RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 13 महासागरीय जल

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RBSE Class 11 Geography Chapter 13 Notes महासागरीय जल

→ जल का महत्व (Importance of water):

  • जल ही जीवन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना असम्भव है।
  • जल पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के जीवों के लिए आवश्यक घटक है।
  • पृथ्वी के धरातल पर जल की प्रचुर मात्रा उपलब्ध होने के कारण ही इसे 'नीला ग्रह' भी कहा जाता है। 

→ जलीय चक्र (Hydrological Cycle):

  • जल एक चक्रीय संसाधन है।
  • जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातल पर और धरातल से महासागर तक पहुँचता है।
  • जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात् गैस, तरल व ठोस में जल का परिसंचरण है। महासागरीय अधःस्तल का उच्चावच (Relief of Oceanic Basin) :
  • महासागर पृथ्वी की बाहरी परत में वृहत् गर्तों में स्थित है।
  • महासागरीय अधःस्तल का प्रमुख भाग समुद्र तल के नीचे 3 से 6 किमी. के मध्य मिलता है।
  • महासागरों की तली में विश्व की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाएँ, सबसे गहरे गर्त एवं सबसे बड़े मैदान होने के कारण ये ऊबड़-खाबड़ होते हैं। 
  • महासागरीय अधःस्तल को चार भागों में विभक्त किया जाता है:-
    • महाद्वीपीय शेल्फ प्रत्येक महाद्वीप का विस्तृत सीमान्त जो उथले सागरों तथा खाड़ियों से घिरा होता है।
    • महाद्वीपीय ढाल महासागरीय बेसिनों तथा महाद्वीपीय शेल्फ को जोड़ने वाला महासागरीय अध:स्तल।
    •  गंभीर सागरीय मैदान-3000 से 6000 मीटर के मध्य गहराई वाले महासागरीय बेसिन ।
    • महासागरीय गर्त महासागरों के सबसे गहरे संकीर्ण बेसिन। 

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 13 महासागरीय जल 

→ उच्चावच की लघु आकृतियाँ (Small Features of Relief) :

  • मध्य महासागरीय कटक, समुद्री टीला, सबसे सपाट जलमग्न कैनियन, निमग्न द्वीप तथा प्रवाल द्वीप महासागरीय अधःस्तल की अन्य लघु आकृतियाँ हैं।
  • मध्य महासागरीय कटक पर्वतों की दो शृंखलाओं से बना होता है।
  • समुद्री टीले ज्वालामुखी के द्वारा उत्पन्न होते हैं।
  • हडसन कैनियन विश्व का सबसे प्रसिद्ध कैनियन है।
  • निमग्न द्वीप चपटे शिखर वाले समुद्री टीले हैं जबकि प्रवाल द्वीप प्रवाल भित्तियों से युक्त निम्न आकार के द्वीप हैं।

→ महासागरीय जल का तापमान (Temperature of Oceanic Water) :

  • स्थल की तुलना में महासागरीय जल के गर्म व ठण्डा होने की प्रक्रिया धीमी होती है।
  • महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारकों में अक्षांशीय स्थिति, स्थल व जल का असमान वितरण, सनातनी पवनें तथा महासागरीय धाराएँ सर्वप्रमुख हैं।
  • बंद सागरों का तापमान खुले सागरों की तुलना में अधिक होता है।

→ तापमान का ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज वितरण (Horizontal and Vertical Distribution of Temperature):

