Rajasthan Board RBSE Class 12 Economics Important Questions Chapter 1 व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या है।
(अ) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए औरकितनी मात्रा में?
(ब) इन वस्तुओं का उत्पादन कैसे करते हैं?
(स) इन वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए?
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 2.
उपलब्ध संसाधनों की मात्रा तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकी ज्ञान के द्वारा उत्पादित की जा सकने वाली सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के सभी संभावित संयोगों के समूह को कहा जाता है।
(अ) उपभोग संभावना वक्र
(ब) कार्य संभावना सेट
(स) उत्पादन संभावना सेट
(द) उपभोग संभावना सेट
उत्तर:
(स) उत्पादन संभावना सेट
प्रश्न 3.
किसी एक वस्तु की कुछ अतिरिक्त इकाइयों को प्राप्त करने हेतु दूसरी वस्तु की जितनी मात्रा छोड़नी पड़ती है, उसे कहा जाता है।
(अ) मौद्रिक लागत
(ब) कुल लागत
(स) अवसर लागत
(द) सामाजिक लागत
उत्तर:
(ब) कुल लागत
प्रश्न 4.
वह विश्लेषण जिसके अन्तर्गत हम यह अध्ययन - करते हैं कि विभिन्न क्रियाविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं, कहलाता है।
(अ) आदर्शक विश्लेषण
(ब) सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण
(स) मौद्रिक विश्लेषण
(द) आंशिक विश्लेषण
उत्तर:
(अ) आदर्शक विश्लेषण
प्रश्न 5.
वह विश्लेषण जिसके अन्तर्गत हम इस बात का अध्ययन करते हैं कि कौन - सी कार्यविधियाँ हमारे अनुकूल हैं और कौन - सी प्रतिकूल हैं, कहलाता।
(अ) आदर्शक विश्लेषण
(ब) सामान्य विश्लेषण
(स) सकारात्मक विश्लेषण
(द) वास्तविक विश्लेषण
उत्तर:
(अ) आदर्शक विश्लेषण
प्रश्न 6.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसमें वैयक्तिक इकाइयों का विश्लेषण किया जाता है, कहलाती है।
(अ) समष्टि अर्थशास्त्र
(ब) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(स) मौद्रिक अर्थव्यवस्था
(द) विकास का अर्थशास्त्र
उत्तर:
(ब) व्यष्टि अर्थशास्त्र
प्रश्न 7.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसमें समग्न अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है, कहलाती है।
(अ) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(ब) मौद्रिक अर्थशास्त्र
(स) समष्टि अर्थशास्त्र
(द) लोक वित्त अर्थशास्त्र
उत्तर:
(स) समष्टि अर्थशास्त्र
प्रश्न 8.
राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पादन एवं सामान्य कीमत स्तर का अध्ययन किया जाता है।
(अ) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(ब) समष्टि अर्थशास्त्र में
(स) स्थैतिक अर्थशास्त्र में
(द) प्रावैगिक अर्थशास्त्र में
उत्तर:
(ब) समष्टि अर्थशास्त्र में
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
बाजार अर्थव्यवस्था का एक उदाहरण बताइए।
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था बाजार अर्थव्यवस्था है।
प्रश्न 2.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यह वह अर्थव्यवस्था है जिसमें सभी क्रियाकलाप सरकार द्वारा किए जाते हैं।
प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र में निर्णय कर्ता कौन होते
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में निर्णय कर्ता बाजार, सामान्य कीमत संयंत्र, राष्ट्रीय आय, कुल रोजगार, कुल निवेश, कुल बचत आदि होते हैं।
प्रश्न 4.
चयन की समस्या का उदय क्यों होता है?
उत्तर:
आवश्यकताएँ असीमित तथा उन्हें पूरा करने वाले संसाधनों के सीमित होने के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है।
प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र की उस शाखा को क्या कहते हैं जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े समूहों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र।
प्रश्न 6.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में सभी महत्त्वपूर्ण क्रियाकलापों की योजना किसके द्वारा बनाई जाती है?
उत्तर:
सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा।
प्रश्न 7.
अर्थशास्त्र की वह कौनसी शाखा है जिसमें उपभोक्ता के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र ।
प्रश्न 8.
अर्थशास्त्र की दोनों शाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
राष्ट्रीय आय का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र ।
प्रश्न 10.
भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले विकासशील देश हेतु उत्पादन की कौनसी तकनीक उपयुक्त है।
उत्तर:
उत्पादन की श्रम गहन तकनीक।
प्रश्न 11.
वस्तु के कीमत निर्धारण सम्बन्धी सिद्धान्तों का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 12.
आर्थिक समस्याओं अथवा केन्द्रीय समस्याओं के उत्पन्न होने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
अर्थव्यवस्था की कोई एक केन्द्रीय समस्या बताइए।
उत्तर:
किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में?
प्रश्न 14.
एक संसाधन सीमित कब कहा जाता है?
उत्तर:
जब संसाधन की माँग उसकी पूर्ति से अधिक होती है।
प्रश्न 15.
चयन की समस्या क्या है?
उत्तर:
उत्पादन तथा उपभोग की अनेक संभावनाओं में से किसी एक का चयन करना चयन की समस्या कहलाती है।
प्रश्न 16.
बाजार अर्थव्यवस्था का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वह अर्थव्यवस्था जिसमें लगभग सभी आर्थिक क्रियाकलाप बाजार द्वारा निर्धारित होते हैं।
प्रश्न 17.
एक बाजार अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
बाजार अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का समाधान कीमत प्रणाली द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 18.
कुल उत्पादन का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 19.
सामान्य कीमत स्तर का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर;
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 20.
समग्र माँग तथा समग्न पूर्ति का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 21.
भारतीय अर्थव्यवस्था किस प्रकार की अर्थव्यवस्था है?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था
प्रश्न 22.
आर्थिक साधनों की कीमतों का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 23.
एक फर्म के संतुलन का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा के अन्तर्गत किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 24.
एक अर्थव्यवस्था कितने प्रकार की हो सकती है?
उत्तर:
प्रश्न 25.
उत्पादन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वस्तुओं में उपयोगिता का सृजन करना उत्पादन कहलाता है।
प्रश्न 26.
एक उपभोक्ता के संतुलन का अध्ययन अर्थशास्त्र की किस शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में।
प्रश्न 27.
एक केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
समाज कल्याण।
प्रश्न 28.
एक बाजार अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर:
आर्थिक लाभ कमाना।
प्रश्न 29.
एक बाजार अर्थव्यवस्था में कीमतों का निर्धारण किसके द्वारा होता है?
उत्तर:
माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा।
प्रश्न 30.
आर्थिक क्रिया का कोई एक उदाहरण बताइए।
उत्तर:
अस्पताल में सेवारत चिकित्सक।
प्रश्न 31.
संसाधन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे वस्तुएं एवं सेवाएँ जिनसे अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है।
प्रश्न 32.
बाजार किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह व्यवस्था जिसमें लोग निर्बाध रूप से वस्तुओं के क्रय-विक्रय का कार्य करते हैं।
प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
इसमें सामान्य कीमत, कुल उत्पादन, राष्ट्रीय आय, रोजगार आदि का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 34.
साधनों की मितव्ययिता का क्या अभिप्राय
उत्तर:
साधनों की मितव्ययिता का अर्थ है, साधनों को सर्वोत्तम विधि से प्रयुक्त करना जिससे अधिकतम प्रतिफल प्राप्त हो।
प्रश्न 35.
व्यष्टि (सूक्ष्म) अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिये।
अथवा
व्यष्टिपरक अथवा सूक्ष्म अर्थशास्त्र क्या है?
उत्तर:
यह वह शाखा है जिसमें अर्थव्यवस्था की वैयक्तिक या विशिष्ट इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 36.
समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थव्यवस्था के समग्र अथवा बड़े समूह के अध्ययन करने से होता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण तथा आदर्शक आर्थिक विश्लेषण के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण में हम अध्ययन करते हैं कि विभिन्न क्रियाविधियाँ कैसे कार्य करती हैं जबकि आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम अध्ययन करते हैं कि क्रियाविधियाँ अर्थव्यवस्था के अनुकूल भी हैं या नहीं।
प्रश्न 4.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग सम्बन्धी निर्णय किसके द्वारा लिए जाते हैं?
उत्तर:
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग सम्बन्धी निर्णय केन्द्रीय सत्ता अथवा सरकार द्वारा लिए जाते हैं।
प्रश्न 5.
बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग सम्बन्धी निर्णय किस प्रकार होता है?
उत्तर:
बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग सम्बन्धी निर्णय बाजार शक्तियों अर्थात् माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है।
प्रश्न 6.
व्यष्टि अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र: यह वह शाखा है, जिसमें वैयक्तिक या विशिष्ट इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। जैसे - कीमत विश्लेषण। समष्टि अर्थशास्त्र-इसका तात्पर्य अर्थव्यवस्था के समग्र अथवा बड़े समूह के अध्ययन करने से होता है। जैसे - राष्ट्रीय आय विश्लेषण।
प्रश्न 7.
वस्तु विशेष का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वस्तु विशेष से अभिप्राय भौतिक मूर्त वस्तुओं से है जिनका उपयोग लोगों की इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए किया जाता है।
प्रश्न 8.
उत्पादन संभावना वक्र का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र में व्यक्ति विशेष का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
व्यक्ति विशेष से अभिप्राय अपना निर्णय लेने में सक्षम इकाई से है। यह कोई एक अकेला व्यक्ति अथवा परिवार, समूह, फर्म अथवा अन्य कोई संगठन हो सकता है।
प्रश्न 10.
संसाधनों से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संसाधनों से हमारा अभिप्राय उन वस्तुओं तथा सेवाओं से है, जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने में होता है। जैसे - श्रम, भूमि, पूँजी, औजार एवं मशीनें आदि।
प्रश्न 11.
एक बुनकर के पास कपड़ा बुनने हेतु क्या-क्या संसाधन होते हैं?
उत्तर:
एक बुनकर के पास संसाधन के रूप में धागा, कपास, कपड़ा बुनने के काम आने वाले उपकरण तथा स्वयं का श्रम होता है।
प्रश्न 12.
समाज में संसाधनों का किसी भी रूप में विनिधान करने का क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
समाज में संसाधनों का किसी भी रूप में विनिधान करने के फलस्वरूप विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के विशिष्ट संयोजन का उत्पादन होता है।
प्रश्न 13.
अर्थव्यवस्था में चयन की समस्या कब उत्पन्न होती है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग के दौरान आवश्यकताएँ असीमित होने तथा उन्हें पूरा करने वाले संसाधनों की कमी के कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है।
प्रश्न 14.
अर्थशास्त्र क्या है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो विभिन्न प्रयोगों वाले सीमित संसाधनों तथा असीमित आवश्यकताओं से सम्बन्ध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।
प्रश्न 15.
"क्या उत्पादन किया जाए?" इस समस्या का क्या अर्थ है?
अथवा
किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में? की क्या समस्या है?
उत्तर:
इस समस्या से अभिप्राय यह निर्णय करना है कि अर्थव्यवस्था में सीमित संसाधनों से किन वस्तुओं का तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए?
प्रश्न 16.
"उत्पादन कैसे करें?" इस समस्या का क्या अर्थ है?
अथवा
वस्तुओं का उत्पादन कैसे करते हैं? की क्या समस्या है?
उत्तर:
इसमें उत्पादन तकनीक के सम्बन्ध में निर्णय किया जाता है। इसमें यह निर्णय करना होता है कि वस्तुओं का उत्पादन श्रम की सहायता से किया जाए अथवा मशीनों की सहायता से।
प्रश्न 17.
वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए? की क्या समस्या है?
उत्तर:
यह वितरण सम्बन्धी समस्या है, इस समस्या में यह निर्णय किया जाता है कि अर्थव्यवस्था में उत्पादित उत्पादन का वितरण विभिन्न लोगों में कैसे किया जाए?
प्रश्न 18.
संसाधनों के विनिधान से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संसाधनों के विनिधान से हमारा अभिप्राय यह है कि किस संसाधन की कितनी मात्रा का उपयोग मात्र प्रत्येक वस्तु तथा सेवा के उत्पादन के लिए ही किया जाता है।
प्रश्न 19.
अवसर लागत को परिभाषित कीजिये।
अथवा
अवसर लागत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
एक वस्तु की अतिरिक्त मात्रा प्राप्त करने हेतु अन्य वस्तु की जितनी मात्रा का त्याग करना पड़ता है, इसे पहली वस्तु की अवसर लागत कहते हैं।
प्रश्न 20.
चुनाव की समस्या क्या है?
अथवा
आर्थिक समस्याओं का अर्थ क्या है?
उत्तर:
कोई उपभोक्ता या उत्पादक अपने सीमित संसाधनों से अपनी असीमित आवश्यकताएँ कैसे पूरी करे, यही चयन की समस्या अथवा आर्थिक समस्या है।
प्रश्न 21.
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
वास्तविक अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वास्तविक अर्थशास्त्र अथवा सकारात्मक विश्लेषण में हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न क्रियाविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं।
प्रश्न 22.
उत्पादन संभावना वक्र क्या है?
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक़ वह वक्र है जो दिए हुए साधनों के अन्तर्गत दो वस्तुओं की अधिकतम उत्पादन मात्राओं की संभावनाओं को व्यक्त करता है।
प्रश्न 23.
आर्थिक समस्या क्या है? यह क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर:
आर्थिक समस्या: उपभोक्ता अथवा उत्पादक द्वारा सीमित साधनों से असीमित आवश्यकताओं को पूरा करना आर्थिक समस्या है।
आर्थिक समस्या के कारण:
प्रश्न 24.
व्यष्टि आर्थिक अध्ययन के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
प्रश्न 25.
कीमत तंत्र से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर:
कीमत तंत्र प्रणाली से अभिप्राय माँग एवं पूर्ति शक्तियों की उस प्रणाली से है, जो अर्थव्यवस्था में एक वस्तु की साम्य कीमत निर्धारित करती है।
प्रश्न 26.
आर्थिक नियोजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उपलब्ध साधनों तथा निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति को ध्यान में रखकर आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं।
प्रश्न 27.
आदर्शक अर्थशास्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
आदर्शक अर्थशास्त्र उस अर्थशास्त्र को कहा जाता है, जिसके अन्तर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि "क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए?"
प्रश्न 28.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था एवं बाजार अर्थव्यवस्था में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में लगभग सभी आर्थिक क्रियाकलाप सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा निर्धारित होते हैं जबकि बाजार अर्थव्यवस्था में ये सभी कार्य बाजार द्वारा निर्धारित होते हैं।
प्रश्न 29.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह अर्थव्यवस्था जिसमें विभिन्न आर्थिक क्रियाओं का निर्धारण सरकार एवं बाजार द्वारा सम्मिलित रूप से किया जाता है, मिश्रित अर्थव्यवस्था कहलाती है।
प्रश्न 30.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के कोई दो महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 31.
समष्टि अर्थशास्त्र के कोई दो महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 32.
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण का कोई एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
इससे हमें अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है तथा आर्थिक गतिविधियों का मूल्यांकन भी हो जाता है।
प्रश्न 33.
