RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1. 
निजी सम्पत्ति के विरोधी थे- 
(अ) उदारवादी 
(ब) रैडिकल 
(स) रूढ़िवादी 
(द) समाजवादी 
उत्तर:
(द) समाजवादी

प्रश्न 2. 
महिला मताधिकार आंदोलन के समर्थक थे- 
(अ) उदारवादी 
(ब) रेडिकल 
(स) रूढ़िवादी 
(द) समाजवादी 
उत्तर:
(अ) उदारवादी

प्रश्न 3. 
अतीत का सम्मान करते हुए सामाजिक परिवर्तन लाने की धीमी प्रक्रिया के समर्थक थे- 
(अ) उदारवादी 
(ब) समाजवादी 
(स) रूढ़िवादी 
(द) साम्राज्यवादी 
उत्तर:
(स) रूढ़िवादी 

प्रश्न 4. 
सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी रखने वाले समाजवादी थे-
(अ) लुई ब्लांक 
(ब) कार्ल मार्क्स 
(स) फ्रेडरिक एंगेल्स 
(द) गिसेस्पे मेजिनी 
उत्तर:
(अ) लुई ब्लांक 

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प्रश्न 5. 
'औद्योगिक समाज एक पूँजीवादी समाज है।' यह विचार है- 
(अ) रूसो का 
(ब) लॉक का 
(स) मार्क्स का 
(द) मॉण्टेस्क्यू का 
उत्तर:
(स) मार्क्स का

प्रश्न 6. 
इटली का राष्ट्रवादी था- 
(अ) गिसेस्पे मेजिनी 
(ब) लेनिन 
(स) ट्राट्स्की 
(द) करेन्स्की 
उत्तर:
(अ) गिसेस्पे मेजिनी 

प्रश्न 7. 
1905 तक ब्रिटेन के समाजवादियों और ट्रेड यूनियन आंदोलनकारियों ने कौनसी राजनैतिक पार्टी बनाई? 
(अ) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी 
(ब) सोशलिस्ट पार्टी 
(स) लेबर पार्टी 
(द) साम्यवादी पार्टी 
उत्तर:
(स) लेबर पार्टी 

प्रश्न 8. 
रूस में प्रथम क्रान्ति हुई- 
(अ) सन् 1905 ई. में 
(ब) सन् 1917 ई. में 
(स) सन् 1947 ई. में 
(द) सन् 1978 ई. में 
उत्तर:
(अ) सन् 1905 ई. में 

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प्रश्न 9. 
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान केन्द्रीय शक्तियों में शामिल राष्ट्र था- 
(अ) तुर्की 
(ब) जर्मनी 
(स) आस्ट्रिया 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 10. 
रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन क्या कहलाते हैं? 
(अ) म्यूनिसिपल कार्पोरेशन 
(ब) पेत्रोग्राद 
(स) सोवियत 
(द) ड्यूमा 
उत्तर:
(स) सोवियत

प्रश्न 11. 
1914 तक रूस में किन धर्मावलम्बियों का बहुमत था- 
(अ) आर्थोडोक्स का 
(ब) कैथोलिकों का 
(स) प्रोटेस्टेंट का 
(द) बौद्धों का 
उत्तर:
(अ) आर्थोडोक्स का 

प्रश्न 12. 
1917 की अक्टूबर क्रांति के जरिए रूस की सत्ता पर कब्जा कर लिया- 
(अ) उदारवादियों ने 
(ब) रैडिकलों ने 
(स) समाजवादियों ने 
(द) रूढ़िवादियों ने 
उत्तर:
(स) समाजवादियों ने 

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प्रश्न 13. 
रूसी साम्राज्य की कितने प्रतिशत जनसंख्या आजीविका के लिए खेती पर ही निर्भर थी- 
(अ) 50 प्रतिशत 
(ब) 40 प्रतिशत 
(स) 35 प्रतिशत 
(द) 85 प्रतिशत 
उत्तर:
(द) 85 प्रतिशत

प्रश्न 14. 
रूस में 1914 में फैक्ट्री मजदूरों में औरतों की संख्या थी- 
(अ) 10 प्रतिशत 
(ब) 15 प्रतिशत 
(स) 31 प्रतिशत 
(द) 20 प्रतिशत 
उत्तर:
(स) 31 प्रतिशत

प्रश्न 15. 
रूस के किसान समय-समय पर सारी जमीन को सौंप देते थे- 
(अ) सरकार को 
(ब) अपने कुलक को 
(स) अपने सामन्त को 
(द) अपने कम्यून को 
उत्तर:
(द) अपने कम्यून को 

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें- 

1. रूस में ... में 'रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी' का गठन किया गया था। (सन् 1898/सन् 1900/सन् 1917/सन् 1914) 
2. ............ प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों के खेमें में शामिल राष्ट्र था। (जर्मनी/आस्ट्रिया/तुर्की/रूस) 
3. 1914-1916 के बीच जर्मनी और आस्ट्रिया में .............. सेनाओं को भारी पराजय झेलनी पड़ी। (ब्रिटिश/रूसी/आस्ट्रियन) 
4. रूस के जार ने ............... को राजगद्दी छोड़ दी। (2 मार्च, 1917/2 फरवरी, 1917/2 अप्रैल, 1917) 
5. ..............में सोवियत संघ (यू एस एस आर) की स्थापना हुई। (1917/1918/1920/1922) 
उत्तर:
1. सन् 1898 
2. रूस 
3. रूसी 
4. 2 मार्च, 1917 
5. 1922 

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निम्न वाक्यों में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये- 

1. 1914 तक यूरोप में समाजवादी कहीं भी सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाए। ( )  
2. 1915 की अक्टूबर क्रांति के जरिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया। ( )  
3. जनवरी 1920 तक भूतपूर्व रूसी साम्राज्य के अधिकतर भाग पर बोल्शेविकों का नियंत्रण कायम हो चुका था। ( )  
4. 1914 में रूस और उसके पूरे साम्राज्य पर लेनिन का शासन था। ( ) 
5. 1917 की अक्टूबर क्रांति के द्वारा रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया। ( ) 
उत्तर:
1. सत्य 
2. असत्य 
3. सत्य 
4. असत्य 
5. सत्य 

