These comprehensive RBSE Class 8 Maths Notes Chapter 1 परिमेय संख्याएँ will give a brief overview of all the concepts.
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→ प्राकृत संख्याएँ-गिनती की संख्याएँ 1, 2, 3, 4..... प्राकृत संख्याएँ कहलाती हैं।
→ पूर्ण संख्याएँ-सभी प्राकृत संख्याओं के साथ 0 अर्थात् 0, 1, 2, 3, 4, ... पूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं।
→ पूर्णांक-पूर्ण संख्याओं के साथ ऋणात्मक चिह्न वाली गिनती की संख्याएँ ..., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3.... . पूर्णांक कहलाती हैं।
→ परिमेय संख्याएँ-ऐसी संख्या परिमेय संख्या कहलाती है जिसे \(\frac{p}{q}\) के रूप में लिखा जा सकता हो, जहाँ p और q पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0 है।
→ परिमेय संख्याएँ योग, व्यवकलन (बाकी) तथा गुणन की संक्रियाओं के अन्तर्गत संवृत्त हैं। (6) परिमेय संख्याओं के लिए योग की संक्रिया क्रम विनिमेय है अर्थात् a तथा b के लिए a + b = b + al
→ परिमेय संख्याओं के लिए गुणन क्रम विनिमेय है अर्थात् a तथा b के लिए ax b = bx al
→ परिमेय संख्याओं के लिए योग संक्रिया साहचर्य है अर्थात् तीन परिमेय संख्याओं a, b तथा c के लिए a + (b + c) = (a + b) + c ।
→ परिमेय संख्याओं के लिए गुणन संक्रिया साहचर्य है अर्थात् किन्हीं तीन परिमेय संख्याओं a, b तथा c के लिए a × (b × c) = (a × b) × c ।
→ परिमेय संख्याओं के लिए परिमेय संख्या शून्य एक योज्य तत्समक है अर्थात् किसी परिमेय संख्या में शून्य | जोड़ने पर योग वही परिमेय संख्या होगी।
→ परिमेय संख्याओं के लिए परिमेय संख्या 1 गुणनात्मक तत्समक है अर्थात् किसी परिमेय संख्या को 1 से गुणा करने पर वही संख्या गुणनफल के रूप में प्राप्त होगी।
→ किसी परिमेय संख्या \(\frac{a}{b}\) का योज्य प्रतिलोम -\(\frac{a}{b}\) है तथा -\(\frac{a}{b}\) का योज्य प्रतिलोम । है।
→ यदि \(\frac{a}{b} \times \frac{c}{d}\) = 1 तो परिमेय संख्या १ का व्युत्क्रम अथवा गुणनात्मक प्रतिलोम में है।
→ शून्य का कोई व्युत्क्रम नहीं है।
→ परिमेय संख्याओं के योग एवं व्यवकलन पर गुणन की वितरकता सभी परिमेय संख्याओं a, b और c के लिए
→ परिमेय संख्याओं को संख्या रेखा पर निरूपित किया जा सकता है।
→ दो दी हुई परिमेय संख्याओं के बीच अपरिमित परिमेय संख्याएँ होती हैं।
→ दो परिमेय संख्याओं a तथा b के बीच की परिमेय संख्या 4th होगी।