These comprehensive RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 14 महासागरीय जल संचलन will give a brief overview of all the concepts.
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→ महासागरीय जल (Oceanic Water) :
→ तरंगें (Waves):
→ ज्वार-भाटा (Tides):
→ महासागरीय धाराएँ (Oceanic Current's):
स्थल की भाँति महासागरों में भी जल एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवाहित होता रहता है, इन्हें महासागरीय धाराएँ कहा जाता है। यह निश्चित मार्ग व दिशा में जल के नियमित प्रवाह को प्रदर्शित करते हैं। महासागरीय धाराएँ प्राथमिक बल तथा द्वितीयक बलों के द्वारा नियन्त्रित होती हैं। इनकी गति के प्रवाह को नॉट में मापा जाता है। महासागर के सतह पर बहने वाली वायु जल को गतिमान करती है। कॉरियालिस बल के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में जल की गति की दिशा के दाहिनी तरफ व दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर प्रवाहित होता है।
→ महासागरीय धाराओं के प्रकार (Types of Oceanic Currents) :
→ महासागरीय धाराओं के प्रभाव (Effect's of Oceanic Currents):
→ महासागर (Ocean)-विशाल जलराशि के संचयन स्थल।
→ महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents)-समुद्र में एक निश्चित मार्ग व दिशा में जल के नियमित प्रवाह को महासागरीय धाराएँ कहते हैं।
→ तरंग (Waves)-सागरीय जल में दो अवनमनों के बीच की एक कटक तरंग/लहर कहलाती है। ज्यों ही कोई तरंग/लहर तट के निकट पहुँचती है तो यह जल के रूप में छल्ले में परिवर्तित होकर समाप्त हो जाती है। दूसरे शब्दों में, वायु दबाव से सागरीय सतह से जल के क्रमिक रूप में हिलने-डुलने और आगे बढ़ने व पीछे लौटने की क्रिया को तरंग/लहर कहते हैं।
→ उर्मिका (Ripple)-वायु, सरिता की धारा अथवा समुद्री लहरों द्वारा विशेष रूप से रेत पर बनने वाली छोटी और लगभग समानान्तर कटक, उर्मिका कहलाती है।
→ गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity Force)-सूर्य व चन्द्रमा जनित आकर्षण बल।
→ तरंग शिखर (Wave Crest)-तरंग का उच्चतम बिन्दु।
→ तरंग गर्त (Wave trough)-एक तरंग का निम्नतम बिन्दु।
→ तरंग की ऊँचाई (Wave height) तरंग के अध:स्थल से शिखर के ऊपरी भाग तक की ऊर्ध्वाधर दूरी।
→ तरंग आयाम (Amplitude)-तरंग की ऊँचाई का आधा।
→ तरंग काल (Wave Period)-एक निश्चित बिंदु से गुजरने वाले दो लगातार तरंग शिखरों या गर्तों के मध्य का समयान्तराल तरंग काल कहलाता है।
→ तरंग दैर्ध्य (Wave length)-दो शिखरों या गर्मों के बीच की क्षैतिज दूरी।
→ तरंग गति (Wave Speed)-जल के माध्यम से तरंग के गति करने की दर।
→ तरंग आवृत्ति (Wave Frequency)-एक सेकण्ड के समय अन्तराल में दिए गए बिन्दु से गुजरने वाली तरंगों की संख्या।
→ ज्वार-भाटा (Tide-Ebb)-महासागरों एवं सागरों के जल के तल में चन्द्रमा तथा सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से उत्पन्न उतार-चढ़ाव को ज्वार-भाटा कहते हैं।
→ महोर्मि (Surge)-जलवायु सम्बन्धी प्रभावों; जैसे-वायु एवं वायुमण्डलीय दाब में परिवर्तन आदि के कारण जल की गति को महोर्मि कहा जाता है।
→ अपकेन्द्रीय बल (Centrifugal Force)-किसी भी छोटी से छोटी वस्तु को एक धागे के सिरे पर बाँधकर वृत्ताकार घुमाये जाने पर उस वस्तु में सदैव दूर भागने की प्रवृत्ति दिखाई देती है जिसके परिणामस्वरूप वह धागे पर अभ्याकर्षण बल डालती है। इसी अभ्याकर्षण बल को अपकेन्द्रीय बल कहा जाता है।
