RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

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RBSE Class 11 Geography Chapter 1 Notes भूगोल एक विषय के रूप में

→ भूगोल का परिचय (Introduction of Geography):

  • भूगोल विविधताओं को समझने तथा समय व स्थान के संदर्भ में ऐसी विभिन्नताओं को उत्पन्न करने वाले कारकों की खोज करने की क्षमता प्रदान करता है।
  • भूगोल शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा (यूनानी भाषा) के दो मूल शब्दों Geo (पृथ्वी) एवं Graphos (वर्णन) से हुई है। जिसका अर्थ होता है-पृथ्वी का वर्णन या पृथ्वी का वर्णन करना। 
  • सर्वप्रथम भूगोल शब्द का प्रयोग यूनानी विद्वान इरेटॉस्थेनीज (276-194 ई. पू.) ने किया था। पृथ्वी को सामान्यतया मानव के आवास के रूप में देखा जाता है। जिस कारण विद्वान भूगोल को 'मानव के निवास के रूप में पृथ्वी का वर्णन' परिभाषित करते हैं।
  • भूगोल एक वैज्ञानिक विषय है जो समय और स्थान के सन्दर्भ में धरातलीय विभिन्नताओं का अध्ययन करता है। ये विभिन्नताएँ भौतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों में सर्वत्र देखने को मिलती हैं।

→ भूगोल की प्रकृति (Nature of Geography):

  • भूगोल एक अन्तर्विषयक विषय है जिसके अन्तर्गत प्राकृतिक विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों का अध्ययन किया जाता है।
  • भूगोल विषय के अन्तर्गत धरातल के विविध तत्वों के क्षेत्रीय वितरण का वर्णन मात्र ही नहीं किया जाता है बल्कि उनके स्वरूप एवं उत्पत्ति का कारण सहित विवरण भी प्रस्तुत किया जाता है।
  • भूगोल के दो मुख्य आधार स्तम्भ-प्रकृति अर्थात् भौतिक वातावरण एवं मानव के रूप में है। इसके अन्तर्गत भौतिक वातावरण के तत्व मानव को प्रभावित करते हैं एवं मानव स्वयं एक भौगोलिक कारक के रूप में वातावरण में परिवर्तन करता है। अतः मानव और प्रकृति दोनों ही परिवर्तनशील एवं गतिमान हैं।
  • भूगोल प्रकृति एवं मानव के अन्तक्रियात्मक सम्बन्धों का अध्ययन करता है। एक सामाजिक विज्ञान के रूप में भूगोल क्षेत्रीय समाकलन एवं संगठन का अध्ययन करता है। यह क्षेत्रीय विवरणों का विज्ञान है। एक वैज्ञानिक विषय के रूप में भूगोल क्या, कहाँ और क्यों सम्बन्धी प्रश्नों की उचित व्याख्या भी करता है।
  • भूगोल की प्रवृत्ति संश्लेषणात्मक है। यह धरातल के भौतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों की व्याख्या क्षेत्रीय सन्दर्भ में करता है। यह अन्य विज्ञानों से अलग स्थानिक सन्दर्भ में यथार्थता की समग्रता को समझने में सहायक होता है।
  • द्वैतवाद भूगोल की एक मुख्य विशेषता है जो अध्ययन के पक्षों पर दिए जाने वाले बल से सम्बन्धित है। 

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में 

→ भूगोल का विभाजन (Dividation of Geography):

  • भूगोल को दो भागों में बाँटा जा सकता है-भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल।
  • भौतिक भूगोल की सभी शाखाएँ प्राकृतिक विज्ञानों से सम्बन्धित हैं। परम्परागत भौतिक भूगोल भौमिकी, मौसम विज्ञान. जलविज्ञान एवं मृदा विज्ञान से सम्बन्धित है। इसी प्रकार भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, सामुद्रिक विज्ञान, मृदा भूगोल का प्राकृतिक विज्ञान से निकट का सम्बन्ध है। भूगोल की विभिन्न शाखाएँ विभिन्न सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्धित हैं। यह अन्य विज्ञानों में इस दृष्टि से भिन्न है कि यह विभिन्न विषयों से प्राप्त सूचनाओं एवं आँकड़ों का संश्लेषणात्मक अध्ययन करता है तथा मानचित्र के माध्यम से क्षेत्रीय प्रतिरूपों का निरूपण करता है।

