RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
जर्मन संसद का नाम है-
(अ) नेशनल असेम्बली 
(ब) सीनेट 
(स) राइखस्टाग 
(द) पार्लेमां 
उत्तर:
(स) राइखस्टाग 

प्रश्न 2. 
वर्साय की सन्धि की गई-
(अ) 9 नवम्बर, 1918 को 
(ब) 28 जून, 1919 को 
(स) 30 जनवरी, 1933 को 
(द) 1 सितम्बर, 1939 को 
उत्तर:
(ब) 28 जून, 1919 को 

प्रश्न 3. 
जर्मनी के आर्थिक संकट को दूर करने के लिए अमेरिका ने कौनसी योजना बनाई- 
(अ) डॉव्स योजना 
(ब) डनहिल योजना 
(स) रूजवेल्ट योजना 
(द) फानकर योजना 
उत्तर:
(अ) डॉव्स योजना 

प्रश्न 4. 
हिटलर जर्मनी का चांसलर बना-
(अ) 30 जनवरी, 1933 को
(ब) 28 फरवरी, 1933 को 
(स) 3 मार्च, 1933 को 
(द) 5 मई, 1933 को 
उत्तर:
(अ) 30 जनवरी, 1933 को

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प्रश्न 5. 
हिटलर ने 'लीग ऑफ नेशन्स' की सदस्यता कब त्यागी? 
(अ) 1833 में 
(ब) 1912 में 
(स) 1936 में 
(द) 1933 में 
उत्तर:
(द) 1933 में 

प्रश्न 6. 
नात्सीवाद का उदय हुआ- 
(अ) इंग्लैंड में 
(ब) जर्मनी में 
(स) फ्रांस में 
(द) भारत में 
उत्तर:
(ब) जर्मनी में

प्रश्न 7. 
निम्न में जो देश धुरी देश नहीं था, वह था- 
(अ) जर्मनी 
(ब) इटली 
(स) फ्रांस 
(द) जापान 
उत्तर:
(स) फ्रांस

प्रश्न 8. 
निम्न में से कौनसा देश मित्र राष्ट्र नहीं था- 
(अ) जर्मनी 
(ब) फ्रांस 
(स) ब्रिटेन 
(द) सोवियत संघ 
उत्तर:
(अ) जर्मनी

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प्रश्न 9. 
जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के सामने समर्पण कर दिया-
(अ) 1941 में 
(ब) 1943 में 
(स) 1944 में 
(द) 1945 में 
उत्तर:
(द) 1945 में 

प्रश्न 10. 
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद एक अन्तर्राष्ट्रीय सैनिक अदालत स्थापित की गई-
(अ) वर्साय में 
(ब) न्यूरेम्बर्ग में 
(स) वाइमर में 
(द) रूर में 
उत्तर:
(ब) न्यूरेम्बर्ग में 

प्रश्न 11. 
निम्न में कौनसा समूह वाइमर गणराज्य का समर्थक नहीं था? 
(अ) समाजवादी 
(ब) कैथलिक 
(स) स्पार्टकिस्ट लीग 
(द) डैमोक्रेट्स 
उत्तर:
(स) स्पार्टकिस्ट लीग 

प्रश्न 12. 
जर्मनी में कम्युनिस्ट पार्टी की नींव डाली- 
(अ) समाजवादियों ने 
(ब) स्पार्टकिस्टों ने 
(स) कैथलिकों ने 
(द) डेमोक्रेट्स ने। 
उत्तर:
(ब) स्पार्टकिस्टों ने 

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प्रश्न 13. 
जर्मनी में राजनीतिक आमूल परिवर्तनवाद की विचारधारा से सम्बद्ध खेमा था-
(अ) समाजवादी 
(ब) डैमोक्रेट्स 
(स) कैथलिक 
(द) स्पार्टकिस्ट 
उत्तर:
(द) स्पार्टकिस्ट 

प्रश्न 14. 
जर्मनी की मुद्रा का नाम है- 
(अ) मार्क 
(ब) डॉलर 
(स) रुपया 
(द) फ्रेंक 
उत्तर:
(अ) मार्क 

प्रश्न 15. 
जब कीमतें बेहिसाब बढ़ जाती हैं तो उस स्थिति को कहते हैं- 
(अ) मुद्रा स्फीति 
(ब) अति मुद्रास्फीति 
(स) मुद्रा संकुचन 
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं 
उत्तर:
(ब) अति मुद्रास्फीति 

प्रश्न 16. 
अमेरिका में स्थित शेयर बाजार 'वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज'-धराशायी हो गया-
(अ) 1924 
(ब) 1928 में 
(स) 1929 में 
(द) 1919 में
उत्तर:
(स) 1929 में

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

1. 1930 के दशक के शुरुआती सालों तक .................. जर्मन जनता को बड़े पैमाने पर अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाये थे। (डेमोक्रेट/कैथोलिक/नात्सी/समाजवादी) 
2. हिटलर ने सितम्बर ............. में पोलैण्ड पर हमला किया। (1933/1935/1939/1940) 
3. पर्ल हार्बर पर .......... ने अमेरिकी ठिकानों पर बमबारी का निशाना बनाया। (इटली/रूस/जर्मनी/जापान) 
4. नात्सियों की नजर में ................... वाँछित लोग थे। (नार्डिक आर्य/यहूदी/जिप्सी) 
5. हिटलर ने ............... में सोवियत संघ पर हमला किया। (1939/1940/1941) 
उत्तर:
1. नात्सी 
2. 1939 
3. जापान 
4. नार्डिक आर्य 
5. 1941 

निम्न वाक्यों में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये-

1. ईसाइयों की नजर में यहूदी आदतन हत्यारे और सूदखोर थे। 
2. नात्सी जर्मनी में नार्डिक आर्यों का सबसे बुरा हाल हुआ था। 
3. फ्रेंक जर्मनी की मुद्रा का नाम है। 
4. द्वितीय विश्व युद्ध में 8 मई, 1945 को मित्र राष्ट्रों की विजय हुई। 
5. नात्सी शासन में जर्मनी में हुए भीषण कत्लेआमों को होलोकास्ट कहा जाता है। 
उत्तर:
1. सत्य 
2. असत्य 
3. असत्य 
4. सत्य 
5. सत्य 

निम्न को सुमेलित कीजिए- 

(अ) 

(ब) 

1. जिप्सी 

बहुत ज्यादा ब्याज वसूल करने वाले महाजन 

2. घेटो 

सिन्ती और रोमा समुदाय 

3. सूदखोर

किसी समुदाय को औरों से अलग-थलग करके रखना

4. राइखस्टाग

ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद रखा जाता था

5. कंसन्ट्रेशन कैंप 

जर्मन संसद

उत्तर:

(अ) 

(ब) 

1. जिप्सी 

सिन्ती और रोमा समुदाय

2. घेटो 

किसी समुदाय को औरों से अलग-थलग करके रखना

3. सूदखोर

बहुत ज्यादा ब्याज वसूल करने वाले महाजन

4. राइखस्टाग

जर्मन संसद 

5. कंसन्ट्रेशन कैंप 

ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद रखा जाता था।

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
हिटलर का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
हिटलर का पूरा नाम एडोल्फ हिटलर था। 

प्रश्न 2. 
द्वितीय विश्वयुद्ध में मुख्य मित्र राष्ट्र कौन थे? 
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध में मुख्य मित्र-राष्ट्र थे-ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ तथा अमेरिका। 

प्रश्न 3. 
धुरी शक्तियों में कौनसे राष्ट्र शामिल थे? 
उत्तर:
धुरीशक्तियों में जर्मनी, इटली तथा जापान राष्ट्र शामिल थे। 

प्रश्न 4. 
हिटलर की पार्टी के लोगों को नात्सी क्यों कहा जाता था? 
उत्तर:
हिटलर की पार्टी के नाम का पहला शब्द 'नात्सियोणाल' था। इसलिए उसकी पार्टी के लोगों को नात्सी कहा जाता था। 

प्रश्न 5. 
'नवम्बर के अपराधी' कहकर किसका मजाक उड़ाया जाता था? 
उत्तर:
वाइमर गणराज्य के समर्थकों का, 'नवम्बर के अपराधी' कहकर मजाक उड़ाया जाता था। 

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प्रश्न 6. 
खंदक से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
युद्ध के मोर्चे पर सैनिकों के छिपने के लिए खोदे गए गड्ढे खंदक कहलाते हैं। 

प्रश्न 7. 
फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर पर कब्जा क्यों कर लिया? 
उत्तर:
क्योंकि जर्मनी ने फ्रांस का कर्ज और हर्जाना चुकाने से इनकार कर दिया था। 

प्रश्न 8. 
वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज क्या है? 
उत्तर:
वालस्ट्रीट एक्सचेंज अमेरिका में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार है। 

प्रश्न 9. 
सर्वहाराकरण से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
गरीब होते-होते मजदूर वर्ग की आर्थिक स्थिति में पहुँच जाना सर्वहाराकरण कहलाता है। 

प्रश्न 10. 
नात्सी पार्टी का पूरा या वास्तविक नाम क्या था? 
उत्तर:
नेशनल सोशलिस्ट पार्टी। 

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प्रश्न 11. 
प्रोपेगैंडा से क्या आशय है? 
उत्तर:
जनमत को प्रभावित करने के लिए पोस्टरों, फिल्मों और भाषणों आदि के माध्यम से किया जाने वाला एक खास तरह का प्रचार प्रोपेगैंडा कहलाता है। 

प्रश्न 12. 
कंसन्ट्रेशन कैंप क्या थे? 
उत्तर:
ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद रखा जाता था, कंसन्ट्रेशन कैंप कहलाते थे। 

प्रश्न 13. 
किन्हीं दो विशेष निगरानी और सुरक्षा दस्तों का नाम लिखिये। 
उत्तर:

  • स्टॉर्म ट्रपर्स (एसए) 
  • गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस)। 

प्रश्न 14. 
हिटलर ने अर्थव्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी किसे सौंपी? 
उत्तर:
अर्थशास्त्री ह्यालमार शाख्त को। 

प्रश्न 15. 
ह्यालमार शाख्त द्वारा चलाई गयी परियोजना की मुख्य देन क्या थी? 
उत्तर:
मशहूर जर्मन सुपर हाइवे तथा जनता की कार-फाक्सवैगन-इस परियोजना की मुख्य देन थी। 

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प्रश्न 16. 
हिटलर ने 'लीग ऑफ नेशंस' की सदस्यता कब त्यागी? 
उत्तर:
हिटलर ने सन् 1933 में 'लीग ऑफ नेशंस' की सदस्यता त्यागी। 

प्रश्न 17. 
हिटलर ने पोलैंड पर हमला कब किया? 
उत्तर:
हिटलर ने सितम्बर, 1939 में पोलैंड पर हमला किया। 

प्रश्न 18. 
हिटलर की ऐतिहासिक बेवकूफी क्या थी? 
उत्तर:
जून, 1941 में सोवियत संघ पर हमला हिटलर की ऐतिहासिक बेवकूफी थी। 

प्रश्न 19. 
अमरीका द्वितीय विश्वयुद्ध में कब कूदा? 
उत्तर:
जब जापान ने हिटलर को समर्थन दिया तथा पर्ल हार्बर पर अमेरिकी ठिकानों पर बमबारी की, तब अमरीका द्वितीय विश्वयुद्ध में कूदा। 

प्रश्न 20. 
'सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट' का सिद्धान्त किसने दिया? 
उत्तर:
हर्बर्ट स्पेंसर ने। 

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प्रश्न 21. 
जिप्सी कौन थे? 
उत्तर:
अपनी अलग सामुदायिक पहचान वाले कुछ समूहों को श्रेणीबद्ध कर 'जिप्सी' नाम दिया गया था, जैसे सिन्ती तथा रोमा समुदाय। 

प्रश्न 22. 
घेटो क्या था? 
उत्तर:
किसी समुदाय को बाकी समाज से अलग-थलग कर जहाँ रखा जाता था, वह बस्ती घेटो कहलाती थी। 

प्रश्न 23. 
युवाओं में हिटलर की अत्यधिक दिलचस्पी क्यों थी? 
उत्तर:
क्योंकि उसका मानना था कि एक शक्तिशाली नात्सी समाज की स्थापना के लिए बच्चों को नात्सी विचारधारा की घुट्टी पिलाना बहुत जरूरी है। 

प्रश्न 24. 
हिटलर यूथ क्या था? 
उत्तर:
हिटलर यूथ नात्सियों का एक युवा संगठन था। 14 साल की उम्र में सभी लड़कों को हिटलर यूथ की सदस्यता लेनी पड़ती थी। 

प्रश्न 25. 
हिटलर के नात्सी शासन में गैस चैम्बरों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता था? 
अथवा 
नात्सी गैस चैम्बरों को क्या कहते थे? 
उत्तर:
नात्सी गैस चैम्बरों को संक्रमण मुक्ति क्षेत्र कहते थे। 

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प्रश्न 26. 
यहूदियों के विरुद्ध नफरत फैलाने वाली सबसे कुख्यात फिल्म का नाम बताइये। 
उत्तर:
'द एटर्नल ज्यू' (अक्षय यहूदी)। 

