Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Important Questions and Answers.
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में से जो मानवकृत आपदा है
(क) भूकम्प
(ख) भूस्खलन
(ग) सूखा
(घ) नाभिकीय त्रासदी।
उत्तर:
(घ) नाभिकीय त्रासदी।
प्रश्न 2.
निम्न में से जो वायुमण्डलीय आपदा नहीं है
(क) टॉरनेडो
(ख) सूखा
(ग) तडित झंझा
(घ) भूकम्प।
उत्तर:
(घ) भूकम्प।
प्रश्न 3.
निम्न में से जो भौमिकीय आपदा नहीं है वह है
(क) भूस्खलन
(ख) अवतलन
(ग) बाढ़
(घ) ज्वालामुखी।
उत्तर:
(ग) बाढ़
प्रश्न 4.
निम्न में से जो जलीय आपदा है वह है
(क) तड़ित झंझा
(ख) सुनामी
(ग) भूकंप
(घ) डेंगू।
उत्तर:
(ख) सुनामी
प्रश्न 5.
भारत में भूकम्प किस क्षेत्र में अधिक आते हैं ?
(क) अरावली
(ख) हिमालय
(ग) मध्य भारत
(घ) तटीय भारत।
उत्तर:
(ख) हिमालय
प्रश्न 6.
सुनामी लहरों का प्रकोप मुख्यतः होता है
(क) स्थलीय भागों में भूकम्प आने से
(ख) सागरीय भागों में भूकम्प आने से
(ग) सागरीय भागों में बढ़ते प्रदूषण से।
(घ) सागरीय क्षेत्र में आने वाले तूफानों से।
उत्तर:
(ख) सागरीय भागों में भूकम्प आने से
प्रश्न 7.
भारत में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित राज्य हैं
(क) पंजाब-उत्तर प्रदेश-बिहार
(ख) असम-पश्चिमी बंगाल-बिहार
(ग) असम-उड़ीसा-मेघालय
(घ) बिहार-झारखण्ड-मध्य प्रदेश।
उत्तर:
(ख) असम-पश्चिमी बंगाल-बिहार
प्रश्न 8.
दक्षिणी भारत में भूस्खलन प्रभावित प्रमुख क्षेत्र हैं
(क) पूर्वी घाट
(ख) पूर्वी तटीय मैदान
(ग) कच्छ-काठियावाड़ क्षेत्र
(घ) कोंकण तट।
उत्तर:
(घ) कोंकण तट।
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
1.
1. स्तम्भ अ (आपदा) |
स्तम्भ ब (आपदा का प्रकार) |
(i) बर्फानी तूफान |
(अ) जलीय |
(ii) मृदा अपरदन |
(ब) जैविक |
(iii) ज्वार |
(स) भौमिकी |
(iv) वायरल संक्रमण |
(द) वायुमंडलीय |
उत्तर:
1. स्तम्भ अ (आपदा) |
स्तम्भ ब (आपदा का प्रकार) |
(i) बर्फानी तूफान |
(द) वायुमंडलीय |
(ii) मृदा अपरदन |
(स) भौमिकी |
(iii) ज्वार |
(अ) जलीय |
(iv) वायरल संक्रमण |
(ब) जैविक |
2.
2. स्तम्भ अ (क्षेत्र) |
स्तम्भ ब (अपरदन का मुख्य स्वरूप) |
(i) पूर्वी हिमालय |
(अ) सुनामी |
(ii) मध्यवर्ती मैदान |
(ब) भूकम्प |
(iii) पशिचमी भारत |
(स) बाढ़ |
(iv) तटीय भारत |
(द) सूखा |
उत्तर:
2. स्तम्भ अ (क्षेत्र) |
स्तम्भ ब (अपरदन का मुख्य स्वरूप) |
(i) पूर्वी हिमालय |
(ब) भूकम्प |
(ii) मध्यवर्ती मैदान |
(स) बाढ़ |
(iii) पशिचमी भारत |
(द) सूखा |
(iv) तटीय भारत |
(अ) सुनामी |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए
उत्तर:
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आपदा क्या है ?
उत्तर:
आपदा प्रायः एक अनपेक्षित घटना है जो ऐसी ताकतों द्वारा घटित होती है जो मानव के नियन्त्रण में नहीं होती तथा इनसे वृहद् स्तर पर जन-धन का नुकसान होता है।
प्रश्न 2.
परिवर्तन की प्रक्रिया किन रूपों में देखने को मिलती है?
उत्तर:
दो रूपों में-
प्रश्न 3.
आपदाओं के लिए उत्तरदायी कारक कौनसे हैं?
उत्तर:
प्रश्न 4.
मानवीय क्रियाकलापों से सम्बन्धित दो आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
वर्तमान में आपदाओं की सुभेद्यता क्यों बढ़ गयी है ?
उत्तर:
वर्तमान में आपदाओं की सुभेद्यता बढ़ गयी है क्योंकि मानव ने अपने तकनीकी विकास के बल पर आपदा के खतरे वाले क्षेत्रों के पर्यावरण से ज्यादा छेड़छाड़ करना प्रारम्भ कर दिया है।
प्रश्न 6.
आपदाओं की सुभेद्यता बढ़ाने वाले मानवीय क्रियाकलाप बताइए।
उत्तर:
अधिकांश नदियों के बाढ़ मैदानों में तथा तटीय भागों पर बड़े नगरों एवं बन्दरगाहों (जैसे-चेन्नई मुम्बई आदि) के विकास ने इन क्षेत्रों को चक्रवातों तथा सुनामी आदि के लिये सुभेद्य बना दिया है।
प्रश्न 7.
आपदा बचाव का उत्तम तरीका क्या है?
उत्तर:
आपदा स्तर को कम करना व इनका प्रबंध करना।
प्रश्न 8.
सन् 1994 ई. में जापान के याकोहामा नगर में आपदा प्रबन्धन की विश्व कान्फ्रेंस को क्या नाम दिया गया ?
उत्तर:
याकोहामा रणनीति तथा अधिक सुरक्षित संसार के लिये कार्य-योजना'।
प्रश्न 9.
प्राकृतिक संकट क्या है?
उत्तर:
प्राकृतिक पर्यावरण में हालात के वे तत्व जिनसे जन-धन दोनों को नुकसान पहुँचने की संभाव्यता रहती है उन्हें प्राकृतिक संकट की श्रेणी में शामिल किया जाता है।
प्रश्न 10.
प्राकृतिक आपदाओं को किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
चार भागों में-वायुमंडलीय भौमिक जलीय व जैविक आपदा।
प्रश्न 11.
किन्हीं दो वायुमण्डलीय आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
भौमिकी आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
भूकम्प ज्वालामुखी भूस्खलन हिमघाव अवतलन तथा मृदा अपरदन प्रमुख भौमिकी आपदाएँ हैं।
प्रश्न 13.
जलीय आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
बाढ़ ज्वार महसागरीय धाराएँ तूफान महोर्मि तथा सुनामी प्रमुख जलीय आपदायें हैं।
प्रश्न 14.
किन्हीं दो जैविक आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
टिड्डी दल बर्ड फ्लू कोरोना आदि।
प्रश्न 15.
भारत को उपमहाद्वीप व अनेकता में एकता वाली धरती क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भौगोलिक पर्यावरणीय व सांस्कृतिक बहुलता के कारण।
प्रश्न 16.
भूकम्प क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी में होने वाली कम्पन्न की प्रक्रिया भूकम्प के रूप में जानी जाती है।
प्रश्न 17.
भारत में भूकम्प प्रभावित प्रमुख क्षेत्र कौनसे हैं?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर हिमाचल उत्तराखंड सिक्किम पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग व उत्तरी-पूर्वी राज्य।
प्रश्न 18.
भारत का सबसे पुराना स्थिर व प्रौढ़ भू-भाग कौनसा है?
उत्तर;
प्रायद्वीपीय पठार।।
प्रश्न 19.
भारत में कितने भूकम्पीय क्षेत्र हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
पाँच-
प्रश्न 20.
हिमालय क्षेत्र में भूकम्प आने का प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर:
इण्डियन प्लेट का उत्तर व उत्तर-पूर्व में खिसककर यूरेशि न प्लेट से टकराना हिमालय क्षेत्र में भूकम्प आने का प्रमुख कारण है।
प्रश्न 21.
भूकम्पीय दृष्टि से सुरक्षित क्षेत्र कौनसा है?
