RBSE Class 11 Maths Notes Chapter 14 गणितीय विवेचन

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RBSE Class 11 Maths Chapter 14 Notes गणितीय विवेचन

भूमिका (Introduction):
इस अध्याय में हम मुख्यतः गणित के सन्दर्भ में गणितीय विवेचन से सम्बन्धित कुछ मूलभूत विचारों की चर्चा करेंगे। गणित भाषा में विवेचन दो प्रकार के होते हैं - जो क्रमश: आगमनात्मक (आगमिक ) विवेचन (Inductive reasoning) तथा निगमनात्मक ( निगमनिक )
विवेचन (Deductive reasoning) हैं । आगमनात्मक विवेचन (विधि) की विवेचना हम गणितीय आगमन सिद्धान्त के अध्याय में पहले ही कर चुके हैं । इस अध्याय में हम निगमनात्मक विवेचन के मौलिक सिद्धान्तों का अध्ययन करेंगे ।

कथन (Statements):
हम अपने दैनिक जीवन में वाक्यों का प्रयोग करते हैं तथा व्याकरण की दृष्टि से यह वाक्य किसी स्थिति का वर्णन करता है जो या तो सत्य है अथवा असत्य है । यह वाक्य गणितीय भाषा में 'तार्किक कथन' अथवा 'कथन' कहलाता है । अतः कथन या तो सत्य होगा अथवा असत्य होगा। परन्तु यह एक साथ सत्य अथवा असत्य नहीं हो सकता । जैसे - निम्न कथनों का अवलोकन कीजिए-
(i) जयपुर एक प्रदेश है ।
(ii) नई दिल्ली भारत की राजधानी है ।
(iii) 29 एक अभाज्य संख्या है।
(iv) परिमेय संख्याएँ वास्तविक संख्याएँ होती हैं ।
(v) वर्गात्मक समीकरण का एक मूल सदैव वास्तविक होता है।
(vi) 1 + 3 = 5
(vii) 21 के तीन अभाज्य गुणनखण्ड हैं ।
(viii) पप्पू ! मुझे एक गिलास पानी दो ।
(ix) आप कहाँ जा रहे हैं ?
(x) शाबाश आप युद्ध में बहुत अच्छी प्रकार लड़े।
(xi) वास्तविक संख्या x, 7 से बड़ी है ।
(xii) संख्या X, x8 का गुण है।
(xiii) x + 7 = 10
(xiv) x + 9 > 15
(xv) x + 0 = x
पद (i) से (vii) तक कथन हैं । कोई भी कथन सत्य होगा या असत्य । उपर्युक्त बताये अनुसार प्रथम कथन असत्य है, द्वितीय, तृतीय तथा चौथा कथन सत्य है। जबकि पाँचवाँ तथा सातवाँ कथन असत्य है । प्रत्येक कथन एक वाक्य होता है परन्तु प्रत्येक वाक्य एक कथन होता है, सत्य नहीं है । इसका कारण है कि उसके विषय में हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि यह सत्य है अथवा असत्य ।
उदाहरणार्थ, किसी वाक्य के द्वारा प्रदर्शित अर्थ की सत्यता अथवा असत्यता का प्रश्न उपर्युक्त उदाहरण के (viii), (ix) व (x) में नहीं उठाया जा सकता। वास्तव में यह वाक्य व्याकरण से सम्बन्धित स्थितियाँ हैं जो अनुरोध अथवा आज्ञासूचक (Imperative), प्रश्नसूचक अथवा विस्मयादिबोधक वाक्य है । उदाहरण (xi), (xii), (xiii) तथा (xiv) भी कथन नहीं हैं । इसका कारण है कि इनके द्वारा व्यक्त भाव की सत्यता अथवा असत्यता की जाँच नहीं की जा सकती । इस प्रकार के कथनों को खुले कथन कहते हैं ।
ऐसे कथन जिनकी सत्यता अथवा असत्यता की जाँच करने के लिए कुछ अतिरिक्त सूचनाएँ आवश्यक होती हैं, खुले कथन (Open Sentences) कहलाते हैं ।
उदाहरण (xv) एक कथन है। इसका कारण यह है किx के प्रत्येक मान के लिए कथन सत्य है ।
सामान्यतः हम कथनों को छोटे अक्षर p, q, r, ..... से निरूपित करते हैं ।
उदाहरण के लिए, कथन 'आग सदैव गर्म होती है" को हम p द्वारा दर्शाते हैं । इस बात को निम्नलिखित प्रकार से भी दर्शाते हैं-
P : आग सदैव गर्म होती है ।

