RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  Important Questions and Answers. 

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन 

बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण को प्रथम बार कब प्रस्तुत किया? 
(क) 1916 में . 
(ख) 1918 में
(ग) 1920 में 
(घ) 1923 में। 
उत्तर:
(ख) 1918 में

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  

प्रश्न 2. 
निम्न में से कौन-सा 'A' उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु का प्रकार है
(क) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु
(ख) आई महाद्वीपीय जलवायु 
(ग) टुण्ड्रा जलवायु
(घ) उष्ण कटिबंधीय मानसून जलवायु। 
उत्तर:
(घ) उष्ण कटिबंधीय मानसून जलवायु। 

प्रश्न 3.
कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण में मानसूनी जलवायु को किस संकेत के माध्यम से प्रस्तुत किया
(क) Aw
(ख) Am 
(ग) Af
(घ) Cw. 
उत्तर:
(ख) Am 

प्रश्न 4. 
उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी जलवायु हेतु कोपेन ने किन अक्षरों का प्रयोग किया है? 
(क) Am
(ख) Aw 
(ग) BSh
(घ) Bwh. 
उत्तर:
(ग) BSh

प्रश्न 5. 
वायुमण्डल में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों में सबसे अधिक सान्द्रण किस गैस का है ? 
(क) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन 
(ख) मीथेन
(ग) नाइट्रस ऑक्साइड 
(घ) कार्बन डाईऑक्साइड।
उत्तर:
(घ) कार्बन डाईऑक्साइड।

प्रश्न 6.
हरित-गृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी नहीं है ? 
(क) कार्बन डाई-ऑक्साइड 
(ख) मीथेन
(ग) नाइट्रस ऑक्साइड 
(घ) ऑक्सीजन। 
उत्तर:
(घ) ऑक्सीजन। 

प्रश्न 7. 
ओजोन का सबसे अधिक ह्रास हुआ है ? 
(क) अंटार्कटिका के ऊपर
(ख) साइबेरिया के ऊपर 
(ग) ग्रीनलैण्ड के ऊपर
(घ) ब्रिटिश द्वीप समूह के ऊपर। 
उत्तर:
(क) अंटार्कटिका के ऊपर

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए

1. स्तम्भ अ (जलवायु का प्रकार)

स्तम्भ ब (संकेताक्षर)

(i) मध्य अक्षांशीय जलवायु

(अ) Af

(ii) शुष्क जलवायु

(ब) Cs

(iii) उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु

(स) ET

(iv) भूमध्य सागरीय जलवायु

(द) C

(v) उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु

(य) EF

(vi) टुण्ड्रा जलवायु

(र) B

(vii) सतत् हिमाच्छादित जलवायु

(ल) Bwh

उत्तर:

1. स्तम्भ अ (जलवायु का प्रकार)

स्तम्भ ब (संकेताक्षर)

(i) मध्य अक्षांशीय जलवायु

(द) C

(ii) शुष्क जलवायु

(र) B

(iii) उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु

(अ) Af

(iv) भूमध्य सागरीय जलवायु

(ब) Cs

(v) उपोष्ण कटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु

(ल) Bwh

(vi) टुण्ड्रा जलवायु

(स) ET

(vii) सतत् हिमाच्छादित जलवायु

(य) EF


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रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. कोपेन ने जलवायु वर्गीकरण को...........भागों में बाँटा है। 
  2. उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु कर्क रेखा व...........के बीच मिलती है। 
  3. भारत के उत्तरी मैदान में...............प्रकार की जलवायु मिलती है। 
  4. ................सर्दियाँ इस जलवायु की विशेषता हैं। 
  5. ................. के बाद तापमान में वृद्धि की दर घटी है। 

उत्तर:

  1. पाँच 
  2. मकर रेखा 
  3. Cwa 
  4. वर्षायुक्त 
  5. 1940। 

सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न 

निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए

  1. कोपेन ने जलवायु वर्गीकरण में आनुभविक पद्धति का प्रयोग किया था।
  2. मध्य अक्षांशीय स्टेपी को BSk कहा जाता है।
  3. भूमध्य सागरीय जलवायु में वर्षा ग्रीष्मकाल में होती है।
  4. क्लोरो-फ्लोरोकार्बन प्राकृतिक गतिविधियों से पैदा होती है।
  5. 1998 का वर्ष 20वीं शताब्दी का सबसे गर्म वर्ष. था।

उत्तर:

  1. सत्य 
  2. सत्य 
  3. असत्य 
  4. असत्य 
  5. सत्य।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
जलवायु का वर्गीकरण किन-किन उपागमों द्वारा किया गया है ? 
उत्तर:

  1. आनुभविक 
  2. जननिक 
  3. अनुप्रयुक्त।

प्रश्न 2. 
जलवायु का आनुभविक वर्गीकरण क्या है ?
उत्तर:
प्रेक्षित किए गए विशेष रूप से तापमान एवं वर्षण से सम्बन्धित आँकड़ों पर आधारित वर्गीकरण जलवायु का आनुभविक वर्गीकरण कहलाता है।

प्रश्न 3. 
जलवायु का जननिक वर्गीकरण क्या है ?
उत्तर:
जलवायु को उनके कारणों के आधार पर संगठित करने का प्रयास जलवायु का जननिक वर्गीकरण कहलाता है।

प्रश्न 4. 
जलवायु का अनुप्रयुक्त वर्गीकरण क्यों किया जाता है ? 
उत्तर:
जलवायु का अनुप्रयुक्त वर्गीकरण किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है। प्रश्न 5. वी. कोपेन ने जलवायु के वर्गीकरण में कौन-सी पद्धति का उपयोग किया ? उत्तर-आनुभविक पद्धति का।। 

प्रश्न 6. 
कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण में किन दो तत्वों को आधार माना ? उत्तर-तापमान एवं वर्षा। 

प्रश्न 7. 
कोपेन ने सम्पूर्ण विश्व को कितने जलवायु समूहों में विभाजित किया ? 
उत्तर:
कोपेन ने सम्पूर्ण विश्व में जलवायु समूहों को पाँच समूहों में विभाजित किया। 

प्रश्न 8. 
कोपेन ने आर्द्र जलवायु को कौन-कौन से संकेताक्षरों से प्रस्तुत किया है ? 
उत्तर;
A C D एवंE.

प्रश्न 9. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु कहाँ पायी जाती है ? 
उत्तर:
कर्क और मकर रेखाओं के बीच। 

प्रश्न 10. 
उष्ण कटिबन्धीय जलवायु समूह के प्रकारों को बताइए।
उत्तर:

  1. Af उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु। 
  2. Am उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु। 
  3. Aw उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु।

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प्रश्न 11. 
उष्ण कटिबन्धीय जलवायु उष्ण एवं आर्द्र क्यों रहती है ?
उत्तर:
कर्क एवं मकर रेखाओं के मध्य सम्पूर्ण वर्ष सूर्य की ऊर्ध्वस्थ स्थिति एवं अन्तर उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र की उपस्थिति के कारण उष्ण कटिबन्धीय जलवायु उष्ण व आर्द्र रहती है।

प्रश्न 12. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु के प्रमुख क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु दक्षिण अमेरिका का अमेजन बेसिन पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया के द्वीपों पर पायी जाती है।

प्रश्न 13. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु की कोई एक विशेषता बताइए। 
उत्तर:
वर्ष के प्रत्येक दिन दोपहर के पश्चात् गरज एवं बौछार के साथ प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। 

प्रश्न 14. 
उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु कहाँ-कहाँ पायी जाती है ?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु भारतीय उपमहाद्वीप दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग एवं उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती है।

प्रश्न 15. 
उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु में अधिकांशतः गर्मियों में भारी वर्षा होती है। इसमें शीत ऋतु शुष्क होती है।

प्रश्न 16. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु किन-किन क्षेत्रों में पायी जाती है ?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw जलवायु) दक्षिण अमेरिका में स्थित ब्राजील के वनों के उत्तर और दक्षिण में बेल्जियम व पैरागुए के निकटवर्ती भागों तथा सूडान व मध्य अफ्रीका के दक्षिण में पायी जाती है।

प्रश्न 17. 
शुष्क जलवायु की प्रमुख विशेषता क्या है ? 
उत्तर:
शुष्क जलवायु में न्यून वर्षा होती है।

प्रश्न 18. 
शुष्क जलवायु का विस्तार कहाँ मिलता है? 
उत्तर:
विषुवत रेखा से 15°-60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच। 

प्रश्न 19.
शुष्क जलवायु 'B' समूह के प्रमुख प्रकार बताइए।
उत्तर:

  1. उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी (BSh), 
  2. उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थल (BWh), 
  3. मध्य अक्षांशीय स्टेपी (BSk), 
  4. मध्य अक्षांशीय मरुस्थल (BWk)।

प्रश्न 20. 
उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी जलवायु का एक लक्षण बताइए। 
उत्तर:
निम्न अक्षांशीय अर्द्धशुष्क एवं शुष्क। 

प्रश्न 21. 
विश्व में उच्चतम तापमान कब व कहाँ दर्ज किया गया था ? 
उत्तर:
लीबिया के अल-अजीजिया में 13 सितम्बर 1922 को उच्चतम तापमान 58° सेल्सियस दर्ज किया गया।

प्रश्न 22. 
कोष्ण शीतोष्ण जलवायु की प्रमुख विशेषता क्या है ? 
उत्तर:
ग्रीष्मऋतु का कोष्ण एवं शीतऋतु का मृदुल होना। 

प्रश्न 23. 
कोष्ण शीतोष्ण जलवायु को किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय (CWa), भूमध्यसागरीय (Cs) आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय शुष्क ऋतु विहीन (Cfa) समुद्री पश्चिमी तटीय जलवायु (Cfb) आदि।

प्रश्न 24. 
भूमध्य सागरीय जलवायु कहाँ-कहाँ मिलती है? 
उत्तर:
मध्य कैलीफोर्निया मध्य चिली आस्ट्रेलिया के दक्षिणी-पूर्वी व दक्षिणी-पश्चिमी तट पर। 

प्रश्न 25. 
आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु कहाँ मिलती है? उत्तर-उपोष्ण कटिबंधीय अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी भागों में। 

प्रश्न 26. 
समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु कहाँ मिलती है?
उत्तर;
उत्तरी-पश्चिमी यूरोप उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट उत्तरी कैलीफोर्निया दक्षिणी चिली दक्षिणी-पूर्वी आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैण्ड में।

