RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyakaran शब्द-शक्ति

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Anivarya Vyakaran शब्द-शक्ति Questions and Answers, Notes Pdf.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Students can access the class 12 hindi chapter 4 question answer and deep explanations provided by our experts.

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyakaran शब्द-शक्ति

लक्षण एवं परिभाषा - शब्द-शक्ति का अर्थ है-शब्द की अभिव्यंजक शक्ति। बुद्धि का वह व्यापार या क्रिया जिसके द्वारा किसी शब्द का अर्थ निश्चित रूप से ज्ञात होता है, अर्थात् अमुक शब्द का निश्चित अर्थ यह है-इस तरह का स्थायी ज्ञान जिस शब्द-व्यापार से मानस में संस्कार रूप में समाविष्ट होता है, उसे शब्द-शक्ति कहते हैं। 

'शब्दार्थ - सम्बन्धः शक्ति' अर्थात् (बोधक) शब्द एवं बोध्य अर्थ के सम्बन्ध को शब्द-शक्ति कहते हैं। वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ जानने के लिए बुद्धि द्वारा जिस शक्ति का प्रयोग होता है, उसे शब्द-शक्ति या शब्द-वृत्ति कहते हैं। 

प्रत्येक व्यक्ति का जन्म के बाद जब उत्तरोत्तर बौद्धिक विकास होता है. तो प्रतिदिन के व्यावहारिक ज्ञान से उसके मानस में प्रत्येक शब्द के अर्थ का स्मृति-रूप संस्कार बन जाता है और तब उस शब्द के सम्मुख आते ही वह संस्कार उसका अर्थ-बोध करा देता है। इस तरह शब्द के अर्थ-ज्ञान में मानसिक क्रिया-रूप में रहने वाली स्वाभाविक वृत्ति को शब्द-वृत्ति या शब्द-शक्ति कहते हैं। 

शब्द-शक्ति के प्रकार - आचार्यों ने शब्द तीन प्रकार के माने हैं - 

वाचक - जिस शब्द से मुख्य अर्थ निकलता है, उसे वाचक कहते हैं। वाचक शब्द से निकलने वाला अर्थ वाच्यार्थ या मुख्यार्थ कहलाता है। इसे अभिधेयार्थ भी कहते हैं।

लक्षक - जिस शब्द से लक्ष्यार्थ अर्थात् मुख्यार्थ से भिन्न परन्तु उससे सम्बन्धित अन्य अर्थ निकलता है, उसे लक्षक शब्द कहते हैं। 

व्यंजक - जिस शब्द से वाच्यार्थ एवं लक्ष्यार्थ से विशिष्ट व्यंग्यार्थ निकलता है, उसे व्यंजक शब्द कहते हैं। . इस प्रकार उक्त तीन प्रकार के शब्दों से अर्थ का बोध कराने वाली तीन शब्द-शक्तियाँ मानी जाती हैं। उनके नाम हैं - (1) अभिधा (2) लक्षणा और (3) व्यंजना। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

इनका शब्दार्थ-क्रम इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है - 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति 1

शब्द-शक्ति का महत्त्व - किसी शब्द का महत्त्व उसमें निहित अर्थ पर निर्भर होता है। बिना अर्थ के शब्द अस्तित्व-विहीन एवं निरर्थक होता है। शब्द-शक्ति के शब्द में निहित इसी अर्थ की शक्ति पर विचार किया जाता है। काव्य में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ ग्रहण से ही काव्य आनन्ददायक बनता है। अतः शब्द के अर्थ को समझना ही काव्य के आनन्द को प्राप्त करने की प्रधान सीढ़ी है और शब्द के अर्थ को समझने के लिए शब्द-शक्तियों की जानकारी होना परम आवश्यक है। 

1. अभिधा शक्ति 

जिस शक्ति के द्वारा साक्षात् संकेतित अर्थ का बोध होता है, उसे अभिधा कहते हैं। साक्षात् संकेतित अर्थ को शब्द का मुख्यार्थ माना जाता है। अतएव शब्द एक ही अर्थ या मुख्य अर्थ का बोध कराने के कारण यह मुख्या, आद्या या प्रथमा शब्द-शक्ति भी कहलाती है। 
अभिधा शक्ति द्वारा जिन शब्दों के वाच्यार्थ या मुख्यार्थ की प्रतीति होती है, उन्हें 'वाचक' कहा जाता है। वाचक शब्द तीन प्रकार के होते हैं - 

