Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 13 महासागरीय जल परिवर्तन Important Questions and Answers.
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में से किस ग्रह को नीला ग्रह कहा जाता है
(क) बुध
(ख) शुक्र
(ग) पृथ्वी
(घ) मंगल।
उत्तर:
(ग) पृथ्वी
प्रश्न 2.
महासागरों में संग्रहीत जल में प्रक्रियाएँ होती हैं
(क) वाष्पीकरण
(ख) वाष्पोत्सर्जन
(ग) ऊर्ध्वपातन
(घ) उक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उक्त सभी।
प्रश्न 3.
जल एक संसाधन है
(क) जैविक
(ख) चक्रीय
(ग) अनवीनीकरणीय
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) चक्रीय
प्रश्न 4.
पृथ्वी के कितने भाग पर जल पाया जाता है?
(क) 69%
(ख) 70%
(ग) 71%
(घ) 73%।
उत्तर:
(ग) 71%
प्रश्न 5.
एम्पेरर क्या है
(क) महासागरीय गर्त
(ख) समुद्री टीला
(ग) निमग्न द्वीप
(घ) प्रवाल द्वीप।
उत्तर:
(ख) समुद्री टीला
प्रश्न 6.
थर्मोक्लाईन क्षेत्र में तापमानों में
(क) तीव्र गिरावट आती है
(ख) तीव्र वृद्धि होती है
(ग) धीमी गिरावट आती है
(घ) धीमी वृद्धि होती है।
उत्तर:
(क) तीव्र गिरावट आती है
प्रश्न 7.
उच्चतम लवणता मिलती है
(क) केस्पियन सागर में
(ख) मृतक सागर में
(ग) वॉन झील में
(घ) ग्रेट साल्ट झील में।
उत्तर:
(ग) वॉन झील में
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से भुमेलित कीजिए
1. स्तम्भ अ (जलाशय) |
स्तम्भ ब (कुल जल का प्रतिशत) |
(i) महासागर |
(अ) 97.25 |
(ii) हिमानी व हिमटंपी |
(ब) 0.68 |
(iii) भूमिगत जल |
(स) 2.05 |
(iv) झीलें |
(द) 0.01 |
उत्तर:
1. स्तम्भ अ (जलाशय) |
स्तम्भ ब (कुल जल का प्रतिशत) |
(i) महासागर |
(अ) 97.25 |
(ii) हिमानी व हिमटंपी |
(स) 2.05 |
(iii) भूमिगत जल |
(ब) 0.68 |
(iv) झीलें |
(द) 0.01 |
2.
2. स्तम्भ अ (क्षेत्र का नाम) |
स्तम्भ ब (औसत लवणता) |
(i) वानझील |
(अ) 35% |
(ii) अटलांटिक महासागर |
(ब) 238% |
(iii) मृतसागर |
(स) 330% |
(iv) हिन्द महासागर |
(द) 36% |
उत्तर:
2. स्तम्भ अ (क्षेत्र का नाम) |
स्तम्भ ब (औसत लवणता) |
(i) वानझील |
(स) 330% |
(ii) अटलांटिक महासागर |
(द) 36% |
(iii) मृतसागर |
(ब) 238% |
(iv) हिन्द महासागर |
(अ) 35% |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए
उत्तर:
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारे सौरमंडल का सबसे दुर्लभ पदार्थ क्या है ?
उत्तर:
सौरमंडल का दुर्लभ पदार्थ है-जल।
प्रश्न 2.
जल किस प्रकार का संसाधन है ?
उत्तर:
जल एक चक्रीय संसाधन है।
प्रश्न 3.
जलीय चक्र कौन-कौन से रूपों का परिसंचरण है ?
उत्तर:
जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों अर्थात् गैस, तरल व ठोस में जल का परिसंचरण है।
प्रश्न 4.
पृथ्वी पर जल का सर्वाधिक भाग कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर:
जल का सर्वाधिक भाग महासागरों में पाया जाता है।
प्रश्न 5.
महासागरों की संख्या कितनी है।
उत्तर:
पाँच-प्रशांत, अटलांटिक, हिन्द, आर्कटिक (उत्तरी ध्रुव) व दक्षिण ध्रुव महासागर ।
प्रश्न 6.
महासागरीय अधःस्तल का विस्तार बताइए।
उत्तर:
समुद्र तल के नीचे 3 से 6 किमी. के मध्य।
प्रश्न 7.
महासागरीय भागों पर उच्चावचीय लक्षण क्यों मिलते हैं?
उत्तर:
विवर्तनिक ज्वालामुखीय व निक्षेपण की प्रक्रियाओं के कारण।
प्रश्न 8.
महासागरीय अधःस्तल को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर:
प्रश्न 9.
महासागरीय शेल्फ की औसत प्रवणता कितनी है ?
उत्तर;
महासागरीय शेल्फ की औसत प्रवणता 1° या उससे भी कम।
प्रश्न 10.
विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीपीय शेल्फ कौन-सा है ?
उत्तर:
साइबेरियन शेल्फ।
प्रश्न 11.
शेल्फ अवकाश किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब शेल्फ अत्यंत तीव्र ढाल पर समाप्त होता है तो ऐसे तीव्र ढाल के अंतिम छोर को शेल्फ अवकाश कहा जाता है।
प्रश्न 12.
महाद्वीपीय शेल्फों से जीवाश्म ईंधन कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर:
महाद्वीपीय शेल्फों पर लंबे समय तक प्राप्त स्थल तलछटी अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं।
प्रश्न 13.
महाद्वीपीय ढाल क्या है ?
उत्तर:
महासागरीय बेसिनों एवं महाद्वीपीय शेल्फ को जोड़ने वाली सीमा महाद्वीपीय ढाल कहलाती है।
प्रश्न 14.
महाद्वीपीय ढाल की प्रवणता कितनी होती है?
उत्तर:
2°-5° तक।
प्रश्न 15.
गम्भीर सागरीय मैदान क्या है ?
उत्तर:
महासागरीय बेसिनों के मंद ढालों वाले क्षेत्र गंभीर सागरीय मैदान कहलाते हैं।
प्रश्न 16.
सागरीय मैदान की गहराई कितनी है ?
उत्तर:
3000 से 6000 मीटर के मध्य।
प्रश्न 17.
महासागरीय गर्त किसे कहते हैं?
उत्तर:
महासागरों के सबसे गहरे भागों को महासागरीय गर्त कहते हैं।
प्रश्न 18.
सबसे अधिक महासागरीय गर्त किस महासागर में हैं?
उत्तर:
प्रशान्त महासागर में।
प्रश्न 19.
मध्य महासागरीय कटक क्या है?
उत्तर:
मध्य महासागरीय कटक पर्वतों की दो शृंखलाओं से बना होता है। जो एक विशाल अवनमन द्वारा अलग किए गए होते हैं।
प्रश्न 20.
