Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 2 उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
वह रेखा जो उन सभी बंडलों का प्रतिनिधित्व करती है, जिन पर उपभोक्ता की सम्पूर्ण आय व्यय हो जाती है, कहलाती है।
(अ) व्यय रेखा
(ब) आय रेखा
(स) बजट रेखा
(द) उत्पादन रेखा
उत्तर:
(स) बजट रेखा
प्रश्न 2.
ऐसा वक्र जिसमें उन सभी बंडलों के बिन्दुओं को जोड़ दिया जाता है, जिनके बीच उपभोक्ता तटस्थ है, कहलाता है।
(अ) अनधिमान वक्र
(ब) आय वक्र
(स) उत्पादन वक्र
(द) उपभोग वक्र
उत्तर:
(अ) अनधिमान वक्र
प्रश्न 3.
माँग की कीमत लोच का सूत्र है वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन
उत्तर:
प्रश्न 4.
आयताकार अतिपरवलय माँग वक्र में मांग की कीमत लोच होती है।
(अ) इकाई से अधिक
(ब) इकाई के बराबर
(स) इकाई से कम
(द) शून्य के बराबर
उत्तर:
(ब) इकाई के बराबर
प्रश्न 5.
अनधिमान वक्र होता है।
(अ) मूल बिन्दु की तरफ अवतल
(ब) मूल बिन्दु की तरफ उत्तल
(स) क्षैतिज अक्ष के समानान्तर
(द) लम्बवत् अक्ष के समानान्तर
उत्तर:
(ब) मूल बिन्दु की तरफ उत्तल
प्रश्न 6.
एक उपभोक्ता की माँग निम्न में से किससे प्रभावित होती है?
(अ) वस्तु की कीमत
(ब) उपभोक्ता की आय
(स) उपभोक्ता की रुचि
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7.
ऐसी वस्तुएँ जिनकी माँग आय बढ़ने के साथ घटती है तथा आय कम होने के साथ बढ़ती है, वे कहलाती हैं।
(अ) सामान्य वस्तुएँ
(ब) निम्नस्तरीय वस्तुएँ
(स) उपभोक्ता वस्तुएँ
(द) पूँजीगत वस्तुएँ
उत्तर:
(ब) निम्नस्तरीय वस्तुएँ
प्रश्न 8.
जिन वस्तुओं का एक-दूसरे के स्थान पर उपभोग किया जा सकता है, कहलाती हैं।
(अ) पूरक वस्तुएँ
(ब) स्थानापन्न वस्तुएँ
(स) सामान्य वस्तुएँ
(द) निम्नस्तरीय वस्तुएँ
उत्तर:
(ब) स्थानापन्न वस्तुएँ
प्रश्न 9.
जिन वस्तुओं का उपभोग एक साथ किया जाता है, वे कहलाती हैं।
(अ) स्थानापन्न वस्तुएँ
(ब) सामान्य वस्तुएँ
(स) पूरक वस्तुएँ
(द) निम्नस्तरीय वस्तुएँ
उत्तर:
(स) पूरक वस्तुएँ
प्रश्न 10.
क्षैतिज अक्ष के समानान्तर माँग वक्र की लोच होती है।
(अ) अनन्त
(ब) शून्य
(स) इकाई के बराबर
(द) इकाई से कम
(अ) अनन्त
भतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पूर्णतया बेलोच मांग का एक उदाहरण मोजिए।
उत्तर:
नमक की माँग पूर्णतया बेलोच मांग होती
प्रश्न. 2.
माँग फलन क्या है?
उत्तर:
यह एक वस्तु की मांगी गई मात्रा एवं उसे भावित करने वाले कारकों में सम्बन्ध व्यक्त करता है।
प्रश्न 3.
ह्रासमान विस्थापन दर का आशय लिखिए।
उत्तर:
जैसे - जैसे वस्तु 1 की मात्रा में वृद्धि होती वस्तु 2 तथा वस्तु 1 के बीच प्रतिस्थापन दर गिरती नाती है।
प्रश्न 4.
वस्तु की कीमत में परिवर्तन के प्रतिस्थापन भाव को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
प्रतिस्थापन प्रभाव सदैव ऋणात्मक होता है मर्थात् कीमत तथा उसकी माँग की मात्रा परस्पर विपरीत दशाओं में बदलती है।
प्रश्न 5.
बजट रेखा क्या है?
उत्तर:
वह रेखा जिस पर स्थित बंडलों की लागत उपभोक्ता की आय के बराबर होती है, बजट रेखा कहलाती
प्रश्न 6.
माँग वक्र की प्रवणता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
माँग वक्र का ढाल किस प्रकार होता है?
उत्तर:
माँग वक्र की प्रवणता अथवा दाल नीचे की ओर अर्थात् ऋणात्मक होता है।
प्रश्न 7.
सीमान्त उपयोगिता (MU) किसे कहते है।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता कुल उपयोगिता में वह परिवर्तन है जो वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से होता है।
प्रश्न 8.
अनधिमान वक्र की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
अनधिमान वक्र दाएँ से बाएँ नीचे की ओर ढलवा होते हैं।
प्रश्न 9.
वस्तु की कीमत गिरने पर (कम होने पर) उपभोक्ता के कुल व्यय पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यदि वस्तु की कीमत लोच अधिक लोचदार है?
उत्तर:
इस स्थिति में उपभोक्ता के कुल व्यय में वृद्धि होगी।
प्रश्न 10.
उपयोगिता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक वस्तु की उपयोगिता, उसकी किसी आवश्यकता को सन्तुष्ट करने की क्षमता है।
प्रश्न 11.
उस वक्र को क्या कहते हैं जिसके विभिन्न बिन्दु दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को दर्शाते हैं जो समान संतुष्टि प्रदान करते हैं?
उत्तर:
अनधिमान वक्र।
प्रश्न 12.
किसी वस्तु की माँग को प्रभावित करने वाले कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
एक अनधिमान वक्र का ढाल कैसा होता
उत्तर:
ऋणात्मक।
प्रश्न 14.
ऐसी दो वस्तुओं के नाम बताइए जो एकदूसरे की पूरक हों।
उत्तर:
कलम व स्याही।
प्रश्न 15.
ऐसी दो वस्तुओं के नाम बताइए जो एकदूसरे की स्थानापन्न हों।
उत्तर:
चाय व कॉफी।
प्रश्न 16.
निम्नस्तरीय खाद्य वस्तु का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
मोटे अनाज।
प्रश्न 17.
कीमत प्रभाव, आय प्रभाव तथा प्रतिस्थापन प्रभाव में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
कीमत प्रभाव = आय प्रभाव + प्रतिस्थापन प्रभाव।
प्रश्न 18.
माँग वक्र के दायीं तरफ शिफ्ट होने का कोई एक कारण बताइए।
उत्तर:
आय में वृद्धि।
प्रश्न 19.
उपभोक्ता के सम्मुख चयन की समस्या उत्पन्न होने के कारण बताइए।
उत्तर:
उपभोक्ता की इच्छाएँ असीमित हैं, किन्तु आय सीमित होती है।
प्रश्न 20.
अनधिमान वक्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह वक्र जिसके विभिन्न बिन्दु दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को दर्शाते हैं जो उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्रदान करते हैं।
प्रश्न 21.
माँग फलन का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
माँग फलन q = f (p) यहाँ q = मात्रा तथा p = कीमत है।
प्रश्न 22.
माँग वक्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब माँग मात्रा तथा कीमत के सम्बन्ध को ग्राफ द्वारा दर्शाया जाता है, तो वह माँग वक्र कहलाता है।
प्रश्न 23.
लम्बवत् अक्ष के समानान्तर माँग वक्र पर माँग की कीमत लोच कितनी होगी?
उत्तर:
लम्बवत् अक्ष के समानान्तर मांग वक्र पर माँग की लोच पूर्णतया बेलोचदार अर्थात् ep = 0 होगी।
प्रश्न 24.
क्षैतिज अक्ष के समानान्तर माँग वक्र पर माँग की कीमत लोच कैसी होगी?
उत्तर:
क्षैतिज अक्ष के समानान्तर माँग वक्र पर माँग की लोच पूर्णतया लोचदार अर्थात् ep = x होगी।
प्रश्न 25.
एक आयताकार अतिपरवलय माँग वक्र की माँग की लोच क्या होती है?
उत्तर:
एक आयताकार अतिपरवलय मांग वक्र की माँग की लोच इकाई के बराबर अर्थात् ep = 1 होती है।
प्रश्न 26.
किसी वस्तु के लिए माँग की कीमत लोच को निर्धारित करने वाले कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 27.
आवश्यक वस्तुओं की माँग की लोच कैसी होती है?
उत्तर:
आवश्यक वस्तुओं की मांग की लोच इकाई से कम अर्थात् बेलोचदार होती है।
प्रश्न 28.
विलासिता की वस्तुओं की मांग की लोच किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
विलासिता की वस्तुओं की माँग की लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार होती है।
प्रश्न 29.
बाजार में जिन वस्तुओं के अनेक स्थानापन्न उपलब्ध होते हैं, उनकी मांग की लोच कैसी होती है?
उत्तर:
उनकी मांग की लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार होती है।
प्रश्न 30.
यदि किसी वस्तु की कीमत बढ़ने पर उस पर किए व्यय में कमी होती है, तो उसकी माँग की लोच कैसी होगी?
उत्तर:
ऐसी वस्तु की माँग की लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार होगी।
प्रश्न 31.
अनधिमान वक्र द्वारा उपभोक्ता के सन्तुलन की कोई एक शर्त बताइए।
उत्तर:
सन्तुलन हेतु अनधिमान वक्र बजट रेखा को स्पर्श करे।
प्रश्न 32.
अनधिमान वक्र को अन्य किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
अनधिमान वक्र को उदासीनता वक्र अथवा तटस्थता वक्र के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 33.
अनधिमान मानचित्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक ही चित्र में किसी उपभोक्ता के लिए अनेक अनधिमान वक्र दर्शाए जाते हैं तो उसे अनधिमान मानचित्र कहते हैं।
प्रश्न 34.
माँग के नियम की कोई एक मान्यता बताइए।
उत्तर:
उपभोक्ता की रुचियाँ तथा अधिमानों में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 35.
एक सरल माँग रेखा के मध्य बिन्दु पर लोच कितनी होगी?
उत्तर:
एक सरल माँग रेखा के मध्य बिन्दु पर लोच इकाई के बराबर होगी अर्थात् ep = 1 होगी।
प्रश्न 36.
यदि x वस्तु की कीमत बढ़ने से y वस्तु की मांग बढ़ जाती है, तो दोनों किस प्रकार की वस्तुएँ।
उत्तर:
x तथा y दोनों वस्तुएँ स्थानापन्न वस्तुएँ हैं।
प्रश्न 37.
यदि किसी परिवार की आय बढ़ने से वे x वस्तु की पहले से कम मांग करते हैं, x किस प्रकार की वस्तु है?
उत्तर:
आय वृद्धि के साथ x वस्तु की माँग कम होती है अतः x निम्नस्तरीय वस्तु है।
प्रश्न 38.
यदि उपभोक्ता की आय बढ़ जाए तो बजट रेखा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि उपभोक्ता की आय बढ़ जाए तो बजट रेखा दायीं तरफ शिफ्ट हो जाएगी।
प्रश्न 39.
माँग के नियम के अनुसार वस्तु की मांग एवं कीमत में किस प्रकार का सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
विपरीत सम्बन्ध।
प्रश्न 40.
बजट रेखा के ढाल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
बजट रेखा का ढाल = \(\frac{P_{1}}{P_{2}}\)
प्रश्न 41.
माँग के नियम का कोई एक अपवाद बताइए।
उत्तर:
गिफिन अथवा घटिया वस्तुएँ।
प्रश्न 42.
यदि माँग की लोच इकाई के बराबर हो तो माँग वक्र की आकृति कैसी होगी?
उत्तर:
आयताकार अतिपरवलय।
प्रश्न 43.
माँग की कीमत लोच ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 44.
माँग वक्र का ढाल ऋणात्मक होने का कोई एक कारण बताइए।
उत्तर:
घटती हुई सीमान्त उपयोगिता का नियम।
प्रश्न 45.
उपभोक्ता की आय एवं सामान्य वस्तु की माँग मात्रा में किस प्रकार का सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
धनात्मक सम्बन्ध।
प्रश्न 46.
निम्नस्तरीय वस्तु की माँग एवं उपभोक्ता की आय में कैसा सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
ऋणात्मक अथवा विपरीत सम्बन्ध ।
प्रश्न 47.
उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर निम्नस्तरीय वस्तु का माँग वक्र किस तरफ शिफ्ट होगा?
उत्तर:
माँग वक्र बायीं तरफ शिफ्ट होगा।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
माँग की लोच को समझाइये।
उत्तर:
एक वस्तु की कीमत, उपभोक्ता की आय तथा सम्बन्धित वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उस वस्तु की मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन की माप को माँग की लोच कहा जाता है।
प्रश्न 2.
कुल उपयोगिता किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुल उपयोगिता (TU) एक वस्तु की निश्चित मात्रा से प्राप्त उपयोगिता का योग है जो उस वस्तु की दी गई मात्रा को उपयोग करने से प्राप्त होती है।
प्रश्न 3.
पूरक और स्थानापन्न वस्तुओं को उदाहरण की सहायता से समझाइये।
उत्तर:
पूरक वस्तुयें: ऐसी वस्तुयें जिनका प्रयोग साथ-साथ किया जाता है, पूरक वस्तुयें कहलाती हैं, उदाहरण - चाय व चीनी।
स्थानापन्न वस्तुयें: ऐसी वस्तुयें जिनका उपयोग एक-दूसरे के स्थान पर किया जा सकता है, स्थानापन्न वस्तुयें कहलाती हैं। उदाहरण - चाय व कॉफी।
प्रश्न 4.
उपभोक्ता का इष्टतम संयोग को दर्शाने वाला रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
ह्रासमान विस्थापन की दर समझाइए।
अथवा
प्रतिस्थापन की ह्रासमान दर से आप क्या समझते
उत्तर:
एक उपभोक्ता जैसे - जैसे वस्तु 1 की अतिरिक्त मात्रा प्राप्त करता है, वैसे - वैसे वस्तु 2 की जो मात्रा उपभोक्ता वस्तु 1 की एक अतिरिक्त इकाई के लिए छोड़ना चाहता है, कम होती जाती है।
प्रश्न 6.
ह्रासमान उपयोगिता नियम का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
हासमान उपयोगिता नियम बताता है कि जैसे-जैसे अन्य वस्तुओं के उपयोग को स्थिर रखते हुए किसी वस्तु के उपयोग को बढ़ाया जाता है, वस्तु की हर अगली इकाई से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता गिरती है।
प्रश्न 7.
दिए गए रैखिक माँग वक्र AB के A एवं B बिन्दुओं पर माँग की लोच क्या है?
उत्तर:
A बिन्दु पर माँग की लोच पूर्णतया लोचदार है जबकि B बिन्दु पर माँग की लोच पूर्णतया लोचहीन अथवा बेलोचदार है।
प्रश्न 8.
सामान्य वस्तुओं एवं निम्न स्तरीय वस्तुओं के बीच अन्तर कीजिए।
उत्तर:
सामान्य वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिन पर माँग का नियम लागू होता है जबकि निम्न स्तरीय वस्तुएँ वे होती हैं जिन पर मांग का नियम लागू नहीं होता है।
प्रश्न 9.
माँग की कीमत लोच को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन की माप को माँग की कीमत लोच कहते हैं।
प्रश्न 10.
अनधिमान वक्र की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
माँग के नियम को समझाइए।
उत्तर:
सामान्य वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी आती है तथा वस्तु की कीमत में कमी होने पर उसकी माँग में वृद्धि होती है, यही माँग का नियम है।
प्रश्न 12.
'ह्रासमान सीमान्त उपयोगिता नियम' क्या है?
उत्तर:
इस नियम के अनुसार एक उपभोक्ता जब किसी वस्तु की मानक इकाइयों का निरन्तर उपभोग करता हैं। है, तो प्रत्येक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है।
प्रश्न 13.
उपभोक्ता सन्तुलन का अर्थ क्या है?
उत्तर:
जब कोई उपभोक्ता उपलब्ध बंडलों के इष्टतम चयन से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करता है, तो वह उसके सन्तुलन की अवस्था होती है।
प्रश्न 14.
एक उपभोक्ता सन्तुलन की अवस्था में कब होता है?
उत्तर:
जिस बिन्दु पर बजट रेखा अनधिमान वक्रों में से किसी एक को स्पर्श करती है, उस बिन्दु पर उपभोक्ता सन्तुलन की अवस्था में होगा।
प्रश्न 15.
माँग का अर्थ बताइये।
उत्तर:
एक उपभोक्ता एक दी हुई कीमत पर निश्चित समयावधि में अपनी आय से जितनी वस्तुएँ खरीदने को तैयार है, वह माँग कहलाती है।
प्रश्न 16.
माँग के कोई दो निर्धारक तत्त्व बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 17.
सीमान्त उपयोगिता में कुल उपयोगिता का आकलन कैसे किया जाता है? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
किसी वस्तु की विभिन्न इकाइयों से प्राप्त सीमान्त उपयोगिताओं का योग करके कुल उपयोगिता ज्ञात की जाती है। इसे निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता
इकाई मात्रा |
सीमान्त उपयोगिता |
कुल उपयोगिता |
1 |
10 |
10 |
2 |
9 |
19 |
3 |
7 |
26 |
4 |
6 |
32 |
प्रश्न 18.
बाजार माँग वक्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
बाजार माँग वक्र बाजार में सभी उपभोक्ताओं की माँग को वस्तु की कीमत के विभिन्न स्तरों पर समग्न दृष्टि से देखकर माँग को प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 19.
प्रतिस्थापन प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर और उपभोक्ता की आय को इस प्रकार समायोजित करने पर कि वह उसी बंडल को खरीद सके जिसे वह कीमत में परिवर्तन के पहले खरीदता था, वस्तु की इष्टतम मात्रा में हुए परिवर्तन को प्रतिस्थापन प्रभाव कहा जाता है।
प्रश्न 20.
कीमत प्रभाव किसे कहते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन के फलस्वरूप क्रय शक्ति में परिवर्तन के कारण वस्तुओं की इष्टतम मात्रा में जो परिवर्तन होता है, उसे कीमत प्रभाव कहा जाता है।
प्रश्न 21.
