Rajasthan Board RBSE Class 12 Sociology Important Questions Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार Important Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
प्रारम्भ में छपाई का काम किस तरह की पुस्तक तक सीमित था?
(क) सामाजिक
(ख) राजनीतिक
(ग) धार्मिक
(घ) आर्थिक
उत्तर:
(ग) धार्मिक
प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के प्रारम्भिक वर्षों में देश के विभिन्न विकास कार्यों के बारे में आम जनता को सूचित करने का साधन कौनसा था?
(क) समाचारपत्र
(ख)रेडियो
(ग) फिल्म
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3.
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय, भारत में कितने रेडियो स्टेशन थे?
(क) छः
(ख) सात
(ग) आठ
(घ) नौ
उत्तर:
(क) छः
प्रश्न 4.
भारत की भौगोलिक, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता देखते हुए रेडियो प्रसारण ने अपनी सेवाएँ किन स्तरों पर दी?
(क) राष्ट्रीय स्तर पर
(ख) क्षेत्रीय स्तर पर
(ग) स्थानीय स्तर पर
(घ) उपर्युक्त सभी स्तरों पर।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी स्तरों पर।
प्रश्न 5.
1970 के दशक तक मीडिया उद्योग अलग-अलग सेक्टरों में विभाजित होने पर कैसे कार्य करते थे?
(क) स्वतंत्र रूप से कार्य
(ख) एक-दूसरे पर निर्भरता से
(ग) कभी स्वतंत्र कभी निर्भरता
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) स्वतंत्र रूप से कार्य
प्रश्न 6.
निम्न में से कौनसा संगीत टेलीविजन है?
(क) एम टीवी
(ख) स्टार प्लस
(ग) वी चैनल
(घ) जी टीवी
उत्तर:
(क) एम टीवी
प्रश्न 7.
निम्न में से कौनसा तमिल समाचार-पत्र है ?
(क) दिनतंती
(ख) मलयाली मनोरमा
(ग) ईनाडु
(घ) हिन्दुस्तान
उत्तर:
(क) दिनतंती
प्रश्न 8.
निम्न में से जनसम्पर्क के साधन कौनसे हैं ?
(क) समाचार पत्र
(ख) पत्रिकाएँ
(ग) रेडियो
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 9.
पुस्तक छापने का काम सर्वप्रथम कहाँ शुरू किया गया था?
(क) अमेरिका
(ख) यूरोप
(ग) भारत
(घ) चीन
उत्तर:
(ख) यूरोप
प्रश्न 10.
प्रथम आधुनिक मास मीडिया की संस्था का प्रारम्भ किसके विकास के साथ हुआ था?
(क) औद्योगिक क्रान्ति
(ख) परिवहन और साक्षरता
(ग) प्रिंटिंग प्रेस यानी मुद्रणालय
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ग) प्रिंटिंग प्रेस यानी मुद्रणालय
प्रश्न 11.
ऐंडरसन के कथनानुसार राष्ट्र को मान सकते हैं
(क) हम की भावना
(ख) काल्पनिक समुदाय
(ग) औपनिवेशिक भारत
(घ) मातृभूमि
उत्तर:
(ख) काल्पनिक समुदाय
प्रश्न 12.
'केसरी' किस भाषा का समाचार पत्र है?
(क) गुजराती
(ख) बंगाली
(ग) हिन्दी
(घ) मराठी
उत्तर:
(घ) मराठी
प्रश्न 13.
इलबर्ट बिल किस सन् में पारित हुआ था?
(क) 1882
(ख) 1881
(ग) 1880
(घ) 1883
उत्तर:
(घ) 1883
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
प्रश्न 1.
फरदूनजी मुर्जबान मुम्बई में.........................प्रेस के अग्रदूत थे।
उत्तर:
गुजराती
प्रश्न 2.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने बंगला भाषा में..........................नामक पत्र शुरू किया।
उत्तर:
शोम प्रकाश
प्रश्न 3.
.........................नामक दैनिक पत्र फरदूनजी मुर्जबान द्वारा मुम्बई में शुरू किया गया था।
उत्तर:
बॉम्बे समाचार
प्रश्न 4.
मिरात-उल-अखबार नामक अखबार.........................भाषा में प्रकाशित होता था।
उत्तर:
फारसी
प्रश्न 5.
रेडियो प्रसारण 1920 के दशक में कोलकाता और चेन्नई में अपरिपक्व.........................ब्रॉडकास्टिंग क्लबों के जरिये भारत में शुरू हुआ था।
उत्तर:
हैम
प्रश्न 6.
स्वतंत्र भारत में, देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मीडिया से ...................... की भूमिका निभाने को कहा था।
उत्तर:
लोकतंत्र के पहरेदार
प्रश्न 7.
स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय, भारत में ............................ रेडियो स्टेशन थे।
उत्तर:
6
प्रश्न 8.
.........................में आकाशवाणी ने अत्यन्त लोकप्रिय चैनल.........................को अपने में शामिल कर लिया।
उत्तर:
1957, विविध भारती
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पहली आधुनिक मास - मीडिया की संस्था का प्रारम्भ किसके साथ हुआ?
उत्तर:
प्रिंटिंग प्रेस।
प्रश्न 2.
आधुनिक प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करते हुए पुस्तकें छापने का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ शुरू हुआ?
उत्तर:
यूरोप में।
प्रश्न 3.
प्रारम्भिक आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस तकनीक सर्वप्रथम कौनसे सन् में विकसित हुई ?
उत्तर:
सन् 1440 में।
प्रश्न 4.
केसरी समाचारपत्र किस भाषा से सम्बन्धित था?
उत्तर:
मराठी भाषा से।
प्रश्न 5.
अमृत बाजार पत्रिका किस भाषा से सम्बन्धित थी?
उत्तर:
अंग्रेजी भाषा से।
प्रश्न 6.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने बंगला भाषा में कौनसा पत्र शुरू किया?
उत्तर:
शोम प्रकाश।
प्रश्न 7.
'दि टाइम्स ऑफ इण्डिया' का प्रकाशन कब और कहाँ शुरू हुआ?
उत्तर:
मुम्बई में, सन् 1861 में।
प्रश्न 8.
दि पायनियर समाचारपत्र कब और कहाँ शुरू हुआ?
उत्तर:
सन् 1865 में, इलाहाबाद में।
प्रश्न 9.
'दि मद्रास मेल' किस सन् में शुरू हुआ?
उत्तर:
सन् 1868 में।
प्रश्न 10.
रेडियो का प्रसारण भारत में कब शुरू हुआ?
उत्तर:
सन् 1920 में।
प्रश्न 11.
भारत में ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए टेलीविजन के कार्यक्रमों को प्रयोग के तौर पर किस सन् में चालू किया गया?
उत्तर:
सन् 1959 में।
प्रश्न 12.
दिल्ली, मुम्बई, श्रीनगर और अमृतसर में दूरदर्शन केन्द्र किस सन् में स्थापित हुए?
उत्तर:
सन् 1975 में।
प्रश्न 13.
भारत में मीडिया को सबसे भयंकर चुनौती का सामना कब करना पड़ा?
उत्तर:
सन् 1975 में।
प्रश्न 14.
प्रिंट मीडिया के अन्तर्गत क्या आते हैं ?
उत्तर:
प्रिंट मीडिया के अन्तर्गत समाचारपत्र तथा पत्रिकाएँ आती हैं।
प्रश्न 15.
इनाडु समाचारपत्र के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
रामोजी।
प्रश्न 16.
नेशनल रीडरशिप स्टडी 2006 के प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार भारत में किस भाषी क्षेत्र में पाठकों की संख्या में सर्वाधिक वृद्धि हुई है?
उत्तर:
हिन्दी भाषी क्षेत्र में।
प्रश्न 17.
आज समाचारपत्रों की लागत की भरपाई के लिए किस पर निर्भर रहना पड़ता है ?
उत्तर:
विज्ञापन एवं सब्सिडी पर।
प्रश्न 18.
1991 में भारत में कितने राज्य नियंत्रित टी.वी. चैनल थे?
उत्तर:
एक।
प्रश्न 19.
1991 के खाड़ी युद्ध ने किस टी.वी. चैनल को लोकप्रिय बनाया?
उत्तर:
सी.एन.एन.।
प्रश्न 20.
स्टार टी.वी. किस देश के समूह द्वारा प्रारम्भ किया गया था?
उत्तर:
अमेरिका के।
प्रश्न 21.
हिन्दी आधारित उपग्रह मनोरंजन चैनल कौनसा है ?
उत्तर:
जी. टी.वी.।
प्रश्न 22.
1980 के दशक में किसने दूरदर्शन की एकल चैनल कार्यक्रम व्यवस्था के अनेक विकल्प प्रस्तुत किये?
उत्तर:
वी.सी.आर. ने।
प्रश्न 23.
भारत में गैर-सरकारी उपग्रह चैनल का आगमन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1991 में।
प्रश्न 24.
जनसम्पर्क के साधनों को मास मीडिया क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
क्योंकि वे एक साथ बहुत बड़ी संख्या में दर्शकों, श्रोताओं एवं पाठकों तक पहुंचते हैं।
प्रश्न 25.
एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 2002 में।
प्रश्न 26.
रैड एफ.एम. किस मीडिया समूह से सम्बन्धित है ?
उत्तर-:
लिविंग मीडिया समूह से।
प्रश्न 27.
औद्योगिक क्रांति के साथ किस उद्योग का विकास हुआ?
उत्तर:
मुद्रण उद्योग का।
प्रश्न 28.
कुलीन मुद्रणालय के प्रथम उत्पाद किन लोगों तक सीमित थे?
उत्तर:
साक्षर अभिजात लोगों तक।
प्रश्न 29.
समाचारपत्र जन-जन तक कब पहुँचने लगे?
उत्तर:
19वीं सदी के मध्य भाग में।
प्रश्न 30.
मातृभूमि समाचारपत्र किस भाषा से सम्बन्धित था?
उत्तर:
मलयालम भाषा से।
प्रश्न 31.
राष्ट्रवादी आन्दोलन को समर्थन देने वाले दो समाचारपत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 32.
राजा राममोहन राय द्वारा बंगला भाषा में कौनसे समाचारपत्र प्रकाशित किये गये?
उत्तर:
प्रश्न 33.
भारत के पहले ऐसे प्रकाशन का नाम लिखिये जिनमें राष्ट्रवादी एवं लोकतांत्रिक दृष्टिकोण दिखाई दिया।
उत्तर:
संवाद कौमुदी और मिरात-उल-अखबार।
प्रश्न 34.
'बॉम्बे समाचार' दैनिक पत्र के अग्रदूत कौन थे?
उत्तर:
फरदूनजी मुर्जबान।
प्रश्न 35.
मास मीडिया की प्रकृति और भूमि किसके द्वारा प्रभावित होती है?
उत्तर:
मास मीडिया की प्रकृति और भूमि उस समाज द्वारा प्रभावित होती है जिसमें यह स्थित होता है।
प्रश्न 36.
