These comprehensive RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 13 महासागरीय जल will give a brief overview of all the concepts.
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→ जल का महत्व (Importance of water):
→ जलीय चक्र (Hydrological Cycle):
→ उच्चावच की लघु आकृतियाँ (Small Features of Relief) :
→ महासागरीय जल का तापमान (Temperature of Oceanic Water) :
→ तापमान का ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज वितरण (Horizontal and Vertical Distribution of Temperature):
→ महासागरीय लवणता (Oceanic Salinity) :
→ महासागर (Ocean)-पृथ्वी पर स्थित अति विशाल खुले जलीय भाग जिनमें भारी मात्रा में खारा व लवणीय जल भरा रहता है।
→ सौर मण्डल (Solar System)-सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्र ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमंडल कहा जाता है।
→ नीला ग्रह (Blue Planet)-जल की प्रचुरता (71%o) के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह कहते हैं।
→ जलीय चक्र (Hydrological Cycle)-जल मण्डल में गैस, तरल व ठोस रूप में जल का परिसंचरण जलीय चक्र कहलाता है।
→ संसाधन (Resource)-पृथ्वी पर अथवा अन्य ग्रहों एवं उपग्रहों पर पाया जाने वाला प्रत्येक पदार्थ जो मनुष्य के लिए उपयोगी है।
→ जलमंडल (Hydrosphere)-पृथ्वी के ऊपर स्थित समस्त जलीय भाग जो स्थलमंडल और वायुमण्डल से भिन्न होता है।
→ वर्षण (Precipitation)-वायुमण्डलीय स्रोत से जल के किसी भी रूप में भूतल पर होने वाली वर्षा ।
→ संघनन (Condensation)-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई पदार्थ वाष्प से तरल अवस्था में बदलता है। कभी-कभी धूलि कणों को एकत्रित होकर बादल बनने की प्रक्रिया को भी संघनन कहते हैं।
→ वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)-एक भौतिक प्रक्रम जिसके द्वारा पौधे अपनी जड़ों द्वारा ग्रहण की हुई नमी को अपनी पत्तियों के सूक्ष्म छिद्रों के माध्यम से जलवाष्प के रूप में निकालकर वायुमण्डल को लौटा देते हैं।
→ मृदा (Soil)-भूपृष्ठ पर स्थित ढीले तथा महीन कणों से निर्मित एक पतली परत जिसमें विभिन्न खनिजों के कण, ह्यूमस, आर्द्रता, वायु आदि संयुक्त होते हैं।
→ हिमानी (Glaciar)-एक सतत् हिमराशि जो एक नियत मार्ग से गुरुत्व शक्ति के कारण भूमि ढाल के सहारे ऊपर से नीचे की ओर अग्रसर होती है।
→ झील (Lake)-स्थलीय भाग में स्थित विस्तृत गर्त जिसमें जल भरा रहता है।
→ जैवमंडल (Biosphere)-पृथ्वी पर मिलने वाले जलमंडल, वायुमंडल व स्थलमंडल के जीवों व उनकी पारस्परिक क्रियाओं से सम्बन्धित मण्डल।
→ भूमिगत जल (Under Ground Water)-पृथ्वी की ऊपरी सतह के नीचे भूपटलीय शैलों के छिद्रों तथा दरारों में स्थित जल।
→ आर्द्रता (Humidity)-किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान नमी की मात्रा।
→ नवीनीकरण (Renewable)-ऐसे सभी संसाधन जिनका एक बार प्रयोग करने के पश्चात पुनः प्रयोग करने योग्य बनाया जा सकता है।
→ प्रदूषण (Pollution)-वायु, जल एवं मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन जो मानव तथा अन्य जीवों को क्षति पहुँचाता है।
→ उच्चावच (Relief)-पृथ्वी तल पर मिलने वाले उत्खात भौतिक स्वरूप जिन्हें प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के उच्चावचों में बाँटा गया है।
→ महाद्वीप (Continent)-सागर तल से ऊपर उठे हुए पृथ्वी के विशाल भू-भाग जो चारों ओर से या अधिकांश ओर से महासागरों से घिरे होते हैं।
→ निक्षेपण (Deposition)-किसी प्राकृतिक प्रक्रम द्वारा अवसादों या पदार्थों को अन्यत्र से लाकर किसी स्थान पर संचित करने या जमा करने की क्रिया।
→ महाद्वीपीय शेल्फ (Continental Sherf)-महासागरों का उथला भाग।
→ महाद्वीपीय ढाल (Continental Slope)-महासागरीय बेसिनों और महाद्वीपीय शेल्फ को जोड़ने वाली सीमा।
→ महासागरीय गर्त (Ocean Deeps)-महासागरों के सबसे गहरे गड्ढे ।
→ गंभीर सागरीय मैदान (Deep Sea basin)-महासागरीय बेसिनों के मन्द ढाल वाले क्षेत्र।
→ समुद्री टीला (Guyats)-नुकीले शिखरों वाला पर्वत। जो समुद्र में मिलता है।
→ कैनियन (Canyon)-महासागरीय नितल पर स्थित गहरी घाटियों को कैनियन कहते हैं।
→ निमग्न द्वीप –चपटे शिखर वाले समुद्री टीले। सर्वाधिक निमग्नद्वीप प्रशान्त महासागर में मिलते हैं।
→ प्रवाल द्वीप (Coral Island)-उष्ण कटिबंधीय महासागरों में स्थित प्रवाल भित्तियों से युक्त छोटे आकार के द्वीप।
→ ताप प्रवणता (Thermocline).-महासागर के सतही जल एवं गहरी परतों के मध्य स्थित एक सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्रता से गिरावट आती है। ताप प्रवणता या थर्मोक्लाईन कहलाती है।
→ लवणता (Salinity)-समुद्री जल में घुले नमक की मात्रा (खारापन)।