(i) रूढ - जिन शब्दों का विश्लेषण या व्युत्पत्ति सम्भव न हो तथा जिनका अर्थबोध समुदाय-शक्ति द्वारा हो, वे रूढ कहलाते हैं। 

(ii) यौगिक - जो शब्द प्रकृति और प्रत्यय के योग से निर्मित हों और उनके विश्लेषण सम्भव हो तथा उनका . अर्थबोध प्रकृति प्रत्यय की शक्ति से हो, वे यौगिक कहलाते हैं।

(iii) योगरूढ - जिन शब्दों की संरचना यौगिक शब्दों के समान होती है तथा अर्थबोध रूढ के समान होता है, उन्हें योगरूढ कहते हैं । तात्पर्य यह है कि जो शब्द प्रकृति एवं प्रत्यय के योग से निर्मित हों, लेकिन अर्थबोध प्रकृति एवं प्रत्यय की शक्ति द्वारा न होकर समुदाय-शक्ति द्वारा हो, वे योगरूढ कहलाते हैं। जैसे 'जलज' शब्द जल + ज अर्थात् 'जल में उत्पन्न होने वाला' इस प्रकार व्युत्पन्न होता है।

यदि इसे यौगिक माना जाये, तो इससे उन सभी वस्तुओं का बोध होगा, जो जल में उत्पन्न होते हैं; जैसे-सीपी, घोंघा, मेढ़क, शैवाल आदि। लेकिन 'जलज' शब्द केवल 'कमल' अर्थ का बोध कराता है और वह अर्थबोध की दृष्टि से रूढ है। ऐसे शब्द योगरूढ कहलाते हैं। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

अभिधा का महत्त्व - अभिधा शब्द की पहली या मुख्य शक्ति (वृत्ति) है। प्रत्येक शब्द का मुख्य अर्थ इसी के द्वारा संकेतित किया जाता है। शब्द के अनेक अर्थ हो सकते हैं, परन्तु संकेतित अर्थ को ही उसका मुख्यार्थ माना जाता है। बालक जब इस सांसारिक जीवन में शब्दों का प्रयोग-ज्ञान सीखने लगता है, तो उसे अपने से बड़े लोगों के व्यवहार के ज्ञान से, पुस्तकों के अध्ययन से, व्याकरण और कोश से तथा विविध शब्दों के प्रयोग से संकेत रूप में प्रत्येक शब्द का अर्थ ज्ञात हो जाता है तथा वह अर्थ उसकी बुद्धि में सदा के लिये एक संस्कार की तरह स्थायी बन जाता है। अतः जब जब कोई शब्द उसके सामने आता है तो तुरन्त ही उसके मानस में उसका अर्थ व्यक्त हो जाता है और वह मुख्य अर्थ ही होता है। जैसे - 

  1. राम पुस्तक पढ़ता है। 
  2. किसान खेत पर हल चलाता है। 
  3. बालक प्रतिदिन विद्यालय जाता है।

इन वाक्यों में प्रत्येक शब्द अपने मुख्य अर्थ को व्यक्त कर रहा है। अभिधा के द्वारा व्यक्त किये गये अर्थ को मुख्यार्थ, वाच्यार्थ या अभिधेयार्थ भी कहते हैं। अभिधा शक्ति से अर्थ का ग्रहण उनके उपायों से होता है। इन उपायों में व्याकरण, कोष, उपमान वाक्य, विश्वसनीय व्यक्ति का कथन, व्यवहार-ज्ञान, प्रसिद्ध शब्दों के साथ प्रयुक्त होना आदि की गणना की जाती है। 

संकेतित अर्थ को बतलाने वाली अभिधा शब्द-शक्ति है। इसमें संकेतित अर्थ का ग्रहण चार प्रकार के शब्दों से होता है, वे हैं -

  1. जातिवाचक (संज्ञा)
  2. गुणवाचक (विशेषण)
  3. क्रियावाचक और
  4. द्रव्यवाचक (व्यक्तिवाचक संज्ञा) शब्द। 

अर्थात् इन चार प्रकार के शब्दों से संकेतग्रह होने से वाच्यार्थ का ज्ञान होता है। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