प्रश्न 27. 
शीत हिम वन जलवायु कहाँ मिलती है? 
उत्तर:
उत्तरी गोलार्द्ध में 40°-70° अक्षांशों के बीच यूरोप एशिया व उत्तरी अमेरिका के महाद्वीपीय क्षेत्रों में। 

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प्रश्न 28.
शीत हिमवन जलवायु के प्रकार बताइए। 
उत्तर:

  1. आर्द्र जाड़ों से युक्त ठण्डी जलवायु (Df)
  2. शुष्क जाड़ों से युक्त ठण्डी जलवायु (Dw)। 

प्रश्न 29.
ध्रुवीय जलवायु कितने प्रकार की होती है ? नाम लिखिए। 
उत्तर:
ध्रुवीय जलवायु दो प्रकार की होती है-

  1. टुण्ड्रा (ET)
  2. हिमटोपी (EF)। 

प्रश्न 30. 
हिमटोप जलवायु कहाँ पायी जाती है ? उत्तर-ग्रीनलैण्ड व अंटार्कटिका के आन्तरिक भागों में। 

प्रश्न 31. 
'प्लेट्यू स्टेशन' कहाँ है ? 
उत्तर:
अंटार्कटिका में 79° दक्षिणी अक्षांश पर प्लेट्यू स्टेशन स्थित है। 

प्रश्न 32. 
'धूल का कटोरा' पृथ्वी के किस भाग को कहा जाता है ? 
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका के वृहत् मैदान के दक्षिण-पश्चिम भाग को 'धूल का कटोरा' कहा जाता है। 

प्रश्न 33. 
वायुमण्डल में किस ग्रीन हाउस गैस का सान्द्रण सर्वाधिक पाया जाता है ? 
उत्तर;
कार्बन डाईऑक्साइड का। 

प्रश्न 34. 
किन्हीं दो ग्रीन हाउस गैसों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. कार्बन डाईऑक्साइड (CO2), 
  2. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन्स (CFCs)। 

प्रश्न 35. 
ओजोन छिद्र क्या है ? 
उत्तर:
समताप मण्डल में ओजोन के सान्द्रण का ह्रास ओजोन छिद्र कहलाता है। 

प्रश्न 36. 
क्योटो प्रोटोकाल की उद्घोषण कब की गई ? 
उत्तर:
सन् 1977 में।

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न)

प्रश्न 1. 
जलवायु के जननिक एवं अनुप्रयुक्त वर्गीकरण में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
जलवायु का जननिक वर्गीकरण जलवायु को उनके कारणों के आधार पर संगठित करता है जबकि जलवायु का अनुप्रयुक्त वर्गीकरण किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2. 
जलवायु समूहों को तापक्रम व वर्षा की मौसमीय विशेषताओं के आधार पर उप प्रकारों के लिये कोपेन द्वारा प्रयुक्त छोटे अक्षरों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कोपेन द्वारा जलवायु वर्गीकरण में शुष्कता वाले मौसमों को छोटे अक्षरों f m w तथा s द्वारा व्यक्त किया गया। जिसमें 
f = शुष्क मौसम का न होना अथवा वर्षभर वर्षा
m = मानसूनी जलवायु 
w = शुष्क शीत ऋतु
S = शुष्क ग्रीष्म ऋतु। छोटे अक्षर a b c तथा d तापमान की भीषणता वाले भाग को प्रदर्शित करते हैं। 

प्रश्न 3. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु अथवा (Af) जलवायु के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु (Af)- भूमध्यरेखा के समीपवर्ती क्षेत्रों में मिलने वाली इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका का अमेजन बेसिन पश्चिमी भूमध्यरेखीय अफ्रीकन क्षेत्र तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया के द्वीप हैं। इस जलवायु प्रदेश में अधिकतम दैनिक तापमान वर्ष पर्यन्त लगभग 30° सेग्रे. तथा न्यूनतम तापमान लगभग 20° सेग्रे. रहता है। पूरे वर्ष प्राय: दोपहर के बाद गरज तथा बौछारों के साथ भारी वर्षा होती है। वार्षिक तापान्तर नगण्य रहता है। इस जलवायु में उष्ण कटिबन्धीय सदाहरित वन मिलते हैं।

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प्रश्न 4. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
अथवा 
Aw जलवायु के प्रमुख लक्षण बताइए। 
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw) की प्रमुख विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं

  1. उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु में आर्द्र ऋतु छोटी एवं शुष्क ऋतु लम्बी व भीषण होती है। 
  2. इस प्रकार की जलवायु में तापमान वर्षभर ऊँचा रहता है। 
  3. इस प्रकार की जलवायु में शुष्क ऋतु में दैनिक तापान्तर सर्वाधिक होते हैं। 
  4. इस प्रकार की जलवायु में पर्णपाती वन एवं वृक्षों से ढकी घास भूमियाँ पायी जाती हैं।

प्रश्न 5. 
शुष्क जलवायु के क्षेत्र एवं प्रकार बताइए।
उत्तर:
शुष्क जलवायु (B) पृथ्वी के एक विस्तृत भाग पर विषुवत वृत्त से 15° से 60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य पायी जाती है। इस जलवायु को चार भागों में विभाजित किया जाता है-

  1. उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी जलवायु (BSh) 
  2. उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थली जलवायु (BWh)
  3. मध्य अक्षांशीय स्टेपी जलवायु (BSk)
  4. मध्य अक्षांशीय मरुस्थल जलवायु (BWk)।

प्रश्न 6. 
कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय) जलवायु का विस्तार एवं प्रकार बताइए।
उत्तर:
कोष्ण शीतोष्ण जलवायु 30° से 50° अक्षांशों के मध्य मुख्यतः महाद्वीपों के पूर्वी एवं पश्चिमी सीमांतों में विस्तृत है। इस जलवायु को चार प्रकारों में बाँटा जा सकता है-

  1. आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cfa) 
  2. भूमध्य सागरीय जलवायु (Cs)
  3. समुद्र पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb)
  4. आर्द्र उपोष्ण शीत शुष्क जलवायु (Cwa) 

प्रश्न 7. 
आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय (Cwa) जलवायु का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cwa)- यह जलवायु कर्क रेखा तथा मकर रेखा से ध्रुवों की ओर प्रमुख रूप से भारत के उत्तरी मैदान तथा दक्षिण चीन के आन्तरिक मैदानों में मिलती है। यह जलवायु Aw जलवायु के समकक्ष होती है लेकिन Cwa जलवायु में अपवाद रूप में शीतकाल में तापमान गर्म रहते हैं।

प्रश्न 8. 
आर्द्र जाड़ों से युक्त ठण्डी जलवायु (Df) को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
यह जलवायु समुद्री पश्चिमी तटीय जलवायु तथा मध्य अक्षांशीय स्टेपी जलवायु से ध्रुवों की ओर मिलती है। शीतकाल ठण्डा तथा बर्फीला होता है। वार्षिक तापान्तर अधिक रहते हैं। ध्रुवों की ओर सर्दियाँ अधिक कठोर होती हैं। तुषार मुक्त ऋतु छोटी होती है। मौसमी परिवर्तन आकस्मिक तथा अल्पकालिक होते हैं।

प्रश्न 9.
शुष्क जाड़ों से युक्त ठण्डी जलवायु (Dw) का विवरण दीजिए।
उत्तर:
उत्तरी-पूर्वी एशिया में मिलने वाली इस जलवायु में जाड़ों में प्रतिचक्रवात का प्रभावी होना तथा ग्रीष्म ऋतु में उसका कमजोर पड़ जाना प्रमुख लक्षण है। इस कारण इस क्षेत्र में पवनों के प्रत्यावर्तन की मानसूनी हवाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ध्रुवों की ओर तापमानों की कमी रहती है। कुछ स्थानों पर सात महीने तक तापमान हिमांक बिन्दु से नीचे रहता है। वार्षिक वर्षा 12 से 15 सेमी. के मध्य होती है।

प्रश्न 10. 
टुण्ड्रा जलवायु (ET) का विवरण दीजिए।
उत्तर:
टुण्ड्रा प्रदेशों में मिलने वाली इस जलवायु में धरातल पर स्थायी रूप से हिम जमी रहती है। ग्रीष्म ऋतु में टुण्ड्रा प्रदेशों में दिन के प्रकाश की अवधि लम्बी होती है। लघुवर्धन काल तथा जलाक्रान्ति के कारण यहाँ काई लाइकेन तथा पुष्पी पादप जैसी छोटी वनस्पति का ही पोषण कर पाते हैं।

प्रश्न 11. 
हिमटोप जलवायु (EF) का विवरण दीजिए।
उत्तर:
यह जलवायु ग्रीनलैण्ड तथा अंटार्कटिका के आन्तरिक भागों में मिलती है। वर्षपर्यन्त तापमान हिमांक बिन्दु से नीचे रहता है। इस क्षेत्र में वर्षा थोड़ी मात्रा में तथा हिम के रूप में होती है जिससे धरातल पर स्थायी रूप से तुषार एवं हिम जमा रहती है।

प्रश्न 12. 
उच्च भूमि जलवायु (F) का विवरण दीजिए।
उत्तर:
यह जलवायु उच्चावच द्वारा नियन्त्रित होती है। पर्वतीय वातावरण में ऊँचाई के साथ जलवायु प्रदेशों के स्तरित ऊर्ध्वाधर कटिबन्ध मिलते हैं। उच्च भूमियों में वर्षण के प्रकारों व उनकी गहनता में भी स्थानिक अन्तर मिलते हैं।

प्रश्न 13. 
जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी कुछ उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:

  1. उच्च अक्षांशों में हिमानियों के आगे बढ़ने व पीछे हटने के शेष चिह्न देखने को मिलते हैं। 
  2. हिमानी निर्मित झीलों में अवसादों का जमाव उष्ण व शीत युगों की अवधियों को प्रदर्शित करता है। 
  3. वृक्षों के तनों में मिलने वाले वलय आई एवं शुष्क अवधियों को प्रदर्शित करते हैं। 
  4. ईसा से लगभग 8000 वर्ष पूर्व राजस्थान मरुस्थल की जलवायु आर्द्र व शीतल थी। 

प्रश्न 14. 
जलवायु परिवर्तन से क्या आशय है ?
उत्तर;
जब किसी स्थान की औसत मौसमी दशाओं में परिवर्तन आ जाता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जलवायु परिवर्तन में 30-35 वर्षों में या हजारों वर्षों में मिलने वाली जलवायु भिन्नताओं के अध्ययन से नहीं है वरन् जलवायु परिवर्तन में लाखों वर्षों से चले आ रहे भूगर्भिक समय मापकों में होने वाली जलवायु की भिन्नताओं का अध्ययन सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 15. 
जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन के लिये अनेक कारण उत्तरदायी हैं। इनमें से कुछ खगोलीय होते हैं तथा कुछ पार्थिव। जलवायु परिवर्तन के लिये प्रमुख रूप से चार कारण उल्लेखनीय हैं

