RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन  Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1. 
'एन इन्क्वायरी इंटू द नेचर एंड काउजेज ऑफ द बेल्थ ऑफ नेशंस' पुस्तक के लेखक कौन हैं? 
(अ) एडम स्मिथ 
(ब) मार्शल 
(स) हिक्स
(द) जे.एम. कीन्स 
उत्तर:
(ब) मार्शल 

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 

प्रश्न 2. 
निम्न में से कौनसी वस्तु अंतिम वस्तु है।
(अ) उद्योगों द्वारा मशीन क्रय करना 
(ब) उद्योगों द्वारा कच्चा माल खरीदना 
(स) उपभोक्ता द्वारा बाजार से ब्रेड खरीदना
(द) ब्रेड उत्पादक द्वारा किसान से गेहूँ खरीदना 
उत्तर:
(ब) उद्योगों द्वारा कच्चा माल खरीदना 

प्रश्न 3. 
निम्न में से कौन सी वस्तु मध्यवर्ती वस्तु है।
(अ) उपभोक्ता द्वारा चाय खरीदना 
(ब) उपभोक्ता द्वारा बाजार से दूध खरीदना 
(स) उद्योग द्वारा कच्चा 
उत्तर:
(अ) उपभोक्ता द्वारा चाय खरीदना 

प्रश्न 4. 
राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
(अ) मध्यवर्ती वस्तुओं को 
(ब) अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं को
(स) कच्चे माल को 
(द) मशीनरी को 
उत्तर:
(ब) अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं को

प्रश्न 5. 
किसी देश में उत्पादन के कारकों में सम्मिलित हैं।
(अ) भूमि
(ब) पूँजी 
(स) श्रम
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

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प्रश्न 6. 
राष्ट्रीय आय को मापने की विधि है।
(अ) उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि 
(ब) व्यय विधि 
(स) आय विधि 
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि 

प्रश्न 7. 
व्यय विधि से सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करने का सूत्र है।
(अ) GDP = C + 1 + G+ X + M 
(ब) GDP = C + 1 + G + X - M 
(स) GDP = C - 1 - G - X - M
(द) GDP = C+ 1 + G - x - M 
उत्तर:
(ब) GDP = C + 1 + G + X - M 

प्रश्न 8. 
आय विधि से सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करने का सूत्र।
(अ) GDP = P + In + R + W 
(ब) GDP = P + In -R - W 
(स) GDP = P - In - R + w
(द) GDP = P - In - R - W 
उत्तर:
(स) GDP = P - In - R + w

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प्रश्न 9. 
सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक (Deflator) ज्ञात करने का सूत्र है।
RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 1
उत्तर:
RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 2

प्रश्न 10. 
यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद 600 करोड़ रुपये तथा मूल्यह्रास 50 करोड़ रुपये हो तो निवल राष्ट्रीय उत्पाद होगा।
(अ) 600 करोड़ रुपये 
(ब) 650 करोड़ रुपये 
(स) 550 करोड़ रुपये 
(द) 500 करोड़ रुपये
उत्तर:
(स) 550 करोड़ रुपये 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
मूल्य ह्रास क्या है?
उत्तर:
पूँजीगत वस्तुओं की नियमित टूट - फूट का समायोजन करने के क्रम में सकल निवेश के मूल्य में किए गए लोप को मूल्य ह्रास कहते हैं।

प्रश्न 2. 
मानवीय श्रम का पारिश्रमिक क्या है? 
उत्तर:
मानवीय श्रम का पारिश्रमिक मजदूरी है।

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प्रश्न 3. 
यदि किसी अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष कर 25 करोड़ रु. एवं उपदान 5 करोड़ रु. है, तो निवल अप्रत्यक्ष कर की गणना कीजिए। 
उत्तर:
निवल अप्रत्यक्ष कर
= अप्रत्यक्ष कर - उपदान = 25 करोड़ रु. - 5 करोड़ रु. = 20 करोड़ रुपये

प्रश्न 4. 
टेलीविजन, ट्रेक्टर, पम्प सेट एवं भोजन में से कौनसी पूँजीगत वस्तुएँ हैं ? ।
उत्तर:
ट्रेक्टर एवं पम्प सेट पूँजीगत वस्तुएँ हैं जबकि भोजन उपयोग वस्तु एवं टेलीविजन टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु है।

प्रश्न 5. 
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद एवं शेष विश्व से प्राप्त अन्य चाल अंतरणों का योग है।

प्रश्न 6. 
आधुनिक अर्थशास्त्र का जनक कौन है? 
उत्तर:
एडम स्मिथ। 

प्रश्न 7. 
मध्यवर्ती वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
वे वस्तुएँ जो अन्य वस्तुओं के उत्पादन में कच्चे माल अथवा आगत के रूप में प्रयुक्त होती हैं।

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प्रश्न 8. 
प्रति व्यक्ति आय से क्या आशय है?
उत्तर:
देश की राष्ट्रीय आय में जनसंख्या का भाग देने से प्राप्त आय।

प्रश्न 9. 
अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र वह है जिसमें कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 10. 
राष्ट्रीय आय को मापने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ?
उत्तर:

  1. उत्पादन अथवा मूल्यवर्धित विधि 
  2. व्यय विधि 
  3. आय विधि। 

प्रश्न 11. 
एक अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रक कौनसे हैं?
उत्तर:

  1.  प्राथमिक क्षेत्रक 
  2. द्वितीयक क्षेत्रक 
  3. तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्रक।

प्रश्न 12. 
घरेलू कारक आय राष्ट्रीय आय से कब अधिक होगी?
उत्तर:
जब विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय ऋणात्मक होगी।

प्रश्न 13. 
यदि घरेलू आय 500 करोड रु. है तथा विदेशों से शुद्ध कारक आय (-) 5 करोड़ है तो राष्ट्रीय आय कितनी होगी? 
उत्तर:
राष्ट्रीय आय
= घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध कारक आय → 500 करोड़ -5 करोड़
= 495 करोड़ 

प्रश्न 14. 
बताइये निम्नलिखित स्टॉक है या प्रवाह? 
1. परिवार की आय 
2. परिवार का उपभोग व्यय।
उत्तर:
परिवार की आय एवं उपभोग व्यय दोनों प्रवाह हैं।

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प्रश्न 15. 
निम्नलिखित में से कौनसा स्टॉक है एवं कौन सा प्रवाह?
1. सम्पत्ति 
2. सीमेन्ट उत्पादन। 
उत्तर:
सम्पत्ति स्टॉक है तथा सीमेन्ट उत्पादन प्रवाह।

प्रश्न 16. 
प्रवाह की धारणा की परिभाषा दें।
उत्तर:
किसी चर की वह मात्रा जिसकी माप एक निश्चित समयावधि में की जाती है।

प्रश्न 17. 
स्टॉक किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी चर की वह मात्रा जिसका माप एक निश्चित समय बिन्दु पर किया जाता है।

प्रश्न 18. 
मूल्य वृद्धि (VA) का सूत्र लिखिए। 
उत्तर:
मूल्य वृद्धि (VA) = बिक्री - मध्यवर्ती वस्तुएँ 

प्रश्न 19. 
साधन लागत में किसे शामिल किया जाता
उत्तर:
साधन लागत में केवल उत्पादन के साधनों को किया भुगतान शामिल होता है कोई कर शामिल नहीं होता।

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प्रश्न 20. 
बाजार कीमतों पर GDP से साधन लागत पर GDP कैसे ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
साधन लागत पर GDPer, बाजार कीमतों पर GDP में से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटाने पर प्राप्त होती है।

प्रश्न 21. 
ऐसी वस्तु को क्या कहते हैं, जिसे पुनः उत्पादन प्रक्रम के किसी चरण से गुजरना नहीं पड़ता है ?
उत्तर:
अन्तिम वस्तु।

प्रश्न 22. 
मध्यवर्ती वस्तु के मूल्य को राष्ट्रीय आय में शामिल करने से क्या समस्या उत्पन्न होती है?
उत्तर:
दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती

प्रश्न 23. 
भूमि को उत्पादन के साधन के रूप में क्या पारिश्रमिक दिया जाता है?
उत्तर:
लगान।।

प्रश्न 24. 
श्रम को उत्पादन के साधन के रूप में दिए जाने वाले पारिश्रमिक को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
मजदूरी।

प्रश्न 25. 
उत्पादन के कोई चार साधन अथवा कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1.  पूँजी 
  2. श्रम 
  3. उद्यमी 
  4. भूमि।

प्रश्न 26. 
सकल राष्ट्रीय उत्पाद से निवल राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करने हेतु सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से क्या घटाया जाता है?
उत्तर:
मूल्यह्रास।

प्रश्न 27. 
राष्ट्रीय आय की गणना में केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं को ही शामिल क्यों किया जाता है ?
उत्तर:
इससे दोहरी गणना की संभावना नहीं रहती

प्रश्न 28. 
उत्पादन के किस कारक को पारिश्रमिक के रूप में लाभ की प्राप्ति होती है?
उत्तर:
उद्यमी को।

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प्रश्न 29. 
उत्पादन के किस कारक को पारिश्रमिक के रूप में ब्याज की प्राप्ति होती है?
उत्तर:
पूँजी को।

प्रश्न 30. 
अन्तिम वस्तुओं को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
दो भागों में:

  1. उपयोग वस्तुएँ 
  2. पूँजीगत वस्तुएँ।

प्रश्न 31. 
निवल अथवा शुद्ध निवेश ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
निवल अथवा शुद्ध निवेश = सकल निवेश - मूल्यह्रास।

प्रश्न 32. 
पारिवारिक क्षेत्र द्वारा फर्मों को क्या प्रदान किया जाता है?
उत्तर:
पारिवारिक क्षेत्र द्वारा फर्मों को कारक सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।

प्रश्न 33. 
हस्तान्तरण आय किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह आय किसी सेवा या वस्तु को प्रदान किए बिना प्राप्त होती है।

प्रश्न 34. 
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय किसे कहते
उत्तर:
जब राष्ट्रीय आय की गणना प्रचलित बाजार मूल्यों पर की जाती है।

प्रश्न 35. 
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय किसे कहते
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की गणना जब किसी आधार वर्ष की कीमतों पर की जाती है।

प्रश्न 36. 
क्या वृद्धावस्था पेंशन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है?
उत्तर:
यह हस्तान्तरण भुगतान है अतः यह राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होता है।

प्रश्न 37. 
तस्करी की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है या नहीं?
उत्तर:
यह गैर - कानूनी आय है अतः इसे शामिल नहीं किया जाता।

प्रश्न 38. 
छात्रवृत्ति को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है या नहीं?
उत्तर:
यह हस्तान्तरण आय है अतः इसे शामिल नहीं किया जाता।

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प्रश्न 39. 
द्वि - क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में कौन-कौन से क्षेत्र होते हैं?
उत्तर:
इसमें दो क्षेत्र पारिवारिक क्षेत्र एवं फर्म होते

प्रश्न 40. 
गैर - टिकाऊ वस्तुएँ कौनसी होती हैं?
उत्तर:
ये वे वस्तुएँ होती हैं जिनका उपयोग एक बार ही किया जाता है।

प्रश्न 41. 
हस्तान्तरण भुगतान किसे कहते हैं ?
उत्तर:
यह बिना किसी वस्तु अथवा सेवा के किया गया भुगतान है।

प्रश्न 42. 
सरकार द्वारा किए गए किसी हस्तान्तरण भुगतान का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वृद्धावस्था पेंशन। 

प्रश्न 43. 
उपभोक्ता वस्तुएँ किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
वे वस्तुएँ जिन्हें उपभोक्ता अपने अन्तिम उपभोग के लिए प्रयोग में लाता है।

प्रश्न 44. 
बचत किसे कहते हैं?
उत्तर:
आय का वह भाग जो उपभोग पर व्यय नहीं किया जाता है, बचत कहलाती है।

प्रश्न 45. 
शुद्ध घरेलू उत्पाद कैसे ज्ञात किया जाता
उत्तर:
शुद्ध घरेलू उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद - मूल्यह्रास।

प्रश्न 46. 
वैयक्तिक आय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
व्यक्तियों तथा परिवारों को सभी स्रोतों से जो आय वास्तव में प्राप्त होती है।

प्रश्न 47. 
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अप्रत्यक्ष कर तथा आर्थिक सहायता के अन्तर को शुद्ध अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।

प्रश्न 48. 
उत्पादन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं में उपयोगिता का निर्माण करना या उनमें उपयोगिता की वृद्धि करना। 

प्रश्न 49. 
निवल अप्रत्यक्ष कर का सूत्र लिखिए। 
उत्तर:
निवल अप्रत्यक्ष कर - अप्रत्यक्ष कर-उपदान 

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प्रश्न 50. 
उत्पादन आगत किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्पादन हेतु जिन वस्तुओं तथा सेवाओं का उपयोग किया जाता है उसे उत्पादन आगत कहते हैं।

प्रश्न 51. 
अप्रत्यक्ष कर के कोई दो उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:

  1. बिक्री कर
  2. उत्पादन शुल्क। 

प्रश्न 52. 
प्रत्यक्ष कर का कोई एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
आयकर।

प्रश्न 53. 
सकल घरेलू उत्पाद से सकल राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करने हेतु उसमें क्या जोड़ा जाता है ?
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ा जाता है।

प्रश्न 54. 
किसी देश का सकल राष्ट्रीय उत्पाद तथा सकल घरेलू उत्पाद कब समान होता है?
उत्तर:
जब विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय शून्य. होती है।

प्रश्न 55. 
ऐसी दो मदें बताइए जो आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय सम्मिलित नहीं की जाती हैं।
उत्तर:

  1.  हस्तांतरण आय। 
  2. पुरानी वस्तुओं की बिक्री से आय।

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प्रश्न 56. 
कोई दो सूचकांकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक। 
  2. थोक मूल्य सूचकांक।

प्रश्न 57. 
स्टॉक में अनियोजित असंचयन कब होता
उत्तर:
जब विक्रय में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होती है तब स्टॉक में अनियोजित असंचय होता है।

प्रश्न 58. 
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = बाजार कीमतों पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से प्राप्त अन्य चालू अंतरण।

प्रश्न 59. 
साधन लागत पर GVA का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
साधन लागत पर GVA = आधारिक कीमतों पर GVA + शुद्ध उत्पादन कर।

प्रश्न 60. 
आधारिक कीमतों पर GVA का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
आधारिक कीमतों पर GVA = बाजार कीमतों पर GVA + शुद्ध उत्पाद कर। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवं सकल घरेलू उत्पाद की अवधारणाओं को समझाइए।
उत्तर:
सकल राष्ट्रीय उत्पाद: इसकी गणना करने हेतु सकल घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय को जोड़ा जाता है।
सकल घरेलू उत्पाद: इसमें किसी घरेलू अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की बाजार कीमत पर माप की जाती है।

प्रश्न 2. 
कोई फर्म प्रतिवर्ष 200 रुपये मूल्य की वस्तु का उत्पादन करती है। उस वर्ष में 40 रुपये की मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, तो फर्म का सकल मूल्यवर्धित परिकलित कीजिए।
उत्तर:
सकल मूल्यवर्धित = वस्तु का उत्पादन - मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग
= 200 - 40 = 160 रुपये

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प्रश्न 3. 
यदि एक राष्ट्र का कुल उपभोग व्यय (C) 1000 करोड़ रुपये, कुल निजी विनियोग (1) 400 करोड़ रुपये तथा सरकारी विनियोग (G) की राशि 600 करोड़ रुपये हो तो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का मूल्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद = कुल उपभोग व्यय + कुल निजी विनियोग
+ सरकारी विनियोग = 1000 + 400 + 600 = 2000 करोड़ रुपये।

प्रश्न 4. 
राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों के मध्य आय अथवा वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान को राष्ट्रीय आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है।

प्रश्न 5. 
मौद्रिक प्रवाह की परिभाषा दीजिये।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों के मध्य मुद्रा अथवा साधनों की मौद्रिक आयों का जो आदानप्रदान होता है उसे मौद्रिक प्रवाह कहा जाता है।

प्रश्न 6. 
उपयुक्त उदाहरण देते हुए अन्तरवती पदार्थ एवं अन्तिम पदार्थ में अन्तर बताइये।
अथवा 
अन्तिम वस्तु एवं मध्यवर्ती वस्तु में अन्तर बताइए।
उत्तर:
वह वस्तु जो अन्तिम रूप से उपयोग हेतु तैयार है, अन्तिम वस्तु है, जैसे-जूता। वह वस्तु जो अन्य वस्तु के उत्पादन में काम में आती है, मध्यवर्ती वस्तु है, जैसे - जूते के उत्पादन हेतु चमड़ा।

प्रश्न 7. 
सकल राष्ट्रीय उत्पाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

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प्रश्न 8. 
सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या समझते
उत्तर:
किसी देश की घरेलू सीमाओं में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 9.
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्यह्रास घटाने के पश्चात् जो बचता है, उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 10. 
कुल राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय में से अप्रत्यक्ष करों को घटाने तथा सरकारी अनुदानों को जोड़ने से जो आय प्राप्त होती है वह कुल राष्ट्रीय आय है अर्थात् साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।

प्रश्न 11. 
साधन लागत पर GDP से बाजार कीमत पर GDP का आकलन कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
साधन लागत पर GDP से बाजार कीमतों पर GDP का आकलन करने के लिए साधन लागत में करों को जोड़ा एवं उपदान को घटाया जाता है।