यदि किसी उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होता है तो माँग वक्र कैसे शिफ्ट होता है?
उत्तर:
सामान्य वस्तु की स्थिति में यदि किसी उपभोक्ता की आय बढ़ती है तो माँग वक्र दायीं तरफ तथा आय में कमी होने पर माँग वक्र बायीं तरफ शिफ्ट होता
प्रश्न 22.
माँग की कीमत लोच ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
माँग की कीमत लोच वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन - वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन
यहाँ eD = कीमत लोच,
q° = पहले वाली मात्रा,
p = पहले वाली कीमत,
q1 = परिवर्तन के बाद की मात्रा,
p1 = परिवर्तन के बाद की कीमत।
प्रश्न 23.
अनधिमान वक्र द्वारा उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्ते बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
बजट रेखा का ढाल क्या होता है?
उत्तर:
बजट रेखा का ढाल x तथा y वस्तुओं की कीमतों का अनुपात होता है अर्थात् बजट रेखा का ढाल
प्रश्न 25.
अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र का ढाल ऋणात्मक क्यों होता है?
उत्तर:
समान सन्तुष्टि हेतु जब एक वस्तु की मात्रा बढ़ेगी ती दूसरी वस्तु की मात्रा घटेगी अतः अनधिमान वक्र का ढाल सदैव ऋणात्मक होता है।
प्रश्न 26.
माँग के नियम की कोई दो मान्यताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 27.
पूर्णतया बेलोचदार माँग अथवा शून्य माँग लोच क्या है?
उत्तर:
जब किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने पर मांगी गई मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो वह पूर्णतया बेलोचदार माँग होती है।
प्रश्न 28.
इकाई लोचदार माँग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी वस्तु की माँग में परिवर्तन ठीक उसी अनुपात में होता है जिस अनुपात में उसके मूल्य में परिवर्तन हुआ है, तो इसे इकाई लोचदार माँग कहते हैं।
प्रश्न 29.
माँग की कीमत लोच के विभिन्न प्रकार अथवा श्रेणियाँ बताइए।
उत्तर:
माँग की कीमत लोच के निम्न प्रकार हैं।
प्रश्न 30.
व्यक्तिगत माँग तालिका से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी निश्चित समय में एक व्यक्ति किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उसकी जितनी मात्राओं की माँग करेगा, उसकी तालिका को व्यक्तिगत माँग तालिका कहते हैं।
प्रश्न 31.
निम्न सूचनाओं के आधार पर बजट रेखा का समीकरण बताइए।
उपभोक्ता की आय - 500 रुपये
वस्तु 1 की कीमत - 10 रुपये प्रति इकाई
वस्तु 2 की कीमत - 5 रुपये प्रति इकाई
उत्तर:
बजट रेखा का समीकरण
P1x1 + P2x2 = m
10x1 + 5x1 = 500
प्रश्न 32.
उपयोगिता की कोई दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 33.
शून्य माँग की लोच (ep = 0) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब कीमत में परिवर्तन होने पर माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो उसे शून्य मांग की लोच अथवा पूर्णतया बेलोचदार माँग कहते हैं।
प्रश्न 34.
अनन्त माँग की लोच (eP = ∞) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब कीमत में बहुत थोड़े से परिवर्तन के फलस्वरूप माँग में बहुत ज्यादा परिवर्तन होता है तो उसे अनन्त माँग की लोच अथवा पूर्णतया लोचदार माँग कहते हैं।
प्रश्न 35.
एक दिष्ट अधिमान को समझाइए।
उत्तर:
जब उपभोक्ता दो बंडलों में से उस बंडल को अधिमान देता है जिसमें कम से कम एक वस्तु की अधिक मात्रा हो तथा दूसरी वस्तु की भी कम मात्रा न हो।
प्रश्न 36.
सीमान्त उपयोगिता व कुल उपयोगिता के बीच सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता व कुल उपयोगिता में यह सम्बन्ध होता है कि जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तो सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है।
प्रश्न 37.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की कोई दो मान्यताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 38.
माँग की आय लोच से आप क्या समझते
उत्तर:
माँग की आय लोच-उपभोक्ता की आय में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तु की मांग में जो परिवर्तन होता है, उसकी माप को माँग की आय लोच कहते हैं।
प्रश्न 39.
माँग की तिरछी या आड़ी लोच से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
माँग की आड़ी या तिरछी लोच: माँग की आड़ी या तिरछी लोच किसी एक वस्तु की मांग में वह आनुपातिक परिवर्तन है जो दूसरी वस्तु की कीमत में - परिवर्तन के परिणामस्वरूप होता है।
प्रश्न 40.
उपभोग वस्तुओं तथा पूँजीगत वस्तुओं के प्रत्येक के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उपभोग वस्तुएँ:
पूँजीगत वस्तुएँ:
प्रश्न 41.
अनधिमान वक्र का रेखाचित्र बनाइए।
अथवा
अनधिमान अथवा उदासीनता वक्र की परिभाषा लिखें एवं उसे रेखाचित्र से दर्शाइये।
उत्तर:
प्रश्न 42.
यदि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं तब क्या वह (10,4) (8,2) संयोगों के बीच तटस्थ हो सकता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता के अधिमान दोनों संयोगों के बीच तटस्थ नहीं हो सकते क्योंकि प्रथम संयोग (10, 4) में द्वितीय संयोग (8,2) की अपेक्षा दोनों वस्तुओं की संख्या अधिक है। अतः उपभोक्ता प्रथम संयोग को अधिमान देगा।
प्रश्न 43.
उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए कि किन परिस्थितियों में (1) माँग की प्रतिशत विधि (2) माँग की ज्यामितिक विधि काम में ली जाती है?
उत्तर:
माँग की प्रतिशत विधि: जब मांग में हुए परिवर्तन तथा कीमत में हुए परिवर्तन की संख्यात्मक माप दी हो तो प्रतिशत विधि का प्रयोग किया जाएगा।
माँग की ज्यामितिक विधि: जब दिए गए माँग वक्र के किसी बिन्दु अथवा चाप की लोच ज्ञात करनी हो, तो ज्यामितिक विधि का प्रयोग किया जाएगा।
प्रश्न 44.
सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता: किसी उपभोक्ता द्वारा वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से जो उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। कुल उपयोगिता: किसी उपभोक्ता को उपभोग की सभी इकाइयों से मिलाकर जो उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे कुल उपयोगिता कहते हैं।
प्रश्न 45.
माँग की कीमत लोच से आप क्या समझते हैं? इसकी कितनी श्रेणियाँ होती हैं?
अथवा
माँग की कीमत लोच से आप क्या समझते हैं? यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
माँग की कीमत लोच: किसी वस्तु की माँग के प्रतिशत परिवर्तन में उस वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का भाग देने से प्राप्त भागफल को माँग की कीमत लोच कहते हैं। इसे निम्न सूत्र से ज्ञात कर सकते हैं।
माँग की कीमत लोच के प्रकार:
(1) पूर्णतया लोचदार माँग (e = ∞ )
(2) इकाई से अधिक लोचदार (e > 1)
(3) इकाई लोचदार (e = 1)
(4) इकाई से कम लोचदार (e < 1)
(5) पूर्णतया बेलोचदार माँग (e = 0)
प्रश्न 46.
चित्र की सहायता से माँग की लोच की विभिन्न श्रेणियाँ समझाइये।
उत्तर:
माँग की मात्रा यहाँ चित्र में e = ∞ पूर्णतया लोचदार माँग, e > 1 इकाई से अधिक लोचदार माँग, e = 1 इकाई लोचदार,
e < 1 इकाई से कम लोचदार माँग एवं e = 0 पूर्णतया बेलोचदार मांग है।
प्रश्न 47.
किसी वस्तु की माँग की लोच मापने की कुल व्यय रीति स्पष्ट कीजिये। माँग की लोच कब बेलोच होती है?
उत्तर:
यदि वस्तु की कीमत में परिवर्तन के विपरीत दिशा में व्यय में परिवर्तन होता है, तो वस्तु की कीमत लोचदार होगी। यदि वस्तु की कीमत में परिवर्तन के समान दिशा में व्यय में परिवर्तन होता है तो वस्तु की कीमत लोच बेलोचदार होगी। यदि वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर व्यय में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो वस्तु की कीमत लोच इकाई लोचदार होती है।
प्रश्न 48.
माँग की कीमत लोच को प्रभावित करने वाले तीन तत्त्वों को समझाइये।
उत्तर:
प्रश्न 49.
पूर्णतया लोचदार माँग को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब कीमत में बहुत थोड़े परिवर्तन से माँग में अत्यधिक परिवर्तन हो जाता है तो इसे पूर्णतया लोचदार माँग कहते हैं। इसे निम्न रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।
प्रश्न 50.
तालिका एवं चित्र की सहायता से सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में सम्बन्ध निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है।
इकाइयाँ |
सीमान्त उपयोगिता |
कुल उपयोगिता |
1 |
12 |
12 |
2 |
8 |
20 |
3 |
7 |
27 |
4 |
6 |
33 |
5 |
4 |
37 |
6 |
0 |
37 |
7 |
-2 |
35 |
8 |
-6 |
29 |
उपभोग की इकाइयाँ बढ़ाने पर सीमान्त उपयोगिता गिरती जाती है तथा कुल उपयोगिता बढ़ती जाती है। जहाँ सीमान्त उपयोगिता शून्य हो जाती है वहाँ कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तथा इसके पश्चात् भी उपभोग जारी रखने पर सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है तथा कुल उपयोगिता घटने लगती है। इसे निम्न रेखाचित्र से दर्शाया जा सकता है।
प्रश्न 51.
माँग की कीमत लोच तथा आय लोच में अन्तर बताइए।
उत्तर:
किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उसकी माँग में जो परिवर्तन होने की प्रवृत्ति होती है वह मांग की कीमत लोच कहलाती है जबकि उपभोक्ता की आय में परिवर्तन से माँग में जो परिवर्तन होने की प्रवृत्ति पाई जाती है वह मांग की आय लोच कहलाती है।
प्रश्न 52.
माँग के नियम की कोई तीन मान्यताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 53.
कीमत प्रभाव तथा आय प्रभाव में अन्तर बताइए।
उत्तर:
वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से मांगी गई मात्रा में जो परिवर्तन होता है वह कीमत प्रभाव कहलाता है, जबकि वस्तु की कीमतें यथास्थिर रहने पर उपभोक्ता की आय में परिवर्तन से उसकी माँग में जो परिवर्तन होता है उसे आय प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 54.
उपभोक्ता के बजट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
एक उपभोक्ता विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ कर धन कमाता है, इस धन से वह अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करता है। उपभोक्ता के बजट से अभिप्राय उपभोक्ता की उस आय से है, जिससे वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु वस्तुएँ एवं सेवाएँ क्रय करता है।
प्रश्न 55.
बजट सेट अथवा समूह को उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट सेट अथवा समूह उन सभी वस्तुओं के संयोगों का समूह है जिन्हें उपभोक्ता दी गई आय पर प्रचलित बाजार कीमतों पर खरीद सकता है। मान लीजिए यदि उपभोक्ता की आय m, दो वस्तुओं की कीमत p1 तथा p2 पर क्रय की गई राशि x1 तथा x2 हो तो बजट सेट निम्न प्रकार होगा।
P1X1 + P2X2 < m.
प्रश्न 56.
यदि उपभोक्ता के पास 20 रुपये हैं तथा दो वस्तुओं की कीमत प्रत्येक की पाँच रुपये है, तो निम्न ज्ञात कीजिए
(i) वे बंडल जो उपभोक्ता खरीद सकता है।
(ii) वे बंडल जिनकी लागत उपभोक्ता की आय के बराबर है।
उत्तर:
(i) वे बंडल जो उपभोक्ता अपनी आय से खरीद सकता है, वे निम्न प्रकार हैं:
(0,0), (0, 1), (0, 2), (0, 3), (0, 4), (1, 0), (1, 1), (1, 2), (1, 3), (2,0), (2, 1), (2, 2), (3,0), (3, 1) तथा (4,0)।
(ii) वे बंडल जिनकी लागत उपभोक्ता की आय के बराबर है, वे निम्न प्रकार हैं:
(0, 4), (1, 3), (2, 2), (3, 1) तथा (4,0)।
प्रश्न 57.
बजट रेखा से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट रेखा: बजट रेखा किन्हीं दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों को दर्शाती है जो एक उपभोक्ता अपनी आय की सीमा के अन्तर्गत एक निश्चित मूल्य पर क्रय कर सकता है। बजट रेखा का समीकरण निम्न प्रकार है।
P1X1 + P2X2 < m
इसे निम्न रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता
प्रश्न 58.
बजट रेखा की प्रवणता की व्युत्पत्ति को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट रेखा की प्रवणता पुरी बजट रेखा पर वस्तु 1 के प्रति इकाई परिवर्तन की स्थिति में वस्तु 2 में हुए परिवर्तन की मात्रा का मापन करती है। बजट रेखा - पर किन्हीं दो बिन्दुओं (x1x2) तथा (x1 + ∆x1, ∆x2 + ∆xn) पर विचार करें।
ऐसी स्थिति में,
P1X1 + P2X2 = m ........1.1
तथा P1(x1 + ∆x1) + P2(x2 + ∆x2) = m ...........1.2
में से 1.1 को घटाने पर
P1∆x1 + P2∆x2 = 0 .......1.3
1.3 में पदों का पुनर्योजन करके हमें प्राप्त होता है
\(\frac{\Delta \mathrm{x}_{2}}{\Delta \mathrm{x}_{1}}=-\frac{\mathrm{p}_{1}}{\mathrm{p}_{2}}\) .............1.4
समीकरण (14) से स्पष्ट है कि बजट रेखा की ढाल \(\frac{\mathrm{p}_{1}}{\mathrm{p}_{2}}\) के बराबर है।
प्रश्न 59.
बजट रेखा से नीचे स्थित बिन्दु से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
बजट रेखा से नीचे स्थित बिन्दु एक ऐसे बंडल को दर्शाता है, जिसकी कीमत उपभोक्ता की आय से कम है अर्थात् बजट रेखा से नीचे स्थित बिन्दु का तात्पर्य यह है कि उपभोक्ता दोनों वस्तुओं की कम मात्रा क्रय करता है तथा उस बंडल पर अपनी पूरी आय व्यय नहीं करता है।
प्रश्न 60.
यदि एक उपभोक्ता की आय में कमी हो जाती है तो बजट रेखा में क्या बदलाव आएगा? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि उपभोक्ता की आय में कमी होती है तो बजट रेखा बदल जाती है। यह बायीं तरफ शिफ्ट हो जाती है क्योंकि अब उपभोक्ता दोनों वस्तुओं की पहले से कम मात्रा ही क्रय कर पाएगा। इसे रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 61.
यदि एक उपभोक्ता की आय में वृद्धि हो जाती है, तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन होगा? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि उपभोक्ता की आय में वृद्धि होती है तो वह दोनों वस्तुओं को पहले से अधिक इकाइयाँ क्रय कर पाएगा। इससे उपभोक्ता की बजट रेखा दायीं तरफ विवर्तित हो जाएगी, जिसे रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 62.
यदि किसी एक वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाए तो बजट रेखा में क्या परितर्वन आएगा? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती है तो इसके फलस्वरूप बजट रेखा अधिक प्रवण हो जाती है। क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु की पहले से कम इकाइयाँ क्रय कर पाएगा।
प्रश्न 63.
यदि किसी एक वस्तु की कीमत में कमी हो जाए तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन आएगा? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी वस्तु की कीमत में कमी हो जाती है तो इससे बजट रेखा का ढाल अधिक सपाट हो जाता है, क्योंकि उपभोक्ता उस वस्तु की पहले से अधिक इकाइयाँ क्रय कर सकता है। जिसे रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 64.
एक उपभोक्ता दो वस्तुओं को उपभोग करता है, जिनमें वस्तु 1 की कीमत 8 रुपये तथा वस्तु 2 की कीमत 10 रुपये है, उपभोक्ता की कुल आय 80 रुपये है, तो निम्न ज्ञात कीजिए।
(i) बजट रेखा का समीकरण।
(ii) यदि उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 1 पर व्यय करे तो वस्तु 1 की कितनी इकाइयों का उपभोग करेगा?
(iii) यदि उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 2 पर व्यय करे तो वस्तु 2 की कितनी इकाइयों का उपभोग करेगा?
उत्तर:
(i) माना वस्तु 1 = x तथा वस्तु 2 = x2 है तो बजट रेखा का समीकरण निम्न प्रकार होगा।
P1X1 + P2X2 = m
8X1 + 10X2 =80
(ii) उपभोक्ता की कुल आय = 80 रुपये
वस्तु 1 की कीमत = 8 रुपये यदि उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 1 पर व्यय करे तो वस्तु 1 की निम्न मात्रा का उपभोग करेगा।
= \(\frac{80}{8}\) = 10 इकाइयाँ
(iii) उपभोक्ता की कुल आय = 80 रुपये
वस्तु 2 की कीमत = 10 रुपये यदि उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 2 पर व्यय करे तो वस्तु 2 की निम्न मात्रा का उपभोग करेगा।
= 80/10 = 8 इकाइयाँ
प्रश्न 65.
उपभोक्ता दो वस्तुओं के बंडलों में से उपभोग हेतु बंडल का चयन किस आधार पर करता है?
उत्तर:
उपभोक्ता अपने बजट सेट में से उपभोग बंडल का चयन कर सकता है। अर्थशास्त्र में यह मान लिया जाता है कि उपभोक्ता उपलब्ध सभी बंडलों में से अपने उपभोग बंडल का चयन अपनी रुचि तथा अधिमान के अनुसार बजट सेट के बंडलों के आधार पर करता है।
प्रश्न 66.
निम्न सूचनाएँ दी गई हैं जिनके आधार पर वस्तु 2 की कीमत ज्ञात कीजिएउपभोक्ता की आय = 100 रुपये
वस्तु 1 की कीमत = 6 रुपये वस्तु 1 की उपभोग इकाइयाँ = 6 वस्तु 2 की उपभोग इकाइयाँ = 8
उत्तर:
उपभोक्ता का बजट सेट निम्न प्रकार है।
P1X1 + P2X2 = m
दिए गए मान रखने पर
6 x 6 + p2 x 8= 100
36 + 8p2 = 100
8p2 = 100 - 36
8p2 = 64
P2 = 64/8 = 8 रुपये
अतः वस्तु 2 की कीमत 8 रुपये होगी।
प्रश्न 67.