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  1. सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या 
  2. मिलैंकोविच दोलन 
  3. ज्वालामुखी क्रिया 
  4. ग्रीन हाउस गैसों की बढ़ती सान्द्रता।

प्रश्न 16.
सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या जलवायु परिवर्तन के लिए किस प्रकार उत्तरदायी है ?
उत्तर:
सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या-सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं जो चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं। कुछ मौसम विज्ञानी यह मानते हैं कि सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठण्डा व आर्द्र हो जाता है तथा तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। दूसरी ओर सौर कलंकों की संख्या घटने पर मौसम उष्ण एवं शुष्क हो जाता है।

प्रश्न 17. 
मिलैंकोविच दोलन क्या है ?
उत्तर:
मिलैंकोविच दोलन वह खगोलीय सिद्धान्त है जिसके द्वारा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में हुए परिवर्तनों के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इन परिवर्तनों का सीधा प्रभाव धरातल पर प्राप्त होने वाले सूर्यातप पर पड़ता है जिसके कारण जलवायु में परिवर्तन अनुभव किये जाते हैं।

प्रश्न 18. 
ज्वालामुखी क्रिया किस प्रकार जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है ?
उत्तर:
ज्वालामुखी उद्भेदन वायुमण्डल में वृहद् स्तर पर ऐरोसोल छोड़ता है। यह ऐरोसोल लम्बे समय तक वायुमण्डल में विद्यमान रहते हैं तथा इससे धरातल पर कम सौर्यिक विकिरण पहुँच पाता है जो पृथ्वी के तापमान में कमी का कारण बनता है।

प्रश्न 19. 
ग्रीन हाउस गैसें किस प्रकार जलवायु में परिवर्तन उत्पन्न कर रही हैं ?
उत्तर:
मानव द्वारा वायुमण्डल में बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों को उत्सर्जित किया जा रहा है जिसके कारण वायुमण्डल में इन गैसों का सान्द्रण क्रमशः बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गैसों के बढ़ते सान्द्रण से भूमण्डलीय तापमान में धीमी गति से वृद्धि दर्ज की जा रही है।

प्रश्न 20. 
भूमण्डलीय ऊष्मन अथवा ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है ?
उत्तर:
धरातल पर वायुमण्डल की भूमिका 'हरित गृह प्रभाव' जैसी होती है। वायुमण्डल सूर्य से आने वाली लघु तरंगों को नीचे धरातल तक आने देता है किन्तु पार्थिव विकिरण से उत्पन्न दीर्घ तरंगों को ऊपर जाने से रोकता है जिससे धरातल पर तापमान निरन्तर बढ़ता जाता है। पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगें वायुमण्डल की कार्बन डाई-ऑक्साइड जलवाष्प मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नामक ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित हो जाती हैं और वह पुनः धरातल पर वापस आ जाती हैं जिससे धरातल निरन्तर गर्म बना रहता है। इसी को ग्लोबल वार्मिंग या भूमण्डलीय ऊष्मन कहते हैं।

प्रश्न 21.
हरित गृह प्रभाव से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वायुमण्डल में पाई जाने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस जलवाष्प मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि पृथ्वी पर हरित गृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी हैं। सूर्य से आने वाली लघु तरंगीय किरणों को तो ये गैसें पृथ्वी तक आने देती हैं किन्तु पृथ्वी से होने वाले दीर्घ तरंगीय विकिरण विशेषकर अवरक्त किरणों को परावर्तित कर पुनः पृथ्वी की ओर भेज देती हैं। परिणामस्वरूप धरातलीय सतह निरन्तर गर्म होती रहती है। इस प्रभाव को ही हरित गृह प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 22. 
हरित गृह प्रभाव किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हो सकता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर हरित गृह प्रभाव मुख्यतः हानिकारक प्रभाव दर्शाता है किन्तु यदि मानव के द्वारा धरातलीय सतह पर छोटे हरित गृह प्रारूप का निर्माण किया जाये तो वह निम्न बिन्दुओं के रूप में उपयोगी सिद्ध हो सकता है

  1. अत्यधिक ठण्डे क्षेत्रों में जहाँ प्रायः सूर्यातप की मात्रा कम मिलती है वहाँ हरित गृह प्रभाव का निर्माण करके फलों व सब्जी के पौधों को पैदा किया जा सकता है।
  2. हरित गृह का निर्माण कर ठण्डे क्षेत्रों में ताप को थोड़ा बढ़ाया जा सकता है। 
  3. हरित गृहों की मुख्य विशेषता इनके शीशे होते हैं जिससे होकर सूर्य प्रकाश अन्दर तो पहुँच जाता है किन्तु दीर्घ तरंगों के रूप में होने वाला विकिरण इन घरों से बाहर नहीं जा पाता है जिसके कारण ठण्डे क्षेत्रों में अनुकूल स्थिति निर्मित की जा सकती है।

प्रश्न 23. 
भूमण्डलीय ऊष्मन के दुष्प्रभाव बताइए।
उत्तर:
भूमण्डलीय ऊष्मन के एक बार प्रारम्भ होने के पश्चात् उसे उलटना कठिन होता है। भूमण्डलीय ऊष्मन जीवन पोषक तत्वों को बहुत अधिक प्रभावित करता है। जीव-जन्तुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। हिमटोपियों व हिमनदियों के पिघलने से सागरीय जलस्तर में वृद्धि होगी तथा समुद्र का ऊष्मीय विस्तार होगा। जिससे तटीय क्षेत्रों का एक बड़ा भाग एवं द्वीपीय भाग सागरीय जल में डूब सकते हैं। इसके अतिरिक्त द्रव्यमान के बढ़ने पर ऋतुचक्र परिवर्तन का प्रभाव कृषि पर भी पड़ेगा। कृषि प्रारूप बदल जाएगा। -

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2) प्रश्न)

प्रश्न 1. 
कोपेन के जलवायु के वर्गीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये। 
उत्तर:
कोपेन के जलवायु के वर्गीकरण के प्रमुख लक्षण-

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  

 

जलवायु के वर्ग

लक्षण

A

उष्ण-कटिबन्धीय, आर्द्र जलवायु

तापमान सभी महीनों में 18°C से सदैव ऊँचा रहता है।

B

शुष्क जलवायु

वर्षा की अपेक्षा वाष्पीकरण अधिक, जल का अभाव।

C

उष्ण-शीतोषण आर्द्र जलवायु

ग्रीष्म व शीत दोनों ऋतुएँ पाई जाती हैं। सबसे ठण्डे महीने का औसत तापमान 18°C से कम तथा 2°C से अंिक होता है।

D

शीत-शीतोष्ण जलवायु

कठोर शीत ऋतु, शरद काल में औसत तापमान 3°C से कम तथा ग्रीष्मकाल का औसत तापमान 10°C से अधिक रहता है।

E

ध्रुवीय जलवायु

ग्रीष्म ऋतु का अभाव, सबसे गर्न माह का औसत नापमान 10°C से कम रहता है।

F

उच्च भूमि

ऊँचाई के कारण शीत।

प्रश्न 2. 
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw)-Af जलवायु प्रदेश के उत्तरी एवं दक्षिणी भाग में यह जलवायु मिलती है। इस जलवायु प्रदेश की सीमा महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में शुष्क जलवायु के साथ तथा पूर्वी भागों में Cf तथा Cw प्रकार की जलवायु के साथ मिलती है। दक्षिणी-अमेरिका में स्थित ब्राजील के वनों के उत्तर और दक्षिण में स्थित बोलीविया तथा पैरागुए के समीपवर्ती भाग सूडान तथा मध्य अफ्रीका के दक्षिणी भाग इस जलवायु प्रदेश के प्रमुख क्षेत्र हैं। Af तथा Am जलवायु प्रदेशों की तुलना में इस जलवायु में वार्षिक वर्षा काफी कम तथा परिवर्तनशील होती है। शुष्क ऋतु कठोर तथा लम्बी होती है जबकि आर्द्र ऋतु छोटी होती है। तापमान वर्षपर्यन्त ऊँचे रहते हैं तथा शुष्क ऋतु में दैनिक तापान्तर सर्वाधिक मिलते हैं। इस जलवायु में पतझड़ी वन तथा वृक्षों से ढके घास क्षेत्र मिलते हैं।

प्रश्न 3. 
शुष्क जलवायु की दशाओं क्षेत्रों एवं प्रकारों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोपेन ने शुष्क जलवायु प्रदेश के लिए B संकेताक्षर का प्रयोग किया। अतिन्यून वर्षा इस जलवायु की प्रमुख विशेषता है। यह जलवायु भू-पृष्ठ के एक विशाल भाग पर पायी जाती है। इसका विस्तार विषुवत् रेखा से 150 से 60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य है। 15 से 30° अक्षांशों में यह जलवायु उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब क्षेत्रों में पायी जाती है। इन अक्षांशीय क्षेत्रों में तापमान का अवतलन एवं प्रतिलोमन वर्षा नहीं होने देता है। महाद्वीपों के पश्चिमी सीमांतों पर ठण्डी जलवायु से प्रभावित क्षेत्रों में विशेषकर दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर यह जलवायु भूमध्य रेखा की ओर अधिक विस्तृत मिलती है तथा इनका तटवर्ती क्षेत्रों में बहुत अधिक प्रभाव मिलता है। मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में 35° से 60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य यह जलवायु पर्वतों से घिरे आन्तरिक महाद्वीपीय क्षेत्रों में मिलती है।
शुष्क जलवायु के चार प्रकार हैं-

  1. उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी (BSh)
  2. उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थल (BWh)
  3. मध्य अक्षांशीय स्टेपी (BSk)
  4. मध्य अक्षांशीय मरुस्थल (BWk) जलवायु।

प्रश्न 4. 
आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय (Cfa) जलवायु के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cfa) उपोष्ण कटिबन्धीय अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी भागों पर मिलती है। इस प्रदेश में प्रभावी रहने वाली अस्थिर वायुराशियाँ वर्षपर्यन्त वर्षा करती हैं। यह जलवायु पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिणी तथा पूर्वी चीन दक्षिण जापान उत्तरी-पूर्वी अर्जेन्टाइना तटीय दक्षिणी अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर मिलती है। वर्षा का वार्षिक औसत 75 से 150 सेमी. के मध्य रहता है। ग्रीष्मकालीन अवधि में तड़ित झंझा तथा शीतकाल में वाताग्री वर्षा इस जलवायु की सामान्य विशेषताएँ हैं। ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान लगभग 27° सेग्रे. रहता है जबकि शीतऋतु में यह 5° से 12° सेग्रे. के मध्य रहता है। दैनिक तापान्तर बहुत कम रहते हैं।

