RBSE Class 6 Social Science Important Questions History Chapter 9 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Important Questions History Chapter 9 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री Important Questions and Answers.

RBSE Class 6 Social Science Important Questions History Chapter 9 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री


बहुचवनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
'मुवेन्दार' में शामिल नहीं है
(अ) सातवाहन 
(ब) चोल 
(स) चेर
(द) पांड्य 
उत्तर:
(अ) सातवाहन 

RBSE Class 6 Social Science Important Questions History Chapter 9 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री

प्रश्न 2. 
बुद्धचरित की रचना किसने की थी?
(अ) कनिष्क 
(ब) चाणक्य
(स) अश्वघोष 
(द) श्री सातकर्णी 
उत्तर:
(स) अश्वघोष

प्रश्न 3. 
रेशम बनाने की तकनीक का आविष्कार सबसे पहले कहाँ हुआ था? 
(अ) भारत 
(ब) रूस 
(स) रोम
(द) चीन 
उत्तर:
(द) चीन 

प्रश्न 4. 
कार्ले की गुफा कौनसे राज्य में स्थित है?
(अ) मध्यप्रदेश 
(ब) महाराष्ट्र
(स) गुजरात 
(द) उड़ीसा 
उत्तर:
(ब) महाराष्ट्र

प्रश्न 5. 
निम्न में से कौनसा चीनी तीर्थयात्री भारत यात्रा पर आया था? 
(अ) फा - शिएन 
(ब) श्वन त्सांग
(स) इत्सिंग 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6. 
सिल्क रूट पर नियंत्रण रखने वाले सबसे प्रसिद्ध शासक कौनसे थे? 
(अ) कुषाण 
(ब) सातवाहन
(स) गुप्त 
(द) मौर्य 
उत्तर:
(अ) कुषाण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. काली मिर्च की रोमन साम्राज्य में इतनी मांग थी कि इसे ................ के नाम से बुलाते थे। 
उत्तर:
काले सोने

2. दक्षिणी भाग में नदियों के मैदानी इलाकों में ................ का मैदान सबसे उपजाक है।
उत्तर:
कावेरी

3. ................ ने पूर्वी, पश्चिमी तथा दक्षिणी तटों पर अपनी सेनाएँ भेजी। 
उत्तर:
श्री सातकर्णी

4. चीनी बौद्ध तीर्थयात्री ................. लगभग 1600 साल पहले भारत आया। 
उत्तर:
फाशिएन

5. भगवद्गीता ................ का एक हिस्सा है। 
उत्तर:
महाभारत। 

सत्य/असत्य बताइये

1. उत्तर भारत सोना, मसाले तथा विशेषकर काली मिर्च के लिए प्रसिद्ध था। 
उत्तर:
असत्य

2. चोल, चेर, पांड्य शासकों के अपने दो - दो सत्ता केन्द्र थे। 
उत्तर:
सत्य

3. भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पहले सोने के सिक्के जारी करने वाले शासकों में कुषाण थे। 
उत्तर:
सत्य

4. कनिष्क के समय बौद्ध धर्म की एक नई धारा हीनयान का विकास हुआ। 
उत्तर:
असत्य

5. भक्ति मार्ग की चर्चा हिन्दुओं के पवित्र ग्रंथ रामायण में की गई है। 
उत्तर:
असत्य

सही मिलान कीजिये

I

II

1. काली मिर्च

(अ) पश्चिम भारत

2. सातवाहन

(ब) बिहार

3. नालंदा

(स) मध्यप्रदेश

4. एरण

(द) दक्षिण भारत

5. बोधिसत्व की पूजा

(य) चीन, कोरिया, जापान|


उत्तर:

I

II

1. काली मिर्च

(द) दक्षिण भारत

2. सातवाहन

(अ) पश्चिम भारत

3. नालंदा

(ब) बिहार

4. एरण

(स) मध्यप्रदेश

5. बोधिसत्व की पूजा

(य) चीन, कोरिया, जापान|


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
दक्षिण भारत किन चीजों के लिए प्रसिद्ध था? 
उत्तर:
दक्षिण भारत सोना, मसाले, विशेषकर काली मिर्च तथा कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था। 

प्रश्न 2. 
पुहार पत्तन कौनसे तट पर स्थित था? 
उत्तर:
पुहार पत्तन पूर्वी समुद्र तट पर स्थित था। 