2. लक्षणा शक्ति

मुख्यार्थ का बाध होने पर रूढि अथवा प्रयोजन के कारण जिस शक्ति द्वारा मुख्यार्थ से सम्बन्धित अन्य अर्थ (लक्ष्यार्थ) ग्रहण किया जाता है, उसे लक्षणा शक्ति कहा जाता है। जैसे-मोहन गधा है। यहाँ गधे का लक्ष्यार्थ है मूर्ख। लक्षणा शब्द-व्यापार साक्षात् संकेतित न होकर शब्द पर आरोपित व्यापार है। लक्षणा शक्ति में तीन कारण या तीन बातें आवश्यक होती हैं -

  • मुख्यार्थ का बाध होना
  • लक्ष्यार्थ का मुख्यार्थ से सम्बन्धित होना
  • रूढ़ि या प्रयोजन का उसके मूल में होना।

1. मुख्यार्थ का बाध - जब शब्द के मुख्यार्थ की प्रतीति में कोई प्रत्यक्ष विरोध दिखाई दे तो उसे मुख्यार्थ का बाध कहा जाता है। जैसे 'गंगा पर घर है' इस वाक्य में 'गंगा पर' शब्द का मुख्यार्थ है-गंगा नदी का प्रवाह, लेकिन जल प्रवाह पर घर नहीं हो सकता, अतः यहाँ मुख्यार्थ में बाध है।

2. लक्ष्यार्थ का मुख्यार्थ से सम्बन्धित होना - मुख्यार्थ में बाध उपस्थित होने पर लक्ष्यार्थ ग्रहण किया जाता है, लेकिन लक्ष्यार्थ का मुख्यार्थ से सम्बन्ध होना आवश्यक है। इसी को मुख्यार्थ का योग कहते हैं। जैसे-"गंगा पर घर है" वाक्य में 'गंगा पर' का लक्ष्यार्थ 'गंगा के तट पर लिया जाता है।

3. लक्ष्यार्थ के मूल में रूढ़ि या प्रयोजन का होना - लक्ष्यार्थ ग्रहण के मूल में कोई रूढ़ि या प्रयोजन होना आवश्यक है। रूढ़ि का अर्थ है-प्रचलन या प्रसिद्धि। प्रयोजन का आशय है-फल-विशेष या उद्देश्य।

लक्षणा का महत्त्व - लक्षणा से व्यक्त होने वाला अर्थ लक्ष्यार्थ कहलाता है और जिस शब्द से यह अर्थ निकलता है उसे लक्षक कहते हैं। अभिधा के द्वारा मुख्य अर्थ व्यक्त होने के बाद ही उससे लक्ष्यार्थ लिया जाता है। इस व्यापार में या तो रूढ़ि रहती है या कोई प्रयोजन रहता है। वाक्य में शब्दों का अर्थ करते समय जब उनमें अर्थ की संगति नहीं बैठती है, तब लक्ष्यार्थ ग्रहण किया जाता है। जैसे -  

  1. वह लड़का शेर है। 
  2. यह लड़की तो गाय है। 
  3. रमेश का घर मुख्य सड़क पर ही है।

इन वाक्यों में लड़के को शेर कहने से 'शेर' का अर्थ साहसी या वीर लिया गया है। लड़की को गाय कहने से 'गाय' का अर्थ सीधी-सरल है। रमेश का घर मुख्य सड़क अर्थात् सड़क के मध्य में नहीं हो सकता, अतः मुख्य सड़क के किनारे पर-उससे अत्यन्त निकट अर्थ के लिये ऐसा कहा गया है। ये सभी अर्थ लक्षणा शक्ति से ही लिये गये हैं। 
लक्षणा के मुख्य दो भेद होते हैं - (i) रूढ़ि लक्षणा और (ii) प्रयोजनवती लक्षणा। 

