Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Anivarya Rachana विभिन्न माध्यमों के लिए लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.
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जनसंचार के विभिन्न माध्यम :
जनसंचार के विभिन्न माध्यमों के बीच फ़र्क समझने के लिए सभी माध्यमों के लेखन की बारीकियों को समझना जरूरी है। लेकिन इन माध्यमों के बीच के फ़र्क को हम सभी तभी समझ सकते हैं जब हम हर माध्यम की विशेषताओं, उसकी खूबियों और खामियों से परिचित हों। हर माध्यम की अपनी कुछ खूबियाँ हैं तो कुछ खामियाँ भी। खबर लिखते समय हमें उसका पूरा ध्यान रखना पड़ता है और इन माध्यमों की जरूरत को समझना पड़ता है।
1. जनसंचार के मुदित (प्रिंट) माध्यम -
जनसंचार मुद्रित माध्यमों की खूबियाँ -
जनसंचार मुद्रित माध्यमों की कमियाँ। -
जनसंचार मुद्रित माध्यमों की भाषा-शैली -
2. रेडियो
उल्टा पिरामिड शैली - उल्टा पिरामिड शैली में समाचार पत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य को सर्वप्रथम लिखा जाता है। उसके बाद घटते हुए महत्त्व क्रम में दूसरे तथ्यों या सूचनाओं को बताया जाता है। अर्थात् कहानी की तरह क्लाइमैक्स अन्त में नहीं वरन् खबर के प्रारम्भ में आ जाता है। इस शैली के अन्तर्गत समाचारों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है - (1) इन्ट्रो (2) बॉडी (3) समापन।
रेडियो के लिए समाचार लेखन की बुनियादी बातें -
3. टेलीविजन
टेलीविजन खबरों के प्रमुख चरण - प्रिंट अथवा रेडियो की भाँति टेलीविजन चैनल समाचार देने का मूल आधार सूचना देना है। टेलीविजन में यह सूचनाएँ इन चरणों से होकर गुजरती हैं -
टेलीविजन खबरों की विशेषताएँ -
टेलीविजन खबरों की कमियाँ - टेलीविजन खबरों से निम्न कमियाँ सामने आती हैं -
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा तथा शैली - रेडियो और टी.वी. आम आदमी के माध्यम हैं। भारत जैसे विकासशील देश में उसके श्रोताओं और दर्शकों में पढ़े-लिखे लोगों से निरक्षर तक और मध्यम वर्ग से लेकर किसान-मजदूर तक सभी होते हैं। इन सभी लोगों की सूचना की जरूरतें पूरी करना ही रेडियो और टी.वी. का उद्देश्य है। जाहिर है कि लोगों तक पहुँचने का माध्यम भाषा है और इसलिए भाषा ऐसी होनी चाहिए कि वह सभी की समझ में आसानी से आ सके, लेकिन साथ ही भाषा के स्तर और उसकी गरिमा के साथ कोई समझौता भी न करना पड़े। अतः रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा-शैली में हमें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए -
4. इन्टरनेट
इन्टरनेट की दीवानी नई पीढ़ी को अब समाचार पत्र पर छपे समाचार पढ़ने में आनन्द नहीं आता। उन्हें स्वयं को घण्टे-दो घण्टे में अपडेट रहने की आदत सी बन गई है। इन्टरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, साइबर पत्रकारिता या वेब पत्रकारिता इसे कुछ भी कह सकते हैं।
इसके द्वारा जहाँ हम सूचना, मनोरंजन, ज्ञान तथा निजी व सार्वजनिक संवादों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। वहीं इसे अश्लील, दुष्प्रचार एवं गन्दगी फैलाने का माध्यम भी बनाया जा रहा है। इन्टरनेट का प्रयोग समाचारों के सम्प्रेषण, संकलन तथा सत्यापन एवं पुष्टिकरण में भी किया जा रहा है। टेलीप्रिंटर के जमाने में जहाँ 1 मिनट में केवल 80 शब्द एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे जा सकते थे, वहीं आज एक सेकण्ड में लगभग 7000 शब्द भेजे जा सकते हैं।
महत्त्वपूर्ण बिन्दु -
महत्त्वपूर्ण प्रश्न -
प्रश्न 1.
