Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Antral Chapter 1 अण्डे के छिलके Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 11 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 11 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts.
प्रश्न 1.
अंडे के छिलके को जुराब में, कोट की जेब में या नाली में फेंकना बिल्कुल ठीक नहीं! इस पर अपनी राय लिखिए।
उत्तर :
जो भी कूड़ा-कचरा हो, फिर वह चाहे फलों व सब्जियों के छिलके हों या अंडे के छिलके, उन्हें घर के बाहर कचरा-पात्र में डालना सही रहता है। भारतीय पुरातन संस्कारों की वजह से आज भी बहुत से लोग अंडा खाना या उसे घर में लाना गलत मानते हैं। हिन्दू शाकाहारी परिवार अंडे को मांसाहारी समझते हैं। यह उनकी मानसिकता व सोच है। जिसे जबरन कोई भी नहीं बदल सकता है। सभी की अपनी परम्परा व सोच होती है जिनके अनुसार खान-पान, आचार-व्यवहार तय किये जाते हैं। हमारी राय में अंडे खाना या नहीं खाना अपनी सोच पर निर्भर होना चाहिए। अगर खाते हैं और किसी कारणवश छिपाते तो उसका कचरा अवश्य कचरा-पात्र में डालना चाहिए। उसे किसी भी तरह छिपाकर या नाली में, खुले स्थान में नहीं डालना चाहिए।
प्रश्न 2.
'अंडा खाना क्या कोई अपराध है?' इस विषय पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर :
हमारा भारत देश समन्वयशील देश माना जाता है। अन्य देशों की परम्परा व संस्कृति को सहज ही अपना लेता है। किन्तु यह भी उतना ही सत्य है कि प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता उसके स्वयं के संस्कार व विचारों पर निर्भर करती है। क्या खान-पान, क्या तीज-त्योहार, क्या आचार-विचार वह अपनाता है यह उसके स्वयं पर निर्भर करता है। अंडे खाना है या नहीं खाना है, अंडा मांसाहारी है या शाकाहारी है वह सब तर्क उत्पन्न करते हैं।
जैसी व्यक्ति की सोच की स्वतंत्रता होती है उतने ही वह तर्क उपस्थित करती है। पुरातन परम्परा के लोग व बहुत सारे आधुनिक लोग भी अंडा नहीं खाते हैं। अंडे खाने या नहीं खाने से न कोई आधुनिक सोच वाला है और न कोई पुरातन सोच वाला होता है। एकांकी में गोपाल, श्याम दोनों भाई अंडे खाते हैं किन्तु पारिवारिक लिहाज की वजह से छिपाते हैं। परिवर्तनशीलता समय की आवश्यकता है किन्तु इसकी प्रक्रिया शनैः-शनैः होती है। अत: अंडे खाना या नहीं खाना किसी भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
प्रश्न 3.
"पराया घर तो लगता ही है, भाभी।" अपनी भाभी-भाई के कमरे में श्याम को परायेपन का अहसास क्यों होता है?
उत्तर :
कमरे को खाली देखकर श्याम अपनी भाभी को आवाज देता है। वीना कमरे में आती है। वह कहती है-'तुम्हें भी आकर इस तरह आवाज देने की जरूरत पड़ती है? इस तरह पुकार रहे थे जैसे किसी पराये घर में आए हो।' उत्तर में श्याम कहता है-'पराया घर तो लगता ही है, भाभी।' श्याम के भाई गोपाल को शादी नहीं हुई थी। उस समय गोपाल का कमरा अस्त-व्यस्त रहता था। कमरे का सामान बेतरतीव इधर-उधर बिखरा पड़ा रहता था। जूतों को छोड़कर अन्य चीजें चारपाई अथवा मेज पर बिखरी रहती थीं। श्याम को कमरे का यही रूप हमेशा देखने को मिलता था।
उसके भाई के कमरे की वैसी ही दशा रहती थी जैसी कि आज भी श्याम के अपने कमरे की है। वहाँ प्रत्येक वस्तु अव्यवस्थित पड़ी रहती है। जब से गोपाल की शादी वीना से हुई है, तभी से कमरे का स्वरूप बदल गया है। वीना ने उसे बदल दिया है. हर, निर्धारित स्थान पर रखी मिलती है। कुछ भी अव्यवस्थित तरीके से इधर-उधर बिखरा नहीं है। गोपाल की मेज की तो दशा ही बदल गई है, वह ऐसे चमकती है, जैसे अभी-अभी पालिश करके आई हो। कमरे का एक कोना ही गोपाल के पुराने कमरे जैसा लगता है, जहाँ अब भी खूटी पर कोट और पेंट लटके हुए दिखाई देते हैं।
कमरे का पुराना अव्यवस्थित स्वरूप श्याम को अंपना लगता था। उसका सदा से उसी स्वरूप से परिचय था। उसने आरम्भ से ही कमरे में सामान को जगह-जगह बिखरा देखा था। अब वीना ने करीने से सब चीजों को रखा है। कोई सामान इधर-उधर बिखरा नहीं है। वह सुसज्जित तथा साफ-सुथरा दिखाई देता है। कमरे का यह नया रूप श्याम को अपरिचित तथा पराया-सा लगता है। उसमें घुसने का उसका साहस नहीं होता।
प्रश्न 4.
एकांकी में अम्माँ की जो तस्वीर उभरती है, अन्त में वह बिल्कुल बदल जाती है-टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
एकांकी के प्रारम्भ से ही अम्मा की एक अधिकारपूर्ण नारी की तस्वीर उभरती है, जिससे परिवार के सभी सदस्य भयभीत दिखाई देते हैं। परिवार के लगभग सभी सदस्य अण्डे खाते हैं, परन्तु वे अण्डे खाने की बात को किसी-न-किसी तरह माँजी से छिपाना चाहते हैं। परिवार की सबसे बड़ी बहू राधा माँजी से छिपकर उपन्यास चन्द्रकांता पढ़ती है। वह स्वीकार करती है कि वह माँजी के सामने ऐसी पुस्तकें नहीं पढ़ सकती है अर्थात् सभी सदस्य माँजी से डरे हुए दिखाई देते हैं, परन्तु अन्त में माधव यह रहस्य खोल देता है कि माँ वह सब कुछ जानती है, जिसे परिवार के लोग उससे छिपाने के लिए इतने सारे यत्न करते हैं किन्तु वह सब कुछ जानकर भी चुपचाप अनजान बनकर रहती है। तो अम्मा की पूर्व में उभरी हुई छवि पूरी तरह बदल जाती है। वह जिम्मेदार, समझदार व नये विचारों को चुपचाप बिना विरोध के स्वीकार करने वाली प्रसन्नचित्त नारी के रूप में प्रगट होती है।
प्रश्न 5.
अण्डे खाना, 'चन्द्रकान्ता संतति' पढ़ना आदि किन्हीं सन्दर्भो में गलत नहीं है, फिर भी नाटक के पात्र इन्हें छिपकर करते हैं। क्यों? आप उनकी जगह होते तो क्या करते?
उत्तर :
नाटक के पात्र अण्डे खाने व चन्द्रकान्ता पढ़ने आदि क्रियाओं को छिपकर करते हैं, क्योंकि परिवार की सबसे बड़ी सदस्या माँजी इन कार्यों को परिवार की परम्परा, नैतिकता व रीति-नीति के विरुद्ध मानती है। यह परिवार पूर्णरूपेण धार्मिक व नैतिक भावनाओं से जुड़ा परिवार है, जिसमें अण्डे खाना मांसाहार की श्रेणी में माना जाता है तथा घर की औरतों को रामायण, महाभारत जैसी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने की शिक्षा व सलाह दी जाती है, ताकि वे इन पुस्तकों में निहित उदात्त मानवीय मूल्यों व नैतिक आदर्शों से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को नैतिक गुणों से युक्त बना सकें।
मैं यदि उनकी जगह होता तो अण्डे खाना व 'चन्द्रकान्ता' जैसी पुस्तकों को पढ़ने आदि की क्रिया को कभी भी छिपकर नहीं करता। मैं सर्वप्रथम तो परिवार की परम्परा व रीति-नीति का पालन करते हुए अण्डा नहीं खाता तथा 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक भी नहीं पढ़ता और यदि मुझे किसी कारणवश अण्डा खाना आवश्यक होता या 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक पढ़ना भी आवश्यक प्रतीत होता तो मैं इसे परिवार के सदस्यों से छिपकर करने के बजाय उनके सामने अपना पक्ष व आवश्यकतायुक्त तर्क रखकर इन कार्यों को करने की आवश्यकता प्रतिपादित करता। मेरी दृष्टि में परिवार के सदस्यों से छिपकर ऐसा कार्य करना जो परिवार की परम्परा व रीति-नीति के विरुद्ध हो, उचित नहीं है।
प्रश्न 6.
राधा के चरित्र की ऐसी कौन-सी विशेषताएँ हैं, जिन्हें आप अपनाना चाहेंगे?
उत्तर :
राधा परिवार की सबसे बड़ी बहू एवं एक सम्भ्रान्त महिला है। वह परिवार की परम्परा, मान-मर्यादा एवं रीति-नीति के प्रति सजग है तथा इन्हें निभाने के लिए कटिबद्ध दिखाई देती है। वह अपनी सासूजी की भावनाओं को ठेस नहीं पहँचाना चाहती है। इसीलिए वह 'चन्द्रकान्ता' जैसे तिलिस्मी उपन्यासं को पढ़ने की अपनी इच्छा को छिपकर पूरा करती है। वह अपनी सासूजी के प्रति पूर्ण सम्मान व आदर का भाव रखती है। वह अपने देवर के प्रति भी स्नेहभाव से युक्त है। वह उसके सिगरेट पीने के रहस्य को जानते हुए भी उसे उजागर नहीं करती है। राधा एक व्युत्पन्न मति या हाजिर जवाबी के गुण। जब कमरे में माँजी अचानक प्रवेश कर परिवार के सभी सदस्यों को असमंजस में डाल देती हैं तो अण्डे के हलवे को घाव पर बाँधी जाने वाली पुलटिस बताकर एवं श्याम के क्रिकेट खेलते समय चोट लगने की मनगढन्त कथा तुरन्त गढ़कर वह अपनी व्युत्पन्न मति का परिचय देती है। वास्तव में उपर्युक्त सभी विशेषताएँ ऐसी हैं, जिन्हें हम अपनाना चाहेंगे।
प्रश्न 7.
अंडे का छिलका अनुपयोगी या कूड़ा समझा जाता है, तो फिर इसे कहाँ रखा जाना चाहिए? क्या स्वच्छता अभियान मिशन का इस पाठ से कोई संबंध है?
उत्तर :
प्रत्येक चीज का कोई न कोई उपयोग अवश्य होता है। कई फलों व सब्जियों के छिलके सुखाकर काम में लिये जा सकते हैं। खाद के रूप में इनका प्रयोग किया जा सकता है। उसी प्रकार अंडे के छिलके भी अच्छी तरह छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर उसमें अनेक फूलों के पौधे व सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं। अंडे के छिलकों से बनी खाद की विशेषता यह है कि उस मिट्टी में कोई कीड़ा नहीं पनपता है। जिसके कारण जो भी सब्जियाँ या पौधे लगाये जाते है, वे अच्छे पोषित होते हैं। अगर अंडे के छिलकों का प्रयोग खाद के रूप में नहीं करना है तो इसे सदैव कचरे-पात्र में डालना चाहिए न कि इधर-उधर खुले में फेंकना चाहिए। स्वच्छता अभियान के तहत सरकार ने डोर-टू-डोर कचरा वाहन व कचरा पात्र की सुविधा दे रखी है। आप सभी तरह का कचरा उस वाहन में डाल सकते हैं! कोई भी व्यक्ति खुले में कचरा न फेंके और सबकी स्वच्छता व सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखें।
प्रश्न 8.