प्रश्न 27. 
नात्सियों ने यहूदियों का भारी कत्लेआम कब शुरू किया? 
उत्तर:
नात्सियों ने यहूदियों का भारी कत्लेआम 23 जून, 1941 को शुरू किया। 

प्रश्न 28. 
सोवियत फौजों ने औषवित्स को कब मक्त कराया? 
उत्तर:
सोवियत फौजों ने 27 जनवरी, 1945 को औषवित्स को मुक्त कराया। 

प्रश्न 29. 
द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप में मित्र राष्ट्रों की विजय कब हुई? 
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध में यूरोप में मित्र राष्ट्रों की विजय 8 मई, 1945 को हुई। 

प्रश्न 30. 
हिटलर की मृत्यु कैसे तथा कब हुई? 
उत्तर:
हिटलर ने अप्रैल, 1945 में बर्लिन के एक बंकर में पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर ली थी। 

प्रश्न 31. 
महाध्वंस (होलोकॉस्ट) किसे कहा जाता है? 
उत्तर:
नात्सी शासन के दौरान जर्मनी में हुए भीषण कत्लेआमों को महाध्वंस (होलोकॉस्ट) कहा जाता है। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
नात्सी विचारधारा की चार प्रमुख विशेषताएँ बताइये। 
उत्तर:

  • नात्सी विचारधारा नस्लवाद की पक्षधर थी। 
  • वह विश्व दृष्टिकोण में सभी समाजों को बराबरी का हक नहीं देती थी। 
  • उसकी नजर में नॉर्डिक जर्मन आर्य सबसे ऊपर तथा यहूदी सबसे नीचे थे। 
  • यह एक व्यक्ति तथा एक दल की तानाशाही में विश्वास करती थी। 

प्रश्न 2. 
'नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास' घटना क्या है? 
उत्तर:
नवम्बर, 1938 के एक जनसंहार में यहूदियों की सम्पत्तियों को तहस-नहस किया गया, लूटा गया, उनके घरों पर हमले हए, यहदी प्रार्थना घर जला दिये गये और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस घटना को ही 'नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास' कहते हैं। 

प्रश्न 3. 
द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने पर नात्सी युद्धबन्दियों को क्या सजा दी गई? 
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने पर न्यूरेम्बर्ग में एक अन्तर्राष्ट्रीय सैनिक अदालत स्थापित की गई। इस अदालत ने 11 मुख्य नात्सियों को मौत की सजा दी। शेष आरोपियों में से बहुतों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। नात्सियों को जो सजा दी गई वह उनकी बर्बरता और अत्याचारों के मुकाबले बहुत कम थी। 

प्रश्न 4. 
द्वितीय विश्वयुद्ध के साये में जर्मनी द्वारा किये गये जनसंहार का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी द्वारा यूरोप के कुछ विशेष नस्ल के लोगों को सामूहिक रूप से मारा गया। 
  • इस युद्ध में 60 लाख यहूदी, 2 लाख जिप्सी तथा 10 लाख पोलैण्ड के नागरिक मारे गये। 
  • मानसिक व शारीरिक रूप से अपंग घोषित किये गये 70,000 जर्मन नागरिक भी मार डाले गये। 
  • इसके अतिरिक्त न जाने कितने ही राजनीतिक विरोधियों को भी मौत के घाट उतार दिया गया था। 

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प्रश्न 5. 
विशेषाधिकार अधिनियम (इनेबलिंग एक्ट) की प्रमुख बातें बतलाइये। 
उत्तर:

  • यह अधिनियम 3 मार्च, 1933 को पारित किया गया। 
  • इस कानून के द्वारा जर्मनी में तानाशाही स्थापित कर दी गयी। 
  • नात्सी पार्टी तथा उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक दलों तथा ट्रेड यूनियनों पर पाबन्दी लगा दी गई। 
  • इस अधिनियम द्वारा जर्मनी में अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना तथा न्यायपालिका पर राज्य का पूरा नियन्त्रण स्थापित हो गया। 

प्रश्न 6. 
वर्सेलीज (Versailles) की सन्धि के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिए। 
अथवा 
वर्साय की सन्धि की चार प्रमुख शर्तों का वर्णन करें। 
अथवा 
"वर्साय की सन्धि बड़ी कठोर तथा अपमानजनक थी।" तीन उदाहरणों के द्वारा इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
वर्साय की कठोर एवं अपमानजनक सन्धि की चार विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं- 

  • जर्मनी को अपने सारे उपनिवेश, लगभग 10 प्रतिशत आबादी, 13 प्रतिशत भूभाग, 75 प्रतिशत लौह भण्डार तथा 26 प्रतिशत कोयला भण्डार फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क तथा लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। 
  • जर्मनी की सेना भी भंग कर दी गई। 
  • युद्ध के कारण हुई सारी तबाही के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया तथा उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया। 
  • खनिज संसाधनों वाले राईनलैंड पर भी बीस के दशक में ज्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही कब्जा बना रहा। 

प्रश्न 7. 
जर्मनी में वाइमर गणराज्य की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई और इसमें क्या व्यवस्था की गई? 
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1918 में साम्राज्यवादी जर्मनी की पराजय और सम्राट के पद त्याग ने वहाँ की संसदीय पार्टियों को जर्मन राजनीतिक व्यवस्था को एक नये साँचे में ढालने का अच्छा अवसर उपलब्ध कराया। इसी सिलसिले में वाइमर में एक राष्ट्रीय सभा की बैठक बुलाई गई और संघीय आधार पर एक लोकतांत्रिक संविधान पारित किया गया और वाइमर गणराज्य की स्थापना हुई। वाइमर गणराज्य की व्यवस्था में जर्मन संसद-राइखस्टाग-के लिए जनप्रतिनिधियों का चुनाव होने लगा। प्रतिनिधियों के निर्वाचन के लिए औरतों सहित सभी वयस्क नागरिकों को समान और सार्वभौमिक मताधिकार प्रदान किया गया। 

प्रश्न 8. 
वाइमर गणराज्य जर्मनी के बहुत सारे लोगों को रास क्यों नहीं आ रहा था? 
उत्तर:
वाइमर गणराज्य जर्मनी के अधिकांश लोगों को रास नहीं आ रहा था क्योंकि- 
(1) पहले विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद वर्साय संधि के तहत विजयी देशों ने उस पर बहुत कठोर शर्ते थोप दी थीं। बहुत सारे जर्मनों ने इस हार के लिए बल्कि वर्साय में हुए इस अपमान के लिए भी वाइमर गणराज्य को जिम्मेवार ठहराया।