समुद्री टीला क्या होता है?
उत्तर;
यह नुकीले शिखरों वाला एक पर्वत है जो समुद्री तली से ऊपर की ओर उठता है किन्तु महासागरों को सतह तक नहीं पहुँच पाता।
प्रश्न 21.
समुद्री टीले का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एम्पेरर समुद्री टीला।
प्रश्न 22.
जलमग्न कैनियन का एक प्रसिद्ध उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हडसन कैनियन।।
प्रश्न 23.
प्रवाल द्वीप क्या होते हैं?
उत्तर:
ये उष्ण कटिबंधीय महासागरों में पाए जाने वाले प्रवाल भित्तियों से युक्त निम्न आकार के द्वीप है जो गहरे अवनमन को चारों ओर से घेरे हुए होते हैं।
प्रश्न 24.
महासागरीय जल के तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 25.
थर्मोक्लाईन परत की मोटाई लिखिए। उत्तर-500 से 1000 मीटर।।
प्रश्न 26.
महासागरों की सतह के जल का औसत तापमान कितना है ?
उत्तर:
लगभग 27° सेल्सियस।
प्रश्न 27.
खारे जल को सीमांकित करने की उच्च सीमा कितनी मानी गयी है?
उत्तर:
24.7% लवणता।
प्रश्न 28.
सागरीय जल में सर्वाधिक मात्रा में मिलने वाला लवण है?
उत्तर:
क्लोरीन (18.97%)।
प्रश्न 29.
सर्वाधिक लवणता कहाँ मिलती है?
उत्तर:
20° उत्तर-30° उत्तर व 20° पश्चिम-60° पश्चिम देशान्तर के बीच।
प्रश्न 30.
बाल्टिक सागर में लवणता कम क्यों मिलती है?
उत्तर:
बहुत अधिक मात्रा में नदियों के जल के प्रवेश के कारण।
प्रश्न 31.
संसार में उच्चतम लवणता वाले किन्हीं तीन क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 32.
हैलोक्लाईन क्या है ?
उत्तर:
सागरों में लवणता की मात्रा साधारणतया गहराई के साथ बढ़ती है तथा एक स्पष्ट क्षेत्र जिसे हैलोक्लाईन कहा जाता है, में यह तीव्रता से बढ़ती है।
प्रश्न 33.
महासागरीय लवणता से क्या आशय है?
उत्तर:
महासागरीय भागों में मिलने वाले जल में घुले हुए लवणों की मात्रा को महासागरीय लवणता कहा जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न)
प्रश्न 1.
पृथ्वी के धरातल पर जल का वितरण बताइए।
उत्तर:
पृथ्वी पर जल का सर्वाधिक भाग (71%) महासागरों में पाया जाता है। शेष जल ताजे जल के रूप में हिमानियों, हिमटोपियों, भूमिगत जल, झीलों, मृदा में आर्द्रता, वायुमण्डल, सरिताओं एवं झीलों में संग्रहीत है।
प्रश्न 2.
जल चक्र के कारक एवं प्रक्रियाएँ बताइए।
उत्तर:;
जल चक्र के कारक एवं प्रक्रियाएँ निम्नलिखित हैं
प्रश्न 3.
जल संकट क्यों उत्पन्न हो रहा है?
उत्तर:
पृथ्वी पर नवीनीकरण योग्य जल निश्चित मात्रा में है जबकि इसकी माँग तेजी से बढ़ रही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण विश्व के विभिन्न भागों में स्थानिक व कालिक दोनों रूपों में जल का संकट पैदा हो रहा है। नदियों के जल के प्रदूषित होने के कारण यह संकट और अधिक बढ़ गया है।
प्रश्न 4.
महासागरीय तली ऊबड़-खाबड़ क्यों होती है ?
उत्तर:
महासागरीय तली में विश्व की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाएँ, सबसे गहरे गर्त एवं सबसे बड़े मैदान होने के कारण ये ऊबड़-खाबड़ होते हैं। इनका निर्माण विवर्तनिक ज्वालामुखीय एवं निक्षेपण की क्रियाओं के फलस्वरूप होता है। इसलिए महासागरीय तली उबड़-खाबड़ होती हैं।
प्रश्न 5.
महाद्वीपीय मग्न ढाल क्या हैं?
उत्तर:
महाद्वीपीय मग्न तट के आगे महासागरीय नितल का ढाल अचानक तीव्र हो जाता है। इन ढालों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनका विस्तार 200 मीटर से 3000 मीटर की गहराई तक होता है। यहाँ पर काँप मिट्टी का निक्षेप बहुत कम पाया जाता है। प्रकाश की कमी तथा पोषक पदार्थों के अभाव में यहाँ वनस्पति व समुद्री जीवों की मात्रा कम पाई जाती है। महासागरों के कुल क्षेत्रफल के 8.5 प्रतिशत भाग पर ये ढाल पाए जाते हैं। इनका ढाल 2° से 5° तक होता है।
प्रश्न 6.
महाद्वीपीय ढाल की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
महाद्वीपीय शेल्फ की तली जहाँ तीव्र ढाल में परिवर्तित हो जाती है, वहाँ से महाद्वीपीय ढाल प्रारम्भ होता है। महाद्वीपीय ढाल की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
प्रश्न 7.
गंभीर सागरीय मैदान क्या हैं ?
उत्तर:
गंभीर सागरीय मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। ये विश्व में सबसे चिकने एवं सबसे सपाट भाग होते हैं जिनकी गहराई 3000 से 6000 मीटर के मध्य होती है। इन मैदानी भागों में बारीक कणों वाले अवसादों का निक्षेप मिलता है।
प्रश्न 8.
महासागरीय गर्त प्लेटों के संचलन में अध्ययन के लिए क्यों महत्वपूर्ण होते हैं ?
उत्तर:
महासागरीय गर्त महाद्वीपीय ढाल के आधार एवं द्वीपीय भागों के पास स्थित होते हैं। ये गर्त सक्रिय ज्वालामुखी एवं प्रबल भूकम्पीय क्षेत्रों से सम्बन्धित होते हैं। यही कारण है कि महासागरीय गर्त प्लेटों के संचलन के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रश्न 9.
मध्य महासागरीय कटक का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मध्य महासागरीय कटक पर्वत की ऐसी दो श्रृंखलाओं से निर्मित होती है जो एक विशाल अवनयन द्वारा पृथक् की गई होती है। इन पर्वत श्रृंखलाओं के शिखरों की ऊँचाई 2500 मीटर तक हो सकती है तथा इनमें से कुछ शिखर सागर की सतह तक भी पहुँच जाते हैं। आइसलैण्ड इसका प्रमुख उदाहरण है।
प्रश्न 10.
समुद्री टीले क्या होते हैं ?