  • महासागरीय जल की सीमा समुद्री सतह से लगभग 100 से 400 मीटर नीचे प्रारम्भ होती है।
  • महासागरीय जल का तापमान गहराई बढ़ने पर क्रमशः कम होता जाता है।
  • महासागर के सतही जल एवं गहरी परतों के बीच में स्थित एक सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्रता से गिरावट आती है, उसे ताप प्रवणता या थर्मोक्लाईन कहा जाता है।
  • महासागरीय जल के कुल आयतन का लगभग 90 प्रतिशत भाग ताप प्रवणता क्षेत्र के नीचे मिलता है। इस क्षेत्र में तापमान 0° सेल्सियस तक पहुँच जाता है। महासागरीय सतह के जल का औसत तापमान 27° सेन्टीग्रेड होता है तथा यह भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर क्रमिक ढंग से कम होता जाता है।
  • उत्तरी गोलार्द्ध के महासागरों का तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में अधिक रहता है।

→ महासागरीय लवणता (Oceanic Salinity) :

  • प्रति 1000 ग्राम सागरीय जल में घुले हुए नमक की मात्रा को महासागरीय जल की लवणता कहा जाता है, इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%) या PPT के रूप में भी व्यक्त किया जाता है।
  • महासागरीय जल की लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों में वाष्पीकरण एवं वर्षण, नदियों द्वारा सागरों में डाला जाने वाला ताजा जल, ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम के पिघलने की दर, पवनों की दिशा तथा महासागरीय धाराएँ प्रमुख हैं।
  • खुले सागरों के जल की लवणता सामान्यतः 33% से 37% के मध्य रहती है। महासागरों में सतही जल की लवणता के वितरण में पर्याप्त भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं।
  • गर्म एवं शुष्क क्षेत्रों में लवणता 70% तक मिलती है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध के पश्चिमी भागों में सागरीय जल की लवणता 31% के आसपास रहती है।
  • टर्की की वॉन झील (330%), मृत सागर (238%o) व ग्रेट साल्ट झील (220%o) सबसे उच्च लवणता वाले क्षेत्र हैं।
  • प्रशांत महासागर की लवणता में भिन्नता मुख्य रूप से इसके आकार एवं बहुत अधिक क्षेत्रीय विस्तार के कारण पायी जाती है।
  • अटलांटिक महासागर में औसत लवणता 36% तथा हिन्द महासागर में औसत लवणता 35% के लगभग है।
  • महासागरीय जल की लवणता सामान्यतः गहराई के साथ बढ़ती है। हैलोक्लाईन क्षेत्र में लवणता तीव्रता से बढ़ती है।
  • उच्च लवणता वाला समुद्री जल प्रायः कम लवणता वाले जल के नीचे बैठ जाता है। इससे लवणता का स्तरीकरण हो जाता है।

→ महासागर (Ocean)-पृथ्वी पर स्थित अति विशाल खुले जलीय भाग जिनमें भारी मात्रा में खारा व लवणीय जल भरा रहता है।

→ सौर मण्डल (Solar System)-सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्र ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमंडल कहा जाता है।

→ नीला ग्रह (Blue Planet)-जल की प्रचुरता (71%o) के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह कहते हैं।

→ जलीय चक्र (Hydrological Cycle)-जल मण्डल में गैस, तरल व ठोस रूप में जल का परिसंचरण जलीय चक्र कहलाता है।

→ संसाधन (Resource)-पृथ्वी पर अथवा अन्य ग्रहों एवं उपग्रहों पर पाया जाने वाला प्रत्येक पदार्थ जो मनुष्य के लिए उपयोगी है।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 13 महासागरीय जल

→ जलमंडल (Hydrosphere)-पृथ्वी के ऊपर स्थित समस्त जलीय भाग जो स्थलमंडल और वायुमण्डल से भिन्न होता है।

→ वर्षण (Precipitation)-वायुमण्डलीय स्रोत से जल के किसी भी रूप में भूतल पर होने वाली वर्षा ।

→ संघनन (Condensation)-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई पदार्थ वाष्प से तरल अवस्था में बदलता है। कभी-कभी धूलि कणों को एकत्रित होकर बादल बनने की प्रक्रिया को भी संघनन कहते हैं।

→ वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)-एक भौतिक प्रक्रम जिसके द्वारा पौधे अपनी जड़ों द्वारा ग्रहण की हुई नमी को अपनी पत्तियों के सूक्ष्म छिद्रों के माध्यम से जलवाष्प के रूप में निकालकर वायुमण्डल को लौटा देते हैं।

→ मृदा (Soil)-भूपृष्ठ पर स्थित ढीले तथा महीन कणों से निर्मित एक पतली परत जिसमें विभिन्न खनिजों के कण, ह्यूमस, आर्द्रता, वायु आदि संयुक्त होते हैं।

→ हिमानी (Glaciar)-एक सतत् हिमराशि जो एक नियत मार्ग से गुरुत्व शक्ति के कारण भूमि ढाल के सहारे ऊपर से नीचे की ओर अग्रसर होती है।

→ झील (Lake)-स्थलीय भाग में स्थित विस्तृत गर्त जिसमें जल भरा रहता है।

→ जैवमंडल (Biosphere)-पृथ्वी पर मिलने वाले जलमंडल, वायुमंडल व स्थलमंडल के जीवों व उनकी पारस्परिक क्रियाओं से सम्बन्धित मण्डल।

→ भूमिगत जल (Under Ground Water)-पृथ्वी की ऊपरी सतह के नीचे भूपटलीय शैलों के छिद्रों तथा दरारों में स्थित जल।

→ आर्द्रता (Humidity)-किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान नमी की मात्रा।

→ नवीनीकरण (Renewable)-ऐसे सभी संसाधन जिनका एक बार प्रयोग करने के पश्चात पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जा सकता है।

→ प्रदूषण (Pollution)-वायु, जल एवं मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन जो मानव तथा अन्य जीवों को क्षति पहुँचाता है।

→ उच्चावच (Relief)-पृथ्वी तल पर मिलने वाले उत्खात भौतिक स्वरूप जिन्हें प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के उच्चावचों में बाँटा गया है।

→ महाद्वीप (Continent)-सागर तल से ऊपर उठे हुए पृथ्वी के विशाल भू-भाग जो चारों ओर से या अधिकांश ओर से महासागरों से घिरे होते हैं।

→ निक्षेपण (Deposition)-किसी प्राकृतिक प्रक्रम द्वारा अवसादों या पदार्थों को अन्यत्र से लाकर किसी स्थान पर संचित करने या जमा करने की क्रिया।

→ महाद्वीपीय शेल्फ (Continental Sherf)-महासागरों का उथला भाग।

→ महाद्वीपीय ढाल (Continental Slope)-महासागरीय बेसिनों और महाद्वीपीय शेल्फ को जोड़ने वाली सीमा।

→ महासागरीय गर्त (Ocean Deeps)-महासागरों के सबसे गहरे गड्ढे । 

→ गंभीर सागरीय मैदान (Deep Sea basin)-महासागरीय बेसिनों के मन्द ढाल वाले क्षेत्र।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 13 महासागरीय जल

→ समुद्री टीला (Guyats)-नुकीले शिखरों वाला पर्वत। जो समुद्र में मिलता है।

→ कैनियन (Canyon)-महासागरीय नितल पर स्थित गहरी घाटियों को कैनियन कहते हैं।

→ निमग्न द्वीप –चपटे शिखर वाले समुद्री टीले। सर्वाधिक निमग्नद्वीप प्रशान्त महासागर में मिलते हैं।

→ प्रवाल द्वीप (Coral Island)-उष्ण कटिबंधीय महासागरों में स्थित प्रवाल भित्तियों से युक्त छोटे आकार के द्वीप।

→ ताप प्रवणता (Thermocline).-महासागर के सतही जल एवं गहरी परतों के मध्य स्थित एक सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्रता से गिरावट आती है। ताप प्रवणता या थर्मोक्लाईन कहलाती है। 

→ लवणता (Salinity)-समुद्री जल में घुले नमक की मात्रा (खारापन)।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 11:46 a.m.
Published Aug. 4, 2022