निम्न को सुमेलित कीजिए- 

(अ)

(ब) 

1. रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम सुधारवादी 

सोवियत 

2. महिला मताधिकार आंदोलन के समर्थक

जदीदी 

3. वोट का अधिकार केवल सम्पत्तिधारियों को देने के पक्षधर

रेडिकल समूह 

4. निजी सम्पत्ति के विरोधी

उदारवादी समूह 

5. रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन

समाजवादी समूह 

उत्तर:

(अ)

(ब) 

1. रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम सुधारवादी 

जदीदी 

2. महिला मताधिकार आंदोलन के समर्थक

रेडिकल समूह 

3. वोट का अधिकार केवल सम्पत्तिधारियों को देने के पक्षधर

उदारवादी समूह 

4. निजी सम्पत्ति के विरोधी

समाजवादी समूह 

5. रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन

सोवियत 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
सन् 1905 ई. की रूस की क्रान्ति का प्रमुख कारण क्या था? 
उत्तर:
जार का निरंकुश शासन। 

प्रश्न 2. 
फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् यूरोप में किस तरह के विचार-समूहों का उदय हुआ? 
उत्तर:
फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् यूरोप में मुख्यतः तीन तरह के विचार-समूहों का उदय हुआ। ये थे-

  • उदारवादी
  • रेडिकल
  • रूढ़िवादी। 

प्रश्न 3. 
रेडिकल किस तरह की सरकार के पक्ष में थे? 
उत्तर:
रेडिकल ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो। ये महिला मताधिकार के समर्थक तथा जमींदारों व पँजीपतियों के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे। 

प्रश्न 4. 
रूस में बोल्शेविक क्रांति कब हुई? 
उत्तर:
सन् 1917 में। 

प्रश्न 5. 
रूसी क्रांति से पूर्व रूस में कौन-कौन से दल थे? 
उत्तर:

  • बोल्शेविक 
  • मेन्शेविक। 

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प्रश्न 6. 
रूसी क्रान्ति में बोल्शेविक खेमे का नेतृत्व कौन कर रहा था? 
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन। 

प्रश्न 7. 
सर्वप्रथम रूसी क्रांति का झंडा कहाँ फहराया गया? 
उत्तर:
पेत्रोग्राद में। 

प्रश्न 8. 
मताधिकार आन्दोलन किसे कहते हैं? 
उत्तर:
वोट डालने का अधिकार पाने के लिए चलाये गये आन्दोलन को मताधिकार आन्दोलन कहते हैं। 

प्रश्न 9. 
राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं का क्या उद्देश्य था? 
उत्तर:
राष्ट्रवादी कार्यकर्ता क्रान्ति के द्वारा ऐसे राष्ट्रों की स्थापना करना चाहते थे जिनमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों। 

प्रश्न 10. 
कोऑपरेटिव क्या थे? 
उत्तर:
कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिलकर चीजें बनाते थे और मुनाफे को प्रत्येक सदस्य द्वारा किये गये काम के हिसाब से आपस में बांट लेते थे। 

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प्रश्न 11. 
समाजवाद के बारे में नए तर्क किसने पेश किये? 
उत्तर:
कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने। 

प्रश्न 12. 
द्वितीय इन्टरनेशनल क्या थी? 
उत्तर:
द्वितीय इन्टरनेशनल एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था थी जो समाजवादियों ने अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए बनाई थी। 

प्रश्न 13. 
रूसी क्रान्ति से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
रूस में फरवरी, 1917 में राजशाही के पतन एवं अक्टूबर की घटनाओं को रूसी क्रान्ति के नाम से जाना जाता है। 

प्रश्न 14. 
प्रथम विश्व युद्ध के समय रूस का शासक कौन था? 
अथवा 
1914 में रूस पर किसका शासन था? 
उत्तर:
1914 में रूस पर जार निकोलस II का शासन था। 

प्रश्न 15. 
कोई चार वर्तमान यूरोपीय देशों के नाम बताइये जो पूर्व में रूसी साम्राज्य का हिस्सा थे। 
उत्तर:

  • लातविया 
  • लिथुआनिया 
  • पोलैण्ड 
  • यूक्रेन। 

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प्रश्न 16. 
रूस के समाजवादियों ने सन् 1900 में कौनसी पार्टी का गठन किया? 
उत्तर:
रूस के समाजवादियों ने सन् 1900 में सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी (समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी) का गठन किया। 

प्रश्न 17. 
किसानों के सवाल पर लेनिन का क्या मानना था? 
उत्तर:
लेनिन का मानना था कि किसानों में एकजुटता नहीं थी, वे बंटे हुए थे। अपने विभेदों के चलते वे सभी समाजवादी आंदोलन का हिस्सा नहीं हो सकते थे। 

प्रश्न 18. 
विचारधारा के आधार पर रूस में समाजवादियों के दो मुख्य दल कौनसे थे? 
उत्तर:

  • बोल्शेविक 
  • मेन्शेविक।

प्रश्न 19. 
बोल्शेविक दल का मुखिया कौन था? 
उत्तर:
बोल्शेविक दल का मुखिया ब्लादिमीर लेनिन था। 

प्रश्न 20. 
जदीदी से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम सुधारवादी जदीदी कहलाते थे। 

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प्रश्न 21. 
वास्तविक वेतन से क्या आशय है? 
उत्तर:
वास्तविक वेतन इस बात का पैमाना है कि किसी व्यक्ति के वेतन से वास्तव में कितनी चीजें खरीदी जा सकती हैं। 

प्रश्न 22. 
रूस में संसद को किस नाम से पुकारते हैं? 
उत्तर:
रूस में संसद को ड्यूमा के नाम से पुकारते हैं। 

प्रश्न 23. 
ड्यूमा किसे कहते हैं? 
उत्तर:
रूस की संसद को ड्यूमा कहते हैं। 

प्रश्न 24. 
रूस में प्रथम ड्यूमा का गठन कब हुआ? 
उत्तर:
रूस में प्रथम ड्यूमा का गठन सन् 1905 में हुआ। 

प्रश्न 25. 
सेंट पीटर्सबर्ग का नाम बदलकर कौनसा नया नाम रखा गया? 
उत्तर:
पेत्रोग्राद। 