स्वच्छता अभियान मिशन पर विद्यार्थी-अध्यापक-अभिभावकों की उपस्थिति में बाल सभा का आयोजन कीजिए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 9.
कमरे में कौनसी चीज कहाँ रखनी चाहिए? जैसे जम्पर, कोट, कपड़ा, जूता, कॉपी-किताब, कूड़ा-करकट (अंडे के छिलके) आदि।
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज की व्यवस्था प्रत्येक व्यक्ति के घर से शुरू होती है। घर में हम हर चीज को उसकी सही जगह पर रखते हैं। रसोई में काम आने वाली वस्तुएँ रसोई-घर में तथा अन्य वस्तुएँ अपनी-अपनी जगह व्यवस्थित रखते हैं। उसी तरह जम्पर (सलवार), कोट, जो कि कपड़े हैं, इन्हें अलमारी या दीवार या दरवाजे के पीछे बनी खूटी पर रखने चाहिए। घर के किसी (निर्धारित) कोने में या जहाँ जूता रैक रखी हो वहाँ जूते रखने चाहिए। कॉपी-किताब स्टडी मेज पर या किताबों की अलमारी में रखनी चाहिए तथा कूड़ा-करकट जैसे अंडे के छिलके, फलों के छिलके इत्यादि को कचरा पात्र में रखना चाहिए। हर छोटी-बड़ी वस्तुओं की जगह निर्धारित होती है और उनको उनकी जगह पर रखने से ही कमरा व्यवस्थित से रहता है। व्यवस्थित जीवन ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न -
प्रश्न 1.
'मेरा अन्दर पैर रखने का हौसला ही नहीं पड़ता' श्याम अन्दर पैर रखने का हौसला क्यों नहीं रख पाता है?
(क) अन्दर माँजी थी
(ख) क्योकि वह अण्डे लाया था
(ग) उसे कमरे में परायेपन का आभास होता है
(घ) वह बरसात में भीगा हुआ था।
उत्तर :
(ग) उसे कमरे में परायेपन का आभास होता है
प्रश्न 2.
'बाकी कमरे की सरकार ही बदल गई है' से क्या तात्पर्य है?
(क) शेष कमरा सुसज्जित व व्यवस्थित था
(ख) शेष कमरा वीना भाभी का था
(ग) शेष कमरे में जाना वर्जित था .
(घ) शेष कमरे पर किसी और का अधिकार था
उत्तर :
(क) शेष कमरा सुसज्जित व व्यवस्थित था
प्रश्न 3.
'बरसते पानी में जाओगे तो अच्छी चीज ही लाओ' यह कथन किसका है?
(क) श्याम का
(ख) वीना का
(ग) गोपाल का
(घ) राधा का।
उत्तर :
(ख) वीना का
प्रश्न 4.
गोपाल के कमरे में बिजली का स्टोव किस काम आता था?
(क) दूध गरम करने हेतु
(ख) बेड टी बनाने हेतु
(ग) अण्डे का आमलेट बनाने हेतु
(घ) अण्डे उबालने हेतु।
उत्तर :
(ग) अण्डे का आमलेट बनाने हेतु
प्रश्न 5.
राधा कमरे की कुण्डी लगाकर क्या कर रही थी?
(क) आराम कर रही थी।
(ख) अण्डे का हलवा तैयार कर रही थी
(ग) 'चन्द्रकान्ता सन्तति' पढ़ रही थी।
(घ) अण्डे उबाल रही थी।
उत्तर :
(ग) 'चन्द्रकान्ता सन्तति' पढ़ रही थी।
प्रश्न 6.
राधा के अनुसार वह चन्द्रकान्ता सन्तति' पुस्तक किसके आग्रह पर पढ़ रही थी?
(क) माधव
(ख) माँजी
(ग) कौशल्या
(घ) बीना।
उत्तर :
(ग) कौशल्या
प्रश्न 7.
'मैं भी तो देखू कि नयी बहू क्या-क्या बनाकर खिलाती है।" में नयी बहू किसे कहा गया है?
(क) राधा को
(ख) कौशल्या को
(ग) वीना को
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ग) वीना को
प्रश्न 8.
पुलटिस का अन्त में क्या उपयोग किया गया?
(क) श्याम के टखने पर बाँधी गई
(ख) श्याम के खाने के काम आई
(ग) छिपायी गई
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(ख) श्याम के खाने के काम आई
प्रश्न 9.
माधव के आने पर गोपाल अण्डे के छिलके कहाँ छिपाता है?
(क) जंपर के नीचे
(ख) कोट की जेब से
(ग) मोजे के अन्दर
(घ) नाली में।
उत्तर :
(ख) कोट की जेब से
प्रश्न 10.
एकांकी के अन्त में सबसे बड़ा रहस्य कौन खोलता है?
(क) श्याम
(ख) गोपाल
(ग) माधव
(घ) राधा।
उत्तर :
(ग) माधव
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर -
प्रश्न 1.
श्याम को कमरे का एक कोना गोपाल भैया का क्यों नजर आता था?
उत्तर :
श्याम को कमरे का एक कोना गोपाल भैया का नजर आता था, क्योंकि उस कोने में पतलूनें और कोट एक-दूसरे के ऊपर टँगे थे। वह पूरी तरह अव्यवस्थित था।
प्रश्न 2.
वीना श्याम से किस सुहाने मौसम को गैलरी में छोड़ने के लिए कहती है?
उत्तर :
वीना उस भीगी हुई बरसाती को सुहाना मौसम कहती है तथा उसमें से पानी टपकने के कारण उसे गैलरी में छोड़ने के लिए कहती है।
प्रश्न 3.
वीना बरसते पानी में कौन-सी अच्छी चीज मँगवाना चाहती थी?
उत्तर :
वीना बरसते पानी में श्याम से अण्डे मँगवाना चाहती थी।
प्रश्न 4.
गोपाल ने अपने कमरे में बिजली का स्टोव लाकर क्यों रखा था?
उत्तर :
गोपाल ने अपने कमरे में सुबह-सुबह अण्डे का नाश्ता माँजी से छिपकर तैयार कराने के लिए कमरे में बिजली का स्टोव लाकर रखा था।
प्रश्न 5.
श्याम छिपकर अण्डे कहाँ व किस प्रकार खाता था? उत्तर : श्याम अपने कमरे में सुबह कच्चे अण्डे दूध में मिलाकर खाता था।
प्रश्न 6.
वीना राधा से उसका दरवाजा क्यों खुलवाना चाहती थी?
उत्तर :
वीना राधा के कमरे में स्थित नल में से पानी लेने के लिए दरवाजा खुलवाना चाहती थी।
प्रश्न 7.
राधा ने शाम को ही दरवाजा बन्द कर लेने का क्या कारण बताया?
उत्तर :
राधा ने बताया कि दोपहर से ही उसका शरीर टूट-सा रहा था। अत: वह दरवाजा बन्द करके आराम कर रही थी।
प्रश्न 8.
राधा वीना के हाथ से झपटकर क्या छीनना चाहती थी? उत्तर : राधा वीना के हाथ से झपटकर 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक छीनना चाहती थी।
प्रश्न 9.
गोपाल अपनी भाभी राधा के सामने सिगरेट क्यों पीने लगा था?
उत्तर :
गोपाल की भाभी ने उसे एक बार गैलरी में छिपकर सिगरेट पीते हुए देख लिया था, तभी से वह अपनी भाभी राधा के सामने सिगरेट पीने लगा था।
प्रश्न 10.
वीना गोपाल से अण्डों के साथ और क्या लाने के लिए कहती है?
उत्तर :
वीना गोपाल से अण्डों के साथ किशमिश लाने के लिए कहती है।
लघु एवं दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर -
प्रश्न 1.
बरसाती उतारते-उतारते श्याम उसको फिर से पहन लेता है। इसका कारण क्या है?
उत्तर :
बाहर वर्षा हो रही है। श्याम जब बाहर से आता है और अपने भाई गोपाल के कमरे में जाता है, तो उसकी भीगी हुई बरसाती से पानी टपक रहा होता है। गोपाल की पत्नी बीना उससे कमरे से बाहर जाकर गैलरी में भीगी हुई बरसाती को उतारकर रखने को कहती है। श्याम बरसाती उतारते-उतारते रुक जाता है। वह फिर से बरसाती पहन लेता है। वीना इसका कारण पूछती है। श्याम उसको बताता है कि वह बरसाती बाद में उतारेगा। वह चाय के साथ खाने के लिए कोई चीज बाजार से लेने जा रहा है। ऐसे बरसाती मौसम में अकेली चाय पीना अच्छा नहीं लगेगा।
इस समय पानी थोड़ा थमा है, फिर जोर से बरसने लगेगा। तेज पानी बरसने से पहले ही वह बाजार से सामान ले आना चाहता है। वीना के पूछने पर श्याम बताता है कि बाजार में इस समय गरम-गरम कचौड़ी और समोसे भी मिल जायेंगे। यदि वीना चाहे तो वह कोई-सी चीज भी ला सकता है। बीना कहती है-जब बरसते पानी में बाजार जा रहे हो तो कोई अच्छी चीज ही लाओ। समोसा, कचौड़ी क्या खाना? श्याम कुछ हकलाते हुए संकोचपूर्वक बताता है कि अच्छी चीज हो सकती है-अण्डा।
प्रश्न 2.
'यह सुहाना मौसम पहले गैलरी में छोड़ आओ।'-प्रस्तुत पंक्ति में सुहाने मौसम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
श्याम जब बाहर से कमरे में आया था तो उस समय बाहर वर्षा हो रही थी। बाहर मौसम सुहाना हो रहा था। श्याम अपने कपड़ों के ऊपर बरसाती कोट पहने था। उससे पानी टपक रहा था और वीना के कमरे को भिगो रहा था। वीना ने उससे कहा कि वह बरसाती बाहर रख आये और आराम से बैठकर बातें करें। वीना ने श्याम के सिर पर हाथ रखकर उसका मुँह बाहर की तरफ कर दिया और कहा-"यह सुहाना मौसम पहले गैलरी में छोड़ आओ।"
फिर वह पीछे से खुद ही उसकी बरसाती उतारने लगी। वीना ने कहा-उतार दो यह बरसाती। मैं इसे बाहर रख आती हूँ। इससे टपकते पानी के कारण कमरे का फर्श भी गीला हो रहा है। बरसाती उतारते-उतारते श्याम ने उसको फिर से पहन लिया और कहा-मैं बरसाती एक हूँ। ऐसे सुहाने मौसम में सूखी चाय पी नहीं जा सकती। मैं दौड़कर बाजार से चाय के साथ खाने के लिए कोई चीज ले आता हूँ। इस समय पानी थमा है, फिर जोर से बरसने लगेगा।
वीना और श्याम की उपर्युक्त बातचीत से यह स्पष्ट हो जाता है कि 'सुहाना मौसम' भीगी हुई बरसाती को कहा गया है। उससे टपककर पानी कमरे को भिगो रहा था। वीना ने उसको सुहाना मौसम कहकर कमरे से बाहर रखने को कहा था। दूसरी ओर श्याम बरसात की फुहारों के कारण बदले वातावरण को सुहाना मौसम कहता है।
प्रश्न 3.
