Class 10 Hindi Chapter 5 Question Answer प्रश्न 1.
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने' के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर:
कवि बादल से फहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर 'गरजने के लिए इसलिए कहता है. क्योंकि गरजना क्रान्ति का सूचक है। कवि इससे सामाजिक जीवन में परिवर्तन लाने के लिए क्रान्ति की आवश्यकता बताना चाहता है।
Class 10 Hindi Chapter 5 Hindi Translation प्रश्न 2.
कविता का शीर्षक 'उत्साह' क्यों रखा गया है?
उत्तर:
इस कविता का शीर्षक 'उत्साह' इसलिए रखा गया, क्योंकि यह बादलों की गर्जना और उमड़-घुमड़ से मेल खाता है। बादलों में भीषण गति होती है, उसी से वह धरती की तपन को हर कर उसे शीतलता प्रदान करते हैं। कवि ऐसी ही गति, ऐसी ही भावना और क्रान्तिकारिणी शक्ति की आकांक्षा रखता है जिससे दुःख-पीड़ित जनता को सुख प्राप्त हो सके।
Hindi Class 10 Chapter 5 Question Answer प्रश्न 3.
कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर:
कविता में बादल निम्नलिखित अर्थों की ओर संकेत करता है
- पीड़ित-प्यासे जनों की प्यास बुझाने और सुखकारी शक्ति के रूप में।
- उत्साह और संघर्ष की भावना रखने वाले क्रान्तिकारी पुरुष रूप में।
- जल बरसाने वाली शक्ति के रूप में।।
- समाज को नवजीवन की प्रेरणा देने वाले कवि के रूप में।
Class 10 Hindi Chapter 5 प्रश्न 4.
शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौन्दर्य कहलाता है। उत्साह' कविता में ऐसे कौनसे शब्द हैं जिनमें नाद-सौन्दर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
उत्तर:
निम्नलिखित शब्दों में नाद-सौन्दर्य है
- घेर-घेर घोर गगन, धाराधर ओ
- ललित-ललित काले घुघराले
- बाल कल्पना के-से पाले
- विकल-विकल, उन्मन थे उन्मन।
रचना और अभिव्यक्ति -
Class 10th Hindi Chapter 5 Question Answer प्रश्न 5.
जैसे बादल उमड़-घुमड़ कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के मन में भी भावों के बादल उमड़ घुमड़ कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में लिखिए।
उत्तर:
छात्र प्राकृतिक सौन्दर्य का एकाग्र चित्त से अवलोकन करें और उस समय उठने वाले भावों को कविता रूप प्रदान करने का प्रयास करें।
पाठेतर सक्रियता -
बादलों पर अनेक कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन करें और उनका चित्रांकन भी कीजिए।
उत्तर:
पुस्तकालय से पुस्तक.लेकर सुमित्रानन्दन पंत की कविताएँ 'सावन के मेघ' और 'काले बादल' को संकलित कीजिए। पेंसिल एवं रंगों की सहायता से कागज पर वर्षा का चित्रांकन करें।
अट नहीं रही है -
Class 10 Hindi Ch 5 Question Answer प्रश्न 1.
छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर:
कविता की निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
'इसी प्रकार निम्न पंक्तियों में मानवीकरण द्वारा फागुन की शोभा को मानव-मन में उठी उमंगों का रूपक दिया गया है, जिससे ऐसा लगता है कि फागुन और मानव दोनों एक हो गये हैं -
'कहीं सांस लेते हो
घर-घर भर देते हो
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो।'
Chapter 5 Hindi Class 10 Kshitij Vyakhya प्रश्न 2.