उत्तर:
दक्कन का पटारी क्षेत्र।
प्रश्न 22.
भूकम्प के सामाजिक परिणाम बताओ।
उत्तर:
प्रश्न 23.
सुनामी क्या है ?
उत्तर:
महासागरीय तली में भूकम्प या ज्वालामुखी विस्फोट से महासागरीय जल में ऊर्ध्वाधर ऊँची तरंगें उत्पन्न होती हैं जिन्हें सुनामी या भूकम्पीय लहर कहा जाता है।
प्रश्न 24.
महासागरों में आन्तरिक भाग सुनामी से कम प्रभावित होते हैं क्यों ?
उत्तर:
महासागर में जल तरंग की गति जल की गहराई पर निर्भर करती है। इसकी गति उथले समुद्र में अधिक एवं गहरे समुद्र में कम होती है परिणामस्वरूप महासागरों में आन्तरिक भाग सुनामी से कम प्रभावित होते हैं।
प्रश्न 25.
सुनामी मुख्यतः कहाँ देखने को मिलती है?
उत्तर:
सुनामी आमतौर पर प्रशांत महासागरीय तट अलास्का जापान फिलीपाइन दक्षिणी-पूर्वी एशिया इंडोनेशिया मलेशिया व हिंद महासागर में आते हैं।
प्रश्न 26.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहाँ आते हैं?
उत्तर:
कम दबाव वाले क्षेत्र अर्थात् 30° उत्तर व 30° दक्षिण अक्षांशों के बीच।
प्रश्न 27.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात को ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों को ऊर्जा की प्राप्ति समुद्र सतह से प्राप्त जलवाष्प की संघनन प्रक्रिया में छोड़ी गयी गुप्त ऊष्मा से होती है।
प्रश्न 28.
'तूफान की आँख' से क्या आशय है ?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात में वायुदाब प्रवणता बहुत अधिक होती है। चक्रवात का केन्द्र गर्म वायु एवं निम्न वायुदाब व मेघरहित क्रोड होता है। इसे 'तूफान की आँख' के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 29.
समदाब रेखा क्या होती है?
उत्तर:
समान दाब वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा।
प्रश्न 30.
वैज (Wedge) क्या है ?
उत्तर;
वैज उच्चदाब का एक त्रिभुजाकार क्षेत्र होता है जिसमें उच्चतम दाब उसके आधार के मध्य में स्थित होता है तथा और अधिक आगे तथा पार्श्व की ओर यह दाब कम होता जाता है।
प्रश्न 31.
तूफान महोर्मि क्या है ?
उत्तर:
समुद्रतटीय क्षेत्रों में प्रायः उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात 180 किमी. प्रति घण्टा की गति से टकराते हैं। इससे तूफानी क्षेत्र में समुद्र तल असाधारण रूप से ऊपर उठ जाता है जिसे तूफान महोर्मि कहते हैं।
प्रश्न 32.
बाढ़ की स्थिति कब पैदा होती है ?
उत्तर:
जब नदी जल वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल बहाव होता है तथा जल मैदान के निचले हिस्से में भर जाता है तो बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है।
प्रश्न 33.
बाढ़ कब आती है?
उत्तर:
जब नदी जल वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल बहाव होता है।
प्रश्न 34.
बाढ़ आने के प्रमुख कारण क्या है? ।
उत्तर:
तूफानी महोर्मि जमीन की अंत: स्पंदन दर में कमी आना हिम का पिघलना लंबे समय तक तेज बारिश होना जलोढ़ की मात्रा में वृद्धि होना।
प्रश्न 35.
बाढ़ों की तीव्रता क्यों बढ़ रही है?
उत्तर:
अंधाधुंध वन कटाव अवैज्ञानिक कृषि पद्धति प्राकृतिक अपवाह तंत्र का अवरुद्ध होना मानव बसाव आदि के कारण।
प्रश्न 36.
भारत में सर्वाधिक बाढ़ कहाँ आती है?
उत्तर:
असम पश्चिम बंगाल व बिहार में।
प्रश्न 37.
सबसे बड़ा नदी द्वीप कौन-सा है ?
उत्तर:
ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित माजुली (असम) सबसे बड़ा नदी द्वीप है।
प्रश्न 38.
सूखा किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
लम्बे समय तक कम वर्षा अत्यधिक वाष्पीकरण और जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाने को सूखा कहा जाता है।
प्रश्न 39.
कृषि सखा क्या है?
उत्तर:
मिट्टी में नमी के कारण फसलों के सूखने की प्रक्रिया।
प्रश्न 40.
जलविज्ञान संबंधी सूखा क्या है?
उत्तर:
जब जल संग्रहण जलाशय जलभृत व झीलों आदि का स्तर वृष्टि द्वारा की जाने वाली जलापूर्ति से नीचे गिर जाता है।
प्रश्न 41.
पारिस्थितिक सूखा क्या है?
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र में जल की कमी से उत्पादकता का कम होना।
प्रश्न 42.
भारत के अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
पश्चिमी राजस्थान का मरुस्थलीय भाग तथा गुजरात का कच्छ क्षेत्र भारत के अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं।
प्रश्न 43.
अकाल किसे कहते हैं ? अथवा अन्न अकाल किसे कहते है?
उत्तर:
जब फसलें बर्बाद होने से अन्न की कमी हो जाती है तो उसे अकाल कहते हैं।
प्रश्न 44.
तण अकाल क्या है ?
उत्तर:
चारा कम होने की स्थिति को तृण अकाल कहा जाता है।
प्रश्न 45.
जल अकाल क्या है ?
उत्तर:
जल आपूर्ति की कमी जल अकाल कहलाती है।
प्रश्न 46.
त्रिकाल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब जल अन्न व चारे तीनों की कमी हो तो ऐसी स्थिति त्रिकाल कहलाती है।
प्रश्न 47.
भूस्खलन से क्या आशय है ?
उत्तर:
किसी ढालू भू-भाग पर मिट्टी तथा चट्टानों के ऊपर से नीचे की ओर खिसकने लुढ़कने या गिरने की प्रक्रिया को भूस्खलन कहा जाता है।
प्रश्न 48.
भूस्खलन के परिणाम क्या होते हैं ?
उत्तर:
आवागमन मार्गों का टूटना नदियों के मार्ग में अवरोध आना तथा नदी मार्गों का बदलना भूस्खलन के प्रमुख परिणाम होते हैं।
प्रश्न 49.
अत्यधिक सुभेद्यता वाले क्षेत्र कौनसे हैं?
उत्तर:
अस्थिर हिमालय श्रृंखला अंडमान-निकोबार पश्चिमी घाट नीलगिरी के अधिक वर्षा वाले क्षेत्र उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र आदि।
प्रश्न 50.
आपदा प्रबंधन क्या है?
उत्तर:
आपदाओं के नियोजन निवारण या हानिकारक प्रभावों से बचाव की प्रक्रिया।
प्रश्न 51.
आपदा प्रबन्धन अधिनियम कब पारित हुआ ?
उत्तर:
सन् 2005 में आपदा प्रबन्धन अधिनियम पारित हुआ।
प्रश्न 52.
आपदा के समय हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
युद्ध स्तर पर बचाव कार्य लोगों को बाहर निकालना आश्रय प्रदान करना व जल-भोजन उपलब्ध काराना।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1) प्रश्न)
प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदा क्या है ?
उत्तर:
प्राकृतिक आपदा एक अनपेक्षित घटना है जो ऐसी ताकतों द्वारा घटित होती है जो मानव के नियन्त्रण में नहीं हैं। यह अल्प समय में बिना चेतावनी के घटित होती है जिसके कारण जीवन के क्रियाकलाप अवरुद्ध होते हैं तथा वृहद् स्तर पर जन-धन की हानि होती है।
प्रश्न 2.
प्राकृतिक आपदाओं के प्रबन्धन से क्या आशय है ?
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाओं के प्रबन्धन में वे समस्त कार्य सम्मिलित होते हैं जिनके द्वारा प्राकृतिक आपदाओं की विकरालता को कम किया जाता है। प्रबन्धन से आशय है-प्राकृतिक आपदा से राहत पाने के लिए प्रत्येक स्तर पर जो उत्तरदायित्व निर्धारित किये गये हैं उनका समुचित ढंग से अनुपालन किया जाए।
प्रश्न 3.
