Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज Textbook Exercise Questions and Answers.
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कविता के साथ -
कैमरे में बंद अपाहिज प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं-आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है?
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं। ये पंक्तियाँ अलग-अलग लोगों से सम्बन्धित हैं। उदाहरण के लिए संचालक कैमरामैन को लक्ष्य कर कहता है कि -
(i) कैमरा दिखाओ, इसे बड़ा-बड़ा
(ii) कैमरा
बस करो।
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है।
इसी प्रकार कुछ पंक्तियाँ दर्शकों को लक्ष्य कर रखी गई हैं। कुछ संवाद अपंग व्यक्ति एवं संचालक से सम्बन्धित हैं। इन कोष्ठकांकित पंक्तियों का औचित्य यह है कि दूरदर्शन पर कार्यक्रम संचालन की प्रक्रिया स्पष्ट हो जावे जो कि कैमरे के पीछे बोली जाती है तथा संचालक का बनावटी उद्देश्य की पूर्ति वाला स्वार्थी और छद्म-रूप प्रकट हो जाये। वैसे कविता में भावगत सजीवता लाने एवं संवेदना का स्तर बढ़ाने में इनका विशेष औचित्य है।
Class 12 Hindi Chapter 4 Question Answer प्रश्न 2.
कैमरे में बन्द अपाहिज' करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है-विचार कीजिए।
उत्तर :
कैमरे में बन्द अपाहिज' शीर्षक कविता में संचालक अपंग व्यक्ति के प्रति करुणा एवं संवेदना दिखाता है, परन्तु उसका उद्देश्य अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय एवं बिकाऊ बनाना है, वह उसकी अपंगता बेचना चाहता है। अतः कार्यक्रम काफी रोचक बने, इसलिए वह करुणा दिखाता है। परन्तु उसकी करुणा एकदम बनावटी है, उसमें क्रूरता छिपी हुई है।
संचालक द्वारा अपाहिज से बार-बार पूछा जाता है कि क्या आप अपाहिज हैं? अपाहिजपन से कितना दुःख होता है? अपाहिज होना कैसा लगता है? इस तरह के प्रश्न पूछना उनकी संवेदनहीनता को प्रकट करता है तथा दूरदर्शन पर दिखाये जाने वाले ऐसे कार्यक्रम कारोबारी दबाव के कारण संवेदनारहित एवं क्रूरता वाले होते हैं।
कैमरे में बंद अपाहिज पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 3.
'हम समर्थ शक्तिवान' और 'हम एक दुर्बल को लायेंगे' पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर :
वर्तमान काल में दूरदर्शन के संचालक एवं मीडिया वाले स्वयं को बहुत ताकतवर मानते हैं। वे सोचते हैं कि हम जैसा चाहें वैसा कार्यक्रम दर्शकों को दिखा सकते हैं। किसी दुर्बल और कमजोर अपंग को सम्मान दिला सकते हैं और उसे दूरदर्शन पर लाकर सबकी सहानुभूति दिला सकते हैं। संवेदनहीन मीडियाकर्मियों की दूषित मनोवृत्ति एवं व्यापारिक नीति पर कवि ने सशक्त व्यंग्य किया है।
Class 12 Hindi Ch 4 Question Answer प्रश्न 4.
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौनसा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर :
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति अर्थात् अपंग और दर्शक, दोनों एक-साथ रोने लगें, तो प्रश्नकर्ता (संचालक) को लगेगा कि उसका कार्यक्रम काफी प्रभावपूर्ण और संवेदनायुक्त बन गया है। प्रश्नकर्ता जिस लोकप्रियता के उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत करना चाहता था, यद्यपि वह अपंग व्यक्ति से लगातार पूछे गये बेतुके प्रश्नों से असंवेदित व अलोकप्रिय ही रहा। फिर भी यदि वह दर्शकों में संवेदना जगा पाता, करुणा का संचार करता और सहानुभूति जगा पाने में सफल रहता और यही सफलता उसके कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने में काम आती।
Class 12 Hindi Camera Mein Band Apahij Question Answer प्रश्न 5.
'परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?