एक उपभोक्ता के सम्बन्ध में दी गई सूचनाओं के आधार पर वस्तु 2 की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उपभोक्ता की आय = 50 रुपये
वस्तु 1 की कीमत = 2 रुपये
वस्तु 1 की मात्रा = 3 इकाइयाँ
वस्तु 2 की कीमत = 4 रुपये
उत्तर:
उपभोक्ता का बजट सेट निम्न प्रकार है।
P1X1 + P2X2 = m
दिए गए मान बजट सेट में रखने पर
2 x 3 + 4 x x2 = 50
6+ 4x = 50
4 x 7 = 50 - 6
x2 = 44/4
= 11 इकाइयाँ
अतः वस्तु 2 की मात्रा 11 इकाइयाँ होगी।
प्रश्न 68.
प्रतिस्थापन की सीमान्त दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिस्थापन की सीमान्त दर ( MRSxy)यह दर x वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के लिए y वस्तु की त्यागी जाने वाली मात्राओं को दर्शाती है जबकि उपभोक्ता उसी तटस्थता वक्र पर बना रहे अर्थात् उसकी सन्तुष्टि का स्तर वही रहे जो प्रतिस्थापन से पूर्व था।
प्रश्न 69.
प्रतिस्थापन की घटती हुई सीमान्त दर को चित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
रेखाचित्र में अनधिमान वक्र IC मूल बिन्दु के प्रति उन्नतोदर है जो सीमान्त प्रतिस्थापन की घटती हई दर को बताता है। रेखाचित्र को देखने से स्पष्ट है कि A से C संयोग पर आने पर उपभोक्ता x वस्तु की 1 इकाई (BC) के लिए वस्तु y की 'AB' इकाई त्यागता है। लेकिन C से E संयोग पर वह वस्तु x की 1 इकाई (DE) के लिए वस्तु y की CD इकाई त्यागेगा जो कि AB से कम है अर्थात् वस्तु x की एक अतिरिक्त इकाई के लिए वस्तु y की पहले से कम इकाइयों का त्याग करेगा।
प्रश्न 70.
अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर क्यों होते हैं?
उत्तर:
अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र के मूल बिन्दु के उन्नतोदर होने का प्रमुख कारण यह है कि सीमान्त प्रतिस्थापन की दर में घटने की प्रवृत्ति होती है अर्थात् जैसे - जैसे उपभोक्ता x वस्तु के लिए y वस्तु को घटाता है तो y वस्तु की x वस्तु के लिए प्रतिस्थापन की दर घटती जाती है।
प्रश्न 71.
अनधिमान वक्रों में अधिमानों की एकदिष्टता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अधिमानों की एकदिष्टता का यह अभिप्राय है कि अनधिमान मानचित्र में किन्हीं दो अनधिमान वक्रों के बीच ऊपर वाले बंडलों पर स्थित बंडलों को नीचे वाले वक्र पर स्थित बंडलों की अपेक्षा अधिमानता दी जाती है अर्थात् ऊपर वाले अनधिमान वक्र पर स्थित बंडल उपभोक्ता को अधिक सन्तुष्टि प्रदान करता है।
प्रश्न 72.
उपभोक्ता के इष्टतम चयन को उपयुक्त रेखाचित्र की सहायता से समझाइये।
अथवा
अनधिमान वन तथा बजट रेखा की सहायता से उपभोक्ता के इष्टतम चयन को समझाइए।
उत्तर:
उपभोक्ता के लिए इष्टतम बिन्दु बजट रेखा पर स्थित होता है। जिस बिन्दु पर बजट रेखा केवल अनधिमान वक्रों में से किसी एक को स्पर्श करती है, वही इष्टतम बिन्दु होगा तथा सन्तुलन बिन्दु पर तटस्थता अथवा अनधिमान वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर होना चाहिए। रेखाचित्र में E बिन्दु उपभोक्ता का इष्टतम बिन्दु है, जिस पर स्थित बंडल उपभोक्ता का इष्टतम चयन है।
प्रश्न 73.
अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
अनधिमान तटस्थता वक्र के निर्माण के लिए तटस्थता तालिका की आवश्यकता होती है। तटस्थता तालिका में दो वस्तुओं के ऐसे वैकल्पिक संयोगों को प्रदर्शित किया जाता है जिसमें उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्राप्त होती है। इन संयोगों को वक्र के रूप में प्रस्तुत कर अनधिमान वक्र बनाया जाता है।
प्रश्न 74.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं? उपयोगिता की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
उपयोगिता: वस्तुओं एवं सेवाओं की उपभोक्ता की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने की शक्ति को उपयोगिता कहा जाता है।
उपयोगिता की विशेषताएँ:
प्रश्न 75.
माँग से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में माँग तथा इच्छा में भिन्नता होती है। माँग का अभिप्राय है कि एक निश्चित समय में, किसी वस्तु के दिए गए मूल्य पर एक व्यक्ति द्वारा उस वस्तु की मांगी गई इकाइयों को माँग कहते हैं, जिसे उपभोक्ता खरीदने की इच्छा रखता है तथा जिन्हें खरीदने के लिए उपभोक्ता के पास पर्याप्त धन होता है।
प्रश्न 76.
स्थानापन्न वस्तुएँ माँग को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
किसी वस्तु की मांग पर स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता व उनकी कीमतों का प्रभाव पड़ता है। यदि एक वस्तु (चाय) की कीमत बढ़ जाए और दूसरी स्थानापन्न वस्तु (कॉफी) की कीमत अपरिवर्तित रहे तो उपभोक्ता पहली वस्तु (चाय) की माँग कम कर देंगे और दूसरी स्थानापन्न वस्तु (कॉफी) की मांग बढ़ा देंगे।
प्रश्न 77.
पूरक वस्तुएँ माँग को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
किसी एक आवश्यकता को सन्तुष्ट करने के लिए यदि दो वस्तुओं की माँग संयुक्त रूप से की जाती है तो वे पूरक वस्तुएँ कहलाती हैं । जहाँ तक पूरक वस्तुओं का सम्बन्ध है, किसी एक वस्तु (डबल रोटी) के मूल्य बढ़ जाने पर दूसरी वस्तु (मक्खन) की माँग स्वतः ही कम हो जाती है।
प्रश्न 78.
माँग के नियम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
माँग के नियम के अनुसार अन्य बातें समान रहने पर किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उस वस्तु की माँग घट जाती है तथा किसी वस्तु की कीमत घटने पर उस वस्तु की माँग बढ़ जाती है। इस प्रकार मांग का नियम कीमत तथा माँगी गई मात्रा में पाये जाने वाले विपरीत सम्बन्ध को बताता है।
प्रश्न 79.
माँग को प्रभावित करने वाले कोई दो प्रमुख तत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 80.
माँग अनुसूची से आप क्या समझते हैं? माँग अनुसूची के प्रकार बताइए।
उत्तर:
माँग अनुसूची: माँग अनुसूची अथवा माँग तालिका वह क्रमबद्ध तालिका है, जो एक समय विशेष में किसी वस्तु विशेष की विभिन्न मूल्यों पर माँगी गई मात्राओं के मध्य सम्बन्ध स्पष्ट करती है। माँग अनुसूची दो प्रकार की होती है।
प्रश्न 81.
व्यक्तिगत माँग अनुसूची तथा बाजार माँग अनुसूची का अर्थ बताइए।
उत्तर:
व्यक्तिगत माँग अनुसूची: वह अनुसूची जो एक उपभोक्ता द्वारा बाजार में विभिन्न मूल्यों पर खरीदी जाने वाली वस्तु की विभिन्न मात्राओं को दर्शाती है। बाजार मांग अनुसूची: वह अनुसूची जो सभी उपभोक्ताओं द्वारा बाजार में विभिन्न मूल्यों पर खरीदी जाने वाली वस्तु की विभिन्न मात्राओं को दर्शाती है।
प्रश्न 82.
सामान्य वस्तु एवं निम्नस्तरीय वस्तु में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
सामान्य वस्तु |
निम्नस्तरीय वस्तु |
1. सामान्य वस्तु की माँग आय बढ़ने के साथ बढ़ती है तथा आय घटने के साथ घटती है। |
1. इस वस्तु की माँग आय बढ़ने के साथ घटती है तथा आय घटने पर माँग बढ़ती है। |
2. सामान्य वस्तु पर माँग का नियम लागू होता है। |
2. निम्नस्तरीय वस्तु पर माँग का नियम लागू नहीं होता है। |
प्रश्न 83.
स्थानापन्न तथा पूरक वस्तुओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
स्थानापन्न वस्तुएँ |
पूरक वस्तुएँ |
1. स्थानापन्न वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका एक-दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है। |
1. पूरक वस्तुएँ वे हैं, जिनका प्रयोग किसी आवश्यकता विशेष को सन्तुष्ट करने के लिए एक साथ किया जाता है। |
2. एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी स्थानापन्न वस्तु की माँग बढ़ जाती है। |
2. एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी पूरक |
3. उदाहरण: चाय एवं कॉफी। |
3. उदाहरण: वस्तु की माँग घट जाती है। |
प्रश्न 84.
यदि कॉफी की कीमत में वृद्धि हो जाए तो उसकी स्थानापन्न वस्तु चाय की मांग पर क्या प्रभाव पड़ेगा? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि जब कॉफी की कीमत OPo थी तब चाय की माँग OQo थी तथा कॉफी की कीमत बढ़कर OP1 होने पर चाय की मांग भी बढ़ गई तथा वह OQ2 हो गई।
प्रश्न 85.
चाय तथा चीनी दोनों पूरक वस्तुएँ हैं, यदि चाय की कीमत में वृद्धि हो तो चीनी की मांग पर क्या प्रभाव पड़ेगा? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब दो पूरक वस्तुओं में से किसी एक की कीमत में वृद्धि हो जाती है तो उसकी पूरक वस्तु की माँग भी कम हो जाती है। इसे रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते चाय की कीमत
OQo चीनी की माँग मात्रा उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि जब चाय की OPo कीमत पर चीनी की OQo मांग की जाती है। यदि चाय की कीमत बढ़कर OP1 हो जाती है तो चीनी की मांग घट जाएगी तथा यह OQ1 हो जाएगी।
प्रश्न 86.
माँग वक्र के शिफ्ट को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आय परिवर्तन से माँग वक्र किस प्रकार शिफ्ट होगा?
उत्तर:
यदि आय में वृद्धि होती है तो सामान्य वस्तुओं की स्थिति में उनकी मांग में भी वृद्धि हो जाती है तथा आय में कमी होने पर माँग में भी कमी आ जाती है, माँग में परिवर्तन होने से माँग वक्र में भी परिवर्तन हो जाता है। इसे निम्न रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि आय वृद्धि से माँग वक्र दायीं तरफ शिफ्ट हो जाता है तथा आय में कमी होने पर माँग वक्र बायीं तरफ शिफ्ट हो जाता है।
प्रश्न 87.
यदि किसी वस्तु की कीमत में कमी होती है तो माँग वक्र की दिशा में क्या परिवर्तन आएगा?
उत्तर:
यदि किसी वस्तु की कीमत में कमी आती है तो उपभोक्ता उसी मांग वक्र पर नीचे की ओर गति करता है अर्थात् माँग में वृद्धि होती है।
उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि OPo कीमत पर उपभोक्ता OQo माँग करेगा तथा कीमत कम होने (OP1) पर मांग बढ़कर OQ1 हो जाएगी।
प्रश्न 88.
यदि किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो माँग वक्र की दिशा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
यदि किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो उपभोक्ता पहले वाले माँग वक्र पर ही ऊपर की तरफ गति करेगा। इसे हम रेखाचित्र से स्पष्ट कर सकते है।
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि जब वस्तु की कीमत OPo थी तो इस कीमत पर उपभोक्ता की माँग OQo थी किन्तु जब वस्तु की कीमत बढ़कर OP1 हो गई तो वस्तु की माँग कम होकर OQ1 हो गई।
प्रश्न 89.
एक वस्तु की माँग अन्य वस्तुओं की कीमत में वृद्धि से किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
प्रश्न 90.
माँग के नियम के कोई दो अपवाद बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 91.
एक बाजार में तीन उपभोक्ता हैं। उनकी माँग तालिका दी गई है। उनकी माँग तालिका के आधार पर बाजार माँग तालिका बनाइए।
कीमत |
उपभोक्ता 1 की माँग D1 |
उपभोक्ता 2 की माँग D2 |
उपभोक्ता 3 की माँग D3 |
1 |
60 |
40 |
30 |
2 |
65 |
30 |
20 |
3 |
70 |
20 |
10 |
4 |
75 |
10 |
0 |
5 |
80 |
0 |
0 |
उत्तर:
बाजार माँग तालिका
कीमत |
उपभोक्ता 1 की माँग D1 |
उपभोक्ता 2 की माँग D2 |
उपभोक्ता 3 की माँग D3 |
बाजार माँग (D1 + D2 + D3) |
1 |
60 |
40 |
30 |
130 |
2 |
65 |
30 |
20 |
105 |
3 |
70 |
20 |
10 |
75 |
4 |
75 |
10 |
0 |
45 |
5 |
80 |
0 |
0 |
25 |
प्रश्न 92.
एक उपभोक्ता 8 रुपये प्रति इकाई कीमत पर 10 इकाइयाँ खरीदता है। जब वस्तु की कीमत 6 रुपये हो तब वह वस्तु की 20 इकाइयाँ खरीदता है। बताइए माँग की कीमत लोच कैसी है?
उत्तर:
माँग की कीमत लोच
\(=\frac{\Delta q}{q^{0}} \div \frac{\Delta p}{p^{0}}\)
यहाँ ∆q = 20 - 10 = 10
∆p = 8 - 6 - 2
p° = 8 रुपये (प्रारम्भिक कीमत)
q° = 10 (प्रारम्भिक मात्रा)
\(\begin{aligned} &=\frac{10}{10} \div \frac{2}{8} \\ &=\frac{10}{10} \times \frac{8}{2} \\ &=\frac{80}{20} \\ &=4 \end{aligned}\)
अतः माँग की कीमत लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार है।
प्रश्न 93.
निम्न आँकड़ों से बाजार माँग ज्ञात कीजिए
कीमत (रुपये में) |
माँग |
||
परिवार A |
परिवार B |
परिवार C |
|
7 |
6 |
9 |
11 |
6 |
8 |
12 |
16 |
5 |
12 |
17 |
22 |
4 |
17 |
24 |
30 |
3 |
14 |
32 |
42 |
उत्तर:
कीमत (रुपये में) |
माँग |
बाजार माँग (A + B + C) |
||
परिवार A |
परिवार B |
परिवार C |
||
7 |
6 |
9 |
11 |
26 |
6 |
8 |
12 |
16 |
36 |
5 |
12 |
17 |
22 |
51 |
4 |
17 |
24 |
30 |
78 |
3 |
14 |
32 |
42 |
98 |
प्रश्न 94.
एक उपभोक्ता वस्तु की 4 रुपए प्रति इकाई कीमत पर 5 इकाइयाँ खरीदता है। जब वस्तु की कीमत 3 रुपए प्रति इकाई हो जाती है तब वह 10 इकाइयाँ खरीदता है। माँग की कीमत लोच की गणना कीजिए।
उत्तर:
माँग की कीमत लोच
या
\(\begin{aligned} &=\frac{\Delta q}{q^{0}} \div \frac{\Delta p}{p^{0}} \\ &=\frac{5}{5} \div \frac{1}{4} \\ &=\frac{5}{5} \times \frac{4}{1} \\ &=\frac{20}{5} \\ &=4 \end{aligned}\)
अत: माँग की कीमत लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार है।
प्रश्न 95.
किसी वस्तु की कीमत 20 रुपए होने पर उसकी 50 इकाइयाँ हैं। यदि उस वस्तु की कीमत बढ़कर 25 रुपए हो जाती है तो माँग घटकर 40 इकाई हो जाती है तो माँग की कीमत लोच ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माँग की कीमत लोच का सूत्र
\(\dot{e}_{p}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\)
यहाँ ∆q= 50 - 40 = 10
∆p=20 - 25 = 5
p° = 20 रुपए (प्रारम्भिक कीमत)
q° = 50 (प्रारम्भिक मात्रा)
अतः \(e_{p}=\frac{10}{5} \times \frac{20}{50}\)
= 0.8
अतः मांग की कीमत लोच इकाई से कम अर्थात् बेलोचदार है।
प्रश्न 96.
x और Y वस्तु में किसकी माँग अधिक लोचदार है?
वस्तु X |
वस्तु Y |
||
कीमत |
माँग |
कीमत |
माँग |
3 |
120 |
12 |
740 |
4 |
95 |
10 |
750 |
उत्तर:
\(\mathrm{e}_{\mathrm{D}}=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}}\)
x वस्तु की माँग की लोच
\(\begin{aligned} e_{D} &=\frac{25}{1} \times \frac{3}{120} \\ &=\frac{75}{120}=0.625 \end{aligned}\)
Y वस्तु की मौंग की लोच
\(\begin{aligned} e_{D} &=\frac{10}{2} \times \frac{12}{740} \\ &=\frac{6}{74}=0.08 \end{aligned}\)
अतः वस्तु x की माँग की कीमत लोच अधिक है अतः वस्तु x अधिक लोचदार है।
प्रश्न 97.
पूर्णतया लोचदार माँग (e = ∞) तथा पूर्णतया बेलोचदार माँग (e = 0) के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शून्य माँग की लोच एवं अनन्त माँग की लोच में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूर्णतया लोचदार माँग (e = ∞) |
पूर्णतया बेलोचदार माँग (e = 0) |
जब किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन न हो या बहुत सूक्ष्म परिवर्तन हो, किन्तु माँग में अनन्त परिवर्तन हो जाता है, तो ऐसी माँग को पूर्णतया लोचदार माँग कहते हैं। |
जब किसी वस्तु के मूल्य में कितना भी परिवर्तन हो, लेकिन माँगी गयी मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो ऐसी माँग की लोच को पूर्णतया बेलोचदार माँग कहते हैं। |
प्रश्न 98.