कौन-कौन सी मानवीय गतिविधियाँ प्रत्यक्ष रूप से आपदाओं के लिए उत्तरदायी हैं ?
उत्तर:
गैस त्रासदी नाभिकीय आपदा युद्ध क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैस वायुमण्डल में छोड़ना तथा ग्रीन हाउस गैसें ध्वनि वायु जल एवं मिट्टी सम्बन्धी पर्यावरण प्रदूषण आदि मानवीय गतिविधियाँ प्रत्यक्ष रूप से आपदाओं के लिए उत्तरदायी
प्रश्न 4.
आपदाओं की प्रभावशीलता को कम करने एवं इनका प्रबन्ध करने के लिए कौन-कौन से ठोस कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान की स्थापना जून 1992 में रियो डि जेनेरो सम्मेलन ब्राजील में भूशिखर सम्मेलन मई 1994 में यॉकोहामा (जापान) में आपदा प्रबन्धन संगोष्ठी का आयोजन आदि आपदाओं की प्रभावशीलता को कम करने एवं इनका प्रबन्ध करने लिए उठाए गए ठोस कदम हैं।
प्रश्न 5.
प्राकृतिक संकट तथा प्राकृतिक आपदा में अन्तर बताइये।
उत्तर:
प्राकृतिक संकट प्राकृतिक पर्यावरण की दशाओं के वे तत्व हैं जिनमें जन-धन या दोनों को नुकसान पहुँचाने की सम्भाव्यता होती है। ये बहुत तीव्र भी हो सकते हैं या पर्यावरण के स्थायी पक्ष भी हो सकते हैं जैसे हिमालय के तीव्र ढाल महासागरीय धाराएँ तथा हिमाच्छादित क्षेत्रों की विषम जलवायु दशाएँ। प्राकृतिक संकट की तुलना में प्राकृतिक आपदाएँ तीव्रता से घटित होती हैं तथा बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि तथा सामाजिक तन्त्र एवं जीवन को छिन्न-भिन्न कर देती हैं तथा उन पर लोगों का बहुत कम या कुछ भी नियन्त्रण नहीं होता है।
प्रश्न 6.
भारत में प्राकृतिक आपदाओं द्वारा सुभेद्यता को बढ़ाने के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
भारत का वृहत् आकार प्राकृतिक परिस्थितियों में पर्याप्त भिन्नताएँ लम्बे समय तक उपनिवेशन अभी तक जारी सामाजिक भेदभाव तथा तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने भारत की प्राकृतिक आपदाओं द्वारा सुभेद्यता को बढ़ा दिया है।
प्रश्न 7.
भारत में भूकम्प प्रभावित प्रमुख राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में भूकम्प से प्रभावित प्रमुख राज्यों में जम्मू और कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखण्ड सिक्किम पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग उपमण्डल असम त्रिपुरा मणिपुर मिजोरम अरुणाचल प्रदेश मेघालय व सिक्किम आदि हैं।
प्रश्न 8.
भूकम्प की दृष्टि से अति अधिक सुभेद्यता वाले क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अधिक सुभेद्यता वाले क्षेत्रों में उत्तरी-पूर्वी राज्य दरभंगा से उत्तर में स्थित क्षेत्र तथा अरेरिया (बिहार में भारत-नेपाल सीमा के साथ), उत्तराखंड पश्चिम हिमाचल प्रदेश कश्मीर घाटी व कच्छ (गुजरात) शामिल हैं।
प्रश्न 9.
भूकम्प न्यूनीकरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भूकम्पीय प्रक्रिया को कम करने की प्रक्रिया भूकम्पीय न्यूनीकरण कहलाती है। इसमें भूकम्पीय दशाओं से बचने व उनके संभावित उपाय शामिल किये जाते हैं।
प्रश्न 10.
सुनामी से प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर;
सुनामी से प्रभावित क्षेत्रों में प्रशांत महासागरीय तट पर स्थित जापान अलास्का फिलीपाइन दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य द्वीप इंडोनेशिया मलेशिया तथा हिन्द महासागर में म्यांमार श्रीलंका एवं भारत आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 11.
समुद्र तल में तूफान महोर्मि कैसे उत्पन्न होता है? इसके प्रभाव बताइए।
उत्तर:
समुद्र तल में तूफान महोर्मि वायु समुद्र एवं भूमि की अन्तःक्रिया से उत्पन्न होता है। तूफान में अत्यधिक वायुदाब प्रवणता एवं अत्यधिक तीव्र सतही पवनें उफान को उठाने वाले बल हैं। इससे समुद्री जल तटीय क्षेत्रों में स्थित बस्तियों व खेतों में भर जाता है तथा फसलों एवं मानवकृत ढाँचों का विनाश होता है।
प्रश्न 12.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की विशेषता बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
बाढ़ आने के प्रमुख कारण कौन-कौन से होते हैं ?
उत्तर:
प्रश्न 14.
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश की लगभग 4 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। असम पश्चिमी बंगाल तथा बिहार राज्य भारत के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अलावा उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ विशेष रूप से पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में बाढ़ें लाती हैं। राजस्थान गुजरात हरियाणा तथा पंजाब राज्य पिछले कुछ दशकों से आकस्मिक रूप से आने वाली बाढ़ों से जलमग्न होते रहे हैं। कई बार तमिलनाडु में नवम्बर से जनवरी माह के मध्य लौटते मानसून से बाढ़ें आ जाती हैं।
प्रश्न 15.
बाढ़ के क्या परिणाम होते हैं ?
उत्तर:
प्रश्न 16.
बाढ़ नियन्त्रण के कोई चार उपाय बताइए। उत्तर-बाढ़ नियन्त्रण के प्रमुख चार उपाय निम्नलिखित हैं
प्रश्न 17.
मौसम विज्ञान संबंधी सूखा व पारिस्थितिक सूखे में क्या अन्तर है?
उत्तर:
मौसम विज्ञान संबंधी सूखे में लंबे समय तक अपर्याप्त वर्षा होती है व इसका सामयिक व स्थानिक वितरण असमान रहता है जबकि पारिस्थितिकी सूखे में पारिस्थितिकी तंत्र में जल की कमी से उत्पादकता में कमी हो जाती है तथा पारिस्थितिक तंत्र में व्यवधान आ जाता है।
प्रश्न 18.
भारत में अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों व मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राजस्थान राज्य का पूर्वी भाग मध्य प्रदेश के अधिकांश भाग पूर्वी महाराष्ट्र आन्ध्र प्रदेश के आन्तरिक भाग कर्नाटक का पठार तमिलनाडु का उत्तरी भाग झारखण्ड का दक्षिणी भाग तथा उड़ीसा के आन्तरिक भाग सम्मिलित हैं। जबकि मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राजस्थान का उत्तरी भाग हरियाणा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले गुजरात महाराष्ट्र झारखंड आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं।
प्रश्न 19.
त्रिकाल क्या है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जब फसलें बर्बाद होने से अन्न की कमी हो जाती है तो उसे अकाल कहते हैं। चारा कम होने की स्थिति को तृण अकाल कहते हैं। जल आपूर्ति की कमी जल अकाल कहलाती है। इन तीनों परिस्थितियों के मिलने के फलस्वरूप उत्पन्न स्थिति को त्रिकाल कहते हैं।
प्रश्न 20.
भूस्खलन क्या है ? भारत को कितने भूस्खलन क्षेत्रों में विभक्त किया गया है ?
उत्तर:
आधार चट्टानों या आवरण प्रस्तर (Regolith) का भारी मात्रा में तेजी से नीचे की ओर खिसकना भूस्खलन कहलाता है। भूस्खलनों की बारम्बारता और इसके घटने को प्रभावित करने वाले कारकों तथा मानवीय क्रियाकलापों के आधार पर भारत को चार भूस्खलन क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है
प्रश्न 21.
मध्यम व कम भूस्खलन सुभेद्यता वाले क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
ऐसे क्षेत्रों में पार हिमालय के कम वृष्टि वाले क्षेत्र लद्दाख व हिमाचल प्रदेश में अरावली पहाड़ियों में कम वर्षा वाला क्षेत्र पश्चिमी व पूर्वी घाट के व दक्कन पठार के वृष्टि छाया क्षेत्र झारखंड उड़ीसा छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश महाराष्ट्र आन्ध्र प्रदेश कर्नाटक तमिलनाडु गोवा व केरल शामिल हैं। -
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2) प्रश्न)
प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाओं को मुख्य रूप से कितने प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है ? उत्तर-प्राकृतिक आपदाओं को मुख्य रूप से चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है
प्रश्न 2.
