्त्र के प्रारम्भिक चरण में शामिल किया जाता है
(क) ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया
(ख) भूलने की प्रक्रिया 
(ग) जानने की प्रक्रिया
(घ) वैज्ञानिक अध्ययन की प्रक्रिया 
उत्तर:
(ख) भूलने की प्रक्रिया 

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 1 भारतीय समाज : एक परिचय

प्रश्न 4. 
समाजशास्त्र हमें सीखने का निमंत्रण देता है
(क) संसार को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से देखने का
(ख) संसार को एक दृष्टिकोण से देखने का
(ग) संसार के सत्य को समझने का
(घ) संसार को पक्षपाती रूप से देखने का 
उत्तर:
(क) संसार को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से देखने का

प्रश्न 5. 
सम्पूर्ण भारत को एकीकृत करने और पूँजीवादी आर्थिक दर्शन से परिचित करवाना, देन रही है:
(क) पूर्व औपनिवेशिक काल की
(ख) औपनिवेशिक काल की 
(ग) स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के काल की 
(घ) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(ख) औपनिवेशिक काल की 

प्रश्न 6. 
ऐतिहासिक तौर पर भारतीय राष्ट्रवाद ने जन्म लिया
(क) मुगलकाल के अन्तर्गत
(ख) ब्रिटिश शासन से पूर्व 
(ग) ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत
(घ) स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान 
उत्तर:
(ग) ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत

प्रश्न 7. 
राष्ट्रवाद के प्रमुख वाहक जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के अभियान में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
(क) शहरी उच्च वर्ग
(ख) शहरी मध्यम वर्ग 
(ग) शहरी निम्न वर्ग
(घ) शहरी मध्य और उच्च वर्ग 
उत्तर:
(ख) शहरी मध्यम वर्ग 

प्रश्न 8. 
भारतीय समाज की विशेषताओं में सबसे बड़ी चिन्ता का विषय है
(क) साम्प्रदायिक दंगे
(ख) क्षेत्रवाद की समस्या 
(ग) भाषावाद की समस्या
(घ) असीमित विषमता और अपवर्जन 
उत्तर:
(घ) असीमित विषमता और अपवर्जन 

प्रश्न 9. 
छात्रों को समाजशास्त्र आसान लगता है क्योंकि
(क) इसकी विषयवस्तु के बारे में उन्हें पहले से पता होता है।
(ख) यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में शून्य से शुरुआत किया जाता है।
(ग) इस विषय का ज्ञान औपचारिक तरह से मिल जाता है।
(घ) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(क) इसकी विषयवस्तु के बारे में उन्हें पहले से पता होता है।

प्रश्न 10. 
समाजशास्त्र समाज के किस अध्ययन पर आधारित है? 
(क) ऐतिहासिक व भौगोलिक
(ख) व्यवस्थित व वैज्ञानिक 
(ग) ऐतिहासिक व वैज्ञानिक
(घ) व्यवस्थित व भौगोलिक 
उत्तर:
(ख) व्यवस्थित व वैज्ञानिक 

प्रश्न 11. 
समाजशास्त्र की स्वाभाविक मुद्रा क्या होती है? 
(क) रचनात्मक
(ख) विविधात्मक 
(ग) तुलनात्मक
(घ) आलोचनात्मक 
उत्तर:
(ग) तुलनात्मक

प्रश्न 12. 
सत्रह या अठारह वर्ष की आयु वाले सामाजिक समूह को क्या कहा जाता है ? 
(क) नवजात पीढ़ी
(ख) युवा पीढ़ी 
(ग) वृद्ध पीढ़ी
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(ख) युवा पीढ़ी 

प्रश्न 13. 
बुजुर्ग एवं युवा पीढ़ियों के बीच के अन्तराल को क्या कहते हैं ? 
(क) व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य
(ख) सामाजिक मनमुटाव 
(ग) व्यावसायिक संरचना
(घ) पीढ़ी अंतराल
उत्तर:
(घ) पीढ़ी अंतराल

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1. 
बुजुर्ग एवं युवा पीढ़ियों के बीच का मनमुटाव एक.................प्रघटना है जो अनेक समाजों एवं समयकालों में सामान्य रूप से पाया जाता है। 
उत्तर:
सामाजिक

प्रश्न 2. 
..............द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान समाजशास्त्र के लिए एक बाधा या समस्या है। 
उत्तर:
सहजबोध

प्रश्न 3. 
समाजशास्त्र समाज के..............तथा................अध्ययन पर आधारित है। 
उत्तर:
व्यवस्थित, वैज्ञानिक

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प्रश्न 4. 
हमारे सामाजिक संदर्भ समाज एवं सामाजिक सम्बन्धों के बारे में हमारे ...............,आस्थाओं एवं...............को आकार देते हैं।
उत्तर:
मतों, अपेक्षाओं

प्रश्न 5.
............. हमें यह सीखने का निमंत्रण देता है कि संसार को अपने दृष्टिकोण के अलावा अलग लोगों के दृष्टिकोण से किस प्रकार देखा जा सकता है।
उत्तर:
समाजशास्त्र