→ भूगोल के उपागम (Approaches of Geography):

  • भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं
    • विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम एवं
    • प्रादेशिक उपागम।
  • विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम का प्रतिपादन जर्मन भूगोलवेत्ता अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (1769-1859 ई.) ने किया था जबकि प्रादेशिक उपागम का विकास जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर (1779-1859 ई.) के द्वारा किया गया।
  • विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम के अन्तर्गत एक तथ्य का सम्पूर्ण विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता है।
  • प्रादेशिक उपागम के अन्तर्गत विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभाजित करके एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। 

→ भूगोल का शाखाएँ.(Branches of Geography): विषय वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम के आधार पर भूगोल को दो शाखाओं- भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल में बाँटा जा सकता है।

  • भौतिक भूगोल की प्रमुख शाखाएँ-भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जलविज्ञान एवं मृदा भूगोल आदि हैं।
  • मानव भूगोल की प्रमुख शाखाएँ-सामाजिक एवं सांस्कृतिक भूगोल, जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल, आर्थिक भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल एवं राजनीतिक भूगोल आदि हैं।
  • भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के अन्तरापृष्ठ के फलस्वरूप भूगोल की एक नयी शाखा का उदय हुआ जिसे जीव भूगोल के नाम से जाना जाता है।
  • जीव भूगोल के अन्तर्गत पादप भूगोल, प्राणी भूगोल, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण भूगोल आदि को सम्मिलित किया जाता है।
  • प्रादेशिक उपागम के आधार पर भूगोल की शाखाओं के अन्तर्गत प्रादेशिक अध्ययन/क्षेत्रीय अध्ययन, प्रादेशिक विकास, प्रादेशिक विश्लेषण एवं प्रादेशिक योजना आदि सम्मिलित हैं।
  • भौगोलिक सूचना तंत्र भूगोल में एक नवीन अध्ययन तकनीक है, जिसने ज्ञान के नए परिदृश्य को बढ़ावा दिया है।

→ भौतिक भूगोल का महत्त्व (Importance of Physical Geography):

  • भौतिक भूगोल के अन्तर्गत भूमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल का अध्ययन किया जाता है।
  • वर्तमान समय में भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है।
  • आज संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने सम्पूर्ण विश्व में पारिस्थितिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतः सतत् विकास के लिए भौतिक पर्यावरण की जानकारी होना अति आवश्यक है जो कि भौतिक भूगोल. के बढ़ते हुए महत्व को दर्शाता है।

→ भूगोल (Geography)- भूगोल को एक विज्ञान माना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है-भू-गोल अर्थात् पृथ्वी गोल है। अंग्रेजी में भूगोल को 'ज्योग्राफी' कहते हैं। ज्योग्राफी एक यूनानी (ग्रीक) शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है-Geo (पृथ्वी) एवं graphos (वर्णन) अर्थात् पृथ्वी का वर्णन। सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी (ग्रीक) विद्वान इरेटॉस्थेनीज ने भूगोल शब्द का प्रयोग किया तथा भूगोल को धरातल के एक विशिष्ट विज्ञान के रूप में मान्यता प्रदान की।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

→ वातावरण (Environment)-चारों ओर की उन बाहरी दशाओं का सम्पूर्ण योग जिसके अन्दर एक जीव अथवा समुदाय रहता है या कोई वस्तु उपस्थित रहती है। वातावरण के दो भाग होते हैं-(i) भौतिक वातावरण, (ii) जैव वातावरण।

→ परिस्थान (Surroundings)-आस-पास का वातावरण अथवा परिस्थिति। दूसरे शब्दों में, मानव जिस परिवेश में रहता है, उसे उसका परिस्थान कहते हैं।

→ प्राकृतिक संसाधन (Natural resources)-प्रकृति से प्राप्त विभिन्न पदार्थ या तत्व जिसका कोई मानव उपयोग होता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। जैसे-सूर्य का प्रकाश, मिट्टी, जल, खनिज, वायु, वनस्पति आदि संसाधन प्रकृति द्वारा दिये गए निःशुल्क उपहार हैं।

