RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 16 चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 16 चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Hindi Solutions Aroh Chapter 16 चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती

RBSE Class 11 Hindi चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती Textbook Questions and Answers

कविता के साथ - 

प्रश्न 1. 
चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ते पर बजर गिरे ? 
उत्तर : 
कलकत्ता एक महानगर है। कृषि की उपेक्षा और गाँवों में रोजगार की कमी के कारण ग्रामीण नवयुवक महानगरों की ओर रोजगार के लिए दौड़ते हैं। उससे परिवार टूटते हैं, महानगरी की चकाचौंध में फँसे ग्रामीण अपने गाँव नहीं लौट पाते। वे बुराइयों में फँसकर वहीं दम तोड़ देते हैं। चंपा नहीं चाहती कि उसका पति कलकत्ता जाये और उससे अलग हो जाय। अत: वह कलकत्ते के विनाश की कामना करती है।

प्रश्न 2. 
चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी? 
उत्तर : 
चंपा को कवि ने बताया था कि गाँधी बाबा बहुत अच्छे आदमी हैं। अच्छे आदमी तो सदा अच्छी बात कहा करते हैं। पढ़ना-लिखना चंपा की दृष्टि में एक कठिन और उबा देने वाला काम है। अत: उसे विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा लोगों से पढ़ने-लिखने जैसे काम को सीखने की बात कहेंगे। 

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प्रश्न 3. 
कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर : 
कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है 

  1. निरक्षर-चंपा पढ़ी-लिखी नहीं है। वह पढ़ना चाहती भी नहीं है।
  2. सुन्दर और परिश्रमी-चंपा सुन्दर है। वह परिश्रमी है। वह अपने पिता की गाय-भैंसों को चराने ले जाती है। 
  3. नटखट-चंपा चंचल, शरारती और ऊधमी है। वह कवि के कागज और कलम छिपा देती है। 
  4. साक्षरता-विरोधी-पढ़ने-लिखने में उसका मन नहीं लगता। उसके लिए पढ़ना एक व्यर्थ काम है। 
  5. सच्ची स्नेही-चंपा में आत्मीयता है। वह लोगों से सच्चा स्नेह करती है। वह भोली-भाली है।
  6. स्पष्टवादिनी-चंपा स्पष्ट बोलने वाली है, जो बात उसे ठीक लगती है, उसको मुँह पर ही स्पष्ट कह देती है। 
  7. महानगरों पर क्रुद्ध-परिवारों को खंडित कर देने वाले कलकत्ता जैसे नगरों से उसे घृणा है। 

प्रश्न 4. 
आपके विचार से चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूंगी? 
उत्तर : 
चंपा पढ़ने-लिखने को अच्छी बात नहीं मानती। गाँव के जीवन में पिछड़ी जाति के और निर्धन लोग पढ़ने को महत्व नहीं देते। विशेषकर बच्चे तो पढ़ने-लिखने को एक बंधन मानते हैं। चरवाहे का काम करने वाली बालिका को भला-पढ़ाई-लिखाई . से क्या लेना-देना। इसी कारण चंपा पढ़ाई के विरुद्ध है। 

कविता के आस-पास - 

प्रश्न 1. 
यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से कैसे बातें करती? 
उत्तर : 
यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से इतने खुलेपन से बात नहीं कर पाती। वह मुँह पर ही स्पष्ट शब्दों में नहीं बोल पाती। वह समझ जाती कि कवि एक विद्वान व्यक्ति है। कवि के साथ उसका व्यवहार सम्मानजनक होता। उसके मन में सहज शालीनता होती और कवि के साथ खूब सोच-समझकर विनम्रता के साथ बात करती। यह बात स्पष्ट है कि पढ़ने-लिखने से उसके व्यवहार और बातचीत की नैसर्गिकता समाप्त हो जाती और उस पर बनावट का एक आवरण पड़ जाता। 

प्रश्न 2. 
इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है ?
उत्तर : 
कवि ने इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों के जीवन की विडंबना का वर्णन किया है। ये स्त्रियाँ अनपढ़ होती हैं। अपने गाँव या आस-पास काम न मिलने पर उनके पति रोजगार की तलाश में कलकत्ता आदि महानगरों में चले जाते हैं। स्त्रियों को घर पर अकेले पति से दूर रहना पड़ता है। उन्हें अनेक पारिवारिक तथा आर्थिक संकटों से जूझना पड़ता है। बच्चों और बूढ़े सास-ससुर इत्यादि की देख-रेख करनी होती है। दूर होने के कारण तथा निर्धनता के कारण उनके पति जल्दी घर नहीं आ पाते। उन स्त्रियों को अपने पति के वियोग का कष्ट सहना होता है। अनपढ़ होने के कारण पत्र-व्यवहार भी नहीं कर पाती हैं। 

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प्रश्न 3.
संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है, अपनी कल्पना से लिखिए। 
उत्तर : 
लड़की यदि पढ़ी-लिखी नहीं होती तो स्वाभाविक ही है कि वह न तो अपना सन्देश किसी को भेज सकती है और न किसी का भेजा संदेश ग्रहण ही कर सकती है। बिना पढ़ी-लिखी लड़की ससुराल में अपने कष्टों की बात अपने माता-पिता तक नहीं पहुँचा सकती। वह अपने मन की पीड़ा अपने पति को भी नहीं लिख पाती। पत्र लिखवाने के लिए उसको कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति तलाश करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति से पत्र लिखवाते समय भी वह अपने मन की पूरी बातें नहीं लिखवा पाती। उन बातों को तो उसे पति के घर आने तक मन में ही रखना पड़ता है। इस प्रकार उसे विरह का महान कष्ट सहन करना होता है। यहाँ सन्देश भेजने और ग्रहण करने के साधन रूप में पत्र-व्यवहार पर ही विचार किया गया है। आज टेलीफोन और मोबाइल के प्रयोग ने इस समस्या को , कुछ हद तक दूर कर दिया है। 

प्रश्न 4. 
त्रिलोचन पर एन. सी. ई. आर. टी. द्वारा बनाई गई फिल्म देखिए। 
उत्तर :
छात्र यह फिल्म अपने शिक्षक की सहायता से देख सकते हैं। 

RBSE Class 11 Hindi चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
कवि ने चंपा की क्या विशेषताएँ बताई हैं ? 
उत्तर : 
कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं -

  1. चंचलता 
  2. नटखटपन
  3. अच्छापन
  4. ऊधम करने वाली
  5. नारी-सुलभ हठ
  6. मुखर स्वभाव
  7. आत्मीयता
  8. विद्रोही
  9. साः -विरोधी। 

