Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 19 घर में वापसी Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
घर एक परिवार है, परिवार में पाँच सदस्य हैं, किन्तु कवि पाँच सदस्य नहीं उन्हें पाँच जोड़ी आँखें मानता है। क्यों ?
उत्तर :
कवि का उद्देश्य गरीबी को विभाजनकारी के रूप में देखना है। गरीबी के कारण परिवार के स्नेहपूर्ण सम्बन्धों में भी दरार आ जाती है, एक दीवाररूपी बाधा खड़ी हो जाती है जो रिश्तों को प्रेमपूर्ण नहीं बने रहने देती। इसलिए कवि ने परिवार के पाँच सदस्यों को पाँच जोड़ी आँखें कहा है। इस प्रकार घर भी है, उसमें रहने वाले पाँच व्यक्तियों का परिवार भी है. परन्त आत्मीयता न होने के कारण उन्हें केवल पाँच जोडी आँखें कहा है, जो भाव-शन्य सी हो गई हैं। गरीबी ने उनके हृदय-स्थित संबंधों की गरमाहट को छीन लिया है।
प्रश्न 2.
पत्नी की आँखें, आँखें नहीं हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं, से कवि का क्या अभिप्राय है? .
उत्तर :
कवि ने पिता, माता और बेटी सभी की आँखों के लिए भावानुकूल प्रतीक दिये हैं। लेकिन पत्नी की आँखों को हाथों का प्रतीक जान-बूझकर दिया है। पत्नी वह प्राणी है जो गरीबी, अभाव तथा दु:ख-दर्द सभी परिस्थितियों में पति का साथ देती है। पति कितना भी समझदार हो परन्तु पत्नी के सहयोग के बिना अधूरा ही रह जाता है। मानव-जीवन में हाथों के बिना कोई कार्य सम्पन्न नहीं कर सकता। अतः पत्नी की आँखों को हाथ कहकर कवि ने उन्हें अपने जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
प्रश्न 3.
'वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं ........... क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं' से कवि का क्या आशय है ? अगर अमीर होते तो क्या स्वजन और करीब नहीं होते ?
उत्तर :
कवि ने पेशेवर गरीब कहकर अपनी गरीबी को चिर-स्थायी बता दिया है। इसलिये चाहे वे पारिवारिक रूप-से एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं, बहुत नजदीक भी हैं, खून के रिश्ते से एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हैं। लेकिन गरीबी के कारण एक-दूसरे की भावनाओं को पूरा नहीं कर पाते और संकोच के कारण कुछ कह भी नहीं पाते, गरीबी की दीवार ने एक परिवार के रिश्तों को बाँट दिया है।
अमीरी में भी संबंधों में दीवार बाधक तो हो सकती है फिर भी जीवन की सामान्य आवश्यकताओं को पूरा कर सकने की सामर्थ्य होती है। इसलिये परिवार के सदस्यों के व्यवहार में नीरसता और असहजता नहीं होती। परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे की भावनाओं का आदर कर सकते हैं, अतः अमीरी परिवारों को सुखी बना सकती है।
प्रश्न 4.
'रिश्ते हैं, लेकिन खुलते नहीं'- कवि के सामने ऐसी कौन-सी विवशता है, जिससे आपसी रिश्ते भी नहीं खुलते हैं ?
