RBSE Solutions for Class 11 English Woven Words Essays Chapter 4 Tribal Verse

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 English Woven Words Essays Chapter 4 Tribal Verse Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 English Solutions Woven Words Essays Chapter 4 Tribal Verse

RBSE Class 11 English Tribal Verse Textbook Questions and Answers

Understanding the Text :

Question 1. 
Identify the common characteristics shared by the tribal communities all over the world.
विश्व भर में स्थित जनजातीय लोगों में एक जैसे गुणों की पहचान करें।
Answer: 
There are many different tribal communities found all over the world. Due to different types of living conditions and other local influences, it is natural that they are diametrically opposite to each other. However, there are many things that are common in almost all the tribal communities. All the tribal communities live in well-knit societies.

They live in the world of their own which is isolated and different from the world around them. They live close to nature and for them their God is nature. Most of the tribal communities still are free from the vices of the world. They are free from greed, they do not believe in accumulating money. They believe more in intuition than reason. For them space around them is sacred. They do not believe in secularism.

दुनिया भर में अनेक जनजातीय समुदाय पाए जाते हैं। जीवित रहने की विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों और स्थानीय प्रभावों के कारण यह बात स्वाभाविक है कि ये सब एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। लेकिन फिर भी कई चीजें ऐसी हैं जो लगभग सभी जनजातीय समुदायों में एक जैसी हैं । सभी जनजातीय समुदाय आपस में गुंथे हुए समाजों में रहते हैं। ये अपने ही संसार में रहते हैं जो कि उनके आस-पास के संसार से कटा हुआ और भिन्न है।

वे प्रकृति के निकट रहते हैं और उनके लिए प्रकृति ही उनका ईश्वर है। अधिकतर जनजातीय समुदाय अभी भी संसार की बुराइयों से अछूते हैं। वे लालच से अछूते हैं, वे पैसा इकट्ठा करने में विश्वास नहीं करते। वे तर्क के स्थान पर मनोभाव में अधिक विश्वास करते हैं। उनके लिए उनका आस-पास का स्थान पवित्र होता है। वे धर्मनिरपेक्षता में विश्वास नहीं करते।

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Question 2. 
What distinguishes the tribal imagination from the secular imagination? 
क्या चीज जनजातीय कल्पना को धर्मनिपरेक्ष कल्पना से भिन्न करती है?
Answer: 
The tribal imagination is still dreamlike and hallucinatory. It admits fusion of various plains of existence and levels of time in a natural way. In tribal stories, oceans fly in the sky like birds, mountains swim in water like fish, animals speak like humans and stars grow like plants. The stars, seas, mountains, animals, etc. can have emotions like human beings. However, secular imagination is based on logic. In it the creator is not God, but human being. In this imagination, tribal imagination has no place.

जनजातीय कल्पना अभी भी स्वप्नमयी और दृष्टिभ्रम वाली है। यहाँ अस्तित्व की विभिन्न परतों का और समय के विभिन्न स्तरों का एक प्राकृतिक ढंग से समायोजन हो जाता है। जनजातीय कहानियों में महासागर पक्षियों की तरह हवा में उड़ते हैं, पर्वत पानी में मछलियों की भाँति तैरते हैं, जानवर मनुष्यों की तरह बातें करते हैं और सितारे पौधों की तरह बढ़ते हैं। सितारों, सागरों, पर्वतों, जानवरों में मानवों की भाँति भाव हो सकते हैं। लेकिन धर्मनिरपेक्ष कल्पना तर्क पर आधारित होती है। इस कल्पना में जनजातीय कल्पना का कोई स्थान नहीं होता।

Question 3. 
How does G.N. Devy bring out the importance of the oral literary tradition?
जी.एन. डेवी किस प्रकार से मौखिक साहित्यिक परम्परा के महत्त्व को बताता है?
Answer: 
Most of the tribal literature is in the oral form. Therefore, many literary critics do not consider their literature as literary work. A tribal epic can begin its narration based on the everyday trivial incident. In a tribal epic an episode from the Mahabharat may make appearance in the epic of the Ramayana. However, the tribals follow strict principles in their literature. To a casual spectator it might look absurd, but each story in their literature belongs to the story from the previous occasion. 

अधिकांश जनजातीय साहित्य मौखिक ही है। इसलिए बहुत से साहित्यिक आलोचक इनके साहित्य को कोई साहित्यिक काम नहीं मानते। एक जनजातीय महाकाव्य किसी भी प्रतिदिन होने वाली घटना पर आधारित हो सकता है। किसी जनजातीय महाकाव्य में रामायण के महाकाव्य में अचानक महाभारत का कोई प्रकरण आ सकता है। लेकिन जनजातीय लोग अपने साहित्य में कड़े नियमों का पालन करते हैं। किसी साधारण देखने वाले को यह बात शायद फूहड़ लगे, परन्तु उनके साहित्य की प्रत्येक कहानी पहले के अवसर पर ली गई कहानी से सम्बन्धित है।

Question 4. 
List the distinctive features of the tribal arts. 
जनजातीय कलाओं के विशिष्ट गुणों को बताएं।
Answer: 
Playfulness is the soul of tribal arts. Their oral and pictorial art creations are intimately related to rituals. The tribal arts hardly even assume a serious love. Listening to the tribal epics can be a great fun since the heroes can be mocked by the artist. The reason for that is tribal arts are not for the purpose of any commercial gain. ‘Art for the art's sake' is the soul behind each tribal art. Tribal arts are always relaxed. They are never tense. They are dynamic. They are tradition-bound, however experimentation is allowed in them.

विनोदप्रियता जनजातीय कलाओं की आत्मा होती है। उनके मौखिक और चित्रमय कला रचनाएँ परम्पराओं से नजदीकी रूप में जुड़े होते हैं। जनजातीय कलाएँ मुश्किल से ही गम्भीर सुर लेती हैं। जनजातीय महाकाव्यों को सुनना एक बहुत बड़े आनन्द का विषय हो सकता है क्योंकि कलाकार नायक का उपहार भी बना सकता है। इसका कारण यह होता है कि जनजातीय कलाएँ किसी प्रकार पैसे के लिए नहीं होतीं। 'कला केवल कला के लिए' प्रत्येक जनजातीय कला की आत्मा होती है। जनजातीय कलाएँ सदा तनावहीन होती हैं। ये कभी तनावयुक्त नहीं होतीं। ये जीवन्त होती हैं। ये परम्परा से बंधी होती हैं, लेकिन इनमें प्रयोग करने की अनुमति नहीं होती है।

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Question 5. 
'New literature' is a misnomer for the wealth of the Indian literary tradition. How does GN. Devy explain this? 
भारतीय साहित्यिक खजाने के लिए 'नया साहित्य' एक असंगत नाम है। जी.एन. डेवी इसका वर्णन कैसे करता है? 
Answer: 
Many western literary critics consider Indian literature as a 'New literature'. However, their assumption is not true at all. The Indian literature in general and the tribal literature in particular is not new. It has been in existence for many centuries. However, it is true that most of this literature is in the oral form. Most of the literary critics do not consider it even literature.

For them only written form of literature is true literature. However, G.N. Devy says that there is nothing new in this sort of literature. He asserts that the only thing that might be new is the attempt to see the tribal language not as folklore but as literature and to hear tribal speech not as a dialect but as a language.

बहुत से पश्चिमी साहित्यिक आलोचक भारतीय साहित्य को 'नया साहित्य' मानते हैं। लेकिन उनका ऐसा मानना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। भारतीय साहित्य आमतौर पर और जनजातीय साहित्य विशेष रूप से नया नहीं है। यह कई शताब्दियों से अस्तित्व में है। लेकिन यह बात सच है कि ऐसा बहुत-सा साहित्य मौखिक रूप में है।

कई साहित्यिक आलोचक तो इसे साहित्य भी नहीं मानते। उनके लिए केवल लिखित साहित्य ही साहित्य होता है। लेकिन जी.एन. डेवी कहता है कि इस प्रकार के साहित्य में कुछ भी नया नहीं है। नई बात केवल इतनी है कि जनजातीय भाषा को जनकथा नहीं अपितु साहित्य मानना और जनजातीय वाणी को बोली नहीं, अपितु भाषा मानना।

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RBSE Class 11 English Tribal Verse Important Questions and Answers

Short Questions Answers :

Question 1.
Why have the large number of tribal verses lost now? 
बहुत से आदिवासी गीत अब लुप्त क्यों हो गए हैं?
Answer: 
Most of the tribal verses are in oral form. They have been orally transmitted from generation to generation and have survived for several ages. However, now a large number of these verses are lost now. It is due to their orality. The forces of urbanisation print culture and commerce have marginalised these communities and also their languages and literary cultures.

अधिकांश आदिवासी गीत मौखिक रूप में ही हैं। ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से पहुँचाई जाती रही हैं और कई युगों से अस्तित्व में रही हैं। परन्तु अब कई गीत लुप्त हो गए हैं। ये उनकी मौखिकता के कारण है। शहरीकरण की शक्तियाँ, छपाई संस्कृति और व्यापार ने इन समुदायों को हाशिए पर धकेल दिया है और साथ ही साथ इनकी भाषाओं और साहित्यिक संस्कृतियों को भी।

Question 2. 
What songs does the author describe of the Munda tribals, Kondh tribals and the Adi tribals?
लेखक मुण्डा जनजाति, कौंध जनजाति और आदि जनजाति के किन गीतों का वर्णन करता है?
Answer:
The author describes different songs of Munda tribals, Kondh tribals and the Adi tribals. The author in the chapter mentions the song sung by the Munda tribals on the occasion of childbirth. He describes the song of Kondh tribals sung on the occasion of death. He also mentions the song by Adi tribals, which is not in their language of conversation. It is in the ritualistic religious language of the Adi tribe.

लेखक मुण्डा जनजाति, कौंध जनजाति और आदि जनजाति के विभिन्न गीतों का वर्णन करता है। इस पाठ में लेखक मुण्डा जनजाति द्वारा बच्चे के जन्म पर गाए जाने वाले गीत का वर्णन करता है। वह मृत्यु के अवसर पर कौंध जनजाति द्वारा गाए जाने वाले गीत का वर्णन करता है। वह आदि जनजाति द्वारा गाए जाने वाले गीत का वर्णन भी करता है जो उनकी आम बातचीत की भाषा में नहीं होती। यह आदि जनजाति द्वारा परम्परागत धार्मिक भाषा में होती है।

Question 3. 
How are most tribal communities in India are culturally similar to tribal communities elsewhere in the world?
भारत के अधिकतर जनजातीय समुदाय विश्व के अन्य जनजातीय समूहों से कैसे एक जैसे हैं?
Answer:
Most of the tribal communities in India are culturally similar to tribal communities elsewhere in the world. Almost all the tribal communities around the world are strongly unified. They don't have any interest in accumulating wealth. They accept a world-view in which nature, human beings and God are intimately linked. They believe in the human ability to speak and interpret truth. In fact we can say that even in this modern age all the tribal communities are free from all sort of vices.

