RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

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RBSE Class 11 Geography Chapter 16 Notes जैव-विविधता एवं संरक्षण

→ जैव विविधता (Bio-Diversity) :

  • सौर ऊर्जा एवं जल ही अपक्षय में विविधता और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न जैव विविधता का मुख्य कारण है। उष्ण कटिबंधीय वनों में जैव-विविधता की अधिकता मिलती है।
  • प्रजातियों के दृष्टिकोण से एवं अकेले जीवधारी के दृष्टिकोण से जैव विविधता सतत् विकास का तंत्र है। 
  • पृथ्वी पर जैव विविधता में असमानता देखने को मिलती है। जैव विविधता उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में अधिक होती है तथा ध्रुवीय प्रदेशों की ओर कम होती जाती है।
  • जैव विविधता दो शब्दों के मेल से बना है Bio अर्थात् जीव व Diversity अर्थात् विविधता।
  • जैव विविधता सजीव संपदा है, यह विकास के लाखों वर्षों के इतिहास का परिणाम है। 

→ जैव विविधता के प्रकार (Types of Bio-Diversity)
जैव विविधता को तीन स्तरों पर समझा जा सकता है

  • आनुवंशिक जैव-विविधता-किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव-विविधता है।
  • प्रजातीय विविधता-यह किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित होती है। जिन क्षेत्रों में अधिक प्रजातीय विविधता मिलती है, उन्हें विविधता के हॉट-स्पाट कहा जाता है।
  • पारितन्त्रीय विविधता–प्रत्येक प्रकार के पारितन्त्रों में होने वाली पारितन्त्रीय प्रक्रियाओं तथा आवास स्थलों की भिन्नता पारितन्त्रीय विविधता कहलाती है।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण 

→ अनुवंशिक जैव विविधता (Genetic Bio-diversity) :

  • किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवंशिक जैव-विविधता है।
  • मानव आनुवंशिक रूप से होमोसेपियन प्रजाति से सम्बन्धित है। 

→ प्रजातीय विविधता (Species Diversity) :

  • प्रजातियों की विविधता, उनकी समृद्धि, प्रकार व बहुलता से आँकी जाती है।
  • जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है उन्हें हॉट-स्पॉट क्षेत्र कहते हैं। 

→ पारितंत्रीय विविधता (Ecosystem Diversity) :
पारितंत्रीय प्रक्रियाएँ व आवास स्थानों की भिन्नता ही पारितंत्रीय विविधता बनाती हैं। 

→ जैव विविधता का महत्व (Importance of Bio-diversity) :
जैव विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत सहयोग प्रदान किया है। इसी प्रकार मानव समुदायों ने भी आनुवंशिक, प्रजातीय व पारिस्थितिक स्तरों पर प्राकृतिक विविधता को बनाए रखने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। 

→ जैव विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका (Ecological Role of Bio-diversity ):

  • जिस पारितन्त्र में जितनी अधिक प्रजातियाँ होंगी, वह पारितन्त्र उतना ही अधिक स्थायी होगा।
  • खाद्य फसलें, पशु, वन, मत्स्य तथा दवा संसाधन आदि कुछ ऐसे प्रमुख आर्थिक महत्व के उत्पाद हैं, जो मानव को जैव विविधता के फलस्वरूप उपलब्ध होते हैं।
  • फसलों की विविधता को कृषि जैव विविधता भी कहते हैं।

→ जैव विविधता का ह्रास (Loss of Bio-diversity):

  • बढ़ती जनसंख्या द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वृहद् स्तर पर किया जा रहा संसाधनों का विदोहन व वनोन्मूलन से अनेक जैव प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों का विनाश हुआ है जिससे अनेक प्रजातियों की संख्या में तेजी से कमी आ गयी है।
  • प्राकृतिक आपदाएँ भी भूपटल पर मिलने वाली जैव प्रजातियों को हानि पहुँचाती हैं।
  • विदेशज प्रजातियों के आगमन तथा अवैध रूप से किये जा रहे शिकार से अनेक जैव प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर आ गयी हैं। 

→ संकटापन्न प्रजातियाँ (Endangered Species) :