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण का कोई एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
इससे हम अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूलतम विधि का पता लगाकर अधिक से अधिक आर्थिक एवं सामाजिक विकास कर सकते हैं।
प्रश्न 34.
व्यष्टि अर्थशास्त्र में उपभोग के सिद्धान्त में किनका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
इसमें सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम, सम सीमान्त उपयोगिता नियम, उपभोक्ता की बचत, माँग का नियम, माँग की लोच आदि का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 35.
विनिमय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था में दो पक्षों के मध्य होने वाले वस्तुओं अथवा सेवाओं के ऐच्छिक एवं वैधानिक हस्तान्तरण को विनिमय कहा जाता है।
प्रश्न 36.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था क्या है तथा इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था वह है, जिसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण क्रियाकलाप सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा निर्धारित होते हैं। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण होता है।
प्रश्न 37.
उत्पादन संभावना सेट किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्पादन संभावना सेट: इसका तात्पर्य उपलब्ध संसाधनों की मात्रा तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकीय ज्ञान के द्वारा उत्पादित की जा सकने वाली सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के सभी संभावित संयोगों के समूह से है।
प्रश्न 38,
बाजार किसे कहते हैं?
उत्तर:
बाजार व्यवस्थाओं का एक ऐसा समुच्चय है जहाँ आर्थिक अभिकर्ता निर्बाध रूप से अपने धन अथवा उत्पादों का परस्पर आदान - प्रदान करते हैं।
प्रश्न 39.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का कोई एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत विभिन्न विशिष्ट इकाइयों जैसे एक व्यक्ति, एक फर्म, एक उद्योग आदि से सम्बन्धित व्यय, उपभोग, बचत, आय के स्रोतों आदि का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 40.
समष्टि अर्थशास्त्र का कोई एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था में सामान्य कीमत स्तर का अध्ययन किया जाता है। मुद्रास्फीति, मुद्रा संकुचन आदि सामान्य कीमत स्तर से सम्बन्धित हैं अतः इनका भी समष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 41.
सामान्यतः किसी अर्थव्यवस्था में किस समस्या का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की आवश्यकता असीमित होती है, वह जितनी वस्तुएँ एवं सेवाएँ उपभोग करना चाहता है उसमें से कुछ ही प्राप्त हो पाती हैं, इसी प्रकार उत्पादक भी संसाधनों की कमी के कारण कम ही उत्पादन कर पाता है। अतः उपभोक्ता एवं उत्पादकों के सम्मुख चयन की समस्या पाई जाती है।
प्रश्न 42.
एक व्यक्ति विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ क्यों करता है?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को जीवित रहने के लिए अनेक मूलभूत वस्तुओं एवं सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है, जैसे - भोजन, वस्त्र, आवास, परिवहन आदि। इन सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोग हेतु मूल्य चुकाने के लिए व्यक्ति को धन की आवश्यकता पड़ती है, जिसके अर्जन हेतु व्यक्ति आर्थिक क्रियाएँ करता है।
प्रश्न 43.
किन वस्तुओं का तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए सम्बन्धी समस्या को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस समस्या में अर्थव्यवस्था में यह निर्णय लेना पड़ता है कि किन - किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए? इसमें यह निर्णय किया जाता है कि उपभोग वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए तथा पूँजीगत वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए?
प्रश्न 44.
किन अर्थों में कैसे उत्पादन करें' समस्या एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या है?
अथवा
वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए? सम्बन्धी केन्द्रीय समस्या को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था में यह निर्णय किया जाता है कि विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन किस प्रकार अथवा किस तकनीक से किया जाए ताकि संसाधनों का पूर्ण सदुपयोग हो सके। इसमें यह निर्णय किया जाता है कि उत्पादन श्रम प्रधान तकनीक से किया जाए अथवा पूँजी प्रधान तकनीक से किया जाए।
प्रश्न 45.
'किसके लिए उत्पादन करें' की समस्या समझाइये।
अथवा
वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए? सम्बन्धी समस्या को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसमें यह निर्णय किया जाता है कि अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होगी अर्थात् इसमें उत्पादन का वितरण किया जाता है। इस समस्या में यह ध्यान रखा जाता है कि अर्थव्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को उसके न्यूनतम उपभोग की मात्रा अवश्य उपलब्ध हो।
प्रश्न 46.
अर्थव्यवस्था में दुर्लभ संसाधनों की समस्या को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
दुर्लभ संसाधनों की समस्या क्या है?
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था के संसाधन उस अर्थव्यवस्था में रहने वाले व्यक्तियों की सम्मिलित आवश्यकताओं की तुलना में सर्वदा सीमित होते हैं अर्थात् अर्थव्यवस्था में संसाधनों की माँग उनकी पूर्ति से सर्वदा अधिक होती है, जिससे अर्थव्यवस्था में दुर्लभ संसाधनों की समस्या उत्पन्न होती है।
प्रश्न 47.
उत्पादन संभावना वक्र की अवधारणा को रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र वह वक्र है जो दिए हुए साधनों के अन्तर्गत दो वस्तुओं की अधिकतम मात्राओं के उत्पादन की संभावनाओं को व्यक्त करता है। उत्पादन संभावना वक्र को प्रस्तुत चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है।
प्रश्न 48.
नियोजित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
अथवा
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था वह है, जिसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रियाओं का निर्धारण सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है। इस प्रकार भी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, विनिमय तथा उपयोग से सम्बद्ध सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा किए जाते हैं।
प्रश्न 49.
बाजार अर्थव्यवस्था से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के विपरीत बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है। दूसरे शब्दों में, बाजार अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन, उपभोग तथा वितरण सम्बन्धी गतिविधियों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है।
प्रश्न 50.
मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते।
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में कुछ आर्थिक क्रियाओं का निर्धारण सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है तथा कुछ आर्थिक क्रियाओं का निर्धारण बाजार की शक्तियों द्वारा होता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। उदाहरण के लिए, भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
प्रश्न 51.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसमें अर्थव्यवस्था की व्यक्तिगत इकाइयों एवं छोटे समूहों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है; जैसे - विशिष्ट फर्म, विशिष्ट उपभोक्ता, विशिष्ट वस्तु अथवा साधन की कीमत का अध्ययन आदि।
प्रश्न 52.
समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते।
अथवा
समग्र अर्थशास्त्र का अर्थ बताइए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह शाखा है, जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े समूहों अथवा औसतों का उत्पादन, समग्र मांग, समग्र पूर्ति, सामान्य कीमत स्तर, रोजगार स्तर आदि। समष्टि अर्थशास्त्र को योग सम्बन्धी अर्थशास्त्र भी कहा जाता है।
प्रश्न 53.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में उन समस्त सिद्धान्तों तथा नियमों का अध्ययन किया जाता है जो सीमान्त विश्लेषण अथवा वैयक्तिक इकाइयों पर आधारित होते हैं। व्यष्टि अर्थशास्त्र की विषय - वस्तु में निम्न शामिल हैं।
प्रश्न 54.
व्यष्टि अर्थशास्त्र की कोई तीन उपयोगिताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 55.
समष्टि अर्थशास्त्र के कोई तीन महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 56.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
इसमें सभी आर्थिक गतिविधियों का निर्धारण सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं का समाधान केन्द्रीय सत्ता अथवा सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थितियों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है।
प्रश्न 57.
बाजार अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाता
उत्तर:
इसमें उत्पादन, उपभोग तथा वितरण सम्बन्धी गतिविधियों का निर्धारण बाजार स्थितियों के आधार पर किया जाता है। इसमें अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं का समाधान कीमत तंत्र के आधार पर किया जाता है अर्थात् बाजार की माँग तथा पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है।
प्रश्न 58.
