RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 9 क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 9 क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 9 क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
कत्थक थे-
(अ) कथावाचक 
(ब) सुनार 
(स) सपेरे
(द) लोहार 
उत्तर:
(अ) कथावाचक 

प्रश्न 2. 
जगन्नाथ मंदिर स्थित है-
(अ) बंगाल में 
(ब) उड़ीसा में 
(स) केरल में 
(द) राजस्थान में 
उत्तर:
(ब) उड़ीसा में 

प्रश्न 3. 
'बसोहली' एक शैली है-
(अ) लघुचित्रकला की 
(ब) वास्तुकला की 
(स) पाककला की 
(द) मंदिर निर्माण कला की 
उत्तर:
(अ) लघुचित्रकला की 

प्रश्न 4. 
बंगाली साहित्य के 'मंगलकाव्य' में शामिल है-
(अ) भक्ति साहित्य 
(ब) परीकथाएँ 
(स) लोककथाएँ 
(द) गाथागीत 
उत्तर:
(अ) भक्ति साहित्य 

प्रश्न 5. 
निम्न में से कौनसा राज्य राजपूताना के नाम से जाना जाता था-
(अ) गुजरात 
(ब) महाराष्ट्र 
(स) मध्यप्रदेश 
(द) राजस्थान 
उत्तर:
(द) राजस्थान

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

1. 1586 ई. में जब अकबर ने बंगाल को जीत लिया तो इसे ................ माना जाने लगा। 
2. 17वीं सदी के बाद हिमालय की तलहटी में लघु चित्रकला की ................ शैली का विकास हुआ।
3. नौवीं शताब्दी में स्थापित चेर राज्य में ................ भाषा बोली जाती थी। 
4. ठंडे नीले और हरे रंगों सहित कोमल रंगों का प्रयोग और विषयों का काव्यात्मक निरूपण ................ शैली की विशेषता थी। 
5. .............. पुराण ने बंगाली ब्राह्मणों को कुछ खास किस्म की मछली खाने की अनुमति दे दी थी।
उत्तर:
1. सूबा 
2. बसोहली 
3. मलयालम 
4. कांगड़ा 
5. वृहद्धर्म।

सत्य/असत्य कथन छांटिये-

1. परंपरागत भोजन सम्बन्धी आदतें, आमतौर पर स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों पर निर्भर करती हैं। 
2. सन् 1586 में नादिरशाह ने दिल्ली विजय की। 
3. बसोहली शैली में जो सबसे लोकप्रिय पुस्तक चित्रित की गई थी वह थी-भानुदत्त की रसमंजरी। 
4. नाथ लोग व्यापारी होते थे। 
5. जीववाद यह मानता है कि पेड़-पौधों, जड़-वस्तुओं और प्राकृतिक घटनाओं में भी जीवात्मा है। 
उत्तर:
1. सत्य 
2. असत्य 
3. सत्य 
4. असत्य 
5. सत्य 

निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए-

1. भरतनाट्यम्

(अ) उड़ीसा

2. कथकली

(ब) मणिपुर  

3. ओडिसी

(स) तमिलनाडु

4. कुचिपुड़ी

(द) केरल  

5. मणिपुरी

(य) आंध्रप्रदेश 

उत्तर:

1. भरतनाट्यम्

(स) तमिलनाडु 

2. कथकली

(द) केरल 

3. ओडिसी

(अ) उड़ीसा 

4. कुचिपुड़ी

(य) आंध्रप्रदेश 

5. मणिपुरी

(ब) मणिपुर

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
प्रत्येक क्षेत्र को हम किन खास चीजों से जोड़ते हैं? 
उत्तर:
प्रत्येक क्षेत्र को हम कुछ खास किस्म के भोजन, वस्त्र, काव्य, नृत्य, संगीत और चित्रकला से जोड़ते हैं। 

प्रश्न 2. 
चेर क्षेत्र में कौनसी भाषा बोली जाती थी? 
उत्तर:
चेर क्षेत्र में मलयालम भाषा बोली जाती थी। 