(2) जर्मनी ने पहला विश्व युद्ध कर्ज लेकर लड़ा था और युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा। इससे जर्मनी का स्वर्णभंडार लगभग समाप्त हो गया। जर्मनी ने बड़े पैमाने पर मुद्रा छापी। इससे मार्क की कीमत गिरती गई और जर्मनी में अतिमुद्रास्फीति आ गई। 

(3) इस काल में जर्मनी में औद्योगिक उत्पादन कम हो रहा था। मजदूर बेरोजगार हो रहे थे; अपराध बढ़ रहे थे। छोटे-छोटे व्यापारी व स्व-व्यवसायियों को सर्वहाराकरण का भय सता रहा था। किसानों का एक बड़ा वर्ग कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट की वजह से परेशान था। 

(4) इस काल में गठबंधन सरकारें सत्ता में आ रही थीं जिससे राजनैतिक अस्थिरता व्याप्त थी। इन सबके कारण जर्मनी के बहुत सारे लोगों को वाइमर गणराज्य रास नहीं आ रहा था। 

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प्रश्न 9. 
प्रथम महायुद्ध ने यूरोपीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। कोई चार उदाहरण दीजिये। 
उत्तर:

  • इस युद्ध के बाद सिपाहियों को नागरिकों के मुकाबले अधिक सम्मान दिया जाने लगा। 
  • राजनेताओं तथा प्रचारकों ने इस बात पर अधिक जोर दिया कि पुरुषों को आक्रामक, ताकतवर तथा मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए। 
  • सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार तथा राष्ट्रीय सम्मान व प्रतिष्ठा का बहुत गुणगान होने लगा। 
  • रूढ़िवादी तानाशाहों को व्यापक जनसमर्थन मिलने लगा तथा लोकतंत्र के विकास में बाधा उत्पन्न हुई। 

प्रश्न 10. 
जर्मनी के आर्थिक संकट के प्रमुख कारण बतलाइये। 
उत्तर:
जर्मनी में उत्पन्न हुए आर्थिक संकट के निम्नलिखित कारण थे-

  • जर्मनी ने प्रथम विश्व युद्ध में बहुत ज्यादा पूँजी खर्च की थी। 
  • जर्मनी ने पहला विश्व युद्ध मोटे तौर पर कर्ज लेकर लड़ा था और युद्ध के बाद उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा। इस सब के परिणामस्वरूप जर्मनी में आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ। 
  • मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर बहुत कठोर शर्ते थोपी गईं। 
  • जब जर्मनी ने युद्ध का खर्च और हर्जाना चुकाने से इनकार कर दिया तब इसके जवाब में फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर पर कब्जा कर लिया। यह भी आर्थिक संकट का एक कारण बना। 

प्रश्न 11. 
जर्मनी के विभिन्न सामाजिक समुदायों पर आर्थिक संकट का क्या प्रभाव पड़ा? 
उत्तर:
जर्मनी के विभिन्न सामाजिक समुदायों पर आर्थिक संकट का निम्न प्रभाव पड़ा-

  • मध्यम वर्ग-मुद्रा अवमूल्यन के कारण वेतनभोगी और पेंशनधारी मध्यम वर्ग की बचत कम होती गई। 
  • व्यवसायी वर्ग-व्यापार ठप होने से व्यवसायियों की हालत खराब होती जा रही थी। 
  • महिला वर्ग-अपने बच्चों का पेट भर पाने में असफल महिलाओं के मन दुःखी थे। 
  • कृषक वर्ग-किसान कृषि उत्पादों की कीमतों में बेहिसाब गिरावट की वजह से परेशान थे। 
  • मजदूर वर्ग-मजदूर या तो बेरोजगार होते जा रहे थे या उनके वेतन काफी गिर चुके थे। 
  • युवा वर्ग-जैसे-जैसे रोजगार खत्म हो रहे थे, युवा वर्ग आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होता जा रहा था। 

प्रश्न 12. 
1929-32 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आई मंदी की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • 1929 में वॉल स्टीट एक्सचेंज (शेयर बाजार) धराशायी हो गया और कीमतों में गिरावट की आशंका को देखते हुए लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे। 
  • 1929 से 1932 तक के अगले तीन सालों में यू.एस. की राष्ट्रीय आय केवल आधी रह गई। 
  • फैक्ट्रियाँ बंद हो गई थीं, निर्यात गिरता जा रहा था, किसानों की हालत खराब थी और सट्टेबाज बाजार से पैसा खींचते जा रहे थे। 

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प्रश्न 13. 
1929-32 में आए अमरीकी आर्थिक संकट का जर्मनी पर क्या प्रभाव पड़ा? 
उत्तर:
अमेरिकी आर्थिक संकट का जर्मनी पर बहुत प्रभाव पड़ा- 

  • जर्मनी की अर्थव्यवस्था अमेरिकी अल्पकालीन ऋण पर आधारित थी। 1929 के संकट के बाद अमेरिका ने अपना समर्थन वापस ले लिया जिसका बहुत बुरा प्रभाव जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। 
  • अमेरिकी आर्थिक समर्थन वापस लेने से 1932 में जर्मनी का औद्योगिक उत्पादन 1929 के मुकाबले केवल 40% रह गया था। 
  • मजदूर या तो बेरोजगार होते जा रहे थे या उनके वेतन में बहुत कमी आ चुकी थी। बेरोजगारों की संख्या 60 लाख तक जा पहुंची थी। 

प्रश्न 14. 
हिटलर का उदय किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त व्याख्या करें। 
उत्तर:
हिटलर के उदय को निम्न बिन्दुओं में समझा जा सकता है- 
(1) विश्वयुद्ध के दौरान उसने जर्मन वर्कर्स पार्टी नामक एक छोटे से समूह की सदस्यता ले ली। धीरे-धीरे उसने इस संगठन पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया और उसे नेशनल सोशलिस्ट पार्टी का नया नाम दिया। इसी पार्टी को बाद में नात्सी पार्टी के नाम से जाना गया। 

(2) विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी को वर्साय की संधि ने काफी अपमानित किया था। जर्मनी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था। हिटलर ने इसे एक अवसर के रूप में लिया। उसने राष्ट्रीय गौरव, रोजगार, संपन्नता, सुरक्षा इत्यादि का मामला उछाला जिससे वह काफी लोकप्रिय हो गया। 

(3) 1932 के जर्मन संसदीय चुनाव में नात्सी पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। 
(4) 30 जनवरी, 1933 को राष्ट्रपति ने हिटलर को चांसलर का पद-भार सौंपा। 3 मार्च, 1933 को विशेषाधिकार अधिनियम पास हुआ जिसने हिटलर को जर्मनी में तानाशाही स्थापित करने में मदद की। 

प्रश्न 15. 
किन विशेषताओं के कारण हिटलर एक शक्तिशाली नेता बन पाया? 
उत्तर:
निम्न विशेषताओं के कारण हिटलर एक शक्तिशाली नेता बन पाया- 