श्याम बाजार जाकर अण्डे लाना चाहता है। वीना भी उसे अण्डे लाने को कहती है। परन्तु वह वीना से यह क्यों कहता है-'किसी और चीज का नाम लो भाभी?'
उत्तर :
श्याम बाजार जाकर चाय के साथ खाने के लिए कुछ लाना चाहता है। वह वीना को बताता है कि इस समय गरम कचौड़ी-समोसे भी मिल सकते हैं और कोई अच्छी चीज भी मिल सकती है। अच्छी चीज से उसका तात्पर्य अण्डों से है। बीना भी उससे चार-छ: अण्डे लाने के लिए कहती है। कहती है-वह उसकी और चीज का नाम लो भाभी! इस घर में अण्डे का नाम ले रही हो।
श्याम अण्डे खाता है। वह बाजार से अण्डे ही लाना चाहता है। वीना भी उससे अण्डे लाने तथा अण्डों का हलवा बनाने की बात कहती है परन्तु वह अण्डे का नाम लेने से अपनी भाभी को रोक देता है। इसका कारण यह है कि वह तथा घर के अन्य लोग चोरी-छिपे अण्डे खाते हैं। घर में माँजी इसको पसन्द नहीं करती। उनके भय से ये लोग इस बात को छिपाते हैं। वे नहीं चाहते कि माँजी को तथा बड़े भैया को यह बात पता चले। इसे माँजी का भय कहें अथवा उनके प्रति सम्मान का भाव कि सभी लोग अण्डे खाने की बात को उन पर प्रकट होने देना नहीं चाहते।
प्रश्न 4.
गोपाल के कमरे में बिजली का स्टोव रखने का क्या रहस्य है?
उत्तर :
गोपाल के कमरे में बिजली का स्टोव रखा है। गोपाल अण्डे खाता है। उसे नाश्ते में अण्डों का आमलेट अथवा उबले हुए अण्डे अच्छे लगते हैं। घर के रसोईघर में ये चीजें बनाई नहीं जा सकतीं। माँजी अण्डों के सेवन के विरुद्ध हैं। उनके अनुसार अण्डा मांसाहार है। परिवार में मांसाहार का निषेध है। माँजी घर की बड़ी हैं। अतः परिवार का कोई सदस्य उनके विरुद्ध नहीं बोल सकता। गोपाल का काम बिना अण्डों के नहीं चलता। उसकी पत्नी वीना भी इसके विरुद्ध नहीं है।
वह उसके लिए आमलेट बना देती है। ये लोग नाश्ता चुपचाप माँजी से छिपाकर अपने कमरे में ही तैयार कर लेते हैं। बिजली का स्टोव सोलह रुपये खर्च करके यूँ ही नहीं खरीदा गया है। उसका उपयोग अण्डों से आमलेट बनाने या अण्डा फ्राई करने में होता है। माँजी को बता दिया गया है कि सुबह बैड टी लेने की गोपाल की आदत है। रसोई से बनाकर लाने पर चाय ठण्डी हो जाती है। अत: वे लोग कमरे में ही बिजली के स्टोव पर बैड टी तैयार कर लेते हैं।
प्रश्न 5.
अण्डे खाने के सम्बन्ध में वीना के क्या विचार हैं? वह परिवार के अन्य लोगों के विचारों से भिन्न क्यों हैं?
उत्तर :
गोपाल तथा उसके परिवार के लोग अण्डे खाते थे परन्तु उस काम को वे छिपाकर करते थे। अण्डे खाने की बात माँजी पर प्रगट नहीं करते थे। माँजी अण्डे नहीं खाती तथा इसको अनुचित आचरण मानती थीं। अत: परिवार के सदस्य इस बात को उनसे छिपाते थे। उनकी दृष्टि में माँजी का बड़प्पन रखने के लिए यह उचित था। गोपाल की पत्नी वीना गोपाल तथा
अन्य जनों के विचारों से सहमत नहीं थी। वह अण्डे खाना बुरा नहीं समझती थी। उसकी दृष्टि में छिपकर अण्डे खाना ठीक नहीं था। अण्डे खाने में माँजी, के अपमान की भी कोई बात नहीं थी। माँजी अण्डे नहीं खाती। इसलिए रसोईघर में अण्डे न बनाने की बात तो ठीक थी परन्तु कमरे में अण्डे पकाने में कोई बुराई नहीं थी। इसमें छिपाने की तो कोई बात थी ही नहीं। श्याम के रोकने पर वीना उससे स्पष्ट शब्दों में कहती है-तुम लोगों की यह बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आती।
अगर खाना ही है तो इसमें छिपाने की क्या बात है? सबके सामने खाओ। ....... अण्डे में जीव कहाँ होता है? जैसे दूध, वैसे अण्डा। वीना अण्डे खाने में माँजी की अवज्ञा अथवा अपमान नहीं समझती। वैसे भी वह जिस परिवार से आई है, वहाँ के संस्कार इस परिवार के संस्कारों से भिन्न हैं। इस कारण उसके विचार इनके विचारों से नहीं मिलते।
प्रश्न 6.
श्याम अण्डों का उपयोग किस प्रकार करता है? उसकी चोरी को पकड़ा नहीं जा सकता, क्यों?
उत्तर :
श्याम अण्डों का सेवन करता है। वह उनको फ्राई करने अथवा उनसे आमलेट बनाने के झगड़े में नहीं पड़ता। इस काम में बहुत झंझट है और कभी चोरी पकड़े जाने का भी पूरा डर है। वह अपने कमरे में ही एक गिलास में दूध लेकर आ जाता है। उसी दूध में वह कच्चा अण्डा तोड़कर मिला देता है और उस दूध को पी जाता है।
श्याम भी यद्यपि अण्डा खाने का काम चोरी-छिपे ही करता है, परन्तु उसकी चोरी को पकड़ना सम्भव नहीं है। कम से कम श्याम तो ऐसा ही समझता है। वह वीना से कहता है-आपके कमरे में बिजली का स्टोव तथा फ्राइंग पैन है। परन्तु मेरे कमरे में ऐसा कुछ भी नहीं है। कच्चा अण्डा दूध में फेंटो और पी लिया। फिर अण्डा खाने की बात प्रमाणित हो ही कैसे सकती है? माँजी को पता भी चल जाय कि वह अण्डे खाता है, तब भी उसे सिद्ध करना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 7.
श्याम बाजार से अण्डे लाने के लिए किस शर्त पर तैयार हुआ?
उत्तर :
श्याम स्वयं चाहता था कि बाजार से चाय के साथ खाने के लिए अण्डे लाये। परन्तु वह अण्डे का नाम अपने मुँह से न लेकर 'कोई अच्छी चीज' लाने के लिए कहता था। वीना ने स्पष्ट शब्दों में चार-छ: अण्डे लाने को कहा तो उसने उसे रोक दिया, कहा वह अण्डों का नाम अपने मुँह से न ले। बीना ने कहा कि अण्डे खाते ही हैं तो छिपकर क्यों खाये जायें। सबके सामने खाने चाहिए। श्याम ने उससे पुन: कहा-'तुम खाओ, बनाओ, जो चाहे करो।
मगर इस चीज का नाम मुँह पर मत लाओ।' श्याम बीना की रिस्क पर बाजार से अण्डे लाने को तैयार हो गया। यदि अण्डे लाते समय उसकी चोरी पकड़ी गई और इस बारे में उसका नाम लिया गया तो वह साफ मुकर जायेगा। वह माँजी से कह देगा कि अण्डे वीना ने मँगाये हैं। उसके कमरे में बिजली का स्टोव और फ्राइंग पैन इस बात के गवाह हैं कि वह अण्डे खाती है। अतः वह अण्डे खाये परन्तु खुलेआम अण्डे का नाम भी न ले।
प्रश्न 8.
अण्डे खाने की बात रहस्यपूर्ण बनाये रखने के सम्बन्ध में श्याम और बीना में क्या समझौता हुआ?
उत्तर :
श्याम अण्डे खाता था परन्तु माँजी से छिपाकर वह इस काम को उचित समझता था। वीना चोरी-छिपे अण्डे खाने के पक्ष में नहीं थी। वह जिस परिवार से आई थी, उसका प्रभाव वीना पर था। वह स्पष्ट बोलने वाली थी तथा अण्डे खाना बुरा नहीं समझती थी। अण्डे खाने की बात छिपाना तो उसकी समझ से परे था। श्याम अपने कमरे में चुपचाप दूध में कच्चा अण्डा मिलाकर पीता था। उसके कमरे में कोई स्टोव या फ्राइंग पैन अण्डे बनाने के लिए नहीं था, जैसा कि वीना के कमरे में था।
वीना ने श्याम से कहा कि वह माँजी से कह देगी कि वह रसोई के बर्तनों का प्रयोग अण्डे खाने के लिए करता है, इस तरह उनके बर्तन भ्रष्ट करता है। कल से वह उसका गिलास अलग रखवा देगी। श्याम ने भी वीना को धमकी दी कि ह चाहे तो माँजी के सामने वीना का रहस्य खोलकर उसके कमरे से बिजली का स्टोव तथा फ्राइंग पैन वहाँ से उठवा सकता है। परन्तु यदि वीना अपनी जबान को खाने के काम में प्रयोग करे, अण्डों के बारे में शोर मचाने में नहीं तो समझौता हो सकता है। वह बाजार जाकर आधा दर्जन वह चीज जो वीमा कह रही थी, अपने पैसों से लाकर उसे दे सकता है।
प्रश्न 9.
वीना और श्याम के बीच अण्डों के प्रयोग के बारे में जो बातें हुई हैं, उनसे उनके आपसी सम्बन्धों के बारे में क्या बात प्रकट होती है?
उत्तर :
श्याम अण्डे खाता है परन्तु छिपकर वह माँजी तथा घर के अन्य लोगों पर यह बात प्रकट होने देना नहीं चाहता। माँजी को इस बात को जानकर बुरा लगेगा। वह माँजी से प्रेम करता है और अपनी खुराक से भी। अतः वह अण्डे खाने की बात माँजी को बताना नहीं चाहता। वीना अण्डे खाने में कोई बुराई नहीं मानती। अतः अण्डे खाने की बात छिपाना उन्हें अच्छा नहीं लगता। वीना श्याम के बड़े भाई गोपाल की पत्नी है। दोनों में देवर-भाभी का रिश्ता है। श्याम बार-बार अण्डों का नाम न लेने को कहता है और वीना बार-बार अण्डा शब्द का स्पष्ट उच्चारण करती है।
वह अण्डों का हलवा बनाने का प्रस्ताव करती है। श्याम उसे पुनः अण्डे का नाम लेने से रोकता है। मगर अण्डे लाने के लिए तैयार हो जाता है। वह कहता है, "लाओ, पैसे निकालो। मैं तुम्हारे रिस्क पर ले आता हूँ।" वह स्वयं अपने कमरे में दूध में मिलाकर अण्डे खाने की बात वीना को बता देता है। वीना उससे मजाक करती है कि वह रहस्य खोलकर उसका गिलास अलग करवा देगी। श्याम भी तुरन्त कहता है-“अच्छी बात है। तुम हमारा दूध का गिलास अलग रखवा देना और हम यह फ्राइंग पैन यहाँ से उठवा देंगे।" इसके बाद वह अपनी जेब के पैसों से अण्डे लाकर वीना को देता है। वीना तथा श्याम का यह व्यवहार देवर-भाभी के परम्परागत व्यवहार के अनुरूप ही है।
प्रश्न 10.