उत्तर :
दूरदर्शन पर साक्षात्कार के प्रति कवि ने यह दृष्टिकोण व्यक्त किया है कि दूरदर्शन पर कार्यक्रम दिखाना काफी महंगा पडता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता को कार्यक्रम दिखाने के लिए निर्धारित समय दिया जा दूसरे कार्यक्रम के समय से जुड़ी होती है जो कि धनार्जन का मुख्य कारण होता है।
साक्षात्कार प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति अपंगता दिखाता है, अपाहिज का दुःख-दर्द प्रसारित करता है। सबकुछ तय सीमा में जल्दी-जल्दी करना चाहता है। इस प्रक्रिया में उसकी अपंगता के प्रति दया या सहानुभूति नहीं रहती है। इसमें व्यावसायिक स्वार्थ, क्रूरता एवं बनावटीपन हावी रहता है। कवि ने ऐसे दृष्टिकोण को सर्वथा निन्दित मानकर इस पर आक्षेप किया है।
कविता के आसपास -
Class 12 Hindi Aroh Chapter 4 Question Answer प्रश्न 1.
यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएँगे?
उत्तर :
जब मुझे शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे अपने किसी मित्र का लोगों से परिचय कराना होगा, तो मैं इस प्रकार परिचय कराऊँगा यह मेरा प्रिय मित्र ज्ञानप्रकाश है। बचपन में पोलियो हो जाने से इसका दाहिना हाथ एकदम सुन्न और कमजोर हो गया है। यह इससे कुछ भी काम नहीं कर पाता है, परन्तु अपना सारा काम, लिखना, कपड़े पहनना, साइकिल चलाना आदि सब बायें हाथ से ही करता है। इस तरह वह आत्मनिर्भर है और मौका आने पर दूसरों की मदद करने आगे भी आता है।
कमरे में बंद अपाहिज पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 2.
सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर :
सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम को देखकर तब अच्छा लगता है, जबकि उसमें मानवीय संवेदना एवं सहानुभूति की भावना विद्यमान हो। परन्तु सामाजिक उद्देश्य का कार्यक्रम बताकर उसमें करुणा एवं संवेदना का भाव नहीं रखा जावे, अपाहिज व्यक्ति की करुणा व अपाहिजता को व्यापार बना दिया जाये तो ऐसे कार्यक्रम को देखना अच्छा नहीं लगता है। सामाजिक यथार्थ एवं मानवीय संवेदना से रहित कार्यक्रम सदैव अरुचिकर लगता है।
Class 12 Hindi Chapter Camere Me Band Apahij Question Answer प्रश्न 3.
यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर :
सेवा में,
श्रीमान् निदेशक महोदय,
दूरदर्शन कार्यक्रम प्रसारण,
नई दिल्ली।
विषय : दिनांक 24 जनवरी, 20XX को डीडी-1 पर प्रसारित कार्यक्रम के सम्बन्ध में।
महोदय,
उपर्युक्त तिथि को प्रसारित कार्यक्रम में अपाहिज व्यक्ति के साथ साक्षात्कार का प्रसारण किया गया। इस प्रसारण को मैंने ध्यानपूर्वक देखा। इसके प्रति मेरी यह प्रतिक्रिया है कि प्रश्नकर्ता (संचालक) अपंग व्यक्ति के प्रति मानवीय संवेदना की उपेक्षा करता रहा। वह बार-बार उससे उसकी अपंगता को लेकर बेहूदे-बेतुके प्रश्न पूछता रहा। प्रश्न पूछने में उसकी संवेदनहीनता साफ नजर आ रही थी उसे अपंग व्यक्ति की लाचारी, दुःख-दर्द, मनोदशा, एवं बेचैनी का जरा भी ज्ञान नहीं था। सामाजिक कार्यक्रम का ऐसा प्रसारण सहृदयता एवं करुणा से रहित था। ऐसे विशिष्ट कार्यक्रमों की प्रस्तुति में सुधार की अपेक्षा है।
अतः आग्रह है कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों में मानवीय संवेदना तथा यथार्थता का पूरा ध्यान रखा जावे।
दिनांक : 27 जनवरी, 20XX
भवदीय,
नवलकिशोर,
राजापार्क, जयपुर।
Class 12th Hindi Chapter 4 Question Answer प्रश्न 4.
आगे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए -
उम्र पाँच साल, सम्पूर्ण रूप से विकलांग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलांग है। इसके दोनों हाथ का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ एड़ी ही है।
पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबंगला रोड, तारामण्डल और आर ब्लॉक होते हुए पवन का सफर एक घण्टे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ। पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान 'उम्मीद स्कूल' के तकरीबन तीन सौ बच्चे साथ दौड़ कर उसका हौसला बढ़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला जा रहा है।
जहानाबाद जिले का रहने वाला पवन नव-रसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।
- 9 अक्टूबर, 2006 हिन्दुस्तान से साभार
उत्तर :
साक्षात्कार -
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
Kamre Mein Band Apahij Question Answer प्रश्न 1.
"हम समर्थ शक्तिवान, हम एक दुर्बल को लाएँगे, एक बंद कमरे में" 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता की प्रस्तुत पंक्ति में कवि का कौनसा भाव व्यंजित हुआ है?
