RBSE Class 12 Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

Rajasthan Board  RBSE Class 12 Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ  Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 1. 
भारत में बहुलता है क्योंकि यहाँ
(क) विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। 
(ख) अलग - अलग संस्कृतियों वाले आदिवासी रहते हैं। 
(ग) विभिन्न जाति के लोग रहते हैं।
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 2. 
पंचायती राज संस्था में कितने स्तरीय व्यवस्था है
(क) दो 
(ख) तीन 
(ग) चार
(घ) पाँच 
उत्तर:
(क) दो 

प्रश्न 3. 
स्थानीय स्वशासन के सदस्य गाँव तथा नगरों में कितने साल बाद चुने जाते हैं? 
(क) दो 
(ख) चार
(ग) तीन 
(घ) पाँच 
उत्तर:
(घ) पाँच 

RBSE Class 12 Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 4. 
पंचायतों की आय का प्रमुख साधन है
(क) सम्पत्ति, व्यवसाय तथा पशु पर लगाए गए कर 
(ख) चुंगी 
(ग) भू-राजस्व
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 5. 
चिपको आन्दोलन की शुरुआत किस राज्य से हुई?
(क) राजस्थान 
(ख) उत्तराखण्ड 
(ग) यू.पी. 
(घ) मध्यप्रदेश 
उत्तर:
(ख) उत्तराखण्ड 

प्रश्न 6. 
निम्न में से कौनसा संगठन हित समूह है? ।
(क) एसोसिएशन ऑफ चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स 
(ख) इण्डियन ट्रेड यूनियन काँग्रेस
(ग) फैडरेशन ऑफ इण्डियन कॉमर्स एण्ड चैंबर्स 
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7. 
निम्न में से कौनसा कृषि मजदूर संगठन है ?
(क) शेतकारी संगठन 
(ख) राम कृषि संगठन 
(ग) हरित संगठन 
(घ) मानव संगठन 
उत्तर:
(क) शेतकारी संगठन 

प्रश्न 8. 
मोतीलाल नेहरू तथा आठ अन्य कांग्रेसी नेताओं ने संविधान का मसौदा तैयार किया था
(क) 1931 में 
(ख) 1927 में 
(ग) 1928 में 
(घ) 1943 में
उत्तर:
(ग) 1928 में 

प्रश्न 9. 
संविधान सभा की माँग हुई थी
(क) 1945 में 
(ख) 1939 में 
(ग) 1946 में 
(घ) 1928 में 
उत्तर:
(ख) 1939 में 

प्रश्न 10. 
समानता के मौलिक अधिकार को संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित किया गया है ?
(क) अनुच्छेद 19 में 
(ख) अनुच्छेद 21 में 
(ग) अनुच्छेद 16 में 
(घ) अनुच्छेद 14 में 
उत्तर:
(घ) अनुच्छेद 14 में 

प्रश्न 11. 
पंचायती राज का शाब्दिक अनुवाद होता है
(क) पाँच व्यक्तियों द्वारा शासन
(ख) सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय 
(ग) वयस्क नागरिकों का राज
(घ) पाँच व्यक्तियों का मत 
उत्तर:
(क) पाँच व्यक्तियों द्वारा शासन

प्रश्न 12. 
"अगर कानून और संसद स्वयं को बदलते परिदृश्य के अनुकूल नहीं करते तो ये स्थितियों पर नियंत्रण नहीं कर पायेंगे।" यह कथन किस सन्दर्भ में कहा था
(क) रोजगार के विषय में
(ख) सरकार के कार्यों के अधिकार क्षेत्र के विषय में 
(ग) आदिवासी हितों की रक्षा के विषय में 
(घ) भूमि-सुधार के विषय में
उत्तर:
(घ) भूमि-सुधार के विषय में

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1. 
...............ने संविधान में ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी कुटीर उद्योगों के विकास से सम्बन्धित खण्ड जोड़ा। 
उत्तर:
टी.ए. रामालिंगम चेट्टियार

प्रश्न 2. 
लोकतंत्र की दो मुख्य श्रेणियाँ हैं...............तया...............लोकतंत्र। 
उत्तर:
प्रत्यक्ष, परोक्ष

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प्रश्न 3. 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के .......................... के कराची अधिवेशन के प्रस्ताव में विचार किया गया कि स्वतंत्र भारत का संविधान कैसा होना चाहिए। 
उत्तर:
1931

प्रश्न 4. 
गाँधीजी ने 1939 में...............नामक पत्र में...............नामक लेख लिखा था।
उत्तर:
हरिजन, द ओनली वे

प्रश्न 5. 
संविधान सभा की माँग...............में हुई थी जिसे...............में साम्राज्यवादी ब्रिटेन द्वारा स्वीकार किया गया था।
उत्तर:
1939, 1945 

प्रश्न 6.
...............में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विशेषज्ञ सभा ने संविधान सभा में प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
उत्तर:
अगस्त 1946

प्रश्न 7.
...............ने संविधान सभा में यह कहा कि लाभदायक रोजगार को श्रेणीगत बाध्यता द्वारा वास्तविक बनाया जाना चाहिए। 
उत्तर:
के.टी. शाह

प्रश्न 8. 
जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन...............में किया गया है।
उत्तर:
अनुच्छेद 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
गाँधीजी का 'हरिजन' नामक पत्र किस सन् में प्रकाशित हुआ? 
उत्तर:
सन् 1939 में। 

प्रश्न 2. 
फ्रांसीसी क्रान्ति के तीन शब्द कौनसे हैं ? 
उत्तर:
बंधुता, स्वतंत्रता और समानता।

प्रश्न 3. 
73वें और 74वें संविधान संशोधन ने ग्रामीण और नगरीय दोनों ही क्षेत्रों के स्थायी निकायों के सभी चयनित पदों में महिलाओं को कितने प्रतिशत आरक्षण दिया गया है?
उत्तर:
33 प्रतिशत। 

प्रश्न 4. 
चिपको आन्दोलन की शुरुआत किस राज्य से हुई? 
उत्तर:
उत्तराखण्ड से। 

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प्रश्न 5. 
मुम्बई को एक वृत्त में घेरने के लिए किसके निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई?
उत्तर:
एक्सप्रेस रिंग वे की।

प्रश्न 6. 
उस योजना का नाम बताइये जिसके तहत मुम्बई में गरीबों का घर बनाने की योजना शहर के बाहर बनाई गई।
उत्तर:
मुम्बई विजन। 

प्रश्न 7. 
बॉम्बे फर्स्ट समूह पहले किस शहर को 'वर्ल्ड क्लास सिटी' होने की बात करते हैं ? 
उत्तर:
मुम्बई को। 

प्रश्न 8. 
प्रत्यक्ष लोकतंत्र की सम्भावनाएँ कहाँ बहुत कम हैं ? 
उत्तर:
विशाल और जटिल आधुनिक समाज में। 

प्रश्न 9. 
बंधुता और स्वतंत्रता किसके अभाव में मूल्यहीन है ?
उत्तर:
समानता के अभाव में। 

प्रश्न 10. 
रांजनीतिक दलों के दो प्रमुख कार्य लिखिये। 
उत्तर:

  1. लोकमत का निर्माण करना 
  2. सार्वजनिक नीतियों का निर्धारण करना। 

प्रश्न 11. 
हित समूह क्यों बनाए जाते हैं ? 
उत्तर:
राजनीतिक क्षेत्रों के कुछ निश्चित हितों को पूरा करने के लिए। 

प्रश्न 12. 
लोकतंत्र क्या है ? 
उत्तर:
लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है। 

प्रश्न 13. 
आजकल अधिकांशतः किस प्रकार का लोकतंत्र पाया जाता है? 
उत्तर:
प्रतिनिधिक (अप्रत्यक्ष) लोकतंत्र।