गोपाल के कपड़े खूटी से उतारते समय वीना को क्या पता चलता है? उसे यह सब कैसा लगता है?
उत्तर :
गोपाल के कपड़े अस्त-व्यस्त अवस्था में कमरे में खूटी पर लटके हैं। वीना उनको उतारकर रखती है कि खुंटी से मोजे का एक जोड़ा नीचे गिर जाता है। वह मोजा उठाकर देखती है। मोजा कुछ भारी लगता है। वह उसको हाथ पर पलटकर देखती है तो पता चलता है कि उसमें कल और परसों के अण्डों के छिलके भरकर रखे हुए हैं।
वीना को गोपाल की यह आदत अच्छी नहीं लगती। इससे गन्दगी होती है। वह चाहती है कि छिलके तुरन्त बाहर नाली में फेंक दिये जायें। परन्तु गोपाल की आदत है कि वह उन छिलकों को पूरे सप्ताह इकट्ठा करता रहता है। फिर उनको एक डिब्बे में भरकर बाहर ले जाता है, जैसे कि किसी के लिए कोई सौगात ले जा रहा हो। वीना को छिलकों को इस तरह मोजों में भरकर रखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। वह चाहती है कि गन्दगी को तुरन्त घर से बाहर फेंका जाये।
प्रश्न 11.
राधा ने कमरे से बाहर आकर अंगड़ाई क्यों ली?
उत्तर :
वीना चाय बनाना चाहती थी। चाय के लिए कमरे में पानी था नहीं। वह नल से पानी लेने गई तो राधा के कमरे का दरवाजा बन्द मिला। दरवाजा खटखटाने पर और आवाजें देने पर दरवाजा खुला तथा राधा बाहर आई। वीना ने उससे पूछा कि उसने शाम से ही दरवाजा क्यों बन्द कर रखा था? राधा ने उत्तर दिया कि उसका शरीर टूट रहा था। वह कुछ अस्वस्थ अनुभव कर रही थी और अन्दर आराम कर रही थी। वास्तविकता यह थी कि राधा कमरे की किवाड़ें बन्द करके चन्द्रकान्ता नामक तिलिस्मी उपन्यास छिपकर पढ़ रही थी। अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए राधा ने अंगड़ाई ली। उसने वीना के सामने यह सिद्ध करना चाहा कि वह वास्तव में लेटी थी और आराम कर रही थी। उसका शरीर टूट रहा था। यह सब राधा ने 'चन्द्रकान्ता' पढ़ने की बात छिपाने के लिए किया।
प्रश्न 12.
'चन्द्रकान्ता' कैसी पुस्तक है? उसके विषय में राधा और वीना के वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
'चन्द्रकान्ता' देवकीनन्दन खत्री रचित तिलिस्मी उपन्यास है। राधा इस पुस्तक को दरवाजा बन्द करके छिपकर पढ़ रही थी। चाय के लिए पानी लेने जाने पर पुस्तक वीना को मिल गई। वीना किताब हाथ में लिए हँसती हुई बाहर आई। राधा ने उसके हाथ से पुस्तक छीननी चाही। वीना ने कहा कि छीनने से नहीं माँगने पर वह पुस्तक दे देगी। उसने राधा से पूछा कि वह पुस्तक को छिपकर क्यों पढ़ रही थी। राधा ने बताया कि वह माँजी के कारण ऐसा कर रही थी। वीना ने बताया कि इसमें ऐसी कोई बात नहीं लिखी है कि इसे छिपकर पढ़ा जाय।
उसने तो मिडिल में ही चन्द्रकान्ता, चन्द्रकान्ता संतति तथा भूतनाथ पुस्तकें पढ़ ली थीं। राधा ने कहा कि माँजी देख लेंगी, तो क्या सोचें कि यह रामायण, महाभारत छोड़कर ऐसे किस्से पढ़ती है? कौशल्या भाभी के बहुत जिद करने पर वह पुस्तक ले आई थी। वरना उसके पास गुटका रामायण ही है, फुर्सत बचकाना शब्द से राधा कुछ चिढ़ गई तो वीना ने कहा कि उसका मतलब यह था कि महाभारत और रामायण पढ़ने वाली राधा के लिए चन्द्रकान्ता बचकाना टेस्ट की मालूम होगी।
प्रश्न 13.
राधा ने 'चन्द्रकान्ता' तथा 'रामायण' में क्या-क्या समानताएँ बताई हैं? प्रत्युत्तर में वीना ने उससे क्या कहा?
उत्तर :
राधा ने वीना को बताया कि 'चन्द्रकान्ता' और 'रामायण' की कहानी में अनेक बातें समान हैं। दोनों ही पुस्तकों में शूरवीरता की कहानी है। रामायण में वर्णन है कि राम-सीता की खोजने वन-वन में घूमते फिरे थे। उसी प्रकार 'चन्द्रकान्ता' के कुँवर वीरेन्द्र सिंह चन्द्रकान्ता के लिए तिलिस्म के अन्दर घूमते-फिरे थे। वीना ने हँसते हुए उससे कहा कि भगवान राम ने समुद्र लाँघकर सीता का उद्धार किया था। उसी प्रकार कुँवर वीरेन्द्र सिंह ने तिलिस्म तोड़कर चन्द्रकान्ता का उद्धार किया था। तिलिस्म तोड़ना तो समुद्र लाँघने से भी अधिक मुश्किल काम है।
प्रश्न 14.
गोपाल राधा के सामने सिगरेट न छिपाने का क्या कारण बताता है?
उत्तर :
घर आने पर गोपाल स्टोव पर केतली में पानी गरम होते देखकर प्रसन्न होता है। वीना तथा राधा वहाँ पहले से उपस्थित हैं। वह कुछ देर तक उनसे बातें करता है। तभी जेब से सिगरेट की डिब्बी निकालकर सिगरेट पीने की इजाजत माँगता है। वह बताता है कि बहुत देर से सिगरेट न पीने तथा वर्षा का दिन होने से उसको पीने की इच्छा हो रही है। वीना उसे याद दिलाती है कि वह घर में किसी के सामने सिगरेट नहीं पीता।
गोपाल बताता है कि वह घर में किसी के आगे सिगरेट नहीं पीता। केवल भाभी (राधा) के आगे पी लेता है। वह इस कारण कि एक बार वह गैलरी में छिपकर सिगरेट पी रहा था और भाभी वहाँ आ गई थीं। उन्होंने देख लिया था। चोरी पकड़े जाने पर उसने पोना स्वीकार कर लिया था। उसके बाद वह भाभी के सामने उनके कमरे में जाकर छिपकर सिगरेट पी लेता था। भाभी ने भी किसी को नहीं बताया। तब से पाँच वर्ष हो गए। मगर भाभी के अलावा कोई इस बारे में नहीं जानता।
प्रश्न 15.
श्याम बाजार से अण्डे लेकर आता है तो असमंजस में क्यों पड़ जाता है? वीना इस विषय में उसकी क्या सहायता करती है?
उत्तर :
श्याम बाजार से आता है। वह बरसाती के जेबों में हाथ डाले है। राधा को कमरे में देखकर वह असमंजस में पड़ जाता है। बीना उसको अपनी बरसाती उतारकर बाहर रखने को कहती है। परन्तु वह पूछती है कि वह अण्डे लाया कि नहीं। श्याम बताता है कि वीना ने जो चीज मँगाई थी, वह ले आया है। वीना उसे भरोसा दिलाती है कि जीजी से डरने की कोई बात नहीं। जो लाए हो उसे निकालो। गोपाल के पूछने पर कि ऐसा क्या मँगाया है, जो इतनी हील-हुज्जत हो रही है, वीना साफ बताती है कि आधा दर्जन अण्डे मँगाए हैं। गोपाल भी वीना से यह बात छिपाने के लिए कहता है परन्तु वीना उससे पूछती है कि जब दीदी से सिगरेट का छिपाव नहीं है तो अण्डों का छिपाव क्यों जरूरी है। उसके कहने पर श्याम हिचकिचाहट में दाना जेबा से अण्डे निकालकर उसे दे देता है।
प्रश्न 16.
माजी के आने की आवाज सुनकर कमरे में उपस्थित लोगों की क्या दशा होती है?
उत्तर :
श्याम. अण्डे लेकर आया है। उसने अण्डे वीना को दे दिए हैं। गोपाल भी वहाँ है तथा राधा भी वहाँ उपस्थित है वीना अण्डों को तोड़कर उनका हलवा बना रही है। वे लोग आपस में बातें कर रहे हैं। तभी दूर से जमुना देवी (माँजी) के आने की आवाज सुनाई देती है। वह पूछ रही है कि गोपाल आया या नहीं। आवाज सुनते ही सभी हतप्रभ रह जाते हैं। गोपाल श्याम से दरवाजा बन्द करने को कहता है। श्याम तेजी से किबाड़ें भिड़ा देता है और खड़ा हो जाता है।
गोपाल जल्दी से वीना का जंपर उठाकर अण्डे के छिलकों पर डाल देता है। वह चीनी की एक प्लेट लेकर फ्राइंग पैन में बने हलवे को ढक देता है। वीना चम्मच को हाथ में लेकर खड़ी रह जाती है। माँजी उससे इसका कारण पूछती है। वह फ्राइंग पैन के बारे में कहती है तथा उसमें क्या बनाया गया है; यह भी जानना चाहती है। गोपाल और वीना उसको तरह-तरह से रोकने का प्रयास करते है। श्याम के चोट लगने का बहाना बनाते हैं तथा अण्डे के हलवे को चोट पर बाँधने का पुल्टिस बताते हैं। वे सभी बहुत घबड़ा जाते हैं और किसी तरह माँजी को उनके कमरे में पहुँचा देते हैं।
प्रश्न 17.
'अण्डे के छिलके' एकांकी के अन्त के समान उसमें उत्पन्न हुई मनोरंजक स्थिति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
अण्डे के छिलके' एकांकी का अन्त अत्यन्त नाटकीय तथा मनोरंजक स्थिति में होता है। माँजी के आने की आवाज सुनते ही श्याम दरवाजे की किबाड़ें भिड़ाकर वहीं खड़ा हो जाता है। गोपाल तेजी से उठकर वीना के जपर से अण्डे के छिलकों को ढक देता है तथा एक प्लेट से फ्राइंग पैन में बनाकर रखे हुए हलवे को ढक देता है। माँ के पूछने पर वह वीना का हाथ जलने का बहाना बनाता है। फ्राइंग पैन में रखे पदार्थ के बारे में पूछने पर राधा बताती है कि वह श्याम की चोट पर लगाने के लिए उसके कहने पर वीना द्वारा बनाई हुई पुल्टिस है। किसी तरह माँजी के वहाँ से जाते ही श्याम उस हलवे को खाने में जुट पड़ता है।
उसी समय गोपाल आकर बताता है कि भैया इधर ही आ रहे हैं। श्याम गोपाल को आश्वस्त करता है कि वह पुल्टिस की चिन्ता न करें। उसे तो वह खा चुका। गोपाल अण्डों के छिलकों को अपने कोट की जेब में भरने के लिए वीना से कहता है। सहसा माधव गैलरी में आ जाता है। वह छिलकों तथा पुल्टिस के बारे में पूछता है। माधव हँसकर बताता है कि उसे पता है कि श्याम के कमरे में दध क्यों जाता है? गोपाल के कमरे में फ्राइंग पैन में क्य उँगलियाँ पीली क्यों हो गई हैं तथा राधा रात में मोमबत्ती जलाकर कौन-सी किताब पढ़ती है? माधव से यह जानकर कि माँजी को भी इन सब बातों का पता है, सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
प्रश्न 18.