(i) रूढ़ि लक्षणा - जहाँ रूढ़ि या रचनाकारों की परम्परा के अनुसार मुख्य अर्थ छोड़कर कोई दूसरा अर्थ लिया जाता है, अर्थात् मुख्य अर्थ में बाधा उपस्थित होने पर लक्ष्यार्थ लिया जाता है, वहाँ पर रूढ़ि लक्षणा मानी जाती है। जैसे-कलिंग साहसी है। इस वाक्य में 'कलिंग' एक भूभाग या देश का नाम होने से उसका मुख्यार्थ बाधित हो रहा है, क्योंकि देश अचेतन होने से साहसी नहीं हो सकता। इसलिए लक्षणा से यहाँ 'कलिंग देश के निवासी' अर्थ लिया जाता है। इसी प्रकार कुशल, लावण्य, प्रवीण आदि शब्द भी रूढ़ि लक्षणा से अर्थ प्रकट करते हैं।

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

(ii) प्रयोजनवती लक्षणा - मुख्यार्थ के बाधित होने पर किसी प्रयोजन के द्वारा अर्थ ग्रहण होने पर प्रयोजनवती लक्षणा होती है । 'गंगा पर घर है' इसका उदाहरण है। गंगा की धारा पर घर नहीं ठहर सकता, इसलिए मुख्य अर्थ का बाध होने पर उसके सहयोग से 'गंगा तट पर घर है'-यह लक्ष्यार्थ बनता है। इसका प्रयोजन गंगा-तट को अतिशय निकट, शीतल और पवित्र बतलाना है। विद्वानों ने लक्षणा के अनेक भेद माने हैं। आचार्य मम्मट ने इसके प्रमुख छः भेद माने हैं, जबकि विश्वनाथ ने 'साहित्यदर्पण' में इसके अस्सी भेद बताये हैं। 

3. व्यंजना शक्ति 

जहाँ किसी शब्द का वाच्यार्थ और लक्ष्यार्थ अर्थ नहीं निकलता है और कोई विशेष अन्य अर्थ निकलता है, वहाँ व्यंजना शक्ति होती है। जैसे-किसी ने अपने साथी से कहा कि "सन्ध्याकाल के छः बज गये हैं।" इस वाक्य में 'छः बजे' के अनेक अर्थ लिये जा सकते हैं, जैसे-कोई अर्थ लेगा कि अब घर जाना चाहिए, कोई स्त्री अर्थ लेगी कि गाय को दुहने का समय हो गया है, कोई भक्त अर्थ लेगा कि मन्दिर में आरती का समय हो गया है। इसी प्रकार अनेक अर्थ लिये जा सकते हैं। इस प्रकार का विशेष अर्थ निकालने वाली व्यंजना शब्द की अन्तिम शब्द-शक्ति मानी जाती है। 

व्यंजना के भेद - व्यंजना शक्ति के दो भेद होते हैं-शाब्दी व्यंजना व आर्थी व्यंजना। 

1. शाब्दी व्यंजना - जहाँ शब्द विशेष के कारण व्यंग्यार्थ का बोध होता है और वह शब्द हटा देने पर व्यंग्यार्थ समाप्त हो जाता है वहाँ शाब्दी व्यंजना होती है। 
2. आर्थी व्यंजना - जब व्यंजना किसी शब्द विशेष पर आधारित न होकर अर्थ पर आधारित होती है, तब वहाँ आर्थी व्यंजना होती है। 

व्यंजना का महत्त्व - व्यंजना शक्ति के द्वारा प्रत्येक वाक्य का अर्थ आसानी से व्यक्त हो जाता है। इससे उद्घाटित अर्थ को व्यंग्यार्थ, गम्यार्थ, ध्वन्यर्थ, प्रतीयमानार्थ आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है और व्यंग्यार्थ को व्यक्त करने वाला शब्द व्यंजक' कहलाता है। अभिधा और लक्षणा केवल अर्थ बतलाकर शान्त हो जाती हैं, परन्तु व्यंजना काव्य-रचना के मूल भाव को अथवा उसके उद्देश्य को व्यक्त करती है।

व्यंजना के आधार पर ही किसी काव्य को उत्तम, मध्यम और अधम माना जाता है। व्यंजना शब्द और अर्थ दोनों में रहती है, इस कारण इसके शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना-ये दो प्रमुख भेद होते हैं। फिर इसके कई अन्य भेद होते हैं। यहाँ व्यंजना के कुछ उदाहरण दिये जा रहे हैं - 

1. "फलीं सकल मनकामना, लूट्यौ अगनित चैन। 
आज अँचे हरि रूप सखि, भये प्रफुल्लित नैन॥" 