भारत में रहने वाली अधिकांश जनजातियाँ विश्व में रहने वाली जनजातियों के समान हैं। विश्व में रहने वाली लगभग सभी जनजातियाँ बहुत मजबूती से संगठित होती हैं। उनकी धन इकट्ठा करने में कोई रुचि नहीं होती। वे एक ऐसा विश्वव्यापी दृष्टिकोण अपनाते हैं जिसमें मानव और ईश्वर घनिष्ठता से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वे मानव की सच बोलने और इसे समझने की क्षमता में विश्वास करते हैं। वास्तव में हम कह सकते हैं कि इस आधुनिक युग में सभी जनजातीय समुदाय प्रत्येक प्रकार की बुराइयों से परे हैं।

Question 4. 
What is the difference between modern society and tribal imagination? 
आधुनिक समाज और जनजातीय कल्पना में क्या अन्तर है?
Answer:
Modern society accepts a secular mode of creativity in it imaginative transactions assume a self-conscious form. The tribal imagination, on the other hand, is still, to a large extent, dreamlike and hallucinatory. It admits fusion between various planes of existence and levels of time in a natural way. In tribal stories, oceans fly in the sky as birds, mountains swim in the water as fish, animals speak as humans and stars grow like plants. But in modern society all these things appear ridiculous. People living in modern society believe on logic only.

आधुनिक समाज इसमें रचनात्मकता का धर्मनिरपेक्ष ढंग अपनाता है। इसमें काल्पनिक आदान-प्रदान आत्मजागरूकता का स्थान ले लेता है। दूसरी तरफ जनजातीय कल्पना अभी भी काफी हद तक स्वप्नभरी और दृष्टिभ्रम वाली है। यह अस्तित्व और समय के विभिन्न स्तरों के समायोजन को स्वीकार करता है। जनजातीय कहानियों में महासागर आकाश में पक्षियों की भाँति उड़ते हैं, पर्वत पानी में मछली की भाँति तैरते हैं, जानवर मनुष्य की तरह बोलते हैं और सितारे पौधों की तरह बढ़ते हैं। परन्तु आधुनिक समाज में ये सब बातें बेकार की लगती हैं। आधुनिक समाज में रहने वाले तर्क पर ही विश्वास करते हैं।

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Question 5. 
How can your say that the tribal mind has a more acute sense of time than sense of space? 
आप कैसे कह सकते हैं कि जनजातीय मन में समय के बारे में स्थान की अपेक्षा अधिक गम्भीर समझ होती है?
Answer:
The tribal mind has a more acute sense of time than sense of space. Somewhere along the history of human civilization, tribal communities seem to have realised that domination over territorial space was not their lot. Thus, they seem to have turned almost obsessively to gaining domination over time. This urge to gain domination over time can be seen in their ritual of conversing with their dead ancestors. They want to enter a trance in which they can converse with the dead. 

जनजातीय मन में समय के बारे में स्थान की अपेक्षा अधिक गम्भीर समझ होती है। मानवीय सभ्यता के इतिहास में जनजातीय समुदायों को यह बात समझ आ गई लगती है कि क्षेत्रीय स्थान पर वर्चस्व उनके भाग्य में नहीं था। इसलिए उन पर समय पर वर्चस्व हासिल करने का जुनून हो गया। समय पर वर्चस्व करने की इच्छा उनके मन में अपने मृत पूर्वजों से बातचीत करने के उनके अनुष्ठान से प्रमाणित होती है। वे एक ऐसी आत्म-विस्मृति में प्रवेश करना चाहते हैं जहाँ वे मृत लोगों से बातचीत कर सकें।

Question 6. 
Why are a vast number of Indian languages are not considered 'literature'? What is the result of their neglect?
असंख्य भारतीय भाषाओं को 'साहित्य' निर्धारित नहीं किया जाता है? उनकी उपेक्षा का क्या परिणाम है?
Answer:
A vast number of Indian languages have yet remained only spoken, with the result that literary compositions in these languages are not considered ‘literature’. They are a feast for the folklorist, anthropologist and linguist but, to a literary critic, they generally mean nothing. Negligence towards them has many adverse effect on them. Many songs and stories are now lost for even. This is a matter of shame of us.

बहुत बड़ी गिनती में भारतीय भाषाएँ अभी भी मात्र मौखिक ही हैं। इसका परिणाम यह है कि इन भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं को 'साहित्य' नहीं माना जाता। ये किसी परम्परागत लोक कथाकार, मानवविज्ञानी और भाषाविज्ञानी के लिए एक दावत की भाँति हैं, परन्तु किसी साहित्यिक आलोचक के लिए ये आमतौर पर कुछ नहीं होतीं। इनके प्रति लापरवाही ने इन पर बहुत दुष्प्रभाव डाला है। बहुत से गीत और कहानियाँ अब सदा के लिए लुप्त हो गए हैं। यह हमारे लिए शर्म की बात है।

Question 7. 
How can you say that it is wrong to say that tribal arts do not employ any ordering principles?
आप यह कैसे कह सकते हैं कि जनजातीय कलाएँ किसी व्यवस्था के नियम को प्रयोग में नहीं लाती?
Answer:
It is wrong to say that the tribal arts do not employ any ordering principles. On the contrary, the ordering principles are very strict. The most important among these is convention. Though the casual spectator may not notice, every tribal performance and creation has, at its back, another such performance or creation belonging to a previous occasion. The creativity of the tribal artist lies in adhering to the past while, at the same time, slightly subverting it.

यह कहना गलत होगा कि जनजातीय कला किसी व्यवस्था के नियम को प्रयोग में नहीं लाती। इसके विपरीत व्यवस्था के नियम बहुत कड़े होते हैं। इनमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होती है परम्परा । यद्यपि सरसरी तौर पर देखने वाले दर्शक इसे न देख पाएं, हर जनजातीय प्रदर्शन और निर्माण के पीछे इसके पहले ऐसा ही प्रदर्शन और निर्माण है। किसी जनजातीय कलाकार की रचनात्मकता इसके पूर्व की रचना के आधार पर होती है और इसके साथ ही, थोड़ी हट कर (या विध्वंसकारी) होती है।

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Long Questions Answers :

Question 1. 
How does GN. Devy discuss the need to create a space for the study of tribal literature?
जी.एन. डेवी जनजातियों के साहित्य के अध्ययन के लिए एक स्थान बनाने की किस प्रकार चर्चा करता
Answer:
GN. Devy argues that there is a great need of new system to identify and read tribal literature. We cannot decline orality casually. In oral language we follow two songs of tribal literature. One sung on the occasion of childbirth by the Munda tribals and the other on the occasion of death by the Kondh tribals. There is third verse in the form of religious language which is chanted on rituals by the Adi tribe. It is different from their conversation. However, it is equally true that though possessing their very specific languages most tribal societies such as Munda, Kondh, Adi and Bondo are bilingual.

जी.एन. डेवी इस बात पर तर्क करता है कि जनजातीय साहित्य को पहचानने और पढ़ने के लिए नई पद्धति की बड़ी आवश्यकता है। हम आकस्मिक रूप से मौखिकता को भी अस्वीकार नहीं कर सकते । मौखिक भाषा में हम जनजातीय साहित्य के दो गीतों का अनुसरण करते हैं।

एक गीत को मुन्डा जनजाति द्वारा बच्चे के जन्म के अवसर पर गाया जाता है और दूसरा गीत कौंध जनजाति के द्वारा मौत के अवसर पर गाया जाता है। तीसरा गीत धार्मिक भाषा में है जिसे आदि जनजाति द्वारा कर्मकाण्डों के अवसर पर बार-बार जपा जाता है। यह उनकी बातचीत की भाषा से बिल्कुल भिन्न है। हालाँकि यह भी बराबर सत्य है कि ये जनजातियाँ अपनी विशिष्ट भाषाएँ बोलते हैं अधिकांश जनजातीय समाज जैसे कि मुन्डा, कौंध, आदि और बोन्डो द्विभाषीय हैं।

Question 2. 
How can we recognise painted words according to GN. Devi? 
जी.एन. डेवी के अनुसार हम चित्रित शब्दों को कैसे पहचान सकते हैं?
Answer:
According to the views of G.N. Devy most of the tribal communities in India are culturally similar to other tribal communities elsewhere in the world. They live unitedly in groups. They are not fond of hoarding money. They show their interest in working hard. They regard nature, human beings and God in the same category. Their living is based on intuition. Their sense of time is personal rather than objective. Therefore, we can recognise painted words in the form of tribal imagination.

जी.एन. डेवी के दृष्टिकोण से अधिकांश जनजातियाँ जो भारत में कहीं भी हैं वे अन्य जनजातियों से सांस्कृतिक रूप से एक-सी हैं । वे समूहों में मिलकर रहते हैं। उन्हें धन का संचय करने का कोई शौक नहीं है। उनकी रुचि परिश्रम से कार्य करने की होती है। वे प्रकृति, मानव और ईश्वर को एक ही श्रेणी में मानते हैं। उनका रहन-सहन सहज-बोध पर आधारित होता है। समय की उनकी भावना उद्देश्य के बजाय व्यक्तिगत है। अतः हम चित्रित शब्दों को जनजातीय कल्पना के रूप में पहचान सकते हैं।

Question 3. 
Why is tribal imaginatin takes place of self-conscious form? 
जनजातीय कल्पना आत्मजागरूकता का स्थान क्यों ले लेती है?
Answer;
If a society adopts a secular mode of creativity within which the creator replaces God. This imaginative attitude assumes a form of self-consciousness. On the other hand, tribal imagination is dreamlike and hallucinatory. In tribal stories oceans fly in the sky as birds, mountains swim in the water as fish, animals speak as humans and stars grow like plants. They do not restrict the narrative. It does not mean that tribal creations have no conventions but they admit the principle of association of emotion and narrative. 

यदि कोई समाज रचनात्मकता का धर्म निरपेक्ष ढंग अपना लेता है जिसमें बनाने वाला ईश्वर का स्थान ले लेता है। यह काल्पनिक दृष्टिकोण आत्मजागरूकता का स्थान ले लेता है। दूसरी तरफ जनजातीय कल्पना स्वप्नमयी और दृष्टिभ्रम वाली है। जनजातीय कथाओं में महासागर आकाश में पक्षियों की भाँति उड़ते हैं, पर्वत पानी में मछली की भाँति तैरते हैं, जानवर मनुष्यों की भाँति बोलते हैं और सितारे पौधों की भाँति बढ़ते हैं। ये सब क्रम कथा को बाधित नहीं करता है। इसका अर्थ यह भी नहीं कि जनजातीय रचनाएँ किन्हीं परम्पराओं में बँधी नहीं होतीं बल्कि वे कथाओं के वृत्तांत और मनोभावों के संगत के नियम को स्वीकार करती हैं।

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Question 4. 
How did the tribal communities realise that domination over territorial space was not their lot?
जनजातीय समुदायों ने यह कैसे महसूस किया कि क्षेत्रीय स्थान पर वर्चस्व उनके भाग्य में नहीं था?
Answer:
In human history of civilization, the tribal communities have realized that they were not lucky to dominate space so they turned towards time and wanted to dominate it. This urge is seen in their wish to converse with their ancestors. In many parts of India tribals worship terracotta or carved-wood objects as the representation of their ancestors. They aspire to enter a trance in which they can converse with their dead ancestors. Over the centuries their sharp memory has helped them classify material and natural objects into a highly system of knowledge.