प्रश्न 12. 
घरेलू कारक आय का अर्थ बताइये।
उत्तर:
किसी देश की घरेल सीमाओं में उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय को घरेलू कारक अथवा साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 13. 
कारक लागत पर घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू आय की परिभाषा दें।
उत्तर:
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में अप्रत्यक्ष कर घटाने तथा सरकार द्वारा दिए अनुदान की राशि जोड़ने से जो उत्पादन प्राप्त होता है वह कारक लागत पर घरेलू उत्पाद होता है।

प्रश्न 14. 
अंशों की बिक्री से प्राप्त मुद्रा को घरेलू कारक आय में शामिल क्यों नहीं किया जाता है?
उत्तर:
अंशों की बिक्री से प्राप्त आय हस्तान्तरण भुगतान होता है अतः इसे घरेलू कारक आय में शामिल नहीं किया जाता है।

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प्रश्न 15. 
निम्नलिखित में से किसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जायेगा
1. लाटरी से जीता इनाम 
2. स्व-उपभोग के लिए कृषि उत्पादन 
3. वृद्धावस्था पेंशन 
4. नई कार खरीदना।
उत्तर:
लाटरी से जीता इनाम तथा वृद्धावस्था पेंशन को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाएगा, क्योंकि ये हस्तान्तरण भुगतान हैं।

प्रश्न 16. 
राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय में अन्तर बताइये।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय शामिल होती है जबकि घरेलू आय में यह शामिल नहीं होती है।

प्रश्न 17. 
आप राष्ट्रीय आय से कुल व्यय योग्य आय कैसे निकालेंगे?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय में शेष विश्व से प्राप्त निवल अन्तरण जोड़कर एवं प्रत्यक्ष कर व शुल्क जुर्माना घटाकर कुल व्यय योग्य आय ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 18. 
माल सूची किसे कहते हैं?
उत्तर:
अबिक्रित निर्मित वस्तुओं अथवा अर्द्धनिर्मित वस्तुओं अथवा कच्चे मालों का स्टॉक एक वर्ष से अगले वर्ष तक रखती है, उसे माल सूची कहते हैं।

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प्रश्न 19. 
मूल्यवर्धित विधि से सकल घरेलू उत्पाद कैसे ज्ञात किया जाता है?
उत्तर:
एक वर्ष में अर्थव्यवस्था की सभी फर्मों के सकल मूल्यवर्धित का योग करके सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जाता है।

प्रश्न 20. 
व्यय विधि द्वारा सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद =C + I + G + X + M
यहाँ C = अन्तिम उपयोग, 
I = अन्तिम निवेश, 
G = सरकारी व्यय, 
X = निर्यात, 
M = आयात।

प्रश्न 21. 
वैयक्तिक आय ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय - अवितरित लाभ - परिवारों द्वारा दी गई निवल ब्याज अदायगी - निगम कर + सरकार द्वारा फर्मों से परिवारों को की गयी अन्तरण अदायगी।

प्रश्न 22. 
साधन आय किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्पादन के साधनों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसे साधन आय कहते

प्रश्न 23. 
क्या गृहिणी की सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है?
उत्तर:
गृहिणी की सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है; क्योंकि इसका कोई मौद्रिक मूल्य नहीं होता है।

प्रश्न 24. 
निजी आय एवं वैयक्तिक आय में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
निजी आय में निगम कर और अवितरित लाभ सम्मिलित किया जाता है, जबकि वैयक्तिक आय में इन्हें शामिल नहीं किया जाता।

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प्रश्न 25. 
साधन आय एवं हस्तान्तरण आय में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
साधन आय फर्म के लिए भुगतान एवं साधन के लिए आय है अतः यह दोतरफा भुगतान है जबकि हस्तान्तरण आय एकतरफा भुगतान होता है।

प्रश्न 26. 
मूल्यह्रास से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर:
पूँजीगत वस्तुओं की नियमित टूट - फूट का समायोजन करने के क्रम में सकल निवेश के मूल्य में किए गए लोप को मूल्यह्रास कहते हैं।

प्रश्न 27. 
निवल निवेश से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में पूजीगत वस्तुओं में नए योग का माप निवल निवेश कहलाता है, जिसे निम्न सूत्र से ज्ञात किया जाता है।
निवल निवेश = सकल निवेश - मूल्यह्रासं।

प्रश्न 28. 
राष्ट्रीय आय की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय आय एक समग्र विचार है, जिसमें मुद्रा के आधार पर विभिन्न क्रियाओं का आकलन किया जाता है।
  2. राष्ट्रीय आय एक प्रवाह है, जिसका सम्बन्ध समय से है। सामान्यत: यह एक वर्ष के लिए मालूम की जाती है।

प्रश्न 29. 
टिकाऊ एवं गैर टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ वे हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार उपयोग किया जाता है. जैसे-मशीन जबकि गैर टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं का प्रयोग केवल एक बार होता है, जैसे - कच्चा माल।

प्रश्न 30. 
गैर आर्थिक क्रियाओं के कोई चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. पुरानी वस्तुओं का क्रय - विक्रय 
  2. सरकार द्वारा किये जाने वाले हस्तान्तरण व्यय 
  3. शेयर ऋणपत्र आदि का क्रय-विक्रय 
  4. गैर कानूनी क्रियाएँ। 

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प्रश्न 31. 
निजी आय किसे कहते हैं?
उत्तर:
निजी क्षेत्र को सभी स्रोतों से प्राप्त होने वाली साधन आय, सरकार से प्राप्त हस्तान्तरण आय और शेष विश्व से प्राप्त हस्तान्तरण आय का योग ही निजी आय है।

प्रश्न 32. 
वैयक्तिक आय कैसे ज्ञात की जाती
उत्तर:
निजी आय में से निगमों की बचत, निगम कर तथा विदेशी कम्पनियों की शुद्ध प्रतिधारित (निगम बचतें) घटाने पर वैयक्तिक आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 33. 
राष्ट्रीय आय के कोई दो महत्त्व बताइये।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय आय के आँकड़ों से अर्थव्यवस्था की संरचना का ज्ञान होता है।
  2. राष्ट्रीय आय देश की आर्थिक प्रगति की सूचक होती है।

प्रश्न 34. 
किसी देश की राष्ट्रीय आय आर्थिक प्रगति की सूचक कैसे होती है? 
उत्तर:
देश की राष्ट्रीय आय बढ़ने से लोगों का आर्थिक कल्याण बढ़ता है तथा देश का आर्थिक एवं सामाजिक विकास होता है।

प्रश्न 35. 
राष्ट्रीय आय की दोहरी गणना से क्या कठिनाई उत्पन्न होती है?
उत्तर:
दोहरी गणना से वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य कई बार शामिल होता है जिससे राष्ट्रीय आय का वास्तविक मूल्य कई गुना बढ़ जाता है।

प्रश्न 36. 
राष्ट्रीय आय तथा निजी आय में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ऋण पर दिया गया ब्याज राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है किन्त इसे निजी आय में शामिल नहीं किया जाता है।

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प्रश्न 37. 
राष्ट्रीय आय के वितरण तथा आर्थिक कल्याण में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
यदि राष्ट्रीय आय का वितरण समाज में समान होता है तो इसके फलस्वरूप आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है।

प्रश्न 38. 
सकल घरेलू उत्पाद व सकल राष्ट्रीय उत्पाद में मुख्य अन्तर बताइए।
उत्तर:
सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सकल घरेलू उत्पाद के अलावा विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय की राशि को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 39. 
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय तथा स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय की गणना प्रचलित बाजार कीमतों पर की जाती है जबकि स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय की गणना आधार वर्ष की कीमतों पर की जाती है।

प्रश्न 40. 
निम्नांकित समंकों की सहायता से राष्ट्रीय आय की गणना कीजिए।
वास्तविक प्रवाह में वस्तुओं व सेवाओं तथा उत्पादन साधनों का प्रवाह अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र से
(i) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
1,000 करोड़ रुपये 
(ii) मूल्यह्रास
200 करोड़ रुपये 
(iii) अप्रत्यक्ष कर 150 करोड़ रुपये 
(iv) अनुदान
250 करोड़ रुपये 
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की गणनाबाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
= 1.000 करोड़ रुपये घटाएँ - मूल्यह्रास (-) 200 करोड़ रुपये
बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = 800 करोड़ रुपये
घटाएँ - अप्रत्यक्ष कर (-) 150 करोड़ रुपये
जोड़ें - अनुदान (+) 250 करोड़ रुपये
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय
= 900 करोड़ रुपये 

प्रश्न 41. 
मध्यवर्ती वस्तुओं तथा अन्तिम वस्तुओं मध्य अन्तर उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर

मध्यवर्ती वस्तुएँ

अन्तिम वस्तुएँ

1. इनका अन्य वस्तुओं के उत्पादन हेतु उपयोग किया जाता है।

1. इनका उपभोका अन्तिम रूप से उपयोग करते हैं।

2. इनकी माँग उत्पादकों द्वारा की जाती है।

2. इनकी माँग उपभोकाओं द्वारा की जाती है।

3. राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।

3. राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

4. इन वस्तुओं में उपयोगिता का सृजन कर पुन: बेचा जाता है।

4. इन वस्तुओं का अन्तिम रूप से उपयोग कर लिया जाता है।


प्रश्न 42. 
आय के वर्तुल अथवा चक्रीय प्रवाह को समझाइये।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों के मध्य आय अथवा वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान - प्रदान को चक्रीय अथवा वर्तुल प्रवाह कहा जाता है। दूसरे शब्दों में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों में उत्पादन, आय एवं व्यय के प्रवाह को चक्रीय प्रवाह कहा जाता है। आय के चक्रीय प्रवाह से सम्बन्धित तीन पहलू उत्पादन, आय एवं व्यय हैं।

प्रश्न 43. 
वास्तविक प्रवाह तथा मौद्रिक प्रवाह में क्या अन्तर है?
उत्तर:
दूसरे क्षेत्र में होता है जबकि मौद्रिक प्रवाह में फर्मों से परिवारों को साधन भुगतान के रूप में तथा परिवारों से फर्मों को वस्तुओं एवं सेवाओं के भुगतान के रूप में मुद्रा का प्रवाह होता है।

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प्रश्न 44. 
स्थिर पूँजी के उपभोग से क्या अभिप्राय है? इसके मुख्य भाग क्या हैं? 
उत्तर:
पूँजीगत वस्तुओं की नियमित टूट-फूट का समायोजन करने के क्रम में सकल निवेश के मूल्य में किए गए लोप को स्थिर पूँजी का उपभोग अथवा मूल्यह्रास कहा जाता है। स्थिर पूँजी का उपभोग स्थिर परिसम्पत्ति की आयु के आधार पर निकाला जाता है। इसके मुख्य भाग सामान्य टूट - फूट, घिसावट, अप्रचलन आदि हैं।

प्रश्न 45. 
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद एवं कारक लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

  1. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में मूल्यह्रास शामिल होता है। जबकि कारक लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में यह शामिल नहीं होता।।
  2. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल होते हैं जबकि कारक लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं होते हैं।

प्रश्न 46. 
प्राथमिक क्षेत्र एवं द्वितीयक क्षेत्र में अन्तर बताइये।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र में सीधे प्राकृतिक साधनों का शोषण कर वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है जबकि द्वितीयक क्षेत्र में एक वस्तु को दूसरी वस्तु में परिवर्तित करके उसमें उपयोगिता का सृजन किया जाता है। प्राथमिक क्षेत्र में कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों को शामिल किया जाता है जबकि द्वितीयक क्षेत्र में विभिन्न उद्योगों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 47. 
राष्ट्रीय आय की गणना का क्या महत्त्व है?
उत्तर:

  1. इससे अर्थव्यवस्था के ढाँचे का ज्ञान होता है।
  2. यह देश की आर्थिक प्रगति का सूचक है।
  3. यह नीति निर्धारण एवं आर्थिक नियोजन में उपयोगी है।
  4. यह देशों की तुलनात्मक समीक्षा में उपयोगी होती है। 
  5. राष्ट्रीय आय आर्थिक प्रवृत्तियों के दिशा निर्देशन में सहायक है।

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प्रश्न 48. 
राष्ट्रीय आय लेखांकन के क्या उपयोग हैं?
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय आय लेखांकन आर्थिक विश्लेषण हेतु एक ढाँचा तैयार करता है।
  2. यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अन्तर्सम्बन्ध को स्पष्ट करता है।
  3. इससे राष्ट्रीय आय तथा उत्पादन सम्बन्धी लेखेजोखे तैयार किये जाते हैं।
  4. राष्ट्रीय आय लेखांकन में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के छोटे - छोटे लेन - देनों को क्षेत्रवार बाँटकर उनके सभी खातों का एकीकरण किया जाता है।

प्रश्न 49. 
व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने में की जाने वाली कोई तीन सावधानियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. व्यय विधि में केवल अन्तिम रूप से किए व्यय को ही शामिल किया जाता है।
  2. इसमें अंशों एवं बाण्ड्स पर होने वाले व्यय को शामिल नहीं किया जाता है।
  3. इसमें पुरानी वस्तुओं को क्रय करने में किए गए व्यय को शामिल नहीं किया जाता है।

प्रश्न 50. 
क्या निम्नलिखित कारक (साधन) आय भारत की देशीय (घरेल) कारक आय / साधन आय का एक भाग होगी? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिये
1. विदेशी बैंकों के भारत में उनकी शाखाओं द्वारा अर्जित लाभ।
2. भारत में अमेरिकी दूतावास में कार्यरत निवासियों से प्राप्त वेतन।
3. एक भारतीय कम्पनी को सिंगापुर से उनकी शाखा द्वारा अर्जित लाभ।
4. चीन में भारतीय दूतावास में कार्यरत चीन के निवासियों को दिया जाने वाला कर्मचारियों को  पारिश्रमिक।
उत्तर:

  1. यह भारत की घरेलू आय है क्योंकि यह भारतीय सीमा के अन्दर स्थित है।
  2. यह भारत की घरेलू आय नहीं है क्योंकि अमेरिकी दूतावास जो भारत में है वह भारत की घरेलू सीमा का अंग नहीं है।
  3. यह भारत की घरेलू आय नहीं है क्योंकि कम्पनी भारत की सीमा से बाहर स्थित है।
  4. यह भारत की घरेलू आय नहीं है क्योंकि चीनी नागरिक हमारे निवासी नहीं हैं।

प्रश्न 51. 
निम्नलिखित को स्टॉक एवं प्रवाह में वर्गीकृत कीजिए
1. राष्ट्रीय पूँजी
2. निर्यात 
3. भारत की जनसंख्या 
4. निवेश 
5. परिवारों का भोजन पर व्यय 
6. बैंक के बचत खाते में जमा। 
उत्तर:

मद

स्टॉक अथवा प्रवाह

1. राष्ट्रीय पूँजी
2.  निर्यात
3. भारत की जनसंख्या
4. निवेश
5. परिवारों का भोजन पर व्यय
6. बैंक के बचत खाते में जमा

स्टॉक
प्रवाह
स्टॉक
प्रवाह
प्रवाह
स्टॉक


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प्रश्न 52. 
निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से ।
(1) निजी आय  (2) वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना करें (करोड़ रुपये) 
1. सरकारी प्रशासनिक विभागों की सम्पत्ति एवं उद्यमशीलता से प्राप्त आय  500 
2. गैर विभागीय सरकारी उद्यमों की बचतें 100 
3. निगम कर 80 
4. निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त होने वाली आय 4500 
5. विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय (-) 50 
6. सरकारी प्रशासनिक विभागों से प्राप्त चालू हस्तान्तरण 200 
7. प्रत्यक्ष वैयक्तिक कर 150 
8. अप्रत्यक्ष कर 500
9. शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण 220
10. निजी निगम क्षेत्रों की बचत 80
उत्तर:
(1) निजी आय = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त होने।
वाली आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध कारक आय + सरकारी प्रशासनिक विभागों से प्राप्त चालू हस्तान्तरण + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण
= 4500 + (-) 50 + 200 + 80
= 4730 करोड़ रुपये

(2) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी आय  - निगम कर - निजी निगम क्षेत्रों
की बचतें - प्रत्यक्ष वैयक्तिक कर 3. 4730 - 80 - 500 - 150
= 4000 करोड़ रुपये।

प्रश्न 53. 
राष्ट्रीय आय की गणना करने की आय विधि का वर्णन करो।
अथवा 
राष्ट्रीय आय गणना की आय विधि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आय संगणना विधि के अन्तर्गत देश में उत्पत्ति के सभी साधनों की आय अर्थात् लगान, ब्याज, - मजदूरी, लाभ आदि का जोड़ लगाया जाता है। इस विधि से राष्ट्रीय आय की गणना करते समय हस्तान्तरण भुगतानों को शामिल नहीं किया जाता है। इसका निम्न सूत्र है।
GDP = W + P + In +R
यहाँ: GDP = सकल घरेलू उत्पाद,
W = मजदूरी,
P= लाभ,
In = ब्याज,
R = लगान है।

प्रश्न 54. 
प्राथमिक क्षेत्र का क्या अभिप्राय है? इसमें किन क्रियाओं को शामिल किया जाता है ?
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है जिसमें प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। प्राथमिक क्षेत्र में कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों, मछली उद्योग आदि को शामिल किया जाता

