Rajasthan Board RBSE Class 6 Science Important Questions Chapter 5 पदार्थों का पृथक्करण Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
मक्खन प्राप्त करने के लिए हम दूध या दही का मंथन क्यों करते हैं?
(अ) अनुपयोगी अवयवों को दूर करने के लिए।
(ब) दो भिन्न परन्तु उपयोगी पदार्थों को पृथक् करने के लिए।
(स) हानिकारक अवयवों अथवा अशुद्धियों को दूर करने के लिए।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
प्रश्न 2.
गेहूँ तथा चावल से पत्थर एवं भूसे को पृथक् करने की सर्वोत्तम विधि है।
(अ) हस्त चयन
(ब) श्रेशिंग
(स) चालन
(द) संघनन
उत्तर:
(ब) श्रेशिंग
प्रश्न 3.
पृथक्करण की निष्पावन विधि में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है।
(अ) कृषक
(ब) जल
(स) वायु
(द) अशुद्धियाँ
उत्तर:
(अ) कृषक
प्रश्न 4.
किसी मिश्रण में जल मिलाने पर भारी अवयवों के नीचे तली में बैठ जाने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
(अ) अवसादन
(ब) निस्तारण
(स) निस्यंदन
(द) निष्पावन
उत्तर:
(अ) अवसादन
प्रश्न 5.
घर में पनीर बनाने के लिए पृथक्करण की कौनसी विधि का उपयोग किया जाता है?
(अ) निष्पावन
(ब) संघनन
(स) निस्तारण
(द) निस्यंदन
उत्तर:
(द) निस्यंदन
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
प्रश्न 1.
रेशों से बीजों को पृथक् करने के लिए कपास को ............... है।
उत्तर:
ओटते
प्रश्न 2.
किसी मिश्रण में से पृथक् किए जाने वाले पदार्थों के कणों के ................ अथवा द्रव्य ............... हो सकते हैं।
उत्तर:
आमाप, भिन्न
प्रश्न 3.
फिल्टर पत्र एक ऐसा .............. होता है, जिसमें अत्यन्त सूक्ष्म छिद्र होते हैं।
उत्तर:
नियंदक
प्रश्न 4.
किसी पदार्थ को द्रव में घोलने से ................ बनता हैं।
उत्तर:
विलयन।
निम्न में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए:
प्रश्न 1.
किसी पदार्थ के विलयन को गर्म करने पर उसमें और अधिक पदार्थ घोला जा सकता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
जल विलेय पदार्थों की समान मात्राएँ घोलता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
यदि विलयन में और पदार्थ न घुल सकें तो यह असंतृप्त विलयन कहलाता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 4.
भूसा, अनाज के भारी बीजों से निस्पावन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
निस्यंदन विधि का उपयोग पनीर बनाने में होता है।
उत्तर:
सत्य
कॉलम - 1 में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम - 2 से कीजिए:
प्रश्न 1.
कॉलम - 1 |
कॉलम - 2 |
(1) चालन |
(A) चालनी से छानना |
(2) अवसादन |
(B) भारी अवयवों का तली में बैठना |
(3) वाष्पन |
(C) जल का वाष्प में बदलना |
(4) हस्तचयन |
(D) हाथों से अशुद्धियों को हटाना |
उत्तर:
कॉलम - 1 |
कॉलम - 2 |
(1) चालन |
(A) चालनी से छानना |
(2) अवसादन |
(B) भारी अवयवों का तली में बैठना |
(3) वाष्पन |
(C) जल का वाष्प में बदलना |
(4) हस्तचयन |
(D) हाथों से अशुद्धियों को हटाना |
प्रश्न 2.
कॉलम - 1 |
कॉलम - 2 |
(1) रेत से जल पृथक् |
(A) संघनन करना |
(2) अनाज से डंडियाँ |
(B) श्रेसिंग पृथक् करना |
(3) चाय छानना |
(C) निस्तारण |
(4) वाष्प का जल में |
(D) निस्यंदन बदलना |
उत्तर:
कॉलम - 1 |
कॉलम - 2 |
(1) रेत से जल पृथक् |
(C) निस्तारण |
(2) अनाज से डंडियाँ |
(B) श्रेसिंग पृथक् करना |
(3) चाय छानना |
(A) संघनन करना |
(4) वाष्प का जल में |
(D) निस्यंदन बदलना |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पदार्थों के पृथक्करण की प्रमुख विधियों का नाम बताइए।
उत्तर:
हस्तचयन, श्रेसिंग, निष्पावन, चालन, अवसादन, निस्तारण, निस्यंदन, वाष्पन आदि पृथक्करण की कुछ विधियाँ हैं।
प्रश्न 2.