प्रश्न 5. 
कोपेन द्वारा प्रस्तुत वर्गीकरण में भूमध्य सागरीय जलवायु को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूमध्य सागरीय जलवायु (Cs)- भूमध्य सागर के समीपवर्ती भागों तथा उपोष्ण कटिबन्ध में 30° से 40° अक्षांशों के मध्य महाद्वीपों के पश्चिमी तटों के साथ-साथ मिलती है। मध्य कैलीफोर्निया मध्य चिली आस्ट्रेलिया के दक्षिणी-पूर्वी तट तथा दक्षिणी-पश्चिमी तट इसी प्रकार के क्षेत्र हैं। इस जलवायु में सम्मिलित क्षेत्र ग्रीष्म ऋतु में उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब तथा शीत ऋतु में पछुआ पवनों के प्रभाव में आ जाते हैं। इस जलवायु में गर्मियाँ उष्ण तथा शुष्क रहती हैं जबकि शीतकाल मृदुल एवं वर्षा सहित होती है। ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान 25° सेग्रे. के आसपास तथा शीत ऋतु में तापमान 10° सेग्रे. से नीचा रहता है। वार्षिक वर्षा 35 से 90 सेमी. के मध्य रहती है।

प्रश्न 6. 
समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb) का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb) महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर भूमध्य सागरीय जलवायु क्षेत्रों से ध्रुवों की ओर मिलती है। इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्रों में उत्तरी-पश्चिमी यूरोप उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी तट उत्तरी कैलिफोर्निया दक्षिणी चिली दक्षिणी-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड आदि हैं। इस जलवायु में सागरीय प्रभाव के कारण तापमान सम रहता है। ग्रीष्मकालीन महीनों में औसत तापमान 15 से 20° सेन्टीग्रेड के मध्य तथा शी.कालीन महीनो में औसत तापमान 4° से 10° सेण्टीग्रेड के मध्य रहते हैं। दैनिक तथा वार्षिक तापमान कम रहते हैं वर्षपर्यन्त वर्षा होती है लेकिन शीतकाल में अधिक वर्षा होती है। वार्षिक वर्षा का औसत 50 सेमी. से 250 सेमी. के मध्य रहता है।

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प्रश्न 7. 
जलवायु परिवर्तन की क्रिया को स्पष्ट करने वाले साक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
धरातल पर सभी कालों में जलवायु परिवर्तन होते रहे हैं। जब आज समस्त विश्व में जलवायु का परिवर्तन एक चिन्ता का विषय बनता जा रहा है। भूगर्भिक अभिलेखों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हिमयुगों एवं अन्तर हिमयुगों में क्रमशः जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया दिखलायी देती है। भूआकृतिक लक्षण विशेषकर ऊँचाइयों तथा उच्च अक्षांशों में हिमानियों के आगे बढ़ने तथा पीछे हटने के चिह्न प्रदर्शित करते हैं। हिमानी द्वारा निर्मित झीलों से अवसादों का निक्षेपण उष्ण एवं शीत युगों के अस्तित्व को प्रमाणित करता है। पेड़-पौधों के तनों में जो वलय पाये जाते हैं वे आई एवं शुष्क युगों की उपस्थिति को प्रदर्शित करते हैं। ऐतिहासिक अभिलेखों के द्वारा भी जलवायु की अनिश्चितता उजागर की गई है। ये समस्त साक्ष्य स्पष्ट करते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक एवं सतत प्रक्रिया है।

प्रश्न 8. 
भूमण्डलीय ऊष्मन पर रोक लगाना आज समस्त विश्व के देशों के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
धरातल पर वायुमण्डल की भूमिका 'हरित गृह प्रभाव' जैसी होती है। वायुमण्डल सूर्य से आने वाली किरणों को (लघु तरंगों को) नीचे धरातल तक आने देता है किन्तु पार्थिव विकिरण से उत्पन्न दीर्घ तरंगों को ऊपर जाने से रोकता है जिससे धरातल पर तापमान निरन्तर बढ़ता जाता है। पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगें वायुमण्डल की कार्बन डाई-ऑक्साइड जलवाष्प मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नामक ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित हो जाती है और वह पुनः धरातल पर वापस आ जाती है जिससे धरातल निरन्तर गर्म बना रहता है। यही हरित-गृह प्रभाव या भूमण्डलीय ऊष्मन के नाम से जाना जाता है। वायुमण्डल में हरित गृह गैसों के सान्द्रण में वृद्धि की प्रवृत्ति भविष्य में पृथ्वी को गर्म कर सकती है। एक बार भूमण्डलीय ऊष्मन प्रारम्भ होने के बाद इसे परिवर्तित करना एक जटिल कार्य होगा।

भूमण्डलीय ऊष्मन का प्रभाव प्रत्येक स्थान पर एक जैसा नहीं हो सकता परन्तु फिर भी भूमण्डलीय ऊष्मन के दुष्प्रभाव जीवन पोषक तन्त्र को कुप्रभावित कर सकते हैं तथा पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो जायेंगी। हिमनदियों व हिमटोपियों के पिघलने के कारण ऊपर उठा समुद्री जल का स्तर और समुद्र का ऊष्मीय विस्तार तटीय क्षेत्र के विस्तृत भागों और द्वीपों को जल-मग्न कर सकता है। विश्व समुदाय के लिए यह एक गहन चिन्तन का विषय है। आज आवश्यकता इस बात की है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने एवं भूमण्डलीय ऊष्मन की प्रवृत्ति को रोका जाये। इस हेतु प्रयास भी प्रारम्भ हो चुके हैं। आशा है कि आगे आने वाली पीढ़ियाँ भी इसे रोकने हेतु सकारात्मक प्रयास करेंगी। अतः स्पष्ट है कि भूमण्डलीय ऊष्मन को रोकना आज विश्व के सभी देशों के लिए आवश्यक है। । 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
कोपेन द्वारा प्रस्तुत शुष्क जलवायु का विवरण दीजिए।
उत्तर:
शुष्क जलवायु (B)-कोपेन ने शुष्क जलवायु समूह के लिये B संकेताक्षर का प्रयोग किया। शुष्क जलवायु की सर्वप्रमुख विशेषता है-अति न्यून वर्षा। यह वर्षा किसी प्रकार की पादप वृद्धि के लिये पर्याप्त नहीं होती है। शुष्क जलवायु भूपटल के एक बड़े भाग पर मिलती है। यह विषुवत् रेखा से 15° से 60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच विस्तृत है। 150 से 30° अक्षांशों में यह जलवायु उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब क्षेत्र में पाई जाती है। इन अक्षांशीय क्षेत्रों में तापमान का अवतलन तथा प्रतिलोमन वर्षा नहीं होने देता है।

महाद्वीपों के पश्चिमी सीमान्तों पर ठण्डी धाराओं से प्रभावित क्षेत्रों (विशेष रूप से दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर) में यह जलवायु भूमध्य रेखा की ओर अधिक विस्तृत मिलती है तथा तटवर्ती क्षेत्रों में इसका प्रभाव मिलता है। मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में 350 से 60° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के मध्य यह जलवायु पर्वतों से घिरे आन्तरिक महाद्वीपीय क्षेत्रों में मिलती है। समूह A उष्ण कटिबन्धीय जलवायु-यह जलवायु कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य मिलती है। इस क्षेत्र की जलवायु उष्ण व आर्द्र होती है वार्षिक तापान्तर बहुत कम रहता है तथा वर्षा अधिक होती है। इस जलवायु समूह को तीन प्रकारों में विभक्त किया जाता है शुष्क जलवायु को कोपेन ने दो जलवायु प्रकारों में विभक्त किया

  1. BS स्टेपी या अर्द्ध-शुष्क जलवायु 
  2. BW मरुस्थलीय जलवायु।

बाद में उक्त दोनों जलवायु प्रकारों को निम्न चार उप-जलवायु प्रदेशों में विभक्त किया-

  1. BSh निम्न अक्षांशीय अर्द्ध-शुष्क एवं शुष्क या उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी। 
  2. BWh निम्न अक्षांशीय शुष्क अथवा उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थल जलवायु । 
  3. BSk मध्य अक्षांशीय अर्द्ध-शुष्क अथवा शुष्क। 
  4. BWk मध्य अक्षांशीय शुष्क। 

उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी (BSh) तथा उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थलीय (BWh) जलवायु-
उक्त दोनों जलवायु प्रकारों में वर्षण तथा तापमान के लक्षण एक समान होते हैं। आई एवं शुष्क जलवायु के संक्रमण क्षेत्र में अवस्थित होने के कारण BSh जलवायु (स्टेपी) में मरुस्थलीय जलवायु की तुलना में थोड़ी अधिक वर्षा होती है जो विरल घास क्षेत्रों के लिये पर्याप्त होती है। दोनों ही जलवायु प्रदेशों में वर्षा की परिवर्तनशीलता मिलती है लेकिन BWh की तुलना में BSh में वर्षा की यह परिवर्तनशीलता जीवन को प्रभावित करती है। कम वर्षा होने पर स्टेपी क्षेत्रों में अकाल पड़ जाते हैं। तटवर्ती मरुस्थलीय क्षेत्रों में कोहरा पड़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। ग्रीष्मकाल में अधिकतम तापमान बहुत ऊँचा होता है। लीबिया के अल-अजीजिया नामक स्थान पर 13 सितम्बर 1922 को विश्व का अधिकतम तापमान 58° सेंटीग्रेड दर्ज किया गया। इस जलवायु में वार्षिक तापान्तर के साथ दैनिक तापान्तर भी अधिक मिलते हैं।

प्रश्न 2. 
कोपेन के अनुसार जलवायु को वर्गीकृत कीजिए तथा उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
ब्लादिमीर कोपेन ने वर्षा एवं तापमान के वार्षिक मध्यमान एवं मासिक मध्यमान के आँकड़ों का उपयोग करते हुए सन् 1918 में विश्व जलवायु का एक आनुभविक वर्गीकरण प्रस्तुत किया जिसमें जलवायु के समूहों एवं प्रकारों की पहचान करने के लिये बड़े तथा छोटे अक्षरों का प्रयोग किया। कोपेन ने जलवायु प्रकारों को निम्नलिखित सारणी के माध्यम से प्रस्तुत किया-

