RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 6 वायव फ़ोटो का परिचय

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RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 6 वायव फ़ोटो का परिचय

→ परिचय (Introduction) : 

  • वायुयान या हैलिकॉप्टर में लगे परिशुद्ध कैमरे के द्वारा लिए गए फोटोग्राफ को वायव फोटो कहा जाता है।
  • वायव फोटो स्थलाकृतिक मानचित्रों को बनाने तथा लक्ष्यों की व्याख्या करने के लिये उपयोगी होते हैं।
  • प्रथम वायव फोटो 1858 में फ्रांस में एक गुब्बारे द्वारा लिया गया था।
  • भारत में पहला वायव फोटो 1920 में आगरा शहर का लिया गया था।
  • वर्तमान में भारत में वायव फोटो से मानचित्र बनाने का कार्य वायव फोटो वायु निदेशालय, नई दिल्ली की देखरेख में किया जाता है।

→ वायव फोटो के उपयोग (Use of Arial Photographs) :

  • वायव फोटो का उपयोग दो क्षेत्रों में किया जाता है
    • फोटो ग्राममिति,
    • प्रतिबिंब निर्वचन
  • फोटोग्राममिति मापन का एक विज्ञान व तकनीक है। जबकि प्रतिबिम्ब निर्वचन में वायव फोटो की गुणात्मक जानकारी ज्ञात की जाती है। 

→ वायव फोटो के लाभ (Benefits of Arial Photographs) :

  • वायव फोटो बड़े क्षेत्रों का विहंगम दृश्य प्रदान करते हैं। इनका ऐतिहासिक अभिलेखन में अहम स्थान होता है।
  • इनसे धरातल का त्रिविमीय संदर्श प्राप्त होता है।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 6 वायव फ़ोटो का परिचय 

→ वायव फोटो के प्रकार (Types of Arial Photographs) :

  • कैमरा अक्ष की स्थिति के आधार पर वायव फोटो को निम्न तीन प्रकारों में विभक्त किया जाता है
    • ऊर्ध्वाधर फोटोग्राफ,
    • अल्प तिर्यक फोटोग्राफ,
    • अति तिर्यक् फोटोग्राफ। 
  • मापनी के आधार पर वायव फोटो को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है
    • वृहत मापनी फोटोग्राफ,
    • मध्यम मापनी फोटोग्राफ,
    • लघु मापनी फोटोग्राफ। 

→ वायव फोटो की ज्यामिति (Geometry of Arial Photography):
एक वायव फ़ोटो की ज्यामिति को जानने के लिए धरातल के सापेक्ष किसी फोटोग्राफ के अनुस्थापन को जानना - आवश्यक होता है।

→ वायव फोटो की मापनी (Scale of Arial Photography):
वायव फोटो की मापनी की गणना के लिए निम्नलिखित तीन विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं

  • फोटो एवं धरातलीय, दूरी के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना।
  • फोटो दूरी एवं मानचित्र दूरी में सम्बन्ध स्थापित करना।
  • फोकस दूरी एवं वायुयान ऊँचाई के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना।।

→ वायव फोटो-परिशुद्ध हवाई कैमरे द्वारा किसी वायुवाहित प्लेटफॉर्म से लिए गए चित्र वायव फोटो कहलाते हैं।

→ बस्ती-भूतल पर मानव निर्मित गृहों का समूह।

→ वायव संदर्श-वायु चित्रों से मिलने वाला संदर्श।

→ स्थलाकृतिक मानचित्र-वृहत्त मापनी पर बना कोई मानचित्र जिसमें अंकित प्रत्येक लक्षण की आकृति और स्थिति को देखकर उसे धरातल पर पहचाना जा सके।

→ अति तिर्यक फोटोग्राफ-ऊँचाई पर गतिशील वायुयान द्वारा तिरछे रूप में किसी क्षेत्र का लिया गया फोटोग्राफ।