प्रश्न 3. 
मुवेन्दार शब्द का क्या अर्थ है? 
उत्तर:
मुवेन्दार एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ है - तीन मुखिया। 

प्रश्न 4. 
मुवेन्दार शब्द का प्रयोग किनके लिए किया गया है?
उत्तर:
मुवेन्दार शब्द का प्रयोग तीन शासक परिवारों - चोल, चेर तथा पांड्य - के मुखियाओं के लिए किया गया है। 

प्रश्न 5. 
सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा कौन था? 
उत्तर:
सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा गौतमी पुत्र श्री सातकर्णी था।

प्रश्न 6. 
दक्षिणापथ का स्वामी किसे कहा जाता था? 
उत्तर:
सातवाहन शासकों को दक्षिणापथ का स्वामी कहा जाता था। 

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प्रश्न 7. 
रेशमी कपड़े बहुमूल्य क्यों माने जाते हैं? 
उत्तर:
कीमती, चमकीले रंग और चिकनी, मुलायम बनावट की वजह से रेशमी कपड़े अधिकांश समाज में बहुमूल्य माने जाते हैं। 

प्रश्न 8. 
रेशम का कपड़ा किस प्रकार बुना जाता है? 
उत्तर:
रेशम के कीड़े से कच्चा रेशम निकालकर, सूत कताई होती है और फिर उससे कपड़ा बुना जाता है। 

प्रश्न 9. 
रेशम बनाने की तकनीक का आविष्कार कब तथा कहाँ हुआ? 
उत्तर:
रेशम बनाने की तकनीक का आविष्कार सबसे पहले चीन में लगभग 7000 वर्ष पहले हुआ। 

प्रश्न 10. 
सिल्क रूट किसे कहते थे? 
उत्तर:
वे प्राचीन मार्ग जिनसे व्यापारी चीनी रेशमी कपड़े को ले जाते थे, सिल्क रूट कहलाता था। 

प्रश्न 11. 
कुषाणों के दो मुख्य शक्तिशाली केन्द्रों के नाम बताइये। 
उत्तर:

  • पेशावर 
  • मथुरा। 

प्रश्न 12. 
कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध राजा कौन था? 
उत्तर:
कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध राजा कनिष्क था। 

प्रश्न 13. 
कनिष्क के दरबार के एक विद्वान का नाम बताइये। 
उत्तर:
अश्वघोष। 

प्रश्न 14. 
बौद्ध धर्म की एक नई धारा 'महायान' का विकास किसके समय हुआ? 
उत्तर:
कनिष्क के समय। 

प्रश्न 15. 
बेरवाद क्या था? 
उत्तर:
थेरवाद बौद्ध धर्म का आरम्भिक रूप था। 

प्रश्न 16. 
तीर्थयात्री कौन होते हैं? 
उत्तर:
तीर्थयात्री वे स्त्री - पुरुष होते हैं जो प्रार्थना के लिए पवित्र स्थानों की यात्रा किया करते हैं। 

प्रश्न 17. 
देवी - देवताओं की पूजा किस धर्म की प्रमुख पहचान बन गई? 
उत्तर:
देवी - देवताओं की पूजा हिन्दू धर्म की प्रमुख पहचान बन गई। 

प्रश्न 18. 
शिव, विष्णु, दुर्गा जैसे देवी - देवताओं की पूजा किस माध्यम से की जाती थी? 
उत्तर:
इन देवी - देवताओं की पूजा भक्ति परम्परा के माध्यम से की जाती थी। 

प्रश्न 19. 
विष्णु ने वराह रूप क्यों धारण किया था? 
उत्तर:
पुराणों के अनुसार जल में डूबी पृथ्वी को बचाने के लिए विष्णु ने वराह रूप धारण किया था।

प्रश्न 20. 
अधिकांश भक्ति साहित्य हमें क्या बताते हैं? 
उत्तर:
अधिकांश भक्ति साहित्य हमें बताते हैं कि धन, ऐश्वर्ष या ऊँचे पद के जरिये कभी ईश्वर से आत्मीयता नहीं। बन सकती। 

प्रश्न 21. 
मंदिर किसे कहते हैं? 
उत्तर:
जिन विशेष स्थानों पर देवी - देवताओं की मूर्तियों को रखा जाता है, उन्हें मंदिर कहते हैं। 

