Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति Important Questions and Answers.
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हिमालय के 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले भागों में मिलने वाले वन हैं
(क) आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय वन
(ख) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन
(ग) उपोष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन
(घ) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहारी वन
उत्तर:
(क) आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय वन
प्रश्न 2.
उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों में वर्षा की मात्रा मिलती है?
(क) 50 सेमी.
(ख) 100 सेमी.
(ग) 150 सेमी.
(घ) 200 सेमी. से अधिक
उत्तर:
(घ) 200 सेमी. से अधिक
प्रश्न 3.
रोजवुड किस प्रकार का वन है?
(क) सदाबहार
(ख) पर्णपाती
(ग) मरुस्थली
(घ) ज्वारीय।
उत्तर:
(ग) मरुस्थली
प्रश्न 4.
ज्वारीय वनों का सर्वाधिक क्षेत्रफल मिलता है
(क) पश्चिमी बंगाल में
(ख) लक्षद्वीप में
(ग) आन्ध्र प्रदेश में
(घ) गुजरात में।
उत्तर:
(क) पश्चिमी बंगाल में
प्रश्न 5.
भारत के कितने प्रतिशत भाग पर वन हैं?
(क) 20%
(ख) 22%
(ग) 23.28%
(घ) 25%।
उत्तर:
(ग) 23.28%
प्रश्न 6.
देश में कुल जीवमण्डल निचय हैं
(क) 10
(ख) 12
(ग) 18
(घ) 16.
उत्तर:
(ग) 18
प्रश्न 7.
निम्न में से कौन सा जीवमण्डल निचय पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के दलदली डेल्टा पर स्थित है?
(क) नन्दादेवी
(ख) सुन्दरवन
(ग) नौकरेक
(घ) पंचमढ़ी।
उत्तर:
(ख) सुन्दरवन
प्रश्न 8.
समुद्रीय जीव विविधता के मामले में विश्व के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है
(क) नीलगिरी
(ख) ग्रेट निकोबार
(ग) पंचमढ़ी।
(घ) मन्नार की खाड़ी।
उत्तर:
(घ) मन्नार की खाड़ी।
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
1.
1. स्तम्भ अ (वृक्ष प्रजाति) |
स्तम्भ ब (वनों का प्रकार) |
(i) लौह-काष्ठ |
(अ) पर्णपाती वन |
(ii) सागवान |
(ब) शुष्क वन |
(iii) रामबांस |
(स) सदाबहार वन |
(iv) चीड़ |
(द) ज्वारीय वन |
(v) बरगद |
(य) पर्वतीय वन |
(vi) सोनेरीटा |
(र) मरुस्थलीय वन |
उत्तर:
1. स्तम्भ अ (वृक्ष प्रजाति) |
स्तम्भ ब (वनों का प्रकार) |
(i) लौह-काष्ठ |
(स) सदाबहार वन |
(ii) सागवान |
(अ) पर्णपाती वन |
(iii) रामबांस |
(र) मरुस्थलीय वन |
(iv) चीड़ |
(य) पर्वतीय वन |
(v) बरगद |
(ब) शुष्क वन |
(vi) सोनेरीटा |
(द) ज्वारीय वन |
2.
2. स्तम्भ अ (वनों का प्रकार) |
स्तम्भ ब (वर्षा की मात्रा) |
(i) सदाबहार वन |
(अ) 50 सेमी. से कम |
(ii) पतझड़ वन |
(ब) 200 सेमी. से अधिक |
(iii) शुष्क वन |
(स) 100-200 सेमी. |
(iv) मरुस्थलीय वन |
(द) 50-100 सेमी. |
उत्तर:
2. स्तम्भ अ (वनों का प्रकार) |
स्तम्भ ब (वर्षा की मात्रा) |
(i) सदाबहार वन |
(ब) 200 सेमी. से अधिक |
(ii) पतझड़ वन |
(स) 100-200 सेमी. |
(iii) शुष्क वन |
(द) 50-100 सेमी. |
(iv) मरुस्थलीय वन |
(अ) 50 सेमी. से कम |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए
उत्तर:
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति से तात्पर्य उसी पौधा समुदाय से है, जो लंबे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है व जिसकी विभिन्न प्रजातियाँ होती हैं।
प्रश्न 2.
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन कहाँ मिलते हैं ?
उत्तर:
ये वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों पर, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों पर तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में मिलते हैं।
प्रश्न 3.
भारतीय वनों को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
सदाबहार वन, पर्णपाती वन, उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन, पर्वतीय वन, वेलांचली या अनूप वन।
प्रश्न 4.
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहारी वनों में मिलने वाली मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ बताइए।
उत्तर;
रोजवुड, महोगनी. ऐनी तथा एबनी नामक वृक्ष प्रजातियाँ।
प्रश्न 5.
अर्द्ध-सदाबहार वनों की प्रमुख वृक्ष प्रजातियाँ लिखिए।
उत्तर:
साइडर, होलक तथा कैल नामक वृक्ष प्रजातियाँ।
प्रश्न 6.
जल उपलब्धता के आधार पर उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता
उत्तर:
प्रश्न 7.
आर्द्र पर्णपाती वन कहाँ मिलते हैं ?
उत्तर:
ये वन उत्तरी-पूर्वी राज्यों और हिमालय के गिरिपद, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों तथा उड़ीसा राज्य में मिलते हैं।
प्रश्न 8.
शुष्क पर्णपाती वन कहाँ मिलते हैं ?
उत्तर:
ये वन प्रायद्वीप के अधिक वर्षा वाले भागों तथा उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाये जाते हैं।
प्रश्न 9.
आई पर्णपाती वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष कौन-से हैं ?
उत्तर:
सागवान, साल, शीशम, हुर्रा, महुआ, आँवला, सेमल, कुसुम व चंदन इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
प्रश्न 10.
शुष्क पर्णपाती वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष कौन-से हैं ?
उत्तर:
तेन्दू, पलास, अमलतास, बेल, खैर व अक्सलवुड इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
प्रश्न 11.
उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वन भारत के किन क्षेत्रों में मिलते हैं ?
उत्तर:
दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के अर्द्ध शुष्क प्रदेशों में ये वन प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।
प्रश्न 12.
उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्षों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बबूल, बेर, खजूर, खैर, नीम, खेजड़ी और पलास इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
प्रश्न 13.
पर्वतीय वनों को किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
उत्तरी पर्वतीय वन, दक्षिणी पर्वतीय वन ।
प्रश्न 14.
ब्ल्यू पाइन तथा स्यूस नामक वृक्ष कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर;
ये वृक्ष हिमालय पर्वत के 2225 से 3048 मीटर ऊँचाई वाले पर्वतीय ढालों पर मुख्य रूप से पाये जाते हैं।
प्रश्न 15.
ऋतु प्रवास करने वाली जनजातियाँ कौनसी हैं?
उत्तर:
गुज्जर बकरवाल गद्दी भुटिया आदि।
प्रश्न 16.
कश्मीर के हस्तशिल्प में कौन-से स्थानीय वृक्षों की लकड़ी प्रयुक्त होती है ?
उत्तर:
चिनार तथा वालन वृक्षों की।
प्रश्न 17.
शोलास क्या है ?
उत्तर:
नीलगिरी, अन्नामलाई तथा पालनी पहाड़ियों पर मिलने वाले शीतोष्ण कटिबन्धीय वनों को 'शोलास' कहा जाता है।
प्रश्न 18.
शोलास वनों में पाये जाने वाले आर्थिक महत्व के प्रमुख वृक्षों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मगनोलिया, लैरेल, सिनकोना तथा वैटल।
प्रश्न 19.
मैंग्रोव वन अत्यधिक विकसित रूप में कहाँ मिलते हैं ?
उत्तर:
पश्चिमी बंगाल के सुन्दरवन डेल्टाई भाग तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में यह वन विकसित रूप में मिलते हैं।
प्रश्न 20.
भारत के कितने क्षेत्र में मैंग्रोव वन फैले हैं?
उत्तर;
6740 वर्ग किमी. क्षेत्र में।
प्रश्न 21.
वन आवरण की पहचान किससे की जाती है ?
उत्तर:
वन आवरण की पहचान वायु फोटो चित्रों तथा उपग्रह से प्राप्त चित्रों से की जाती है।
प्रश्न 22.
भारत में 10 प्रतिशत से कम वन क्षेत्र रखने वाले प्रमुख राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली।
प्रश्न 23.
भारत सरकार ने वन संरक्षण नीति कब लागू की ?
उत्तर:
सन् 1952 में।
प्रश्न 24.
सन् 1988 में संशोधित वन संरक्षण नीति के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 25.
वन संरक्षण क्या है?
उत्तर:
वनों का बचाव या उनके विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग की प्रक्रिया वन संरक्षण कहलाती है।
प्रश्न 26.