ब्रिटिश शासन में रेडियो पर राष्ट्रीय विचार अभिव्यक्त क्यों नहीं किये जा सकते थे?
उत्तर:
क्योंकि रेडियो राज्य सरकार के स्वामित्व में था।
प्रश्न 37.
रेडियो प्रसारण भारत में किस क्लब के जरिए शुरू हुआ?
उत्तर:
हैम ब्रॉडकास्टिंग क्लब के जरिये।
प्रश्न 38.
भारत में रेडियो प्रसारण सबसे पहले किन दो राज्यों में शुरू हुआ?
उत्तर:
प्रश्न 39.
1944 में ऑल इण्डिया रेडियो का कार्य आरम्भ किसने किया?
उत्तर:
अमिता राय ने।
प्रश्न 40.
भारत का सबसे पहला लम्बे समय तक चलने वाला सोप ओपेरा कौनसा था?
उत्तर:
हम लोग।
प्रश्न 41.
मीडिया को 1975 में भयंकर चुनौती का सामना क्यों करना पड़ा?
उत्तर:
आपातकाल में मीडिया पर सेंसर व्यवस्था लागू होने के कारण।
प्रश्न 42.
मीडिया के दो अन्तर्राष्ट्रीय आयाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 43.
किसी एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
टेलीविजन।
प्रश्न 44.
स्टार टी.वी. किस समूह द्वारा प्रारम्भ किया गया?
उत्तर:
हांगकांग के 'ह्यम पोआ हचिनसम' समूह द्वारा।
प्रश्न 45.
जी. टी.वी. ने क्षेत्रीय नेटवर्क किन भाषाओं में शुरू किया?
उत्तर:
मराठी तथा बंगला भाषाओं में।
प्रश्न 46.
'रेडियो मिर्ची' किस मीडिया समूह से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
'टाइम्स ऑफ इण्डिया' समूह से।
प्रश्न 47.
'रेडियो सिटी' किस मीडिया समूह के स्वामित्व में है ?
उत्तर:
स्टार नेटवर्क समूह के।
प्रश्न 48.
1991 में भारत में राज्य नियंत्रित टी.वी. चैनल का नाम बताइये।
उत्तर:
दूरदर्शन।
प्रश्न 49.
आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पुस्तकें छापने का काम सर्वप्रथम कहाँ शुरू किया गया?
उत्तर:
यूरोप।
प्रश्न 50.
आधुनिक प्रौद्योगिकी तकनीक सर्वप्रथम किसके द्वारा विकसित की गई थी?
उत्तर:
जोहान गुटनबर्ग द्वारा 1440 में।
प्रश्न 51.
प्रारम्भ में छपाई का काम किस प्रकार की पुस्तकों तक सीमित था?
उत्तर:
धार्मिक पुस्तक।
प्रश्न 52.
ऐंडरसन के अनुसार राष्ट्र को किस तरह मान सकते हैं ?
उत्तर:
काल्पनिक समुदाय की तरह।
प्रश्न 53.
'दि सिविल एंड मिलिटरी गजट' कहाँ और कब शुरू किया गया था?
उत्तर:
लाहौर में 1876 में।
प्रश्न 54.
जवाहरलाल नेहरू ने मीडिया को किसकी भूमिका निभाने के लिए कहा?
उत्तर:
लोकतंत्र के पहरेदार।
प्रश्न 55.
भारत में आपातकाल की घोषणा कब की गई थी?
उत्तर:1975।
प्रश्न 56.
रेडियो सीलोन का प्रसारण कहाँ से किया जाता था?
उत्तर:
श्रीलंका।
प्रश्न 57.
रेडियो गोवा का प्रसारण जिस जगह से होता था, वहाँ उस समय किसका शासन था?
उत्तर:
पुर्तगाल।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिये
उत्तर:
प्रश्न 2.
जनसम्पर्क के साधनों के कोई चार उदाहरण लिखिये।
अथवा
जनसम्पर्क के साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जनसम्पर्क के अनेक साधन हैं। इनमें प्रमुख हैं टेलीविजन, समाचार - पत्र, फिल्में, पत्रिकाएँ, रेडियो विज्ञापन, वीडियो खेल और सीडी।
प्रश्न 3.
जनसंचार माध्यम (मीडिया) लोकतंत्र के रक्षक की भाँति काम करता है, क्यों?
उत्तर:
जनसंचार माध्यम लोकतंत्र के रक्षक की भाँति काम करता है क्योंकि यह लोगों के हृदय में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय विकास की भावना भरता है।
प्रश्न 4.
जनसंचार माध्यमों (मीडिया) के विभिन्न स्वरूपों में सम्मिलित हैं।
उत्तर:
जनसंचार माध्यमों (मीडिया) के विभिन्न स्वरूपों में सम्मिलित हैं-रेडियो, दूरदर्शन तथा मुद्रण माध्यम।
प्रश्न 5.
प्रथम आधुनिक मास मीडिया का प्रारम्भ कब हुआ?
उत्तर:
प्रथम आधुनिक मास मीडिया की संस्था का प्रारम्भ प्रिंटिंग प्रेस यानी मुद्रणालय के विकास के साथ हुआ था।
प्रश्न 6.
भारत में टी.वी. प्रसारण के तेजी से वाणिज्यीकरण का क्या कारण है ?
उत्तर:
भारत में टी.वी. प्रसारण के तेजी से वाणिज्यीकरण किये जाने के कारण हैं-प्रायोजकों के विज्ञापनों का सम्मिलित किया जाना तथा मनोरंजन कार्यक्रमों में वृद्धि होना।
प्रश्न 7.
सोप ओपेरा किसे कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न कथांशों (एपिसोड) पर आधारित टेलीविजन पर प्रसारित किया जाने वाला कार्यक्रम 'सोप ओपेरा' कहा जाता है। जैसे-हम लोग, बुनियाद आदि।
प्रश्न 8.
क्षेत्रीय भाषाओं के प्रसारण वाले उपग्रह चैनल के नाम बताइये।
उत्तर:
क्षेत्रीय भाषाओं के प्रसारण वाले उपग्रह चैनल के नाम हैं-सन टी.वी., ईनाडु टी.वी., उदय टी.वी., राज टी.वी. तथा एशिया नेट आदि।
प्रश्न 9.
'दैनिक भास्कर' समूह की संवृद्धि का क्या कारण है ?
उत्तर:
दैनिक भास्कर समूह की संवृद्धि का कारण है-उसकी विपणन सम्बन्धी रणनीतियाँ। इसके तहत वे उपभोक्ता सम्पर्क कार्यक्रम-घर-घर जाकर सर्वेक्षण और अनुसंधान जैसे कार्य करते हैं।
प्रश्न 10.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मुकाबला करने के लिए अंग्रेजी भाषा के समाचारपत्रों ने क्या रणनीति अपनाई?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मुकाबला करने के लिए अंग्रेजी भाषा के समाचारपत्रों ने एक तरफ तो अपनी कीमतें घटाईं, दूसरी ओर एक साथ अनेक केन्द्रों से अलग - अलग संस्करण निकाले।
प्रश्न 11.
जन - सम्पर्क के साधन को मास मीडिया क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
जन - सम्पर्क के साधन को मास मीडिया इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे एक साथ बहुत बड़ी संख्या में दर्शकों, श्रोताओं एवं पाठकों तक पहुँचते हैं।
प्रश्न 12.
'हम की भावना' के सन्दर्भ में बेनेडिक्ट ऐंडरसन ने क्या कहा है ?
उत्तर:
बेनेडिक्ट ऐंडरसन ने कहा है कि इस भावना से राष्ट्रवाद का विकास हुआ और जो लोग एक-दूसरे के अस्तित्व के बारे में जानते नहीं थे, वे भी एक परिवार के जैसा महसूस करने लगे। इससे अपरिचित लोगों के बीच भी मैत्री भाव उत्पन्न हुआ।
प्रश्न 13.
भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों में आश्चर्यजनक वृद्धि के दो कारण बताइये।
उत्तर:
भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों में आश्चर्यजनक वृद्धि के दो कारण ये हैं
प्रश्न 14.
'हम लोग' में किस संयुक्त रणनीति का उपयोग किया गया था?
उत्तर:
'हम लोग' सबसे पहला पथ प्रदर्शक कार्यक्रम था। इसमें मनोरंजन संदेश के साथ शैक्षणिक अन्तर्वस्तु का समावेश करते हुए मनोरंजन शिक्षा की संयुक्त रणनीति का उपयोग किया गया था।
प्रश्न 15.
राष्ट्रीय प्रेस को कैसी सूचनाएँ देने का साहस करना चाहिए?
उत्तर:
राष्ट्रीय प्रेस को ऐसी सूचनाएँ देने का साहस करना चाहिए जिससे हमारे नीति-निर्माता, राजनीतिज्ञ, अकादमिक लोग और पत्रकारों की इनके बारे में धारणा ठीक हो सके।
प्रश्न 16.
मोबाइल फोन विविध प्रकार के सामाजिक समूहों की आवश्यकताओं को कैसे पूरा करते हैं ?
उत्तर:
मोबाइल फोन विविध प्रकार के सामाजिक समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। जैसे
प्रश्न 17.
पिछले तीन दशकों में मीडिया उद्योग में कौनसे रूपान्तरण हुए?
उत्तर:
पिछले तीन दशकों में मीडिया में निम्न रूपान्तरण हुए है
प्रश्न 18.
"जनसंचार माध्यम (मास मीडिया) हमारे दैनिक जीवन का एक अंग है।" उपयुक्त उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 19.
जनसंचार माध्यम (मास मीडिया) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के अन्तर को दूर करने में किस प्रकार उत्तरदायी है? इसके क्या परिणाम हैं?
उत्तर:
प्रश्न 20.
पारराष्ट्रीय टेलीविजन कम्पनियों ने किस प्रकार अपने आपको भारतीय दर्शकों के अनुरूप ढाल लिया है?
उत्तर:
पारराष्ट्रीय टेलीविजन कम्पनियों ने अपने आपको भारतीय दर्शकों के अनुरूप ढाल लिया है। यथा
प्रश्न 21.
भारतीय राष्ट्रवाद का विकास उपनिवेशवाद के विरुद्ध उसके संघर्ष के साथ गहराई से जुड़ा है। कथन स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद उद्भव ब्रिटिश शासन द्वारा लाए गए संस्थागत परिवर्तनों के परिणामस्वरूप हुआ। औपनिवेशिक सरकार के उत्पीड़क उपायों का खुलकर विरोध करने वाली राष्ट्रवादी प्रेस ने उपनिवेश-विरोधी जनमत जागृत किया और फिर उसे सही दिशा दी।
प्रश्न 22.
भूमण्डलीकरण ने किस प्रकार भारतीय टेलीविजन को प्रभावित किया है ?
अथवा
भारतीय टेलीविजन पर भूमण्डलीकरण का प्रभाव किन रूपों में पड़ा है?