उत्तर :
गरीबी की विवशता के कारण परिवार के सभी सदस्य आपस में स्नेह रखते हए भी खलकर बात नहीं क माता-पिता और बेटी सभी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से कतराते हैं। डर है कि कहीं कोई कुछ माँग न कर बैठे क्योंकि गरीबी के कारण वह उनकी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पायेगा। इस प्रकार परिवार के सदस्यों में सम्बन्ध तो है, पर संकोच के कारण खुलकर बात नहीं कर पाते।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही तीर्थ-यात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं।
उत्तर :
काव्य-सौन्दर्य प्रतीक विधान के अनुसार माँ की आँखों को दो पंचर पहिये बताया गया है। लक्ष्य था तीर्थ-यात्रा के लिए पहुँचना। एक पवित्र कार्य पूरा करना। अतः पूरी पंक्ति का अर्थ हुआ कि धन का अभाव होने के कारण माता की इच्छाएँ अधूरी रह गईं। यदि धन होता तो माता अपनी और परिवार की अभिलाषाएँ पूरी कर पाती। भाषा एवं भाव की दृष्टि से ये पंक्ति गंभीर अर्थ प्रदान करती हैं। पूरे पद में चित्रात्मकता एवं सांगरूपक है। भाषा सरल-सहज है, बिंब-प्रधान और प्रतीक शैली का प्रयोग दृष्टव्य है।
(ख) पिता की आँखें लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं।
उत्तर :
काव्य-सौन्दर्य कवि ने पिता की आँखों को लोहे की भट्टी में पड़ी ठंडी सलाखें (छड़ें) बताया है। जब भट्टी सक्रिय होती है तो सलाखों को मनचाहा रूप दिया जा सकता है। पिता के मन की अनेक अभिलाषाओं को गरीबी ने अपूर्ण रहने को विवश कर दिया। ठंडी छड़ से कुछ भी बना पाना संभव नहीं होता। पिता चाहकर भी परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाते। अत: उनकी आँखों के लिए प्रयुक्त प्रतीक बहुत सटीक है।
भावशून्य आँखों का कारण गरीबी है और गरीबी-जन्य निराशा है। भाषा भावानुकूल सहज-सरल है। चित्रात्मक बिंब विधान और प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
योग्यता विस्तार -
प्रश्न 1.
घर में रहने वालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं फिर भी उन रिश्तों को न खोल पाना कैसी विवशता है ? अपनी राय लिखिए।
उत्तर :
घर में रहने वालों से ही घर बनता है लेकिन धन-हीनता से उन रिश्तों में शिथिलता आ जाती है। अतः परिवार है तो उसमें आवश्यकता के अनुरूप धन भी होना चाहिए, तभी पारिवारिक रिश्तों का सही ढंग से निर्वाह किया जा सकता है। अतः सबसे पहले गरीबी का उन्मूलन करना जरूरी है।
प्रश्न 2.
आप अपने पारिवारिक रिश्तों-संबंधों के बारे में एक निबंध लिखिए।
उत्तर :
हममें से हर व्यक्ति एक परिवार का सदस्य होता है। सामाजिक प्राणी होने के कारण मानव, बिना परिवार के नहीं रह सकता है। परिवार ही उसके व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है। अन्य पशु-पक्षी जन्म के कुछ समय पश्चात् ही आत्म-निर्भर बन जाते हैं, जबकि मानव-शिशु पूर्ण वयस्क होने के पश्चात् ही समाज में स्वतन्त्र जीवनयापन करने के योग्य हो पाता है। अतः मानव के लिए परिवार का होना परम आवश्यक है।
शारीरिक सुरक्षा एवं विकास के लिए परिवार परमावश्यक है। माता-पिता हर समय संतान के भोजन आदि की समुचित व्यवस्था करके उसकी देह को पुष्ट बनाने का प्रयास करते हैं। उसकी बाहरी आपदाओं से और प्राकृतिक प्रकोपों से रक्षा करते हैं। बीमारी और रोगों से उसे मुक्ति दिलाते हैं। इस प्रकार शारीरिक-विकास के लिए परिवार आवश्यक है। मानसिक-विकास माता-पिता, भाई-बहिन आदि रिश्तों से मानव के मस्तिष्क का विकास होता है, उसे अनेक प्रकार की जानकारियाँ घर में ही प्राप्त हो जाती हैं, अतः शिक्षा प्राप्त करके एक योग्य नागरिक बनाने में घर-परिवार का बड़ा महत्व है।
भावनात्मक विकास के लिए भी परिवार आवश्यक है। घर के सभी सदस्यों से हमारा पारिवारिक लगाव होता है। अतः हमारे हृदय में भावनाओं को विकसित करने के लिए भी पारिवारिक वातावरण आवश्यक है। कुल मिलाकर मानव के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए पारिवार की बहुत आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
'यह मेरा घर है' के आधार पर सिद्ध कीजिए कि आपका अपना घर है।
उत्तर :
हर व्यक्ति जन्म से ही एक घर में रहता है। उस घर में रहने वाले सदस्यों से उसके रिश्ते होते हैं। सब मिलकर उस घर की खुशहाली के लिए कार्य करते हैं, तभी घर को घर कहा जा सकता है। घर में रहने वाले सभी सदस्य भावनात्मक रूप-से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। अत: घर की समृद्धि में सभी सहायक होते हैं। परिवार के सभी सदस्यों में सक्रिय और सहज संबंध होने पर ही हर सदस्य को यह अनुभूति होती है कि 'यह मेरा घर है।'
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर -
प्रश्न 1.