उत्तर :
प्रस्तुत कविता की उक्त पंक्तियों में कवि की संवेदना, करुणा एवं सहानुभूति दुर्बल-अपाहिज के प्रति व्यक्त हुई है। साथ ही दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों की संवेदनाहीनता पर सशक्त-व्यंग्य एवं आक्षेप व्यंजित हुआ है।
Camera Mein Band Apahij Question Answer प्रश्न 2.
'कैमरे में बन्द अपाहिज' कविता किस सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति दर्शाती है? क्या वास्तव में यह निर्धारित सामाजिक उद्देश की पूर्ति करती है? स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता अपाहिजों के प्रति करुणा और संवेदना व्यक्त करने के उद्देश्य की पूर्ति दर्शाती है, परन्तु वास्तव में दूरदर्शन वालों की क्रूरता, व्यावसायिकता एवं संवेदनाहीनता निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है।
Class 12th Hindi Aroh Chapter 4 Question Answer प्रश्न 3.
'कैमरे में बन्द अपाहिज' कविता में किन पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों एवं मीडिया व्यवसाय पर व्यंग्य किया गया है; क्योंकि ये लोग अपाहिजों के दुःख-दर्द को अपने कार्यक्रमों की लोकप्रियता बढ़ाने के उद्देश्य से दिखाते हैं और अपना व्यवसाय चमकाने के लिए संवेदनाहीन आचरण करते हैं।
Class 12 Hindi Chapter 4 प्रश्न 4.
'कैमरे में बन्द अपाहिज' कविता का प्रतिपाद्य या उद्देश्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता का उद्देश्य यह बताना है कि किसी के दुःख-दर्द का बाजारीकरण कदापि उचित नहीं है। अपाहिजों के प्रति सहानभति एवं करुणा रखनी चाहिए। कविता का प्रतिपाद्य दरदर्शन' मूति एवं करुणा रखनी चाहिए। कविता का प्रतिपाद्य दूरदर्शन की छद्म क्रूरता पर आक्षेप करना है एवं उसकी दोहरी चाल को प्रकट करना है।
Camere Mein Band Apahij Prashn Uttar प्रश्न 5.
दूरदर्शन वाले अपाहिज से प्रायः कैसे प्रश्न पूछते हैं और क्यों?
उत्तर :
दूरदर्शन वाले प्रायः पूछते हैं कि क्या आप अपाहिज हैं? आप अपाहिज क्यों हैं? क्या अपाहिज होना दुःख देता है? इस तरह के बेहूदे प्रश्न पूछकर वे कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं ताकि दर्शकों की सहानुभूति अपाहिज के साथ-साथ उनके कार्यक्रम से जुड़ी रहे।
Class 12 Hindi Aroh Chapter 4 Vyakhya प्रश्न 6.
"हम दूरदर्शन पर एक दुर्बल को लायेंगे" इसका क्या कारण हो सकता है? बताइए।
उत्तर :
दूरदर्शन के कई कार्यक्रमों का उद्देश्य मानवीय संवेदना जगाना रहता है, उस पर दर्शकों की संख्या बढ़े, उसमें रोचकता आए और संवेदना को सहजता से बेचा जा सके, इस दृष्टि से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं।
Camera Me Band Apahij Question Answer प्रश्न 7.
'उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी'-अपाहिज की इस स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालक किसी अपाहिज व्यक्ति से तरह-तरह के बेहूदे प्रश्न पूछेगे तो वह रुआँसा हो जायेगा। उस समय वह रो भी नहीं पायेगा और कुछ न कह पाने से उसके होंठों में कसमसाहट एवं कम्पन होता रहेगा कि किस तरह वह अपने प्रति दिखाई जा रही इसं झूठी संवेदना का प्रतिकार करे।
प्रश्न 8.
"यह अवसर खो देंगे।" में किसके लिए और किस दृष्टि से यह कहा गया है?
उत्तर :
यह दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालक द्वारा अपाहिज के लिए कहा गया है। वह अपाहिज से कहता है कि सब दर्शकों को अपना दुःख-दर्द बताने का यह सुनहरा मौका है। इसलिए अपनी व्यथा कह डालो, वरना यह अवसर खो दोगे।
प्रश्न 9.
“परदे पर वक्त की कीमत है"-इस कथन का क्या आशय है? .
उत्तर :
इस कथन का आशय यह है कि दूरदर्शन के परदे पर उन कार्यक्रमों को ही दिखाया जाता है, जो रोचक भी हों और व्यवसाय में लाभकारी भी रहें इसलिए वे अपने व्यवसाय पर अधिक ध्यान देते हैं और तय समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं।
प्रश्न 10.