प्रश्न 14. 
भारत में विकेन्द्रीकृत और जमीनी लोकतांत्रिक संस्था का कोई एक उदाहरण दीजिये। 
उत्तर:
पंचायती राज व्यवस्था। 

प्रश्न 15. 
भारत में सामाजिक परिवर्तन से क्या आशय है? 
उत्तर:
यह भारतीय और पाश्चात्य विचारों के संयोग की पुनर्व्याख्या है। 

प्रश्न 16. 
मोतीलाल नेहरू कमेटी ने भारत के लिए संविधान का मसौदा किस सन् में तैयार किया? 
उत्तर:
सन् 1928 में। 

प्रश्न 17. 
भारत में संविधान सभा की माँग कब हुई? 
उत्तर:
सन् 1939 में। 

प्रश्न 18. 
भारतीय संविधान सभा की माँग को साम्राज्यवादी ब्रिटेन ने किस सन् में स्वीकार किया? 
उत्तर:
सन् 1945 में। 

प्रश्न 19.
संविधान सभा के सदस्यों के चुनाव कब हुए? 
उत्तर:
जुलाई 1946 में। 

प्रश्न 20. 
संविधान सभा के किन्हीं चार सदस्यों के नाम लिखिये। 
उत्तर:

  1. जवाहरलाल नेहरू 
  2. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 
  3. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर 
  4. सरदार वल्लभ भाई पटेल। 

प्रश्न 21. 
कानून का सार क्या है? 
उत्तर:
कानून का सार इसकी शक्ति है।

प्रश्न 22. 
न्याय का सार क्या है? 
उत्तर:
न्याय का सार निष्पक्षता है। 

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प्रश्न 23. 
भारत का मूल मानदण्ड क्या है ? 
उत्तर:
भारतीय संविधान। 

प्रश्न 24. 
संविधान का सबसे अंतिम व्याख्याकर्ता कौन है ? 
उत्तर:
उच्चतम न्यायालय।

प्रश्न 25. 
पंचायती राज का शाब्दिक अनुवाद क्या होता है? 
उत्तर:
पाँच व्यक्तियों द्वारा शासन। 

प्रश्न 26. 
गाँधीजी की आदर्श अवधारणा क्या है? 
उत्तर:
उनकी ग्राम-स्वराज्य की अवधारणा। 

प्रश्न 27. 
भारत देश में लोकतंत्र का कौनसा प्रकार है? 
उत्तर:
प्रतिनिधिक लोकतंत्र। 

प्रश्न 28. 
भारत के नागरिक किन स्तरों पर अपना प्रतिनिधि चुनते हैं ? 
उत्तर:
पंचायत, नगर निगम बोर्ड, विधानसभा, संसद आदि। 

प्रश्न 29. 
लोकतंत्र के लिए कौनसी दो धारणाएँ लोकप्रिय हैं ? 
उत्तर:

  1. सहभागी लोकतंत्र 
  2. विकेन्द्रीकृत प्रशासन। 

प्रश्न 30. 
भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार क्या है ? 
उत्तर:
भारतीय संविधान। 

प्रश्न 31. 
लोकतंत्र की जमीनी प्रकार्यात्मकता का स्तर क्या है ? 
उत्तर:
पंचायती राज व्यवस्था। 

प्रश्न 32. 
रूसी क्रान्ति का उद्देश्य क्या था? 
उत्तर:
समानता लाना। 

प्रश्न 33.
संविधान से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
ऐसा मानदण्ड जिनसे नियम और अधिकारी संचालित होते हैं। 

प्रश्न 34. 
'समान कार्य के लिए समान वेतन' किस अधिकार के अन्तर्गत आता है ? 
उत्तर:
समानता का मौलिक अधिकार।

प्रश्न 35.
राजनीतिक शक्ति को सामाजिक हित की ओर प्रवाहित करके उसे सुसंगत बनाने का माध्यम क्या है?
उत्तर:
संविधान। 

प्रश्न 36.
ग्राम पंचायत से सम्बन्धित निदेशक सिद्धान्त किसके द्वारा संविधान सभा में लाया गया? 
उत्तर:
के. संथानम।
 
प्रश्न 37. 
ग्राम पंचायत से सम्बन्धित निदेशक सिद्धान्त संवैधानिक विधेयक कब बना? 
उत्तर:
1992 के 73वें संशोधन के बाद। 

प्रश्न 38. 
मौलिक व प्रारम्भिक स्तर पर लोकतंत्र और विकेन्द्रीकृत शासन का परिचय कब मिलता है? 
उत्तर:
1992 में 73वें संविधान संशोधन के बाद। 

प्रश्न 39. 
पंचायत की आय के मुख्य स्रोत क्या हैं ? 
उत्तर:
सम्पत्ति, व्यवसाय, पशु, वाहन आदि पर लगाए गए कर, चुंगी, भू-राजस्व इत्यादि। 

प्रश्न 40.
भारत सरकार के वित्त मंत्री संसद के सामने बजट कब पेश करते हैं ? 
उत्तर:
हर साल फरवरी के अन्त में।

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प्रश्न 41. 
भारतीय संविधान राजनीतिक न्याय के अलावा दो अन्य प्रकार के न्यायों को भी सुनिश्चित करता है, वे हैं?
उत्तर:

  1. सामाजिक न्याय। 
  2. आर्थिक न्याय। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
'प्रत्यक्ष लोकतंत्र' 'प्रतिनिधिक लोकतंत्र' से भिन्न है, क्यों?
उत्तर:
'प्रत्यक्ष लोकतंत्र' 'प्रतिनिधिक लोकतंत्र' से भिन्न है क्योंकि इसके सभी नागरिक बिना किसी चयनित या मनोनीत पदाधिकारी की मध्यस्थता के सार्वजनिक निर्णयों में स्वयं भाग लेते हैं।

प्रश्न 2. 
सहभागी लोकतंत्र से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
सहभागी लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए किसी समूह या समुदाय के सभी सदस्य एक साथ भाग लेते हैं।

प्रश्न 3. 
राजनीतिक दल को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जो सत्ता प्राप्त करने के लिए तथा सत्ता का उपभोग कुछ विशिष्ट कार्यों को सम्पन्न करने के उद्देश्य से करता है।

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प्रश्न 4. 
क्षेत्रीय दल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
ऐसा राजनीतिक दल जिसका राजनीतिक प्रभुत्व किसी क्षेत्र विशेष या प्रादेशिक स्तर तक ही होता है, क्षेत्रीय दल कहलाता है।

प्रश्न 5. 
पंचायती राज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पंचायती राज भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय व्यवस्था का नाम है। इसमें ग्रामीण जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य शासन का कार्य करते हैं।

प्रश्न 6. 
हित समूह का अर्थ समझाइये।
उत्तर:
हित समूह ऐसे समूह हैं जो अपनी आवाज सुनाना चाहते हैं और सरकार का ध्यान अपनी परेशानियों की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं।

प्रश्न 7. 
औपनिवेशिक शासन ने जिस उददेश्य से पाश्चात्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया, वो उद्देश्य उन्हें प्राप्त नहीं हुआ। संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाश्चात्य शिक्षा-प्राप्त वर्ग ने ब्रिटिश शासन में सहयोग की अपेक्षा लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और राष्ट्रवाद जैसे पाश्चात्य उदार विचारों का प्रयोग औपनिवेशिक शासन को चुनौती देने के लिए किया।

प्रश्न 8. 
'महाभारत' में भृगु ऋषि ने जाति विभाजन के सन्दर्भ में क्या कहा था?
उत्तर:
जाति विभाजन विभिन्न मनुष्यों के शारीरिक लक्षणों में पाई जाने वाली विभिन्नताओं से सम्बन्धित है जो कि त्वचा के रंग में परिलक्षित होती है।