उत्तर:
भारतीय टेलीविजन पर भूमण्डलीकरण का प्रभाव
प्रश्न 23.
छापेखाने के प्रारम्भ से 'राष्ट्र' का 'काल्पनिक समुदाय' के प्रत्यय के रूप में विकास हुआ? बेनेडिक्ट एंडर्सन के सुझावानुसार चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
राष्ट्रवादी आंदोलन को समर्थन देने वाले समाचार पत्रों का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
'केसरी' (मराठी), 'मातृभूमि' (मलयालम), 'अमृतबाजार पत्रिका' (अंग्रेजी) नामक कई राष्ट्रवादी समाचारपत्रों ने राष्ट्रवादी आंदोलनों का समर्थन किया जिसके कारण इनको औपनिवेशिक सरकार की अप्रसन्नता सहनी पड़ी।
प्रश्न 25.
स्वतंत्र भारत में मास मीडिया को लेकर जवाहरलाल नेहरू के क्या कथन थे?
उत्तर:
स्वतंत्र भारत में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मीडिया से 'लोकतंत्र के पहरेदार' की भूमिका निभाने के लिए कहा। मीडिया से यह आशा की गई कि वह लोगों के हृदय में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय विकास की भावना भरे।
प्रश्न 26.
इलेक्ट्रॉनिक अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आज सेटेलाइट से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से ही सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था संचालित है। इसकी सहायता से आप घर बैठे-बैठे ही आवश्यक कार्यों के लिए धन के लेन-देन सम्बन्धी कार्य मिनटों में कर सकते हैं । आप ए.टी.एम. कार्ड से किसी भी समय और कहीं भी धन निकाल सकते हैं तथा डेबिट कार्ड से खरीददारी कर सकते हैं।
प्रश्न 27.
सोप - ओपेरा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सोप ओपेरा ऐसी कहानियाँ हैं जो धारावाहिक रूप से दिखलाई जाती हैं। वे लगातार चलती रहती हैं। अलग-अलग कहानियाँ समाप्त हो सकती हैं और भिन्न-भिन्न पात्र प्रकट और गायब होते रहते हैं, पर स्वयं 'सोप' का तब तक कोई अन्त नहीं होता जब तक कि उसका प्रसारण वापस नहीं ले लिया जाता।
प्रश्न 28.
क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उत्थान से प्रिंट मीडिया के प्रसार में गिरावट आई है?
उत्तर:
नहीं, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उत्थान से प्रिंट मीडिया के प्रसार में गिरावट नहीं आई है, बल्कि इसका विस्तार ही हुआ है । लेकिन इस प्रक्रिया के तहत प्रिंट मीडिया ने अपनी कीमतें घटाई हैं और विषय-वस्तु में विज्ञापनों की भरमार हो गई है तथा विज्ञापनों के प्रायोजकों पर निर्भरता बढ़ी है।
प्रश्न 29.
प्रिंट मीडिया की कठिनाई क्या है?
उत्तर:
प्रिंट मीडिया की कठिनाई यह है कि इसके उत्पादन की लागत अधिक आती है और उसे लागत से कम कीमत पर जनता को बेचना पड़ता है। समाचार-पत्र के आवरण पृष्ठ पर लिखी कीमत से उसकी लागत नहीं निकलती है और इसकी भरपाई के लिए उनको विज्ञापनों पर निर्भर रहना होता है।
प्रश्न 30.
भारतीय श्रोताओं ने स्वयं को रेडियो सीलोन और रेडियो गोवा से क्यों जोड़ लिया?
उत्तर:
भारतीय फिल्मी गानों और वाणिज्यिक विज्ञापनों को निम्नस्तरीय संस्कृति माना जाता था अतः उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया गया। इसलिए भारतीय श्रोताओं ने भारतीय फिल्मी संगीत, वाणिज्यिक और अन्य मनोरंजन कार्यक्रम का आनंद उठाने के लिए अपने शोर्टवेव रेडियो सेटों को रेडियो सीलोन (जो पड़ोसी देश श्रीलंका से प्रसारित होता था) और रेडियो गोवा (जो गोवा से प्रसारित होता था, जहाँ उन दिनों पुर्तगाली शासन था), से जोड़ लिया।
प्रश्न 31.
विविध भारती चैनल पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आकाशवाणी के समाचार प्रसारणों के अतिरिक्त, एक मनोरंजन का चैनल 'विविध भारती' भी था, जो श्रोताओं के अनुरोध पर, मुख्यतः हिंदी फिल्मों के गाने प्रस्तुत करता था। 1957 में आकाशवाणी ने अत्यन्त लोकप्रिय चैनल 'विविध भारती' को अपने में शामिल कर लिया जो जल्दी ही प्रायोजित कार्यक्रम और विज्ञापन प्रसारित करने लगा और आकाशवाणी के लिए एक कमाऊ चैनल बन गया।
प्रश्न 32.
अमिता राय के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
अमिता राय ऑल इंडिया रेडियो में 1944 से कार्यरत थीं। लखनऊ में डिस्क जॉकी के रूप में इन्होंने सेवा दी है। प्रसिद्ध सम्पर्क एवं चलचित्र समालोचक रही हैं। ये महिला पत्रकारों में वरिष्ठ हैं, चलचित्र, रेडियो और दूरदर्शन समालोचनों और मुख्य समाचारपत्रों के स्तंभ लिखने के लिए जानी जाती हैं।
प्रश्न 33.
'प्रिंट-मीडिया के प्राथमिक ग्राहक विज्ञापनदाता होते हैं, पाठक नहीं।' क्यों?
उत्तर:
प्रिन्ट मीडिया अपने विज्ञापनदाताओं के लिए ऐसे ग्राहक प्राप्त करना चाहता है जो उसके पाठक होते हैं । विज्ञापनदाता ऐसे पाठकों तक पहुँचना चाहते हैं जो जल्दी से विज्ञापित वस्तु को अपना लेते हैं, जो प्रयोग करने में विश्वास करते हैं। इससे उसे अधिक विज्ञापन मिलते हैं जिससे समाचारपत्र का खर्चा निकलता है।
प्रश्न 34.
क्या ब्रिटिश शासन में मास मीडिया को पूर्ण स्वायत्तता थी? यदि नहीं, तो कैसे ?
उत्तर:
नहीं, ब्रिटिश शासन में मास मीडिया को पूर्ण स्वायत्तता नहीं थी क्योंकि इस काल में
प्रश्न 35.
ब्रिटिश शासन में अंग्रेजी या देशी भाषाओं के समाचारपत्रों का जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन में समाचारपत्रों का प्रसार व्यापक रूप से नहीं होता था क्योंकि बहुत कम लोग साक्षर थे। फिर भी उनका प्रभाव वितरण की संख्या में बहुत अधिक था। इनके समाचार विभिन्न केन्द्रों पर पढ़े जाते थे जिनसे जनमत का निर्माण होता था तथा उनमें स्वतंत्र भारत के स्वरूप के बारे में भी विचार व्यक्त किये जाते थे।
प्रश्न 36.
भारत में स्वतंत्रता के प्रारम्भिक वर्षों में देश की मीडिया की विभिन्न विषयों पर भूमिका की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में स्वतंत्रता के प्रारम्भिक वर्षों में मीडिया ने
प्रश्न 37.
'विविध भारती' आकाशवाणी के लिए एक कमाऊ चैनल कैसे बन गया?
उत्तर:
'विविध भारती' आकाशवाणी का एक मनोरंजन चैनल था जो श्रोताओं के अनुरोध पर हिन्दी फिल्मों के गाने प्रस्तुत करता था। 1957 में आकाशवाणी ने इसे अपने में शामिल कर लिया, जो जल्दी ही प्रायोजित कार्यक्रम और विज्ञापन प्रसारित करने लगा। इस प्रकार यह आकाशवाणी के लिए एक कमाऊ चैनल बन गया।
प्रश्न 38.
जब भारतीय गानों के विज्ञापनों को निम्नस्तरीय संस्कृति माना जाता था, उस समय भारतीय श्रोता भारतीय फिल्मी संगीत और मनोरंजन कार्यक्रम का आनन्द उठाने के लिए क्या करते थे?
उत्तर:
जब भारतीय फिल्मी गानों के विज्ञापनों को निम्नस्तरीय संस्कृति माना जाता था, तब भारतीय श्रोताओं ने भारतीय फिल्मी संगीत और अन्य मनोरंजन कार्यक्रम का आनन्द उठाने के लिए अपने शोर्टवेव रेडियो सेटों को रेडियो सीलोन और रेडियो गोवा से जोड़ लिया था।
प्रश्न 39.
1960 के दशक में रेडियो के प्रचार-प्रसार में लोकप्रियता बढ़ने का क्या कारण था?
उत्तर:
1960 के दशक में जब ट्रांजिस्टर क्रान्ति आई तो रेडियो अधिक सुलभ हो गया क्योंकि ट्रांजिस्टर बैटरी से चलने लगे और उन्हें कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता था। साथ ही, उनकी कीमतें भी बहुत अधिक घट गईं। इस तथ्य ने रेडियो के प्रचार-प्रसार में लोकप्रियता बढ़ाई।
प्रश्न 40.
इंटरनेट ने संगीत उद्योग को कैसे हानि पहुँचाई है ?
उत्तर:
इंटरनेट के आ जाने के कारण संगीत को स्थानीय संगीत की दुकानों से सीडी या कैसेट के रूप में खरीदने के स्थान पर डिजिटल रूप में डाउनलोड किया जा सकता है। यदि इंटरनेट संगीत की फैक्ट्री, दुकानों की आवश्यकता को समाप्त कर संगीत को सीधे डाउनलोड कर बेचना संभव करेगा, तो संगीत उद्योग समाप्त हो जायेगा।
प्रश्न 41.
ट्राई द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में टेलीविजन उद्योग की क्या स्थिति है ?
उत्तर:
आज टेलीविजन उद्योग की स्थिति इस प्रकार है-ट्राई द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट 2015-16 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टीवी बाजार है। उद्योग विभाग के अनुमान के मुताबिक, मार्च 2016 तक, मौजूदा 2841 मिलियन घरों में, 18.1 करोड़ के आसपास टेलीविजन सेट हैं, जो कि केबल टीवी सेवाओं, डीटीएच सेवाओं, दूरदर्शन के एक स्थलीय टीवी नेटवर्क के अतिरिक्त आईपीटीवी सेवाओं के द्वारा सेवा प्रदान कर रहे हैं।
प्रश्न 42.
स्टार और सोनी दोनों चैनल संयुक्त राज्य अमेरिका के कार्यक्रमों को डब क्यों करने लगे?
उत्तर:
स्टार और सोनी दोनों ही संयुक्त राज्य अमेरिका के अपने कार्यक्रमों को छोटे बच्चों के लिए डब करते रहे क्योंकि उन्हें यह प्रतीत होने लगा कि बच्चे उन विलक्षणताओं को समझने और स्वीकार करने लगे हैं जो उस स्थिति में उत्पन्न होती हैं जब भाषा कोई अन्य हो और कथा परिवेश कोई अन्य।
प्रश्न 43.