रेखाचित्र की सहायता से पूर्णतया बेलोचदार माँग अर्थात् शून्य माँग की लोच को समझाइये।
उत्तर:
पूर्णतया बेलोचदार माँग-यदि किसी वस्तु के मूल्य में बहुत अधिक परिवर्तन होने पर भी मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो ऐसी माँग को पूर्णतया बेलोचदार माँग कहते हैं।
चित्रानुसार एक वस्तु का मूल्य OP से बढ़कर OP1 तथा OP2 हो गया है लेकिन माँग में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। ऐसी माँग की लोच को पूर्णतया बेलोचदार माँग कहते हैं। इसमें माँग की लोच शून्य होती है।
प्रश्न 99.
रेखाचित्र की सहायता से पूर्णतया लोचदार माँग अर्थात् अनन्त माँग की लोच को समझाइए।
उत्तर:
जब कीमत में बहुत कम परिवर्तन होने पर माँग में अनन्त परिवर्तन हो जाता है तो उसे अनन्त माँग की लोच अथवा पूर्णतया लोचदार माँग कहा जाता है। अनन्त मांग की लोच की दशा में माँग वक्र x अक्ष के समानान्तर होता है जैसा रेखाचित्र में दर्शाया गया है। इसमें कीमत में थोड़ा - सा परिवर्तन होने से माँग मात्रा में अनन्त परिवर्तन हो जाता है।
प्रश्न 100.
उपभोक्ता की आय के स्तर मांग की लोच को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता की आय के स्तर: यदि उपभोक्ता का आय स्तर बहुत नीचा है अथवा उपभोक्ता का आय स्तर बहुत उच्च है तो माँग की लोच बेलोचदार होगी। जबकि मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं की मांग अधिक लोचदार होगी।
प्रश्न 101.
क्या एक रैखिक माँग वक्र पर माँग की कीमत लोच भिन्न-भिन्न होती है?
उत्तर:
एक रैखिक माँग वक्र के अलग - अलग बिन्दुओं पर माँग की लोच भिन्न - भिन्न होती है, जिसे रेखाचित्र में दर्शाया गया है।
रेखाचित्र में माँग वक्र के A बिन्दु पर माँग की लोच पूर्णतया लोचदार है, B बिन्दु पर लोच इकाई से अधिक है, C बिन्दु पर लोच इकाई के बराबर है, D बिन्दु पर लोच इकाई से कम है तथा E बिन्दु पर लोच पूर्णतया बेलोचदार है।
प्रश्न 102.
माँग का नियम किन मान्यताओं पर आधारित है?
अथवा
माँग के नियम की प्रमुख मान्यताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 103.
यदि सिगरेट तथा नमक की कीमत में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है किन्तु उसकी माँग में कमी नहीं आती है, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
नमक एक अनिवार्य वस्तु हैं अतः इसकी माँग पूर्णतया बेलोचदार होती है। इसी प्रकार सिगरेट पीने वाले उपभोक्ता को इसकी आदत पड़ जाती है जिस कारण इसकी माँग बेलोचदार होती है। अतः नमक एवं सिगरेट की कीमत में वृद्धि होने के बाद भी इनकी माँग मात्रा में कमी नहीं आती है।
प्रश्न 104.
इकाई से अधिक अथवा लोचदार माँग को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोचदार माँग वह होती है जिसमें मूल्य परिवर्तन के अनुपात से मांग की मात्रा में अधिक अनुपात में परिवर्तन होता है।
वस्तु की माँग मात्रा इकाई से अधिक लोचदार अथवा लोचदार माँग वक्र को रेखाचित्र में दर्शाया गया है। इसके अनुसार कीमत की तुलना में माँग में अधिक परिवर्तन होता है।
प्रश्न 105.
इकाई से कम लोच अथवा बेलोचदार माँग को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बेलोचदार माँग वह होती है जब किसी वस्तु की माँग में आनुपातिक परिवर्तन उस वस्तु के मूल्य में आनुपातिक परिवर्तन से कम होता है।
इकाई से कम लोचदार अथवा बेलोचदार माँग वक्र को रेखाचित्र में दर्शाया गया है जिसके अनुसार कीमत की तुलना में माँग में कम परिवर्तन होता है।
प्रश्न 106.
एक बाजार में तीन उपभोक्ता A, B तथा C है। निम्न तालिका के आधार पर उपभोक्ता B की माँग तालिका ज्ञात कीजिए।
कीमत |
उपभोक्ता A |
उपभोक्ता B |
उपभोक्ता C |
बाजार माँग (A + B + C) |
7 |
6 |
- |
11 |
26 |
6 |
8 |
- |
16 |
36 |
5 |
12 |
- |
22 |
51 |
4 |
17 |
- |
30 |
71 |
3 |
14 |
- |
42 |
98 |
उत्तर:
कीमत |
उपभोक्ता B की माँग बाजार माँग (A + C) उपभोक्ताओं की माँग) |
7 |
26 – (6 – 11) = 9 |
6 |
36 – ( 8 + 16) = 12 |
5 |
51 – (12 + 22) = 17 |
4 |
71 – (17 + 30) = 24 |
3 |
98 – (24 + 42) = 32 |
प्रश्न 107.
50 रुपये प्रति इकाई कीमत पर, एक वस्तु की मांग की गई मात्रा 1000 इकाई है। जब इसकी कीमत 10 प्रतिशत कम हो जाती है तो इसकी माँग की मात्रा बढ़कर 1080 इकाई हो जाती है। इसकी माँग की कीमत लोच का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
दी गई सूचनाएँ निम्न प्रकार हैं
पहली वाली कीमत (p0) = 50 रुपये
पहले वाली मात्रा (q0)= 1000
कीमत की कमी के पश्चात् कीमत
\(=50 \times \frac{10}{100}=5\)
अर्थात् 50 - 5 = 45 रुपये
कीमत वृद्धि के पश्चात् मात्रा (q1) = 1080
माँग की लोच
\(\begin{aligned} \mathrm{e}_{\mathrm{D}} &=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}} \\ &=\frac{80}{5} \times \frac{50}{1000} \\ &=0.8 \end{aligned}\)
अत: माँग की कीमत लोच इकाई से कम अर्थात् बेलोचदार है।
प्रश्न 108.
25 रुपये प्रति इकाई पर एक वस्तु की मांगी गई मात्रा 500 इकाइयाँ हैं। जब इसकी कीमत 20 प्रतिशत बढ़ जाए तो माँग की मात्रा घटकर 450 हो जाती है। माँग की कीमत लोच की गणना कीजिए। बताइए वस्तु की कीमत लोच कैसी है?
उत्तर:
वस्तु की पहली वाली कीमत (p0) = 25 रुपये
वस्तु की पहली वाली मात्रा (q°) = 500
कीमत में वृद्धि के पश्चात् कीमत (p1)
= 25 x 20 = 5
अर्थात् 25 + 5 = 30 रुपये
कीमत वृद्धि के पश्चात् मात्रा = 450
माँग की कीमत लोच
\(=\frac{\Delta q}{q^{0}} \div \frac{\Delta p}{p^{0}}\)
अथात
\(\begin{aligned} & \frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}} \\ =& \frac{50}{5} \times \frac{25}{500} \\ =& 0.5 \end{aligned}\)
अतः वस्तु की कीमत लोच इकाई से कम अर्थात् बेलोचदार है।
प्रश्न 109.
निम्नलिखित आँकड़ों की सहायता से प्रतिशत विधि द्वारा माँग की कीमत लोच ज्ञात कीजिए| प्रति इकाई कीमत कुल व्यय
प्रति इकाई कीमत |
कुल व्यय |
5 6 |
500 400 |
उत्तर:
कीमत |
कुल व्यय |
इकाई (कुल व्यय + कीम) |
5 6 |
500 400 |
100 75 |
माँग की लोच
\(\begin{aligned} e_{D} &=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta p} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{q^{0}} \\ &=\frac{25}{1} \times \frac{5}{100} \\ &=\frac{125}{100}=1.25 \end{aligned}\)
अत: माँग की कीमत लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार है।
प्रश्न 110.
जब एक वस्तु की कीमत 4 रुपये प्रति इकाई होती है, तो एक उपभोक्ता उस वस्तु की 8 इकाइयाँ खरीदता है। जब वस्तु की कीमत 25 प्रतिशत बढ़ जाती है तो वह 6 इकाइयाँ खरीदता है। माँग की कीमत लोच ज्ञात करें।
उत्तर:
निम्न सूचनाएँ दी गई हैं प्रारम्भिक कीमत (p0) = 4 रुपये
प्रारम्भिक मात्रा (qo)= 8
25 प्रतिशत कीमत वृद्धि के बाद कीमत (p1)
\(=\frac{4 \times 25}{100}=1\) रुपये
= 100
अत: 4 + 1 = 5 रुपये कीमत वृद्धि के पश्चात् मात्रा (q1) = 6
माँग की लोच
\(\begin{aligned} \mathrm{e}_{\mathrm{D}} &=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}} \\ &=\frac{2}{1} \times \frac{4}{8} \\ &=1 \end{aligned}\)
अत: माँग की कीमत लोच इकाई के बराबर है।
प्रश्न 111.
एक वस्तु की कीमत में 10 प्रतिशत परिवर्तन होने से वस्तु की माँग 200 से बढ़कर 240 इकाइयाँ हो जाती है। मांग की लोच ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन a = 10 प्रतिशत
वस्तु की मांग में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{40}{200}\) x 100
= 20 प्रतिशत
माँग की कीमत लोच
= 20/10 = 2
अतः वस्तु को माँग की लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार है।
प्रश्न 112.
एक वस्तु की कीमत 5 रुपये से बढ़कर 6 रुपये हो गई, इसके परिणामस्वरूप माँग 10% कम हो जाती है। वस्तु की माँग की कीमत लोच ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{1}{5}\) x 100 = 20 प्रतिशत
मांगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन = 10 प्रतिशत
माँग की लोच (eD)
= 10/20
= 0.5
अत: वस्तु की मांग की लोच इकाई से कम अर्थात् - बेलोचदार है।
प्रश्न 113.
एक वस्तु की माँग की कीमत लोच 2 है। जब इस वस्तु की कीमत 5 रुपए प्रति इकाई है, तो एक परिवार इसकी 20 इकाइयों की माँग करता है। यदि इसकी कीमत घटकर 4 रुपए प्रति इकाई हो जाए, तो वह परिवार इसकी कितनी इकाइयों की माँग करेगा?
उत्तर:
कीमत |
कुल व्यय |
5 6 |
20 x |
\(\begin{aligned} e_{\mathrm{D}} &=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}} \\ 2 &=\frac{\mathrm{x}-20}{1} \times \frac{5}{20} \\ &(\mathrm{x}>20) \\ 2 &=\frac{\mathrm{x}-20}{4} \end{aligned}\)
8 = x - 20
x = 8 + 20
x = 28 इकाइयाँ
प्रश्न 114.
एक वस्तु की माँग की कीमत लोच 3 है। जब इस वस्तु की कीमत 6 रुपए प्रति इकाई है, तो एक परिवार इसकी 30 इकाइयों की माँग करता है। जब इसकी कीमत घटकर 5 रुपए प्रति इकाई हो जाए, तो वह परिवार इसकी कितनी इकाइयों की मांग करेगा?
उत्तर:
कीमत |
कुल व्यय |
6 5 |
30 x |
\(\begin{aligned} &e_{\mathrm{D}}=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}} \\ &\frac{2}{1}=\frac{40-20}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{4}{40} \\ &\frac{2}{1}=\frac{20}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{4}{40} \end{aligned}\)
x - 30 = 15
x = 15 + 30 = 45 इकाइयाँ
प्रश्न 115.
x वस्तु की माँग की लोच 3 है। 10 रुपये प्रति इकाई पर एक उपभोक्ता उस वस्तु की 30 इकाइयाँ खरीदता है। वह उस वस्तु की 12 इकाइयाँ किस कीमत पर खरीदेगा?
उत्तर:
कीमत |
कुल व्यय |
10 ? |
30 12 |
माँग की लोच (eD) = \( \frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\)
\(\begin{aligned} \frac{3}{1} &=\frac{30-12}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{10}{30} \\ 3 &=\frac{18}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{10}{30} \\ 3 &=\frac{6}{\Delta \mathrm{P}} \\ \frac{3}{1} &=\frac{6}{\Delta \mathrm{P}} \end{aligned}\)
अथवा \(3 \Delta P=6\)
अत: \(\Delta \mathrm{P}=\frac{6}{3}=2\)
माँग में कमी से अभिप्राय है कीमत में वृद्धि। अत: नई कीमत = 10 + 2 = 12 रुपए।
प्रश्न 116.
x वस्तु की माँग की लोच 2 है। एक उपभोक्ता उस वस्तु की 4 रुपए प्रति इकाई पर 40 इकाइयाँ खरीदता है। किस कीमत पर वह उस वस्तु की 20 इकाइयाँ खरीदेगा?
उत्तर:
कीमत |
कुल व्यय |
4 ? |
40 20 |
\(\begin{aligned} &e_{D}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}} \\ &\frac{2}{1}=\frac{40-20}{\Delta P} \times \frac{4}{40} \\ &\frac{2}{1}=\frac{20}{\Delta P} \times \frac{4}{40} \end{aligned}\)
अतः \(\frac{2}{1}=\frac{2}{\Delta \mathrm{P}}\)
अतः 2∆P = 2 अथवा ∆P = 1
माँग में कमी आई है अतः प्रारम्भिक कीमत में 1 की वृद्धि होगी।
अतः नई. कीमत = 4 + 1 = 5 रुपए।
प्रश्न 117.
एक उपभोक्ता 5 रुपए प्रति इकाई पर एक वस्तु की 40 इकाइयाँ खरीदता है और माँग की लोच - 1.5 हैं। बताइए कि वह 4 रुपए प्रति इकाई कीमत पर उस वस्तु की कितनी इकाइयों खरीदेगा?
उत्तर:
कीमत |
कुल व्यय |
5 4 |
40 x |
यहाँ x > 40
माँग की लोच \(\left(\mathrm{e}_{\mathrm{D}}\right)=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}}\)
\(\begin{aligned} -1.5 &=\frac{x-40}{4-5} \times \frac{5}{40} \\ \frac{-15}{10} &=\frac{x-40}{-1} \times \frac{1}{8} \\ \frac{-15}{10} &=\frac{x-40}{-8} \\ \frac{-3}{2} &=\frac{x-40}{-8} \end{aligned}\)
24/2 = x - 40
12 = x - 40
x = 40 + 12
x = 52
अतः उपभोक्ता 4 रुपये प्रति इकाई कीमत पर एक वस्तु की 52 इकाइयाँ खरीदेगा।
प्रश्न 118.
किसी वस्तु की कीमत 4 रुपए प्रति इकाई से बढ़कर 5 रुपए हो जाती है और उसकी माँग की मात्रा 20 से घटकर 10 इकाई हो जाती है। व्यय विधि द्वारा माँग की लोच ज्ञात करें।
उत्तर:
कीमत |
माँग की मात्रा (इकाई) |
कुल व्यय |
4 5 |
20 10 |
80 50 |
यहाँ पर कीमत में वृद्धि होने से कुल व्यय में कमी होती है। अत: मांग की लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार है।
प्रश्न 119.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर x तथा Y वस्तुओं की माँग लोच की तुलना करें।
कीमत (इकाई) |
कुल व्यय |
5 रुपये 4 रुपये |
20 15 |
कीमत (इकाई) |
कुल व्यय |
3 रुपये 4 रुपये |
15 16 |
उत्तर:
-x वस्तु की माँग की लोच: x वस्तु की माँग की लोच इकाई से अधिक अर्थात् लोचदार है क्योंकि वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से कुल व्यय में कमी आती
Y वस्तु की माँग की लोच: Y वस्तु की माँग की लोच इकाई से कम अर्थात् बेलोचदार है क्योंकि कीमत में वृद्धि होने से कुल व्यय में वृद्धि होती है।
प्रश्न 120.
व्यक्तिगत माँग वक्र की सहायता से बाजार माँग वक्र का निर्माण किस प्रकार किया जाता
उत्तर:
बाजार माँग वक्र: यह वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ताओं द्वारा माँगी गई मात्राओं के जोड़ को प्रकट करता है। यह व्यक्तिगत माँग वक्रों को जोड़कर बनाया जाता है। जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है
प्रश्न 121.
उपभोक्ता की आय में वृद्धि से एक वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
प्रश्न 122.
दो वस्तुओं के सम्बन्ध में उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दो वस्तुओं के सम्बन्ध में उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त: दो वस्तुओं के सम्बन्ध में उपभोक्ता उस समय सन्तुलन की स्थिति में होता है, जब दोनों वस्तुओं की सीमान्त उपयोगिता एवं उनकी कीमतों का अनुपात समान है। यदि दो वस्तु X तथा Y हैं तो इसे सूत्र के रूप में अग्र प्रकार व्यक्त करेंगे।
\(\frac{\mathrm{MU}_{\mathrm{x}}}{\mathrm{P}_{\mathrm{x}}}=\frac{\mathrm{MU}_{\mathrm{y}}}{\mathrm{P}_{\mathrm{y}}}\)
प्रश्न 123.
माँग के विस्तार को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग का विस्तार: केवल कीमत में कमी होने से वस्तु की माँग में होने वाली वृद्धि को माँग का विस्तार कहते हैं। इसमें माँग वक्र पर चलन ऊपर से नीचे की ओर होता है।
प्रश्न 124.
माँग के संकुचन को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग में संकुचन: केवल कीमत में वृद्धि होने से वस्तु की माँग में होने वाली कमी को माँग का संकुचन कहते हैं। इसमें मांग वक्र पर ऊपर की ओर चलन होता।
प्रश्न 125.