प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए पारित प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों की विश्व कांफ्रेंस 23 से 27 मई सन् 1994 तक 'प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण' विषय पर याकोहामा नगर में सम्पन्न हुई जिसमें पारित प्रस्ताव निम्नवत् हैं
प्रश्न 3.
भूकम्प के सामाजिक-पर्यावरणीय परिणाम बताइए।
उत्तर:
भूकम्प के सामाजिक-पर्यावरणीय परिणाम- भूकम्प से वृहद् स्तर तथा अति तीव्रता से धरातल पर विनाशकारी दृश्य उत्पन्न हो जाते हैं। जिन क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या घनत्व मिलता है वहाँ पर भूकम्पीय आपदा और अधिक विनाशकारी हो जाती है।
भूकम्प मानवीय बस्तियों बुनियादी ढाँचों परिवहन व संचार व्यवस्था उद्योग तथा अन्य विकासशील क्रियाओं को नष्ट कर देता है साथ ही इसके दुष्प्रभावों से पीढ़ियों से संचित पदार्थ तथा सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत भी ध्वस्त हो जाती है। भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में हजारों लोग बेघर हो जाते हैं और यदि भूकम्प प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था विकासशील हुई तो उस देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगता है।
प्रश्न 4.
भूकम्प के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विनाशकारी प्रभाव देखने में आते हैं। इनमें से कुछ प्रभावों को सारणी में दिया गया है
भूतल पर |
मानवकृत ढाँचों पर |
जल पर |
दरारें |
दरारें पड़ना |
लहरें |
बस्तियाँ |
खिसकना |
जल गतिशीलता दबाव सुनामी |
भूस्खलन |
उलटना |
सुनामी |
द्रवीकरण |
आकुंचन |
- |
भू-दबाव |
निपात |
- |
सम्भावित शृंखला प्रतिक्रिया |
सम्भावित शृंखला प्रतिक्रिया |
सम्भावित शृंखला प्रतिक्रिया |
इसके अलावा भूकम्प धरातल के अनेक स्थानों पर दरारें डाल देते हैं जिससे पानी तथा ज्वलनशील पदार्थ भूपटल पर आकर समीपवर्ती भागों को डुबो देता है। भूकम्प से होने वाले भूस्खलन से नदी वाहिकायें रुक जाती हैं या अपना रास्ता बदल देती हैं जिससे प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ आने की सम्भावना बढ़ जाती है।
प्रश्न 5.
भूकम्प न्यूनीकरण के उपायों को बताइये। उत्तर-भूकम्प न्यूनीकरण के निम्नलिखित उपाय हैं
प्रश्न 6.
सुनामी जनित प्रमुख प्रभावों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सुनामी जनित प्रमुख प्रभाव-सुनामी आने पर महासागरीय भागों के आन्तरिक भाग कम प्रभावित होते हैं जबकि तटीय भागों पर इसकी तरंगें विनाशकारी प्रभाव उत्पन्न करती हैं। यही कारण है कि सुनामी आने पर सागर के आन्तरिक भागों में चल रहे जलपोतों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि गहरे सागरीय भागों में सुनामी लहरों की लम्बाई अधिक होती है तथा ऊँचाई कम होती है। इसके विपरीत जब सुनामी उथले सागरीय भागों में प्रवेश करती है तो उसकी तरंग की लम्बाई कम होती जाती है तथा ऊँचाई बढ़ती जाती है। कई बार तो यह तटीय भागों पर 15 मीटर या इससे अधिक भी ऊँची हो जाती है।
सुनामी आने पर सागर का जल तेजी से तटीय भागों में प्रवेश कर बन्दरगाहों परिवहन मार्गों इमारतों तथा बस्तियों को तबाह कर देता है। अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में सुनामी के प्रभाव को कम करना कठिन है क्योंकि इससे वृहद् स्तर पर विनाश होता है।
प्रश्न 7.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति हेतु आवश्यक दशा बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
भारत के उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का क्षेत्रीय तथा समयानुसार वितरण दीजिए।
उत्तर:
भारत की प्रायद्वीपीय आकृति के कारण उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में उत्पन्न होकर भारत के तटीय भागों पर भारी वर्षा करते हैं। मानसूनी मौसम की अवधि में यह चक्रवात 10° से 15° उत्तरी अक्षांशों के मध्य उत्पन्न होते हैं जबकि बंगाल की खाड़ी में प्रायः अक्टूबर व नवम्बर में बनते हैं। बंगाल की खाड़ी में इन चक्रवातों की उत्पत्ति 16° से 21° उत्तरी अक्षांश तथा 92° पूर्वी देशान्तर के पश्चिम में होती है। जुलाई माह में उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात सुन्दरवन डेल्टा के समीप 18° उत्तर और 90° पूर्वी देशान्तर से पश्चिम में उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 9.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के परिणाम बताइये।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों से निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है
उससे तूफानी क्षेत्र में सागरीय तल असाधारण रूप से ऊपर उठ जाता है जिसे तूफान महोर्मि कहा जाता है। इससे तटीय भाग जल प्लावित हो जाते हैं और मछुआरों की बस्तियाँ उजड़ जाती हैं।
प्रश्न 10.
भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों को सूखे की तीव्रता के आधार पर विभाजित कीजिए।
उत्तर:
भारत को सूखे की तीव्रता के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है
(i) अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-भारत में राजस्थान के अधिकांश भाग विशेष रूप से अरावली के पश्चिम में स्थित मरुस्थल और गुजरात का कच्छ क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं। इसमें राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर जिले भी सम्मिलित हैं। यहाँ 90 मिलीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है।
(ii) अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-राजस्थान के पूर्वी भाग मध्य प्रदेश के अधिकांश भाग महाराष्ट्र का पूर्वी भाग आन्ध्र प्रदेश के आन्तरिक भाग कर्नाटक का पठार तमिलनाडु के उत्तरी भाग झारखण्ड का दक्षिणी भाग तथा उड़ीसा का आन्तरिक भाग सम्मिलित हैं।
(iii) मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र-राजस्थान के उत्तरी भाग हरियाणा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले गुजरात महाराष्ट्र तमिलनाडु में कोयम्बटूर पठार और आन्तरिक कर्नाटक मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं।
प्रश्न 11.
सूखे के प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उत्तर-सूखे के निम्नलिखित प्रकार हैं
प्रश्न 12.
भारत में सूखा प्रभावित क्षेत्रों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उत्तर-सूखे की तीव्रता के आधार पर भारत को निम्नलिखित तीन सूखा प्रभावित क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है
(i) अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-राजस्थान राज्य में अरावली श्रेणियों के पश्चिम में स्थित मरुस्थली भाग तथा गुजरात राज्य का कच्छ क्षेत्र भारत के अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सम्मिलित है। इसमें राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर जनपद भी सम्मिलित हैं जहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 10 सेमी. से भी कम है।
(ii) अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-इस वर्ग में राजस्थान राज्य का पूर्वी भाग मध्यप्रदेश का अधिकांश भाग पूर्वी महाराष्ट्र आन्ध्र प्रदेश का आन्तरिक भाग कर्नाटक का पठार तमिलनाडु का उत्तरी भाग झारखण्ड का दक्षिणी भाग एवं उड़ीसा के आन्तरिक भाग सम्मिलित हैं।
(iii) मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र-इस वर्ग में उत्तरी राजस्थान हरियाणा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले गुजरात का शेष भाग कोंकण को छोड़कर महाराष्ट्र झारखण्ड तमिलनाडु में कोयंबटूर पठार तथा आन्तरिक कर्नाटक सम्मिलित हैं।
प्रश्न 13.