'रंग दे बसंती' के बारे में संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर:
'रंग दे बंसती' में एक कर्त्तव्यनिष्ठ, गुस्सैल कॉलेज छात्र भगत सिंह की कहानी से प्रेरित होकर एक मंत्री की हत्या कर देता है और फिर जनता तक अपना संदेश प्रसारित करने के लिए आकाशवाणी को अपने कब्जे में कर लेता है।
प्रश्न 44.
क्या संगीत को भी भूमण्डलीकरण ने प्रभावित किया है ? यदि हाँ, तो कैसे? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 45.
युद्ध और विपदाओं के समय आकाशवाणी की भूमिका को संक्षेप में बताइये। उत्तर-युद्ध और विपदाओं के समय आकाशवाणी के क्रियाकलाप में विस्तार हुआ। यथा
उत्तर:
1991 के खाड़ी युद्ध के समय भारत में सी.एन.एन. चैनल.लोकप्रिय बना। उसी वर्ष स्टार टी.वी. ने भारत में गैर-सरकारी उपग्रह चैनलों के आगमन का संकेत दिया। 1992 में हिन्दी आधारित उपग्रह मनोरंजन चैनल 'जी-टीवी' ने भारत में केबल टी.वी. को अपने कार्यक्रम दिये। वर्ष 2000 तक आते-आते यहाँ 40 गैर-सरकारी चैनल हो चुके थे।
प्रश्न 47.
'लगे रहो मुन्नाभाई' फिल्म में रेडियो को संचार के किस माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया है?
उत्तर:
'लगे रहो मुन्नाभाई' फिल्म में रेडियो को संचार के सक्रिय माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसमें नायिका एक रेडियो जॉकी है जो अपनी आत्मीय पुकार 'गुड मॉर्निंग इंडिया' से देश को जगाती है और नायक भी एक लड़के के जीवन को बचाने के लिए रेडियो स्टेशन का सहारा लेता है।
प्रश्न 48.
एफ.एम. चैनल के प्रयोग की संभावनाएँ कैसी हैं?
उत्तर:
एफ.एम. चैनल के प्रयोग की संभावनाएँ अत्यधिक हैं । रेडियो स्टेशनों के निजीकरण और समुदाय के स्वामित्व के रूप में उभरने से रेडियो स्टेशनों का विकास होगा। भारत में एफ.एम. चैनलों को सुनने वाले घरों की संख्या ने स्थानीय रेडियो द्वारा नेटवर्कों का स्थान लिया जा रहा है।
प्रश्न 49.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उत्थान से प्रिंट मीडिया पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के उत्थान से प्रिंट मीडिया का प्रचार-प्रसार हुआ। परन्तु इस प्रक्रिया के कारण प्रिंट मीडिया को अपनी कीमतें घटानी पड़ी और परिणामस्वरूप विज्ञापनों के प्रायोजकों पर निर्भरता बढ़ गयी जिसके कारण समाचार पत्रों की विषयवस्तु में विज्ञापनदाताओं की भूमिका बढ़ गई है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आधुनिक मास मीडिया के प्रारम्भ पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
उत्तर:
मास मीडिया से आशय-मास मीडिया यानी जन सम्पर्क के साधन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसेसमाचारपत्र, पत्रिकाएँ, फिल्में, रेडियो, टेलीविजन आदि। उन्हें मास मीडिया इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे एक साथ बहुत बड़ी संख्या में दर्शकों, श्रोताओं और पाठकों तक पहुँचते हैं।आधुनिक मास मीडिया का प्रारम्भ आधुनिक मास मीडिया के प्रारम्भ को निम्न प्रकार विवेचित किया गया है
1. आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस का प्रारम्भ - पहली आधुनिक मास मीडिया की संस्था का प्रारम्भ प्रिंटिंग प्रेस यानी छापाखाना के विकास के साथ हुआ था। आधुनिक प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करते हुए पुस्तकें छापने का काम सर्वप्रथम यूरोप में शुरू किया गया। यह तकनीक सर्वप्रथम जोहान गुटनबर्ग द्वारा 1440 में विकसित की गई थी। प्रारम्भ में छपाई का काम धार्मिक पुस्तकों तक ही सीमित था।
2. औद्योगिक क्रांति और मुद्रण उद्योग का विकास - कुलीन मुद्रणालय के प्रथम उत्पाद साक्षर अभिजात लोगों तक ही सीमित थे। 19वीं सदी के मध्य भाग में प्रौद्योगिकियों, परिवहन और साक्षरता के विकास के साथ-साथ समाचारपत्रों का प्रसार हुआ और वे जन-जन तक पहुँचने लगे। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को एक जैसे समाचार पढ़ने या सुनने को मिलने लगे। इससे राष्ट्रवाद का विकास हुआ।
3. भारत में आधुनिक मास मीडिया - 19वीं सदी में भारत में मास मीडिया का उद्भव ब्रिटिश शासन द्वारा लाए गए संस्थागत परिवर्तनों के परिणामस्वरूप हुआ। औपनिवेशिक सरकार के उत्पीड़क उपायों का खुलकर विरोध करने वाली राष्ट्रवादी प्रेस ने उपनिवेश विरोधी जनमत जागृत किया। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत मास मीडिया का फैलाव समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और फिल्मों व रेडियो तक सीमित था। समाचार पत्र-पत्रिकाओं का प्रसार बहुत व्यापक नहीं था क्योंकि बहुत कम लोग साक्षर थे। फिर भी उनका प्रभाव उनकी वितरण संख्या की तुलना में अधिक था। स्वतंत्रता के बाद भारत में मास मीडिया लोकतंत्र के प्रहरी, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार के रूप में हुआ। बाद में आकाशवाणी और दूरदर्शन ने इसकी प्रभाविता को और बढ़ाया।
प्रश्न 2.
नयी प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से विभिन्न भाषायी समाचारपत्रों के उत्पादन और प्रसार में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। आपके विचार में उसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:
भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों की संवृद्धि के कारण नयी प्रौद्योगिकियों ने समाचारपत्रों के उत्पादन और प्रसार को, बढ़ावा देने में मदद की है। बड़ी संख्या में चमकदार पत्रिकाएँ भी बाजार में आ गई हैं। भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों की इस आश्चर्यजनक वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. साक्षर लोगों की संख्या में वृद्धि: ऐसे साक्षर लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई जो शहरों में प्रवसन कर रहे हैं। 2003 में हिन्दी दैनिक 'हिन्दुस्तान' के दिल्ली संस्करण की 64,000 प्रतियाँ छपती थीं, जो 2005 में बढ़कर 4,25,000 हो गईं। इसका कारण दिल्ली में उत्तर प्रदेश और बिहार के हिन्दी क्षेत्रों से लोगों का दिल्ली में प्रवसन करना रहा।
2. छोटे कस्बे और गाँवों के पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करना: दूसरा प्रमुख कारण छोटे कस्बों और गाँवों में पाठकों की आवश्यकताएँ शहरी पाठकों से भिन्न होती हैं और भारतीय भाषाओं के समाचारपत्र उन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। 'मलयाली मनोरमा' और 'इनाडु' जैसे भारतीय भाषाओं के प्रमुख पत्रों ने स्थानीय समाचारों की संकल्पना को एक महत्त्वपूर्ण रीति से जिला संस्करणों और आवश्यकतानुसार ब्लॉक संस्करणों के माध्यम से प्रारम्भ किया।
3. उन्नत प्रौद्योगिकी तथा अन्य पूरक सामग्री-भारतीय भाषाओं के समाचारपत्रों ने उन्नत मुद्रण प्रौद्योगिकियों को अपनाया और परिशिष्ट, अनुपूरक अंक, साहित्यिक पुस्तिकाएँ प्रकाशित करने का प्रयत्न किया।
4. विपणन सम्बन्धी रणनीतियाँ- इन समाचारपत्रों ने विपणन सम्बन्धी आधुनिक रणनीतियाँ भी अपनायीं। दैनिक भास्कर समूह ने इसके अन्तर्गत उपभोक्ता सम्पर्क कार्यक्रम, घर-घर जाकर सर्वेक्षण और अनुसंधान जैसे कार्य किये। परिणाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मुकाबला करने के लिए, समाचार पत्रों ने अपनी कीमतें घटा दी और वहीं दूसरी ओर एक साथ अनेक केन्द्रों से अलग - अलग संस्करण निकाले। इसके साथ ही इनकी विज्ञापनों के प्रायोजकों पर निर्भरता बढ़ गई जिसके कारण अब समाचार-पत्रों की विषय-वस्तु में विज्ञापनदाताओं की भूमिका बढ़ गई है।
प्रश्न 3.
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में समाचार - पत्रों की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में समाचारपत्रों की भूमिका । भारत में राष्ट्रवाद के विकास में समाचारपत्रों की भूमिका का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है
1. 'हम की भावना' का विकास: 19वीं सदी के मध्य भाग में आकर जब प्रौद्योगिकियों, परिवहन और साक्षरता में विकास हुआ तभी समाचार पत्र जन - जन तक पहुँचने लगे। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को एक जैसा समाचार पढ़ने या सुनने को मिलने लगा। इसी के फलस्वरूप देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग परस्पर जुड़े हुए महसूस करने लगे और उनमें 'हम की भावना' विकसित हो गई। इससे राष्ट्रवाद का विकास हुआ।
2. समाज सुधारकों के दृष्टिकोण का ज्ञान-19वीं सदी के समाज सुधारक अक्सर समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में अनेक सामाजिक मुद्दों पर लिखते थे और वाद-विवाद किया करते थे।
3. उपनिवेशवाद के विरुद्ध राष्ट्रवादी संघर्ष में योगदान: भारतीय राष्ट्रवाद का विकास उपनिवेशवाद के विरुद्ध उसके संघर्ष के साथ गहराई से जुड़ा है। इसका उद्भव भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा लाए गए संस्थागत परिवर्तनों के परिणामस्वरूप हुआ। औपनिवेशिक सरकार के उत्पीड़क उपायों का खुलकर विरोध करने वाली राष्ट्रवादी प्रेस ने उपनिवेश-विरोधी जनमत जागृत किया गया और फिर उसे सही दिशा दी। केसरी (मराठी), मातृभूमि (मलयालम), अमृत बाजार पत्रिका (अंग्रेजी) जैसे कई राष्ट्रवादी समाचारपत्रों ने राष्ट्रवादी आन्दोलन का समर्थन जारी रखा और वे औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की माँग करते रहे।
4. जनसंचार के अन्य साधनों पर ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण: ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत मास मीडिया का फैलाव समाचारपत्रों और पत्रिकाओं तथा फिल्मों और रेडियो तक सीमित था। रेडियो पूर्ण रूप से सरकार के स्वामित्व में था। इसलिए उस पर राष्ट्रीय विचार अभिव्यक्त नहीं किये जा सकते थे। यद्यपि समाचार पत्र एवं फिल्में दोनों में स्वायत्तता थी, लेकिन ब्रिटिश राज उन पर कड़ी नजर रखता था। अंग्रेजी या देशी भाषाओं में समाचारपत्रों का प्रसार व्यापक रूप से नहीं था, तथापि उनका प्रभाव उनकी वितरण संख्या की तुलना में बहुत अधिक था क्योंकि खबरें और सूचनाएँ वाणिज्यिक और प्रशासनिक केन्द्रों, जैसे बाजारों, न्यायालयों तथा कस्बों में पढ़ी जाती थीं। इनमें जनमत के विभिन्न आयाम होते थे जिसमें स्वतंत्र भारत के स्वरूप के बारे में विचार व्यक्त किये जाते थे। इन विचारों ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में योगदान दिया।
प्रश्न 4.
