These comprehensive RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास will give a brief overview of all the concepts.
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→ पृथ्वी की उत्पत्ति (Origin of the Earth):
→ ब्रह्मांड की उत्पत्ति (Origin of the Universe) :
→ तारों का निर्माण/उत्पत्ति (Origin of Stars) :
→ ग्रहों का निर्माण (Origin of Planets):
→ सौरमण्डल (Solar System):
→ चन्द्रमा (The Moon):
चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है जिसकी उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी व एक बड़े आकार के पिंड के टकराने से मानी जाती है। इस टकराव को 'द बिग स्प्लैट' कहा गया है।
→ पृथ्वी की उत्पत्ति (Origin of Earth) :
→ वायुमंडल व जलमंडल का विकास (Origin of Atmosphere and Hydrosphere):
→ जीवन की उत्पत्ति (Origin of Life):
→ पृथ्वी (Earth): सौरमण्डल का एक सदस्य ग्रह, जिस पर मानव का निवास है और जो अपने अक्ष पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता है। चन्द्रमा इसका एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है।
→ तारे (Stars): गैसीय द्रव्य से बने दीप्तिमान ब्रह्माण्डीय पिंड तारे कहलाते हैं। ब्रह्माण्ड में लगभग 5000 तारे हैं। पृथ्वी के सबसे निकट का तारा सूर्य है।
→ परिकल्पना (Hypotheses): प्राकृतिक विश्व के सम्बन्ध में एक अनुमान, जिसे परीक्षण एवं प्रयोगों के द्वारा स्वीकारा या नकारा जा सकता है। परिकल्पना या अवधारणा या संकल्पना कहलाती हैं।
→ नीहारिका (Nebula): धूलि एवं गैसों का बादल नेबुला या निहारिका कहलाता है।
→ ब्रह्माण्ड (Universe) ब्रह्माण्ड वह अनन्त आकाश है जिसमें असंख्य तारे, ग्रह, सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा आदि सम्मिलित हैं। ब्रह्माण्ड को आंग्ल भाषा में कॉसमास (Cosmos) कहा जाता है।
→ गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force): विश्व में समस्त वस्तुएँ चाहे वे छोटी हों या बड़ी हों, एक-दूसरे के ऊपर बल लगाती हैं। यह गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
→ सूर्य (Sun): यह आकाश में स्थित असंख्य तारों में से एक तारा है तथा सौरमण्डल का प्रमुख सदस्य है। सूर्य से ही सौरमण्डल के ग्रहों एवं उपग्रहों की उत्पत्ति हुई है। यह एक धधकता हुआ आग का गोला है। इसकी सतह का औसत तापमान 6000° सेन्टीग्रेड है।
→ द्वैतारक सिद्धान्त (Binary Theories): पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित वह सिद्धान्त जो सौर परिवार की उत्पत्ति - दो तारों से मानता है। इस सिद्धान्त के अनुसार ग्रहों का निर्माण सूर्य के समीप एक दूसरे भ्रमणशील तारे के गुजरने से हुआ है।
→ आकाशगंगा (Galaxy): तारों के विशाल समूह को आकाश गंगा या मंदाकिनी कहते हैं। इसमें प्रत्येक तारा अपना स्वतन्त्र परिवार रखता है।
→ प्रकाश वर्ष (Light year): यह दूरी मापने की एक बड़ी इकाई है। प्रकाश की गति 3 लाख किमी. प्रति सैकण्ड है। एक वर्ष में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा, वह एक प्रकाश वर्ष होगा। यह 9.461 x 1012 किमी. के बराबर है।
→ ग्रह (Planet): यह एक ऐसा आकाशीय पिण्ड होता है जो किसी तारे के चारों ओर चक्कर लगाता है तथा उससे छोटा होता है। सौरमण्डल में ऐसे ही गर्य से छोटे आठ ग्रह हैं।
→ ग्रहाणु (Planetesimal): ग्रहों की उत्पत्ति से पूर्व ब्रह्माण्ड में बिखरे छोटे-छोटे धूलिकणों जैसी आकृति वाले कण। ग्रहाणुओं से एकत्रित होने से ही पृथ्वी की रचना हुई।
→ ससंजन (Cohesion): अणुओं में परस्पर आकर्षण की प्रक्रिया ससंजन कहलाती है।
→ संघट्टन (Collision) छोटे-छोटे पिण्डों से बड़े पिण्ड बनने की प्रक्रिया है।
→ सौरमण्डल (Solar System): सूर्य एवं इसके परिवार को सौरमण्डल कहा जाता है, इसमें तारे, धूमकेतु, क्षुद्रग्रह आदि शामिल होते हैं।
→ उपग्रह (Satellite): ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाने वाले प्राकृतिक आकाशीय पिण्ड।
→ क्षुद्र ग्रह (Asteroids): सूर्य का परिक्रमण करने वाले मंगल तथा बृहस्पति की कक्षाओं के मध्य के छोटे-छोटे ग्रहों को क्षुद्रग्रह कहते हैं। सभी क्षुद्र ग्रह अनियमित आकार के होते हैं। इनकी संख्या लगभग 4500 है।।
→ धूमकेतु (Comets): आकाश में कभी-कभी एक सिर एवं एक पूँछ के आकार का एक तारा दिखाई पड़ता है। इसे धूमकेतु अथवा पुच्छल तारा कहते हैं। वे आकाशीय धूल, बर्फ व गैस के पिण्ड जो सूर्य के चारों ओर घूमते हैं, धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं।