पूर्व ज्ञात कथनों से नये कथन बनाना (New Statements from Old)
अब हम पूर्व ज्ञात कथनों से नये कथन बनाने की विधि पर विचार करेंगे। सन् 1854 में एक अंग्रेज गणितज्ञ George Boole ने अपनी पुस्तक 'The Laws of Thoughts' में इन विधियों पर विचार-विमर्श किया है । यहाँ, हम दो तकनीकों पर विचार-विमर्श करेंगे

किसी कथन का निषेधन (Negation of a Statement)
माना p कोई कथन है। तब वह कथन जो कथन p से इनकार को निरूपित करता है, 'p' का निषेधन कहलाता है । कथन p के निषेधन को प्रतीकानुसार ~p' के द्वारा निरूपित किया जाता है।

उदाहरणार्थ
(i) माना कथन p का अर्थ है " श्याम बुद्धिमान p का अर्थ है, " श्याम बुद्धिमान नहीं है । " तब कथन ~p का अर्थ " श्याम बुद्धिमान नहीं है । "

(ii) माना कथन p ''4 + 3 = 8" है तब ~p का अर्थ कि 4 + 3 = 8 है, यह असत्य है।
p का सत्य मान (Truth value of ~ p):
p का सत्य मान सदैव 'p' का विलोम होता है । यदि p सत्य है तब p असत्य होगा तथा यदि ~ p असत्य है तब p सत्य होगा । चूँकि 'p' एक कथन है अत: p सत्य अथवा असत्य होगा । परन्तु यह दोनों कदापि नहीं हो सकते। कथन ~ p को कभी-कभी “not p" कथन भी कहा जाता है ।

मिश्र कथन ( संयुक्त कथन ) (Compound Statement) परिभाषा - सरल कथन (Simple Statement ) - वह कथन जिसका सत्यमान स्पष्ट रूप से किसी अन्य कथन पर आश्रित नहीं होता, सरल कथन कहलाता है।

उदाहरण के तौर पर -
(i) सर्वांगसम त्रिभुज समरूप भी होते हैं ।
(ii) 3 + 5 > 7
(iii) समाकलन अवकलन की व्युत्क्रम क्रिया है ।
(iv) 17 एक विषम संख्या है।.
(v) नई दिल्ली भारत की राजधानी है ।
उपर्युक्त सभी कथन सरल कथन हैं ।

परिभाषा - मिश्र कथन (Compound Statement):
यदि कोई कथन दो या दो से अधिक सरल कथनों को मिलाकर बनाते हैं तब उस कथन को संयुक्त कथन या मिश्र कथन कहते हैं ।
सरल कथन जिनको मिलाकर मिश्र अथवा संयुक्त कथन की रचना की जाती है, घटक कथन (Sub statement) कहलाते हैं । यदि कोई मिश्र से प्राप्त किया जाता या संयुक्त कथन 'S' जो साधारण कथनों है, प्रतीकानुसार S (p, q, r,.....) द्वारा निरूपित किया जाता है ।
मिश्र या संयुक्त कथनों का आधारभूत नियम यह है कि इसका सत्य मान इसके प्रत्येक घटक कथन के सत्य मान पर निर्भर होता है तथा इस बात पर भी निर्भर करता है कि मिश्र अथवा संयुक्त कथन बनाने में किस प्रकार सम्बन्ध है ।
अब हम निम्न कथन पर विचार करते हैं – “ट्यूबलाइट या बिजली के तार में कुछ खराबी है "
यह कथन बतलाता है कि ट्यूबलाइट में कुछ खराबी है या बिजली तार में कुछ खराबी है। इसका अर्थ यह है कि दिया गया कथन वास्तव में दो संक्षिप्त (छोटे) कथन के संयोग करके बना है, जो इस प्रकार है-
q : “ ट्यूबलाइट में कुछ खराबी है "
r : "बिजली के तार में कुछ खराबी है" और जिनको शब्द 'या' द्वारा जोड़ा गया है।