प्रश्न 9. 
संविधान का मूल उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
संविधान का मूल उद्देश्य निर्धनों को सक्षम बनाना, निर्धनता उन्मूलन, जातिवाद समाप्त करना तथा सभी समूहों के प्रति समानता का व्यवहार करना है।

प्रश्न 10. 
कानून का अर्थ बताइये।
उत्तर:
कानून सामाजिक नियंत्रण का औपचारिक साधन है। इसके पीछे राज्य की शक्ति होती है। कानून के उल्लंघन पर राज्य की शक्ति द्वारा दण्ड दिया जाता हैं।

प्रश्न 11. 
ब्रिटिश उपनिवेशवाद के पाश्चात्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
ब्रिटिश उपनिवेशवाद के पाश्चात्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार का मुख्य उद्देश्य भारतीयों का एक मध्य वर्ग बनाना था जिनकी सहायता से वे उपनिवेशीय शासन को निरन्तर चला सकें।

प्रश्न 12. 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1931 के कराची अधिवेशन में कैसे लोकतंत्र की परिकल्पना की?
उत्तर:
कराची अधिवेशन में ऐसे लोकतंत्र की परिकल्पना की गई जिसका अर्थ केवल चुनाव करवाने की औपचारिकता पूरी करना ही नहीं बल्कि एक यथार्थ व प्रामाणिक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना के लिए भी कार्य करना था।

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प्रश्न 13. 
भारतीयों को विभाजित करने वाले कारक बताइये।
उत्तर:
विभिन्न संस्कृति, धर्म तथा जाति, ग्रामीण तथा नगरीय, धनी-निर्धन और साक्षर-निरक्षर कारक भारत को विभाजित करते हैं।

प्रश्न 14. 
संविधान के सन्दर्भ में कांग्रेस द्वारा की गई किन्हीं दो घोषणाओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:

  1. आत्मरक्षा के लिए नियमानुसार हथियार रखने का अधिकार। 
  2. सार्वजनिक कुओं, स्कूलों आदि पर सभी का समान अधिकार व उसके प्रति समान कर्त्तव्य।

प्रश्न 15. 
अगस्त 1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विशेषज्ञ सभा ने संविधान सभा में प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए क्या घोषणा की?
उत्तर:
अगस्त 1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विशेषज्ञ सभा ने संविधान सभा में एक प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए घोषणा की कि भारत एक गणतंत्र होगा जहाँ सभी के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित होगा।

प्रश्न 16. 
संविधान सभा में किन मुददों पर बहस हुई?
उत्तर:
संविधान सभा में रोजगार का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, भूमि-सुधार व संपत्ति का अधिकार और पंचायतों के आयोजन पर बहस हुई।

प्रश्न 17. 
के.टी. शाह ने संविधान सभा में लाभदायक रोजगार के सन्दर्भ में क्या वक्तव्य दिया?
उत्तर:
के.टी. शाह ने कहा कि लाभदायक रोजगार को श्रेणीगत बाध्यता के द्वारा वास्तविक बनाया जाना चाहिए और राज्य की यह जिम्मेदारी हो कि वह सभी समर्थ व योग्य नागरिकों को लाभदायक रोजगार उपलब्ध कराए।

प्रश्न 18. 
टी.ए. रामालिंगम चेट्टियार और सांसद ठाकुरदास भार्गव ने संविधान में कौनसा खण्ड जोड़ा?
उत्तर:
टी.ए. रामालिंगम चेट्टियार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी कुटीर उद्योगों के विकास से संबंधित तथा सांसद ठाकुरदास भार्गव ने यह खंड जोड़ा कि राज्य को कृषि व पशुपालन को आधुनिक प्रणाली से व्यवस्थित करना चाहिए।

प्रश्न 19. 
भारतीयों को किन आधार पर वर्गीकृत किया गया है ?
उत्तर:
भारतीयों को संस्कृति, धर्म तथा जाति के विविध प्रभाव, ग्रामीण-नगरीय, धनी-निर्धन और साक्षरनिरक्षर के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।

प्रश्न 20. 
खासियों की पारम्परिक राजनीतिक प्रणाली में वंशीय परिषद को क्या कहते हैं?
उत्तर:
खासियों की पारम्परिक राजनीतिक प्रणाली जिसमें प्रत्येक वंश की अपनी परिषद् होती है, उसे 'दरबार कुट' कहा जाता है जो उस वंश के मुखिया के निर्देशन में कार्य करती है।

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प्रश्न 21. 
मुंबई में 'एक्सप्रेस रिंग वे' का निर्माण क्यों किया गया?
उत्तर:
मुंबई में 'एक्सप्रेस रिंग वे' का निर्माण मुक्त मार्ग शहर के भीतर के किसी बिन्दु से 10 मिनट के अन्दर पहुँच सकने, शीघ्र प्रवेश एवं निकास तथा दक्ष यातायात विसर्जन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया गया।

प्रश्न 22. 
निरक्षर महिलाओं में जागरूकता फैलाने के लिए पंचायती राज ने कौनसा नवाचारी उपाय अपनाया?
उत्तर:
पंचायती राज ने निरक्षर महिलाओं में जागरूकता फैलाने के लिए कपड़े की फड़', लोक संगीत तथा चित्रमय फड़ जैसे नवाचारी उपाय अपनाये।

प्रश्न 23. 
पंचायती राज ने 'कपड़े की फड़' के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को क्या संदेश दिया?
उत्तर:
पंचायती राज ने 'कपड़े की फड़' के माध्यम से यह संदेश दिया कि केवल मतदान करना, चुनाव में खड़े होना और जीतना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह जानना भी आवश्यक है कि किसी व्यक्ति को मत क्यों दिया जाये?

प्रश्न 24. 
दल के सम्बन्ध में मैक्स वेबर के क्या विचार हैं ?
उत्तर:
मैक्स वेबर के अनुसार दलों की क्रियायें हमेशा एक उद्देश्य के लिए होती हैं जिनकी प्राप्ति एक नियोजित दृष्टि के लिए की जाती है।

प्रश्न 25. 
"महिलाओं को मताधिकार देने के मामले में 73वाँ तथा 74वाँ संशोधन महत्त्वपूर्ण कदम है।" टिप्पणी कीजिये।
उत्तर:
73वें तथा 74वें संविधान संशोधन ने स्थानीय निकायों के सभी चयनित पदों में महिलाओं को एकतिहाई आरक्षण दिया। इनमें 17% सीटें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इस प्रकार निर्वाचित निकायों में पहली बार महिलाओं को निर्णय लेने की शक्ति मिली।

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प्रश्न 26. 
ग्रामीणों की आवाज को सामने लाने में 73वाँ संविधान संशोधन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कैसे है? विवेचना कीजिए।
अथवा 
संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम के अनुसार पंचायतों को प्रदत्त अधिकारों और उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:

  1. 73वें संविधान ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया है तथा प्रत्येक पाँच साल बाद स्वशासन हेतु गाँवों में स्थानीय सदस्यों का चयन सुनिश्चित हुआ है।
  2. इसके द्वारा महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं में एक-तिहाई प्रतिनिधित्व का आरक्षण प्राप्त हुआ।
  3. इसने पंचायतों को आर्थिक विकास तथा सामाजिक न्याय के लिये योजना तैयार करने की शक्ति और उत्तरदायित्व देकर ग्रामीणों की आवाज को सामने लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 27. 
संविधान का मूल उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
संविधान में कुछ मूल उद्देश्य सम्मिलित किए गए हैं जो भारतीय राजनीतिक संसार में सामान्यतः न्यायोचित मानकर स्वीकृत कर लिए गए हैं। निर्धनों और हाशिए के लोगों को सक्षम बनाने में, निर्धनता उन्मूलन में, जातिवाद समाप्त करने तथा सभी समूहों के प्रति समानता का व्यवहार करने के लिए ये कुछ सकारात्मक चरण हैं।