वन नीति के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 27.
राष्ट्रीय कृषि आयोग ने सामाजिक वानिकी को कितने वर्गों में बाँटा है ?
उत्तर
प्रश्न 28.
कृषि वानिकी क्या है?
उत्तर:
कृषि वानिकी का अर्थ है- कृषि योग्य तथा बंजर भूमि पर पेड़ व फसलें एक साथ लगाना।
प्रश्न 29.
हमारे देश में विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र क्यों पाए जाते हैं ?
उत्तर:
हमारे देश में बड़े पैमाने पर जैव विविधता पाए जाने के कारण विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र पाए जाते हैं।
प्रश्न 30.
पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है?
उत्तर:
राष्ट्रीय व विश्व प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए।
प्रश्न 31.
वन्य प्राणियों की संख्या कम होने का प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर:
मानव ने वनों को काटकर वन्य जीवों और. उनके आवासों को नष्ट कर दिया है।
प्रश्न 32.
वन्य प्राणी अधिनियम का पारित हुआ?
उत्तर:
सन् 1972 में वन्य प्राणी अधिनियम पारित हुआ।
प्रश्न 33.
भारत में वन्य प्राणी अधिनियम के कोई दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 34.
सन् 1991 में संशोधित वन्य प्राणी अधिनियम के तहत क्या प्रावधान किए गए हैं ?
उत्तर:
प्रश्न 35.
हमारे देश में कितने राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य प्राणी अभयवन हैं ?
उत्तर:
हमारे देश में 103 राष्ट्रीय उद्यान एवं 535 वन्य प्राणी अभयवन हैं।
प्रश्न 36.
भारत सरकार ने किस योजना के तहत वनस्पति जात एवं प्राणिजगत के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ?
उत्तर:
यूनेस्को के मानव एवं जीवमण्डल कार्यक्रम के तहत भारत सरकार ने वनस्पति जात एवं प्राणिजगत के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
प्रश्न 37.
प्रोजेक्ट टाइगर कब प्रारम्भ किया गया?
उत्तर:
1973 में।
प्रश्न 38.
प्रोजेक्ट एलीफेन्ट कब प्रारम्भ किया?
उत्तर:
1992 में।
प्रश्न 39.
भारत के किन्हीं दो जीवमण्डल निचय के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 40.
नीलगिरी जीवमण्डल निचय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
सन् 1986 में।
प्रश्न 41.
नीलगिरी जीवमण्डल निचय का क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
नीलगिरी जीवमण्डल निचय क्षेत्र में वायनाड़, नगरहोल, बांदीपुर, मदुमलाई, निलंबूर, ऊपरी नीलगिरी पठार, साइलेंट वैली एवं सिवानी पहाड़ियाँ सम्मिलित हैं।
प्रश्न 42.
नन्दादेवी जीवमण्डल निचय किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर:
उत्तराखण्ड राज्य में।
प्रश्न 43.
नंदादेवी निचय में कौन-कौन से वन्य जीव मिलते हैं?
उत्तर:
हिम तेंदुआ, काला भालू, भूरा भालू, कस्तूरी मृग, हिम-मुर्गा, सुनहरा बाज व काला बाज।
प्रश्न 44.
रॉयल बंगाल टाईगर किस जीवमण्डल निचय में पाए जाते हैं ?
उत्तर:
सुन्दरवन जीवमण्डल निचय में।
प्रश्न 45.
पन्ना अभयारण कहाँ है? उत्तर-मध्यप्रदेश में (पन्ना व छत्तरपुर जिलों में)। प्रश्न 46. वनावरण के आधार पर भारत को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
चार भागों में अधिक वन संकेन्द्रण वाले, मध्यम वन संकेन्द्रण वाले, कम वन संकेन्द्रण वाले, अति कम वन संकेन्द्रण वाले।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न)
प्रश्न 1.
भारत में प्राकृतिक वनस्पति किस प्रकार वर्षा के वार्षिक वितरण पर आश्रित है ? अपने उत्तर को उचित उदाहरणों से पुष्ट कीजिए।
उत्तर:
जलवायु की परिवर्तिता, विशेष रूप से वर्षा की मात्रा में अन्तर होने के कारण देश के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार के वन मिलते हैं। पूर्वी एवं पश्चिमी हिमालय, पश्चिमी घाट के पूर्वी और पश्चिमी ढलानों तथा भारत के उत्तरी-पश्चिमी मैदानों एवं गंगा के मध्यवर्ती व निचले मैदानों में भी वर्षा की मात्रा में परिवर्तन के साथ ही वनस्पति का स्वरूप भी बदल जाता है। राजस्थान के न्यून वर्षा प्राप्त करने वाले मरुस्थलीय तथा अर्द्ध-मरुस्थलीय भागों में खेजड़ी वृक्ष, झाड़ियाँ तथा काँटेदार वृक्ष प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।
प्रश्न 2.
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन वर्षभर हरे-भरे क्यों दिखाई देते हैं ?
उत्तर:
इन वनों के क्षेत्र में वर्षभर वर्षा होती है। उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन सघन एवं परतों वाले होते हैं। इनमें रि के नजदीक झाड़ियाँ और बेलें होती हैं। इनके ऊपर छोटे कद वाले पेड़ तथा सबसे ऊपर लम्बे पेड़ होते हैं। चूँकि इन पेड़ों के पत्ते झड़ने, फूल आने एवं फल लगने का समय अलग-अलग होता है। इसलिए ये वन वर्षभर हरे-भरे दिखाई देते हैं। - यान
प्रश्न 3.
अर्द्ध सदाबहारी वनों का विस्तार बताइए।
उत्तर:
कार-अर्द्ध-सदाबहारी वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह से ही अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में पाये जाते हैं। इन वनों में सदाबहारी वनों तथा आई पर्णपाती वनों का मिश्रित रूप देखने को मिलता है। साइडर, होलक तथा कैल इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
प्रश्न 4.
उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वनों का विस्तार क्षेत्र एवं प्रमुख वृक्ष बताइए।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वन भारत के 50 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलते हैं। दक्षिणीपश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के अर्द्ध-शुष्क प्रदेशों में ये वन प्रमुखता से मिलते हैं। इन वनों में अनेक प्रकार की घासें तथा झाड़ियाँ मिलती हैं। पत्तेरहित वृक्ष मिलने के कारण वे झाड़ियों जैसे लगते हैं। बबूल, खैर, बेर, खजूर, नीम, खेजड़ी तथा पलास यहाँ पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
प्रश्न 5.
पर्वतीय वनों की विशेषता बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
भारत में ज्वारीय वनों का विस्तार कहाँ मिलता है?
उत्तर:
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन, महानदी, गोदावरी व कृष्णा नदियों के डेल्टाई भागों में।
प्रश्न 7.
वन क्षेत्र किसे कहते हैं ? वन क्षेत्र में राज्यवार मिलने वाली भिन्नता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र हैं, चाहे वहाँ वृक्ष हों या न हों। जहाँ एक ओर दिल्ली, बिहार, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश राज्यों के कुल क्षेत्रफल का 10 प्रतिशत से भी कम भाग वनाच्छादित मिलता है वहीं दूसरी ओर अण्डमान-निकोबार, नागालैण्ड, मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 80 प्रतिशत से अधिक भाग वनाच्छादित है।
प्रश्न 8.
जनजातीय समुदायों के लिये वनों की महत्ता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 2001 में भारत में 593 जिलों में से 188 जनजातीय जिलों की श्रेणी में थे जिनमें भारत के कुल वन क्षेत्रफल का लगभग 59.61 प्रतिशत भाग मिलता है। जनजातीय समुदाय के लोगों के लिये वनों का विशेष महत्व है। स्थानीय जनजातीय लोगों के लिये वन एक आवास, भोजन तथा अस्तित्व के क्षेत्र होते हैं। इन वनों से जनजातीय समुदाय भोजन, फल, खाने लायक वनस्पति, शहद, पौष्टिक जड़ें तथा शिकार के लिये पशु प्राप्त करते हैं। यही नहीं वन हमें घर बनाने का सामान तथा कलाकृतियों के लिये विभिन्न वस्तुएँ प्रदान करते हैं।
प्रश्न 9.
भारत में कुल कितने जनजातीय जिले हैं, इनमें देश का कितना वनावरण मिलता है ?
उत्तर:
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत के 593 जिलों में से 188 जनजातीय जिले हैं जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर हैं। लेकिन देश के कुल वनावरण का लगभग 59.61 प्रतिशत जनजातीय जिलों में ही पाया जाता है। स्पष्ट है कि भारत के जनजातीय जिले वन सम्पदा की दृष्टि से सम्पन्न हैं।
प्रश्न 10.
वन संरक्षण का क्या महत्व है।
उत्तर:
प्रश्न 11.
शहरी वानिकी से क्या आशय है ?