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प्रश्न 2. 
चंप की किस बात को सुनकर कवि हँस देता है ? 
उत्तर : 
चंपा कवि को लिखते देखकर कहती है कि वह दिनभर कागद ही गोदा करता है। क्या यह अच्छा काम है ? कवि को यह सुनकर हंसी आ जाती है। 

प्रश्न 3. 
'हारे गाढे काम सरेगा'-का तात्पर्य क्या है ? 
उत्तर : 
कवि चंपा को लिखने-पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है। वह उससे कहता है कि वह पढ़ना सीख ले। कभी जरूरत होने पर अथवा बुरे वक्त में पढ़ाई काम आयेगी। 

प्रश्न 4. 
कवि ने गाँधी बाबा का नाम चंपा के सामने किस सन्दर्भ में लिया है ? 
उत्तर : 
कवि चंपा को पढ़ने-लिखने को राजी करना चाहता है। उसने इसी सन्दर्भ में गाँधी बाबा का नाम लिया है कि वह भी चाहते हैं कि लोग पढ़े-लिखें। संभवत: गाँधी बाबा की इच्छा जानकर चंपा पढ़ने को तैयार हो जाये, क्योंकि चंपा गाँधी बाबा को एक सज्जन एवं अच्छा व्यक्ति मानती है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
कवि पढ़ने-लिखने के लिए चंपा को किस प्रकार प्रोत्साहित करता है ? 
उत्तर : 
कवि चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है। वह कहता है कि पढ़ाई-लिखाई गाढ़े समय (बुरे वक्त) में काम आती है। गाँधी बाबा की भी इच्छा है कि देश के सभी लोग पढ़े-लिखें। तुम बड़ी हो जाओगी। तुम्हारा ब्याह होगा और तुम अपनी ससुराल जाओगी। तुम्हारा पति कुछ दिन तुम्हारे साथ रहकर कलकत्ता चला जायेगा। तुम पढ़-लिख लोगी तो उसको सन्देश भेज सकोगी और उसका पत्र आने पर उसकी कुशलता जान सकोगी। 

प्रश्न 2. 
चंपा पढ़ने-लिखने के सम्बन्ध में दिए गए कवि के तर्कों को किस प्रकार काटती है ? 
अथवा 
'चंपा एक हठीली बालिका है'-स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
चंपा को पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कवि ने उससे कहा कि यह गाँधी बाबा की इच्छा है। चंपा ने उत्तर दिया कि तुम तो कहते हो कि गाँधी बाबा अच्छे आदमी हैं, फिर वह पढ़ने-लिखने के लिए क्यों कहेंगे? पढ़-लिखकर तो आदमी स्वार्थी और धोखेबाज बन जाता है। 

पति के कलकत्ता चले जाने पर उसे सन्देश भेजने के लिए तथा उसका पत्र पढ़ने के लिए पढ़ाई को जरूरी बताने पर चंपा ने कवि से कहा कि वह अपने पति को सदा अपने साथ रखेगी। वह उसे दूर कलकत्ता जाने ही नहीं देगी। इस प्रकार चंपा ने कवि के तर्कों को अपनी कुशाग्र बुद्धि से काट दिया। चंपा के विचार से पढ़ाई अच्छा काम नहीं है। 

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प्रश्न 3. 
भाव स्पष्ट कीजिए 
'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती।' 
उत्तर : 
पढ़ाई-लिखाई के लिए अक्षर-ज्ञान आवश्यक होता है। स्याही से लिखे जाने के कारण अक्षर काले होते हैं। इस तरह पढ़ाई-लिखाई में काले अक्षरों की पहचान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। चंपा काले-काले अच्छरों को नहीं चीन्हती कहकर कवि यह बताना चाहता है कि चंपा निरक्षर है। कवि ने अक्षर के लिए 'अच्छर' का प्रयोग किया है तथा चीन्हती' क्रिया का प्रयोग किया है। यह चंपा की निरक्षरता को प्रकट करने के लिए ही किया है। 

प्रश्न 4. 
'चंपा नटखट है'-कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए। 
उत्तर : 
चंपा अत्यन्त नटखट है। वह चंचल है तथा कभी-कभी बहुत शोरगुल भी मचाती है। उसको कवि का हर समय पढ़ना-लिखना अच्छा नहीं लगता। उसे वह कागद गोदना कहती है। वह कवि को तंग करने के लिए उसकी कलम चुरा ले जाती है। जब कवि प्रयत्न करके किसी प्रकार अपनी कलम तलाश करके लाता है तो देखता है कि अबकी बार उसके कागज गायब हो गये हैं। इस तरह चंपा कवि को अपने नटखटपन से सदा परेशान करती है। 

प्रश्न 5. 
आशय स्पष्ट कीजिए - 
'हारे गाढ़े काम सरेगा।' 
उत्तर : 
कवि चंपा को पढ़ाना चाहता है। वह सोचता है कि अच्छा है कि वह पढ़ना-लिखना सीख ले। वह चंपा को तरह-तरह से समझाता है। उसे प्रोत्साहित करने के लिए पढ़ाई करना गाँधीजी की इच्छा बताता है। वह उससे कहता है वि - दी के बाद कलकत्ते में रह रहे पति को सन्देश भेजने में भी पढ़ाई काम आयेगी। 'हारे गाढ़े काम सरेगा' कहकर कवि चंपा से कहना चाहता है कि पढ़ाई करना जरूरी है। कभी जी. में कोई कठिन समय । आता है तो पढ़ाई सदा काम आती है। पढ़ाई कभी बेकार नहीं जाती। बुरे दिनों में पढ़ाई मनुष्य के लिए हितकारी सिद्ध होती है। 

प्रश्न 6. 
'कलकत्ते पर बजर गिरे-पंक्ति के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ? 
उत्तर : 
'कलकत्ते पर बजर गिरे'-यह कविता की अन्तिम पंक्ति है। कवि चंपा से कहता है कि शादी के कुछ दिन बाद काम की तलाश में उसका पति कलकत्ता चला जायेगा तो उसको सन्देश देने के लिए उसे पढ़ना चाहिए। चंपा उत्तर देती है कि वह अपने पति को साथ ही रखेगी। कलकत्ता नहीं जाने देगी। कलकत्ते पर वज्रपात हो। इस पंक्ति में कवि ने पूँजीवादी अर्थव्यवस्था पर व्यंग्य किया है जिसमें गाँवों का शोषण होता है तथा वहाँ के रोजगार-धन्धे नष्ट हो जाते हैं। 