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प्रश्न 55. 
राष्ट्रीय लेखांकन से आप क्या समझते
उत्तर:
किसी भी अर्थव्यवस्था की समस्त आर्थिक क्रियाओं का सांख्यिकीय वर्गीकरण करना तथा उन आँकड़ों का विश्लेषण करने की रूपरेखा तैयार करना राष्ट्रीय आय लेखांकन अथवा सामाजिक लेखांकन कहलाता है। इसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के पारस्परिक सम्बन्धों को सांख्यिकीय रूपों में प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न 56. 
उत्पादन क्रियाएँ क्या होती हैं ? किन्हीं दो उत्पादन क्रियाओं के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन क्रियाएँ वे क्रियाएँ हैं जो अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह में योगदान देती हैं।
उदाहरण:

  1. एक डॉक्टर द्वारा रोगियों का इलाज करना। .
  2. एक अध्यापक द्वारा स्कूल में पढ़ाना।
  3. एमाणमामाटात

प्रश्न 57. 
अनुत्पादक क्रियाओं से आप क्या समझते हैं? किन्हीं दो अनुत्पादक क्रियाओं के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अनुत्पादक क्रियाएँ वे क्रियाएँ होती हैं जिनका अर्थव्यवस्था में वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह में कोई योगदान नहीं होता है। इनके द्वारा केवल पहले से उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का पुनर्वितरण होता है।
उदाहरण:

  1. वृद्धावस्था पेंशन 
  2. छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्तियाँ । 

प्रश्न 58. 
निम्नलिखित स्टॉक है अथवा प्रवाह
1. भारत में कोयले का उत्पादन 
2. भारत की राष्ट्रीय पूँजी 
3. एक टैंकर द्वारा रिसता हुआ पेट्रोल 
4. भारत में पशुधन 
5. भारत की राष्ट्रीय आय 
6. जयपुर से दिल्ली की दूरी। 
उत्तर:

  1. भारत में कोयले का उत्पादन प्रवाह 
  2. भारत की राष्ट्रीय पूँजी स्टॉक स्टॉक
  3.  एक टैंकर द्वारा रिसता हुआ पेट्रोलप्रवाह 
  4. भारत में पशुधन 
  5. भारत की राष्ट्रीय आय प्रवाह 
  6. जयपुर से दिल्ली की दूरी स्टॉक

प्रश्न 59. 
पूँजीगत हस्तान्तरण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पूँजीगत हस्तान्तरण से अभिप्राय उस हस्तान्तरण भुगतान से है जो हस्तान्तरण करने वाले की सम्पत्ति या बचत में से नकद या किस्म के रूप में हस्तान्तरण प्राप्त करने वाले को सकल पूँजी निर्माण या अन्य किसी प्रकार से धन का संग्रह करने के लिए या दीर्घकालीन व्यय के रूप में प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 60. 
अर्थव्यवस्था में मुद्रा प्रवाह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में साधन सेवाओं के बदले फर्मे, परिवारों को भुगतान करती हैं तथा परिवार, फर्मों को वस्तुओं एवं सेवाओं का भुगतान करते हैं। इस प्रकार फर्मों द्वारा परिवारों को तथा परिवारों द्वारा फर्मों को मुद्रा का भुगतान किया जाता है, इसे मुद्रा प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 61. 
वास्तविक प्रवाह से आप क्या समझते
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में परिवार क्षेत्र द्वारा फर्मों को साधन सेवाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं तथा फर्मों द्वारा परिवार क्षेत्र को वस्तुएँ एवं सेवाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं, इस प्रकार विभिन्न क्षेत्रकों में वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह को वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 62.
द्विक्षेत्रीय अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर:
यह अर्थव्यवस्था की सरलतम प्रणाली होती है। इसमें अर्थव्यवस्था में केवल दो ही क्षेत्र होते हैं। एक परिवार क्षेत्र तथा दूसरा फर्म होती है। परिवार क्षेत्र फर्मों को साधन सेवाएँ उपलब्ध करवाता है तथा फर्मे, परिवारों को वस्तुएँ एवं सेवाएँ उपलब्ध करवाती हैं।

प्रश्न 63.
किसी देश के धनी होने हेतु क्या केवल संसाधनों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
किसी देश के धनी होने के लिए उसके पास केवल संसाधनों का होना आवश्यक नहीं है, मुख्य बात यह है कि इन संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाये जिससे उत्पादन का प्रवाह हो तथा उस प्रक्रम से कैसे आय और सम्पत्ति का सृजन किया जाए।

प्रश्न 64. 
अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन कैसे होता है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में एक उद्यमी अथवा साहसी उत्पादन के अन्य साधनों, जैसे - भूमि, पूँजी तथा श्रम के सहयोग से जब वस्तुओं एवं सेवाओं का सजन करते हैं अथवा उपयोगिता का सृजन करते हैं, उसे वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन कहते हैं।

प्रश्न 65. 
अंतिम वस्तु से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वस्तु की ऐसी मद या प्रकार जिसका अंतिम उपयोग उपभोक्ता के द्वारा होता है अर्थात् जिसे पुन: उत्पादन प्रक्रम के किसी चरण से गुजरना नहीं पड़ता अथवा जिसमें पुनः कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अंतिम वस्तु कहते हैं।

प्रश्न 66. 
उपभोग अथवा उपभोक्ता वस्तु किसे कहते हैं?
उत्तर:
आहार और वस्त्र जैसी वस्तुएँ तथा मनोरंजन जैसी सेवाओं का उपयोग उसी समय होता है, जब अंतिम उपभोक्ताओं के द्वारा उनको क्रय किया जाता है, इन्हें उपभोग वस्तुएँ या उपभोक्ता वस्तुएँ कहते हैं।

प्रश्न 67. 
टिकाऊ वस्तुएँ किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिन्हें एक बार क्रय करने के पश्चात् कई बार तथा एक से अधिक वर्षों तक काम में लाया जाता है, जैसे - फर्नीचर, स्कूटर, कार आदि टिकाऊ वस्तुएँ हैं क्योंकि इन वस्तुओं का उपयोग कई वर्षों तक किया जाता है।

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प्रश्न 68. 
टिकाऊ तथा गैर - टिकाऊ वस्तुओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिनका उपयोग कई बार किया जा सकता है; जैसे - फर्नीचर, मशीन आदि जबकि गैर-टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उपयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है, जैसेखाद्य पदार्थ, कच्चा माल आदि।

प्रश्न '69. 
हस्तान्तरण भुगतान को उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हस्तान्तरण भुगतान वह भुगतान होता है जो किसी संस्था अथवा व्यक्ति को बिना किसी आर्थिक क्रिया अथवा वस्तु अथवा सेवा के किया जाता है। उदाहरण के लिए, सरकार द्वारा वृद्ध लोगों को प्रदान की जाने वाली पेंशन हस्तान्तरण भुगतान है।

प्रश्न 70. 
सार्वजनिक निवेश से आप क्या समझते
उत्तर:
सार्वजनिक निवेश से अभिप्राय सरकार द्वारा पूँजी निर्माण पर किए जाने वाले व्यय से है। जब सरकार सड़कों, अस्पतालों, स्कूल, विद्युत उत्पादन, कारखानों और इमारतों आदि के निर्माण पर क्रय करती है, तो उसे सार्वजनिक निवेश कहते हैं।

प्रश्न 71. 
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय को स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में परिवर्तन करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय को स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में परिवर्तित करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता हैस्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय चालू वर्ष का सूचकांक x 100 

प्रश्न 72. 
प्रत्याशित तथा अप्रत्याशित अप्रचलन में अन्तर बताइए।
उत्तर:
उत्पादन तकनीक सुधार आने से पुरानी मशीनों का चलन से बाहर होना प्रत्याशित अप्रचलन कहलाता है, जबकि अप्रत्याशित कारणों, जैसे-बाढ़, भूकम्प आदि से परिसम्पत्तियों के चलन से बाहर होना अप्रत्याशित अप्रचलन कहलाता है।

प्रश्न 73. 
आर्थिक सहायता अथवा सब्सिडी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक सहायता अथवा सब्सिडी से अभिप्राय सरकार द्वारा उद्यमों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता अथवा अनुदान से जिससे उद्यमों की लागत कम होती है तथा उद्यमी वस्तु को कम कीमत पर बेचते हैं अर्थात् यह सरकार द्वारा चुकाया गया वस्तु की लागत का एक भाग है।

प्रश्न 74. 
उत्पादन के मूल्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक लेखा वर्ष में फर्म द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्यों को उत्पादन मूल्य कहते हैं। उत्पादन का मूल्य, उत्पादन की मात्रा को बाजार कीमत से गुणा करके ज्ञात किया जाता है।

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प्रश्न 75. 
मूल्य वृद्धि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मूल्य वृद्धि से अभिप्राय उद्यमों अथवा उत्पादन इकाइयों द्वारा वस्तुओं की उपयोगिता में की गई वृद्धि से होता है अर्थात् दूसरे शब्दों में, मूल्यवृद्धि उत्पाद मूल्य तथा मध्यवर्ती उपयोग का अन्तर होता है।

प्रश्न 76. 
सकल मूल्य वृद्धि तथा शुद्ध मूल्य वृद्धि में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सकल मूल्य वृद्धि में अचल पूँजी का उपयोग अर्थात् मूल्यह्रास शामिल होता है, जबकि शुद्ध मूल्य वृद्धि में अचल पूँजी का उपयोग अर्थात् मूल्यह्रास शामिल नहीं होता है। सकल मूल्य वृद्धि में से मूल्यह्रास को घटाने से शुद्ध मूल्य वृद्धि प्राप्त होती है।

प्रश्न 77. 
बाजार कीमत तथा साधन लागत में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बाजार कीमत में शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल होता है, जबकि साधन लागत में शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं होता है। साधन लागत निकालने के लिए बाजार मूल्य से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अर्थात् अप्रत्यक्ष कर - अनुदान) को घटाया जाता है, जैसेसाधन लागत = बाजार मूल्य - अप्रत्यक्ष कर + अनुदान

प्रश्न 78. 
लाभ किसे कहते हैं?
उत्तर:
उद्यमी को उसकी सेवाओं के बदले जो राशि प्राप्त होती है, उसे लाभ कहते हैं। यह एक अवशेष आय होती है, जो उद्यमी को उत्पादन के अन्य उत्पादन साधनों की कीमत चुकाने के बाद उसके पास शेष बचती

प्रश्न 79. 
राष्ट्रीय आय वैयक्तिक आयों का योग क्यों नहीं होती है?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय वैयक्तिक आर्यों का योग इसलिए नहीं होती है। क्योंकि राष्ट्रीय आय कमाई की संकल्पना है जिसमें केवल अर्जित आय शामिल होती है, जबकि वैयक्तिक आय एक प्राप्ति की अवधारणा है जिसमें साधन आयों के अतिरिक्त हस्तान्तरण आयों को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 80. 
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक क्या है?
उत्तर:
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वह सूचकांक है, जो जीवन निर्वाह व्यय में परिवर्तन को मापता है, इसे जीवन निर्वाह मूल्य सूचकांक भी कहा जाता है। ये फुटकर मूल्यों में औसतन परिवर्तन का माप करते हैं।

प्रश्न 81. 
थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग किसके माप के लिए किया जाता है?
उत्तर:
थोक मूल्य सूचकांक का प्रयोग सामान्य मूल्य स्तर को मापने के लिए किया जाता है। थोक मूल्य सूचकांक का उपयोग मूल्यों में परिवर्तित सम्पूर्ण समुच्चय पर होने वाले प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 82. 
उत्पादन प्रक्रिया से आप क्या समझते
उत्तर:
उत्पादन के साधनों को संगठित करके उनकी सेवाओं के उपयोग से वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन करने की प्रक्रिया को उत्पादन प्रक्रिया कहते हैं। सामान्यतः अर्थव्यवस्था में उद्यमी द्वारा भूमि, पूँजी तथा श्रम का उत्पादन साधनों के रूप में प्रयोग कर वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 83. 
राष्ट्रीय आय गणना की मूल्यवर्धित विधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा 
राष्ट्रीय आय गणना की उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस विधि में अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। राष्ट्रीय आय मापने के लिए उत्पादन विधि में दो मार्ग अपनाए जाते हैं:

  1. अन्तिम उत्पादन मार्ग
  2.  मूल्यवर्धित मार्ग। पहले मार्ग में फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य लिया जाता है, जबकि दूसरे मार्ग में फर्म द्वारा उत्पादन प्रक्रिया में की गई मूल्यवर्धित ली जाती है।

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प्रश्न 84. 
राष्ट्रीय आय गणना की व्यय विधि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस विधि के अन्तर्गत एक लेखा वर्ष में अर्थव्यवस्था के समस्त अन्तिम व्ययों के योग से सकल घरेलू आय की गणना की जाती है। इसका निम्न सूत्र है।
\(\mathrm{GDP}=\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{RV}_{\mathrm{i}}=\mathrm{C}+\mathrm{I}+\mathrm{G}+\mathrm{X}-\mathrm{M}\)
यहाँ पर GDP = सकल घरेलू उत्पाद
\(\sum_{i=1}^{N} R_{i}\) = एक वर्ष में अन्तिम उपयोग, निवेश, 'सरकारी व्यय तथा निर्यात सम्बन्धी व्ययों का कुल योग है।
C= अन्तिम उपभोग व्यय
I = अन्तिम निवेश व्यय
G =  सरकार द्वारा अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं
पर किया गया व्यय।
x = निर्यात
M = आयात है।

प्रश्न 85.
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय तथा स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में अन्तर बताइए।
उत्तर:

चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय

स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय

1. चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय को मौद्रिक राष्ट्रीय आय कहते हैं।

1. स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय को वास्तविक राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

2. इसमें राष्ट्रीय आय की गणना प्रचलित बाजार कीमतों पर की जाती है।

2. इसमें राष्ट्रीय आय की गणना आधार वर्ष की कीमतों पर की जाती है।

3. चालू कीमतों पर कीमत वृद्धि के कारण राष्ट्रीय आय में बिना उत्पादन बढे भी वद्धि हो सकती है।

3. स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में तभी वृद्धि होगी जब वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि होगी।


प्रश्न 86. 
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(i) सकल तथा शुद्ध उत्पाद। 
(ii) बाजार मूल्य तथा साधन लागत। 
(iii) राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय।
उत्तर:
(i) सकल तथा शुद्ध उत्पाद: सकल से मूल्यह्रास घटाने पर शुद्ध तथा शुद्ध में मूल्यह्रास जोड़ कर सकल उत्पाद ज्ञात किया जा सकता है अर्थात् शुद्ध उत्पाद - सकल उत्पाद - मूल्यह्रास सकल उत्पाद = शुद्ध उत्पाद + मूल्यह्रास

(ii) बाजार मूल्य तथा साधन लागत: बाजार कीमत तथा साधन लागत का अन्तर जानने के लिए अप्रत्यक्ष कर तथा सब्सिडी का प्रयोग किया जाता है, इस हेतु हम निम्न सूत्र का प्रयोग करेंगे।

(iii) राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय: राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय में अन्तर जानने के लिए विदेशों से शुद्ध आय की सहायता लेते हैं।इस हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग करेंगे। राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय घरेलू आय = घरेलू आय - विदेशों से शुद्ध साधन आय।

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प्रश्न 87. 
साधन भुगतान तथा अंतरण भुगतान में अन्तर बताइए।
उत्तर:

साधन भुगतान

अन्तरण भुगतान

1. यह आय की अवधारणा है।

1. यह प्राप्ति की अवधारणा है।

2. यह उत्पादन के साधन को सेवा प्रदान करने के बदले प्राप्त होता है।

2. यह भुगतान बिना कोई सेवा अथवा वस्तु प्रदान किए प्राप्त होता है।

3. यह अर्जित आय है।

3. यह हस्तान्तरण आय है।

4. इसे राष्ट्रिय आय में शामिल किया जाता है।

4. इसे राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।


प्रश्न 88. 
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद का तात्पर्य किसी देश की घरेलू सीमा के अन्तर्गत एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यों के जोड़ से है। इसके अतिरिक्त हम सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को घटाकर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात कर सकते हैं।

प्रश्न 89. 
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना में आने वाली दो प्रमुख कठिनाइयाँ बताइए।
उत्तर:
(1) गैर - मौद्रिक लेन: देन होता है। इस कारण गैर - मौद्रिक लेन - देन का राष्ट्रीय आय में कोई हिसाबकिताब नहीं रहता है। इस कारण राष्ट्रीय आय का सही आकलन नहीं हो पाता है।।

(2) अधिकांश लोग पर्याप्त हिसाब: किताब नहीं रखते हैं जिस कारण राष्ट्रीय आय की गणना हेतु सही व पर्याप्त आँकड़े प्राप्त नहीं हो पाते हैं।

प्रश्न 90. 
राष्ट्रीय आय की कोई तीन प्रमुख विशेषताओं अथवा बातों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय आय एक समग्र विचार है, जिसमें मुद्रा के आधार पर विभिन्न क्रियाओं का आकलन किया जाता है।
  2. राष्ट्रीय आय एक प्रवाह है, जिसका सम्बन्ध समय से है।
  3. राष्ट्रीय आय में अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य को ही शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 91. 
निम्नलिखित का सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP ) में समावेश होता है या नहीं? कारण सहित बताइये
(i) डॉक्टर द्वारा कार के रख - रखाव पर किया व्यय।
(ii) घर में पत्नी द्वारा की गई सेवाएँ। 
(iii) पेन्शन।
उत्तर:
(i) डॉक्टर के द्वारा कार के रख: रखाव पर किया गया व्यय एक प्रकार का मध्यवर्ती व्यावसायिक व्यय होता है। अत: इसे GNP में शामिल नहीं किया जाता है।