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प्रश्न 26. 
रूस में राजशाही अधिक अलोकप्रिय कैसे हो गई? 
उत्तर:
जार की पत्नी अलेक्सांद्रा के जर्मन मूल का होने तथा उसके घटिया सलाहकारों, खास तौर से रासपुतिन नामक संन्यासी के कार्यों ने रूस में राजशाही को अधिक अलोकप्रिय कर दिया था। 

प्रश्न 27. 
रूसी स्टीमरोलर किसे कहा जाता था? 
उत्तर:
शाही रूसी सेना को 'रूसी स्टीमरोलर' कहा जाता था। यह दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेना थी। 

प्रश्न 28. 
तालाबन्दी से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
फैक्ट्री को स्थायी रूप से बन्द करने के लिए मालिकों द्वारा मुख्य फाटक पर ताला डाल देना तालाबन्दी कहलाती है। 

प्रश्न 29. 
वर्तमान कैलेण्डर के हिसाब से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस किस तिथि को मनाया जाता है? 
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। 

प्रश्न 30. 
कॉमिन्टर्न से क्या आशय है? 
उत्तर:
कॉमिन्टर्न कम्युनिस्ट पार्टियों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। यह शब्द 'कम्युनिस्ट इंटरनेशनल' (Communist International) का संक्षिप्त रूप है। 

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प्रश्न 31. 
चेका क्या थी? 
उत्तर:
चेका एक गुप्तचर पुलिस थी। बाद में इसका नाम ओजीपीयू तथा एनकेवीडी रखा गया। 

प्रश्न 32. 
रेड्स, ग्रीन्स तथा व्हाइट्स से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:

  • बोल्शेविक 'रेड्स' कहलाते थे। 
  • सामाजिक क्रांतिकारी 'ग्रीन्स' कहलाते थे। 
  • जार समर्थक 'व्हाइट्स' कहलाते थे। 

प्रश्न 33. 
रूस में प्रथम पंचवर्षीय योजना की अवधि बताइये। 
उत्तर:
1927 से 1932 

प्रश्न 34. 
रूस में सामूहिकीकरण का कार्यक्रम कब से शुरू हुआ? 
उत्तर:
सन् 1929 से। 

प्रश्न 35. 
रूस में सामूहिक खेतों को क्या कहा जाता था? 
उत्तर:
कोलखोज। 

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प्रश्न 36. 
भारत में कम्युनिस्ट पार्टी का गठन कब हुआ? 
उत्तर:
1920 के दशक में भारत में कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ। 

प्रश्न 37. 
समाजवाद को वैश्विक पहचान किसने दिलवाई? 
उत्तर:
समाजवाद को वैश्विक पहचान सोवियत संघ ने दिलवाई। 

प्रश्न 38. 
संघों का महासंघ किसे कहा गया? 
उत्तर:
वकीलों, इंजीनियरों, डॉक्टरों एवं मध्यवर्गीय कामगारों ने मिलकर जिस संगठन की स्थापना की उसे संघों का महासंघ कहा गया। 

प्रश्न 39. 
समाजवाद की कोई दो विशेषताएँ बताइये। 
उत्तर:

  • समाजवाद निजी सम्पत्ति का विरोध करता है। 
  • समाजवाद में उत्पादन के समस्त साधनों पर सरकार का नियंत्रण होता है। 

प्रश्न 40. 
साम्यवादी शासन के अन्तर्गत सोवियत संघ में व्याप्त एक विरोधाभास बतलाइये। 
उत्तर:
सोवियत संघ में गरीबों को भोजन मिल रहा था लेकिन वहां के नागरिकों को कई तरह की आवश्यक स्वतन्त्रता नहीं दी जा रही थी। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
'पेरिस कम्यून' किन दो बातों की वजह से आज भी याद रखा जाता है? 
उत्तर:
'पेरिस कम्यून' को निम्न दो बातों की वजह से आज भी याद रखा जाता है- 

  • मजदूरों के लाल झंडे का उदय इसी घटना से हुआ था-कम्यूनार्डो (क्रांतिकारियों) ने अपने लिए यही झंडा चुना था।
  • 'मार्सेयेस' गीत, जो इस घटना के बाद पेरिस कम्यून और मुक्ति संघर्ष का प्रतीक बन गया। इस गीत को मूलतः 1792 में युद्ध गीत के रूप में लिखा गया था। बाद में इसका नाम मार्सिले हो गया तथा अब यह फ्रांस का राष्ट्रगान है। 

प्रश्न 2. 
उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में बहुत-से कामकाजी स्त्री-पुरुष उदारवादी और रैडिकल समूहों व पार्टियों के इर्द-गिर्द गोलबन्द क्यों हो गये? चार कारण दीजिए। 
उत्तर:

  • ये लोग जन्मजात मिलने वाले विशेषाधिकारों के विरुद्ध थे। 
  • श्रम, उद्यमशीलता एवं व्यक्तिगत प्रयास में उनका गहरा विश्वास था। 
  • उनकी मान्यता थी कि यदि हरेक को व्यक्तिगत स्वतन्त्रता दी जाए, गरीबों को रोजगार मिले और पूँजी वालों को बेरोकटोक काम करने का मौका मिले तो समाज तरक्की कर सकता है। 
  • अगर मजदूर स्वस्थ हों, नागरिक पढ़े-लिखे हों तो इस व्यवस्था का भरपूर लाभ लिया जा सकता है। 

प्रश्न 3. 
लेनिन की प्रमुख माँगें कौनसी थीं? उन्हें किस नाम से जाना जाता है? 
अथवा 
1917 की अक्टूबर क्रान्ति से पहले रूसी क्रान्तिकारियों की प्रमुख मांगें क्या थीं? 
अथवा 
अप्रैल थीसिस क्या थी? इसकी प्रमुख मांगों को बताइये। 
उत्तर:
अप्रैल, 1917 में बोल्शेविकों के निर्वासित नेता लेनिन रूस लौट आये। उनका कहना था कि अब सोवियतों को सत्ता अपने हाथ में ले लेनी चाहिए। लेनिन ने अप्रैल में ही बयान जारी कर तीन मांगें कीं, जिन्हें 'अप्रैल थीसिस' के नाम से जाना जाता है। इसकी तीन मांगें निम्न प्रकार हैं- 