आर्थिक समस्याओं को समझने में व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र में जिन छोटी - छोटी इकाइयों का अध्ययन किया जाता है, वे सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को समझने तथा आर्थिक समस्याओं के समग्न अध्ययन में सहायक होती हैं क्योंकि छोटी - छोटी इकाइयों से मिलकर ही सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था बनती है।
प्रश्न 59.
अर्थशास्त्र से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर:
अर्थशास्त्र ज्ञान की वह शाखा है जिसमें विभिन्न सिद्धान्तों एवं नियमों का अध्ययन कर वैयक्तिक एवं सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की असीमित इच्छाओं को सीमित संसाधनों के कुशलतम उपयोग द्वारा अधिक से अधिक पूरा करने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न 60.
किसी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से हमें अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है, साथ ही विभिन्न आर्थिक गतिविधियों का मूल्यांकन भी होता है कि वे अर्थव्यवस्था में सही प्रकार से कार्य कर रही हैं अथवा नहीं।
प्रश्न 61.
किसी अर्थव्यवस्था में आदर्शक आर्थिक विश्लेषण के.महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि अर्थव्यवस्था की आर्थिक विधियाँ अर्थव्यवस्था के अनुकूल भी हैं या नहीं। इस विश्लेषण से हम अनुकूलतम विधि का पता लगाकर अधिक से अधिक आर्थिक एवं सामाजिक विकास करने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न 62.
"सकारात्मक तथा आदर्शक आर्थिक विश्लेषण एक-दूसरे पर निर्भर हैं।" इस कथन को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सकारात्मक तथा आदर्शक विश्लेषण एकदूसरे से अत्यन्त निकटता से सम्बन्धित हैं तथा इनमें से किसी एक की पूर्णतः उपेक्षा करके अथवा अलग करके दूसरे को ठीक से समझ पाना संभव नहीं होता है। सकारात्मक विश्लेषण में कार्यविधियों का मूल्यांकन आदर्शक मापदण्डों के आधार पर ही किया जा सकता है।
प्रश्न 63.
अर्थशास्त्र में साम्य अथवा संतुलन के अर्थ को समझाइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र में साम्य का विचार 'अधिकतम करने के विचार' से सम्बन्धित है। अर्थशास्त्र में प्रत्येक आर्थिक इकाई साम्य की स्थिति में तब होती है जब उसमें परिवर्तन की प्रकृति न हो अर्थात् वह दी हुई परिस्थितियों में अधिकतम की स्थिति में हो। अर्थशास्त्र में साम्य का अर्थ सक्रिय साम्य की स्थिति से लगाया जाता है।
प्रश्न 64.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों का निर्धारण सरकार तथा बाजार दोनों द्वारा सम्मिलित रूप से किया जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है किन्तु अधिकांश गतिविधियों के निर्धारण का आधार कीमत तंत्र ही होता है।
प्रश्न 65.
अर्थशास्त्र में वितरण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में उत्पादन कार्य उत्पादन के विभिन्न साधनों के सहयोग से होता है और इनके सहयोग से जो उत्पादन किया जाता है वह पुनः इन्हीं साधनों में बाँटा जाता है, यही वितरण कहलाता है। अतः उत्पादन के विभिन्न साधनों के प्रतिफलों के निर्धारणों का अध्ययन वितरण के अन्तर्गत ही किया जाता है।
प्रश्न 66.
व्यष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन किए जाने वाले किसी एक सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वस्तु कीमत सिद्धान्त-बाजार व्यवस्थाओं में फर्मों द्वारा वस्तुओं के मूल्य निर्धारण तथा लाभों को अधिकतम करने के सिद्धान्तों का अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र में सम्मिलित होता है; जैसे - पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार तथा अपूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की कीमत का निर्धारण।
प्रश्न 67.
केन्द्रीय समस्याओं की उत्पत्ति के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 68.
संसाधन तथा संसाधनों के विनिधान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संसाधन वे वस्तुएँ तथा सेवाएँ हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है। अर्थव्यवस्था में किस संसाधन का उपयोग किस वस्तु अथवा सेवा के उत्पादन में तथा कितनी मात्रा में करना है, यह निश्चित करना ही संसाधनों का विनिधान कहलाता है।
प्रश्न 69.
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 70.
उत्पादक तथा उपभोक्ता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्पादक वह व्यक्ति अथवा संस्था होती है जो अर्थव्यवस्था में अन्य संसाधनों के सहयोग से वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करती है जबकि उपभोक्ता वह व्यक्ति अथवा संस्था होती है जो अपनी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने हेतु बाजार से वस्तुएँ एवं सेवाएँ खरीदकर उनका उपयोग करती है।
प्रश्न 71.
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर:
प्रश्न 72.
उत्पादन संभावना वक्र के ऊपर की ओर खिसकने के क्या कारण होते हैं? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट करें।
उत्तर:
यदि उत्पादन साधनों की मात्रा में वृद्धि कर दी जाए तो उत्पादन संभावना वक्र ऊपर की ओर खिसक जाता है, इसके अतिरिक्त कुशल तकनीक के प्रयोग के फलस्वरूप भी उत्पादन संभावना वक्र ऊपर की ओर खिसक सकता है। इसे निम्न रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जा सकता हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र से आपका क्या अभिप्राय है? एक अर्थव्यवस्था के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र: व्यवहार में यह देखा जाता है कि मनुष्य को जीवन यापन हेतु अनेक वस्तुओं एवं सेवाओं की आवश्यकता होती है तथा वह अधिक से अधिक वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त करना चाहता है किन्तु संसाधन सीमित होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाता, इस समस्या के समाधान हेतु अर्थशास्त्र की सहायता ली जाती है। अर्थशास्त्र ज्ञान की वह शाखा है, जिसमें विभिन्न सिद्धान्तों एवं नियमों का अध्ययन कर वैयक्तिक एवं सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की असीमित इच्छाओं को सीमित संसाधनों के कुशलतम उपयोग द्वारा अधिक से अधिक पूरा करने का प्रयास किया जाता है।
अर्थव्यवस्था के प्रमुख कार्य:
एक अर्थव्यवस्था के कार्य क्षेत्र में निम्न प्रमुख क्रियाओं को शामिल किया जाता है।
(1) उपभोग: इस भाग में मानवीय आवश्यकताओं तथा उनकी संतुष्टि हेतु अन्तिम उपभोग से सम्बन्धित क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति द्वारा उपयोगिता का नष्ट होना ही उपभोग कहलाता है।
(2) उत्पादन: अर्थशास्त्र में उपयोगिता का सृजन करना उत्पादन कहलाता है। इस विभाग में उत्पादन के विभिन्न साधनों (भूमि, श्रम, पूँजी, साहस, संगठन आदि), इनकी विशेषताओं, समस्याओं, उत्पत्ति के नियमों, उत्पत्ति के पैमाने, श्रम विभाजन आदि का अध्ययन किया जाता
(3) विनिमय: सामान्यतः कम आवश्यक वस्तुओं के बदले अधिक आवश्यक वस्तुओं के आदान - प्रदान को विनिमय कहते हैं। विनिमय में वस्तुओं के मूल्य निर्धारण, मुद्रा, बैंकिंग, बीमा तथा व्यापार सम्बन्धित समस्त क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
(4) वितरण: अर्थव्यवस्था में उत्पादन कार्य उत्पादन के विभिन्न साधनों के सहयोग से होता है और इनके सहयोग से जो उत्पादन होता है, उसका पुनः इन्हीं साधनों में वितरण होता है। इस विभाग में इस बात का अध्ययन किया जाता है कि राष्ट्रीय आय क्या है? इसकी गणना किस प्रकार की जाती है? इसका वितरण उत्पादन के विभिन्न साधनों में किस प्रकार किया जाता है? उत्पादन के विभिन्न साधनों के प्रतिफल के निर्धारणों का अध्ययन भी इसी विभाग में किया जाता है। वितरण में लागत, ब्याज, मजदूरी, लाभ का अध्ययन किया जाता है।
(5) राजस्व: अर्थव्यवस्था के इस विभाग में करों, सार्वजनिक ऋणों तथा सार्वजनिक व्यय से सम्बन्धित नियमों तथा सिद्धान्तों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 2.