प्रश्न 3. 
14वीं सदी में कौनसा ग्रंथ मणि प्रवालम शैली में लिखा गया था?
उत्तर:
14वीं सदी में व्याकरण एवं काव्यशास्त्र विषयक लीला तिलकम्' ग्रंथ मणि प्रवालम शैली में लिखा गया था। 

प्रश्न 4. 
मणि प्रवालम शैली क्या है?
उत्तर:
मणि प्रवालम शैली में दो भाषाओं-संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषा का साथ-साथ प्रयोग किया जाता है। 

प्रश्न 5. 
जगन्नाथ मूलतः क्या थे? 
उत्तर:
जगन्नाथ मूलतः एक स्थानीय देवता थे, जिन्हें आगे चलकर विष्णु का रूप मान लिया गया। 

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प्रश्न 6. 
अनंतवर्मन कौन था? 
उत्तर:
12वीं शताब्दी में गंग वंश का एक अत्यन्त प्रतापी राजा अनंतवर्मन हुए जिसने पुरी में जगन्नाथ के लिए एक मंदिर बनवाने का निश्चय किया। 

प्रश्न 7. 
किसने स्वयं को जगन्नाथ का 'प्रतिनियुक्त' घोषित किया? 
उत्तर:
1230 ई. में राजा अनंगभीम तृतीय ने स्वयं को जगन्नाथ का प्रतिनियुक्त घोषित किया। 

प्रश्न 8. 
कत्थक कौन थे? 
उत्तर:
कत्थक मूलतः उत्तर भारत के मंदिरों में कथा सुनाने वाले कथाकार थे जो अपने हाव-भाव तथा संगीत से अपने कथावाचन को अलंकृत किया करते थे। 

प्रश्न 9. 
कत्थक ने नृत्य शैली का रूप कब धारण किया? 
उत्तर:
15वीं तथा 16वीं शताब्दियों में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कत्थक ने एक विशिष्ट नृत्य शैली का रूप धारण कर लिया। 

प्रश्न 10. 
कत्थक नृत्य किन स्थानों पर विकसित हुआ? 
उत्तर:
कत्थक नृत्य परम्परा दो घरानों में विकसित हुई(1) जयपुर (राजस्थान) और (2) लखनऊ (उत्तरप्रदेश)। 

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प्रश्न 11. 
कत्थक की प्रस्तुति में किन बातों पर बल दिया जाता है? 
उत्तर:
कत्थक की प्रस्तुति में क्लिष्ट तथा द्रुत पद संचालन, उत्तम वेशभूषा तथा कहानियों के प्रस्तुतीकरण एवं अभिनय पर बल दिया जाता है। 

प्रश्न 12. 
लघुचित्र से क्या आशय है? 
उत्तर:
लघुचित्र छोटे आकार के चित्र होते हैं, जिन्हें प्रायः जलरंगों से कपड़े या कागज पर चित्रित किया जाता है। 

प्रश्न 13. 
प्राचीनतम लघुचित्र किस वस्तु पर चित्रित किए गए थे? 
उत्तर:
प्राचीनतम लघुचित्र तालपत्रों अथवा लकड़ी की तख्तियों पर चित्रित किए गए थे। 

प्रश्न 14. 
मुगल साम्राज्य में लघुचित्र प्राथमिक रूप में कहाँ चित्रित किए जाते थे? 
उत्तर:
मुगल साम्राज्य में लघुचित्र प्राथमिक रूप से इतिहास और काव्यों की पाण्डुलिपियों में चित्रित किये जाते थे। 

प्रश्न 15. 
मुगल साम्राज्य के पतन के बाद लघुचित्र परम्परा राजस्थान के किन क्षेत्रों में विकसित हुई? 
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के पतन के बाद लघुचित्र परम्परा मेवाड़, जोधपुर, कोटा, बूंदी और किशनगढ़ जैसे केन्द्रों में विकसित हुई।