कवि की आँख फागुन की सुन्दरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर:
कवि की आँख फागुन की सुन्दरता से इसलिए नहीं हट रही है, क्योंकि उस समय वसन्त ऋतु के . आगमन से सारी प्राकृतिक शोभा मनोहारी एवं रंग-बिरंगी हो जाती है। कवि का मन उस शोभा को लगातार देखते रहना चाहता है। इसलिए वह इसकी सुन्दरता को निहारता ही रहता है। चाहकर भी वह अपनी आँखों को उस पर से हटा नहीं पाता है।
Class 10 Hindi Ch 5 Hindi Anuvad प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन विभिन्न रूपों में किया है, क्योंकि उसे फागुन में प्रकृति की शोभा सर्वत्र छायी हुई प्रतीत होती है और वह उससे हर स्थिति में प्रभावित हो रहा है। उसे प्रकृति की व्यापकता और सौन्दर्य के दर्शन पेड़-पौधों में आये नव-किसलयों, खिले हुए फूलों आदि सभी में दिखाई दे रही है। फूलों की सुगन्ध मतवाली वायु के साथ प्रसरित होकर प्रकृति में ही नहीं, तन-मन पर भी छा रही है और उसका सीधा प्रभाव लोगों पर पड़ रहा है जिससे उनके मन उमंगित हो रहे हैं। कवि इसके सौन्दर्य से अपनी आँखें हटा नहीं पा रहा है, वह इसकी व्यापकता को ही केवल देखता रहता है।
Class 10th Hindi Kshitij Chapter 5 Question Answer प्रश्न 4.
फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर:
फागुन में वसन्त ऋतु का प्रसार होने से सारा वातावरण मादकता से पूरित होता है। उसकी यह मादकता और सुहावनापन उसे अन्य ऋतुओं से भिन्न कर देता है। फागुन में रंग-बिरंगी प्राकृतिक शोभा से मादकता छा जाती है। पेड़ पौधों की डालें नवीन पत्तों से जहाँ सुशोभित हो जाती हैं, वहीं वे मनोहारी फूलों से सुसज्जित होकर चारों ओर पवन के झोंकों के साथ अपनी सुगन्ध बिखेरने लगती हैं। पक्षियों का ही क्या? मानव-मन भी उमंगित होकर चहकने लगता है।
कक्षा 10 हिंदी पाठ 5 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 5.
इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
निराला के काव्य-शिल्प की पहली प्रमुख विशेषता है-प्रकृति चित्रण के माध्यम से मन के भावों को
देना। इन कविताओं में भी फागन के सहावने और मादक वातावरण के द्वारा मन की मौज और उमंग का चित्रण सरसता के साथ किया गया है।
निराला के काव्य-शिल्प की दूसरी विशेषता है प्रकृति के क्रिया-व्यापार में मानव के क्रिया-व्यापार को देखना अर्थात् मानवीकरण। यहाँ पर भी कवि ने प्रकृति की झाँकी में मानव-झाँकी का अवलोकन किया है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो।
उड़ने को नभ में तुम,
पर-पर कर देते हो।
इसके साथ ही 'उत्साह' कविता में मानवीकरण का उदाहरण देखिए -
'बादल गरजो!
घेर घेर घोर गगन धाराधर ओ!' -
निराला के काव्य की तीसरी विशेषता है-गीति शैली। इन कविताओं में गीति-शैली के गुण दिखाई पड़ते हैं, जैसे. -संक्षिप्तता. अनभति. प्रवाहमयता. गेयता आदि। कवि निराला के काव्य-शिल्प की अन्य विशेषता है. सांकेतिकता और लघु शब्दों का प्रयोग-ये विशेषताएँ भी इन कविताओं में परिलक्षित होती हैं। इन विशेषताओं के अलावा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली और प्रतीकात्मकता का भी प्रयोग इन कविताओं में काव्य-शिल्प की विशेषताओं के रूप में हुआ है।
रचना और अभिव्यक्ति -
Hindi Class 10 Ch 5 Question Answer प्रश्न 6.
होली के आस-पास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
होली के आस-पास प्रकृति में अनेक परिवर्तन दिखाई देते हैं, जैसे-इस काल में वातावरण सुहावना हो जाता है। सर्दी का प्रभाव समाप्त-सा हो जाता है। खेतों में खडी फसलें पकने लगती हैं। पेड-पौधे नयी कोपलों एवं कलियों से लद जाते हैं। मन्द सुगन्धित हवा बहती है। सारा वातावरण मादकता से पूरित हो जाता है। मन में उमंग और उत्साह भर उठता है।
RBSE Class 10 Hindi उत्साह और अट नहीं रही Important Questions and Answers
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
Class 10 Hindi Chapter 5 Vyakhya प्रश्न 1.
बादल किसका प्रतीक हैं?
उत्तर:
बादल पौरुष और क्रांति का प्रतीक हैं।
Ch 5 Hindi Class 10 Kshitij Question Answer प्रश्न 2.