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सारणी -

समूह

प्रकार

कूट अक्षर

लक्षण

A उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु

उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय मानसून उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क

Af

Am

Aw

कोई शुष्क ॠतु नहीं मानसून, लघु शुष्क ऋतु जाड़े की शुष्क ऋतु

B शुष्क जलवायु

उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थल, मध्य अक्षांशीय स्टेपी मध्य अक्षांशीय मरुस्थल

Bsh

Bwh

Bsk

Bwk

निम्न अक्षांशीय अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क निम्न अक्षाशीय शुष्क मध्य अभ्षांशीय अर्द्ध शुष्क अथवा शुष्क मध्य ₹क्षांशीय शुष्ट

C कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय जलवायु)

आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय भूमध्य सागरीय समुद्री पश्चिम तटीय

Cfa

Cs

Cbf

मध्य अक्षांशीच अंद्रद शुक ज जथवा शुष्क शुष्क गर्म गोषम कोई शुष्क ॠतुतु नही, कोष्ण तथा शीतल ग्रीज्म

D शीतल हिम-वन्न जलवायु

आर्द्र महाद्वीपीय उप-उत्तर ध्रुवीय

Df

Dw

कोई शुष्क ऋतु नहीं, भीछण ज़्द्र जाड़ा शुष्क तथा अत्यन्त भीषण

E शीत जलवायु

टुंड्रा ध्रुवीय हिमटोपी

ET

EF

सही अर्थों में कोई ग्रीष्ष नहीं सदैव हिमा कदित हिख

F उत्व भूमि

उच्च भूमि

H

हिमाच्छादित उज्व भूरियाँ

  1. Af उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु 
  2. Am उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु 
  3. Aw उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु-शुष्क शीत ऋतु सहित।

(1) उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु (Af)- भूमध्यरेखा के समीपवर्ती क्षेत्रों में मिलने वाली इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्र दक्षिणी अमेरिका का अमेजन बेसिन पश्चिमी भूमध्यरेखीय अफ्रीकन क्षेत्र तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया के द्वीप हैं। इस जलवायु प्रदेश में अधिकतम दैनिक तापमान वर्षपर्यन्त लगभग 30° सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान लगभग 20° से रहता है। पूरे वर्ष प्रायः दोपहर के बाद गरज तथा बौछारों के साथ भारी वर्षा होती है वार्षिक तापान्तर नगण्य रहता है। इस जलवायु में उष्ण कटिबन्धीय सदाहरित वन मिलते हैं।  

(2) उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु (Am)-यह जलवायु प्रमुख रूप से भारतीय उपमहाद्वीप दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी भाग तथा उत्तरी आस्ट्रेलिया में मिलती है। वर्ष की अधिकांश वर्षा ग्रीष्मकाल में होती है जबकि शीत ऋतु शुष्क होती है।

(3) उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw)-यह जलवायु Af जलवायु प्रदेश के उत्तरी एवं दक्षिणी भाग में मिलती है। यह जलवायु प्रदेश की सीमा महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में शुष्क जलवायु के साथ तथा पूर्वी भागों में C तथा Cw प्रकार की जलवायु के साथ मिलती है। दक्षिणी-अमेरिका में स्थित ब्राजील के वनों के उत्तर और दक्षिण में स्थित बोलीविया तथा पैरागुए के समीपवर्ती भाग सूडान तथा मध्य अफ्रीका के दक्षिणी भाग इस जलवायु प्रदेश के प्रमुख क्षेत्र हैं। Af तथा Am जलवायु प्रदेशों की तुलना में इस जलवायु में वार्षिक वर्षा काफी कम तथा परिवर्तनशील होती है। शुष्क ऋतु कठोर तथा लम्बी होती है जबकि आर्द्र ऋतु छोटी होती है। तापमान वर्षपर्यन्त ऊँचे रहते हैं तथा शुष्क ऋतु में दैनिक तापान्तर सर्वाधिक मिलते हैं। इस जलवायु में पतझड़ वाले वन तथा वृक्षों से ढके घास के क्षेत्र मिलते हैं।


प्रश्न 3. 
कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय) जलवायु का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मध्य अक्षांशीय जलवायु के लिये कोपेन ने C संकेताक्षर का प्रयोग किया। यह जलवायु 30° से 50° अक्षांशों के मध्य प्रमुख रूप से महाद्वीपों के पूर्वी तथा पश्चिमी सीमान्तों पर मिलती है। इस जलवायु में ग्रीष्म ऋतु कोष्ण तथा शीत ऋतु मृदुल होती है।
कोपेन ने इस जलवायु को निम्नलिखित चार प्रकारों में वर्गीकृत किया है

  1. आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cwa)
  2. भूमध्य सागरीय जलवायु (Cs)
  3. आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cfa)
  4. समुद्री पश्चिमी तटीय जलवायु (Cfb)।

(1) आई उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cwa)-यह जलवायु कर्क रेखा तथा मकर रेखा से ध्रुवों की ओर प्रमुख रूप से भारत के उत्तरी मैदान तथा दक्षिणी चीन के आन्तरिक मैदानों में मिलती है। यह जलवायु Aw जलवायु के समकक्ष होती है लेकिन Cwa जलवायु में अपवाद रूप में शीतकाल में तापमान गर्म रहते हैं।

(2) भूपध्य सागरीय जलवायु (Cs)- यह जलवायु भूमध्य सागर के समीपवर्ती भागों तथा उपोष्ण कटिबन्ध में 30° से 40° अक्षांशों के मध्य महाद्वीपों के पश्चिमी तटों के साथ-साथ मिलती है। मध्य कैलीफोर्निया मध्य चिली आस्ट्रेलिया के दक्षिणी-पूर्वी तट तथा दक्षिणी-पश्चिमी तट इसी प्रकार के क्षेत्र हैं। इस जलवायु में सम्मिलित क्षेत्र ग्रीष्म ऋतु में उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायुदाब तथा शीत ऋतु में पछुआ पवनों के प्रभाव में आ जाते हैं। इस जलवायु में गर्मियाँ उष्ण तथा शुष्क रहती हैं जबकि शीतकाल मृदुल एवं वर्षा सहित होती है। ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान 25° सेण्टीग्रेड के आसपास तथा शीत ऋतु में तापमान 10° सेंटीग्रेड से नीचे रहता है। वार्षिक वर्षा 35 से 90 सेमी. के मध्य होती है।

(3) आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cfa)-यह जलवायु उपोष्ण कटिबन्धीय अक्षांशों में महाद्वीपों के पूर्वी भागों पर मिलती है। इस प्रदेश में प्रभावी रहने वाली अस्थिर वायुराशियाँ वर्षपर्यन्त वर्षा करती हैं। यह जलवायु पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिणी तथा पूर्वी चीन दक्षिणी जापान उत्तरी-पूर्वी अर्जेन्टाइना तटीय दक्षिणी अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर मिलती है। वर्षा का वार्षिक औसत 75 से 150 सेमी. के मध्य रहता है। ग्रीष्मकालीन अवधि में तड़ित झंझा तथा शीतकाल में वाताग्री वर्षा इस जलवायु की सामान्य विशेषताएँ हैं। ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान लगभग 27° से. रहता है जबकि शीतऋतु में यह 50 से 12° से. के मध्य रहता है। दैनिक तापान्तर बहुत कम रहता है।

(4) समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb)- यह जलवायु महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर भूमध्य सागरीय जलवायु क्षेत्रों से ध्रुवों की ओर मिलती है। उत्तरी-पश्चिमी यूरोप उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी तट उत्तरी कैलिफोर्निया दक्षिणी चिली दक्षिण-पूर्वी आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड इस जलवायु के प्रमुख क्षेत्र हैं। इस जलवायु में सागरीय प्रभाव के कारण तापमान मृदुल रहते हैं। ग्रीष्मकालीन महीनों में औसत तापमान 15° से 20° सेण्टीग्रेड के मध्य तथा शीतकालीन महीनों में औसत तापमान 4° से 10° सेंटीग्रेड के मध्य रहता है। दैनिक तथा वार्षिक तापान्तर कम रहते हैं। वर्षपर्यन्त वर्षा होती है लेकिन शीतकाल में वर्षा की मात्रा अधिक रहती है। वार्षिक वर्षा का औसत 50 सेमी. से 250 सेमी. के मध्य रहता है।

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  

प्रश्न 4. 
जलवायु परिवर्तन से क्या आशय है ? जलवायु परिवर्तनों के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन से आशय-किसी स्थान की औसत मौसमी दशाओं को जलवायु कहते हैं। जब पृथ्वी पर जलवायु की इन औसत मौसमी दशाओं (तापमान वर्षा आर्द्रता दाब आदि) में परिवर्तन हो जाता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जलवायु परिवर्तन में 30-35 वर्षों में या हजारों वर्षों में मिलने वाली जलवायु भिन्नताओं के अध्ययन से नहीं है वरन् जलवायु परिवर्तन में लाखों वर्षों से चले आ रहे भू-गर्भिक समय मापकों में होने वाली जलवायु की भिन्नताओं का अध्ययन सम्मिलित किया जाता है। जलवायु परिवर्तन के कारण-जलवायु परिवर्तन के लिये अनेक कारण उत्तरदायी हैं। इनमें से कुछ खगोलीय होते हैं तथा कुछ पार्थिव। जलवायु परिवर्तन के लिये प्रमुख रूप से चार कारण उल्लेखनीय हैं

  1. सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या 
  2. मिलैंकोविच दोलन 
  3. ज्वालामुखी क्रिया 
  4. ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता सान्द्रण।

(1) सौर कलंकों की घटती-बढ़ती संख्या-सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं जो चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं। कुछ मौसम विज्ञानी यह मानते हैं कि सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठण्डा व आर्द्र हो जाता है तथा तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। दूसरी ओर सौर कलंकों की संख्या घटने पर मौसम उष्ण एवं शुष्क हो जाता है।

(2) मिलैंकोविच दोलन-यह एक खगोलीय सिद्धान्त है जिसके द्वारा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के अक्षीय झुकाव में हुए परिवर्तनों के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इन परिवर्तनों का सीधा प्रभाव धरातल पर प्राप्त होने वाले सूर्यातप पर पड़ता है जिसके कारण जलवायु में परिवर्तन अनुभव किये जाते हैं।