प्रश्न 22. 
ईसा मसीह का जन्म कहाँ हुआ था? 
उत्तर:
ईसा मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ था। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
प्राचीन काल में दक्षिण भारत तथा रोमन साम्राज्य के बीच व्यापार के बारे में बताइये। 
उत्तर:
प्राचीन काल में दक्षिण भारत तथा रोमन साम्राज्य के बीच व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था। यह निम्न प्रकार से स्पष्ट है:

  • दक्षिण भारत सोना, मसाले, खास तौर पर काली मिर्च तथा कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था। कालीमिर्च की रोमन साम्राज्य में इतनी माँग थी कि इसे 'काले सोने' के नाम से बुलाते थे। 
  • व्यापारी इन सामानों को समुद्री जहाजों और सड़कों के रास्ते रोम पहुंचाते थे। 
  • दक्षिण भारत में ऐसे अनेक रोमन सोने के सिक्के मिले हैं।

प्रश्न 2. 
पूर्वी समुद्री तट पर स्थित पुहार पत्तन पर लाये जाने वाले माल की सूची बनाइये। 
उत्तर:
पुहार पत्तन विदेशी व्यापार का प्रमुख पत्तन था। इस पत्तन पर आयात - निर्यात हेतु अनेक तरह का माल लाया जाता था, जो निम्न प्रकार है:

  1. तेज तर्रार घोड़े 
  2. काली मिर्च की गठरियाँ 
  3. रत्न, सोना आदि 
  4. चन्दन की लकड़ियाँ 
  5. दक्षिणी सागर के मोती 
  6. पूर्वी सागर के मुंगे 
  7. गंगा और कावेरी के मैदान की उपजें 
  8. श्रीलंका से आए खाद्यान्न 
  9. म्यांमार के बने मिट्टी के बर्तन तथा अन्य दुर्लभ कीमती सामान। 

प्रश्न 3. 
प्राचीन भारत में विदेशी व्यापार हेतु समुद्री यात्राओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिये। 
उत्तर:

  • व्यापारियों ने कई समुद्री रास्ते खोज निकाले थे। इनमें से कुछ समुद्र के किनारे चलते थे, कुछ अस्व सागर और बंगाल की खाड़ी पार करते थे।
  • नाविक मानसूनी हवा का फ़ायदा उठाकर अपनी याशा जल्दी पूरी कर लेते थे।
  • वे अफ्रीका या अरब के पूर्वी तट से इस उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहुंचना चाहते थे तो दक्षिणी - पश्चिमी मानसून के साथ चलते थे। 

प्रश्न 4. 
भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी भाग का संक्षिप्त वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिणी भाग में बड़ा तटीय प्रदेश है। इनमें बहुत - से पहाड़, पठार और नदी के मैदान हैं। नदियों के मैदानी इलाकों में कावेरी का मैदान सबसे अधिक उपजाऊ है। मैदानी इलाकों तथा तटीय इलाकों के सरदारों और राजाओं के पास उन्नत व्यापार से धीरे - धीरे काफी सम्पत्ति और शक्ति हो गई। 

प्रश्न 5. 
पश्चिम की ओर रेशमी कपड़ों का प्रसार कैसे हुआ? 
उत्तर:
रेशमी कपड़े का उत्पादन सर्वप्रथम चीन में हुआ और धीरे - धीरे यह पश्चिम की तरफ फैलता गया। कभी - कभी चीन के शासक ईरान और पश्चिमी एशिया के शासकों को उपहार के तौर पर रेशमी कपड़े भेजते थे। यहाँ से रेशम के बारे में जानकारी और भी पश्चिम की ओर फैल गई। लगभग 2000 साल पहले रोम के शासकों और धनी लोगों के बीच रेशमी कपड़े पहनना एक फैशन बन गया। 

प्रश्न 6. 
श्वैन त्सांग कहाँ से आया था? लौटते समय वह अपने साथ क्या ले गया था? 
उत्तर:
श्वन त्सांग चीन से आया था। उसने भारत में सोने, चाँदी और चंदन की लकड़ी की बनी बुद्ध की मूर्तियाँ तथा 1600 से भी स्यादा पाण्डुलिपियाँ एका की थीं। इन्हें बह 20 घोड़ों पर लादकर ले गया। सिंधु नदी पार करते समय नाव उलटने से इसमें से 50 पाण्डुलिपियाँ खो गई थीं। चीन पहुंचकर अपने जीवन का बाकी हिस्सा उसने बची हुई पाण्डुलिपियों का संस्कृत से चीनी अनुवाद करने में लगा दिया। 