प्रश्न 6.
....... एक प्रसिद्ध अमेरिकी समाजशास्त्री हैं। 
उत्तर:
सी. राईट मिल्स

प्रश्न 7. 
व्यक्तिगत परेशानियों का आशय विभिन्न प्रकार की व्यक्तिगत चिन्ताएँ, ................. या सरोकार से है जो सबके होते हैं।
उत्तर:
समस्याएँ

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
अन्य विषयों की अपेक्षा समाजशास्त्र अलग विषय क्यों है? 
उत्तर:
क्योंकि समाज के बारे में हमें बिना पढ़े ही ज्ञान प्राप्त रहता है। 

प्रश्न 2. 
समाज के बारे में हमारा ज्ञान 'स्वाभाविक' और 'अपने आप' प्राप्त किया क्यों प्रतीत होता है? 
उत्तर:
क्योंकि यह हमारे बड़े होने की प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अभिन्न हिस्सा होता है।

प्रश्न 3. 
'पहले से ही' अथवा 'अपने आप' प्राप्त किया गया सहज-ज्ञान या सहज-बोध समाजशास्त्र के लिए बाधक क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि पहले से ही प्राप्त सहज ज्ञान अव्यवस्थित होता है। 

प्रश्न 4. 
समाजशास्त्र की अध्ययन प्रक्रिया को सीखने-समझने के लिए क्या अनिवार्य है?
उत्तर:
हमें अपने सहज बोध को 'मिटा देने' की कोशिश करना। 

प्रश्न 5. 
समाज के बारे में हमारे पूर्व ज्ञान की सबसे बड़ी कमी क्या होती है? 
उत्तर:
हमारा पूर्व ज्ञान पूर्वाग्रह से युक्त एकपक्षीय होता है।

प्रश्न 6. 
समाजशास्त्र पूर्वाग्रहों से मुक्त होने के लिए कौनसा दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है? 
उत्तर:
संसार की घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिये। 

प्रश्न 7. 
उपनिवेशवाद का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
उपनिवेशवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमें एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को अपने अधीन कर उसका शोषण करता है।

प्रश्न 8. 
समाजशास्त्र के क्षेत्र में सत्य की बहुलता एक समस्या है, समाजशास्त्र इसका क्या समाधान करता है? 
उत्तर:
इसका समाधान है तुलना। 

प्रश्न 9. 
समाजशास्त्र में स्वनिरीक्षण कैसे किया जाना चाहिये? 
उत्तर:
स्वनिरीक्षण आलोचनात्मक होना चाहिये।

प्रश्न 10. 
भारतीय समाज और संरचना की समझ हमें एक सामाजिक नक्शा प्रदान करती है, इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
इससे हमें जानकारी मिलती है कि समाज में दूसरों के सम्बन्धों में हमारी स्थिति क्या है। 

प्रश्न 11. 
एक तुलनात्मक सामाजिक नक्शा हमारे लिए किस प्रकार से उपयोगी होता है? 
उत्तर:
यह सामाजिक ताने-बाने में हमारा स्थान निर्धारित करता है। 

प्रश्न 12. 
राष्ट्रवाद को परिभाषित कीजिए। 
उत्तर:
राष्ट्रवाद अपने राष्ट्र और उससे संबंधित हर चीज के लिए एक भावपूर्ण प्रतिबद्धता है। 

प्रश्न 13. 
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कोई दो कारण बताइये। 
उत्तर:

  1. पाश्चात्य शिक्षा पद्धति 
  2. मध्यम वर्ग का उदय। 

प्रश्न 14. 
विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या किस देश की है?
उत्तर:
चीन की। 

प्रश्न 15. 
भारत का विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से कौनसा स्थान है ?
उत्तर:
दूसरा। 

प्रश्न 16. 
बुजुर्ग और युवा पीढ़ियों के बीच का 'पीढ़ी अन्तराल' समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से क्या है? 
उत्तर:
यह एक सामाजिक प्रघटना है। 

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प्रश्न 17. 
ऐतिहासिक तौर पर भारतीय राष्ट्रवाद ने किस शासन के अन्तर्गत जन्म लिया? 
उत्तर:
ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत। 

प्रश्न 18. 
हमारे मतों, आस्थाओं एवं अपेक्षाओं को आकार देने में किन बातों का योगदान होता है?
उत्तर:
हमारे सामाजिक सन्दर्भ, समाज एवं सामाजिक सम्बन्धों के बारे में हमारे मतों, आस्थाओं और अपेक्षाओं को आकार देते हैं।

प्रश्न 19. 
आस्थाओं पर विश्वास करने में क्या कठिनाई आती है? 
उत्तर:
वे अक्सर अपूर्ण एवं पूर्वाग्रहपूर्ण होती हैं। 

प्रश्न 20. 
सामाजिक संरचना से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर:
सामाजिक संरचना अमूर्त होती है, सामाजिक प्रक्रियाएँ सामाजिक संरचना का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। 

प्रश्न 21. 
परिवर्तनशील व्यावसायिक संरचना का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
सूचना तकनीकी से सम्बन्धित व्यवसायों में अचानक तेजी आना एवं खेतिहर श्रम की माँग में कमी होना।

प्रश्न 22. 
साम्प्रदायिकता से आपका क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर:
एक धार्मिक समुदाय का दूसरे धार्मिक समुदाय के प्रति विद्वेष।