"और जहाँ तक अम्मा का सवाल है, अम्मा इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी।" माधव के उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
माधव के आने पर गोपाल उससे अण्डे के छिलके, फ्राइंग पैन तथा अन्य बातों को छिपाने का प्रयास करता है। माधव गोपाल को बताता है कि उससे कुछ भी छिपाने की जरूरत नहीं है। वह जानता है कि गोपाल के कमरे में आमलेट बनता है, श्याम कमरे में दूध में अण्डे मिलाकर पीता है, राधा रात में छिपकर 'चन्द्रकान्ता' उपन्यास पढ़ती है। सभी इन बातों को जानकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं।
गोपाल माधव से कहता है कि वह इन बातों को माँजी को न बताए, किन्तु उनको माधव से यह जानकर आश्चर्य होता है कि माँजी इन सब बातों के बारे में पहले से ही जानती है। माधव गोपाल से कहता है कि वह आगे से छिलकों को डिब्बों में भरने के स्थान पर नाली में फेंका करे। अम्मा इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी।
माधव का यह कहने से आशय है कि माँजी तो पहले से सब कुछ जानती हैं परन्तु वह प्रदर्शित यह करती हैं कि वह कुछ नहीं जानी। वह सब कुछ जानकर भी अनजान बनी हुई हैं। अण्डों के छिलके नाली में पड़े देखकर भी वह अनजान ही बनी रहेंगी और ऐसा प्रकट करेंगी कि उन्होंने छिलकों को नाली में देखा ही नहीं है। वह किसी से इस बारे में कुछ नहीं पूछेगी।
प्रश्न 19.
'अण्डे के छिलके' एकांकी के शीर्षक के औचित्य पर विचार कीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' मोहन राकेश द्वारा रचित प्रसिद्ध एकांकी है। एकांकीकार ने इसमें उस मानसिकता का चित्रण किया है जिसमें कुछ लोग अण्डों का सेवन तो करते हैं परन्तु पारिवारिक निषेध के कारण इस बात को छिपाते भी हैं। गोपाल अपने कमरे में बिजली का स्टोव तथा फ्राइंग पैन लाकर रखता है और बैड टी का नाम लेकर चुपचाप अण्डों से आमलेट बनवाकर खाता है। श्याम अपने कमरे में दूध मँगाता है तथा उसमें कच्चा अण्डा मिलाकर पीता है।
गोपाल छिपकर सिगरेट पीता है और राधा छिपकर 'चन्द्रकान्ता' नामक तिलिस्मी उपन्यास पढ़ती है और रामायण पढ़ने का बहाना करती है। श्याम और गोपाल अण्डे खाने की बात छिपाना चाहते हैं। माँजी के कमरे में आने पर अण्डों के छिलकों तथा अण्डों के हलवे को छिपाने का प्रयास करते हैं। माधव के आने पर भी यही सब कुछ किया है किन्तु यह पता चलने पर कि माधव तथा माँजी इन बातो को जानते हैं, वे आश्चर्य में पड़ जाते हैं। अन्त में माधव गोपाल को छिलके नाली में फेंकने का निर्देश देता है।
एकांकी की कथावस्तु में अण्डे के छिलकों का महत्वपूर्ण स्थान है। एकांकी का आरम्भ बाजार से अण्डे लाने से होता है। माँजी के कमरे में आने पर अण्डे के छिलकों को छिपाया जाता है। माधव के द्वारा छिलकों को नाली में फेंकने की सलाह के साथ ही एकांकी समाप्त होता है। पूरा कथानक तथा घटनाक्रम अण्डों तथा छिलकों पर आधारित है। कथानक के विकास में अण्डों का महत्वपूर्ण स्थान है। अण्डों के विषय में चलने वाले पात्रों के संवादों से उनके चरित्र की विशेषताएँ प्रकट होती हैं। 'अण्डे के छिलके' शीर्षक अत्यन्त मनोवैज्ञानिक है। उसमें पाठकों की जिज्ञासा को उत्तेजित करने की शक्ति है। वह अत्यन्त आकर्षक एवं उचित शीर्षक है।
प्रश्न 20.
'अण्डे के छिलके' एकांकी के संदेश पर विचार कीजिए।
अथवा
'अण्डे के छिलके' एकांकी एक उद्देश्यपूर्ण रचना है-इस कथन पर अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। एकांकीकार मोहनराकेश ने इस एकांकी के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि अपने विश्वास के अनुसार कार्य करते हुए भी उस पर दृढ़ न रह पाना तथा उसे छिपाना एक रुग्ण मानसिकता है। गोपाल और श्याम अण्डे खाते हैं परन्तु इस बात को परिवार के अन्य लोगों से छिपाते भी हैं। गोपाल के कमरे में बिजली का स्टोव तथा फ्राइंग पैन रखा है। वीना इनकी सहायता से कमरे में ही नाश्ते के लिए आमलेट बनाती है। घर में सभी को बताया गया है कि रसोईघर में बनाकर लाने पर कमरे में आते-आते चाय ठण्डी हो जाती है और गोपाल को बैड टी पीने की आदत है।
श्याम अपने कमरे में दूध ले आता है तथा उसमें अण्डे मिलाकर छिपकर पीता है। माधव की पत्नी राधा चन्द्रकान्ता पढ़ती है और रामायण पढ़ने का बहाना करती है। एकांकी में वीना ही ऐसी पात्र है, जो अण्डे खाने अथवा उपन्यास पढ़ने की बात को छिपाने के पक्ष में नहीं है। इसका कारण भी उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि है। एकांकी के अन्य पात्र इसी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण इन बातों को छिपाते हैं। अण्डे खाना उन पर आधुनिकता का प्रभाव है तो उसे छिपाना उनके पारिवारिक वातावरण तथा परम्परा के कारण है। वे जिस बात को मानते हैं अथवा जिस काम को करते हैं, उसकी अच्छाई पर एक प्रकार का संशय स्वयं उनके मन में बना रहता है।
यही कारण है कि वे उसको सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर पाते। परम्परा और आधुनिकता के इस द्वन्द्व को एकांकीकार ने सफलतापूर्वक प्रकट किया है। परिवार में अण्डे के प्रयोग का निषेध है, परन्तु परिवार के लगभग सभी सदस्य मन-ही-मन इसके उपयोग के पक्षधर हैं। आधुनिक समाज की इस दिखावे वाली संस्कृति तथा सामाजिक विकृति को राकेश जी ने अनोखे ढंग से इस एकांकी में प्रस्तुत किया है। एकांकी में संदेश दिया गया है कि थोथे आदर्शवाद में न पड़कर जीवन के यथार्थ पर आचरण करना चाहिए। करना कुछ और दिखावा कुछ एक विकृति है, इससे बचना ही जीवन के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी है। इस बात को समझना ही एकांकीकार का उद्देश्य है।
प्रश्न 21.
क्या 'अण्डे के छिलके' एक सफल एकांकी है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' मोहन राकेश का एक प्रसिद्ध एकांकी है। इसमें एकांकीकार ने आधुनिक समाज के दिखावे की संस्कृति तथा सामाजिक विकृति को सफलता के साथ लाए हैं। एकांकी की विषय-वस्तु तो सामाजिकता की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसमें पारिवारिक निषेध के बावजूद अण्डे खाने और उसको छिपाने का चित्रण मनोरंजक ढंग से हुआ है। अण्डे खाने की बात माँजी तथा अन्य बड़ों से छिपाना एक विकृत आदर्शवाद है और आधुनिक सामाजिक प्रचलित व्यवस्था पर विश्वास और आचरण करने वाले गोपाल, श्याम, राधा आदि पात्र इसके फेर में पड़े हैं।
प्रतिपाद्य की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके' एकांकी को विचारात्मक माना जा सकता है। एकांकीकार ने अण्डे खाने किन्तु उसे झूठे आदर्शवाद के कारण छिपाने की मानसिक दुर्बलता पर विचार करने का प्रयास किया है। क्या किसी आधुनिक विचार अथवा व्यवस्था को इस कारण नहीं अपनाया जाना चाहिए कि वह पुरानी वर्जनाओं के अनुसार सामाजिक हित में नहीं शैली अथवा शिल्प की दृष्टि से अण्डे के छिलके को व्यंग्य एकांकी की श्रेणी में रखा जा सकता है।
इस एकांकी में हास्य-विनोद के पुट के साथ गोपाल, श्याम, राधा इत्यादि पात्रों के आचरण को अनुचित बताया गया है। अण्डे खाने को दूषित और अनुचित आचरण मानने की सामाजिक मान्यता का खण्डन किया गया है। इस सम्बन्ध में पारिवारिक निषेध को विवेकपूर्ण नहीं माना गया है। एकांकी की प्रत्येक घटना और पात्रों के संवाद एकांकी में उठायी गई सामाजिक समस्या को रोचक तथा सांकेतिक ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
एकांकी में माँजी के तथा माधव के आने पर गोपाल के कमरे के वातावरण को मनोरंजक तरीके से पेश किया गया है। इसमें पात्रों की मानसिक कमजोरी तथा प्रदर्शनपूर्ण आचरण पर तीखा व्यंग्य है। एकांकी की भाषा विषयानुरूप सरल है तथा शैली हास्य-व्यंग्य से पूर्ण है। संवाद छोटे तथा नाटकीय हैं। पात्रों का चरित्रांकन उनकी विशेषताओं को प्रकट करने वाला है। कथावस्तु उद्देश्यपूर्ण है। इस प्रकार हम अण्डे के छिलके' को एक सफल एकांकी मान सकते हैं।
प्रश्न 22.
'अण्डे के छिलके' एकांकी की पात्र वीना के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ अंकित कीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' एकांकी में गोपाल, श्याम और माधव तीन पुरुष पात्र तथा वीना, राधा और जमुना नारी पात्र हैं। इन पात्रों में वीना के चरित्र-चित्रण में एकांकीकार ने विशेष ध्यान दिया है। वीना इस एकांकी की प्रमुख पात्र है। एकांकी का आरम्भ वीना के कमरे में श्याम के प्रवेश से होता है तथा सम्पूर्ण एकांकी में वह रंगमंच पर उपस्थित दिखाई देती है। वीना के चरित्र की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं सशिक्षित एवं विचारशील-वीना सुशिक्षित है। देवकीनन्दन खत्री के चन्द्रकान्ता आदि उपन्यास वह मिडिल में पढ़ती थी तभी लाइब्रेरी से लेकर पढ़ चुकी थी। वह कॉलेज में पढ़ी है। अंग्रेजी भाषा और साहित्य का उसे ज्ञान है। वह आजकल 'सेज एण्ड लवर्स' पुस्तक पढ़ रही है। राधा उससे स्वीकार करती है-"हाँ भाई! हम तुम्हारी तरह पढ़े-लिखे तो हैं नहीं।"
विचार और कर्म में एकरूपता-वीना के कार्य उसके विचारों के अनुरूप हैं। वह करनी और कथनी की एकता में विश्वास रखती है। सोचना कुछ और दिखाना कुछ और उसको ठीक नहीं लगता। अण्डों के प्रयोग के सम्बन्ध में वह अपने पति गोपाल तथा देवर श्याम के विचारों से असहमत है। वह श्याम से कहती है-“भई, तुम लोगों की यह बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आती। अगर खाना ही है तो उसमें छिपाने की क्या बात है? सबके सामने खाओ।" राधा द्वारा 'चन्द्रकान्ता' छिपकर पढ़ने पर वह उससे पूछती है-"इसमें ऐसा तो कुछ भी नहीं है कि इसे तकिए के नीचे छिपाकर रखा जाए तथा दरवाजे बन्द करके पढ़ा जाए।" वह गोपाल का प्रतिवाद करते हुए कहती है-"आपको जब दीदी से सिगरेट का छिपाव नहीं है, तो अण्डे का छिपाव रखने की क्या जरूरत है।"
व्यवहार-कशल-वीना व्यवहार-कशल महिला है। परिवार में छोटे-बड़ों के प्रति उसका व्यवहार मर्यादानकल है। वह बड़ों का सम्मान करती है। श्याम उसका देवर है। उसके प्रति व्यवहार देवर-भाभी के परम्परागत व्यवहार के अनुकूल है। 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक को 'जीजी का गुटका रामायण' कहकर वह अपनी विनोदप्रियता का परिचय देती है। इसके साथ ही कुशल गृहिणी के रूप में, पाक कला में प्रवीणता, घर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखने में भी वह
चतुर है।
प्रश्न 23.