रेडियो पर प्रसारण के लिए तैयार की जाने वाली समाचार कॉपी की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
रेडियो पर प्रसारण के लिए तैयार की जाने वाली समाचार कॉपी में एक पंक्ति में अधिकतम 12-13 शब्द होने चाहिए। वाक्यों में जटिल, उच्चारण में कठिन शब्द, संक्षिप्ताक्षर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। एक से दस तक के अंकों को शब्दों में तथा 11 से 999 तक को अंकों में लिखा जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
एंकर-बाइट किसे कहते हैं?
उत्तर :
एंकर-बाइट का अर्थ है-कथन। टेलीविजन में किसी खबर को पुष्ट करने के लिए इससे सम्बन्धित बाइट दिखाई जाती है। किसी घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों या सम्बन्धित व्यक्तियों का कथन दिखाकर और सुनाकर समाचारों को प्रामाणिकता प्रदान करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 3.
ड्राई एंकर किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब एंकर खबर के बारे में सीधे-सीधे बताता है कि कहाँ, क्या, कब और कैसे हुआ तथा जब तक खबर के दृश्य नहीं आते, एंकर दर्शकों को रिपोर्टर से मिली जानकारियों के आधार पर सूचनाएँ पहुँचाता है उसे 'ड्राई एंकर' कहते हैं।
प्रश्न 4.
प्रिंट मीडिया के लाभ कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
प्रिंट मीडिया को धीरे-धीरे, दुबारा या मर्जी के अनुसार पढ़ा जा सकता है। किसी भी पृष्ठ या समाचार को पहले या बाद में पढ़ा जा सकता है। इन्हें सुरक्षित रखकर सन्दर्भ की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
ब्रेकिंग न्यूज का क्या आशय है?
उत्तर :
ब्रेकिंग न्यूज का दूसरा नाम फ़्लैश भी है। इसके अन्तर्गत अत्यन्त महत्त्वपूर्ण या बड़े समाचार को कम से कम शब्दों में दर्शकों तक तत्काल पहुँचाया जाता है, जैसे नेपाल में आया भीषण भूकम्प। दो रेलगाड़ियों में टक्कर, दस मरे, सैकड़ों घायल।
प्रश्न 6.
एनकोडिंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
सन्देश को भेजने के लिए शब्दों, संकेतों या ध्वनि-चिह्नों का उपयोग किया जाता है। भाषा भी एक प्रकार का कूट-चिह्न या कोड है। अतः प्राप्तकर्ता को समझाने योग्य कूटों में सन्देश बाँधना 'कूटीकरण' या एनकोडिंग कहलाता है।
प्रश्न 7.
क्लाइमेक्स किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी भी घटना, सूचना आदि का सम्पूर्ण उद्घाटन का वास्तविक रूप से परिचय कराना या उस चरम बिन्दु पर पहुँचना, जहाँ से पूरी घटना का सार समझते हुए निवारण की ओर दिशा परिवर्तित होता है वह बिन्दु क्लाइमैक्स कहलाता है।
प्रश्न 8.
हिन्दी वेब पत्रकारिता की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
उत्तर :
हिन्दी वेब पत्रकारिता की सबसे बड़ी समस्या उसकी लेखन शैली है, क्योंकि अन्य भाषाओं की भाँति इसका कीबोर्ड अभी भी बाजारों में उपलब्ध नहीं है। एक निश्चित रूपरेखा का कीबोर्ड नहीं होने के कारण लेखन क्रिया कठिन विषय है।
प्रश्न 9.
नई पीढ़ी में इन्टरनेट के अधिक लोकप्रिय होने का क्या कारण है?
उत्तर :
नई पीढ़ी को अब समाचार पत्र पर समाचार पढ़ने में आनन्द नहीं आता है। उन्हें स्वयं को समय-समय पर अपडेट रखने की आदत पड़ गई है। यही कारण है कि नई पीढी इन्टरनेट की दीवानी है। इन्टरने । सूचना, विज्ञान तथा निजी व सार्वजनिक संवाद का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
प्रश्न 10.