प्रश्न 23. 
राष्ट्रवाद का जन्मदाता कौन है? 
उत्तर:
उपनिवेशवाद। 

प्रश्न 24. 
मध्य वर्ग ने उपनिवेशवाद को किस आधार पर चुनौती दी? 
उत्तर:
पाश्चात्य शैली के शिक्षा के आधार पर। 

प्रश्न 25. 
जातिवाद से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर:
कुछ जातियों द्वारा कुछ अन्य जातियों के प्रति बहिष्कार जातिवाद कहलाता है। 

प्रश्न 26. 
स्वनिरीक्षण किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
आलोचनात्मक अर्थात् इसमें समीक्षा अधिक और आत्ममुग्धता कम होनी चाहिए। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
आस्थाओं पर विश्वास करने में क्या कठिनाई है?
उत्तर:
आस्थाएँ अक्सर अपूर्ण एवं पूर्वाग्रहपूर्ण होती हैं । अतः हमारा 'बिना सीखा गया' ज्ञान या सहज सामान्य बोध अक्सर हमें सामाजिक वास्तविकता का केवल एक हिस्सा ही दिखलाता है।

प्रश्न 2. 
आत्मवाचक से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
दूसरे आपको किस तरह देखते हैं अथवा आप स्वयं को 'बाहर से' कैसे देख सकते हैं, इसे स्ववाचक या कभी-कभी आत्मवाचक कहा जाता है।

प्रश्न 3. 
समाजशास्त्र के अध्ययन का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
समाजशास्त्र समाज में हमारा स्थान निर्धारित करने में सहयोग करने, सामाजिक समूहों के स्थानों को निर्धारित करने के अलावा हमें व्यक्तिगत परेशानियों एवं सामाजिक मुद्दों के बीच की कड़ियों को उजागर करने में सहायक होता है।

प्रश्न 4. 
समुदाय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी भी ऐसे विशिष्ट समूह के लिए प्रयुक्त सामान्य शब्द, जिसके सदस्य सचेतन रूप से मान्यता प्राप्त समानताओं और नातेदारी के बंधनों, भाषा, संस्कृति इत्यादि के कारण परस्पर जुड़े हों, समुदाय कहलाता है।

प्रश्न 5.
सामाजिक मुद्दा व्यक्तिगत मुद्दे से भिन्न क्यों है?
उत्तर:
सामाजिक मुद्दा व्यक्तिगत मुद्दे से भिन्न होता है क्योंकि व्यक्तिगत मुद्दा व्यक्ति.विशेष का मुद्दा होता है जो कि समूह का सदस्य होता है जबकि सामाजिक मुद्दा बड़े समूहों से सम्बन्धित होता है।

प्रश्न 6. 
दो पीढ़ियों के बीच पीढ़ी अन्तराल को सामाजिक प्रघटना क्यों माना जाता है?
उत्तर:
दो पीढ़ियों के बीच पीढ़ी अन्तराल को सामाजिक प्रघटना माना जाता है क्योंकि दो पीढ़ियों के मूल्य अलग-अलग होते हैं। उनके मध्य तनाव और संघर्ष अवश्यम्भावी होता है, जो कि प्रत्येक समाज में किसी न किसी रूप में अवश्य पाया जाता है।

प्रश्न 7. 
साम्प्रदायिकता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक धार्मिक समुदाय का दूसरे धार्मिक समुदाय के प्रति विद्वेष ही साम्प्रदायिकता कहलाती है। यह एक आक्रामक राजनीतिक विचारधारा है जो धर्म से जुडी होती है।

प्रश्न 8. 
प्राकृतिक विशेषताओं के नक्शे हमें क्या जानकारी प्रदान करते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक विशेषताओं के नक्शे से हमें किसी भी भू-भाग (पर्वतीय, वनों से भरपूर), यहाँ पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधन एवं इसी तरह की अन्य बातों की जानकारी प्राप्त होती है।

प्रश्न 9. 
औपनिवेशिक शासन ने भारत को किससे परिचित करवाया?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन ने भारत को एकीकृत किया और पूँजीवादी आर्थिक परिवर्तन और आधुनिकीकरण की शक्तिशाली प्रक्रियाओं से भारत को परिचित करवाया।

प्रश्न 10. 
राष्ट्रवाद को उपनिवेशवाद का विरोधाभासी सच क्यों कहा गया है?
उत्तर:
राष्ट्रवाद को उपनिवेशवाद का विरोधाभासी सच कहा गया है क्योंकि राष्ट्रवाद औपनिवेशिक शासन का शत्रु था फिर भी औपनिवेशिक शासन की भारत विरोधी नीतियों के कारण भारत में राष्ट्रवाद का जन्म हुआ।

प्रश्न 11. 
औपनिवेशिक काल में पाश्चात्य शिक्षा की क्या भूमिका रही?
उत्तर:
पाश्चात्य शिक्षा ने पुनःखोज को प्रोत्साहन दिया। इससे कई सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ विकसित हुईं जिससे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर समुदाय के नवोदित रूप सुदृढ़ हुए।

प्रश्न 12. 
उपनिवेशवाद से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक ऐसी विचारधारा, जिसके द्वारा एक देश किसी दूसरे देश को जीतने और उस पर जबरन शासन करने का प्रयास करता है। बाद में विजेता देश के द्वारा विजित देश का शोषण किया जाता है।