इस व्यवस्था में किसान का शोषण होता है। वह रोजगार की तलाश में कलकत्ता जैसे महानगर में जाकर मजदूर बन जाता है। अनजाने ही चंपा ने कलकत्ते पर बजर गिरे कहकर इस व्यवस्था पर चोट की है। कवि कहना चाहता है कि इस पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के नष्ट होने पर ही भारत के गाँवों का सच्चा विकास हो सकता है तथा भारतीय किसान खुशहाल हो सकता है। 

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प्रश्न 7. 
त्रिलोचन की कविता 'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती' किस काव्यधारा से सम्बन्धित है ? इसके कला-पक्ष की क्या विशेषताएँ हैं ? 
उत्तर : 
'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती' -यह कविता त्रिलोचन द्वारा रचित है। त्रिलोचन हिन्दी की प्रगतिवादी काव्यधारा के कवि हैं। प्रगतिवादी काव्य की विशेषताओं के अनुरूप ही इस कविता का कला पक्ष है। कविता की रचना सरल, प्रवाहपूर्ण भाषा में की गई है। कवि ने बोलचाल की भाषा को चुटीला और नाटकीय बनाया है जो कविता की प्रभाव-वृद्धि में सहायक है। कवि की यह रचना मुक्त छन्द में है। अलंकारों पर विशेष जोर नहीं दिया गया है। इसकी भाषा रूमानियत से मुक्त है। इसमें लोकभाषा से जुड़ाव है। पलायन के लोक अनुभवों की कविता में मार्मिक व्यंजना हुई है।

प्रश्न 8.
'ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी' कवि ने चंपा से ऐसा क्यों कहा है ? 
अथवा 
कवि ने चंपा को साक्षर बनाने के लिए प्रेरित करने हेतु बाल मनोविज्ञान का सहारा लिया है-स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर :
कवि ने चंपा को समझाया कि उसका विवाह होगा और वह अपनी ससुराल जायेगी। उसका पति कुछ दिन उसके साथ रहेगा फिर रोजगार की तलाश में कलकत्ता चला जायेगा। यदि वह पढ़ेगी-लिखेगी नहीं तो कलकत्ते में पति को अपना सन्देश किस प्रकार भेज सकेगी? जब पति का पत्र आयेगा तो वह कैसे जानेगी कि उसमें क्या लिखा है ? कवि चाहता है कि चंपा पढ़ना-लिखना सीखे। विवाह ऐसा विषय है जिसमें बालिकाओं और युवतियों की विशेष रुचि रहती है। कवि ने चंपा को पढ़ाई के प्रति उत्साहित करने के लिए ही यह प्रसंग छेड़ा है। 

प्रश्न 9. 
चंपा क्यों कहती है-'तुम कागद ही गोदा करते हो दिनभर' ? 
उत्तर : 
चंपा कवि के पास आती रहती है। वह देखती है कि कवि हर समय कागज-कलम लेकर बैठा रहता है तथा कछ लिखता रहता है। कवि को दिनभर लिखने में व्यस्त देखना चंपा को अच्छा नहीं लगता। वह कहती है कि तुम कागद ही गोदा करते हो दिनभर। वह पूछती है कि क्या यह अच्छा काम है ? आशय यह है कि चंपा पढ़ाई को बेकार का काम समझती है। वह स्वयं पढ़ी-लिखी नहीं है। अत: पढ़ाई-लिखाई का महत्त्व नहीं समझती। वह चाहती है कि कवि लिखने जैसे बेकार काम में अपना समय नष्ट न करे। 

प्रश्न 10. 
चंपा का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
चंपा सुन्दर नामक ग्वाले की बेटी है। सुन्दर गायें-भैंसें पालता है। चंपा उसके पशुओं को जंगल में चराने के लिए ले जाती है। वह अच्छी लड़की है। वह चंचल, नटखट और ऊधमी है। वह कवि को पढ़ते देखती है तो उच्चारण में निकले स्वरों को सुनकर आश्चर्य में पड़ जाती है। वह नहीं चाहती कि कवि हर समय पढ़ता-लिखता रहे। वह उसकी कलम और कागज चुरा लेती है तथा लिखने-पढ़ने को बेकार काम बताती है। 

कवि चंपा को पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है। कहता है-पढ़ाई गाढ़े समय (बुरे वक्त) में काम आती है। गाँधी बाबा भी चाहते हैं कि सब लोग पढ़े-लिखें। कवि उसे समझाता है कि व्याह के बाद उसका पति रोजगार के लिए कलकत्ता चला जायेगा। तब उसको सन्देश भेजने तथा उसके पत्र पढ़ने में पढ़ाई काम आयेगी। अत: उसको पढ़ना चाहिए। परन्तु चंपा राजी नहीं होती। वह कहती है कि वह अपने पति को कलकत्ता जाने ही नहीं देगी। पतियों को उनकी पत्नियों से अलग करने वाले कलकत्ते पर अर्थात् कलकत्ता पर भारी विपत्ति आये ताकि उसका सर्वनाश हो जाये। 

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निबन्धात्मक प्रश्न - 

प्रश्न :
'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती' कविता कवि त्रिलोचन की प्रगतिवादी धारा से सम्बन्धित रचना है। इसमें कवि ने रोजगार के लिए घर से महानगरों में पलायन की मार्मिक व्यंजना की है। चंपा एक अनपढ़ ग्वाले की पुत्री है। अपने आसपास बेरोजगारी से त्रस्त युवकों के घरों के बिखरने का वातावरण देखती रहती है। अत: उसका बाल मन महानगरों से नाराज है। 

चंपा पढ़ी-लिखी नहीं है। कवि को पढ़ता देखकर उसको आश्चर्य होता है कि काले अक्षरों से इतने विविध प्रकार के स्वर कैसे फूट पड़ते हैं ? चंपा सुन्दर ग्वाले की अच्छी बेटी है। वह अपने पिता के पशुओं को जंगल में चराने ले जाती है। चंपा नटखट, चंचल और शरारती है। वह कवि को लिखने-पढ़ने देना नहीं चाहती। 

एक दिन चंपा कवि के पास आई तो कवि ने उसे पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रोत्साहित किया। कवि ने कहा---गाँधी बाबा चाहते हैं कि सभी देशवासी पढ़ाई-लिखाई करें, साक्षर बनें। पढ़ाई कठिन समय में काम आने वाली चीज है। उसे अवश्य पढ़ना चाहिए। चंपा कवि से कहती है कि गाँधी बाबा तो अच्छे आदमी हैं। वह पढ़ाई-लिखाई जैसे बेकार काम को करने के लिए नहीं कह सकते। 

