These comprehensive RBSE Class 9 Social Science Notes History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Social Science Notes History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
→ सामाजिक परिवर्तन का युग
(i) उदारवादी, रैडिकल और रूढ़िवादी(
- फ्रांसीसी क्रांति के बाद यूरोप में सामाजिक परिवर्तन का युग आया।
- सामाजिक परिवर्तन के विचारों की दृष्टि से तीन प्रकार के समूह थे
- उदारवादी
- रैडिकल या आमूल परिवर्तनवादी तथा
- रूढ़िवादी। फ्रांसीसी क्रांति के बाद इन विविध विचारों के बीच टकराव हुए। 19वीं सदी में क्रांति और राष्ट्रीय कायान्तरण की विभिन्न कोशिशों ने इन धाराओं की सीमाओं और संभावनाओं को स्पष्ट कर दिया।
(ii) औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन
- उदारवादी तथा रैडिकल, दोनों औद्योगीकरण के कारण उत्पन्न समस्याओं का हल खोजने की कोशिश कर रहे थे। उन्नीसवीं शताब्दी के शुरुआती दशकों में समाज परिवर्तन के इच्छुक बहुत सारे कामकाजी स्त्री-पुरुष उदारवादी और रैडिकल समूहों व पार्टियों के इर्द-गिर्द गोलबन्द हो गये थे।
- यूरोप में 1815 में जिस तरह की सरकारें बनीं उनसे छुटकारा पाने के लिए कुछ राष्ट्रवादी, उदारवादी और रैडिकल आंदोलनकारी क्रांति के पक्ष में थे।
(iii) यूरोप में समाजवाद का आना
- उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में समाजवाद का अच्छा प्रचार हो चुका था। बहुत से लोगों का ध्यान इसकी तरफ आकर्षित हो रहा था।
- कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने समाजवाद के पक्ष में अनेक नये तर्क पेश किये। मार्क्स का मानना था कि जब तक निजी पूँजीपति मजदूरों के शोषण से मुनाफे का संचय करते जाएंगे तब तक मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता।
(iv) समाजवाद के लिए समर्थन
- 1870 का दशक आते-आते पूरे यूरोप में समाजवादी विचार फैल चुके थे। अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए समाजवादियों ने द्वितीय इंटरनेशनल के नाम से एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था बना ली थी।
- 1905 तक ब्रिटेन के समाजवादियों और ट्रेड यूनियन आंदोलनकारियों ने लेबर पार्टी नाम से अपनी एक अलग पार्टी बना ली। फ्रांस में भी सोशलिस्ट पार्टी के नाम से ऐसी ही एक पार्टी का गठन किया गया।
- 1914 तक यूरोप में समाजवादी कहीं भी सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाये।
→ रूसी क्रांति
1917 की अक्टूबर क्रांति के जरिये रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया। फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और अक्टूबर की घटनाओं को ही अक्टूबर क्रांति कहा जाता है। क्रांति के समय रूस की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियाँ निम्न थीं
(i) रूसी साम्राज्य, 1914-1914 में रूस और उसके पूरे साम्राज्य पर जार निकोलस II का शासन था। इसमें रूसी आर्थोडॉक्स क्रिश्चयैनिटी को मानने वाले बहुमत में थे। लेकिन उसमें कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट, मुस्लिम और बौद्ध थी थे।
(ii) अर्थव्यवस्था और समाज
- रूसी साम्राज्य की लगभग 85% जनता आजीविका के लिए खेती पर निर्भर थी।
- उद्योग बहुत कम थे। सेंट पीटर्सबर्ग और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे। कारीगरों की वर्कशापों के साथ-साथं बड़े बड़े कल-कारखाने भी थे। ज्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थे। कहीं-कहीं कारीगरों और कारखाना मजदूरों की संख्या लगभग बराबर थी।
- सामाजिक स्तर पर मजदूर बँटे हुए थे। मजदूर संगठन बहुत कम थे। फिर भी किसी मजदूर को नौकरी से निकालने पर मजदूर हड़तालें होती थीं।
(iii) रूस में समाजवाद
- 1914 से पहले रूस में सभी राजनैतिक पार्टियाँ गैर काननी थीं।
- समाजवादियों द्वारा 1898 में 'रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी' का गठन किया गया था।
- 1900 में समाजवादियों ने रूस के ग्रामीण क्षेत्रों में 'समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी' का गठन किया जिसने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
- किसानों और सांगठनिक रणनीति के प्रश्नों पर समाजवादी पार्टी में गहरे मतभेद थे।
(iv) उथल-पुथल का समय
- रूस एक निरंकुश राजशाही था।
- 1904 में कीमतों की वृद्धि से वास्तविक वेतन में 20 प्रतिशत तक गिरावट आ गयी।
- मजदूर संगठनों में सदस्यता बढ़ी।
- मजदूरों की कार्यस्थिति में सुधारों की माँग के साथ मजदूरों ने हड़ताल कर दी। पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें 100 से ज्यादा मजदूर मारे गए। इतिहास में यह घटना 'खुनी रविवार' के नाम से जानी जाती
- 1905 की क्रांति की शुरूआत इसी घटना से हुई थी।
(v) पहला विश्व युद्ध और रूसी साम्राज्य
- 1914 में दो यूरोपीय गठबंधनों के बीच युद्ध छिड़ गया।
- 1914 से 1916 के बीच जर्मनी और आस्ट्रिया में रूसी सेनाओं को भारी पराजय मिली।
- युद्ध से उद्योगों पर बुरा असर पड़ा।
- मजदूरों की कमी हो गई तथा रोटी आटे की किल्लत पैदा हो गई।
→ पेत्रोग्राद में फरवरी क्रांति
1917 की अक्टूबर क्रांति के द्वारा रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया। फरवरी, 1917 में राजशाही के पतन तथा अक्टूबर की घटनाओं को ही रूसी क्रांति कहा जाता है।
→ अक्टूबर के बाद क्या बदला
- 1917 की अक्टूबर क्रांति के बाद रूस में अनेक बदलाव आये। बोल्शेविक पार्टी का नाम बदल कर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया गया।
- 1918 से 1920 तक रूस में भीषण गृह-युद्ध चला। जनवरी, 1920 तक भूतपूर्व रूसी साम्राज्य के अधिकतर भाग पर बोल्शेविकों का नियन्त्रण कायम हो चुका था। इसके बाद बोल्शेविकों द्वारा समाजवादी समाज के निर्माण की ओर कदम बढ़ाये गये। शासन के लिए केन्द्रीकृत नियोजित व्यवस्था लागू की गई तथा एक विस्तारित शिक्षा व्यवस्था तथा सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई गयी। 1927-1928 के आसपास रूस के शहरों में अनाज का संकट पैदा हो गया। अनाज की कमी बनी रहने पर खेतों के सामूहिकीकरण का फैसला लिया गया। 1929 से पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों (कोलखोज) में काम करने का आदेश जारी कर दिया। सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में अधिक वृद्धि नहीं हुई।
→ रूसी क्रांति और सोवियत संघ का वैश्विक प्रभाव रूसी क्रांति का विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ा। अनेक देशों में साम्यवादी पार्टियों का गठन किया गया। . सोवियत संघ की वजह से समाजवाद को एक वैश्विक पहचान एवं हैसियत मिल गई थी। लेकिन बीसवीं सदी के अन्त तक एक समाजवादी देश के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत संघ की प्रतिष्ठा काफी कम रह गई थी।