→ पार्थिव ग्रह (Terrestrial Planet); बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल पार्थिव या भीतरी ग्रह कहलाते हैं। ये ग्रह सूर्य व क्षुद्र ग्रहों की पट्टी के मध्य स्थित हैं।
→ जोवियन ग्रह (Jovian Planet): बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण ग्रह जोवियन ग्रह कहलाते हैं। ये ग्रह गैस से बने विशाल आकार में हैं।
→ वायुमण्डल (Atmosphere): पृथ्वी के चारों ओर कई सौ किमी. की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहते हैं।
→ खगोलीय पिंड (Celestial Objects): तारे, ग्रह, चन्द्रमा एवं आकाश के बहुत से अन्य पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं।
→ चन्द्रमा (Moon): पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। यह पृथ्वी से लगभग 3,84,000 किमी. दूर है तथा इसकी घूर्णन व परिक्रमण की अवधि 27.32 दिन है।
→ प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite): किसी ऐसे पिंड को जो किसी अन्य मुख्य पिंड की परिक्रमा करता है, उपग्रह कहते हैं। दूसरे शब्दों में वे आकाशीय पिण्ड जो ग्रहों के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, उपग्रह या प्राकृतिक उपग्रह कहलाते हैं। उदाहरण—चन्द्रमा जो पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है।
→ डंबल (Dumb-bell): मध्य से पतले एवं किनारों से मोटी आकृति वाले पिंड।
→ द बिग स्प्लेट (The big Splat): वर्तमान वैज्ञानिक पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव से मानते हैं जिसे 'द बिग स्प्लेट' कहा जाता है।
→ वातावरण (Environment): पृथ्वी के चारों ओर फैले हुए आवरण को वातावरण कहते हैं जिसमें जैविक, अजैविक व सांस्कृतिक घटक शामिल होते हैं।
→ क्रोड (Core): पृथ्वी का केन्द्रीय भाग। क्रोड को दो भागों में विभाजित किया गया है
→ स्थलमंडल (Lithosphere): भूपर्पटी का सबसे उपरी भाग।
→ उल्का (Meteor): अन्तरिक्ष में घूमते हुए धूल व गैस पिंड पृथ्वी के वायुमण्डल में आने के बाद घर्षण के कारण चमकने लगते हैं तथा पृथ्वी पर पहुँचने से पहले जलकर राख हो जाते हैं। उन्हें उल्का कहते हैं।
→ गुरुत्व बल (Gravity Force): एक आकर्षण बल जिसके द्वारा समस्त वस्तुएँ पृथ्वी के केन्द्र की ओर संचलन की प्रवृत्ति रखती हैं।
→ संहत (Density): सघनता, ठोसपन, घनापन, घनत्व।
→ भूपर्पटी (Crust): पृथ्वी का ठोस सबसे बाहरी भाग।
→ प्रावार (Mantle): भूगर्भ में पर्पटी के नीचे का भाग प्रावार कहलाता है। इसी से ज्वालामुखी उद्गार होता है।
→ विभेदन (Differentiation): हल्के एवं भारी घनत्व वाले पदार्थों के अलग होने की प्रक्रिया को विभेदन कहते हैं। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र की ओर चले गये तथा हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर ऊपरी भाग की ओर आ गये।
→ जैवमण्डल (Biosphere): स्थलमण्डल, जलमंडल व वायुमंडल में मिलने वाला जीवों से सम्बन्धी मंडल।
→ प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया (Photosynthesis Process): पौधों में जल, प्रकाश, पर्णहरित एवं कार्बन डाई ऑक्साइड की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स के निर्माण की प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा पौधे अपना भोजन बनाते हैं।
→ सौर पवन (Solar wind): सूर्य द्वारा उत्सर्जित गैसों का आवेशित बादल, जोकि सूर्य से सभी दिशाओं में गमन करता है।
→ गैस उत्सर्जन (Degassing): पृथ्वी के आन्तरिक भाग से धरातल पर गैसों के आने की प्रक्रिया गैस उत्सर्जन कहलाती है।
→ महासागर (Ocean): भूमण्डलीय भाग को घेरे हुए उपस्थित लवणीय जल की विशाल जल संहति को महासागर कहते हैं।
→ अणु (Molecules): यह किसी पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है, जिसमें उस पदार्थ के गुण निहित होते हैं।
→ शैवाल (Blue green algae): सामान्य जीवों की तरह पादपों का एक ऐसा समूह जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, शैवाल कहलाते हैं। यह प्रायः भूरे, हरे अथवा लाल रंग के होते हैं तथा मुख्यतः जल अथवा आर्द्र क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह एक जलीय पौधों का समूह है। इन पौधों में न फूल आते हैं और न ही पत्तियाँ होती हैं।
→ जीवाश्म (Fossils): भूगर्भ में दबे हुए जीव-जन्तुओं के प्राचीनकालीन अंश।
→ महाकल्प (Era): भौगोलिक समय की सबसे बड़ी इकाई।
→ कल्प (Period): भू-वैज्ञानिक काल का एक उपविभाग जो अनेक युगों के समेकन से बनता है।
→ युग (Epoch): कल्प का एक भाग युग कहलाता है।