उत्तर:
शहर और उसके आस-पास निजी व सार्वजनिक भूमि (जैसे-हरित पट्टी, पार्क, सड़कों के साथ खाली पड़ी भूमि), औद्योगिक व व्यापारिक स्थलों पर वृक्ष लगाना तथा उनका प्रबन्धन करना शहरी वानिकी कहलाता है।
प्रश्न 12.
ग्रामीण वानिकी के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण वानिकी में कृषि वानिकी तथा समुदाय वानिकी सम्मिलित है। कृषि वानिकी में काम को के साथ-साथ चारा, इ“धन, इमारती लकड़ी तथा फलों का उत्पादन भी किया जाता है। समुदाय वानिकी में ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ी खाली सार्वजनिक भूमि (जैसे- चारागाह, मन्दिर भूमि, नहर में मारे, सड़क के दोनों ओर, विद्यालय की खाली भूमि आदि) पर वृक्षारोपण कार्य करना सम्मिलित है।
प्रश्न 13.
फार्म वानिकी क्या है ?
उत्तर:
फार्म वानिकी में किसान अपने खेतों में व्यापारिक महत्व वाले या दूसरे वृक्षों का रोपण करने .. इसके अलावा कई तरह की भूमि जैसे खेतों की मेंड़ें, चारागाह, घासस्थल, घर के समीप पड़ी खाली जमीन तथा पशुओं । बाड़ों में भी वृक्षों का रोपण किया जाना सम्मिलित है। इस योजना का दूसरा उद्देश्य भूमिविहीन लोगों को वानिकीकरण में कर उन्हें वृक्षों का स्वामित्व लाभ प्रदान करना भी है।
प्रश्न 14.
राष्ट्रीय उद्यान तथा अभयारण्य में अन्तर बताइए।
अथवा
नेशनल पार्क एवं वन्य प्राणी अभयवन में अंतर बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्य जीव अभयारण्य दोनों वन्य जीवों की सुरक्षा के लिये स्थापित किये हैं। अभयारण्य में अनुमति के बिना शिकार करना मना है लेकिन चराई तथा गौ-पशुओं का आना-जाना नियमित सरी ओर राष्ट्रीय उद्यानों में शिकार तथा चराई पर पूर्ण प्रतिबन्ध रहता है।
प्रश्न 15.
भारत में प्रोजेक्ट टाईगर योजना का शुभारम्भ कब हुआ एवं इसका उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:
भारत में सन् 1973 में प्रोजेक्ट टाईगर योजना का शुभारम्भ हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य देश में बाों संख्या का स्तर बनाए रखना जिससे वैज्ञानिक, सौन्दर्यपरक, सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक मूल्यों को बनाए रखा था ।
प्रश्न 16.
नन्दादेवी जीवमण्डल निचय के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर:
नन्दादेवी जीवमण्डल निचय उत्तराखण्ड राज्य के चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ तथा बागेश्वरनों के 2236 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है। इस क्षेत्र में प्रमुख रूप से उष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं। यहाँ १ वाली पादप प्रजातियों में सिल्वर वुड, लैटीफोली (ओरचिड) तथा रोडाडेन्ड्रॉन प्रमुख हैं जबकि प्रमुख वन्य जीवों में कम दुआ, काला भाल, भूरा भालू, हिम मुर्गा, सुनहरा बाज तथा काला बाज सम्मिलित हैं।
प्रश्न 17.
मन्नार की खाड़ी जीवमंडल निचय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह भारत के दक्षिणी-पूर्वी भाग में स्थित है। इसका विस्तार 1 लाख 5 हजार हैक्टेयर क्षेत्र है। समुद्री जैव विविधता में यह विश्व के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है। इस जीवमंडल निचय में 21 द्वीप हैं भग 3600 पौधों व जीवों की संकटापन्न प्रजातियाँ मिलती हैं। यहाँ 6 प्रकार की मैंग्रोव प्रजातियाँ मिलती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न)
प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति क्या है ? भारत में प्राकृतिक वनस्पति के विभिन्न प्रकार बताइए
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ-प्राकृतिक वनस्पति से आशय उस पौधा समुदाय से है जो ल तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है तथा इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी एवं जलबार। तयों में यथासम्भव स्वयं को ढाल लेती हैं।
भारत में प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार-भारत में मिट्टी व जलवायु की विविधता के कारण निराकार की प्राकृतिक वनस्पति पायी जाती हैं
प्रश्न 2.
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार एवं अर्द्ध सदाबहार कानों का सॉक्षित वाईन कीजिए।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार बन-ये वन भारत में प्रमुख रूप से पश्चिमी क्षार के पश्चिमी हालों, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में मिलते हैं। उष्ण-आर्द्र जलवायु में मिलने वाले इन वन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक तथा औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है। उष्ण कटिबन्धीय वन सघन तथा सामान्यतः तीन परतों में मिलते हैं
चूँकि इन वृक्षों में पत्ते झड़ने, फूल आने तथा फल लगने के समय में अन्तर मिलता है, इसलिये ये वृक्ष वर्ष-पर्यन्त हरे-भरे दिखायी देते हैं। इन वनों में मिलने वाली प्रमुख प्रजातियाँ रोजवुड, महोगनी, ऐनी तथा एबोनी हैं। अर्द्ध-सदाबहारी वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में ही अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में पाये जाते हैं। इन वनों में सदाबहारी वनों तथा आई पर्णपाती वनों का मिश्रित रूप देखने को मिलता है। साइडर, होलक तथा कैल इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
प्रश्न 3.
उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
मानसूनी वन कितने प्रकार के होते हैं ? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
70 से 200 सेमी. वार्षिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में ये उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती या मानसूनी वन प्रमुखता से मिलते हैं। जल की उपलब्धता के आधार पर इन वनों को दो भागों में विभक्त किया जाता है
(i) आई पर्णपाती वन-100 से 200 सेमी. वर्षा प्राप्त करने वाले उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमलाय के गिरिपद, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढाल तथा उड़ीसा राज्य में ये वन प्रमुखता से मिलते हैं। सागवान, साल, शीशम, हुर्रा, महुआ, आँवला, सेमल, कुसुम तथा चन्दन प्रजातियों के वृक्ष यहाँ प्रमुखता से मिलते हैं।
(ii) शुष्क पर्णपाती वन-70 से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा प्राप्त करने वाले ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों तथा उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में मिलते हैं। शुष्क ऋतु प्रारम्भ होते ही यहाँ के वृक्ष अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्षों में तेंदू, पलास, अमलतास, बेल, खैर तथा अक्सलवुड प्रमुख हैं।
प्रश्न 4.
ऊँचाई के आधार पर हिमालय के वनस्पति कटिबन्धों का वर्णन कीजिए।
अथवा
हिमालय के वनस्पति अनुक्रम को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-ऊँचाई के आधार पर हिमालय क्षेत्र में वनों की निम्नलिखित पेटियाँ मिलती हैं
प्रश्न 5.
भारत में दक्षिणी पर्वतीय वनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी पर्वतीय वन प्रमुख रूप से प्रायद्वीप के पश्चिमी घाट, विंध्याचल की नीलगिरी पर्वत श्रृंखलाओं में पाये जाते हैं। इन पर्वत श्रृंखलाओं की समुद्र तल से ऊँचाई 1500 मीटर तक मिलती है। इसी कारण ऊँचाई वाले भागों में शीतोष्ण कटिबन्धीय तथा निचले पर्वतीय ढालों पर उपोष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं। केरल, तमिलनाडु तथा कर्नाटक भागों में सह्याद्रि के कम ऊँचाई वाले ढलानों पर उपोष्ण कटिबन्धीय वनस्पति मिलती है। नीलगिरी, अन्नामलाई तथा पालनी पहाड़ियों पर शीतोष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं जिन्हें 'शोलास' कहा जाता है। मगनोलिया, लैरेल, सिनकोना तथा वैटल इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं। सतपुड़ा तथा मैकाल पर्वत श्रेणियों पर भी यह वन मिलते हैं।
प्रश्न 6.
वेलांचली व अनूप वन कहाँ-कहाँ पाये जाते हैं ? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
वेलांचली व अनूप वनों को मैंग्रोव या डेल्टाई वन भी कहा जाता है। ये वन प्रमुख रूप से समुद्र तट पर स्थित लवणीय दलदलों, ज्वारीय निवेशिकाओं, सँकरी खाड़ियों, पंक मैदानों तथा ज्वारनदमुखों में उगते हैं। यहाँ लवणयुक्त जल से प्रभावित न होने वाले वृक्ष प्रमुख रूप से उगते हैं। इन लवणीय व दलदली भूमि में सुन्दरी तथा मैंग्रोव वृक्ष मुख्य रूप से उगते हैं। सुन्दरी वृक्ष का उपयोग नौका बनाने में किया जाता है। - भारत में 6740 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर ये वन मिलते हैं। अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह तथा पश्चिम बंगाल के सुन्दरवन डेल्टा में यह वृक्ष विकसित रूप में मिलते हैं। इसके अलावा महानदी, गोदावरी तथा कृष्णा नदियों के डेल्टाई भागों में भी ये वन पाये जाते हैं।
प्रश्न 7.