दूरदर्शन वाले दर्शक और अपाहिज दोनों को एक संग क्यों रुलाना चाहते हैं?
उत्तर :
दूरदर्शन वाले अपने सामाजिक कार्यक्रम को अत्यधिक रोचक, प्रभावी और संवेदनापूर्ण बनाने का प्रयास करते हैं। इस कारण वे अपंग व्यक्ति से तरह-तरह के प्रश्न पूछ कर इस तरह रुलाना चाहते हैं कि उसे रोते देखकर दर्शक भी मानवीय संवेदना के कारण रोने लगें। जिससे उनके कार्यक्रम की टीआरपी (लोकप्रियता) बढ़े।
प्रश्न 11.
"बस थोड़ी ही कसर रह गई"-किस चीज की कसर रह गई? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कार्यक्रम संचालक ने सोचा था कि प्रयास करने पर अपाहिज रुआँसा होकर रो देगा। यदि ऐसा हो जाता तो कार्यक्रम काफी रोचक बन जाता। परन्तु यह कसर रह गई, इस बात की कमी रह गई।
प्रश्न 12.
"आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है?" अपाहिज से इस तरह का प्रश्न किसलिए किया जाता है?
उत्तर :
कार्यक्रम-संचालक द्वारा अपाहिज से इस तरह का प्रश्न इसलिए किया जाता है, ताकि वह अपनी पीड़ा खुलकर व्यक्त कर सके, लोगों द्वारा उसे हीनता-बोध करवाया जाना प्रकट कर सके और दूरदर्शन वाले उसकी वेदना का अच्छा मूल्य वसूल कर सकें।
प्रश्न 13.
'कैमरे में बन्द अपाहिज' कविता से क्या प्रेरणा दी गई है?
उत्तर :
प्रस्तुत कविता से यह प्रेरणा दी गई है कि हमें शारीरिक चुनौती झेलने वाले लोगों के प्रति संवेदनाशील नजरिया रखना चाहिए। उसकी अपंगता का किसी भी प्रकार का मजाक नहीं बनाना चाहिए। दूरदर्शन वालों को संवेदना
और करुणा रखकर उद्देश्य की पूर्ति करनी चाहिए।
प्रश्न 14.
"आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे"-इसका क्या आशय है?
उत्तर :
कार्यक्रम का संचालक परदे पर दिखाई जा रही अपंगता व उसके पीछे छिपे भावों की विश्वसनीयता पर जोर डालने हेतु इस तरह कहता है ताकि दर्शक उस कार्यक्रम से सन्तुष्ट हों। और फिर वह कैमरे की तकनीकी विशेषता से अपाहिज की पीड़ा को दिखाने का पूरा प्रयास करता है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
कवि रघुवीर सहाय की कविता 'कैमरे में बंद अपाहिज' में किस पर व्यंग्य किया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार रहे हैं। समाज में चल रही विडम्बना और त्रासदी उनकी कविताओं का मुख्य विषय रहा है। इस कविता में उन्होंने मीडिया की दोहरी नीति पर व्यंग्य किया है। अक्सर समाचार चैनल किसी व्यक्ति या घटना की दुःखपूर्ण दशा को प्रस्तुत करते समय अपनी संवेदना खोकर पूर्णत: व्यावसायिक प्रवृत्ति से संचालित होकर, उसे अपने व्यवहार से क्रूर बना देते हैं, यही बात इस कविता में प्रस्तुत की गई है।
जब यह कविता लिखी गई थी, तब हमारे दश में दूरदर्शन सीमित वर्ग तक सिमटा हुआ था। पर अब पूरा देश मीडिया के प्रभाव में गाँव-गाँव फैले टीवी ने बाजारीकरण को असंवेदनशील बना दिया है। किसी की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को संवेदनशील होना चाहिए, किन्तु कारोबारी दबाव के तहत प्रत्येक व्यक्ति का रवैया संवेदनहीन हो गया है। अपनी व्यंजना में यह कविता हर ऐसे व्यक्ति पर व्यंग्य करती है, जो दुःख-दर्द, यातना-वेदना को बेचना चाहता है।
प्रश्न 2.