बादल किसकी प्रेरणा देते हैं?
उत्तर:
बादल नवजीवन एवं नयी कविता-सृजन की प्रेरणा देते हैं।
Class 10 Hindi Kshitij Ch 5 Question Answer प्रश्न 3.
कवि ने बादल को 'अनंत के घन' क्यों कहा?
उत्तर:
अनंत के दो अर्थ हैं-आकाश और ईश्वर। बादल ईश्वर के प्रतिनिधि बनकर आते हैं और करुणा-जल बरसाते हैं।
Class X Hindi Chapter 5 Question Answer प्रश्न 4.
कवि निराला किस प्रकार के कवि माने जाते हैं?
उत्तर: कवि निराला क्रांतिकारी विचारों के कवि माने जाते हैं।
Class 10 Hindi Lesson 5 Question Answer प्रश्न 5.
कवि ने 'बादलों' को ही सम्बोधित क्यों किया?
उत्तर:
बादल गर्जन और सृजन दोनों के ही प्रतीक हैं और कवि का प्रिय विषय भी है।
Ch 5 Hindi Class 10 प्रश्न 6.
कवि ने बादल को 'नवजीवन' देने वाला क्यों बताया?
उत्तर:
बादल जल-वर्षण करके सभी प्राणियों और प्रकृति में नवसंचार करते हैं।
Class 10 Kshitij Chapter 5 Question Answer प्रश्न 7.
'अट नहीं रही' कविता का वर्ण्य-विषय क्या है?
उत्तर:
'फागुन मास का प्राकृतिक सौन्दर्य' कविता का विषय है।
Kshitij Class 10 Chapter 5 Question Answer प्रश्न 8.
फागुन मास में कौनसी ऋतु का आगमन होता है?
उत्तर:
फागुन मास में ऋतुओं के राजा कहे जाने वाले वसंत का आगमन होता है।
Class 10 Shitiz Ch 5 Question Answer प्रश्न 9.
'शोभाश्री' शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
'शोभाश्री' शब्द का अर्थ 'सौन्दर्य' से भरपूर है।
Chapter 5 Hindi Class 10 Question Answer प्रश्न 10.
कवि निराला का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' इनका पूरा नाम है।
Ch 5 Hindi Class 10 Question Answer प्रश्न 11.
निराला की प्रमुख काव्य रचनाएँ बताइये।
उत्तर:
'अनामिका', 'परिमल', 'गीतिका', 'कुकुरमुत्ता' और 'नए पत्ते' आदि।
Class 10th Hindi Suryakant Tripathi Nirala Question Answer प्रश्न 12.
निराला किस छन्द के जनक माने जाते हैं?
उत्तर:
निराला कविता में प्रयुक्त 'मुक्त छन्द' के जनक माने जाते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
Class 10 Hindi Utsah Question Answer प्रश्न 1.
"तप्तधरा, जल से फिर शीतल कर दो-बादल गरजो!" कवि निराला ने तप्त धरा को शीतल करने की बात क्यों कही है?
उत्तर:
कवि निराला ने तप्त धरा से शीतल करने की बात इसलिए कही है, क्योंकि बादल क्रान्ति और पौरुष का प्रतीक है, इसलिए वह शोषण-उत्पीड़न एवं अभावों से व्यथित और गर्मी-प्यास से पीड़ित इस धरती को अपने जल से सुख और शान्ति प्रदान कर दे।
Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 Question Answer प्रश्न 2.
'उत्साह' शीर्षक कविता में निहित सन्देश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि 'उत्साह' शीर्षक कविता से जोश, पौरुष और क्रान्ति का सन्देश देना चाहता है। इसलिए वह बादलों का आह्वान कर उन्हें सारे आकाश में छा जाने और जोशभरी गड़गड़ाहट के साथ प्यासी धरती की प्यास बुझाने के लिए कहता है।
प्रश्न 3.
'उत्साह' कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर:
'उत्साह' कविता में कवि ने जहाँ बादल को पीड़ित और उदास लोगों की प्यास बुझाने वाला, धरती की तपन को शीतलता प्रदान करने वाला बताया है, वहीं दूसरी ओर संसार को नवीन प्रेरणा और नवीन जीवन प्रदान करने में सामाजिक क्रान्ति का प्रतीक बतलाया है।
प्रश्न 4.
