RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

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RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

→ स्थलाकृतिक मानचित्र का अर्थ (Means of Topographical Maps):

  • स्थलाकृतिक मानचित्रों को अपेक्षाकृत वृहत् मापक पर बनाया जाता है तथा इस पर महत्वपूर्ण प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को प्रदर्शित किया जाता है।
  • भारतीय सर्वेक्षण विभाग भारत में पूरे देश के लिए स्थलाकृतिक मानचित्र तैयार करता है।
  • भारत स्थलाकृतिक मानचित्र निम्नलिखित दो श्रृंखलाओं में तैयार करता है
    • भारत एवं उसके पड़ोसी देशों की श्रृंखला,
    • विश्व की अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र शृंखला। भारत का स्थलाकृतिक मानचित्र 1 : 10,00,000, 1:25,00,00, 1 : 1,25,000, 1 : 50,000 व 1:25,000 की मापनी पर तैयार किए जाते हैं।
  • विश्व की अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखला के मानचित्र 1 : 10,00,000 व 1 : 2,50,000 पर बनाए जाते हैं। 

→ उच्चावच निरूपण की विधियाँ (Method's of Heights Representation) :

  • भूपृष्ठ पर मिलने वाले पर्वत, पठार व पहाड़ियों से संबंधी भूपृष्ठीय लक्षण संबंधी मानचित्र उच्चावच मानचित्र कहलाते
  • मानचित्रों पर उच्चावच लक्षण प्रदर्शित करने के लिए प्रमुख रूप से समोच्च रेखा तथा स्थानिक ऊँचाइयों का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है।
  • समान ऊँचाई वाले बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा समोच्च रेखा होती है।
  • समोच्च रेखाओं द्वारा मन्द ढाल, खड़ी ढाल, अवतल ढाल, उत्तल ढाल, शैक्वाकार पहाड़ी, पठार, V आकार की घाटी, 'U' आकार की घाटी, महाखड्ड पर्वत स्कंध, भृगु तथा जल प्रपात जैसे उच्चावच स्वरूपों को प्रदर्शित किया जा सकता है। 

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 

→ स्थलाकृतिक पत्रकों के सांस्कृतिक लक्षण (Cultural Element of Topographical Sheets) :
बस्तियों, भवन, रेलमार्ग एवं सड़क मार्ग रूढ़ि चिह्न, प्रतीकों एवं रंगों के द्वारा स्थलाकृतिक शीट पर दिखाए जाने वाले महत्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षण हैं। 

→ स्थलाकृतिक मानचित्रों का अध्ययन (Study of Topographical Sheets):

  • सभी स्थलाकृतिक शीट में मानचित्रों में उपयोग होने वाले रूढ़ि चिह्न तथा प्रतीकों को प्रदर्शित किया जाता है। 
  • सामान्यतया स्थलाकृतिक मानचित्रों की निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत व्याख्या की जाती है-
    • उपांत सूचनाएँ,
    • उच्चावच एवं अपवाह, 
    • भूमि उपयोग,
    • यातायात एवं संचार के साधन,
    • मानवीय बस्तियाँ। 

→ मानचित्र अध्ययन विधि (Methods of Topographical Study) :
मानचित्र निर्वचन में उन कारकों का अध्ययन सम्मिलित है, जो मानचित्र पर प्रदर्शित अनेक लक्षणों के मध्य सम्बन्धों को समझने में सहायता करते हैं।

→ स्थलाकृतिक मानचित्र-वृहत् मापनी पर बना कोई मानचित्र जिसमें अंकित प्रत्येक लक्षण की आकृति और स्थिति को देखकर उसे धरातल पर पहचाना जा सके, स्थलाकृतिक मानचित्र कहलाता है।

→ रूढ़ चिह्न-स्थलाकृतिक मानचित्रों में भिन्न-भिन्न भौतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को भिन्न-भिन्न संकेतों से प्रदर्शित किया जाता है, उन संकेतों को रूढ़ चिह्न कहते हैं।

→ मापनी-एक मानचित्र खाका या छायाचित्र पर दी गई दूरी एवं वास्तविक दूरी के अनुपात को मापनी कहते हैं।

→ उच्चावच-पृथ्वीतल पर मिलने वाले उत्खात भौतिक स्वरूप जिन्हें प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के उच्चावचों में बाँटा गया है।

→ वनस्पति-पृथ्वी तल पर मिलने वाले घास, झाड़ियों, पेड़-पौधों, वृक्षों एवं शैल रूपी स्वरूप को वनस्पति कहा जाता है।

→ बस्ती- भूतल पर मानव निर्मित गृहों का समूह।

→ परिवहन-वस्तुओं तथा व्यक्तियों को किसी साधन द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ढोने व लाने ले जाने की क्रिया।

→ प्रक्षेप-अक्षांश या देशान्तर रेखाओं का क्रमबद्ध जाल जिसे किसी समतल पृष्ठ या धरातल पर सम्पूर्ण पृथ्वी तथा उसके किसी अंश को प्रदर्शित करने के लिए बनाया जाता है।