प्रश्न 13. 
समाजशास्त्र के सन्दर्भ में प्रसिद्ध समाजशास्त्री सी. राईट मिल्स का क्या कथन है ?
उत्तर:
सी. राईट मिल्स का कथन है कि समाजशास्त्र आपकी 'व्यक्तिगत परेशानियों' एवं 'सामाजिक मुद्दों' के बीच की कड़ियों एवं सम्बन्धों को उजागर करने में मदद कर सकता है।

प्रश्न 14. 
व्यक्तिगत परेशानियों से मिल्स का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
व्यक्तिगत परेशानियों से मिल्स का तात्पर्य है, विभिन्न प्रकार की व्यक्तिगत चिन्ताएँ, समस्याएँ या सरोकार जो सबके होते हैं।

प्रश्न 15. 
किस प्रकार की प्रघटनाएँ समाज में व्यापक रूप से पाई जाने वाली समस्याएँ हैं ?
उत्तर:
पीढी अन्तराल या मनमुटाव, बेरोजगारी या परिवर्तनशील व्यावसायिक संरचना, साम्प्रदायिकता (एक धार्मिक समुदाय का दूसरे धार्मिक समुदाय के प्रति विद्वेष) या जातिवाद (कुछ जातियों द्वारा कुछ अन्य जातियों का उत्पीड़न) जैसी प्रघटनाएँ समाज में व्यापक रूप से पाई जाने वाली समस्याएँ हैं।

प्रश्न 16. 
"समाजशास्त्र अन्य सभी समाज विज्ञानों से अलग है।" कैसे? 
उत्तर:
समाजशास्त्र अन्य सभी विषयों से पृथक् है क्योंकि इतिहास, भूगोल, मनोविज्ञान तथा अर्थशास्त्र इत्यादि विषयों के बारे में पहले से ज्ञान प्राप्त नहीं होता है, इनका ज्ञान हमें औपचारिक या अनौपचारिक, घर या अन्य सन्दर्भ में सिखाया-पढ़ाया जाता है। वास्तव में मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इस नाते वह समाज के बारे में पहले से ही बहुत कुछ जानता है।

प्रश्न 17. 
"पहले से ही प्राप्त सहज ज्ञान समाजशास्त्र के लिए बाधक भी है और सहायक भी।" कैसे?
अथवा 
"अपने आप प्राप्त किया हुआ सहजबोध समाजशास्त्र के लिए बाधक और सहायक दोनों है।" कैसे?
उत्तर:
पहले से ही प्राप्त सहज ज्ञान समाजशास्त्र के लिए सहायक इसलिए है क्योंकि इससे समाजशास्त्र विषय को लेते समय छात्र भयभीत नहीं होते हैं, क्योंकि इसकी विषयवस्तु के बारे में उन्हें पहले से ही बहुत कुछ पता होता है। परन्तु इसी सहजबोध के द्वारा प्राप्त ज्ञान समाजशास्त्र के लिए बाधक भी है क्योंकि समाजशास्त्र समाज के व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित है। 

प्रश्न 18. 
समाजशास्त्र को सीखने का आरम्भ भूलने की प्रक्रिया से कैसे आरम्भ होता है?
अथवा 
"समाजशास्त्र का प्रारम्भिक चरण भूलने की प्रक्रिया से आरम्भ होता है।" कैसे?
उत्तर:
समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है जिसका आरम्भ. भूलने की प्रक्रिया से आरम्भ होता है क्योंकि समाज के बारे में हमारा पूर्व ज्ञान अथवा सहजबोध एक विशिष्ट दृष्टिकोण से प्राप्त किया हुआ होता है जो कि उस सामाजिक समूह और सामाजिक वातावरण से प्राप्त वह दृष्टिकोण होता है, जिससे हम समाजीकृत होते हैं। इसलिए यह सहजबोध पूर्वाग्रह से ग्रसित होता है, जिसे छोड़ना आवश्यक है। 

प्रश्न 19. 
समाजशास्त्र पूर्वाग्रहों की समस्या का समाधान कैसे करता है?
अथवा 
भूलने की प्रक्रिया का समाधान समाजशास्त्र के द्वारा कैसे किया जाता है?
उत्तर:
समाजशास्त्र हमें यह सीखने का निमंत्रण देता है कि संसार को केवल अपने दृष्टिकोण से ही नहीं अपितु अन्य कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। समाजशास्त्र में भी सत्य की बहुलता एक समस्या है। इसका समाधान है कि तुलना नाना प्रकार की अवस्थितियों में उपजे अलग-अलग नजरियों को आमने-सामने करके की जाये। इसके लिए पूर्वाग्रहों से मुक्त होना आवश्यक है।

प्रश्न 20. 
समाजशास्त्र अन्य समाज विज्ञानों की अपेक्षा क्या खास बात सिखा सकता है?
उत्तर:
अन्य समाज विज्ञानों की अपेक्षा समाजशास्त्र हमें यह सिखा सकता है कि दूसरे हमें किस प्रकार से देखते हैं। इसे 'स्ववाचक' और कभी-कभी 'आत्मवाचक' भी कहा जाता है जो कि हमें अपने बारे में सोचने, अपनी दृष्टि को लगातार अपनी ओर घुमाने की क्षमता प्रदान करता है।