भारत में आर्द्र भूमि को कितने वर्गों में बाँटा गया है ? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में आई भूमि को आठ वर्गों में बाँटा गया है, जो निम्नलिखित हैं
प्रश्न 8.
वन क्षेत्र के प्रतिशत में राज्यस्तरीय भिन्नता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(i) भारत में 10 प्रतिशत से कम वन क्षेत्र वाले राज्य प्रमुख रूप से देश के उत्तरी तथा उत्तरी-पश्चिमी भागों में मिलते हैं। इनमें राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली राज्य सम्मिलित हैं। पंजाब तथा हरियाणा के एक बड़े भाग से मानव ने कृषि के लिए वनों का सफाया कर दिया है, वहीं गुजरात, राजस्थान तथा हरियाणा का अधिकांश भाग अर्द्ध-शुष्क जलवायु वाला क्षेत्र है।
(ii) 10 से 20 प्रतिशत भाग पर वन मिलने वाले राज्यों में तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल राज्य सम्मिलित हैं।
(iii) 20 से 30 प्रतिशत वन क्षेत्र रखने वाले राज्यों में प्रायद्वीपीय भारत में दादरा-नगर हवेली, तमिलनाडु तथा गोवा को छोड़कर सभी प्रायद्वीपीय भारत के राज्य सम्मिलित हैं।
(iv) 30 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र रखने वाले राज्यों में सभी उत्तरी पूर्वी राज्य-असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, त्रिपुरा तथा अरुणाचल प्रदेश सम्मिलित हैं।
प्रश्न 9.
भारत में वन नीति के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
भारत सरकार ने सन् 1952 में वन संरक्षण नीति लागू की जिसे सन् 1988 में संशोधित किया गया। इस वन नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
प्रश्न 10.
भारत में वनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
पारिस्थितिकी सन्तुलन कायम रखने के लिए जहाँ एक ओर वनों का संरक्षण आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर वृक्षारोपण द्वारा वन क्षेत्रफल में वृद्धि करना भी अति आवश्यक है। सन्तुलित पारिस्थितिकी तन्त्र तथा स्वस्थ पर्यावरण के लिये भारत के कम से कम एक तिहाई भाग पर वन होने चाहिए। दुर्भाग्य से हमारे देश के एक चौथाई भाग पर भी वन नहीं हैं। इसी कारण वनों के समुचित संरक्षण के लिये एक ठोस नीति लागू करने की आवश्यकता है। वन जलवायु को समकारी बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वन वर्षा कराने में सहायक होते हैं, मृदा का संरक्षण करते हैं तथा मरुस्थलीय भूमि के विस्तार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 11.
सामाजिक वानिकी क्या है ? इसको कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है ? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का अर्थ है-ग्रामीण जनसंख्या के लिए जलावन लकड़ी, छोटी इमारती लकड़ी तथा छोटे-छोटे वन उत्पादों की आपूर्ति करना। पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबन्ध तथा सुरक्षा एवं ऊसर भूमि पर वनारोपण। राष्ट्रीय कृषि आयोग (1976-79) ने सामाजिक वानिकी को तीन वर्गों में बाँटा जो निम्नलिखित हैं
(i) शहरी वानिकी-शहर और उसके आस-पास निजी व सार्वजनिक भूमि जैसे हरित पट्टी, बाग-बगीचा, सड़कों के साथ-साथ खाली पड़ी भूमि तथा औद्योगिक व व्यापारिक स्थलों पर वृक्ष उगाना एवं उनका प्रबंधन करना शहर वानिकी कहलाता है।
(ii) ग्रामीण वानिकी-ग्रामीण वानिकी में कृषि वानिकी तथा समुदाय वानिकी सम्मिलित है। कृषि वानिकी में कृषि कार्यों के साथ-साथ चारा, ईंधन, इमारती लकड़ी तथा फलों का उत्पादन भी किया जाता है। समुदाय वानिकी में ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ी खाली सार्वजनिक भूमि (जैसे चारागाह, मन्दिर भूमि, नहर के किनारे, सड़क के दोनों ओर, विद्यालय की खाली भूमि आदि) पर वृक्षारोपण कार्य करना सम्मिलित है।
(iii) फार्म वानिकी-फार्म वानिकी में किसान अपने खेतों में व्यापारिक महत्व वाले या दूसरे वृक्षों का रोपण करते हैं। इसके अलावा कई तरह की भूमि जैसे कि मेंड़ें, चारागाह, घास स्थल, घर के समीप पड़ी खाली जमीन तथा पशुओं के बाड़ों में भी वृक्षों का रोपण किया जाना सम्मिलित है। इस योजना का दूसरा उद्देश्य भूमिविहीन लोगों को वानिकीकरण से जोड़कर उन्हें वृक्षों का स्वामित्व लाभ प्रदान करना भी है।
प्रश्न 12.
भारत में वन्य प्राणियों की संख्या कम होने के कारण दीजिए।
उत्तर:
भारत में वन्य प्राणियों की संख्या कम होने के निम्नलिखित कारण हैं
प्रश्न 13.
प्रोजेक्ट टाईगर परियोजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
भारत में बाघों के संरक्षण तथा उनके आवासों के बचाव के लिये सन् 1973 से प्रोजेक्ट टाईगर नामक परियोजना संचालित की जा रही है। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत में बाघों की संख्या के स्तर को कायम रखना है जिससे वैज्ञानिक, सौंदर्यात्मक, सांस्कृतिक तथा पारिस्थितिकी मूल्यों को बनाए रखा जा सके। ऐसा करने से बाघ जैसी प्राकृतिक धरोहर को संरक्षण मिलेगा, साथ ही लोगों को शिक्षा तथा मनोरंजन के रूप में भी लाभ मिलेगा। प्रारम्भ में प्रोजेक्ट टाईगर 16339 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर फैले नौ बाघ आरक्षित क्षेत्रों में लागू किया गया था। वर्तमान में इन बाघ आरक्षित क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 44 तथा बाघ आरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल बढ़कर 36988.28 वर्ग किमी. हो गया। ये बाघ आरक्षित क्षेत्र 17 राज्यों में फैले हैं। सन् 2006 में बाघों की संख्या 1411 थी जो वर्ष 2010 में 1706 हो गयी।
प्रश्न 14.