प्रश्न 28. 
कानून और न्याय में क्या अन्तर है?
उत्तर:
कानून और न्याय में निम्नलिखित अन्तर हैं-कानून का सार इसकी शक्ति है। कानून इसलिए कानून है क्योंकि इससे बल प्रयोग अथवा अनुपालन के संचरण के माध्यमों का प्रयोग होता है। इसके पीछे राज्य की शक्ति निहित होती है। न्याय का सार निष्पक्षता है। कानून की कोई भी प्रणाली अधिकारियों के संस्तरण के माध्यम से ही कार्यरत होती है।

प्रश्न 29. 
संविधान क्या है ? टिप्पणी लिखिए। संविधान का अंतिम व्याख्याकर्ता कौन है ?
उत्तर: 
ऐसे प्रमुख मानदंड जिनसे नियम और अधिकारी संचालित होते हैं संविधान कहलाता है। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिससे किसी राष्ट्र के सिद्धांतों का निर्माण होता है। भारतीय संविधान भारत का मूल मानदंड है। अन्य सभी कानून, संविधान द्वारा नियत कार्य प्रणाली के अंतर्गत बनते हैं। ये कानून संविधान द्वारा निश्चित अधिकारियों द्वारा बनाए व लागू किए जाते हैं। कोई विवाद होने पर संविधान द्वारा अधिकार प्राप्त न्यायालयों के संस्तरण द्वारा कानून की व्याख्या होती है। 'उच्चतम न्यायालय' सर्वोच्च है और वही संविधान का सबसे अंतिम व्याख्याकर्ता भी है।

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प्रश्न 30. 
पंचायतों की सफलता के लिए सुझाव दें।
उत्तर:

  1. पंचायतों की सफलता के लिए ग्रामीण जनता में शिक्षा का प्रचार करना चाहिए। 
  2. उन्हें जागरूक बनाना चाहिए तथा उन्हें उनके कर्त्तव्यों और अधिकारों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। 
  3. उन्हें ग्राम पंचायत तथा मतदान के महत्त्व के बारे में बताना चाहिए।

प्रश्न 31. 
उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए कि संविधान के अन्तर्गत प्रतियोगी हित समूह किस प्रकार संरक्षण माँग सकते हैं?
उत्तर:
संविधान के अन्तर्गत प्रतियोगी हित समूह सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता की गारण्टी के तहत संरक्षण माँग सकते हैं। उदाहरण के लिए कारखाने से निकलने वाला विषैला कचरा आस-पास के लोगों के लिए स्वास्थ्य व जीवन का प्रश्न है, जिसे संविधान सुनिश्चित करता है। लेकिन कारखानों की समाप्ति से लोग बेरोजगार हो जायेंगे। जीवन-यापन के साधनों की सुरक्षा भी संविधान सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 32. 
प्रतिनिधिक लोकतंत्र क्या है ?
उत्तर:
प्रतिनिधिक लोकतंत्र वह लोकतंत्र है जिसमें नागरिक वयस्क मताधिकार के आधार पर सार्वजनिक हित की दृष्टि से राजनीतिक निर्णय लेने, कानून बनाने तथा उन्हें क्रियान्वित करने के लिए अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करते हैं। वे स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं, विधानसभाओं, संसद आदि सभी स्तरों पर अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 33. 
स्थानीय सरकारों के गठन के बारे में डॉ. अम्बेडकर और गाँधीजी ने क्या तर्क दिये? 
उत्तर:
स्थानीय सरकारों के गठन के बारे में डॉ. अम्बेडकर और गाँधीजी के तर्क:
(1) डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि स्थानीय कुलीन तथा उच्च जाति के व्यक्ति सुरक्षित परिधि से इस तरह घिरे हुए हैं कि स्थानीय शासन का तात्पर्य होगा भारतीय समाज के पददलित लोगों का लगातार शोषण।

(2) गाँधीजी आजादी के बाद भी गाँवों में स्थानीय सरकार के शासन को चाहते थे। 'ग्राम-स्वराज्य' उनका आदर्श था।

प्रश्न 34. 
'लोकतंत्रीय सरकार के स्वरूप में राजनीतिक दल प्रमुख अभिनेता होते हैं।' स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:

  1. राजनीतिक दल निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
  2. वे जनता में राजनीतिक जागृति उत्पन्न करते हैं तथा सरकार की आलोचना करते हैं। 
  3. लोकतंत्र में विभिन्न समूहों के हित राजनीतिक दलों के जरिए प्रतिनिधित्व प्राप्त करते हैं। 

प्रश्न 35. 
संविधान के अनुच्छेद 21 में क्या व्याख्याएँ दी गई हैं ?
उत्तर:
अनुच्छेद 21 जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन करता है और जीवन के लिए अनिवार्य गुणवत्ता, जीवनयापन के साधन, स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा और गरिमा की व्याख्या करता है। विभिन्न उद्घोषणाओं में जीवन की विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है और इसे एक पशुमात्र के अस्तित्व से बेहतर व महत्वपूर्ण रूप में व्याख्यायित किया गया है। ये व्याख्याएँ उन कैदियों को राहत पहुंचाने के लिए प्रयोग की जाती हैं जिन्हें प्रताड़ित करने और वंचित रखने का दंड मिला है। यह उन्हें मुक्त करने, बंधुआ मजदूरों को पुनर्वासित करने और प्राथमिक स्वास्थ्य व शिक्षा उपलब्ध कराने की व्याख्या करता है।

प्रश्न 36. 
संविधान में लोगों की सहायता करने की क्षमता निहित है। इस कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संविधान में लोगों की सहायता करने की क्षमता निहित है क्योंकि यह सामाजिक न्याय के आधारभूत मानदंडों पर आधारित है। उदाहरण के लिए ग्राम पंचायतों से संबंधित निदेशक सिद्धांत एक संशोधन के रूप में के. संथानम द्वारा संविधान सभा में लाया गया था। 40 साल के बाद 1992 के 73वें संशोधन में यह एक संवैधानिक विधेयक बन गया।

प्रश्न 37. 
ग्राम सभा पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संरचना के आधार पर लोकतंत्र की इकाई के रूप में ग्राम सभा स्थित होती है। इसमें पूरे गाँव के सभी नागरिक शामिल होते हैं। यही वह आम सभा है जो स्थानीय सरकार का चुनाव करती है और कुछ निश्चित उत्तरदायित्व उसे सौंपती है। ग्राम सभा परिचर्चा और ग्रामीण स्तर के विकासात्मक कार्यों के लिए एक मंच उपलब्ध कराती है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में निर्बलों की भागीदारी के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है।

प्रश्न 38. 
संविधान का 73वाँ और 74वाँ संशोधन महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
यह संशोधन इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसके अंतर्गत पहली बार निर्वाचित निकायों में महिलाओं को शामिल किया गया जिससे उन्हें निर्णय लेने की शक्ति मिली। स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों, नगर निगमों, जिला परिषदों आदि में एक तिहाई पदों पर महिलाओं का आरक्षण है। 73वें संशोधन के तुरंत बाद 1993-94 के चुनाव में 8,00,000 महिलाएँ एक साथ राजनीतिक प्रक्रियाओं से जुड़ीं। 

प्रश्न 39. 
पंचायतों की शक्तियाँ व उत्तरदायित्व क्या है ?
अथवा 
पंचायतों के कुछ अधिकारों और उत्तरदायित्वों का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर:
पंचायतों के अधिकार व उत्तरदायित्व