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प्रश्न 16. 
बसोहली शैली क्या है? 
उत्तर:
हिमालय की तलहटी में 17वीं सदी के बाद लघुचित्रकला की एक भावप्रवण शैली का विकास हुआ, जिसे बसोहली शैली कहा जाता है। 

प्रश्न 17. 
महोदयपुरम् क्या था? 
उत्तर:
महोदयपुरम् केरल राज्य में चेर शासकों द्वारा शासितं राज्य था। 

प्रश्न 18. 
रासलीला से क्या अभिप्राय है? 
उत्तर:
भगवान राधा-कृष्ण के पौराणिक आख्यानों का लोकनाट्य के रूप में प्रस्तुतीकरण रासलीला कहलाता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में कितने नृत्य रूपों को शास्त्रीय नृत्य रूपों में मान्यता मिली है? इनके नाम लिखिए। 
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में छः नृत्य रूपों को शास्त्रीय नृत्य रूपों के रूप में मान्यता मिली है। ये हैं-

  • भरतनाट्यम (तमिलनाडु) 
  • कथाकली (केरल) 
  • ओडिसी (उड़ीसा), 
  • कुचिपुडि (आंध्रप्रदेश) 
  • मणिपुरी (मणिपुर) 
  • कत्थक (उत्तरप्रदेश, राजस्थान)।

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प्रश्न 2. 
क्षेत्रीय संस्कृतियाँ किस प्रकार विकसित हई? 
उत्तर:
क्षेत्रीय संस्कृतियाँ एक जटिल प्रक्रिया से विकसित हुई हैं। इस प्रक्रिया के तहत स्थानीय परम्पराओं और उपमहाद्वीप के अन्य भागों के विचारों के आदान-प्रदान ने एक-दूसरे को सम्पन्न बनाया है। कुछ परंपराएँ तो कुछ विशेष क्षेत्रों की अपनी हैं, जबकि कुछ अन्य भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में एक समान प्रतीत होती हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य परंपराएँ एक खास इलाके के पुराने रीति-रिवाजों से निकली हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों में जाकर इन्होंने एक नया रूप ले लिया है। 

प्रश्न 3. 
भाषा और क्षेत्र के बीच के अन्तःसंबंध को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
भाषा और क्षेत्र के बीच घनिष्ठ अन्तःसंबंध पाया जाता है। इसे महोदयपुरम के चेर राज्य और मलयालम भाषा के अन्तःसम्बन्ध के उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। यथा-
महोदयपुरम का चेर राज्य, वर्तमान केरल राज्य के एक क्षेत्र में नौवीं शताब्दी में स्थापित हुआ। संभवतः मलयालम भाषा इस क्षेत्र में बोली जाती थी। शासकों ने अपने अभिलेखों में इस भाषा एवं लिपि का प्रयोग किया। इसके साथ ही चेर लोगों ने संस्कृत की परम्पराओं से भी बहुत कुछ ग्रहण किया। इस भाषा की 'मणि प्रवालम' शैली-संस्कृत और क्षेत्रीय भाषा के साथ-साथ प्रयोग को स्पष्ट करती है। 

प्रश्न 4.
"पुरी में क्षेत्रीय संस्कृति, क्षेत्रीय धार्मिक परम्पराओं से विकसित हुई।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
पुरी में क्षेत्रीय संस्कृति क्षेत्रीय धार्मिक परम्पराओं से विकसित हुई। पुरी (उड़ीसा) में जगन्नाथ सम्प्रदाय इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है-दुनिया का मलिक जो विष्णु का अवतार है। आज तक जगन्नाथ की काष्ठ प्रतिमा, स्थानीय जनजातीय लोगों द्वारा बनाई जाती है जिससे यह तात्पर्य निकलता है कि जगन्नाथ मूलतः एक स्थानीय देवता थे, जिन्हें आगे चलकर विष्णु का रूप मान लिया गया। 