→ अनुकूलन (Adaptation)-एक जीव का संरचनात्मक या व्यावहारिक परिवर्तन। एक अनुकूल अनुकूलन जीव को उत्तरजीविता एवं प्रजनन में सहायता प्रदान करता है। इसी प्रकार एक प्रतिकूल अनुकूलन से जीव की उत्तरजीविता एवं प्रजनन सामर्थ्य में कमी आती है।

→ ग्लोब (Globe)-पृथ्वी का लघु रूप में एक वास्तविक प्रतिरूप, जिस पर पृथ्वी का चित्र बना हो, ग्लोब कहलाता है।

→ भौगोलिक सूचना तन्त्र (Geographical Information System-GIS)-यह यथार्थ विश्व से सम्बन्धित स्थानिक आँकड़ों के संग्रहण, भण्डारण, इच्छानुसार पुनः प्राप्ति, रूपान्तरण एवं प्रदर्शन करने की एक सशक्त युक्तियों का कम्प्यूटर आधारित समूह है।

→ संगणक मानचित्र कला (Computer cartography)-कम्प्यूटर आधारित मानचित्रों के निर्माण की कला।

→ रेगिस्तान (Desert)-एक मृतप्राय स्थान अर्थात् जहाँ जलवायु सम्बन्धी प्रतिकूलता के कारण भूमि की उपजाऊपन क्षमता नगण्य होती है। ऐसे क्षेत्र प्रायः रेतीली बालू मृदा की प्रधानता दर्शाते हैं।

→ पत्तन (Port)-समुद्रतटीय भागों में मिलने वाले ऐसे स्थान जहाँ जलयान आकर रुकते हैं तथा सामान व व्यक्तियों का उतार-चढ़ाव होता है, पत्तन कहलाते हैं।

→ प्राकृतिक विज्ञान (Natural science)-मानव अपने आदिकाल से अपने चारों ओर घटित प्राकृतिक दृश्यों एवं प्राकृतिक घटनाओं को देखता रहा है। जैसे-आकाश का नीला दिखाई देना, आकाश में बिजली चमकना व कड़कना, समुद्र में ज्वार-भाटा आना, वर्षा के बाद इन्द्रधनुष दिखाई देना आदि। इन समस्त घटनाओं को जानने के लिए प्रारम्भ से ही मानव उत्सुक रहा होगा तथा इनकी खोज अपनी बुद्धि एवं तर्कपूर्ण अनुमान से ही नहीं बल्कि प्रयोगों द्वारा करता रहा होगा। इस प्रकार के अध्ययन से मानव ने यह निष्कर्ष निकाला कि प्रत्येक घटना किसी प्राकृतिक नियम के अनुसार होती है। इन्हीं नियमों व सुव्यवस्थित जानकारी को प्राकृतिक विज्ञान के नाम से जाना जाता है।

→ समुद्र विज्ञान (Oceanography)-जलमंडल सम्बन्धी दशाओं का तार्किक रूप से अध्ययन करने वाला विज्ञान।

→ मौसम (Season)-लघु अवधि के संदर्भ में तापमान, वर्षा, आर्द्रता व वायु संचरण सम्बन्धी दशाओं का अध्ययन करना।

→ भौमिकी (Geology)-यह वह विज्ञान है जो भौतिक भूगोल से सम्बन्धित अध्ययनों को आधार प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना, संगठन एवं शैलों के रूप में वर्तमान व उसके ऐतिहासिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत उन प्रक्रमों का भी अध्ययन किया जाता है जो शैलों की मूल अवस्था में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होते हैं।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

→ नृ-विज्ञान (Anthropology)-मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके विकास का अध्ययन करने वाला विज्ञान।

→ आपरिवर्तन (Modification)-परिवर्तन अथवा संशोधन करना। इसे रूपान्तरण अथवा परिष्करण भी कह सकते हैं।

→ समाकलन (Integration)-एकीकरण। भूगोल प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों का एकीकरण कर समान रूप में अध्ययन करता है।