सूखा निवारण के उपाय बताइए।
उत्तर:
सूखा निवारण के उपाय-सामाजिक तथा प्राकृतिक पर्यावरण पर सूखे का प्रभाव तात्कालिक एवं दीर्घकालिक होता है। इसलिये सूखे के उपाय भी तात्कालिक तथा दीर्घकालिक होते हैं।
(i) तात्कालिक उपाय-सूखे की स्थिति में तात्कालिक सहायता प्रदान करने के लिये सुरक्षित पेयजल वितरण दवाइयाँ पशुओं के लिये चारे व जल की उपलब्धता तथा लोगों और पशुओं को सुरक्षित स्थलों पर पहुँचाना आवश्यक होता है।
(ii) दीर्घकालिक उपाय-सूखे से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपायों के अन्तर्गत विभिन्न उपाय किये जा सकते हैं जिनमें भूमिगत जल के भंडार का पता लगाना जल आधिक्य वाले क्षेत्रों से जल न्यूनता वाले क्षेत्रों में पानी पहुँचाना नदियों को जोड़ना तथा उपयुक्त स्थलों पर बाँधों व जलाशयों का निर्माण सम्मिलित है। सूखा प्रतिरोधी फसलों के बारे में प्रचार-प्रसार सूखे से लड़ने के लिए एक दीर्घकालिक उपाय है। वर्षा जल खेती का प्रचलन भी सूखे के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
प्रश्न 14.
भूस्खलनों के परिणाम बताइए।
उत्तर-इनका प्रभाव स्थानीय स्तर पर होता है। इनके प्रभाव स्वरूप सड़क मार्ग में अवरोध रेल पटरियों का टूटना व जल वाहिकाओं में चट्टानें गिरने से पैदा हुई रुकावटों के गम्भीर परिणाम होते हैं। भूस्खलन के कारण नदी रास्तों में बदलाव आ जाता है तथा बाढ़ आ सकती है। जान-माल का नुकसान होता है व आवागमन की प्रक्रिया में मुश्किल हो जाती है तथा विकास कार्यों की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व में प्राकृतिक आपदाओं के वर्तमान स्वरूप की विवेचना करते हुए सन् 1948 के बाद आयी प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं का विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाओं का वर्तमान स्वरूप-सामान्यतः प्राकृतिक आपदाएँ विश्वव्यापी होती हैं। दो आपदाएँ न तो समान होती हैं और न ही इनमें आपस में कोई तुलना की जा सकती है। प्रत्येक प्राकृतिक आपदा सामाजिक-पर्यावरणीय घटकों के साथ-साथ सामाजिक प्रक्रियाओं में विनाशकारी प्रभाव उत्पन्न करती हैं। प्रत्येक सामाजिक वर्ग इन आपदाओं का सामना जिस तरह करता है वह अद्वितीय होता है। उक्त विचार निम्नलिखित तीन तथ्यों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं
पहले प्राकृतिक संकट जिन क्षेत्रों में आते थे वे आपदाओं के द्वारा भी सुभेद्य थे अतः उस समय मानव अपने पारिस्थितिकी तन्त्र के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करता था इसी कारण इन आपदाओं से कम हानि होती थी। वर्तमान समय में हुए तकनीकी विकास ने मानव को पर्यावरण को हानि पहुँचाने की पर्याप्त क्षमता दे रखी है। इसका परिणाम यह हुआ है कि मानव ने प्राकृतिक आपदा के खतरे वाले क्षेत्रों में क्रियाकलापों में वृद्धि कर दी है जिससे आपदाओं की सुभेद्यता पहले से अधिक बढ़ गयी है। उदाहरण के लिये नदी तथा सागरों के तटों पर महानगरों की स्थापना करने से इन क्षेत्रों में चक्रवातों प्रभंजनों तथा सुनामी के लिये सुभेद्यता बढ़ गयी है।
सन् 1948 से अब तक की प्रमुख 12 प्राकृतिक आपदाएँ-
दी गयी तालिका में सन् 1948 से अब तक विश्व में आयी 12 प्राकृतिक आपदाओं का विवरण दिया गया है-
वर्ष |
स्थिति |
प्रकार |
मृत्यु |
1948 |
रूस (सोवियत संघ) |
भूकम्म |
1,10,000 |
1949 |
चीन |
बाद़ |
57,000 |
1954 |
चीन |
बाढ़ |
30,000 |
1965 |
बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान ) |
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात |
36,000 |
1968 |
ईरान |
भूकम्प |
30,000 |
1970 |
पेरू |
भूकम्प |
66,794 |
1970 |
बांग्लादेश |
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात |
50,000 |
1971 |
भारत |
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात |
30,000 |
1976 |
चीन |
भूकम्प |
7,00,000 |
1990 |
ईरान |
भूकम्प |
50,000 |
2004 |
इण्डोनेशिया, श्रीलंका, भारत |
सुनामी |
5,00,000 |
2005 |
पाकिस्तान, भारत |
भूकम्प |
70,000 |
2011 |
जापान |
सुनामी |
15,842 |
प्रश्न 2.
भूकम्प क्या है ? भारत में भूकम्प आने का कारण बताते हुए भारत को भूकम्पीय क्षेत्रों में विभक्त कीजिए तथा भूकम्प के सामाजिक-पर्यावरणीय प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भूकम्प-भूकम्प पृथ्वी की ऊपरी सतह पर भूगर्भिक गतिविधियों से उत्सर्जित ऊर्जा से उत्पन्न होते हैं। भारत में भूकम्प आने का प्रमुख कारण यह है कि प्रायद्वीपीय भारत की ओर विस्तृत इण्डियन प्लेट प्रतिवर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व दिशा में एक सेमी. खिसक रही है जबकि उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट इण्डियन प्लेट के इस संचलन में बाधा उत्पन्न करती है। इसके परिणामस्वरूप उक्त दोनों प्लेटों के किनारे लॉक हो जाते हैं तथा प्लेट के कई किनारों पर ऊर्जा का संग्रह होता रहता है। अधिक मात्रा में ऊर्जा संग्रह होने से प्लेट के किनारों पर तनाव बढ़ता है जिससे दोनों प्लेटों के बीच का लॉक टूट जाता है। इससे अचानक जो ऊर्जा विमुक्त होती है उससे हिमालय के चाप के साथ भूकम्प आ जाता है। इस प्रकार के भूकम्प से प्रभावित राज्यों में जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखण्ड सिक्किम पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग उपमण्डल तथा सातों उत्तरी-पूर्वी राज्य सम्मिलित हैं।
भारत के भूकम्पीय क्षेत्र-राष्ट्रीय भू-भौतिकी प्रयोगशाला भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण मौसम विज्ञान विभाग तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान ने भारत में आये 1200 भूकम्पों का गहन विश्लेषण कर भारत को पाँच भूकम्पीय क्षेत्रों में विभक्त किया
उक्त पाँचों क्षेत्रों में पहले दो क्षेत्रों में सबसे भीषण भूकम्प अनुभव किये गये हैं। भारत के अत्यधिक भूकम्पीय खतरे वाले क्षेत्रों में भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्य दरभंगा से उत्तर में स्थित क्षेत्र तथा अरेरिया (बिहार में भारत-नेपाल सीमा के साथ), उत्तराखण्ड पश्चिमी हिमाचल प्रदेश (धर्मशाला के चारों ओर), कश्मीर घाटी तथा गुजरात का कच्छ क्षेत्र सम्मिलित हैं। भारत के अधिक भूकम्पीय खतरे वाले क्षेत्रों में कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के शेष बचे भाग उत्तरी पंजाब हरियाणा का पूर्वी भाग दिल्ली पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी बिहार शामिल हैं। भूकम्प के सामाजिक-पर्यावरणीय परिणाम- भूकम्प से वृहद् स्तर तथा अति तीव्रता से धरातल पर विनाशकारी दृश्य उत्पन्न हो जाते हैं।
जिन क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या घनत्व मिलता है वहाँ पर भूकम्पीय आपदा और अधिक विनाशकारी हो जाती है। भूकम्प मानवीय बस्तियों बुनियादी ढाँचों परिवहन व संचार व्यवस्था उद्योग तथा अन्य विकासशील क्रियाओं को नष्ट कर देता है साथ ही इसके दुष्प्रभावों से पीढ़ियों से संचित पदार्थ तथा सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत भी ध्वस्त हो जाती है। भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में हजारों लोग बेघर हो जाते हैं और यदि भूकम्प प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था विकासशील हुई तो उस देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगता है।
प्रश्न 3.