'कैमरे में बंद अंपाहिज' कविता की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रघुवीर सहाय ने अपनी इस काव्य-रचना में पत्रकारिता दृष्टि का सृजनात्मक प्रयोग किया है। मानवीय पीड़ा की अभिव्यक्ति करना ही इनकी कविता का उद्देश्य रहा है। इसके लिए उन्होंने नयी काव्य-भाषा का विकास किया। उनकी भाषा सटीक, दो-टूक और विवरण प्रधान है। अनावश्यक शब्दों का प्रयोग नहीं है। भय से उत्पन्न आवेग रहित अभिव्यक्ति उनकी कविता की प्रमुख विशेषता है।
भाषा का पारम्परिक मोह त्याग कर सरल और बोलचाल की भाषा, जो आम आदमी के समीप होती है, का उपयोग इन्होंने अपनी इस कविता में किया है। भाषा को अपने तरीके से तोड़ना, शब्दों को नए अर्थों से जोड़ना, वाक्य-रचना में व्याकरण के मानकों की अवहेलना करना इनकी विधा में है। शैली अभ्यास खोजती है और व्यक्तित्व के निर्माण की तरह शैली का निर्माण भी पथ-प्रदर्शन चाहता है। इनकी कविताओं में इनके व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप है।
प्रश्न 3.
'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता में कवि ने किस तरह के बाजारीकरण को प्रस्तुत किया है और कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ने बताया है कि टेलीविजन (मीडिया) के लोग स्वयं को बहुत ताकतवर समझते हैं। उनका मानना है कि वे जैसे चाहे कार्यकम दर्शकों को दिखा सकते हैं। कार्यक्रम और निर्माण और उसकी प्रस्तुति सम्बन्धी सभी नियंत्रण उनके हाथों में होता है। अपनी मर्जी अनुसार वे गरीब, अपाहिज की करुणा भी बेच सकते हैं। इस कविता में एक दुर्बल अपाहिज व्यक्ति है, वह इस अर्थ में दुर्बल है कि न तो अपनी मर्जी से कुछ बोल सकता है और न कुछ कर सकता है।
उसे कार्यक्रम के संचालक अनुसार ही अपनी करुणा व्यक्त करनी होगी। वह विवश है और उसे दूरदर्शन के व्यापारीकरण का हिस्सा बनना पड़ता है। दूरदर्शन द्वारा सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर लोगों के दु:ख-दर्द बेचने का काम होता है। उन्हें अपाहिज के दुःख-दर्द और मान-सम्मान की कोई परवाह नहीं होती है। उन्हें अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता हेतु उसे रोचक बनाना है जिससे उन्हें कमाई हो सके इसलिए वे अपाहिज और दर्शक दोनों के आँ निकलवा कर पैसा बटोरना चाहते हैं। इस प्रकार कविता ने मीडिया का बाजारीकरण प्रस्तुत किया है।
रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न -
प्रश्न 1.
कवि रघुवीर सहाय के जीवन चरित्र एवं काव्य रचना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
अथवा
कवि रघुवीर सहाय के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रघुवीर सहाय समकालीन हिन्दी कविता के संवेदनशील 'नागर' चेहरा है। इनका जन्म सन् 1929 में लखनऊ (उ.प्र.) में हुआ। वहीं से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया। 'दैनिक नवजीवन' (लखनऊ) से 1949 में पत्रकारिता प्रारंभ की। सन् 1951 में दिल्ली चले गए।
यहाँ 'प्रतीक' के सहायक सम्पादक, आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसम्पादक का दायित्व निभाया। अज्ञेय द्वारा सम्पादित दूसरा सप्तक (1951) में, महत्त्वपूर्ण काव्य संकलन 'सीढ़ियों पर धूप में', 'आत्महत्या के विरुद्ध', 'हँसो-हँसो जल्दी हँसो'। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित सहाय जी का निधन सन् 1990 में दिल्ली में हुआ। पेशे से सिर्फ पत्रकार ही नहीं, सिद्धकथाकार और कवि भी थे। बातचीत की शैली में उन्होंने लिखा और बखूबी लिखा।
रघवीर सहाय -
कवि परिचय-रघुवीर सहाय अज्ञेय द्वारा सम्पादित 'दूसरा सप्तक' के कवि हैं। इनका जन्म सन् 1929 ई. में लखनऊ में हुआ। इनकी कविता साफ-सुथरी, सरल और अत्यन्त सधी हुई भाषा की परिचायिका है। इनका संस्कार 'नागर' है तो किसी कृत्रिमता के अर्थ में नहीं, अच्छे व्यवहार की सत्प्रेरणा देने वाला तथा सहज ग्राह्य है। इन्होंने घर मुहल्ले के चरित्रों पर अपनी कविता लिखकर इन्हें हमारी चेतना का स्थायी नागरिक बनाया है। हत्या, लूटपाट, आगजनी और छल-छद्म के साथ ही राजनैतिक भ्रष्टाचार इनकी कविता में निबद्ध होकर आत्मान्वेषण का माध्यम बन जाते हैं।