प्रश्न 21. 
भौगोलिक नक्शे की तरह स्वयं को सामाजिक नक्शे में देखना किस प्रकार से उपयोगी होता है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारतीय समाज और संरचना की समझ हमें एक सामाजिक नक्शा प्रदान करती है, जिसकी सहायता से हम अपने ठौर-ठिकाने और स्थान का पता लगा सकते हैं। भौगोलिक नक्शे की तरह स्वयं को सामाजिक नक्शे में पता लगाना इस दृष्टि से उपयोगी होता है कि इससे हमें यह जानकारी मिलती है कि समाज में दूसरों के सम्बन्ध में हमारी स्थिति क्या है।

प्रश्न 22. 
एक तुलनात्मक सामाजिक नक्शा हमारे लिए किस प्रकार से उपयोगी होता है? बताइए।
उत्तर:
एक तुलनात्मक सामाजिक नक्शा हमें समाज में हमारे निर्धारित स्थान के बारे में बताता है। यह निश्चित आयुवर्ग में हमारे स्थान के बारे में बता सकता है। यह हमें किसी क्षेत्रीय अथवा भाषाई समुदाय में हमारी स्थिति के बारे 1 में बता सकता है। एक धार्मिक समुदाय, जाति अथवा जनजाति तथा आर्थिक वर्ग के सन्दर्भ में हमारे स्थान तथा स्थिति वको बता सकता है।

प्रश्न 23. 
अन्य विषयों की तुलना में समाजशास्त्र एक भिन्न विषय है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा समाज की जानकारी मिलती है। अन्य विषयों की शिक्षा हमें औपचारिक तरह से प्राप्त होती है परन्तु समाजशास्त्र की शिक्षा हमें औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरीकों से प्राप्त होती है। अर्थात् हम यह कह सकते हैं कि समाजशास्त्र एक भिन्न विषय है। 

प्रश्न 24. 
समाजशास्त्री सी. राईट मिल्स के अनुसार समाजशास्त्र हमें क्या-क्या सिखा सकता है?
अथवा 
समाजशास्त्र व्यक्तिगत परेशानियों तथा सामाजिक मुददों के बीच कड़ी तथा सम्बन्धों का खाका खींचने में हमारी मदद कर सकता है। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्री सी. राईट मिल्स के अनुसार समाजशास्त्र हमारी 'व्यक्तिगत परेशानियों' एवं 'सामाजिक मुद्दों के बीच की कड़ियों एवं सम्बन्धों को उजागर करने में मदद कर सकता है। व्यक्तिगत परेशानियों से मिल्स का अर्थ है कि विभिन्न प्रकार की व्यक्तिगत चिन्तायें, समस्यायें अथवा सरोकार जो उसके होते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 1 भारतीय समाज : एक परिचय

प्रश्न 25. 
सामाजिक प्रघटना क्या है और यह किन-किन रूपों में पाई जा सकती है?
उत्तर:
सामाजिक प्रघटना वह सामाजिक समस्या है जो कि प्रायः सभी समाजों में समान रूप से पाई जाती है। यह समाज में विभिन्न रूपों में पाई जाती है

  1. बुजुर्ग तथा युवा पीढ़ी के मध्य पीढ़ी अन्तराल के रूप में;
  2. बेरोजगारी और परिवर्तनशील व्यावसायिक संरचना के रूप में; 
  3. साम्प्रदायिकता और जातिवाद जैसी प्रघटनाओं के रूप में; तथा 
  4. स्त्री और पुरुषों की लैंगिक असमानता के रूप में। 

प्रश्न 26. 
जातिवाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जातिवाद-कुछ जातियों के द्वारा अन्य जातियों के प्रति बहिष्कार अथवा उत्पीड़न की भावना ही जातिवाद कहलाती है। इसमें एक जाति के लोग अन्य जातियों की अपेक्षा स्वयं को श्रेष्ठ मानते हैं तथा दूसरी जातियों के प्रति द्वेष अथवा बहिष्कार का व्यवहार करते हैं। प्रायः उच्च जाति के लोग स्वयं को दलित जातियों से उच्च मानते हैं तथा उनके प्रति बहिष्कार तथा हेयता का व्यवहार करते हैं।

प्रश्न 27. 
उपनिवेशवाद क्या है?
अथवा
उपनिवेशवाद से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
उपनिवेशवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसके द्वारा एक देश दूसरे देश को जीतने और इसे अपना उपनिवेश बनाने (जबरन वहाँ पर बसने, उस पर अपना शासन करने) का प्रयास करता है। ऐसा उपनिवेश, उपनिवेशकर्ता देश का अधीनस्थ हिस्सा बन जाता है और फिर उसका शोषण किया जाता है।

प्रश्न 28. 
भारतीय उपनिवेशवाद के क्या लाभ हुए?
उत्तर:

  1. औपनिवेशिक काल में भारत में एक विशिष्ट चेतना ने जन्म लिया था। 
  2. औपनिवेशिक शासन के दौरान सम्पूर्ण भारत का एकीकरण हुआ और भारत पूँजीवाद तथा आधुनिकीकरण की शक्तिशाली प्रक्रियाओं से परिचित हुआ था। 
  3. इसी उपनिवेशवाद से ही भारतीय राष्ट्रवाद का जन्म हुआ था। 