माँग में वृद्धि एवं माँग में कमी में रेखाचित्र की सहायता से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग में वृद्धि: उसी कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा की माँग, माँग में वृद्धि कहलाती है। इसमें माँग वक्र अपने दायीं ओर खिसक जाता है।
माँग मात्रा माँग में कमी: उसी कीमत पर वस्तु की कम मात्रा की मांग, माँग में कमी कहलाती है। इसमें मांग वक्र अपने बायीं ओर खिसक जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
बजट रेखा एवं अनधिमान वक्र से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बजट रेखा: वह रेखा जिस पर स्थित विभिन्न बंडलों की लागत उपभोक्ता की आय के बराबर होती है, बजट रेखा कहलाती है। दूसरे शब्दों में, बजट रेखा वह है जो एक उपभोक्ता द्वारा क्रय किए गए दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों को दर्शाती है, जिनकी लागत उसकी आय के बराबर होती है। उपभोक्ता की बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर होती है अर्थात् बजट रेखा का ढाल ऋणात्मक होता है।
अनधिमान वक्र: अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र वह रेखा होती है जो किसी उपभोक्ता के दो वस्तुओं के ऐसे विभिन्न संयोगों को व्यक्त करती है जिनसे कि उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्राप्त होती है। चूँकि समान सन्तोष प्राप्त होने से उपभोक्ता इन दोनों वस्तुओं के विभिन्न संयोगों के प्रति उदासीन हो जाता है अतः अनधिमान वक्र को उदासीनता वक्र भी कहा जाता है।
अनधिमान मानचित्र: जब सभी बंडलों पर उपभोक्ता के अधिमानों को अनधिमान वक्र समूहों द्वारा दर्शाया जाता है तो इसे उपभोक्ता का अनधिमान मानचित्र कहते हैं। अनधिमान वक्र पर स्थित सभी बिन्दु उन बंडलों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें उपभोक्ता तटस्थ मानता है। अनधिमान मानचित्र में उपभोक्ता के विभिन्न अनधिमान वक्रों को एक साथ दर्शाया जाता है। अधिमानों की एकदिष्टता का यह अभिप्राय है कि किन्हीं दो अनधिमान वक्रों के बीच ऊपर वाले वक्र पर स्थित बंडलों को नीचे वाले वक्र पर स्थित बंडलों की अपेक्षा अधिमानता दी जाती है। अनधिमान मानचित्र को निम्न रेखाचित्र से स्पष्ट किया जा सकता है।
उपर्युक्त रेखाचित्र में उपभोक्ता के अनेक अनधिमान वक्रों \(\mathrm{IC}_{1}, \mathrm{IC}_{2}, \mathrm{IC}_{3}\) तथा \(\mathrm{IC}_{4}\) को दर्शाया गया है तथा यह अनधिमान मानचित्र है।
प्रश्न 2.
उदाहरण की सहायता से बजट सेट की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट सेट: बजट सेट उन वस्तुओं के सभी बंडलों का संग्रह है, जिन्हें उपभोक्ता प्रचलित बाजार कीमत पर अपनी आय से खरीद सकता है। एक उपभोक्ता अपनी आय से बाजार से विभिन्न वस्तुएँ तथा सेवाओं का क्रय करता है। मान लीजिए एक उपभोक्ता की कुल आय m है जिससे वह बाजार से दो वस्तुएँ 1 तथा 2 खरीदता है। इन दोनों वस्तुओं की कीमत
क्रमशः P1 व p2 है। यदि उपभोक्ता वस्तु 1 की x1 इकाइयाँ खरीदना चाहता है तो उसे कुल मिलाकर P1x1 धन की आवश्यकता पड़ेगी। इसी प्रकार यदि उपभोक्ता वस्तु 2 की x2 मात्रा खरीदना चाहता है तो उसे p2x2 धन की आवश्यकता पड़ेगी।
अतः उपभोक्ता को दोनों वस्तुओं की x1 तथा x2 मात्रा खरीदने हेतु P1X1 + P2x2 धनराशि व्यय करनी पड़ेगी। वह दो वस्तुओं का यह बंडल तभी खरीद पाएगा जब उसकी आय कम से कम P1X1 + P2X2 के बराबर होगी। वस्तुओं की विद्यमान कीमतों तथा अपनी आय के अनुसार उपभोक्ता ऐसा कोई भी बंडल उसी सीमा तक खरीद सकता है, जब तक उसकी कीमत उसकी आय के बराबर या कम हो। इसे समीकरण के रूप में निम्न प्रकार लिखा जा सकता है P1X1 + P2X2 sm यह असमता अथवा समीकरण उपभोक्ता का बजट प्रतिबंध कहलाता है तथा आय में उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडलों के सेट को बजट सेट कहा जाता है।
संक्षेप में, बजट सेट उन सभी बंडलों का संग्रह है, जिसे उपभोक्ता विद्यमान बाजार कीमतों पर अपनी आय से खरीद सकता है। उदाहरण एक ऐसे उपभोक्ता का उदाहरण लें जिसकी आय 40 रुपये है तथा वह दो वस्तुओं का क्रय करता है, जिनकी प्रत्येक की कीमत 10 रुपये है और ये समाकलित इकाइयों के रूप में उपलब्ध हैं। इस आय पर उपभोक्ता दो वस्तुओं के निम्न बंडल खरीद सकता है (0,0), (0, 1), (0, 2), (0. 3), (0, 4), (1,0), (1, 1), (1, 2), (1. 3), (2,0), (2. 1), (2, 2), (3,0),
(3, 1), (4,0) उपर्युक्त बजट सेटों में से (0.4), (1,3), (2.2), (31) तथा (4,0) ऐसे बजट सेट हैं जिनकी लागत उपभोक्ता की आय के बराबर है।
प्रश्न 3.
बजट रेखा से आपका क्या अभिप्राय है? इसे रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट रेखा: बजट रेखा वह रेखा होती है, जिस पर स्थित दो वस्तुओं के सभी बंडलों की लागत उपभोक्ता की आय के बराबर होती है। बजट रेखा को कीमत रेखा भी कहा जाता है। बजट अथवा कीमत रेखा ऋणात्मक ढाल वाली एक सरल रेखा होती है, जिसके प्रत्येक बिन्दु पर दो वस्तुओं को मिलाकर किये जाने वाले व्यय की मात्रा समान रहती है। कीमत रेखा दो वस्तुओं (x तथा y) के उन विभिन्न संयोगों को बताती है जो उपभोक्ता अपनी दी हुई आय एवं वस्तुओं की दी हुई कीमत के आधार पर खरीद सकता है।
इस प्रकार यह एक निश्चित आय स्तर एवं वस्तुओं की वर्तमान कीमतों पर उपभोक्ता की क्रय सामर्थ्य को बताती है। इसे बजट रेखा भी कहते हैं। मान लीजिए एक उपभोक्ता की आय 50 रु. है तथा x तथा y वस्तु की कीमतें क्रमश: 10 रु. और 5 रु. हैं । यदि उपभोक्ता अपनी समस्त आय x वस्तु पर खर्च करता है तो वह x वस्तु की 5 इकाइयाँ क्रय करेगा और समस्त आय y वस्तु पर खर्च करने पर y वस्तु की 10 इकाइयाँ खरीद सकेगा। इन दोनों सम्भावनाओं के अतिरिक्त यह भी सम्भव हो सकता है कि वह अपनी आय का थोड़ा - थोड़ा भाग x तथा y दोनों वस्तुओं के क्रय पर खर्च करे। इसे निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है
चित्र में AB कीमत रेखा है। इस वक्र परं x तथा y के विभिन्न संयोगों को प्राप्त किया जा सकता है। कीमत रेखा पर C व D दो ऐसे बिन्दु हैं जो x व y वस्तुओं के दो संयोगों को बताते हैं। बिन्दु पर AB कीमत रेखा के आधार पर उपभोक्ता x वस्तु की 2 इकाइयाँ तथा y वस्तु की 6 इकाइयाँ खरीद कर अपनी आय 50 रु. खर्च करेगा अर्थात् वस्तु x पर 2 x 10 = 20 रु. तथा वस्तु
x वस्तु की 3 इकाइयाँ खरीद कर 3 x 10 = 30 रु. तथा y वस्तु की 4 इकाइयाँ खरीद कर 4 x 5 = 20 रु. अर्थात् कुल 50 रु. व्यय करेगा।
स्पष्ट है कि कीमत रेखा (1) वस्तुओं की दी हुई कीमत तथा (2) उपभोक्ता की निश्चित आय पर उपभोक्ता की क्रय सामर्थ्य बताती है। इसे 'मूल्य अवसर रेखा' तथा 'उपभोग सम्भावना रेखा' भी कहते हैं। उपभोक्ता के संतुलन को समझने के लिए कीमत रेखा के ढाल को जानना भी आवश्यक है।
प्रश्न 4.
बजट रेखा से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र की सहायता से बजट रेखा की प्रवणता की व्युत्पत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट रेखा: बजट रेखा अथवा कीमत रेखा वह रेखा होती है जिस पर स्थित दो वस्तुओं के सभी बंडलों की लागत उपभोक्ता की आय के बराबर होती है। बजट रेखा की प्रवणता अथवा ढाल-बजट रेखा का प्रत्येक बिन्दु एक ऐसे बंडल को दर्शाता है जिस पर उपभोक्ता का पूरा बजट व्यय हो जाता है। यदि उपभोक्ता वस्तु 1 की 1 इकाई अधिक लेना चाहता है, तब वह ऐसा तभी कर सकता है जब वह दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा का त्याग करे। यदि वह वस्तु 1 की एक अतिरिक्त इकाई चाहता है तो उसे वस्तु 2 की कितनी मात्रा छोड़नी पड़ेगी? यह दोनों वस्तुओं की कीमतों पर निर्भर करेगा।
वस्तु 1 की एक इकाई की लागत P है, अतः उसे वस्तु 2 पर P1 के बराबर अपना व्यय घटाना होगा। P1 से वह वस्तु 2 की इकाइयाँ खरीद सकता है। अत: यदि उपभोक्ता वस्तु 1 की एक अतिरिक्त इकाई चाहता है और वह अपनी सम्पूर्ण आय को व्यय करता है, तो उसे वस्तु 2 की इकाइयाँ छोड़नी पड़ेंगी। दूसरे शब्दों में, दी गई बाजार की स्थितियों में उपभोक्ता वस्तु 1 को 2 की \(\frac{p_{1}}{p_{2}}\) जगह की दर पर प्रतिस्थापित कर सकता है। बजट रेखा की प्रवणता का निरपेक्ष मूल्य उस दर \(\frac{p_{1}}{p_{2}}\) को मापती है जिस पर उपभोक्ता वस्तु 2 के बदले वस्तु 1 से \(\frac{p_{1}}{p_{2}}\) खरीदता है, जब वह अपना सम्पूर्ण बजट खर्च कर देता है।
अत: बजट रेखा का ढाल अथवा प्रवणता है के बराबर होती है। बजट रेखा की प्रवणता अथवा ढाल की व्युत्पत्तिबजट रेखा की प्रवणता पूरी बजट रेखा पर वस्तु 1 के प्रति इकाई परिवर्तन की स्थिति में वस्तु 2 में \(\frac{p_{1}}{p_{2}}\) हुए परिवर्तन की मात्रा का माप करती है। इसे रेखाचित्र द्वारा व्यक्त कर सकते हैं।
बजट रेखा पर स्थित दो बिन्दु (x1 x2) तथा (x + ∆x1 x2 + ∆xn) को लें। ऐसी स्थिति में
P1X1 + p2x2 = m ...................(i)
तथा P1(x + ∆x1) + P2 (x2 + ∆x2) = m ..........(ii)
समीकरण (ii) में से (i) को घटाने पर P1∆x1 + P2∆x2 = 0 .........(iii)
समीकरण (iii) में पदों का पुनर्योजन करने पर हमें निम्न समीकरण प्राप्त होगा
\(\frac{\Delta x_{2}}{\Delta x_{1}}=-\frac{p_{1}}{p_{2}}\)
अतः बजट रेखा का ढाल अथवा प्रवणता बराबर होगी।
प्रश्न 5.
रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए कि बजट रेखा से नीचे स्थित बिन्द उपभोक्ता को कम सन्तुष्टि प्रदान करता है।
उत्तर:
यदि हम बजट रेखा से नीचे स्थित किसी बिन्दु को लेकर अध्ययन करें तो यह बिन्दु एक ऐसे बंडल को दर्शाता है, जिसकी कीमत उपभोक्ता की आय से कम होती है। अतः यदि उपभोक्ता ऐसा बंडल खरीदता है, तो उसके पास कुछ पैसा बचेगा। सिद्धांततः उपभोक्ता इस अतिरिक्त पैसे को दोनों में से किसी एक वस्तु पर खर्च कर सकता है तथा एक ऐसा बंडल खरीद सकता है जिसमें दोनों वस्तुओं में से किसी एक की अधिक मात्रा हो तथा बजट रेखा के नीचे स्थित बंडलों की तुलना में उससे कम हो।
दूसरे शब्दों में, बजट रेखा के नीचे स्थित बिन्दु की तुलना में बजट रेखा पर कुछ बंडल होते हैं, जिसमें दोनों वस्तुओं में से एक वस्तु की अधिक इकाइयाँ होती हैं और दूसरी वस्तु की भी काफी इकाइयाँ होती हैं। रेखाचित्र में इसी तथ्य को दर्शाया गया है। चित्रानुसार बिन्दु C बजट रेखा के नीचे है जबकि बिन्दु A तथा B बजट रेखा पर है। बिन्दु C की तुलना में बिन्दु A वस्तु 2 की अधिक मात्रा तथा वस्तु 1 की समान मात्रा को दर्शाता है। बिन्दु B बिन्दु C की तुलना में वस्तु 1 की अधिक मात्रा तथा वस्तु 2 की समान मात्रा दर्शाता है।
रेखा खंड AB पर कोई भी अन्य बिन्दु ऐसे बंडल का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें c की तुलना में दोनों वस्तुओं की मात्रा अधिक है। अतः उपर्युक्त रेखाचित्र से स्पष्ट है कि बजट रेखा से नीचे स्थित बिन्दु की तुलना में बजट रेखा पर स्थित बिन्दु पर उपभोक्ता वस्तुओं का अधिक उपभोग करता है इससे उपभोक्ता को अधिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है। बजट रेखा से नीचे स्थित बिन्दु उपभोक्ता को कम सन्तुष्टि प्रदान करता
प्रश्न 6.
बजट सेट में बदलाव को रेखाचित्रों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
बजट सेट में आए बदलाव से बजट रेखा में होने वाले बदलावों को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
एक उपभोक्ता के बजट सेटों में बदलाव किस कारण से आता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट सेट एवं बजट रेखा में बदलाव एक उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडलों का सेट उपभोक्ता की आय तथा दोनों वस्तुओं की कीमत पर निर्भर करता है। यदि उपभोक्ता की आय अथवा दोनों वस्तुओं में से किसी की भी कीमत में बदलाव आता है तो उपभोक्ता के बजट सेटों तथा बजट रेखा में बदलाव आ जाता है। हम इसका विस्तार से विवेचन निम्न प्रकार कर सकते हैं।
(1) उपभोक्ता की आय में बदलाव: मान लीजिए कि उपभोक्ता की आय M से बदल कर M' हो जाती है, परन्तु दोनों वस्तुओं की कीमतें नहीं बदलती। नई आय होने पर उपभोक्ता सभी बंडल (x1 ; x2) खरीद सकता है, जिसके होने पर
P1X1 + p2x2 < M' अब बजट रेखा का समीकरण है।
P1X1 + p2x2 = M' समीकरण (i) निम्न रूप में भी लिखा जा सकता
\(\mathrm{x}_{2}=\frac{\mathbf{M}^{\prime}}{\mathrm{p}_{2}}-\frac{\mathrm{p}_{1}}{\mathrm{p}_{2}} \mathrm{x}_{1}\) .................(ii)
नई बजट रेखा की प्रवणता वही है जो उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने से पहले की बजट रेखा की प्रवणता थी। तथापि, आय में बदलाव के बाद ऊर्ध्वाधर अंत:खंड बदल गया है। यदि आय में वृद्धि होती है, अर्थात् यदि M' > M, तब ऊर्ध्वाधर अंत:खंड बढ़ता है और इस प्रकार बजट रेखा के समानांतर बाह्य (दायीं तरफ) विस्थापन होता है। यदि आय बढ़ती है, तो उपभोक्ता विद्यमान बाजार कीमतों पर अधिक वस्तुएँ खरीद सकता है।
इसी प्रकार, यदि आय घटती है अर्थात् M < M, तो ऊर्ध्वाधर अंत:खंड घटता है तथा इस प्रकार बजट रेखा में समानांतर आवक (बायीं तरफ) स्थानापन्न होता है। यदि आय कम होती है, तो वस्तुओं की उपलब्धता भी घटती जाती है। दोनों वस्तुओं की कीमतें समान रहने पर उपभोक्ता की आय में बदलाव के परिणामस्वरूप उपलब्ध बंडलों में होने वाले परिवर्तनों को रेखाचित्र 1 में दर्शाया गया है।
रेखाचित्र 2(a) के अनुसार नई बजट रेखा का ऊर्ध्वाधर अंत:खंड वैसा ही है, जैसा कि वस्त 1 की कीमत में बदलाव आने से पहले बजट रेखा के ऊर्ध्वाधर अंत:खंड का था। किन्तु, बजट रेखा की प्रवणता कीमत में बदलाव के पश्चात् बदल गयी है। यदि वस्तु 1 की कीमत बढ़ती है, अर्थात् यदि p1 > P तो बजट रेखा की प्रवणता का निरपेक्ष मूल्य बढ़ता जाता है और इस प्रकार बजट रेखा अधिक प्रवण हो जाती है।
यह ऊर्ध्वाधर अंत:खंड के आस - पास आवक की (बायीं) ओर हो जाती है, यदि वस्तु 1 की कीमत घटती है अर्थात् p1 < p. बजट रेखा की प्रवणता का निरपेक्ष मूल्य घटता है तथा इस प्रकार बजट रेखा अधिक सपाट हो जाती है [यह ऊर्ध्वाधर अंत:खंड के आस-पास जावक (दायीं) की ओर हो जाती है] | वस्तु 1 की कीमत में बदलाव के परिणामस्वरूप उपलब्ध बंडल के सेट में बदलाव, जबकि वस्तु 2 की कीमत तथा उपभोक्ता की आय समान रहती है। इसे रेखाचित्र 2 में दर्शाया गया है।
वस्तु 2 की कीमत में परिवर्तन, वस्तु 1 की कीमत तथा उपभोक्ता की आय समान रहने की स्थिति में न होने पर उपभोक्ता के बजट सेट में वैसा ही परिवर्तन आ जाएगा, जैसा वस्तु 1 की कीमत में परिवर्तन से हुआ है।
प्रश्न 7.