सभ्यता के मानव इतिहास में जनजातीय समुदायों ने यह महसूस किया है कि क्षेत्रीय स्थान पर वर्चस्व उनके भाग्य में नहीं था इसलिए वे समय की ओर मुड़ गये और उन्होंने इस पर वर्चस्व करना चाहा। यह तीव्र आवश्यकता उनकी पूर्वजों से बात करने की इच्छा से प्रतीत होती है। भारत के अधिकांश भागों में जनजातियाँ लाल मिट्टी या लकड़ी से बनी चीजों की पूजा करती हैं जो कि उनके पूर्वजों के प्रतिरूप हैं। उनकी यह इच्छा रहती है कि वे एक आत्म-विस्मृति में प्रवेश करें जहाँ वे अपने मृत पूर्वजों से बातचीत कर सकें। शताब्दियों से उनकी तेज याददाश्त ने उन्हें भौतिक और प्राकृतिक चीजों में ज्ञान की जटिल व्यवस्था में भेद करना सिखाया

Question 5. 
Why are Indian spoken languages not considered ‘Literature'? 
भारत की बोली जाने वाली भाषाओं को 'साहित्य' क्यों नहीं समझा जाता है?
Answer:
The spoken languages and literary compositions are not considered ‘Literature’ because the folklorist, anthropologist and linguist regard them as their feast but, to a literary critic, they generally mean nothing. Similarly, several nomadic Indian communities are broken up and spread over long distances but survive as communities because they are bound by their oral epics.

In these works the wealth is so enormous that one discovers their neglect with a sense of pure shame. The author can not listen to the stories and songs now which he used to listen from street singers and nomads. The author has continued to collect these stories and songs. 

बोली जाने वाली भाषाएँ और साहित्यिक रचनाओं को 'साहित्य' नहीं समझा जाता है क्योंकि ये परम्परागत लोक कथाकार, मानवविज्ञानी और भाषाविज्ञानी के लिए एक दावत की भाँति हैं, परन्तु किसी साहित्यिक आलोचक के लिए ये आमतौर पर कुछ भी नहीं हैं। इसी प्रकार से कई घुमंतू भारतीय समुदाय खण्डित हैं और लम्बी दूर तक फैले हुए हैं परन्तु समुदायों में जीवित हैं क्योंकि ये मौखिक महाकाव्यों के द्वारा आपस में बँधे हुए हैं। इन कामों में दौलत इतनी अधिक होती है कि कोई व्यक्ति इनके प्रति लापरवाही को शुद्ध शर्म से महसूस करता है । लेखक जिन कहानियों और गीतों को घुमंतू और सड़क पर गाने वालों से सुना करता था अब वह नहीं सुन सकता है। लेखक इन कहानियों और गीतों का संकलन करता रहा है।

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Question 6. 
Write a note on the Munda Tribe. 
मुण्डा जनजाति पर एक टिप्पणी लिखिए।
Answer:
The Munda tribals live in parts of Jharkhand, West Bengal, Assam, Tripura, Madhya Pradesh and Orissa. They are known as Horohon or Mura. It means headman of a village. They are known as the first of the adivasis to resist colonialism and they revolted repeatedly over agrarian issues. Many ceremonies and rituals of the Munda tribe are associated with birth, death and marriage. They have harmony with nature. They think that their lives are synchronise with the changing rhythms of nature, the rising and setting of the sun and so on, not by clock time. 

मुण्डा कबीले झारखण्ड पश्चिमी बंगाल, असम, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के भागों में रहते हैं। इन्हें होरोहोन या मुरा भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है गाँव का मुखिया। वे आदिवासियों में से प्रथम थे जिन्होंने उपनिवेशवाद का विरोध किया था और उन्होंने बार-बार कृषि सम्बन्धी मामलों पर विद्रोह किया। मुण्डा जनजाति के बहुत से समारोह और परम्पराएँ जन्म, मृत्यु और विवाह से जुड़े हैं। उनका प्रकृति से मेल-मिलाप है। वे सोचते हैं कि उनका जीवन प्रकृति की बदलती हुई ताल, सूरज के उदय होने और अस्त होने आदि के साथ समकालिक है घड़ी के समय से नहीं।

Seen Passages 

Read the following passages carefully and answer the questions given below : 

निम्न अनुच्छेदों को सावधानीपूर्वक पढ़िए तथा उनके नीचे दिए हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

Passage : 1.

This section is a small attempt to familiarise students with some aspects of the enormous wealth of oral tribal literature. It begins with an extract from an essay by GN. Devy in which he discusses the need to create a space for the study of tribal literature within the framework of canonized written texts. What he argues for is the need for a new method to identify and read literature in which orality is not dismissed as casual utterances in different dialects.

This is followed by two songs - one sung on the occasion of childbirth by the Munda tribals and the other on the occasion of death by the Kondh tribals. The third verse is a chanting in the ritualistic religious language of the Adi tribe, not the same as their language of conversation. 

Questions 1. How can students be attempted to familiarise with some aspects?
विद्यार्थियों को जानकारी देने के लिए कुछ पहलुओं से परिचित करने का प्रयास कैसे किया जा सकता

2. How does the oral tribal literature begin?
मौखिक जनजातीय साहित्य कैसे आरम्भ होता है? 

3. What does GN. Devy argue for? 
जी.एन. डेवि किसके लिए बहस करता है? 

4. Which type of songs is the tribal literature followed?
जनजातीय साहित्य किस प्रकार के गीतों का अनुसरण करता है? 

5. To which tribe does the third verse belong?
तीसरा छंद किस जनजाति से सम्बन्धित है? 

6. Find out the words from the passage which mean the following:
अनुच्छेद से उन शब्दों को ट्रॅढ़िए जिनके अर्थ निम्न हैं : 
(a) to teach somebody about something.
(b) a particular time when something happens. 
Answers : 
1. The students can be attempted to familiarise with some aspects of the enormous wealth of oral tribal literature.
विद्यार्थियों को मौखिक जनजातीय साहित्य के विशाल धन के कुछ पहलुओं का परिचय कराने का प्रयास किया जा सकता है। 

2. The oral tribal literature begins with an extract from an essay by G.N. Devy in which he discusses about the need to study of tribal literature. मौखिक जनजातीय साहित्य जी.एन. डेवि के निबन्ध के एक उद्धरण से आरम्भ होता है जिसमें वह जनजातीय साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता पर चर्चा करता है। 

3. G.N. Devy argues for the need for a new method to identify and read literature in which orality is not dismissed. 
जी.एन. डेवि एक नई विधि से साहित्य को पहचानने और पढ़ने के लिए तर्क देता है जिसमें मौखिकता लुप्त नहीं होती है। 

4. Tribal literature is folllowed by two songs - one is sungs on the occasion of childbirth by Munda tribals and the other is sung on the occasion of death by the Kondh tribals. 
जनजातीय साहित्य दो गीतों का अनुसरण करता है-एक मुंडा जनजातियों द्वारा जन्म के अवसर पर गाया जाता है और दूसरा कौंध जनजातियों द्वारा मृत्यु के अवसर पर गाया जाता है। 

5. The third verse is a chanting in the ritualistic religious language of the Adi tribe.
तीसरा छंद आदि जनजाति के धार्मिक रीति रिवाज की भाषा में जप के रूप में है। 

6. (a) familiarise 
(b) occasion

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Passage 2.

Most tribal communities in India are culturally similar to tribal communities elsewhere in the world. They live in groups that are cohesive and organically unified. They show very little interest in accumulating wealth or in using labour as a device to gather interest and capital.

They accept a world-view in which nature, human beings and God are intimately linked and they believe in the human ability to spell and interpret truth. They life more by intuition than reason, they consider the space around them more sacred than secular, and their sense of time is personal rather than objective. The world of the tribal imagination, therefore, is radically different from that of modern Indian society. 

Questions : 
1. How are tribal communities in India similar to tribal communities elsewhere in the world? 
जनजातीय समुदायों में भारत में बसे हुए और अन्यत्र दुनिया में बसे हुए जनजातीय समुदायों में कैसी समानता है? 

2. How do these tribal communities lead their life?
ये जनजातीय समुदाय अपना जीवन कैसे व्यतीत करते हैं? 

3. What are their views in regard to money?
धन के सम्बन्ध में इनके (जनजातीय समुदाय के) क्या विचार हैं? 

4. What do the tribal communities accept and believe?
जनजाति समुदाय क्या विश्वास करते हैं और क्या स्वीकार करते हैं? 

5. How do the tribal communities like to live? 
जनजातीय समुदाय किस प्रकार रहना पसन्द करते हैं? 

6. Find out the words from the passage which mean the following :
अनुच्छेद से उन शब्दों को छाँटिए जिनके अर्थ निम्न हैं :
(a) causing people or things to become united.
(b) an object or a piece of equipment that has been designed to do a particular job. 
Answers : 
1. Most tribals communities in India are culturally similar to tribal communities elsewhere in the world.
भारत में बसे हुए जनजातीय समुदाय और संसार में अन्यत्र बसे हुए समुदायों में सांस्कृतिक रूप से समानता है। 

2. They live in groups that are cohesive and organically unified.
वे समूहों में रहते हैं और संगठित रूप से एकीकृत होते हैं। 

3. They show very little interest in accumulating wealth or in using labour as a device to gather interest and capital. 
जनजातीय समुदाय धन संग्रह में बहुत कम रुचि दिखाते हैं अथवा श्रम को ब्याज और पूँजी एकत्रित करने की योजना में प्रयोग में नहीं लाते हैं। 

4. The tribal communities accept a world-view in which nature, human beings and God are intimately linked and they believe in truth. 
जनजातीय समुदाय दुनिया का नजारा स्वीकार करते हैं जिसमें प्रकृति, मानव और भगवान अंतरंग रूप से जुड़े हुए हैं और वे सत्य में विश्वास करते हैं। 

5. They live more by intuition than reason, they consider the space around them more sacred than secular. 
वे तर्क की तुलना में सहज बुद्धि पर निर्भर रहते हैं, वे धर्मनिरपेक्ष की तुलना में अपने चारों ओर के अंतरिक्ष को अधिक पवित्र मानते हैं। 

6. (a) cohesive 
(b) device

RBSE Solutions for Class 11 English Woven Words Essays Chapter 4 Tribal Verse

Passage 3.

It might be said that tribal artists work more on the basis of their racial and sensory memory than on the basis of a cultivated imagination. In order to understand this distinction, we must understand the difference between imagination and memory. In the animate world, consciousness meets two immediate material realities : space and time. 

We put meaning into space by perceiving it in terms of images. The image making faculty is a genetic gift to the human mind-this power of imagination helps us understand the space that envelops us. In the case of time, we make connections with the help of memory; one remembers being the same person as one was yesterday. 

Questions : 
1. How do the tribal artists work more?
जनजातीय कलाकार अधिक कार्य किस प्रकार करते हैं? 