→ परिवहन (Transport)-वस्तुओं या मानव के एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर किसी माध्यम से पहुँचने की प्रक्रिया।

→ संचार (Communication)-भावों, तथ्यों, संदेशों व विचारों का आदान-प्रदान।

→ दर्रा (Pass)-पर्वतीय भागों में मिलने वाला निम्न क्षेत्र जिससे आवागमन होता है।

→ वैश्विक ग्राम (Global village)-सूचना तकनीकी के विकास से सम्पूर्ण विश्व में सूचनाओं का बहुत अधिक तीव्र गति से प्रसार हो रहा है। जिससे सम्पूर्ण विश्व एक गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया है।

→ सूचना तकनीकी (Information Technology)-यह इलेक्ट्रॉनिक विधि से सूचना भेजने, प्राप्त करने एवं संग्रहित करने की पद्धति है। इनमें कम्प्यूटर, डाटाबेस एवं मॉडम का उपयोग किया जाता है। इसमें सूचनाओं का द्रुतगति से त्रुटिरहित एवं कुशलतापूर्वक सम्पादन होता है। यह एक मिश्रित तकनीकी है जिसमें कम्प्यूटर व संचार दोनों प्रकार की तकनीकी एक-दूसरे के साथ मिलकर सूचना संसाधन व सम्प्रेषण का कार्य करती हैं।

→ नौ-संचालन तकनीकी (Navigation technology)-जहाजरानी, नौ-यात्रा, विमान संचालन सम्बन्धी तकनीक।

→ गम्यता (Accessibility)-एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने की सुविधा। इसकी गणना तय की गयी दूरी या यात्रा के खर्च या लिए गए समय के सन्दर्भ में की जाती है।

→ निकेत (Niche)--एक अधिवास में किसी जीव की भूमिका या उसका कार्य। 

→ अर्थमिति (Econometrics)-अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी के सम्मिलित विचार एवं पद्धतियाँ अर्थमिति कहलाती हैं।

→ मानचित्रकला (Cartography)-मानचित्रों के निर्माण व प्रदर्शन की कला से सम्बन्धित विज्ञान या विषय।

→ विनिमय (Exchange)-वस्तुओं या मुद्रा का सेवाओं के बदले आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया।

→ झिल्ली (Membrane)-ऊपर की एक ऐसी पतली परत, जिसके नीचे की चीज दिखाई दे।

→ कोशिका (Cell)-किसी जीव की सूक्ष्मतम जीवित रचना को कोशिका कहते हैं।

→ अन्तर्शिक्षण (Inter-disciplinaty)-अन्य विषयों से सम्बन्ध।

→ उपागम (Approach)-किसी विषय के अध्ययन का तरीका अथवा विधि।

→ द्वैतवाद (Dualism)-द्वैतवाद का आशय किसी विषय का दो भागों या शाखाओं में बँट जाना। इसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि दोनों शाखाएँ एक-दूसरे की विरोधी हों। ये दोनों शाखाएँ एक-दूसरे की सहायक भी हो सकती हैं।

→ भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology)-वह विज्ञान जिसमें भू-आकृति के उद्भव, विकास, आकार, वर्गीकरण एवं वितरण आदि का अध्ययन किया जाता है।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

→ जलवायु विज्ञान (Climatology)-इसके अन्तर्गत वायुमण्डल की संरचना, उसका संघटन, तापमान, वर्षण, वर्षा, चक्रवात, वायुराशि, विश्व के प्रमुख जलवायु प्रदेशों का एवं उनके मानव जीवन व उसके क्रियाकलापों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।

→ जल विज्ञान (Hydrology)-विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत भू-पृष्ठ के ऊपर या उसके नीचे प्रवाहित होने वाली जलराशियों का अध्ययन उनके भौतिक प्रभावों को दृष्टि में रखकर किया जाता है।

→ पारिस्थितिकी (Ecology)-जीवों एवं पर्यावरण के सम्बन्धों के अध्ययन का विज्ञान।

→ जीव भूगोल (Bio geography)- भूगोल की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों के भौगोलिक पक्षों जैसे उनके धरातलीय एवं जलवायविक सम्बन्ध, प्रभाव एवं वितरण का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।