'घर में वापसी' कविता में 'तीर्थयात्रा की बस के दो पंचर पहिए' बताया गया है -
(क) माँ की आँखों को
(ख) पिता की आँखों को
(ग) पुत्र की आँखों को
(घ) बेटी की आँखों को
उत्तर :
(क) माँ की आँखों को
प्रश्न 2.
'लोहसाँय की ठंडी शलाखें बताया गया है -
(क) माँ के पैरों को
(ख) पिता के हाथों को
(ग) पत्नी की आँखों को
(घ) पिता की आँखों को
उत्तर :
(घ) पिता की आँखों को
प्रश्न 3.
बेटी की आँखों को बताया गया है -
(क) दीपावली में दो दीपक
(ख) मंदिर में जलने के लिए घी के दिए
(ग) दो हीरों के समान
(घ) वात्सल्य के दो झरनों के समान
उत्तर :
(ख) मंदिर में जलने के लिए घी के दिए
प्रश्न 4.
'रिश्ते न खुलने' का आशय है -
(क) रिश्तों को सम्मान न देना
(ख) परस्पर संवाद न करना
(ग) रक्त संबंधी होने का अहसास न होना
(घ) घर को अपना घर' न समझना
उत्तर :
(घ) घर को अपना घर' न समझना
प्रश्न 5.
घर को अपना घर' समझने में मुख्य बाधा है -
(क) साहस की कमी
(ख) प्रेम का अभाव
(ग) गरीब होना
(घ) संवादहीनता
उत्तर :
(घ) संवादहीनता
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर -
प्रश्न 1.
'पाँच जोड़ी आँखें' से कवि का आशय क्या है?
उत्तर :
कवि का आशय है कि परिवार में सदस्यों की संख्या पाँच है।
प्रश्न 2.
माँ की आँखों की कवि ने किस से समानता की है?
उत्तर :
कवि ने माँ की आँखों को तीर्थयात्रा करने निकली बस के लक्ष्य से पूर्व ही पंक्चर हो गए पहिए को बताया है।
प्रश्न 3.
'लोहसाँय की ठंडी शलाखें' किसे बताया है?
उत्तर :
कवि पिता की सनी-सनी आँखों को लोहसाँय (लोहार की भटी) बताया है।
प्रश्न 4.
कवि ने बेटी की आँखों को मंदिर में जलते दो घी के दीपकों के समान क्यों बताया है?
उत्तर :
पुत्री की आँखों से छलकते पवित्रता और बालोचित उल्लास के कारण, उन्हें कवि ने मंदिर में दीपकों के समान बताया है।
प्रश्न 5.
पत्नी की आँखों को कवि ने दो हाथ बताया है। इसका आशय क्या है?
उत्तर :
हर परिस्थिति में पत्नी की आँखों से प्रेम, सेवा और सहयोग का भाव झलकता है। इसीलिए कवि ने उन्हें सहारा देने वाले दो हाथों के समान बताया है।
प्रश्न 6.
गरीबी ने परिवार के संबंधों पर क्या प्रभाव डाला है?
उत्तर :
गरीबी ने पारिवारिक संबंधों में सहजता और खुलापन नहीं रहने दिया है।
प्रश्न 7.
परिवारीजन किस ताले को खोल पाने में असमर्थ हैं?
उत्तर :
परिवारीजन संवादहीनता रूपी ताले को खोलने में अपने को असमर्थ पाते हैं।
प्रश्न 8.
कवि परिवार के सदस्यों से क्या अपेक्षा करता है?
उत्तर :
कवि अपेक्षा करता है कि हर सदस्य परिवार में अपनी स्थिति को स्वीकार करे। प्यार से स्वीकार करे कि वह उसका अपना घर है।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर -
प्रश्न 1.
'धूमिल' की 'घर में वापसी' कविता में यथार्थ बोध है। कविता से उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
घर में वापसी' कविता यथार्थ के धरातल पर टिकी है। इसमें एक ऐसे गरीब परिवार का वर्णन है जिसमें गरीबी ने रिश्तों को तोड़ दिया है। परिवार में पाँच सदस्य हैं किन्तु सभी एक-दूसरे से दूर-दूर रहते हैं। कोई किसी के सामने नहीं आना चाहता। आत्मीयता, स्नेह, अपनत्व का अभाव है। कविता में गरीबी के प्रभाव से पारिवारिक रिश्तों के बिखरने का यथार्थ चित्रण हुआ है।
प्रश्न 2.