अभिनेयता की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके' एकांकी की समीक्षा कीजिए।
उत्तर :
एकांकी एक दृश्य काव्य है। अभिनय होना उसकी सफलता की प्रथम कसौटी है। किसी नाटक की अभिनेयता के लिए कथावस्तु के प्रस्तुतीकरण, देश काल, पात्र-सज्जा तथा संवाद निर्वहन इत्यादि बातें महत्वपूर्ण होती हैं। अभिनेयता के लिए पाश्चात्य समालोचक एकांकी में संकलन त्रय को महत्वपूर्ण मानते हैं। एकांकी की कथावस्तु में कार्य संकलन, स्थान संकलन तथा समय संकलन को संकलन त्रय कहा जाता है। संकलन त्रय का आशय यह है कि एकांकी की विषयवस्तु में एकता हो तथा एकांकी की घटनायें एक ही स्थान तथा समय से सम्बन्धित कार्य-संकलन को ही सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। आज के वैज्ञानिक युग में दृश्य-परिवहन के साधन सुगम होने से स्थान तथा समय संकलन उतना महत्वपूर्ण नहीं है।
'अण्डे के छिलके' में एकांकीकार ने संकलन-त्रय का पूरा ध्यान रखा है। कथावस्तु में एक ही विषय अण्डे के प्रयोग के सम्बन्ध में परम्परा और आधुनिकता के द्वन्द्व को उभारा गया है। एकांकी का घटना स्थल गोपाल का कमरा है, जो आदि से अन्त तक यथावत् रहता है। समस्त घटनाक्रम एक-दो घण्टे के अन्तराल में घटित होता है। यह एकांकी अभिनेय हो, एकांकीकार ने इसका ध्यान रखा है। रंगमंच, पात्रों के वेश-सज्जा तथा अभिनय के सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश एकांकीकार ने दिये हैं। एकांकी की कथावस्तु सुगठित है तथा एक ही विषय पर आधारित है।
एकांकी के समस्त व्यापार तथा घटनायें व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत की गई हैं। एकांकीकार ने पात्रों की वेशभूषा के साथ ही उनके संवाद तथा भाव-व्यंजना का भी ध्यान रखा है। संवाद रोचक और संक्षिप्त हैं। एकांकी की भाषा पात्रानुकूल है तथा सरल और बोधगम्य है। शैली व्यंग्य-विनोदपूर्ण है, जिसके कारण एकांकी के प्रभाव में वृद्धि हुई है। एकांकी का रचना- हेय दर्शकों को झूठे आदर्शवाद से सावधान करके कथनी और करनी में अभेद रखने का संदेश देना है। एकांकीकार को इसमें पूरी सफलता मिली है। एकांकी के अन्त में घटित नाटकीय घटनायें एकांकी को रोचक बनाने में सहायक सिद्ध हुई हैं। उपर्युक्त बातों के आधार पर हम कह सकते हैं कि अभिनेयता की दृष्टि से अण्डे कि एक सफल एकांकी है।
प्रश्न 24.
एकांकी के कथा-विकास की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके एकांकी पर विचार कीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' एकांकी की कथावस्तु परम्परा तथा आधुनिकताबोध के द्वन्द्व पर आधारित है। गोपाल के परिवार में अण्डों के सेवन का निषेध है तथा महिलाओं के लिए रामायण और महाभारत के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें पढ़ना भी अच्छा नहीं माना जाता। परन्तु परिवार के गोपाल, श्याम आदि सदस्य भीतर-ही-भीतर अण्डा खाने के समर्थक हैं तथा राधा छिपकर 'चन्द्रकान्ता' पढ़ती है और रामायण पढ़ने का दिखावा करती है। वे एक-दूसरे को बातों को जानते हैं परन्तु अ बने रहते हैं। यहाँ तक कि जमना देवी अपने पत्रों और पत्र-वध के कार्यों से परिचित होते हए भी यही प्रदर्शित करती है कि वे इन बातों को नहीं जानतीं। माधव का कथन...' जहाँ तक अम्माँ का सवाल है, अम्माँ इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी।" इसी मानसिकता को प्रमाणित करता है।
कथानक में विषयवस्तु सम्बन्धित गहरी एकरूपता है। कथानक का आरम्भ श्याम और वीना के वार्तालाप से होता है, जो अण्डों के प्रयोग से सम्बन्धित है। श्याम अण्डा खाता है परन्तु उसे छिपाना चाहता है जबकि वीना कथनी और करनी के भेद को अनुचित मानती है। राधा को कमरा बन्द करके चन्द्रकान्ता पढ़ते दिखाने से कथानक आगे बढ़ता है तथा गोपाल के आने पर और श्याम द्वारा अण्डे बाजार से लेकर आने तथा उन्हें जेबों में छिपाये रखने तक कथानक पर्याप्त विकसित हो चुका होता है। कथानक का चरम बिन्दु माँजी तथा माधव के कमरे में प्रवेश से आता है। माधव द्वारा यह प्रकट करने पर कि वह तथा माँजी सभी छिपी हुई बातों से पहले से ही परिचित हैं, गोपाल, श्याम, वीना तथा राधा अवाक् रह जाते हैं। इस प्रकार एकांकी का अन्त उसके चरम बिन्दु पर ही होता है जो अत्यन्त आकर्षक है। इस तरह एकांकी में कथानक की अवस्थायें आरम्भ, विकास तथा चरम बिन्दु विद्यमान हैं।
प्रश्न 25.
संवाद-योजना की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके' एकांकी को आप कैसा मानते हैं?
उत्तर :
'अण्ड के छिलके' एकांकी की संवाद-योजना की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं -
छोटे-संवाद-एकांकी के संवाद अधिक बड़े नहीं हैं। अधिकांश संवाद छोटे हैं तथा एक-दो वाक्यों के ही हैं। छोटे संवाद होने से पात्रों को उन्हें बोलने में सरलता रहती है तथा वे आकर्षक भी हैं।
पात्रानुकूल-संवाद पात्रों की मानसिक तथा कथानक में उनकी स्थिति के अनुकूल हैं। वीना की स्पष्टवादिता से विचलित श्याम का यह संवाद उसकी मन:स्थिति को सूचित करता है-"शिव, शिव, शिव! किसी और चीज का नाम लो भाभी। इस घर में अण्डे का नाम ले रही हो? जाओ जल्दी से जाकर कुल्ला कर लो। मुँह भ्रष्ट हो गया।"
कथानक के विकास में सहायक-एकांकी के संवाद कथानक.के विकास में परी तरह सहायक हैं। वे पात्रों के चरित्रांकन में भी सहायक हैं। संवादों से पात्रों की विशेषताएँ स्वतः प्रकट हो जाती हैं। एकांकी के संवादों में नाटकीयता है जो अत्यन्त आवश्यक है। इससे एकांकी के प्रभाव में वृद्धि होती है तथा वह रोचक बनता है। संवाद की भाषा सरल तथा आसानी से समझ में आने वाली है। इसमें व्यंग्य-विनोद का पुट उन्हें और अधिक रोचक बनाता है।
प्रश्न 26.
एकांकी 'अण्डे के छिलके' के पात्र गोपाल का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
गोपाल मोहन राकेश के एकांकी 'अण्डे के छिलके' का एक महत्वपूर्ण पात्र है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं स्वस्थ व सुशिक्षित-गोपाल जमुना देवी का दूसरा पुत्र है। वह स्वस्थ, सुन्दर तथा सुशिक्षित है। वह किसी कार्यालय में अधिकारी है। उसकी पत्नी वीना का 'साहब के कपड़ों का ढेर' कहना तो यही सूचित करता है।
लापरवाह-गोपाल लापरवाह है। वह टाइयाँ और कपड़े कुर्सियों के पीछे टाँग देता था। अब वीना के रोकने पर वह उनको ढेर के रूप में खूटी पर लटका देता है। वह अण्डे के छिलके मोजों में भरकर लूंटी पर लटका देता है। यहाँ तक कि उन्हें माधव से छिपाने के लिए वह छिलकों को अपने टोप या कोट की जेब में रखने के लिए भी वीना से कहता है।
परम्परा का प्रदर्शन-वह परम्परा का प्रदर्शन करता है। वह परिवार के निषेधों के कारण छिपकर सिगरेट पीता है तथा .अण्डे खाता है। उसकी सोच तथा कार्यों में स्पष्ट भेद है। राधा जब सबके सामने अण्डों के प्रयोग की बात कहती है तो वह उसको रोकता है- "अण्डों का हलुआ? यह तुम्हें क्या सूझी है? मैंने तुम्हें अच्छी तरह समझा दिया था, फिर भी तुम?"
स्पष्टवादिता का अभाव-गोपाल अपने मत को साफ-साफ नहीं कह सकता। माँ के आने पर वह हड़बड़ा जाता है। माँ के पूछने पर "सब लोग इस तरह चुपचाप क्यों हो गए हो?" वह घबड़ाकर उत्तर देता है-"कु-कुछ नहीं माँ! तु-तुम अ-आओ, आओ!' तथा 'कु-कुछ नहीं, माँ, यह...वह...वह....वहाँ पर.....क्या नाम है उसका....वह....वह....वीना का हाथ जरा जल गया था। एकांकी में श्याम तथा राधा के घटनाक्रम पर वह अवाक् हो जाता है तथा अपना रहस्य खुलने पर उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता।
प्रश्न 27.
श्याम के चरित्र की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
श्याम 'अण्डे के छिलके' एकांकी के आरम्भ से अन्त तक उपस्थित रहता है तथा कथानक के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं दिखावटी व्यवहार-श्याम अण्डे खाता है मगर छिपकर। वीना इस बारे में जानती है परन्तु वह उसको भी इस विषय में स्पष्ट बात न करने की सलाह देता है। माँ से छिपकर अण्डे खाने के सम्बन्ध में उसका कहना है-"मगर तुम कहो कि अम्माँ के सामने भी यह बात जाहिर कर दें तो हरगिज नहीं। हमें अपनी अम्माँ से भी प्यार है और अपनी खुराक से भी।"
स्नेही एवं खुशमिजाज-श्याम का स्वभाव स्नेहपूर्ण है। वह अपने परिवार के लोगों से सच्चा स्नेह रखता है, वह सदा प्रसन्न रहता है। वह भाइयों में सबसे छोटा है। राधा और वीना उसकी भाभी हैं। भाभियों का वह परम्परागत देवर है तथा उनके साथ उसका व्यवहार विनोदपूर्ण छेड़छाड़ का है। वह वीना से कहता है-"अच्छी बात है। तुम हमारा दूध का गिलास अलग रखवा देना और हम यह फ्राइंग पैन यहाँ से उठवा देंगे। वैसे चाहो तो अब भी समझौता हो सकता है....इस समझौते की खुशी में पैसे भी अपनी जेब से खर्च कर देता हूँ। मंजूर ? अच्छा, हा-हा।"
प्रश्न 28.