(3) ज्वालामुखी क्रिया-ज्वालामुखी उद्गार वायुमण्डल में वृहद् स्तर पर ऐरोसोल छोड़ता है। यह ऐरोसोल लम्बे समय तक वायुदाब में विद्यमान रहते हैं तथा इससे धरातल पर कम सौर्यिक विकिरण पहुँच पाता है जो पृथ्वी के तापमान में कमी का कारण बनता है।

(4) ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता सान्द्रण-मानव द्वारा वायुमण्डल में प्रचुर मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों को उत्सर्जित किया जा रहा है जिसके कारण वायुमण्डल में इन गैसों का सान्द्रण क्रमशः बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन गैसों के बढ़ते सान्द्रण से भूमण्डलीय तापमान में धीमी गति से वृद्धि दर्ज की जा रही है।

प्रश्न 5. 
भूमण्डलीय ऊष्मन क्या है ? भूमण्डलीय ऊष्मन के लिये उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालते हुए दुष्प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भूमण्डलीय ऊष्मन-धरातल पर वायुमण्डल की भूमिका 'हरित गृह प्रभाव' जैसी होती है। वायुमण्डल सूर्य से आने वाली लघु तरंगों को नीचे धरातल तक आने देता है किन्तु पार्थिव विकिरण से उत्पन्न तरंगों को ऊपर जाने से रोकता है जिससे धरातल पर तापमान निरन्तर बढ़ता जाता है। पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगें वायुमण्डल की कार्बन डाईऑक्साइड जलवाष्प मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नामक ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषित हो जाती हैं और वह पुनः धरातल पर वापस आ जाती हैं जिससे धरातल निरन्तर गर्म बना रहता है। इसी को हरित-गृह प्रभाव या भूमण्डलीय ऊष्मन कहते हैं। भूमण्डलीय ऊष्मन के लिये उत्तरदायी कारक- भूमण्डलीय ऊष्मन के लिये उत्तरदायी कारकों में वायुमण्डल में 'ग्रीन हाउस गैसों' का बढ़ता सान्द्रण सर्वप्रमुख है। 

वर्तमान समय में मानव द्वारा जिन ग्रीनहाउस गैसों को वायुमण्डल में छोड़ा जा रहा है उनमें कार्बन डाईऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन्स मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड तथा ओजोन उल्लेखनीय हैं। कुछ अन्य गैसें; जैसे-नाइट्रिक ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोक्साइड उक्त ग्रीन हाउस गैसों से प्रतिक्रिया करती हैं तथा वायुमण्डल में इनके सान्द्रण को बढ़ाती हैं। वायुमण्डल में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों में सर्वाधिक सान्द्रण कार्बन डाईऑक्साइड गैस का है। जीवाष्म ईंधन के जलाने से यह गैस वायुमण्डल में उत्सर्जित होती है। यद्यपि वन तथा महासागर बड़ी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड गैस के अवशोषक हैं लेकिन अवशोषण की दर से उत्सर्जन की दर अधिक होने के कारण वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा लगभग 0.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है। 

ओजोन परत समतापमण्डल में उपस्थित होती है तथा यह परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और वहाँ उपस्थित ऑक्सीजन को ओजोन में बदल देती है। समतापमण्डल में मौजूद ग्रीन हाउस गैसें ओजोन परत को नष्ट करती हैं जिससे ओजोन परत में कई स्थानों पर छेद हो गये हैं। भूमण्डलीय ऊष्मन के दुष्प्रभाव-भूमण्डलीय ऊष्मन एक बार प्रारम्भ होने के बाद इसे उलटना कठिन होता है। भूमण्डलीय ऊष्मन के प्रभाव जीवन पोषक तन्त्रों को कुप्रभावित कर सकते हैं। हिमटोपियों व हिमनदियों के पिघलने से सागरीय जलस्तर में बढ़ोत्तरी होगी तथा समुद्र का ऊष्मीय विस्तार होगा जिससे तटीय क्षेत्रों का एक बड़ा भाग तथा द्वीपीय भाग सागरीय जल में डूब सकते हैं। ऐसा होने पर मानवीय समाज को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तापमान में वृद्धि से पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। तापमान की वृद्धि से ऋतुचक्र में परिवर्तन होगा जिसका सर्वाधिक प्रभाव कृषि पर पड़ेगा। इससे कृषि का प्रारूप बदल जाएगा तथा कृषि प्रणालियाँ बदल जाएँगी।

प्रश्न 6. 
हरित गृह प्रभाव को स्पष्ट करते हुए इसमें मिलने वाली गैसों के संगठन व इसके दुष्परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल में विद्यमान कुछ गैसें सौर विकिरण (लघु तरंगों) के लिए तो पारगम्य होती हैं किन्तु पार्थिव विकिरण (दीर्घ तरंगों) के लिए अपारगम्य होती हैं जिसके कारण पार्थिव विकिरण का पश्च विकिरण होने से धरातलीय तापमान में वृद्धि होने लगती है। ऐसी गैसों (CO), NO CFC CHA) से उत्पन्न प्रभाव को हरित गृह प्रभाव कहते हैं। हरित गृह प्रभाव की स्थिति-अधिक ठण्डे प्रदेशों में जहाँ सूर्यातप का सर्दियों में अभाव रहता है। विशेषकर फलों व सब्जी के पौधों को पैदा करने के लिए हरित गृहों को प्रयोग किया जाता है। इन हरित गृहों के शीशे ऐसे होते हैं कि उनसे होकर सूर्य प्रकाश अन्दर तो पहुँच जाता है किन्तु दीर्घ तरंगों के रूप में पृथ्वी से होने वाला विकिरण इन घरों से बाहर नहीं जा पाता है। परिणामस्वरूप घरों के अन्दर तापमान बढ़ जाता है। 

पृथ्वी पर वायुमण्डल की स्थिति भी हरित गृहों के समान होती है। हरित गृह गैसें-जलवाष्प प्राकृतिक रूप से पृथ्वी को गर्म बनाए रखती है परन्तु मानवीय कारणों से कार्बन डाइ-ऑक्साइड मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि गैसें पृथ्वी पर हरित गृह प्रभाव उत्पन्न कर रही हैं। इन गैसों को 'हरित गृह गैसें' भी कहते हैं। हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों में कार्बन डाइ-ऑक्साइड प्रमुख है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा में निरन्तर वृद्धि हो रही है। हरित गृह गैसों का संगठन-हरित गृह प्रभाव की स्थिति में कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा 57 प्रतिशत मीथेन का योगदान 18 प्रतिशत नाइट्रस ऑक्साइड का प्रतिशत लगभग 6 और क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैसों का योगदान 17 प्रतिशत मिलता हरित गृह प्रभाव के दुष्परिणाम-हरित गृह प्रभाव धरातल पर ताप वृद्धि के द्वारा जैविक अजैविक सामाजिक सांस्कृतिक व आर्थिक दशाओं को प्रभावित करता है इसके द्वारा उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों को निम्नानुसार स्प्ष्ट किया गया है

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  

  1. तापमान में वृद्धि-पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि मानव जनित हरित गृह प्रभाव का एक प्रमुख दुष्परिणाम है। प्रकृति में हरित गृह गैसों का बढ़ना इसका प्रमुख कारण है। तापमान में वृद्धि के कारण पृथ्वी पर अनेक जलवायु परिवर्तन होंगे। मौसम में हो रही विसंगतियाँ इसी का परिणाम हैं।
  2. वर्षा में वृद्धि-पृथ्वी का तापमान बढ़ने से जलीय भागों से वाष्पीकरण अधिक होगा। परिणामस्वरूप वर्षा अधिक होगी।
  3. ध्रुवों की बर्फ का पिघलना-पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवों एवं पर्वत चोटियों की बर्फ पिघलने लगेगी।
  4. समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि-विश्व के औसत तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय तथा पर्वतीय क्षेत्रों की बर्फ पिघलने से समुद्रों का जलस्तर ऊपर उठेगा। परिणामस्वरूप अनेक समुद्र तटीय भाग जल में डूब जाएँगे।
  5. कृषि पर प्रभाव-वर्षा के प्रतिरूप में परिवर्तन होने से कृषि भी प्रभावित होगी।
  6. जीव-जन्तुओं एवं वनस्पतियों पर प्रभाव-जिन जीव-जन्तुओं की ताप सहन करने की क्षमता कम है वे नष्ट हो जाएँगे। समुद्री जलस्तर में वृद्धि होने से तटवर्ती भागों की वनस्पति जलमग्न हो जाएगी।


विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
शुष्क ग्रीष्मकाल एवं वर्षायुक्त शीतकाल विशेषता है
(क) मानसूनी जलवायु की
(ख) उष्णकटिबंधीय वर्षा वाली जलवायु की 
(ग) भूमध्य सागरीय जलवायु की
(घ) पश्चिमी यूरोप तुल्य जलवायु की
उत्तर:
(ग) भूमध्य सागरीय जलवायु की

प्रश्न 2. 
सूची-I तथा सूची-II का सुमेल कीजिए तथा नीचे दी गई सांकेतिक संज्ञा का उपयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए।

सूची-I (थार्नथ्वेट के तापमान प्रदेश)

सूची-II (टी. ई. सूचकांक मूल्य)

(A) मध्यतापीय

(i) 16-31

(B) सूक्ष्मतापीय

(ii) 1-15

(C) टैगा

(iii) 64-127

(D) टुण्ड्रा

(iv) 32-63

कूटः

 

(a)

(b)

(c)

(d)

(क)

(iv)

(iii)

(ii)

(i)

(ख)

(i)

(ii)

(iii)

(iv)

(ग)

(iii)

(iv)

(i)

(ii)

(घ)

(ii)

(i)

(iv)

(iii)

उत्तर:
(ग) (iii),(iv),(i),(ii)

प्रश्न 3. 
कोपेन के विश्व जलवायु वर्गीकरण में BWh के निम्न में से कौन से प्रकार की जलवायु उपयुक्त है?
(क) उपोष्ण मरुस्थल जलवायु
(ख) उपोष्ण स्टेपी जलवायु 
(ग) मध्य अक्षांश मरुस्थल जलवायु
(घ) मध्य अक्षांश स्टेपी जलवायु 
उत्तर:
(क) उपोष्ण मरुस्थल जलवायु

प्रश्न 4. 
विश्व में किस निम्नलिखित क्षेत्र में कोपेन द्वारा प्रस्तुत 'BWh' प्रकार की जलवायु पाई जाती है?
(क) गोबी मरुस्थल
(ख) टुण्ड्रा प्रदेश 
(ग) आल्पस पर्वत
(घ) अटाकामा मरुस्थल। 
उत्तर:
(घ) अटाकामा मरुस्थल। 