यहाँ कामनाओं का फलना, चैन का लूटना, रूप का अँचना में मुख्यार्थ बाध है, अतः लक्षणा के बल पर इनका अर्थ क्रमशः पूर्ण होना, प्राप्त होना तथा देखना होता है। लेकिन वक्ता इनका प्रयोग मात्र लक्षणा के निमित्त नहीं कर रहा है। पूर्ण दोहे का व्यंग्यार्थ है कि आज भगवान् कृष्ण के दर्शन करके अपरिमित आनन्द की प्राप्ति हुई। अपरिमित आनन्द की प्राप्ति की अभिव्यक्ति लक्षणामूला व्यंजना से ही हुई है। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

2. प्राकृतिक सुषमा में कमल तो कमल है। 

इस वाक्य में प्रथम 'कमल' शब्द का अर्थ सामान्य रूप से कमल है, परन्तु द्वितीय 'कमल' शब्द का अर्थ 
सौन्दर्यातिशय है और इसका यह अर्थ व्यंजना के द्वारा व्यक्त हुआ है जो कि काफी चमत्कारी है। 

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न - 

अतिलघूत्तरात्मक/लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1.
पुरुषों की भीरुता की पूरी निन्दा होती है। इस वाक्य में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग हुआ है?
उत्तर : 
इस वाक्य में अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग हुआ है। 

प्रश्न 2. 
बाजार में एक जादू है, वह जादू आँख की राह काम करता है। इस वाक्य में कौन-सी शब्द-शक्ति है? 
उत्तर : 
इस वाक्य में लक्षणा शब्द-शक्ति है। 

प्रश्न 3. 
निकम्मे रहकर मनुष्यों की चिन्तन-शक्ति थक गई है। इस वाक्य में कौन-सी शब्द-शक्ति है? 
उत्तर : 
इस वाक्य में लक्षणा शब्द-शक्ति है। 

प्रश्न 4. 
तो आप क्या चाहते हैं, हम जोहड़ का पानी पीना शुरू कर दें। इस वाक्य में कौन-सी शब्द-शक्ति है? 
उत्तर : 
इस वाक्य में व्यंजना शब्द-शक्ति है। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

प्रश्न 5.
कहीं-कहीं सड़क निर्जन चीड़ के जंगलों से गुजरती है। इस वाक्य में कौन-सी शब्द-शक्ति है? परिभाषा भी लिखिए। 
उत्तर :
इस वाक्य में लक्षणा शब्द-शक्ति है। 
परिभाषा - मुख्य अर्थ के बाध होने के बाद उसके ही सहयोग से जब अन्य अर्थ ग्रहण किया जाता है, तब उस अर्थ को लक्षित करने वाली शब्द-शक्ति को लक्षणा कहते हैं। 

प्रश्न 6. 
तब नहीं-स्त्री! जाता हूँ, तैमूर का वंशधर स्त्री से छल करेगा! . इस वाक्य में कौन-सी शब्द-शक्ति है? उसकी परिभाषा भी लिखिए। 
उत्तर : 
इस वाक्य में व्यंजना शब्द-शक्ति है। 
परिभाषा - जब वाच्यार्थ और लक्ष्यार्थ से भिन्न कोई विलक्षण या व्यंग्यपूर्ण अर्थ व्यक्त होता है, तो उसे व्यंजित कराने वाली व्यंजना शब्द-शक्ति कहलाती है। 

प्रश्न 7.
"हाँ, एक तुम ही तो अच्छे आदमी हो।" उपर्युक्त वाक्य में कौन-सी शब्द-शक्ति है, नाम बताते हुए उसकी परिभाषा भी दीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त वाक्य में व्यंजना शब्द-शक्ति है। परिभाषा-जब वाच्यार्थ और लक्ष्यार्थ से भिन्न कोई विलक्षण या चमत्कारी अर्थ व्यक्त होता है, तो उसे बोधित कराने वाली व्यंजना शब्द-शक्ति कहलाती है। 

प्रश्न 8. 
सुरेश हॉकी खेलते समय हवा से बातें करता है। 
उपर्युक्त वाक्य में निहित शब्द-शक्ति को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
उक्त वाक्य में लक्षणा शब्द-शक्ति है। इसमें 'हवा से बातें करने का लाक्षणिक अर्थ अत्यधिक तेज गति से दौड़ना है। इसमें 'हवा' शब्द लाक्षणिक है। 