  • हिटलर एक जबर्दस्त वक्ता था। वह जर्मनवासियों की आहत भावनाओं को उभारना जानता था। जर्मनी की जनता ने उसके सिद्धान्तों का स्वागत किया। 
  • उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। 
  • उसने आश्वासन दिया कि वह देश को विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा और तमाम विदेशी साजिशों का मुँहतोड़ जवाब देगा तथा वह वर्साय की संधि के अपमान का बदला लेगा। 
  • हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी जिसके तहत बड़ी-बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित की गईं और उनमें हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाया गया। 
  • नात्सियों ने अपने धुआंधार प्रचार के द्वारा हिटलर को एक मसीहा तथा एक रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया जिससे जर्मन जनता बहुत प्रभावित हुई। 

प्रश्न 16. 
लोकतन्त्र की समाप्ति के लिए हिटलर द्वारा उठाये गये किन्हीं तीन कदमों का वर्णन करो। 
उत्तर:
लोकतन्त्र की समाप्ति के लिए हिटलर ने निम्न तीन कदम उठाये- 

  • अग्नि अध्यादेश जारी करना-हिटलर ने 28 फरवरी, 1933 को अग्नि अध्यादेश जारी करके अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की आजादी जैसे नागरिक अधिकारों को अनिश्चितकाल के लिए निलम्बित कर दिया। 
  • विशेषाधिकार अधिनियम पारित करना-3 मार्च, 1933 को विशेषाधिकार अधिनियम पारित किया गया। इस कानून के द्वारा जर्मनी में बाकायदा तानाशाही स्थापित कर दी गई। 
  • विशेष निगरानी तथा सुरक्षा दस्तों का गठन-बचे-खुचे लोकतन्त्र को समाप्त करने के लिए हिटलर ने विशेष निगरानी तथा सुरक्षा दस्तों का गठन किया। ये किसी को भी बिना किसी कानूनी कार्यवाही के गिरफ्तार कर सकते थे। 

RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

प्रश्न 17. 
आर्थिक संकट से उबरने के लिए हिटलर ने चांसलर के रूप में क्या कदम उठाए? कौनसी दो बातें जर्मनी के आर्थिक पुनर्निर्माण की प्रतीक हैं? 
उत्तर:

  • आर्थिक संकट से उबरने के लिए हिटलर ने अर्थव्यवस्था पर राज्य का नियंत्रण स्थापित किया। 
  • अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी अर्थशास्त्री ह्यालमार शाख्त को सौंपी। 
  • शाखा ने सबसे पहले सरकारी पैसे से चलाये जाने वाले रोजगार संवर्द्धन कार्यक्रम के द्वारा सौ प्रतिशत उत्पादन तथा सौ प्रतिशत रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया। 

जर्मनी के आर्थिक पुनर्निर्माण की प्रतीक दो बातें-

  • मशहूर जर्मन सुपर हाइवे, तथा 
  • जनता की कार फॉक्सवैगन। 

प्रश्न 18. 
हिटलर की विदेश नीति की तीन मुख्य विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर:
हिटलर की विदेश नीति की तीन मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं- 

  • राष्ट्रसंघ छोड़ना-विदेश नीति के तहत हिटलर ने सबसे पहले 1933 में 'लीग ऑफ नेशंस' की सदस्यता छोड़कर उससे पल्ला झाड़ा।। 
  • वृहत्तर जर्मनी के निर्माण की ओर कदम-हिटलर ने धीरे-धीरे वृहत्तर जर्मनी के निर्माण की ओर कदम बढ़ाते हुए राईनलैंड, आस्ट्रिया तथा चैकोस्लोवाकिया पर कब्जा कर लिया। 
  • युद्ध का सहारा-हिटलर ने आर्थिक संकट से निपटने के लिए युद्ध का विकल्प चुना । वह राष्ट्रीय सीमाओं का विस्तार करते हुए ज्यादा से ज्यादा संसाधन जुटाना चाहता था। 

प्रश्न 19. 
जाति (Race) के सम्बन्ध में नात्सी विचारधारा का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
जाति (Race) अर्थात् नस्ल के सम्बन्ध में नात्सी विचारधारा बहुत खतरनाक थी। उनके विश्व दृष्टिकोण में समाजों को बराबरी का हक नहीं था, वे जातीय आधार पर बेहतर या कमतर थे। इस दृष्टिकोण से नात्सियों के अनुसार नॉर्डिक जर्मन आर्य सर्वश्रेष्ठ थे तथा यहूदी सबसे निकृष्ट थे। बाकी सभी समाजों को उनके बाहरी रंग-रूप के आधार पर जर्मन आर्यों तथा यहूदियों के बीच रखा गया था। उनकी दलील थी कि जो नस्ल सबसे ताकतवर है वह जिंदा रहेगी, कमजोर नस्लें खत्म हो जायेंगी। उनके अनुसार चूंकि जर्मन आर्य नस्ल सबसे बेहतर है, अत: वही दुनिया पर राज करेगी। 

प्रश्न 20. 
1941 में सोवियत संघ पर हमला हिटलर की ऐतिहासिक बेवकूफी क्यों सिद्ध हुई? 
उत्तर:
जून 1941 में हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला किया। यह हिटलर की एक ऐतिहासिक बेवकूफी सिद्ध हुई क्योंकि- 

  • इस आक्रमण से जर्मन पश्चिमी मोर्चा ब्रिटिश वायुसैनिकों के बमवारी की चपेट में आ गया जबकि पूर्वी मोर्चे पर सोवियत सेनाएँ जर्मनों को नाकों चने चबवा रही थीं। 
  • सोवियत लाल सेना ने स्तालिनग्राद में जर्मन सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। सोवियत लाल सैनिकों ने पीछे हटते हुए जर्मन सिपाहियों का आखिर तक पीछा किया और अन्त में वे बर्लिन के बीचोंबीच जा पहुंचे। 
  • इस घटनाक्रम ने अगली आधी सदी के लिए समूचे पूर्वी यूरोप पर सोवियत वर्चस्व स्थापित कर दिया। 

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प्रश्न 21. 
न्यूरेम्बर्ग नागरिकता अधिकार, सितम्बर, 1935 की व्याख्या करें। 
अथवा 
"न्यूरेम्बर्ग कानून के तहत 'अवांछितों' को नागरिकों की तरह रहने का हक नहीं था", व्याख्या करें। 
उत्तर:
न्यूरेम्बर्ग नागरिकता अधिकार, सितम्बर, 1935 के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित थे- 

