These comprehensive RBSE Class 11 Maths Notes Chapter 4 गणितीय आगमन का सिद्धांत will give a brief overview of all the concepts.
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भूमिका (Introduction):
गणितीय सोच की एक विधि कारण खोजना है। यहाँ पर हम सरल परिणाम से व्यापक परिणाम तक पहुँचेंगे। नीचे दिये गये उदाहरण में तर्क द्वारा कारण प्राप्त किया गया है ।
(a) मैं एक आदमी हूँ
(b) सभी आदमी नश्वर हैं इसलिए
(c) मैं भी नश्वर हूँ ।
यदि कथन (a) और (b) सत्य हैं तो (c) सत्य होगा। इस सरल उदाहरण को गणितीय बनाने के लिए हम लिख सकते हैं-
(i) दस दो से भाज्य है ।
(ii) दो से भाज्य कोई संख्या समसंख्या है, इसलिए
(iii) 10 एक सम संख्या है।
इस प्रकार संक्षेप में निगमन एक प्रक्रिया है जिसमें एक कथन सिद्ध करने को दिया जाता है, जिसे गणित में प्राय: एक अनुमानित कथन अथवा प्रमेय कहते हैं, इसमें तर्कसंगत निगमन के चरण प्राप्त किये जाते हैं और एक उपपत्ति स्थापित की जा सकती है अथवा नहीं की जा सकती है अर्थात् निगमन व्यापक स्थिति से विशेष स्थिति प्राप्त करने का अनुप्रयोग है ।
निगमन के विपरीत, आगमन प्रत्येक दशा में कार्य करते हुए प्रेक्षण द्वारा मात्र अटकलें ही लगाई जा सकती हैं जब तक कि कोई सार्थक परिणाम न प्राप्त हो जाये । आगमन विधि का उपयोग गणित में बहुतायत किया जाता है और यह वैज्ञानिक कारण का एक अच्छा उपकरण है जहाँ आँकड़ों का संग्रहण और विश्लेषण किया जाता है । इस प्रकार, सरल भाषा में हम कह सकते हैं कि आगमन शब्द का अर्थ विशिष्ट स्थितियों या तथ्यों से व्यापकीकरण करने से है। बीजगणित में कुछ तथ्य या कथन ऐसे होते हैं जिन्हें n के पदों में निर्मित किया जाता है । जहाँ n एक धन पूर्णांक है । इस कथन को सिद्ध करने हेतु उपयुक्त विधि गणितीय आगमन का सिद्धान्त है ।
गणितीय आगमन सिद्धान्त एक ऐसा साधन है जिसका प्रयोग विविध प्रकार के गणितीय कथनों को सिद्ध करने के लिए किया जा सकता है। धन पूर्णांकों से सम्बन्धित इस प्रकार के प्रत्येक कथन को P(n) मान लेते हैं, जिसकी सत्यता n = 1 के लिए जाँची जाती है । इसके बाद किसी धन पूर्णांक k के लिए P (k) की सत्यता को मान कर P(k + 1) की सत्यता सिद्ध करते हैं ।
आगमित समुच्चय (Induction Set): एक समुच्चय S आगमित समुच्चय कहलाता है यदि 1 ∈ S और n + 1∈ S जबकि n ∈ S चूँकि N, R का सबसे छोटा उप-समुच्चय है जो कि आगमित समुच्चय है, इससे यह ज्ञात होता है कि R का कोई उप-समुच्चय जो आगमित समुच्चय हो, N को अवश्य रखेगा ।
गणितीय आगमन का सिद्धान्त (Principle of Mathematical Induction):
इस सिद्धान्त के अनुसार कोई कथन P(n), nn के सभी धनात्मक पूर्णांकों अर्थात् पूर्णांक मानों के लिए सत्य है, यदि—
(i) कथन n = 1 के लिए सत्य हो, अर्थात् P(1) सत्य है तथा (ii) कथन n = k के लिए सत्य हो, तो यह n = k + 1 के लिए भी सत्य होगा, अर्थात् P(k) सत्य है, तो P (k + 1) भी सत्य होगा ।