अर्थशास्त्र का अर्थ बताते हुए अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र: अर्थशास्त्र ज्ञान की वह शाखा है, जिसके विभिन्न सिद्धान्तों एवं नियमों की सहायता से वैयक्तिक एवं सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की असीमित आवश्यकताओं को सीमित संसाधनों के कुशलतम उपयोग द्वारा अधिक से अधिक पूरा करने का प्रयास किया जाता है। अर्थशास्त्र वह विषय है जिसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था की प्रमुख समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाता है।
अर्थशास्त्र की विषय वस्तु अर्थशास्त्र की विषय:
सामग्री में भी सभ्यता के विकास के साथ - साथ परिवर्तन हुए हैं तथा अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री निरन्तर व्यापक होती जा रही है। अर्थशास्त्र की विषय: सामग्री इतनी व्यापक हो गई है कि उसके वैज्ञानिक अध्ययन के लिए अर्थशास्त्र को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा जाता है।
(1) उपभोग
(2) उत्पादन
(3) विनिमय
(4) वितरण तथा
(5) राजस्व।
वर्तमान में आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र की विषय: सामग्री को नए तरीके से प्रस्तुत किया है। आधुनिक अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्र की विषय: सामग्री को दो भागों में विभाजित करते है।
(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र: व्यष्टि अर्थशास्त्र में उपभोक्ता, फर्म व व्यक्तिगत उद्योगों जैसी वैयक्तिगत एवं सूक्ष्म आर्थिक इकाइयों के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। अतः व्यष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था के छोटे समूहों अथवा वैयक्तिक इकाइयों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध वस्तुओं तथा साधनों की कीमतों के निर्धारण एवं साधनों के आवंटन से है। इसके अन्तर्गत उपभोग के सिद्धान्त, उत्पादन के सिद्धान्त, वस्तु कीमत सिद्धान्त, साधन कीमत सिद्धान्त आदि का अध्ययन किया जाता है।
(2) समष्टि अर्थशास्त्र: समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की एक प्रमुख शाखा है। समष्टि का तात्पर्य सम्पूर्ण, समग्र या कुल से लगाया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है अत: समष्टि अर्थशास्त्र को योग सम्बन्धी अर्थशास्त्र भी कहा जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था सम्बन्धी सम्पूर्ण समूहों जैसे - राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पाद, समग्र माँग, समग्र पूर्ति, सामान्य कीमत स्तर, रोजगार स्तर, आर्थिक नियोजन आदि का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था सम्बन्धी निर्णय लिए जाते हैं।
प्रश्न 3.
"प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सीमित संसाधनों का उत्कृष्ट प्रयोग करना पड़ता है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसाधनों से हमारा अभिप्राय उन वस्तुओं तथा सेवाओं से है, जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने में होता है; जैसे - भूमि, पूँजी, श्रम, मशीनें तथा औजार इत्यादि। एक कृषक परिवार के पास भूमि का टुकड़ा, थोड़ा अनाज, कृषि के उपकरण, एक जोड़ी बैल तथा परिवार के सदस्यों की श्रम सेवा आदि संसाधन होते हैं। एक बुनकर के पास धागा, कुछ कपास तथा कपड़ा बुनने के काम में आने वाले उपकरण आदि संसाधन हो सकते हैं। स्थानीय विद्यालय की अध्यापिका के पास छात्रों को शिक्षित करने के लिए आवश्यक कौशल होता है।
यह भी हो सकता है कि समाज के कुछ अन्य व्यक्तियों के पास उनके अपने श्रम के सिवाय और कोई भी संसाधन न हो। इनमें से हर निर्णायक इकाई अपने पास उपलब्ध संसाधनों को उपयोग में लाकर कुछ वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन कर सकती है तथा अपने उत्पाद के एक अंश का प्रयोग अनेक ऐसी अन्य वस्तुओं व सेवाओं को प्राप्त करने के लिए कर सकती है, जिनकी उसे आवश्यकता है।
उदाहरण के लिए, कृषक परिवार अनाज के उत्पादन के बाद उसके एक अंश का उपयोग उपभोग के लिए कर सकता है तथा बाकी के उत्पाद का विनिमय करके वस्त्र, आवास व विभिन्न सेवाएँ प्राप्त कर सकता है। इसी प्रकार, बुनकर सूत - धागे से जो वस्त्र बनाता है उनका विनिमय करके आवश्यकतानुसार वस्तुएँ तथा सेवाएँ प्राप्त कर सकता है। मजदूर भी किसी अन्य व्यक्ति के लिए कार्य करके जो कुछ धन कमाता है उससे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इस प्रकार, हर व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कर सकता है।
सामान्यतः सब लोग मानते हैं कि व्यक्ति की आवश्यकताएँ जितनी अधिक होती हैं, उनकी पूर्ति के लिए उसके पास असीमित संसाधन नहीं होते। यहाँ कृषक परिवार जितना अनाज पैदा कर सकता है, उसकी मात्रा उसे प्राप्त संसाधनों की मात्रा द्वारा नियंत्रित होती है। इस कारण इस अनाज के बदले में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की जो मात्रा कृषक प्राप्त करता है, वह भी सीमित होती है। इसके परिणामस्वरूप, वह परिवार अपने लिए उपलब्ध वस्तुओं और सेवाओं में से कुछ का चयन करने के लिए बाध्य हो जाता है।
वह अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं का त्याग करके ही वाँछित वस्तुएँ तथा सेवाएँ अधिक मात्रा में प्राप्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक परिवार बड़ा घर लेना चाहता है, तो उसे कुछ और एकड़ खेती योग्य जमीन खरीदने का अपना विचार त्याग देना होगा। यदि उसे बच्चों के लिए उत्तम शिक्षा चाहिए तो उसे जीवन की कुछ विलासिताओं को त्यागना पड़ सकता है। समाज के अन्य व्यक्तियों के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है। अतः सभी को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है और इसलिए प्रत्येक को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सीमित संसाधनों का उत्कृष्ट प्रयोग करना पड़ता है।
प्रश्न 4.