जीवमण्डल निचय क्या हैं? सुन्दरवन जीवमण्डल निचय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जीवमण्डल निचय-जीवमण्डल निचय एक विशेष प्रकार के भौमिक एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र होते हैं जिन्हें यूनेस्को के महत्व और जीवमण्डल कार्यक्रम के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त होती है। सुन्दरवन जीवमण्डल निचय-यह जीवमण्डल निचय पश्चिमी बंगाल में गंगा नदी के दलदली डेल्टाई भाग के 9630 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है, जहाँ मैंग्रोव वन तथा अनूप वन प्रमुख रूप से मिलते हैं। मैंग्रोव वृक्षों की उलझी विशाल जड़ें-मछली से लेकर श्रिम्प तक को आश्रय प्रदान करती हैं। 170 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ यहाँ निवास करती हैं। लगभग 200 रॉयल बंगाल टाईगर का यह आवासीय क्षेत्र है। पानी में तैरने वाले बाघ, चीतल, भौंकने वाले मृग, जंगली सूअर तथा लंगूर यहाँ मिलने वाले प्रमुख वन्य जीव हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में मिलने वाले प्रमुख वनों का भौगोलिक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
भारत में वनस्पतियों के विवरण का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में वनस्पति प्रकार तथा जलवायु दशाओं के आधार पर निम्नलिखित पाँच प्रकार के वन मिलते हैं
1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार एवं अर्द्ध सदाबहार वन-ये वन भारत में प्रमुख रूप से पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में मिलते हैं। उष्ण-आर्द्र जलवायु में मिलने वाले इन वन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक तथा औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है। उष्ण कटिबन्धीय वन सघन तथा सामान्यतः तीन परतों में मिलते हैं
चूँकि इन वृक्षों में पत्ते झड़ने, फूल आने तथा फल लगने के समय में अन्तर मिलता है, इसलिये ये वृक्ष वर्ष-पर्यन्त हरे-भरे दिखायी देते हैं। इन वनों में मिलने वाली प्रमुख प्रजातियाँ रोजवुड, महोगनी, ऐनी तथा एबोनी हैं। अर्द्ध-सदाबहारी वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढालों, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में ही अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में पाये जाते हैं। इन वनों में सदाबहारी वनों तथा आर्द्र पर्णपाती वनों का मिश्रित रूप देखने को मिलता है। साइडर, होलक तथा कैल इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
2. उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन या मानसूनी वन-70 से 200 सेमी. वार्षिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में ये वन मुख्य रूप से पाये जाते हैं। जल की उपलब्धता के आधार पर इन वनों को दो भागों में विभक्त किया जाता है
(i) आई पर्णपाती वन-100 से 200 सेमी. वर्षा वाले उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपद, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढाल तथा : राज्य में ये वन मुख्य रूप से मिलते हैं। सागवान, माल शीशम, हुर्रा, महुआ, आँवला, सेमल, कुसुम तथा चन्दन के वृक्ष यहाँ मुख्य रूप से मिलते हैं।
(ii) माती वन-70 से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा प्राप्त करने वाले ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों तथा :....: बिहार के मैदानी भागों में मिलते हैं। शुष्क ऋतु प्रारम्भ होने ही यहाँ के वृक्ष अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इन वन में नलने वाले प्रमुख वृक्षों में तेंदू, पलास, अमलतास. बेल. खैर तथा अक्सलवुड प्रमुख हैं।
3. उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वन-भारत में जिन क्षेत्रों में 10 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा होती है, उनमें ये वन मिलते हैं। दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के अर्द्ध-शुष्क प्रदेशों में ये वन प्रमुख रूप से मिलते हैं। इन वनों में अनेक प्रकार की घासें तथा झाड़ियाँ मिलती हैं। पत्तेरहित वृक्ष मिलने के कारण ये झाड़ियों जैसे लगते हैं। बबूल, खैर, बेर, खजूर, नीम, खेजड़ी तथा पलास यहाँ पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
4. पर्वतीय वन-पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान घटने के कारण प्राकृतिक वनस्पति के स्वरूप में भी अन्तर आ जाता है। पर्वतीय वनों का अध्ययन दो भागों में विभक्त किया जा सकता है -
(i) उत्तरी पर्वतीय वन
(ii) दक्षिणी पर्वतीय वन।
(i) उत्तरी पर्वतीय वन ये वन हिमालय पर्वत श्रृंखला में मिलते हैं जहाँ उष्ण कटिबन्धीय वनों से लेकर टुण्ड्रा वनस्पति तक मिलती है। हिमालय के गिरिपद पर पर्णपाती वन मिलते हैं। इसके बाद ऊँचाई के अनुसार हिमालय क्षेत्र में निम्न प्रकार की वनस्पति मिलती है
(i) 1000 से 2000 मीटर की ऊँचाई पर उत्तरी-पूर्वी भारत में पर्वत श्रृंखला. पश्चिम बंगाल तथा उत्तराखण्ड के पर्वतीय भाग में आई शीतोष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं जिनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक चेस्टनट तथा चीड़ के वृक्ष मुख्य रूप से मिलते हैं। पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में देवदार, चिनार तथा बालन के वृक्ष प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।
(ii) 225 3048 मीटर की ऊँचाई पर शीतोष्ण घास के मैदानों के साथ लय पाइन तथा स्पूस वृक्ष प्रमुख रूप से मिलते हैं।
(iii) Zivil) से 4000 मीटर की ऊँचाई पर एल्पाइन वन तथा चाममाह मिलते हैं। सिन्नर फा, जुनिपर, पाइन, बर्च तथा रोडोडेन्ट्रोन यहाँ मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
(iv) 400 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले भागों पर टुण्डा वनस्पति जैसे मांस व गाइकन मिलती हैं।
(ii) दक्षिणी पर्वतीय वन-ये वन प्रमुख रूप से प्रायद्वीप के पश्चिमी घाट, विंधावल की नीलगिरी पर्वत श्रृंखलाओं में पाये जाते हैं। इन पर्वत शृंखलाओं की समुद्र तल से ऊँचाई 1500 मीटर तक मिलती है। इसी कारण ऊँचाई वाले भागों में शीतोष्ण कटिबन्धीय तथा निचले पर्वतीय ढालों पर उपोष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं। केरल, तमिलनाडु तथा कर्नाटक प्रांतों में सह्याद्रि के कम ऊँचाई वाले ढलानों पर उपोष्ण कटिबन्धीय वनस्पति मिलती है। नीलगिरी, अन्नामलाई तथा पालनी पहाड़ियों पर शीतोष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं जिन्हें 'शोलास' कहा जाता है। मगनोलिया, लैरेल, सिनकोना तथा वैटल इन वनों में मिलने वाले प्रमुख वृक्ष हैं। सतपुड़ा तथा मैकाल पर्वत श्रेणियों पर भी यह वन मिलते हैं।
5. वेलांचली व अनूप वन-इन वनों को मैंग्रोव या डेल्टाई वन भी कहा जाता है। ये वन प्रमुख रूप से समुद्र तट स्थित लवणीय दलदलों, ज्वारीय निवेशिकाओं, सँकरी खाड़ियों, पंक मैदानों तथा ज्वारनदमुखों में उगते हैं। यहाँ लवणयुक्त जल से प्रभावित न होने वाले वृक्ष प्रमुख रूप से उगते हैं। इन लवणीय व दलदली भूमि में सुन्दरी तथा मैंग्रोव वृक्ष मुख्य रूप से उगते हैं। भारत में 6740 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर ये वन मिलते हैं। अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह तथा पश्चिमी बंगाल के सुन्दर वन डल्ला में ये वृक्ष विकसित रूप में मिलते हैं। इसके अलावा महानदी, गोदावरी तथा कृष्णा नदियों के डेल्टाई भागों में भी ये वन पाये जाते हैं।
प्रश्न 2.
वन आवरण तथा वन क्षेत्र से क्या आशय है ? वन क्षेत्र तथा वन आवरण के प्रतिशत के आधार पर भारत के राज्यों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र हैं चाहे वहाँ वृक्ष हों या न हों, जबकि वन आवरण प्राकृतिक वनस्पति का झुरमुट है और वास्तविक रूप में वनों से ढका है। सन् 2011 में भारत में वास्तविक वन आवरण का प्रतिशत केवल 21.05 था जिसमें से केवल 12.2 प्रतिशत भाग पर सघन वन थे।
वन क्षेत्र के प्रतिशत के आधार पर राज्यस्तरीय वितरण-
भारत में 10 प्रतिशत से कम वन क्षेत्र वाले राज्य प्रमुख रूप से देश के उत्तरी तथा उत्तरी-पश्चिमी भागों में मिलते हैं। इनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा तथा दिल्ली राज्य सम्मिलित हैं। पंजाब तथा हरियाणा के एक बड़े भाग से मानव ने कृषि के लिए वनों का सफाया कर दिया है, वहीं गुजरात, राजस्थान तथा हरियाणा का अधिकांश भाग अर्द्ध-शुष्क जलवायु वाला क्षेत्र है।10 से 20 प्रतिशत भाग पर वन मिलने वाले राज्यों में तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल राज्य सम्मिलित हैं।
20 से 30 प्रतिशत वन क्षेत्र रखने वाले राज्यों में प्रायद्वीपीय भारत में दादरा-नगर हवेली, तमिलनाडु तथा गोवा को छोड़कर सभी प्रायद्वीपीय भारत के राज्य सम्मिलित हैं।
30 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र रखने वाले राज्यों में सभी उत्तरी-पूर्वी राज्य- असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ना गलैण्ड, त्रिपुरा तथा अरुणाचल प्रदेश सम्मिलित हैं। वन-आवरण के प्रतिशत में राज्यस्तरीय भिन्नता जम्मू-कश्मीर में जहाँ वन -आवरण 9.5 प्रतिशत मिलता है, वहीं अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में यह 84.01 प्रतिशत है। भारत के 15 राज्यों के कुल भूमि क्षेत्रफल के 33 प्रतिशत से अधिक भाग पर वन क्षेत्र मिलते हैं जो किसी प्रदेश के पा िस्थितिकी सन्तुलन को कायम रखने के लिये आवश्यक है। वास्तविक वन आवरण के अधीन क्षेत्र के आधार पर भारतीय राज्यों को निम्न चार प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है-
प्रदेश |
वन आवरण का प्रतिशत |
सम्मिलित राज्य |
(1) अधिक वन संकेन्द्रण वाले प्रदेश |
40 से अधिक |
अरुणाचल प्रदेश, छतीसगढ़, गोवा, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखण्ड, अण्डमान-निकोबार, दादरा-नगर हवेली, लक्षद्वीप। |
(2) मध्यम वन संकेन्द्रु वाले प्रदेश |
20-40 |
असम, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा। |
(3) कम वन संकेन्द्रण वाले प्रदेश |
10-20 |
कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पशिचम बंगाल। |
(4) अति कम वन संकेन्द्रण वाले प्रदेश |
10 से कम |
बिहार, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़, दमन-दीव तथा पाणिडचेरी। |
प्रश्न 3.