कवि चंपा को समझाता है कि आगे उसकी शादी होगी। उसका पति कुछ दिन उसके साथ रहेगा। फिर वह रोजगार की तलाश में कलकत्ता चला जायेगा। अत: उसको पढ़ना-लिखना सीखना चाहिए। चंपा कवि की बात काटते हुए तुरन्त कहती है-वह अपने पति को सदा अपने पास ही रखेगी। वह उसे कभी भी कलकत्ता नहीं जाने देगी। वह क्रोध में आकर शाप देती है कि कलकत्ते पर वज्रपात हो। 

चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती Summary in Hindi

कवि-परिचय - हिन्दी-साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा के कवियों में त्रिलोचन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 

जीवन-परिचय - कवि त्रिलोचन का जन्म उत्तर : प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के चिरानी पट्टी, कटघरा पट्टी में सन् 1917 ई. 
को हुआ था। उनका वास्तविक नाम वासुदेव सिंह है। ये त्रिलोचन शास्त्री के नाम से प्रसिद्ध हैं। वे अनेक भाषाओं के ज्ञाता हैं। हिन्दी में सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' के बाद वे दूसरे किसान कवि हैं। उनमें भारतीयता का संस्कार कूट-कूटकर भरा है। मानवता की पुकार त्रिलोचन की कविता का मुख्य स्वर है।

साहित्यिक परिचय - त्रिलोचन की कविता में शोषित वर्ग के दुःख-दर्द और गरीबी तथा उत्पीड़न का चित्रण है। उनके काव्य के चरित्र भारतीय समाज के उस वर्ग से है जो सदियों से पीड़ा झेलने को विवश है। त्रिलोचन बड़ी बात भी एकदम सरल बोलचाल की भाषा में मामूली शब्दों के साथ रख देते हैं। उनकी कविता एकदम सामान्य तथा शिल्प-विहीन प्रतीत होती है। उनकी भाषा में उर्दू, लोकभाषा तथा आंचलिक शब्दों का सटीक प्रयोग हुआ है। 

उनकी भाषा में छायावादी रूमानियत नहीं है। वह ठेठ गाँव की जमीन से जुड़ी हुई है। चुटीलापन और नाटकीयता उनकी भाषा को सशक्त बनाते हैं। त्रिलोचन को हिन्दी में अंग्रेजी भाषा के छंद 'सॉनेट' को स्थापित करने वाला माना जाता है। त्रिलोचन को साहित्य अकादमी, शलाका सम्मान, महात्मा गाँधी पुरस्कार (उ. प्र.) इत्यादि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

रचनाएँ - त्रिलोचन का पहला काव्य-संग्रह 'धरती' सन् 1945 में प्रकाशित हो चुका है। इसके अतिरिक्त गुलाब और बुलबुल, दिगंत, ताप के तापे हुए दिन, शब्द, उस जनपद का कवि हूँ, अरधान, तुम्हें सौपता हूँ, चेती, अमोला, मेरा घर तथा जीने की कला आदि काव्य-कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। त्रिलोचन ने गद्य के क्षेत्र में भी काम किया है। देशकाल, रोजनामचा, काव्य और अर्थबोध, मुक्तिबोध की कविताएँ इत्यादि उनकी गद्य रचनाएँ हैं। हिन्दी के अनेक शब्द-कोशों के निर्माण में भी त्रिलोचन का महत्त्वपूर्ण योगदान है। 

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सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण तथा सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर - 

1. चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती 
उसे बड़ा अचरज होता है 
मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है 
इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर 
खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है
निकला करते हैं। 

शब्दार्थ : 

  • अच्छर = अक्षर। 
  • चीन्हती = पहचानती। 
  • अचरज = आश्चर्य। 
  • चीन्ह = चिह्न, निशान, अक्षर। 
  • स्वर = ध्वनि, आवाज। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित त्रिलोचन की रचना 'चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती' से लिया गया है। कवि इस अंश में चंपा नाम की बालिका की अक्षरों संबंधी उत्सुकता का वर्णन कर रहा है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि चंपा पढ़ी-लिखी नहीं है। वह काले-काले अक्षरों को नहीं पहचानती, वह अक्षरों के महत्व से अनजान है। जब कवि बैठकर कुछ लिख-पढ़ रहा होता है तो वह वहाँ आ जाती है। कवि पढ़ रहा होता है तो वह उसके पास खड़ी होकर चुपचाप सुनती रहती है। चंपा के लिए पुस्तक या कविता आदि में छपे अक्षर केवल काले-काले चिह्न हैं। उसको यह जानकर अत्यन्त आश्चर्य होता है कि इन काले-काले चिह्नों से इतनी सारी ध्वनियाँ किस प्रकार निकल आती हैं। वह नहीं समझ पाती कि इतने सारे स्वर इन काले अक्षरों में कहाँ छिपे रहते हैं ? 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -
 
प्रश्न 1. 
'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती'-से चम्पा के बारे में क्या पता चलता है ? 
उत्तर : 
चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती अर्थात् चंपा को अक्षरों की पहचान नहीं है। इससे पता चलता है कि चंपा निरक्षर है, वह पढ़ी-लिखी नहीं है। उसने किसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण नहीं की है। शिक्षा के प्रति उसकी कोई रुचि भी नहीं है। वह पढ़ने-लिखने को कोई समझने योग्य काम नहीं समझती। 

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प्रश्न 2. 
जब कवि पढ़ रहा होता है तब चंपा क्या करती है ? 
उत्तर : 
कवि पुस्तकें पढ़ने तथा कवितायें लिखने में हर समय व्यस्त रहता है। कवि जब कभी कोई पुस्तक इत्यादि पढ़ रहा होता है तो चंपा वहाँ आती है और चुपचाप खड़ी हो जाती है। वह कवि को पढ़ते हुए सुना करती है। 

प्रश्न 3. 
चंपा को किस बात पर आश्चर्य होता है ? 
उत्तर : 
चंपा कवि के पास आकर चुपचाप खड़ी हो जाती है। वह कवि को पढ़ता हुआ देखकर उसको शांति के साथ सुना करती है। चंपा को यह देखकर आश्चर्य होता है कि पुस्तक में छपे हुए छोटे-छोटे काले चिह्नों से तरह-तरह के अनेक स्वर कैसे निकलते हैं ? 