  • संकटापन्न पादप व जन्तु प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभक्त किया गया है
    • संकटापन्न प्रजातियाँ,
    • सुभेद्य प्रजातियाँ तथा
    • दुर्लभ प्रजातियाँ।
  • आई. यू. सी. एन. विश्व की समस्त संकटापन्न प्रजातियों के बारे में रेड लिस्ट के नाम से सूचना प्रकाशित करता है।

→ जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Bio-diversity) :

  • मानव के अस्तित्व के लिए जैव विविधता अति आवश्यक है।
  • जीवन का प्रत्येक रूप एक-दूसरे पर इतना निर्भर है कि किसी एक प्रजाति पर संकट आने से दूसरों में असन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिससे पर्यावरण में गिरावट आती है और अन्ततः मनुष्य का अपना अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।
  • मानव को पर्यावरण मैत्री सम्बन्धी पद्धतियों के प्रति जागरूक किया जाए और विकास की ऐसी व्यावहारिक गतिविधियाँ अपनायी जायें जो दूसरे जीवों के साथ समन्वित हों एवं सतत पोषणीय हों।
  • वर्तमान में जैव प्रजातियों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिये यह आवश्यक है कि इसमें स्थानीय मानव समुदाय तथा प्रत्येक व्यक्ति अपने उत्तरदायित्वों का वहन करे। विश्व संरक्षण कार्य-योजना द्वारा जैव-विविधता के संरक्षण के लिए अनेक तरीके सुझाए गए हैं। भारत सरकार ने विभिन्न जैव प्रजातियों के संरक्षण के लिये वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 पारित किया है। इसके अन्तर्गत नेशनल पार्क, जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र तथा पशु विहार स्थापित किये गये हैं।
  • ऐसे क्षेत्र जो अधिक संकट में हैं, उनमें संसाधनों को उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण संरक्षण की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने उन्हें जैव-विविधता के हॉट-स्पॉट क्षेत्रों के रूप में निर्धारित किया है।

→ जैव विविधता (Bio-diversity) किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता जैव विविधता कहलाती है।

→ संरक्षण (Conservation)-भविष्य के लिए प्राकृतिक पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा।

→ अपक्षय (Weathering)-प्राकृतिक प्रक्रमों द्वारा अपने स्थान पर ही शैलों के विघटन तथा वियोजन की क्रिया।

→ अपक्षय प्रावार (Weathering Mantle)-अल्पसिलिक शैलों की एक परत पर होने वाली चट्टानों की स्थैतिक टूट-फूट।

→ सतत् विकास (Sustainable Development)-मानव द्वारा संसाधनों का विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग करते हुए उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक बनाए रखने की प्रक्रिया।

→ उष्ण कटिबंध (Tropical Zone)-भूमध्य रेखा के दोनों ओर अयन वृत्तों के मध्य स्थित पृथ्वी का भाग।

→ आनुवंशिक जैव-विविधता (Genetic biodiversity)-किसी प्रजाति में जीन (Gene) की विविधता।

→ प्रजातीय जैव विविधता (Racial Diversity)-किसी निर्धारित क्षेत्र में मिलने वाली प्रजातियों की विविधता प्रजातीय जैव विविधता कहलाती है।

→ पारितंत्रीय जैव विविधता (Eco System diversity)-विभिन्न प्रकार के पारितंत्रों में होने वाली पारितंत्रीय प्रक्रियाएँ व आवास स्थानों की भिन्नताएँ पारितंत्रीय जैव विविधता कहलाती हैं।

→ जीन (Gene)-जीवन निर्माण की एक मूलभूत इकाई।

→ प्रजाति (Species)-समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों का समूह। 

→ हॉट स्पॉट (Hot Spot)-प्रजातीय विविधता के व्यापक क्षेत्र ।

→ पारितंत्र (Ecosystem)-किसी पर्यावरण में समस्त जीवित एवं अजीवित कारकों की पारस्परिक अन्तर्किया तथा उनके समाकलन से उत्पन्न तंत्र।