घर में वापसी रचना में कवि द्वारा प्रयुक्त उपमानों के अनूठेपन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
कविता में कवि ने बिल्कुल नये उपमानों का प्रयोग किया है। परिवार में पाँच सदस्य हैं इसके लिए 'पाँच जोड़ी आँखें' उपमान चुना। माँ की आँखों की ज्योति चली गई है, बड़ा अजीब उपमान चुना 'बस के दो पंचर पहिए।' 'पंचर पहिए' बड़ा ही सटीक उपमान है। पिता की निस्तेज आँखों के लिए 'ठंडी शलाखें' उपमान का प्रयोग किया है। बेटी की आँखों के लिए 'दीवट पर जलते घी के दो दिए' प्रयोग किया। आँखों के लिए कवियों ने बहुत से नये उपमानों का प्रयोग किया है लेकिन आँखों को 'हाथ' मानकर प्रयोग करते नहीं देखा। कवि ने पत्नी की आँखों को 'हाथ' की उपमा दी है। इस प्रकार स्पष्ट है कि ये उपमान बिल्कुल नये हैं।
प्रश्न 3.
'घर में वापसी' कविता के भाव-सौन्दर्य पर विचार कीजिए।
उत्तर :
भाव-सौन्दर्य कविता में गरीब परिवार का चित्रण है जो गरीबी से जूझ रहा है। गरीबी ने परिवार के रिश्तों में अन्तर डाल दिया है। गरीबी सम्बन्धों के बीच में दीवार बनकर खड़ी हो गई है। आत्मीयता, स्नेह, सहयोग का भाव कम हो गया है। परिवार के सदस्य एक दूसरे से बच रहे हैं। प्रतीकों के माध्यम से कवि ने गरीब परिवार की दयनीय स्थिति का चित्रण किया है। अन्तिम पंक्तियों में वह ऐसे घर की आकांक्षा करता है जहाँ सभी में प्रेम का भाव हो, आत्मीयता हो, किसी प्रकार की दीवार बीच में न हो।
प्रश्न 4.
'घर में वापसी' कविता के शिल्प-सौन्दर्य का परिचय दीजिए।
उत्तर :
कविता की भाषा सरल है। आम प्रचलित शब्दों का प्रयोग किया है जैसे दीवट, गरीब, करीब, पेशेवर, हमसफर आदि। बिम्ब योजना सुन्दर है। नये उपमानों का प्रयोग किया है। 'जोखिम उठाना' मुहावरे का प्रयोग हुआ है। कल्पना शक्ति अच्छी है। 'निस्तेज आँखों के लिए' पंचर पहिए की कल्पना की है। पत्नी की आँखों के लिए 'हाथ' की कल्पना की है। कविता भाव और कला दोनों दृष्टियों से श्रेष्ठ है।
प्रश्न 5.
'घर में वापसी' कविता में कवि ने आँखों के लिए जो उपमान चने हैं उनमें से दो की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
माँ की ज्योतिहीन आँखों के लिए 'पंचर पहिए' को चुना। पंचर पहिया बस को गति नहीं दे सकता। माँ की आँखें भी देखने में असमर्थ हैं। जीवन के पड़ाव से.पूर्व ही अपनी शक्ति खो बैठी हैं। पिता की आँखें अपना तेज खो चुकी हैं। उनके लिए 'ठंडी शलाखों' को चुना है। इस उपमान से संकेत मिलता है कि पिता की आँखें अधूरे सपनों के निस्तेज हो गई हैं।
प्रश्न 6.
पत्नी की आँखों के लिए चुने गए उपमान की सार्थकता पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
पत्नी की आँखों के लिए 'हाथ' उपमान की कल्पना बहुत उपयुक्त है। हाथ सबको अपने साथ बाँधकर रखते हैं और सहयोग प्रदान करते हैं। गरीबी में भी पत्नी की आँखें पति का सम्बल हैं। परिवार को प्रेम-सूत्र में बाँधने का सफल प्रयास करती हैं। कविता में चार आँखों का वर्णन है और चारों के लिए चार नये उपमान चुने हैं जो सार्थक हैं
प्रश्न 7.