इस तरह इनकी कविताएँ आसपास की दुनिया को रूपायित करती हैं। वे इस संसार के सारे दर्दो को मिटाना चाहते हैं तथा अपनी कविता में उस राजनीति पर बराबर प्रहार करते हैं, जिसने इस दुनिया का सुख-चैन छीना है। जीवन की उन्मुक्तता और मानवीय संवेदना के साथ-साथ जीने की ललक एवं पारम्परिकता के अनेक दृश्य-चित्र इनकी कविता में मिलते हैं। ये नयी कविता के प्रखर कवि माने जाते हैं।
रघुवीर सहाय के प्रमुख काव्य-संग्रह हैं-'आत्महत्या के विरुद्ध', 'सीढ़ियों पर धूप', 'लोग भूल गये हैं', 'कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ', 'एक समय था', 'हँसो-हँसो, जल्दी हँसो' आदि। ये आल इण्डिया रेडियो के हिन्दी समाचार विभाग तथा कल्पना, नवभारत टाइम्स एवं दिनमान पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्ध रहे। इन्होंने कहानियाँ भी लिखीं। 'लोग भूल गये हैं' कृति पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। इनका सन् 1990 गया।
कविता परिचय - पाठ्यक्रम में रघुवीर सहाय की 'कैमरे में बन्द अपाहिज' कविता उनके 'लोग भूल गये हैं। काव्य-संग्रह से संकलित है। इसमें शारीरिक चुनौती को झेलते व्यक्ति से टेलीविजन-कैमरे के सामने किस तरह के सवाल पूछे जायेंगे और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उससे कैसी भंगिमा की अपेक्षा की जायेगी, इसका सपाट तरीके से बयान करते हुए एक तरह से पीड़ा के साथ दृश्य-संचार माध्यम के सम्बन्ध को निरूपित किया गया है।
वस्तुतः किसी की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, परन्तु दूरदर्शनकर्मी वैसी संवेदनशीलता नहीं रखते हैं। वे तो उस व्यक्ति के प्रति कठोरता का व्यवहार करते हैं तथा अपने कारोबारी स्वार्थ को ऊपर रखकर कार्यक्रम को आकर्षक एवं बिकाऊ बनाने का प्रयास करते रहते हैं।
दूरदर्शन के सामने आकर जो व्यक्ति अपना दुःख-दर्द और यातना-वेदना को बेचना चाहता है, वह ऐसा अपाहिज बताया गया है, जो लोगों की करुणा का पात्र बनता है। प्रस्तुत कविता में मीडिया-माध्यम की ऐसी व्यावसायिकता एवं संवेदनहीनता पर आक्षेप किया गया है।
सप्रसंग व्याख्याएँ।
कैमरे में बन्द अपाहिज -
1. हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा
देता है?
प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि रघुवीर सहाय द्वारा लिखित काव्य संग्रह 'लोग भूल गए हैं' की कविता 'कैमरे में बंद अपाहिज' से लिया गया है। कवि ने इसमें शारीरिक चुनौती को झेलते व्यक्ति से टेलीविजन-कैमरे के सामने किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं, का वर्णन किया है।
व्याख्या - कवि इसमें मीडिया से जुड़े लोगों की मानसिकता पर प्रकाश डालते हुए बताते हैं कि ये लोग स्वयं को समर्थ अर्थात् सब कुछ करने योग्य तथा शक्तिशाली समझते हैं। दूरदर्शन पर अपने कार्यक्रम सामाजिक उद्देश्य से जुड़ा है, इसे लोकप्रिय बनाने के लिए दूरदर्शन के एक बंद कमरे में एक अपाहिज और दुर्बल व्यक्ति को लेकर आयेंगे।
दूरदर्शन पर उसकी विकलांगता एवं मजबूरी दिखाने के लिए उससे कई प्रकार के प्रश्न पूछेगे कि क्या आप अपंग हैं, अपाहिज हैं? तो आप अपाहिज क्यों हैं? आपकी विकलांगता आपको दुःख-पीड़ा देती है? क्या और कैसे देती है? इस तरह के बेतुके प्रश्न, जो कि मानवीयता की हँसी उड़ाते प्रतीत होते हैं, लेकिन सिर्फ अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने हेतु अपंग व्यक्ति से उसकी अपंगता पर अनेक सवाल कर अपने दिमाग की अपंगता को सिद्ध करते हैं।
विशेष :
1. कवि ने मीडिया की मानसिकता पर करारा व्यंग्य किया है।
2. काव्यांश में नाटकीयता है। भाषा सहज-सरल एवं व्यंजना-शब्द शक्ति का प्रयोग है।
2. (कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दःख क्या है
जल्दी बताइए वह दुःख बताइए
बता नहीं पाएगा
सोचिए बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएंगे कि क्या ऐसा?)