प्रश्न 5. 
"जहाँ आज का अधिकांश भाग राजस्थान स्थित है, 19वीं सदी में इस क्षेत्र को राजपूताना कहा जाता था।" क्यों? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
लगभग आठवीं शताब्दी से आज के राजस्थान के अधिकांश भाग पर विभिन्न परिवारों के राजपूत राजाओं का शासन रहा। ये शासक ऐसे शूरवीरों के आदर्शों को अपने हृदय में संजोए रखते थे, जिन्होंने रणक्षेत्र में बहादुरी से लड़ते हुए अक्सर मृत्यु का वरण किया, वरन् पीठ नहीं दिखाई। इन कहानियों में अक्सर नाटकीय स्थितियों, स्वामिभक्ति, मित्रता, प्रेम, शौर्य, क्रोध आदि प्रबल संवेगों का चित्रण है। इस प्रकार राजपूतों ने राजस्थान को एक विशिष्ट संस्कृति भी प्रदान की। इस कारण राजस्थान को 19वीं सदी में राजपूताना कहा जाता था। 

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प्रश्न 6. 
क्या चारण-भाटों द्वारा रचित कहानियों में महिलाओं को भी स्थान प्राप्त था? 
उत्तर:
हाँ, चारण-भाटों द्वारा रचित कहानियों में महिलाओं को भी स्थान प्राप्त था। यथा-

  • कभी-कभी वे झगड़े के कारण के रूप में कहानियों में विद्यमान हैं। इन कहानियों में बताया गया है कि पुरुष स्त्रियों को जीतने के लिए अथवा उनकी रक्षा के लिए आपस में लड़ते थे। 
  • कहीं-कहीं यह भी चित्रित किया गया है कि स्त्रियाँ अपने शूरवीर पतियों के जीवन-मरण, दोनों में अनुसरण करती थीं। 
  • सती प्रथा का भी कुछ कहानियों में उल्लेख हुआ है। 

प्रश्न 7. 
मुगलकालीन लघुचित्र परम्परा की विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:
लघुचित्र छोटे आकार के चित्र होते हैं, जिन्हें प्रायः जल रंगों से कपड़े या कागज पर चित्रित किया जाता है। मुगल बादशाह अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के काल में यह परम्परा इतिहास और काव्यों की पांडुलिपियों के चित्रण में विकसित हुई। ये पांडुलिपियाँ आमतौर पर चटक रंगों में चित्रित की जाती थीं और उनके दरबार के दृश्य, लड़ाई व शिकार के दृश्य और सामाजिक जीवन के अन्य पहलू इनमें चित्रित किये जाते थे। 

प्रश्न 8. 
मुगल साम्राज्य के पतन के बाद क्षेत्रीय राज्यों में लघ चित्र परम्परा का विकास किस प्रकार हआ? 
उत्तर:

  • मुगल साम्राज्य के पतन के बाद मुगल दरबार के अनेक चित्रकार नए उभरने वाले क्षेत्रीय राज्यों के दरबारों में चले गये। परिणामस्वरूप मुगलों की कलात्मक रुचियों ने दक्षिण के क्षेत्रीय दरबारों और राजस्थान के राजपूती दरबारों को प्रभावित किया। 
  • मुगल उदाहरणों का अनुसरण करते हुए इन राज्यों में भी शासकों एवं उनके दरबारों के दृश्य चित्रित किए गए। 
  • इसके साथ-साथ मेवाड़, जोधपुर, बूंदी, कोटा और किशनगढ़ जैसे केन्द्रों में पौराणिक कथाओं तथा काव्यों के विषयों का चित्रण बराबर जारी रहा। 

प्रश्न 9. 
बसोहली शैली क्या है? यह कहाँ विकसित हुई?
उत्तर:
बसोहली शैली लघु चित्रों की परम्परा में एक लघु चित्र शैली है। 17वीं सदी के बाद वाले वर्षों में आधुनिक हिमाचल प्रदेश के इर्द-गिर्द हिमालय की तलहटी के क्षेत्र में लघुचित्रकला की एक साहसपूर्ण एवं भावप्रवण शैली का विकास हुआ, जिसे 'बसोहली' शैली कहा जाता है। यहाँ जो सबसे लोकप्रिय पुस्तक चित्रित की गई थी, वह थीभानुदत्त की रस मंजरी। 