प्रश्न 9. 
'चमेली का पुष्प श्वेत वर्ण का सुगन्धित पुष्प है।' 
उपर्युक्त वाक्य किस शब्द शक्ति का है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त वाक्य में 'अभिधा' शब्द-शक्ति है। अभिधा शब्द-शक्ति के द्वारा शब्द के मुख्य अर्थ का बोध होता है। यहाँ पर 'चमेली' का पुष्प श्वेत वर्ण का सुगंधित पुष्प है। यह एक साधारण वाक्य है जो चमेली के पुष्प की विशेषता बता रहा है। इसमें शब्द का एक ही अर्थ अर्थात् मुख्यार्थ लिया गया है। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

प्रश्न 10. 
'बन्दूकें चलने लगीं।' इस वाक्य में कौनसी शब्द-शक्ति है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
इस वाक्य में लक्षणा शब्द-शक्ति है। 'बन्दूकें' अपने आप नहीं चलती हैं, उन्हें सैनिक या कोई व्यक्ति चलाता है। अतः यहाँ 'बन्दूकें' से लक्ष्यार्थ लिया गया है।

प्रश्न 11. 
'अब तो सूर्य सिर पर आ गया।' इस वाक्य में कौनसी शब्द-शक्ति है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
इस वाक्य में व्यंजना शब्द-शक्ति है। इसमें सूर्योदय हुए काफी समय हो गया-यह व्यंग्यार्थ व्यंजना शक्ति से निकल रहा है।
 
प्रश्न 12. 
'हमारा नौकर तो एकदम गाय है।' इस वाक्य में कौनसी शब्द-शक्ति है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
इस वाक्य में 'लक्षणा' शब्द-शक्ति है। 'गाय' चौपाया पशु होता है। नौकर चौपाया नहीं है, वह अत्यन्त सरल स्वभाव का है, यह अर्थ लक्षणा से लिया गया है।

प्रश्न 13. 
'हिमालय पर चढ़ाई करना कठिन काम है।' इस वाक्य में कौनसी शब्द-शक्ति है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर :
इस वाक्य में अभिधा शब्द-शक्ति है। इसमें सभी शब्द अपना संकेतित मुख्य अर्थ या एक ही अर्थ व्यक्त कर रहे हैं।

प्रश्न 14. 
'अरे! यह बालक तो शेर है!' यह वाक्य किस शब्द-शक्ति का है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
यह वाक्य लक्षणा शब्द-शक्ति का है। इसमें बालक को शेर बताया गया है, 'शेर' शब्द का मुख्य अर्थ छोड़कर उसका साहसी, पराक्रमी व निडर अर्थ लक्षणा शक्ति से लिया गया है।

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

प्रश्न 15. 
'ऐनक हो तो कौनसा आपको कुछ दिखाई देता है !' इस वाक्य में कौनसी शब्द-शक्ति है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
इस वाक्य में व्यंजना शब्द-शक्ति है। इसमें मधु अपने पति बसन्त पर नासमझ होने का व्यंग्य कर रही है। यह अर्थ व्यंजना शब्द-शक्ति से व्यक्त हुआ है। 

प्रश्न 16. 
'इहीं आस अटक्यौ रहतु, अलि गुलाब के मूल।'
इस वाक्य में कौनसी शब्द-शक्ति है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
इस वाक्य में लक्षणा शब्द-शक्ति है। कवि के कथन का प्रसंग देखने से 'अलि' व 'गुलाब' का मूल अर्थ छोड़कर लक्ष्यार्थ लिया गया है। 

प्रश्न 17. 
लक्षणा एवं व्यंजना शब्द-शक्ति के अन्तर को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
लक्षणा शब्द-शक्ति में मुख्य अर्थ के बाध के बाद उसके सहयोग से अन्य आरोपित अर्थ लिया जाता है, परन्तु व्यंजना में शब्द का वाच्यार्थ या लक्ष्यार्थ नहीं निकलता, अपितु कोई विलक्षण चमत्कारी अर्थ निकलता है, जिसे व्यंग्यार्थ कहते हैं। 