  • जर्मन या उससे संबंधित रक्त वाले व्यक्तियों को ही जर्मनी की नागरिकता मिलेगी एवं उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाएगा। 
  • यहूदियों एवं जर्मनों के मध्य विवाह संबंध नहीं हो सकते। 
  • यहूदियों एवं जर्मनों के मध्य विवाहेतर संबंधों को अपराध घोषित किया गया। 
  • यहूदी राष्ट्रीय ध्वज भी नहीं फहरा सकते थे। 

प्रश्न 22. 
'लेबेन्स्राउम' या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा के संदर्भ में हिटलर के विचार बतलाइये। 
उत्तर:
'लेबेन्त्राउम' अवधारणा के सन्दर्भ में हिटलर के विचार निम्न प्रकार थे- 

  • वह मानता था कि अपने लोगों को बसाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना आवश्यक है। इससे मातृ देश का क्षेत्रफल बढ़ेगा एवं नए इलाके में जाकर बसने वालों को अपने जन्म-स्थान के साथ गहरे संबंध बनाए रखने में मुश्किल भी पेश नहीं आएगी। 
  • हिटलर इन विधियों से जर्मनी के लिए बेहिसाब संसाधन तथा शक्ति इकट्ठा करना चाहता था। 
  • हिटलर जर्मनी की सीमाओं को पूर्व की ओर फैलाना चाहता था ताकि जर्मन लोगों को भौगोलिक दृष्टि से एक ही जगह इकट्ठा किया जा सके। पोलैंड इस धारणा. की पहली प्रयोगशाला बना। 

प्रश्न 23. 
हिटलर की नस्ली सोच क्या थी और वह स्पेंसर के 'अति जीविता के सिद्धान्त' पर कैसे आधारित की गई? 
उत्तर:
हिटलर की नस्ली सोच-हिटलर की नस्ली सोच यह थी कि विश्व के सभी समाजों को बराबरी का हक धार पर या तो बेहतर थे या कमतर थे। इस दष्टिकोण से ब्लॉन्ड. नीली आँखों वाले और नार्डिक जर्मन आर्य सबसे ऊपरी और यहूदी सबसे निचली पायदान पर आते थे। बाकी तमाम समाजों को उनके बाहरी रूप-रंग के हिसाब से जर्मन आर्यों और यहूदियों के बीच में रखा गया था। 

हिटलर की यह नस्ली सोच डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर के 'अति जीविता के सिद्धान्त' पर आधारित थी जिसमें कहा गया कि जो सबसे योग्य है, वही जिंदा बचेगा। नस्लवादी विचारकों व राजनेताओं ने पराजित समाजों पर अपने साम्राज्यवादी शासन को सही ठहराने के लिए डार्विन के चयन सिद्धान्त या स्पेंसर के अतिजीविता सिद्धान्त का सहारा लेते हुए यह दलील दी कि जो नस्ल सबसे ताकतवर है, वह जिंदा रहेगी; कमजोर नस्लें खत्म हो जाएँगी। इस दृष्टि से चूंकि आर्य नस्ल सर्वश्रेष्ठ है, उसे बनाए रखने के लिए दुनिया पर वर्चस्व कायम करना है। 

प्रश्न 24. 
आम जर्मनी के लोगों की नाजीवाद के बारे में क्या प्रतिक्रिया थी? 
उत्तर:
नाजीवाद के बारे में आम जर्मनी के लोगों की प्रतिक्रिया निम्न प्रकार थी- 

  • अधिकतर लोगों ने नात्सी की नजरों से विश्व को देखा तथा अपने विचारों को नात्सी की भाषा में प्रकट किया। 
  • लेकिन अनेक लोगों ने पुलिस दमन तथा मौत की आशंका के चलते भी नात्सीवाद का जमकर विरोध किया। 
  • जर्मन आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा इस पूरे घटनाक्रम का मूकदर्शक तथा उदासीन साक्षी था। लोग नात्सीवाद का विरोध करने से डरते थे। 
  • शार्लट बेराट के अनुसार नात्सियों द्वारा किया गया प्रचार इतना प्रभावशाली था कि एक समय के बाद यहूदी खुद भी नात्सियों द्वारा फैलाई जा रही रूढ़ छवियों पर यकीन करने लगे थे। 

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प्रश्न 25. 
नात्सी शासन के जर्मनी पर क्या प्रभाव पड़े? 
उत्तर:
नात्सी शासन के जर्मनी पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े- 

  • नात्सी पार्टी के अतिरिक्त अन्य सभी पार्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा जर्मनी में हिटलर की तानाशाही स्थापित हो गई। 
  • हिटलर ने जर्मनी में नये उद्योगों की स्थापना की तथा व्यापार की उन्नति के लिए प्रयत्न किये। 
  • समाजवादियों, साम्यवादियों तथा नात्सी विरोधी नेताओं को जेल भेज दिया गया। 
  • यहूदियों पर अनेक अत्याचार किये गये। लाखों लोगों का कत्लेआम किया गया। 
  • नात्सी शासन में जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण से द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। 
  • अंततः मई, 1945 में जर्मनी की हार हुई लेकिन उससे पहले ही अप्रेल, 1945 में हिटलर ने अपने परिवार सहित आत्महत्या कर ली थी। 

प्रश्न 26. 
यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में परंपरागत घृणा क्यों थी? हिटलर की दृष्टि में इस नफरत का हल क्या था? 
उत्तर:
यहूदियों के प्रति नात्सी दुश्मनी का एक आधार उनके प्रति ईसाई धर्म में परंपरागत घृणा भी थी। यथा-

  • ईसाइयों का आरोप था कि ईसा मसीह को यहूदियों ने मारा था। 
  • ईसाइयों की नजर में यहूदी आदतन हत्यारे और सूदखोर थे। ये लोग मुख्य रूप से व्यापार और धन उधार देने का धंधा करके अपना गुजारा चलाते थे तथा बाकी समाज से अलग बस्तियों में रहते थे। 
  • नस्ल संहार के माध्यम से ईसाई बार-बार उनका सफाया करते रहते थे। 
  • ईसाइयत ने उन्हें बचने का एक रास्ता भी दिया हुआ था। यह धर्म परिवर्तन का रास्ता था। आधुनिक काल में बहुत सारे यहूदियों ने ईसाई धर्म को अपना लिया था और वे जर्मन संस्कृति में ढल गए थे। लेकिन हिटलर की दृष्टि में धर्मांतरण से 'यहूदी समस्या' का हल नहीं निकल सकता था। उसकी दृष्टि में सिर्फ एक ही हल था कि-'यहूदियों को पूरी तरह खत्म कर दिया जाय।' 