2. How can we understand the distinction between memory and imagination?
हम स्मृति और कल्पना की उत्कृष्टता कैसे समझ सकते हैं? 

3. Which realities does consciousness meet?
चेतना किन सच्चाइयों से मिलती है? 

4. How do we put meaning into space?
हम अंतरिक्ष में अर्थ कैसे रखते हैं? 

5. How does power of imagination help us?
कल्पना की शक्ति किस प्रकार हमारी मदद करती है?

6. Find out the words from the passage which mean the following:
अनुच्छेद से उन शब्दों को ढूंढ़िए जिनके अर्थ निम्न हैं : 
(a) connected with your physical sense,
(b) the ability to create pictures in your mind. 
Answers : 
1. The tribal artists work more on the basis of their racial and sensory memory than on the basis of a cultivated imagination. 
जनजातीय कलाकार भद्र और शिक्षित कल्पना की तुलना में ज्ञानेन्द्रिय और जातीय स्मृति के आधार पर अधिक कार्य करते हैं। 

2. We must understand the difference between memory and imagination to understand the distinction.
हमें उत्कृष्टता को समझने के लिए स्मृति और कल्पना में अन्तर समझना चाहिए। 

3. Consciousness meets two immediate realistics : space and time.
चेतना तत्काल ही दो सच्चाइयों : अंतरिक्ष और समय से मिलती है। 

4. We put meaning into space by perceiving it in terms of images.
हम धारणाओं के अनुसार इसका अर्थ समझकर अंतरिक्ष में रखते हैं। 

5. The power of imagination helps us understand the space that envelops us.
कल्पना की शक्ति उस अंतरिक्ष को समझने में सहायता करती है जो हमें ढके हुए है। 

6. (a) sensory 
(b) imagination

RBSE Solutions for Class 11 English Woven Words Essays Chapter 4 Tribal Verse

Passage 4.

A vast number of Indian languages have yet remained only spoken, with the result that literary compositions in these languages are not considered ‘literature’. They are a feast for the folklorist, anthropologist and linguist but, to a literary critic, they generally mean nothing. Similarly, several nomadic Indian communities are broken up and spread over long distances but survive as communities because they are bound by their oral epics. 

The wealth and variety of these works is so enormous that one discovers their neglect with a sense of pure shame. Some of the songs and stories I heard from itinerant street singers in my childhood are no longer available anywhere. For some years now I have been collecting songs and stories that circulate in India's tribal languages, and I am continually overwhelmed by their number and their profound influence on the tribal communities. 

Questions : 

1. Why are a number of Indian languages not considered 'literature'?
बहुत-सी भारतीय भाषाओं को 'साहित्य' क्यों नहीं समझा जाता है? 

2. What are the feast for the folklorist, anthropologist and linguist?
लोकथाओं के अध्ययन करने वाले, मानवविज्ञानी और भाषाई के लिए प्रीतिभोज क्या हैं? 

3. Why are several nomadic Indian communities survive as communities inspite of being broken? 
अनेक भारतीय घुमक्कड़ समुदाय छिन्न-भिन्न होने के बावजूद समुदायों के रूप में ही अस्तित्व में क्यों बने हुए हैं? 

4. From whom did the author hear songs and stories in his childhood?
लेखक ने अपने बचपन में गाने और कहानियाँ किनसे सुने? 

5. What has the author been doing for some years?
लेखक कुछ वर्षों से क्या करता रहा है?

6. Find out the words from the passage which mean the following :
अनुच्छेद से उन शब्दों को बताइये जिनके अर्थ निम्न हैं : 
(a) a member of a community that moves with its animals from place to place.
(b) travelling from place to place, especially to find work. 
Answers : 
1. A number of Indian languages are not considered 'literature' because they have yet remained only spoken. 
बहुत-सी भारतीय भाषाओं को 'साहित्य' नहीं समझा जाता है क्योंकि वे अभी तक केवल बोलने वाली भाषाएँ रही हैं। 

2. The spoken languages and literary compositions are a feast for the folklorist, anthropologist and linguist.
बोली जाने वाली भाषाएँ और साहित्यिक रचनाएँ लोक कथाओं के अध्ययन करने वाले, मानवविज्ञानी और भाषाई के लिए एक प्रीतिभोज हैं। 

3. Several nomadic Indian communities survive as communities because they are bound by their oral epics. 
कई घुमक्कड़ भारतीय समुदाय समुदायों की तरह अस्तित्व में हैं क्योंकि वे अपने मौखिक महाकाव्यों द्वारा बँधे हुए हैं। 

4. The author heard songs and stories from itinerant street singers in his childhood.
लेखक ने अपने बचपन में गीत और कहानियाँ भ्रमणशील और सड़क पर गाने वाले लोगों से सुने। 

5. The author has been collecting songs and stories. They circulate India's tribal languages. 
लेखक कहानियाँ और गीतों का संग्रह करता रहा है। वे भारत की जनजातीय भाषाओं को प्रचारित करते

6. (a) nomadic 
(b) itinerant

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Passage 5.

One of the main characteristics of tribal arts is their distinct manner of constructing space and imagery, which might be described as “hallucinatory'. In both oral and visual forms of representation, tribal artists seem to interpret verbal or pictorial space as demarcated by an extremely flexible 'frame'. The boundaries between art and non-art become almost invisible.

A tribal epic can begin its narration from a trivial everyday event; tribal paintings merge with living space as if the two were one and the same. And within the narrative itself, or within the painted imagery, there is no deliberate attempt to follow a sequence. The episodes retold and the images created take on the apparently chaotic shapes of dreams. 

Questions : 
1. What is the main characteristics of tribal arts?
जनजातीय कलाओं का मुख्य लक्षण क्या है? 

2. What do tribal artists seem to do?
जनजातीय कलाकार क्या करते हुए प्रतीत होते हैं? 

3. What is the position of boundaries in tirbal arts?
जनजातीय कलाओं में सीमाओं की क्या स्थिति है? 

4. How can a tribal epic begin its narration?
जनजातीय महाकाव्य अपने विवरण को किस प्रकार आरम्भ करता है?

5. How do the tribal paintings merge?
जनजातीय चित्र कैसे समाहित होते हैं? 

6. Find out the words from the passage which mean the following :
अनुच्छेद से उन शब्दों को छाँटिए जिनके अर्थ निम्न हैं : 
(a) language that produces pictures in the minds of people reading or listening.
(b) that cannot be seen. 
Answers : 
1. One of the main characteristics of tribal arts is their distinct manner of constructing space and imagery. 
जनजातीय कलाओं का मुख्य लक्षण उनका विशिष्ट तरीके से स्थान और बिंब-चित्रण का निर्माण करना होता है। 

2. Tribal artists seem to interpret verbal or pictorial space as demarcated by an extremely flexible frame'.
जनजातीय कलाकार मौखिक या बिंब-चित्रण के स्थान की व्याख्या करते हुए प्रतीत होते हैं जैसा कि लचकदार चौखटे के द्वारा सीमांकन किया जाता है। 

3. The boundaries between art and non-art become almost invisible.
कला और कला-रहित में सीमाएँ लगभग अदृश्य हो जाती हैं। 

4. A tirbal epic can begin its narration from a trivial everyday event.
जनजातीय महाकाव्य सामान्य रूप से मामूली घटना से अपना विवरण आरम्भ करता है। 

5. Tribal paintings merge with living space as if the two were one and the same.
जनजातीय कलाकृतियाँ वर्तमान में जीवित बेकार पड़े हुए स्थान में समाहित हो जाती हैं मानो कि दो एक हों और समान हों। 

6. (a) imagery 
(b) invisible

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Passage 6.

The language into which the works have been translated, English, carries massive colonial baggage. When the works of contemporary Indian writers-who inherit a multilingual tradition several thousand years old-were classified as “new literature’, Western academics had no idea how comical this classification looked to the literary community in India.

Hence it is necessary to assert that the literature of the adivasis is not a new “movement or a fresh 'trend' in the field of literature; most people have simply been unaware of its existence and that is not the fault of the tribals themselves. What might be new is the present attempt to see imaginative expression in tribal language not as “folklore but as literature and to hear tribal speech not as a dialect but as a language. 

Questions :
1. In which language have the works of tribal arts been translated? 
जनजातीय कलाओं के कार्यों को किस भाषा में अनुवादित किया गया है? 

2. What type of literature has been regarded as “new literature'?
किस प्रकार के साहित्य को 'नए साहित्य' के रूप में माना गया है? 

3. What idea did Western academics not have?
पश्चिमी शिक्षाविदों ने क्या विचार नहीं किया था? 

4. What is necessary to assert in the field of literature?
साहित्य के क्षेत्र में जोर देकर कहना क्या आवश्यक है?

5. For which have the most people been unaware?
अधिकांश लोग किसके लिए असावधान हैं? 

6. Find out the words from the passage which mean the following:
अनुच्छेद से उन शब्दों को छाँटिए जिनके अर्थ निम्न हैं : 
(a) belonging to the same time.
(b) the act or process of putting people or things into a group or class. 
Answers : 
1. The works of tribal arts have been translated in English which carries massive baggage. 
जनजातीय कलाओं के कार्यों को अंग्रेजी में अनुवादित किया गया है जो कि बड़े पैमाने पर किया जाता

2. The literature of multilingual tradition, several thousand years old has been classified as new literature'.
हजारों वर्ष पुराने बहुभाषीय परम्परा के साहित्य को 'नए साहित्य' में वर्गीकृत किया गया है। 

3. Western academics had no idea how comical this classification looked to the literary community in India. 
पश्चिमी शिक्षाविदों ने यह विचार नहीं किया कि यह वर्गीकरण साहित्यिक समुदाय में कैसा हास्यास्पद लगता था। 

4. It is necessary to assert that the literature of the adivasis is not a new movement' or a fresh trend' in the field of literature.
जोर देकर कहना यह आवश्यक है कि साहित्य के क्षेत्र में आदिवासियों का साहित्य एक नया 'आन्दोलन' अथवा नया 'चलन' नहीं है। 

5. Most people have been unaware of the existence of the adivasis' literature and that is not the fault of the tribals themselves 

6. (a) contemporary
(b) classification.

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Tribal Verse Summary and Translation in Hindi

About the Author

GN. Devy, formerly professor of English at Maharaja Sayaji Rao University of Baroda, is the Founder Director of the Tribal Academy at Tejgarh, Gujarat. He is the Director of Sahitya Akademi’s Project on Literature in Tribal Languages and Oral Traditions. He received the Sahitya Akademi Award for his book After Amnesia and the SAARC Writer's Foundation Award for his work on the ‘denotified tribes”.