प्रश्न 4. 
काले चीन्हों का क्या अर्थ है ? 
उत्तर : 
चिह्न निशान को कहते हैं। लिखने-पढ़ने में प्रयोग आने वाले अक्षर भी किसी ध्वनि के चिह्न या संकेत ही होते हैं। लिखने अथवा पुस्तक के रूप में छपने पर उनमें काले रंग की स्याही लगने से उनकी काली छाप कागज पर बन जाती है। चंपा इसी छाप को काले चीन्ह कहती है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश की रचना किस छन्द में हुई है?. 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश को किसी छंद में नहीं बाँधा गया है। प्रगतिवादी तथा प्रयोगवादी कवियों ने छंद के बंधन को नहीं माना है। यहाँ रचना में छंद को अनावश्यक माना गया है। प्रस्तुत रचना में मात्राओं अथवा वर्गों को भी नहीं देखा गया है। केवल गति तथा प्रवाह पर ध्यान दिया गया है। कहीं पंक्ति छोटी है तथा कहीं बहुत बड़ी है। अन्त में तुक भी नहीं है। इसको मुक्त छंद या रबड़ अथवा केंचुआ छंद भी कहा जाता है। 

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प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश में अलंकार निर्देश कीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में 'काले-काले' में तथा 'खड़ी-खड़ी' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। जब किसी बात पर बल देने के लिए अथवा पूर्व में कही हुई बात की पुष्टि के लिए किसी शब्द को दोहराया जाता है तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है। यहाँ अक्षरों के कालेपन पर तथा चंपा के खड़े होने पर बल दिया गया है। 

2. चंपा सुन्दर की लड़की है 
न ट ख ट भी है, 
सुन्दर ग्वाला है गायें-भैंसें रखता है 
कभी कभी ऊधम करती है 
चंपा चौपायों को लेकर 
कभी कभी वह कलम चुरा देती है 
चरवाही करने जाती है। 
जैसे तैसे उसे ढूँढ़कर जब लाता हूँ 
चंपा अच्छी है 
पाता हूँ - अब कागज गायब चंचल है 
परेशान फिर हो जाता हूँ 

शब्दार्थ : 

  • सुन्दर = चंपा का पिता, ग्वाला। 
  • चौपायों = पशुओं। 
  • चरवाही = पशुओं को जंगल में चराने का काम। 
  • चंचल = शरारती। 
  • नटखट = शरारत करने वाली।
  • ऊधम = शोर-गुल, शैतानी। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह में संकलित कवि त्रिलोचन की रचना 'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीहती' से लिया गया है। कवि इन पंक्तियों में सुन्दर की पुत्री चम्पा के नटखट और उत्सुकतापूर्ण स्वभाव के बारे में बता रहा है।
 
व्याख्या - कवि कहता है कि सुन्दर ग्वाला है। वह गायें और भैंसें पालता है। वह उनका दूध बेचता है। उसका यही व्यवसाय है। चंपा उसी ग्वाले की बेटी है। चंपा अपने पशुओं को लेकर उन्हें घास और हरियाली चराने के लिए जंगल में जाती है। चंपा एक अच्छी लड़की है। वह चंचल है तथा शरारती भी है। चंपा नई-नई शरारतें करती रहती है। वह कभी-कभी खूब शोरगुल किया करती है। कभी-कभी वह कवि की कलम चुरा लेती है। कवि कोशिश करके उसको तलाश कर लाता है, तो लौटने पर देखता है कि अबकी बार उसके कागज ही चंपा ने छिपा दिये हैं। चंपा की इन शरारतों तथा शैतानियों से कवि उससे परेशान हो जाता है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
चंपा किसकी पुत्री है ? उसका पिता क्या काम करता है ?  
उत्तर : 
चंपा सुन्दर की पुत्री है। उसका पिता सुन्दर एक ग्वाला है। वह गायें-भैंसें पालता है। गायों तथा भैंसों का दूध बेचना उसका व्यवसाय है। 

प्रश्न 2. 
पिता के काम में चंपा किस प्रकार सहायता करती है ? 
उत्तर : 
चंपा का पिता सुन्दर गायों-भैंसों को पालता है तथा उनका दूध बेचता है। चंपा अपने पिता के काम में सहायता करती है। वह गायों तथा भैंसों को लेकर जंगल में जाती है तथा उनको चराती है।

RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 16 चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती

प्रश्न 3. 
चम्पा कैसी बालिका है? 
उत्तर : 
चंपा एक अच्छी लड़की है। वह अत्यन्त नटखट है। वह स्वभाव से चंचल है। कभी-कभी वह ऊधम भी करती है। चंपा परिश्रमी है। वह अपने पिता के काम में सहायता करती है। वह पशुओं को चराने जंगल में ले जाती है। चंपा पढ़ी-लिखी नहीं है। 

प्रश्न 4.
कवि चंपा के कारण परेशान क्यों हो जाता है ? 
उत्तर : 
चंपा नटखट है। वह कभी-कभी ऊधम भी करती है। वह कवि की कलम चुराकर छिपा देती है। कवि किसी प्रकार अपनी कलम तलाश कर लाता है। लौटकर देखता है कि अब उसके कागज गायब हो गये हैं। इस प्रकार चंपा की शरारतों के कारण वह परेशान हो जाता है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश की प्रमुख काव्यगत विशेषताएँ क्या हैं ? 
उत्तर :
उपर्युक्त पद्यांश मुक्त छंद में लिखी गई रचना है। कवि ने बाल स्वभाव की सुपरिचित विशेषताओं का रोचक वर्णन किया है। जहाँ-तहाँ अलंकार भी आ गए हैं। 'चंपा चौपायों को लेकर चरवाही करने जाती हैं में अनुप्रास अलंकार है। 'कभी-कभी' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। चंपा की शरारतों के वर्णन में वात्सल्य रस है। 

प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा-शैली कैसी है ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा शैली रोचक और बाल-स्वभाव के अनुकूल है। भाषा सरल है और बोलचाल के तद्भव शब्द रूपों का सहज प्रयोग है। वह भावों को प्रकट करने में पूरी तरह सक्षम है। कवि ने सुबोध शब्दों में अपनी बात कही है। चरवाही, ऊधम इत्यादि लोक-व्यवहार के शब्दों के प्रयोग के कारण भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि हुई है। शैली वर्णनात्मक है।

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3. चंपा कहती है :
यह सुनकर मैं हँस देता हूँ 
तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर 
फिर चंपा चुप हो जाती है 
क्या यह काम बहुत अच्छा है 

शब्दार्थ : 

  • कागद = कागजा 
  • गोदा करते = छेदा करते, किसी नुकीले यन्त्र से किसी वस्तु को बार-बार छेदना (लिखना)।

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित कवि त्रिलोचन की रचना 'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीहती' से लिया गया है। कवि बता रहा है.कि चंपा उसके लिखने के कार्य को व्यर्थ का काम समझती है। 