(ii) घर में पत्नी की सेवाओं को GNP में शामिल नहीं किया जाता:  क्योंकि ये बाजार में विनिमय की जाने वाली सेवाओं में नहीं आर्ती।

(iii) पेन्शन एक हस्तान्तरण: भुगतान की राशि होती है। इसलिए यह GNP का अंग नहीं हो सकती।

प्रश्न 92. 
निम्न को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल किया जाएगा अथवा नहीं? कारण सहित बताइए
1.  विदेशों से प्राप्त आय। 
2. लाटरी में निकला इनाम। 
3.  अवितरित लाभ।
4.  माल के स्टॉक या इन्वेण्टरी के मूल्यों में हुआ परिवर्तन।
उत्तर:

  1. विदेशों से प्राप्त आय GNP का अंग होती है, अतः इसे GNP में शामिल किया जाता है।
  2. लॉटरी में निकला इनाम हस्तान्तरण - भुगतान होता है। अत: यह GNP का अंग नहीं होता।
  3. अवितरित लाभ GNP के अंग होते हैं, लेकिन ये वैयक्तिक आय में शामिल नहीं होते।
  4. माल के स्टॉक के मूल्यों में हुआ परिवर्तन राष्ट्रीय आय में शामिल होता है। यह विनियोग के अन्तर्गत लिया जाता है।

प्रश्न 93. 
निम्न का आर्थिक कल्याण पर क्या प्रभाव पड़ेगा
1. राष्ट्रीय आय तथा उपभोग वस्तुओं की उपलब्धता
2.  राष्ट्रीय आय का वितरण।
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय आय तथा उपभोग वस्तुओं की उपलब्धता-आय में वृद्धि के साथ - साथ लोगों को अधिक मात्रा में उपभोग वस्तुएँ सुलभ हों तो लोगों का जीवन स्तर बढ़ने से आर्थिक कल्याण में वृद्धि होगी।
  2. राष्ट्रीय आय का वितरण-यदि राष्ट्रीय आय का वितरण समान होता है तो आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है।

प्रश्न 94. 
स्वैच्छिक हस्तान्तरण भुगतान एवं बाध्यकारी हस्तान्तरण भुगतान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्वैच्छिक हस्तान्तरण भुगतान में परिवारों द्वारा धार्मिक संस्थाओं को दिया गया दान आता है। बाध्यकारी हस्तान्तरण भुगतान में उद्यमों एवं परिवारों द्वारा सरकार को दिये गये सभी प्रकार के कर जैसे आयकर, विक्रीकर, कस्टम ड्यूटी आदि आते हैं। 

प्रश्न 95.
योग्य आय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक आय में से वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर (जैसे आयकर) तथा फीस एवं जुर्माना आदि घटाने के बाद जो आय शेष रहती है वही खर्च योग्य आय कहलाती है।
इसे सूत्र के रूप में अग्र प्रकार दर्शाया जा सकता है।
खर्च योग्य वैयक्तिक आय = वैयक्तिक आय - वैयक्तिक प्रत्यक्ष कर अथवा खर्च योग्य वैयक्तिक
आय = व्यक्तिगत उपभोग + व्यक्तिगत बचत।

प्रश्न 96. 
राष्ट्रीय आय गणना में किन-किन मदों को शामिल नहीं किया जाता है ? किन्हीं तीन मदों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. विभिन्न हस्तान्तरण भुगतानों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
  2. अवैध गतिविधियों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।
  3. अप्रत्याशित आयों जैसे लॉटरी आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 97. 
निम्न आँकड़ों की सहायता से निजी आय तथा वैयक्तिक आय की गणना कीजिएनिजी क्षेत्र में घरेलू उत्पत्ति से आय - 120 रुपये राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज = 15 रुपये
पेन्शन = 20 रुपये
निजी क्षेत्र का अवितरित लाभ - 15 रुपये
निगम कर = 20 रुपये
उत्तर:
निजी आय की गणनानिजी क्षेत्र में घरेलू उत्पत्ति से आय = 120 रुपये
जोड़ें - राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज (+) 15 रुपये
जोड़ें - पेन्शन (+) 10 रुपये
निजी आय 145 रुपये वैयक्तिक आय की गणना
निजी आय = 145 रुपये
घटाएँ - निगम कर (-) 20 रुपये
घटाएँ - निजी क्षेत्र का अवितरित लाभ (-) 15 रुपये
वैयक्तिक आय - 110 रुपये 

प्रश्न 98. 
निम्न आँकड़ों की सहायता से बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना कीजिए।
निजी अन्तिम उपभोग व्यय - 5,000 करोड़ रुपये
सकल घरेलू अचल पूँजी निर्माण = 400 करोड़ रुपये
स्टॉक में वृद्धि - 100 करोड़ रुपये
सरकारी व्यय = 500 करोड़ रुपये
वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात - 300 करोड़ रुपये
वस्तुओं एवं सेवाओं का आयात = 200 करोड़ रुपये
उत्तर:
उपर्युक्त दिए आँकड़ों के आधार पर व्यय विधि की सहायता से सकल घरेलू उत्पाद की गणना की जा सकती है, जिसका सूत्र निम्न प्रकार है
GDP =C+ I + G + X - M
प्रश्नानुसार GDP = निजी अन्तिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू अचल पूँजी निर्माण + स्टॉक में वृद्धि + सरकारी व्यय + निर्यात - आयात 
= 5,000 + 400 + 100 + 500 + 300 - 200 - 6,100 करोड़ रुपए।

प्रश्न 99. 
एक अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में निम्न आँकड़े दिए गए हैं, जिनके आधार पर बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना कीजिए।

मजदूरी

100

किराया

50

लाभांश

200

फर्मों का अवितरित लाभ

70

ब्याज

50

निगम लाभ कर

30

मिश्रित आय

150

अप्रत्यक्ष कर

65

आर्थिक सहायता

50

स्थायी पूँजी का उपयोग

10

मजदूरी

0

उत्तर:
उपर्युक्त आँकड़ों से बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करने हेतु आय विधि का उपयोग किया जाएगा जिसका सूत्र निम्न प्रकार होता है।
GDP = W + P + In + R
अत: GDP = मजदूरी + किराया + लाभांश + फर्मों का अवितरित लाभ + व्याज + निगम लाभ कर + मिश्रित आय + अप्रत्यक्ष कर - आर्थिक सहायता + स्थायी पूँजी का उपयोग ।
= 100 + 200 + 50 + 70 + 50 + 30 + 150 + 65 - 50 + 10 - 675 करोड़ रुपये

प्रश्न 100. 
नीचे एक अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आँकड़े दिए गए हैं जिनके आधार पर बाजार कीमत पर शद्ध राष्ट्रीय उत्पाद तथा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात कीजिए।
अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य 428 करोड़ रुपए
घिसावट व्यय 48 करोड़ रुपये विदेशों से शुद्ध साधन आय 12 करोड़ रुपए
अप्रत्यक्ष कर 10 करोड़ रुपए
आर्थिक सहायता 8 करोड़ रुपए 
उत्तर:
बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद:
अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य = 428 करोड़ रुपए।
जोड़े - विदेशों से शुद्ध साधन आय (+) 12 करोड़ रुपए।
घटाएं - घिसावट व्यय (-) 48 करोड़ रुपए।
392 करोड़ रुपए।

साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद:
बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद 392 करोड़ रुपए
घटाएँ - अप्रत्यक्ष कर (-) 10 करोड़ रुपए 
जोड़ें - आर्थिक सहायता (+) 8 करोड़ रुपए
390 करोड़ रुपए 

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प्रश्न 101. 
निम्न आँकड़ों की सहायता से वैयक्तिक आय एवं वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए।
निजी आय 7000 करोड़ रुपये व्यावसायिक क्षेत्र की बचतें 600 करोड़ रुपये
निगम लाभ कर 150 करोड़ रुपये
आयकर 50 करोड़ रुपये 
उत्तर:
वैयक्तिक आय की गणना:
निजी आय 7000 करोड़ रुपये घटाएँ - व्यावसायिक क्षेत्र की बचतें (-) 600 करोड़ रुपये 
घटाएँ - निगम लाभ कर (-) 150 करोड़ रुपये
6250 करोड़ रुपये 

वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना:
वैयक्तिक आय 6250 करोड़ रुपये 
घटाएँ - आयकर 50 करोड़ रुपये
6200 करोड़ रुपये 

प्रश्न 102. 
नीचे दिए आँकड़ों की सहायता से प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र द्वारा बाजार मूल्य पर सकल मूल्य वृद्धि की गणना कीजिए।
उत्पाद मूल्य:
प्राथमिक क्षेत्र 800 करोड़ रुपये
द्वितीयक क्षेत्र 200 करोड़ रुपये
तृतीयक क्षेत्र 300 करोड़ रुपये

खरीदे गए मध्यवर्ती उत्पाद का मूल्य:
प्राथमिक क्षेत्र 400 करोड़ रुपये
द्वितीयक क्षेत्र 100 करोड़ रुपये
तृतीयक क्षेत्र 50 करोड़ रुपये, 
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र की सकल मूल्य वृद्धि = प्राथमिक क्षेत्र का उत्पाद मूल्य – मध्यवर्ती उत्पाद का मूल्य
= 800 - 400 
= 400 करोड़ रुपये 
द्वितीयक क्षेत्र की सकल मूल्य वृद्धि = द्वितीयक क्षेत्र का उत्पाद मूल्य - मध्यवर्ती उत्पाद का मूल्य
= 200 - 100
= 100 करोड़ रुपये तृतीयक क्षेत्र की सकल मूल्य वृद्धि
= तृतीयक क्षेत्र का उत्पाद मूल्य – मध्यवर्ती उत्पाद का मूल्य
= 300 - 50
= 250 करोड़ रुपये 

प्रश्न 103. 
किसी फर्म के आय - व्यय की मदों का ब्यौरा निम्न प्रकार है।

बिक्री

10 , 000

स्टॉक में वृद्धि

2, 000

मध्यवर्ती वस्तु का उपयोग

4 ,000

मूल्य ह्रास

50

निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर बाजार कीमत पर सकल एवं शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि - मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग
= 10000 + 2000 - 4000 = 8000 करोड़ रुपये
बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि - मूल्य ह्रास
= 8000 - 500 = 7500 करोड़ रुपये

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
निम्न अवधारणाओं को स्पष्ट कीजिए
(i) उपभोग वस्तुएँ एवं पूँजीगत वस्तुएँ 
(ii) मध्यवती वस्तुएँ एवं अन्तिम वस्तुएँ 
(iii) सकल निवेश एवं निवल निवेश 
उत्तर:
(i) उपभोग वस्तुएँ एवं पूँजीगत वस्तुएँ:
उपभोग वस्तुएँ: उपभोग वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उदाहरण के लिए डबलरोटी, कपड़े, टी.वी., चाय आदि उपभोग अथवा उपभोक्ता वस्तुएँ हैं। उपभोग वस्तुओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-टिकाऊ उपभोग वस्तुएँ एवं गैर - टिकाऊ उपभोग वस्तुएँ। टिकाऊ उपभोग वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका कई वर्षों तक प्रयोग किया जाता है तथा इनका सापेक्ष मूल्य भी अधिक होता है, जैसे - कार, फ्रिज, टी.वी. आदि। गैर-टिकाऊ उपभोग वस्तुएँ वे हैं जिनका उपभोग केवल एक बार ही किया जाता है, जैसे-पैट्रोल, रोटी आदि।

पूँजीगत वस्तुएँ: पूँजीगत वस्तुएँ उत्पादकों के पास अचल परिसम्पत्तियों तथा वर्ष के अन्त में कच्चे माल, अर्द्धनिर्मित तथा निर्मित वस्तुओं का स्टॉक है। पूँजीगत वस्तुओं की धारणा स्टॉक सम्बन्धी धारणा है। पूँजीगत वस्तुएँ उत्पादक वस्तुओं का ही एक भाग हैं। अत: पूँजीगत वस्तुओं से अभिप्राय एक लेखा वर्ष के अन्त में उत्पादकों के पास टिकाऊ तथा गैर-टिकाऊ वस्तुओं का स्टॉक है।

(ii) मध्यवर्ती वस्तुएँ एवं अन्तिम वस्तुएँ: 
मध्यवर्ती वस्तुएँ: मध्यवर्ती वस्तुएँ वे उत्पादक वस्तुएँ हैं जिनका प्रयोग उत्पादकों द्वारा उत्पादन प्रक्रिया में कच्चे माल के रूप में किया जाता है अथवा जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। अन्य शब्दों में मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिन्हें एक फर्म अन्य फर्म को पुनर्बिक्री करने अथवा आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग करती है। उदाहरण के लिए कच्चा माल, अर्द्धनिर्मित वस्तुएँ आदि मध्यवर्ती वस्तुएँ हैं। अन्तिम वस्तुएँ अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका या तो अन्तिम उपभोग के लिए या पूँजी निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है, इन वस्तुओं की पुनर्बिक्री नहीं की जाती है। अन्तिम वस्तुएँ उत्पादन, परिसीमा से बाहर निकलकर अन्तिम प्रयोग के लिए होती हैं। उदाहरण के लिए पंखा, रोटी, दूध, कार आदि अन्तिम वस्तुएँ हैं यदि इनकी पुनर्बिक्री ना की जाए।

(iii) सकल निवेश एवं निवल निवेश:
सकल अथवा कुल निवेश-किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में पूँजीगत पदार्थों के कुल उत्पादन को सकल निवेश कहते हैं। दूसरे शब्दों में सकल निवेश से अभिप्राय पूँजी के स्टॉक में होने वाली सकल वृद्धि (शुद्ध वृद्धि + मूल्यह्रास) से है। सकल निवेश में दो प्रकार के निवेश को शामिल किया जाता है-शुद्ध निवेश एवं प्रतिस्थापन निवेश। प्रतिस्थापन निवेश वह निवेश है जो पूँजी की घिसावट, अप्रचलन, दुर्घटना आदि के कारण नष्ट होने पर उनके नवीनीकरण या प्रतिस्थापन के लिए किया जाता है। निवल अथवा शुद्ध निवेश-शुद्ध निवेश वह निवेश है जिसके फलस्वरूप पूँजी के स्टॉक में वृद्धि होती है। दूसरे शब्दों में सकल निवेश में से प्रतिस्थापन निवेश को घटाने से निवल अथवा शुद्ध निवेश प्राप्त होता है। शुद्ध निवेश को पूँजी निर्माण भी कहा जाता है क्योंकि शुद्ध निवेश के फलस्वरूप अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 2. 
उत्पादन प्रक्रिया का क्या अभिप्राय है? उत्पादन के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उत्पादन प्रक्रिया: प्रत्येक अर्थव्यवस्था में उत्पादन क्षेत्र द्वारा उत्पादन का कार्य किया जाता है, इसके अन्तर्गत उद्यमी उत्पादन के साधनों का संयोग कर तथा उनका प्रयोग कर वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करते हैं, अत: उत्पादन के साधनों के संयोग तथा उनकी सेवाओं के प्रयोग द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन की प्रक्रिया को उत्पादन प्रक्रिया कहा जाता है। उदाहरण के लिए भूमि, पूँजी तथा श्रम के प्रयोग द्वारा कपड़े का उत्पादन करना उत्पादन प्रक्रिया कहलाएगी। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि उत्पादन प्रक्रिया के अन्तर्गत उद्यमी उत्पादन के साधनों की सहायता से वस्तुओं एवं सेवाओं द्वारा उपयोगिता का सृजन करता है।

उत्पादन के प्रमुख साधन उत्पादन के साधन वे अनिवार्य तत्त्व हैं जो उत्पादन प्रक्रिया में परस्पर सहयोग करते हैं। उत्पादन के निम्न प्रमुख साधन हैं।
(1) भूमि - भूमि उत्पादन का वह साधन है जो प्रकृति द्वारा मुफ्त में प्राप्त होता है। इसमें केवल भूमि को ही शामिल नहीं किया जाता है बल्कि इसमें समस्त प्राकृतिक पदार्थ शामिल किए जाते हैं, जैसे-वन, भूमि, खनिज, जल आदि। भूमि को प्राकृतिक साधन भी कहा जाता है। भूमि को उत्पादन प्रक्रिया में योगदान' के फलस्वरूप पारिश्रमिक के रूप में लगान की प्राप्ति होती है।

(2) श्रम - श्रम उत्पादन का मानवीय साधन है। इसमें मनुष्य के उन सब मानसिक और शारीरिक कार्यों को शामिल किया जाता है, जो धन को प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। श्रम उत्पादन का एक सक्रिय साधन
होता है। एक श्रमिक को पारिश्रमिक के रूप में मजदूरी प्राप्त होती है।

(3) पूँजी - पूँजी मनुष्य द्वारा निर्मित वह भौतिक साधन है जिसका प्रयोग और अधिक उत्पादन करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए मशीन, औजार, कारखाने, मकान आदि को पूँजी कहा जाता है। उत्पादन प्रक्रिया के फलस्वरूप पूँजी को पारिश्रमिक के रूप में ब्याज प्राप्त होता है।