लेखक के बारे में 

जी.एन. डेवी, महाराजा सायाजी राव विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का पूर्व प्राध्यापक, गुजरात में तेजगढ़ स्थित ट्राइबल अकादमी का संस्थापक निर्देशक है। वह कबिलाई भाषाओं और श्रुति परियोजनाओं के साहित्य अकादमी की परियोजना का निर्देशक है। उसे अपनी पुस्तक आफ्टर अमनेशिया के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार और सार्क लेखक के फाउंडेशन पुरस्कार उनके 'विमुक्त जनजातियों' पर काम के लिए दिया गया।

Introduction to the Essay 

In this chapter the writer G.N. Devy tells us about the different tribes of India. He says that all these tribes have one thing common. They are free from the vices of modern world. He says that these people believe in intuition rather than logic. He says that the most of their literature is in oral form. It is transmitted from one generation to the other orally. Though many critics don't consider their literature as literary work, yet it has deep roots and it is very rich in its tradition. Devy tells us in detail about the Munda tribe, Kondh tribe and Adi tribe. 

All these tribes are spread over many parts of India. He says that Munda tribe is the most studied tribe. They also revolted against the British. Kondh tribe is a mixture of adivasis and Hinduism. Adi tribe is mostly found in Arunachal Pradesh. In this way Devy describes the literature of the tribals and says that their literature is not a new one. It has been in existence for many centuries. 

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पाठ का परिचय

इस अध्याय में जी.एन. डेवी भारत की विभिन्न जनजातियों के बारे में बताता है। वह कहता है कि इन जनजातियों में एक बात आम है कि वे आधुनिक दुनिया की बुराइयों से दूर हैं। वह कहता है कि ये लोग तर्क की अपेक्षा अन्तःप्रज्ञा पर विश्वास करते हैं। वह कहता है कि इनका अधिकतर साहित्य मौखिक रूप में ही है। इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से पहुँचाया जाता है। यद्यपि कई साहित्यिक आलोचक इनके काम को साहित्य नहीं मानते, तथापि इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं और यह अपनी परम्पराओं में बहुत समृद्ध है।

डेवी बहुत विस्तार से हमें मुण्डा जनजाति, कौंध जनजाति और आदि जनजाति के बारे में बताता है। ये सभी जनजातियाँ भारत के कई हिस्सों में फैली हुई हैं। वह कहता है कि मुण्डा जनजाति के बारे में सबसे अधिक शोध हुआ है। इन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह भी किया था। कौंध जनजाति आदिवासियों और हिन्दुत्व का मिश्रण है। आदि जनजाति अधिकतर अरुणाचल प्रदेश में पाई जाती है। इस प्रकार से डेवी आदिवासियों के साहित्य का वर्णन करता है और कहता है कि उनका साहित्य कोई नया नहीं है। यह कई शताब्दियों से अस्तित्व में रहा है।

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

Introduction ................ different dialects. (Pages 161-162)

कठिन शब्दार्थ : literary-(लिटररि), concerned with literature, साहित्यिक; chanting(चान्टिङ्), singing or shouting many times, अनेक बार दुहराया जा रहा; verses-(वस्ज), poems, कविताएँ; existence-(इग्जिस्टिङ्), the state of existing, अस्तित्व; urbanisation (अबनाइजेशन्), development of towns and cities, शहरीकरण; conservation-(कॉनसवेश्न्), the protection of the natural world, प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण; canonized-(कैन्नाइस्ड्), accepted standard, स्वीकृत नियम।

हिन्दी अनुवाद : भारत की साहित्यिक परम्पराओं का पता जनजातियों/आदिवासियों के समृद्ध मौखिक साहित्य से लगाया जा सकता है। प्रायः गीत या अनेक बार दुहराए जाने वाले सुर के रूप में, ये कविताएँ प्रकृति की दुनिया और जनजातियों के अस्तित्व के बीच निकट सम्पर्क का भाव हैं। ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मौखिक रूप से ही दिए गए हैं और कई युगों से अस्तित्व में हैं। फिर भी इनमें से कई इनके मौखिक रूप से होने के कारण लुप्त हो गए हैं। 

शहरीकरण, छपाई और संस्कृति और व्यापार की शक्तियों के फलस्वरूप न केवल ये समुदाय अपितु इनकी भाषाएँ और साहित्यिक संस्कृतियाँ भी हाशिए पर चले गए हैं। यद्यपि जनजातियों के साहित्य के संग्रह और संरक्षण के कुछ प्रयास किए गए हैं, लेकिन बिना त्वरित गति से और जोरदार प्रयासों के हमारे समृद्ध इतिहास और अमूल्य विरासत के खोने का खतरा बना हुआ है। यह अनुभाग विद्यार्थियों को जनजातियों के अत्यधिक धनी मौखिक साहित्य के कुछ पक्षों के बारे में परिचित करवाने का एक छोटा-सा प्रयास है। 

इसकी शुरुआत जी.एन. डेवी के निबन्ध से लिए गए एक भाग से होती है जिसमें वह स्वीकृत नियमों वाले लिखित ग्रन्थों के ढांचे में जनजातियों के साहित्य के अध्ययन के लिए एक स्थान बनाने की चर्चा करता है। वह जो तर्क देता है वह है साहित्य को पहचानने और पढ़ने की नई पद्धति की जरूरत है जिसमें विभिन्न बोलियों में आकस्मिक कथन को दरकिनार नहीं किया जाता है। 

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This is ......... coexistence. (Page 162) 

कठिन शब्दार्थ : ritualistic-(रिचुअलिस्टिक्), विधि-विधान सम्बन्धी; representation(रेपरिजेन्टेश्न्), व्यक्ति या वस्तु का प्रतिनिधित्व; immense-(इमेन्स्), असीम, अपार; diversity(डाइवसिटि), विभिन्नता; inevitably-(इन्एविटअब्लि), निस्सन्देह रूप से; distinctive-(डिस्टिक्ट व्), स्पष्टतया दूसरे से अलग; repository-(रिपॉजटरि), संग्रह केन्द्र; interdependence (इन्टडिपेन्डन्स्), पारस्परिक निर्भरता।

हिन्दी अनुवाद : इसके बाद दो गीत आते हैं - एक मुण्डा जनजातियों द्वारा बच्चे के जन्म पर गाया जाता है और दूसरा कौंध जनजातियों द्वारा मृत्यु के अवसर पर गाया जाता है। तीसरा गीत एक भजन है जो आदि जनजाति की पारम्परिक धार्मिक भाषा में है जो कि उनके बोलचाल की भाषा से भिन्न है।

फिर भी यह जनजातियों और आदिवासियों के खजाने का मात्र एक छोटा-सा प्रतिनिधित्व करते हैं, ये जनजातीय समूहों में असीम विभिन्नता की तरफ इशारा करते हैं। निस्संदेह इस पर इनके विशेष ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक स्थितियों का प्रभाव पड़ा है, जनजातीय समाज स्पष्टतया दूसरे से भिन्न अपनी परम्पराओं को सम्भाल कर रखने और पैदा करने में सफल रहा है जो अपने भावों को अपनी विभिन्न भाषाओं द्वारा पैदा कर देती है। 

लेकिन यह भी उतना ही सच है कि अपनी विशिष्ट भाषाओं को अपने पास रखने में बहुत से जनजातीय समाज जैसे कि मुण्डा, कौंध आदि और बोन्डो द्विभाषीय हैं। इसके अलावा जबकि सन्थाल जैसे जनजातीय समूह बांग्ला साहित्य जैसी प्रमुख साहित्यिक धाराओं में महत्त्वपूर्ण विषय बन गए हैं, वहाँ काफी बढ़िया विकसित सन्थाली साहित्य भी है।

इसके अतिरिक्त, सन्थाल और मुण्डा जैसी जनजातियों ने अपने क्षेत्रों में सामाजिकराजनैतिक आन्दोलनों में प्रमुख भूमिका निभाई थी। (बिरसा मुण्डा (1874-1901) ने अपना सारा जीवन बस्तीवाद और श्रमिकों के शोषण के विरुद्ध लड़ते हुए व्यतीत कर दिया था।) सन्थाल क्षेत्र और राज्य स्तर पर झारखण्ड आन्दोलन में भागीदार एक प्रमुख समूह बन कर आगे आया था।

तीन चुने हुए गीत हमें लोकगीतों के धनी संग्रह की एक छोटी-सी झलक दिखाते हैं जो कि जीवन का जनजातीय दृष्टिकोण है। उनका प्रकृति के साथ नजदीकी सम्पर्क इस बात से सिद्ध होता है कि वे मनुष्यों और प्रकृति के बीच पारस्परिक सम्बन्ध में विश्वास करते हैं। उनके लिए प्रकृति जीवित है और यह मानवीय अस्तित्व के प्रति उत्तरदायी है और मानवीय क्रियाएँ हर तरह के सहअस्तित्व के प्रति आवश्यक आदर की इच्छा रखती हैं। 

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The songs ................ these works. (Pages 162-163) 

कठिन शब्दार्थ : native-(नेटिव्), जन्मस्थान, मूल निवासियों से सम्बन्धित; spirit-(स्पिरिट), विचार और भावनाएँ; minimise (मिनिमाइज्), कम से कम किया जाना; conscious-(कौन्शस्), सजग; preserve (प्रिजव्), सम्भाल कर रखना।

हिन्दी अनुवाद : ये गीत मूल रूप से इन जनजातियों की जन्म की भाषा में गाए जाते हैं परन्तु अंग्रेजी के विद्यार्थियों के पास इन्हें लाने के प्रयास से, स्वाभाविक ही था कि इनकी असल महक और भावना पर प्रभाव पड़ा है परन्तु ऐसी समस्या हर अनुवाद में होती है और नुकसान को कम से कम करने के लिए सतत् प्रयास करने की आवश्यकता होती है। परन्तु कुछ सजग प्रयासों के बिना इन गीतों को पहले सम्भाल कर रखने से. साहित्य के यह भाग पूरी तरह विलुप्त हो जाते। लेकिन थोड़ा ही सही यह अनुवाद के कारण ही है कि हमारी इन कामों तक कुछ पहुँच है।। 

'Introduction' to ..... sad or happy. (Pages 163-164) 

कठिन शब्दार्थ : cohesive-(कोहिसिव), संगठित; intimately-(इन्टिमटिल), घनिष्ठतापूर्वक; intuition-(इनट्युशन्), अंतःप्रज्ञा, मनोभाव; objective-(अब्जेक्टिव), तथ्यों पर आधारित; radically (रैडिक्ल), मूल रूप से; transactions-(ट्रैन्जैकशन्ज), आदान-प्रदान; hallucinatory-(हलूसिनेटरि), दृष्टिभ्रम वाली; spatial-(स्पेशल), किसी वस्तु के आकार स्थिति और क्षेत्र से सम्बन्धित, भौगोलिक स्थानिक; narrative-(नैरटिव), वृत्तांत; motif (मोटीफ्), किसी वस्तु का चित्र या डिजाइन।

हिन्दी अनुवाद : चित्रित शब्दों से जान-पहचान : भारत के अधिकतर जनजातीय समुदाय विश्व के अन्य जनजातीय समुदायों से सांस्कृतिक रूप से एक जैसे हैं । वे समूहों में रहते हैं जो संगठित हैं और सामंजस्यपूर्ण ढंग से एकीकृत हैं। वे धन इकट्ठा करने में बहुत कम रुचि दिखाते हैं या परिश्रम का एक ऐसे यन्त्र के रूप में प्रयोग करना जिससे ब्याज या पूँजी इकट्ठा की जा सकी।