क्या मास मीडिया हमारे दैनिक जीवन का अंग है ? यदि हाँ, तो कैसे ? बताइए।
उत्तर:
मास मीडिया हमारे दैनिक जीवन का एक अंग है। यथा
प्रश्न 5.
उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए कि मास मीडिया संरचना और विषय-वस्तु का स्वरूप भी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भो में आए परिवर्तनों से निर्धारित हुआ है।
उत्तर:
मास मीडिया की संरचना और विषय-वस्तु का स्वरूप भी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिकसांस्कृतिक संदर्भो में आए परिवर्तनों से निर्धारित हुआ है।
1. उदाहरण के लिए, स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद, प्रारम्भिक दशकों में प्रमुख रूप से राज्य (सरकार) और विकास के बारे में उसकी सोच ने मीडिया को बहुत अधिक प्रभावित किया है।
2. 1990 के बाद के भूमण्डलीकरण के दौर में बाजार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
3. इससे हमें यह समझने में अधिक सहायता मिलती है कि समाज के साथ जनसम्पर्क और संचार के साधनों के सम्बन्ध कितने द्वन्द्वात्मक हैं। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। मास मीडिया की प्रकृति और भूमि उस समाज द्वारा प्रभावित होती है जिसमें यह स्थित होता है। साथ ही, समाज पर मास मीडिया के दूरगामी प्रभाव पर जितना बल दिया जाए थोड़ा होगा।
4. जनसंचार, संचार के अन्य साधनों से भिन्न होता है क्योंकि इसे विशाल पूँजी उत्पादन और औपचारिक संरचनात्मक संगठन और प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
5. मास मीडिया की संरचना और प्रकार्य के लिए राज्य और/अथवा बाजार की प्रमुख भूमिका होती है। मास मीडिया ऐसे बहुत बड़े संगठनों के माध्यम से कार्य करता है जिनमें भारी पूँजी लगी होती है और काफी बड़ी संख्या में कर्मचारी काम करते हैं।
6. विभिन्न वर्ग के लोग मास मीडिया का आसानी से प्रयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 6.
समाचारपत्र के पूर्णरूप से स्वचालित होने के मुख्य कारण क्या हैं ?
अथवा
समाचारपत्र उत्पादन के परिवर्तन में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
समाचारपत्र उत्पादन में परिवर्तन : प्रौद्योगिकी की भूमिका:
1980 के दशक के अन्तिम वर्षों और 1990 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों से समाचारपत्र संवाददाता की डेस्क से अन्तिम पेज-प्रूफ तक पूर्णरूप से स्वचालित हो गए हैं । इस स्वचालित श्रृंखला के कारण कागज का प्रयोग पूरी तरह से समाप्त हो गया है। ऐसा दो प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों के कारण सम्भव हुआ है। यथा
1. विशिष्ट सॉफ्टवेयरों का प्रयोग:
लोकल एरिया नेटवर्क यानी स्थानीय इलाके के नेटवर्कों के माध्यम से पर्सनल कम्प्यूटरों की नेटवर्क व्यवस्था और समाचार निर्माण के लिए 'न्यूजमेकर' जैसे तथा अन्य विशिष्ट सॉफ्टवेयरों का प्रयोग।
2. समाचार संग्रहण कार्य में आए नये प्रौद्योगिकीय परिवर्तन:
बदलती हुई प्रौद्योगिकी ने संवाददाता की भूमिका और कार्यों को भी बदल दिया है। एक संवाददाता के पुराने आधारभूत उपकरणों जैसे एक आशुलिपि पुस्तिका, पेन, टाइपराइटर और पुराना सादा टेलीफोन का स्थान अब एक छोटे टेपरिकॉर्डर, एक लैपटॉप या एक पी.सी., मोबाइल या सेटेलाइट फोन और 'मॉडेम' जैसे अन्य नए उपकरणों ने ले लिया है। समाचार संग्रहण कार्य में आए इन सभी प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों ने समाचारों की गति को बढ़ा दिया है।
3. विशिष्ट संस्करणों को निकालने में सुविधाजनक:
समाचारपत्रों के प्रबन्धक वर्ग को अपनी कार्यविधि को बढ़ाने में सहायता दी है। अब वे अधिक संख्या में संस्करण निकालने की योजना बनाने और पाठकों को नवीनतम समाचार देने में सक्षम हो गए हैं। देशी भाषाओं के अनेक समाचार पत्र प्रत्येक जिले के लिए अलग संस्करण निकालने के लिए इन नई प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर रहे हैं। मुद्रण केन्द्र तो सीमित है, पर संस्करणों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है।
उदाहरण: मेरठ से निकलने वाले 'अमर उजाला' जैसे समाचारपत्रों की श्रृंखलाएँ समाचार एकत्रित करने और चित्रात्मक सामग्री में सुधार के लिए नयी प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर रही हैं। इस समाचारपत्र के पास उत्तर प्रदेश तथा उत्तरांचल राज्यों से निकलने वाले अपने सभी तेरह संस्करणों की सामग्री देने के लिए लगभग एक सौ संवाददाता और कर्मचारी और लगभग इतने ही फोटोग्राफर का एक नेटवर्क है। सभी एक सौ संवाददाता समाचार भेजने के लिए 'पी.सी.' और मॉडेम उपकरणों से सुसज्जित हैं और फोटोग्राफर अपने साथ डिजिटल कैमरा रखते हैं। डिजिटल चित्र 'मॉडेम' के माध्यम से केंद्रीय समाचारकक्ष को भेजे जाते हैं।
प्रश्न 7.
समाचार पत्र अपने पाठक बढ़ाने और स्वयं को विभिन्न समूहों तक पहुँचाने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं?
उत्तर:
पाठक बढ़ाने हेतु समाचार पत्रों की रणनीतियाँ अपनी संख्या बढ़ाने हेतु समाचार पत्र निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाते हैं
1. सूचनारंजन की रणनीति अपनाना:
समाचारपत्रों का यह प्रयत्न रहता है कि उनके पाठक बढ़ें और वे स्वयं विभिन्न समूहों तक पहुँचें । ऐसा माना जाता है कि समाचारपत्र पढ़ने की आदतें बदल गई हैं । वृद्धजन पूरा-पूरा समाचारपत्र पढ़ते हैं, युवा पाठक अक्सर अपनी-अपनी विशिष्ट रुचियाँ रखते हैं और उन्हीं के अनुसार वे खेल, मनोरंजन या सामाजिक गपशप जैसे विषयों के लिए निर्धारित पृष्ठों पर सीधे पहुँच जाते हैं। पाठकों की रुचियों में भिन्नता होने का निहितार्थ यह है कि समाचारपत्र को भी विभिन्न प्रकार की कहानियाँ' रखनी चाहिए जो विभिन्न रुचियों के पाठकों को आकर्षित कर सकें। इसीलिए समाचारपत्र अक्सर 'सूचनारंजन' यानी सूचना तथा मनोरंजन दोनों के मिश्रण का समर्थन करते हैं ताकि सभी प्रकार के पाठकों की रुचि बनी रहे।
2. उपभोक्ता के प्रति प्रतिबद्धता की रणनीति:
समाचारपत्रों का प्रकाशन अब कतिपय परम्पराबद्ध मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता से सम्बन्धित नहीं रहा है। समाचार-पत्र अब उपभोक्ता वस्तु बन गए हैं और जब तक संख्या बड़ी है, सबकुछ बिक्री के लिए प्रस्तुत है।
प्रश्न 8.
पारराष्ट्रीय टेलीविजन कम्पनियों ने भारतीय दर्शकों को आकर्षित करने के लिए क्या रणनीति अपनाई ? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
स्टार टी.वी., एम.टी.वी., चैनल वी, सोनी जैसी अन्य अनेक पारराष्ट्रीय टेलीविजन कम्पनियों के आ जाने से कुछ लोगों को भारतीय युवाओं और भारतीय संस्कृति पर उनके सम्भावित प्रभाव के बारे में चिन्ता हुई। स्टार टी.वी., एम.टी.वी., चैनल वी, सोनी जैसी अन्य अनेक पारराष्ट्रीय (अन्तर्राष्ट्रीय) टेलीविजन कम्पनियों ने भारतीय दर्शकों के विविध समूहों को आकर्षित करने में चिर-परिचित स्थानीय कार्यक्रमों का प्रयोग अधिक किया। सोनी इंटरनेशनल की प्रारम्भिक रणनीति यह रही कि हर सप्ताह 10 हिन्दी फिल्में प्रसारित की जाएँ और बाद में जब स्टेशन अपने हिन्दी कार्यक्रम तैयार कर ले तब धीरे-धीरे इनकी संख्या घटा दी जाए। अधिकतर विदेशी नेटवर्कों ने या तो हिन्दी भाषा के कार्यक्रमों का एक हिस्सा (एम. टी.वी. इंडिया) हो गए हैं अथवा नया हिन्दी चैनल (स्टार प्लस) ही शुरू कर दिया है। स्टार स्पोर्ट्स और ई.एस.पी.एन. दोहरी कॉमेंटरी अथवा हिन्दी में एक ऑडियो साउंड ट्रैक चलाते हैं। बड़ी कम्पनियों ने बंगला, पंजाबी, मराठी और गुजराती जैसी भाषाओं में विशिष्ट क्षेत्रीय चैनल शुरू किए हैं।
उदाहरण, स्टार प्लस चैनल, जो प्रारम्भ में हांगकांग से संचालित पूर्ण रूप से सामान्य मनोरंजन का अंग्रेजी चैनल था, ने अक्तूबर 1996 से सायं 7 और 9 बजे के बीच हिन्दी भाषा के कार्यक्रम देने शुरू कर दिए। फिर फरवरी 1999 से वह पूर्ण रूप से हिन्दी चैनल बन गया और उसके सभी अंग्रेजी धारावाहिक स्टारवर्ल्ड को, जो कि इस नेटवर्क का अंग्रेजी भाषा अन्तर्राष्ट्रीय चैनल है, को दे दिए गए। स्टार और सोनी दोनों ही संयुक्त राज्य अमेरिका के अपने कार्यक्रमों को छोटे बच्चों के लिए डब करते रहे क्योंकि उन्हें यह प्रतीत होने लगा था कि बच्चे उन विलक्षणताओं को समझने और स्वीकार करने लगे हैं जो उस स्थिति में उत्पन्न होती हैं जब भाषा कोई अन्य हो और कथा परिवेश कोई अन्य।
प्रश्न 9.