'उत्साह' शीर्षक कविता में कवि ने बादल के सम्बन्ध में क्या-क्या कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने बादलों के सम्बन्ध में कहा है कि वे वज्रपात की शक्ति रखने वाले, नवीन स्रष्टिकर्ता, जल रूपी नव जीवन देने वाले, संसार को नव प्रेरणा देने वाले और धरती को शीतलता देने वाले होते हैं। वे सामाजिक क्रान्ति में . महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 5.
'घेर, घेर घोर गगन' कवि बादलों से ऐसा क्यों कह रहा है?
उत्तर:
कवि बादलों से ऐसा इसलिए कह रहा है कि यह आकाश मानो धरती का संरक्षक है, इसलिए बादल आकाश में छाकर धरती की तपन दूर करने के लिए छाया कर दें और अपनी जल वर्षा से इसे शीतलता प्रदान कर दें।
प्रश्न 6.
'उत्साह कविता में कवि ने बादलों की तुलना किससे की है?
उत्तर:
कवि ने बादलों की तुलना नव जीवन देने वाले साहित्यकार एवं क्रान्तिचेता पुरुष से की है। जिस तरह कवि . कविता द्वारा निराश मन में उत्साह का संचार कर देता है, उसी प्रकार बादल वर्षा कर प्राणियों और धरती को शीतलता देता है।
प्रश्न 7.
कवि ने विकल और अनमने किन्हें बताया है और क्यों?
उत्तर:
कवि ने विकल और अनमने धरती पर रहने वाले प्राणियों को बताया है, क्योंकि वे धरती पर पड़ने वाली भीषण गर्मी से पीडित हैं। यहाँ भीषण गर्मी सांसारिक कष्टों की भी प्रतीक मानी जा सकती है।
प्रश्न 8.
कवि की आँख किससे नहीं हट रही है और क्यों?
उत्तर:
कवि की आँख फागुन माह की सौन्दर्यमयी शोभा से नहीं हट रही है, क्योंकि पेड़-पौधों की डालियाँ हरे हरे पत्तों से लद गयी हैं और उन पर रंग-बिरंगे फूलों की आभा फैल रही है। वे कहीं अपनी हरीतिमा और लालिमा दर्शाती हुई प्रतीत हो रही हैं।
प्रश्न 9.
'अट नहीं रही है कविता का मूल भाव लिखिए।
उत्तर:
'अट नहीं रही है' कविता में फागुन की मस्ती भरी प्राकृतिक सुषमा एवं उल्लास का वर्णन किया गया है। इसमें कहीं मादक हवाएँ हैं, कहीं वृक्षों पर लाल-हरे पत्ते उग आए हैं, कहीं रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। हर जगह शोभा समाये नहीं समा पा रही है।
प्रश्न 10.
'पाट-पाट शोभा-श्री पट नहीं रही है का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
'पाट-पाट शोभा-श्री पट नहीं रही है' का आशय है कि सब जगह फागन की प्राकतिक सुन्दरता एवं मादकता रंग-बिरंगे फूल-पत्तों के रूप में इस तरह छा गयी है कि वह मानो तन-मन में समा नहीं रही है और बरबस बाहर प्रकट हो रही है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
'उत्साह' कविता में वर्णित कवि की केन्द्रीय चेतना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सर्यकान्त त्रिपाठी निरालाजी एक क्रांतिकारी कवि माने जाते हैं और उनका उद्देश्य समाज में बदलाव लाना रहा है। बादलों के गरजने, बरसने का प्रतीक क्रांति, बदलाव व विद्रोह का प्रतीक है। इसी क्रम में उत्साह' मुख्य रूप से एक 'आह्वान गीत' है जो बादलों के माध्यम से दो बातों को एक साथ कहने का प्रयास करते हैं। एक तरफ कवि की भावना है कि बादल पीड़ित व प्यासे जनमानस की आकांक्षाओं को पूरी करने वाला है तो दूसरी तरफ वही बादल नई कल्पना और नए अंकुर को जन्म देने के साथ-साथ लोगों के अन्दर क्रांतिकारी चेतना को जागृत करने वाला है।
कवि जीवन को बहुत व्यापक और समग्र दृष्टि से देखते हैं। कविता में ललित कल्पना और क्रांति चेतना दोनों हैं। सामाजिक क्रांतियाँ बदलाव में साहित्य की भूमिका होती है। कविता 'उत्साह' में कवि इसमें 'नवजीवन' और 'नूतन कविता' के सन्दर्भ में देखते हैं। बादलों को नव शिशु के धुंघराले बालों की उपमा देकर गर्जन करने को कहते हैं। इससे तात्पर्य है कि बादलों को धीमे-धीमे बरसने को न कहकर नव क्रांति चाहते हैं।
प्रश्न 2.