  • युद्ध समाप्त किया जाये। 
  • सारी जमीन किसानों के हवाले की जाये। 
  • बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाये। 

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प्रश्न 4. 
किस सीमा तक प्रथम विश्वयुद्ध को रूस की सन् 1917 ई. की क्रांति के लिए उत्तरदायी माना जाता है? 
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के प्रति रूसी जनता में असन्तोष की भावना व्याप्त थी क्योंकि-

  • सन् 1917 तक लगभग 70 लाख लोग मारे जा चुके थे। 
  • युद्ध के फलस्वरूप उद्योगों, फसलों व घरों की भारी तबाही हुई थी। 
  • देश के श्रमिकों को सेना में भेज दिया गया था जिसके कारण कृषि एवं उद्योग समाप्त होते गये। 
  • ज्यादातर अनाज सैनिकों का पेट भरने के लिए मोर्चे पर भेजा जाने लगा। इससे शहरों में रहने वालों के लिए रोटी और आटे की किल्लत हो गई। 1916 में रोटी की दुकानों पर अक्सर दंगे होने लगे। 

इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के कारण रूस में 1917 की क्रान्ति की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गई थीं। 

प्रश्न 5. 
'खूनी रविवार' घटना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। 
उत्तर:
जनवरी 1905 में रूस में हड़ताली मजदूरों का एक जुलूस फादर गैपॉन के नेतृत्व में जब विंटर पैलेस (जार का महल) पहुँचा तो पुलिस और कोसैक्स ने मजदूरों पर हमला बोल दिया। इस घटना में 100 से ज्यादा मजदूर मारे गये तथा लगभग 300 मजदूर घायल हुए। यह रविवार का दिन था। जार की इस बर्बरतापूर्ण कार्यवाही की घटना को इतिहास में 'खूनी रविवार' के नाम से जाना जाता है। 

प्रश्न 6. 
उदारवादी तथा रैडिकल के विचारों में अन्तर को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
उदारवादी तथा रैडिकल के विचारों में अन्तर निम्न प्रकार थे- 

उदारवादी

रैडिकल

1. उदारवादी वंश-आधारित शासकों की अनियंत्रित सत्ता के विरोधी थे। यह समूह प्रतिनिधित्व पर के बहुमत के समर्थन पर आधरित हो।

1. रैडिकल ऐसी सरकार के पक्षधर थे जो देश की आबादी आधारित निर्वाचित सरकार के पक्ष में था। परन्तु सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के पक्ष में नहीं था।

2. इसका मानना था कि वोट का अधिकार केवल सम्पत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए।

2. ये सभी वयस्क नागरिकों को मताधिकार के समर्थक थे।

3. ये बड़े जमींदारों तथा सम्पन्न उद्योगपतियों को विशेषाधिकार देने के समर्थक थे।

3. ये बड़े जमींदारों तथा सम्पन्न उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे। 

4. ये निजी सम्पत्ति के पक्षधर थे।

4. ये भी निजी सम्पत्ति के विरोधी नहीं थे किन्तु केवल कुछ लोगों के पास सम्पत्ति के संकेन्द्रण का विरोध करते थे।

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प्रश्न 7. 
औद्योगीकरण द्वारा हुए सामाजिक व आर्थिक परिवर्तनों का वर्णन करो। 
उत्तर:
औद्योगीकरण द्वारा निम्न सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन हुए-

  • औद्योगीकरण के कारण अनेक नये उद्योग खुले तथा नये-नये औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हुआ। 
  • रेलवे का काफी विकास एवं विस्तार हुआ। 
  • तेजी से शहरीकरण में वृद्धि हुई। नये शहर बसे। 
  • शहरीकरण से आवास की समस्या पैदा हुई, गंदी बस्तियों का विकास हुआ, साफ-सफाई का काम मुश्किल हुआ।
  • औरतें-आदमी, बच्चे सब कारखानों में काम करने लगे। 
  • काम की पारी के घण्टे बहुत अधिक होते थे तथा मजदूरी कम होती थी। 
  • बेरोजगारी की समस्या आम थी। औद्योगिक वस्तुओं की मांग में गिरावट आने पर बेरोजगारी और तेजी से बढ़ जाती थी। 

प्रश्न 8. 
समाजवाद की कोई तीन विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
समाजवाद की तीन विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं- 

  • समाजवाद निजी सम्पत्ति की व्यवस्था को सभी सामाजिक समस्याओं की जड़ मानता है अतः वह निजी सम्पत्ति का विरोध करता है। 
  • समाजवाद के अन्तर्गत उत्पादन के समस्त साधनों पर सरकार का नियंत्रण होता है। 
  • समाजवाद के अनुसार यदि सम्पत्ति पर किसी एक व्यक्ति की बजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है। 

प्रश्न 9. 
समाजवादियों के अनुसार 'कोऑपरेटिव' क्या थे? कोऑपरेटिव निर्माण के विषय में रॉबर्ट ओवेन तथा लुई ब्लांक के क्या विचार थे? 
उत्तर:
कोऑपरेटिव-समाजवादियों के अनुसार कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिलकर चीजें बनाते थे तथा मुनाफे को प्रत्येक सदस्य द्वारा किये गये काम के हिसाब से आपस में बांट लेते थे। 

कॉऑपरेटिव निर्माण के विषय में राबर्ट ओवेन के विचार-राबर्ट ओवेन इंग्लैण्ड के जाने-माने उद्योगपति थे। इन्होंने इंडियाना (अमेरिका) में नया समन्वय (New Harmony) के नाम से एक नये तरह के समुदाय की रचना का प्रयास किया। 

कॉऑपरेटिव निर्माण के विषय में लुई ब्लांक के विचार-फ्रांस के लुई ब्लांक मानते थे कि केवल व्यक्तिगत पहल से बहुत बड़े सामूहिक उद्यम नहीं बनाये जा सकते। वे चाहते थे कि सरकार पूँजीवादी उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे। 

प्रश्न 10. 
20वीं सदी के प्रारम्भ में रूस की आर्थिक स्थिति कैसी थी? 
उत्तर:
20वीं सदी के प्रारम्भ में रूस की आर्थिक स्थिति निम्न प्रकार थी- 