कभी - कभी टेलीविजन लोगों के व्यक्तिगत जीवन में दखल देता है। आपकी राय में यह कहाँ तक उचित/अनुचित है ? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, कभी - कभी अधिकाधिक दर्शकों को आकर्षित करने के लिए टेलीविजन के चैनल लोगों के व्यक्तिगत जीवन में दखल भी देते हैं।
हमारी राय में यह अनुचित भी हो सकता है और उचित भी। उदाहरण
1. राजकुमारी डायना को मीडिया एवं टेलीविजन द्वारा उनके व्यक्तिगत जीवन में 'तांक-झाँक' की कीमत अपनी जिन्दगी देकर चुकानी पड़ी।
2. कभी - कभी टेलीविजन द्वारा लोगों के व्यक्तिगत जीवन में दखल देना उचित भी है क्योंकि इससे बड़े-बड़े नेता, अभिनेता व अन्य उच्च वर्ग के लोगों पर लगाम कसी रहती है। वे अपनी मनमानी करने से डरते हैं।
3. कभी - कभी टेलीविजन लोगों को जीवन में कठिन परिस्थिति से मुकाबला करना भी सिखाते हैं, उदाहरण के लिए-प्रिंस नाम का एक पाँच वर्षीय बालक अल्डेहढी गाँव में एक 55 फुट गहरे बोरवैल के गड्ढे में गिर गया था और उसे 50 घंटे के कठिन परिश्रम के बाद सेना द्वारा बाहर निकाला जा सका। इसके लिए सेना ने एक दूसरे कुएँ के समानान्तर सुरंग खोदी। बालक जिस शैफ्ट में नीचे बंद था उसमें बंद सर्किट वाला टेलीविजन कैमरा भोजन के साथ, उतारा गया था। दो समाचार चैनलों ने अपने अन्य सभी कार्यक्रम छोड़कर दो दिनों तक उस बालक की ही चित्रावली दिखानी जारी रखी, जिसमें यह दिखाया गया था कि बालक कितनी बहादुरी से कीड़े - मकोड़ों से लड़ रहा है, सो रहा है या अपनी माँ को चिल्ला - चिल्लाकर पुकार रहा है। यह सब टीवी के परदे पर दिखाया जा रहा था।
उन्होंने मंदिरों से बाहर कुछ लोगों के साक्षात्कार भी लिए। उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि हमें प्रिंस के लिए एस.एम.एस. द्वारा संदेश भेजें। हजारों लोग वहाँ पर एकत्र हो गए और दो दिनों तक मुफ्त सामुदायिक भोजन चला। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में प्रिंस की सुरक्षा के लिए लोगों को प्रार्थना करते हुए दिखलाया गया। इस प्रकार टेलीविजन का व्यक्तिगत जीवन में दखल देने का परिणाम सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों तरीकों से पड़ा है।
प्रश्न 10.
टेलीविजन माध्यम में हो रहे परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
1991 के दूरदर्शन की तुलना में आज के टेलीविजन में आप कितना बदलाव महसूस करते हैं ?
उत्तर:
1991 के दूरदर्शन की तुलना में आज के टेलीविजन में हम बहुत बदलाव महसूस करते हैं। यथा
1. पहले दूरदर्शन का समय सीमित था जबकि आज अधिकांश चैनल हफ्ते में सातों दिन और दिन में चौबीसों घंटे चलते हैं।
2. 1991 के दूरदर्शन में समाचारों का स्वरूप औपचारिक था, लेकिन आज के टेलीविजनों में समाचारों का स्वरूप जीवन्त एवं अनौपचारिक होता है। समाचारों को पहले की अपेक्षा अब बहुत अधिक तात्कालिक, लोकतंत्रात्मक और आत्मीय बना दिया गया है।
3. चैनलों की संख्या में वृद्धि तथा कार्यक्रमों में वृद्धि-हर बीतते हुए वर्ष के साथ टेलीविजन अपनी पहुँच को विस्तृत करता जा रहा है। हिन्दी और अंग्रेजी में समाचार देने वाले चैनलों की संख्या बराबर बढ़ती जा रही है। इसी प्रकार क्षेत्रीय चैनल भी बढ़ रहे हैं और उनके सबके साथ ही यथार्थवादी प्रदर्शन/रिएलिटी शो वार्ता प्रदर्शन, बॉलीवुड प्रदर्शन, पारिवारिक नाट्य प्रदर्शन, अन्तःक्रियात्मक प्रदर्शन, खेल प्रदर्शन और प्रहसन एवं हँसी - मजाक के प्रदर्शन बड़ी संख्या में हो रहे हैं। मनोरंजन टेलीविजन ने महान् सितारों का एक नया वर्ग पैदा कर दिया है। 'कौन बनेगा करोड़पति' अथवा 'इंडियन आइडल' या 'बिग बॉस' जैसे वास्तविक प्रदर्शन दिन - पर - दिन लोकप्रिय होते जा रहे हैं। इनमें से अधिकांश कार्यक्रम पाश्चात्य कार्यक्रमों के प्रारूप पर तैयार किए गए हैं।
4. भारत में टेलीविजन उपग्रह कार्यक्रम देखने वाले लोगों की संख्या में भी भारी वृद्धि हुई है। सन् 2002 में इनकी संख्या 13.4 करोड़ थी जो 2005 में बढ़कर 19 करोड़ हो गई। इसी प्रकार टेलीविजन रखने वाले घरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
प्रश्न 11.
एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से रेडियो पर मनोरंजन के कार्यक्रमों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से रेडियो पर मनोरंजन के कार्यक्रमों पर प्रभावएफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से रेडियो पर मनोरंजन के कार्यक्रमों में निम्न प्रभाव पड़ा
1. मनोरंजन के कार्यक्रमों में वृद्धि - 2002 में गैर - सरकारी स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से रेडियो पर मनोरंजन के कार्यक्रमों में बढ़ोतरी हुई। श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए ये निजी तौर पर चलाए जा रहे रेडियो स्टेशन अपने श्रोताओं का मनोरंजन करते हैं।
2. लोकप्रिय संगीत में वृद्धि-गैर-सरकारी तौर पर चलाए जाने वाले एफ.एम. चैनलों को कोई राजनीतिक समाचार बुलेटिन प्रसारित करने की अनुमति नहीं देता है, इसलिए इनमें से बहुत से चैनल अपने श्रोताओं को लुभाए रखने के लिए किसी विशेष प्रकार के लोकप्रिय संगीत में अपनी विशेषता रखते हैं। अधिकांश एफ.एम. चैनल जो कि युवा शहरी व्यावसायिकों तथा छात्रों में लोकप्रिय हैं, अक्सर मीडिया समूहों के होते हैं। जैसे 'रेडियो मिर्ची', 'टाइम्स ऑफ इंडिया' समूह का है, 'रैड' एफ.एम. 'लिविंग मीडिया' का और रेडियो सिटी 'स्टार नेटवर्क' के स्वामित्व में हैं।
3. स्थानीय संस्कृतियों का पोषण-एफ.एम. चैनलों के प्रयोग की सम्भावनाएँ अत्यधिक हैं। रेडियो स्टेशनों के और अधिक निजीकरण तथा समुदाय के स्वामित्व वाले रेडियो स्टेशनों के उद्भव के परिणामस्वरूप रेडियो स्टेशनों का और अधिक विकास होगा। स्थानीय समाचारों को सुनने की माँग बढ़ रही है। भारत में एफ.एम. चैनलों को सुनने वाले घरों की संख्या ने स्थानीय रेडियो द्वारा नेटवर्कों का स्थान ले लेने की विश्वव्यापी प्रवृत्ति को बल दिया है तथा स्थानीय संस्कृतियों का पोषण भी किया है।
प्रश्न 12.
विभिन्न जनसंचार माध्यमों-प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट से जुड़ी खूबियों तथा खामियों को दर्शाते हुए एक तालिका बनाइये।
उत्तर:
तालिका - विभिन्न जनसंचार माध्यमों से जुड़ी खूबियाँ और खामियाँ जनसंचार माध्यम खूबियाँ
जनसंचार माध्यम |
खूबियाँ |
खामियाँ |
1. प्रिंट |
1. छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है। 2. इसे संदर्भ के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। 3. यह चिंतन, विचार, विश्लेषण का अच्छा माध्यम है। 4. इसे जब इच्छा हो तब पढ़ा जा सकता है। |
1. यह निरक्षरों के लिए उपयोगी नहीं है। 2. इसमें समाचारों की एक समय - सीमा होती है। 3. इसमें स्पेस का ध्यान रखना पड़ता है। |
2. रेडियो |
1. यह सुनने का माध्यम है, पढ़ने का नहीं। 2. यह निरक्षरों के लिए भी उपयोगी है। |
1. यदि एक बार सुनने से रह जाएँ तो पुनः सुनने की सुविधा नहीं होती। 2. यह टेलीविजन की तुलना में कम आकर्षक है। |
3. टेलीविजन |
1. यह दृश्य एवं श्रव्य दोनों प्रकार का माध्यम है। 2. यह अपेक्षाकृत अधिक सटीक और प्रामाणिक है। 3. इसमें ब्रेकिंग न्यूज की व्यवस्था होती है। 4. यह अधिक आकर्षक माध्यम है। |
1. अनेक बार छोटी - सी बात को बहुत बढ़ा चढ़ाकर कर दर्शाया तथा प्रचारित किया जाता है। 2. व्यावसायिकता के बढ़ने के साथ - साथ इसकी निष्पक्षता उसी क्रम में प्रभावित होती जा रही है। 3. यह किसी की छवि बिगाड़ सकता है। |
4. इंटरनेट |
1. इसमें चौबीसों घंटे समाचार एवं सूचनाएँ उपलब्ध होते हैं। 2. यह बहुत तेज माध्यम है। 3. पूरे के पूरे अखबार इस पर उपलब्ध होते हैं। अतः यह बहुत व्यापक माध्यम है। |
1. यह अश्लीलता व दुष्प्रचार की बुराइयों से भर हुआ है। 2. यह गंदगी फैलाने का माध्यम है। 3. यह केवल शहरी माध्यम है,ग्रामीण संसार इससे अछूता है। |
प्रश्न 13.
जनसंचार किसे कहते हैं ? इसके प्रमुख माध्यम कौन - कौन से हैं ?