अब मान लीजिए कि निम्नलिखित दो कथन दिए हैं-
p : '5 एक विषम संख्या है ।
q : "5 एक अभाज्य संख्या है।
इन दोनों को शब्द ' और ' द्वारा जोड़ने से निम्नलिखित कथन प्राप्त
r : "5 विषम और अभाज्य दोनों ही प्रकार की संख्या है । " यह एक मिश्र कथन है ।

विशेष शब्द / वाक्यांश (Special Words / Phrases):
मिश्र कथन में प्रयुक्त ' और', 'या' प्रकार के कुछ संयोजक शब्दों का प्रयोग बहुधा गणितीय कथन में होता है। इन्हें 'संयोजक' कहते हैं । अब हमें मिश्र कथन की सत्यता पर इन संयोजक शब्दों के प्रभाव का अध्ययन करना है।

संयोजक 'और' (The word 'And'):
'जब दो कथन ' और ' शब्द से जुड़े होते हैं तब उस संयुक्त कथन को संयोजन (Conjuction) कहते हैं। माना व p 9 दो कथन हैं तो p और 9. P तथा 9 का संयोजन कहलाता है । इसे व से व्यक्त करते हैं और इसे संकेत के रूप में рла से निरूपित करते हैं ।
नियम : 1. संयोजक ' और' के प्रयोग द्वारा बना मिश्र कथन सत्य होगा यदि उसके सभी घटक कथन सत्य हों ।
नियम : 2. संयोजक 'और' के प्रयोग द्वारा बना मिश्र कथन असत्य होगा यदि इसका एक भी घटक कथन असत्य हो ।

उदाहरणार्थ, p : किसी बिन्दु का एक स्थान होता है और उसकी स्थिति निर्धारित की जा सकती है।
इस कथन को निम्नलिखित दो घटक कथन में विघटित किया जा सकता है-
q : किसी बिन्दु का एक स्थान होता है ।
r : उसकी स्थिति निर्धारित की जा सकती है। उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।

अब हम एक अन्य कथन पर विचार करते हैं-
p : संख्या 48 संख्याओं 5, 6 और 8 से भाज्य है । इस कथन का विघटन इस प्रकार है-
q : संख्या 48 संख्या 5 से भाज्य है ।
r : संख्या 48 संख्या 6 से भाज्य है
s : संख्या 48 संख्या 8 से भाज्य है ।
यहाँ पर हमें ज्ञात है कि प्रथम कथन असत्य है और शेष दो सत्य हैं।

अब हम निम्नलिखित कथन पर विचार करते हैं-
P : ऐल्कोहॉल और पानी के मिश्रण को रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग किया जा सकता है ।
इस कथन को शब्द 'और' से प्रयुक्त मिश्र कथन नहीं माना जा सकता है।
यहाँ पर शब्द 'और' दो वस्तुओं, ऐल्कोहॉल तथा पानी का उल्लेख करता है ।
इससे हम एक महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकालते हैं जो कि नीचे लिखी हुई टिप्पणी में दिया है-

टिप्पणी - यह नहीं समझना चाहिए कि शब्द 'और' से प्रयुक्त वाक्य सदैव एक मिश्र कथन होता है, जैसा कि उपर्युक्त उदाहरण में स्पष्ट किया गया है । यहाँ पर शब्द 'और' दो वाक्यों के संयोजन के लिए प्रयुक्त नहीं है ।

शब्द 'या' से प्रयुक्त वाक्य (The word ‘Or')
किन्हीं दो सरल कथनों का शब्द 'या' का संयोजक के रूप में प्रयोग करके एक संयुक्त कथन की रचना की जा सकती है । उदाहरणार्थ, निम्न दो सरल कथनों पर विचार कीजिए -
P : सूर्य चमकता है।
q : वर्षा होती है।
तब कथन p या q (p or q) निम्नवत् होगा – " सूर्य चमकता है या वर्षा होती है ।"