उपभोक्ता के अधिमान तथा श्रेणीकरण को उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता के अधिमान तथा श्रेणीकरण बजट सेट में वे सभी बंडल शामिल हैं, जो कि उपभोक्ता के लिए उपलब्ध होते हैं। उपभोक्ता अपने बजट सेट में से उपभोग बंडल का चयन कर सकता है। अर्थशास्त्र में यह मान लिया जाता है कि उपभोक्ता उपलब्ध सभी बंडलों में से अपने उपभोग बंडल का चयन अपनी रुचि तथा अधिमान के अनुसार बजट सेट के बंडलों के आधार पर करता है। यह सामान्य रूप से मान लिया जाता है कि उपभोक्ता के पास सभी बंडलों के सेट के विषय में अच्छी तरह स्पष्ट अधिमान हैं। वह किन्हीं दो बंडलों की तुलना कर सकता है। दूसरे शब्दों में, वह दो बंडलों में से किसी एक को अधिमान दे सकता है या तटस्थ रहता है। साथ ही यह भी धारणा है कि उपभोक्ता अपने अधिमान के क्रम से उन बंडलों का श्रेणीकरण कर सकता है।
उपभोक्ता के लिए जो बंडल उपलब्ध हैं उनका श्रेणीकरण उसके अधिमान के अनुसार सबसे अधिक अधिमान से सबसे कम अधिमान के आधार पर किया जा सकता है। किन्हीं दो अथवा अधिक तटस्थ बंडलों को समान क्रम संख्या में रखा जाता है, जबकि अधिमानित बंडलों को ऊपर के क्रम में रखा जाता है। उपभोक्ता के अधिमान एवं श्रेणीकरण को निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
उदाहरण: यदि एक उपभोक्ता की आय 20 रुपये है जिससे वह दो वस्तुएँ खरीदता है, जिनमें प्रत्येक की कीमत 5 रुपये है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता हेतु उपलब्ध बंडल निम्न प्रकार हैं (0,0), (0, 1), (0, 2), (0, 3), (0. 4), (1,0), (1, 1), (1, 2),
(1, 3), (2,0), (2, 1), (2, 2), (3,0), (3, 1) तथा (4,0) उपर्युक्त बंडलों में उपभोक्ता का सर्वाधिक अधिमान बंडल (2, 2) है। इसके पश्चात् वह (1, 3) तथा (3, 1) के बीच तटस्थ है। वह (2, 2) को छोड़ कर अन्य बंडलों की तुलना में इन दोनों बंडलों को अधिमान (1,D) देता है। इसके पश्चात् वह (1, 2) तथा (2, 1) के बीच तटस्थ है। वह (2, 2), (1,3) तथा (3, 1) को छोड़कर अन्य किसी भी बंडल की तुलना में इन दोनों बंडलों को अधिमान देता है।
उपभोक्ता किसी भी ऐसे बंडल के लिए जिसमें केवल एक ही वस्तु तथा (0,0) बंडल के प्रति तटस्थ है। जिस बंडल में दोनों वस्तुओं की धनात्मक मात्रा हो उसे केवल एक ही वस्तु वाले बंडल की तुलना में अधिमानता दी जाती है।
प्रश्न 8.
अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र से आपका क्या अभिप्राय है? अनधिमान वक्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उदासीनता वक्र से आप क्या समझते हैं? उदासीनता वक्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनधिमान वक्र अथवा तटस्थता वक्र अथवा उदासीनता वक्र: अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र वह रेखा होती है जो किसी उपभोक्ता के दो वस्तुओं के ऐसे दो या दो से अधिक संयोगों को व्यक्त करती है, जिनसे कि उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्राप्त होती है। चूंकि समान सन्तोष प्राप्त होने से उपभोक्ता इन दोनों वस्तुओं के विभिन्न संयोगों के प्रति उदासीन हो जाता है, अतः अनधिमान वक्र को उदासीनता वक्र भी कहा जाता है। तटस्थता अथवा अनधिमान वक़ को निम्न रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।
उपर्युक्त रेखाचित्र में II तटस्थता वक्र है तथा A, B,C व D बिन्दु वस्तु 1 एवं वस्तु 2 के विभिन्न संयोगों को दर्शाते हैं जिन पर उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
अनधिमान अथवा तटस्थता अथवा उदासीनता वक्र की विशेषताएँ: अनधिमान अथवा तटस्थता अथवा उदासीनता वक्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं।
प्रश्न 9.
एक उदाहरण की सहायता से प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को स्पष्ट
उत्तर:
प्रतिस्थापन की सीमांत दर: प्रतिस्थापन की सीमान्त दर दो वस्तुओं के बीच एक से विनिमय अनुपात को बताती है, जिसमें एक वस्तु (X) की निश्चित मात्रा के बदले में दूसरी वस्तु (Y) की कितनी मात्रा दी जाये ताकि उपभोक्ता की कुल सन्तुष्टि पूर्ववत् बनी रहे।
प्रो. लेफ्टविच के अनुसार, "x की Y के लिए प्रतिस्थापन की सीमान्त दर (MRSxy) Y वस्तु की वह मात्रा है जिसका X वस्तु की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई को प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता त्याग करने को तत्पर है।"
सूत्रानुसार: \(-\mathrm{MRS}_{\mathrm{xy}}=\frac{\Delta \mathrm{y}}{\Delta \mathrm{x}}\) = तटस्थता वक्र का ढाल
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि प्रथम संयोग में उपभोक्ता के पास 1 सेब तथा 8 सन्तरे हैं। दूसरे संयोग में वह 2 सेब तथा 5 सन्तरे प्राप्त करता है अर्थात् 1 अतिरिक्त सेब प्राप्त करने के लिए वह 3 सन्तरों का त्याग करता है। यहाँ पर सेब व सन्तरों में प्रतिस्थापन की सीमान्त तीसरे संयोग से वह 3 सेब तथा 3 सन्तरे प्राप्त करता है, यहाँ प्रतिस्थापन की दर 1 सेब = 2 सन्तरे हैं अर्थात् 1x = 2y इसी प्रकार चौथे संयोग में वह 4 सेब व 2 सन्तरे प्राप्त करता है। इसमें प्रतिस्थापन की दर 1 सेब - 1 सन्तरा है अर्थात् 1x = 1y तालिका से स्पष्ट है कि जैसे-जैसे हम आगे के संयोगों की ओर बढ़ते जाते हैं प्रतिस्थापन की दर घटती जाती है अर्थात् जैसे - जैसे सेबों की मात्रा बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उसके स्थान पर सन्तरों की पहले से कम मात्रा त्यागने की आवश्यकता पड़ती है, तभी उपभोक्ता पूर्ववत् सन्तुष्टि प्राप्त करता है।
प्रश्न 10.
अनधिमान वक्र अथवा तटस्थता वक्र की सहायता से उपभोक्ता के इष्टतम चयन अथवा सन्तुलन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनधिमान वक्र: अनधिमान अथवा तटस्थता वक्र वह वक्र है जो दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है जिनके उपभोग से उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्राप्त होती है। उपभोक्ता का इष्टतम चयन एक उपभोक्ता के अनधिमान वक्र तथा
उपभोक्ता के संतुलन की शर्ते: तटस्थता वक्रों तथा कीमत रेखा का उपयोग करके उपभोक्ता का संतुलन ज्ञात करते हैं अर्थात् यह बताते हैं कि एक उपभोक्ता अपने सीमित बजट में x व y वस्तु की कितनी इकाइयों का उपभोग करेगा ताकि उसकी कुल सन्तुष्टि का स्तर अधिकतम हो सके। उपभोक्ता के संतुलन की दो मुख्य शर्ते हैं।
(1) आवश्यक शर्त: इसके अनुसार संतुलन वहाँ प्राप्त होगा, जहाँ अनधिमान वक्र बजट रेखा को स्पर्श करेगा या जहाँ अनधिमान वक्र व बजट रेखा का ढाल समान होगा अर्थात् \(\mathrm{MRS}_{\mathrm{xy}}=\frac{\mathrm{P}_{\mathrm{x}}}{\mathrm{P}_{\mathrm{y}}}\) = होता है।
(2) पर्याप्त शर्त: आवश्यक शर्त के अतिरिक्त यह आवश्यक है कि संतुलन बिन्दु पर अनधिमान वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर हो। उपभोक्ता के सन्तुलन को हम रेखाचित्र से स्पष्ट कर सकते हैं।
रेखाचित्र में MN रेखा कीमत रेखा अथवा बजट रेखा है तथा दो तटस्थता वक्र I व II खींचे गए हैं। चित्रानुसार A, B E बिन्दु पर उपभोक्ता का व्यय समान रहेगा क्योंकि ये सभी बिन्दु एक ही कीमत रेखा पर स्थित हैं, परन्तु A व B बिन्दु नीचे वाले अनधिमान वक्र पर स्थित होने के कारण कम सन्तुष्टि को दर्शाते हैं। अत: A तथा B बिन्दु पर उपभोक्ता अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त नहीं कर सकता। E बिन्दु सन्तुलन का बिन्दु है क्योंकि E बिन्दु ऊँचे अनधिमान वक्र पर स्थित है जहाँ अनधिमान वक्र बजट रेखा को स्पर्श कर रहा है तथा दोनों की ढाल भी समान हैं। E बिन्दु पर तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर भी है। यहाँ E बिन्दु पर सन्तुलन की दोनों शर्ते पूरी होती हैं अत: E बिन्दु उपभोक्ता का सन्तुलन बिन्दु की मात्रा का उपभोग करेगा तो उसे अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त होगी।
प्रश्न 11.
माँग की परिभाषा दीजिए। इसे प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
अथवा
माँग से आपका क्या अभिप्राय है? माँग को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
माँग: एक दी हुई समय अवधि में किसी वस्तु की दी हुई कीमत पर एक उपभोक्ता उस वस्तु की जितनी मात्रा खरीदने को तैयार होता है तथा जिसे खरीदने हेतु उसके पास पर्याप्त आय है, वह माँग कहलाती है।
माँग को प्रभावित करने वाले तत्त्व माँग को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित है।
(1) उपभोक्ता की आय: वस्तु की माँग उपभोक्ता की आय पर निर्भर करती है। विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को हम तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं।
(2) स्थानापन्न वस्तुएँ: स्थानापन्न वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त होती हैं, जैसे चाय और कॉफी। इन वस्तुओं के सम्बन्ध में माँग में परिवर्तन इस प्रकार होता है कि यदि एक वस्तु (चाय) की कीमत बढ़ जाये और दूसरी स्थानापन्न वस्तु (कॉफी) की कीमत अपरिवर्तित रहे तो उपभोक्ता पहली वस्तु (चाय) की माँग कम कर देंगे और दूसरी स्थानापन्न वस्तु (कॉफी) की माँग बढ़ा देंगे।
(3) पूरक वस्तुएँ: किसी एक आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए यदि दोनों वस्तुओं की माँग संयुक्त रूप में की जाती है तो वे पूरक वस्तुएँ कहलाती हैं। जहाँ तक पूरक वस्तुओं का सम्बन्ध है, किसी एक वस्तु (डबलरोटी) के मूल्य बढ़ जाने पर दूसरी वस्तु (मक्खन) की माँग कम हो जाती है।
(4) रुचि एवं फैशन: रुचि और फैशन में परिवर्तन हो जाने से माँग में परिवर्तन आ जाता है, जो वस्तुएँ फैशन में आ जाती हैं उनकी कीमत बढ़ जाने पर भी लोग अधिक खरीदते हैं।
(5) भावी प्रत्याशा: यदि भविष्य में कीमत बढ़ने की प्रत्याशा हो तो उपभोक्ता वर्तमान में कीमत बढ़ने पर भी माँग बढ़ायेंगे क्योंकि वे आवश्यक वस्तुओं को संग्रहीत करने की प्रवृत्ति के शिकार बन जायेंगे।
(6) विशेष परिस्थितियाँ: वर्षा ऋतु में छातों की माँग, गर्मियों में कूलर व पंखों की माँग, होली - दीवाली पर मिठाई की माँग बढ़ती है।
(7) बाजार का आकार: किसी वस्तु का बाजार छोटा होने पर माँग कम होगी एवं बाजार बड़ा होने पर मांग अधिक होगी। बाजार का आकार जनसंख्या पर निर्भर करेगा। जनसंख्या में वृद्धि होने पर वस्तु की मांग बढ़ेगी।
प्रश्न 12.
माँग के नियम का रेखाचित्र के द्वारा वर्णन कीजिए।
उत्तर:
माँग का नियम: माँग का नियम किसी वस्तु की कीमत व माँग मात्रा के मध्य पाए जाने वाले विपरीत सम्बन्ध को व्यक्त करता है अर्थात् अन्य बातें समान रहने पर सामान्य वस्तु की स्थिति में वस्तु की कीमत कम होने पर माँग में वृद्धि होती है एवं वस्तु की कीमत अधिक होने पर माँग में कमी होती है। यही माँग का नियम है।
माँग के नियम की मान्यताएँ: माँग का नियम निम्न मान्यताओं पर आधारित है।
माँग के नियम की व्याख्या-माँग के नियम की व्याख्या अन तालिका व रेखाचित्र से की जा रही है
मूल्य में वृद्धि होने पर |
मूल्य में वृद्धि होने पर |
||
मूल्य प्रति इकाई (रुपये में) |
माँगी गई मात्रा |
मूल्य प्रति इकाई (रुपये में) |
माँगी गई मात्रा |
5 |
15 |
25 |
1 |
10 |
12 |
20 |
3 |
15 |
9 |
15 |
9 |
20 |
3 |
10 |
12 |
25 |
1 |
5 |
15 |
उपरोक्त तालिका के अनुसार मूल्य बढ़ने पर माँग कम रहती है तथा मूल्य कम होने पर मांग बढ़ जाती है। तालिका से स्पष्ट है कि जब बाजार में वस्तु की कीमत 5 रुपये होती है तो उपभोक्ता उस वस्तु की 15 इकाइयाँ क्रय करता है, इसके बाद जैसे-जैसे कीमतें बढ़ती. जाती जाती है। अन्त में जब मूल्य बढ़कर 25 रुपये हो जाता है तो माँगी जाने वाली मात्रा केवल 1 रह जाती है। इस प्रकार यदि इन सब माँगी जाने वाली मात्राओं के बिन्दुओं को मिला दिया जाये तो वह मांग वक्र कहलाता है और इस सम्बन्ध को हम माँग का नियम कहते हैं। अत: जैसेजैसे मूल्य में वृद्धि होती है, वस्तु की माँग कम होती है और जैसे-जैसे मूल्य कम होते हैं तो माँग बढ़ जाती है।
रेखाचित्र में Ox अक्ष पर वस्तु की मात्रा तथा OY अक्ष पर वस्तु की कीमत दर्शायी गयी है। मांग वक्र DD है। इससे स्पष्ट है कि अन्य बातें समान रहने पर कीमत एवं माँग में ऋणात्मक संबंध पाया जाता है।
प्रश्न 13.
माँग अनुसूची का क्या तात्पर्य है? उदाहरण एवं रेखाचित्र की सहायता से व्यक्तिगत माँग अनुसूची एवं बाजार माँग अनुसूची को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
व्यक्तिगत माँग अनुसूची एवं बाजार माँग अनुसूची को व्यक्तिगत माँग वक्र एवं बाजार माँग वक्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग अनुसूची अथवा माँग तालिका: माँग तालिका वह क्रमबद्ध तालिका है, जो एक समय विशेष में किसी वस्तु विशेष की विभिन्न कीमतों पर मांगी गई मात्राओं का सम्बन्ध स्पष्ट करती है।
माँग तालिका के प्रकार: माँग तालिका दो प्रकार की होती है।
(1) व्यक्तिगत माँग अनुसूची (तालिका): वह अनुसूची जो एक उपभोक्ता द्वारा किसी दिए गए समय में एक बाजार में विभिन्न मूल्यों पर खरीदी जाने वाली वस्तु की विभिन्न मात्राओं को दिखलाती है, व्यक्तिगत माँग तालिका कहलाती है। यह सूची किसी वस्तु या सेवा के मूल्य तथा उसकी मांगी गई मात्रा के फलनीय सम्बन्ध को व्यक्त करती है। व्यक्तिगत माँग तालिका निम्न प्रकार की होती है
उपर्युक्त तालिका से ज्ञात होता है कि आइसक्रीम की कीमत बढ़ने पर आइसक्रीम की माँग मात्रा में कमी होती है। जब कीमत चार रुपये प्रति कप है तो उपभोक्ता एक कप आइसक्रीम की मांग करता है पर जब कीमत गिरकर एक रुपये प्रति कप हो जाती है तो उपभोक्ता चार कप आइसक्रीम की मांग करता है। किया जाए तो उसे व्यक्तिगत माँग वक्र कहा जाएगा।
चित्र - 1 में x अक्ष पर वस्तु की माँग मात्रा तथा Y अक्ष पर वस्तु की कीमत दर्शायी गई है। DD माँग वक्र का प्रत्येक बिन्दु माँग व कीमत के बीच विपरीत सम्बन्ध को दर्शाता है। जब वस्तु की कीमत 4 रु. है तो उपभोक्ता 1 इकाई की मांग करता है। जब कीमत घट कर 1 रु. हो जाती है तो उपभोक्ता माँग मात्रा बढ़ाकर 4 इकाई कर देता है। इस प्रकार सामान्य परिस्थितियों में मांग वक्र दाहिनी ओर ऋणात्मक ढाल वाला होता है।
(2) बाजार माँग अनुसूची (तालिका): सभी उपभोक्ताओं की एक निश्चित समय पर व्यक्तिगत माँग सूचियों में दी गई वस्तु विशेष की विभिन्न मूल्यों पर कुल खरीदी जाने वाली मात्राओं के योग से तैयार की गई सूची बाजार माँग सूची कहलाती है अर्थात् बाजार माँग अनुसूची एक वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बाजार के सारे उपभोक्ताओं द्वारा वस्तु की माँगी गयी मात्रा के योग को दर्शाती है। बाजार माँग तालिका निम्न प्रकार की होती है।
TABLEE
उपर्युक्त तालिका दर्शाती है कि जब आइसक्रीम की कीमत एक रुपए है तो अ की मांग 4 कप एवं ब की माँग 5 कप है। कुल माँग १ कप है तथा जैसे - जैसे आइसक्रीम की कीमत बढ़ती जाती है, उसकी बाजार माँग भी कम होती जाती है। बाजार माँग तालिका को यदि रेखाचित्र में दर्शाया जाए तो उसे बाजार माँग वक्र कहते हैं। वास्तव में यह व्यक्तिगत माँग वक्रों का ही क्षैतिज योग होता है। बाजार माँग वक्र को हम अग्र रेखाचित्र से स्पष्ट कर सकते हैं।
उपर्युक्त रेखाचित्रों में Ox अक्ष पर माँग मात्रा एवं OY अक्ष पर कीमत दर्शायी गयी है। चित्र - 2 (i) में उपभोक्ता अ का माँग वक्र, चित्र - 2 (ii) में उपभोक्ता ब का माँग वक्र एवं चित्र - 2 (iii) में बाजार का मांग वक्र दर्शाया है। जब कीमत एक रुपए प्रति आइसक्रीम है तो अ 4 आइसक्रीम की माँग करता है तथा ब 5 आइसक्रीम की माँग करता है। दोनों का क्षैतिजीय योग बाजार की मांग अर्थात् एक रुपए पर 9 आइसक्रीम की माँग को दर्शाता है। इस प्रकार व्यक्तिगत माँग वक्रों में विभिन्न वस्तुओं के योग से बाजार माँग वक्र प्राप्त किया जा सकता है। चित्र - 2 (iii) के अनुसार बाजार माँग वक्र DD का ढाल भी ऋणात्मक ही होगा।
प्रश्न 14.