सुनामी क्या है ? सुनामी जनित प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सुनामी-सुनामी या सुनामिस जापानी भाषा का शब्द है जिसमें 'सु' बन्दरगाह को तथा 'नामी' लहर को कहा जाता है। सुनामी लम्बी लहर लम्बाई (Long wave length) व उथले सागरीय जल की प्रगामी लहर (Progressive wave) होती है जो सागरीय जल की तीव्र उथल-पुथल का परिणाम होती है। आपदा प्रबन्धन की हाईपावर कमेटी के एक प्रतिवेदन के अनुसार "सुनामी एक सागरीय लहर है जो सागर में भूकम्प भूस्खलन या ज्वालामुखी उद्गार जैसी घटना द्वारा उत्पन्न होती है।
" सुनामी सामान्यतः प्रारम्भ में एक ही ऊर्ध्वाधर ऊँची तरंग उत्पन्न होती है परन्तु कालान्तर में जल तरंगों की एक श्रृंखला बन जाती है। इसका प्रमुख कारण यह है कि प्रारम्भिक तरंग के ऊँचे शिखर तथा निचले गर्त के मध्य जल अपना स्तर बनाये रखने की कोशिश करता है। सुनामी जनित प्रमुख प्रभाव-सुनामी आने पर महासागरीय भागों के आन्तरिक भाग कम प्रभावित होते हैं, जबकि तटीय भागों पर इसकी तरंगें विनाशकारी प्रभाव उत्पन्न करती हैं।
यही कारण है कि सुनामी आने पर सागर के आन्तरिक भागों में चल रहे जलपोतों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि गहरे सागरीय भागों में सुनामी लहरों की लम्बाई अधिक होती है तथा ऊँचाई कम होती है। इसके विपरीत जब सुनामी उथले सागरीय भागों में प्रवेश करती है तो उसकी तरंग की लम्बाई कम होती जाती है तथा ऊँचाई बढ़ती जाती है। कई बार तो यह तटीय भागों पर 15 मीटर या इससे अधिक भी ऊँची हो जाती है। सुनामी आने पर सागर का जल तेजी से तटीय भागों में प्रवेश कर बन्दरगाहों, परिवहन मार्गों, इमारतों तथा बस्तियों को तबाह कर देता है।
अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में सुनामी के प्रभाव को कम करना कठिन है क्योंकि इससे वृहद् स्तर पर विनाश होता है। सुनामी आमतौर पर प्रशान्त महासागरीय तट पर, इण्डोनेशिया, मलेशिया तथा हिन्द महासागर में म्यांमार, श्रीलंका तथा भारत के तटीय भागों में आती है। 26 दिसम्बर, 2004 कों हिन्द महासागर में आयी सुनामी ने इण्डोनेशिया के अलावा भारत के पूर्वी तटीय भाग तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में भारी तबाही मचायी तथा इसके कारण लगभग तीन लाख व्यक्तियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
प्रश्न 4.
बाढ़ से क्या आशय है ? बाढ़ आपदा के लिये उत्तरदायी कारकों, भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तथा बाढ़ के परिणाम व नियन्त्रण के उपायों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बाढ़ से आशय-बाढ़ का सामान्य अर्थ है-किसी भू-भाग का लगातार कई दिनों तक जलमग्न हो जाना। बाढ़ उस समय प्राकृतिक प्रकोप बन जाती है, जब उसके कारण अपार जन-धन की हानि होती है। सामान्यतः बाढ़ें नदी में सीमा से अधिक जल आ जाने के कारण आती हैं। इस सन्दर्भ में "बाढ़ नदी की एक ऐसी उच्च अवस्था है जिसमें नदी सामान्यतः अपने विशिष्ट पहुँच वाले प्राकृतिक बाँधों को तोड़कर बहने लगती है" अथवा "नदियों की वाहिकाओं (Channels) में अथवा सागरीय जल के ऊँचे हो जाने से वे सभी भाग जो सामान्यतः जलमग्न नहीं रहते हैं, जलमग्न हो जाते हैं, तो ऐसी स्थिति को बाढ़ कहा जाता है।" बाढ़ों की विभीषिका से कृषि क्षेत्र ही नष्ट नहीं होते, वरन् बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में भवनों, दूर-संचार, यातायात सेवाओं के अतिरिक्त पशुओं तथा स्वयं मानव को भारी हानि उठानी पड़ती है।
बाढ़ आने के कारण-बाढ़ आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र-राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश की लगभग 4 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। असम, पश्चिमी बंगाल तथा बिहार राज्य भारत के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अलावा उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ विशेष रूप से पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में बाढ़ें लाती हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा पंजाब राज्य पिछले कुछ दशकों से आकस्मिक रूप से आने वाली बाढ़ों से जलमग्न होते रहे हैं। कई बार तमिलनाडु में नवम्बर से जनवरी माह के मध्य लौटते मानसून से बाढ़ें आ जाती हैं।
बाढ़ के परिणाम-बाढ़ के निम्नलिखित परिणाम होते हैं-
बाढ़ नियन्त्रण के उपाय-बाढ़ नियन्त्रण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 5.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की उत्पत्ति, संरचना तथा क्षेत्रीय वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात कम दबाव वाले उग्र मौसम तन्त्र हैं और 30° उत्तर तथा 30° दक्षिण अक्षांशों के बीच पाए जाते हैं। यह सामान्यत: 500 से 1000 किमी. क्षेत्र में फैला होता है और इसकी ऊर्ध्वाधर ऊँचाई 12 से 14 किमी. तक होती है। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात या प्रभंजन एक ऊष्मा इंजन की तरह होते हैं जिसे ऊर्जा प्राप्ति, समुद्र सतह से प्राप्त जलवाष्प की संघनन प्रक्रिया में छोड़ी गई गुप्त ऊष्मा से होती है। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की उत्पत्ति-इसकी उत्पत्ति के लिए निम्नलिखित प्रारम्भिक परिस्थितियों का होना आवश्यक है
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की संरचना-उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात में वायुदाब प्रवणता बहुत अधिक होती है। चक्रवात का केन्द्र गर्म तथा निम्न वायुदाब और मेघरहित क्रोड होता है। इसे 'तूफान की आँख' कहा जाता है। सामान्यतः समदाब रेखाएँ एक-दूसरे के नजदीक होती हैं जो उच्च वायुदाब प्रवणता का प्रतीक हैं। वायुदाब प्रवणता 14 से 17 मिलीबार/100 किमी. के आस-पास होता है। कई बार यह 60 मिलीबार/100 किमी. तक हो सकता है। केन्द्र से पवन पट्टी का विस्तार 10 से 150 किमी तक होता है। भारत में चक्रवातों का क्षेत्रीय और समयानुसार वितरण- भारत की आकृति प्रायद्वीपीय है और इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है। अतः यहाँ आने वाले चक्रवात इन्हीं दो जलीय क्षेत्रों में पैदा होते हैं।
मानसूनी मौसम के दौरान चक्रवात 10° से 15° उत्तर अक्षांशों के बीच पैदा होते हैं। बंगाल की खाड़ी में चक्रवात अधिकांशतः अक्टूबर और नवम्बर में बनते हैं। यहाँ ये चक्रवात 16° से 21° उत्तर तथा 92° पूर्व देशान्तर से पश्चिम में पैदा होते हैं परन्तु जुलाई में ये सुन्दरवन डेल्टा के करीब 18° उत्तर और 90° पूर्व देशान्तर से पश्चिम में उत्पन्न होते हैं। समुद्र से दूरी बढ़ने पर चक्रवात का बल कमजोर हो जाता है। भारत में चक्रवात जैसे-जैसे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से दूर जाता है। उसका बल कमजोर हो जाता है। तटीय क्षेत्रों में अकसर उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात 180 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से टकराते हैं। इससे तूफानी क्षेत्र में समुद्र तल भी असाधारण रूप से उठा होता है जिसे 'तूफान महोर्मि' (Storm sorge) कहा जाता है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्न में से कौनसी नदी घाटी बाढ़ आपदा के लिए कुख्यात नहीं है?
(A) पेनगंगा
(B) सिंधु
(C) कोसी
(D) कावेरी दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए
(क) A, C व D
(ख) C व B.
(ग) A, B व C
(घ) A, B व D.
उत्तर:
(घ) A, B व D.
प्रश्न 2.
किस वर्ष जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र में मुजफ्फराबाद के समीप एक बड़ा भूकम्प आया था?
(क) 2005
(ख) 1905
(ग) 2001
(घ) 2013।
उत्तर:
(क) 2005
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौनसी गतिविधि सूखा प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आती है?