  • रूस एक कृषि प्रधान देश था। रूसी साम्राज्य की लगभग 85 प्रतिशत जनता कृषि कार्यों में लगी हुई थी। रूस अनाज का एक बड़ा निर्यातक था। 
  • उस समय रूस में उद्योग बहुत कम थे। ये कुछ खास क्षेत्रों तक सीमित थे। सेंट पीटर्सबर्ग तथा मास्को प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे। 
  • ज्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थे। 
  • देहात की ज्यादातर जमीन पर किसान खेती करते थे लेकिन विशाल सम्पत्तियों पर सामंतों, राजशाही तथा ऑर्थोडॉक्स चर्च का कब्जा था। 

RBSE Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

प्रश्न 11. 
रूस में बोल्शेविक तथा मेन्शेविक दल का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
20वीं शताब्दी के प्रारंभ में रूस की 'समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी' दो खेमों में विभाजित हो गई-

  1. वोल्शेविक और 
  2. मेन्शेविक। यथा 

(1) बोल्शेविक-बोल्शेविक दल का मुखिया व्लादिमीर लेनिन था। इस दल के साथ औद्योगिक मजदूरों की बहुत अधिक संख्या थी तथा यह दल क्रांतिकारी विचारधारा में विश्वास रखता था। इनकी सोच थी कि जार शासित रूस जैसे दमनकारी समाज में पार्टी अत्यन्त अनुशासित होनी चाहिए तथा अपने सदस्यों की संख्या व स्तर पर उसका पूरा नियंत्रण होना चाहिए। 

(2) मेन्शेविक-यह दल मानता था कि पार्टी में सभी को सदस्यता दी जानी चाहिए। यह दल श्रमिक वर्ग के साथ-साथ अन्य वर्गों के सहयोग से जनतन्त्र की स्थापना करना चाहता था। 

प्रश्न 12. 
सन् 1917 ई. की क्रान्ति के बाद रूस प्रथम विश्व युद्ध से क्यों अलग हो गया? 
उत्तर:
सन् 1917 ई. की क्रांति के बाद रूस प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया क्योंकि-

  • रूस के क्रांतिकारी प्रारंभ से ही युद्ध का भारी विरोध कर रहे थे। 
  • प्रथम विश्व युद्ध में सन् 1917 तक 70 लाख से भी अधिक रूसी लोग मारे जा चुके थे। 
  • रूस की जनता अब अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान चाहती थी। 
  • रूसी साम्राज्य को अनेक बार युद्धों में पराजय का सामना करना पड़ा था जिससे देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची थी। 

प्रश्न 13. 
सन् 1917 में हुई अक्टूबर क्रांति में लेनिन की भूमिका का वर्णन तीन बिन्दुओं में कीजिए। 
उत्तर:
सन् 1917 में हुई अक्टूबर क्रांति में लेनिन की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी- 

  • अप्रैल, 1917 में लेनिन रूस लौट आया। उसने कहा कि अब सोवियतों को सत्ता अपने हाथों में ले लेनी चाहिए। 
  • लेनिन ने अप्रैल थीसिस द्वारा तीन मांगें की-(i) युद्ध समाप्त किया जाये (ii) सारी जमीन किसानों के हवाले की जाये (iii) बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाये। 
  • लेनिन ने 16 अक्टूबर, 1917 को सत्ता पर कब्जा करने के लिए लियॉन ट्रॉट्स्की के नेतृत्व में सोवियत की ओर से एक सैनिक क्रांतिकारी समिति का गठन कर दिया। 

अन्ततः लेनिन के प्रयत्नों से बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति को अंजाम दे दिया। 

प्रश्न 14. 
प्रथम विश्वयुद्ध का रूसी साम्राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा? 
उत्तर:
प्रथम विश्वयद्ध का रूसी साम्राज्य पर बुरा प्रभाव पड़ा। इसके प्रमुख प्रभाव निम्न रहे- 

  • इस युद्ध में 1914 से 1916 के बीच जर्मनी तथा आस्ट्रिया में रूसी सेनाओं को भारी पराजय झेलनी पड़ी, जिससे रूसी साम्राज्य की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। 
  • 1917 तक रूस के 70 लाख लोगों की मृत्यु युद्ध के कारण हो चुकी थी। 
  • युद्ध के फलस्वरूप उद्योगों, फसलों, घरों की भारी तबाही हुई तथा 30 लाख लोग बेघर होकर शरणार्थी बन गये थे। 
  • जवान तथा स्वस्थ लोगों को युद्ध में भेजा गया जिससे देश में मजदूरों की कमी हो गई। 
  • ज्यादातर अनाज सैनिकों का पेट भरने के लिए मोर्चे पर भेजा जाने लगा। इससे रोटी तथा आटे की कमी पैदा हो गई। 
  • इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध का रूसी साम्राज्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। 

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प्रश्न 15. 
रूस की अक्टूबर, 1917 की क्रांति की व्याख्या करें। 
उत्तर:

  • अप्रैल, 1917 में लेनिन निर्वासन के पश्चात् रूस लौट आए। उनका मानना था कि सोवियतों को सत्ता अपने हाथ में ले लेनी चाहिए। उन्होंने अप्रैल थीसिस द्वारा तीन मांगें जारी की। 
  • जुलाई, 1917 में बोल्शेविकों ने अपनी मांगों के समर्थन में अनेक विशाल प्रदर्शनों का आयोजन किया। 
  • 16 अक्टूबर 1917 को लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत एवं बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर कब्जा करने के लिए राजी कर लिया एवं लियॉन ट्रॉट्स्की' के नेतृत्व में सैनिक क्रांतिकारी समिति का गठन किया। 
  • 24 अक्टूबर को विद्रोह शुरू हो गया। क्रांतिकारी समिति ने अपने समर्थकों से कहा कि सरकारी दफ्तरों पर कब्जा कर लें तथा मंत्रियों को भी गिरफ्तार कर लें। विंटर पैलेस पर कब्जा करने के लिए ऑरोरा नामक युद्धपोत भेज दिया गया। 
  • अंततः बोल्शेविकों ने इस क्रांति के माध्यम से मास्को-पेत्रोग्राद क्षेत्र पर दिसम्बर माह में कब्जा कर लिया। 