जन समाज द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले जन-संचार के कौन-कौन से माध्यम हैं?
उत्तर :
जन समाज द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले जन-संचार के अनेक माध्यम हैं जैसे - मुद्रित (प्रिंट), रेडियो, टेलीविजन एवं इन्टरनेट । मुद्रित अर्थात् समाचार पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने के लिए, रेडियो सुनने के लिए है और टी.वी. देखने के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। किन्तु इन्टरनेट पर पढ़ने, देखने और सुनने तीनों की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
प्रश्न 11.
जनसंचार के आधनिक माध्यमों में मद्रित (प्रिंट) माध्यम सबसे पराना माध्यम है, समझाइए।
उत्तर :
जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में मुद्रित (प्रिंट) माध्यम सबसे पुराना माध्यम है जिसके अन्तर्गत समाचार, पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं। मुद्रण का प्रारम्भ चीन में हुआ। तत्पश्चात् जर्मनी के गुटेनबर्ग में छापाखाना की खोज की। भारत में सन् 1556 में गोवा में पहला छापाखाना खुला जिसका प्रयोग मिशनरियों ने धर्म प्रचार की पुस्तकें छापने के लिए किया था। आज मुद्रण कम्प्यूटर की सहायता से होता है।
प्रश्न 12.
जनसंचार के कौन-कौन से कार्य हैं? समझाइए।
उत्तर :
जनसंचार माध्यमों के कई कार्य हैं उनमें से कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं -
प्रश्न 13.
जनसंचार की सबसे मजबूत कड़ी क्या है?
उत्तर :
जनसंचार की सबसे मजबूत कड़ी पत्र-पत्रिकाएँ या प्रिंट मीडिया ही है। हालाँकि अपने विशाल दर्शक वर्ग और तीव्रता के कारण रेडियो और टेलीविजन की ताकत ज्यादा मानी जा सकती है, लेकिन वाणी को शब्दों के रूप में रिकॉर्ड करने वाला आरम्भिक माध्यम होने की वजह से प्रिंट मीडिया का महत्त्व हमेशा बना रहेगा।
प्रश्न 14.
जनसंचार माध्यमों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
जनसंचार माध्यमों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं -
औपचारिक संगठन के बिना जनसंचार माध्यमों को चलाना मुश्किल है जैसे रेडियो का प्रसारण किसी रेडियो संगठन की ओर से किया जाता है।
प्रश्न 15.
बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर :
बीट रिपोर्टिंग में संवाददाता का उस क्षेत्र के सम्बन्ध या विषय में सामान्य जानकारी या रुचि होना पर्याप्त है जबकि विशेषीकृत रिपोर्टिंग में विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण होता है। पत्रकार को उस विषय की विशेष जानकारी होनी चाहिए।
प्रश्न 16.
पत्रकार का क्या दायित्व है. ये कितने तरह के होते हैं?
उत्तर :
पत्रकार का दायित्व है - पाठकों अथवा दर्शकों तक सूचना पहुँचाना, उन्हें जागरूक और शिक्षित करने के साथ-साथ उनका मनोरंजन करना। पत्रकार तीन तरह के होते हैं - पूर्णकालिक पत्रकार, अंशकालिक पत्रकार और फीलांसर पत्रकार।
प्रश्न 17.
इन्टरनेट पत्रकारिता किसे कहते हैं? इसके दो प्रमुख लाभ बताइए।
उत्तर :
इन्टरनेट पर अखबारों का प्रकाशन अथवा खबरों का आदान-प्रदान करना, लेखों, चर्चा-परिचर्चा, बहसों, फीचर, झलकियों, डायरियों द्वारा अपने समय की धड़कनों को अनुभव और दर्ज करने को इन्टरनेट पत्रकारिता कहते हैं। इन्टरनेट के दो प्रमुख लाभ
1. इसमें खबरों का सम्प्रेषण किया जाता है।
2. समाचारों के संकलन, उनके सत्यापन और पुष्टिकरण के लिए इन्टरनेट का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 18.
उल्टा पिरामिड शैली में समाचारों को किस क्रम में लिखा जाता है?