→ फोटो ग्राममिति-वायव फोटो के माध्यम से विश्वसनीय माप लेने का विज्ञान एवं तकनीक फोटो ग्राममिति । कहलाता है।

→ प्रतिबिम्ब निर्वचन-लक्ष्यों के बिम्बों को पहचानने एवं उनके सापेक्षिक महत्व के सम्बन्ध को जानने का कार्य प्रतिबिम्ब निर्वचन कहलाता है।

→ ऊर्ध्वाधर वायव फोटो-जब फोटो की सतह को धरातलीय सतह के समान्तर रखा जाता है, तब दोनों अक्ष एक-दूसरे से मिल जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त फोटो को ऊर्ध्वाधर वायव फोटो कहा जाता है।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 6 वायव फ़ोटो का परिचय

→ नत फोटोग्राफ-ऊर्ध्वाधर अक्ष से प्रकाशीय अक्ष में 30 से अधिक विचलन वाले फोटोग्राफ को नत फोटोग्राफ कहते हैं।

→ अल्पतिर्यक फोटोग्राफ-ऊर्ध्वाधर अक्ष से कैमरा अक्ष में 15° से 30° के अभिकल्पित विचलन के साथ लिए गए वायव फोटो को अल्पतिर्यक फोटोग्राफ कहा जाता है।

→ फोटोग्राफी/ऑप्टीकल अक्ष-कैमरा लैंस के केन्द्र से फोटो की सतह पर खींची गई साहुल रेखा को फोटोग्राफी का ऑप्टीकल अक्ष कहते हैं।

→ वृहत् मापनी फोटोग्राफ-जब एक वायव फोटो की मापनी 1 : 15000 एवं इससे वृहत् होती है तो इस प्रकार के फोटोग्राफ को वृहत् मापनी फोटोग्राफ कहते हैं।

→ मध्यम मापनी फोटोग्राफ- 1 : 15000 से 1 : 30,000 के मध्य मापनी वाले वायव फोटो को मध्यम मापनी फोटोग्राफ कहते हैं।

→ लघु मापनी फोटोग्राफ-1 : 30,000 से लघु मापक वाले फोटोग्राफ को लघु मापनी फोटोग्राफ कहा जाता है।

→ उड्डयन तुगंता-कैमरा लैंस एवं चित्रित धरातल के मध्य की लम्बवत् दूरी SPG को उड्डयन तुंगता कहते हैं।

→ अग्र अतिव्यापन-उड़ान की दिशा में खींचे गए एक ही क्षेत्र के दो क्रमिक फोटोग्राफ पुनरावृत्तिक भाग अग्र अतिव्यापन कहलाते हैं। इसे प्रायः प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।

→ मुख्य दूरी-आन्तरिक संदर्श केन्द्र से फोटोग्राफ की सतह की लम्बवत् दूरी मुख्य दूरी कहलाती है।

→ अधोबिन्द-कैमरा लैंस के केन्द्र से भू-विन्यास पर खींचे गए लम्ब का निचला भाग अधोबिन्दु कहलाता है।

→ निर्देश चिह्न-ये कैमरे के केन्द्र या चारों किनारों में सूचक चिह्न होते हैं। जब फिल्म को निकाला जाता है, तब ये फिल्म निगेटिव पर दिखाई देते हैं। 

→ वायु फिल्म- उच्च संवेदनशील, उच्च अन्तर विभेदन क्षमता एवं विमीय स्थिर इमल्शन आधार वाला फिल्म का रोल वायु फिल्म कहलाता है।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 6 वायव फ़ोटो का परिचय

→ संदर्श बिन्द-प्रकाश की किरणों के बंडल का उत्पत्ति बिन्दु का अन्त भाग संदर्श बिन्दु कहलाता है।

→ वायु कैमरा-विशेष रूप से वायुयानों में प्रयोग किया जाने वाला कैमरा।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 10:42 a.m.
Published Aug. 4, 2022