These comprehensive RBSE Class 8 Maths Notes Chapter 14 गुणनखंडन will give a brief overview of all the concepts.
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→ जब हम किसी व्यंजक का गुणनखण्ड करते हैं तो उसे गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में लिखते हैं। ये गुणनखण्ड, संख्याएँ, बीजीय चर या बीजीय व्यंजक हो सकते हैं।
→ एक अखण्डनीय गुणनखण्ड वह गुणनखण्ड है जिसे और आगे गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
→ किसी व्यंजक का गुणनखण्ड करने की एक क्रमबद्ध विधि सार्व गणनखण्ड विधि है जिसमें प्रत्येक पद को गुणनखण्डों के गुणनफल के रूप में लिखना, सार्व गुणनखण्डों का पता लगाना तथा शेष गुणनखण्डों को बंटन नियम के अनुसार संयोजित करना होता है।
→ सभी पदों में सार्वगुणनखण्ड न होने पर पदों के कुछ समूह बनाकर सार्वगुणनखण्ड लेना होता है। सार्वगुणनखण्ड न मिलने पर प्रयास और भूल विधि से वांछित पुनः समूहन प्राप्त करना चाहिए।
→ कुछ व्यंजकों के गुणनखण्ड निम्नलिखित सर्वसमिकाओं से प्राप्त किए जा सकते हैं
→ एक बहुपद को एकपदी से विभाजन की स्थिति में, हम या तो विभाजन, बहुपद के प्रत्येक पद को उस एकपदी से भाग देकर कर सकते हैं या सार्वगुणनखण्ड विधि से।।
→ एक बहुपद को एक बहुपद से विभाजन की स्थिति में, हम भाज्य बहुपद के प्रत्येक पद को भाजक बहुपद से भाग देकर विभाजन नहीं कर सकते। इसके स्थान पर हम प्रत्येक बहुपद के गुणनखण्ड करते हैं और इनमें सार्वगुणनखण्डों को काट देते हैं।