प्रश्न 16. 
अक्टूबर क्रान्ति के पश्चात् लेनिन ने ऐसे कौनसे कदम उठाये जिससे रूस में अधिनायकवाद सहज दिखाई दिया? कलाकारों और लेखकों ने बोल्शेविक दल का समर्थन क्यों किया? 
उत्तर:
अक्टूबर क्रान्ति के पश्चात् लेनिन के निम्न कार्यों ने अधिनायकवाद को सहज बना दिया- 

  • ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर उनका स्वामित्व और प्रबंधन सरकार के नियंत्रण में ले लिया गया। 
  • जमीन को सामाजिक सम्पत्ति घोषित कर दिया गया। 
  • अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई। 
  • सेना और सरकारी अफसरों की वर्दियाँ बदल दी गईं। 
  • नवंबर, 1917 में बोल्शेविकों ने संविधान सभा के लिए चुनाव कराए लेकिन इन चुनावों में उन्हें बहुमत नहीं मिल पाया। जनवरी, 1918 में असेंबली ने बोल्शेविकों के प्रस्तावों को खारिज कर दिया और लेनिन ने असेंबली बर्खास्त कर दी। 
  • रूस को एकदलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश बना दिया गया। बोल्शेविक पार्टी अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस के लिए होने वाले चुनावों में हिस्सा लेने वाली एकमात्र पार्टी रह गई। 
  • गुप्तचर पुलिस बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दंडित करती थी। 
  • बहुत सारे युवा लेखकों और कलाकारों ने भी बोल्शेविक दल का समर्थन किया क्योंकि वह समाजवाद और परिवर्तन के प्रति समर्पित था। 

प्रश्न 17. 
1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद रूस में हुए गृह युद्ध का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद रूस में बड़े पैमाने पर गृह युद्ध फैल गया। 

  • बोल्शेविकों द्वारा जमीन के पुनर्वितरण के आदेश के कारण रूसी सेना टूटने लगी। भूमि पुनर्वितरण के लिए सैनिक सेना छोड़कर घर जाने लगे। 
  • गैर-बोल्शेविक समाजवादियों, उदारवादियों तथा राजशाही के समर्थकों के नेताओं ने बोल्शेविकों से लड़ने के लिए टुकड़ियाँ संगठित की। 
  • इन टुकड़ियों तथा बोल्शेविकों के बीच चले गृह युद्ध के दौरान लूटमार, डकैती तथा भुखमरी जैसी समस्याएँ बड़े पैमाने पर फैल गईं। 
  • बोल्शेविक उपनिवेशिकों ने समाजवाद की रक्षा के नाम पर स्थानीय राष्ट्रवादियों का बड़े पैमाने पर कत्लेआम किया। 
  • जनवरी, 1920 तक भूतपूर्व रूसी साम्राज्य के ज्यादातर हिस्सों पर बोल्शेविकों का नियंत्रण कायम हो गया था। 

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प्रश्न 18. 
केन्द्रीकृत नियोजन व्यवस्था क्या थी? इसका क्या प्रभाव हुआ? 
उत्तर:
केन्द्रीकृत नियोजन-सोवियत संघ में समाजवादी समाज के निर्माण तथा नियोजित विकास के लिए सरकार द्वारा लागू की गई व्यवस्था केन्द्रीकृत नियोजन कहलाती है। इसमें अफसर यह देखते थे कि अर्थव्यवस्था किस तरह काम कर सकती है। इस आधार पर वे पांच साल के लिए लक्ष्य तय कर देते थे। इसी आधार पर उन्होंने पंचवर्षीय योजनाएँ बनानी शुरू की। 

प्रभाव-

  • कीमतों पर नियंत्रण रखा गया। 
  • केन्द्रीकृत नियोजन से आर्थिक विकास को तीव्र गति मिली। 
  • औद्योगिक उत्पादन में तेज गति से वृद्धि हुई। 
  • नये-नये औद्योगिक शहर अस्तित्व में आये। 

प्रश्न 19. 
रूसी अर्थव्यवस्था में स्टालिन द्वारा किये गये दो परिवर्तन लिखिए। स्टालिन ने आलोचकों का किस तरह मुकाबला किया? 
उत्तर:
रूसी अर्थव्यवस्था में स्टालिन द्वारा निम्न दो परिवर्तन किये गये-

  • केन्द्रीकृत नियोजित विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ लागू की। 
  • कृषि में सामूहिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें किसानों को सामूहिक खेतों (कोलखोज) में काम करने का आदेश दिया गया। 

स्टालिन द्वारा आलोचकों का मुकाबला-

  • स्टालिन ने अपने आलोचकों को सख्त सजाएँ दीं। 
  • बहुत सारे लोगों को निर्वासन या देश-निकाला दे दिया गया। 
  • आलोचकों पर समाजवाद के विरुद्ध साजिश रचने का आरोप लगाया गया। अनेक लोगों को जेलों में या श्रम शिविरों में भेज दिया गया तथा अनेकों को मार दिया गया। 

प्रश्न 20. 
स्टालिन ने खेतों के सामहिकीकरण का फैसला क्यों लिया? 
उत्तर:
स्टालिन ने निम्न परिस्थितियों व कारणों से खेतों के सामूहिकीकरण का फैसला लिया- 

  • अनाज का संकट-1927-28 के आस-पास रूस के शहरों में अनाज का भारी संकट पैदा हो गया था क्योंकि किसान सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर अनाज बेचने के लिए तैयार न थे। 
  • किसानों से जबरन अनाज खरीदना-1928 में पार्टी के सदस्यों ने किसानों से जबरन अनाज खरीदा तथा कुलकों के ठिकानों पर छापे मारे। लेकिन इसके बाद भी अनाज की कमी बनी रही। 
  • खेतों के सामूहिकीकरण का फैसला-इसके बाद स्टालिन ने खेती के सामूहिकीकरण का फैसला लिया। इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि खेत बहुत छोटे-छोटे हैं, जिनमें आधुनिक खेती नहीं की जा सकती। इसलिए उत्पादन कम होता है। सामूहिकीकरण द्वारा बड़े खेत बनाकर आधुनिक खेती कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। 