→ खाड़ी (Bay) जिसके तीन किनारों के सहारे स्थलीय भूमि हो व आन्तरिक भाग जल युक्त हो।
→ भृगु (Cliff)-समुद्र की ओर मिलने वाला खड़े ढाल वाला भाग।
→ मग्नतट (Sub Merged Coast) महाद्वीप का ऐसा भाग जो समुद्र के सहारे होने के कारण उसमें डूबा रहता है।
→ ज्वारनदमुख (Estuaries)-नदी का मुख जहाँ नदी की धारा सागर में प्रवेश करते समय अधिक चौड़ी हो जाती है और जिसमें ज्वार और भार आता है, ज्वारनदमुख कहलाता है।
→ अर्द्ध दैनिक ज्वार (Semi-Diurnal Tide)-प्रति 12 घण्टे 26 मिनट के अंतराल पर आने वाला ज्वार।
→ दैनिक ज्वार (Diurnal Tide)-महासागरों के कुछ भागों में एक दिन में केवल एक बार आने वाला ज्वार ।
→ मिश्रित ज्वार (Mixed Tide)-किसी स्थान पर आने वाली असमान प्रकृति के अर्द्ध दैनिक ज्वार ।
→ निम्न ज्वार (Neap Tides)-निम्नतम भाटा (ebb) के समय का सागर तल।
→ उपभू (Perigee)-महीने में एक बार जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है तो उस स्थिति को उपभू कहते हैं।
→ अपभू (apogee)-महीने में एक बार जब चन्द्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है तो इस स्थिति को अपभू कहते हैं।
→ उपसौर (Perihelion)-जब पृथ्वी सूर्य के निकटतम होती है तो वह स्थिति उपसौर कहलाती है।
→ अपसौर (Aphelion)-जब पृथ्वी सूर्य से अधिक दूर होती है तो वह स्थिति अपसौर कहलाती है।
→ बहाव (Drift)-किसी धारा की गति उसका बहाव कहलाती है।
→ उच्च अक्षांश (High Latitudes)-आर्कटिक वृत्त (66½° उत्तरी अक्षांश) और ध्रुव के मध्य तथा अंटार्कटिक वृत्त (66½° दक्षिण अक्षांश) और दक्षिणी ध्रुव के मध्य स्थित अक्षांश।
→ उष्ण कटिबंध (Tropical Zone) भूमध्य रेखा के दोनों ओर अयनवृत्तों के मध्य स्थित पृथ्वी का भाग।
→ विषुवत रेखा (Equator) ग्लोब पर दोनों ध्रुवों के मध्य से गुजरने वाला काल्पनिक वृत्त जो ग्लोब को दो समान भागों में विभक्त करता है।
→ तापांतर (Range of Temperature)-किसी स्थान के उच्चतम और न्यूनतम तापमानों का अंतर। तापांतर दैनिक, मासिक अथवा वार्षिक होता है। .
→ प्रतिचक्रवात (Anti Cyclone)-वायुमंडल में स्थित उच्च दाब क्षेत्र संबद्ध पवन प्रवाह प्रणाली।
→ पोताश्रय (Harbours)-सागरीय तटों पर जलयानों के ठहरने के स्थान को पोताश्रय कहते हैं।
→ डी-सिल्टेशन (De-siltation)-सिलिकायुक्त चट्टानों में जल द्वारा रासायनिक विधि से सिलिका पृथक् होने की क्रिया को डी-सिल्टेशन या सिलिका पृथक्कीकरण कहा जाता है।
→ कॉरिऑलिस बल (Coriolis Force)-पवनें सामान्यत: उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती हैं किन्तु पृथ्वी की घूर्णन गति से उत्पन्न अपकेन्द्रीय बल के कारण पवनों की दिशा में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है। इसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में पवन दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर मुड़ जाती हैं। इस परिवर्तनकारी बल की खोज कॉरिऑलिस नामक विद्वान ने की थी।
→ वलय (Gyres)-कॉरिऑलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में जल की गति की दिशा के दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर प्रवाहित होता है तथा उनके चारों ओर के बहाव को वलय कहा जाता है।
→ पत्तन (Port)-पोताश्रय युक्त बंदरगाह जहाँ जलयानों के ठहरने, सामान उतारने तथा चढ़ाने आदि की सुविधा विद्यमान होती है।