प्रश्न 29. 
भारतीय राष्ट्रवाद में किन-किन तत्वों की भूमिका रही थी? स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय राष्ट्रवाद को कैसे प्रभावित किया था? बताइए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासन काल में ही भारतीय राष्ट्रवाद ने अपना आकार लिया था। औपनिवेशिक शासन के साझे अनुभवों ने समुदाय के विभिन्न भागों को एकीकृत करने तथा बल प्रदान करने में सहायता की। उपनिवेशवाद ने ही नये: वर्गों और समुदायों को जन्म दिया, जिन्होंने राष्ट्रवाद में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 30. 
पूर्वाग्रह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी व्यक्ति या समूह के बारे में पूर्व निर्धारित ऐसे विचार रखना जो कि नयी जानकारी प्राप्त होने पर भी बदलने को तैयार न हों, पूर्वाग्रह कहलाता है। पूर्वाग्रह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का हो सकता है, लेकिन इसका सामान्य प्रयोग नकारात्मक पूर्वधारणा के लिए ही होता है।

प्रश्न 31. 
राष्ट्रवाद से क्या आशय है?
उत्तर:
राष्ट्रवाद अपने राष्ट्र और उससे सम्बन्धित हर चीज के लिए प्रतिबद्धता है। यह प्रतिबद्धता आमतौर पर भावपूर्ण प्रतिबद्धता से है। इसमें हर मामले में राष्ट्र को सर्वोपरि रखा जाता है तथा उसके पक्ष में अभिनति या झुकाव होता है। यह विचारधारा भाषा, धर्म, प्रजाति, इतिहास आदि की समानता समुदाय को विशिष्टता प्रदान करती है।

प्रश्न 32. 
सहज बोध ज्ञान क्या होता है ?
उत्तर:
समाज के बारे में या किसी अन्य विषय के बारे में जो ज्ञान कोई व्यक्ति या बच्चा अपने समाज या परिवार में रहकर लेता है, उसे सहज बोध कहते हैं। इस ज्ञान के लिए व्यक्ति को पुस्तकें इत्यादि पढ़ने की आवश्यकता नहीं होती। यह ज्ञान आस-पास के वातावरण से पाया जा सकता है। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
समाजशास्त्र तथा अन्य समाज विज्ञानों के अध्ययन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
समाजशास्त्र तथा अन्य समाज विज्ञानों के अध्ययन में अग्र अन्तर हैं

  1. समाज के बारे में सभी को पहले से कुछ न कुछ अवश्य पता होता है जबकि अन्य विषयों को तभी सीखा जा सकता है जबकि उनको सिखाया जाता है।
  2. समाज के बारे में एक बालक को समाजीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत स्वतः ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है; परन्तु अन्य समाज विज्ञानों का ज्ञान औपचारिक या अनौपचारिक रूप से विद्यालय, घर अथवा अन्य सन्दर्भ में सिखाया-पढ़ाया जाता है।
  3. समाज के बारे में ज्ञान स्वाभाविक अथवा अपने आप प्राप्त किया हुआ प्रतीत होता है जो कि हमारे बड़े होने की प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण और अभिन्न भाग होता है जबकि अन्य समाज विज्ञानों के बारे में व्यक्ति पहले से कुछ नहीं जानता है।
  4. समाज के बारे में एक बालक का ज्ञान समाजीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत उम्र के अनुसार बढ़ता ही चला जाता है जबकि अन्य समाज विज्ञानों के बारे में विशेष ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त करने पर ही ज्ञान बढ़ पाता है।
  5. समाजशास्त्र विषय को छात्र सरल समझते हैं क्योंकि इसकी विषयवस्तु के बारे में छात्रों को पहले से ही बहुत कुछ ज्ञात होता है परन्तु अन्य विषयों को लेने में बालक संकोच कर सकते हैं क्योंकि उनके बारे में छात्रों को पहले से ही ज्ञान नहीं होता है।
  6. समाजशास्त्र को सीखने की प्रारम्भिक प्रक्रिया भूलने से आरम्भ होती है जबकि अन्य समाज विज्ञानों को सीखने की प्रक्रिया याद करने से आरम्भ होती है। निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि समाजशास्त्र अन्य सभी समाज विज्ञानों से पृथक् विज्ञान है।

प्रश्न 2. 
समाजशास्त्र को सीखने की प्रक्रिया कैसे आरम्भ होती है तथा पूर्वाग्रहों की समस्या का समाधान समाजशास्त्र के द्वारा कैसे किया जाता है?
उत्तर:
समाजशास्त्र के सीखने की प्रक्रिया-समाजशास्त्र को सीखने की प्रक्रिया का प्रारम्भिक चरण भूलने की प्रक्रिया से आरम्भ होता है। क्योंकि समाज के बारे में हमारा सामान्य बोध उस विशिष्ट दृष्टिकोण से प्राप्त किया गया होता है जो कि उस सामाजिक समूह तथा वातावरण का दृष्टिकोण होता है जिससे हम समाजीकृत होते हैं। हमारे सामाजिक सन्दर्भ तथा समाज एवं सामाजिक सम्बन्ध हमारे विश्वास, मत तथा मूल्यों को आकार प्रदान करते हैं जो कि अपूर्ण तथा पूर्वाग्रहों पर आधारित होते हैं। इस रूप में हमारा सामान्य बोध हमें सत्य के केवल एक हिस्से को ही दिखाता है जो कि हमारे विश्वास तथा मूल्यों की ओर झुका होता है। पूर्वाग्रहों की समस्या का समाधान-समाजशास्त्र हमें यह सीखने का निमंत्रण देता है कि विश्व को हमारे दृष्टिकोण के अलावा भी अन्य कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। 