ऐसे द्रवों के मिश्रण को पृथक करने के लिए कौनसी विधि का उपयोगी किया जा सकता है जो आपस में मिश्रित नहीं होते हैं?
उत्तर:
निस्तारण विधि का।
प्रश्न 3.
"विलयन' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पदार्थ को द्रव में घोलने से बना तरल विलयन कहलाता है।
प्रश्न 4.
संघनन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल वाष्प के द्रव रूप में बदलने की प्रक्रिया "संघनन' कहलाती है।
प्रश्न 5.
संतृप्त विलयन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब किसी विलयन में पदार्थ को और अधिक मात्रा नहीं घुलती है, तो वह संतृप्त विलयन कहलाता है।
प्रश्न 6.
क्या जल में विभिन्न विलेय पदार्थों की समान मात्रा घुलती है?
उत्तर:
नहीं, जल विभिन्न पदार्थों की भिन्न-भिन्न मात्रा को घोलता है।
प्रश्न 7.
वाष्पन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल को उसके वाष्प रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया वाष्पन कहलाती है।
प्रश्न 8.
समुद्रों में पृथक्करण की कौनसी प्रक्रिया निरन्तर होती रहती है?
उत्तर:
वाष्पन।
प्रश्न 9.
चालन विधि का उपयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
भिन्न आमापों वाले मिश्रण को पृथक् करने के लिए चालन विधि का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 10.
अत्यधिक मात्रा के अन्नकणों को डंडियों से पृथक् करने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
ऐशिंग मशीनों का।
प्रश्न 11.
हस्त चयन विधि कहाँ उपयोगी है?
उत्तर:
गेहूँ, चावल तथा दालों से कुछ मिट्टी के कणों, पत्थर तथा भूसे को पृथक् करने में हस्त चयन विधि उपयोगी है।
प्रश्न 12.
मिश्रण से भारी तथा हल्के अवयवों को पृथक् करने की सर्वोत्तम विधि कौनसी है?
उत्तर:
निष्पावन विधि।
प्रश्न 13.
क्या जल किसी पदार्थ की कितनी भी मात्रा को घोल सकता है?
उत्तर:
नहीं, जल किसी भी पदार्थ की एक निश्चित मात्रा को ही घोल सकता है।
प्रश्न 14.
आटे में उपस्थित चोकर तथा अन्य अशुद्धियों को पृथक् करने के लिए हम क्या करते हैं?
उत्तर:
इसके लिए हम चालनी (छलनी) का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 15.
पृथक्करण की कौनसी विधियों द्वारा जल से मिट्टी जैसी अविलेय अशुद्धियाँ दूर कर सकते हैं?
उत्तर:
अवसादन, निस्तारण तथा निस्पंदन विधियों द्वारा।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
श्रेशिंग के विषय में लिखिए।
उत्तर:
यह पदार्थों के पृथक्करण की एक विधि है। सूखी डंडियों से अनाज को पृथक् करने की प्रक्रिया 'थ्रेशिंग' कहलाती है। इस प्रक्रिया में डंडियों को पीटकर उनसे अन्नकणों को पृथक् किया जाता है। अत्यधिक मात्रा के अन्नकणों को डंडियों से पृथक् करने के लिए प्राय: श्रेशिंग मशीनों तथा बैलों का भी उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
अवसादन एवं निस्तारण में क्या अन्तर है? समझाइये।
उत्तर:
किसी मिश्रण में जल मिलाने पर मिश्रण के भारी अवयवों के नीचे तली में बैठ जाने की प्रक्रिया 'अवसादन' कहलाती है, जबकि अवसादित मिश्रण को हिलाए बिना अवसाद के ऊपर के जल को अलग करने की प्रक्रिया 'निस्तारण' कहलाती है।
प्रश्न 3.
तेल तथा जल को उनके मिश्रण से किस प्रकार पृथक् किया जा सकता है?
उत्तर:
तेल तथा जल को उनके मिश्रण से निम्न प्रक्रिया द्वारा पृथक् कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
जल तथा नमक के मिश्रण से नमक को किस प्रकार पृथक् किया जा सकता है? समझाइये।
उत्तर:
जल तथा नमक के मिश्रण से नमक को निम्न प्रक्रिया द्वारा पृथक् किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
चावल तथा दालों को पकाने से पहले उनमें उपस्थित धूल, मिट्टी जैसी अशुद्धियों को कैसे पृथक् करते हैं?