उत्तर:
सागरीय तली से ऊपर की ओर उठने वाले नुकीले शिखर वाले ऐसे पर्वत होते हैं जो सागरीय सतह तक नहीं पहुँच पाते हैं। समुद्री टीलों की ऊँचाई 3000 से 4500 मीटर के मध्य हो सकती है। प्रशान्त महासागर में एम्पेरर नामक समुद्री टीला इसका उत्तम उदाहरण है, जो हवाई द्वीप समूहों का विस्तार है।
प्रश्न 11.
सपाट जलमग्न कैनियन क्या है ?
उत्तर:
सागरीय तली पर मिलने वाली गहरी घाटियाँ जिनमें से कुछ की तुलना कोलोरेडो नदी की ग्रैण्ड कैनियन से की जा सकती है। ऐसे उदाहरण भी देखने को मिलते हैं जिनमें कैनियन बड़ी नदियों के मुहाने से आगे की ओर विस्तृत होकर महाद्वीपीय शेल्फ व ढालों को आर-पार काटती दिखाई पड़ती है। विश्व की सबसे प्रसिद्ध कैनियन हडसन कैनियन है।
प्रश्न 12.
निमग्न द्वीप क्या होते हैं ?
उत्तर:
यह चपटे शिखर वाले समुद्री टीले होते हैं। इन चपटे शिखर वाले जलमग्न पर्वतों के निर्मित होने की अवस्थाएँ क्रमिक अवतलन के प्रमाणों द्वारा प्रदर्शित होती हैं। सर्वाधिक (लगभग 10 हजार से अधिक) निमग्न द्वीप प्रशान्त महासागर में मिलते हैं।
प्रश्न 13.
महासागरीय धाराएँ महासागरीय जल के तापमान को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ?
उत्तर:
गर्म महासागरीय धाराएँ जब ठण्डे क्षेत्रों में प्रवाहित होती हैं तो वहाँ के तापमान को बढ़ा देती हैं जबकि ठण्डी महासागरीय धाराएँ जब गर्म क्षेत्रों में प्रवाहित होती हैं तो वहाँ का तापमान कम हो जाता है। उदाहरण के लिये; उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट तथा यूरोप के पश्चिमी तट पर प्रवाहित गल्फस्ट्रीम नामक गर्म धारा से तटीय भागों के तापमान बढ़ जाते हैं। दूसरी ओर लेब्रेडोर नामक ठण्डी सागरीय धारा उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तटीय भागों के तापमानों को कम कर देती है।
प्रश्न 14.
परिवेष्ठित समुद्रों के तापमान को अक्षांशीय स्थिति किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर:
निम्न अक्षांशों में स्थित परिवेष्ठित समुद्रों का तापमान खुले समुद्रों की तुलना में अधिक रहता है, जबकि उच्च अक्षांशों में स्थित परिवेष्ठित समुद्रों का तापमान खुले सागरों की तुलना में कम रहता है।
प्रश्न 15.
अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में लवणता कम क्यों मिलती है?
उत्तर-अरब सागरीय भाग में नदियों का जल कम आकर मिलता है जबकि उच्च वाष्पीकरण की स्थिति के कारण उच्च लवणता मिलती है। इसके विपरीत बंगाल की खाड़ी में बहुत सी नदियों का स्वच्छ जल आकर मिलता है जिसके कारण यहाँ लवणता कम पायी जाती है। -
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न)
प्रश्न 1.
जलीय चक्र महासागरों, वायुमण्डल, भू-पृष्ठ, अधःस्तल एवं जीवों के मध्य जल के सतत आदान-प्रदान से सम्बन्धित है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
जल एक चक्रीय संसाधन है, जिसका प्रयोग एवं पुनः प्रयोग सम्भव है। जल एक चक्र के रूप में महासागर से धरातल पर एवं धरातल से महासागर तक पहुँचता है। जलीय चक्र पृथ्वी पर, इसके नीचे एवं वायुमण्डल में जल के संचलन की व्याख्या करता है। करोड़ों वर्षों से जलीय चक्र सतत रूप में क्रियाशील है। जलीय चक्र के कारण ही पृथ्वी पर समस्त प्रकार का जीवन निर्भर है। वायु एवं जल पृथ्वी पर जीवन के लिए अति आवश्यक तत्व हैं। पृथ्वी पर जल का असमान वितरण दिखायी देता है। कहीं जल की प्रचुरता है तो कहीं यह अल्प मात्रा में है। जलीय चक्र पृथ्वी के जलमण्डल में विभिन्न रूपों में अर्थात् गैस, तरल एवं ठोस में जल का परिसंचरण है। इसका उच्च दाब महासागरों, वायुमण्डल, भू-पृष्ठ, अधःस्तल एवं जीवों के मध्य जल के सतत आदान-प्रदान से है।
प्रश्न 2.
महासागरीय तली को कितने उच्चावचों में बाँटा गया है?
उत्तर:
महासागरीय तली के उच्चावचों को मुख्यतः निम्न चार भागों में बाँटा गया है
1. महाद्वीपीय मग्न तट-इसका अर्थ डूबे हुए तट से होता है, अतः महाद्वीपों के वे भाग जो समुद्र में डूबे रहते हैं, महाद्वीपीय मग्न तट कहलाते हैं जिनकी अधिकतम गहराई 100 फैदम मानी गयी है।
2. महाद्वीपीय मग्न ढाल-महाद्वीपीय मग्न तट के आगे महासागरीय नितल का ढाल अचानक तीव्र हो जाता है। इन ढालों का विस्तार 3600 मीटर से 9100 मीटर की गहराई तक मिलता है।
3. गहरे सागरीय मैदान-महाद्वीपीय ढाल के समाप्त होते ही ढाल एकदम कम हो जाता है और गम्भीर सागरीय मैदान शुरू हो जाते हैं जिसे महासागरीय नितल या मैदान भी कहते हैं।
4. महासागरीय गर्त-इसका तात्पर्य महासागरों के नितल पर पाए जाने वाले सबसे अधिक गहरे गर्तों से है।
प्रश्न 3.
महाद्वीपीय शेल्फ क्या है ? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
महाद्वीपीय शेल्फ महाद्वीप का वह विस्तृत सीमान्त जो अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है, महाद्वीपीय शेल्फ कहलाता है।
विशेषताएँ महाद्वीपीय शेल्फ की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
प्रश्न 4.