"धूमिल की 'घर में वापिसी' कविता का संदेश क्या है ?" अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
'धूमिल' 'घर में वापिसी' कविता के द्वारा समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि परिवारों में खुलापन और सहज संवाद बने रहने चाहिए क्योंकि आज के भौतिकवादी युग ने आदमी को आदमी से काट दिया है। इसलिए पारिवारिक रिश्तों में भी औपचारिकता आ गई है। जागरूक व्यक्तियों की इस चुप्पी को तोड़ना चाहिए। वे कहते हैं "हम थोड़ा जोखिम उठाते/दीवार पर हाथ रखते और कहते/यह मेरा घर है।" अतः वे यही संदेश दे रहे हैं कि यह मेरा घर है। इस भाव को लेकर ही हमारी घर में वापिसी हो सकती है।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर -
प्रश्न 1.
घर में वापसी कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
घर में वापसी' एक ऐसे परिवार की कहानी है जिसमें गरीबी ने परिवार के रिश्तों में जड़ता पैदा कर दी है। यह गरीबी से जूझने वाले परिवार की कथा है। मनुष्य संसार की इस व्यस्त जिन्दगी से राहत पाने के लिए और स्नेह, ममत्व, अपनत्व पाने के लिए एक घर बनाता है और उसमें परिवार के साथ रहता है। लेकिन गरीबी की दीवार से स्नेह और ममत्व के सारे सम्बन्ध टूट जाते हैं। उनमें केवल औपचारिकता रह जाती है आत्मीयता नहीं रहती। पारस्परिक संभाषण नाममात्र को रह जाता है। कोई किसी के दुख-सुख में भागीदार नहीं बनता। कवि ऐसे परिवार की कल्पना करता है जहाँ स्नेह हो। गरीबी दीवार न बने। गरीबी में भी मधुरता बनी रहे ऐसे परिवार की आकांक्षा करता है। तभी परिवार का वास्तविक सुख प्राप्त हो सकता है।
प्रश्न 2.
दीवार पर हाथ रखते और कहते
यह मेरा घर है।
कवि किसे अपना घर मानता है और उसमें क्या व्यवधान उपस्थित हो रहा है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ईंट-सीमेंट से बने हुए घर को घर नहीं मानता। वह ऐसे घर को अपना घर मानता है जहाँ पारिवारिक सदस्यों में आत्मीयता हो। प्रत्येक सदस्य में प्रेमभाव हो तथा एक-दूसरे का सहयोग करने की भावना हो। सभी आपस में एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार हों। किसी भी कारण से रिश्तों में खटास पैदा न हो।
कवि को आज ऐसे परिवारों का, घरों का अभाव दीख रहा है। आज घरों में रहने वाले पारिवारिक सदस्य नारंगी की तरह हैं जो ऊपर से एक हैं लेकिन अन्दर फाँकें हैं। आज घरों के टूटने के कारण गरीबी है। गरीबी ने आपसी रिश्तों के बीच दीवार खड़ी कर दी है। गरीबी के कारण अपनत्व समाप्त हो गया है। सहयोग और सहानुभूति का अभाव हो गया है। ऐसे घर को कवि अपना घर नहीं मानता।
प्रश्न 3.