उत्तर:
जनसंचार से आशय:
जनसंचार विचारों व भावनाओं के आदान-प्रदान की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई संचारकर्ता एक ही समय में दूर-दूर फैले श्रोता समूहों को संदेश पहुँचा सकता है। जनसंचार उन समस्त साधनों एवं विधियों को कहते हैं जिनके द्वारा दूर-दूर फैले बड़ी संख्या में लोगों को एक साथ संदेश पहुँचाया जा सके, सूचना दी जा सके और उनके साथ अनुभवों अथवा मनोरंजन में सहभागिता की जा सके। अंग्रेजी में 'Mass media' शब्द का अर्थ है-'जनसमूह के लिए संचार माध्यम'।
जनसंचार के प्रमुख साधन या माध्यम जनसंचार के प्रमुख माध्यम (साधन) निम्नलिखित हैं
1. प्रिंट मीडिया:
प्रिंट मीडिया के प्रमुख माध्यम या साधन हैं-समाचार-पत्र, पुस्तकें, पत्रिकाएँ, शोध पत्रिकाएँ, अन्य रिपोर्ट आदि। आधुनिक युग में प्रिंट मीडिया का सर्वाधिक शक्तिशाली साधन समाचार-पत्र है। समाचार पत्र में स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सूचनाएँ ही नहीं होतीं, बल्कि उन सूचनाओं की व्याख्या, समसामयिक विषयों पर लेख आदि भी होते हैं । यह समाज के सभी तरह के लोगों की रुचि के अनुसार पठनीय सामग्री व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करता है।
2. रेडियो:
श्रव्य माध्यमों में रेडियो सबसे अधिक शक्तिशाली संचार माध्यम है। रेडियो के माध्यम से समाचार-पत्रों की तुलना में अधिक व्यापक श्रोता-समूहों से संचार किया जा सकता है क्योंकि इसमें श्रोता-समूह के लिए शिक्षित होना आवश्यक नहीं है। ट्रांजिस्टर के आविष्कार ने इसे अत्यधिक सुगम बना दिया है। एफ.एम. रेडियो के प्रचलन ने मनोरंजन के क्षेत्र में इसे और व्यापक बना दिया है।
3. चलचित्र:
चलचित्र श्रव्य और दृश्य माध्यम है जिसके द्वारा कथानक को पात्रों के साथ घटित होते हुए जीवन्त रूप में दिखाया जा सकता है। फैशन एवं अन्य नवीन वस्तुओं के प्रसार में चलचित्र अत्यन्त सहायक सिद्ध होते
4. टेलीविजन:
आजकल टेलीविजन ने नई सूचना एवं संचार क्रांति को जन्म दे दिया है। इसकी प्रभाविता के तीन कारण हैं:
प्रश्न 14.
जनसंचार के माध्यमों की विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों की विशेषताएँ जनसंचार के माध्यमों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. उच्च तकनीक पर आधारित:
जनसंचार के माध्यमों में उच्चस्तरीय तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इनमें प्रयुक्त होने वाले यंत्र उन्नत और जटिल प्रणाली वाले होते हैं । उनका निर्माण, संचालन एवं रख-रखाव तीनों ही विशिष्ट योग्यता की माँग करते हैं।
2. श्रोताओं की व्यापकता एवं विभिन्नता:
ये माध्यम एक ही समय पर व्यापक क्षेत्र में फैले श्रोताओं में संचार करने में सक्षम हैं। जनसंचार के माध्यमों के पाठक, दर्शक या श्रोता, विविधता से परिपूर्ण होते हैं। आयु, लिंग, जाति, शैक्षिक स्तर, पारिवारिक पृष्ठभूमि आदि की दृष्टि से इनके श्रोता या पाठक या दर्शक जनसमूह विभिन्नता लिए हुए होते हैं।
3. एक विशिष्ट व्यावसायिक क्षेत्र:
जनसंचार एक विशिष्ट व्यवसाय का क्षेत्र बनता जा रहा है। इस क्षेत्र में संचारकर्ता विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त किये हुए होते हैं । विज्ञापन अब जनसंचार के साधनों के विशिष्ट आय के स्रोत बनते जा रहे हैं।
4. अनाम प्रचार:
जनसंचार इस अर्थ में एक अनाम प्रक्रिया है कि संचारकर्ता श्रोता-समूह के सम्मुख नहीं होता और न वह यह जानता है कि कितने और कौनसे श्रोता उसका संदेश ग्रहण कर रहे हैं । श्रोता समूह की प्रतिक्रिया तो बाद में उसे सम्पादक के नाम पत्रों के द्वारा बाद में पता चलती है।
5. संगठित क्षेत्र:
जनसंचार के माध्यम संगठित क्षेत्र से सम्बन्धित हैं। बड़ - बड़े औपचारिक संगठन इनके द्वारा संचार की प्रक्रिया में लगे होते हैं।
6. विविध कार्य:
जनसंचार के माध्यम अनेक प्रकार के कार्य करते हैं। जैसे-सूचना प्रसार, समाजीकरण, प्रेरणा, वाद-विवाद एवं विचार-विमर्श, शिक्षा, सांस्कृतिक उन्नयन, मनोरंजन तथा एकीकरण आदि। प्रत्येक समाज की संचार नीति इन्हीं कार्यों के मध्य वरीयता का निर्धारण करती है।
प्रश्न 15.
जनसंचार के माध्यमों के प्रकार्य बताइये।
उत्तर:
जनसंचार के माध्यमों के प्रकार्य जनसंचार के माध्यमों के प्रमुख प्रकार्य निम्नलिखित हैं
1. लोगों को सूचना प्रदान करना:
जनसंचार के साधन लोगों को दिन - प्रतिदिन की गतिविधियों एवं घटनाओं की सूचना प्रदान करते हैं। ये सूचनाएँ स्थानीय मौसम की दशाओं तथा राजनीति, युद्ध, प्राकृतिक दुर्घटनाओं आदि से सम्बन्धित राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं से सम्बन्धित होती हैं। बड़े शहरों के लोग आत्म-केन्द्रित होते हैं तथा एक-दूसरे से अलग जनसंचार के साधन उनके इर्द-गिर्द क्या हो रहा है, इसकी जानकारी देते रहते हैं।
2. लोगों को मनोरंजन प्रदान करना:
लोग जनसंचार के माध्यमों से मनोरंजन भी प्राप्त करते हैं। रेडियो और टेलीविजन आज लोगों के मनोरंजन का प्रमुख साधन बन गये हैं। इनके द्वारा प्रसारित विभिन्न मनोरंजन देने वाले कार्यक्रम, गीत - संगीत के कार्यक्रम, बच्चों के लिए कार्टून फिल्म आदि सब मनोरंजन प्रदान करते हैं।
3. समाजीकरण करना:
तीसरे जनसंचार के साधन बच्चों व युवकों के समाजीकरण करने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन माध्यमों के द्वारा कुछ मूल्य, प्रवृत्तियों तथा विश्वासों को इनके समक्ष परोसा जाता है। ये सब प्रक्रियाएँ युवकों के समाजीकरण का महत्त्वपूर्ण कार्य करती हैं।
4. सांस्कृतिक निरन्तरता को बनाए रखने में योगदान:
आज तेजी से बदलते विश्व में, संस्कृति के बहुत से तत्त्व गायब होते जा रहे हैं । जनसंचार के कार्यक्रमों में इन तत्त्वों को देखकर लोगों के इनके अस्तित्व का ध्यान हो आता है। उदाहरण के लिए, रेडियो ने शास्त्रीय संगीत को प्रसारित कर संस्कृति की इस परम्परा को बनाये रखने का प्रयास किया है।
5. अन्य प्रकार्य:
इसके अतिरिक्त जनसंचार के साधन वाद-विवाद, विचार - विमर्श तथा सामाजिक एकीकरण से सम्बन्धित कार्य भी करते हैं। ये साधन जनमत निर्माण का कार्य भी करते हैं। ये माध्यम विभिन्न वर्गों के दृष्टिकोण, जीवन-शैलियों, महत्त्वाकांक्षाओं एवं समस्याओं के बारे में विस्तृत जानकारी देकर उनके बीच सौहार्दपूर्ण सम्बन्धों के लिए धरातल प्रदान करते हैं।
प्रश्न 16.
हाल के वर्षों में हुए जनसंचार के साधनों के चमत्कारिक विस्तार के समाजशास्त्रीय पहलुओं को समझाइये।
उत्तर:
जनसंचार के साधनों की वृद्धि के समाजशास्त्रीय पहलू हाल के वर्षों में सभी प्रकार के जनसंचार के साधनों का चमत्कारिक रूप से विस्तार हुआ है। इस विस्तार के प्रमुख समाजशास्त्रीय पहलू निम्नलिखित हैं
1. मास - मीडिया की संरचना और विषय:
वस्तु के स्वरूप के निर्धारण में आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों की भूमिका-यदि हम भारत में तथा विश्व में आधुनिक जनसम्पर्क के साधनों में हुई वृद्धि की रूपरेखा को देखें तो हमें स्पष्ट पता चलता है कि किसी अन्य सामाजिक संस्था की तरह ही, मास मीडिया की संरचना और विषय-वस्तु का स्वरूप भी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक - सांस्कृतिक संदर्भो में आए परिवर्तनों से निर्धारित हुआ है । उदाहरण के लिए स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के प्रारम्भिक दशकों में प्रमुख रूप से राज्य और विकास सम्बन्धी नेताओं की सोच ने मीडिया को अत्यधिक प्रभावित किया है और 1990 के बाद के भूमण्डलीकरण के दौर में बाजार उसे प्रभावित कर रहा है।
2. समाज और जन:
संचार के साधनों के एक - दूसरे पर प्रभाव का पता लगाने में सहायता- हमें यह समझने में अधिक सहायता मिलती है कि समाज के साथ जनसम्पर्क और संचार के साधनों के साथ सम्बन्ध कितने द्वन्द्वात्मक हैं। दोनों एक - दूसरे को प्रभावित करते हैं । मास मीडिया की प्रकृति और भूमि उस समाज द्वारा प्रभावित होती है जिसमें यह स्थित है। साथ ही, समाज पर मास मीडिया के समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं। इसे हम भारत में मीडिया के विकास और सामाजिक विकास के संदर्भ में देख सकते हैं।
3. मास - मीडिया की संरचना एवं प्रकार्य पर राज्य और बाजार का प्रभाव - मास - मीडिया की संरचना और प्रकार्यों में राज्य या बाजार की प्रमुख भूमिका होती है क्योंकि मास - मीडिया ऐसे बहुत बड़े संगठनों के माध्यम से कार्य करता है जिनमें भारी पूँजी लगी होती है और काफी बड़ी संख्या में कर्मचारी काम करते हैं।
4. विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा मास मीडिया का प्रयोग-लोगों के विभिन्न वर्ग मास मीडिया का आसानी से प्रयोग कर सकते हैं। उपर्युक्त पहलुओं के कारण हाल के वर्षों में जनसंचार के साधनों का चमत्कारिक रूप से विस्तार हुआ है।
प्रश्न 17.
भूमण्डलीकरण के कारण प्रिंट मीडिया और रेडियो के क्षेत्र के बारे में दिखाई पड़ने वाले परिवर्तनों की पहचान कीजिए।
उत्तर:
भूमण्डलीकरण के कारण प्रिंट मीडिया में परिवर्तन भूमण्डलीकरण के कारण प्रिंट मीडिया में निम्न प्रकार परिवर्तन हुए
भूमण्डलीकरण के कारण रेडियो में परिवर्तन भूमण्डलीकरण के कारण रेडियो में निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं।
प्रश्न 18.