प्रश्न 27. 
नात्सियों ने यहूदियों को किस प्रकार आतंकित किया? 
उत्तर:
सन् 1933 से 1938 तक नात्सियों ने यहूदियों को निम्न प्रकार से आतंकित किया-

  • नात्सियों ने यहूदियों को दरिद्र कर आजीविका के साधनों से हीन कर दिया गया। 
  • उन्हें शेष समाज से अलग-थलग कर डाला। 
  • यहूदियों को देश छोड़कर जाने के लिए विवश कर दिया गया। वे देश छोड़कर जाने लगे। 
  • 1939-45 के दूसरे दौर में यहूदियों को कुछ खास इलाकों में इकट्ठा करने और अन्ततः पोलैण्ड में बनाए गए गैस-चैम्बरों में ले जाकर मारा गया। 

दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. 
हिटलर की विदेश नीति का वर्णन करें। इसका क्या परिणाम निकला? 
उत्तर:
हिटलर एक आक्रामक नेता था। उसने सत्ता में आने से पहले ही जर्मन लोगों को आश्वासन दे दिया था कि वह देश को विदेशी प्रभाव से मुक्त करा लेगा तथा तमाम विदेशी साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देगा। विदेश नीति के तहत उसने निम्नलिखित कदम उठाये 

  • सबसे पहले उसने 1933 में 'लीग ऑफ नेशंस' की सदस्यता छोड़ी। 
  • 1936 में उसने राइनलैंड पर फिर से कब्जा कर लिया तथा 1938 में 'एक जन, एक साम्राज्य तथा एक नेता' के नारे के अन्तर्गत आस्ट्रिया को जर्मनी में मिला लिया। 
  • इसके बाद उसने जर्मनभाषी सुडेटनलैंड को चेकोस्लोवाकिया से हथिया लिया तथा बाद में पूरे चेकोस्लोवाकिया को हड़प लिया। 
  • हिटलर का विचार था कि क्षेत्रों के विस्तार से ही संसाधनों को एकत्र किया जा सकता है। सितम्बर, 1939 में, जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया। इससे फ्रांस तथा इंग्लैंड के साथ भी उसका युद्ध शुरू हो गया और द्वितीय महायुद्ध की शुरुआत हो गयी। 
  • सितम्बर, 1940 में, हिटलर के अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के दावे को सुदृढ़ करने के लिए, जर्मनी, इटली तथा जापान में एक त्रिपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर हुए। यूरोप के अधिकतर भागों में, नात्सी जर्मनी द्वारा समर्थित कठपुतली शासन की स्थापना हुई। 1940 के अंत तक, हिटलर अपनी सत्ता के शिखर पर था। 
  • अब हिटलर पूर्वी यूरोप को जीतने के अपने दीर्घकालिक सपने को प्राप्त करने की ओर मुड़ा। वह जर्मनों के ‘लिए संसाधन तथा निवास स्थान सुनिश्चित बनाना चाहता था। जून, 1941 में, उसने सोवियत संघ पर आक्रमण किया। हिटलर की इस ऐतिहासिक बेवकूफी के कारण जर्मन पश्चिमी मोर्चा ब्रिटिश वायु सैनिकों की बमबारी की चपेट में आ गया तथा पूर्वी मोर्चा शक्तिशाली रूसी सेनाओं की चपेट में आ गया। 
  • मई, 1945 में जर्मनी की पराजय हो गई। 

परिणाम-हिटलर की विदेश नीति ने पूरे विश्व को द्वितीय महायुद्ध की ओर धकेल दिया जिसमें धुरी राष्ट्रों की अन्त में पराजय हुई। मई, 1945 में जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन उससे पहले अप्रैल, 1945 में ही हिटलर ने बर्लिन के एक बंकर में अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर ली। 

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प्रश्न 2. 
नात्सियों ने नस्लवादी राज्य की स्थापना के सपने को किस प्रकार लागू करना प्रारम्भ किया? 
उत्तर:
नात्सियों ने सत्ता में आने के बाद 'शुद्ध' जर्मनों के विशिष्ट नस्ली समुदाय की स्थापना के सपने को लागू करना शुरू किया। इसके मुख्य बिन्दु निम्न प्रकार हैं- 
(1) सबसे पहले उन्होंने विस्तारित जर्मन साम्राज्य में मौजूद उन समाजों या नस्लों को खत्म करना शुरू किया जिन्हें वे 'अवांछित' मानते थे। नात्सियों की नजर में 'शुद्ध और स्वस्थ नॉर्डिक आर्य' ही 'वांछित थे। केवल ये ही लोग थे जिन्हें तरक्की और वंश-विस्तार के योग्य माना जा सकता था। बाकी सब 'अवांछित' थे। 

(2) यूथनेजिया (दया मृत्यु) कार्यक्रम के तहत असंख्य ऐसें जर्मनों को भी मौत के घाट उतारा गया जिन्हें वे मानसिक या शारीरिक रूप से अयोग्य मानते थे। 

(3) जर्मनी में रहने वाले जिप्सियों और अश्वेतों की पहले तो जर्मन नागरिकता छीन ली गई और बाद में उन्हें मार दिया गया। रूसी और पोलिश मूल के लोगों को भी मनुष्य से कमतर माना गया। 

(4) नात्सी जर्मनी में सबसे बरा हाल यहदियों का हआ। यहदियों के प्रति नात्सियों की दश्मनी का एक आधार यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा भी थी। ईसाइयों का आरोप था कि ईसा मसीह को यहूदियों ने ही मारा था। ईसाइयों की नजर में यहूदी आदतन हत्यारे और सूदखोर थे। 

(5) सन् 1933 से 1938 तक नात्सियों ने यहूदियों को तरह-तरह से आतंकित किया, उन्हें दरिद्र कर आजीविका के साधनों से हीन कर दिया और उन्हें शेष समाज से अलग-थलग कर डाला। यहूदी देश छोड़कर जाने लगे। 1939-45 के दूसरे दौर में यहूदियों को कुछ खास इलाकों में इकट्ठा करने और अंतत: पोलैंड में बनाए गए गैस चेंबरों में ले जाकर मार देने की रणनीति अपनाई गई। 

(6) पराजित पोलैंड को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया। उत्तरी-पश्चिमी पोलैंड का ज्यादातर हिस्सा जर्मनी में मिला लिया गया। पोलैंड के लोगों को भागने के लिए मजबूर किया गया ताकि जर्मनी के कब्जे वाले यूरोप में रहने वाले जर्मनों को वहाँ लाकर बसाया जा सके। पोलैंडवासियों को मवेशियों की तरह खदेड़ कर जनरल गवर्नमेंट नामक इलाके में लाकर रखा गया तथा पोलैंड के बुद्धिजीवियों को बड़े पैमाने पर मौत के घाट उतार दिया गया। 