'अट नहीं रही है' कविता का मूल भाव लिखिए।
उत्तर:
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने प्रकृति-सौन्दर्य के माध्यम से ऋतुराज वसन्त के आगमन का अलौकिक वर्णन किया है। फाल्गुन माह की अद्भुत छटा का सौन्दर्य कविता के मूल में है। वसन्त को 'ऋतुराज' यूं ही नहीं कहा जाता है यह वाकई में 'ऋतुओं का राजा' होता है। इस समय प्रकृति की जो मनमोहक सुन्दरता दिखाई देती है वह शायद ही किसी और ऋतु के आगमन के वक्त दिखती है। हाड़ कंपाती ठंड के बाद जब धीरे-धीरे गर्मी की तरफ आते हैं तब से ही बसंत का आगमन और फागुन मास का प्रारम्भ होता है।
वसंत के आगमन के साथ ही फागुन महीने में प्रकृति में चारों तरफ सुन्दर-सुन्दर फूल खिलने लगते हैं। उनकी भीनी-भीनी खुशबू से घर आंगन पूरा वातावरण महकने लगता है। कवि ने प्रकृति का मानवीकरण करते हुए कहा है कि 'ऐसा लगता है मानो फालान के सांस लेने से पूरा वातावरण खुशबू से भर गया और सुन्दर फूल मानो प्रकृति की सुन्दर माला बन गये हो। चारों तरफ हरियाली, रंग-बिरंगी तितलियाँ व भौरों के मधुर गुंजार सुनाई व दिखाई देते हैं। लाल-हरे फूल-पत्तों की सुन्दरता प्रकृति को नई दुल्हन के समान सज्जित करती है जिस पर से आँख हटाना मुश्किल हो जाता है, इस कविता के माध्यम से कवि ने फाल्गुन माह की प्रकृति का अद्भुत सौन्दर्य प्रकट किया है।
रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न -
प्रश्न 1.
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालिए।
अथवा
निराला के बहु आयामी कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म बंगाल के महिषादल (मेदनीपुर) में सन् 1899 में हुआ। उनकी औपचारिक शिक्षा महिषादल में नवीं तक हुई। इसके पश्चात् स्वाध्याय से उन्होंने संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित किया। काव्य चेतना की दृष्टि से निराला को मूलतः छायावादी कवि माना जाता है। दार्शनिकता, विद्रोह, क्रांति, प्रेम की तरलता और प्रकृति का विराट तथा उदात्त चित्र उनकी रचनाओं में उपस्थित है।
'अनामिका', 'परिमल', 'गीतिका', 'कुकुरमुत्ता' और 'नए पत्ते' काव्य संग्रह हैं। उपन्यास, कहानी, आलोचना] निबन्ध लेखन भी इन्होंने पर्याप्त लिखा है। उपेक्षितों के प्रति इनकी कविताओं में गहरी सहानभति का भाव मिलता है, वहीं शोषक वर्ग के प्रति प्रचंड प्रतिकार का भाव भी मिलता है। साहित्यिक मोर्चे पर निरन्तर संघर्ष करते हुए सन् 1961 में इनका देहान्त हो गया।
उत्साह और अट नहीं रही Summary in Hindi
कवि-परिचय :
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल के महिषादल में सन् 1899 में हुआ। वे मूलतः गढ़ाकोला (जिला-उन्नाव) उत्तर प्रदेश के निवासी थे। निराला की औपचारिक शिक्षा कक्षा नौवीं तक महिषादल में हुई थी। उन्होंने स्वाध्याय से संस्कृत, बंगला और अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित किया। वे रामकृष्ण परमहंस और विवेकानन्द की विचारधारा से विशेष रूप से प्रभावित थे।