"किसी भी अर्थव्यवस्था में लोगों की सामूहिक आवश्यकताओं तथा उनके द्वारा किये गये उत्पादन के बीच ससंगतता होनी चाहिए।" इसका प्रमुख कारण क्या है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः समाज का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में संलग्न रहता है तथा उसे ऐसी कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं से संयोजन की आवश्यकता होती है, जिनमें से सभी उसके द्वारा उत्पादित नहीं होती। यह कहना अनावश्यक होगा कि किसी भी अर्थव्यवस्था में लोगों की सामूहिक आवश्यकताओं तथा उनके द्वारा किये गये उत्पादन के बीच सुसंगतता होनी चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, कृषक परिवार तथा अन्य कृषि इकाइयों द्वारा पैदा किए गये अनाज की मात्रा इतनी अवश्य होनी चाहिए कि वह समाज के सदस्यों के सामूहिक उपभोग के लिए आवश्यक मात्रा के बराबर ह यदि समाज के लोगों को अनाज की उतनी मात्रा की आवश्यकता नहीं है, जितना कृषक इकाइयाँ सामूहिक रूप से पैदा कर रही हैं, तो इन इकाइयों के पास उपलब्ध संसाधनों का उन वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जा सकता है, जिनकी माँग बहुत अधिक हो।
इसके विपरीत, यदि समाज में लोगों की अनाज की आवश्यकता कृषक इकाइयों द्वारा सम्मिलित रूप से उपजाए जाने वाले अनाज की मात्रा की तुलना में अधिक है, तो दूसरी वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए उपयोग में लाए जा रहे संसाधनों का पुनः विनिधान अनाज के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यही स्थिति अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के विषय में है।
जिस प्रकार व्यक्ति के पास संसाधनों की कमी होती है, उसी प्रकार समाज के लोगों की सामूहिक आवश्यकताओं की तुलना में भी समाज के पास उपलब्ध संसाधनों की कमी होती है।
समाज के लोगों की पसंद और नापसंद को ध्यान में रखते हुए समाज के पास उपलब्ध सीमित संसाधनों का विनिधान विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए करना पड़ेगा। समाज के संसाधनों का किसी भी रूप में विनिधान करने के फलस्वरूप विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के विशिष्ट संयोजन का उत्पादन होता है। इस प्रकार उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं को समाज के व्यक्तियों के बीच वितरित करना होगा। समाज के सामने सीमित संसाधनों का विनिधान तथा वस्तुओं और सेवाओं के अंतिम मिश्रण का वितरण - ये दो ऐसी मूल आर्थिक समस्याएँ हैं, जिनका समाज सामना करता है। उत्पादन तथा उपभोग में सुसंगतता द्वारा इन आर्थिक समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न 5.
सीमान्त उत्पादन संभावना को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उदाहरण की सहायता से सीमान्त उत्पादन संभावना वक्र को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उत्पादन संभावना वक्र की सहायता से 'क्या उत्पादित करें' समस्या को समझाइए।
उत्तर:
सीमान्त उत्पादन संभावना जिस प्रकार व्यक्तियों के पास संसाधनों का अभाव होता है, उसी प्रकार अर्थव्यवस्था के संसाधन भी उस अर्थव्यवस्था में रहने वाले व्यक्तियों की सम्मिलित आवश्यकताओं की तुलना में सीमित होते हैं। दुर्लभ संसाधनों के वैकल्पिक उपयोग होते हैं तथा प्रत्येक समाज को यह निर्णय करना पड़ता है कि वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए प्रत्येक संसाधन का कितनी मात्रा में उपयोग किया जाना है? अर्थव्यवस्था के दुर्लभ संसाधनों के विनिधान से विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के विशिष्ट संयोग उत्पन्न होते हैं।
उपलब्ध संसाधनों की कुल मात्रा के परिप्रेक्ष्य में उन संसाधनों का विभिन्न रूपों में विनिधान संभव है और उससे सभी संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं के विभिन्न मिश्रणों को प्राप्त किया जा सकता है। उपलब्ध संसाधनों की मात्रा तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकीय ज्ञान के द्वारा उत्पादित की जा सकने वाली सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के सभी संभावित संयोगों के समूह को अर्थव्यवस्था का उत्पादन संभावना सेट कहते हैं। उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण एक ऐसी अर्थव्यवस्था को लेंगे, जो अपने संसाधनों का उपयोग करके अनाज या कपास का उत्पादन कर सकती है। तालिका में अनाज तथा कपास के उन कुछ संयोग को दर्शाया गया है, जिनका उत्पादन उस अर्थव्यवस्था में संभव
तालिका : उत्पादन संभावनाएँ संभावनाएँ
संभावनाएँ |
अनाज |
कपास |
A |
0 |
10 |
B |
1 |
9 |
C |
2 |
7 |
D |
3 |
4 |
E |
4 |
0 |
सभी संसाधनों का उपयोग अनाज के ही उत्पादन पर किये जाने पर अनाज की अधिकतम संभावित उत्पादित मात्रा 4 इकाइयाँ हैं और कपास की अधिकतम संभावित उत्पादित मात्रा 10 इकाइयाँ हो सकती हैं। इसी प्रकार अर्थव्यवस्था में अनाज की 1 इकाई तथा कपास की १ इकाइयाँ अथवा अनाज की 2 इकाइयाँ तथा कपास की 7 इकाइयाँ अथवा अनाज की 3 इकाइयाँ और कपास की 4 इकाइयाँ उत्पादित की जा सकती हैं। इस प्रकार बहुतसी संभावनाएं हो सकती हैं। रेखाचित्र में अर्थव्यवस्था की
उत्पादन संभावनाएँ दर्शायी गई हैं। वक्र पर अथवा उसके नीचे स्थित कोई भी बिन्दु अनाज तथा कपास के उस संयोग को दर्शाती है, जिसका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों द्वारा संभव है। यह वक्र कपास की किसी निश्चित मात्रा के बदले अनाज की अधिकतम संभावित उत्पादित मात्रा तथा अनाज के बदले कपास की मात्रा दर्शाता है। इस वक्र को सीमांत उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं।
सीमांत उत्पादन संभावना वक्र अनाज तथा कपास के उन संयोगों को दर्शाता है, जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्णरूप से उपयोग करने पर किया जाता है। सीमांत उत्पादन संभावना वक्र के नीचे स्थित कोई भी बिन्दु अनाज तथा कपास का वह संयोग दर्शाता है, जो तब उत्पादित होगा जब सभी अथवा कुछ संसाधनों का उपयोग या तो पूरी तरह न किया गया हो अथवा उनका अपव्यय करते हुए किया गया हो। यदि दुर्लभ संसाधनों में से अधिक संसाधनों का उपयोग अनाज के लिए किया जाएगा तो कपास के उत्पादन के लिए कम संसाधन उपलब्ध होंगे। इसी तरह, कपास को अपनाने पर अनाज के लिए कम साधन मिलेंगे। अतः यदि हम किसी एक वस्तु की अधिक मात्रा प्राप्त करना चाहते हैं, तो अन्य वस्तुओं की कम मात्रा प्राप्त की जा सकेगी।
प्रश्न 6.
अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्वरूपों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के स्वरूप
अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्वरूपों को निम्न तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(1) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सरकार या केन्द्रीय सत्ता अर्थव्यवस्था के सभी महत्त्वपूर्ण क्रियाकलापों की योजना बनाती है। इस अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, विनिमय तथा उपभोग से संबद्ध सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा किये जाते हैं। इसमें सरकार केन्द्रीय सत्ता संसाधनों का विशेष रूप से विनिधान करके वस्तुओं एवं सेवाओं का अंतिम संयोग प्राप्त करने का प्रयास कर सकती है, जो पूरे समाज के लिए वांछनीय है।
उदाहरण के लिए, यदि यह पाया जाता है कि कोई ऐसी वस्तु अथवा सेवा जो पूरी अर्थव्यवस्था की सुख - समृद्धि के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, जैसे - शिक्षा या स्वास्थ्य सेवाएं, जिनका व्यक्तियों द्वारा स्वयं पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं किया जा सकता है, तो सरकार उन्हें ऐसी वस्तुओं तथा सेवाओं का उपयुक्त मात्रा में उत्पादन करने के लिए प्रेरित कर सकती है या फिर सरकार स्वयं ऐसी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने का निर्णय कर सकती है। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में सरकार का मुख्य उद्देश्य समाज कल्याण है।
(2) बाजार अर्थव्यवस्था: अर्थशास्त्र के अनुसार, बाजार एक ऐसी संस्था है जो अपने आर्थिक क्रियाकलापों का अनुसरण करने वाले व्यक्तियों को निर्बाध अंत:क्रिया प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, बाजार व्यवस्थाओं का ऐसा समुच्चय है जहाँ आर्थिक अभिकर्ता मुक्त रूप से अपने धन अथवा अपने उत्पादों का परस्पर निर्बाध आदान - प्रदान कर सकते हैं। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के विपरीत बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार किया जाता है।
बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन, उपभोग तथा वितरण का निर्धारण बाजार की माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित कीमत तंत्र के द्वारा होता है। कीमत तंत्र अथवा कीमत प्रणाली बाजार अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है, इसके आधार पर बाजार अर्थव्यवस्था के कई निर्णय लिए जाते हैं।
(3) मिश्रित अर्थव्यवस्था: मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था होती है, जिसमें केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था का मिश्रण पाया जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था वह होती है जिसमें महत्त्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा लिए जाते हैं तथा अधिकांश आर्थिक क्रियाकलाप प्राय: बाजार द्वारा किए जाते हैं। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर सरकार तथा निजी क्षेत्र दोनों का अधिकार होता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के विकास के साथसाथ सरकार की भूमिका कम होती जाती है।
प्रश्न 7.