अलग-अलग परिस्थितियों में प्राप्त अधूरे ज्ञान से सबक लेकर हम सम्पूर्णता तक पहुंच सकते हैं। मानव समाज के सन्दर्भ में यदि सत्य को जानना हो तो इसे स्वीकार करना होगा कि सत्य एक नहीं अनेक हैं और प्रत्येक अपने आप में अपूर्ण भी है। समाजशास्त्र के क्षेत्र में सत्य की बहुलता भी एक समस्या है। इसका समाधान हैः-तुलना अर्थात् विभिन्न प्रकार की अवस्थितियों से उपजे अलग-अलग नजरियों को आमने-सामने करना। दूसरे शब्दों में, समाजशास्त्र की मुद्रा तुलनात्मक होती है। यद्यपि समाजशास्त्र पूर्वाग्रहों से मुक्ति का दावा तो नहीं करता है परन्तु पूर्वाग्रहों को पहचानने की क्षमता को विकसित करने का वादा अवश्य करता है। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि समाजशास्त्र को सीखने का प्रारम्भिक चरण भूलने की प्रक्रिया से आरम्भ होता है तथा पूर्वाग्रहों की समस्या का समाधान भी इसके द्वारा किया जाता है। 

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 1 भारतीय समाज : एक परिचय

प्रश्न 3. 
समाजशास्त्र के अध्ययन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा 
है हमारे जीवन में समाजशास्त्र की क्या उपयोगिता है? बताइए।
उत्तर:
हमारे जीवन में समाजशास्त्र के अध्ययन का विशेष महत्त्व है! 
1. समाजशास्त्र हमें यह दिखा सकता है कि हम स्वयं को बाहर से कैसे देख सकते हैं। जिसे स्ववाचक तथा कभी-कभी आत्मवाचक भी कहा जाता है। यह स्वयं के बारे में सोचने, अपनी दृष्टि को लगातार घुमाने की क्षमता प्रदान करता है। परन्तु यह स्वनिरीक्षण आलोचनात्मक होना चाहिये न कि आत्ममुग्धता पर आधारित।

2. भारतीय समाज और इसकी संरचना की समझ हमें एक सामाजिक नक्शा प्रदान करती है जिसमें हम अपने ठौर-ठिकाने तथा स्थान का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इससे यह ज्ञान होता है कि दूसरों के सम्बन्ध में हमारी स्थिति क्या है।

3. एक तुलनात्मक सामाजिक नक्शा हमें हमारे निर्धारित स्थान के बारे में बताता है:
(क) यह हमें आयु संरचना में हमारी स्थिति के बारे में परिचित करवाता है। 
(ख) यह किसी क्षेत्रीय अथवा भाषाई समुदाय में हमारी स्थिति से परिचित करवाता है।
(ग) यह हमारे माता-पिता के व्यवसाय तथा आय के अनुसार आर्थिक वर्ग में हमारे स्थान का निर्धारण करता है।
(घ) यह धार्मिक समुदाय, जाति अथवा जनजाति में हमारे स्थान के बारे में हमें बताता है। 
(ङ) हम जिस समाज में रहते हैं उसके ताने-बाने में एक तुलनात्मक नक्शा हमारे स्थान का निर्धारण करता है।
(च) यह विभिन्न सामाजिक समूहों, उनके आपसी सम्बन्धों तथा हमारे जीवन में इनके महत्त्व के बारे में भी हमको अवगत करवाता है। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि समाजशास्त्र के अध्ययन का क्षेत्र काफी विस्तृत है। यह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी होता है। 

प्रश्न 4. 
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में राष्ट्रवाद का उदय कैसे हुआ? बताइए।
अथवा 
भारतीय राष्ट्रवाद के उदय में किन - किन तत्वों की भूमिका रही थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद का उदय-ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में भारत में नवीन चेतना का जन्म हुआ। औपनिवेशिक शासन ने सम्पूर्ण देश का एकीकरण किया और पूँजीवादी आर्थिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण की शक्तिशाली प्रक्रियाओं से देश को परिचित करवाया। जो भी परिवर्तन आये उन्हें पलटा नहीं जा सकता था। दूसरी ओर समाज वैसा भी नहीं रह सकता था जैसा कि पहले था। औपनिवेशिक शासन के अन्तर्गत भारत ने राजनीतिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक एकीकरण की जो उपलब्धियाँ प्राप्त की, उनकी हमें भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। औपनिवेशिक शोषण के घावों के निशानों को आज भी देश के विभिन्न भागों में देखा जा सकता है। इस युग का विरोधाभासी सच यह है कि उपनिवेशवाद ने ही भारतीय राष्ट्रवाद को जन्म दिया था।राष्ट्रवाद में सहायक तत्व-भारतीय राष्ट्रवाद ने औपनिवेशिक शासन के दौरान ही आकार लिया था। इसमें कई तत्व सहायक रहे थे