(4) उद्यमवृत्ति - उद्यमवृत्ति के स्वामी को उद्यमी कहा जाता है। उद्यमी, उत्पादन का वह साधन है जो आर्थिक निर्णय लेता है तथा जोखिम उठाता है। वह उत्पादन के विभिन्न साधन जैसे भूमि, पूँजी, श्रम आदि को एकत्र करके उत्पादन कार्य करता है एवं वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करता है। उद्यमी को उसकी सेवाओं के बदले में लाभ की प्राप्ति होती है।

(5) तकनीकी - आधुनिक समय में तकनीक को भी उत्पादन का साधन माना जाता है इसकी सहायता के बिना वर्तमान में उत्पादन करना संभव नहीं है। उच्च तकनीक से उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

प्रश्न 3. 
उपभोक्ता वस्तुओं, उत्पादक वस्तुओं तथा पूँजीगत वस्तुओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तुएँ-उपभोक्ता वस्तुएँ वे होती हैं जिनका उपभोग उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, अत: उपभोक्ता वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उदाहरण के लिए डबलरोटी, कपड़े, टी.वी., फ्रिज आदि उपभोक्ता वस्तुएँ हैं। उपभोक्ता वस्तुएँ दो प्रकार की होती हैं
(i) टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ: टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका कई वर्षों तक प्रयोग किया जाता है तथा इनका सापेक्ष मूल्य भी अधिक होता है, जैसे - फ्रिज, टी.वी., कार आदि।

(ii) गैर - टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएँ: गैर - टिकाऊ वस्तुएँ प्रायः वे वस्तुएँ होती हैं जिनका केवल एक बार ही प्रयोग किया जाता है अर्थात् ये वस्तुएँ एक बार प्रयोग के बाद प्रायः समाप्त हो जाती हैं, जैसे - पैट्रोल, रोटी, चाय आदि।

उत्पादक वस्तुएँ: उत्पादक वस्तुएँ वे सभी टिकाऊ तथा गैर - टिकाऊ वस्तुएँ हैं जो उत्पादकों द्वारा अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में प्रयोग में लाई जाती हैं। उत्पादक वस्तुएँ अन्य वस्तुओं के उत्पादन में सहायक होकर मनुष्य की आवश्यकताओं को अप्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उत्पादक वस्तुएँ दो प्रकार की होती

  1. टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ: टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जाता है, जैसे - मशीन, यन्त्र कारखाना आदि।
  2. गैर - टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ: गैर - टिकाऊ उत्पादक वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जो उत्पादन की प्रक्रिया में प्रायः एक बार ही प्रयोग में लाई जाती हैं। ये प्रायः मध्यवर्ती वस्तुएँ होती हैं, जैसे - कच्चा माल।

पूँजीगत वस्तुएँ: पूंजीगत वस्तुएँ तथा उत्पादक वस्तुओं में अन्तर पाया जाता है। पूँजीगत वस्तुएँ, उत्पादक वस्तुओं का ही एक भाग हैं। पूँजीगत वस्तुएँ उत्पादकों के पास अचल परिसम्पत्तियों तथा वर्ष के अन्त में कच्चे माल, अर्धनिर्मित तथा निर्मित वस्तुओं का स्टॉक है। पूँजीगत वस्तुओं की धारणा स्टॉक सम्बन्धी धारणा है। पूँजीगत वस्तुओं से अभिप्राय एक लेखा वर्ष के अन्त में उत्पादकों के पास टिकाऊ तथा गैर-टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं के स्टॉक से है, जबकि उत्पादक वस्तुओं में सभी पूँजीगत वस्तुओं तथा लेखा वर्ष की अवधि में प्रयोग की गई सभी मध्यवर्ती वस्तुओं को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 4. 
स्टॉक चर व प्रवाह चर के मध्य अन्तर कीजिए।माल सूची की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
अथवा 
स्टॉक एवं प्रवाह चरों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
स्टॉक तथा प्रवाह की अवधारणा का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्टॉक एवं प्रवाह:
आर्थिक विश्लेषण में स्टॉक चरों और प्रवाह चरों दोनों धारणाओं का एक विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन दोनों धारणाओं का स्पष्ट विवेचन नीचे दिया गया है स्टॉक चर - स्टॉक चर का आशय किसी वस्तु अथवा सेवा की उस मात्रा से लिया जाता है, जो किसी समय विशेष या समय के एक निश्चित बिन्दु पर मापी जाती है। व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण में किसी समय विशेष को-उदाहरण के लिए 30 जून, 2021 को चावल या अन्य किसी वस्तु की उपलब्ध कुल पूर्ति की मात्रा 10 लाख टन है, तो ऐसी स्थिति में यह स्टॉक चर होगा, जबकि समष्टि आर्थिक विश्लेषण में भी स्टॉक चरों को मुद्रा में बताया जाता है जो किसी दिये हुए समय विशेष में पायी जाती हैं। उदाहरण के लिए, 31 मार्च, 2021 को मुद्रा की कुल पूर्ति, बैंकों में कुल जमा, कुपरिसम्पत्तियाँ, कुल ऋण, कुल पूँजीगत स्टॉक इत्यादि स्टॉक चर कहलाते हैं। 

प्रवाह चर - आर्थिक विश्लेषण में जब किसी क्षेत्र की गणना एक निश्चित समयावधि के लिए की जाती है तो वह प्रवाह चरों का सूचक होती है। व्यष्टि विश्लेषण में जब किसी समय विशेष पर बाजार की कुल माँग या पूर्ति स्टॉक चर होती है तो एक निश्चित समयावधि में मांग तथा पूर्ति की तालिकाएँ प्रवाह चरों को बताती हैं। उदाहरण के लिए, चावल की वार्षिक माँग 60 लाख टन है या चने की वार्षिक पूर्ति 50 लाख टन है।

समष्टि आर्थिक विश्लेषण में प्रवाह चरों का एक विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यहाँ पर भी प्रवाह चरों को एक निश्चित समयावधि के रूप में बताया जाता है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उपभोग, राष्ट्रीय उत्पादन, वार्षिक लाभ, राष्ट्रीय विनियोग, वार्षिक मजदुरी, आयात - निर्यात इत्यादि प्रवाह चरों के उदाहरण हैं; क्योंकि ये समस्त पूर्ण रूप से किसी समय विशेष या समय बिन्दु से सम्बन्धित नहीं होते हैं बल्कि ये समस्त एक निश्चित समयावधि से सम्बन्धित होते हैं। ऐसे ही एक निश्चित समयावधि से सम्बन्धित आय की वृद्धि दर, मजदूरी की दरों में परिवर्तन की दर, मशीन एवं संयन्त्र में उत्पादन की दर इत्यादि भी प्रवाह चरों में सम्मिलित की जाती हैं।

माल सूची की अवधारणा: अर्थशास्त्र में अविक्रित निर्मित वस्तुओं तथा अर्द्धनिर्मित वस्तुओं अथवा कच्चे मालों का स्टॉक जो कोई फर्म एक वर्ष से अगले वर्ष तक रखती है, उसे माल सूची कहते हैं। माल सूची एक स्टॉक परिवर्तन है। वर्ष के आरम्भ में इसका मूल्य कम हो तथा वर्ष के अंत में यदि इसका मूल्य उच्च हो तो इस स्थिति को माल सूची में वृद्धि कहेंगे। यदि माल सूची का मूल्य वर्ष के आरम्भ की तुलना में वर्ष के अन्त में कम हो तो इसे माल सूची में हास कहंगे। 

एक वर्ष के दौरान किसी फर्म की माल सूची में परिवर्तन को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है - वर्ष के दौरान फर्म का उत्पादन - वर्ष के दौरान फर्म की बिक्री। माल सूची में संचय नियोजित अथवा अनियोजित हो सकता है। जब फर्म द्वारा वर्ष के प्रारम्भ में माल सूची का मूल्य कम हो तथा यदि फर्म वर्ष के अन्त में अधिक मूल्य रखने का नियोजन करे तथा यदि वर्ष के अन्त में फर्म के नियोजन के अनुरूप माल सूची के मूल्य में वृद्धि हो जाए तो यह नियोजित संचय कहलाएगा। इसके विपरीत यदि अप्रत्याशित रूप से किसी कारण से फर्म का वर्ष के अन्त में माल सूची का मूल्य बढ़ जाए जिसकी फर्म को उम्मीद नहीं हो तो यह अनियोजित संचय कहलाएगा।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 5. 
घरेलू उत्पाद के मापन में दोहरी गणना की समस्या समझाइये। इससे किस प्रकार बचा जा सकता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की गणना के लिए जब किसी वस्तु या सेवा के मूल्य की गणना एक से अधिक बार होती है, तो उसे दोहरी गणना कहते हैं। दोहरी गणना के फलस्वरूप राष्ट्रीय आय बहुत अधिक हो जाती है। दोहरी गणना के कारण एक ही उत्पाद की गणना कई बार हो जाती है जिससे राष्ट्रीय आय भी बिना वास्तविक उत्पादन बढ़े बढ़ जाती है तथा हमें वास्तविक राष्ट्रीय आय का पता नहीं लग पाता है। दोहरी गणना की समस्या को निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है

मान लीजिए एक किसान 500 रु. के गेहूँ का उत्पादन करता है और उस गेहूँ को आटा मिल को बेच देता है। आटा मिल द्वारा गेहूँ की खरीद मध्यवर्ती उपभोग पर व्यय है। आटा मिल गेहूँ से आटे का उत्पादन करने के बाद उस आटे को बेकरी को 700 रु. में बेच देती है। बेकरी के लिए आटे पर व्यय मध्यवर्ती उपभोग पर व्यय है। बेकरी वाला आटे से बिस्कुट का निर्माण करके 900 रु. के बिस्कुट उपभोक्ताओं को बेच देता है।

जहाँ तक किसान, आटा मिन और बेकरी वाले का संबंध है, उत्पादन का मूल्य 500 + 700 + 900 = 2100 रु. है, क्योंकि प्रत्येक उत्पादक जब वस्तु बेचता है, उसे अन्तिम मानता है, लेकिन आटे के मूल्य में गेहूँ का मूल्य शामिल है और बिस्कुट के मूल्य में गेहूँ का मूल्य तथा आटे मिल की सेवाओं का मूल्य शामिल है। इस प्रकार गेहूँ के मूल्य की तीन बार और आटा मिल की सेवाओं की दो बार गणना होती है, अत: एक वस्तु या सेवा के मूल्य की गणना जब एक से अधिक बार होती है, तो इसे दोहरी गणना कहते हैं।

मूल्य वृद्धि विधि द्वारा दोहरी गणना की समस्या से बचा जा सकता है या दोहरी गणना से बचने के लिए हमें अन्तिम वस्तुओं के मूल्य को ही राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए। मूल्य वृद्धि विधि द्वारा उत्पादन के प्रत्येक चरण पर केवल उत्पाद को मूल्य वृद्धि को ही शामिल किया जाता है जिससे दोहरी गणना नहीं हो पाती है एवं राष्ट्रीय आय में वास्तविक मूल्य वृद्धि ही शामिल होती है।

प्रश्न 6. 
गैर - आर्थिक क्रियाओं से आपका क्या अभिप्राय है? उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में कुछ क्रियाएँ ऐसी होती हैं जो अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से संबंध नहीं रखतीं। उन्हें गैर-बाजार आर्थिक क्रियाएँ कहा जाता है। गैर-कानूनी क्रियाएँ, सरकार द्वारा प्रदान किए गए हस्तांतरण भुगतान, वित्तीय संव्यवहार, निजी हस्तांतरण भुगतान, पुरानी वस्तुओं की बिक्री तथा अवकाश के समय की क्रियाएँ ऐसी क्रियाएँ हैं जिन्हें सकल राष्ट्रीय उत्पाद
की गणना से बाहर रखा जाता है। अर्थव्यवस्था में प्रमुख गैर-आर्थिक क्रियायें निम्न प्रकार हैं

  1. पुरानी वस्तुओं का क्रय: विक्रय-ये वर्तमान वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित नहीं हैं, क्योंकि जिस वर्ष इनका उत्पादन किया गया था उस वर्ष इन्हें राष्ट्रीय आय में सम्मिलित कर लिया गया था।
  2. सरकार द्वारा किये जाने वाले हस्तांतरण व्यय: सरकार द्वारा किये जाने वाले हस्तांतरण भुगतान, जैसे - बेरोजगारी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्तियाँ आदि को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता, क्योंकि इनके प्राप्तकर्ताओं द्वारा बदले में कोई उत्पादक सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  3. शेयर, ऋणपत्र आदि का क्रय: विक्रय - सकल घरेलू उत्पाद में पुराने अथवा नये शेयरों और बॉण्ड्स के खरीदने पर किया गया व्यय सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता । यह वस्तुओं और सेवाओं के बदले में भुगतान नहीं है। यह केवल वस्तुओं के स्वामित्व में परिवर्तन है।
  4. गैर-कानूनी क्रियाएँ: विभिन्न गैर - कानूनी क्रियाओं जैसे-चोरी, जेब काटना, तस्करी, जुआ आदि से प्राप्त आय की गणना सकल राष्ट्रीय उत्पाद में नहीं की जाती।
  5. निजी हस्तांतरण भुगतान: निजी हस्तांतरण भुगतान जैसे पिता द्वारा पुत्र को दिया गया जेबखर्च, जन्मदिन पर मित्र द्वारा दिया गया उपहार आदि को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सम्मिलित नहीं किया जाता। यह केवल मुद्रा का हस्तांतरण है।
  6. स्व-उपभोग की सेवाएँ: घर में बिजली के उपकरणों की स्वयं मरम्मत करना, वस्तु विनिमय करना, अपने पुत्र को पिता द्वारा पढ़ाना, गृहिणी द्वारा अपने घर में भोजन पकाना आदि क्रियाएँ महत्त्वपूर्ण हैं, परन्तु इनके बदले में कोई भुगतान नहीं किया जाता, इसलिए सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना में इन्हें सम्मिलित नहीं किया जाता।
  7. अवकाश के समय की क्रियाएँ: अवकाश के समय की क्रियाएँ उपयोगी हैं परन्तु इनकी माप करना कठिन है, इसलिए इन्हें सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना से बाहर रखा जाता है।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 7. 
एक सरल अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक सरल अर्थव्यवस्था उस अर्थव्यवस्था को कहते हैं जहाँ पर केवल दो क्षेत्र हैं:
1. परिवार क्षेत्र तथा 
2. फर्म क्षेत्र। परिवार वह क्षेत्र है जहाँ से फर्मों को
समस्त साधन सेवाएँ प्राप्त होती हैं और इस क्षेत्र को फमैं अपनी उत्पादित वस्तुओं का विक्रय करती हैं। इसे उपभोग क्षेत्र भी कहते हैं। इसके विपरीत फर्म क्षेत्र वह है जो उत्पादन के विभिन्न साधनों के सहयोग से वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है। परिवार क्षेत्र अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सभी वस्तुएँ और सेवाएँ इसी क्षेत्र से खरीदता है। मान्यताएँ

  1. अर्थव्यवस्था में केवल दो ही क्षेत्र हैं-परिवार क्षेत्र और फर्म क्षेत्र। परिवार क्षेत्र फर्म क्षेत्र को साधन सेवाएँ प्रदान करता है।
  2. परिवार अपनी आय के किसी भाग को बचाते नहीं, बल्कि समस्त आय को खर्च कर देते हैं।
  3. फर्म केवल उपभोग वस्तुओं का उत्पादन करती है और पूँजीगत वस्तुओं की घिसावट शून्य है।
  4. राज्य आर्थिक क्रियाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं करता। न तो राज्य की ओर से कर लगाये जाते हैं और न ही सार्वजनिक व्यय किया जाता है।
  5. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नहीं होता अर्थात् निर्यातआयात शुन्य है।


सरल अर्थव्यवस्था में दो ही क्षेत्र हैं: परिवार क्षेत्र और फर्म क्षेत्र। हम इन्हें नीचे दिए हुए चित्र की सहायता से स्पष्ट कर सकते हैं।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 3


पूर्ति के लिए फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च कर देता है। अर्थव्यवस्था की सारी आय उत्पादकों के पास विक्रय आगम के रूप में वापस आ जाती है। इस अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों द्वारा अर्जित आय तथा फर्मों द्वारा समग्न व्यय के रूप में प्राप्त विक्रय आगम में कोई अंतर नहीं है। अगले चक्र में उत्पादक क्षेत्र साधन सेवाओं की सहायता से वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करेगा। वह उत्पादन साधनों को पारिश्रमिक देगा। उत्पादन के साधन उस पारिश्रमिक से फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का क्रय करेंगे और उनकी पारिश्रमिक राशि उत्पादकों के पास आ जाएगी। यह क्रम चलता रहता है।

चित्र में सबसे ऊपर का तीर जो परिवार से फर्मों को जा रहा है वह फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय पर परिवारों के व्यय को दर्शाता है। दूसरा तीर जो इसके नीचे है वह फर्म से वस्तुओं तथा सेवाओं को परिवार की ओर जाते हुए दर्शाता है। इसी प्रकार नीचे के तीर में परिवार क्षेत्र द्वारा फर्मों को साधन उपलब्ध करवाए जाते हैं तथा इसके बदले ये फर्म परिवार क्षेत्र द्वारा उपलब्ध कराए साधनों को पारिश्रमिक का भुगतान करती हैं।