प्रश्न 18. 
लक्षणा शब्द-शक्ति की सोदाहरण परिभाषा दीजिए। 
उत्तर : 
मुख्य अर्थ के बाध के बाद उसके ही सहयोग जिससे अन्य सम्बन्धित अर्थ ग्रहण किया जाता है, उस अर्थ को लक्षित कराने वाली शक्ति को लक्षणा कहते हैं। जैसे-रामदीन तो गाय है। इसमें रामदीन को 'गाय' कहा गया है। इसमें गाय का मुख्य अर्थ छोड़कर उसका 'सरल स्वभाव' अर्थ लिया जाता है।
जैसे - सोनू तो शेर है। यहाँ पर 'शेर' का अर्थ साहसी या वीर से लिया गया है। 

प्रश्न 19. 
व्यंजना शब्द-शक्ति की परिभाषा लिखिए। 
उत्तर : 
शब्द का जब वाच्यार्थ और लक्ष्यार्थ नहीं निकलता है, तब इन दोनों से भिन्न कोई विलक्षण या चमत्कारी अर्थ का जिस शब्द-शक्ति से बोध होता है, उसे व्यंजना कहते हैं। अर्थात् व्यंग्यार्थ का बोध कराने वाली शक्ति व्यंजना कहलाती है। 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

प्रश्न 20. 
आर्थी व्यंजना शब्द-शक्ति की परिभाषा सोदाहरण लिखिए। 
उत्तर : 
जहाँ व्यक्त हआ व्यंग्यार्थ केवल अर्थ पर आश्रित रहता है. वहाँ आर्थी व्यंजना होती है। उदाहरण-"सूर्य अस्त होने वाला है।" इस वाक्य में 'सूर्यास्त' अर्थ से अन्य अर्थ अर्थात् कार्यालय का समय समाप्त हो गया, गाय दुहने का समय हो गया, आरती करने का समय हो गया इत्यादि व्यंग्यार्थ निकलते हैं। इसलिए यहाँ आर्थी व्यंजना है। 

प्रश्न 21. 
प्रयोजनवती लक्षणा शब्द-शक्ति की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। 
उत्तर : 
मुख्यार्थ का बाध करके उससे सम्बद्ध अन्य अर्थ रूढ़ि या प्रयोजन के कारण लिया जाता है, तब लक्षणा शब्द-शक्ति होती है। प्रयोजन से युक्त होने पर प्रयोजनवती लक्षणा कहलाती है। इसमें प्रयोजन या उद्देश्य को लक्ष्य करके अर्थ ग्रहण किया जाता है। जैसे-गंगा पर बस्ती है। 

प्रश्न 22. 
शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
शब्द और अर्थ का अभिन्न सम्बन्ध है। यह सम्बन्ध जल तथा जल की लहर के समान है-"गिरा अरथ जल बीचि सम कहियत भिन्न न भिन्न।" अर्थ के सम्बन्ध से शब्द वाचक, लाक्षणिक तथा व्यंजक, तीन प्रकार के होते हैं। इन तीनों प्रकार के शब्दों से क्रमशः वाच्चार्थ, लक्ष्यार्थ एवं व्यंग्यार्थ का प्रकाशन होता है। 

प्रश्न 23. 
निम्नलिखित शब्द-शक्ति को प्रकट करने वाली एक पंक्ति उसके सामने लिखिए 
1. व्यंजना 
2. लक्षणा।
उत्तर :
1. व्यंजना-सुरीली कूक में कोयल तो कोयल ही है। 
2. लक्षणा-रामू तो गाय है, उसे मत सताओ। 

प्रश्न 24. 
व्यंजना शब्द-शक्ति की परिभाषा लिखकर उसका एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर : 
जिससे वाच्यार्थ एवं लक्ष्यार्थ से भिन्न विशिष्ट चमत्कारी अर्थ का बोध होता है, अर्थात् व्यंग्यार्थ अभिव्यक्त होता है, उसे व्यंजना शब्द-शक्ति कहते हैं। जैसे-सूर्यास्त हो रहा है। कोयल तो कोयल ही है।

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

प्रश्न 25. 
रूढ़ि लक्षणा एवं प्रयोजनवती लक्षणा शब्द-शक्ति में अन्तर बताइए। 
उत्तर : 
रूढ़ि लक्षणा में रूढ़ि या परम्परा के अनुसार मुख्य अर्थ छोड़ कोई दूसरा अर्थ लिया जाता है। जैसे-कलिंग साहसी है। प्रयोजनवती लक्षणा में प्रयोजन या उद्देश्य को लक्ष्य करके अन्य अर्थ ग्रहण किया जाता है। जैसे-गंगा पर बस्ती है। 