गंभीर सागरीय मैदान एवं महासागरीय गर्त में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गंभीर सागरीय मैदान-यह महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। यह विश्व के सबसे चिकने तथा सपाट भाग होते हैं जिनकी गहराई 3000 मीटर से 6000 मीटर के मध्य होती है। इन मैदानी भागों पर महीन कणों वाले अवसाद निक्षेपित मिलते हैं। महासागरीय गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग महासागरीय गर्त कहलाते हैं। यह अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण बेसिन होते हैं। अपनी समीपवर्ती सागरीय तली की तुलना में महासागरीय गर्त 3 किमी. से लेकर 5 किमी. तक गहरे होते हैं। गर्मों का सम्बन्ध प्रायः सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रबल भूकम्प वाले क्षेत्रों से होता है। वर्तमान में महासागरीय तली पर 57 गर्मों की खोज की जा चुकी है जिसमें से 32 प्रशान्त महासागर में, 19 अटलांटिक महासागर में तथा 6 हिन्द महासागर में हैं।
प्रश्न 5.
समुद्री टीले एवं सपाट जलमग्न कैनियन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समुद्री टीले सागरीय तली से ऊपर की ओर उठने वाले नुकीले शिखर वाले ऐसे पर्वत होते हैं जो सागरीय सतह तक नहीं पहुँच पाते हैं। समुद्री टीलों की ऊँचाई 3000 से 4500 मीटर के मध्य हो सकती है। प्रशान्त महासागर में एम्पेरर नामक समुद्री टीला इसका उत्तम उदाहरण है, जो हवाई द्वीप समूहों का विस्तार है। सपाट जलमग्न कैनियन-सागरीय तली पर मिलने वाली गहरी घाटियाँ जिनमें से कुछ की तुलना कोलोरेडो नदी की ग्रैण्ड कैनियन से की जा सकती है। ऐसे उदाहरण भी देखने को मिलते हैं जिनमें कैनियन बड़ी नदियों के मुहाने से आगे की ओर विस्तृत होकर महाद्वीपीय शेल्फ व ढालों को आर-पार काटती दिखाई पड़ती हैं। विश्व की सबसे प्रसिद्ध कैनियन, हडसन कैनियन है।
प्रश्न 6.
निमग्न द्वीप एवं प्रवाल द्वीप में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निमग्न द्वीप-यह चपटे शिखर वाले समुद्री टीले होते हैं। इन चपटे शिखर वाले जलमग्न पर्वतों के निर्मित होने की अवस्थाएँ क्रमिक अवतलन के प्रमाणों द्वारा प्रदर्शित होती हैं। सर्वाधिक (लगभग 10 हजार से अधिक) निमग्न द्वीप प्रशान्त महासागर में मिलते हैं। प्रवाल द्वीप -ये उष्ण कटिबन्धीय महासागरों में मिलने वाले प्रवाल भित्तियों से युक्त छोटे आकार के द्वीप हैं जो कि गहरे अवनमन को चारों ओर से घेरे हुए होते हैं। यह सागर (अनूप) का एक भाग हो सकता है या ये कभी-कभी स्वच्छ, लवणीय जल को चारों ओर से घेरे होते हैं।
प्रश्न 7.
महासागरीय तापमान को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
महासागरीय तापमान को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं
इन सभी कारकों में से अक्षांशीय स्थिति में भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर तापमान कम होता जाता है। जल व स्थल के वितरण में मिलने वाली भिन्नता भी तापमान को प्रभावित करती है। दिन का छोटा या बड़ा होना भी तापमान का नियंत्रक होता है। वायुमंडल में धूलिकणों व जलवाष्प की स्थिति का कम या ज्यादा होना भी ताप वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सूर्य से पृथ्वी का कम व अधिक दूर होना, सौर्य कलंकों की संख्या का कम व ज्यादा होना तथा समुद्री धाराओं का गर्म व ठण्डा होना भी सागरीय जल के तापमान पर प्रभाव डालता है।
प्रश्न 8.
महासागरीय जल के तापमान का क्षैतिज वितरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल के तापमान का क्षैतिज वितरण-महासागरीय सतह के जल का औसत तापमान 27° सेग्रे. मिलता है तथा यह भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर क्रमशः कम होता जाता है। बढ़ते अक्षांशों के साथ तापमान के घटने की औसत दर 0.5° सेग्रे. प्रति अक्षांश होती है। 20° अक्षांश पर सतही सागरीय जल का औसत तापमान 22° सेग्रे., 40°अक्षांश पर 14° सेग्रे. तथा ध्रुवों की समीप 0° सेग्रे. मिलता है। उत्तरी गोलार्द्ध के महासागरों का तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में अधिक होता है। सागरीय जल के उच्चतम तापमान विषुवत् वृत्त पर न मिलकर इससे कुछ उत्तर में दर्ज किया जाता है। उत्तरी गोलार्द्ध के सागरीय जल का औसत वार्षिक तापमान 19° सेग्रे. तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में यह 16° सेग्रे. मिलता है। महासागरीय जल के तापमान में मिलने वाली यह भिन्नता उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल व जल के असमान वितरण के कारण होती है।
प्रश्न 9.
महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय लवणता को प्रमुख रूप से चार कारक प्रभावित करते है
प्रश्न 10.
सागरीय जल में मिलने वाले लवणीय पदार्थों व उनकी मात्रा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सागरीय जल में अनेक प्रकार के लवणीय पदार्थ पाए जाते हैं। इन लवणीय पदार्थों को उनकी मात्रा व प्रतिशत के अनुसार अग्र तालिका द्वारा दर्शाया गया है
समुद्री जल में मिलने वाले लवणीय पदार्थ
पदार्थ |
प्रतिशत (मात्रा) |
1. क्लोरीन |
18.97 |
2. सल्फेट |
2.65 |
3. कैल्शियम |
0.41 |
4. बाइकार्बोनेट |
0.14 |
5. बोरेट |
0.02 |
6. सोडियम |
10.47 |
7. मैग्नेशियम |
1.28 |
8. पौटेशियम |
0.38 |
9. ब्रोमीन |
0.06 |
10. स्ट्राटियम |
0.01 |
प्रश्न 11.