व्याख्या - चंपा कवि के पास आकर उसे लिखता-पढ़ता देखती रहती है। कभी-कभी वह उसके कलम और कागज चुरा लेती है। कवि से वह कहती है कि वह बैठा-बैठा हर समय कलम लेकर कागजों पर चलाया करता है। क्या यह कोई अच्छा काम है ? चंपा की भोली-भाली बातें सुनकर कवि को हँसी आ जाती है। उसके बाद चंपा कुछ नहीं कहती, वह चुप हो जाती है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
कवि को लिखते देखकर चंपा क्या कहती है ? 
उत्तर : 
कवि हमेशा लिखा-पढ़ी करता रहता है। उसको लिखते देखकर चंपा उससे कहती है, "तुम कागद ही गोदा करते हो दिन भर"। कलम लेकर कागज पर लिखने को चंपा कागद गोदना कहती है। चंपा को लिखना अच्छा नहीं लगता है। 

प्रश्न 2. 
चंपा लिखने के बारे में कवि से क्या पूछती है तथा क्यों? 
उत्तर : 
चंपा कवि को हर समय लिखते देखती है। वह कवि से पूछती है कि क्या हर समय लिखना-पढ़ना कोई अच्छा काम .. है ? चंपा पढ़ाई-लिखाई को अच्छा काम नहीं समझती। अत: वह कवि से इस प्रकार का प्रश्न पूछती है। 

प्रश्न 3. 
चंपा के प्रश्न पर कवि की क्या प्रतिक्रिया होती है ? 
उत्तर : 
चंपा के प्रश्न का कवि कोई उत्तर नहीं देता। प्रश्न सुनकर वह केवल हँस पड़ता है। कवि को हँसता देखकर चंपा कुछ झेंपकर चुप हो जाती है। वैसे भी कवि जानता है कि चंपा पढ़ाई-लिखाई को अच्छा नहीं मानती। 

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प्रश्न 4.
चंपा की दृष्टि में लिखने का काम अच्छा क्यों नहीं है? 
उत्तर : 
चंपा एक नटखट और हर समय कुछ शरारत करती रहने वाली बालिका है। उसे कवि का देर तक लिखते रहना 'कागज को गोदना' लगता है। इसलिए उसे लिखना अच्छा नहीं लगता। गोदने से कागज को कष्ट होता होगा। ऐसा उसका अनुमान है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश में कौन-सा काव्य गुण है ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में प्रसाद नामक काव्य गुण है। जहाँ कविता का भाव बिना विशेष प्रयास के पढ़ते ही पाठक के मन में प्रकार हो जाता है वहाँ प्रसाद नामक काव्य-गुण होता है। प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सुबोध शब्दों वाली सरल भाषा का प्रयोग किया है। इस प्रकार भाव सहज ही स्पष्ट हो जाते हैं। 

प्रश्न 2. 
प्रस्तुत पद्यांश की भाषा लोक भाषा से प्रभावित है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा सरल है। कवि ने उसमें लोक-प्रचलित शब्दों को अपनाया है। कागद ग्रामीण बोलचाल का शब्द है। चंपा कागज पर लिखने को कागद गोदना कहती है। यह प्रयोग भाषा को लोकभाषा से प्रभावित सिद्ध करता है। हम इस कथन से सहमत हैं। 

4. उस दिन चंपा आई, मैंने कहा कि 
चंपा ने यह कहा कि 
चंपा, तुम भी पढ़ लो 
मैं तो नहीं पढूंगी 
हारे गाढ़े काम सरेगा 
तम तो कहते थे गांधी बाबा अच्छे हैं 
गांधी बाबा की इच्छा है 
वे पढ़ने लिखने की कैसे बात कहेंगे 
सब जन पढ़ना-लिखना सीखें 
मैं तो नहीं पहूँगी। 

शब्दार्थ : 

  • हारे गाढ़े = कठिन परिस्थिति में, संकट के समय। 
  • सरेगा = पूरा होगा, चलेगा। 

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संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित कवि त्रिलोचन की कविता 'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीहती' से लिया गया है। कवि चंपा को पढ़ना-लिखना सीखने को प्रेरित कर रहा है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि उस दिन चंपा कवि के पास आई तो उसने कहा-चंपा! तुम पढ़ना-लिखना सीख लो। परेशानी के समय पढ़ाई-लिखाई तुम्हारे काम आयेगी। महात्मा गाँधी भी यही चाहते हैं कि सभी देशवासी साक्षर हों, पढ़ना-लिखना सीखें। चंपा कवि की बात से सहमत नहीं हुई। उसने उत्तर दिया कि वह तो नहीं पढ़ेगी। उसने कवि से कहा-तुम तो कहते थे कि गाँधी बाबा बहुत अच्छे आदमी हैं। यदि वे अच्छे हैं तो पढ़ाई-लिखाई के लिए लोगों से कैसे कह सकते हैं? चंपा की दृष्टि में पढ़ाई करना अच्छा काम नहीं है। तब गाँधीजी जैसा अच्छा व्यक्ति पढ़ाई करने की बात नहीं कह सकता। उसे लेखक के कथन पर विश्वास नहीं हो रहा। है। उसने जोर देकर कवि से कहा कि वह पढ़ाई-लिखाई नहीं करेगी। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
एक दिन चंपा के आने पर कवि ने उससे क्या कहा ? 
उत्तर : 
कवि चंपा को पढ़ना-लिखना सीखने के लिए प्रेरित करना चाहता है। वह उसको इस बारे में समझाता रहता है। उस दिन भी जब चंपा कवि के पास आई तो उसने मौका चूकना नहीं चाहा। उसने चंपा से कहा-चंपा, तुम भी पढ़ना-लिखना सीख लो। 
कभी आवश्यकता होने पर पढ़ाई तुम्हारे काम आयेगी। 

प्रश्न 2. 
हारे गाढ़े काम सरेगा-का क्या आशय है ? . 
उत्तर : 
उस दिन चंपा कवि के पास आई तो कवि ने उससे पढ़ना-लिखना सीखने के लिए कहा। उसने चंपा को समझाया कि पढ़ाई बेकार नहीं जायेगी। कभी कठिन समय में आवश्यकता होने पर वह तुम्हारे काम आयेगी। हारे गाढ़े काम सरेगा-लोकभाषा में प्रचलित मुहावरा है। इसका अर्थ है-कठिनाई में काम आना। 

प्रश्न 3. 
गांधी बाबा की इच्छा है-सब जन पढ़ना लिखना सीखें-कवि ने चंपा से ऐसा क्यों कहा? 
उत्तर : 
कवि चाहता है कि चंपा पढ़ना-लिखना सीखे। परन्तु चंपा की पढ़ने-लिखने में कोई रुचि नहीं है। वह पढ़ाई-लिखाई को बेकार काम समझती है। चंपा को प्रभावित करने के लिए कवि ने महात्मा गांधी का नाम लेकर बताया कि गांधीजी चाहते हैं कि सभी देशवासी पढ़ाई करना सीखें। 