प्रश्न 8. 
राष्ट्रीय आय की गणना की मूल्य वर्धित विधि को संख्यात्मक उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
उत्पादन विधि अथवा मूल्यवर्धित विधि अथवा मूल्यवृद्धि विधि द्वारा सकल घरेलू उत्पाद की गणना किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
उत्पादन विधि अथवा मूल्यवर्धित विधि अथवा मूल्यवृद्धि विधि: एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य लेते हैं। सकल घरेलू उत्पाद की गणना करते समय हम केवल अन्तिम वस्तुओं के मूल्य को लेते हैं, मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को नहीं। मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य के लेने से दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है। कई बार हमें यह पता नहीं चलता है कि कौन - सी वस्तुएँ अन्तिम वस्तु हैं और कौन - सी मध्यवर्ती; तब इस स्थिति में हम मूल्य वृद्धि के द्वारा सकल घरेलू उत्पाद का माप - करते हैं। 

माना एक सरल अर्थव्यवस्था में दो उत्पादक हैं1 किसान तथा 2. बेकरी वाला। किसान 100 रुपये का गेहूँ उत्पादन करता है। वह 50 रुपये का गेहूँ बेकरी वाले को बेचता है। बेकरी वाला उस गेहूँ से 200 रुपये की डबलरोटी बनाकर बेचता है। ऐसी अवस्था में किसान के द्वारा 100 रुपये की वृद्धि होती है और बेकरी वाले के द्वारा 150 (200 - 50) रुपये की वृद्धि होती है, अत: अर्थव्यवस्था में कुल मूल्य वृद्धि 250 रुपये की होगी। यही एक अर्थव्यवस्था में सकल घरेलू उत्पाद होगा। बेकरी द्वारा क्रय किया गया 50 रुपये का गेहूँ मध्यवर्ती वस्तु कहलाएगी, क्योंकि इसी गेहूँ का प्रयोग करके उसने डबलरोटी बनाई । इस उदाहरण को हम निम्न तालिका में दिखा सकते हैं। 

उत्पाद, मध्यवर्ती वस्तुएँ तथा मूल्य वृद्धि:

 

किसान

बेकरीवाला

कुल उत्पादन
मध्यवर्ती उपभोग
मूल्य वृद्धि

100
0
100

200
50
200 – 50 = 150


यहाँ पर सभी वस्तुओं की मात्रा को मुद्रा के रूप में व्यक्त करते हैं अर्थात् उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य निकालते हैं और मूल्य वृद्धि को भी मुद्रा के रूप में व्यक्त करते हैं।

मूल्य वृद्धि दो प्रकार की होती है: (1) सकल मूल्य वृद्धि तथा  (2) शुद्ध मूल्य वृद्धि। सकल मूल्य वृद्धि में मूल्य ह्रास सम्मिलित होता है, जबकि शुद्ध मूल्य वृद्धि में नहीं। जब हम सकल मूल्य वृद्धि में से मूल्य ह्रास घटाते हैं तब हमें शुद्ध मूल्य वृद्धि प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए सकल मूल्य वृद्धि 100 रुपये है और मूल्य ह्रास 20 रुपये है।

ऐसी स्थिति में शुद्ध मूल्य वृद्धि 80 (100 - 20) रुपये होगी। फर्म द्वारा मूल्य वृद्धि की गणना करते समय हमने फर्म के उत्पादन के मूल्य को लिया था। यह भी संभव है कि फर्म अपने सारे उत्पाद को बेचने में असमर्थ हो। ऐसी अवस्था में उसके पास वर्ष के अंत में अबिक्रित स्टॉक रह जाता है। यह भी हो सकता है कि वर्ष के आरम्भ में भी उसके पास अबिक्रित स्टॉक हो।

ऐसी अवस्था में हम स्टॉक में परिवर्तन की गणना करते हैं। स्टॉक में परिवर्तन की गणना करने के लिए हम अन्तिम स्टॉक में से प्रारम्भिक स्टॉक को घटा देते हैं। मान लो प्रारम्भिक स्टॉक 100 रुपये का है और अन्तिम स्टॉक 300 रुपये का है। ऐसी अवस्था में स्टॉक में परिवर्तन 200 (300 - 100) रुपये होगा। स्टॉक में परिवर्तन प्रवाह अवधारणा है। स्टॉक में परिवर्तन नियोजित भी हो सकता है और अनियोजित भी।

स्टॉक में परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए हम सकल घरेलू उत्पाद की गणना का सूत्र लिखते हैं।
सकल मूल्य वृद्धि = विक्रय + स्टॉक में परिवर्तन - मध्यवर्ती उपभोग। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि विक्रय में घरेलू विक्रय तथा विदेश में विक्रय दोनों सम्मिलित हैं। शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग करते हैं।

शुद्ध मूल्य वृद्धि = सकल मूल्य वृद्धि - मूल्य ह्रास एक अर्थव्यवस्था में सभी फर्मों की कुल मूल्य वृद्धि को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तथा शुद्ध मूल्य वृद्धि को शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) कहते हैं।

मान लीजिए एक अर्थव्यवस्था में N फमैं हैं जिनकी क्रम संख्या 1 से N तक है तब सभी फर्मों की सकल मूल्य वृद्धि का योगफल सकल घरेलू उत्पाद होगा जिसे नीचे समता में दर्शाया गया है।
GDP = GVA, + GVA, + .......... GVAN
\(\mathrm{GDP}=\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{GVAi}\)
\(\Sigma\) चिह्न को योगफल के रूप में प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए
\(\sum_{i=1}^{N}\) \(=\mathrm{X}_{1}+\mathrm{X}_{2}+\mathrm{X}_{3}+\ldots \ldots \mathrm{X}_{\mathrm{N}}\)
शुद्ध मूल्य वृद्धि या शुद्ध घरेलू उत्पाद को निम्न समता में दर्शाया गया है।
\(\mathrm{NDP}=\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{NVAi}\)

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 9.
व्यय विधि द्वारा सकल घरेलू उत्पाद की गणना की विधि समझायें।
उत्तर:
व्यय विधि: इस विधि के अन्तर्गत एक लेखा वर्ष में अर्थव्यवस्था के समस्त अन्तिम व्ययों का योग करके सकल घरेलू आय की गणना की जाती है। अन्य शब्दों में व्यय विधि सकल घरेलू उत्पाद के व्यय का मापन करती है। यहाँ घरेलू उत्पाद एक लेखा वर्ष में अर्थव्यवस्था की अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह के रूप में मापन करती है। अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय को बाजार मूल्य पर मापा जाता है, अतः यह अन्तिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।

अन्तिम व्यय को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है: 
1. फर्म के द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं पर अन्तिम उपभोग व्यय। इस व्यय को हम Ci द्वारा दर्शाएँगे।

2. अन्तिम निवेश व्यय जिसे हम Ii द्वारा दशीयेंग, यह व्यय फर्म द्वारा पूँजीगत वस्तुओं पर किया जाता है। केवल पूँजीगत वस्तुओं पर व्यय को ही सकल घरेलू उत्पाद में सम्मिलित किया जाएगा, मध्यवर्ती वस्तुओं पर व्यय को नहीं। इसका कारण यह है कि पूँजीगत वस्तुएँ तो फर्म के पास रहती हैं, जबकि मध्यवर्ती वस्तुओं का प्रयोग उत्पादन प्रक्रिया में हो जाता है।

3. फर्म के द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं पर सरकार द्वारा भी व्यय किया जाता है। इस सरकारी व्यय में हम सरकार के उपभोग व्यय तथा निवेश व्यय दोनों लेते हैं। इसे हम Gi द्वारा दर्शाते हैं।

4. फर्मों द्वारा विदेशों में वस्तुओं तथा सेवाओं को विक्रय करने से प्राप्त आगम को निर्यात आगम कहते हैं जिसे हम Xi से प्रदर्शित करेंगे। i फर्म के द्वारा प्राप्त किये गये आगमों के जोड़ को समीकरण में निम्न प्रकार से दिखाया जाता है
RVi = i फर्म द्वारा उपभोग, निवेश, सरकारी व्यय तथा निर्यात व्यय से प्राप्ति का योगफल
= Ci + Ii + Gi + Xi
मान लीजिये फर्मों की संख्या N है तब सभी फमों की व्यय प्राप्ति का जोड़ निम्न होगा

\(​​​​​​​\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{RVi} \equiv\) अर्थव्यवस्था की समस्त फर्मों के उपभोग व्यय, निवेश, सरकारी व्यय तथा निर्यात व्यय के कुल योग से प्राप्त व्यय।
अथवा
\(\begin{aligned} &\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{RVi} \\ &\equiv \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{Ci}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{li}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{Gi}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{Xi} \ldots(\mathrm{i}) \end{aligned} \)

मान लीजिय सारी अथव्यवस्था क आन्तम उपभाग को दर्शाता है। हम जानते हैं कि एक भाग को आयात वस्तुओं के उपभोग पर खर्च करते हैं। इसे हम \(\mathrm{C}_{\mathrm{m}}\) द्वारा प्रदर्शित करेंगे। अत: \(\mathrm{C}-\mathrm{C}_{\mathrm{m}}\) समग्र अन्तिम उपभोग के उस भाग को दर्शाएगा जो हम घरेलू फर्मों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं पर खर्च करते हैं। इसी प्रकार \(I-I_{m}\) घरेलू निवेश को दर्शाएगा। यहाँ I अर्थव्यवस्था का समस्त अन्तिम निवेश व्यय है और इसमें \(\mathrm{I}_{\mathrm{m}}\) विदेशी निवेश वस्तुओं पर व्यय किया जाता है । इसी प्रकार \(\mathrm{G}-\mathrm{G}_{\mathrm{m}}\) समस्त अन्तिम सरकारी व्यय का अंग है जिसका व्यय घरेलू फर्मों पर होता है, ज़ाँ G अर्थव्यवस्था में सरकार का समस्त व्यय है और \(\mathrm{G}_{\mathrm{m}}, \mathrm{G}\) का वह अंश है, जिसका व्यय आयात पर होता है। 

\(\begin{aligned} &\sum_{\mathrm{i}=1}^{N} \mathrm{RVi} \\ &\equiv \mathrm{C}-\mathrm{C}_{\mathrm{m}}+\mathrm{I}-\mathrm{I}_{\mathrm{m}}+\mathrm{G}-\mathrm{G}_{\mathrm{m}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{Xi} \\ &\equiv \mathrm{C}+\mathrm{I}+\mathrm{G}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}}-\left(\mathrm{C}_{\mathrm{m}}-\mathrm{I}_{\mathrm{m}}-\mathrm{G}_{\mathrm{m}}\right) \\ &\equiv \mathrm{C}+\mathrm{I}+\mathrm{G}+\mathrm{X}-\mathrm{M} \end{aligned}\)

यहाँ पर \(\mathrm{X}=\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}}\) अर्थव्यवस्था के निर्यात पर
विदेशी समग्र व्यय को दर्शाता है तथा \(\mathrm{M}=\mathrm{C}_{\mathrm{m}}+\mathrm{I}_{\mathrm{m}}+\mathrm{G}_{\mathrm{m}}\) है जो अर्थव्यवस्था के द्वारा उपगत समस्त आयात व्यय है।
हम यह भी जानते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद अर्थव्यवस्था में व्यय आगम का योगफल है।
अत: \(\mathrm{GDP} \equiv \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{RVi} \equiv \mathrm{C}+\mathrm{I}+\mathrm{G} \times \mathrm{X}-\mathrm{M}\)

प्रश्न 10.
आय विधि द्वारा घरेलू आय की गणना कैसे की जाती है ? समझायें।
उत्तर:
आय विधि: आय विधि के अंतर्गत घरेलू आय की गणना उत्पादन के साधनों को उनके द्वारा प्रदान की गई उत्पादक सेवाओं के बदले साधन भुगतानों के आधार पर की जाती है। उत्पादन के चार साधन हैं:
1. श्रम,
2. भूमि,
3. पूँजी तथा
4. उद्यमवृत्ति।
इन उत्पादन के साधनों को उनकी सेवाओं के बदले में जो पारिश्रमिक दिया जाता है उसे साधन आय कहते हैं। साधन आय को चार वर्गों में बाँटा जाता है:
1. मजदूरी,
2. लगान,
3. ब्याज तथा
4. लाभ।
मान लो एक अर्थव्यवस्था में परिवारों की संख्या M है। iवें परिवार के द्वारा किसी वर्ष विशेष में प्राप्त मजदूरी और वेतन को \(\mathrm{W}_{\mathrm{i}}\) मान लें। इसी प्रकार, \(\mathrm{P}_{\mathrm{i}}, \mathrm{In}_{\mathrm{i}}, \mathrm{R}_{\mathrm{i}}\) क्रमशः सकल लाभ, ब्याज अदायगी और लगान जो कि \(\mathrm{i}\) वें परिवार के द्वारा किसी वर्ष विशेष में प्राप्त होता है, अतः सकल घरेलू उत्पाद निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाएगासकल घरेलू उत्पाद
\(\begin{aligned} &\equiv \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{W}_{\mathrm{i}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{P}_{\mathrm{i}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{In}_{\mathrm{i}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{R}_{\mathrm{i}} \\ &\equiv \mathrm{W}+\mathrm{P}+\mathrm{In}+\mathrm{R} \\ &\text { , } \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{W}_{\mathrm{i}} \equiv \mathrm{W} \\ &\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{P}_{\mathrm{i}} \equiv \mathrm{P}, \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{In}_{\mathrm{i}} \\ &\equiv \mathrm{In}, \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{R}_{\mathrm{i}} \equiv \mathrm{R} . \end{aligned}\)

इस रीति को आय प्राप्ति रींत, भुगतान प्राप्त रीति, आय प्रवाह रीति आदि नामों से भी जाना जाता है। इस
विधि में राष्ट्रीय आय की गणना में निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए:

  1. ऐसे भुगतानों को आय में शामिल नहीं किया जाता जिनसे किसी प्रकार का उत्पादन नहीं होता।
  2. जिन वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए मौद्रिक भुगतान नहीं किया जाता उन्हें आय में शामिल नहीं किया जाता है।
  3. उत्पादन के स्वयं के साधनों के पुरस्कारों (बाजार कीमत पर) को राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए यदि वे किसी वस्तु के उत्पादन लागत के अंश हों।
  4. व्यवसायों के लाभ का वह भाग जो कि रिजर्व फण्ड में डाल दिया जाता है और लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है, को भी राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए।

विधि में राष्ट्रीय आय की गणना में निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए

  1. ऐसे भुगतानों को आय में शामिल नहीं किया जाता जिनसे किसी प्रकार का उत्पादन नहीं होता।
  2. जिन वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए मौद्रिक भुगतान नहीं किया जाता उन्हें आय में शामिल नहीं किया जाता है।
  3. उत्पादन के स्वयं के साधनों के पुरस्कारों (बाजार कीमत पर) को राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए यदि वे किसी वस्तु के उत्पादन लागत के अंश हों। 
  4. व्यवसायों के लाभ का वह भाग जो कि रिजर्व फण्ड में डाल दिया जाता है और लाभांश के रूप में वितरित नहीं किया जाता है, को भी राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए।

प्रश्न 11. 
राष्ट्रीय आय की विभिन्न अवधारणाओं का वर्णन कीजिए।
अथवा 
निम्न अवधारणाओं को स्पष्ट कीजिए:
(i) सकल घरेलू उत्पाद 
(ii) सकल राष्ट्रीय उत्पाद 
(iii) निवल राष्ट्रीय उत्पाद 
(iv) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद 
(v) वैयक्तिक आय 
(vi) व्यक्तिगत प्रयोज्य आय।
अथवा 
निम्न समष्टि अर्थशास्त्रीय तादात्म्य समझाइए:
(i) सकल घरेलू उत्पाद 
(ii) सकल राष्ट्रीय उत्पाद 
(iii) निवल घरेलू उत्पाद 
(iv) निवल राष्ट्रीय उत्पाद 
(v) वैयक्तिक आय 
(vi) वैयक्तिक प्रयोज्य आय। 
उत्तर:
राष्ट्रीय आय की अवधारणायें राष्ट्रीय आय की विभिन्न अवधारणायें निम्नलिखित
(1) बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPup): बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद का तात्पर्य किसी देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्यों के योग से है। सकल घरेलू मूल्य का अनुमान लगाने के लिए अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा को उसकी बाजार कीमत से गुणा कर दिया जाता है।

GDPMP = कीमत x अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्रा 

(2) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPIP):
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में एक विस्तृत धारणा है। एक देश की अर्थव्यवस्था में देश के निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर एक वर्ष में जितनी भी वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है उनके बाजार मूल्य के जोड़ को ज्ञात कर, उसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़कर बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPAP) ज्ञात की जाती है। GNPMP = बाजार कीमत पर GDP + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय 

(3) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP):
किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के योग (GNP) में से घिसावट या पूँजी ह्रास या मूल्य ह्रास को घटाने पर बाजार मूल्य पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NNP.MP) प्राप्त होता है। NNP.ip = बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्यह्रास या घिसावट 

(4) बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPR): बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद ANDP) किसी राष्ट्र की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य (GDP) तथा मूल्य ह्रास का अन्तर है। NDPP = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद - मूल्य ह्रास 