→ प्रजातियाँ (Species)-जीवों का एक ऐसा समूह जो अन्य जीव समूहों से पृथक् होता है। यह समूह अपने ही साथियों के साथ प्रजनन करता है तथा अन्य आवश्यकताओं को पूर्ण करता है।

→ प्रादेशिक नियोजन (Regional planning)-किसी देश के अन्दर किसी एक प्रदेश के विकास की विस्तृत योजना, जैसे किसी प्रदेश के आर्थिक या सामाजिक विकास की योजना।

→ दूर संवेदन तकनीक (Remote sensing)-यह एक विधि है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह से सम्बन्धित जानकारियों को एकत्र कर उनका अभिलेख संधारित किया जाता है। इसमें प्रयुक्त विधि सतह की गतिविधियों से प्रत्यक्षतया सम्बन्धित नहीं होती है। इस तकनीक में फोटोग्राफी, अवरक्त इमेजरी एवं वायुयान, उपग्रह एवं अंतरिक्षयानों के रडार सम्मिलित होते हैं। वर्तमान में इस तकनीक का उपयोग भौगोलिक सूचना तन्त्र में किए जाने से इसकी उपयोगिता अधिक हो गई है। भू-दृश्य अथवा बस्तियों की बसावट में इसकी अधिक उपयोगिता है।

→ वैश्विक स्थितीय तन्त्र (Global Positioning System-G.P.S.)-एक उपकरण जिसका उपयोग पृथ्वी के काम आने वाले किसी उपग्रह की सटीक स्थिति एवं ऊँचाई का पता लगाने के लिए किया जाता है।

→ खाद्य श्रृंखला (Food chain)-वह श्रृंखला जिसमें उत्पादकों से ऊर्जा का प्रवाह होता है जोकि अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। यह ऊर्जा उपभोक्ताओं के द्वारा प्रयुक्त की जाती है, अपघटक इस श्रृंखला की अन्तिम कड़ी होते हैं।

→ पारिस्थितिक सन्तुलन (Ecological balance)-एक जटिल समुदाय के पारिस्थितिक तन्त्र में एक स्थिर अवस्था को प्राप्त करना।

→ मृदा (Soil)- भूपर्पटी के ऊपरी भाग पर मिलने वाली एक परत, यह सामान्यतः असंगठित चट्टानों का चूर्ण होती है।

→ मृदा पाश्विका (Soil profile)-मृदा का लम्बवत खंड, जिसके द्वारा धरातल से नीचे की मृदा की पैतिक शैल (जनक सामग्री) तक के विभिन्न स्तरों को दर्शाया जाता है।

→ जलधारक प्रस्तर (Aquiter)-जिन शैलों में होकर भूमिगत जल प्रवाहित होता है, उन्हें जलधारक प्रस्तर या जलभृत कहते हैं।

→ नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources)-वे समस्त संसाधन जिनको भौतिक, रासायनिक अथवा यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, नवीकरणीय संसाधन कहा जाता है। इन्हें पुनः स्थापनीय संसाधन भी कहते हैं; जैसे-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल, वन आदि।

RBSE Class 11 Geography Notes Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

→ जीवमण्डल (Biosphere)-पादप और प्राणी समूह, जो पृथ्वी पर पाये जाते हैं, मिलकर जीवमण्डल का निर्माण करते हैं।

→ भौतिक भूगोल (Physical geography)- वह विज्ञान, जो पर्यावरण का निर्माण करने वाले भौतिक तत्वों एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसमें पृथ्वी, मृदा, जल, वायु, मौसम, भू-दृश्य, ऊर्जा, जन्तु, पौधे आदि सम्मिलित होते हैं।

→ पारिस्थितिक असन्तुलन (Ecological imbalance)-आर्थिक विकास तथा अन्य प्रकार के विकास के कारण पर्यावरण का विनाश पारिस्थितिक असन्तुलन कहलाता है।

→ सतत् विकास (Sustainable development)-सतत् विकास पर्यावरण को बिना हानि पहुँचाए किये जाने वाला विकास है। इसमें वर्तमान विकास प्रक्रिया का निर्धारण भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 12:41 p.m.
Published Aug. 4, 2022