महासागरीय जल में लवणता के ऊर्ध्वाधर वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लवणता का ऊर्ध्वाधर वितरण-गहराई के साथ लवणता के वितरण में कोई निश्चित प्रवृत्ति देखने को नहीं मिलती, लेकिन सामान्यतया यह माना जाता है कि लवणता गहराई के साथ बढ़ती है। कम लवणता वाला जल उच्च लवणता व घनत्व वाले जल के ऊपर स्थित होता है। सागरीय जल के अन्दर एक ऐसा स्पष्ट क्षेत्र मिलता है जहाँ लवणता तीव्रता से बढ़ती है, इस क्षेत्र को हैलोक्लाईन कहा जाता है। सागरीय सतह की लवणता जल के बर्फ या वाष्प के रूप में बदल जाने के कारण बढ़ जाती है अथवा नदियों द्वारा डाले गये ताजे जल के मिल जाने से घट जाती है। ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
महासागरीय अधःस्तल को प्रमुख भागों में विभक्त करते हुए उनका विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय अधःस्तल को निम्नलिखित चार प्रमुख भागों में विभक्त किया जा सकता है
(1) महाद्वीपीय शेल्फ-महाद्वीप का वह विस्तृत-सीमान्त जो अपेक्षाकृत उथले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा होता है, महाद्वीपीय शेल्फ कहलाता है।
(2) महाद्वीपीय ढाल—महाद्वीपीय शेल्फ की तली जहाँ तीव्र ढाल में परिवर्तित हो जाती है, वहाँ से महाद्वीपीय ढाल प्रारम्भ होता है। महाद्वीपीय ढाल की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं
(3) गम्भीर सागरीय समुद्री मैदान-यह महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। यह विश्व के सबसे चिकने तथा सबसे सपाट भाग होते हैं, जिनकी गहराई 3000 मीटर से 6000 मीटर के मध्य होती है। इन मैदानी भागों पर महीन कणों वाले अवसाद निक्षेपित मिलते हैं।
(4) महासागरीय गर्त महासागरों के सबसे गहरे भाग महासागरीय गर्त कहलाते हैं। यह अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण बेसिन होते हैं। अपनी समीपवर्ती सागरीय तली की तुलना में महासागरीय गर्त 3 किमी. से लेकर 5 किमी. तक गहरे होते हैं। गर्मों का सम्बन्ध प्रायः सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रबल भूकम्प वाले क्षेत्रों से होता है। वर्तमान में महासागरीय तली पर 57 गर्मों की खोज की जा चुकी है जिसमें से 32 प्रशान्त महासागर में, 19 अटलांटिक महासागर में तथा 6 हिन्द महासागर में हैं।
प्रश्न 2.
महासागरीय उच्चावच की लघु आकृतियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय अधःस्तल के प्रमुख उच्चावचों के अतिरिक्त महासागरीय भागों में मुख्यतया निम्नलिखित लघु आकृतियाँ पायी जाती हैं
(i) मध्य महासागरीय कटक-मध्य महासागरीय कटक पर्वत की ऐसी दो श्रृंखलाओं से निर्मित होते हैं जो एक विशाल अवनयन द्वारा पृथक् की गई होती है। इन पर्वत श्रृंखलाओं के शिखरों की ऊँचाई 2500 मीटर तक हो सकती है तथा इनमें से कुछ शिखर सागर की सतह तक भी पहुँच जाते हैं। आइसलैण्ड इसका प्रमुख उदाहरण है।
(ii) समुद्री टीला-सागरीय तली से ऊपर की ओर उठने वाले नुकीले शिखर वाले ऐसे पर्वत होते हैं जो सागरीय सतह तक नहीं पहुँच पाते हैं। समुद्री टीलों की ऊँचाई 3000 से 4500 मीटर के मध्य हो सकती है। प्रशान्त महासागर में एम्पेरर नामक समुद्री टीला इसका उत्तम उदाहरण है, जो हवाई द्वीप समूहों का विस्तार है।
(iii) जलमग्न कैनियन-सागरीय तली पर मिलने वाली गहरी घाटियाँ जिनमें से कुछ की तुलना कोलोरेडो नदी की ग्रैण्ड कैनियन से की जा सकती है। ऐसे उदाहरण भी देखने को मिलते हैं जिनमें कैनियन बड़ी नदियों के मुहाने से आगे की ओर विस्तृत होकर महाद्वीपीय शेल्फ व ढालों को आर-पार काटती दिखाई पड़ती है। विश्व की सबसे प्रसिद्ध कैनियन, 'हडसन कैनियन' है।
(iv) निमग्न द्वीप-यह चपटे शिखर वाले समुद्री टीले होते हैं। इन चपटे शिखर वाले जलमग्न पर्वतों के निर्मित होने की अवस्थाएँ क्रमिक अवतलन के प्रमाणों द्वारा प्रदर्शित होती हैं। सर्वाधिक (लगभग 10 हजार से अधिक) निमग्न द्वीप प्रशान्त महासागर में मिलते हैं।
(v) प्रवाल द्वीप-ये उष्ण कटिबन्धीय महासागरों में मिलने वाली प्रवाल भित्तियों से युक्त छोटे आकार के द्वीप हैं जो कि गहरे अवनमन को चारों ओर से घेरे हुए होते हैं। यह सागर (अनूप) का एक भाग हो सकता है या ये कभी-कभी स्वच्छ, लवणीय जल को चारों ओर से घेरे होते हैं।
प्रश्न 3.
महासागरीय जल के तापमान के ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल के तापमान का ऊर्ध्वाधर वितरण अग्रांकित चित्र में सागर तल से 4500 मीटर गहराई तक महासागरीय जल के तापमान को दिखाया गया है। इस चित्र से स्पष्ट है कि बढ़ती गहराई के साथ तापमान में क्रमशः गिरावट आती चली जाती है लेकिन महासागर के सतही जल तथा गहरी परतों के जल के मध्य एक ऐसा सीमा क्षेत्र है जहाँ सागरीय जल के तापमान में तीव्र गिरावट आती है, यह सीमा क्षेत्र सागर तल से लगभग 100 से 400 मीटर नीचे से प्रारम्भ होता है तथा कई सौ मीटर नीचे तक चला जाता है, इसे ताप प्रवणता या थर्मोक्लाईन कहा जाता है। महासागरीय जल के कुल आयतन का लगभग 90 प्रतिशत भाग ताप प्रवणता परत के नीचे मिलता है। गहराई के साथतापमान के घटने की दर सभी जगह समान नहीं होती। 200 मीटर की गहराई तक तापमान बहुत तीव्रता से कम हो जाता है लेकिन इसके बाद तापमान घटने की दर कम होती जाती है।
सामान्यतः सागर तल से नीचे जाने पर निम्नलिखित तीन परतें मिलती हैं-
महासागरीय जल के तापमान का क्षैतिज वितरण-महासागरीय सतह के जल का औसत तापमान 27° से. मिलता है तथा यह भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर क्रमशः कम होता जाता है। बढ़ते अक्षांशों के साथ तापमान के घटने की औसत दर 0.5° से. प्रति अक्षांश होती है। 20° अक्षांश पर सतही सागरीय जल का औसत तापमान 22° से. 40° अक्षांश पर 14° से. तथा ध्रुवों के समीप 0° से. मिलता है। उत्तरी गोलार्द्ध के महासागरों का तापमान दक्षिणी गोलार्द्ध की तुलना में अधिक होता है।
सागरीय जल के उच्चतम तापमान विषुवत् वृत्त पर न मिलकर इससे कुछ उत्तर में दर्ज किया जाता है। उत्तरी गोलार्द्ध के सागरीय जल का औसत वार्षिक तापमान 19° से. तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में यह 16° से. मिलता है। महासागरीय जल के तापमान में मिलने वाली यह भिन्नता उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थल व जल के असमान वितरण के कारण होती है।
प्रश्न 4.
महासागरीय जल की लवणता से क्या आशय है ? लवणता का क्षैतिज तथा लम्बवत् वितरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल की लवणता-लवणता वह शब्द है जिसका उपयोग समुद्री जल में घुले हुए नमक की मात्रा को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसकी गणना 1000 ग्राम सागरीय जल में घुले हुए नमक की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%e) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्रति 1000 ग्राम सागरीय जल में 18.97 ग्राम क्लोरीन, 10.47 ग्राम सोडियम, 2.65 ग्राम सल्फेट, 1.28 ग्राम मैग्नीशियम, 0.41 ग्राम कैल्शियम, 0.38 ग्राम पोटैशियम, 0.14 ग्राम बाईकार्बोनेट, 0.06 ग्राम ब्रोमीन, 0.02 ग्राम बोरेट तथा 0.01 ग्राम स्ट्रांटियम होते हैं। लवणता का क्षैजित वितरण खुले महासागरों की लवणता 33% से 37% के मध्य मिलती है जबकि चारों ओर से स्थल से घिरे लाल सागर की लवणता 41% तक मिलती है। दूसरी ओर आर्कटिक तथा ज्वारनदमुख में मौसम के अनुसार लवणता 0 से 35% के मध्य रहती है। गर्म एवं शुष्क क्षेत्रों में जहाँ वाष्पीकरण दर उच्च मिलती है, लवणता 70% तक हो जाती है।
प्रशान्त महासागर में मिलने वाली लवणता की भिन्नता प्रमुख रूप से इसके आकार तथा वृहत् विस्तार के कारण है। उत्तरी गोलार्द्ध के पश्चिमी भागों में आर्कटिक क्षेत्र का पिघला जल पर्याप्त मात्रा में पहुँचता है, इस कारण यहाँ के सागरीय भागों की लवणता 35% से घटकर 31% हो जाती है। इसी प्रकार दक्षिणी गोलार्द्ध में 15° से 20° अक्षांशों के बाद सागरीय जल की लवणता 33% तक घट जाती है। अटलांटिक महासागर की औसत लवणता लगभग 36% मिलती है। उच्चतम लवणता के क्षेत्र 15 से 20° अक्षांशों के मध्य मिलते हैं। जबकि अधिकतम लवणता 20° उत्तर से 30° उत्तर तथा 20° पश्चिम से 60° पश्चिम देशान्तर के मध्य रहती है। उत्तर की ओर यह लवणता क्रमशः घटती जाती है। उत्तरी सागर में उत्तरी अटलांटिक प्रवाह द्वारा लाये गये अधिक लवणीय जल के कारण उच्च लवणता मिलती है। बाल्टिक सागर में नदियों का पानी मिलते रहने के कारण कम लवणता पाई जाती है। भूमध्य सागर की उच्च लवणता उच्च वाष्पीकरण के कारण तथा काले सागर की कम लवणता नदियों द्वारा इस सागर में डाले जाने वाले पर्याप्त स्वच्छ जल के कारण होती है।
हिन्द महासागर की औसत लवणता 35% है। बंगाल की खाड़ी में कम लवणता यहाँ गंगा नदी के जल के मिलने के कारण है। दूसरी ओर अरब सागर में स्वच्छ जल की कम प्राप्ति तथा उच्च वाष्पीकरण होने के कारण लवणता अपेक्षाकृत अधिक रहती है। लवणता का ऊर्ध्वाधर वितरण गहराई के साथ लवणता के वितरण में कोई निश्चित प्रवृत्ति देखने को नहीं मिलती, लेकिन सामान्यतः यह माना जाता है कि लवणता गहराई के साथ बढ़ती है। कम लवणता वाला जल उच्च लवणता व घनत्व वाले जल के ऊपर स्थित होता है। सागरीय जल के अन्दर एक ऐसा स्पष्ट क्षेत्र मिलता है जहाँ लवणता तीव्रता से बढ़ती है, इस क्षेत्र को हैलोक्लाईन कहा जाता है। सागरीय सतह की लवणता जल के बर्फ या वाष्प के रूप में बदल जाने के कारण बढ़ जाती है अथवा नदियों द्वारा डाले गये ताजे जल के मिल जाने से घट जाती है।
प्रश्न 5.
हिन्द महासागर में लवणता की भिन्नता को समझाइए।
उत्तर:
सागरीय जल में घुले हुए पदार्थों के भार के अनुपात को सागरीय लवणता कहा जाता है। इसे प्रायः प्रति 1000 भाग (%. या PPT) के रूप में व्यक्त किया जाता है। हिन्द महासागर में औसत लवणता 35% है। हिन्द महासागर में लवणता समस्त स्थानों पर एक समान नहीं पायी जाती, जिन क्षेत्रों में नदियों का जल सागर में मिलता है, वहाँ लवणता प्रायः औसत से कम देखने को मिलती है। बंगाल की खाड़ी में लवणता अरब सागर की तुलना में कम मिलती है क्योंकि यहाँ गंगा नदी का जल सागरीय खारे जल में मिलकर उसमें लवणता की मात्रा को कम कर देता है। अरब सागर में लवणता अधिक मिलने के कारणों में शुष्क मौसम, वाष्पीकरण की अधिकता एवं किसी नदी का सागर में न मिलना है। इसी प्रकार की स्थिति दक्षिणी हिंद महासागर में देखने को मिलती है जहाँ ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर अधिक लवणता पायी जाती है। हिंद महासागर के कुछ बंद सागरों में ये फारस की खाड़ी के अग्रभाग में 37% तथा आन्तरिक भाग में 40%o, लाल सागर में 36% से 41% तक लवणता पायी जाती है। इन सागरों में उच्च लवणता का कारण वाष्पीकरण की दर का उच्च होना है। इस प्रकार हिंद महासागर में लवणता का औसत एक जैसा नहीं है। इसका प्रमुख कारण हिंद महासागर का तीन ओर से स्थलबद्ध होना तथा तापमान की भिन्नता का होना है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्न सागरीय गौं में से कौन सा हिन्द महासागर में स्थित है?
(क) टोंगा गर्त
(ख) मेरियाना गर्त
(ग) नरेश गर्त
(घ) सुण्डा गर्त।
उत्तर:
(घ) सुण्डा गर्त।
प्रश्न 2.
निम्नांकित में से किसने प्रवाल भित्ति की उत्पत्ति से सम्बन्धित हिमानी नियन्त्रण सिद्धान्त का प्रतिपादन किया?
(क) मरे
(ख) डेली'
(ग) डार्विल
(घ) डेविस।
उत्तर:
(ख) डेली'
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किस सागर/झील में सर्वाधिक लवणता है?
(क) लाल सागर
(ख) मृत सागर
(ग) ग्रेट सॉल्ट लेक
(घ) वान झील।
उत्तर:
(घ) वान झील।
प्रश्न 4.
दक्षिण सैंडविच खाई अवस्थित है?
(क) उत्तरी प्रशान्त महासागर में
(ख) दक्षिणी प्रशान्त महासागर में
(ग) हिन्दी महासागर में
(घ) अटलांटिक महासागर में।
उत्तर:
(घ) अटलांटिक महासागर में।
प्रश्न 5.
प्रवाल भित्ति से सम्बन्धित निम्नजन सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया था?
(क) डेविस
(ख) डार्विन
(ग) डेली
(घ) डाना।
उत्तर:
(ख) डार्विन
प्रश्न 6.
सूची-I (महासागर खाई) तथा सूची-II (मीटर में गहराई) का सुमेलन कीजिए तथा नीचे दी गई सांकेतिक संज्ञा का उपयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए।
सूची-I (महासागर खाई) |
सूची- II (मीटर में गहराई) |
(a) टोगा |
(i) 7760 |
(b) कमचटका |
(ii) 10540 |
(c) फिलीपीन्स |
(iii) 10880 |
(d) रोमानचे |
(iv) 10500 |
कूट :
|
(a) |
(b) |
(c) |
(d) |
(क) |
(i) |
(ii) |
(iii) |
(iv) |
(ख) |
(iii) |
(iv) |
(ii) |
(i) |
(ग) |
(iv) |
(iii) |
(i) |
(i) |
(घ) |
(ii) |
(i) |
(iv) |
(iii) |
उत्तर:
(ख),(iii),(iv),(ii),(i)
प्रश्न 7.
भूमि से समुद्र तक वेलांचल में निम्न अनुक्रमों में से कौन-सा सही है?
(क) पश्चतट, अग्रतट, निकटतट, अपतट
(ख) अग्रतट, पश्चतट, निकटतट, अपतट
(ग) अपतट, निकटतट, अग्रतट, पश्चतट
(घ) निकटतट, अपतट, पश्चतट, अग्रतट।
उत्तर:
(क) पश्चतट, अग्रतट, निकटतट, अपतट
प्रश्न 8.
समुद्रीय जल लवणता में विश्वव्यापी भिन्नता का सही औसत परिसर या रेंज निम्न में से कितना है?
(क) 34%o-37%
(ख) 27%o-29%
(ग) 37%c-39%o
(घ) 21%c-26%
उत्तर:
(क) 34%o-37%
प्रश्न 9.
निम्न में से किस क्षेत्र में समुद्री जल की लवणता अधिक है?
(क) विषुवत रेखीय
(ख) ध्रुवीय
(ग) उपोष्ण
(घ) अधोध्रुवीय।
उत्तर:
(ग) उपोष्ण
प्रश्न 10.
निम्नलिखित महासागर जल लवणों को उनके अनुपात के अनुसार घटते क्रम में लिखिए।
(a) सल्फेट
(b) सोडियम
(c) क्लोरीन
(d) मैग्नेशियम
(क) (c), (d), (b) और (a)
(ख) (c). (a), (b) और (d)
(ग) (c), (d), (a) और (b)
(घ) (c), (b), (a) और (d)।
उत्तर:
(घ) (c), (b), (a) और (d)।
प्रश्न 11.
सागर जल में घुले नमकों में से किसकी मात्रा सर्वाधिक है?
(क) मैग्नीशियम
(ख) क्लोरीन
(ग) सोडियम
(घ) सल्फेट।
उत्तर:
(ख) क्लोरीन
प्रश्न 12.
निम्नलिखित सागरों में से किसमें लवणता सर्वाधिक है?
(क) कैस्पियन सागर
(ख) लाल सागर
(ग) अरब सागर
(घ) बाल्टिक सागर।
उत्तर:
(क) कैस्पियन सागर
प्रश्न 13.
जिस महासागरीय गहराई पर हैलोक्लाइनल स्थित रहती है?
(क) 1500-2000
(ख) 100-300
(ग) 300-1000
(घ) 1000-3000।
उत्तर:
(ग) 300-1000
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किस सागर में लवणता सबसे अधिक है?
(क) कैस्पियन सागर
(ख) भूमध्य सागर
(ग) लाल सागर
(घ) मृत सागर।
उत्तर:
(घ) मृत सागर।
प्रश्न 15.
सागरीय जल का उच्चतम संघटक कौन-सा है ?
(क) मैग्नेशियम क्लोराइड
(ख) कैल्शियम सल्फेट
(ग) सोडियम क्लोराइड
(घ) मैग्नीशियम सल्फेट।
उत्तर:
(ग) सोडियम क्लोराइड
प्रश्न 16.
महाद्वीप से जुड़ा हुआ एवं डूबा हुआ भू-भाग जो 600 फीट से अधिक गहरा नहीं होता, उसे कहते हैं
(क) गहरा सागरीय मैदान
(ख) महाद्वीपीय मग्न ढाल
(ग) महाद्वीपीय मग्न तट
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) महाद्वीपीय मग्न तट
प्रश्न 17.
हिन्द महासागर की तली पर निम्न में से जो सबसे लम्बी कटक है, वह है-
(क) कार्लबर्ग कटक
(ख) 90° पूर्व कटक
(ग) मध्य हिन्द महासागरीय कटक
(घ) दक्षिण-पश्चिमी हिन्द महासागरीय कटक।
उत्तर:
(ख) 90° पूर्व कटक
प्रश्न 18.
मध्य अटलांटिक कटक।
उत्तर:
अटलांटिक महासागर में विकसित लगभग 14 हजार किमी. लम्बी कटक जिसका विकास प्लेट के अपरदन के कारण हो रहा है।
प्रश्न 19.
महासागरीय लवणता को नियंत्रित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
महासागरीय जल की लवणता को नियंत्रित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं.
(i) वाष्पीकरण वाष्पीकरण एवं लवण की मात्रा में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है अर्थात् जितना वाष्पीकरण तीव्र एवं अधिक होता है, लवणता उतनी ही बढ़ती जाती है। वाष्पीकरण के साथ पवन में आर्द्रता की न्यूनता का होना आवश्यक होता है। जहाँ पर तापमान ऊँचा रहता है और वाष्पीकरण अधिक होता है वहाँ पर लवणता अधिक होती है। उदाहरण के रूप में कर्क एवं मकर रेखाओं के समीप।
(ii) वर्षा द्वारा जल की आपूर्ति स्वच्छ जल की अधिक मात्रा के कारण लवणता कम हो जाती है। जिन भागों में अत्यधिक वर्षा होती है वहाँ पर लवणता कम हो जाती है। भूमध्य रेखीय प्रदेशों में उच्च तापमान के होने के बावजूद घनघोर वर्षा के कारण लवणता कम पायी जाती है। जबकि अपवर्ती क्षेत्रों में न्यून वर्षा होते हुए भी उच्च तापमान के कारण अधिक लवणता पायी जाती है।
ध्रुवीय एवं उपध्रुवीय क्षेत्रों में अत्यधिक हिमवर्षा के कारण निर्मित हिमखण्ड सागरों में हिम पहुँचाते रहते हैं जो कि शीतोष्ण प्रदेशों में पहुँचने पर पिघलकर सागरों की लवणता को कम कर देते हैं।
(iii) प्राकृतिक पवनें-उष्ण व शुष्क क्षेत्रों में महासागरों की ओर चलने वाली एवं तीव्रगामी पवनों से वाष्पीकरण अधिक होता है। अतः महासागरों के ऐसे क्षेत्रों में लवणता अधिक पायी जाती है। इसके विपरीत शीतल आर्द्र प्रदेशों में तथा मंदगामी पवनों से वाष्पीकरण कम होता है।
(iv) नदी के जल का आगमन–नदियों में स्वच्छ जल की मात्रा इतनी अधिक होती है कि उनके मुहाने के पास लवणता में कमी आ जाती है। उदाहरण के लिए; गंगा, जायरे, अमेजन आदि नदियों के मुहाने वाले भागों में कम लवणता पायी जाती है।
(v) महासागरीय धाराएँ -कम लवणता वाले क्षेत्रों से बहने वाली धाराएँ अपने साथ न्यून लवणतायुक्त जल लाती हैं और अपने प्रवाह मार्ग पर लवणता की मात्रा को कम करती हैं। इसके विपरीत अधिक लवणता वाले महासागरीय क्षेत्रों में चलने वाली धाराओं के मार्ग में लवणता अधिक रहती है।
(vi) महासागरीय जल का संचरण-खुले महासागरों में लवणता का वितरण महासागरीय जल के संचरण से सामान्य होता रहता है जबकि बंद महासागरों में लवणता अधिक मिलती है।
प्रश्न 20.
अन्तःसागरीय कंदराएँ।
उत्तर:
महासागरों में महाद्वीपीय मग्न तट एवं मग्न ढाल पर स्थित सँकरी गहरी घाटियों को अंत:सागरीय धाराएँ या जलमग्न कैनियन कहते हैं।
प्रश्न 21.
गुयॉट।
उत्तर:
महासागरों में स्थित चपटे शिखर वाले समुद्री टीले, गुयॉट या निमग्न द्वीप कहलाते हैं। प्रशान्त महासागर में 10,000 से अधिक गुयॉट स्थित हैं।
प्रश्न 22.
जलीय चक्र।
उत्तर:
जलीय परिसंचरण द्वारा निर्मित एक चक्र जिसके अन्तर्गत महासागरों, वायुमंडल एवं स्थलमण्डल में जल का परस्पर एवं सतत् आदान-प्रदान होता है, जलीय चक्र कहलाता है।
प्रश्न 23.
महासागर के फर्श एवं पहाड़ की शिखर के मध्य में पाए जाने वाली मुख्य भू-आकृतियों को रेखाचित्रों द्वारा दर्शाइए।
महासागरीय जल 4295)
उत्तर:
प्रश्न 24.
अगाध सागरीय मैदान।
उत्तर:
3000 से 6000 मीटर की गहराई पर सागर तली में पाये जाने वाले मंद ढाल वाले विस्तृत मैदानों को अगाध या गम्भीर सागरीय मैदान कहते हैं। ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों; जैसे-मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।
प्रश्न 25.
हिन्द महासागर में लवणता प्रतिरूप।
उत्तर:
लवणता सागरीय संसाधनों का एक प्रमुख घटक है। सागरीय जल के भार एवं उसमें घुले पदार्थों के भार के अनुसार को सागरीय लवणता कहते हैं। एक किलोग्राम सागरीय जल में घुले हुए ठोस पदार्थों की कुल मात्रा को भी लवणता कहते हैं। सामान्य रूप से सागरीय लवणता को प्रति हजार ग्राम जल में स्थित लवण की मात्रा (%) के रूप में दर्शाया जाता है, जैसे-30% अर्थात् 1000 ग्राम सागरीय जल में 30 ग्राम लवण की मात्रा है, इसे प्रतिशत नहीं समझना चाहिए बल्कि यह मात्रा होती है। महासागर की औसत सागरीय लवणता 365% है।
हिन्द महासागर में सागरीय लवणता 34.8% है। हिंद महासागर में लवणता का अध्ययन क्षैतिज एवं लम्बवत् दो प्रकार से किया जाता है। हिंद महासागर में लवणता का क्षैतिज वितरण क्षैतिज वितरण में अक्षांश के आधार पर लवणता का अध्ययन किया जाता है। हिन्द महासागर में सर्वाधिक लवणता लाल सागर व फारस की घाटी में पाई जाती है। लाल सागर एवं फारस की घाटी हिंद महासागर की आंशिक बंदरगाह हैं। फारस की खाड़ी के अग्र भाग में लवणता 37% तथा आंतरिक भाग में 40% तक पाई जाती है। इसी तरह लाल सागर में लवणता 36% से 41% तक पाई जाती है।
हिन्द महासागर में लाल सागर एवं फारस की घाटी में सर्वाधिक लवणता का प्रमुख कारण उच्च वाष्पीकरण शुष्क जलवायु का प्रभाव एवं निम्न वर्षा का क्षेत्र होना है। ये सभी कारण लाल सागर एवं फारस की खाड़ी को हिन्द महासागर में सर्वाधिक लवणता का क्षेत्र बनाने में उत्तरदायी थे। दक्षिणी हिन्द महासागर में सर्वाधिक लवणता ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट के पास पायी जाती है। यहाँ लवणता की मात्रा 36 से 38% तक है। भूमध्य रेखा के पास लवणता की मात्रा 35-41% तक पाई जाती है, जबकि बंगाल की खाड़ी में यह घटकर 30% तक हो जाती है।
बंगाल की खाड़ी में निम्न लवणता का प्रमुख कारण वर्षा द्वारा जल की आपूर्ति एवं नदी जल का आगमन है। अरब सागर में लवणता का अधिक वाष्पीकरण एवं शुष्क मौसम का प्रभाव है। हिंद महासागर में लम्बवत् वितरण लम्बवत् वितरण गहराई के आधार पर किया जाता है। लम्बवत् वितरण के सन्दर्भ में हिंद महासागर में लवणता की मात्रा गहराई के साथ घटती जाती है। सामान्यतः महासागरों में जल की ऊपरी सतह पर सर्वाधिक लवणता पाई जाती है और जैसे-जैसे गहराई में जाते हैं लवणता की मात्रा कम होती है। हिंद महासागर में भी यही प्रतिमान देखने को मिलता है।
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