(5) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPre): एक देश की घरेलू सीमा में उत्पादकों द्वारा एक वर्ष में साधन लागत पर की गयी शुद्ध मूल्य वृद्धि साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPre) है। साधनों को उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग देने के बदले में जो भुगतान दिया जाता है उसे साधन लागत कहते हैं। उत्पत्ति के साधनों के लिए यह आय है, इसलिए इसे शुद्ध घरेलू आय भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त इसे अग्र प्रकार भी ज्ञात कर सकते हैं

प्रश्न 12. 
एक अर्थव्यवस्था में आय के वृत्ताकार प्रवाह के व्यावहारिक रूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से चार क्षेत्रक होते हैं जिनमें आय का वृत्ताकार प्रवाह होता है। ये निम्न प्रकार हैं:

  1. परिवार क्षेत्र 
  2. व्यावसायिक फर्में 
  3. राज्य अथवा सरकार 
  4. पूंजी बाजार।

ऐसी अर्थव्यवस्था में आय के वृत्ताकार प्रवाह के चार प्रमुख चरण हैं, जिनका विवेचन निम्न प्रकार है

परिवार क्षेत्र: परिवार क्षेत्र का आय का प्रवाह तीन स्रोतों से होता है:

  1. परिवार क्षेत्र उत्पादन के साधनों की पूर्ति करके उत्पादन इकाइयों अथवा व्यावसायिक फों से प्रतिफल के रूप में लागत, मजदूर-वेतन, ब्याज, लाभ प्राप्त करते हैं।
  2. राज्य के द्वारा परिवार क्षेत्र के व्यक्तियों को उपलब्ध की जाने वाली सेवाओं जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, जन इत्यादि का मूल्य अथवा दूसरे शब्दों में, सेवाओं पर सार्वजनिक व्यय।।
  3. राज्य के द्वारा किये जाने वाली आय का हस्तान्तरण जो कि पेंशन, छात्रवृत्तियों आदि के रूप में हो सकता है। 

परिवार क्षेत्र के सदस्य इस आय का प्रयोग भी मुख्य रूप में तीन प्रकार से करते हैं:

  1. वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने पर व्यय, जिसे उपभोग व्यय कह सकते हैं।
  2. आय का एक अंश करों के रूप में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष सरकार को दे दिया जाता है।
  3. शेष बचतों के रूप में पूंजी बाजार की संस्थाओं को प्रवाहित हो जाता है।

व्यावसायिक फर्मे: व्यावसायिक फर्मे अथवा उत्पादन इकाइयाँ अपनी आय चार प्रकार से प्राप्त करती:

  1. उत्पादित की गई विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं को बेचकर।
  2. व्यावसायिक फर्म अपने उत्पादन का कुछ अंश राज्य को भी बेचती हैं तथा राज्य में भी व्यावसायिक प्राप्तियाँ होती हैं।
  3. व्यावसायिक फर्मों को राज्य से आर्थिक अनुदान व सहायता के रूप में भी आय प्राप्त होती है।पूँजी बाजार की संस्थायें व्यावसायिक फर्मों में विनियोग करती हैं जो कि व्यावसायिक फर्मों के लिए आय होती है।

व्यावसायिक फर्मे अपनी आय को निम्न प्रकार से प्रवाहित करती हैं:

  1.  परिवारों को उनके उत्पादन साधनों के उपयोग के बदले में प्रतिफल देना।
  2. राज्य को व्यावसायिक करों का भुगतान करना तथा
  3. शेष को पूंजी बाजार में बचतों के रूप में प्रवाहित कर देना।

राज्य अथवा सरकार-राज्य की आय निम्न स्रोतों से प्राप्त होती है:

  1. व्यक्तिगत करों: (T), 
  2. व्यावसायिक फर्मों से करों-(T,) तथा 
  3. पूंजी बाजार के ऋणों के रूप में होता है। 

राज्य अपनी आय का प्रयोग निम्न प्रकार से करता:

  1. परिवार के सदस्यों के लिए सामाजिक सेवाएँ (g0) उपलब्ध करने पर व्यय,
  2. परिवार क्षेत्र को पेन्शन, छात्रवृत्तियों आदि के रूप में आय के हस्तान्तरण (g1).
  3.  व्यावसायिक फर्मों से खरीदी जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं के भुगतान (g 2) तथा
  4. व्यावसायिक फर्मों को.आर्थिक सहायता एवं अनुदान (g3) के रूप में भुगतान,
  5. अन्त में राज्य के पास बचतें होने की अवस्था में वे पूँजी बाजार को प्रवाहित होती हैं।

इस प्रकार राज्य की कुल करों से प्राप्त आय (T) = T1 +T2 तथा राज्य का कुल व्यय (G)%D8, +g1 + g 2 + g3 होगा। यदि T-G धनात्मक है तब राज्य के पास बचत होगी और वह पूँजी बाजार को प्रवाहित होगी और यदि T-G ऋणात्मक है, तब राज्य को पूंजी बाजार से ऋण लेने होंगे।

पूँजी बाजार-पूंजी बाजार में आय की प्राप्ति निम्न प्रकार होती है

  1.  पारिवारिक बचतें, 
  2. व्यावसायिक फर्मों की बचतें, 
  3. राज्य की बचतें। 

पूँजी बाजार से आय का प्रवाह निम्न प्रकार होता:

  1. व्यावसायिक फर्मों में विनियोग तथा 
  2. राज्य के ऋणों के रूप में प्रवाहित होती है।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन 4
संवृत्त अर्थव्यवस्था में आय का वृत्ताकार प्रवाह:
संवृत्त अर्थव्यवस्था में होने वाले आय के वृत्ताकार प्रवाह का उपर्युक्त चार चरणों का एकीकृत रूप चित्र में प्रस्तुत किया गया है।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 13. 
किसी अर्थव्यवस्था के लिए राष्ट्रीय आय के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय का महत्त्व:
किसी अर्थव्यवस्था के लिए राष्ट्रीय आय के महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है: '
(1) अर्थव्यवस्था के ढाँचे का ज्ञान-राष्ट्रीय आय के आंकड़ों से अर्थव्यवस्था के विभिन्न अंगों की स्थिति तथा अर्थव्यवस्था की संरचना का ज्ञान होता है। अर्थव्यवस्था का किस क्षेत्र से कैसा सम्बन्ध है तथा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से कितनी आय प्राप्त होती है? किसी क्षेत्र का किसी दूसरे क्षेत्र से कैसा सम्बन्ध है? तथा सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में उसका क्या स्थान है? कौनसा क्षेत्र विकसित व अविकसित है? आदि बातों की इससे जानकारी प्राप्त होती है।

(2) आर्थिक प्रगति का सूचक-राष्ट्रीय आय को आर्थिक प्रगति का सूचक माना जाता है। देश में राष्ट्रीय आय जितनी तेजी से बढ़ेगी, अन्य बातों के समान रहते हुए यह आर्थिक समृद्धि का द्योतक होगी।

(3) नीति निर्धारण में सहायक-राष्ट्रीय आय के आँकड़ों के आधार पर ही सरकारें अपनी कर, व्यय, शुल्क तथा रोजगार सम्बन्धी नीतियों का निर्माण करती हैं तथा कार्यान्वित करती हैं।

(4) तुलनात्मक समीक्षा-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में हुई आर्थिक उन्नति की तुलना राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय अनुमानों के आधार पर ही की जाती है। विकसित तथा विकासशील देशों के रूप में विश्व के देशों को वर्गीकृत करने का कार्य प्रायः राष्ट्रीय अनुभवों की सहायता से ही किया जाता है।

(5) आर्थिक नियोजन के लिए महत्त्वपूर्णनियोजित अर्थव्यवस्था के लिए राष्ट्रीय आय के आँकड़ों का विशेष महत्त्व होता है, क्योंकि इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों को प्राथमिकता देने का प्रश्न उत्पन्न होता है। इस समस्या के समाधान में राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आँकड़े सहायक सिद्ध होते हैं। वास्तव में नियोजन कार्य राष्ट्रीय आय के अनुमानों पर निर्भर करता है।

(6) व्यावसायिक पूर्वानुमान सम्भव-राष्ट्रीय आय के अनुमानों की सहायता से व्यावसायिक क्रियाओं की दीर्घकालीन गतिविधियों का अनुमान लगाने के सफल प्रयत्न किये जाते हैं।

(7) आर्थिक प्रवृत्तियों को दिशा-निर्देशनराष्ट्रीय आय के आँकड़ों के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि स्थायी पूर्ण विकास के लिए कितना विनियोग करना होगा? प्राकृतिक तथा अन्य साधनों के सही विदोहन एवं प्रयोग, नये साधनों की खोज, प्रतिस्थापन तथा उत्पादन प्रणालियों में सुधार आदि से सम्बन्धित प्रवृत्तियाँ बहुत बड़ी मात्रा में राष्ट्रीय आय सम्बन्धी स्थिति द्वारा प्रभावित होती हैं।

(8) आर्थिक कल्याण का माप-चूँकि आर्थिक कल्याण कुल कल्याण का बैरोमीटर माना जाता है; अतः आर्थिक कल्याण में वृद्धि अथवा कमी कुल कल्याण को अवश्य प्रभावित करती है, अतः अन्य बातों के समान रहने पर यदि राष्ट्रीय आय अधिक है तो आर्थिक कल्याण भी अधिक होगा।

(9) जीवन स्तर की जानकारी-राष्ट्रीय आय से लोगों के जीवन स्तर की जानकारी प्राप्त होती है। दो स्थानों तथा दो देशों के जीवन स्तर की तुलना राष्ट्रीय आय के आंकड़ों के आधार पर की जाती है।

प्रश्न 14. 
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) से आप क्या समझते हैं? सकल राष्ट्रीय उत्पत्ति की माप में क्या-क्या शामिल किया जाता है? 
उत्तर:
सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)
अथवा
कुल राष्ट्रीय उत्पत्ति किसी भी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्यों के कुल योग को 'सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNP)' कहते हैं। यह किसी देश की वार्षिक उत्पादन क्षमता को बताता है। सकल राष्ट्रीय उत्पादन में केवल अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य को ही जोड़ते हैं; मध्यवर्ती या अर्द्धनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को नहीं जोड़ते हैं। क्योंकि अन्तिम वस्तुएँ और सेवाएँ तो अन्तिम उपभोग के लिए होती हैं, उनका पुनः विक्रय या पुनः निर्माण में प्रयोग नहीं होता, जबकि मध्यवर्ती वस्तुओं एवं सेवाओं का तात्पर्य ऐसी वस्तुओं एवं सेवाओं से है जो पुनः विक्रय की जाती हैं या उन्हें फिर से निर्माण कार्य में प्रयोग किया जाता है। यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद में मध्यवर्ती वस्तुओं को शामिल किया जाएगा तो इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।

अर्थव्यवस्था में कई तरह की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है और उन्हें भिन्न-भिन्न इकाइयों में व्यक्त किया जाता है; जैसे-दूध लीटर में, कपड़ा मीटर में, लोहा टनों में, विद्युत उत्पादन किलोवाट में, तो सड़क किलोमीटर में तथा सेवाएँ घण्टों एवं दिनों में व्यक्त की जाती हैं। इन सब इकाइयों का समन जोड़ लगाना कठिन होने से सभी वस्तुओं और सेवाओं को मुद्रा के सामान्य मापदण्ड में व्यक्त बाजार मूल्यों में मापा जाता है। समस्त प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा को उनके बाजार मूल्यों से गुणा करके सभी के बाजार मूल्यों का जोड़ ही सकल राष्ट्रीय उत्पादन है।

सकल राष्ट्रीय उत्पादन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं अथवा सकल राष्ट्रीय उत्पत्ति के माप में निम्न को शामिल किया जाता है:

  1. अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य का योग-सकल राष्ट्रीय उत्पादन में केवल अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्यों का योग लगाया जाता है। अर्द्ध-निर्मित या मध्यवर्ती वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य नहीं जोड़ा जाता।
  2. केवल एक वर्ष में उत्पादित वस्तुएँ एवं सेवाएँ-केवल वर्ष के दौरान उत्पादित वस्तुएँ और सेवाएँ ही सकल राष्ट्रीय उत्पादन में शामिल होती हैं। सन्दर्भ वर्ष के अतिरिक्त वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य इस वर्ष के सकल राष्ट्रीय उत्पादन में नहीं जोड़ा जाता, चाहे वह इस वर्ष में बेची जायें।
  3. केवल आर्थिक क्रियाओं का समावेशसकल राष्ट्रीय उत्पादन में केवल आर्थिक क्रियाओं का ही मूल्य जोड़ा जाता है जो विनिमय तथा मुद्रा के मापदण्ड की परिधि में आता है। मनोरंजन, पारिवारिक स्नेह, देशप्रेम एवं भावावेश से प्रेरित वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन मूल्य सकल राष्ट्रीय उत्पादन में नहीं जोड़ा जाता । जैसेपत्नी की सेवाएँ, घर के गार्डन की सब्जियाँ आदि सकल राष्ट्रीय उत्पादन में नहीं आती।

RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

प्रश्न 15. 
राष्ट्रीय आय तथा आर्थिक कल्याण में सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
सकल घरेलू उत्पाद एवं कल्याण में सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय तथा आर्थिक कल्याण में सम्बन्ध:
राष्ट्रीय आय तथा आर्थिक कल्याण में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है, जिसे निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) समृद्धि का सूचक-अन्य बातों के समान रहते हुए राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि समृद्धि का सूचक है; क्योंकि यदि मुद्रा की क्रय शक्ति समान रहे तो वास्तविक आय में वृद्धि अधिक उपभोग से जीवनस्तर को ऊँचा बनाती है। इससे आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है। इसके विपरीत राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में कमी होने पर जीवन-स्तर में कमी आती है जिससे आर्थिक कल्याण घटता है।

(2) आय के व्यय का ढंग-आय वृद्धि के फलस्वरूप यदि व्यक्ति द्वारा अपनी आय का एक बड़ा भाग विलासिताओं पर खर्च करने से आर्थिक कल्याण में कमी आती है परन्तु इसके विपरीत आय को ठीक ढंग से विकास एवं कल्याण कार्यों पर व्यय किया जाए तो आर्थिक विकास एवं संवृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है और आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है।

(3) रोजगार एवं विकास-प्रो, कीन्स ने अपना रोजगार सिद्धान्त आय की मात्रा पर आधारित किया है और जिस प्रकार पूर्ण रोजगार आर्थिक कल्याण की अभिवृद्धि करता है उसी तरह प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के कारण आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है क्योंकि प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि रोजगार एवं प्रभावपूर्ण माँग में वृद्धि का सूचक है।

(4) राष्ट्रीय आय एवं उपभोग वस्तुओं की उपलब्धता-उपभोग मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का आदि एवं अन्त दोनों है। जिस देश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ लोगों को उपभोग वस्तुओं की उपलब्धता बढ़े, अधिक मात्रा में उपभोग वस्तुएँ सुलभ हों तो लोगों का जीवन-स्तर बढ़ने से आर्थिक कल्याण में वृद्धि होगी। इसके विपरीत प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने पर उपभोग वस्तुओं की उपलब्धता घटे तो लोगों में असन्तोष बढ़ने से आर्थिक कल्याण में कमी होगी।

(5) आय के वितरण का प्रभाव-राष्ट्रीय आय के वितरण तथा आर्थिक कल्याण में गहरा सम्बन्ध है। यदि राष्ट्रीय आय का वितरण समान होता है तो समाज में समानता, विकास एवं न्याय का मार्ग खुलता है और आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है। इसके विपरीत यदि राष्ट्रीय आय का वितरण असमान हो तो धनी व्यक्ति अधिक धनी एवं निर्धन व्यक्ति और निधन हो जाते हैं जिससे आर्थिक कल्याण में कमी आती है।

(6) काम की परिस्थितियाँ व काम के घण्टों का प्रभाव-राष्ट्रीय आय की मात्रा के साथ-साथ मानव कल्याण पर भी इस बात का प्रभाव पड़ता है कि आय प्राप्त करने के लिए व्यक्ति किस प्रकार के वातावरण में कार्य कर रहा है। यदि देशवासियों को पहले से अधिक मेहनत करनी पड़ती है अथवा अधिक समय तक कार्य करना पड़ता है तो इसका आर्थिक कल्याण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

(7) पर्यावरण पर प्रभाव-यदि राष्ट्रीय आय में वृद्धि एवं विकास के कारण पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तो आर्थिक कल्याण में कमी आ सकती है । अतः विकास की प्रक्रिया पर्यावरण की रक्षक होनी चाहिए न कि भक्षक तथा यह हर प्रकार के पर्यावरण की पोषक होनी चाहिए।

(8) उत्पादन की संरचना का प्रभाव-यदि राष्ट्रीय वृद्धि के फलस्वरूप देश में अधिकाधिक सैन्य सामग्री, पूँजीगत वस्तुओं, विलासिता की वस्तुओं आदि का निर्माण किया जाए तथा आवश्यक उपभोग्य वस्तुओं की उपेक्षा की जाए तो इसका आर्थिक कल्याण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इसके विपरीत यदि देश में आवश्यक उपभोग्य वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए तो इससे देश के आर्थिक कल्याण में वृद्धि होगी।