माँग वक्र में शिफ्ट तथा माँग वक्र की दिशा में गति को रेखाचित्रों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
एक माँग वक्र कब खिसकता है? यह मांग मात्रा में परिवर्तन से किस प्रकार भिन्न है? समझाइए।
उत्तर:
माँग वक्र में शिफ्ट अथवा माँग वक्र में खिसकाव: जब माँग वक्र में कमी या वृद्धि कीमत के बजाय अन्य तत्त्वों जैसे आय में परिवर्तन, रुचि व फैशन में परिवर्तन आदि से होती है तो इसे मांग में परिवर्तन कहते हैं। इसके कारण पूरा माँग वक्र खिसक जाता है। जब माँग वक्र दाहिनी ओर खिसकता है तो इसे माँग में वृद्धि कहते हैं, इसके विपरीत जब माँग वक्र के बायीं ओर खिसकने को माँग में कमी कहते हैं। उदाहरण के लिए, उसी कीमत पर आय बढ़ने से उपभोक्ता पहले से अधिक मात्रा के खरीद करेगा जिससे मांग में वृद्धि होगी एवं माँग वक्र दार्य ओर शिफ्ट होगा और आय के घटने पर कम मात्रा के खरीद करेगा जिससे माँग की कमी होगी एवं माँग वक्र बायीं ओर शिफ्ट होगा।
मांग में इस परिवर्तन के कारण वक्र के खिसकने को आगे चित्रों में प्रदर्शित किया गया है।
माँग मात्रा जब कीमत के अतिरिक्त अन्य तत्त्वों में परिवर्तन से माँग मात्रा में परिवर्तन हो, जैसे उपभोक्ता की आय बढ़ने पर माँग वक्र दायीं ओर खिसककर DD से D1D1 हो जाता है तथा वह उसी कीमत पर वस्तु की माँग मात्रा बढ़ा देगा जिसे मांग में वृद्धि कहा जाता है। चित्र में OF कीमत पर प्रारम्भिक माँग OQ1 थी। आय बढ़ने पर उपभोक्ता का उसी OP कीमत पर बिन्दु a से b पर आना माँग में वृद्धि का द्योतक है। अब उपभोक्ता की मांग बढ़कर OQ1 से OQ2 हो जाएगी।
इसी प्रकार उपभोक्ता की आय घटने पर माँग वक्र बायीं ओर शिफ्ट हो जाता है. चित्रानुसार आय कम होने पर माँग वक्र D1D1 से बायीं ओर शिफ्ट होकर DD हो जाएगा।
माँग वक्र की दिशा में गति अथवा माँग: मात्रा में परिवर्तन - माँग वक्र का खिसकना माँग मात्रा में परिवर्तन से भिन्न होता है। कीमत में परिवर्तन के कारण किसी एक माँग वक्र पर एक से दूसरे बिन्दु पर जाने को माँग वक्र की दिशा में गति अथवा माँग मात्रा में परिवर्तन कहते हैं जबकि कीमत के अतिरिक्त अन्य तत्त्वों में परिवर्तन होने से उपभोक्ता का पूरा मांग वक्र ही बदल जाता है। मांग वक्र की दिशा में गति में उपभोक्ता उसी माँग वक्र पर ऊपर या नीचे की ओर विवर्तित होता है।
माँग की मात्रा में परिवर्तन कीमत व मांगी गई मात्रा के सम्बन्ध को बताता है। इसमें उपभोक्ता कीमत के बदलने पर उसी माँग वक्र के नए बिन्दु पर चला जाता है। कीमत के घटने पर मांगी गई मात्रा के बढ़ने को विस्तार एवं कीमत बढ़ने पर मांगी गई मात्रा कम होने को संकुचन कहते हैं। मांग की मात्रा में परिवर्तन के समय कीमत के अतिरिक्त अन्य सभी तत्त्वों को स्थिर माना जाता है। माँग की मात्रा में परिवर्तन को निम्न रेखाचित्रों से स्पष्ट कर सकते हैं।
चित्र - 2 चित्र 1 में वस्तु की कीमत 2 रुपये से गिरकर एक रुपये होने पर माँग मात्रा एक इकाई बढ़कर 2 इकाई हो जाती है। कीमत गिरने पर माँग का विस्तार होता है तथा उपभोक्ता A बिन्दु से B बिन्दु पर चला जाता है। दूसरी ओर चित्र 2 में कीमत एक रुपये से बढ़कर 2 रुपये होने पर उपभोक्ता वस्तु की माँग घटा देता है। कीमत परिवर्तन से पूर्व उपभोक्ता B बिन्दु पर होता है तथा कीमत बढ़ने पर B से A बिन्दु पर जाना माँग में संकुचन को व्यक्त करता है।
प्रश्न 15.
माँग की लोच का अर्थ बताइए। माँग की लोच के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
माँग की लोच: किसी वस्तु की माँग मुख्य रूप से उस वस्तु की कीमत, उपभोक्ता की आय तथा सम्बन्धित वस्तु की कीमत पर निर्भर करती है। मांग की लोच का तात्पर्य किसी वस्तु की कीमत अथवा उपभोक्ता की आय अथवा सम्बन्धित वस्तु की कीमत में परिवर्तन से उस वस्तु की माँग की मात्रा में परिवर्तन की माप से
माँग की लोच के प्रकार किसी वस्तु की माँग की लोच मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है।
(1) माँग की कीमत लोच: प्रायः इसे मांग की लोच भी कहा जाता है। किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उसकी मांग में परिवर्तन होने की जो प्रवृत्ति होती है उसे मांग की कीमत लोच कहते हैं अर्थात् कीमत में हुए आनुपातिक परिवर्तन के फलस्वरूप माँग में जो आनुपातिक परिवर्तन होता है, उसे ही माँग की कीमत लोच कहा जाता है। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
(2) माँग की आय लोच: किसी वस्तु की माँग में परिवर्तन केवल कीमत में परिवर्तन से ही नहीं आता बल्कि उपभोक्ता की आय में कमी - वृद्धि भी वस्तु की माँग में कमी - वृद्धि को जन्म देती है। अतः उपभोक्ता की आय में होने वाले परिवर्तन से वस्तु की माँग में जो परिवर्तन होता है उसकी माप को माँग की आय लोच कहते हैं। इसे निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
(3) माँग की तिरछी या आधी लोच: किसी वस्तु की मांग में परिवर्तन केवल वस्तु की कीमत या उपभोक्ता की आय में परिवर्तन के फलस्वरूप ही नहीं होता बल्कि उस वस्तु की सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप भी होता है। अत: माँग की आड़ी लोच किसी एक वस्तु की मांग में वह आनुपातिक परिवर्तन है, जो दूसरी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप होता है। इसे निम्न सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 16.
माँग की कीमत लोच से क्या अभिप्राय है? माँग की कीमत लोच की किन्हीं पाँच श्रेणियों को समझाइए।
अथवा
माँग की कीमत लोच की विभिन्न श्रेणियों को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग की कीमत लोच: किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उसकी माँग में परिवर्तन होने की जो प्रवृत्ति होती है उसे माँग की कीमत लोच कहते हैं अर्थात् कीमत में हुए आनुपातिक परिवर्तन के फलस्वरूप मांग में जो आनुपातिक परिवर्तन होता है, उसे माँग की कीमत लोच कहते हैं।
माँग की कीमत लोच की श्रेणियाँ: माँग की कीमत लोच की पाँच श्रेणियाँ हैं, जो निम्न प्रकार हैं।
(1) शून्य माँग की लोच अथवा पूर्णतया बेलोचदार माँग (eD = 0): पूर्णतया बेलोचदार माँग वह होती है, जिस पर मूल्य परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात् कीमत में कितना भी परिवर्तन होने पर माँगी गई मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता, ऐसी मांग की लोच शून्य अथवा पूर्णतया बेलोचदार होती है। इसे - रेखाचित्र - 1 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
प्रस्तुत रेखाचित्र में कीमत में परिवर्तन होने पर भी माँग मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता अत: माँग की लोच
(2) इकाई से कम अथवा बेलोचदार माँग ( eD < 1): जब किसी वस्तु की माँग में आनुपातिक परिवर्तन उसकी कीमत में हुए आनुपातिक परिवर्तन से कम होता है तो उस वस्तु की माँग की लोच इकाई से कम अथवा बेलोचदार होती है। इसे रेखाचित्र-2 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
रेखाचित्र - 2 प्रस्तुत रेखाचित्र में कीमत में आनुपातिक परिवर्तन माँग में हुए आनुपातिक परिवर्तन की तुलना में काफी कम
(3) इकाई लोचदार माँग( eD = 1): जब किसी वस्तु की मांग में परिवर्तन ठीक उसी अनुपात में होता है, जिस अनुपात में उसकी कीमत में परिवर्तन हुआ है तब ऐसी माँग की लोच इकाई के बराबर होती है। इसे रेखाचित्र - 3 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
रेखाचित्र - 3 रेखाचित्र में कीमत में परिवर्तन माँग में हुए परिवर्तन के समान है, अत: माँग की लोच इकाई के बराबर है।
(4) इकाई से अधिक अथवा लोचदार माँग (eD > 1): जब मांग में हुआ आनुपातिक परिवर्तन कीमत में हुए आनुपातिक परिवर्तन की तुलना में अधिक होता है तो माँग की लोच इकाई से अधिक अथवा लोचदार होती है। इसे रेखाचित्र - 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
रेखाचित्र - 4 रेखाचित्र में माँग में परिवर्तन कीमत में हुए परिवर्तन की तुलना में अधिक है अतः मांग की लोच इकाई से अधिक होगी।
(5) अनन्त अथवा पूर्णतया लोचदार माँग (eD = ∞): जब वस्तु की कीमत में बहुत कम परिवर्तन होने पर मांगी गई मात्रा में अनन्त अथवा अत्यधिक परिवर्तन हो जाता है तो उसे अनन्त माँग की लोच अथवा पूर्णतया लोचदार माँग कहा जाता है। इसे रेखाचित्र - 5 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
रेखाचित्र - 5 रेखाचित्र में क्षैतिज अक्ष के समानान्तर माँग वक्र पूर्णतया लोचदार माँग वक्र है।
प्रश्न 17.
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्वों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्व: माँग की लोच को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्त्व निम्न प्रकार हैं।
(1) वस्तु के निकट स्थानापन्न की उपलब्धतायदि एक वस्तु के लिए निकट के स्थानापन्न उपलब्ध हैं तो इस वस्तु की माँग लोचदार होगी। चाय व कॉफी परस्पर स्थानापन्न वस्तुएँ होने से यदि चाय की कीमत बढ़ती है तो उपभोक्ता कॉफी की मांग बढ़ायेंगे व चाय की मांग घटायेंगे। इससे चाय की मांग की लोच अधिक होगी। इसके विपरीत जिन वस्तुओं के निकट स्थानापन्न उपलब्ध नहीं होते हैं उनकी लोच बेलोचदार होती है।
(2) वस्तु के वैकल्पिक उपयोग: यदि कोई वस्तु विभिन्न कार्यों में लाई जा सकती है तो उसकी मांग अधिक लोचदार होगी। जिस वस्तु का प्रयोग केवल एक कार्य के लिए किया जाता है, उनकी माँग कम लोचदार अथवा बेलोचदार होती है।
(3) वस्तु पर खर्च किया जाने वाला आय का भाग: उपभोक्ता को जिन वस्तुओं पर अपनी आय का बड़ा भाग व्यय करना पड़ता है, उनकी माँग की लोच उतनी ही अधिक होने की सम्भावना रहती है। इसके विपरीत जिन वस्तुओं पर उपभोक्ता को अपनी आय का कम भाग व्यय करना पड़ता है, उनकी मांग की लोच कम लोचदार या बेलोचदार होगी।
(4) कीमत का स्तर: माँग सामान्यतया कीमत के ऊँचे स्तर पर कीमत के नीचे स्तर की तुलना से अधिक लोचदार होती है। इस प्रकार सीधी माँग रेखा का ऊपरी हिस्सा जो ऊंची कीमत का प्रतीक होता है, अधिक लोचदार एवं वक्र का निचला हिस्सा जो कम कीमत का प्रतीक होता है, कम लोचदार होता है।
(5) उपभोक्ता की आय के स्तर: यदि उपभोक्ता का आय स्तर बहुत नीचा है अथवा उपभोक्ता का आय स्तर बहुत उच्च है तो माँग की लोच बेलोचदार होगी जबकि मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं की मांग अधिक लोचदार होगी।
(6) उपभोक्ता की आदतें एवं अधिमान: जिना वस्तुओं के उपभोग करने की आदत पड़ जाती है उन वस्तुओं की माँग कम लोचदार अथवा बेलोचदार होती है, जाती है। यह सामान्यतः अनिवार्य वस्तुओं की अवस्थाओं के सम्बन्ध में लागू होती है जिनमें कम कीमत पर कुल व्यय भी कम तथा अधिक कीमत पर कुल व्यय भी अधिक होता है।
प्रश्न 19.
माँग वन से आप क्या समझते हैं? माँग वक्र का ढाल बायें से दाहिने नीचे की तरफ क्यों झुकता
अथवा माँग वक्र का ढाल ऋणात्मक होने के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माँग वक्र: माँग वक्र वह वक्र है जो वस्तु की कीमत एवं मांगी गई मात्रा में सम्बन्ध को दर्शाता है। अन्य शब्दों में, माँग तालिका या माँग अनुसूची को जब रेखाचित्र के रूप में प्रदर्शित किया जाता है तो उसे माँग वक्र कहते हैं। माँग वक्र का ढाल ऋणात्मक होने के कारण माँग व कीमत में विपरीत सम्बन्ध दर्शाया जाता है। माँग वक्र के इस ऋणात्मक ढलान के लिए निम्नांकित कारण उत्तरदायी हैं
(1) घटती हुई सीमान्त उपयोगिता का नियममाँग का नियम सीमान्त उपयोगिता-हास नियम पर आधारित है। वस्तु की खरीद करते समय उपभोक्ता वस्तु को सीमान्त उपयोगिता से अधिक मूल्य देने को तत्पर नहीं होता है। प्रारम्भ में सीमान्त उपयोगिता अधिक होती है। अतः उपभोक्ता अधिक कीमत देने को तैयार रहता है और इस प्रकार प्रारम्भ में अधिक कीमत पर कम इकाइयाँ खरीदी जाती हैं। ज्यों-ज्यों वस्तु की अधिक इकाइयाँ खरीदी जाती हैं, उपयोगिता के ह्रास के कारण वस्तु की सीमान्त उपयोगिता कम होती जाती है। अत: उपभोक्ता किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाइयाँ तभी खरीदेगा जबकि कीमत में कमी हो।
(2) आय प्रभाव: किसी वस्तु के मूल्य में कमी होने का अर्थ यह है कि अब कोई उपभोक्ता कम राशि व्यय करके उतनी ही मात्रा खरीद सकता है या उतनी ही राशि को व्यय करके अब वस्तु की अधिक इकाइयाँ खरीदी जा सकती हैं। इसके विपरीत यदि वस्तु के मूल्य में वृद्धि होती है तो अब उपभोक्ता को पहले जितनी मात्रा क्रय करने के लिए अधिक मुद्रा की आवश्यकता होगी। वस्तु के मूल्य में हुए परिवर्तन को 'आय प्रभाव' कहते हैं। मूल्य में कमी होने पर उपभोक्ता की आय अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ जाती है अर्थात् उपभोक्ता की क्रय शक्ति बढ़ जाती है। इसके विपरीत मूल्य में वृद्धि होने पर उपभोक्ता की आय कम हो जाती है अर्थात् उपभोक्ता की क्रय शक्ति कम हो जाती
(3) प्रतिस्थापन प्रभाव: कीमत बढ़ने से खरीदी जा रही वस्तु अन्य वस्तुओं की तुलना में महंगी हो जाती है। इससे उपभोक्ता इस वस्तु की अपेक्षा अन्य वैकल्पिक या स्थानापन्न सस्ती वस्तुओं का प्रतिस्थापन करना चाहेंगे। इस प्रकार कीमत बढ़ने से प्रतिस्थापन होगा और वस्तु की माँग घटेगी। यही प्रतिस्थापन प्रभाव है। उदाहरण के लिए, शक्कर की कीमत बढ़ने पर उपभोक्ता शक्कर के बजाय गुड़ का प्रतिस्थापन करेंगे। इससे शक्कर की माँग घट जायेगी।
(4) कम कीमत पर नये क्रेता: कीमत परिवर्तनों के कारण बाजार में नये क्रेताओं का प्रवेश तथा बहिर्गमन प्रारम्भ होता है जिसके कारण माँग में परिवर्तन आ जाता है। जब किसी वस्तु की कीमत में कमी हो जाती है तो अनेक नये क्रेता, जो कि पहले नहीं खरीद रहे थे, बाजार में प्रवेश करते हैं जिससे माँग बढ़ जाती है। इसके विपरीत कीमत में वृद्धि होने पर अनेक उपभोक्ता जो कि पहले खरीद रहे थे, वस्तु की खरीद को बन्द कर देते हैं जिससे माँग में कमी हो जाती है।
प्रश्न 20.