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दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् यूरोप में किस तरह के विचारों का उदय हुआ? ये किस तरह के बदलाव चाहते थे? 
उत्तर:
फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् यूरोप में मुख्यतः तीन तरह के विचारों का उदय हुआ। ये समूह (1) उदारवादी (2) रैडिकल तथा (3) रूढ़िवादी कहलाये। इनके विचार निम्न प्रकार थे-

I. उदारवादी-

  • उदारवादी एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण चाहते थे, जिसमें सभी धर्मों को सम्मान मिले एवं एक समान स्थान मिले। ये वंश आधारित शासकों की अनियंत्रित सत्ता के अधिकार का विरोध करते थे। 
  • ये एक ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो निर्वाचित हो, शासकों और अफसरों के प्रभाव से मुक्त हो तथा सुप्रशिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाए। 
  • लेकिन ये वयस्क सार्वभौमिक मताधिकार के पक्षधर नहीं थे, बल्कि केवल संपत्तिधारियों को मताधिकार देने के पक्ष में थे। 
  • सरकार के समक्ष व्यक्ति मात्र की रक्षा के पक्षधर थे। उनका मानना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। 

II. रैडिकल-

  • रैडिकल एक ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो। 
  • रैडिकलों में से बहुत सारे लोग महिला मताधिकार के भी समर्थक थे। उदारवादियों के विपरीत ये लोग बड़े जमींदारों और संपन्न उद्योगपतियों के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे। 
  • ये निजी संपत्ति के विरोधी नहीं थे। परंतु केवल कुछ लोगों के हाथों में संपत्ति के संकेद्रण के विरोधी थे। 

III. रूढ़िवादी-

  • रूढ़िवादी, उदारवादी एवं रैडिकल दोनों का विरोध करते थे। 
  • फ्रंसीसी क्रांति के पूर्व रूढ़िवादी किसी भी प्रकार के परिवर्तन का विरोध करते थे, जबकि अब वे कुछ परिवर्तन को आवश्यक समझने लगे। 
  • वे अतीत का सम्मान करना चाहते थे, इसलिए परिवर्तन की प्रक्रिया धीमी रखने के पक्षधर थे। 

प्रश्न 2. 
कार्ल मार्क्स ने समाजवाद के पक्ष में किस तरह के विचार प्रस्तुत किये? 
उत्तर:
कार्ल मार्क्स (1818-1882) एक महान् समाजवादी था। उसने तथा फ्रेडरिक एंगेल्स ने समाजवाद की दिशा में अनेक नये तर्क पेश किये। समाजवाद के पक्ष में कार्ल मार्क्स के विचार निम्नांकित हैं- 

  • मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज 'पूँजीवादी' समाज है। फैक्ट्रियों में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूँजीपतियों का मुनाफा मजदूरों की मेहनत से पैदा होता है। 
  • मार्क्स का विचार था कि जब तक निजी पूँजीपति इसी तरह मुनाफे का संचय करते जाएँगे तब तक मजदरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए मजदूरों को पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना होगा। 
  • मार्क्स का कहना था कि पूँजीवादी शोषण से मुक्ति के लिए मजदूरों को एक अत्यंत भिन्न किस्म का समाज बनाना होगा जिसमें सारी संपत्ति पर पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व रहेगा। 
  • मार्क्स ने भविष्य के इस समाज को साम्यवादी (कम्युनिस्ट) समाज का नाम दिया। 
  • मार्क्स का विचार था कि पूँजीपतियों के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः मजदूरों की ही होगी। 

प्रश्न 3. 
सन् 1917 की रूसी क्रांति को जन्म देने वाली परिस्थितियों की विस्तार से व्याख्या कीजिये। 
उत्तर:
सन् 1917 की रूसी क्रांति को जन्म देने वाली परिस्थितियाँ सन् 1917 ई. में रूसी क्रांति को जन्म देने वाली प्रमुख परिस्थितियाँ निम्नलिखित थीं- 
(1) सन् 1905 की क्रांति-सन् 1905 ई. में जार की सेना ने मजदूरों व कृषकों के एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दी जिसमें 100 से भी अधिक लोग मारे गये व 300 लोग घायल हुए। इसके विरोधस्वरूप जगह-जगह हड़तालें तथा दंगे हुए। जार ने दमन द्वारा इस क्रांति को यद्यपि दबा दिया किन्तु क्रांति की ज्वाला अन्दर ही अन्दर सुलगती रही जो 1917 के रूप में पुनः भड़की। 

(2) कृषकों की हीन दशा-रूस में कृषकों की दशा दयनीय थी क्योंकि खेत छोटे-छोटे थे, सिंचाई के साधन अच्छे नहीं थे, खाद डालने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, कृषि का पुराना ढंग था, उनके पास अच्छे कृषि यंत्र नहीं थे। करों का उन पर भारी बोझ था। किसानों की यह हीन दशा क्रांति का मुख्य कारण बनी।। 

(3) श्रमिकों की हीन दशा-रूस में 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ हुआ लेकिन निवेश के लिए पूँजी विदेश से आई । विदेशी पूँजीपति अधिक लाभ कमाना चाहते थे। उन्होंने मजदूरों की दशा पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। वे मजदूरों को कम वेतन देकर अधिकाधिक काम लेते थे तथा उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। अतः उनमें असन्तोष बढ़ता जा रहा था। मजदूरों की यह हीन दशा भी रूसी क्रांति के उद्भव में सहायक सिद्ध हुई। 

(4) विचारकों का योगदान-कार्ल मार्क्स, टाल्स्टाय आदि विद्वानों ने अपने विचारों से लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने किसानों और मजदूरों में जागृति लाने और संगठित होकर कार्य करने की विचारधारा का प्रसार किया। 

(5) प्रथम विश्व युद्ध-अपनी साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जार ने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में उलझा दिया जबकि रूस की आर्थिक स्थिति खराब थी। रूसी फौज को युद्ध में पराजय का मुंह देखना पड़ा। 1917 ई. तक 70 लाख लोग मारे जा चुके थे। फलस्वरूप पूरे साम्राज्य व सैनिकों में व्यापक रूप में असन्तोष व्याप्त हो गया। इस प्रकार रूस का प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेना भी रूसी क्रांति का एक कारण बना। 