→ वायुमंडल (Atmosphere)-पृथ्वी के चारों ओर व्याप्त वायु की मोटी परत या आवरण जिसमें विभिन्न गैसों का मिश्रण पाया जाता है।

→ जलवायु (Climate)-किसी स्थान की लम्बे समय की औसत मौसमिक दशाओं के योग को जलवायु कहते हैं।

→ पर्यावरण (Environment)-भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं का योग जिनकी अनुभूति किसी प्राणी या प्राणियों को होती है।

→ संसाधन (Resource)-पृथ्वी पर अथवा ग्रहों एवं उपग्रहों पर पाया जाने वाला प्रत्येक पदार्थ जो मनुष्य के लिए उपयोगी है।

→ वनोन्मूलन (Deforestation)-वृक्षों को काटकर अथवा जलाकर किसी वनभूमि को वृक्षहीन बनाने की क्रिया।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

→ जैवमंडल (Biosphere)-पृथ्वी पर मिलने वाले जैवमण्डल, वायुमण्डल व स्थलमण्डल के जीवों व उनकी पारस्परिक क्रियाओं से सम्बन्धित मण्डल।

→ भूकम्प (Earthquake)-भूपटल में होने वाला आकस्मिक कंपन या गति जिसकी उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से भूतल के नीचे एक केन्द्र से होती है।

→ बाढ़ (Flood)-सामान्यतः किसी शुष्क भूमि पर आकस्मिक रूप से अत्यधिक जलराशि के पहुँच जाने से उत्पन्न धरातलीय जलप्रवाह जिसमें विस्तृत भू-क्षेत्र जलाच्छादित हो जाता है।

→ ज्वालामुखी (Volcano)-भूपृष्ठ में स्थित छिद्र जिससे होकर भूगर्भ से तप्त तरल लावा, गैस, शैलखंड, राख, जल आदि बाहर निकलते हैं।

→ प्राकृतिक आपदा (Natural Hazards)-प्रकृतिजात दशाओं के कारण उत्पन्न होने वाली ऐसी स्थिति जिनसे अपार जन-धन की हानि होती है।

→ वनस्पति (Vegetation)-किसी प्रदेश का समस्त पादप जीवन। इसके अंतर्गत शैवाल से लेकर घासें, झाड़ियाँ, वृक्ष आदि समस्त पादप प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।

→ प्राणि जगत (Animals)-किसी निश्चित काल अथवा प्रदेश का पशु जीवन। 

→ दवा संसाधन (Medicinal Resources)-चिकित्सा सम्बन्धी संसाधन दवा संसाधन कहलाते हैं।

→ विदेशज प्रजातियाँ (Exotic Species)-वे प्रजातियाँ जो कि स्थानीय आवास की मूल जैव प्रजाति नहीं हैं लेकिन उस तंत्र में स्थापित हो जाती हैं, वे विदेशज प्रजातियाँ कहलाती हैं।

→ संकटापन्न प्रजाति (Endangered Species)-ऐसी प्रजातियाँ जिनकी संख्या विश्व में बहुत कम रह गयी है तथा जो अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए संघर्षशील हैं।

→ सुभेद्य प्रजातियाँ (Vulnerable Species)-संरक्षण के अभाव में निकट भविष्य में विलुप्त होने के खतरे वाली प्रजातियाँ सुभेद्य प्रजातियाँ कहलाती हैं।

→ रेड लिस्ट (Red List) विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों की सूची।

→ दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare Species) विश्व के सीमित क्षेत्रों पर अथवा बड़े क्षेत्र में विरल रूप से मिलने वाली प्रजातियाँ दुर्लभ प्रजातियाँ कहलाती हैं।

→ महा विविधता केन्द्र (Mega diversity Centres)-जिन देशों में सर्वाधिक प्रजातीय विविधता पायी जाती है, उन्हें महा विविधता केन्द्र कहा जाता है।

→ जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserves)-दुर्लभ एवं सामान्य प्रजातियों के संरक्षण हेतु निर्मित किए गये आवास स्थल जिनमें शिकार पर प्रतिबंध होता है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 9, 2022, 9:40 a.m.
Published Aug. 4, 2022