वन्य प्राणियों की संख्या कम होने के मुख्य कारण क्या हैं ? भारत में वन्य प्राणी अधिनियम के उद्देश्यों को बताते हुए प्रोजेक्ट टाईगर परियोजना का विवरण दीजिए।
उत्तर:
वन्य प्राणियों की संख्या कम होने के कारण-वन्य प्राणियों की संख्या कम होने के कारण निम्नवत् हैं
वन्य प्राणी अधिनियम के उद्देश्य-
वन्य प्राणियों के संरक्षण व रक्षण के लिये भारत सरकार द्वारा वन्य प्राणी अधिनियम, 1972 पास किया। इसके दो प्रमुख उद्देश्य हैं
(1) अधिनियम के अन्तर्गत अनुसूची में सूचीबद्ध संकटापन्न प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान करना।
(2) नेशनल पार्क, पशु विहार जैसे संरक्षित क्षेत्रों को कानूनी सहायता प्रदान करना। उक्त अधिनियम को सन् 1991 में पूर्णतया संशोधित कर दिया गया है। इसके अन्तर्गत कठोर सजा का प्रावधान है। वर्तमान में हमारे देश में 103 नेशनल पार्क तथा 535 वन्य प्राणी अभयवन हैं।
प्रोजेक्ट टाईगर परियोजना-
भारत में बाघों के संरक्षण तथा उनके आवासों के बचाव के लिये सन् 1973 से प्रोजेक्ट टाईगर नामक परियोजना संचालित की जा रही है। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत में बाघों की संख्या के स्तर को कायम रखना है जिससे वैज्ञानिक, सौंदर्यात्मक, सांस्कृतिक तथा पारिस्थितिकीय मूल्यों को बनाए रखा जा सके। ऐसा करने से बाघ जैसी प्राकृतिक धरोहर को संरक्षण मिलेगा, साथ ही लोगों को शिक्षा तथा मनोरंजन के रूप में भी लाभ मिलेगा। प्रारम्भ में प्रोजेक्ट टाईगर 16,339 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर फैले नौ बाघ आरक्षित क्षेत्रों में लागू किया गया था। वर्तमान में इन बाघ आरक्षित क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 44 तथा बाघ आरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल बढ़कर 36988.28 वर्ग किमी. हो गया। ये बाघ आरक्षित क्षेत्र 17 राज्यों में फैले हैं। सन् 2006 में बाघों की संख्या 1411 थी जो वर्ष 2010 में 1706 हो गयी।
प्रश्न 4.
जीवमण्डल निचय से क्या आशय है ? इसके उद्देश्यों को बताते हुए विश्व पटल पर मान्यता प्राप्त भारत के चार जीवमण्डल निचयों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
जीवमण्डल निचय से आशय तथा उद्देश्य-
जीवमण्डल निचय (आरक्षित क्षेत्र) एक विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय पारिस्थितिकी तन्त्र होते हैं जिन्हें यूनेस्को के मानव और जीवमण्डल प्रोग्राम (MAB) के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त होती है। जीवमण्डल निचय के तीन प्रमुख उद्देश्य होते हैं-
यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त जीवमण्डल निचय भारत में वर्तमान में 18 जीवमण्डल निचय हैं जिनमें से निम्नलिखित चार जीवमण्डल निचयों का वर्णन निम्नानुसार है
1. नीलगिरी जीवमण्डल निचय-सन् 1986 में स्थापित यह भारत का पहला जीवमण्डल निचय है। वायनाड वन्य जीवन सुरक्षित क्षेत्र, नगरहोल, बांदीपुर व मुदुमलाई, निलंबुर क्षेत्र ऊपरी नीलगिरी पठार, साइलैण्ट वैली तथा सिरुवली पहाड़ियाँ इस जीवमण्डल निचय में सम्मिलित प्रमुख क्षेत्र हैं। इस जीवमण्डल निचय का कुल क्षेत्रफल 5520 वर्ग किमी. है। इस जीवमण्डल निचय में दो संकटापन्न प्राणी प्रजातियाँ-नीलगिरी नाहर तथा शेर जैसी दुम वाले बन्दर अधिक संख्या में मिलते हैं। हाथी, बाघ, गौर, साँभर तथा चीतल यहाँ मिलने वाले अन्य जानवर हैं। इस जीवमण्डल निचय में कुछ ऐसी जनजातियों के आवास भी हैं जो पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
2. नन्दादेवी जीवमण्डल निचय-यह जीवमण्डल निचय उत्तराखण्ड राज्य के चमोली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर जनपदों में विस्तृत है। इस क्षेत्र में प्रमुख रूप से उष्ण कटिबन्धीय वन मिलते हैं। यहाँ मिलने वाली पादप प्रजातियों में सिल्वर वुड, लैटीफोली (ओरचिड) तथा रोडाडेन्ड्रॉन प्रमुख हैं, जबकि प्रमुख वन्य जीवों में हिम तेंदुआ, काला भालू, भूरा भालू, हिम मुर्गा, सुनहरा बाज तथा काला बाज सम्मिलित हैं।
3. सुन्दरवन जीवमण्डल निचय-यह जीवमण्डल निचय पश्चिमी बंगाल में गंगा नदी के दलदली डेल्टाई भाग के 9630 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है जहाँ मैंग्रोव वन तथा अनूप वन प्रमुख रूप से मिलते हैं। मैंग्रोव वृक्षों की उलझी विशाल जड़ें-मछली से लेकर श्रिम्प तक को आश्रय प्रदान करती हैं। 170 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ यहाँ निवास करती हैं। लगभग 200 रॉयल बंगाल टाईगर का यह आवासीय क्षेत्र है। पानी में तैरने वाले बाघ, चीतल, भौंकने वाले मृग, जंगली सूअर तथा लंगूर यहाँ मिलने वाले प्रमुख वन्य जीव हैं।
4. मन्नार की खाड़ी का जीवमण्डल निचय-लगभग एक लाख पाँच हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल पर फैला यह जीवमण्डल निचय भारत के दक्षिणी-पूर्वी तट पर स्थित है। सागरीय जैव विविधता की दृष्टि से यह विश्व के सर्वाधिक धनी क्षेत्रों में से एक है। इस निचय में 21 द्वीप हैं जहाँ अनेक ज्वारनदमुख, पुलिन, प्रवालद्वीप, लवणीय अनूप तथा मैंग्रोव मिलते हैं। यहाँ 3600 पादप व जीव-जन्तुओं की प्रजातियाँ निवास करती हैं जिसमें संकटापन्न सागरीय गाय तथा 6 मैंग्रोव प्रजातियाँ सम्मिलित हैं।
प्रश्न 5.
भारत के जीवमण्डल निचय, भौगोलिक क्षेत्रफल तथा उनकी स्थिति का विवरण दीजिए तथा मानचित्र पर सभी जीवमण्डल निचयों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
जीवमण्डल निचय से आशय-यह बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र होते हैं, जिनमें हर आकार के पौधे एवं जन्तु को उनके प्राकृतिक पर्यावरण में संरक्षित किया जाता है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं
भारत में 18 जीवमण्डल निचय हैं जिनके नाम, भौगोलिक क्षेत्रफल तथा स्थिति का विवरण अग्र तालिका में दिया गया है
तालिका-भारत के जीवमण्डल निचय-भौगोलिक क्षेत्रफल तथा स्थिति-
जीवमण्डल निच्य |
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल (वर्ग किमी.) |
स्थिति और विस्तार/राज्य |
नीलग्ति |
5520 |
वादनाड़, नगरहोल, बांदीपुर, मुदुमलाई, निलम्बूर, सायलेण्ट वैल । |
नन्दादेवी |
5860,69 |
चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिलों के भाग (उत्तराखण्ड), :ारो पहाड़ियों का हिस्सा (मेघलय)। |
नोंकरेक |
820 |
गारो पहाडियों का हिस्सा (मेघालय)। |
मानस |
2837 |
कोकराझार, बोगाई गाँव, बरपेटा, नलबाड़ी, कामरूप व दारांग f जले के हिस्से (असम)। |
सुन्दरवन |
9.630 |
गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र का डेल्टा व इसका हिस्सा (पशिचम बंगाल)। |
मन्नार की खाड़ी |
10.500 |
भारत और श्रीत्नंका के मध्य मन्नार की खाड़ी का भारतीय हिखा (तमिलनाहु) । |
ग्रेट निकोबार |
885 |
अण्डमान-निकांवार के सुदर दक्षिणा द्वापः। |
सिमिलीपाल |
4.374 |
मयूरभंज जिले के भाग (उड़ीया)। |
डित्तू-साईकोवा |
765 |
डिब्रूगढ़ और तिन्नुक्या जितों के भाग (असम) । |
दिहांग-देवाँग |
5,111.50 |
अरुणाचल प्रदेश में सियाँग और देबाँग जिलों के भाग। |
कंचनजुंगा |
2.619 .92 |
उत्तर और पश्चिम सिक्किम के भाग। |
पंचमढ़ी |
4.981 .92 |
बैतूल, होशंगाबाद और छिन्दवाड़ा जिलों के भाग ( मध्य प्रदेश) |
अगस्त्यमलाइ |
3500.36 |
केरल में अगस्त्यमलाई पहाड़ियाँ। |
अचनकमर अमरकंटक |
3,835.51 |
मध्य प्रदेश में अनूपपुर और दिंदोरी जिलों के भाग और छतीसगढ़ में बिलासपुर जिले का भाग। |
कच्छ |
12,454 |
कच्छ का भाग एवं गुजरात के राजकोट, सुंदर नगर व पाटन जिले। |
ठंडा रेगिस्तान |
7770 |
पिनवैली नेशनल पार्क, चंद्रताल, सारचृ, किब्बर प्राणी अभयवन व हिमाचल प्रदेश। |
शेष अचलम |
4.755 .99 |
पूर्वी घाट में शेष अचलम की पहाड़ियाँ व आन्ध्र प्रदेश में चित्तृ व कुड्युप्मा। |
गन्ना |
2998 .98 |
यप्रदेश के पन्ना व छत्तरपर जिलं |
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017 के अनुसार भारत के किस राज्य में वनावरण (प्रतिशत में) सर्वाधिक है।
(क) अरुणाचल प्रदेश
(ख) मिजोरम
(ग) त्रिपुरा
(घ) मणिपुर।
उत्तर:
(ख) मिजोरम
प्रश्न 2.