घर में वापसी' कविता के भाव-सौन्दर्य की वृद्धि में कवि की कल्पना ने चार चाँद लगा दिये हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
'धूमिल' की कविता 'घर में वापसी' यथार्थाधारित कविता है। एक गरीब परिवार की स्थिति कैसी होती है, परिवार में आपसी सम्बन्ध किस प्रकार टूटते हैं, गरीबी का. मन और शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका यथार्थ वर्णन कविता की विशेषता है। गरीबी का वर्णन एवं उसका प्रभाव दिखाने के लिए कवि ने जो कल्पना की है वह अद्वितीय है। परिवार में पाँच सदस्य हैं, कवि ने 'पाँच जोड़ों की कल्पना की। कवि की कल्पना कोरी कल्पना नहीं है।
यथार्थ के उपमानों पर आधारित है। माँ की असमय आँखों की ज्योति चली गई है उसके लिए कल्पना की 'बस के पंचर पहिए की।' बिल्कुल नई कल्पना है। पिता की क्षीण ज्योति के लिए कैसी दूर की उड़ान भरी है 'लोहसाँय की ठंडी शलाखें।' अनुभूति और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। पत्नी की आँखों के लिए 'हाथ' की कल्पना बहुत ही आकर्षक है। दूर-दूर तक ऐसी कल्पना नहीं मिलती। इस शब्द का लाक्षणिक अर्थ बड़ा गहरा है।
अतः कह सकते हैं कि कविता के भावों को चमकाने के लिए एवं उन्हें बिम्बात्मक रूप में प्रस्तुत करने के लिए कवि ने जो कल्पनाएँ की हैं वे अत्यन्त नवीन एवं सटीक हैं।
कवि परिचय :
सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद के पास खेवली ग्राम में सन् 1936 में हुआ। हाईस्कूल पास करने के पश्चात् रोजी-रोटी की चिन्ता लग गई। 1958 में आपने वाराणसी से आई.टी.आई. की और विद्युत डिप्लोमा प्राप्त किया और वहीं विद्युत निदेशक के रूप में सेवारत हो गए। लेकिन असमय ही ब्रेन ट्यूमर के कारण 1975 में 38 वर्ष की अवस्था में संसार को छोड़कर चले गए।
धूमिल की कविताएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में बिखरी पड़ी हैं। कुछ ऐसी रचनाएँ भी हैं जो अभी तक प्रकाशित नहीं हुई हैं। उनके काव्य में गँवईपन और भदेसपन है, किन्तु व्यंग्य बड़ा तीखा है जो हृदय को छेद देता है। उनके काव्य में समकालीन राजनीतिक परिवेश में जीने वाले व्यक्ति का चित्र है। 1960 के मोहभंग को भी अभिव्यक्त किया है। आपने काव्य में जनता की भावनाओं को व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में सपाट बयानी और यथार्थ चित्रण मिलता है। उनकी काव्य भाषा में पुराने शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे और सुदामा पांडेय का प्रजातंत्र उनके काव्य संग्रह हैं। इन्हें मरणोपरान्त साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पाठ परिचय :
प्रेम, अपनत्व, ममता और सुरक्षा की दृष्टि से लोग घर बनाते हैं और परिवार के साथ रहते हैं। 'घर में वापसी' कविता में एक परिवार का वर्णन है। परिवार में पाँच सदस्य हैं जिनकी स्थिति अलग-अलग है। पेशेवर गरीबी ने रिश्तों के बीच दीवार खड़ी कर दी है। गरीबी ने इतना जर्जर कर दिया है कि हमारे बीच संवादहीनता बढ़ गई है। कवि ने ऐसे परिवार की कल्पना की है जहाँ परिवार के सभी सदस्य एक-दूसर के रिश्ते पर विचार करते और आपस में प्रेम से बोलते हों। परिवार के सभी सदस्य आपस में एक-दूसरे का हमसफर मानते हों। बीच की दीवार हटाकर एक घर बनाकर रहते हों।
काव्यांशों की सप्रसंग व्यारव्याएँ -
1. मेरे घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं
माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही
तीर्थ-यात्रा की बस के
दो पंचर पहिए हैं।
पिता की आँखें -
लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं
बेटी की आँखें मंदिर में दीवट पर
जलते घी के
दो दिये हैं।
पत्नी की आँखें, आँखें नहीं
हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं
वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं
बीच की दीवार के दोनों ओर
क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं।
शब्दार्थ :