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प्रश्न 4. 
चंपा पर कवि के कथन की क्या प्रतिक्रिया हुई ? 
उत्तर : 
चंपा ने कवि के कथन का तुरन्त प्रतिवाद किया। उसने कहा-महात्मा गांधी तो अच्छे मनुष्य हैं। पढ़ाई-लिखाई अत्यन्त बेकार का तथा उबाऊ काम है। भला गांधी बाबा जैसे नेक इंसान पढ़ाई जैसे बेकार काम को करने के लिए लोगों से कैसे कह सकते हैं ? अवश्य ही कवि झूठ बोल रहा है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं - 

  1. भाषा सरल तथा प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली है। 
  2. भाषा में 'हारे गाढ़े काम सरेगा' जैसे लोक प्रचलित मुहावरों का प्रयोग उसके सौन्दर्य को बढ़ाने वाला है। 
  3. भाषा भावों की व्यंजना में पूर्णत: समर्थ है।

प्रश्न 2.
उपर्युक्त पद्यांश पर हिन्दी कविता के किस वाद का प्रभाव दिखाई देता है ?. 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश पर हिन्दी-साहित्य के 'प्रगतिवाद' का प्रभाव दिखाई देता है। प्रगतिवादी कविता में कवियों ने पिछड़े हुए, शोषित और साधारण लोगों को कविता का विषय बनाया है। भाषा, शैली, छंद, अलंकार सब में परंपरा से हटकर काव्य-रचना की है। एक अनपढ़, पिछड़े ग्वाले की लड़की को कवि ने अपनी रचना का पात्र बनाया है। ग्वाले की चरवाहे का जीवन बिता रही बेटी का स्वाभाविक प्रभावपूर्ण चित्रण प्रगतिवाद की ही देन है।

5. मैंने कहा कि चंपा, पढ़ लेना अच्छा है 
कैसे उसे सँदेसा दोगी 
ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी, 
कैसे उसके पत्र पढ़ोगी 
कुछ दिन बालम संग साथ रह चला जाएगा जब कलकत्ता 
चंपा पढ़ लेना अच्छा है ! 
बड़ी दूर है वह कलकत्ता 

शब्दार्थ : 

  • गौने = शादी के बाद दूसरी बार ससुराल जाना। 
  • बालम = पति।
  • संग-साथ = साथ-साथ। 
  • संदेसा = संदेश, समाचार, हाल। 

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संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित कवि त्रिलोचन की कविता 'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीहती' से लिया गया है। कवि चंपा को समझा रहा है कि विवाह होने के बाद उसे अपने पति को पत्र लिखने और उसके पत्र पढ़ने के लिए पढ़ी-लिखी होना आवश्यक है। अत: वह पढ़ ले। 

व्याख्या - कवि ने चंपा को पुन: समझाया कि पढ़-लिख लेना अच्छी बात है। उसने कहा कि अब वह बड़ी हो गई है। उसकी शादी होगी। शादी के बाद उसको अपनी ससुराल जाना होगा। उसका पति शादी-ब्याह के बाद कुछ दिन उसके साथ रहकर बितायेगा। फिर वह अपनी रोटी-रोजी कमाने दूर कलकत्ता चला जायेगा। जीविका के बिना आदमी का काम नहीं चलता, परिवार का भरण-पोषण नहीं होता। 

मजबूरी में आदमी को अपना घर छोड़कर दूर जाना पड़ता है। कलकत्ता बहुत दूर है। उसका पति वहाँ होगा और वह उससे दूर अपनी ससुराल में। वह उसको अपने बारे में समाचार कैसे पहुँचायेगी? उसे अपना सन्देश कैसे देगी? उसके पत्र आयेंगे तो उनको किस प्रकार पढ़ सकेगी ? बिना पढ़ी होने से वह अपने पति को न पत्र लिख सकेगी और न उसके पत्र पढ़ ही सकेगी। कवि ने चंपा से जोर देकर कहा कि पढ़ना अच्छी बात है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि ने चंपा से उसके विवाह की बात क्यों कही है ? 
उत्तर : 
कवि चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करना चाहता है। वह उसको तरह-तरह से समझाता है कि पढ़ना-लिखना सीखे। परन्तु चंपा उसके प्रत्येक तर्क को अमान्य करती रहती है। इस बार कवि ने चंपा के विवाह की बात कहकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे वह अपने पति को संदेश सुगमतापूर्वक भेज सके। 

प्रश्न 2. 
विवाह के बाद चंपा के पति के कलकत्ता चले जाने की बात क्यों कही गई है ? 
उत्तर : 
कवि ने चंपा से कहा कि विवाह के बाद उसका पति नौकरी करने कलकत्ता चला जायेगा। कलकत्ता बड़ी दूर है। कवि ने यहाँ भारत के उत्तर प्रदेश तथा बिहार इत्यादि पूर्वी प्रदेशों में प्रचलित पलायन की प्रथा की ओर संकेत किया है। वहाँ के युवक नौकरी की तलाश में बड़े नगरों में चले जाते हैं। वहाँ मेहनत-मजदूरी या अन्य छोटा-मोटा काम करते हैं। 

प्रश्न 3. 
पति के कलकत्ता जाने पर चंपा को पढ़ाई की जरूरत क्यों बताई गई है? 
उत्तर :
चंपा का पति शादी के बाद कलकत्ता चला जायेगा, जो बहुत दूर है। चंपा अपनी ससुराल में होगी और उसका पति दूर कलकत्ता में। वह पढ़ना सीख लेगी तो अपने पति को अपना संदेश लिखकर भेज सकेगी। वह कलकत्ते से आने वाले पति के पत्रों को भी स्वयं सरलतापूर्वक पढ़ सकेगी। इसके लिए उसका पढ़ना सीखना बहुत जरूरी है। 

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प्रश्न 4. 
उपर्युक्त पद्यांश में पहली पंक्ति में 'चंपा पढ़ लेना अच्छा है !' को पद्यांश के अन्त में दुहराया गया है। इसका क्या कारण है ? 
उत्तर :
उपर्युक्त पद्यांश में पहली पंक्ति में चंपा पढ़ना अच्छा है को इसकी अन्तिम पंक्ति के रूप में दोहराया गया है। एक ही बात को दोबारा कहने का कारण है कि कवि अपनी बात से चंपा को सहमत तथा प्रभावित करना चाहता है। मनोविज्ञान के अनुसार एक ही बात को दोहराने-तिहराने से श्रोता पर उसका प्रभाव अवश्यंभावी होता है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश की काव्य-शैली पर प्रकाश डालिये। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की काव्य रचना शैली वार्तालाप अथवा संवाद शैली है। इसमें कवि के साथ चंपा की बातचीत का वर्णन है। कवि चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करने के लिए नये-नये तर्क प्रस्तुत करता है, जिनको चंपा बराबर अमान्य करती रहती है। कैसे उसे संदेश दोगी आदि में प्रश्न-शैली का प्रयोग है।