क्या आप मानते हैं कि भारत में टेलीविजन और इंटरनेट के विकास ने मुद्रित माध्यम को दरकिनार कर दिया है ?
अपनी
टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भारत में टेलीविजन और इंटरनेट का मुद्रित माध्यम पर प्रभाव प्रायः यह सोचा जाता है कि टेलीविजन और इंटरनेट के विकास से प्रिंट मीडिया का महत्त्व कम हो जाएगा, लेकिन हमारे देश में इनके विकास के बावजूद समाचारपत्रों और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ी है। भारत में टेलीविजन और इंटरनेट के विकास के बावजूद समाचारपत्रों व पत्रिकाओं की संख्या के बढ़ने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
प्रश्न 19.
समाचार - पत्र पर एक निबन्ध लिखें। उत्तर
समाचार-पत्र
(अ) ब्रिटिशकाल में भारत में समाचार - पत्र - पहली आधुनिक मास मीडिया की संस्था का प्रारम्भ प्रिंटिंग प्रेस के विकास के साथ हुआ था। औद्योगिक क्रांति के साथ ही मुद्रण उद्योग का विकास हुआ। इसी के फलस्वरूप देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोग परस्पर जुड़ने लगे और उनमें हम की भावना आई। इससे राष्ट्रवाद का विकास भी हुआ तथा अपरिचित लोगों के बीच मैत्रीभाव उत्पन्न हुआ।
औपनिवेशिक सरकार में उत्पीड़क उपायों का खुलकर विरोध करने वाले राष्ट्रवादी समाचार - पत्रों ने उपनिवेश विरोधी जनमत जागृत किया और उसे सही दिशा दी। लेकिन ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं का प्रसार बहुत सीमित था क्योंकि बहुत कम लोग साक्षर थे। फिर भी उनका प्रभाव उनकी वितरण संख्या की तुलना में बहुत अधिक था। इस काल में राजा राममोहन राय द्वारा बंगला भाषा में 1821 में प्रकाशित संवाद कौमुदी सर्वप्रथम और फारसी में 1822 में प्रकाशित 'मिरात - उल - अखबार' भारत के पहले ऐसे प्रकाशन थे जिनमें राष्ट्रवादी एवं लोकतंत्रात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त 'बाम्बे समाचार (1822), शोम प्रकाश (1858), दि टाइम्स ऑफ इण्डिया (1861), दि पायनियर (1865), दि मद्रास मेल (1868), दि स्टेट्समेन (1875) आदि अनेक अखबार प्रकाशित हुए।
(ब) स्वतंत्र भारत में समाचार - पत्र - स्वतंत्रता - प्राप्ति के बाद प्रिंट मीडिया ने राष्ट्र निर्माण के कार्य में अपनी भागीदारी निभाने की भूमिका को बराबर जारी रखा और इसके लिए वह विकासात्मक मुद्दों को उठाता रहा है और लोगों की आवाज को बुलंद करता रहा हैं। इस काल में मीडिया को सबसे भयंकर चुनौती का सामना 1975 के आपातकाल के बाद करना पड़ा, लेकिन 1977 में पुनः लोकतंत्र की स्थापना हो गई। स्वतंत्रता के बाद से भारत में समाचार-पत्रों का प्रसार बढ़ रहा है। जहाँ महानगरों में अंग्रेजी भाषा के समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या बढ़ी है, वहाँ छोटे कस्बों और गाँवों में भारतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या तेजी से बढ़ी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मुकाबला करने के लिए, समाचार-पत्रों ने, विशेष रूप से अंग्रेजी भाषा के समाचारपत्रों ने एक ओर जहाँ अपनी कीमतें घटा दी हैं, वहीं दूसरी ओर एक साथ अनेक केन्द्रों से अपने अलग-अलग संस्करण निकालने लगे हैं।
प्रश्न 20.
टेलीविजन पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:
भारत में टेलीविजन का प्रारम्भ-भारत में ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए 1959 में ही टेलीविजन के कार्यक्रमों को प्रयोग के तौर पर चालू किया गया था। आगे चलकर 1975 से जुलाई 1976 के बीच उपग्रह की सहायता से शिक्षा देने वाले प्रयोग के अन्तर्गत छः राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक दर्शकों के लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रसारण किया गया।
दूरदर्शन का प्रारम्भ:
दूरदर्शन के अन्तर्गत दिल्ली, मुम्बई, श्रीनगर और अमृतसर में 1975 तक चार टेलीविजन केन्द्र स्थापित किये गये। इसके बाद कोलकाता, चेन्नई और जालंधर में तीन और केन्द्र खोले गये। इस समय टेलीविजन केन्द्र के कार्यक्रमों में समाचार, बच्चों और महिलाओं के कार्यक्रम, किसानों के कार्यक्रम और मनोरंजन कार्यक्रम प्रमुख थे।
दूरदर्शन के कार्यक्रमों का वाणिज्यीकरण-बाद में इन कार्यक्रमों में प्रायोजकों के विज्ञापन शामिल किये जाने लगे तो मनोरंजन कार्यक्रम बढ़े जो नगरीय उपभोक्ता वर्ग के लिए होते थे। 1982 में रंगीन प्रसारण के प्रारम्भ किये जाने के फलस्वरूप टेलीविजन प्रसारण का तेजी से वाणिज्यीकरण हुआ। 1984-85 में टेलीविजन ट्रांसमीटरों की संख्या देश भर में बढ़ गयी। हम लोग, बुनियाद जैसे सोप ओपेरा लम्बे समय तक चले और लोकप्रिय हुए तथा इन्होंने भारी मात्रा में विज्ञापन द्वारा दूरदर्शन के लिए राजस्व एकत्रित किया। आगे चलकर 'रामायण', 'महाभारत' महाकाव्यों के प्रसारण से भी यही हुआ।
गैर-सरकारी चैनलों का प्रारम्भ-1990 के दशक में भारत में दूरदर्शन (सरकारी चैनल) के साथ-साथ गैरसरकारी टेलीविजन चैनल भी प्रारम्भ हुए और वर्ष 2000 में जब दूरदर्शन 20 से अधिक चैनलों पर अपने कार्यक्रम प्रसारित कर रहा था, तब गैर-सरकारी चैनलों की संख्या 40 के आस-पास थी। गैर-सरकारी उपग्रह टेलीविजनों में हुई आश्चर्यजनक वृद्धि समकालीन भारत में हुए निर्णयात्मक विकासों में से एक है।
केवल टेलीविजन उद्योग का विस्तार-1980 के दशक में जहाँ एक ओर दूरदर्शन तेजी से विस्तृत हो रहा था, वहीं केबल टेलीविजन उद्योग भी बड़े-बड़े शहरों में तेजी से पनपा। इसने भारतीय दशर्कों के लिए मनोरंजन के विकल्पों में कई गुना वृद्धि कर दी।
प्रश्न 21.
रेडियो पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:
रेडियो प्रसारण 1920 के दशक में कोलकाता और चेन्नई में अपरिपक्व 'हैम' ब्रॉडकास्टिंग क्लबों के जरिये भारत में शुरू हुआ था। 1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक सार्वजनिक प्रसारण प्रणाली के रूप में दक्षिण पूर्व एशिया में मित्र राष्ट्रों की सेनाओं के लिए प्रचार का एक बड़ा साधन बना। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय, भारत में केवल 6 रेडियो स्टेशन थे, जो बड़े-बड़े शहरों में स्थित थे और प्राथमिक रूप से शहरी श्रोताओं की आवश्यकताओं को ही पूरा करते थे। 1950 तक समस्त भारत में कुल मिलाकर 5,46,200 रेडियो लाइसेंस थे। आकाशवाणी के कार्यक्रम में मुख्य रूप से समाचार, सामयिक विषय और विकास पर चर्चाएँ होती थीं। इसी समय एक मनोरंजन चैनल 'विविध भारती' भी था, जो जल्दी ही प्रायोजित कार्यक्रम और विज्ञापन प्रचारित करने से एक कमाऊ चैनल बन गया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद-स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने रेडियो प्रसारण के आधारभूत संरचना का विस्तार राज्यों की राजधानियों और सीमावर्ती क्षेत्रों में करने के कार्य की प्राथमिकता दी। रेडियो आज राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय तीनों स्तरों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। 1960 के दशक में ट्रांजिस्टर आने से रेडियो अधिक सुलभ हो गया। वर्ष 2000 में स्थिति यह थी कि लगभग 11 करोड़ परिवारों, 24 भाषाओं और 146 बोलियों में रेडियो प्रसारण सुने जाते थे। उनमें से एक-तिहाई से भी अधिक घर-परिवार ग्रामीण थे।
प्रश्न 22.
समाचार उत्पादन में परिवर्तन लाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
समाचार उत्पादन में परिवर्तन : प्रौद्योगिकी की भूमिका समाचार उत्पादन में आए परिवर्तनों में प्रौद्योगिकी की भूमिका का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।
1. लोकल एरिया नेटवर्कों के माध्यम से पर्सनल कम्प्यूटरों की नेटवर्क व्यवस्था तथा न्यूजमेकर जैसे सॉफ्टवेयरों का प्रयोग - स्थानीय इलाके के नेटवर्कों (लेन) के माध्यम से पी.सी. की नेटवर्क व्यवस्था और समाचार निर्माण के लिए 'न्यूजमेकर' जैसे तथा अन्य विशिष्ट सॉफ्टवेयरों के प्रयोग से समाचार पत्र संवाददाता की डेस्क से अंतिम पेज-प्रूफ तक पूर्णरूप से स्वचालित हो गये हैं और इस स्वचालित श्रृंखला के कारण कागज का प्रयोग पूरी तरह से समाप्त हो गया है।
2. छोटे टेपरिकार्डर, लैपटाप, मोबाइल तथा सेटेलाइट फोन तथा मॉडेम की भूमिका - अब एक संवाददाता के पुराने आधारभूत उपकरणों, एक आशुलिपि पुस्तिका, पेन, टाइपराइटर और पुराना सादा टेलीफोन का स्थान एक छोटे टेपरिकार्डर, एक लैपटाप, मोबाइल या सेटेलाइट फोन तथा मॉडेम जैसे नये उपकरणों ने ले लिया है। इस बदलती प्रौद्योगिकी ने संवाददाता की भूमिका और कार्यों को भी बदल दिया है। समाचार संग्रहण कार्य में आए इन सभी प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों ने समाचारों की गति को बढ़ा दिया है और समाचार पत्रों के प्रबंधक वर्ग को अपनी कार्य विधि को बढ़ाने में सहायता दी है। अब वे अधिक संख्या में संस्करण निकालने की योजना बनाने और पाठकों को नवीनतम समाचार देने में सक्षम हो गये हैं।