नोट- संयोजक शब्द 'या (or)' का अंग्रेजी भाषा में अन्य अर्थों में भी प्रयोग किया जाता है ।
उदाहरणार्थ, " मैदान में पाँच या छः बच्चे खेल रहे हैं ।" यहाँ पर 'या' का प्रयोग बच्चों की सम्भावित संख्या को निरूपित करने के लिए किया गया है। इसका प्रयोग संयोजक के तौर पर नहीं किया गया है। संयोजक के रूप में भी शब्द 'या' का प्रयोग भाषा ( हिन्दी या अंग्रेजी भाषा) में दो भिन्न विधियों से किया जाता है । इसको समझने से पहले हमें कुछ कथनों पर विचार करना होगा -
p : " विश्वविद्यालय बन्द होगा यदि अवकाश या रविवार है । " इसका तात्पर्य यह है कि विश्वविद्यालय अवकाश के कारण बन्द होता है । वह रविवार के दिन भी बन्द रहता है। यदि अवकाश रविवार को भी पड़ता है तब भी विद्यालय बन्द रहता है । इस स्थिति में हम अंतर्विष्ट 'या' का प्रयोग कर रहे हैं ।
"किसी भोजनालय में एक ' थाली' के साथ आइसक्रीम या पेप्सी भी उपलब्ध की जाती है ।" इसका तात्पर्य यह है कि एक व्यक्ति जो आइसक्रीम नहीं चाहता है वह थाली के साथ पेप्सी ले सकता है अन्यथा वह थाली के साथ आइसक्रीम ले सकता है । अर्थात् यदि जो व्यक्ति पेप्सी नहीं चाहते हैं, वे आइसक्रीम ले सकते हैं । किन्तु एक व्यक्ति दोनों वस्तुएँ अर्थात् आइसक्रीम और पेप्सी नहीं ले सकता। यह 'अपवर्जित' 'या' कहलाता है ।

या 'or' से युक्त संयुक्त कथन के लिए नियम-

  • या 'or' से युक्त एक संयुक्त कथन सत्य होगा, यदि एक घटक कथन सत्य है या दोनों घटक कथन सत्य हैं ।
  • या 'or' से युक्त कोई संयुक्त कथन असत्य होगा, यदि इसके दोनों घटक कथन असत्य हैं।

उदाहरण के लिए, नीचे लिखे कथन पर विचार कीजिए -
" दो रेखाएँ एक-दूसरे को एक बिन्दु पर काटती हैं या वे समान्तर इसके घटक कथन निम्नवत् हैं-
P : दो रेखाएँ एक-दूसरे को एक बिन्दु पर काटती हैं ।
q : दो रेखाएँ समान्तर हैं।

यहाँ पर यदि p सत्य है तो q असत्य है और यदि P असत्य है तो q सत्य है । अत: मिश्र कथन सत्य है ।
एक अन्य कथन पर विचार कीजिए जो नीचे दिया है-
'विश्वविद्यालय बन्द है, यदि आज अवकाश का दिन है या रविवार है "
इसके घटक कथन निम्न हैं-
p : विश्वविद्यालय बन्द है, यदि आज अवकाश का दिन है।
q : विश्वविद्यालय बन्द है, यदि आज रविवार है ।
यहाँ पर P तथा दोनों ही सत्य हैं । अतः मिश्र कथन सत्य है । अब हम एक और कथन पर विचार करते हैं, जो कि इस प्रकार से है -
'मुम्बई कोलकाता या कर्नाटक की राजधानी है'

इसके घटक कथन निम्नवत् हैं-
P : मुम्बई, कोलकाता की राजधानी है ।
q : मुम्बई, कर्नाटक की राजधानी है 1
उपर्युक्त दोनों ही कथन असत्य हैं । अतः मिश्र कथन भी असत्य है । आइए अब हम कुछ उदाहरणों का अध्ययन करेंगे ।

परिमाणवाचक वाक्यांश (सूक्ति) (Quantifiers Phrases)
'एक ऐसे का अस्तित्व है" और "सभी के लिए / प्रत्येक के लिए " इन दोनों विशेष वाक्यांशों को परिमाणवाचक वाक्यांश कहते हैं।
उदाहरणार्थ, निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
“प्रत्येक अभाज्य संख्या p के लिए, √p एक अपरिमेय संख्या है
इसका अर्थ हुआ कि यदि S अभाज्य संख्याओं का समुच्चय है, तो समुच्चय S के सभी अवयव के लिए, √p एक अपरिमेय संख्या है।

नोट - निम्न दो वाक्यों पर विचार कीजिए-
(i) प्रत्येक धन संख्या के लिए कोई धन संख्या y अवश्य है जिसके लिए y < x
(ii) एक ऐसी वास्तविक संख्या होती अवश्य है कि प्रत्येक संख्या x के लिए सम्बन्ध y < x का अस्तित्व है ।
यद्यपि उपर्युक्त दोनों कथन समान लगते हैं परन्तु वे एक ही आशय को निरूपित नहीं करते। वास्तव में (i) सत्य है तथा (ii) असत्य है ।