इस प्रकार नात्सियों ने अपने नस्लवादी राज्य की स्थापना में पोलैंड में पहला प्रयोग करते हुए अपने आदर्श लोक की स्थापना का प्रारंभ किया। 

प्रश्न 3. 
युवाओं के प्रति हिटलर की नीति का वर्णन करो। 
अथवा 
नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए। 
अथवा 
युवाओं के प्रति हिटलर अथवा नात्सियों की नीति की विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति अथवा युवाओं के प्रति हिटलर की नीति निम्न प्रकार थी-
(1) बच्चों पर पूर्ण नियंत्रण-हिटलर का मानना था कि एक शक्तिशाली नात्सी समाज की स्थापना के लिए बच्चों को नात्सी विचारधारा की घुट्टी पिलाना बहुत जरूरी है। इसके लिए स्कूल के भीतर और बाहर, दोनों जगह बच्चा पर पूरा नियंत्रण आवश्यक था। 

(2) स्कूलों का शुद्धीकरण-नात्सीवाद के दौरान सभी स्कूलों में शुद्धीकरण की मुहिम चलाई गई। इसके लिए यहूदी या 'राजनीतिक रूप से अविश्वसनीय' दिखाई देने वाले शिक्षकों को पहले नौकरी से हटाया गया और बाद में मौत के घाट उतार दिया गया। जर्मन और यहूदी बच्चे एक साथ न तो बैठ सकते थे और न खेल-कूद सकते थे। बाद में "अवांछित बच्चों' को अर्थात् यहूदियों, जिप्सियों के बच्चों और विकलांग बच्चों को स्कूलों से निकाल दिया गया। चालीस के दशक में तो उन्हें भी गैस चेंबरों में झोंक दिया गया। 

(3) नात्सी शिक्षा प्रक्रिया-'अच्छे जर्मन' बच्चों को नात्सी शिक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। यह विचारधारात्मक प्रशिक्षण की एक लंबी प्रक्रिया थी। 

(4) नया शिक्षा कार्यक्रम-इसके अन्तर्गत स्कूली पाठ्यपुस्तकों को नए सिरे से लिखा गया। नस्ल के बारे में प्रचारित नात्सी विचारों को सही ठहराने के लिए नस्ल विज्ञान के नाम से एक नया विषय पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। बच्चों को सिखाया गया कि वे वफादार व आज्ञाकारी बनें, यहूदियों से नफरत और हिटलर की पूजा करें। खेल-कूद बच्चों में हिंसा और आक्रामकता की भावना पैदा की जाती थी। हिटलर का मानना था कि मुक्केबाजी का प्रशिक्षण बच्चों को फौलादी दिल वाला, ताकतवर और मर्दाना बना सकता है। 

(5) युवा संगठनों में भर्ती-जर्मन बच्चों और युवाओं को 'राष्ट्रीय समाजवाद की भावना' से लैस करने की जिम्मेदारी युवा संगठनों को सौंपी गई। 10 साल की उम्र के बच्चों को युंगफोक में दाखिल करा दिया जाता था। 14 साल की उम्र में सभी लड़कों को हिटलर यूथ नामक युवा संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती थी। इस संगठन में वे युद्ध की उपासना, आक्रामकता व हिंसा, लोकतंत्र की निंदा और यहूदियों, कम्यूनिस्टों, जिप्सियों व अन्य 'अवांछितों' से घृणा का सबक सीखते थे। गहन विचारधारात्मक और शारीरिक प्रशिक्षण के बाद लगभग 18 साल की उम्र में वे लेबर सर्विस (श्रम सेवा) में शामिल हो जाते थे। इसके बाद उन्हें सेना में काम करना पड़ता था और किसी नात्सी संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती थी। 

इस प्रकार तीन वर्ष की उम्र से ही बच्चों को नात्सीवाद के शिकंजे में कस लिया जाता था जो पूरी उम्र उनका पीछा नहीं छोड़ता था। 

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प्रश्न 4. 
महिलाओं के प्रति हिटलर की नीति का वर्णन करें। 
उत्तर:
नात्सी महिलाओं तथा पुरुषों में भेद करते थे। महिलाओं के प्रति हिटलर की नीति निम्न प्रकार थी- 
(1) पुरुषों की श्रेष्ठता-नात्सी जर्मनी में बच्चों को यह अक्सर बताया जाता था कि महिलाएं पुरुषों से काफी भिन्न हैं। नात्सी महिलाओं के लोकतांत्रिक अधिकारों के विरुद्ध थे। लड़कियों को बताया जाता था कि उन्हें अच्छी माताएँ बनना है तथा ऐसी संतानें पैदा करनी हैं, जिनकी रगों में शुद्ध आर्यों का रक्त प्रवाहित हो। लड़कियों को नस्ल की शुद्धता बनाए रखनी है, यहूदियों से दूरी बनाए रखना है, घर की देखभाल करनी है तथा अपने बच्चों को नात्सी सिद्धान्तों की शिक्षा देनी है। उन्हें आर्य संस्कृति तथा नस्ल की ध्वजवाहक माना जाता है। 

(2) पुरस्कार तथा दंड-जो महिलाएँ नस्ली रूप से अवांछित बच्चे पैदा करती थीं, उन्हें दंडित किया जाता था तथा जो महिलाएँ नस्ली रूप से वांछित बच्चे पैदा करती थीं, उन्हें पुरस्कार दिया जाता था। अस्पतालों में उन्हें विशेष सुविधाएँ दी जाती थीं तथा उन्हें दुकानों में, थियेटरों की टिकटों तथा रेलवे के भाड़े में रियायतें दी जाती थीं। 

अधिक बच्चे पैदा करने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए हिटलर ने उन्हें वैसे ही तमगे देने की व्यवस्था की थी जैसे तमगे सिपाहियों को दिये जाते थे। चार बच्चों के लिए कांसे का पदक, छः के लिए चाँदी का तथा आठ या अधिक बच्चों के लिए सोने का पदक दिया जाता था। 

(3) महिलाओं के लिए आचारसंहिता-सभी आर्य महिलाओं के लिए एक आचार संहिता थी। जो आर्य महिलाएँ निर्देशित आचार संहिता से भटकती थीं, उन्हें कठोर दंड दिया जाता था। जो महिलाएँ यहूदियों, रूस तथा पोलैंड के निवासियों से संबंध बनाती थीं, उनका सिर मुंडवा दिया जाता और मुंह काला करके गली-मोहल्ले में घुमाया जाता तथा उनके गले में तख्ती लटका दी जाती, जिस पर लिखा होता, "मैंने राष्ट्र के सम्मान को मलिन किया है।" 

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Last Updated on May 24, 2022, 12:37 p.m.
Published May 24, 2022