  1. आर्थिक विकास के लिए योजनाएँ व कार्यक्रम तैयार करना तथा वित्त को स्थानीय अधिकारियों तक पहुँचाना। 
  2. सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने वाले कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना। 
  3. शुल्क, यात्रीकर, जुर्माना व अन्य कर लगाना तथा उन्हें वसूल करना। 
  4. सरकारी उत्तरदायित्वों के हस्तान्तरण में सहयोग करना।

प्रश्न 40. 
न्याय पंचायतें क्या हैं ? उनके पास क्या अधिकार हैं ?
उत्तर:
न्याय पंचायतें - भारत के कुछ राज्यों में पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत न्याय पंचायतों की भी स्थापना की गई है।

  1. ये पंचायतें छोटे-मोटे दीवानी तथा आपराधिक मामलों में सुनवाई करने का अधिकार रखती हैं । ये जुर्माना लगा सकती हैं, लेकिन सजा नहीं दे सकती हैं।
  2. ये पंचायतें कुछ पक्षों के पारस्परिक विवादों में समझौता करा सकती हैं। 

प्रश्न 41. 
सामाजिक परिवर्तन में पंचायती राज की भूमिका की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
पंचायती राज एक स्वशासी संस्था है। इसके तहत गाँव के ही लोग स्थानीय स्तर पर पंचायती राज की त्रिस्तरीय संस्थाओं में निर्वाचित होकर स्थानीय शासन का कार्यभार संभालते हैं। पंचायती राज संस्थाओं की कुल सीटों में 33 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इस प्रकार सामाजिक परिवर्तन में इसकी अहम भूमिका है।

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प्रश्न 42. 
पंचायती राज से आप क्या समझते हैं ? बताइये।
उत्तर:
भारत के ग्रामीण क्षेत्र में पंचायती राज स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय व्यवस्था का नाम है। इसके तीन स्तर हैं

  1. ग्राम स्तर पर - ग्राम पंचायत; 
  2. खण्ड स्तर पर - पंचायत समिति और 
  3. जिला स्तर पर जिला पंचायत।

73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता दे दी गई है। इनके सदस्य प्रति पाँच वर्ष के लिए चुने जाते हैं।

प्रश्न 43. 
पंचायतों के लिए यह अनिवार्य क्यों है कि वे अपने कार्यालय के बाहर बोर्ड लगाएँ जिसमें प्राप्त वित्तीय सहायता के उपयोग से सम्बन्धित आँकड़े लिखे हों?
उत्तर:
पंचायतों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने कार्यालय के बाहर बोर्ड लगाएँ जिसमें वित्तीय सहायता के उपयोग से संबंधित आँकड़े लिखे हों। यह व्यवहार यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाया गया कि जमीनी स्तर के सामान्य जन के 'सूचना के अधिकार' को सुनिश्चित किया जा सके और पंचायतों के सारे कार्य जनता के समक्ष हों।

प्रश्न 44. 
राजनीतिक दल से आपका क्या आशय है।
उत्तर:
सरकार के लोकतांत्रिक प्रारूप में राजनीतिक दल मुख्य भूमिका अदा करते हैं। एक राजनीतिक दल को निर्वाचन प्रक्रिया द्वारा सरकार पर न्यायपूर्ण नियंत्रण स्थापित करने की ओर उन्मुख संगठन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जो सत्ता हथियाने और सत्ता का उपयोग कुछ विशिष्ट कार्यों को संपन्न करने के उद्देश्य से स्थापित करता है। राजनीतिक दल समाज की कुछ विशेष समझ और यह कैसे होना चाहिए पर आधारित होते हैं। लोकतांत्रिक प्रणाली में विभिन्न समूहों के हित राजनीतिक दलों द्वारा ही प्रतिनिधित्व प्राप्त करते हैं जो उनके मुद्दों को उठाते हैं।

प्रश्न 45. 
'द ओनली वे' लेख में गाँधीजी ने क्या कहा?
उत्तर:
1939 में 'हरिजन' नामक पत्र में गाँधीजी ने लिखे लेख 'द ओनली वे' में कहा कि, "संविधान सभा अकेली ही जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाले एक पूर्ण, सत्य तथा स्वदेशी संविधान का निर्माण कर सकती है जो महिलाओं तथा पुरुषों दोनों के लिए भेदभाव रहित वयस्क मताधिकार पर आधारित हो।"

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प्रश्न 46. 
वन पंचायत पर एक टिप्पणी लिखिये। 
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों में वनों का कटाव एक बड़ी समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए उत्तराखण्ड की औरतों ने वन पंचायतों की स्थापना की जो पौधशालाएँ बनाकर छोटे पौधों का पालन-पोषण करती हैं ताकि उन्हें पहाड़ी ढलानों पर रोपा जा सके। इसकी सदस्य आस-पास के जंगलों की अवैध कटाई से भी सुरक्षा करती हैं। चिपको आन्दोलन यहाँ से ही प्रारम्भ हुआ।

प्रश्न 47. 
'जाति पंचायत स्वयं को ग्रामीण नैतिकता का अभिभावक सिद्ध कर रही है।' इसका एक उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
जाति पंचायत स्वयं को ग्रामीण नैतिकता का अभिभावक सिद्ध कर रही है। उदाहरण के लिए-सोनिया और रामपाल ने एक ही गोत्र में होने पर भी विवाह कर लिया। हिन्दू विवाह अधिनियम ने इसकी मान्यता दी है,लेकिन आसदा गाँव की जाति पंचायत ने यह निर्णय दिया कि सोनिया को गर्भपात कराकर अपने पति को भाई मानते हुए इस शादी को तोड़ना होगा।

प्रश्न 48. 
हित समूह के निर्माण के कोई तीन कारण लिखिये। उत्तर:हित समूह के निर्माण के कारण

  1. हित समूह राजनीतिक क्षेत्र में कुछ निश्चित हितों को पूरा करने का कार्य करते हैं। 
  2. ये सरकार का ध्यान अपनी परेशानियों की ओर आकृष्ट करते हैं। 
  3. ये राजनीतिक दलों को प्रभावित कर अपना कार्य सिद्ध करने का कार्य करते हैं। 

प्रश्न 49. 
संविधान के 73वें संशोधन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
73वें संविधान संशोधन विधेयक 1992 में पारित किया गया। इसमें पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक प्रस्थिति प्रदान की गई है तथा इनके पाँच वर्ष में चुनाव निश्चित किये गये हैं। साथ ही सभी ग्रामीण स्थानीय निकायों के चयनित पदों में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण प्रदान किया गया है।

प्रश्न 50. 
'असमानता में लोकतंत्रीकरण आसान नहीं है।' स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिस देश में जाति, समुदाय और लिंग आधारित असमानता का लम्बा इतिहास हो, ऐसे समाज में लोकतंत्रीकरण आसान नहीं है। उदाहरण के लिए, ग्राम सभा के सदस्य प्रायः एक ऐसे छोटे से गुट द्वारा नियंत्रित और संचालित किये जाते हैं जो अमीर किसानों या उच्च जाति के जमींदारों के लोग होते हैं। बहुसंख्यक लोग देखते भर रह जाते हैं और ये लोग विकासात्मक कार्यों का और सहायता राशि बांटने का फैसला कर लेते हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
मुंबई महानगर में विकास कार्यों का उदाहरण देकर समझाइये कि प्रतिस्पर्धी हित कैसे कार्य करते हैं?
उत्तर:
भारतीय नगरों को भूमंडलीय नगर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सपना था कि मुम्बई शंघाई जैसे शहर में रूपान्तरित हो जाए। अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग जैसे-मंत्रिगण, नगरीय योजना बनाने वालों और परिकल्पना करने वालों की दृष्टि से मुम्बई को तत्काल उत्तरदक्षिण और पूर्व-पश्चिम से जोड़ने की आवश्यकता है। इस ओर उनका तर्क है कि मुम्बई को एक वृत्त में घेरने के लिए एक 'एक्सप्रेस रिंग वे' के निर्माण की आवश्यकता है ताकि वह मुक्त मार्ग से शहर के भीतर के किसी बिन्दु से 10 मिनट के अन्दर पहुँच सके। शीघ्र प्रवेश एवं निकास' तथा 'दक्ष यातायात व्यवस्था' शहर की क्रियाशीलता के लिए अति आवश्यक है।