अंतर्भाव / सप्रतिबंध कथन (Implications/Conditional Statements)
'यदि......तब', 'केवल यदि' तथा 'यदि तथा केवल यदि' से युक्त कथन सप्रतिबन्ध कथन कहलाते हैं । यदि p तथा q दो कथन हैं जो सप्रतिबन्ध कथन 'यदि P तब q (if p then q) की रचना करते हैं तब हम इस सप्रतिबन्ध कंथन को प्रतीकानुसार 'p ⇒ q' के द्वारा निरूपित करते हैं ।
(i) "यदि आपका जन्म भारत के किसी राज्य में हुआ हो तो आप उस देश के नागरिक हैं । '
(ii) यदि x = 8 तो x2 = 64
यदि P तथा q कोई दो कथन हैं और " यदि । तो q" को हम p ⇒ q द्वारा निरूपित करते हैं ।
"p ⇒ q" में P को पूर्वपद तथा q को उत्तरपद कहते हैं
"यदि p तो 9" यह बतलाता है कि उस दशा में जब p सत्य हो, तो q अनिवार्य रूप से सत्य होगा। लेकिन यदि असत्य है तो यहाँ के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता ।

उदाहरण के लिए, यदि आप भारत के किसी राज्य में पैदा नहीं हुए हैं तो q के बारे में कुछ नहीं कह सकते । यानी p के घटित न होने का के घटित होने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
कथन " यदि, p तो q" के बारे में एक अन्य तथ्य ध्यान देने योग्य q है कि इस कथन में यह अंतर्निहित नहीं है कि 1 घटित होता है ।

प्रतिधनात्मक और विलोम (Contrapositive and Converse)
प्रतिधनात्मक और विलोम निश्चित रूप से कुछ अन्य कथन हैं, जिन्हें वाक्यांश ‘यदि-तो' से प्रयुक्त कथन से (द्वारा) रचित किया जा सकता है।
उदाहरणार्थ, नीचे दिए वाक्यांश 'यदि - तो' वाले कथन पर विचार कीजिए-
यदि भौतिक वातावरण में परिवर्तन होता है तब जैविक वातावरण परिवर्तन हो जाता है ।
इस कथन का प्रतिधनात्मक कथन " यदि जैविक वातावरण में परिवर्तन नहीं होता है तब भौतिक वातावरण परिवर्तित नहीं होता है । "

कथनों की वैधता को प्रमाणित (सत्यापित) करना (Validating Statements):
इस अनुच्छेद में हम कथनों की वैधता के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे अर्थात् हम यह जाँच करेंगे कि कोई कथन कब सत्य होगा तथा कब असत्य होगा। यह जाँच इस बात पर निर्भर करती है कि किन विशेष शब्दों जैसे ' और ' तथा 'या' में से संयोजक शब्द का अथवा " यदि और केवल यदि" तथा " यदि तो" में से किस प्रतिबंध का अथवा " प्रत्येक के लिए" तथा " एक ऐसा का अस्तित्व है" में से किस परिमाणवाचक वाक्यांश का प्रयोग किया गया है ।
अब हम कुछ सामान्य नियमों को प्रस्तुत करेंगे जिनके आधार पर दिये गये कथनों की सत्यता तथा असत्यता की जाँच करेंगे ।
नियम 1. यदि P तथा 9 गणितीय कथन हैं, तो यह सिद्ध करने के लिए कि कथन "p और q" सत्य हैं, हम निम्नलिखित चरणों का अनुसरण करते हैं.
चरण 1. दर्शाइए कि कथन P सत्य है
चरण 2. दर्शाइए कि कथन q सत्य है

नियम 2. " संयोजक 'या' से प्रयुक्त कथन" - यदि P तथा q गणितीय कथन हैं, तो कथन "p या q" को सत्य सिद्ध करने के लिए हम निम्नलिखित स्थितियों में से किसी एक को सत्य प्रमाणित करते हैं-
स्थिति 1. यह मानते हुए कि p असत्य है, q को अनिवार्यतः सत्य प्रमाणित कीजिए ।
स्थिति 2. यह मानते हुए कि q असत्य है, q को अनिवार्यतः सत्य प्रमाणित कीजिए ।

