RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय

These comprehensive RBSE Class 11 Geography Notes Practical Chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Geography Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Geography Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय

→ सुदूर संवेदन का अर्थ (Means of Remote Sensing) :

  • सुदूर संवेदन एक ऐसी प्रक्रिया है जो भूपृष्ठीय वस्तुओं एवं घटनाओं की सूचनाओं का संवेदन विधियों के द्वारा बिना वस्तु के सम्पर्क में आए मापन व अभिलेखन करता है।
  • सुदूर संवेदन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1960 के दशक में किया गया।
  • सुदूर संवेदन में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत सूर्य है।
  • सुदूर संवेदन में दृश्य ऊर्जा क्षेत्र व अवरक्त क्षेत्र व माइक्रोवेव ऊर्जा क्षेत्र अधिक उपयोगी है।
  • उपग्रहों से प्राप्त प्रतिबिंबों में जलाशय हल्के नीले रंग में दिखते हैं। 

→ संवेदक (Sensor) :

  • संवेदक वह युक्ति या उपकरण है जो विद्युत चुम्बकीय विकिरण ऊर्जा को एकत्रित कर उन्हें संकेतकों में बदलते हैं।
  • संवेदक स्कैनर के नाम से जाने जाते हैं।
  • बहुवर्णक्रमणीय स्कैनर सुदूर संवेदन उपग्रहों में संवेदक के रूप में उपयोग किये जाते हैं। बहुवर्णक्रमीय स्कैनर दो प्रकार से वर्गीकृत किये जाते हैं
    (क) विस्कब्रूम क्रमवीक्षक,
    (ख) पुशबूम क्रमवीक्षक। 

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय 

→ उपग्रहों की विभेदन क्षमता (Capacity of Arial Differentiation of Setellites) :
सुदूर संवेदक धरातलीय, वर्णक्रमीय तथा रेडियोमीट्रिक विभेदन युक्त होते हैं जो विभिन्न धरातलीय अवस्थाओं से सम्बन्धित उपयोगी सूचनाओं का निष्कर्षण सम्भव बनाते हैं। 

→ आंकड़ा उत्पाद (Product of Data):
संसूचन व अभिलेखन की प्रक्रिया के आधार पर सुदूर संवेदन आँकड़ा उत्पादों को निम्न दो वर्गों में विभक्त किया जाता है
(क) फोटोग्राफिक प्रतिबिम्ब
(ख) अंकीय प्रतिबिम्ब। 

→ उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिंबों का अध्ययन (Study of Images Recieved by Setellites) :
प्रतिबिम्ब की व्याख्या हेतु वस्तुओं की विशेषताओं को दो प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है

  • बिम्ब सम्बन्धी विशेषताएँ-जिसमें वस्तुओं की आभा, उनकी आकृति, आकार, प्रतिरूप, गठन व छाया आदि सम्मिलित होती हैं।
  • धरातलीय विशेषताएँ-जिसमें अवस्थिति, अन्य वस्तुओं का संदर्भ या साहचर्य-सम्बन्ध सम्मिलित होता है।

→ सुदूर संवेदन-सुदूर संवेदन एक ऐसी प्रक्रिया है जो भू-पृष्ठीय वस्तुओं एवं घटनाओं की सूचनाओं का संवेदक युक्तियों के द्वारा बिना वस्तु के सम्पर्क में आए मापन व अभिलेखन करता है।

→ आंकिक संख्या-आंकिक प्रतिबिम्ब में किसी पिक्सल की तीव्रता मान आंकिक संख्या कहलाता है।

→ अंकीय बिम्ब-पंक्तियों एवं स्तम्भों पर क्रमानुसार व्यवस्थित आंकिक संख्या, व्यूह भिन्न की विशेषता उनका तीव्रता मान होता है अंकीय बिम्ब कहलाता है।

→ अंकीय प्रतिबिम्ब-अलग-अलग पिक्चर तत्वों के मेल से बनने वाले प्रतिबिम्ब अंकीय प्रतिबिम्ब कहलाते हैं। इन्हें पिक्सल भी कहते हैं।

→ अंकीय बिम्ब प्रक्रमण-धरातलीय लक्ष्यों से सम्बन्धित सूचना ग्रहण करने की वह क्रिया जिसमें अंकीय संख्याओं का संख्यात्मक हेर-फेर किया जाता है, अंकीय बिम्ब प्रक्रमण कहलाता है।

→ दृश्य-एक प्रतिबिम्ब अथवा फोटोग्राफ द्वारा धरातल का आवृत क्षेत्र दृश्य कहलाता है।

→ अवशोषणांश-किसी पदार्थ द्वारा प्राप्त तथा अवशोषित विकिरणी ऊर्जा का अनुपात अवशोषणांश कहलाता है।

→ धूसर मापक्रम-किसी प्रतिबिम्ब की प्रभामान की विभिन्नताओं के अंशांकन का साधन जिसका परिसर काले व सफेद रंग के मध्य होता है, धूसर मापक्रम कहलाता है।

→ प्रतिबिम्ब-फोटोग्राफीय एवं अफोटोग्राफीय साधनों द्वारा उत्पादित प्राकृतिक एवं मानव द्वारा निर्मित लक्ष्यों व दृश्यों का स्थायी अभिलेख प्रतिबिम्ब कहलाता है।

→ परावर्तकता-किसी पदार्थ द्वारा प्राप्त की गई ऊर्जा एवं उसके द्वारा परिवर्तित ऊर्जा का अनुपात परावर्तकता कहलाता है।

→ बैंड-विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में विशिष्ट तरंगदैर्यों का अन्तराल बैंड कहलाता है।

→ स्पेक्ट्रमी बैंड-सतत् स्पेक्ट्रम में तरंगदैर्ध्य की परिसर जैसे हरे बैंड का परिसर 0.5 से 0.6 माइक्रोमीटर तक एवं अवरक्त बैंड का परिसर 0.7 से 1.1 से माइक्रोमीटर तक होता है, स्पेक्ट्रमी बैंड कहलाता है।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 7 सुदूर संवेदन का परिचय

→ विद्युत् चुम्बकीय विकिरण-प्रकाश की गति से ऊर्जा या किसी दिक्स्थान अथवा माध्यम से होने वाला प्रवर्धन विद्युत् चुम्बकीय विकिरण कहलाता है।

→ विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम-विद्युत् चुम्बकीय विकिरण का सांतत्यक रूप जिसका परिसर उच्च आवृत्ति वाली लघु तरंगी अन्तरिक्षीय तरंगों से लेकर भिन्न आवृत्ति वाली दीर्घ तरंगी रेडियो तरंगों तक होता है विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम कहलाता है।

→ त्रियक रंगी मिश्र-कृत्रिम रूप से उत्पादित रंगीन बिम्ब जिसमें पीला, हरा व लाल रंग उन तरंग क्षेत्रों को निर्दिष्ट किया जाता है जो प्राकृतिक रूप से अलग होते हैं, त्रियक रंगी मिश्र कहलाते हैं।

→ संवेदक-कोई भी प्रतिबिम्बन अथवा अप्रतिबिम्बन साधन, जो विद्युत् चुम्बकीय विकिरण को प्राप्त करने एवं उसे ऐसे संकेतों में परिवर्तित करता है, जिससे फोटोग्राफीय अथवा आंकिक प्रतिबिम्ब को अभिलेखित एवं प्रदर्शित किया जा सकता हो, संवेदक कहलाता है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 10:48 a.m.
Published Aug. 4, 2022