प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि रघुवीर सहाय द्वारा लिखित काव्य संग्रह 'लोग भूल गए हैं' की कविता 'कैमरे में बंद अपाहिज' से लिया गया है। मीडियाकर्मियों की संवेदनहीन क्रियाप्रणाली का वर्णन किया गया है। जिसमें कैमरे के सामने एक अपाहिज से उसकी अपाहिजता का कारण व उससे होने वाले दुःखों के बारे में पूछा जा रहा है।
व्याख्या - कवि मीडिया की कार्यपद्धति पर सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि ये स्वयं को समर्थ और शक्तिशाली दिखाने की होड़ में मजबूर, मजलूम और अपाहिज लोगों का दुःख-दर्द भूल गए हैं। कैमरे के सामने अपाहिज को बैठा कर उसकी बेचारगी पूरी दुनिया को दिखाना चाहते हैं, जिसके लिए वे कैमरामैन से कहते हैं कि कैमरे में इसके चेहरे पर मौजूद बेचारगी एवं मजबूरी को बड़ा करके दिखाओ। जैसे.ही क्लाज-अप शुरू होता है, एक मीडियाकर्मी अपाहिज से सवाल पूछता है, जल्दी बताइये, आपका दुःख क्या है? जल्दी-जल्दी पूछने के पीछे उनकी समयबद्धता है जो कार्यक्रम से जुड़ी है।
उन्हें अपाहिज के दुःखों से कोई मतलब नहीं है। अपाहिज लगातार जल्दी-जल्दी पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाता है। फिर पूछा जाता है सोचिए, बताइये। आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है? कैसा? यानि कैसा लगता है? अपाहिज भौंचक है, वह समझ नहीं पाता कि अपनी अपाहिजता को किस भाव से व्यक्त करे। उसकी दुविधा को समझ स्वयं मीडियाकर्मी भाव बनाकर बताता है, क्या ऐसा? कवि ने यह सब मानवीय संवेदनहीनता से परे यांत्रिक जीवन का उदाहरण दिया है।
विशेष :
1. कवि ने इसके माध्यम से यही बताया है कि मनुष्य यंत्रों के साथ काम करते-करते स्वयं भी संवेदनहीन यंत्र समान हो गया है।
2. भाषा सरल-सहज व व्यंजनापूर्ण है।
3. सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं?
(यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा)
प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि रघुवीर सहाय द्वारा लिखित काव्य संग्रह 'लोग भूल गए हैं' की कविता 'कैमरे में बंद अपाहिज' से लिया गया है। इसमें कवि ने मीडियाकर्मियों की हृदयहीनता एवं यांत्रिकता जीवन से भरे पूछे जाने वाले प्रश्नों पर व्यंग्य किया है।
व्याख्या - कवि बताते हैं कि किस प्रकार दूरदर्शनकर्मी एक अपाहिज को उसकी अपाहिजता से भरे दुःख भाव बताने की नाटकीयता करने को कहता है। वह कहता है कि थोड़ी कोशिश कीजिए और अपनी पीड़ा से लोगों को परिचित कराइये। आपके सामने लोगों को अपनी पीड़ा बताने का यह अच्छा अवसर है, दूरदर्शन पर सारे लोग आपको देख रहे हैं। अपना दर्द नहीं बताने से आप यह मौका खो देंगे। आपको ऐसा मौका फिर नहीं मिल सकेगा।
कार्यक्रम का संचालक कहता है कि आपको पता है कि हमें अपने इस कार्यक्रम को रोचक बनाना है। इसके लिए यह जरूरी है कि अपाहिज व्यक्ति अपना दु:ख-दर्द स्पष्टतया बता दे। इसलिए वे उससे इतने प्रश्न पूछेगे कि पूछ-पूछकर रुला देंगे। उस समय दर्शक भी उस अपंग व्यक्ति के रोने का पूरा इन्तजार करते हैं; क्योंकि दर्शक भी दूरदर्शन पर अपंग व्यक्ति के दु:ख-दर्द को उसके मुख से सुनना चाहते हैं। क्या वे भी रो देंगे, अर्थात् क्या उनकी प्रतिक्रिया मिल सकेगी? कवि अन्त में दर्शकों से पूछते हैं कि आप भी ऐसा इंतजार करते हैं? चूंकि यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा फिर भी यह व्यंग्य प्रश्नकर्ता और दर्शक-श्रोता दोनों के लिए है।
विशेष :