वे एक वैश्विक दृष्टिकोण अपनाते हैं जिसमें प्रकृति, मनुष्य और ईश्वर एक-दूसरे से घनिष्ठतापूर्ण जुड़े हुए हैं और वे मनुष्य की सच बोलने और उसे समझने के सामर्थ्य पर विश्वास करते हैं। वे तर्क से अधिक अन्तःकरण पर विश्वास करते हैं, वे अपने आस-पास के अन्तरिक्ष को धर्मनिरपेक्ष की अपेक्षा पावन मानते हैं, और समय के प्रति उनका भाव तथ्यात्मक होने की अपेक्षा व्यक्तिगत अधिक है। जनजातीय कल्पना की दुनिया इसलिए आधुनिक भारतीय समाज से पूर्ण रूप से भिन्न है।

एक बार यदि समाज रचनात्मकता का धर्मनिरपेक्ष ढंग अपना लेता है जिसमें बनाने वाला ईश्वर का स्थान ले लेता है, काल्पनिक आदान-प्रदान आत्मजागरुकता का स्थान ले लेता है। दूसरी तरफ जनजातीय कल्पना, अब तक काफी हद तक स्वप्नमयी और दृष्टिभ्रम वाली है। यह अस्तित्व और समय के विभिन्न स्तरों के समायोजन को स्वीकृत करता है।

जनजातीय कथाओं में महासागर आकाश में पक्षियों की भाँति उछते हैं, पर्वत पानी में मछली की भाँति तैरते हैं, जानवर मनुष्यों की भाँति बोलते हैं और सितारे पौधों की भाँति बढ़ते हैं। भौगोलिक ढंग और समय से सम्बन्धित क्रम कथा को बाधित नहीं करता है। इसके कहने का यह भाव नहीं है कि जनजातीय रचनाओं की कोई परम्परा या नियम नहीं होते परन्तु सीधे ढंग से यह मनोभावों और कथा के वृत्तांत के चित्रों के बीच संगत के नियम को स्वीकार करते हैं। इस प्रकार सितारे, सागर, पर्वत, पेड़, मनुष्य और जानवर क्रोधित, उदास या प्रसन्न हो सकते हैं। 

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It might be ............ so well...... (Pages 164-165) 

कठिन शब्दार्थ : racial-(रेशल), जातीय दृष्टि से; sensory-(सेन्सरी), ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्धित; cultivated-(कल्टिवेटिड्), भद्र; animate-(ऐनिमट्), प्राण का संचार करना; faculty (फैकल्टि ), शरीर या मन की नैसर्गिक क्षमता, acute-(अक्यूट्), बहुत गम्भीर; trance-(ट्रान्स्), आत्म-विस्मृति।

हिन्दी अनुवाद : यह कहा जा सकता था कि जनजातीय कलाकार अपनी जातीय या ज्ञानेन्द्रिय सम्बन्धित याद्दाश्त के सहारे संस्कारी कल्पना की अपेक्षा अधिक काम करते हैं। इस भेद को समझने के लिए हमें कल्पना और याद्दाश्त में अन्तर समझना होगा। जीवित विश्व में, चेतना दो तात्कालिक भौतिक सच्चाइयों से मिलती है : स्थान और समय। छवि बनाने की नैसर्गिक क्षमता मानवीय मन को एक आनुवांशिक उपहार है - यह कल्पना की शक्ति हमें आस-पास के स्थान को समझने में सहायता करता है। समय के संदर्भ में हम याद्दाश्त के सहारे सम्पर्क बनाते हैं; 

कोई किसी व्यक्ति को वैसे ही याद रखता है जैसा वह कल था। जनजातीय मन में समय के बारे में स्थान की अपेक्षा अधिक गम्भीर समझ होती है। मानवीय सभ्यता के इतिहास में जनजातीय समुदायों को यह बात समझ आ गई लगती है कि क्षेत्रीय स्थान पर वर्चस्व उनके भाग्य में नहीं था इसलिए उन पर समय पर वर्चस्व हासिल करने का जुनून हो गया। यह इच्छा उनके अपने मृत पूर्वजों से बातचीत करने के उनके अनुष्ठान से प्रभावित होती है। साल दर साल, भारत के कई भागों में जनजातियाँ लाल मिट्टी या लकड़ी से बनी चीजों की पूजा करती हैं जो कि उनके पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करता है, उनकी यह इच्छा रहती है कि वे एक आत्म-विस्मृति में प्रवेश करें जहाँ वे अपने मृत पूर्वजों से बातचीत कर सकें। 

शताब्दियों से उनकी आश्चर्यजनक तेज याद्दाश्त ने आदिवासियों को भौतिक और प्राकृतिक चीजों में ज्ञान की जटिल व्यवस्था में भेद करना सिखाया है। जनजातीय प्रणालियों में स्मृति के महत्त्व को अभी पर्याप्त महत्त्व नहीं दिया गया है। लेकिन सुन्दरता के अनुपात में जो वे घरों का निर्माण करते हैं, जिन चीजों को वे बनाते हैं और जिन रीति-रिवाजों का वे पालन करते हैं, जिज्ञासु देखने वालों को वह मोहित करता है। यह समझना कठिन है कि कैसे बिना किसी संस्थागत प्रशिक्षण या सिखाने के, आदिवासी इतनी अच्छी तरह नृत्य, गाने, शिल्प निर्माण और वाणी में सक्षम हैं। 

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A vast number ................ for our times. (Page 165) 

कठिन शब्दार्थ : composition-(कॉमपजिशन्), संगीत रचना; folklorist-(फोकलोरिस्ट), परम्परागत लोककथाकार; anthropologist-(एन्थ्रपॉलजिस्ट्), मानवविज्ञानी; itinerant-(आइटिनरन्ट्), भ्रमणशील; profound (प्रफाउन्ड्), प्रबल।।

हिन्दी अनुवाद : बहुत बड़ी गिनती में भारतीय भाषाएँ अभी भी मात्र बोली जाने वाली ही हैं, इसका परिणाम यह है कि इन भाषाओं की साहित्यिक रचनाएँ 'साहित्य' नहीं मानी जाती हैं। ये किसी परम्परागत लोक कथाकार, मानवविज्ञानी और भाषाविज्ञानी के लिए एक दावत की भाँति हैं, परन्तु किसी साहित्यिक आलोचक के लिए ये आमतौर पर कुछ भी नहीं हैं। इसी प्रकार से कई घुमंतू भारतीय समुदाय टूटे हुए हैं और लम्बी दूरी तक फैले हुए हैं, परन्तु समुदायों के रूप में जीवित हैं क्योंकि ये मौखिक महाकाव्यों के द्वारा आपस में बंधे हुए हैं। इन कामों की दौलत तथा भिन्नता इतनी अधिक है कि कोई व्यक्ति इनके प्रति लापरवाही को शुद्ध शर्म से महसूस करता है। कुछ गीत और कहानियाँ जो बचपन में मैं घुमंतू सड़क पर गाने वालों से सुना करता था अब कहीं भी पाई नहीं जाती हैं। 

कुछ वर्षों से अब तक मैं इन गीतों और कहानियों को इकट्ठा करता रहा हूँ जो भारत की जनजातीय भाषाओं में फैली हुई हैं, और मैं निरन्तर उनकी संख्या और जनजातीय समुदायों पर उनके प्रभाव से अभिभूत हो गया हूँ। इसका परिणाम यह है कि मैं अब इस बात को और नहीं सोचता कि साहित्य किसी के लिए कोई लिखित चीज होता है। निस्सन्देह मैं इस बात पर विवाद नहीं करता कि लिखित रचनाओं और पुस्तकों को साहित्य का दर्जा नहीं प्राप्त; परन्तु निस्सन्देह अब समय आ गया है कि हम इस चीज को स्वीकार करें कि जब तक हम अपनी इस धारणा को बदलते नहीं हैं कि साहित्य एक लिखित चीज ही होता है, हम चुपचाप इस बात को देखते रहेंगे कि भारत की विभिन्न मौखिक परम्पराओं का पतन होता जा रहा है। यह बात कि साहित्य लिखित से बहुत कुछ अधिक होता है यह एक ऐसी याद रखने की बात है जो हमारे समय में आवश्यक है। 

One of the ................ than ironic.' (Pages 165-166) 

कठिन शब्दार्थ : imagery-(इमिजरि), पाठक या श्रोता के मन में चित्र उभारने वाली भाषा, बिंब चित्रण; hallucinatory-(हलूसिनेटरी), दृष्टि-भ्रम वाली; demarcated-(डीमाकेट्ड), सीमित किए गए; chaotic-(केऑटिक), अव्यवस्थित; syntax (सिन्टैक्स्), भाषा की वाक्य व्यवस्था; subversion(सब्वश्न्), विध्वंसकारी; ironic-(ऑइरॉनिक्), व्यंग्यात्मक।

हिन्दी अनुवाद : जनजातीय कलाओं की एक मुख्य विशेषता है उनका स्थान और कल्पना का निर्माण करना जिसे दृष्टि-भ्रम वाला माना जा सकता है। प्रस्तुतिकरण के मौखिक और दृष्टि सम्बन्धी दोनों में, जनजातीय कलाकार ऐसे प्रतीत होता है जैसे कि वे मौखिक या चित्रात्मक स्थान को इस प्रकार से समझाते हैं जिन्हें कि एक अत्यन्त लचीले ढांचे में सीमांकित किया जा सकता है। कला या कला-विहीनता के बीच की सीमाएँ लगभग अदृश्य हो जाती हैं। एक जनजातीय महाकाव्य अपनी कथा एक मामूली से प्रतिदिन होने वाली घटना से प्रारम्भ कर सकता है, जनजातीय चित्र जीवित स्थान में इस प्रकार से मिल सकते हैं जैसे कि वे दोनों एक ही हों। 

और कथानक के बीच में ही या पेन्ट की गई कल्पना में किसी क्रम को अपनाने का कोई जानबूझकर प्रयास नहीं किया जाता। कहानियों को दुबारा सुनाए जाने पर जो छवियाँ बनती हैं वे स्पष्ट तौर पर सपनों के विध्वंसकारी रूप ले लेती हैं। एक जनजातीय रामायण में, महाभारत का कोई वृत्तांत अचानक और आश्चर्यजनक ढंग से आ जाएगा; जनजातीय चित्रों में परम्परागत और आधुनिक कल्पनाओं का जिज्ञासा पैदा करने वाला मिश्रण होता है। एक प्रकार से भाषा की शब्द व्यवस्था और चित्र का व्याकरण एक जैसा होता है, जैसे कि साहित्य कोई चित्रित शब्द हो और चित्र छवियों का एक गीत हो।

फिर भी यह मान लेना सुरक्षित नहीं है कि जनजातीय कला किसी व्यवस्था के नियम को प्रयोग में नहीं लाती। इसके विपरीत, व्यवस्था के नियम बहुत कड़े होते हैं। इनमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होता है परम्परा । यद्यपि सरसरी तौर पर देखने वाला दर्शक इसे न देख पाए, हर जनजातीय प्रदर्शन और निर्माण के पीछे इसके पहले का ऐसा ही प्रदर्शन और निर्माण होता है। किसी जनजातीय कलाकार की रचनात्मकता इसके पूर्व की रचना के आधार पर होती है, इसी के साथ ही थोड़ी हट कर (या विध्वंसकारी) होती है। यह विध्वंसकारी प्रस्तुतिकरण व्यंग्यात्मक के स्थान पर अधिक रोचक होता है। 

