These comprehensive RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज will give a brief overview of all the concepts.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 9. Students can also read RBSE Class 9 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 9 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. The india size and location important questions are curated with the aim of boosting confidence among students.
→ राजनैतिक संस्थाओं की आवश्यकता - सभी आधुनिक लोकतांत्रिक देशों में सरकार के कामों को देखने के लिए | विभिन्न व्यवस्थाएँ की गई हैं। इस तरह की व्यवस्थाओं को संस्थाएँ कहते हैं। किसी भी देश के संविधान में प्रत्येक संस्था के अधिकारों और कार्यों के बारे में बुनियादी नियमों का वर्णन रहता है। ये संस्थाएँ तीन हैं-
→ संस्थाओं के साथ कायदे-कानून जुड़े होते हैं। इनसे नेताओं के हाथ बंध सकते हैं। लोकतांत्रिक सरकारों को संस्थाओं की आवश्यकता होती है, ताकि निर्णय सही लिये जा सकें। कोई भी लोकतंत्र तभी ठीक से काम करता है, जब ये संस्थाएँ अपने काम को अच्छी तरह करती हैं।
→ संस्थाओं के काम-काज में कुछ बैठकें, कुछ समितियाँ और कुछ सामान्य रुटीन का काम होता है। संस्थाओं के काम-काज के इन तरीकों से कुछ परेशानियाँ होती हैं या थोड़ा वक्त लगता है। लेकिन यह स्थिति कई मायनों में उपयोगी होती है। यथा
→ संसद हर लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की सभा, जनता की ओर से सर्वोच्च राजनैतिक अधिकार का प्रयोग करती है। भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा को संसद कहा जाता है। राज्य स्तर पर इसे विधानसभा कहते हैं। अलग-अलग देशों में इसके अलग-अलग नाम हो सकते हैं, पर हर लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभा होती है।
→ संसद के अधिकार-संसद जनता की ओर से कई तरह के राजनैतिक अधिकारों का प्रयोग करती है। यथा
→ संसद के दो सदन - अधिकांश बड़े देशों में संसद के दो सदन होते हैं। पहले सदन, जिसे निम्न सदन कहा जाता है, के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। दूसरे सदन, उच्च सदन के सदस्य प्रायः परोक्ष रूप से चुने जाते हैं । इसका काम विभिन्न राज्य, क्षेत्र और संघीय इकाइयों के हितों की निगरानी करना होता है।
→ भारत में भी संसद के दो सदन हैं-
→ लोकसभा बनाम राज्य सभा - हमारे संविधान में राज्यों के सम्बन्ध में राज्यसभा को कुछ विशेष अधिकार दिये गए हैं। लेकिन अधिकतर मसलों पर सर्वोच्च अधिकार लोकसभा के पास ही है। यथा
→ कार्यपालिका सरकार के विभिन्न स्तरों पर अधिकारी रोजमर्रा के फैसले करते हैं। इन सभी अधिकारियों को सामूहिक रूप से कार्यपालिका के रूप में जाना जाता है। कार्यपालिका सरकार की नीतियों को कार्यरूप देती है।
→ राजनीतक ओर स्थायो कायपालिका - किसी भी लोकतांत्रिक देश में कार्यपालिका के दो भाग होते हैं
→ राजनैतिक कार्यपालिका - जनता द्वारा खास अवधि के लिए निर्वाचित लोगों को अर्थात् मंत्रिमण्डल को राजनैतिक कार्यपालिका कहते हैं।
→ स्थायी कार्यपालिका - वे अधिकारीगण जो लम्बे समय के लिए नियुक्त किये जाते हैं और मंत्रियों को फैसले लेने में सहयोग करते हैं, स्थायी कार्यपालिका कहे जाते हैं।
→ राजनैतिक कार्यपालिका स्थायी कार्यपालिका से ज्यादा प्रभावशाली होती है क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गये हैं, उसके प्रति उत्तरदायी होते हैं तथा उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है।
→ प्रधानमंत्री - भारत में प्रधानमंत्री सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक संस्था है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल या| गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। वह लोकसभा में विश्वास पर्यन्त अपने पद पर बना रहता है। प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। मंत्री पद के लिए छः माह के अन्दर-अन्दर संसद का सदस्य होना आवश्यक है।
→ मंत्रिपरिषद - मंत्रिपरिषद उस निकाय का सरकारी नाम है जिसमें सारे मंत्री कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री, राज्यमंत्री होते हैं। चूँकि मंत्रिपरिषद की नियमित बैठक होना अव्यावहारिक है। इसलिए निर्णय कैबिनेट की। बैठकों में ही लिये जाते हैं। कोई भी मंत्री कैबिनेट के किसी निर्णय की खुलेआम आलोचना नहीं कर सकता। टीम के रूप में कैबिनेट के फैसलों को क्रियान्वित करने के लिए कैबिनेट की मदद सचिवालय करता है।
→ प्रधानमंत्री के अधिकार-
→ राष्ट्रपति - राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है। भारत में राष्ट्राध्यक्ष नाममात्र का कार्यपालिका प्रधान है। राष्ट्रपति को संसद और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य चुनते हैं।
सारी सरकारी गतिविधियाँ राष्ट्रपति के नाम पर ही होती हैं। सारे कानून और सरकार के प्रमुख नीतिगत फैसले उसी के नाम से जारी होते हैं। सभी प्रमुख नियुक्तियाँ उसी के नाम पर होती हैं। वह भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय और राज्य के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यपालों, चुनाव आयुक्तों, राजदूतों आदि को नियुक्त करता है। भारत के रक्षा बलों का वह सर्वोच्च सेनापति होता है। लेकिन राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग मंत्रिमण्डल की सलाह पर ही करता है।
→ न्यायपालिका - लोकतंत्रों के लिए स्वतंत्र और प्रभावशाली न्यायपालिका को आवश्यक माना गया है। देश के विभिन्न स्तरों पर मौजूद अदालतों को सामूहिक रूप से न्यायपालिका कहा जाता है। भारतीय न्यायपालिका में पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों के उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय और स्थानीय स्तर के न्यायालय होते
→ भारत में न्यायपालिका एकीकृत है। भारत में सर्वोच्च न्यायालय निम्न में से किसी भी विवाद की सुनवाई कर सकता है
यह फौजदारी तथा दीवानी मामले में अपील के लिए सर्वोच्च संस्था है। यह उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ सुनवाई कर सकता है।
→ सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति-