Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन Important Questions and Answers.
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जैवमण्डल में सम्मिलित हैं
(क) जैविक संघटक
(ख) अजैविक संघटक
(ग) ऊर्जा घटक
(घ) उक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उक्त सभी।
प्रश्न 2.
ईकोलॉजी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
(क) ई. पी. ओडम
(ख) फासवर्ग
(ग) अर्नस्ट हैक्कल
(घ) ए. जी. टांसले।
उत्तर:
(ग) अर्नस्ट हैक्कल
प्रश्न 3.
ओइकोलॉजी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किस वर्ष किया गया?
(क) 1812
(ख) 1819
(ग) 1853
(घ) 18691
उत्तर:
(घ) 18691
प्रश्न 4.
पारिस्थितिकी के सन्दर्भ में आवास (Habitat) है
(क) पर्यावरण के भौतिक कारकों का योग
(ख) पर्यावरण के रासायनिक कारकों का योग
(ग) पर्यावरण के भौतिक व रासायनिक कारकों का योग
(घ) उक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) पर्यावरण के भौतिक व रासायनिक कारकों का योग
प्रश्न 5.
पौधों एवं प्राणियों का एक समुदाय जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है कहलाता है
(क) बायोम
(ख) पारिस्थितिकी
(ग) पारितंत्र
(घ) भौतिक कारक।
उत्तर:
(क) बायोम
प्रश्न 6.
बोरियल वन उदाहरण है
(क) वन बायोम का
(ख) मरुस्थलीय बायोम का
(ग) घास भूमि बायोम का
(घ) जलीय बायोम का।
उत्तर:
(क) वन बायोम का
प्रश्न 7.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन प्राप्ति में योगदान रहता है
(क) नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरियाओं का
(ख) ज्वालामुखी उद्गारों का
(ग) तड़ित विसर्जन का
(घ) उक्त सभी का।
उत्तर:
(घ) उक्त सभी का।
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
स्तम्भ अ (जीव प्रजाति) |
स्तम्भ ब (सम्बन्ध) |
(i) शैवाल |
(अ) मांसाहारी |
(ii) बकरी |
(ब) अपघटक |
(iii) बिल्ली |
(स) शाकाहारी |
(iv) कवक |
(द) स्वपोषी घटक। |
उत्तर:
स्तम्भ अ (जीव प्रजाति) |
स्तम्भ ब (सम्बन्ध) |
(i) शैवाल |
(द) स्वपोषी घटक। |
(ii) बकरी |
(स) शाकाहारी |
(iii) बिल्ली |
(अ) मांसाहारी |
(iv) कवक |
(ब) अपघटक |
2.
स्तम्भ अ (प्रजाति का नाम) |
स्तम्भ ब (पोषक स्तर) |
(i) घास |
(अ) चतुर्थ स्तर |
(ii) टिड्डा |
(ब) प्रथम स्तर |
(iii) छिपकली |
(स) द्वितीय स्तर |
(iv) बाज |
(द) तृतीय स्तर |
उत्तर:
स्तम्भ अ (प्रजाति का नाम) |
स्तम्भ ब (पोषक स्तर) |
(i) घास |
(ब) प्रथम स्तर |
(ii) टिड्डा |
(स) द्वितीय स्तर |
(iii) छिपकली |
(द) तृतीय स्तर |
(iv) बाज |
(अ) चतुर्थ स्तर |
3.
स्तम्भ अ (बायोम उप प्रकार) |
स्तम्भ ब (बायोम का मुख्य प्रकार) |
(i) पर्णपाती बायोम |
(अ) मरुस्थलीय बायोम |
(ii) तटीय मरुस्थल |
(ब) घास भूमि बायोम |
(iii) शीतोषण कटिबंधीय स्टैपी |
(स) जलीय बायोम |
(iv) ताजा जलीय बायोम |
(द) वन बायोम |
उत्तर:
स्तम्भ अ (बायोम उप प्रकार) |
स्तम्भ ब (बायोम का मुख्य प्रकार) |
(i) पर्णपाती बायोम |
(द) वन बायोम |
(ii) तटीय मरुस्थल |
(अ) मरुस्थलीय बायोम |
(iii) शीतोषण कटिबंधीय स्टैपी |
(ब) घास भूमि बायोम |
(iv) ताजा जलीय बायोम |
(स) जलीय बायोम |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए
उत्तर:
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जैवमण्डल से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
जैवमण्डल में पृथ्वी पर निवास करने वाले समस्त जीवधारी सम्मिलित हैं जो पर्यावरण के दूसरे मण्डलों के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं।
प्रश्न 2.
जैवमंडल किससे अन्तर्सम्बन्धित है?
उत्तर:
जैवमंडल पौधों प्राणियों व उनके चारों तरफ के पर्यावरण के पारस्परिक अंतर्संबंध से बना है।
प्रश्न 3.
पारिस्थितिक अनुकूलन क्या है?
उत्तर:
जब अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जंतु विकास क्रम द्वारा पर्यावरण के अभ्यस्त हो जाते हैं तो इस प्रकरण को पारिस्थितिक अनुकूलन कहते हैं।
प्रश्न 4.
ईकोलॉजी (Ecology) किस भाषा का शब्द है ?
उत्तर:
ईकोलॉजी ग्रीक भाषा का शब्द है।
प्रश्न 5.
रिस्थितिकी विज्ञान क्या है ?
उत्तर:
जैविक (जीवधारियों) व अजैविक (भौतिक पर्यावरण) घटकों के पारस्परिक सम्पर्क के अध्ययन को पारिस्थितिकी विज्ञान कहते हैं।
प्रश्न 6.
पारितन्त्र के प्रकारों को बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
संसार के प्रमुख पारितन्त्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
प्रश्न 8.
जलीय पारितंत्र को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर:
दो भागों में
प्रश्न 9.
समुद्री पारितंत्र में कौन-कौन से पारितंत्र सम्मिलित हैं ?
उत्तर;
प्रश्न 10.
ताजे जल के पारितंत्र में किसे शामिल किया गया है?
उत्तर:
ताजे जल के पारितंत्र में झीलें तालाब सरिताएँ कच्छ व दलदल शामिल हैं।
प्रश्न 11.
पारितंत्र के जैविक घटक कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
पारितंत्र के जैविक घटकों में उत्पादक उपभोक्ता व अपघटक शामिल हैं।
प्रश्न 12.
पारितंत्र के अजैविक कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
पारितंत्र के अजैविक कारकों में तापमान वर्षा सूर्य का प्रकाश आर्द्रता मृदा की स्थिति आदि शामिल हैं।
प्रश्न 13.
प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कौन हैं ?
उत्तर:
हिरण बकरी चूहे एवं पौधों पर निर्भर सभी जीव।
प्रश्न 14.
द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
साँप बाघ शेर व मांसाहारी जन्तु आदि।
प्रश्न 15.
अपघटक किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो मृत जीवों पर निर्भर रहते हैं उन्हें अपघटक कहा जाता है।
प्रश्न 16.
ऊर्जा प्रवाह क्या है ?
उत्तर:
खाद्य-श्रृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपान्तरण को ऊर्जा प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 17.
खाद्य जाल क्या है?
उत्तर:
खाद्य श्रृंखलाओं का अन्तर्सम्बन्धित स्वरूप खाद्य जाल कहलाता है।
प्रश्न 18.
खाद्य-श्रृंखला के प्रकार बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 19.
चराई खाद्य श्रृंखला से क्या आशय है ?
उत्तर:
चराई खाद्य श्रृंखला पौधों से प्रारम्भ होकर मांसाहारी तक जाती है जिसमें शाकाहारी मध्यम स्तर पर हैं। प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है जिसमें श्वसन उत्सर्जन एवं विघटन आदि प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं।
प्रश्न 20.
अपरद खाद्य श्रृंखला क्या है ?
उत्तर:
चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त मृत पदार्थों पर आधारित खाद्य श्रृंखला अपरद खाद्य श्रृंखला कहलाती है। इसमें कार्बनिक पदार्थों का अपघटन भी सम्मिलित है।
प्रश्न 21.
उष्ण कटिबंधीय वन बायोम के प्रकार बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 22.
मरुस्थलीय बायोम के प्रकार कौन से हैं?
उत्तर:
ग़र्म व उष्ण मरुस्थल अर्द्धशुष्क मरुस्थल तटीय मरुस्थल शीत मरुस्थल।
प्रश्न 23.
घास भूमि मरुस्थल के प्रकार बताओ।
उत्तर;
उष्ण कटिबंधीय शीतोष्ण कटिबंधीय (स्टैपी)।
प्रश्न 24.
जैव भू-रासायनिक चक्र के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
प्रश्न 25.
ऊर्जा का मूल स्रोत क्या है ?
उत्तर:
ऊर्जा का मूल स्रोत सूर्य है।
प्रश्न 26.
जल-चक्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सभी जीवधारी वायुमण्डल व स्थलमण्डल में जल का एक चक्र बनाये रखते हैं जो तरल गैस व ठोस अवस्था में होता है इसे ही जल चक्र कहा जाता है।
प्रश्न 27.
नाइट्रोजन का यौगिकीकरण कैसे होता है?
उत्तर:
वायुमंडल में बिजली चमकने व अंतरिक्ष विकिरण द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है।
प्रश्न 28.
डी-नाइट्रीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवाणुओं द्वारा नाइट्रेट को पुनः स्वतंत्र नाइट्रोजन से परिवर्तित करने की प्रक्रिया डी-नाइट्रीकरण कहा जाता है।
प्रश्न 29.
अनुक्रमण किसे कहते हैं? ।
उत्तर:
जब द्वितीय प्रजातियाँ प्रारम्भिक प्रजातियों का स्थान ले लेती हैं और प्रारम्भिक प्रजातियों की संरचना को बदल देती हैं यही अनुक्रमण कहलाता है।
प्रश्न 30.
पर्यावरण असन्तुलन का क्या दुष्प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
पर्यावरण असन्तुलन से प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न)
प्रश्न 1.
जैवमण्डल के घटकों की भूमिका बताइए।
उत्तर;
जैवमण्डल सभी पौधों जन्तुओं प्राणियों तथा उनके चारों ओर के पर्यावरण के पारस्परिक अन्तर्सम्बन्धों से बना है। जैवमण्डल और इसके घटक पर्यावरण के महत्वपूर्ण तत्व हैं। ये तत्व अन्य प्राकृतिक घटकों; जैसे—भूमि जल व मिट्टी के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं। ये वायुमण्डल के तत्वों; जैसे- तापमान वर्षा आर्द्रता व सूर्य के प्रकाश से भी प्रभावित होते हैं। जैविक घटकों का भूमि वायु व जल के साथ पारस्परिक आदान-प्रदान जीवों के जीवित रहने बढ़ने व विकसित होने में सहायक होता है।
प्रश्न 2.
जैविक एवं अजैविक घटकों में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
जैविक एवं अजैविक घटकों में निम्न अन्तर पाये जाते हैं
जैविक घटक |
अजैविक घटक |
1. किसी पारिस्थितिक तंत्र के समस्त जीवित जीव उस तंत्र के जैविक घटक होते हैं। |
किसी पारिस्थितिक तंत्र के समस्त निर्जीव घटक उस तंत्र के अजैविक घटक होते हैं। |
2. जैविक घटक पारस्परिक अन्तःक्रियाओं द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। |
अजैविक घटकों के मध्य पारस्परिक अन्तःक्रिया नहीं होती है। |
3. जैविक घटकों में मानव, जीव-जन्तु एवं वनस्पति को शामिल किया जाता है। |
अजैविक घटकों में जलवायु के तत्त्वों, कार्बनिक पदार्थों व अकार्बनिक पदार्थों को शामिल किया जाता है। |
4. जैविक घटक परिवर्तन करने वाले घटक होते हैं। |
अजैविक घटक प्रायः परिवर्तित होने वाले घटक होते हैं। |
प्रश्न 3.
उपभोक्ताओं को कितने भागों में बाँटा गया है?
अथवा
उपभोक्ता कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता के तीन प्रकार होते हैं-
1. प्राथमिक उपभोक्ता-इन्हें शाकाहारी उपभोक्ता भी कहते हैं। पौधों की पत्तियों अथवा उनके उत्पादों से भोजन प्राप्त करने वाले समस्त जीव-जन्तु; जैसे-खरगोश हिरण बकरी गाय कीड़े इसी वर्ग में आते हैं।
2. द्वितीयक उपभोक्ता-इन्हें मांसाहारी उपभोक्ता भी कहते हैं। ये शाकाहारी जन्तुओं को मारकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इनमें मेंढ़क बिल्ली लोमड़ी व कुत्ता तथा शेर शामिल हैं।
3. तृतीयक उपभोक्ता- इन्हें सर्वाहारी उपभोक्ता भी कहते हैं। ये पादपों शाकाहारी व मांसाहारी को खाकर अपना भोजन ग्रहण करते हैं। इस श्रेणी में मानव बाज शेर व मछलियाँ शामिल हैं।
प्रश्न 4.
पारिस्थितिकी अनुकूलन क्या है ?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार के पर्यावरण व विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न प्रकार के पारितन्त्र मिलते हैं जहाँ अलग-अलग प्रकार के पौधे तथा जीव-जन्तु विकासक्रम द्वारा उस पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं जिसे पारिस्थितिकी अनुकूलन कहा जाता है।
प्रश्न 5.
इकोलोजी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इकोलोजी (Ecology) शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों (Oikos) (ओइकोस) तथा Logy (लोजी) से मिलकर बना है। ओइकोस का शाब्दिक अर्थ घर तथा लोजी का शाब्दिक अर्थ विज्ञान या अध्ययन से है। अत: इकोलोजी का शाब्दिक अर्थ पृथ्वी पर पौधों मनुष्यों जन्तुओं एवं सूक्ष्म जीवाणुओं के 'घर' के रूप में अध्ययन है। ये एक-दूसरे पर आश्रित हैं फलस्वरूप साथ-साथ रहते हैं।
प्रश्न 6.
पारिस्थितिकी एवं पारिस्थितिकी विज्ञान में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
पारिस्थितिकी-जीवधारियों का आपस में व उनका भौतिक पर्यावरण से अन्तर्सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन पारिस्थितिकी कहलाता है।
पारिस्थितिकी विज्ञान-जीवधारियों अर्थात् जैविक व अजैविक अर्थात् भौतिक पर्यावरण के घटकों के पारस्परिक सम्पर्क के अध्ययन को पारिस्थितिकी विज्ञान कहा जाता है।
प्रश्न 7.
विश्व के प्रमुख बायोमों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व में निम्नलिखित पाँच प्रमुख बायोम मिलते हैं
प्रश्न 8.
घास भूमि बायोम के प्रमुख उपप्रकार तथा उनकी जलवायु दशाओं को बताइए।
उत्तर:
घास भूमि बायोम के उपप्रकार तथा जलवायु सम्बन्धी विशेषताएँ
प्रश्न 9.
पारिस्थितिक असंतुलन के प्रमुख कारण कौन-से हैं?
उत्तर:
पारिस्थितिक असंतुलन के प्रमुख कारणों में नई प्रजातियों का आगमन प्राकृतिक आपदाएँ व मानवजन्य कारक शामिल हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता जनसंख्या का दबाव भी असंतुलन का एक प्रमुख कारण है। मानवीय हस्तक्षेप से पादप समुदाय का संतुलन भी प्रभावित होता है जो पारिस्थितिक असंतुलन का कारण बनता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न)
प्रश्न 1.
पारितंत्र एवं पारिस्थितिक अनुकूलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पारितंत्र--किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का भूमि जल अथवा वायु (अजैविक तत्वों) से ऐसा अन्तर्सम्बन्ध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण शृंखलाएँ स्पष्ट रूप से समायोजित हों उसे पारितन्त्र कहा जाता है। पारितन्त्र प्रमुख रूप से दो प्रकार का होता है
पारिस्थितिक अनुकूलन-विभिन्न प्रकार के पर्यावरण एवं विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के पारितंत्र पाये जाते हैं जहाँ अलग-अलग प्रकार के पौधे व जीव-जन्तु विकासक्रम द्वारा उस पर्यावरण के अभ्यस्त हो जाते हैं। इस प्रकार को पारिस्थितिकी अनुकूलन कहा जाता है।
प्रश्न 2.
पारितंत्रों के प्रमुख प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र में किसी विशेष समूह के जीवधारियों का अजैविक तत्वों से ऐसा अन्तर्सम्बन्ध जिसमें ऊर्जा प्रवाह व पोषण शृंखलाएँ स्पष्ट रूप से समायोजित हों उसे पारितन्त्र कहा जाता है। पारितन्त्र प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं
1. स्थलीय पारितन्त्र-स्थलीय पारितंत्र को पुनः बायोम में बाँटा जा सकता है। बायोम पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है जो कि एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। धरातल पर विभिन्न बायोम की कीमत का निर्धारण जलवायु व अपक्षय सम्बन्धी तत्व करते हैं। अत: विशेष परिस्थितियों में पादप व जन्तुओं के अन्तर्सम्बन्धों के कुल योग को बायोम कहा जाता है। इसके अन्तर्गत तापमान वर्षा आर्द्रता व मिट्टी भी सम्मिलित है। विश्व के प्रमुख स्थलीय पारितंत्र वन घास क्षेत्र मरुस्थल एवं टुण्ड्रा पारितंत्र हैं।
2. जलीय पारितंत्र-जलीय पारितंत्र को दो भागों में बाँटा जा सकता है
प्रश्न 3.
पारितंत्र की खाद्य श्रृंखला को स्पष्ट कीजिए। अथवा पारिस्थितिकी तंत्र में खाद्य श्रृंखला व उसके प्रकारों को बताइए।
उत्तर:
पारिस्थितिकी तन्त्र की खाद्य श्रृंखला--पारिस्थितिकी तन्त्र में निवास करने वाला प्रत्येक जीवधारी एक खाद्य शृंखला द्वारा परस्पर जुड़ा मिलता है। उदाहरण के लिए; पौधे पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा मेंढक का भोजन है मेंढक साँप का भोजन है तथा साँप एक बाज का भोजन है। यह खाद्यक्रम खाद्य श्रृंखला कहलाता है तथा इस क्रम में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा का प्रवाह होता है। खाद्य श्रृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपान्तरण को ऊर्जा प्रवाह कहा जाता है।
खाद्य श्रृंखलाओं का पृथक अनुक्रम न होकर यह एक-दूसरे से जुड़ी मिलती हैं। उदाहरण के लिए; एक चूहा जो अन्न पर निर्भर है वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है। यही नहीं प्रत्येक मांसाहारी जीव एक से अधिक जन्तु प्रजातियों के शिकार पर निर्भर करता है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएँ एक ही क्षेत्र में एक-दूसरे से जुड़ी मिलती हैं जिसे खाद्य जाल कहा जाता है। खाद्य श्रृंखला के प्रकार सामान्यतया खाद्य श्रृंखलाओं के निम्नलिखित दो प्रकार मिलते हैं
प्रश्न 4.
पारिस्थितिक तंत्र पर मानवीय प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र किसी एक भौगोलिक इकाई में निवास करने वाले जीव और वहाँ के पर्यावरण के बीच अन्त:प्रक्रिया का प्रतिफल है। इन जीवों में मानव ही ऐसा जीव है जो अपनी विभिन्न क्रियाओं द्वारा पर्यावरण से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए अन्य जीवों की तुलना में पर्यावरण को अधिक प्रभावित करता है। वास्तव में मानव सभ्यता के विकास का आधार ही प्रकृति का शोषण रहा है।
प्रकृति कुछ पदार्थों को स्वतः पुनः पूर्ण कर लेती है किन्तु अनेक तत्त्व ऐसे होते हैं जिन्हें पुनः पूर्ण नहीं किया जा सकता। फलस्वरूप पारिस्थितिक तंत्र में असन्तुलन पैदा हो जाता है जो मानव और पर्यावरण दोनों के लिये हानिकारक होता है। पारिस्थितिक तंत्र पर मानव के प्रभाव अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार के देखे जा सकते हैं। मानव के अनुकूल प्रभावों द्वारा मानव और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है किन्तु प्रतिकूल प्रभावों द्वारा एक को किसी-न-किसी प्रकार की हानि होती है।
प्रश्न 5.
वन बायोम के प्रकार बताते हुए भूमध्यरेखीय वन बायोम की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
विश्व में निम्नलिखित चार प्रकार के वन बायोम मिलते हैं-
भूमध्यरेखीय वन बायोम की महत्वपूर्ण विशेषताएँ भूमध्यरेखीय वन बायोम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 6.
पर्णपाती वन बायोम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
पर्णपाती वन बायोम की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 7.
शीतोष्ण कटिबंधीय वन बायोम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
शीतोष्ण कटिबन्धीय वन बायोम की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं.
प्रश्न 8.
बोरियल वन बायोम क्या है ? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
बोरियल वन बायोम–उत्तरी कोणधारी वन अथवा गा प्रदेश के वनों को बोरियल वन बायोम कहा जाता है।
बोरियल वन बायोम की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 9.
गर्म व उष्ण मरुस्थलीय बायोम क्या है? इसकी विशेषता लिखिए।
उत्तर:
गर्म व उष्ण मरुस्थलीय बायोम-यह मरुस्थलीय बायोम का एक उप प्रकार है। विशेषताएँ-
प्रश्न 10.
शीतोष्ण कटिबंधीय बायोम क्या है? इसकी विशेषता बताइए। उत्तर-शीतोष्ण कटिबंधीय बायोम-यह घास भूमि बायोम का एक उप प्रकार है।
शीतोष्ण कटिबंधीय बायोम की विशेषता-
प्रश्न 11.
जलीय बायोम को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जलीय बायोम को दो मुख्य भागों-ताजा जलीय बायोम व समुद्री जल बायोम में विभाजित किया गया है। ताजा जलीय बायोम में झीलें नदियाँ सरिताएँ व आर्द्र भूमि शामिल की जाती हैं जबकि समुद्री जल बायोम में महासागर प्रवाल भित्ति लैगून व ज्वारनदमुख शामिल हैं। इस बायोम में तापमान में विविधता देखने को मिलती है। वायुदाब व आर्द्रता अधिक मिलती है। यहाँ मृदा दलदली व समुद्री दलदली मिलती है। शैवाल जलीय व समुद्री पादप समुदाय व पानी में रहने वाले जीव-जंतु मिलते हैं।
प्रश्न 12.
कार्बन चक्र क्या है ? विस्तार में बताइए।
उत्तर:
समस्त जीवधारियों में कार्बन पाया जाता है। जैवमंडल में कार्बन यौगिक के रूप में असंख्य जीवों में मौजूद है। कार्बन चक्र कार्बन डाई-ऑक्साइड का परिवर्तित रूप है। कार्बन चक्र का प्रारम्भ हरे पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कार्बन डाई-ऑक्साइड के अवशोषण से होता है। इस प्रक्रिया से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोज का निर्माण होता है जो कार्बनिक यौगिकों; जैसे स्टार्च सैल्यूलोस तथा सुक्रोज के रूप में पौधों में संचित हो जाता है। इस प्रकार हरे पौधों द्वारा संग्रहीत कार्बन के भण्डार को जैविक कार्बन भण्डार कहा जाता है। संचित कार्बोहाइड्रेट्स क. कछ माग सीधे पौधों द्वारा अपनी जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त कर लिया जाता है।
हरे पौधों द्वारा इस प्रक्रिया के दौरान विघटन से पौधों की पत्तियों तथा जड़ों द्वारा वायुमण्डल में कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस को विमुक्त कर दिया जाता है। हरे पौधों द्वारा अप्रयुक्त कार्बोहा डेट उनके ऊतकों में संचित हो जाते हैं। ये पौधे या तो शाकाहारी जीवों का भोजन बनते हैं या इनके मृत हो जाने पर सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटित कर दिये जाते हैं। शाकाहारी जन्तु द्वारा उपभोग किये गये कार्बोहाइड्रेट्स को जन्तुओं द्वारा कार्बन डाई-ऑक्साइड में परिवर्तित कर श्वसन क्रिया द्वारा वायुमण्डल में छोड़ दिया जाता है जबकि जन्तुओं में संचित शेष कार्बोहाइड्रेट्स को जन्तुओं के मरने पर विघटकों द्वारा प्रयुक्त कर लिया जाता है। यह विघटक ऑक्सीजन प्रक्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स को कार्बन डाई-ऑक्साइड में बदलकर उसे पुनः वायुमण्डल में छोड़ देते हैं। इस प्रकार प्रकृति में कार्बन चक्र चलता रहता है।
प्रश्न 13.
ऑक्सीजन चक्र के बारे में आप क्या जानते हैं ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
वायुमण्डल में उपस्थित ऑक्सीजन पृथ्वी के समस्त जीवधारियों के लिये एक अनिवार्य एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है। स्थल के हरे पौधे तथा सागरीय जल के पादप प्लवकों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के समय वृहद् स्तर पर ऑक्सीजन का वायुमण्डल में निष्कासन किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स के ऑक्सीकरण में ऑक्सीजन का प्रयोग होता है जिससे ऊर्जा जल तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड विमुक्त होते हैं। अनेक रासायनिक तत्वों और उनके सम्मिश्रणों में ऑक्सीजन मिलती है। नाइट्रोजन के साथ मिलकर यह नाइट्रेट बनाती है तथा बहुत से अन्य तत्वों तथा खनिजों के साथ मिलकर उनके ऑक्साइड निर्मित करती है। इस प्रकार प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र चलता रहता है।
प्रश्न 14.
पारिस्थितिक असन्तुलन के प्रभावों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पारिस्थितिक असन्तुलन के कारण धरातल पर नवीन प्रजातियों का आगमन प्राकृतिक आपदाएँ एवं मानव जनित कारण अधिक प्रमुख हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण पादप समुदाय का सन्तुलन प्रभावित होता है जो कि अन्त में सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र के सन्तुलन को प्रभावित करता है। इस असन्तुलन से अनेक प्रकार के द्वितीयक अनुक्रमण आते हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ती जनसंख्या के दबाव से भी पारिस्थितिकी तंत्र बहुत प्रभावित हुआ है। इसने पर्यावरण को लगभग नष्ट कर दिया है। सामान्य पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। पर्यावरण असन्तुलन के कारण अनेक प्राकृतिक आपदाएँ; जैसे-बाढ़ भूकम्प महामारियाँ अकाल के साथ-साथ अनेक जलवायु सम्बन्धी परिवर्तन हुए हैं।
प्रश्न 15.
पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के प्रमुख उपाय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पारिस्थितिकी तन्त्र की कार्यप्रणाली तथा संरचना को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पारिस्थितिकी तन्त्र की संकल्पना घटकों एवं कार्य-प्रणाली की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पारिस्थितिकी तन्त्र की कार्य प्रणाली तथा संरचना पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना-पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जो किसी क्षेत्र में निवास करने वाले विभिन्न जीवों के परस्पर सम्बन्धों एवं भौतिक पर्यावरण में उनके सम्बन्धों का अध्ययन करता है। पेड़-पौधे जन्तु व अन्य जीव तथा भौतिक पर्यावरण एक साथ मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। सम्पूर्ण जीवमण्डल स्वयं एक वृहद् एवं जटिल पारिस्थितिकी तंत्र है। किसी भी पारिस्थितिकी तन्त्र में निम्नलिखित दो घटकों का होना आवश्यक होता है
जैविक घटकों में उत्पादक उपभोक्ता (प्राथमिक द्वितीयक व तृतीयक) तथा अपघटक सम्मिलित होते हैं जबकि अजैविक घटकों में तापमान वर्षा सूर्य प्रकाश आर्द्रता मृदा की स्थिति व अकार्बनिक तत्व (कार्बन डाईऑक्साइड जल नाइट्रोजन कैल्सियम फॉस्फोरस पोटैशियम आदि) सम्मिलित हैं।
उत्पादकों में सभी हरे पौधे सम्मिलित होते हैं जो अपना भोजन सूर्य के प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा बनाते हैं। प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं में खरगोश हिरण हाथी तथा गाय जैसे शाकाहारी जन्तु सम्मिलित होते हैं। शाकाहारी जन्तुओं को सीधे भक्षण करने वाले मांसाहारी जन्तुओं को द्वितीयक श्रेणी के उपभोक्ता या परपोषी कहा जाता है। इनमें साँप बाघ चीता तथा शेर जैसे जन्तु सम्मिलित होते हैं। कुछ मांसाहारी जो दूसरे मांसाहारी जीवों पर अपने भोजन के लिये निर्भर रहते हैं उन्हें चरम स्तर के मांसाहारी कहा जाता है; जैसे-बाज नेवला आदि।
जैविक घटक का तीसरा वर्ग विघटक या अपघटक तथा सूक्ष्म उपभोक्ताओं का होता है। अपघटक अपने भोजन के लिये मृत जीवों पर निर्भर रहते हैं; जैसे-कौआ तथा गिद्ध। सूक्ष्म उपभोक्ता; जैसे-बैक्टीरिया तथा अन्य सूक्ष्म जीवाणु मृतकों को अपघटित कर उन्हें सरल पदार्थों में बदलते रहते हैं। उक्त विवेचन से स्पष्ट है कि प्राथमिक उपभोक्ता उत्पादक पर अपने भोजन के लिये निर्भर करते हैं जबकि प्राथमिक उपभोक्ता द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन बनते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता का तृतीयक उपभोक्ताओं द्वारा भक्षण किया जाता है। दूसरी ओर अपघटक प्रत्येक स्तर पर मृतकों पर अपने भोजन के लिये निर्भर रहते हैं। ये अपघटक मृतक शरीरों को कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थों में बदलकर उन्हें मिट्टी में मिला देते हैं जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती रहती है।
पारिस्थितिकी तन्त्र की खाद्य श्रृंखला पारिस्थितिकी तन्त्र में निवास करने वाला प्रत्येक जीवधारी एक खाद्य श्रृंखला द्वारा परस्पर जुड़ा मिलता है। उदाहरण के लिये पौधे पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा मेंढ़क का भोजन है मेंढ़क साँप का भोजन है तथा साँप एक बाज का भोजन है। यह खाद्यक्रम खाद्य-शृंखला कहलाता है तथा इस क्रम में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा का प्रवाह होता है। खाद्य श्रृंखला की इस प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपान्तरण को ऊर्जा प्रवाह कहा जाता है।
खाद्य श्रृंखलाओं का पृथक अनुक्रम न होकर यह एक-दूसरे से जुड़ी मिलती हैं। उदाहरण के लिये एक चूहा जो अन्न पर निर्भर है वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है। यही नहीं प्रत्येक मांसाहारी जीव एक से अधिक जन्तु प्रजातियों के शिकार पर निर्भर रहता है। इसके परिणामस्वरूप खाद्य शृंखलाएँ इस ही क्षेत्र में एक दूसरे से जुड़ी मिलती हैं जिसे खाद्य जाल कहा जाता है। सामान्यतः खाद्य श्रृंखलाओं के निम्नलिखित दो प्रकार मिलते हैं
प्रश्न 2.
कार्बन चक्र तथा ऑक्सीजन चक्र एवं अन्य चक्रों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
कार्बन चक्र-
सामान्यतः जीवधारियों के कुल शुष्क भार में कार्बन का लगभग 50 प्रतिशत भाग रहता है। जैवमण्डल में असंख्य कार्बन यौगिक के रूप में जीवधारियों के शरीर में मौजूद मिलते हैं। कार्बन चक्र का प्रारम्भ हरे पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के लिये आवश्यक कार्बन डाईऑक्साइड के अवशोषण से होता है। इस प्रक्रिया से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोज का निर्माण होता है जो कार्बनिक यौगिकों; जैसे-स्टार्च. सैल्यूलोस तथा सुक्रोज के रूप में पौधों में संचित हो जाता है। इस प्रकार हरे पौधों द्वारा संग्रहीत कार्बन के भण्डार को जैविक वर्बन भण्डार कहा जाता है।
संचित कार्बोइाइड़े र्स का कुछ भाग सीधे पौधों द्वारा अपनी जैविक क्रियाओं में प्रयुक कर लिया जाता है: हरे पौधों द्वारा इस प्रक्रिया के दौरान विघटन से पौधों की पत्तियों तथा अड़ों द्वारा वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड गैस को विमुक्त कर दिया जाता है। हरे पौधों द्वारा अप्रयुक्त कार्बोहाइड्रेट पौधों के ऊतकों में संचित हो जाती है। ये पौधे या तो शाकाहारी जीवों का भोजन बनते हैं या इनके मृत हो जाने पर सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटित कर दिये जातेहैं।
शाकाहारी जन्तु द्वारा उपभोग किये गये कार्बोहाइड्रेट्स को जन्तुओं द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड में परिवर्तित कर श्वसन क्रिया द्वारा वायुमण्डल में छोड़ दिया जाता है जबकि जन्तुओं में संचित शेष कार्बोहाइड्रेट्स को जन्तुओं के मरने पर विघटकों द्वारा प्रयुक्त कर लिया जाता है। सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा ऑक्सीजन प्रक्रिया से कार्बोहाइड्रेट्स को कार्बन डाईऑक्साइड में बदलकर उसे पुन: वायुमण्डल में छोड़ दिया जाता है।
ऑक्सीजन चक्र वायुमण्डल में उपस्थित ऑक्सीजन पृथ्वी के समस्त जीवधारियों के लिये एक अनिवार्य एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है। स्थल के हरे पौधे तथा सागरीय जल के पादप प्लवकों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के समय वृहद् स्तर पर ऑक्सीजन का वायुमण्डल में निष्कासन किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स के ऑक्सीकरण में ऑक्सीजन का प्रयोग होता है जिससे ऊर्जा जल तथा कार्बन डाईऑक्साइड विमुक्त होते हैं।
अनेक रासायनिक तत्वों और उनके सम्मिश्रणों में ऑक्सीजन मिलती है। नाइट्रोजन के साथ मिलकर यह नाइट्रेट बनाती है तथा बहुत से अन्य तत्वों तथा खनिजों के साथ मिलकर उनके ऑक्साइड निर्मित करती है। अन्य चक्र-जैवमण्डल में पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक मुख्य भू-रासायनिक तत्वों; जैसे-कार्बन ऑक्सीजन नाइट्रोजन एवं हाइड्रोजन के अतिरिक्त अन्य खनिज पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं।
ये खनिज पदार्थ भी प्राथमिक तौर पर अकार्बनिक रूप में पाये जाते हैं। ऐसे खनिज पदार्थों में फॉस्फोरस कैल्सियम सल्फर एवं पोटैशियम आदि प्रमुख हैं। प्रायः ये खनिज पदार्थ घुलनशील लवणों के रूप में मिट्टी झील नदियों एवं समुद्री जल में पाये जाते हैं। जल में घुलनशील खनिज पदार्थ जल चक्र में सम्मिलित हो जाते हैं तो ये अपक्षय की प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी की पर्पटी पर तत्पश्चात् समुद्र तक पहुँच जाते हैं। समस्त जीव-जन्तु अपने पर्यावरण में घुलनशील अवस्था में उपस्थित खनिज पदार्थों से ही अपनी खनिजों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। कुछ अन्य जीव-जन्तु पेड़-पौधों एवं प्राणियों के भक्षण से इन खनिजों को प्राप्त करते हैं। जीव-जन्तुओं की मृत्यु के पश्चात् ये खनिज अपघटित तथा प्रवाहित होकर मिट्टी व जल में मिल जाते हैं।
प्रश्न 3.
विश्व के प्रमुख बायोम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रमुख भू-बायोमों एवं उनके अक्षांशीय वितरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
विश्व के प्रमुख बायोम (जीवोम) निम्नलिखित हैं
1. वन बायोम-वन बायोम का अध्ययन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है वन बायोम के प्रकार-वन बायोम के तीन प्रकार हैं
(i) उष्ण कटिबंधीय वन बायोम
(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय वन बायोम
(iii) बोरियल वन बायोम।
(i) उष्ण कटिबंधीय वन बायोम-इस बायोम के दो प्रकार हैं
(अ) भूमध्य रेखीय वन बायोम इस बायोम का विस्तार भूमध्य रेखा से 10° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों के मध्य है। इस बायोम में तापमान 20° से 25° सेंटीग्रेड के मध्य रहता है। मृदा में अम्लीय व पोषक तत्वों की कमी होती है। यहाँ लम्बे व घने वृक्ष समूहों के रूप में मिलते हैं। कीट-पतंगे चमगादड़ पक्षी व स्तनधारी जीव-जन्तु मिलते हैं।
(ब) पर्णपाती वन बायोम इस बायोम का विस्तार 10° से 25° उत्तर व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य है। यहाँ तापमान 25° से 30° सेन्टीग्रेड के मध्य मिलता है। वर्षा का वार्षिक औसत 1000 मिमी. तक रहता है। मृदा में पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं। यहाँ कम घने मध्यम ऊँचाई के वृक्ष मिलते हैं। यहाँ प्राणियों की अधिक प्रजातियाँ एक साथ पायी जाती हैं। जिनमें कीट पतंगे चमगादड़ पक्षी व स्तनधारी जन्तु आदि प्रमुख हैं।
(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय वन बायोम-इस बायोम का विस्तार पूर्वी-उत्तरी अमेरिका उत्तरी-पूर्वी एशिया पश्चिमी व मध्य यूरोप में है। यहाँ तापमान 20° से 30° सेन्टीग्रेड तक रहता है तथा वर्षा 750 से 1500 मिमी. के मध्य रहती है। ऋतुओं का विभाजन स्पष्ट मिलता है तथा शीत ऋतु में भयंकर ठण्ड पड़ती है। यहाँ उपजाऊ मृदा मिलती है। यहाँ मध्यम घने चौड़े पत्ते वाले वृक्ष मिलते हैं। पौधों की प्रजातियों में कम विविधता मिलती है। प्रमुख वृक्षों में ओक बीच मेप्पल आदि प्रमुख हैं। जीव-जन्तुओं की प्रजातियों में गिलहरी खरगोश काले भालू पहाड़ी शेर व स्कंक आदि प्रमुख हैं।
(iii) बोरियल वन बायोम-इस बायोम का विस्तार यूरेशिया उत्तर अमेरिका का उच्च अक्षांशीय भाग साइबेरिया का कुछ भाग अलास्का कनाडा व स्केंडेनेवियन देश आदि प्रमुख हैं। यहाँ छोटी आई ऋतु व मध्यम रूप से गर्म ग्रीष्म ऋतु तथा वर्षारहित लम्बी शीत ऋतु रहती है। वर्षा यहाँ हिमपात के रूप में 400 से 1000 मिमी. के मध्य होती है। मृदा अम्लीय व पोषक तत्वों की कमी वाली होती है। यहाँ सदाबहार कोणधारी वन; जैसे-पाइन स्यूस फर आदि तथा जीवजन्तुओं में कठफोड़वा चील हिरन भालू खरगोश भेड़िये व चमगादड़ आदि मिलते हैं।
2. मरुस्थलीय वन बायोम-इस बायोम के चार प्रकार हैं
(i) गर्म व उष्ण मरुस्थल-इस बायोम का विस्तार सहारा कालाहारी थार मरुस्थल तक है। यहाँ तापमान 20° से 45° सेन्टीग्रेड तथा वर्षा 50 मिमी. से भी कम होती है। मृदा पोषक तत्वों से भरपूर व कम जैव पदार्थों वाली होती है। न्यून वनस्पति व पक्षी स्तनधारी कीट-पतंगे व रेंगने वाले जीव-जन्तु मिलते हैं।
(ii) अर्द्ध शुष्क मरुस्थल बायोम-इस बायोम का विस्तार गर्म मरुस्थलों के गौण क्षेत्र रूब-एल-खाली मरुस्थलों तक है। यहाँ तापमान 21° से 38° सेन्टीग्रेड तथा वर्षा 50 मिमी. से कम मिलती है। मृदा में जैव पदार्थों की कमी मिलती है तथा न्यून वनस्पति व जीव-जन्तु मिलते हैं।
(iii) तटीय मरुस्थल बायोम - इस बायोम के अन्तर्गत दक्षिण अमेरिका स्थित अटाकामा मरुस्थल स्थित है। यहाँ तापमान 15° से 35° सेंटीग्रेड के मध्य तथा वर्षा 50 मिमी. से कम होती है। यहाँ पोषक तत्वों से भरपूर लेकिन जैव पदार्थों से रहित मृदा मिलती है। न्यून वनस्पति व जीव-जन्तु मिलते हैं।
(iv) शीत मरुस्थल बायोम-इस बायोम का विस्तार टुन्ड्रा जलवायु प्रदेश में है। यहाँ तापमान 2 से 5° सेंटीग्रेड तथा वर्षा 50 मिमी. से भी कम मिलती है। यहाँ मृदा की पतली परत मिलती है तथा खरगोश चूहे हिरन व गिलहरी आदि जीव-जन्तु मिलते हैं।
3. घास भूमि बायोम-इस बायोम को दो भागों में बाँटा जा सकता है
(i) उष्ण कटिबंधीय घास बायोम-इस बायोम का विस्तार अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अमेरिका महाद्वीप तथा भारत में है। यहाँ गर्म उष्ण जलवायु एवं वर्षा 500 से 1250 मिमी. के मध्य मिलती है। यहाँ सरंध्रित व ह्यूमस की पतली परत वाली मृदा मिलती है। यहाँ पेड़ व लम्बी झाड़ियों की अनुपस्थिति मिलती है तथा जिराफ चीता जेबरा भैंस हाथी चूहे व साँप आदि जीव-जन्तु मिलते हैं। घास प्रमुख रूप से मिलती है।
(ii) शीतोष्ण कटिबंधीय स्टेपी घास बायोम-इस बायोम का विस्तार यूरेशिया के कुछ भाग एवं उत्तर अमेरिका तक मिलता है। यहाँ वर्षा 500 से 900 मिमी. के मध्य होती है। संरक्षित मृदा के साथ ही ह्यूमस की पतली परत मिलती है। यहाँ इमारती लकड़ी के वृक्ष विलो आदि मिलते हैं। जीव-जन्तुओं में गजेल जेबरा गैंड़े जंगली घोड़े शेर साँप कीड़ेमकोड़े एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी मिलते हैं।
4. जलीय बायोम-इस बायोम को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(i) ताजा जल बायोम-यह बायोम झीलों नदियों सरिताओं एवं अन्य आर्द्र भूमि में मिलता है। यहाँ तापमान 1° से 2° सेन्टीग्रेड के मध्य रहता है। दलदली मृदा का विस्तार तथा शैवाल व अन्य जलीय जीव मिलते हैं।
(ii) समुद्री जल बायोम-यह बायोम महासागरों प्रवाल भित्ति लैगून व ज्वारनदमुख आदि क्षेत्रों में मिलता है। यहाँ तापमान 1° से 2° सेन्टीग्रेड के मध्य मिलता है। तापमान में विविधता वायुदाब व आर्द्रता अधिक मिलती है। समुद्री दलदली मृदा शैवाल अन्य जलीय व समुद्री पादप समुद्र के साथ-साथ समुद्री जीव-जन्तु व प्राणी मिलते हैं।
5. पर्वतीय बायोम-इस बायोम का विस्तार ऊँची पर्वतीय श्रेणियों के ढाल; जैसे-हिमालय राकी एण्डीज आदि पर्वतीय क्षेत्रों तक है। यहाँ तापमान व वर्षा में भिन्नता मिलती है। रेगोलिथ मृदा का विस्तार तथा पर्णपाती से टुण्ड्रा प्रकार की वनस्पति मिलती है जिसमें ऊँचाई के आधार पर भिन्नता मिलती है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसने कहा-मानव भूगोल मानव पारिस्थितिकी है?
(क) हॉर्टशोर्न
(ख) एच. एच. बैरोज
(ग) रेटजल
(घ) डब्ल्यू. किर्क।
उत्तर:
(ख) एच. एच. बैरोज
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा पद दो बायोम के मिलन क्षेत्र के लिए सही है?
(क) वातावरण
(ख) पारिस्थितिकी
(ग) प्रतिध्वनि
(घ) प्रतिमान।
उत्तर:
(घ) प्रतिमान।
प्रश्न 3.
प्रत्येक वर्ष मौसमी जलवायु सम्बन्धी उतार-चढ़ाव को सहन करने वाले पौधों के लिए एक उपयुक्त शब्द कौनसा
(क) बारहमासी
(ख) एकवर्षी
(ग) मौसमी
(घ) अर्द्ध-वार्षिक
उत्तर:
(क) बारहमासी
प्रश्न 4.
नीचे दिए गए दो कॉलमों का सही मिलान कीजिए--
उष्षभोक्ता |
जीव |
(a) प्राथनिक |
(i) सवाहारी |
(b) द्विरीयक |
(ii) अपमार्जक |
(c) तृतीयक |
(iii) शाकाहारी |
(d) विघटक |
(iv) मांसाहारी |
कोड :
|
(a) |
(b) |
(c) |
(d) |
(क) |
(iii) |
(i) |
(ii) |
(iv) |
(ख) |
(iii) |
(iv) |
(ii) |
(i) |
(ग) |
(iii) |
(iv) |
(i) |
(ii) |
(घ) |
(iii) |
(i) |
(iv) |
(ii) |
उत्तर:
(ग) - (iii), (iv), (i) ,(ii)
प्रश्न 5.
दो कॉलम नीचे दिए गये हैं। उनका सही मिलान कीजिए
(a) खाद्य शृंखला |
(i) वनस्पति जगत और प्राणि जगत के प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले समुदाय |
(b) खाद्य जाल |
(ii) पारिस्थितिकी में कई क्रमानुसार स्तर |
(c) पोषक स्तर |
(iii) अनेक जीव-जन्तु अपने भोजन के स्रोत के रूप में एक-दूसरे पर निर्भर |
(d) बायोम |
(iv) खाद्य श्रृंखला की एक-दूसरे से सम्बद्ध एवं अन्योन्याश्रित स्वरूप |
कोड :
|
(a) |
(b) |
(c) |
(d) |
(क) |
(iii) |
(iv) |
(ii) |
(i) |
(ख) |
(iii) |
(iv) |
(i) |
(ii) |
(ग) |
(iii) |
(ii) |
(iv) |
(i) |
(घ) |
(iii) |
(ii) |
(i) |
(iv) |
उत्तर:
(क) - (iii),(iv),(ii),(i)
प्रश्न 6.
पादप पौधे को मुख्यतः माना जाता है
(क) परपोषी
(ख) स्वपोषी
(ग) एकलपोषी
(घ) परजीवी।
उत्तर:
(ख) स्वपोषी
प्रश्न 7.
एक पोषक स्तर से दूसरे पोषक स्तर तक ऊर्जा के प्रवाह को माना जाता है?
(क) खाद्य जाल
(ख) खाद्य स्तर
(ग) खाद्य अन्तर्सम्बन्ध
(घ) खाद्य श्रृंखला।
उत्तर:
(ख) खाद्य स्तर
प्रश्न 8.
पारिस्थितिक तन्त्र के जैविक घटकों में कौन उत्पादक घटक है?
(क) गाय
(ख) मोर
(ग) बाघ
(घ) हरे पौधे।
उत्तर:
(घ) हरे पौधे।
प्रश्न 9.
सर्वाधिक स्थायी पारिस्थितिक तन्त्र निम्नांकित में से कौन है?
(क) मरुस्थल
(ख) पर्वत
(ग) पहासागर
(घ) वन।
उत्तर:
(ग) पहासागर
प्रश्न 10.
सुमेलित कीजिए-
सूची-I (जैवमण्डल निचय) |
सूचो-11 (अवस्थिति) |
(A) नोकरेक |
1. केरल |
(B) मानस |
2. असम |
(C) दिहांग-दिबांग |
3. मेघालय |
(D) अगस्त्यमलाई |
4. अरुणाचल प्रदेश |
कोड :
|
(A) |
(B) |
(C) |
(D) |
(क) |
2 |
3 |
1 |
4 |
(ख) |
3 |
2 |
4 |
1 |
(ग) |
4 |
1 |
3 |
2 |
(घ) |
1 |
4 |
2 |
3 |
उत्तर:
(ख) - 3,2,4,1
प्रश्न 11.
भारत में पारिस्थितिक असन्तुलन का निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रमुख कारण है ?
(क) वनोन्मूलन
(ख) मरुस्थलीकरण
(ग) बाढ़ एवं अकाल
(घ) वर्षा की परिवर्तनशीलता।
उत्तर:
(क) वनोन्मूलन
प्रश्न 12.
पारिस्थितिक तंत्र के कार्यों में किनका विवेचन नहीं होता है ?
(क) भू-आकृतिक चक्र
(ख) ऊर्जा प्रवाह
(ग) पोषण चक्र
(घ) जैविक पर्यावरण में परस्पर प्रतिक्रियाएँ।
उत्तर:
(क) भू-आकृतिक चक्र
प्रश्न 13.
निम्नांकित में से कौन एक सही सुमेलित है?
(क) जैव विविधता हॉट-स्पॉट-समुद्र जैव विविधता के क्षेत्र
(ख) लियोपोल्ड मैट्रिक्स-अपवाह बेसिन की आकारमिति
(ग) अम्ल वृष्टि-कार्बन डाइ-ऑक्साइड
(घ) प्रवाल विरंजन-सागरीय जल के तापमान में ह्रास।
उत्तर:
(क) जैव विविधता हॉट-स्पॉट-समुद्र जैव विविधता के क्षेत्र
प्रश्न 14.
निम्नांकित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(क) पृथ्वी पर परिचालित जीवन पारिस्थितिक तन्त्र की प्रमुख विशेषता है।
(ख) स्थिर पारिस्थितिकी तन्त्र के परिष्करण में प्रकृति ने लाखों वर्ष लगाए हैं।
(ग) पारिस्थितिकी तन्त्र मुख्यतः सौर ऊर्जा के निवेश से क्रियाशील होता है।
(घ) बढ़ते पोषण स्तर के साथ श्वसन द्वारा ऊर्जा का सापेक्षित ह्रास घटता जाता है।
उत्तर:
(क) पृथ्वी पर परिचालित जीवन पारिस्थितिक तन्त्र की प्रमुख विशेषता है।
प्रश्न 15.
निम्नांकित में से कौन सर्वाधिक वन्य जीव एवं वानस्पतिक विविधता से सम्पन्न है?
(क) शीतोष्ण घास के मैदान
(ख) शीतोष्ण पर्णपाती वन
(ग) उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र वन
(घ) मरुस्थल एवं सवाना।
उत्तर:
(घ) मरुस्थल एवं सवाना।
प्रश्न 16.
पारिस्थितिकीय असन्तुलन।
उत्तर:
किसी पारिस्थितिकी तंत्र में प्राकृतिक दशा की प्रत्येक तत्व के उत्पादन एवं उपभोग में असन्तुलन की अवस्था पारिस्थितिकीय असन्तुलन कहलाती है।
प्रश्न 17.
जैव रासायनिक चक्र।
उत्तर:
जैवमण्डल में जीवधारी तथा पर्यावरण के मध्य रासायनिक तत्वों का चक्रीय प्रवाह जैव रासायनिक चक्र कहलाता है।
प्रश्न 18.
आवास।
उत्तर:
वह स्थान जिसमें पादप अथवा पशु स्वाभाविक ढंग से वृद्धि करते हैं। सामान्यतः आवास या वास स्थान कहलाता है।
प्रश्न 19.
जलीय चक्र।
उत्तर:
समस्त जीवधारी वायुमण्डल व स्थलमण्डल में जल का एक चक्र बनाए रखते हैं जो तरल गैस व ठोस अवस्था में है। इसे ही जलीय चक्र कहा जाता है।
प्रश्न 20.
अलवण जल झील अथवा ताल का उदाहरण देते हुए इसके पारिस्थितिक तंत्र के घटकों का वर्णन
उत्तर:
विश्व में अनेक अलवण जल के स्रोत हैं जैसे उत्तरी अमेरिका की महान झीलें भारत की डल नैनीताल व पिछीला झील तथा रूस की बेकाल झील आदि। पारिस्थितिक तत्व के घटकों में प्राकृतिक घटक में प्रकाश ऊष्मा वर्षण एवं रासायनिक खनिज आदि आते हैं जबकि जैविक घटकों में उत्पादक उपभोक्ता एवं वियोजन सम्मिलित हैं। स्वच्छ जल पारितंत्र में स्वपोषी पादप एवं अनेक प्रकार के जीवाणु आते हैं। जबकि प्राथमिक उपभोक्ता में वेन्थोस समुदाय के प्राणी जैसे मछली कीट घोंघे आदि जीव आते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता में छोटे मांसाहारी जीव आते हैं जैसे मध्यम मछलियाँ जबकि तृतीयक उपभोक्ता में बड़ी मछलियाँ आदि हैं। वियोजक में जीवाणु व फफूंद आती हैं।
प्रश्न 21.
शीतोष्ण घास प्रदेश बायोम के स्थानिक वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शीतोष्ण कटिबंधीय घास बायोम मध्य अक्षांशों के मध्य महाद्वीपीय भागों में विकसित हैं। इनका स्थानिक वितरण निम्न प्रकार से है
प्रश्न 22.
पोषण स्तर क्या है ? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का उपभोग एवं संचरण एक विशिष्ट पदानुक्रम में सम्पन्न होता है। इस पदानुक्रम में विशिष्ट निर्धारित स्तर होते हैं जिनसे आहार के रूप में ऊर्जा का एक वर्ग के जीवों शाकाहारियों से मांसाहारियों में स्थानान्तरण होता है पोषण स्तर कहलाता है। एक साधारण खाद्य श्रृंखला में चार पोषण स्तर होते हैं जो निम्नलिखित हैं
प्रश्न 23.
"पारिस्थितिक असन्तुलन की उत्पत्ति के लिए मानव को मुख्य उत्तरदायी माना गया है।" इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
किसी पारिस्थितिक तंत्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था को पारिस्थितिक सन्तुलन की स्थिति कहा जाता है। सन्तुलन की अवस्था में विभिन्न पोषण स्तरों पर प्राणियों की संख्या स्थिर रहती है। लेकिन आज मानव ने कृषि खनन और उद्योग के माध्यम से पारिस्थितिक असन्तुलन को जन्म दिया है। मानव जनसंख्या के बढ़ते दबाव के परिणामस्वरूप प्राकृतिक पारितंत्रों पर दबाव बढ़ रहा है। वनों का क्षेत्रफल कम हो रहा है जिससे वनों में रहने वाले जीव-जन्तुओं की अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं। कुछ मानवीय क्रियाओं से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ा है। ऐसा प्रदूषित पर्यावरण जीवों की अनेक प्रजातियों के लिए प्रतिकूल होता जा रहा है। कृषि पारितंत्रों में कीटनाशक दवाओं के उपयोग से विश्व के अनेक भागों में पक्षियों की संख्या में निरन्तर कमी होती जा रही है। पारितंत्र में पाये जाने वाले समस्त जीव ऊर्जा एवं पोषक तत्वों के संचरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से किसी भी जीव के विलुप्त हो जाने पर पारिस्थितिक सन्तुलन भंग हो सकता है।
प्रश्न 24.
जैव मण्डल के घटकों की विवेचना कीजिए तथा व्याख्या कीजिए कि वे किस प्रकार अन्तःसम्बन्धित हैं ?
उत्तर:
जैवमण्डल के दो प्रमुख घटक हैं जिनसे जैव मण्डल का निर्माण होता है
स्वपोषी के अन्तर्गत पादप और कुछ जीवाणु आते हैं। ये संघटक अपने पोषण का निर्माण स्वयं करते हैं इसलिए इन्हें उत्पादक कहा जाता है जबकि परपोषी अपने पोषण के लिए स्वपोषियों पर निर्भर होते हैं इन्हें उपभोक्ता कहा जाता है। उपभोक्ता कई प्रकार के होते हैं। जैसे-शाकाहारी (गाय बकरी खरगोश), मांसाहारी (भेड़िया कुत्ता शेर आदि), सर्वाहारी (मानव)। जैव मण्डल के प्रत्येक घटक एक-दूसरे से अन्त:क्रिया करते हैं जिसके फलस्वरूप पर्यावरण का विकास होता है।
जैसे - पादप सूर्य का प्रकाश। जल एवं खनिजों के माध्यम से प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन व ऑक्सीजन का निर्माण करते हैं। जिसके ऊपर समस्त जैव मण्डल आधारित होता है। पुन: जैवमण्डल के जैविक तत्व मृत्योपरांत समस्त ऊर्जा एवं तत्वों को अंतरिक्ष एवं मृदा में छोड़ देते हैं और पुन: इसका रूपान्तरण होता रहता है। अतः इस प्रक्रिया से ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है। इस प्रकार जैव मण्डल के प्रत्येक घटक एक-दूसरे से अन्त:सम्बन्धित हैं।
प्रश्न 25.
जीवोम शब्द की परिभाषा दीजिए। स्थलीय जीवोम की सूची तैयार कीजिए और सवाना जीवोम के अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जीवोम (बायोम)-पौधों तथा प्राणियों का एक समुदाय जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र पर मिलता है जीवोम या बायोम कहलाता है।
जीवोम को निवास के आधार पर दो प्रधान वर्गों में बाँटा जा सकता है
स्थलीय जीवोम में वन जीवोम मरुस्थलीय जीवोम तथा टुण्डा जीवोम आदि को सम्मिलित करते हैं। स्थलीय जीवोम में हरे पौधों का प्रभुत्व सर्वप्रधान होता है क्योंकि इनकी श्रृंखला विस्तार एवं प्रभाव प्राणियों की तुलना में अधिक होता है। पौधे स्वपोषी होते हैं। इस कारण ये स्थलीय जीवोम का आधार बनते हैं। जलीय जीवोम में झील जल जीवोम ज्वारनदमुख जीवोम एवं सागर जीवोम आदि सम्मिलित हैं। सवाना जीवोम–सामान्यतया सवाना जीवोम से आशय उस वनस्पति समुदाय से है जिसमें धरातल पर आंशिक रूप से शुष्कानुकूलित शाकीय पौधों का प्राधान्य होता है। इस जीवोम का विस्तार भूमध्य रेखा के दोनों ओर 10° से 20° अक्षांशों के मध्य है। इस जीवोम में स्पष्टतया शुष्क व आर्द्र ऋतुएँ रहती हैं। वर्षभर तापमान ऊँचा रहता है। यहाँ के वनस्पति समुदाय में घासों की बहुलता होती है। इस जीवोम को घासों व वृक्षों के अनुपात के आधार पर चार भागों में विभाजित कर सकते हैं
यह जीवोम अपनी वनस्पति एवं प्राणी समुदाय के लिए प्रसिद्ध है। विस्तृत चारागाह एवं तीव्रगति से दौड़ने वाले पशुओं ने इस जीवोम को विश्व के प्रमुख पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित किया है।
प्रश्न 26.
एक पारिस्थितिक तन्त्र के रूप में जैवमण्डल की संकल्पना पर विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
पारिस्थितिक तंत्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए. जी. टान्सली ने 1935 ई. में किया था। टान्सली के अनुसार “पारिस्थितिक तन्त्र भौतिक तंत्रों का एक विशेष प्रकार होता है। इसकी रचना जैविक तथा अजैविक संघटकों से होती है। यह अपेक्षाकृत स्थिर समस्थिति में होता है। यह खुला तंत्र होता है तथा विभिन्न आकारों एवं प्रकारों का होता है। पारिस्थितिक तंत्र दो प्रमुख भागों से बना होता है-
इस तरह के पारिस्थितिक तंत्र के समस्त भागों-जैविक अजैविक बायोम एवं आवास अर्थात् निवास क्षेत्र को परस्पर क्रियाशील कारक समझना चाहिए जो एक प्रौढ़ पारिस्थितिक तंत्र में लगभग सन्तुलित दशा में होते हैं। इन कारकों की पारस्परिक क्रियाओं द्वारा ही समस्त तंत्र कायम रहता है। जैवमण्डलीय पारिस्थितिक तंत्र की रचना जैविक संघटक (पादप जीव-जन्तु सूक्ष्म जीव व मानव), अजैविक संघटक (स्थल जल व वायु) एवं ऊर्जा संघटक (सौर ऊर्जा) आदि सम्मिलित होते हैं। ये वृहद् स्तरीय भू-जैव रसायन चक्रों के माध्यम से अंतरंग ढंग से आपस में अन्तर्सम्बन्धित होते हैं।
जैवमण्डल की रचना दो प्रमुख तंत्रों से हुई है-
(क) पादप तंत्र
(ख) जन्तु तंत्र
(ग) मृदा तंत्र।
ये समस्त उपतंत्र आपस में ऊर्जा व पदार्थों के संचरण तथा स्थानान्तरण के विभिन्न चक्रीय मार्गों द्वारा अन्तरण रूप में अन्तर्सम्बन्धित होते हैं। जलीय बायोतंत्र के अन्तर्गत भी ये तीन उपतंत्र-पादप जन्तु एवं मृदा तंत्र भी पार्थिव बायोम तंत्र के उपतंत्रों की भाँति ऊर्जा तथा पदार्थों के संचरण के चक्रीय भागों द्वारा आपस में अन्तर्सम्बन्धित होते हैं। जैवमण्डल एक खुले तंत्र का उदाहरण है। इसमें ऊर्जा का सतत निवेश या आगमन तथा पदार्थों का सतत बहिर्गमन होता रहता है।
जब तक इस जैवमण्डल में ऊर्जा या पदार्थों का निवेश तथा पदार्थों के तंत्र से बाहर गमन में सन्तुलन बना रहता है तब तक जैवमण्डलीय तंत्र सन्तुलित बना रहता है। परन्तु जब यह सन्तुलन किसी कारणवश समाप्त हो जाता है तो जैवमण्डलीय तंत्र की सन्तुलन की दशा भी बिगड़ जाती है तथा इस असन्तुलन के कारण कई प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं का उत्पन्न होना प्रारम्भ हो जाता है। यदि समस्त जैवमण्डल को एक पारिस्थितिक तंत्र माना जाये तो जैवमण्डल एवं जैवमण्डलीय पारिस्थितिक तंत्र के संघटक एक समान ही होते हैं।। अतः इनको अलग नहीं किया जा सकता है। दोनों एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।
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