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प्रश्न 10. 
कांगड़ा शैली का विकास किस प्रकार हुआ? 
उत्तर:
1739 ई. में नादिरशाह के आक्रमण और दिल्ली विजय के परिणामस्वरूप मुगल कलाकार, मैदानी क्षेत्रों की अनिश्चितताओं से बचने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों की ओर पलायन कर गये। उन्हें वहाँ जाते ही आश्रयदाता तैयार मिले, जिसके फलस्वरूप चित्रकारी की कांगड़ा शैली का विकास हुआ। 

प्रश्न 11. 
कांगड़ा शैली की क्या विशेषताएँ थीं? 
उत्तर:

  • कांगड़ा शैली लघु चित्र परम्परा की एक लघु चित्र शैली है। 
  • इस चित्र शैली की प्रेरणा स्रोत वहाँ की वैष्णव परम्पराएँ थीं। 
  • ठंडे नीले और हरे रंगों सहित कोमल रंगों का प्रयोग और विषयों का काव्यात्मक निरूपण कांगड़ा शैली की प्रमुख विशेषता थी। 

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
कत्थक नृत्य की कहानी का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कत्थक नृत्य की कहानी 
कत्थक नृत्य शैली उत्तर भारत के अनेक भागों से जुड़ी है। यथा-
(1) कत्थक एक कथा के रूप में-कत्थक मूल रूप से उत्तर भारत के मंदिरों में कथा अर्थात् कहानी सुनाने वालों की एक जाति थी। ये कथाकार अपने हाव-भाव तथा संगीत से अपने कथावाचन को अलंकृत किया करते थे। 

(2) कत्थक एक नृत्य शैली के रूप में-15वीं तथा 16वीं शताब्दियों में भक्ति आंदोलन के प्रसार के साथ कत्थक एक विशिष्ट नृत्य शैली का रूप धारण करने लगा। इसके अन्तर्गत राधा-कृष्ण की पौराणिक कहानियाँ लोकनाट्य के रूप में प्रस्तुत किये जाते थे, जिन्हें रासलीला कहा जाता था। रासलीला में लोक नृत्य के साथ कत्थक कथाकार के मूल हाव-भाव भी जुड़े होते थे। 

(3) राजदरबारों में कत्थक नृत्य शैली का विकासमुगल बादशाहों और उनके अभिजातों के शासनकाल में कत्थक नृत्य राजदरबार में प्रस्तुत किया जाता था। यहाँ इस नृत्य ने अपने प्रतिमान अर्जित किए और वह एक विशिष्ट नृत्य शैली के रूप में विकसित हो गया। 

(4) दो घरानों में कत्थक नृत्य कला का उभार-आगे चलकर कत्थक नृत्य परम्परा दो घरानों में फली-फूली-(i) राजस्थान में जयपुर के राजदरबारों में और (ii) लखनऊ में अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह के संरक्षण में। 

(5) समस्त उत्तर-भारत में प्रसार-1850 से 1875 ई. के दौरान यह नृत्य शैली के रूप में समस्त उत्तर भारत में पक्के तौर पर संस्थापित हो गया। 19वीं सदी में ब्रिटिश प्रशासकों द्वारा नापसंद किये जाने के बावजूद यह बचा रहा और गणिकाओं द्वारा पेश किया जाता रहा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसे छः शास्त्रीय नृत्यों में शामिल कर लिया गया। 

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प्रश्न 2. 
लघु चित्रों की परम्परा पर एक लेख लिखिए। 
उत्तर:
लघु चित्र से आशय-लघु चित्र छोटे आकार के चित्र होते हैं, जिन्हें आमतौर पर जल रंगों से कपड़े या कागज पर चित्रित किया जाता है।