भारत के निम्न में से किस राज्य में टीक के अधिकतम वन मिलते हैं?
(क) मध्यप्रदेश
(ख) बिहार
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) कर्नाटक।
उत्तर:
(क) मध्यप्रदेश
प्रश्न 3.
निम्न में से कौन से एक क्षेत्र में मैंग्रोव वन नहीं हैं?
(क) अण्डमान व निकोबार द्वीप
(ख) पश्चिमी बंगाल सुन्दरवन
(ग) महानदी व गोदावरी डेल्टा
(घ) केरल तटीय क्षेत्र।
उत्तर:
(घ) केरल तटीय क्षेत्र।
प्रश्न 4.
सागवान भारतीय वनों में से किन वन की अहम् किस्म है?
(क) शुष्क पर्णपाती
(ख) आर्द्र पर्णपाती
(ग) उष्ण कंटीले
(घ) पर्वतीय।
उत्तर:
(ख) आर्द्र पर्णपाती
प्रश्न 5.
वानिकी अनुसंधान संस्थान कहाँ स्थित है?
(क) जबलगार
(ख) जोग्कर
(ग) देहरादून
(घ) बगला।
उत्तर:
(ग) देहरादून
प्रश्न 6.
भारत में मैंग्रोव निम्नांकित में से किसका सवांधिक महत्वपूर्ण वृक्ष है?
(क) उष्ण कटिबंधीय गई पतझदी उन
(ख) ज्वारीय वन
(ग) उष्ण कटिबंधीय गा पाना
(घ) उपोण आई वन
उत्तर:
(ख) ज्वारीय वन
प्रश्न 7.
भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया था?
(क) 1962
(ख) 1907
(ग) 1972
(घ) 1982.
उत्तर:
(ग) 1972
प्रश्न 8.
भारत में पारिस्थितिक असन्तुलन का निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रमुख कारण है ?
(क) वनोन्मूलन
(ख) मरुस्थलीकरण
(ग) बाढ़ एवं अकाल
(घ) वर्षा की परिवर्तनता।
उत्तर:
(क) वनोन्मूलन
प्रश्न 9.
गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टाई क्षेत्र के वनों को किस नाम से पुकारा जाता है?
(क) कोणधारी वन
(ख) मानसूनी वन
(ग) पतझड़ वन
(घ! सुन्दरवन।
उत्तर:
(घ! सुन्दरवन।
प्रश्न 10.
गैंडा संरक्षण परियोजना का प्रारम्भ किस राज्य में किया गया?
(क) असम
(ख) अरुणाचल प्रदेश
(ग) पश्चिम बंगाल
(घ) उड़ीसा।
उत्तर:
(क) असम
प्रश्न 11.
वन नीति के अनुसार भू-भाग का वह प्रतिशत अंश जो कि वनों के अन्तर्गत होना चाहिए, है
(क) 40 प्रतिशत
(ख) 33 प्रतिशत
(ग) 30 प्रतिशत
(घ) 25 प्रतिशत।
उत्तर:
(ख) 33 प्रतिशत
प्रश्न 12.
पश्चिमी हिमालय संसाधन प्रदेश के प्रमुख संसाधन हैं
(क) वन
(ख) धात्विक खनिज
(ग) कार्बनिक खनिज
(घ) आणविक खनिज।
उत्तर:
(क) वन
प्रश्न 13.
सुन्दरी वृक्ष का गृह स्थान।
उत्तर:
पश्चिमी बंगाल के तट पर स्थित दलदली क्षेत्र, सुन्दरी वृक्षों की अधिकता के कारण सुन्दर वन नाम पड़ा। यहाँ रॉयल बंगाल टाईगर पाये जाते हैं। यह वन जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र घोषित है। नौका निर्माण में इस वृक्ष का उपयोग होता है।
प्रश्न 14.
उत्तर:
भारत क ण कांटवर आद्र सापकों वना का प्रमुख मा"
प्रश्न 15.
सामाजिक वानिकी।
उत्तर:
पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में सहयोग के उद्देश्य से वनों का प्रबन्ध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वृक्षारोपण सामाजिक वानिकी कहलाती है। इनके अन्तर्गत शहरी वानिकी, ग्रामीण वानिकी एवं फार्म वानिकी को प्रचलित किया जाता है।
प्रश्न 16.
शोलास वन।
उत्तर:
नीलगिरी, अन्नामलाई एवं पालनी पहाड़ियों पर पाए जाने वाले शीतोष्ण कटिबन्धीय वनों को शोलास वन कहते हैं।
प्रश्न 17.
सघन मैंग्रोव वन कहाँ पनपते हैं ?
उत्तर:
भारत में सघन मैंग्रोव वन पश्चिम बंगाल, कच्छ (गुजरात) एवं अण्डमान द्वीप समूह में पनपते हैं।
प्रश्न 18.
भारत में वन संसाधनों का विवरण दीजिए और इनके संरक्षण की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत जैसे विशाल देश में तापमान, वर्षा, मिट्टी, धरातलीय बनावट आदि की भिन्नता के कारण विभिन्न प्रकार के वन संसाधन पाए जाते हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है
(1) उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार एवं अर्द्ध-सदाबहारी वन-200 सेमी. से अधिक वर्षा तथा 22° सेग्रे. से अधिक औसत वार्षिक तापमान रखने वाले उष्ण व आर्द्र प्रदेशों में उष्ण कटिबन्धीय सदाबहारी वन मिलते हैं। वर्षपर्यन्त हरे-भरे दिखायी देने वाले ये वन पश्चिमी घाट में पश्चिमी ढालों, उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में मिलते हैं। अर्द्ध सदाबहारी वन उक्त क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम वर्षा वाले भागों में मिलते हैं। ये वन सदाबहार तथा आर्द्र पर्णपाती वनों का मिश्रित रूप होते हैं।
(2) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन-जल की उपलब्धता के आधार पर यह वन आई पर्णपाती तथा शुष्क पर्णपाती दो प्रकार के होते हैं। आई पर्णपाती वन 100 से 200 सेमी. वर्षा वाले उत्तरी-पूर्वी राज्यों व हिमालय के गिरिपदीय क्षेत्र, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों तथा उड़ीसा राज्य में मिलते हैं। शुष्क पर्णपाती वन 70 से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलते हैं। ये वन प्रायद्वीपीय भारत के एक बड़े भाग, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के मैदानी भागों में पाये जाते हैं।
(3) उष्ण कटिबन्धीय काँटेदार वन-50 सेमी. से कम वर्षा वाले इन वनों में कई प्रकार की घासें, झाड़ियाँ तथा वर्षपर्यन्त पर्णरहित रहने वाले वृक्ष मिलते हैं। दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश राज्यों के अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में ये वन पाये जाते हैं।
(4) पर्वतीय वन-हिमालय के गिरिपद क्षेत्र पर पर्णपाती वन मिलते हैं। 1000 से 2000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय वन पाये जाते हैं। 2225 से 3048 मीटर की ऊँचाई पर शीतोष्ण कटिबन्धीय घासों के अलावा ब्ल्यू पाइन तथा स्यूस नामक वृक्ष मिलते हैं, जबकि 3000 से 4000 मीटर की ऊँचाई पर सिलवर, फर, जुनिपर, पाइन, बर्च तथा रोडाडेन्ड्रान नामक वृक्ष पाये जाते हैं। दक्षिणी पर्वतीय वन मुख्यतया प्रायद्वीप के पश्चिमी घाट, विंध्याचल तथा नीलगिरी पर्वत-श्रृंखलाओं पर मिलते हैं।
(5) वेलांचली व अनूप वन-भारत के विभिन्न भागों में मिलने वाली लगभग 39 लाख हेक्टेअर भूमि पर वेलांचली वन मिलते हैं। ये वन प्रमुख रूप से मैंग्रोव लवण कच्छ, ज्वारीय सँकरी खाड़ी, पंक मैदानों तथा ज्वारनदमुख के तटीय क्षेत्रों पर उगते हैं। भारत में मैंग्रोव वन अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह, पश्चिमी बंगाल में सुन्दरवन डेल्टा तथा महानदी, गोदावरी व कृष्णा नदियों के डेल्टाई भागों में मिलते हैं। वन संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता-भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जहाँ अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है वहाँ के लोगों की स्थानीय आवश्यकताओं; जैसे-चारा, ईंधन, भोजन व अन्य उत्पाद की पूर्ति हेतु वन संरक्षण की अति आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त कृषि उपकरणों, इमारती लकड़ी एवं कुछ उद्योगों हेतु आवश्यक कच्चे माल के रूप में तथा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्ति हेतु वनों की अति आवश्यकता है। आज की परिस्थितियों में वनों की अत्यधिक कटाई, मृदा अपरदन, अनावृष्टि, जैविक असन्तुलन आदि के कारण वनों का उचित प्रकार से दोहन एवं संरक्षण आवश्यक हो गया है।
प्रश्न 19.