प्रश्न 16. 
उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता कीमत सूचकांक (CPI) उपभोक्ता कीमत सूचकांक अर्थव्यवस्था में परिवर्तनों के माप की एक विधि है। यह वस्तुओं को दी गई टोकरी, जिनका क्रय प्रतिनिधि उपभोक्ता करते हैं, का कीमत सूचकांक है। उपभोक्ता कीमत सूचकांक को प्रायः प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। हम दो वर्षों पर विचार करते हैं-एक आधार वर्ष होता है तथा दूसरा चालू वर्ष। हम आधार वर्ष में वस्तुओं की दी हुई टोकरी के क्रय की लागत की गणना करते हैं। फिर हम परवर्ती को पूर्ववर्ती के प्रतिशत के रूप में व्यक्त करते हैं। 

इससे हमें आधार वर्ष से संबंधित चालू वर्ष का उपभोक्ता कीमत सूचकांक प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, एक अर्थव्यवस्था में जिसमें दो वस्तुओं, चावल और वस्त्र का उत्पादन होता है। एक प्रतिनिधि उपभोक्ता एक वर्ष में 90 किलोग्राम चावल और 5 टुकड़े वस्त्र का क्रय करता है। मान लीजिए कि वर्ष 2000 में एक किलोग्राम चावल की कीमत 10 रु. थी और वस्त्र के एक टुकड़े की कीमत 100 रु. थी, अतः उपभोक्ता को 2000 में चावल पर बहुत अधिक अर्थात् 10 x 90 = 900 रु. व्यय करना पड़ा। इसी प्रकार उसने 100 रु. x 5 = 500 रु. वस्त्र पर व्यय किया। दोनों मदों का योग, 900 रु. + 500 रु. = 1400 रु. है।

अब मान लीजिए कि एक किलोग्राम चावल और एक टुकड़ा वस्त्र की कीमतें वर्ष 2005 में क्रमश: 15 रु. और 120 रु. हो गईं। चावल और वस्त्र की उसी मात्रा को खरीदने के लिए प्रतिनिधि उपभोक्ता को 1350 रु. + 600 रु. = 1950 रु, व्यय करना पड़ेगा। अत: उपभोक्ता कीमत सूचकांक 1950 x 100 = 139.29 होगा।

प्रश्न 17. 
राष्ट्रीय आय मापन की तीनों विधियाँ समझाइए।
अथवा 
राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिये। राष्ट्रीय आय को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का तात्पर्य किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के बाजार मूल्य के योग से है। दूसरे शब्दों में राष्ट्रीय आय किसी देश के विभिन्न उत्पादन साधनों को प्राप्त प्रतिफलों का योग है जो किसी वर्ष विशेष में लगान, मजदूरी, वेतन, व्याज एवं लाभ के रूप में चुकाया जाता है। शेपीको के अनुसार, "राष्ट्रीय आय मजदूरी, लगान, ब्याज और लाभ का योग है अथवा एक निश्चित अवधि के लिए उत्पादन के साधनों की आय का जोड़ है।"
राष्ट्रीय आय को मापने की विधियाँ राष्ट्रीय आय को मापने की तीन प्रमुख विधियाँ हैं:
(1) उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि 
(2) व्यय विधि 
(3) आय विधि इन तीनों विधियों का विस्तृत विवेचन निम्न प्रकार

(1) उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधिअर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। राष्ट्रीय आय मापने के लिए उत्पादन विधि में दो मार्ग अपनाए जाते हैं:

  1. अन्तिम उत्पादन मार्ग; 
  2. मूल्यवर्धित मार्ग।

पहले मार्ग में फर्म द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य लिया जाता है, जबकि दूसरे मार्ग में फर्म द्वारा उत्पादन प्रक्रिया में की गई मूल्यवर्धित ली जाती है। मूल्यवर्धित से अभिप्राय उत्पादन की प्रत्येक अवस्था में प्रत्येक उद्यम द्वारा वस्तु के मूल्य में की जाने वाली वृद्धि से है। मूल्यवर्धित दो प्रकार की होती है-सकल मूल्यवर्धित एवं निवल मूल्यवर्धित । सकल मूल्यवर्धित में मूल्यह्रास सम्मिलित होता है जबकि निवल मूल्यवर्धित में मूल्यह्रास शामिल नहीं होता है। यदि हम एक वर्ष में अर्थव्यवस्था की सभी फर्मों के सकल मूल्यवर्धित का योग निकालें तो हमें वर्ष में अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के समस्त परिमाण का मूल्य प्राप्त होता है, यह सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।

(2) व्यय विधि: इस विधि के अन्तर्गत एक लेखा वर्ष में अर्थव्यवस्था के समस्त अन्तिम व्ययों के योग से सकल घरेलू आय की गणना की जाती है, दूसरे शब्दों में व्यय विधि सकल घरेलू उत्पाद के व्यय का मापन करती है। इसमें अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय को बाजार मूल्य पर मापा जाता है। अतः यह अन्तिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेल उत्पाद कहलाता है। व्यय विधि में निम्न सूत्र द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना की जा सकती है

GDP = RV = C + I + G + X - M 
यहाँ पर GDP = सकल घरेलू उत्पाद 
\(\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{N}} \mathrm{RV}_{\mathrm{i}}\) = एक वर्ष में अन्तिम उपभोग, निवेश,
सरकारी व्यय तथा निर्यात सम्बन्धी व्ययों का कुल योग है। 

C = अन्तिम उपभोग व्यय 
I =  अन्तिम निवेश व्यय
G = सरकार द्वारा अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं पर किया गया व्यय
x =  निर्यात 
M =  आयात है।

(3) आय विधि: आय विधि के अंतर्गत घरेलू आय की गणना उत्पादन के साधनों को उनके द्वारा प्रदान की गई उत्पादक सेवाओं के बदले साधन भुगतानों के आधार पर की जाती है। 

उत्पादन के चार साधन हैं:

  1. श्रम, 
  2. भूमि, 
  3. पूंजी तथा 
  4. उद्यमवृत्ति। 

इन उत्पादन के साधनों को उनकी सेवाओं के बदले में जो पारिश्रमिक दिया जाता है उसे साधन आय कहते हैं। साधन आय को चार वर्गों में बाँटा जाता है:

  1. कर्मचारियों का पारिश्रमिक, 
  2. लगान, 
  3. व्याज तथा 
  4. लाभ। 

मान लो एक अर्थव्यवस्था में परिवारों की संख्या M है। वें परिवार के द्वारा किसी वर्ष विशेष में प्राप्त मजदूरी और वेतन को W. मान लें। इसी प्रकार, P. In, R, क्रमशः सकल लाभ, व्याज अदायगी
और लगान जो कि i परिवार के द्वारा किसी वर्ष विशेष में प्राप्त होता है, अतः सकल घरेलू उत्पाद निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाएगा
सकल घरेलू उत्पाद

\(\begin{aligned} &\equiv \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{W}_{\mathrm{i}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{P}_{\mathrm{i}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{In}_{\mathrm{i}}+\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{R}_{\mathrm{i}} \\ &\equiv \mathrm{W}+\mathrm{P}+\mathrm{In}+\mathrm{R} \end{aligned}\)

\(\sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{W}_{\mathrm{i}} \equiv \mathrm{W}, \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{P}_{\mathrm{i}}\)
\(\equiv \mathrm{P}, \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{In}_{\mathrm{i}} \equiv \mathrm{In}, \sum_{\mathrm{i}=1}^{\mathrm{M}} \mathrm{R}_{\mathrm{i}} \equiv \mathrm{R}\)
इस रीति को आय प्राप्ति रीति, भुगतान प्राप्ति रीति, आय प्रवाह रीति आदि नामों से भी जाना जाता है।

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प्रश्न 18. 
राष्ट्रीय आय को परिभाषित कीजिए। इसकी गणना में क्या समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ?
अथवा 
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना में आने वाली कठिनाइयों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का तात्पर्य किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं व सेवाओं के मौद्रिक मूल्य अथवा बाजार मूल्य के योग से है। दूसरे शब्दों में राष्ट्रीय आय किसी देश के विभिन्न उत्पादन साधनों को प्राप्त प्रतिफलों का कुल योग है जो किसी वर्ष विशेष में लगान, मजदूरी, वेतन, ब्याज एवं लाभ के रूप में चुकाया जाता है।

राष्ट्रीय आय की गणना की कठिनाइयाँ:
राष्ट्रीय आय की गणना में आने वाली प्रमुख कठिनाइयाँ निम्न प्रकार हैं

  1. अमौद्रिक क्षेत्र-अर्थव्यवस्था में कई ऐसे क्षेत्र होते हैं जहाँ पर गैर मौद्रिक लेन-देन होते हैं अथवा वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलन में होती है। गैर मौद्रिक क्षेत्र के कारण राष्ट्रीय आय का कोई हिसाब-किताब नहीं रहता है जिस कारण राष्ट्रीय आय का सही आकलन नहीं हो पाता है।
  2. आँकड़ों की अनुपलब्धता-किसी भी अर्थव्यवस्था में तथा विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देश में अधिकांश लोग निरक्षर होते हैं जिसके कारण वे अपनी आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं रख पाते हैं तथा जिसके कारण पर्याप्त आँकड़े उपलब्ध नहीं हो पाते, इससे राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाई उत्पन्न होती है।
  3. सही लेखों एवं सूचनाओं का अभावबहुत से लोग अपनी आय का लेखा-जोखा रखते ही नहीं हैं, जिस कारण वे सही सूचनाएँ उपलब्ध नहीं करवा पाते। इसके अतिरिक्त निजी व्यवसायी अपनी सही आय बताना भी नहीं चाहते हैं, जिस कारण राष्ट्रीय आय का सही आकलन करने में कठिनाई आती है।
  4. स्व उपभोग के लिए उत्पादन-भारत जैसे विकासशील देश में अनेक लोग कृषि कार्यों में लगे होते हैं तथा कृषि से उत्पन्न काफी भाग वे स्व उपभोग हेतु रख लेते हैं जिसका कोई मूल्यांकन नहीं हो पाता है तथा वह कुल उत्पादन की मात्रा में शामिल नहीं हो पाता है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय का सही माप नहीं हो पाता
  5. अन्तिम तथा मध्यवर्ती उत्पादों की समस्या-राष्ट्रीय आय की गणना करते समय हम केवल अन्तिम उत्पादों को ही शामिल करते हैं परन्तु कई बार यह भेद करना कठिन हो जाता है कि कौनसा उत्पाद अन्तिम है तथा कौनसा उत्पाद मध्यवर्ती है, इस कारण दोहरी गणना की संभावना बनी रहती है।
  6. सेवाओं का मूल्य ज्ञात करना कठिनराष्ट्रीय आय की गणना करते समय अन्तिम वस्तुओं के साथ-साथ सेवाओं को भी शामिल किया जाता है, किन्तु व्यवहार में सेवाओं का सही मूल्य ज्ञात करना अत्यन्त कठिन है, इस कारण राष्ट्रीय आय की सही गणना करने में कठिनाई आती है।
  7. विदेशी फर्मों की आय-राष्ट्रीय आय की गणना में एक अन्य कठिनाई यह है कि विदेशी फर्मों की आय को किस देश की राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाए। इस बारे में सामान्य दृष्टिकोण यह है कि विदेशी फर्मों की अर्जित आय उस देश की राष्ट्रीय आय में जोड़ी जाती है जहाँ विदेशी फर्म उत्पादन क्रिया में संलग्न है।
  8. सरकार द्वारा उपलब्ध सेवाओं के मूल्य निर्धारण की कठिनाई-वर्तमान में सरकारों द्वारा अनेक प्रकार की प्रशासनिक सुविधायें, सुरक्षा सेवायें तथा न्याय सेवायें जनता को प्रदान की जाती हैं। इन सेवाओं के बाजार मूल्य को भी राष्ट्रीय आय में जोड़ा जाना चाहिए। इन सेवाओं के बाजार मूल्य के निर्धारण में कठिनाई के कारण राष्ट्रीय आय की गणना में भी कठिनाई आती है।

प्रश्न 19. 
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त शुद्ध आय तथा वैयक्तिक प्रयोज्य आय ज्ञात कीजिए:

 

(करोड़ रु.)

(i) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज

10

(ii) निजी निगमित क्षेत्र की बचत                                

30

(iii) निगम कर

15

(iv) सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा चालू हस्तांतरण

20

(v) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद                            

450

(vi) गैर-विभागीय उद्यमों की बचत                               

20

(vii) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तांतरण                           

5

(viii) परिवारों द्वारा प्रत्यक्ष करों का भुगतान                       

15

(ix) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय                             

-5

(x) सरकारी प्रशासनिक विभागों की सम्पत्ति एवं उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय

25

उत्तर:
(1) निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त आय = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद - सरकारी प्रशासनिक विभागों को सम्पत्ति एवं उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय 
गैर-विभागीय उद्यमों की बचत = 450 करोड़ रु. - 25 करोड़ रु. - 20 करोड़ रु. = 405 करोड़ रु.

(2) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकारी प्रशासनिक विभागों द्वारा शुद्ध चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तांतरण - निजी निगमित क्षेत्र की बचत - निगम कर - परिवारों द्वारा
प्रत्यक्ष करों का भुगतान = 405 करोड़ रु. + (-5) करोड़ रु. + 10 करोड़ रु. + 20 करोड़ रु. + 5 करोड़ रु. -30 करोड़ रु. - 15 करोड़ रु. - 15 करोड़ रु. = 375 करोड़ रु.

प्रश्न 20.
भागीय सरकारी उद्यमों की बचतें शेष विश्व से चालू हस्तांतरण:
उत्तर:
(1) वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय - सरकारी प्रशासकीय विभागों को सम्पत्ति एवं उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय - गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकारी प्रशासकीय विभागों से प्राप्त चालू हस्तांतरण + शेष विश्व से चालू हस्तांतरण - निगम लाभ कर - निजी निगमित क्षेत्र की बचत 
= 1.300 करोड़ रु. -35 करोड़ रु. -5 करोड़ रु. + 10 करोड़ रु. + 30 करोड़ रु. + 15 करोड़ रु. - 15 करोड़ रु. - 25 करोड़ रु. 
= 1,275 करोड़ रु.

(2) निजी आय = वैयक्तिक आय + निगम लाभ कर + निजी निगम क्षेत्र की बचते
= 1,275 करोड़ रु. + 15 करोड़ रु. + 25 करोड़ रु. = 1.315 करोड़ रु. 

(3) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय - प्रत्यक्ष व्यक्तिगत कर = 1,275 करोड़ रु. - 40 करोड़ रु. = 1,235 करोड़ रु.।

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प्रश्न 21. 
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर ज्ञात कीजिए:
(1) राष्ट्रीय आय, 
(ii) वैयक्तिक आय, 
(II) निजी आय।

 

(करोड़ रु.)

(i) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद

1,015

(ii) उद्यमवृत्ति व सम्पत्ति से अर्जित सरकारी प्रशासनिक विभागों की आय

25

(iii) अप्रत्यक्ष कर

150

(iv) अनुदान

20

(v) गैर-विभागीय उद्यमों की बचत

5

(vi) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज

10

(vii) सरकार द्वारा चालू हस्तांतरण

5

(viii) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तांतरण

10

(ix) निजी निगमित क्षेत्र की बचतें

15

(x) निगम लाभ कर

10

उत्तर:
(i) राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद - अप्रत्यक्ष कर + अनुदान
= 1,015 करोड़ रु. - 150 करोड़ रु. + 20 करोड़ रु. = 885 करोड़ रु.

(ii) वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय - उद्यमवृत्ति व सम्पत्ति से अर्जित सरकारी प्रशासनिक विभागों की आय - गैर-विभागीय उद्यमों की बचत + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकार द्वारा हस्तांतरण भुगतान + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तांतरण - निजी निगमित क्षेत्र की बचतें - निगम लाभ कर
885 करोड़ रु. - 25 करोड़ रु. - 5 करोड़ रु. + 10 करोड़ रु. + 25 करोड़ रु. + 10 करोड़ रु. - 15 करोड़ रु. - 10 करोड़ रु. = 875 करोड़ रू.

(iii) निजी आय = वैयक्तिक आय + निजी निगमित क्षेत्र की बचतें + निगम लाभ कर
= 875 करोड़ रु. + 15 करोड़ रु. + 10 करोड़ रु. = 900 करोड़ रु.।

प्रश्न 22.
अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में दिए गए निम्न आँकड़ों से 
(i) वैयक्तिक प्रयोज्य आय, 
(ii) निजी आय और 
(iii) राष्ट्रीय आय का आकलन कीजिए।

उत्तर:
(1) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय - परिवारों द्वारा दिया गया प्रत्यक्ष कर
= 1,225 करोड़ रु. - 25 करोड़ रु. = 1,200 करोड़ रु.

(ii) निजी आय = वैयक्तिक आय + निजी निगमित क्षेत्र की बचत + निगम कर
-1,225 करोड़ रु. + 12 करोड़ रु. + 23 करोड़ रु. = 1,260 करोड़ रु.

(iii) राष्ट्रीय आय = निजी आय - सरकारी प्रशासनिक विभागों से चालू हस्तांतरण - शेष विश्व से चालू हस्तांतरण + सरकारी प्रशासनिक विभागों को सम्पत्ति
और उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय + गैर-विभागीय सरकारी उद्यमों की बचत = 1,260 करोड़ रु. - 30 करोड़ रु. - (-25 करोड़ रु.) + 30 करोड़ रु. + 20 करोड़ रु. = 1,305 करोड़ रु.।

Prasanna
Last Updated on Jan. 22, 2024, 9:34 a.m.
Published Jan. 21, 2024