निराला का पारिवारिक जीवन दु:खों तथा संघर्षों से भरा रहा। साहित्यिक जीवन में भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। वे छायावादी एवं प्रगतिवादी कवि तथा मुक्त छन्द के प्रथम प्रयोक्ता थे। सन् 1961 में उनका देहान्त हो गया। उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ-'अनामिका', 'परिमल', 'गीतिका', 'कुकुरमुत्ता' और 'नये पत्ते' हैं। इनके अलावा उन्होंने उपन्यास, कहानी, आलोचना और निबन्ध भी लिखे हैं।
पाठ-परिचय :
हमारे पाठ्यक्रम में उनकी दो रचनाएँ शामिल की गई हैं - (i) उत्साह और (ii) अट नहीं रही है। उत्साह-'उत्साह' शीर्षक कविता एक आह्वान गीत है। इसमें बादलों के माध्यम से मानव के उत्साह का वर्णन हुआ है। कविता में बादल एक ओर पीडित-प्यासे जन की आकांक्षाओं को परा करने वाला है तो दसरी अ ओर बादल नयी कल्पना औ नये अंकर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रान्ति चेतना को सम्भव करने वाला भी है। अट नहीं रही है-इस कविता में निराला ने फागुन मास की मस्ती और शोभा का मनमोहक वर्णन किया है। कवि | ने फागुन की सर्वव्यापक सुन्दरता और प्राकृतिक उल्लास को लेकर आह्माद व्यक्त किया है।
सप्रसंग व्याख्याएँ।
उत्साह
1. बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो -
बादल, गरजो!
कठिन-शब्दार्थ :
- घोर = भयंकर।
- गगन = आकाश।
- धाराधर = बादल।
- ललित = सुन्दर।
- विद्युत-छबि = बिजली की उज्ज्वल शोभा।
- उर = हृदय।
- वज्र = कठोर, भीषण।
- नूतन = नई।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित कविता 'उत्साह' से लिया गया है। यह एक आह्वान गीत है। बादलों को बरसने को कहते हैं क्योंकि बादल नई चेतना. नये अंकर को जन्म देते हैं।
व्याख्या - उपरोक्त पंक्तियों में कवि निराला ने उस सुन्दर वातावरण का वर्णन किया है जब आकाश काले-काले बादलों से भर जाता है। बिजली चमकने और बादलों के गर्जन का शोर होता है। तब कवि बादल को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि हे बादल! तुम गरजो! समस्त आकाश को घेर-घेर कर मूसलाधार वर्षा करो। हे बादल ! तुम अत्यन्त सुन्दर हो। तुम्हारा स्वरूप छोटे बालक के समान है जिसके सिर पर काले धुंघराले बाल है, यहाँ बादलों का मानवीकरण किया गया है। कवि कहते हैं कि 'ओ काले रंग के सुन्दर-सुन्दर घुघराले बादल, तुम पूरे आसमान को घेर कर जोरदार ढंग से गर्जना करो।'
तुम अबोध बालकों की कल्पना के समान पाले गये हो। तुम अपने हृदय में बिजली की शोभा को धारण करते हो। तुम नवीन सृष्टि करने वाले हो। तुम जल रूपी नवीन जीवन प्रदान करने वाले हो। तुम्हारे अन्दर वज्रपात की शक्ति छिपी हुई है अर्थात् परिवर्तन करवाना ही तुम्हारा नियम है। तुम मेरे हृदय में नयी कविता को जन्म दो और संसार को फिर से नवीन प्रेरणा से भर दो। हे बादल! तुम गरजो। यहाँ बादलों के माध्यम से कवि नवयुवकों में उत्साह का संचार करते हैं।
विशेष :
- कवि द्वारा बादलों का सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया गया है, बादल पौरुष और क्रांति का प्रतीक बताया गया है।
- पद्यांश में प्रयुक्त भाषा खड़ी बोली हिन्दी तथा मुक्त छन्द है। उपमा अलंकार तथा तत्सम शब्द का प्रयोग है।
- भाषा सरल व सहज ही ग्रहणीय है।
2. विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो
बादल, गरजो!