नियम 3. वाक्यांश 'यदि - तो' से प्रयुक्त कथन - कथन 'यदि P, q' को सत्य सिद्ध करने के लिए हम निम्नलिखित स्थितियों में से किसी एक को सत्य प्रमाणित करते हैं-
स्थिति 1. यह मानते हुए कि p सत्य है, 9 को अनिवार्यतः सत्य प्रमाणित कीजिए (प्रत्यक्ष विधि) ।
स्थिति 2. यह मानते हुए कि 9 असत्य है, p को भी अनिवार्यत: असत्य प्रमाणित कीजिए (प्रतिधनात्मक विधि) ।

नियम 4. वाक्यांश (प्रतिबंध ) " यदि और केवल यदि " से प्रयुक्त कथन - कथन “p, यदि और केवल यदि q" को सत्य सिद्ध करने के लिए हमें यह प्रमाणित करने की आवश्यकता है कि,
(i) यदि p सत्य है, तो q सत्य है और
(ii) यदि q सत्य है, तो p सत्य है ।

विरोधोक्ति द्वारा (By Contradiction):
यह जाँचने के लिए कि कथन सत्य है या नहीं, कभी-कभी हम यह मान लेते हैं कि कथन p सत्य नहीं है अर्थात् ~ p सत्य है । इस स्थिति में हमारे सामने ऐसी स्थिति उपस्थित हो जाती है जो हमारी पूर्ण परिकल्पना का विरोधाभास की स्थिति होती है, जिससे यह निष्कर्ष निकालते हैं कि P सत्य है । यह विधि विरोधोक्ति विधि कहलाती है।
प्रतिकूल कथन द्वारा कथन की अवैधता - यह दर्शाने के लिए कि कथन असत्य है, उसके लिए हम ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं जिसमें कथन सत्य नहीं है। इस तरह का उदाहरण प्रतिकूल कथन कहलाता है । जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि यह प्रदत्त कथन का प्रतिकूल कथन होता है ।

→ गणितीय रूप से स्वीकार्य कथन एक ऐसा कथन है जो या तो सत्य हो या असत्य हो ।

→ किसी कथन का निषेधन - यदि p कोई कथन है तब वह कथन जो कथन P से इनकार को निरूपित करता है, 'p' का निषेधन कहलाता है। कथन p के निषेधन को प्रतीकानुसार p' के द्वारा निरूपित किया जाता है।

→ मिश्र कथन और संगत घटक कथन - यदि कोई कथन दो या दो से अधिक सरल कथनों को मिलाकर बनाते हैं तब उस कथन को संयुक्त कथन या मिश्र कथन कहते हैं ।
सरल कथनों को मिश्र कथन के घटक कथन कहते हैं ।

→ संयोजक ' और ' तथा 'या' की वाक्यांश 'एक ऐसे का अस्तित्व है' तथा 'प्रत्येक के लिए' की भूमिका अंतर्भाव (प्रतिबंध) 'यदि', 'केवल यदि' तथा 'यदि और केवल यदि कथन 'यदि' p तो q को निम्नलिखित तरीकों से लिखा जा q सकता है
p अंतर्भाव q (प्रतीक P ⇒ q से निरूपित)

→ या ' or ' से युक्त संयुक्त कथन के लिए नियम-

  • या 'or' से युक्त एक संयुक्त कथन सत्य होगा, यदि एक घटक कथन सत्य है या दोनों घटक कथन सत्य हैं ।
  • या ' or ' से युक्त कोई संयुक्त कथन असत्य होगा, यदि इसके दोनों घटक कथन असत्य हैं ।

→ " एक ऐसे का अस्तित्व है" और " सभी के लिए / प्रत्येक के लिए" इन दोनों विशेष वाक्यांशों को परिमाणवाचक वाक्यांश कहते हैं ।

→ किसी कथन की वैधता ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करते हैं-

  • प्रत्यक्ष विधि
  • विरोधोक्ति विधि
  • प्रतिधनात्मक विधि
  • प्रत्युदाहरण के प्रयोग की विधि |
Prasanna
Last Updated on Feb. 16, 2023, 9:50 a.m.
Published Feb. 15, 2023