एक अर्थव्यवस्था की प्रमुख केन्द्रीय समस्याओं एवं उनके समाधान को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं का विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में किस प्रकार समाधान किया जाता है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था की विभिन्न केन्द्रीय समस्याओं का समाधान विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में भिन्न-भिन्न तरीकों से किया जाता है, उसका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार है।
(1) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में: अर्थव्यवस्था की सबसे प्रमुख केन्द्रीय समस्या यह निर्णय लेना होता है कि एक अर्थव्यवस्था में किन-किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी-कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए? इस समस्या का समाधान भिन्न-भिन्न अर्थव्यवस्थाओं में भिन्नभिन्न तरीकों से किया जाता है। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में क्या उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए इसका निर्धारण सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है।
सरकार प्राय: जनता की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेती है। बाजार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत प्रायः इस समस्या का समाधान कीमत तंत्र अथवा कीमत प्रणाली द्वारा होता है। प्राय: उत्पादक उस वस्तु या सेवा का उत्पादन करते हैं जिसकी माँग अधिक होती है क्योंकि माँग अधिक होने के कारण उस वस्तु की कीमत भी अधिक होती है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में इस समस्या का समाधान सरकार तथा बाजार स्थितियों दोनों के आधार पर होता है। इस अर्थव्यवस्था में इस सम्बन्ध में निर्णय प्राय: सरकार द्वारा लिए जाते हैं तथा उन निर्णयों का क्रियान्वयन प्रायः बाजार द्वारा किया जाता है।
(2) वस्तुओं का उत्पादन कैसे करते हैं?: एक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन कैसे किया जाए? यह दूसरी महत्त्वपूर्ण समस्या है। इसमें यह निर्धारित किया जाता है कि उत्पादन में किन-किन संसाधनों का उपयोग किया जाता है तथा किस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में इस बात का निर्धारण सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा किया जाता है। प्राय: यह निर्णय सरकार अर्थव्यवस्था की स्थिति के अनुसार लेती है। बाजार अर्थव्यवस्थाओं में इस समस्या का समाधान संसाधनों की कीमतों के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में प्रायः उत्पादक उन तकनीकों का प्रयोग करते हैं जिससे उत्पादन की लागत कम से कम आए। मिश्रित अर्थव्यवस्था में इस सम्बन्ध में निर्णय प्राय: सरकार द्वारा किया जाता है तथा इन निर्णयों का क्रियान्वयन बाजार द्वारा किया जाता है।
(3) वस्तुओं का उत्पादन किसके द्वारा किया जाए?: इसमें यह निर्णय लिया जाता है कि अर्थव्यवस्था के उत्पाद को विभिन्न संसाधनों में किस प्रकार वितरित किया जाता है। केन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था में इस समस्या का समाधान केन्द्रीय सत्ता अथवा सरकार द्वारा किया जाता है, सरकार ही यह निर्धारित करती है कि कुल उत्पाद का कितना हिस्सा उत्पादन के किस संसाधन को मिलेगा? बाजार अर्थव्यवस्था में इस समस्या का समाधान कीमत तंत्र अथवा कीमत प्रणाली द्वारा होता है। बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों की माँग एवं पूर्ति के आधार पर उनकी कीमत निर्धारित होती है तथा उसी कीमत के आधार पर संसाधनों को कुल उत्पाद में से उनका हिस्सा मिलता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में इस संबंध में निर्णय प्रायः केन्द्रीय सत्ता अथवा सरकार द्वारा लिए जाते हैं तथा उनका क्रियान्वयन प्रायः बाजार द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 8.
बाजार अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? बाजार अर्थव्यवस्था में कीमत तंत्र अथवा कीमत प्रणाली की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाजार अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाकलापों का निर्धारण बाजार की स्थितियों के अनुसार होता है। अर्थशास्त्र के अनुसार, बाजार एक ऐसी संस्था है जो अपने आर्थिक क्रियाकलापों का अनुसरण करने वाले व्यक्तियों को निर्बाध अंत:क्रिया प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, बाजार व्यवस्थाओं का ऐसा समुच्चय है जहाँ आर्थिक अभिकर्ता मुक्त रूप से अपने धन अथवा अपने उत्पादों का परस्पर निर्बाध आदान-प्रदान कर सकते हैं। बाजार में वस्तुओं को खरीदने तथा उनके विक्रय के लिए व्यक्ति एक - दूसरे से किसी वास्तविक भौतिक स्थल पर मिल भी सकते हैं अथवा नहीं भी।
क्रेताओं तथा विक्रेताओं के बीच क्रियाकलाप विभिन्न परिस्थितियों में संभव है, जैसे - गाँव के चौक पर या शहर के सुपर बाजार में अथवा वैकल्पिक रूप से क्रेता और विक्रेता टेलीफोन अथवा इंटरनेट द्वारा भी वस्तुओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं। किसी भी तंत्र के सुचारु रूप से संचालन के लिए यह अनिवार्य है कि उस तंत्र के विभिन्न घटकों के कार्यों में समन्वय हो अन्यथा अव्यवस्था हो सकती है। बाजार में अनेक शक्तियाँ हैं जो बाजार तंत्र में करोड़ों अलगअलग व्यक्तियों की क्रियाओं में समन्वय स्थापित करती हैं। बाजार व्यवस्था में प्रत्येक वस्तु तथा सेवा की एक तय कीमत होती है, जिस पर क्रेता एवं विक्रेता में सहमति होती है।
क्रेताओं तथा विक्रेताओं का परस्पर इसी कीमत पर विनिमय होता है। सामान्यतः समाज किसी वस्तु अथवा सेवा का जैसा मूल्यांकन करता है, कीमत उसी मूल्यांकन पर निर्धारित होती है। यदि क्रेता किसी वस्तु की अधिक मात्रा की मांग करते हैं, तो उस वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जायेगी। यह उस वस्तु के उत्पादकों के लिए एक संकेत होगा कि वे उस वस्तु की जिस मात्रा का उत्पादन कर रहे हैं, समाज को उसकी अधिक मात्रा की आवश्यकता है। इस पर उत्पादक उस वस्तु का उत्पादन बढ़ा सकते इस प्रकार, वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें बाजार में सभी व्यक्तियों को महत्त्वपूर्ण संकेत प्रदान करती हैं, जिससे बाजार तंत्र में समन्वय स्थापित होता है।
अतः बाजार तंत्र में उन केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किस वस्तु का और किस मात्रा में उत्पादन किया जाना है, कीमत के इन्हीं संकेतों के द्वारा हुए आर्थिक क्रियाकलापों के समन्वय से होता है। इससे स्पष्ट है कि बाजार अर्थव्यवस्था में कीमत तंत्र अथवा कीमत प्रणाली की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसी अर्थव्यवस्था में अधिकांश निर्णय कीमत तंत्र के आधार पर ही लिए जाते हैं।
प्रश्न 9.