उत्तर :
उल्टा पिरामिड-शैली में समाचार के सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य को सबसे पहले लिखा जाता है और उसके बाद घटते हुए महत्त्वपूर्ण क्रम में अन्य तथ्यों या सूचनाओं को लिखा या बताया जाता है। इस शैली में किसी घटना/विचार/ समस्या का ब्यौरा कालानुक्रम के बजाय सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य या सूचना से शुरू होता है।
प्रश्न 19.
अखबार में समाचार किस शैली में लिखे जाते हैं?
उत्तर :
अखबारों में प्रकाशित अधिकांश समाचार एक खास शैली में लिखे जाते हैं। इन समाचारों में किसी भी घटना, समस्या या विचार के सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य, सूचना या जानकारी को सबसे पहले पैराग्राफ में लिखा जाता हैं। इसके बाद के पैराग्राफ में उससे कम महत्त्वपूर्ण सूचना या तथ्य की जानकारी दी जाती है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक समाचार खत्म नहीं हो जाता।
प्रश्न 20.
टेलीविजन का वर्णन करें।
उत्तर :
टेलीविजन जनसंचार का सर्वाधिक ताकतवर व लोकप्रिय माध्यम है। इसमें शब्द, ध्वनि व दृश्य का मेल होता है जिसके कारण इसकी विश्वसनीयता कई गुना बढ़ जाती है। भारत में इसकी शुरुआत 15 सितम्बर 1959 को हुई। 1991 में खाड़ी युद्ध में दुनिया भर में युद्ध का सीधा प्रसारण किया गया। इसके बाद सीधे प्रसारण का महत्त्व बढ़ गया। आज भारत में 400 से अधिक चैनल प्रसारित हो रहे हैं।
प्रश्न 21.
रेडियो के विषय में बताइए।
उत्तर :
रेडियो एक ध्वनि माध्यम है। इसकी तात्कालिकता, घनिष्ठता और प्रभाव के कारण इसमें अद्भुत शक्ति है। ध्वनि तरंगों के कारण यह देश के कोने-कोने तक पहुंचता है। आकाशवाणी, एफ.एम. चैनल, बीबीसी, वॉयस ऑफ अमेरिका, मास्को रेडियो आदि अनेक केन्द्र हैं।
प्रश्न 22.
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा व शैली के विषय में बताइए।
उत्तर :
रेडियो और टेलीविजन आम आदमी के माध्यम हैं। इनमें भाषा ऐसी प्रयोग में लेनी चाहिए कि वह सभी को आसानी से समझ में आ सके। सरल भाषा लिखने का बेहतर उपाय है कि वाक्य छोटे, सीधे और स्पष्ट लिखे जाएँ। निम्नलिखितउपरोक्त, अधोहस्ताक्षरित और क्रमांक आदि शब्दों का प्रयोग रेडियो और टी.वी. माध्यमों में बिल्कल मना है। साफ-सुथरी और सरल भाषा लिखने के लिए गैरजरूरी विशेषणों, सामासिक और तत्सम शब्दों, अतिरंजित उपमाओं आदि से बचना चाहिए। इसी तरह तथा, एवं, अथवा, व, किन्तु, परन्तु, यथा आदि शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
प्रश्न 23.
समाचार लेखन और छह ककार का सम्बन्ध बताइए।
उत्तर :
समाचार लेखन' के समय समाचार के मुखड़े (इन्ट्रो) यानी पहले पैराग्राफ या शुरुआती दो-तीन पंक्तियों में आमतौर पर तीन या चार ककारों को आधार बनाकर खबर लिखी जाती है। ये चार ककार हैं क्या, कौन, कब और कहाँ? इसके बाद समाचार की बॉडी में और समापन के पहले बाकी दो ककारों कैसे और क्यों का जवाब दिया जाता है। इस तरह छह ककारों के आधार पर समाचार तैयार होता है। पहले के चार ककार सूचनात्मक और तथ्यों पर आधारित होते हैं जबकि बाकी दो ककार विवरणात्मक, व्याख्यात्मक और विवरणात्मक पर जोर देते हैं।
प्रश्न 24.
सम्पादकीय लेखन क्या है?