प्रश्न 2. 
प्रस्तुत पद्यांश की रचना किस छंद में हुई है ? 
उत्तर : 
कवि ने यहाँ छन्द के बंधन से मुक्त काव्य रचना की है। इसको अतुकान्त मुक्त छंद में हुई रचना कहा जाता है।

6. चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा, 
तो मैं अपने बालम को सँग साथ रबूँगी 
हाय राम, तुम पढ़-लिखकर इतने झूठे हो 
कलकत्ता मैं कभी न जाने दूंगी 
मैं तो ब्याह कभी न करूँगी 
कलकत्ते पर बजर गिरे। 
और कहीं जो ब्याह हो गया 

शब्दार्थ :

  • झूठे = असत्य बोलने वाले। 
  • बजर = वज्र। 
  • बजर गिरे = बुरे दिन आयें, नाश हो जाय। 
  • बालम = पति। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित कवि त्रिलोचन की कविता 'चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती' से लिया गया है। कवि चंपा को पढ़ने के लिए विवाह का तर्क देता है लेकिन चंपा पलटकर खंडन कर देती है कि वह कभी विवाह नहीं करेगी। 

व्याख्या - चंपा ने कवि से कहा-तुम बड़े झूठे हो। उसने पुनः कहा कि पढ़ाई-लिखाई करने के बाद इतना झूठ बोलना ठीक नहीं है। उसने कवि के तर्क को काटते हुए बताया कि वह बड़ी होकर कभी भी शादी नहीं करेगी। अगर उसकी शादी किसी प्रकार हो भी गई तो वह अपने पति को सदा अपने साथ रखेगी। वह अपने पति को कभी भी कलकत्ता नहीं जाने देगी। तब न उसे पति को चिट्ठी लिखनी पड़ेगी और न पति की चिट्ठी ही पढ़नी पड़ेगी। तुम उस कलकत्ता की बात भी मत करो। उस कलकत्ते पर वज्रपात हो, उसका विनाश हो जाय। तब अपनी नव-विवाहिता पत्नियों को अकेला छोड़कर पतिगण काम की तलाश में कलकत्ता में तो नहीं जाया करेंगे।

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -
 
प्रश्न 1. 
विवाह के बाद पढ़ाई चंपा के काम आयेगी। कवि के इस कथन से चंपा कितनी प्रभावित हुई ? 
उत्तर : 
कवि ने चंपा को बताया कि विवाह होने के बाद तथा उसके पति के कलकत्ता चले जाने पर पढ़ाई चंपा के काम आयेगी। वह उसको संदेश भेज सकेगी और उसके पत्र पढ़ सकेगी। चंपा कवि के इस तर्क से तनिक भी प्रभावित नहीं हुई। उसने कवि से कहा कि शादी के बाद वह पति को अपने साथ रखेगी। फिर उसे पढ़ाई की क्या जरूरत होगी ?

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प्रश्न 2. 
चंपा ने कवि पर क्या आरोप लगाया ? 
उत्तर : 
चंपा शादी के बाद पति को संदेश भेजने के लिए पढ़ाई करने को जरूरी सिद्ध करने वाले कवि के तर्क से सहमत नहीं हुई। उसने अपने सहज स्वभाव के अनुरूप कवि से कहा कि वह झूठ बोल रहा है। पढ़-लिखकर इस प्रकार झूठ बोलना कोई अच्छी बात नहीं है। 

प्रश्न 3. 
विवाह होने के बाद पति को संदेश भेजने की आवश्यकता चंपा को क्यों नहीं होगी? 
उत्तर : 
विवाह के पश्चात् चंपा को पति को संदेश भेजने की आवश्यकता होगी ही नहीं। चंपा ने कवि से कहा कि पहले तो वह कभी विवाह करेगी ही नहीं और यदि विवाह किसी तरह हो ही गया तो वह अपने पति को कलकत्ता ही नहीं जाने देगी। वह उसको सदा अपने साथ ही रखेगी। जब पति साथ ही रहेगा तो पत्र लिखने और भेजने की जरूरत ही नहीं होगी। 

प्रश्न 4. 
'कलकत्ते पर बजर गिरे' का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
'कलकत्ते पर बजर गिरे' -यह कथन चंपा का है, जो उसने कवि से उस समय कहा है जब वह उसके विवाह के बाद उसके पति के कलकत्ता चले जाने की अनिवार्यता समझा रहा था। पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार में बेरोजगारी के कारण युवा काम की तलाश में बड़े नगरों में जाते रहे हैं। बालिका ने अपने पास-पड़ोस में ऐसा देखा होगा। इसी कारण उसे पतियों को अपनी ओर खींच लेने वाले कलकत्ता (कोलकाता) पर क्रोध आ गया है। वह वज्र प्रहार (बजर गिरे) से उसे विनाश का शाप दे रही है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
चंपा बोली : तुम कितने झूठे हो, देखा 
हाय राम, तुम पढ़ लिखकर इतने झूठे हो 
-उपर्युक्त पंक्तियों में किस काव्य-रचना शैली का प्रयोग हुआ है? 
उत्तर : 
चंपा बोली, 'तुम कितने झूठे हो, देखा' हाय राम, तुम पढ़ लिखकर इतने झूठे हो में चंपा और कवि का वार्तालाप है। चंपा का.यह कथन अत्यन्त सहज तथा स्वाभाविक है। कवि के प्रति तुम शब्द का प्रयोग उसके बनावटविहीन कथन का प्रमाण है। 'हाय राम !' स्त्रियों की बोलचाल का अंग है। इससे संवाद में नाटकीयता आई है। कवि ने इसमें संवाद शैली के साथ-साथ प्रश्न शैली का प्रयोग किया है। 

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प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा कैसी है ? उस पर लोकजीवन के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा सरल तथा विषयानुकूल है। उसमें वर्ण्य विषय को स्पष्ट करने की क्षमता है। शब्द चयन में कवि ने सावधानी बरती है। इस पद्यांश की भाषा लोक जीवन से प्रभावित है। ब्याह, बालम, बजर इत्यादि लोक प्रचलित शब्द भाषा की सामर्थ्य तथा सौन्दर्य को बढ़ाने वाले हैं। भाषा सजीव एवं चित्रात्मक है।

Prasanna
Last Updated on July 23, 2022, 2:57 p.m.
Published July 23, 2022