प्रश्न 26. 
व्यंजना शब्द-शक्ति का प्रयोग करते हुए एक वाक्य लिखिए। 
उत्तर : 
सुन्दरता में कमल तो कमल ही है। 

प्रश्न 27. 
"लाल पगड़ी जा रही है।" वाक्य में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है? समझाकर लिखिए। 
उत्तर :
'लाल. पगड़ी' तो स्वयं जा नहीं सकती, क्योंकि वह अचेतन है, इसलिये लाल पगड़ी को पहनने वाला व्यक्ति जा रहा है। यह अर्थ लक्षणा शक्ति से लिया गया है, क्योंकि लक्षणा शक्ति आरोपित अर्थ को प्रकट करने वाली शब्द-शक्ति होती है। 

प्रश्न 28. 
अभिधा शब्द-शक्ति को उदाहरण सहित समझाइए। 
उत्तर :
जहाँ शब्द का मुख्य अर्थ या लोक-प्रचलित सामान्य अर्थ प्रकट होता है, अर्थात् शब्द का एक ही संकेतित मुख्य अर्थ निकलता है, वहाँ अभिधा शक्ति होती है। जैसे - (1) गाय घास चरती है। (2) छात्र रोजाना व्यायाम करते हैं।

प्रश्न 29. 
अभिधा और लक्षणा शब्द-शक्ति में अन्तर बताइये। 
उत्तर : 
जहाँ शब्द का मुख्य अर्थ या लोक में प्रचलित सामान्य अर्थ प्रकट होता है, वहाँ अभिधा शब्द-शक्ति होती है और जहाँ मुख्य अर्थ के सहयोग से उससे भिन्न, अमुख्य या आरोपित अर्थ प्रकट होता है, वहाँ लक्षणा शब्द-शक्ति होती है। जैसे 
1. घोड़ा मैदान में दौड़ रहा है-(अभिधा) 
2. रामू की बहू एकदम गाय है-(लक्षणा) 

RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyavaharik Vyakaran शब्द-शक्ति

प्रश्न 30. 
उदाहरण देते हुए अभिधा और व्यंजना शक्तियों का अन्तर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
जहाँ शब्द का लोक प्रचलित सामान्य अर्थ लिया जाता है, वहाँ अभिधा शक्ति और जहाँ परिस्थितियों के अनुसार कोई विशेष अर्थ या व्यंग्य अर्थ लिया जाता है, वहाँ व्यंजना शक्ति होती है। जैसे - 
1. रमेश प्रतिदिन व्यायाम करता है-(अभिधा) 
2. सुरेश ने कहा कि अरे रात हो गई-(व्यंजना) 

प्रश्न 31.
शाब्दी व्यंजना एवं आर्थी व्यंजना में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
शाब्दी व्यंजना उस विशेष शब्द पर आधारित होती है जिसके द्वारा केवल उसी शब्द से विशेष आशय प्रकट होता है। उसके (शब्द) पर्याय से नहीं हो सकता हो और जब व्यंजना अर्थ में निहित हो और उसका पर्यायवाची शब्द पर भी कोई अन्तर न पड़े तब आर्थी व्यंजना होती है। जैसे - 
चिरजीवो जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर। 
को घटि, ये वृष भानुजा, वे हलधर के वीर॥ (शाब्दी व्यंजना) 
सघन कुंज, छाया सुखद, सीतल मंद समीर। 
मन वै जात अजौं वहै, वा यमुना के तीर॥ (आर्थी व्यंजना)

प्रश्न 32. 
रूढ़, यौगिक और योगरूढ़ शब्दों में क्या अन्तर है? 
उत्तर : 
रूढ़ शब्द का अवयवार्थ नहीं होता, लेकिन यौगिक शब्दों का अर्थ-बोध उनके अवयवों से होता है। योग-रूढ़ शब्द यौगिक होते हुए भी रूढ़ होते हैं।

Prasanna
Last Updated on July 11, 2022, 3:51 p.m.
Published July 7, 2022