दूसरी तरफ कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए सड़क 'सम्पर्क के मुक्त मार्ग' से भी अधिक है। उनके लिए सड़कें बाजार, मेले, तीर्थयात्रा, मनोरंजन और आर्थिक विनिमय जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए साधन बन जाती हैं। सड़क पर रहते हुए उन्हें सार्वजनिक और निजी स्थानों के बीच कोई अन्तर नहीं दिखाई देता क्योंकि वे वहीं पर खरीदना-बेचना, खाना-पीना, क्रिकेट खेलना यहाँ तक कि खड़े रहना और घूमना-फिरना भी चलता रहता है।

नगर योजना बनाने वाले व विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग ने संकेत किया है कि ये क्रियाकलाप यातायात को रोकते हैं और उनके सामने अवरोध पैदा करते हैं। इन अवरोधों को कम करने के लिए गरीब लोगों को शहर के बाहरी भागों में बसाया जा रहा है। लेकिन बाहर नमक की परत वाली जमीन पर बसाने पर उनके जीवनयापन के साधन समाप्त हो जायेंगे। इस सम्बन्ध में गरीब वर्ग ने प्रतिरोध किया कि मुम्बई की जमीन को पहले हमने समतल किया। हम तुम्हारी गन्दगी बाहर ले जाते हैं, तुम्हारे कपड़े धोते हैं। क्योंकि हम होते हैं तो औरतें रात में सुरक्षित घूम सकती हैं। मुम्बई वर्ल्ड क्लास सिटी कैसे बन सकती है जबकि इस शहर के गरीबों को रहने के लिए जगह नहीं है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि महानगरों में प्रतिस्पर्धी हित राज्य के संसाधनों पर नियंत्रण के लिए कार्य करते हैं।

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प्रश्न 2. 
संविधान सभा की माँग करते हुए गाँधीजी ने क्या लिखा था? संविधान सभा की घोषणा तथा संविधान की प्रस्तावना लिखिए।
उत्तर:
भारत की स्वतंत्रता से बहुत पहले इनमें से अधिकांश मुद्दों पर विचार किया जा चुका था। जब भारतब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था उस समय एक दृष्टिकोण उत्पन्न हो चुका था कि भारतीय लोकतंत्र कैसा होना चाहिए। बहुत पहले, 1928 में मोतीलाल नेहरू तथा आठ अन्य कांग्रेसी नेताओं ने भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार किया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1931 के कराची अधिवेशन के प्रस्ताव में विचार किया गया था कि स्वतंत्र भारत का संविधान कैसा होना चाहिए।

संविधान सभा की माँग करते हुए गाँधीजी ने 1939 में 'हरिजन' नामक पत्र में एक लेख लिखा-'द ओनली वे' (The only way)। जिसमें उन्होंने कहा" संविधान सभा अकेले ही जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाले एक पूर्ण, सत्य तथा स्वदेशी संविधान का निर्माण कर सकती है जो महिलाओं तथा पुरुषों दोनों के लिए भेदभाव रहित वयस्क मताधिकार पर आधारित हो।" 1939 में एक 'संविधान सभा' की माँग हुई थी जिसे अनेक उतार-चढ़ावों के बाद साम्राज्यवादी ब्रिटेन ने 1945 में मान लिया। जुलाई 1946 में चुनाव हुए। अगस्त 1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विशेषज्ञ सभा ने संविधान सभा में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें यह घोषणा की गई थी कि भारत एक गणतंत्र होगा जहाँ सभी के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित होगा।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों कोः सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय; विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता; प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुल्क सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

प्रश्न 3.
संविधान से आप क्या समझते हैं ? संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों को बताइए तथा उच्चतम न्यायालय ने किस प्रकार मौलिक अधिकारों को बढ़ाया है ?
उत्तर:
संविधान से आशय-ऐसे प्रमुख मानदंड जिनसे नियम और अधिकारी संचालित होते हैं, संविधान कहलाता है। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें किसी राष्ट्र के सिद्धान्तों का निर्माण होता है। सभी कानून संविधान द्वारा नियत कार्यप्रणाली के अन्तर्गत बनते हैं। ये कानून संविधान द्वारा निश्चित अधिकारियों द्वारा बनाए व लागू किए जाते हैं। कोई विवाद होने पर संविधान द्वारा अधिकार प्राप्त न्यायालयों के संस्तरण द्वारा कानून की व्याख्या होती है। साथ ही संविधान वह माध्यम है जो राजनीतिक शक्ति को सामाजिक हित की ओर प्रवाहित करता है और उसे सुसंगत बनाता है।

भारतीय संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकार भारत के संविधान के तीसरे भाग में निम्नलिखित मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है

  1. समानता का अधिकार 
  2. स्वतंत्रता का अधिकार 
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार 
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार 
  5. सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार 
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार

उच्चतम न्यायालय द्वारा मौलिक अधिकारों में वृद्धि उच्चतम न्यायालय ने कई महत्त्वपूर्ण रूपों में मौलिक अधिकारों को बढ़ाया है। यथा

1.जीवन के अधिकार का विस्तार: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मौलिक अधिकार वह सब अन्तर्भूत करता है जो इसके लिए आवश्यक है। अर्थात् कुछ मौलिक अधिकारों में कुछ अन्य अधिकार निहित हैं। जैसे स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत संविधान ने अनुच्छेद 21 के अन्तर्गत 'जीवन की स्वतंत्रता' का अधिकार प्रदान किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिकार का विस्तार करते हुए अपने अनेक निर्णयों में जीवन के लिए अनिवार्य गुणवत्ता, जीवनयापन के साधन, स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा और गरिमापूर्ण जीवन आवश्यक है।

अतः सरकार का यह दायित्व हैकि वह व्यक्ति के लिए इन चीजों को मुहैया कराये। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में जीवन की इन विशेषताओं की ओर संकेत किया है और इसे एक पशुमात्र के अस्तित्व से बेहतर व महत्त्वपूर्ण रूप में व्याख्यायित किया है। ये व्याख्याएँ उन कैदियों को राहत पहुँचाने के लिए प्रयोग की जाती हैं जिन्हें प्रताड़ित करने और वंचित रखने का दंड मिला है। यह उन्हें मुक्त करने, बंधुआ मजदूरों को पुनर्वासित करने और प्राथमिक स्वास्थ्य व शिक्षा उपलब्ध कराने की व्याख्या करता है।

2.अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का विस्तार: 1993 में उच्चतम न्यायालय ने सूचना के अधिकार को स्वीकार करते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है और इसका आनुषांगिक है जो अनुच्छेद 19 (क) के अन्तर्गत वर्णित है।

3.समानता के अधिकार का विस्तार: उच्चतम न्यायालय ने 'समान कार्य के लिए समान वेतन' निदेशक तत्त्व को अनुच्छेद 14 के 'समानता के मौलिक अधिकार' के अन्तर्गत माना तथा बहुत से बागान एवं कृषि श्रमिकों तथा अन्य को राहत पहुँचाई। 