भाषा-शैली की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके' एकांकी की समीक्षा कीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' एकांकी मोहन राकेश का एक हास्य व्यंग्य प्रधान एकांकी है। इस एकांकी की भाषा-शैली की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं स एकांकी में एकांकीकार ने सरल. प्रवाहपर्ण तथा विषयानकल भाषा का प्रयोग किया है। इसकी भाषा में तत्सम प्रधान शब्दों की भरमार नहीं है। लेखक ने भाषा को सामान्यजनों के समझने योग्य बनाने के लिए उसमें तद्भव शब्दों, बोलचाल के शब्दों में अंग्रेजी, अरबी, फारसी आदि भाषाओं के विदेशी शब्दों का प्रयोग किया है।
भाषा में पालिश, गैलरी, इंटरेस्टिंग, टेस्ट, स्टोव, बैड टी, प्लेट, फ्राइंग पैन इत्यादि अंग्रेजी शब्दों के साथ नक्शा, मौसम, मजा, वक्त, वसूल, इकबाल, तलब, इंतजाम, तिलिस्म, इजाजत इत्यादि अरबी-फारसी के शब्दों का खुलकर प्रयोग हुआ है। बोलचाल की भाषा के शब्द यथा-इस्नान, रीत, करंट, लच्छन भी इस भाषा के प्रभाव में वृद्धि करने वाले हैं। इसमें खैर नहीं, सुनी-अनसुनी करना, जान निकाल देना, इधर की बात उधर करना, परदा होना, होश की दवा करना इत्यादि मुहावरे भी भाषा की शक्ति को बढ़ाने वाले हैं। शैली-एकांकीकार ने 'अण्डे के छिलके' एकांकी में विनोदपूर्ण शैली को अपनाया है। इसमें व्यंग्य के यत्र-तत्र छींटे हैं। इसमें कहीं-कहीं (जैसे अम्माँ इन्हें नाली में पड़े हुए भी नहीं देखेंगी) प्रतीकात्मक शैली का भी प्रयोग हुआ है। वाक्य छोटे हैं तथा भाव-व्यंजन में समर्थ हैं।
प्रश्न 29.
देशकाल की दृष्टि से 'अण्डे के छिलके' कैसा एकांकी है?
उत्तर :
किसी भी रचना के लिए देशकाल एक महत्वपूर्ण तत्व होता है। देशकाल का ध्यान न रखने से अच्छी रचना भी हास्यास्पद हो जाती है। कथावस्तु के घटना स्थल को देश तथा घटना के समय को काल कहते हैं। भाषा, पात्रों की वेशभूषा, संवाद, चरित्र इत्यादि देशकाल के अनुरूप ही होने चाहिए।प्रस्तुत एकांकी में किसी विशेष स्थान अथवा समय का संकेत नहीं है। कथा-वस्तु को पढ़ने से पता चलता है कि वह इसी काल तथा उत्तर भारतीय किसी स्थान से सम्बन्धित है। अण्डों का घर में निषिद्ध प्रयोग, रामायण और महाभारत के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें न पढ़ने के बारे में महिलाओं के लिए निर्देश से पता चलता है कि इसका घटना-काल लगभग चार-पाँच दशाब्दी पहले का है तथा इसका सम्बन्ध उत्तर : पश्चिम अथवा महाभारत के किसी स्थान से है। पहले इन स्थानों पर अण्डा खाना अच्छा नहीं माना जाता था और जो लोग इन्हें खाते थे, वे चोरी-छिपे ही खाते थे।
परिवारों में इनका सेवन निषिद्ध था। माँ तथा अन्य बड़ों का प्रतिवाद करने का साहस छोटों में नहीं होता था। इस एकांकी में भी इसी प्रकार का वातावरण है। गोपाल और श्याम अण्डे खाते हैं, मगर छिपकर खाते हैं। वे माँजी से अपनी बात खुलकर कहने का साहस नहीं रखते। आधुनिक प्रभाव के कारण वे अण्डा-सेवन के पक्ष में हैं परन्तु परम्परा के प्रतिकूल खुलकर खड़े होना उनको ठीक नहीं लगता। एकांकीकार ने इसमें पात्रों के विचार, भाषा, वेशभूषा इत्यादि बातों में देश काल के पालन करने का ध्यान रखा है।
प्रश्न 30.
'अण्डे के छिलके' एकांकी के आधार पर जमुना देवी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
'अण्डे के छिलके' एकांकी में माधव, गोपाल, श्याम नामक पात्रों की माँ जमुना देवी हैं। इनकी पुत्र-वधुएँ राधा और वीना हैं। उनको एकांकी में माँजी तथा अम्मा कहकर पुकारा गया है। जमुनादेवी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं -
वयोवृद्ध - जमुनादेवी वृद्धा हैं। उनके तीन पुत्र हैं, दो का विवाह हो चुका है। आयु अधिक होने के कारण उनको कम दिखाई देता है। उन्हें चलने में परेशानी होती है। गैलरी में अँधेरा होने के कारण गोपाल उनको 'हाथ पकड़कर' उनके कमरे में छोड़ने जाता है।
वात्सल्यमयी - जमुना देवी वात्सल्यमयी माँ है।, अपने पुत्रों से उन्हें बहुत प्रेम है। गोपाल के दफ्तर से लौटने के बारे में पूछने के लिए वह अपने कमरे से चलकर गोपाल के कमरे तक आ जाती है। श्याम के चोट लगने की बात जानकर वह स्वयं उसकी चोट पर पुल्टिस बाँधना चाहती है।
गृह-नियन्त्रक - घर की बड़ी होने के नाते वह घर पर नियन्त्रण रखती है। वह अपने परिवार को अपनी परम्परा के अनुसार जीवनयापन करने के लिए निर्देशित करती है। परन्तु यह जानकर भी कि उनके पुत्र-पुत्रवधू उनके निर्देशों का आधुनिकता के प्रभाव में पड़कर उल्लंघन कर रहे हैं, वह शांत बनी रहती है। यह समय को पहचानकर उसके अनुसार चलने की उनकी बौद्धिक कुशलता के कारण हो सकता है।
पैनी निगाह-जमुना देवी की निगाह पैनी है। उनकी दृष्टि से कुछ नहीं चूकता। गोपाल के कमरे में आने पर सब लोगों सुम खड़े देखकर वह तुरन्त उस बारे में पूछती है। वह जानना चाहती है कि वीना के हाथ में चम्मच क्यों है तथा रेल कोने में क्या कर रहा है। बिजली के स्टोव के ऊपर रखे फ्राइंग पैन तथा उसमें रखी हुई वस्तु के बारे में भी वह पूछती है। वह मेज पर अण्डों के छिलकों पर ढके हुए जंपर के बारे में पूछती है कि क्या यह मेज साफ करने के लिए है। जमनादेवी का चरित्र-चित्रण घर की बड़ी-बढी महिला के अनुरूप ही एकांकीकार ने किया है।
प्रश्न 31.
राधा और वीना ने 'रामायण' व 'चन्द्रकान्ता' में जो समानताएँ गिनाईं, उनका उल्लेख कीजिए। इन समानताओं के माध्यम से वे क्या सिद्ध करना चाहती थीं?
उत्तर :
राधा और वीना ने अपने परस्पर वार्तालाप में आध्यात्मिक पुस्तक रामायण व तिलिस्मी उपन्यास चन्द्रकान्ता में अनेक समानताएँ गिनाई हैं। राधा का मानना है कि रामायण व चन्द्रकान्ता दोनों पुस्तकों में निहित कथावस्तु में शूरवीरता की कहानी को प्रमुख स्थान दिया गया है। उसने इसे उदाहरण के माध्यम से सिद्ध करते हुए कहा है कि जिस तरह भगवान राम सीता की खोज के लिए वन-वन में मारे मारे फिरते हैं उसी प्रकार चन्द्रकान्ता में कुँवर वीरेन्द्र सिंह चन्द्रकान्ता के लिए तिलिस्म के अन्दर घूमते-फिरते हैं।
इसी क्रम में रामायण व चन्द्रकान्ता की आपसी समानता को सिद्ध करने के लिए वीना कहती है कि दोनों ही पुस्तकों के नायकों ने साहसिक कार्य करके एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उदाहरण के लिए, जिस तरह भगवान राम समुद्र लाँघकर सीता का उद्धार करते हैं उसी प्रकार चन्द्रकान्ता में कुँवर वीरेन्द्र सिंह तिलिस्म तोड़कर चन्द्रकान्ता का उद्धार करते हैं। समग्र रूप से दोनों अपने वार्तालाप में इन पुस्तकों की समानता को गिनाने के माध्यम से यह सिद्ध करना चाहती हैं कि रामायण पढ़ने की शिक्षा देना तथा चन्द्रकान्ता पढ़ने का विरोध करना उचित नहीं है। चूंकि दोनों पुस्तकें अपनी आधारभूत विशेषताओं के आधार पर अनेक समानताएँ रखती हैं। अतः चन्द्रकान्ता को हेय दृष्टि से देखना उचित नहीं है। दोनों स्त्रियाँ चन्द्रकान्ता को पढ़ने के औचित्य को सिद्ध कर उसके प्रति उपेक्षा के भाव को मिटाना चाहती हैं।
प्रश्न 32.
माँजी से अण्डों के हलवे के निर्माण को छिपाने के लिए परिवार के सदस्यों ने कौन-कौन से बहाने बनाये? क्या वे इन बहानों के माध्यम से इसे छिपाने में सफल हो गये?
उत्तर :
अण्डे का हलवा तैयार करते समय जब माँजी अचानक कमरे में आ धमकती हैं तो श्याम उन्हें दरवाजे पर ही रोकने का असफल प्रयास करता है। माँ के कमरे के अन्दर आने पर जब वह सब लोगों से उनके गुमसुम खड़े होने का कारण पूछती हैं तथा बीना के चम्मच लेकर खड़े रहने का कारण पूछती हैं तो गोपाल वीना का हाथ जलने व उसके लिए मलहम ढूँढ़ने का बहाना बनाता है। माँ वीना के हाथ जलने का कारण पूछती है तो गोपाल चाय बनाते समय हाथ जलने का बहाना बनाकर माँ को सन्तुष्ट करना चाहता है।
माँ बिजली के चूल्हे को कोसते हुए उसके ऊपर रखी हुई वस्तु को जानने हेतु जब आगे बढ़ती हैं तो गोपाल फ्राइंग पैन बताकर उन्हें रोकता है। माँ पुनः पूछती हैं कि नयी बहू इसमें क्या-क्या बनाकर खिलाती है? वह देखने के लिए जब पुनः आगे बढ़ती है तो गोपाल उन्हें चिकनी-चुपड़ी बातें बनाकर रोक देता है। माँ के यह पूछने पर कि छोटी बहू ने इसमें क्या बनाया है, राधा बहाना बनाती है कि श्याम के टखने में क्रिकेट खेलते समय चोट लगने के कारण उस चोट पर बाँधने के लिए पुलटिस तैयार की गई है।
माँ उसके पैर पर स्वयं पुलटिस बाँधने हेतु कपड़ा ढूँढ़ते समय रेशमी जंपर को मेज पर डालने का कारण पूछती है। चूँकि जंपर के नीचे अण्डे के छिलके छिपाकर रखे गये हैं, अतः माँ द्वारा जंपर को उठाने हेतु आगे बढ़ने पर गोपाल उसे मैला कपड़ा कहकर माँ को पुनः रोक देता है। कुल मिलाकर सभी लोग अण्डों की बात को माँजी से छिपाने हेतु अनेक बहाने बनाते हैं। इन बहानों के माध्यम से वे इसे छिपाने में सफल भी हो जाते हैं।
प्रश्न 33.
