RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

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RBSE Class 11 Geography Chapter 8 Notes वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

→ वायुमंडल का अर्थ (Means of Atmosphere):

  • हमारे चारों ओर फैले हुए गैसीय आवरण को ही वायुमण्डल कहा जाता है। यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण इसके साथ फैला हुआ है।
  • वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का सम्मिश्रण है। यह पृथ्वी को चारों ओर से ढके हुए है। धरातल पर जीवों का अस्तित्व वायुमण्डल के कारण ही सम्भव हो सका है।

→ वायुमंडल का संघटन (Composition of Atmosphere): 

  • वायु के कुल द्रव्यमान का 99 प्रतिशत भाग पृथ्वी की सतह से 32 किमी. की ऊँचाई तक प्राप्त होता है।
  • वायुमण्डल की वायु रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन है।
  • वायुमण्डल का संघटन गैसों, जलवाष्प तथा धूलिकणों से हुआ है।
  • वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा (78.8 प्रतिशत) नाइट्रोजन गैस की है। दूसरी महत्त्वपूर्ण गैस ऑक्सीजन है जिसकी वायुमण्डल में मात्रा 20.95 प्रतिशत है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड गैस मौसम विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर फैला देती है।
  • ओजोन वायुमण्डल की दूसरी महत्त्वपूर्ण गैस है जो कि पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच एक परत के रूप में पायी जाती है।
  • ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करके उन्हें पृथ्वी की सतह तक पहुँचने से रोकती है।
  • प्रतिशत भाग केवल 5 किमी. की ऊँचाई तक प्राप्त हो पाता है।
  • जलवाष्प पृथ्वी के तापमान को सन्तुलित बनाये रखने में अपना योगदान देती है।
  • वायुमण्डल के संगठन में तीसरा महत्त्वपूर्ण तत्व धूलिकण हैं। वायुमण्डल में इनकी उपस्थिति समुद्री नमक, महीन
  • मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूलि तथा उल्काओं के टूटने से होती है।
  • धुएँ एवं नमक के कण जलवाष्प को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अतः इन्हें 'आर्द्रताग्राही केन्द्रक' कहते हैं। जलवाष्प इन आर्द्रताग्राही केन्द्रों के चारों ओर संघनित होकर मेघों (बादलों) का निर्माण करती है। 

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना 

→ वायुमंडल की संरचना (Structure of Atmosphere):

  • वायुमण्डल की संरचना विभिन्न परतों में मिलती है। तापमान एवं दबाव के आधार पर वायुमण्डल में पाँच परतें पाई जाती हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, बाह्यमण्डल तथा बहिर्मण्डल।
  • धरातलीय महत्त्व की दृष्टि से क्षोभमण्डल एवं समतापमण्डल सबसे अधिक उपयोगी हैं। मौसम सम्बन्धी परिवर्तन क्षोभमण्डल में ही होते हैं।
  • समतापमण्डल में ओजोन परत भी पायी जाती है। तापमान, दबाव, वायु, आर्द्रता, बादल एवं वर्षण वायुमण्डल के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं जो किसी स्थान के मौसम एवं जलवायु के निर्धारक हैं। 
  • क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे निचला संस्तर (परत) है।
  • क्षोभमंडल व समतापमंडल को अलग करने वाले भाग को क्षोभ सीमा कहते हैं।
  • क्षोभसीमा से ऊपर व 50 किमी. के बीच समतापमंडल मिलता है।
  • मध्यमंडल समताप मंडल के ऊपर 80 किमी. की ऊँचाई तक मिलता है।
  • मध्यमंडल की ऊपरी सीमा मध्य सीमा कहलाती है।
  • आयन मंडल का विस्तार 80-400 किमी. के बीच मिलता है। आयनिक तरंगें इसी मंडल से परावर्तित होकर लौटती हैं।
  • वायुमंडल का सबसे ऊपरी संस्तर बर्हिमण्डल कहलाता है। ताप, दाब, हवा, आर्द्रता, बादल व वर्षण वायुमंडल में मिलने वाले मौसम व जलवायु के तत्व हैं।

→ वायुमण्डल (Atmosphere)-पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु गैस के विस्तृत फैलाव को वायुमण्डल कहते हैं।

→ जलवाष्प (Water Vapour)-वायुमण्डल में उपस्थित परिवर्तनीय गैस जोकि ऊँचाई के साथ घटती है।

→ सौर विकिरण (Solar Radiation)-सूर्य की सतह से लघु तरंगों द्वारा विकीर्ण ऊर्जा जो 1,86,000 मील प्रति सेकण्ड की गति से चलकर धरातल पर पहुँचती है।

→ पार्थिव विकिरण (Earth Radiation)-पृथ्वी से टकराकर पुनः अन्तरिक्ष की ओर दीर्घ तरंगों के रूप में लौटने वाली किरणों को पार्थिव विकिरण कहा जाता है।

→ ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect)-वायुमण्डल में ऊष्मा का अवरुद्ध हो जाना न्यून तरंगदैर्ध्य का सूर्य विकिरण वायुमण्डल में प्रवेश करता है लेकिन जाने वाला अधिक तरंगदैर्ध्य का विकिरण हरित गृह गैसों के द्वारा अवशोषित हो जाता है एवं पृथ्वी पर पुनर्विकरित कर दिया जाता है। इसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है।

→ जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels)- भूगर्भ में दबे हुए जीवों के अंश से निर्मित ऊर्जा प्राप्ति के साधन (कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस)।

→ पराबैंगनी किरणें (Ultraviolet Rays)-सूर्य से विकीर्ण होने वाली अत्यंत लघु विद्युत चुम्बकीय तरंगें जिनकी लम्बाई एक्सरे तरंगों से अधिक किन्तु दृष्ट प्रकाश के बैंगनी रंग से कम होती है। प्राणियों की त्वचा पर पराबैंगनी किरणें विटामिन 'डी' की उत्पत्ति में सहायक होती हैं। किन्तु अधिक पराबैंगनी विकिरण भूतल पर जीवन के लिए घातक होता

→ उष्ण कटिबंध (Torrid/Tropical Zone)- भूमध्य रेखा के दोनों ओर अयनवृत्तों के मध्य स्थित पृथ्वी का भाग। इस कटिबंध में वर्ष के कुछ महीनों को छोड़कर सूर्य की किरणें लगभग लम्बवत् चमकती हैं।

→ रेगिस्तान (Desert)-वह वीरान क्षेत्र जहाँ नमी के अभाव में वनस्पतियों का विकास नहीं हो पाता है यद्यपि यत्र-तत्र छोटी घासें तथा छोटी-छोटी झाड़ियाँ पायी जाती हैं।

→ विषुवत रेखा (Equator)-ग्लोब पर दोनों ध्रुवों के मध्य से गुजरने वाला काल्पनिक वृत्त जो ग्लोब को दो समान भागों में विभक्त करता है। पृथ्वी के केन्द्र से गुजरने वाला तल जो भूअक्ष पर लम्बवत् होता है।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

→ आर्द्रता (Humidity)-किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान आर्द्रता की मात्रा को सामान्यतः प्रतिशत में मापा जाता है।

→ शुष्क प्रदेश (Arid Zone or Arid Land)-वह प्रदेश जहाँ वर्षा की मात्रा इतनी कम होती है कि वह वनस्पतियों के विकास के लिए अपर्याप्त होती है। सामान्यतः उस क्षेत्र को शुष्क प्रदेश माना जाता है।

→ क्षोभमण्डल (Troposphere)-वायुमण्डल का सबसे निचला स्तर जिसकी औसत ऊँचाई 13 किमी. है। इसमें जलवाष्प एवं मेघ पाये जाते हैं।

→ मौसम (Season)-किसी स्थान विशेष पर किसी लघु समय में वायुमण्डलीय दशाओं के योग को मौसम कहते हैं। वायुमण्डलीय दशाओं में तापमान वायुदाब वर्षा, हवाएँ, आर्द्रता आदि को शामिल करते हैं।

→ समतापमण्डल (Stratosphere)-क्षोभ सीमा के ऊपर 50 किमी. की ऊँचाई तक का भाग समतापमण्डल कहलाता है। इसमें ओजोन परत पाई जाती है।

→ क्षोभसीमा (Tropopause)-वायुमण्डल में क्षोभमण्डल और समताप मण्डल के मध्य स्थित विच्छेदन तल जो दोनों मण्डलों को पृथक् करता है। यह एक पतली परत के रूप में मिलता है जिसकी मोटाई लगभग 1.5 किमी. है।

→ ओजोन मण्डल (Ozonosphere)-समताप मण्डल के निचले भाग में भूतल से लगभग 20 और 50 किमी. ऊँचाई के मध्य स्थित वायुमण्डलीय पेटी जिसमें ओजोन गैस की प्रधानता पायी जाती है।

→ मध्य मंडल (Mesosphere)-भूतल से लगभग 50 किमी से 80 किमी की ऊँचाई तक का वायुमण्डल जिसमें ऊँचाई के साथ तापमान में ह्रास होता जाता है। इसके नीचे समताप सीमा और ऊपर मध्य सीमा स्थित है।

→ मध्यमंडल सीमा (Mesopause)-भूतल से लगभग 80 किमी की ऊँचाई पर मध्यमण्डल के ऊपर स्थित पतली परत जिसमें वायुमण्डल का न्यूनतम तापमान पाया जाता है। वायुमण्डल में न्यूनतम तापमान की यह सीमा मध्य मण्डल सीमा कहलाती है।

→ आयनमण्डल (Ionosphere)-समतापमण्डल के ऊपर वायुमण्डल का भाग जिसमें ऐसी विशिष्ट परत पायी जाती है जो विद्युत चुम्बकीय तरंगों को पुनः पृथ्वी पर परावर्तित करती है।

→ बहिर्मण्डल (Exosphere)-पृथ्वी के वायुमण्डल का सबसे ऊपरी भाग जिसके विषय में अभी विशेष ज्ञात नहीं हो सका है। यह मण्डल धरातल से लगभग 640 किमी. के ऊपर व्याप्त है।

→ जलवायु (Climate)-दीर्घ अवधि (कई वर्ष) के दौरान मौसम सम्बन्धी दशाओं के साधारणीकरण को जलवायु कहते हैं।

Prasanna
Last Updated on Aug. 9, 2022, 9:40 a.m.
Published Aug. 4, 2022