(क) औपनिवेशिक शासन के साझे अनुभवों ने समुदाय के विभिन्न भागों को एकीकृत करने में और बल प्रदान करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(ख) पाश्चात्य शिक्षा के परिणामस्वरूप उभरते मध्यम वर्ग ने उपनिवेशवाद को अपनी मान्यताओं के आधार पर चुनौती दी।
(ग) उपनिवेशवाद तथा पाश्चात्य शिक्षा ने परम्परा की पुनः खोजों को प्रोत्साहन दिया। परिणामस्वरूप कई प्रकार की सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का विकास हुआ, जिससे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर समुदाय के नवोदित रूप सुदृढ़ हुए थे।
(घ) उपनिवेशवाद ने कई नये वर्ग तथा समुदायों को जन्म दिया जिन्होंने राष्ट्रवाद में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
(ङ) नगरीय मध्यम वर्ग ने राष्ट्रवाद के विकास तथा स्वतंत्रता प्राप्ति में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
(च) औपनिवेशिक हस्तक्षेपों ने धार्मिक एवं जाति आधारित समुदायों को निश्चित रूप प्रदान किया था जो कि कालान्तर में राष्ट्रवाद में सहायक बना था। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में राष्ट्रवाद का जन्म हुआ। विभिन्न तत्वों ने राष्ट्रवाद के विकास में अपनी सहायता दी।

प्रश्न 5. 
एक तुलनात्मक सामाजिक नक्शा आपको समाज में आपके निर्धारित स्थान के बारे में बता सकता है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक तुलनात्मक सामाजिक नक्शा आपको समाज में आपके निर्धारित स्थान के बारे में बता सकता है। उदाहरण के लिए, सत्ररह या अठारह वर्ष की आयु में आप उस सामाजिक समूह के सदस्य हैं जिसे 'युवा पीढ़ी' कहा जाता है। भारत की लगभग 40% जनसंख्या आपकी या आपसे छोटे उम्र के लोगों की है। आप किसी विशेष क्षेत्रीय या भाषायी समुदाय (जैसे गुजरात से गुजराती भाषी या आंध्र प्रदेश से तेलुगु भाषी) से संबंधित होंगे। आपके माता-पिता के व्यवसाय एवं आपके परिवार की आय के मुताबिक आप एक आर्थिक वर्ग (जैसे-निम्न, मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग) के सदस्य भी अवश्य होंगे। आप एक विशेष धार्मिक समुदाय, एक जाति या जनजाति, या ऐसे ही किसी अन्य सामाजिक समूह के सदस्य भी हो सकते हैं। ऐसी प्रत्येक पहचान सामाजिक नक्शे में एवं सामाजिक संबंधों के तानेबाने में आपका स्थान निर्धारित करती है। समाजशास्त्र आपको समाज में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के समूहों, उनके आपसी संबंधों एवं आपके अपने जीवन में उनके महत्त्व के बारे में बतलाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 1 भारतीय समाज : एक परिचय

प्रश्न 6. 
औपनिवेशिक दौर में ही एक विशिष्ट भारतीय चेतना ने जन्म लिया। विस्तारपूर्वक समझाइए।
उत्तर:
औपनिवेशिक दौर में ही एक विशिष्ट भारतीय चेतना ने जन्म लिया क्योंकि औपनिवेशिक शासन ने पहली बार पूरे भारत को एकीकृत किया एवं पूँजीवादी आर्थिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण की ताकतवर प्रक्रियाओं से भारत का परिचय कराया। एक तरह से जो परिवर्तन लाए गए उन्हें पलटा नहीं जा सकता था-समाज वैसा कभी नहीं हो सकता जैसा पहले था। औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत भारत की आर्थिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक एकीकरण की उपलब्धि भारी कीमत चुकाकर प्राप्त हुई। औपनिवेशिक शोषण एवं प्रभुत्व द्वारा दिए गए अनेक प्रकार के घावों के निशान भारतीय समाज पर आज भी मौजूद हैं। परंतु उस युग का एक विरोधाभासी सच यह भी है कि उपनिवेशवाद ने ही अपने शत्रु राष्ट्रवाद को जन्म दिया। ऐतिहासिक तौर पर, भारतीय राष्ट्रवाद ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अंतर्गत आकार लिया।

औपनिवेशिक प्रभुत्व के साझे अनुभवों ने समुदाय के विभिन्न भागों को एकीकृत करने एवं बल प्रदान करने में मदद की। पाश्चात्य शैली की शिक्षा की बदौलत उभरते मध्य वर्ग ने उपनिवेशवाद को उसकी अपनी मान्यताओं के आधार पर ही चुनौती दी। हमारे इतिहास की विडम्बना है कि उपनिवेशवाद एवं पाश्चात्य शिक्षा ने ही परंपरा की पुनःखोज को प्रोत्साहन प्रदान किया। इससे कई तरह की सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ विकसित हुईं जिससे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर समुदाय के नवोदित रूप सुदृढ़ हुए।

Prasanna
Last Updated on July 1, 2022, 11:52 a.m.
Published June 13, 2022