(क) सिंचाई संसाधनों का विकास और प्रबन्धन
(ख) मृदा और आर्द्रता संरक्षण और वानिकी
(ग) फसल प्रतिरूप का पुनर्विन्यास तथा चरागाह विकास
(घ) बाढ़ नियंत्रण और मृदा अपरदन।
उत्तर:
(घ) बाढ़ नियंत्रण और मृदा अपरदन।
प्रश्न 4.
कौन-सी प्राकृतिक आपदा भारत में नहीं होती है ?
(क) भूकम्प
(ख) बाढ़
(ग) भूस्खलन
(घ) ज्वालामुखी।
उत्तर:
(घ) ज्वालामुखी।
प्रश्न 5.
जलवायु परिवर्तन पर कोपेनहेगन सम्मेलन हुआ ?
(क) 10 से 20 दिसम्बर 2009
(ख) 5 से 17 दिसम्बर 2008
(ग) 7 से 19 दिसम्बर 2009
(घ) 7 से 19 दिसम्बर 2008.
उत्तर:
(ग) 7 से 19 दिसम्बर 2009
प्रश्न 6.
सुनामी लहरों का जन्म होता है ?
(क) टोरनेडो से
(ख) भू-भ्रंशन (भूकम्प) से
(ग) हरीकेन से
(घ) भूमण्डलीय ऊष्मन से।
उत्तर:
(ख) भू-भ्रंशन (भूकम्प) से
प्रश्न 7.
भारत में सूखा प्रवण क्षेत्र।।
उत्तर:
भारत में सूखा प्रवण क्षेत्रों में पश्चिमी राजस्थान, गुजरात का कच्छ क्षेत्र, महाराष्ट्र का पूर्वी भाग, कर्नाटक का पठार, उड़ीसा के आन्तरिक भाग आदि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 8.
पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार के मैदानों में किन-किन क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है ?
उत्तर;
पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा, घाघरा तथा बिहार में गंगा, घाघरा, गंडक व कोसी अपवाह क्षेत्र में बाढ़ आती है।
प्रश्न 9.
सूखे से निपटने के लिए उपाय सुझाइये।
उत्तर:
सूखा एक जटिल परिघटना है जिसमें कई प्रकार के मौसम विज्ञान सम्बन्धी तथा अन्य तत्व; जैसे-वृष्टि, वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, भौम जल, मृदा में नमी, जल भंडारण व भरण, कृषि पद्धतियाँ, विशेषतः उगाई जाने वाली फसलें, आर्थिक गतिविधियाँ और पारिस्थितिकी शामिल हैं।
इस प्राकृतिक आपदा को रोकने के लिए निम्नलिखित उदाहरण दिये जा सकते हैं
प्रश्न 10.
भारत में बाढ़ से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश की लगभग 4 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। असम, पश्चिम बंगाल तथा बिहार राज्य भारत के सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अलावा उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ विशेष रूप से पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में बाढ़ें लाती हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा पंजाब राज्य पिछले कुछ दशकों से आकस्मिक रूप से आने वाली बाढ़ों से जलमग्न होते रहे हैं। कई बार तमिलनाडु में नवम्बर से जनवरी माह के मध्य लौटते मानसून से बातें आ जाती हैं।
प्रश्न 11.
भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों की पारिस्थितिकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में अन्तर्खेत्रीय, अन्तर्वैयक्तिक एवं अन्तर्वगीय असमानताएँ तथा पोषकीय निम्नता पाई जाती हैं। इन सभी के पीछे मुख्य कारण प्रतिकूल पारिस्थितिकीय परिस्थितियों का होना है। इन क्षेत्रों में अनियमित एवं अपर्याप्त वर्षा से जल की कमी हो जाती है। फलस्वरूप उत्पादकता में कमी आ जाती है। शुष्कता के कारण यहाँ भूमि अपरदन की अत्यन्त विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में वनों का अभाव मिलता है।
प्रश्न 12.
भारत में बाढ़ों एवं अनावृष्टि में वर्तमान वृद्धि के कारण बताइये।
उत्तर:
भारत में बाढ़ों के कारण-बाढ़ आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
भारत में सूखे के कारण-भारत में सूखे के निम्नलिखित कारण हैं-
प्रश्न 13.
सूखा प्रकारों को परिभाषित कीजिए तथा भारत में सूखाग्रस्त क्षेत्रों व सूखा प्रबन्धन की अभिनव युक्तियों का संक्षिप्त विवरण प्रदान कीजिए।
उत्तर:
दीर्घकालीन समय तक कम वर्षा, अत्यधिक वाष्पीकरण और जलाशयों तथा भूमिगत ढाल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति सूखा कहलाती है। सूखा एक प्राकृतिक आपदा है, क्षेत्र विशेष में इसका व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे बड़े पैमाने पर धन-जन की हानि होती है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी भौगोलिक प्रदेश में सामान्य से कम वर्षा प्राप्त होती है तो सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है। सूखा को वर्षा के आधार पर दो भागों में विभाजित किया जाता है
जलवायविक दशा आर्थिक, सामाजिक गतिविधियों के आधार पर सूखा को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया जा सकता है
भारत में सूखाग्रस्त क्षेत्र- भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 19 प्रतिशत भाग तथा 12 प्रतिशत भाग हर वर्ष सूखे से प्रभावित रहता है। भारत को सूखे की तीव्रता के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया गया है-
सूखा पड़ने पर अकाल की स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। वृहद् स्तर पर मवेशियों की मौत, मानव प्रवास तथा पशु पलायन सूखाग्रस्त क्षेत्रों में प्रभावी हो जाते हैं। भारत में सूखा प्रबन्धन-सूखा एक प्राकृतिक आपदा है। यदि सूखा लम्बे समय तक बना रहे तो अकाल की स्थिति उत्पन्न होती है। अतः सूखा प्रबन्धन हेतु निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है
प्रश्न 14.
भारत के चिरकालीन सूखा प्रवण क्षेत्रों की पहचान कीजिए तथा उसके कारणों को बताइये।
उत्तर:
दीर्घकालीन समय तक कम वर्षा, अत्यधिक वाष्पीकरण और जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है ऐसी स्थिति सूखा कहलाती है। भारत एक मानसूनी जलवायु वाला देश है। यहाँ मानसूनी वर्षा की अनिश्चितता, अनियमितता एवं अपर्याप्तता के कारण कुछ क्षेत्रों में बार-बार सूखे का प्रकोप देखा जाता है। भारत के कृषि मन्त्रालय के अनुसार सूखाग्रस्त क्षेत्रों के पहचान के निम्नलिखित आधार बनाये गये हैं
उपर्युक्त आधार पर भारत के सूखाग्रस्त क्षेत्रों को मुख्यत: दो भागों क्रमशः सर्वाधिक आवृत्ति वाले क्षेत्रों तथा मध्यम आवृत्ति वाले क्षेत्र में रखा गया है। सर्वाधिक आवृत्ति वाले क्षेत्रों में राजस्थान एवं निकटवर्ती क्षेत्र हरियाणा, पश्चिमी मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश का पश्चिमी भाग एवं मध्यवर्ती महाराष्ट्र आदि सम्मिलित हैं। इन क्षेत्रों में 15 सेमी. से कम वर्षा होती है तथा सिंचाई सुविधाएँ भी अपर्याप्त देखने को मिलती हैं। यहाँ वर्षा की परिवर्तनीयता 30-50 प्रतिशत के मध्य पाई जाती हैं। मध्यम आवृत्ति वाले क्षेत्रों में दक्षिणी व पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश, पश्चिमी बिहार, उत्तरी छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, पंजाब एवं दिल्ली सम्मिलित हैं।
इन क्षेत्रों में 100 सेमी. से भी कम वर्षा होती है। लेकिन सिंचाई सुविधाओं के विकास के कारण यहाँ सूखे का प्रभाव हट गया है। भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के कमजोर होने के कारण प्रायः सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है। इसके अतिरिक्त मानसून का देर से आना एवं समय पूर्व समाप्त हो जाना, सिंचाई सुविधाओं की अपर्याप्तता आदि सूखाग्रस्तता के प्रमुख कारण हैं। यह एक गम्भीर आपदा है जिसके कारण कृषि के साथ-साथ आर्थिक व सामाजिक संरचना भी प्रभावित होती है तथा मृदा की संरचना पर भी कुप्रभाव पड़ता है।
अतः सूखे की समस्या से निपटने के लिए व्यापक उपायों की आवश्यकता है जिसके अन्तर्गत सघन वृक्षारोपण, नदी जोड़ो परियोजना, सिंचाई हेतु नहरों का विकास, फसल ढाँचा परिवर्तन, कृषि तकनीक का विकास तथा शुष्क कृषि का विकास जैसी आधुनिक तकनीक को भी व्यापक रूप से प्रयोग में लाना होगा, ताकि इस सूखाग्रस्तता के दुष्प्रभाव को कम से कम किया जा सके।
प्रश्न 15.