इस सिद्धान्त के कथन से ही स्पष्ट होता है कि यह विशिष्ट कथन से व्यापक कथन की ओर अग्रसर होने की विधि है । अतः हम यह कह सकते हैं कि यह प्राकृत संख्याओं से सम्बन्धित व्यापक परिणामों या प्रमेयों को स्थापित करने का एक विशेष प्रक्रम है।
गणितीय आगमन सिद्धान्त द्वारा कथन की सत्यता जाँचने के पद (Steps of Test the Truth Statements by Principle of Mathematical Induction):
पद (i) — दिए गए पद में P(n) का अर्थ समझिए ।
पद (ii)–n = = 1 रखकर P (1) की सत्यता की जाँच कीजिए और सिद्ध कीजिए कि - P ( 1 ) कथन सत्य है।
पद (iii) – n = k की स्थिति में कथन को सत्य मान लिया जाता है अर्थात् P(k) कथन सत्य है ।
पद (iv) – पद (iii) की सत्यता के आधार पर सिद्ध कीजिए कि कथन P(k + 1) भी सत्य है ।
पदं (v)—पद (ii) तथा पद (iv) की सत्यता के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि कथन P (n) प्रत्येक प्राकृत संख्या के लिए सत्य है । इससे कथन की व्यापक सत्यता सिद्ध होती है ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हल करने में प्रयोग (Application in Solving Objective Questions)
गणितीय आगमन सिद्धान्त का प्रयोग विवरणात्मक प्रश्नों को हल करने में किया जाता है । वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को इस सिद्धान्त से हल किया जा सकता है, परन्तु बहुत समय लगता है । अतः वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में से अधिकतर को हम ऋणात्मक परीक्षण (Negative Test) से हल करते हैं । अर्थात् प्रश्नों में दिए हुए विकल्पों की सहायता से ही सही विकल्प का पता लगाया जा सकता है। यदि दिया हुआ कथन P(n) हो, तो P(n) में n = 1, 2, ......... : रखते हुए यह ज्ञात करते हैं कि कौनसा विकल्प n के सभी प्राकृत मानों के लिए सत्य है ।
→ गणितीय चिन्तन का एक मूल आधार, निगमनात्मक विवेचन है। निगमन के विपरीत, आगमनिक विवेचन, भिन्न दशाओं के अध्ययन द्वारा एक अनुमानित कथन विकसित करने पर निर्भर करता है, जब तक कि हर एक दशा का प्रेक्षण न कर लिया गया हो ।
→ गणितीय आगमन सिद्धान्त एक ऐसा साधन है जिसका प्रयोग विविध प्रकार के गणितीय कथनों को सिद्ध करने के लिए किया जा सकता है। धन पूर्णांकों से सम्बन्धित इस प्रकार के प्रत्येक कथन को P (n) मान लेते हैं, जिसकी सत्यता n = 1 के लिए जाँची जाती है। इसके बाद किसी धन पूर्णांक k के लिए P(k) की सत्यता को मान कर P(k + 1) की सत्यता सिद्ध करते हैं
→ गणितीय आगमन का सिद्धान्त (Principle of Mathematical Induction):
इस सिद्धान्त के अनुसार कोई कथन P (n), n के सभी धनात्मक पूर्णांकों अर्थात् पूर्णांक मानों के लिए सत्य है, यदि
(i) कथन n = 1 के लिए सत्य हो, अर्थात् P( 1 ) सत्य है तथा
(ii) कथन n = k के लिए सत्य हो, तो यह n = k + 1 के लिए भी सत्य होगा, अर्थात् P(k) सत्य है, तो P (k + 1) भी सत्य होगा ।
इस सिद्धान्त के कथन से ही स्पष्ट होता है कि यह विशिष्ट कथन से व्यापक कथन की ओर अग्रसर होने की विधि है । अतः हम यह कह सकते हैं कि यह प्राकृत संख्याओं से सम्बन्धित व्यापक परिणामों या प्रमेयों को स्थापित करने का एक विशेष प्रक्रम है