(6) जार का अत्याचारी शासन-जार एक निरंकुश साम्राज्यवाद समर्थक शासक था। इसलिए निरन्तर युद्धों के कारण रूस आर्थिक संकट में फंस गया था। लोगों पर वह तरह-तरह के अत्याचार करता था। इससे लोगों को जार का शासन असहनीय हो गया था। इस शासन ने भी 1917 ई. की क्रांति के उद्भव में सहायता की। 

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प्रश्न 4. 
स्तालिन की सामहिकीकरण की नीति पर एक निबन्ध लिखिये। 
उत्तर:
स्तालिन की सामूहिकीकरण की नीति-सामूहिकीकरण की नीति स्तालिन द्वारा आरम्भ की गई, जो लेनिन की मृत्यु के बाद सत्ता में आया। इस नीति का प्रमुख कारण अनाज की आपूर्ति की कमी थी। उसने यह तर्क दिया कि अनाज की कमी खेतों के छोटे आकार के कारण थी। इस नीति के मुख्य बिन्दु अग्र प्रकार हैं- 
(i) 1917 के बाद, भूमि किसानों को दे दी गई। इन छोटे आकार के खेतों का आधुनिकीकरण नहीं हो सकता था। आधुनिक फार्मों को विकसित करने के लिए तथा उन्हें मशीनों के साथ औद्योगिक रूपरेखा के अनुसार चलाने के लिए 'कुलकों' (Kulaks) को समाप्त करना आवश्यक था। किसानों से जमीन लेकर, राज्य द्वारा नियंत्रित बड़े-बड़े फार्मों की स्थापना की गई। 
(ii) 1929 से सरकार ने सामूहिक फार्मों (कोलखोज) पर खेती करने के लिए किसानों को मजबूर किया। अधिकतर भूमि तथा उपकरण, सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए। किसान भूमि पर काम करते थे और सामूहिक खेतों का लाभ बाँट लिया जाता था। 

(iii) क्रोधित किसानों ने अधिकारियों का विरोध किया तथा अपने पशुओं को नष्ट कर दिया। 1929 तथा 1931 के बीच, पशुओं की संख्या कम होकर एक-तिहाई रह गई। सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को कड़ी सजा दी गई। कइयों को देश-निकाला दे दिया गया। 

(iv) सामूहिकीकरण का विरोध करते हुए किसानों ने तर्क दिया कि वे न तो अमीर हैं तथा न समाजवाद के विरुद्ध हैं। अन्य कारणों से वे सामूहिक खेतों में काम नहीं करना चाहते। 

(v) स्तालिन की सरकार ने सीमित स्तर पर स्वतंत्र खेती करने की आज्ञा दे दी परन्तु उन किसानों को कोई मदद नहीं दी जाती थी। 

(vi) सामूहिकीकरण के बावजूद, उत्पादन में तत्काल वृद्धि नहीं हुई। वास्तव में, 1930-1933 की खराब फसल के कारण, जो कि रूसी इतिहास का सबसे अधिक तबाही वाला अकाल था, 40 लाख से अधिक लोग मारे गए। स्तालिन के सामूहिकीकरण कार्यक्रम की अनेक आलोचनाएँ की गईं किन्तु उसने सभी आलोचकों को सख्ती से दबा दिया। 

प्रश्न 5. 
रूसी क्रांति और सोवियत संघ के वैश्विक प्रभाव को समझाइये। 
उत्तर:
रूसी क्रांति और सोवियत संघ का वैश्विक प्रभाव-1917 की रूसी क्रान्ति पूरे विश्व के लिए एक नया अनुभव थी। इसने मेहनतकशों के राज्य की स्थापना के स्वप्न को सच कर दिया था। रूसी क्रांति तथा सोवियत संघ के वैश्विक प्रभाव को निम्न बिन्दुओं में देखा जा सकता है- 

  • रूसी क्रान्ति ने मेहनतकशों के राज्य की स्थापना की संभावना द्वारा दुनियाभर के लोगों में एक नई उम्मीद जगा दी थी। 
  • अनेक देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन किया गया-जैसे, इंग्लैंड में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना की गई। 
  • उपनिवेशों की जनता भी उनके रास्ते का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित हुई। 
  • सोवियत संघ के अलावा भी बहुत सारे देशों के प्रतिनिधियों ने कॉन्फ्रेंस ऑफ द पीपुल ऑफ दि ईस्ट (1920) और बोल्शेविकों द्वारा बनाए गए कॉमिन्टन (बोल्शेविक समर्थक समाजवादी पार्टियों का अंतर्राष्ट्रीय महासंघ) में हिस्सा लिया था। 
  • कछ विदेशियों को सोवियत संघ की कम्यनिस्ट यनिवर्सिटी ऑफ द वर्कर्स ऑफ दि ईस्ट में शिक्षा दी गई। 
  • दूसरे विश्वयुद्ध तक सोवियत संघ की वजह से समाजवाद को एक वैश्विक पहचान और हैसियत मिल चुकी थी। अनेक देशों में समाजवादी सरकारों का गठन हुआ। 
  • लेकिन पचास के दशक तक देश के भीतर के साथ-साथ विश्व समाजवादी आंदोलन में भी इस बात को मान लिया गया था कि सोवियत संघ में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा था। एक पिछड़ा हुआ देश महाशक्ति बन र खेती विकसित हो चके थे और गरीबों को भोजन मिल रहा था। लेकिन वहाँ के नागरिकों को कई तरह की आवश्यक स्वतंत्रता नहीं दी जा रही थी और विकास परियोजनाओं को दमनकारी नीतियों के बल पर लागू किया गया था। 
  • बीसवीं सदी के अंत तक सोवियत संघ का विघटन हो गया तथा एक समाजवादी देश के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत संघ की प्रतिष्ठा काफी कम रह गई थी। 
  • अन्य सभी देशों में भी समाजवाद के बारे में विविध प्रकार से व्यापक पुनर्विचार किया जाने लगा। 
admin_rbse
Last Updated on May 24, 2022, 2:54 p.m.
Published May 23, 2022