प्रश्न 5. 
जोधपुर के लिए बनाया गया क्लोइमोग्राफ निम्नलिखित में से किस प्रकार की जलवायु को प्रस्तुत करेगा?
(क) कीन
(ख) मगी 
(ग) स्कॉचिंग
(घ) रॉ 
उत्तर:
(ग) स्कॉचिंग

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  

प्रश्न 6. 
मौसम मानचित्र पर वर्षा के साथ हिमपात की स्थिति को किस चिह्न के द्वारा दर्शाते हैं?
RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन 1
उत्तर:
(क) *

प्रश्न 7. 
वायुमण्डल में कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ने का परिणाम है- 
(क) भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि
(ख) वायु प्रदूषण 
(ग) बाढ़ और सूखे का बढ़ना
(घ) अम्ल वर्षा। 
उत्तर:
(क) भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि

प्रश्न 8. 
निम्नलिखित में से कौन-सी प्राथमिक हरित गृह गैस वैश्विक ऊष्मन से सम्बन्धित नहीं है?
(क) जलवाष्प
(ख) कार्बन डाइ-आक्साइड 
(ग) मीथेन
(घ) हाइड्रोजन। 
उत्तर:
(घ) हाइड्रोजन। 

प्रश्न 9. 
कोपेन की स्कीम के अनुसार BWhw प्रकार की जलवायु कहाँ पायी जाती है? 
(क) जम्मू-कश्मीर
(ख) राजस्थान 
(ग) गुजरात
(घ) ओडिशा। 
उत्तर:
(ख) राजस्थान 

प्रश्न 10. 
भूमध्य सागरीय जलवायु की विशेषता क्या है?
(क) शुष्क ग्रीष्म एवं आर्द्र शीतकाल
(ख) आर्द्र ग्रीष्म एवं शुष्क शीतकाल 
(ग) शुष्क ग्रीष्म एवं शुष्क शीतकाल
(घ) आर्द्र ग्रीष्म एवं कोई शीतकाल नहीं। 
उत्तर:
(क) शुष्क ग्रीष्म एवं आर्द्र शीतकाल

प्रश्न 11. 
निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
1. Cwa एवं गर्म ग्रीष्म काल शुष्क शीतकाल
2. Cwb एवं गर्म शुष्क ग्रीष्मकाल 
3. Csb एवं कोष्ण शुष्क ग्रीष्म काल
4. Cfb एवं कोष्ण ग्रीष्म काल। सही उत्तर का चुनाव कीजिए- । 
(क) 1 2 3 व 4
(ख) 1 3 व 4 
(ग) 1 व 4 
(घ) 1 व 2 । 
उत्तर:
(ख) 1 3 व 4 

प्रश्न 12. 
निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रदेश भूमध्यसागरीय जलवायु में सम्मिलित नहीं है-  
(क) कैलीफोर्निया
(ख) मध्य चिली 
(ग) दक्षिणी दक्षिण अफ्रीका
(घ) दक्षिण कोरिया। 
उत्तर:
(घ) दक्षिण कोरिया। 

प्रश्न 13. 
इनमें से कौन-सा प्रदूषण का स्रोत नहीं है
(क) कार्बन मोनो ऑक्साइड
(ख) वाहित मल 
(ग) औद्योगिक बहिाव
(घ) सूर्य का प्रकाश। 
उत्तर:
(घ) सूर्य का प्रकाश। 

प्रश्न 14.
भारत में कोपेन का 'Amw' जलवायु प्रकार पाया जाता है
(क) पूर्वी तट में
(ख) पश्चिमी तट में 
(ग) छोटा नागपुर में 
(घ) पश्चिमी हिमालय में। 
उत्तर:
(घ) पश्चिमी हिमालय में। 

प्रश्न 15. 
सम्पूर्ण वर्ष अधिक सापेक्ष नमी एवं उच्च ताप किस जलवायु के लक्षण हैं? 
(क) भूमध्यरेखीय जलवायु
(ख) मानसूनी जलवायु 
(ग) भूमध्यसागरीय जलवायु
(घ) स्टैपी घास स्थल। 
उत्तर:
(क) भूमध्यरेखीय जलवायु

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प्रश्न 16. 
जिस प्रकार की वनस्पति का दक्षिणी गोलार्द्ध में लगभग ऊष्मत्व पाया जाता है वह है- 
(क) भूमध्य रेखीय वन
(ख) भूमध्य सागरीय वनस्पति 
(ग) बोरियल वन
(घ) शीतोष्ण घास। 
उत्तर:
(ख) भूमध्य सागरीय वनस्पति 

प्रश्न 17. 
जैव विविधता (उत्तर 20 शब्दों में दें)
उत्तर:
किसी प्राकृतिक प्रदेश में पायी जाने वाले जंगली एवं पालतू जीव-जन्तुओं तथा पादपों की प्रजातियों की बहुलता को जैव विविधता कहते हैं।

प्रश्न 18. 
ओजोन पट्टी में छेदों के बनने के कारण व परिणाम (उत्तर सीमा 20 शब्द) 
उत्तर:
अंधाधुंध औद्योगीकरण के कारण अनेक हानिकारक गैसों व रसायनों के उत्सर्जन से ओजोन परत का विघटन होने से उसमें छेद होने लगे हैं जिससे हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरातल तक आ जाती हैं जिनके प्रभाव से त्वचा कैंसर व अन्य समस्याएँ बढ़ रही हैं।

प्रश्न 19. 
विश्व तापन (उत्तर सीमा 20 शब्द)
उत्तर:
वन विनाश तीव्र औद्योगीकरण एवं ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में हो रही क्रमिक वृद्धि विश्व तापन कहलाती है। 

प्रश्न 20. 
भूमण्डलीय ऊष्णन से क्या तात्पर्य है ? इसके क्या कारण हैं ? (उत्तर सीमा 50 शब्द)
उत्तर:
पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि को ही भूमण्डलीय ऊष्णन कहा जाता है।
मानवीय गतिविधियों द्वारा वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा विभिन्न तरीकों से बढ़ रही है। हाइड्रोकार्बन ईंधन जलने से कार्बन डाईऑक्साइड की बढ़ती मात्रा ओजोन गैस को नष्ट करके पराबैंगनी किरणों को धरातल पर बढ़ाती हैं जिससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है।

प्रश्न 21. 
कोपेन द्वारा विकसित जलवायु वर्गीकरण प्रणाली के प्रमुख घटकों की विवेचना कीजिए। इसकी विसंगतियों को भी इंगित कीजिए।
अथवा 
कोपेन के जलवायु वर्गीकरण की आधारभूत विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
प्रसिद्ध जर्मन भूगोलवेत्ता ब्लादिमीर कोपेन ने अपना जलवायु वर्गीकरण सन् 1918 में प्रस्तुत किया। आनुभविक पद्धति के आधार पर कोपेन ने विश्व जलवायु वर्गीकरण के लिये वर्षा एवं तापमान के मध्यमान मासिक आँकड़ों के मानों का उपयोग किया। कोपेन ने विश्व में पाँच जलवायु समूह निर्धारित किये जिनमें चार तापमान पर तथा एक वर्षण पर आधारित है।
कोपेन ने सर्वप्रथम मासिक औसत तापमान के आधार पर सम्पूर्ण विश्व को 5 तापमान वर्गों में बाँटा

  1. उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु 'A' 
  2. शुष्क जलवायु 'B' 
  3. कोष्ण शीतोष्ण जलवायु  'C' 
  4. शीतल हिम-वन जलवायु 'D' 
  5. शीत जलवायु 'E 

1. उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु 'A'- यह लगातार सम्पूर्ण वर्ष उच्च तापमान रखने वाली जलवायु है। इसके सभी महीनों का औसत तापमान 18° सेन्टीग्रेड से अधिक रहता है। इसके तीन उपविभाग किए गए हैं

  • उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु (Af)-वर्षा का मौसमी वितरण समान। शुष्कतम महीने में भी 6 सेमी. वर्षा । वार्षिक एवं दैनिक तापान्तर न्यून। विषुवत् रेखीय जलवायु।।
  • उष्ण कटिबन्धीय मानसून (Am) जलवायु-लघु शुष्क मौसम। वार्षिक वर्षा की अधिकता। Af एवं Aw के मध्य की जलवायु।
  • उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र एवं शुष्क जलवायु (Aw)-शीतकाल शुष्क। तापमान वर्षभर उच्च । उष्ण कटिबन्धीय सवाना जलवायु।

2. शुष्क जलवायु 'B' - इस जलवायु समूह में वर्षा की अपेक्षा वाष्पीकरण की मात्रा अधिक होती है। इसके चार उपविभाजन किए गए हैं

  • उपोष्ण कटिबन्धीय स्टेपी जलवायु (BSh)-औसत वार्षिक तापमान 18° सेण्टीग्रेड से अधिक। 
  • उपोष्ण कटिबन्धीय मरुस्थली जलवायु (BWh)-औसत वार्षिक तापमान 18° सेण्टीग्रेड से अधिक। 
  • मध्य अक्षांशीय स्टेपी जलवायु (BSk)-औसत वार्षिक तापमान 18° सेण्टीग्रेड से अधिक। 
  • मध्य अक्षांशीय मरुस्थल जलवायु (BWk)-औसत वार्षिक तापमान 18° सेन्टीग्रेड से कम।

3. कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय) जलवायु 'C'-इस जलवायु में सर्वाधिक ठण्डे महीने का औसत तापमान 3° सेन्टीग्रेड से अधिक लेकिन 18° सेन्टीग्रेड से कम रहता है। मध्य अक्षांशीय जलवायु है। वर्षा के मौसमी वितरण के आधार पर इसके तीन उपविभाग निम्न हैं

  • आर्द्र उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Cfa)-मध्य अक्षांशीय अर्द्धशुष्क अथवा शुष्क जलवायु। 
  • भूमध्य सागरीय (CSa) जलवायु-शुष्क गर्म ग्रीष्म ऋतु। 
  • समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb)-कोई शुष्क ऋतु नहीं। कोष्ण एवं शीतल ग्रीष्म जलवायु।

4.शीतल हिमवन जलवायु 'D'- इस जलवायु प्रदेश में वर्ष के सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान शून्य अंश तापमान से 3° सेन्टीग्रेड नीचे रहता है। धरातल कई महीने तक हिमाच्छादित बना रहता है। इसके दो उपविभाग हैं

  • आई महाद्वीपीय जलवायु (DI)-शीताई जलवायु। इसमें शुष्क ऋतु नहीं होती है। 
  • उप उत्तर ध्रुवीय जलवायु (Dw)-शीतार्द्र जलवायु। इससे शीतकाल शुष्क व भीषण होती है।