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Indeed, playfulness ......... performing arts. ( Page 166) 

कठिन शब्दार्थ : pictorial-(पिक्टॉरिअल्), चित्रमय; pretentious-(प्रिटेन्श्स् ), आडम्बरी; patronage-(पैट्रनिज्), संरक्षण; community-(कम्यूनटि), समुदाय; static (स्टैटिक्), स्थिर; dynamic (डाइनैमिक्), गतिशील।

हिन्दी अनुवाद : वास्तव में चंचलता जनजातीय कलाओं की आत्मा होती है। यद्यपि मौखिक और चित्रमय जनजातीय कला रचनाएँ परम्पराओं से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई हैं - पवित्रता को कभी छोड़ा नहीं जा सकता है - जनजातीय कलाएँ बहुत कम ही गम्भीर या आडम्बरी रूप ले लेती हैं। कलाकार बहुत कम ही रचनाकार (ईश्वर) का वेश लेता है। जनजातीय महाकाव्यों का सुनना अत्यन्त हास्यास्पद हो सकता है क्योंकि कलाकार द्वारा नायकों को भी अक्सर व्यंग्य बाणों से बख्शा नहीं जाता। 

धार्मिक और साधारण के अनूठे मिश्रण का एक कारण यह भी हो सकता है कि जनजातीय कला के कामों को विशेषकर बेचने के लिए नहीं बनाया जाता। कलाकार समुदाय से कुछ संरक्षण की आशा अवश्य रखते हैं, जैसे कि किसी भी अन्य संदर्भ में कलाकार; परन्तु क्योंकि परम्पराओं का प्रदर्शन करने वाले स्वयं कलाकार ही होते हैं संरक्षक-कलाकार के बीच किसी भी प्रकार की कोई प्रतियोगिता नहीं होती। इसलिए जनजातीय कलाएँ तनावमुक्त होती हैं तनावयुक्त नहीं। एक सवाल जो सदा आदिवासी कलाओं के लिए पूछा जाता है, वह है कि ये स्थिर हैं–परम्परा में जकड़ी हुईं या गतिशील। 

एक सामान्य गलतफहमी है कि मौखिक रूप से संचारित कलाएँ पूरी तरह से परम्परा से बंधी होती हैं, इसमें व्यक्ति के प्रयोग की बहुत कम गुंजाईश होती है कि वह पहले से तैयार ग्रन्थ से थोड़ी बहुत छेड़छाड़ के अलावा और कुछ कर सके। यह गलतफहमी कला को ग्रन्थ के संदर्भ में देखने से होती है परन्तु जनजातीय कलाओं में केवल लिखित चीज नहीं होती अपितु प्रदर्शन और दर्शकों द्वारा स्वीकार करने की बात होती है। जनजातीय कलाओं में प्रयोग को तब जाकर समझा जा सकता है जब इन्हें कला प्रदर्शन की तरह स्वीकार किया जाए। 

Non-tribals ............ is to be effective. (Pages 166-168) 

कठिन शब्दार्थ : bilingual (बाइलिङ्ग्वल), द्वैभाषिक; innate-(इनेट), जन्मजात; assimilate(असिमलेट्), समावेश करना; folklore-(फोकलॉ()), परम्परागत कथाएँ और विश्वास, लोककथाएँ; transcend (ट्रैन्सेन्ड्), सामान्य सीमा का अतिक्रमण करना। 

हिन्दी अनुवाद : गैर-जनजातीय प्रायः इस बात को देखने में असफल रहते हैं कि भारत के सभी आदिवासी समुदाय द्वैभाषिक हैं। सभी द्वैभाषिक समुदायों में यह जन्मजात क्षमता होती है कि वह बाहरी प्रभावों का समावेश कर सके, और इस सम्बन्ध में गैर-जनजातीय दुनिया को जवाब देने के लिए एक अत्यन्त विकसित तंत्र है। जनजातीय मौखिक कहानियाँ द्वैभाषिकता को इतने जटिल ढंग से प्रयोग में लाती हैं कि कोई भाषाविज्ञानी जो इस जटिलता के प्रति सतर्क नहीं है सरलता से जनजातीय भाषाओं को भारत की मुख्य भाषाओं की बोलियाँ मान सकता है।

इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया है जो अपने साथ विशाल मात्रा में औपनिवेशिक प्रभाव लेकर आती है। जब समकालीन भारतीय लेखकों के काम को जिन्हें बहुभाषी परम्परा जो कि हजारों वर्ष पुरानी हैं'नया साहित्य' के तौर पर वर्गीकृत है, पश्चिमी शिक्षाविदों को इस बात का कोई अनुमान नहीं हो सकता यह वर्गीकरण भारत के साहित्यिक समुदाय को कितना हास्यप्रद लग सकता है। इसलिए इस बात पर बल देना जरूरी है कि आदिवासियों का साहित्य कोई नया आन्दोलन नहीं है या साहित्य के क्षेत्र में नया रिवाज नहीं है; बहुत से लोगों को इसका पता नहीं है और इसमें आदिवासियों का कोई दोष नहीं है। 

कुछ नया यह हो सकता है। नई बात यह हो सकती है कि आदिवासी भाषा में कल्पनात्मक अभिव्यक्ति को लोककथाओं के रूप में नहीं अपितु साहित्य के रूप में देखने और आदिवासी भाषा को किसी बोली के रूप में नहीं अपितु एक भाषा के रूप में सुनने का प्रयास किया जा रहा है।

यह रवैया कुछ हद तक गैर-रिवाजी हो सकता है, लेकिन केवल तब तक जब तक कि हम इस बात को याद नहीं करते हैं कि पाण्डुलिपियाँ स्वयं ही नई हैं और साहित्यिक ग्रन्थों की छपाई कुछ शताब्दियों से पहले तक नहीं की जाती - इस तुलना में कि मानवीय क्षमता के साथ रचनात्मक प्रयोगों से भाषण को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जाए कि यह समय को पार कर जाए। वास्तव में साहित्य के हर लिखित भाग में मौखिकता की काफी मात्रा में परतें होती हैं। यह विशेषकर कविता और नाटक के संदर्भ में ठीक है, और गद्य कथा में भी, मौखिकता के भागों का महत्त्वपूर्ण होना आवश्यक होता है यदि काम को प्रभावशाली बनाना हो तो।। 

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1. A Munda Song : ............... by the British. (Page 168)

कठिन शब्दार्थ : encylopaedia-(इन्साइक्लपीडिआ), विश्वकोश; Reverend-(रेवरन्ड्), श्रद्धेय (ईसाई पादरी की उपाधि); agrarian-(अग्रेअरिअन्), कृषि भूमि से सम्बन्धित; quelled-(क्वेल्ड), दबा दी गई। 

2. A Kondh Song ........... in kind. (Pages 169-170) 

कठिन शब्दार्थ : segment-(सेग्मेन्ट), खंड या भाग; conversant-(कन्वसन्ट्), जानकार होना। 

हिन्दी अनुवाद : 2. एक कौंध गीत यह हम पेश कर सकते हैं आपको। हाँ कर सकते हैं, क्योंकि हम अभी तक हैं जीवित; यदि नहीं होता ऐसा, हम कैसे कर सकते बिल्कुल भी, और क्या? हम एक छोटा मुर्गी का बच्चा हैं दे सकते, ले जाओ और जाओ यहाँ से जहाँ से भी तुम आए हो, लौट जाओ, वापस। न दो हमें दर्द जाने के बाद अपने।

(मूल कौंध से अनुवादित) कौंध जनजाति पर एक नोट कौंध बहुत हद सम्भव है कि द्रविड़ शब्द, कोंडा, से लिया गया है जिसका अर्थ होता है पहाड़ी। कई भागों में बटे हुए और आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उड़ीसा में फैले हुए ये लोग कौंध भाषा बोलते हैं यद्यपि अधिकतर लोग द्वैभाषिक हैं और उन्हें उस राज्य की मुख्य भाषा की जानकारी है जहाँ वे रहते हैं।। कौंध धर्म आदिवासियों के परम्परागत विश्वास और हिन्दुत्व का मिश्रण है। इनमें दहेज प्रथा नहीं है परन्तु ये दुल्हन की कीमत अवश्य निर्धारित करते हैं जिसे दूल्हे को दुल्हन को नकद या उसके बराबर चीज के रूप में देनी पड़ती है। 

A Note on ........... with its visits. (Page 170) 

कठिन शब्दार्थ : puberty-(प्यूबटि), यौवनारम्भ; benevolent-(बनेवलन्ट), दयालु, परोपकारी; malevolent-(मलेवलन्ट), अनिष्टकारी; beseeching-(बिसीचिङ्), विनतीपूर्वक मांग रहा।

हिन्दी अनुवाद : कौंध गीत पर एक नोट कौंध लोग जन्म, यौवनारंभ, विवाह और मृत्यु पर कई परम्पराओं का पालन विशेष लोक नृत्यों और गीतों का प्रत्येक अवसर के लिए करते हैं। वे देवताओं और आत्माओं में विश्वास करते हैं, जो कि परोपकारी और अनिष्टकारी दोनों ही होती हैं। यहाँ गीत व्यक्ति की मृत्यु पर गाया जाता है, मृत्यु की आत्मा से यह विनती करते हुए कि वह जीवित लोगों को परेशान करना बंद कर दे। यह बात कौंध लोगों के इस विश्वास पर आधारित है कि लोग अपने घरों से इतना प्यार करते हैं कि उनकी आत्माएँ मृत्यु के बाद भी चूल्हा छोड़ कर जाने पर अनिच्छुक होती हैं। 

ये आत्माएँ प्रायः दयालु होती हैं, कई बार हानिकारक बन सकती हैं क्योंकि वे अब धरती के जीवन में भाग नहीं ले सकतीं। इसलिए यह बात रिवाजी बन जाती है कि उन्हें उदारतापूर्वक उपहार दिए जाएँ। यह गीत इस बात से शुरू किया जाता है कि मृत आत्मा उपहार तभी प्राप्त कर सकती है यदि परिवार के अन्य सदस्य जीवित और समृद्ध रहें। इससे उनकी आत्मा को प्रसन्न करने के लिए कुछ करने की इच्छा का पता चलता है परन्तु बदले में आत्मा को भी यह वायदा करना होता है कि वह अपने आवागमन से उन्हें परेशान नहीं करेगी।

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3. Adi Song ........... sick person. (Pages 170-171)

कठिन शब्दार्थ : Emul-(amulet) (ऐम्युलट्), बीमारियों से रक्षा करने वाला ताबीज; fasten(फॉस्न्), कस के बांधना; generic-(जनेरिक्), अवशिष्ट; propitiated-(प्रपिशिएट्ड), संतुष्ट कर लिया; equilibrium-(ईक्विलिब्रिअम्), संतुलन ।

हिन्दी अनुवाद : 
1. एक मुण्डा गीत : जन्म और मृत्यु का गीत
मेरी माँ - सूर्य है उदय हो गया 
एक बेटा हुआ है पैदा। 
मेरी माँ - चन्द्रमा है उदय हो गया 
एक बेटी हुई है पैदा 
एक बेटा हुआ पैदा 
हो गया खाली मवेशियों का तबेला 
एक बेटी हुई पैदा
भर गया तबेला मवेशियों का 
(असल मुण्डारी भाषा से अनुवाद किया गया) 

मुण्डा कबीले पर एक नोट
मुण्डा कबीला झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, असम, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में फैला हुआ है। इन्हें होरोहोन या मुरा भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है गाँव का मुखिया। भारत की सभी जनजातियों से अधिक इस पर शोध किया गया है, इनका अपना विश्वकोश भी है, मुण्डारिका विश्वकोश (16 किताबें) जिसे श्रद्धेय जाहन् बेपटिस्ट हॉफमैन (1857-1928) और अन्य ईसाई विद्वानों ने लिखा है। ..