उत्तर:
पकाने से पहले दाल व चावल को जल से धोकर अशुद्धियों को पृथक् किया जा सकता है। जल से धोने पर ये अशुद्धियाँ दाल व चावल से पृथक् हो जाती हैं।
प्रश्न 6.
नमक कहाँ से आता है?
उत्तर:
समुद्र के जल में विभिन्न लवण मिले होते हैं। इन्हीं लवणों में से एक लवण साधारण नमक भी होता है। जब समुद्री जल को बड़े - बड़े उथले गड्ढों में भरकर छोड़ देते हैं, तब सूर्य के प्रकाश से जल गर्म होकर वाष्पन द्वारा धीरे - धीरे वाष्प में बदलने लगता है। कुछ समय बाद सारा जल वाष्पित हो जाता है और ठोस लवण नीचे बच जाता है। इसके बाद इन लवणों के मिश्रण का शोधन करके साधारण नमक पृथक् कर लिया जाता है।
प्रश्न 7.
यदि हम जल की मात्रा निश्चित रखकर उस पदार्थ की मात्रा निरन्तर बढ़ाते जाएँ, तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि हम जल की मात्रा निश्चित रखकर उस पदार्थ की मात्रा निरन्तर बढ़ाते जायेंगे, तो कुछ समय बाद वह विलयन, संतृप्त विलयन में बदल जायेगा। संतृप्त होने के बाद इसमें पदार्थ की और अधिक मात्रा नहीं घुल पाती है और अविलेय होकर तली में बैठ जाती है। परन्तु इस विलयन को गर्म करके इसमें पदार्थ की और अधिक मात्रा को घोला जा सकता है।
प्रश्न 8.
पनीर निर्माण में पृथक्करण विधि के उपयोग को समझाइए।
उत्तर:
पनीर निर्माण के लिए पृथक्करण की निस्यंदन विधि का उपयोग किया जाता है। पनीर बनाने के लिए दूध को उबालने से पहले उसमें नींबू का रस मिलाया जाता है। इससे पनीर के ठोस कणों तथा द्रव का मिश्रण प्राप्त होता है। पनीर को इस मिश्रण से कपड़े या छन्नी से फिल्टर करके पृथक् किया जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पदार्थों के पृथक्करण की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पदार्थों के पृथक्करण की विधियाँ निम्न प्रकार से:
प्रश्न 2.
निष्पावन विधि को समझाइये।
उत्तर:
निष्पावन विधि: किसी मिश्रण के अवयवों को वायु के झोकों से पृथक् करने की विधि 'निष्पावन' कहलाती है। इसका उपयोग भारी तथा हल्के अवयवों को पृथक् करने में किया जाता है। किसान प्रायः इस विधि का उपयोग हल्के भूसे को भारी अन्नकणों से पृथक् करने के लिए करते हैं। इसमें हल्के कण हवा के साथ उड़कर दूर एकत्रित हो जाते हैं और भारी कण पृथक् होकर निष्पावन प्लेटफार्म के पास ही एकत्रित हो जाते हैं। अलग हुए भूसे आदि के हल्के कणों को पशुओं के चारे के साथ - साथ अन्य कई प्रयोजनों में काम में लिया जाता है। इस प्रकार इस विधि 1 में वायु के द्वारा मिश्रण के दोनों अवयवों को पृथक् कर लिया जाता है।
प्रश्न 3.
निस्यंदन विधि की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
निस्यंदन विधि - यह वस्तुतः द्रव से ठोस अशुद्धियों को अलग करने की विधि है। इसके लिए इस विधि में सामान्यतः छन्नी, कपड़े के टुकड़े या फिल्टर पत्र का उपयोग किया जाता है। कपड़े के टुकड़े में बुने हुए तागों के बीच में छोटे - छोटे छिद्र होते हैं। कपड़े के इन्हीं छिद्रों का उपयोग निस्पंदक के रूप में किया जाता है। द्रव में अशुद्धियाँ अधिक होने पर उसे फिल्टर पत्र द्वारा निस्पंदित कर सकते हैं क्योंकि फिल्टर पेपर में बहुत सूक्ष्म छिद्र होते हैं। इसके लिए फिल्टर पेपर को शंकु के रूप में मोड़कर एक कीप में लगा देते हैं। इसके बाद मिश्रण को फिल्टर पेपर पर उड़ेलते हैं। इससे मिश्रण के ठोस कण इसके ऊपर ही रह जाते हैं क्योंकि वे इसके सूक्ष्म छिद्रों से गुजर नहीं पाते और स्वच्छ द्रव नीचे बर्तन में एकत्रित हो जाता है।