कठिन-शब्दार्थ :
- विकल = व्याकुल।
- उन्मन = अनमना, उदास।
- निदाघ = गर्मी।
- सकल = सारे।
- अज्ञात = अनजान।
- अनंत = आकाश।
- तप्त = गर्म।
- धरा = पृथ्वी।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित कविता 'उत्साह' से लिया गया है। इसमें कवि ने गर्मी से बेहाल लोगों के बारे में वर्णन किया है।
भावार्थ - कवि बादल को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि हे बादल! गर्मी की तपन के कारण सारी धरती के लोग व्याकुल तथा बेचैन (उदास) हो रहे हैं। इस कारण इनका मन कहीं और नहीं लग रहा है। इसी समय इस अनंत आकाश में न मालूम तुम किस ओर से आकर छा गए। हे बादल! तुम बरस कर इस गर्मी के ताप से तपी हुई इस धरती को शीतलता प्रदान करो। हे बादल! गरज कर बरसो। धरती पर वर्षा हो जाने के बाद लोग भीषण गर्मी से राहत पाते हैं और उनका मन फिर नये उत्साह और उमंग से संचारित होने लगता है। अर्थात् कार्य की नयी आशाएँ जन्म लेती हैं।
विशेष :
- बादल जन-आकांक्षाओं की पूर्ति का साधन है जो उमड़-घुमड़ कर अपनी करुणा रूपी जल-वर्षा से धरती को हरा-भरा करते हैं।
- खड़ी बोली हिन्दी, मुक्त छन्द, ओजगुण का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा का सरल-सहज रूप प्रस्तुत है।
अट नहीं रही है
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल।
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
कठिन-शब्दार्थ :
- अट = समाना, प्रविष्ट।
- आभा = चमक।
- नभ = आकाश।
- पुष्प-माल = फूलों की माला।
- पाट-पाट = जगह-जगह।
- शोभा-श्री = सौन्दर्य से भरपूर।
- पट नहीं रही = समा नहीं रही।
प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित कविता 'अट नहीं रही है ' से लिया गया है। इसमें फागुन मास की सुन्दरता का वर्णन किया गया है। फागुन में ऋतुराज बसंत का आगमन होता है और उसकी सुन्दरता सबसे अनुपम होती है।
व्याख्या - कवि फागुन मास की मादकता का वर्णन करते हुए कहता है कि फागुन मास का सौन्दर्य इतना अधिक है कि उसकी शोभा समा नहीं पा रही है। यह शोभा प्रकृति के साथ-साथ मानव तन पर भी दृष्टिगोचर हो रही है। परिणामस्वरूप मानव चेहरों पर खुशी झलक उठी है। कवि कहता है कि इस महीने में कहीं सुगन्धित हवा का झोंका उठता है, तो उससे ऐसा प्रतीत होने लगता है कि तुम खुलकर श्वास ले रहे हो। इससे घर-घर महक उठता है। तुम वातावरण में ऐसी मादकता भर देते हो कि मन रूपी पक्षी कल्पनाओं के पंख लगाकर उन्मुक्त गगन में उड़ने के लिए आतुर हो उठता है।
कवि सर्वत्र फागुन के फैले सौन्दर्य का दर्शन करता है। उसकी आँखें इस फैले हुए सौन्दर्य को देखकर अघाती नहीं हैं। इसलिए वह अपनी दृष्टि को इससे हटा नहीं पाता है। पेड़-पौधों की डालियाँ हरे-हरे पत्तों से लद गयी हैं। वे कहीं अपनी हरीतिमा और कहीं लालिमा झलकाती हुई प्रतीत होती हैं। कहीं वृक्षों के गलों में मंद-मंद सुगन्ध वाले फूलों की माला पड़ी हुई है। आशय यह है कि वसन्त के इस मादक वातावरण में वृक्षों की डालियों पर सुगन्धित पुष्प खिल गये हैं जो अपनी मंद-मंद सुगन्ध को चारों ओर फैला रहे हैं। जगह-जगह सौन्दर्य राशि इतनी अधिक खिल उठी है कि वह समा नहीं पा रही है। वह सब जगह प्रकट हो रही है।
विशेष :
- कवि ने प्रकृति का मानवीकरण किया है। फागुन माह में प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य का वर्णन प्रस्तुत किया है।
- खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग हुआ है। अनुप्रास अलंकार एवं तत्सम शब्दों का प्रयोग है।
- भाषा सरल-सहज एवं आलंकारिक है।