भारत के बाढ़ प्रवण क्षेत्रों के वितरण और देश में बाढ़ों के प्रभाव का नियन्त्रण करने के कार्यक्रमों एवं नीति का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
बाढ़ का सामान्य अर्थ है-किसी भूभाग का लगातार कई दिनों तक जलमग्न हो जाना। बाढ़ उस समय प्राकृतिक प्रकोप बन जाती है, जब उसके कारण अपार जन-धन की हानि होती है। भारत एक विशाल देश है और यहाँ की भौतिक विभिन्नता के कारण अत्यधिक मात्रा में बाढ़ें आती हैं। देश के उपजाऊ मैदान तथा तटीय क्षेत्रों में अकसर बाढ़ें आती रहती हैं। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश की लगभग 4 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। भारत के बाढ़ प्रवण क्षेत्रों का वितरण-बाढ़ प्रवण क्षेत्रों की दृष्टि से भारत को पाँच भागों में बाँटा जा सकता है
(i) उत्तरी खण्ड-इसके अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सम्मिलित किया जा सकता है। यहाँ पर रावी, व्यास, सतलुज, गंगा, यमुना एवं उनकी सहायक नदियों में वर्षा ऋतु में बाढ़ आती है जो अत्यन्त विनाशकारी होती है।
(ii) पूर्वी खण्ड-इस क्षेत्र का विस्तार पश्चिम में घाघरा नदी से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है। यहाँ घाघरा, गण्डक, गंगा, सोन, कोसी, तिस्ता, दामोदर व ब्रह्मपुत्र नदियों में भयंकर बाढ़ आती है जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी-बंगाल का उत्तरी भाग, असम का अरुणाचल प्रदेश अत्यधिक प्रभावित होता है।
(iii) मध्यवर्ती खण्ड-इस क्षेत्र का विस्तार गुजरात, मध्य प्रदेश व राजस्थान राज्य में है। यहाँ चम्बल, बनास, नर्मदा व साबरमती आदि प्रमुख नदियाँ बाढ़ से प्रभावित रहती हैं। .
(iv) दक्षिणी खण्ड-इस क्षेत्र के अन्तर्गत कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र व तमिलनाडु राज्य सम्मिलित हैं। जहाँ वर्षा की मात्रा कम होने से नदियों में जल अधिक नहीं होता है। अतः बाढ़ सामान्यतः प्रतिवर्ष न आकर लम्बे अन्तराल पर आती है।
(v) मध्यपूर्वी खण्ड-इस क्षेत्र के अन्तर्गत छत्तीसगढ़ व उड़ीसा राज्य सम्मिलित हैं जहाँ महानदी, वैतरणी व ब्राह्मणी एवं उनकी सहायक नदियों में कभी-कभी बाढ़ें आ जाती हैं।
बाढ़ नियन्त्रण सम्बन्धी कार्य-भारत सरकार ने देश में बाढ़ों की भीषणता को देखते हुए सन् 1954 में 'राष्ट्रीय बाढ़ नियन्त्रण कार्यक्रम' प्रारम्भ किया तथा सन् 1975 में राष्ट्रीय बाढ़ आयोग की स्थापना की। इनके अन्तर्गत सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तटबन्ध बनाना एवं नदियों पर बाँध बनाना तथा बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं का निर्माण किया। इसके अतिरिक्त मौसम भविष्यवाणी केन्द्रों की भी स्थापना की। लेकिन उपर्युक्त सभी प्रयासों के बावजूद देश में आज भी बाढ़ों का प्रकोप जारी है। इसका कारण यह है कि यह प्रयास मानव द्वारा भूमि उपयोग की वर्तमान व्यवस्था पर आधारित है न कि समस्या की गम्भीरता को दूर करने के लिए। अतः बाढ़ नियन्त्रण के लिए पारस्परिक सामंजस्य की आवश्यकता है। बाढ़ पूर्व चेतावनी देने के लिए गठित बाढ़ पूर्व सूचना संगठन के कार्यों में दक्षता लाने की आवश्यकता है ताकि बाढ़ की तीव्रता व समय की सटीक चेतावनी दी जा सके एवं बचाव कार्य करने वाले अभिकरणों को सचेत किया जा सके।
प्रश्न 16.
भारत में भूकम्पों के क्षेत्रीय वितरण के भौगोलिक लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूगर्भिक चट्टानों के विक्षोभ के स्रोत से उठने वाले लहरदार कम्पन को भूकम्प कहते हैं। भारत के प्राकृतिक विभागों एवं भूकम्प क्षेत्रों के मध्य बहुत गहरा सम्बन्ध पाया जाता है। प्राकृतिक नियमों के अनुरूप ही भूकम्प के क्षेत्रीय वितरण की दृष्टि से भारत को प्राकृतिक विभागों के अनुरूप ही तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है
(i) हिमालय क्षेत्र-इसके अन्तर्गत हिमालय पर्वत एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्र सम्मिलित हैं। यह क्षेत्र भूकम्प से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र में प्लेटों की अस्थिरता एवं स्थल की अव्यवस्था के कारण यहाँ विनाशकारी भूकम्प आते हैं। इस भूकम्प पेटी का विस्तार पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर हिमालय के सहारे पूर्व में उत्तर पूर्वी भारत तक विस्तृत है।
(ii) गंगा-सिन्धु का मैदान-इस भूकम्प पेटी के अन्तर्गत उत्तर में हिमालय पर्वत एवं दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के मध्य स्थित विशाल मैदान को सम्मिलित किया जाता है। इस क्षेत्र में धरातल के नीचे कई भ्रंश स्थित हैं। इन भ्रंशों के कारण भूगर्भ की चट्टानें अभी भी असन्तुलित अवस्था में है। इसी असन्तुलन के कारण इस प्रदेश में भूकम्प आते हैं। साथ ही इस क्षेत्र में हिमालय क्षेत्र में आने वाले भूकम्पों का भी प्रभाव पड़ता है। इस क्षेत्र में भूकम्पों की बारम्बारता व तीव्रता प्रभावक्षेत्र की तुलना में कम होने के कारण इस क्षेत्र को सामान्य प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है।
(iii) प्रायद्वीपीय क्षेत्र-इसके अन्तर्गत प्रायद्वीपीय भारत को सम्मिलित किया जाता है। भारत का प्रायद्वीपीय पठार एक स्थिर व दृढ़ भूखण्ड है। यहाँ भूकम्पों का प्रभाव सबसे कम रहता है। इसी कारण इसे न्यूनतम प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है। यह क्षेत्र भूकम्प से यदा-कदा प्रभावित होता रहता है। कोयना, लातूर आदि के भूकम्प इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। प्रायद्वीपीय पठार में स्थित कवक का क्षेत्र भूकम्प से प्रायः प्रभावित रहता है। राष्ट्रीय भूभौतिकी प्रयोगशाला, भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण, मौसम विज्ञान विभाग तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान ने भारत में आये 1200 भूकम्पों का गहन विश्लेषण कर भारत को पाँच भूकम्पीय क्षेत्रों में विभक्त किया
उक्त पाँचों क्षेत्रों में पहले दो क्षेत्रों में सबसे भीषण भूकम्प अनुभव किये गये हैं। भारत के अत्यधिक भूकम्पीय खतरे वाले क्षेत्रों में भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्य, दरभंगा से उत्तर में स्थित क्षेत्र तथा अरेरिया (बिहार में भारत-नेपाल सीमा के साथ), उत्तराखण्ड, पश्चिमी हिमाचल प्रदेश (धर्मशाला के चारों ओर), कश्मीर घाटी तथा गुजरात का कच्छ क्षेत्र सम्मिलित हैं। भारत के अधिक भूकम्पीय खतरे वाले क्षेत्रों में कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के शेष बचे भाग, उत्तरी पंजाब, हरियाणा का पूर्वी भाग, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी बिहार शामिल हैं।
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