सरकार की धूम्रपान न करने की वैधानिक चेतावनी और बड़े-बुजुर्गों की धूम्रपान की मनाही के पीछे कौन से कारण हैं?
उत्तर :
सरकार की धूम्रपान न करने की वैधानिक चेतावनी और बड़े-बुजुर्गों की धूम्रपान की मनाही के पीछे निम्नलिखित कारण हैं -
प्रश्न 34.
यदि आप अपने घनिष्ठ मित्र को चोरी-छिपे सिगरेट पीते देखें, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
उत्तर :
यदि हम अपने घनिष्ठ मित्र को चोरी-छिपे सिगरेट पीते देखें तो हम उसे सर्वप्रथम धूम्रपान से होने वाली हानियों के बारे में विस्तार से समझायेंगे। हम उसे बतायेंगे कि धूम्रपान से न केवल स्वास्थ्य अपितु धन की भी बरबादी होती है। उसे यह समझाने का प्रयास करेंगे कि धूम्रपान करने से उसके साथ-साथ उसके परिवार वालों व आस-पास के लोगों को भी हानि उठानी पड़ती है। हम उसे उन लोगों का उदाहरण देकर समझायेंगे जिन्हें धूम्रपान के कारण जानलेवा बीमारियों का शिकार होना पड़ा है। हम उसे दृढ़ निश्चय एवं पक्के इरादे के सम्बन्ध में लोगों के अनुभव बताकर धूम्रपान न करने के दृढ़ निश्चय को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे। हम उपर्युक्त सभी बातें अत्यन्त प्रेम व आत्मीयता से समझाने का प्रयास करके उसकी इस बुरी आदत को छुड़ाने का भरसक प्रयास करेंगे।
लेरवक-परिचय :
जीवन-परिचय-हिन्दी नाटक-परम्परा के विशिष्ट नाटककार मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को अमृतसर में हुआ था। उनके पिता करमचंद अरोरा (गुगलानी) पेशे से वकील एवं अत्यन्त अनुशासनप्रिय संस्कारी व्यक्तित्व के धनी थे। राकेश जब केवल 16 वर्ष की अवस्था के थे तभी उनके पिता का देहान्त हो गया था। मोहन राकेश ने हिन्दी व संस्कृत में एम.ए. किया। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता व अध्यापन सहित कई नौकरियाँ की परन्तु किसी भी नौकरी में स्थाई रूप से नहीं रह पाए। उन्होंने प्रसिद्ध कहानी-पत्रिका 'सारिका' का भी सम्पादन किर नौकरी की तरह ही वैवाहिक क्षेत्र में भी उनकी अस्थिरता देखने को मिलती है। उन्होंने तीन विवाह किए। पहले दो विवाह स्थाई नहीं रहे और शीघ्र ही संबंध-विच्छेद हो गए। 3 दिसम्बर, 1972 को मोहन राकेश का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया।
मोहन राकेश 'नयी कहानी' आन्दोलन से जुड़े रचनाकार थे। कहानियों और उपन्यासों के अलावा राकेश ने नाटक भी लिखे जिनसे उनको विशिष्ट ख्याति प्राप्त हुई। मोहन राकेश ने कुल चार नाटक लिखे। उनका पहला नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' 1958 में प्रकाशित हुआ, जिस पर 1959 में उन्हें 'संगीत नाटक अकादमी' द्वारा पुरस्कृत किया गया। उनके अन्य नाटक 'लहरों के राजहंस', 'आधे अधूरे' और 'पैर तले की जमीन' हैं। 'पैर तले की जमीन' उनका अन्तिम नाटक है, जिसे वे पूरा नहीं कर सके। उन्हें सन् 1971 में नाट्यलेखन के लिए 'साहित्य अकादमी' द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने गद्य साहित्य की अनेक विधाओं में रचना करके अपनी बहुमुखी लेखकीय प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी प्रमुख कृतियाँ निम्नानुसार हैं -
नाटक-'आषाढ़ का एक दिन', 'लहरों के राजहंस', 'आधे अधूरे' और 'पैर तले की जमीन'। एकांकी संग्रह-'अण्डे के छिलके' 'अन्य एकांकी तथा बीज नाटक', 'रात बीतने तक'। कहानी संग्रह-'इन्सान के खण्डहर', 'नए बादल', 'जानवर और जानवर', 'एक और जिन्दगी'। उपन्यास-'अँधेरे बंद कमरे', 'न आने वाला कल'। यात्रावृत्त-'आखिरी चट्टान तक'। बालोपयोगी कथा संग्रह-'बिना हाड़ माँस के आदमी'।
मोहन राकेश के लेखन में मध्यवर्ग की विविध समस्याओं, स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों के बदलते स्वरूप एवं युगीन यथार्थ का प्रभावी चित्रण देखने को मिलता है। उनकी भाषा-शैली सहजता, चित्रात्मकता से युक्त होने के साथ-साथ भावानुकूल भी है। गद्य की उपर्युक्त सभी विधाओं में उनका लेखन विशिष्टता लिए हुए है।
मोहन राकेश द्वारा लिखित एकांकी 'अण्डे के छिलके' उस मध्यमवर्गीय मानसिकता पर केन्द्रित है जिसमें परिवार के सभी सदस्य माँजी से व एक-दूसरे से छिपकर अण्डे खाते हैं जबकि एक-दूसरे के सामने शाकाहारी होने का ढोंग करते हैं। परिवार के सभी सदस्य अपनी-अपनी रुचियों को एक-दूसरे से विशेषकर माँजी से छिपकर पूरा करते हैं। राधा 'चन्द्रकान्ता' जैसी जासूसी पुस्तक छिपकर पढ़ती है क्योंकि वह माँजी के सामने यह प्रदर्शित करती है कि वह केवल रामायण, महाभारत जैसी धार्मिक पुस्तकें ही पढ़ती है। सभी सदस्य अपने-अपने कमरे में छिपकर अण्डे खाने की पूरी व्यवस्था रखते हैं तथा एक-दूसरे से छिपाने के लिए अण्डे के छिलकों व बर्तनों आदि को भी छिपाना चाहते हैं।
एकांकी में अत्यन्त मनोविनोदपूर्ण स्थिति कई बार उत्पन्न होती है जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे से छिपाने के कारण कई मनगढन्त बहाने बनाते हैं। अण्डे का हलवा बनाते समय माँजी के आ जाने पर सभी सदस्य अत्यन्त जटिल स्थिति में फंस जाते हैं तथा अण्डे के हलवे को माँजी से छिपाने के लिए अनेक प्रकार के बहाने लगाकर स्वयं ही उसमें फँसते हुए नजर आते हैं। अन्त में माधव द्वारा यह रहस्य खोलने पर कि उनके द्वारा छिपकर किए जा रहे सभी कार्यों से वह और यहाँ तक कि माँजी भी परिचित हैं; एकांकी का पटाक्षेप हो जाता है। घर के सभी सदस्य इस बात को जानकर अवाक रह जाते हैं कि जिन माँजी से व माधव से वे सब कुछ छिपाते रहे, वे सब कुछ जानते हैं और जानकर भी अनजान बने हुए हैं। संक्षेप में एकांकी में परिवार के सदस्यों की मानसिक भावना व छिप-छिपकर रुचि पूरी करने की प्रवृत्ति सहज रूप से उजागर होती है। परिवार के सदस्यों की करनी व कथनी का मोड़ एकांकी में मुख्य रूप से उभरकर सामने आया है।
पाठका सारांश :
अण्डे खाने का रहस्य खुलना-एकांकी के प्रारम्भ में देवर-श्याम व भाभी-वीना के मध्य वार्तालाप शुरू होता है, उस समय, श्याम बरसात में भीगता हुआ घर में प्रवेश करता है। वीना श्याम को अण्डे लाने के लिए कहती है और अपने कमरे में ही स्टोव पर रोजाना छिपकर अण्डे का आमलेट बनाने की बात स्वीकार करती है, वहीं श्याम भी अपने कमरे में रोजाना चोरी-छिपे कच्चे अण्डे खाने का रहस्य खोलता है। इस प्रकार वीना व श्याम का परस्पर एक-दूसरे के सामने अण्डे खाने का रहस्य खुल जाता है।
चन्द्रकान्ता किताब का रहस्य खुलना-परिवार में रहस्यों की परत-दर-परत खुलती जाती है। वीना जब अपनी जेठानी राधा के कमरे में जाती है तो उसे छिप-छिपकर 'चन्द्रकान्ता' पुस्तक पढ़ते हुए देख लेती है। इससे यह बात प्रकट हो जाती है कि राधा चोरी-छिपे 'चन्द्रकान्ता संतति' तिलिस्मी उपन्यास पढ़ती है परन्तु प्रदर्शित यह करती है कि वह रामायण-महाभारत जैसी धार्मिक पुस्तकें पढ़ती है, जिनके पढ़ने की सलाह घर के बड़े लोग दिया करते हैं।
अण्डे के खुलासे में गोपाल व राधा का शामिल होना-धीरे-धीरे छिप-छिपकर अण्डे खाने के रहस्य में परिवार के अन्य सदस्य भी जुड़ने लगते हैं। श्याम द्वारा बाजार से अण्डे लेकर आने पर गोपाल व राधा के सामने भी एक दूसरे की पोल-पट्टी खुल जाती है और श्याम, वीना, गोपाल व राधा परस्पर एक दूसरे के सामने इस तथ्य को स्वीकार कर लेते हैं कि वे छिप-छिपकर अण्डे खाते हैं। इसी बीच गोपाल द्वारा छिपकर सिगरेट पीने का राज भी खुल जाता है। अण्डे के हलवे का बनना व माँ का प्रवेश- श्याम, गोपाल, वीना व राधा चारों के द्वारा एक-दूसरे के सामने अपनी-अपनी पोल-पट्टी खोल देने के बाद वीना द्वारा अण्डे का हलवा तैयार किया जाता है। इसी बीच माँजी का जमुना के कमरे में अचानक प्रवेश का समय होता है। सभी सदस्य अपने-अपने तरीके से बहाने बनाकर अण्डे के हलवे की बात को माँजी से छिपाना चाहते हैं।
माधव द्वारा एकांकी के रहस्य का पटाक्षेप-अन्त में माधव सभी के सामने यह प्रदर्शित कर सबको अवाक् कर देता है कि उनके द्वारा छिप-छिपकर किए जा रहे कार्यों का उसको और यहाँ तक किं माँजी को भी पता है। सभी सदस्य आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि जिस माँजी व माधव भाई साहब से वे अपनी बातें छिपाना चाहते थे, वे सब कुछ जानते हैं और फिर भी उन्होंने कभी यह प्रकट नहीं किया कि उन्हें सभी के द्वारा छिपकर किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी है। एकांकी इसी अप्रत्याशित रहस्योद्घाटन पर जाकर समाप्त होता है।
कठिन शब्दार्थ :