यदि एक उपभोक्ता की कुल आय 80 रुपये है जिसे वह दो वस्तुओं वस्तु 1 व वस्तु 2 पर व्यय करता है जिनकी प्रत्येक की कीमत 20 रुपये है। उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडलों को बताते हुए उनका श्रेणीकरण कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता की कुल आय = 80 रुपये
वस्तु 1 की कीमत = 20 रुपये
वस्तु 2 की कीमत = 20 रुपये उपभोक्ता हेतु उपलब्ध बंडल निम्न प्रकार हैं।
(0,0), (0, 1), (0, 2), (0, 3), (0, 4), (1, 0), (1, 1), (1, 2), (1, 3), (2,0), (2, 1), (2, 2), (3,0), (3, 1) तथा (4,0)
उपर्युक्त सभी बंडलों में उपभोक्ता हेतु सर्वाधिक अधिमान वाला बंडल (2,2) है क्योंकि इसमें दोनों वस्तुओं की समान मात्रा है तथा अन्य बंडलों की तुलना में दूसरी वस्तु की भी अधिक मात्रा है। इसके पश्चात् उपभोक्ता (1, 3) तथा (3, 1) के बीच तटस्थ है, वह (2.2) को छोड़कर अन्य बंडलों की तुलना में इन दोनों बंडलों को अधिमान देता है। इसके बाद उपभोक्ता (1, 2) तथा (2, 1) के बीच भी तटस्थ है, वह (2.2), (1,3) तथा (3, 1) को छोड़कर अन्य किसी भी बंडल की तुलना में इन दोनों बंडलों को अधिमान देता है। उपभोक्ता किसी भी ऐसे बंडल के लिए जिसमें केवल एक ही वस्तु तथा (0,0) बंडल के प्रति तटस्थ है।
जिस बंडल में दोनों वस्तुओं की धनात्मक मात्रा हो उसे केवल ' एक ही वस्तु वाले बंडल की तुलना में अधिमानता दी जाती है।
उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडलों का श्रेणीकरण निम्न प्रकार होगा।
तालिका : उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडलों का श्रेणीकरण:
बंडल |
श्रेणीकरण |
(2,2) |
पहला |
(1,3),(3,1) |
दूसरा |
(1,2),(2,1) |
तीसरा |
(1,1) |
चौथा |
(0,0),(0,1),(0,2),(0,3),(0,4), (1,0),(2,0),(3,0),(4,0) |
पाँचवाँ |
प्रश्न 21.
माँग की कीमत लोच की ज्यामितीय विधि को सचित्र समझाइए।
अथवा
एक रैखिक माँग वक्र की लोच को मापने की ज्यामितीय पद्धति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक रैखिक माँग वक्र की लोच आसानी से ज्यामितीय पद्धति से मापी जा सकती है। एक सीधी रेखा रूपी माँग वक्र के किसी भी बिन्दु पर माँग की लोच माँग वक्र के नीचे वाले खंड में तथा ऊपर वाले खंड के बीच उस बिन्दु पर अनुपात के रूप में दी जाती है।
रेखाचित्र में एकं सीधी रेखा रूपी माँग वक्र q = a - bp है। मान लीजिए, कीमत p0 पर वस्तु के लिए माँग q0 है। अब एक छोटे से कीमत परिवर्तन पर गौर कीजिए। नई कीमत p1 है तथा उस कीमत पर वस्तु के लिए q1 माँग है।
\(\Delta \mathrm{q}=\mathrm{q}^{1} \mathrm{q}^{0}=\mathrm{CD}\) तथा
\(\Delta \mathrm{p}=\mathrm{p}^{1} \mathrm{p}^{0}=\mathrm{CE}\)
अत:
\(\mathrm{e}_{\mathrm{D}}=\frac{\Delta \mathrm{q} / \mathrm{q}^{0}}{\Delta \mathrm{p} / \mathrm{p}^{0}}=\frac{\Delta \mathrm{q}}{\Delta \mathrm{p}} \times \frac{\mathrm{p}^{0}}{\mathrm{q}^{0}}\)
\(=\frac{\mathrm{q}^{1} \mathrm{q}^{0}}{\mathrm{p}^{1} \mathrm{p}^{0}} \times \frac{\mathrm{Op^{0 }}}{\mathrm{Oq} \mathrm{q}^{0}}=\frac{\mathrm{CD}}{\mathrm{CE}} \times \frac{O \mathrm{p}^{0}}{\mathrm{Oq}^{0}} \)
क्योंकि ECD तथा \(\mathrm{Bp}^{0} \mathrm{D}\)समान त्रिकोण हैं, \(\frac{C D}{C E}=\frac{p^{0} D}{p^{0} B}\)
परन्तु \(\frac{p^{0} D}{p^{0} B}=\frac{O^{0}}{p^{0} B} e_{D}=\frac{O^{0}}{p^{0} B}=\frac{\mathrm{q}^{0} \mathrm{D}}{\mathrm{p}^{0} \mathrm{~B}}\)
क्योंकि \(\mathrm{Bp}^{0} \mathrm{D}\) तथा BOA समान त्रिकोण हैं \(\frac{\mathrm{q}^{0} \mathrm{D}}{\mathrm{p}^{0} \mathrm{~B}}=\frac{\mathrm{DA}}{\mathrm{DB}} .\)
अत: \(\mathrm{e}_{\mathrm{D}}=\frac{\mathrm{DA}}{\mathrm{DB}}\)
माँग की लोच एक सीधी रेखा रूपी माँग वक्र के विभिन्न बिन्दुओं पर, इस ज्यामितीय तरीके से प्राप्त की जा सकती है। उस बिन्दु पर लोच 0 है जहाँ माँग वक्र समस्तरीय अक्ष से मिलता है तथा यह उस बिन्दु पर है जहाँ माँग क्क्र ऊर्ध्वस्तर अक्ष से मिलता है। माँग वक्र के मध्य बिन्दु पर लोच 1 है, तथा बायीं ओर किसी भी बिन्दु पर यह 1 से अधिक है तथा दायीं ओर किसी भी बिन्दु पर यह 1 से कम है। ध्यान दीजिए कि समस्तरीय अक्ष पर p0, ऊर्ध्वस्तर अक्ष पर q0 तथा माँग वक्र के मध्य बिन्दु पर \(\mathrm{p}=\frac{\mathrm{a}}{2 \mathrm{~b}}\) है।
प्रश्न 22.
एक माँग वक्र के दारीं तथा बार्यीं ओर शिफ्ट होने के कोई तीन-तीन कारण बताइए।
उत्तर:
माँग वक्र के दायीं तरफ शिफ्ट होने के तीन कारण:
(3) वस्तु के पक्ष में स्वाद में परिवर्तन-यदि लोगों का वस्तु के पक्ष में स्वाद परिवर्तन हो जाता है तो उस वस्तु के उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है तथा माँग वक्र दार्यी तरफ शिफ्ट हो जाता है।
माँग वक्र के बार्यी तरफ शिफ्ट होने के तीन कारण
प्रश्न 23.
यदि किसी वस्तु x की माँग फलन के रूप में दी गई हैं, जिसका समीकरण निम्न प्रकार है:
\(Q_{\mathrm{x}}=\mathbf{3 0}-4 \mathrm{P}_{\mathrm{x}}\) यदि वस्तु की कीमत Px 6,5,4,3,2 तथा 1 रुपये दी हुई है, तो उपभोक्ता की व्यक्तिगत माँग तालिका तैयार कीजिए।
उत्तर:
सर्वप्रथम समीकरण की सहायता से विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ता की माँग ज्ञात की जाती है, जो निम्न प्रकार है:
px = 6 होने पर Qx = 30 - 4 x 6 = 30 - 24 = 6
px = 5 होने पर Qx = 30 - 4 x 5 = 30 - 20 = 10
px = 4 होने पर Qx = 30 - 4 x 4 = 30 - 16 = 14
px = 3 होने पर Qx = 30 - 4 x 3 = 30 - 12 = 18
px = 2 होने पर Qx = 30 - 4 x 2 = 30 - 8 = 22
px = 1 होने पर Qx = 30 - 4 x 1 = 30 - 4 = 26
उपर्युक्त कीमतों एवं माँग मात्रा के व्यक्तिगत माँग तालिका बनाई जा सकती है, जो निम्न प्रकार है:
तालिका : व्यक्तिगत मॉंग तालिका
कीमत |
(रूपये में) |
1 |
26 |
2 |
22 |
3 |
18 |
4 |
14 |
5 |
10 |
6 |
6 |
प्रश्न 24.
एक बाजार में चार उपभोका हैं, जिनकी माँग के सम्बन्ध में निम्न सूचनाएँ दी गई हैं, इसके आधार पर बाजार माँग वक्र बनाइए।
तालिक
कीमत |
A उपभोक्त की माँग |
Bउपभोक्त की माँग |
Cउपभोक्त की माँग |
D उपभोक्त की माँग |
1 |
26 |
7 |
15 |
8 |
2 |
22 |
5 |
12 |
6 |
3 |
18 |
4 |
9 |
4 |
4 |
14 |
3 |
5 |
2 |
5 |
10 |
2 |
3 |
1 |
6 |
6 |
6 |
2 |
0 |
उत्तर:
हमें बाजार में चार उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत माँग के सम्बन्ध में सूचनाएँ दी गई हैं। सर्वप्रथम इन सभी माँगों को जोड़कर बाजार माँग सूची अथवा तालिका ज्ञात की जाती है तथा उसी के आधार पर बाजार माँग वक्र कहते हैं। बाजार माँग तालिका निम्न प्रकार बनाई जाएगीतालिका : बाजार मौग
कीमत |
A उपभोक्त की माँग |
Bउपभोक्त की माँग |
Cउपभोक्त की माँग |
D उपभोक्त की माँग |
बाजार मौग (A+B+C+D) |
1 |
26 |
7 |
15 |
8 |
45 |
2 |
22 |
5 |
12 |
6 |
35 |
3 |
18 |
4 |
9 |
4 |
25 |
4 |
14 |
3 |
5 |
2 |
15 |
5 |
10 |
2 |
3 |
1 |
10 |
6 |
6 |
6 |
2 |
0 |
5 |
उपर्युक्त बाजार माँग को रेखाचित्र में दर्शाकर बाजार माँग वक्र प्राप्त किया जा सकता है:
प्रश्न 25.
सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में सम्बन्ध को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता में
सम्बन्ध: सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। इस सम्बन्ध की मूल बातें निम्न प्रकार हैं-
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता के बीच पाए जाने वाले सम्बन्ध को एक साथ चित्र में देखा जा चित्र से स्पष्ट है कि 5 इकाइयों का उपभोग करने तक सीमान्त उपयोगिता कम होती है और कुल उपयोगिता बढ़ती है। 6 वीं इकाई का उपभोग करने पर सीमान्त उपयोगिता शून्य हो जाती है तथा कुल उपयोगिता अधिकतम हो जाती है। इसके बाद आमों का उपयोग करने से सीमान्त उपयोगिता ॠणात्मक हो जाती है और कुल उपयोगिता गिरने लगती है।
प्रश्न 26.
तटस्थता वक्र की कोई तीन विशेषताओं को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तटस्था वक्र की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:
(1) अनधिमान वक्र दाएँ से बाएँ नीचे की ओर बलवा होते हैं-एक अनधिमान वक्र दाएँ सें बाएँ नीचे की ओर ढलवा होता है जिसका अर्थ है कि अधिक X वस्तु प्राप्त करने के लिये, उपभोक्ता को Y वस्तु की कुछ मात्रा का त्याग करना पड़ता है। यदि उपभोक्ता Y वस्तु की कुछ मात्रा का, X वस्तु की मात्रा में वृद्धि होने पर, त्याग नहीं करता है तो इसका यह अर्थ होगा कि उपभोक्ता, Y वस्तु वही अथवा अधिक मात्रा, X वस्तु के बदले प्राप्त करता है और वह एक उच्च अनधिमान वक्र पर चला जाता है। अतः जब तक उपभोक्ता उसी अनधिमान वक्र पर स्थित है X वस्तु की मात्रा में वृद्धि को Y वस्तु की मात्रा कम करके क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए।
दूसरे शब्दों में यदि उपभोक्ता एक वस्तु की उपभोग की जाने वाली इकाइयों को बढ़ाता है तो उसे निश्चित रूप से दूसरी वस्तु के उपभोग को घटाना होगा तभी उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि प्राप्त होगी। इस कारण अनधिमान वक्र दाएँ से बाएँ नीचे की ओर ढलवा होता है जिसे नीचे रेखाचित्र में दर्शाया गया है।
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि A से C संयोग पर आने पर. उपभोक्ता X वस्तु की 1 इकाई BC के लिए वस्तु Y की AB इकाई त्यागता है। लेकिन C से E संयोग पर वह वस्तु X की 1 इकाई (DE) के लिए वस्तु Y की CD इकाई त्यागता है जो कि AB से कम है।
(2) उच्च अनधिमान वक्र, उपयोगिता के उच्च स्तर को प्रदान करता है-जब तक एक वस्तु की सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है, तब एक व्यक्ति सदैव ही उस वस्तु की अधिक मात्रा प्राप्त करना चाहेगा, क्योंकि वस्तु की अधिक मात्रा, संतोष के स्तर को बढ़ायेगी। X व Y वस्तु के तीन विभिन्न संयोगों-A, B तथा C को देखिये जिन्हें तालिका और रेखाचित्र में दिखाया गया है।
तालिका : उपयोगिता के विभिन्न स्तरों का प्रतिनिधित्व वस्तु के विभिन्न संयोजनों के रूप में होता है:
संयोग |
X की मात्रा |
Yकी मात्रा |
A |
1 |
10 |
B |
2 |
10 |
C |
3 |
10 |
संयोगों A, B तथा C में, Y की समान मात्रा है, परन्तु X की मात्रा भिन्न है। संयोग B, A की अपेक्षा उपयोगिता का उच्च स्तर प्रदान करेगा। इसलिये B,A की अपेक्षा एक ऊँचे अनधिमान वक्र पर होगा, अधिक संतोष को व्यक्त करेगा। इसी भाँति C में B की अपेक्षा अधिक X वस्तु है B और C दोनों में Y वस्तु की मात्रा समान है), इसलिये C,B की अपेक्षा संतोष के उच्च स्तर को प्रदान करेगा और B की अपेक्षा, एक और ऊँचे अधिमान वक्र पर होगा।
की अधिक मात्रा वाले संयोग, उच्च अनधिमान वक्र पर होंगे तथा उन संयोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे जो संतोष के उच्च स्तर को प्रदान करेंगे।
(3) दो अनधिमान वक्र कभी एक-दूसरे को नहीं काटते हैं-एक-दूसरे को काटसे हुए दो अनधिमान वक्र, परस्पर विरोधी परिणामों को दिखायेंगे। इसे समझने के लिये, हम आगे रेखाचित्र में दो अनधिमान वक्रों को एक-दूसरे को काटने देते हैं। क्योंकि बिन्दु A तथा B, एक ही अनधिमान वक्र C1 पर स्थित हैं, संयोग A तथा B से समान संतोष का स्तर प्राप्त होगा। इसी प्रकार बिन्दु B तथा C, एक ही अनधिमान वक्र C2 पर स्थित हैं, संयोग B तथा C समान संतोष का स्तर प्रदान करेंगे।
इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बिन्दु B तथा C से भी प्राप्त उपयोगिता समान है। लेकिन यह स्पष्ट है कि विसंगत निष्कर्ष है, क्योंकि X वस्तु की उसी मात्रा से, जैसा बिन्दु B पर, उपभोक्ता Y वस्तु की अधिक मात्रा प्रदान करता है। इस प्रकार बिन्दु B पर, उपभोक्ता बिन्दु C की अपेक्षा अधिक अच्छी स्थिति में है। अतः एकदूसरे को काटते हुए अनधिमान वक्र, विसंगत निष्कर्ष प्राप्त करते हैं। अतः दो अनधिमान वक्र एक-दूसरे को नहीं काट सकते।
प्रश्न 27.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या कीजिये।
अथवा
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्हास नियम: इस नियम के अनुसार यदि कोई उपभोक्ता किसी वस्तु की उपभोग मात्रा निरन्तर बढ़ाता जाता है तो अन्य बातें समान रहने पर उस वस्तु की प्रत्येक अगली इकाई से मिलने वार्ली उपयोगिता अर्थात् सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है तथा एक ऐसी स्थिति आ जाती है जब उपभोक्ता को पूर्ण सन्तुष्टि मिल जाती है।
नियम की मान्यताएँ-सीमान्त उपयोगिता ह्रस नियम की प्रमुख मान्यताएँ निम्नलिखित हैं:
नियम का उदाहरण और रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरणतालिका-1:
इस नियम की व्याख्या हम एक उदाहरण से कर सकते हैं। मान लीजिए कि एक व्यक्ति भूखा है तो प्रारम्भ में उसे रोटी की इकाइयों से अधिक सन्तुष्टि मिलेगी, परन्तु जैसे-जैसे उसका पेट भरता जायेगा उसे उत्तरोत्तर घटती हुई मात्रा में उपयोगिता मिलेगी। रोटी की विभिन्न इकाइयों से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता उपर्युक्त तालिका में दर्शाई गई है। उपर्युक्त तालिका से स्पुष्ट है कि प्रथम रोटी की उपयोगिता 30 , दूसरी की 25 , तीसरी की 18 , चौथी की 10, पाँचर्वी की 5 , छठी की शून्य तथा सातवी की ॠणात्मक 5 के बराबर है। तालिका से स्पष्ट है कि जैसेजैसे रोटी की इकाइयाँ बढ़ती जाती हैं, उनमें उपभोग से र्राप्त सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है। रोटी की छठी इकाई के उपभोग से चूंकि उपभोका को पूर्ण सन्तुष्टि याप्त होती है, अतः रोटी की छठी इकाई की उपयोगिता गून्य के बराबर है। इसके पश्चात् भी यदि सातवीं रोटी का उपभोग किया जाता है तो उसे अनुपयोगिता मिलेगी, जो हमारे उदाहरण -5 के बराबर है।
इस तालिका के अंकों को चित्र संख्या- 1 व 2 के स्पष्ट किया गया है।
चित्र - 1 में OX-अक्ष पर रोटी की इकाइयाँ तथा DY-अक्ष पर सीमान्त उपयोगिता को प्रदर्शित किया गया । चित्र 1 में प्रत्येक इकाई से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता को अलग-अलग आयतों के द्वारा व्यक्त किया गया है। चूँकि रोटी की प्रत्येक अगली इकाई से क्रमशः प्राप्त उपयोगिता घटती जा रही है, अतः आयत का आकार भी छोटा होता जाता है। अन्त में यह ॠणात्मक हो जाता है।
तालिका- 1 के अंकों को हम 'सीमान्त उपयोगिता वक्र ' के रूप में चित्र-2 के अनुसार भी प्रदर्शित कर सकते हैं।