लघु चित्र परम्परा-एक विकास क्रम 
लघु चित्र परम्परा के विकास क्रम को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है- 
(1) प्राचीनतम लघु चित्र-प्राचीनतम लघु चित्र ताल पत्रों अथवा लकड़ी की तख्तियों पर चित्रित किए गए थे। इनमें से सर्वाधिक सुंदर चित्र, पश्चिम भारत में पाए गए जैन ग्रंथों में थे, जो इन ग्रंथों को सचित्र बनाने के लिए प्रयोग किये गये थे। 

(2) मुगल काल में लघु चित्र परम्परा का विकास मुगल बादशाह अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के काल में इतिहास और काव्यों की पांडुलिपियों को चटक रंगों से इन चित्रों को चित्रित किया। इनमें दरबार के दृश्य, लड़ाई तथा शिकार के दृश्य और सामाजिक जीवन के अन्य पहलू चित्रित किये जाते थे। 

(3) क्षेत्रीय राजाओं के राज्यों में लघु चित्र परम्परा का विकास-मुगल साम्राज्य के पतन के बाद दक्षिण के क्षेत्रीय दरबारों और राजस्थान के राजपूती दरबारों में मुगल दरबारों के चित्रकारों को संरक्षण मिला। इन राजदरबारों में इन कलाकारों ने मुगल लघु चित्र परम्परा को क्षेत्रीय विशिष्ट विशेषताओं के साथ विकसित किया।

(4) राजस्थान में अनेक शैलियों का विकास-राजस्थान में मेवाड़, जोधपुर, बूंदी, कोटा और किशनगढ़ जैसे केन्द्रों में पौराणिक कथाओं तथा काव्यों के विषयों के चित्रण के साथ लघु चित्र परम्परा में अनेक नवीन शैलियों का विकास हुआ।

(5) बसोहली शैली-17वीं सदी के बाद वाले वर्षों में आधुनिक हिमाचल प्रदेश के इर्द-गिर्द हिमालय की तलहटी में लघु चित्रकला की एक साहसपूर्ण और भावप्रवण बसोहली शैली का विकास हुआ। 

(6) कांगड़ा शैली-18वीं सदी में कांगड़ा के कलाकारों ने लघु चित्र परम्परा में एक नयी शैली का विकास किया, जिसे कांगड़ा शैली के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3. 
बंगाल के मंदिरों के स्थापत्य कला की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
बंगाल के मंदिरों की स्थापत्य कला-

  • आकृति-बंगाल के मंदिरों की आकृति बंगाल की छप्परदार झोंपड़ियों की तरह 'दोचाला' (दो छतों वाली) या 'चौचाला' (चार छतों वाली) होती थी। 
  • विशिष्ट बंगाली शैली-बंगाली गुंबद के कारण मंदिरों की स्थापत्य कला में विशिष्ट बंगाली शैली का प्रादुर्भाव हुआ। 
  • चौचाला ढाँचा-चौचालो ढाँचे में चार त्रिकोणीय छतें चार दीवारों पर रखी जाती थीं, जो तिर्यक रेखा या एक बिन्दु तक जाती थीं। 
  • वर्गाकार चबूतरा-मंदिर आमतौर पर एक वर्गाकार चबूतरे पर बनाए जाते थे।
  • भीतरी भाग-मंदिर के भीतरी भाग में कोई सजावट नहीं होती थी। 
  • बाहरी दीवारें-अनेक मंदिरों की बाहरी दीवारें चित्रकारियों, सजावटी टाइलों अथवा मिट्टी की पट्टियों से सजी होती थीं। कुछ मंदिरों में विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में विष्णुपुर के मंदिरों में ऐसी सजावटें अत्यन्त उत्कृष्ट कोटि तक पहुँच चुकी थीं।
admin_rbse
Last Updated on June 10, 2022, 4:52 p.m.
Published June 9, 2022