प्रश्न 7. 
भगवद्गीता में भक्ति मार्ग के विषय में क्या कहा गया है? 
उत्तर:
हिन्दुओं के पवित्र ग्रंथ भगवद्गीता में भक्ति मार्ग के बारे में बताया गया है। इसमें भगवान कृष्ण अपने भक्त और मित्र अर्जुन को सभी धर्मों को छोड़कर उनकी शरण में आने का उपदेश देते हैं। क्योंकि केवल कृष्ण ही अर्जुन को सारी बुराइयों से मुक्ति दिला सकते हैं। पूजा का यह भक्ति रूप धीरे - धीरे देश के विभिन्न भागों में फैला।

प्रश्न 8. 
'भक्ति' शब्द की व्याख्या कीजिये। 
उत्तर:
'भक्ति' शब्द 'भ' से बना है जिसका आशय है 'विभाजित करना या हिस्सेदारी'। इसका अर्थ यह है कि भक्ति, भगवान और भक्त के बीच परस्पर एक अंतरंग सम्बन्ध है। भक्ति, भगवत् या भगवान के प्रति झुकाव है। भगवत् का एक अर्थ यह भी है कि जो अपने ऐश्वर्य तथा सुख को भक्तों के साथ बाँटता है। 

प्रश्न 9.'
हिन्दू' शब्द का उद्भव कहाँ से हुआ है? इसके उपयोग को समझाइये। 
उत्तर:
'हिन्दू' शब्द सिंधु या इण्डस से निकला है। हिन्दू शब्द का प्रयोग अरबों तथा ईरानियों द्वारा उन लोगों के लिए किया जाता था जो सिंधु नदी के पूर्व में रहते थे। यही शब्द उनके वार्मिक विश्वास तथा सांस्कृतिक परम्पराओं के लिए भी प्रयुक्त होता था। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
चोल, चेर तथा पांड्य दक्षिण भारत के शक्तिशाली शासक थे। वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
चोल, चेर तथा पांड्य दक्षिण भारत में लगभग 2300 वर्ष पहले शासन करते थे। ये काफी शक्तिशाली शासक थे। इसका वर्णन निम्न प्रकार है:

  1. संगम कविताओं में इनके लिए 'मुवेन्दार' शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है - तीन मुखिया। ये घेचोल, चेर तथा पांड्य। 
  2. इन तीनों मुखियाओं के अपने दो - दो सत्ता केंद्र थे। इनमें से एक तटीय हिस्से में और दूसरा अंदरूनी हिस्से में था। 
  3. इस तरह छह केंद्रों में से दो बहुत महत्त्वपूर्ण थे - एक, चोलों का पत्तन पुहार या कावेरीपट्टिनम तथा दूसरा, पांड्यों की राजधानी मदुरै। 
  4. चोल, चेर, पांड्य शासक लोगों से नियमित कर के बजाय उपहारों की मांग करते थे। 
  5. कभी - कभी ये सैनिक अभियानों पर भी निकल पड़ते थे और आस - पास के इलाकों से शुल्क वसूल करते थे। इनमें से कुछ धन वे अपने पास रख लेते थे, बाकी अपने समर्थकों, नाते - रिश्तेदारों, सिपाहियों तथा कवियों के बीच बाँट देते थे। 
  6. अनेक संगम कवियों ने इन शासकों की प्रशंसा में कविताएँ लिखी हैं जो उन्हें कीमती जवाहरात, सोने, घोड़े, हाथी, रथ या सुंदर कपड़े दिया करते थे। 

प्रश्न 2. 
सातवाहन वंश के बारे में आप क्या जानते हैं? 
उत्तर:
सातवाहन वंश:

  1. लगभग 2100 वर्ष पहले पश्चिम भारत में सातवाहन नामक राजवंश का प्रभाव बढ़ गया। इस वंश में अनेक प्रतापी राजा हुए। 
  2. सातवाहनों का सबसे प्रमुख राजा गौतमी पुर श्री सातकर्णी था। उसके बारे में हमें उसकी मां, गौतमी बलश्री द्वारा दान किए एक अभिलेख से पता चलता है। 
  3. श्री सातकणी और अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणापथ के स्वामी कहे जाते थे। दक्षिणापथ का शाब्दिक अर्थं दक्षिण की ओर जाने वाला रास्ता होता है। पूरे दक्षिणी क्षेत्र के लिए भी यही नाम प्रचलित था। 
  4. श्री सातकर्णी ने पूर्वी, पश्चिमी तथा दक्षिणी तटों पर अपनी सेनाएँ भेजी। 
  5. श्री सातकर्णी दक्षिणी भारत के विदेशी व्यापार तथा पत्तनों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहता था।

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प्रश्न 3. 
रेशम मार्ग किसे कहते हैं? कुषाणों ने इस पर किस प्रकार नियंत्रण किया?
उत्तर:
रेशम मार्ग (सिल्क रूट): चीन से पैदल, घोड़ों या ऊँटों पर कुछ लोग दूर - दूर की जगहों पर जाते थे और अपने साथ रेशमी कपड़े भी ले जाते थे। जिस रास्ते से ये लोग यात्रा करते थे वह रेशम मार्ग (सिल्क रुट) कहलाता था। 
कुषाण शासकों का नियंत्रण:

  1. सिल्क रूट पर नियंत्रण रखने वाले शासकों में सबसे प्रसिद्ध कुषाण थे। 
  2. लगभग 2000 साल पहले मध्य एशिया तथा पश्चिमोत्तर भारत पर इनका शासन था। पेशावर और मधुरा इनके दो मुख्य शक्तिशाली केंन थे तथा तक्षशिला भी इनके ही राज्य का हिस्सा था। 
  3. कुषाणों के शासनकाल में सिल्क रुट की एक शाखा मध्य - एशिया से होकर सिंधु नदी के मुहाने के पत्तनों तक जाती थी। यहाँ से जहागों द्वारा रेशम, पश्चिम की ओर रोमन साम्राज्य तक पहुंचता था। 
  4. इस उपमहाद्वीप में सबसे पहले सोने के सिक्के कुषाण शासकों ने ही जारी किये थे। सिल्क रूट पर यात्रा करने वाले व्यापारी इनका उपयोग किया करते थे। 

प्रश्न 4. 
बौद्ध धर्म की नई धारा महायान की दो विशेषताएँ बताइये। 
उत्तर:
कनिष्क के समय बौद्ध धर्म की एक नई धारा महायान का विकास हुआ। इसकी दो मुख्य विशेषताएँ थीं:
1. पहले, मूर्तियों में बुद्ध को केवल कुछ संकेतों के माध्यम से दर्शाया जाता था। जैसे पहले उनकी निर्वाण प्राप्ति को पीपल के पेड़ की मूर्ति द्वारा दर्शाया जाता था पर अब महायान के प्रभाव में बुद्ध की प्रतिमाएं बनाई जाने लगीं। इनमें से अधिकांश मथुरा में, तो कुछ तक्षशिला में बनाई जाने ली। 

2. एक परिवर्तन बोधिसत्व में आस्था को लेकर आया। बोधिसत्त्व वे लोग थे जो ज्ञान प्राप्ति के बाद एकांत वास करते हुए ध्यान साधना कर सकते थे। लेकिन ऐसा करने के बजाय, अब वे लोगों को शिक्षा देने और मदद करने के लिए सांसारिक परिवेश में ही रहना ठीक समझने लगे। धीरे - धीरे बोधिसत्व की पूजा काफी लोकप्रिय हो गई और पूरे मध्य एशिया, चीन और बाद में कोरिया तथा जापान तक भी फैल गई।

प्रश्न 5. 
कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध धर्म के विकास तथा प्रसार का वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
कनिष्क कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध राजा था। उसके शासनकाल में बौद्ध धर्म का बहुत विकास तथा प्रसार हुआ:

  1. कनिष्क ने एक बौद्ध परिषद् का गठन किया, जिसमें एकत्र होकर बिहान महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार - विमर्श करते थे। 
  2. बुद्ध की जीवनी युद्धचरित के रचनाकार कषि अश्वघोष, कनिष्क के दरबार में ही रहते थे। 
  3. कनिष्क के समय बौद्ध धर्म की एक नई धारा महायान का विकास हुआ। 
  4. पश्चिमी और दक्षिणी भारत में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ, जहाँ बौद्ध भिक्खुओं के रहने के लिए पहाड़ों में अनेकों गुफाएँ खोदी गई। 
  5. कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध धर्म दक्षिण - पूर्व की ओर श्रीलंका, म्यांमार, थाइलैंड तथा इंडोनेशिया सहित दक्षिण - पूर्व एशिया के अन्य भागों में भी फैला। इन क्षेत्रों में बौद्ध धर्म का आरम्भिक रूप 'धेरवाद' अधिक प्रचलित था। 

प्रश्न 6. 
तीर्थयात्री से आप क्या समझते हैं? भारत यात्रा पर आये चीनी बौद्ध तीर्थयात्रियों के बारे में बताइये। 
उत्तर:
तीर्थयात्री: तीर्थयात्री से आशय उन स्त्री - पुरुषों से है, जो प्रार्थना के लिए पवित्र स्थानों की यात्रा किया करते हैं। भारत यात्रा पर आये चीनी बौद्ध तीर्थयात्री - प्राचीन भारत में तीन प्रसिद्ध चीनी बौद्ध तीर्थयात्री भारत आये। इनमें भारत की यात्रा पर आया पहला चीनी बौद्ध तीर्थयात्री फा-शिएन काफी प्रसिद्ध है। वह करीब 1600 साल पहले भारत आया। इसके बाद श्वेन त्सांग 1400 साल पहले भारत आया, और यह भी काफी प्रसिद्ध हुआ। उसके करीब 50 साल बाद चीनी यात्री इत्सिंग भारत आया। ये सब बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों और प्रसिद्ध मठों को देखने के लिए भारत आए थे। इनमें से प्रत्येक तीर्थयात्री ने अपनी यात्रा का वृत्तांत लिखा। इन्होंने अपनी यात्रा के दौरान आई मुश्किलों के बारे में भी लिखा। इन यात्राओं में कई वर्ष लग जाया करते थे। जिन जगहों और मठों को उन्होंने देखा, उनके बारे में उन्होंने लिखा। वे भारत से बुद्ध की अनेक मूर्तियाँ तथा पाण्डुलिपियाँ अपने साथ ले गये थे। उन्होंने उन किताबों के बारे में भी लिखा, जिन्हें वे अपने साथ ले गए थे। 

प्रश्न 7. 
नालन्दा शिक्षा का एक विशिष्ट केन्द्र था। स्पष्ट कीजिये।
अथवा 
श्वन त्सांग ने बौद्ध विद्या केन्द्र 'नालन्दा' के बारे में क्या लिखा है? 
उत्तर:
नालन्दा शिक्षा का एक विशिष्ट केन्द्र: प्राचीन भारत में नालन्दा शिक्षा का एक विशिष्ट केन्द्र था। दूरदराज से छात्र यहाँ अध्ययन करने आते थे। चीनी यात्री स्वैन त्सांग तथा अन्य तीर्थयात्रियों ने भी नालंदा (बिहार) में अध्ययन किया था। वैन त्सांग ने नालंदा के बारे में निम्न विवरण लिखा है:

  1. यहाँ के शिक्षक योग्यता तथा बुद्धि में सबसे आगे हैं। 
  2. बुद्ध के उपदेशों का वह पूरी ईमानदारी से पालन करते है।
  3. मठ के नियम काफी सखा हैं, जिन्हें सबको मानना पड़ता है।
  4. पूरे दिन वाद - विवाद चलते ही रहते हैं, जिसमें युवा और वृद्ध दोनों ही एक दूसरे की मदद करते हैं। 
  5. विभिन्न शहरों से विद्वान लोग अपनी शंकाएं दूर करने यहाँ आते हैं। 
  6. नए आगन्तुकों से पहले द्वारपाल ही कठिन प्रश्न पूछते हैं। उन्हें अंदर जाने की अनुमति तभी मिलती है, जब वे द्वारपाल को सही उत्तर दे पाते हैं। 
  7. दस में से सात - आठ लोक सही उत्तर नहीं दे पाते हैं।
Bhagya
Last Updated on June 9, 2022, 3:40 p.m.
Published June 9, 2022