मुण्डा सम्भवतः पहले आदिवासियों में से एक थे जिन्होंने उपनिवेशवाद का विरोध किया था और वे बारबार कृषि सम्बन्धी मामलों पर विद्रोह करते रहते थे। 1819-20 का ताम्र उग्र विद्रोह उनके कृषि व्यवस्था के टूटने के कारण हुआ था। मुण्डा राज स्थापित करने की अपनी इच्छा के कारण और समाज सुधार के लिए ताकि वह समय की चुनौतियों का मुकाबला कर सके, उन्होंने प्रसिद्ध सहस्राब्दि आन्दोलन बिरसा मुण्डा (1874-1901) के नेतृत्व में शुरू किया जहाँ उनके नेता हिन्दू और ईसाई दोनों प्रकार के मुहावरों का प्रयोग करते थे ताकि मुण्डा विचारधारा को विश्वव्यापी बनाया जा सके। लेकिन इस विद्रोह को ब्रिटिश लोगों ने कुचल दिया।

Note on the Munda Song ............ ritual activities. (Pages 168-169)

कठिन शब्दार्थ : harmony-(हामनि), सामंजस्य; synchronised-(सिङ्क्रनाइज्ड), एक ही समय दो गतिविधियाँ हुईं।

हिन्दी अनुवाद : मुण्डा जनजाति के बहुत से समारोह और परम्पराएँ जन्म, मृत्यु और विवाह से जुड़े हुए हैं । प्रकृति के निकट सामंजस्य में रहते हुए उनके जीवन प्रकृति की बदली हुई ताल से जुड़े हुए हैं, मौसम, सूर्य का उदय और अस्त और कई अन्य बातें, घड़ी के समय अनुसार नहीं। कुछ चुने हुए मुण्डा गीत लयदार लोक धुनों पर पुत्र या पुत्री के जन्म पर गाए जाते हैं और निस्संदेह प्रकृति से उनका निकट गठजोड़ दिखाता है।

मवेशियों को प्रातः चरागाहों में छोड़ दिया जाता है और सूर्य डूबने पर वे वापस आ जाते हैं। पुत्री के जन्म को तबेले को गायों से भरने और पुत्र के जन्म को तबेले में गायों की कमी के रूप में दिखाया जाता है । स्पष्टतः पुत्री को पुत्र की अपेक्षा अधिक मूल्यवान धन माना जाता है। इसका कारण शायद यह है कि मुण्डा समाज में औरतें विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और पारम्परिक गतिविधियों में मुख्य भूमिका निभाती हैं।

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2. A Kondh Song ............ in kind. (Pages 169-170) 

कठिन शब्दार्थ : segment-(सेग्मेन्ट), खंड या भाग; conversant-(कन्वसन्ट्), जानकार होना। हिन्दी अनुवाद : 2. एक कौंध गीत

यह हम पेश कर सकते हैं आपको। 
हाँ कर सकते हैं, 
क्योंकि हम अभी तक हैं जीवित; 
यदि नहीं होता ऐसा, 
हम कैसे कर सकते बिल्कुल भी, 
और क्या? 
हम एक छोटा मुर्गी का बच्चा हैं दे सकते,
ले जाओ और जाओ यहाँ से 
जहाँ से भी तुम आए हो, 
लौट जाओ, वापस। 
न दो हमें दर्द 
जाने के बाद अपने। 
(मूल कौंध से अनुवादित) 

कौंध जनजाति पर एक नोट कौंध बहुत हद सम्भव है कि द्रविड़ शब्द, कोंडा, से लिया गया है जिसका अर्थ होता है पहाड़ी। कई भागों में बटे हुए और आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उड़ीसा में फैले हुए ये लोग कौंध भाषा बोलते हैं यद्यपि अधिकतर लोग द्वैभाषिक हैं और उन्हें उस राज्य की मुख्य भाषा की जानकारी है जहाँ वे रहते हैं।। कौंध धर्म आदिवासियों के परम्परागत विश्वास और हिन्दुत्व का मिश्रण है। इनमें दहेज प्रथा नहीं है परन्तु ये दुल्हन की कीमत अवश्य निर्धारित करते हैं जिसे दूल्हे को दुल्हन को नकद या उसके बराबर चीज के रूप में देनी पड़ती है। 

A Note on ........... with its visits. (Page 170) 

कठिन शब्दार्थ : puberty-(प्यूबटि), यौवनारम्भ; benevolent-(बनेवलन्ट), दयालु, परोपकारी; malevolent-(मलेवलन्ट), अनिष्टकारी; beseeching-(बिसीचिङ्), विनतीपूर्वक मांग रहा।

हिन्दी अनुवाद : कौंध गीत पर एक नोट कौंध लोग जन्म, यौवनारंभ, विवाह और मृत्यु पर कई परम्पराओं का पालन विशेष लोक नृत्यों और गीतों का प्रत्येक अवसर के लिए करते हैं। वे देवताओं और आत्माओं में विश्वास करते हैं, जो कि परोपकारी और अनिष्टकारी दोनों ही होती हैं। यहाँ गीत व्यक्ति की मृत्यु पर गाया जाता है, मृत्यु की आत्मा से यह विनती करते हुए कि वह जीवित लोगों को परेशान करना बंद कर दे। यह बात कौंध लोगों के इस विश्वास पर आधारित है कि लोग अपने घरों से इतना प्यार करते हैं कि उनकी आत्माएँ मृत्यु के बाद भी चूल्हा छोड़ कर जाने पर अनिच्छुक होती हैं। 

ये आत्माएँ प्रायः दयालु होती हैं, कई बार हानिकारक बन सकती हैं क्योंकि वे अब धरती के जीवन में भाग नहीं ले सकतीं। इसलिए यह बात रिवाजी बन जाती है कि उन्हें उदारतापूर्वक उपहार दिए जाएँ। यह गीत इस बात से शुरू किया जाता है कि मृत आत्मा उपहार तभी प्राप्त कर सकती है यदि परिवार के अन्य सदस्य जीवित और समृद्ध रहें। इससे उनकी आत्मा को प्रसन्न करने के लिए कुछ करने की इच्छा का पता चलता है परन्तु बदले में आत्मा को भी यह वायदा करना होता है कि वह अपने आवागमन से उन्हें परेशान नहीं करेगी।

3. Adi Song .................. sick person. (Pages 170-171)

कठिन शब्दार्थ : Emul-(amulet) (ऐम्युलट्), बीमारियों से रक्षा करने वाला ताबीज; fasten(फॉस्न्), कस के बांधना; generic-(जनेरिक्), अवशिष्ट; propitiated-(प्रपिशिएट्ड), संतुष्ट कर लिया; equilibrium-(ईक्विलिब्रिअम्), संतुलन ।

हिन्दी अनुवाद : 3.
खोए हुए स्वास्थ्य सम्बन्धी आदि गीत
ओह मेरे प्रिय 
यदि दुर्भाग्यवश तुम्हारा स्वास्थ्य है बिगड़ 
आते हूँ आगे मैं तुम्हें बचाने 
इस ताबीज को लेकर 
ताकि वापस आ सके तुम्हारा खोया हुआ स्वास्थ्य । 
सुनो ध्वनि इस मीठे आभूषण की
और आओ मेरे साथ मेरे प्यारे घर 
मैं बांध देता हूँ इस जादुई बेल को 
तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे शरीर से बांधने हेतु 
इस मुर्गे के पदचिह्नों पर चलो
आओ, आओ मेरे साथ अपने घर।। 

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आदि जनजाति पर एक नोट

आदि एक साधारण शब्द है जिसमें पहाड़ी लोग और इसमें कई समूह शामिल हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी के आसपास स्थित सभी पहाड़ी जनजातियों को माना जा सकता है। लेकिन आदि अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी सियांग में केन्द्रित हैं । वे इस चीज में विश्वास करते हैं कि ब्रह्माण्ड की प्रत्येक वस्तु में, चाहे वे मानव जीव हों, जानवर हों, पेड़ और पक्षी हों, आत्मा होती है जिसका पोषण और जिन्हें सन्तुष्ट किया जाना होता है। प्रकृति पर कई वस्तुओं पर निर्भर होने के कारण वे ऐसा विश्वास करते हैं प्रकृति में सन्तुलन बनाए रखा जाना होता है। शिकार करना भी मात्र भोजन प्राप्त करने के लिए नहीं होता अपितु यह वीरता और दक्षता प्रदर्शित करने के लिए भी होता है, वे अब भी ऐसा विश्वास करते हैं कि मनुष्य को जीवित रहने के लिए शिकार करना चाहिए लालच के लिए नहीं।

आदि लोगों की दो मुख्य भाषाएँ होती हैं जिसका प्रयोग वे दो विभिन्न अवसरों के लिए करते हैं। रोजमर्रा की बातचीत के लिए आदि अगोम का प्रयोग किया जाता है। दूसरी मुख्य भाषा है मीरी अगोम जो कि बहुत ताल वाली भाषा है और परम्पराओं के समय भजन गाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। गाँव का मुखिया प्रायः सबसे अच्छा शिकारी होता है और मीरी अगोम भाषा में दक्ष होता है। दोनों भाषाएँ जीवित भाषाएँ हैं और परम्पराएँ नई पीढी को मीरी अगोम सीखने का अवसर देती हैं।

आदि गीत पर एक नोट

यहाँ जो गीत चुना गया है वास्तव में एक मंत्र हो जिसका जप किया जाता है ताकि अच्छे स्वास्थ्य वाली आत्मा को रोगी व्यक्ति के शरीर में पुनः प्रवेश करवाया जा सके। आदि लोग विश्वास करते हैं कि व्यक्ति तब बीमार पड़ता है जब अच्छे स्वास्थ्य वाली आत्मा किसी सदमे के कारण शरीर को छोड़ जाती है। ऊपर दी गई पक्तियाँ एक अनुष्ठान में जप की जाती हैं जिसे रोगी का मामा पूरा करता है।

Bhagya
Last Updated on Oct. 3, 2022, 12:06 p.m.
Published Aug. 20, 2022