These comprehensive RBSE Class 6 Social Science Notes Civics Chapter 2 विविधता एवं भेदभाव will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 6 Social Science Notes Civics Chapter 2 विविधता एवं भेदभाव
→ विविधता: भारत विविधताओं वाला देश है। यहाँ संसार के आठों मुख्य धर्मों के अनुयायी रहते हैं । यहाँ सोलह सौ से ज्यादा मातृभाषाएँ बोली जाती हैं और यहाँ सौ से भी ज्यादा तरह के नृत्य किए जाते हैं। यह विविधता हमेशा खुश होने का कारण नहीं बनती।
→ पूर्वाग्रह:
- जब हम किसी के बारे में पहले से कोई राय बना लेते हैं और उसे हम अपने दिमाग में बिठा लेते हैं तो वह पूर्वाग्रह का रूप ले लेती है। ज्यादातर यह राय नकारात्मक होती है।
- जब हम यह सोचने लगते हैं कि किसी काम को करने का कोई एक तरीका ही सबसे अच्छा और सही है, तो हम अक्सर दूसरों की इज्जत नहीं कर पाते जो उसी काम को दूसरी तरह से करना पसंद करते हैं।
- हम कई चीजों के बारे में पूर्वाग्रही हो सकते हैं-लोगों के धार्मिक विश्वास, उनकी चमड़ी का रंग, जिस क्षेत्र से वे आते हैं, जिस तरह से बोलते हैं, जैसे कपड़े पहनते हैं इत्यादि।
- अक्सर दूसरों के बारे में बनाए गए हमारे पूर्वाग्रह इतने पक्के होते हैं कि हम उनसे दोस्ती नहीं करना चाहते। इस कारण कई बार हमारा व्यवहार ऐसा होता है कि हम उन्हें दुःख पहुँचा देते हैं।
→ लड़के और लड़की में भेदभाव-समाज में लड़के और लड़कियों में कई तरह से भेदभाव किया जाता है। हम लगातार यह सुनते रहते हैं कि 'लड़के ऐसे होते हैं' और 'लड़कियाँ ऐसी होती हैं। समाज की इन मान्यताओं को हम बिना सोचे-समझे मान लेते हैं । हम विश्वास कर लेते हैं कि हमारा व्यवहार इसके अनुरूप ही होना
→ जैसे कि यह विश्वास कि लड़कों का रोना, कमजोरी की निशानी है, वे रोते नहीं हैं। हम सभी लड़कों व लड़कियों को उनके लिए निर्धारित की हुई छवि के अनुरूप ही देखना चाहते हैं।
→ रूढिबद्ध धारणाएँ बनाना
- जब हम सभी लोगों को एक ही छवि में बाँध देते हैं या उनके बारे में पक्की धारणा बना लेते हैं, तो उसे रूढिबद्ध धारणा कहते हैं। कई बार हम किसी खास देश, धर्म, लिंग के होने के कारण किसी को 'कंजूस', 'अपराधी' या 'बेवकूफ' ठहराते हैं। ऐसा दरअसल उनके बारे में मन में पक्की धारणा बना लेने के कारण होता है।
- रूढिबद्ध धारणाएँ बड़ी संख्या में लोगों को एक ही प्रकार के खांचे में जड़ देती है। कई बार ये धारणाएँ हमें ऐसे काम करने से रोकती हैं जिनको करने की काबिलियत शायद हम में हो।
→ असमानता एवं भेदभाव
- भेदभाव तब होता है जब लोग पूर्वाग्रहों या रूढिबद्ध धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते हैं । जैसे-कुछ लोगों को कुछ गतिविधियों में भाग लेने से रोकना, उन्हें किसी खास नौकरी को करने से रोकना, कुएँ से पानी नहीं लेने देना आदि भेदभाव के रूप हैं।
- भेदभाव कई कारणों से हो सकता है-धर्म के आधार पर, गरीबी के आधार पर, विविधता और असमानता दोनों के आधार पर।
→ भेदभाव का सामना करने पर
- जाति व्यवस्था के तहत बहुत बड़ी संख्या में लोग भेदभाव के शिकार हुए।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर की कहानी से स्पष्ट होता है कि जाति पर आधारित भेदभाव न केवल दलितों को कई गतिविधियों से वंचित रखता है, बल्कि वह उन्हें आदर और सम्मान भी नहीं मिलने देता जो दूसरों को मिलता हैं।
→ समानता के लिए संघर्ष
- दलितों ने, महिलाओं ने तथा किसानों ने समानता के लिए संघर्ष किए।
- स्वतंत्रता के बाद संविधान में समानता को एक अहम मूल्य की तरह माना गया है जो हम सभी को एक भारतीय के रूप में जोड़ती है। प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और समान अवसर प्राप्त हैं। अस्पृश्यता को अपराध की तरह देखा जाता है और इसे कानूनी रूप से खत्म कर दिया गया है। मुख्यधारा से अलग-थलग समुदायों को इस समानता के अधिकार का फायदा दिलाने के लिए विशेष कदम उठाए। संविधान के लेखकों ने जोर दिया कि सरकार सभी धर्मों को बराबर मानेगी। इसलिए भारत एक 'धर्मनिरपेक्ष देश है।
- समानता वह मूल्य है जिसके लिए हमें निरन्तर संघर्ष करते रहना है क्योंकि असमानता आज भी विद्यमान है।