1. कवि ने मीडियाकर्मी साथ-साथ श्रोता और दर्शक दोनों पर भी व्यंग्य किया है कि वे भी अपाहिजता का दर्द उसके मुख से सुनकर विश्वास करेंगे।
2. भाषा सरल-सहज व उद्वेगपूर्ण है। व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग है।
4. फिर हम परदे पर दिखलाएँगे।
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
कठिन-शब्दार्थ :
कसमसाहट = छटपटाहट, बेचैनी।
प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि रघुवीर सहाय द्वारा लिखित काव्य संग्रह 'लोग भूल गए हैं' की कविता 'कैमरे में बंद अपाहिज' से लिया गया है। कवि ने मीडिया पर व्यंग्य किया है कि अपने कार्यक्रम को सफल एवं लोकप्रिय बनाने हेतु वे किस प्रकार अपाहिज व दर्शक दोनों को रुलाना चाहते हैं।
व्याख्या - दूरदर्शन कार्यक्रम संचालक का यह प्रयास रहता है कि उसके बेहूदे प्रश्नों से अपाहिज रोवे और वह उससे सम्बन्धित दृश्य का प्रसारण करे। इसलिए वह अपाहिज की सूजी हुई आँखें बहुत बड़ी करके दिखाता है। इस प्रकार वह उसके दुःख-दर्द को बहुत बड़ा करके दिखाना चाहता है। वह अपाहिज के होंठों की बेचैनी एवं लाचारी भी दिखाता है।
संचालक कार्यक्रम को रोचक बनाने के प्रयास में सोचता है कि अपाहिज की बेचैनी को देखकर दर्शकों को उसकी अनुभूति हो जायेगी। इसलिए वह कोशिश करता है कि अपाहिज के दुःख-दर्द को इस तरह दिखावे कि उससे अपाहिज के साथ दर्शक भी रोने लगें। उस समय दर्शक केवल उस अपाहिज को देखें और धैर्यपूर्वक उसके दर्द को आत्मसात् कर सकें।
विशेष :
1. कवि ने मीडिया की व्यापार-वृत्ति पर व्यंग्य किया है कि किस प्रकार वे उसकी विकलांगता एवं दर्शकों की सहानुभति को भुनाते हैं।
2. भाषा सरल-सहज है, व्यंगयात्मक पूर्ण भाषा एवं प्रवाहमयता है।
5. (कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुसकुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद।
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि रघुवीर सहाय द्वारा लिखित काव्य संग्रह 'लोग भूल गए हैं' की कविता 'कैमरे में बंद अपाहिज' से लिया गया है। जिसमें कवि ने मीडिया की दोहरी कार्य-नीति पर व्यंग्य किया है।
व्याख्या - कवि बताते हैं कि जब कार्यक्रम-संचालक दर्शकों को रुलाने की चेष्टा में सफल नहीं होता है, तो तब वह कैमरामैन को कैमरा बन्द करने का आदेश देते हुए कहता है कि अब बस करो, यदि अपाहिज का दर्द पूरी तरह प्रकट न हो सका, तो न सही। परदे का एक-एक क्षण कीमती होता है। समय और धन-व्यय का ध्यान रखना पड़ता है। आशय यह है कि कार्यक्रम को दूरदर्शन पर प्रसारित करने में काफी समय एवं धन का व्यय होता है।
इसलिए अपाहिज के चेहरे से कैमरा हटवाकर संचालक दर्शकों को सम्बोधित कर कहता है कि अभी आपने सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु दिखाया गया कार्यक्रम प्रत्यक्ष देखा। इसका उद्देश्य अपाहिज के दुःख-दर्द को पूरी तरह सम्प्रेषित करना था, (परन्तु इसमें थोड़ी-सी कमी रह गई, अर्थात् अपाहिज के रोने का दृश्य नहीं आ सका तथा दर्शक भी नहीं रो पाये। अगर दोनों एक साथ रो देते, तो कार्यक्रम सफल हो जाता।) ऐसा वह नहीं बोलता है। अन्त में कार्यक्रम-संचालक दर्शकों को धन्यवाद देता है। यह धन्यवाद मानो उसके संवेदनाहीन व्यवहार पर व्यंग्य है।
विशेष :
1. कवि कार्यक्रम संचालन के कार्य एवं उद्देश्य पर सीधे व्यंग्य करते हैं कि कार्य अपाहिज की सहायता या संवेदना व्यक्त करना नहीं था, वरन् अपना कार्यक्रम सफल बनाना था।
2. भाषा सरल-सहज व सम्प्रेषणीय है।