किसी अर्थव्यवस्था में विभिन्न कार्यविधियों का मूल्यांकन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं को सुलझाने के लिए एक से अधिक विधियाँ होती हैं। ये भिन्न-भिन्न क्रियाविधियाँ सामान्यतः इन समस्याओं के लिए भिन्न समाधान प्रस्तुत कर सकती हैं, जिसके कारण अर्थव्यवस्था में संसाधनों के विनिधानों में अंतर हो सकता है और उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के अन्तिम मिश्रण के विनिधान में भी अंतर हो सकता है। इस कारण यह समझना अत्यन्त आवश्यक है कि इन वैकल्पिक क्रियाविधियों में से कौन - सी क्रियाविधि किस अर्थव्यवस्था की दृष्टि से सामान्यतः अधिक अच्छी रहेगी? अर्थशास्त्र में हम विभिन्न क्रियाविधियों का विश्लेषण करते हैं तथा इनमें से प्रत्येक क्रियाविधि के उपयोग से होने वाले संभावित परिणामों का विश्लेषण करने का प्रयत्न करते हैं।
हम इन क्रियाविधियों का मूल्यांकन करने के लिए यह अध्ययन भी करते हैं कि उनसे होने वाले परिणाम कितने अनुकूल होंगे? किसी अर्थव्यवस्था में विभिन्न कार्यविधियों का मूल्यांकन सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण तथा आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से किया जा सकता है। सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण तथा आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में इस आधार पर अंतर किया जाता है कि क्या हम किसी क्रियाविधि के अंतर्गत होने वाले कार्यों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं अथवा उसका मूल्यांकन करने का।
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अंतर्गत, हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न क्रियाविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं, जबकि आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि ये विधियाँ अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल हैं भी या नहीं। तथापि, सकारात्मक तथा आदर्शक आर्थिक विश्लेषण के मध्य यह अंतर पूर्णतः स्पष्ट नहीं है। सकारात्मक तथा आदर्शक विश्लेषण केन्द्रीय आर्थिक समस्याओं के अध्ययन में निहित वे सकारात्मक और आदर्शक पहलू या प्रश्न हैं, जो एक - दूसरे से अत्यंत निकटता से संबंधित हैं तथा इनमें से किसी एक की पूर्णत: उपेक्षा करके अथवा अलग करके दूसरे को ठीक से समझ पाना संभव नहीं होता।
प्रश्न 10.
सूक्ष्म (व्यष्टि) अर्थशास्त्र के उपयोग एवं सीमाओं को बताइए।
अथवा
व्यष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ बताते हुए व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यष्टि अर्थशास्त्र: व्यष्टि अर्थशास्त्र का तात्पर्य अर्थशास्त्र की उस शाखा से है जिसमें अर्थव्यवस्था के छोटे - छोटे अंगों अथवा इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। इसमें वैयक्तिक या विशिष्ट इकाइयों का अध्ययन किया जाता है।
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) कुल उत्पादन की संरचना का ज्ञान-व्यष्टि अर्थशास्त्र देश के कुल उत्पादन पर ध्यान नहीं देता है बल्कि कुल उत्पादन की संरचना का तथा विभिन्न प्रयोगों में साधनों के वितरण का अध्ययन करता है।
(2) कीमतों के सापेक्षिक ढाँचे का अध्ययनव्यष्टि अर्थशास्त्र में किसी विशिष्ट वस्तु की कीमत का निर्धारण उस वस्तु की मांग एवं पूर्ति के माध्यम से किया जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र में सामान्य मूल्य स्तर का नहीं बल्कि कीमतों के सापेक्षिक ढाँचे का अध्ययन किया जाता
(3) विश्लेषणात्मक अध्ययन: व्यष्टि अर्थशास्त्र के अन्तर्गत विभिन्न विशिष्ट इकाइयों जैसे एक व्यक्ति, एक परिवार, एक फर्म, एक उद्योग आदि से सम्बन्धित व्यय, उपभोग, बचत, आय के स्त्रोतों आदि का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है।
(4) आर्थिक समस्याओं के निर्णय में सहायकव्यष्टि अर्थशास्त्र विभिन्न विशिष्ट इकाइयों की आर्थिक समस्याओं के निर्णय में सहायक होता है। स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था में सभी निर्णय कीमत तंत्र के आधार पर लिए जाते हैं।
(5) आर्थिक कल्याण की दशाओं की जाँच में सहायक: आर्थिक कल्याण उस समय अनुकूलतम होता है जब वस्तु व साधन बाजारों में पूर्ण प्रतियोगिता हो, किन्तु व्यवहार में अपूर्ण प्रतियोगिता के कारण साधनों का आवंटन अनुकूलतम नहीं होता। इससे साधनों का अपव्यय होता है तथा प्राप्त उत्पादन भी अनुकूलतम से कम होता है। व्यष्टि विश्लेषण आर्थिक कल्याण को अधिकतम करने तथा अपव्यय को दूर करने का सुझाव देता है।
(6) आर्थिक नीति निर्धारण में सहायक: व्यष्टि विश्लेषण समाज के व्यापक हित में सरकारी आर्थिक नीतियों के निर्धारण, विश्लेषण व मूल्यांकन में भी उपयोगी।
व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ:
प्रश्न 11.
समष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की उपयोगिता एवं सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र: समष्टि अर्थशास्त्र या समष्टि आर्थिक विश्लेषण अर्थशास्त्र की वह शाखा है जिसमें सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्ध रखने वाली इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में कुल उत्पादन, कुल आय, कुल विनियोग, रोजगार आदि का अध्ययन किया जाता है।
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ:
प्रश्न 12.
बाजार अर्थव्यवस्था एवं नियोजित अर्थव्यवस्था में भेद कीजिए।
अथवा
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था एवं बाजार अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था एवं बाजार अर्थव्यवस्था में निम्न आधार पर अन्तर किया जा सकता हैं।
(1) अर्थ - केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था उस अर्थव्यवस्था को कहते हैं जिसमें अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्रियाकलाप सरकार अथवा केन्द्रीय सत्ता द्वारा निर्धारित होते हैं जबकि बाजार अर्थव्यवस्था उस अर्थव्यवस्था को कहा जाता है जिसमें अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्रियाकलाप का नार स्थितियों द्वारा निर्धारित होते हैं।
(2) उद्देश्य: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य समाज कल्याण होता है जबकि बाजार अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना होता है। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में सरकार को बिना लाभ उद्देश्य के भी कई कार्य करने पड़ते हैं जैसे - स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, सड़कों आदि पर व्यय करमा। जबकि बाजार अर्थव्यवस्था में बिना लाभ के मदों पर व्यय नहीं किया जाता है।
(3) कीमत निर्धारण: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में कीमत का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है जबकि बाजार अर्थव्यवस्था में कीमतों का निर्धारण बाजार की माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है।
(4) संचालन की प्रकृति: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था स्वचालित आर्थिक प्रणाली नहीं होती है जबकि बाजार अर्थव्यवस्था स्वयं संचालित आर्थिक प्रणाली होती है। केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का संचालन केन्द्रीय सत्ता अथवा सरकार द्वारा किया जाता है।
(5) प्रतिस्पर्धा: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में प्रायः स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा का अभाव पाया जाता है जबकि बाजार अर्थव्यवस्था में स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा पायी जाती है।
(6) उत्पादन केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में उत्पादन का निर्धारण समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है जबकि बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन आर्थिक लाभ को ध्यान में रखकर किया जाता है। केन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था में उत्पादन सम्बन्धी निर्णयों पर सरकार का एकाधिकार होता है तथा उसके निर्णय के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है।