→ उच्चावच मानचित्र-पर्वत, पठार, पहाड़ियाँ एवं मैदान आदि उच्चावच के लक्षणों को दर्शाने वाले मानचित्र उच्चावच मानचित्र कहलाते हैं।

→ समोच्च रेखाएँ-किसी धरातल पर समुद्र तल से समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाती हुई कल्पित रेखाओं को मानचित्र पर व्यक्त करने के लिए खींची गई रेखाएँ समोच्च रेखाएँ कहलाती हैं।

→ तीव्र ढाल-किसी उच्चावचीय भाग का अधिक खड़े स्वरूप को दर्शाने से बनने वाला ढाल।

→ मंद ढाल-किसी धरातल का ऊपर अथवा नीचे की ओर झुकाव।

→ भृगु-जब कोई सागरीय तट एकदम सीधा खड़ा होता है उसे भृगु कहा जाता है।

→ जल प्रपात-किसी नदी तल पर अधिक ऊँचाई से पानी का अचानक ऊर्ध्वाधर गिरना जल प्रपात कहलाता है। 

→ महाखड्डु-नदी निर्मित अत्यधिक सँकरी व गहरी घाटी।

→ अवतल ढाल-जब उच्चावच स्थलाकृति का निचला भाग मंद ढाल वाला एवं ऊपरी भाग खड़े ढाल वाला हो तो उसे अवतल ढाल कहा जाता है।

→ उत्तल ढाल-जब उच्चावच स्थलाकृति का ऊपरी भाग मंद ढाल वाला एवं निचला भाग खड़े ढाल वाला होता है, उसे उत्तल ढाल कहा जाता है।

→ शंक्वाकार पहाड़ी-धरातल के ऊपर उठा हुआ शंकुनुमा उच्चावचीय भाग जो प्रायः 900 मी. से ऊँचा हो।

→ पठार-एक विस्तृत चपटा उठा हुआ भूभाग, जो आसपास के मैदान या समुद्र से ऊँचा उठा हुआ होता है, पठार कहलाता है।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

→ घाटी- भूतल पर अपेक्षाकृत लम्बी किंतु सँकरी द्रोणी जिसका ढाल मंद तथा नियमित होता है।

→ पर्वत स्कन्ध-पर्वत श्रृंखलाओं से घाटी की ओर की झुकी हुई उत्तल ढाल वाली आकृति को पर्वत स्कन्ध कहते हैं।

→ अनुप्रस्थ परिच्छेद-किसी सरल रेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप में कटी हुई भूमि का पार्श्व चित्र अनुप्रस्थ परिच्छेद अथवा परिच्छेदिका कहलाता है।

→ समोच्च रेखीय अंतराल-दो उत्तरोत्तर समोच्च रेखाओं के बीच का अंतर समोच्च रेखीय अंतराल या ऊर्ध्वाधर अंतराल कहलाता है।

→ घनत्व-प्रति इकाई क्षेत्रफल पर किसी तथ्य की मात्रा अथवा उसकी गहनता की माप।

→ पत्तन-पोताश्रय युक्त बंदरगाह जहाँ जलयानों के ठहरने, सामान उतारने तथा चढ़ाने आदि की सुविधा विद्यमान होती है।

→ अपवाह-किसी क्षेत्र या प्रदेश में धरातलीय जल के प्रवाहन व उससे सम्बन्धित क्रिया।

→ संचार-विभिन्न स्थानों के बीच यातायात तथा यात्रा संपर्क।

→ उपांत सूचना-मानचित्र के किनारों पर प्रदर्शित की जाने वाली सूचना।

→ हैश्यूर-महीन एवं पास-पास खींची गई खण्डित रेखाओं की सहायता से पर्वतीय छायाकरण करके, मानचित्र में उच्चावच प्रदर्शित करने की विधि को हैश्यूर प्रणाली कहते हैं।

→ पहाड़ी छायांकन-छोटी मापनी पर बनाए गए मानचित्रों के लिए उपयोगी इस स्थिति के प्रदर्शित उच्चावच ऊपर से लिए गए फोटोग्राफ के समान प्रतीत होता है।

RBSE Class 11 Geography Practical Notes Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

→ बैंचमार्क (तल चिह्न)-भवनों की दीवारों, नदियों एवं नहरों के पुलों तथा लोहे के खम्भों आदि पर वास्तविक सर्वेक्षण के अनुसार अंकित समुद्र तल से ऊँचाई प्रदर्शित करने वाले चिह्नों को बैंचमार्क या तलचिह्न कहा जाता है।

→ स्थानिक ऊँचाई-मानचित्र में धरातल के किसी स्थान की समुद्र तल से ऊँचाई प्रदर्शित करने वाले बिंदु को स्थानिक ऊँचाई कहा जाता है।

→ मानचित्र-किसी मापनी से लघुकृत हुए आयामों के आधार पर सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का चयनित संकेतात्मक एवं सामान्य प्रदर्शन मानचित्र कहलाता है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 10:39 a.m.
Published Aug. 4, 2022