संदर्भ - प्रस्तुत काव्यांश 'धूमिल' की कविता 'घर में वापसी' से उद्धृत है। यह कविता अंतरा भाग-1 के काव्य खण्ड में संकलित है।
प्रसंग - गरीबी के कारण परिवार के रिश्तों में संवाद हीनता का भावुकतापूर्ण वर्णन है।
व्याख्या - कवि कहता है कि परिवार में केवल पाँच जोड़ी आँखें हैं अर्थात् मेरे परिवार में केवल पाँच सदस्य हैं जिनमें खुलेपन और स्वाभाविक स्नेह संबंध का अभाव है। माँ की आँखें तीर्थ-यात्रा में जाने वाली बस के दो पहियों के समान हैं जो मंजिल पर पहुँचने से पूर्व ही पंचर हो गई हैं अर्थात् माँ की आँखों से दीखता नहीं है। माँ की आँखों में ममता तो है पर वह अर्थहीन है क्योंकि उनकी ज्योति चली गई है। पिता की आँखें तेजहीन हो गई हैं। वे ठण्डी लोहे की शलाखों के समान हैं जो लुहार की भट्टी के पास निरर्थक पड़ी हैं। गरीबी के कारण उन आँखों में आशा की किरण नहीं है। पुत्री की आँखों में मन्दिर जैसी पवित्रता है जो मन्दिर में दीवट पर रखे दो दीपकों के समान जल रहे हैं। उनमें भोलापन है, पवित्रता है, निश्चलता है पर वे भी गरीबी के कारण संवेदनहीन हो गई हैं।
कवि अपनी पत्नी की आँखों की प्रशंसा करते हुए कहता है कि उसकी आँखें केवल आँखें नहीं हैं बल्कि दो हाथ हैं। वह उसके जीवन का सम्बल हैं। उसने परिवार को बाँध रखा है। उसकी आँखों में अपार प्रेम है। उसने मुझे हर समय सहायता प्रदान की है। वैसे परिवार के सभी सदस्यों में लोकाचार की दृष्टि से एकता है, हम सभी एक परिवार के सदस्य हैं। पर गरीबी की दीवार ने हमें अलग-अलग कर दिया है। गरीबी ने हमारे पारिवारिक सम्बन्धों को बुझा दिया है। हम पेशेवर गरीब हैं इस कारण हम में औपचारिक संबंध रह गए हैं। सहज आत्मीयता की भावना नहीं रह गई है।
विशेष :
2. रिश्ते हैं, लेकिन खुलते नहीं हैं
और हम अपने खन में इतना भी लोहा
नहीं पाते,
कि हम उससे एक ताली बनवाते
और भाषा के भुन्ना-सी ताले को खोलते,
रिश्तों को सोचते हुए
आपस में प्यार से बोलते,
कहते कि ये पिता हैं,
यह प्यारी माँ है, यह मेरी बेटी है
पत्नी को थोड़ा अलग
करते-तू मेरी हमसफर है
हम थोड़ा जोखिम उठाते
दीवार पर हाथ रखते और कहते
यह मेरा घर है।
शब्दार्थ :
संदर्भ - प्रस्तुत काव्यांश अंतरा भाग-1 के काव्य-खण्ड में संकलित 'धूमिल' की कविता 'घर में वापसी' से उद्धृत है।
प्रसंग - गरीबी के कारण पारिवारिक रिश्तों में आई जड़ता को तोड़कर पुन: सहज सम्बन्ध स्थापित करने की कामना निहित है।
व्याख्या - कवि कहता है कि मेरे परिवार में सभी साथ रहते हैं। परन्तु अपने हृदय के भावों को, विचारों को खुलकर एक-दूसरे के सामने अभिव्यक्त नहीं कर पाते। हमारे रिश्तों में खुलापन नहीं है। हमारे परिवार के सदस्यों के रक्त में इतना भी आत्मबल नहीं है कि हम उस लोहे से एक ताली बनवाकर संबन्धों पर जड़े भाषा के जंग लगे ताले को खोल सकते, अर्थात् हमारे पारिवारिक संबन्धों में जो जड़ता आ गई है उसे पारस्परिक संभाषण से तोड़ सकें।
गरीबी ने हमें इतना तोड़ दिया है कि हम परिवार के आत्मीय सम्बन्धों को जीवित नहीं रख पा रहे हैं, सम्बन्धों को निभा नहीं पा रहे हैं। हम आपस में अपने दुख-दर्द को बाँट पाते। कितना अच्छा होता हम अपने रिश्तों पर विचार करते और स्नेह तथा आदर से कहते यह मेरे पिता हैं और यह मेरी माता हैं। हम दोनों का आदर करते और उन्हें सम्मान देते। अपनी पुत्री को अपनत्व दे पाते। कवि कहता है कि रिश्तों में जो बिखराव आ गया है वह समाप्त हो जाय।
इन पारिवारिक सम्बन्धों में पत्नी का स्थान कुछ अलग है। उसकी स्थिति विशेष प्रकार की है। कवि कहता है कि मैं उससे कह पाता वह उसकी हमसफर है, जीवनसंगिनी है। काश ! हममें वह आत्मबल होता कि हम अपने परिवार के खोए हुए संबन्धों को फिर से जीवित कर सकते, सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाते। अपने घर की दीवार पर हाथ रखकर प्रेम से यह कहते, यह मेरा घर है। तभी यह घर वास्तव में मेरा घर हो पाता। तभी घर में सबकी वापसी होगी।
विशेष :