हिमालय प्रदेश में प्राकृतिक वनस्पति मेखलाओं के अनुक्रमण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पूर्वी हिमालय में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। अतः दोनों स्थानों पर वनस्पति में भिन्नता पायी जाती है।
1. पूर्वी हिमालय क्षेत्र की वनस्पति-यहाँ सदाबहार प्रकार की वनस्पति पायी जाती है।
2. पश्चिमी हिमालय की वनस्पति
प्रश्न 20.
भारत के डेल्टा वनों के लक्षणों की व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत में डेल्टा वनों का विस्तार लवण कच्छ, ज्वारीय संकरी खाड़ी, पंक मैदानों व ज्वारनदमुख क्षेत्र में मिलता है। इन्हें मैंग्रोव या गरान वनस्पति भी कहते हैं। इस वनस्पति में अत्यधिक नमी, लवण सहनीय क्षमता अत्यधिक होती है। इन हरे-भरे वृक्षों की ऊँचाई 20 मीटर तक होती है। ये वन ब्रह्मपुत्र, महानदी, कृष्णा, कावेरी व गोदावरी आदि नदियों के डेल्टा में मिलते हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में मिलने वाला सुंदरी वृक्ष विश्व प्रसिद्ध हैं। इन वनों में ताड़, केवड़ा, फोनिक्स आदि वृक्ष मिलते हैं। इनकी लकड़ी नौका बनाने व जलाने के काम आती है।
प्रश्न 21.
भारत के सुरक्षित जैवमण्डलों की पहचान कीजिए तथा वन एवं वनीय जीवन के संरक्षण में उनकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में विभिन्न पर्यावरणीय दशाएँ पाई जाती हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु एवं वनस्पति पाए जाते हैं। मानव ने आर्थिक विकास के लिए इस जैविक पर्यावरण के साथ हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया। यह हस्तक्षेप वन कटाव, औद्योगिक प्रदूषण, बड़े-बड़े बाँधों का निर्माण एवं नदी प्रवाह में हस्तक्षेप आदि के रूप में है। मानव के इस प्रकार की क्रियाओं से भारत के विभिन्न क्षेत्रों की जैविक विविधता नष्ट होने लगी, जिसके संरक्षण के लिए जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र (जीवमण्डल निचय) बनाने की घोषणा की गई। जैवमण्डल निचय की स्थापना, जैव विविधता और पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं एवं सूक्ष्मजीवों को समग्र रूप में सुरक्षित करने के लिए की जाती है।
जैवमण्डल निचय (जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र) वैज्ञानिक अध्ययन के लिए मानव हस्तक्षेप विहीन प्राकृतिक क्षेत्र हैं। सन् 1973 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने कुछ देशों में, मनुष्य और जैवमण्डल पर एक कार्यक्रम प्रारम्भ किया तथा इसी के परिणामस्वरूप भारत में सन् 1986 में जैवमण्डल संरक्षिल. क्षेत्रों (जैवमण्डल निचयों) का निर्माण किया गया। जैवमण्डल निचय बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र होते हैं, जिनमें हर आकार के पौधे एवं जन्तुओं को उनके प्राकृतिक पर्यावरण में संरक्षित किया जाता है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं
जीवमण्डल निच्रय (जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र) |
स्थापना वर्ष |
राज्य संघ/केन्द्र शासित प्रदेश |
1. नीलगिरी |
सन् 1986 |
कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु |
2. नंदादेवी |
सन् 1988 |
उत्तराखंड |
3. नोकरेक |
सन् 1988 |
मेघालय |
4. मानस |
सन् 1989 |
आसाम |
5. मन्नार की खाड़ी |
सन् 1989 |
तमिलनाडु |
6. सुंदरवन |
सन् 1989 |
पशिचम बंगाल |
7. ग्रेट निकोबार |
सन् 1989 |
अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह |
8. सिमली पाल |
सन् 1994 |
ओडिशा |
9. डिब्रू साइकोवा |
सन् 1997 |
आसाम |
10. दिहांग-देवांग |
सन् 1999 |
अरुणाचल प्रदेश |
11. पंचमढ़ी |
सन् 2000 |
मध्य प्रदेश |
12. कंचनजुंगा |
सन् 2003 |
सिक्किम |
13. अगस्त्यमलाई |
सन् 2006 |
केरल |
15. अचनकमर-अमरकंटक |
सन् 2006 |
मध्य प्रदेश |
इन जीवमण्डल निचयों में से नीलगिरी, नन्दादेवी, सुंदरवन एवं मन्नार की खाड़ी को यूनेस्को ने जीवमण्डल निचय विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्रदान की है। नंदादेवी आरक्षित क्षेत्र को भारत की फूलों की घाटी कहा जाता है। इन जीवमण्डल निचयों (सुरक्षित जीवमण्डल) की वन एवं वनीय संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका है। इन क्षेत्रों में पारिस्थितिक संरक्षण एवं अन्य पर्यावरणीय पहलुओं पर अनुसंधान कार्यों को भी बढ़ावा दिया है।
प्रश्न 22.
भारत में कृषि वानिकी।
उत्तर:
कृषि वानिकी का अर्थ है-कृषि योग्य एवं बंजर भूमि पर पेड़ एवं फसलें एक साथ लगाना। इसका आशय है वानिकी और कृषि एक साथ करना जिससे खाद्यान्न चारा, ईंधन, इमारती लकड़ी तथा फलों का उत्पादन एक साथ किया
जाए। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों द्वारा अपनी कृषि भूमि पर लगाए गए वनों को कृषि वानिकी कहते हैं। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1968 ई. में वेस्टेनी द्वारा, राष्ट्रमण्डल देशों के वानिकी सम्मेलन में किया गया। भारत में कृषि वानिकी कार्यक्रम की शुरुआत सामाजिक वानिकी के एक अंग के रूप में सन् 1983 में हुई। भारत में कृषि वानिकी कार्यक्रम तीन प्रकार की भूमि पर चलाए जा रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं
सरकार द्वारा कृषि वानिकी कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषकों को आर्थिक सहायता एवं पौधों की आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में कृषि वानिकी कार्यक्रम ग्रामीण निकाय एवं निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण अंग है। कृषि भूमि की मेंढ़ पर वन लगाने से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं जिनमें छाया, भूमिगत जल का संरक्षण, मृदा अपरदन में कमी आदि प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त मेंढ़ पर स्थित वृक्ष दो कृषकों की भूमि के मध्य स्पष्ट सीमा रेखा तय करते हैं तथा खेतों में फलों के गिरने से स्वतः ह्यूमस का निर्माण होता है। सामाजिक वानिकी कार्यक्रम के साथ ही कृषि वानिकी भी एक बहु आयामी लाभ प्रदान करने वाली वानिकी है।
प्रश्न 23.
भारत की राष्ट्रीय वन नीति का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में मई 1952 में राष्ट्रीय वन नीति की घोषणा की गई। इस वन नीति के निम्नलिखित उद्देश्य रखे गये
7 दिसम्बर 1988 को नई वन नीति घोषित की गयी। नवीन वन नीति में निम्नलिखित उद्देश्य रखे गये
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