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प्रश्न 4. 
पंचायती राज क्या है ? पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पंचायती राज से आशय - पंचायती राज का शाब्दिक अनुवाद होता है 'पाँच व्यक्तियों द्वारा शासन'। इसका अर्थ गाँव एवं अन्य जमीनी स्तर पर लचीले लोकतंत्र की क्रियाशीलता से है । लोकतंत्र में हर जाति, धर्म, लिंग की भागीदारी हो 

अत: स्थानीय सरकार के अन्तर्गत प्रत्येक गाँव को स्वयं में आत्मनिर्भर व पर्याप्त बनाने के लिए पंचायती राज की स्थापना की गई। इसके अन्तर्गत स्थानीय स्वशासन के सदस्य गाँवों तथा नगरों में हर पाँच साल में चुने जाएंगे। साथ ही स्थानीय संसाधन पर अब चुने हुए निकायों का नियंत्रण होगा।पंचायती राज संस्था की त्रिस्तरीय व्यवस्था निम्न है।

(1) इसकी संरचना एक पिरामिड की भाँति है । संरचना के आधार पर लोकतंत्र की इकाई के रूप में ग्राम सभा स्थित होती है। इसमें पूरे गाँव के सभी नागरिक शामिल होते हैं। यही वह आम सभा है जो स्थानीय सरकार का चुनाव करती है और कुछ निश्चित उत्तरदायित्व उसे सौंपती है। ग्राम सभा परिचर्चा और ग्रामीण स्तर के विकासात्मक कार्यों के लिए एक मंच उपलब्ध कराती है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में निर्बलों की भागीदारी के लिए एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है।

(2) संविधान के 73वें संशोधन ने बीस लाख से अधिक जनसंख्या वाले प्रत्येक राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली लागू की।

(3) यह अनिवार्य हो गया कि प्रत्येक पाँच वर्ष में इसके सदस्यों का चुनाव होगा।

(4) इसने अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए निश्चित आरक्षित सीटें तथा महिलाओं के लिए 33% आरक्षित सीटें उपलब्ध कराईं।

(5) इसने पूरे जिले के विकास का प्रारूप निर्मित करने के लिए जिला योजना समिति गठित की। 

प्रश्न 5. 
पंचायतों को क्या शक्तियाँ और उत्तरदायित्व सौंपे गये हैं ?
अथवा 
पंचायतों की क्या-क्या शक्तियाँ और उत्तरदायित्व हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोई भी व्यक्ति संस्था या संगठन तब तक सही ढंग से कार्य नहीं कर सकती जब तक उसे राज्य या कानून के द्वारा शक्ति प्राप्त न हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए संविधान ने पंचायत को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने हेतु शक्तियाँ व अधिकार दिए हैं। आज भी सभी राज्य सरकारों से यह आशा की जाती है कि वे स्थानीय प्रतिनिधिक संस्थाओं को पुनर्जीवित करें।
पंचायतों की शक्तियाँ एवं उत्तरदायित्व पंचायतों को निम्नलिखित शक्तियाँ व उत्तरदायित्व प्राप्त हैं

  1. आर्थिक विकास के लिए योजनाएँ एवं कार्यक्रम बनाना। 
  2. सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देना। 
  3. शुल्क, यात्रीकर, जुर्माना, अन्य कर आदि लगाना व एकत्र करना।
  4. सरकारी उत्तरदायित्वों के हस्तान्तरण में सहयोग करना। विशेष रूप से वित्त को स्थानीय अधिकारियों तक पहुँचाना।
  5. श्मशानों एवं कब्रिस्तानों का रखरखाव। 
  6. जन्म और मृत्यु के आँकड़ों को रखना। 
  7. मातृत्व केन्द्रों और बाल कल्याण केन्द्रों की स्थापना। 
  8. पशुओं के तालाब पर नियंत्रण रखना। 
  9. परिवार नियोजन का प्रचार करना। 
  10. कृषि - कार्यों का विकास करना। 
  11. सड़कों के निर्माण, सार्वजनिक भवनों के निर्माण, तालाबों व स्कूलों के निर्माण करना। 
  12. कुटीर उद्योगों के विकास में सहयोग करना और छोटे सिंचाई कार्यों की भी देखभाल करना।
  13. विभिन्न सरकारी योजनाएँ, जैसे कि एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम, एकीकृत बाल विकास योजना आदि पंचायत के सदस्यों के द्वारा संचालित होती हैं।
  14. सम्पत्ति व्यवसाय, पशु, वाहन आदि पर कर लगाए गए कर चुंगी, भू-राजस्व आदि पंचायतों की आय के मुख्य स्रोत हैं।
  15. पंचायत के सारे कार्य जनता के समक्ष हों इसके लिए आम जनता के पास 'सूचना का अधिकार' है। लोगों के पास पैसों के आवंटन की छानबीन का अधिकार भी है।
  16. कुछ राज्यों में न्याय पंचायतें भी हैं, जो छोटे-मोटे दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई का अधिकार रखती हैं। ये जुर्माना लगा सकती हैं लेकिन सजा नहीं दे सकतीं।
  17. ये ग्रामीण न्यायालय प्रायः कुछ पक्षों के आपसी विवादों में समझौता करने में भी सफल होते हैं।

प्रश्न 6. 
संविधान सभा के वाद-विवाद के इतिहास पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए। बहस के कुछ अंश के उदाहरण भी दीजिए। 
उत्तर:
संविधान - सभा का वाद-विवाद : एक इतिहास 
1.1939 में 'हरिजन' नामक पत्र में गाँधीजी ने एक लेख लिखा-'द ओनली वे' (The Only Way), जिसमें उन्होंने कहा"संविधान सभा अकेले ही जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करने वाले एक पूर्ण, सत्य तथा स्वदेशी संविधान का निर्माण कर सकती है जो महिलाओं तथा पुरुषों दोनों के लिए भेदभाव रहित वयस्क मताधिकार पर आधारित हो।"

2.1939 में एक 'संविधान सभा' की माँग हुई थी जिसे अनेक उतार-चढ़ावों के बाद साम्राज्यवादी ब्रिटेन ने 1945 में मान लिया। 

3. जुलाई 1946 में चुनाव हुए। अगस्त 1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विशेषज्ञ सभा ने संविधान सभा में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें यह घोषणा की गई थी कि भारत एक गणतंत्र होगा जहाँ सभी के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित होगा।

4. सामाजिक न्याय के प्रश्न पर एक जोरदार बहस चली कि जो सरकारी प्रकार्य निर्धारित होंगे उन्हें राज्य अनिवार्य रूप से लागू करेगा। संविधान सभा में रोजगार का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, भूमि सुधार व सम्पत्ति का अधिकार और पंचायतों के आयोजन पर बहस हुई।

बहस के कुछ अंश-बहस के कुछ अंश निम्नलिखित हैं:

  1. के.टी. शाह ने कहा कि लाभदायक रोजगार को श्रेणीगत बाध्यता के द्वारा वास्तविक बनाया जाना चाहिए और यह राज्य की जिम्मेदारी है।
  2. बी. दास ने सरकार के कार्यों को अधिकार क्षेत्र व अधिकार क्षेत्र से बाहर की श्रेणियों में वर्गीकृत करने का विरोध किया।
  3. अम्बेडकर के अनुसार: निदेशक सिद्धान्त जिन महान् मूल्यों से सम्पन्न हैं उन्हें तभी अनुभव किया जा सकता है जब सत्ता पाने के लिए सही योजना का क्रियान्वयन किया जाए।
  4. नेहरूजी ने कहा "सामाजिक शक्ति इस तरह की है कि कानून इस संदर्भ में कुछ नहीं कर सकता जो इन दोनों की गतिशीलता का एक रोचक प्रतिबिम्ब है।"
  5. टी.ए. रामालिंगम चेट्टियार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी कुटीर उद्योगों के विकास से सम्बन्धित खंड जोड़ा।