उत्तर :
सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले सम्पादकीय को उस अखबार की अपनी आवाज माना जाता है। सम्पादकीय के जरिये अखबार किसी घटना, समस्या या मुद्दे के प्रति अपनी राय प्रकट करते हैं। सम्पादकीय किसी व्यक्ति विशेष का विचार नहीं होता इसलिए उसे किसी के नाम के साथ नहीं छापा जाता। सम्पादकीय लिखने का दायित्व उस अखबार में काम करने वाले सम्पादक और उनके सहयोगियों पर होता है।
प्रश्न 25.
स्तम्भ लेखन क्या है?
उत्तर :
स्तम्भ लेखन विचारपरक लेखन का एक प्रमुख रूप है। कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान के लिए जाने जाते हैं। उनकी अपनी एक लेखन-शैली भी विकसित हो जाती है। ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर अखबार उन्हें एक नियमित स्तम्भ लिखने की जिम्मेदारी दे देते हैं। स्तम्भ का विषय चुनने और उसमें अपने विचार व्यक्त करने की स्तम्भ लेखक को पूरी छूट होती है। स्तम्भ में लेखक के विचार अभिव्यक्त होते हैं। यही कारण है कि स्तम्भ अपने लेखकों के नाम से जाने और पसन्द किए जाते हैं।
प्रश्न 26.
टी.वी. में ध्वनियों का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
टी.वी. में दृश्य और शब्द के अलावा ध्वनियाँ भी होती हैं। टी.वी. में दृश्य और शब्द यानी विजुअल और वॉयस ओवर (वीओ) के साथ दो तरह की आवाजें और होती हैं। एक तो वे कथन या बाइट जो खबर बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और दूसरी वे प्राकृतिक आवाजें जो दृश्य के साथ-साथ चली आती हैं यानी चिड़ियों का चहचहाना या फिर गाड़ियों के गुजरने की आवाज या फिर किसी कारखाने में किसी मशीन के चलने की ध्वनि।
प्रश्न 27.
टी.वी. खबरों के विभिन्न चरण बताइए।
उत्तर :
किसी भी टी.वी. चैनल पर खबर देने का मूल आधार वही होता है जो प्रिंट या रेडियो पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रचलित है यानी सबसे पहले सूचना देना। टी.वी. में भी यह सूचनाएँ कई चरणों से होकर दर्शकों के पास पहुँचती हैं। ये चरण हैं -
प्रश्न 28.
सम्पादन का अर्थ बताते हुए, उसके सिद्धान्त बताइए।
उत्तर :
सम्पादन का अर्थ है - किसी सामग्री से उसकी अशुद्धियों को दूर करके उसे पठनीय बनाना। एक उपसम्पादक अपनी रिपोर्टर की खबर को ध्यान से पढ़कर उसकी भाषागत अशुद्धियों को दूर करके प्रकाशन योग्य बनाता है। पत्रकारिता की साख बनाए रखने के लिए निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन करना जरूरी है तथ्यों की शुद्धता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता, सन्तुलन, स्रोत।
प्रश्न 29.
जनसंचार माध्यमों के लाभ बताइए।
उत्तर :
जनसंचार माध्यम के निम्नलिखित लाभ हैं -
प्रश्न 30.
भारत में इन्टरनेट पत्रकारिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
भारत में इन्टरनेट पत्रकारिता का अभी दूसरा दौर चल रहा है। भारत के लिए पहला दौर 1993 से शुरू माना जा सकता है, जबकि दूसरा दौर सन् 2003 से शुरू हुआ है। आज पत्रकारिता की दृष्टि से 'टाइम्स ऑफ इण्डिया', "हिन्दुस्तान टाइम्स', 'जी न्यूज', 'आज तक' आदि साइटें ही बेहतर हैं। 'इण्डिया टुडे' जैसी कुछ साइटें भुगतान के बाद ही देखी जा सकती हैं। भारत में सच्चे अर्थों में यदि कोई वेब पत्रकारिता कर रहा है तो वह 'रीडिफ डॉटकॉम', 'इण्डिया इंफोलाइन' व 'सीफी' जैसी कुछ ही साइटें हैं। विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय 'तहलका डॉटकॉम' को जाता है।