प्रश्न 7. 
राजनीतिक दल और हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये। 
उत्तर:
राजनीतिक दल और हित-समूह में अन्तर राजनीतिक दल और हित (दबाव) समूह में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं

1.उद्देश्य सम्बन्धी अन्तर: राजनीतिक दलों का प्रमुख उद्देश्य राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना होता है तथा इनका दूसरा उद्देश्य सत्ता प्राप्त कर राष्ट्रीय हितों का संवर्धन करना होता है। दूसरी तरफ दबाव या हित समूहों का प्रमुख उद्देश्य राजनीतिक सत्ता पर दबाव बनाकर अपने हितों की पूर्ति करना होता है।

2.कार्य - क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर: राजनीतिक दल का कार्यक्षेत्र व्यापक होता है। वे विधानमण्डलों के अन्दर और बाहर दोनों स्थानों पर कार्य करते हैं। दूसरी तरफ हित समूहों का कार्यक्षेत्र सीमित होता है, वे केवल विधानमण्डलों के बाहर ही कार्य करते हैं।

3.आकार सम्बन्धी अन्तर: राजनीतिक दल का आकार विशाल होता है क्योंकि ये हमेशा अपनी सदस्य संख्या बढ़ाकर अपने पक्ष में लोकमत का निर्माण करने में लगे रहते हैं। इसके विपरीत हित-समूहों का निर्माण व्यवसायगत या वर्गीय हितों के आधार पर होता है, इसलिए इसके सदस्यों की संख्या सीमित होती है।

4.निर्वाचन के आधार पर अन्तर: राजनीतिक दलों का उद्देश्य प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन में भाग लेकर और उसमें सफल होकर शासन सत्ता पर अधिकार स्थापित करना होता है जबकि दबाव-समूह प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं, वे अप्रत्यक्ष रूप से तो किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं। 

5.सदस्यता के आधार पर अन्तर:

  1. एक व्यक्ति एक समय में एक ही राजनीतिक दल का सदस्य हो सकता है, जबकि एक समय में एक व्यक्ति अनेक हित-समूहों का सदस्य हो सकता है।
  2. एक राजनीतिक दल में सभी वर्गों या व्यवसायों के व्यक्ति सदस्य बन सकते हैं, जबकि एक हित-समूह में एक ही व्यवसाय से सम्बद्ध या वर्ग से सम्बद्ध व्यक्ति ही सदस्य बन सकते हैं। उदाहरण के लिए इसमें किसान, मजदूर, पूँजीपति, उद्योगपति सभी प्रकार के सदस्य हो सकते हैं, जबकि एक हित समूह में या तो मजदूर वर्ग के व्यक्ति सदस्य होंगे या पूँजीपति वर्ग के।
  3. राजनीतिक दल सुदृढ़ संगठन होते हैं और दल के प्रति सदस्यों की पूर्ण निष्ठा होती है, जबकि हित-समूह ढीले-ढाले संगठन होते हैं तथा इसके सदस्यों की अपने समूहों के प्रति निष्ठा विभाजित होती है।

प्रश्न 8. 
निम्नलिखित पर लेख लिखिए

  1. जनजाति क्षेत्रों में पंचायती राज 
  2. वन पंचायत

उत्तर:
1.जनजाति क्षेत्रों में पंचायती राज: 
बहत से आदिवासी क्षेत्रों की प्रारंभिक स्तर के लोकतांत्रिक कार्यों की अपनी समृद्ध परंपरा रही है। हम मेघालय से संबंधित एक उदाहरण दे रहे हैं। गारो, खासी और जयंतिया, तीनों ही आदिवासी जातियों की सैकड़ों साल पुरानी अपनी राजनीतिक संस्थाएँ रही हैं। ये राजनीतिक संस्थाएँ इतनी सुविकसित थीं कि ग्राम, वंश और राज्य के स्तर पर ये बड़ी कुशलता से कार्य करती थीं। उदाहरणार्थ, खासियों की पारंपरिक राजनीतिक प्रणाली में प्रत्येक वंश की अपनी परिषद होती थी जिसे 'दरबार कुर' कहा जाता था और जो उस वंश के मुखिया के निर्देशन में कार्य करता था। यद्यपि मेघालय में जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्थाओं की परंपरा रही है, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों का एक बड़ा खंड संविधान के 73वें संशोधन के प्रावधान से बाहर है। शायद यह इसलिए क्योंकि उस समय की नीतियाँ बनाने वाले पारंपरिक राजनीतिक संस्थाओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते थे।

2.वन पंचायत: 
उत्तराखंड में अधिकांश कार्य महिलाएँ करती हैं, क्योंकि पुरुष प्रायः रक्षा सेवाओं के लिए बाहर नियुक्त होते हैं। खाना बनाने के लिए अधिकांश ग्रामीण लकड़ियों का प्रयोग करते हैं। जैसाकि आप जानते होंगे कि वनों का कटाव पर्वतीय क्षेत्रों की एक बड़ी समस्या है। कभी - कभी पशुओं का चारा और लकड़ी इकट्ठा करने के लिए औरतों को मीलों पैदल चलना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए औरतों ने वन - पंचायतों की स्थापना की। वन पंचायत की औरतें पौधशालाएँ बनाकर छोटे पौधों का पालन - पोषण करती हैं, जिन्हें पहाड़ी ढालों पर रोपा जा सके। इसकी सदस्य आसपास के जंगलों की अवैध कटाई से सुरक्षा भी करती हैं। चिपको आंदोलन - जिसमें कि पेड़ों को कटने से बचाने के लिए औरतें उनसे चिपक जाती थीं, इस क्षेत्र में ही प्रारंभ किया गया था।

प्रश्न 9. 
भारतीय लोकतंत्र के केन्द्रीय मूल्य क्या हैं ? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
भारतीय लोकतंत्र के केन्द्रीय मूल्य आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन का कारण न तो केवल भारतीय विचार हैं और न ही केवल पाश्चात्य विचार, बल्कि यह भारतीय और पाश्चात्य विचारों का संयोग और उनकी पुनर्व्याख्या है। भारतीय लोकतंत्र के केन्द्रीय मूल्य - राजनीतिक स्वतंत्रता, आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय तथा अवसर की समानता आदि पर स्वतंत्रता से बहुत पहले विचार किया जा चुका था। 1928 की नेहरू रिपोर्ट, 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन के प्रस्ताव में एक यथार्थ और प्रामाणिक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना पर बल दिया गया था। संविधान की प्रस्तावना - भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारतीय लोकतंत्र के केन्द्रीय मूल्यों को स्पष्ट किया गया है। यथा:

  1. प्रस्तावना केवल राजनीतिक न्याय ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय को भी सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
  2. प्रस्तावना में समानता का आशय केवल राजनीतिक अधिकारों से ही संबंधित नहीं है, बल्कि इसका आशय समान परिस्थिति और अवसर से भी है।
  3. प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने का संकल्प व्यक्त किया गया है।
  4. भारतीय लोकतंत्र सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष तथा लोकतांत्रिक गणराज्य होगा।
  5. उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि भारतीय लोकतंत्र के केन्द्रीय मूल्य हैं-राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक न्याय की स्थापना; विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता तथा प्रतिष्ठा और अवसर की समानता की स्थापना।
Prasanna
Last Updated on June 16, 2022, 5:11 p.m.
Published June 6, 2022