5. शीत जलवायु 'E' - इसके जलवायु समूह में समस्त महीनों का औसत तापमान 10° सेन्टीग्रेड से कम रहता है। इसके दो उपविभाग हैं

  • टुण्ड्रा जलवायु (ET)-उष्णतम महीनों का तापमान 10° सेन्टीग्रेड में कम किन्तु 0° सेन्टीग्रेड से अधिक होता है। कोई ग्रीष्म ऋतु नहीं होती है।
  • ध्रुवीय हिमटोपी जलवायु (EF)- सदैव हिमाच्छादित जलवायु। समस्त महीनों में तापमान 0° सेन्टीग्रेड से कम रहता है।

यद्यपि कोपेन का सिद्धान्त अपनी सरलता के लिए विश्वव्यापी मान्यता रखता है फिर भी कई बिन्दुओं पर इसकी आलोचना की गई।
(i) सर्वप्रथम कोपेन का वर्गीकरण आनुभविक है न कि जननिक क्योंकि इस वर्गीकरण में जलवायु प्रकारों की सीमाएँ अनुभव किए गए तापमान एवं वर्षा के मूल्यों पर आधारित हैं। इसमें जननिक प्रारम्भ को जो सामान्य वायुमण्डलीय संचरण अथवा अन्य जलवायु नियन्त्रकों को व्यक्त करता है कोई स्थान नहीं दिया गया है।

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(ii) कोपेन ने अपने वर्गीकरण की योजना में औसत मासिक एवं वर्षा आवश्यकता से अधिक महत्व दिया है। जबकि मौसम के अन्य तत्वों; यथा-वर्षा गहनता मेघाच्छन्नता की मात्रा वर्षा के दिन दैनिक तापमान की विषमता पवन आदि को नजर अन्दाज कर दिया है।

(iii) कोपेन ने अपनी योजना को आवश्यकता से अधिक साधारण एवं वर्णनात्मक बना दिया है। अतः स्पष्ट है कि कोपेन की वर्गीकरण योजना एक आधारभूत कार्य है जिसमें कुछ कमियाँ अवश्य हैं लेकिन बाद के वर्षों में प्रायः सभी वैकल्पिक वर्गीकरण योजना में कोपेन के वर्गीकरण से ही आधार माना गया है।

प्रश्न 22. 
वैश्विक जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले कारकों को स्पष्ट कीजिए। (IAS Main Ex., 2009)
उत्तर:
किसी स्थान की औसत मौसमी दशाओं को जलवायु कहते हैं। जब पृथ्वी पर इन औसत मौसमी दशाओं (तापमान वर्षा आर्द्रता दाब आदि) में परिवर्तन हो जाता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं।
वैश्विक जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले कारक निम्नलिखित हैं
(i) प्राकृतिक कारण-प्राकृतिक कारणों में सौर कलंक तथा पृथ्वी की कक्षा की परिक्रमण स्थितियों को जलवायु परिवर्तन का कारण माना जाता है। इसके अतिरिक्त ज्वालामुखियों के विस्फोट से ज्वालामुखी उद्गार की घटना भूकम्पों का बार-बार आना आदि भी जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। इसी प्रकार समुद्र में कार्बन डाईऑक्साइड तथा मीथेन के विशाल विक्षेप होने के कारण इनमें उल्काओं का मिलना अथवा गैस हाइड्रेट के किसी प्रकार का स्राव होने से वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों का उच्च मात्रा में स्राव हो सकता है।

(ii) मानव जनित कारण-जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार मानव जनित कारणों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषक गैसीय तत्वों का उत्सर्जन प्रमुख है। इन गैसीय तत्वों में कार्बन डाईऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन सल्फर डाईऑक्साइड आदि प्रमुख हैं। तापीय विद्युत गृहों से पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस निर्मुक्त होकर वायुमण्डल में पहुँचती रहती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न कल-कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ तथा परिवहन साधनों से निकलने वाला धुआँ वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि करता है जिससे जलवायु में परिवर्तन परिलक्षित होता है। वनों का कटाव भी इसका एक प्रमुख कारण है। वनों के कटने से वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस का अवशोषण नहीं होता है तथा शुद्ध ऑक्सीजन भी प्राप्त नहीं हो पाती।

इसके अतिरिक्त मानव उपयोग के विभिन्न उपभोग क्षेत्रों जैसे-फ्रिज एयर कंडीशनर इत्यादि से विविध प्रकार की हैलोजन तथा क्लोरो-फ्लोरो कार्बन गैसों का उत्सर्जन होता है। ये गैसें समतापमण्डल में स्थित ओजोन परत विघटित कर जलवायु परिवर्तन में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों की तुलना में मानवजनित कारक अपेक्षाकृत अधिक व्यापक एवं घातक है जिनसे जलवायु परिवर्तन की घटना में वृद्धि होती है।

प्रश्न 23. 
जलवायु परिवर्तन नगरीय क्षेत्रों को किस प्रकार प्रभावित करता है ? (IAS Main Ex., 2009)
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व स्तर की जलवायु में तीव्र गति से परिवर्तन हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के अनेक कारण हैं-इस जलवायु परिवर्तन का प्रभाव व्यापक रूप से नगरीय क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है। विश्व के अधिकांश बड़े नगरों का विकास सागर तटों के किनारे हुआ है। अतः सागर तल में वृद्धि होने से इन नगरों के तटीय क्षेत्रों के डूबने की संभावना रहेगी। इसके साथ ही वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण तत्व जैसे कार्बन डाई-ऑक्साइड सल्फर डाई-ऑक्साइड नाइट्रस ऑक्साइड से नगरीय क्षेत्र की जलवायु में समाहित होकर प्रदूषण की मात्रा में और अधिक वृद्धि करेंगे तथा नगरीय धूम्र कोहरा की मात्रा में वृद्धि होगी तथा नगरीय दृश्यता में कमी आयेगी।

जलवायु परिवर्तन से सागर तल में वृद्धि से आवास की समस्या उत्पन्न होगी इसके अतिरिक्त चूँकि विभिन्न गैसों एवं क्लोरो-फ्लोरो कार्बन के उत्सर्जन में नगरीय क्षेत्र की भूमिका अधिक होती है अतः इसके दुष्प्रभाव में भी वृद्धि होगी लोगों में विविध प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं जैसे-जलजनित बीमारियाँ तथा त्वचा सम्बन्धी बीमारियों में वृद्धि होगी।  विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन से शहरों की प्रदूषित एवं ठोस कणों से युक्त वायु जहाँ एक ओर सूर्यातप की प्राप्ति में बाधक होती है वहीं दूसरी ओर पार्थिव विकिरण को रोक लेती है जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्रों में हरित गृह प्रभाव और अधिक तीव्रता से दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त नगरीय क्षेत्र में नगरीय द्वीप एवं नगरीय जलवायु विशेषकर पवन प्रवाह तीव्र रूपांतरित होगी तथा पवन प्रवाह के इस रूपान्तरण का प्रत्यक्ष प्रभाव नगरीय वायु प्रदूषण के वितरण एवं वर्षा तन्त्र पर पड़ेगा।

प्रश्न 24. 
भूमण्डलीय तापन के प्रभाव पृथ्वी के एक भाग से दूसरे भाग के बीच किस प्रकार से भिन्न होंगे ? एक तर्कयुक्त वितरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
धरातल पर वायुमण्डल की भूमिका हरित गृह प्रभाव जैसी होती है। वायुमण्डल सूर्य से आने वाली किरणों को (लघु तरंगों को) नीचे धरातल तक आने देता है किन्तु पार्थिव विकिरण से उत्पन्न दीर्घ तरंगों को ऊपर जाने से रोकता है जिससे धरातल पर तापमान निरन्तर बढ़ता जाता है। पार्थिव विकिरण की दीर्घ तरंगें वायुमण्डल की कार्बन डाई-ऑक्साइड जलवाष्प मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नामक ग्रीन हाउस गैसें अवशोषित हो जाती हैं और ताप बना रहता है। यही हरित गृह प्रभाव भूमण्डलीय ऊष्मा के नाम से जाना जाता है। मानव द्वारा विभिन्न उद्देश्यों के लिए जीवाश्म ईंधनों को जलाये जाने के कारण वातावरण में हरितगृह गैसें खासकर कार्बन डाइ-ऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है जिससे भूमण्डलीय तापन का खतरा पैदा हो गया है इसका प्रभाव अब परिलक्षित होने लगा है। पिछले शताब्दी 0.5°C का तापन हुआ है। ध्यान देने वाली बात ये है कि 30°C के ऊष्मा के शीतलन द्वारा हिमयुग का आविर्भाव हुआ था। 

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन  

भूमण्डलीय तापन के कई प्रभाव मिलने लगे हैं। पर्वतीय हिमटोपियाँ एवं हिमनद पिघल रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ असमान घटनाएँ भी घट रही हैं। जैसे मध्य यूरोप में बाढ़ दक्षिण एशिया में चक्रवात का अविच्छिन्न प्रकोप अमेरिकन मैदान में बसंतकालीन हिम तूफान पृथ्वी के एक भाग से दूसरे भाग तक ये विचित्र मौसमी पैटर्न के संकेत दे रहे हैं। विभिन्न अनुसंधानों के माध्यम से यह सम्भावना व्यक्त की गई है कि मानव जनित इस भूमण्डलीय तापन से दिन के दृश्य तापमान तथा रात्रि के निम्न तापमान के बीच का अन्तर कम हो सकता है। क्षेत्रीय तौर पर देखें तो तापन उत्तरी गोलार्द्ध से ज्यादा होना चाहिए। क्योंकि अधिकांश ग्रीन हाउस गैसें उत्तरी गोलार्द्ध में भी उत्सर्जित हो रही हैं। भूमण्डलीय तापन का प्रभाव कई क्षेत्रों पर पड़ने की सम्भावना है; जैसे-कृषि मत्स्यन वानिकी आदि। 

जलवायु परिवर्तन पर अन्तर सरकारी पेनल (IPCC.) द्वारा वर्तमान कृषि उत्पादन का प्रतिमान उत्तरी अक्षांशों की तरफ जाने की भविष्यवाणी की गयी है। ध्रुवीय हिम के पिघलने के कारण सागर जल बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। तटीय क्षेत्रों और द्वीपीय क्षेत्रों को जलमग्न कर सकता है खासकर जो घनी आबादी वाले; जैसे-बांग्लादेश श्रीलंका मारीशस फिजी इत्यादि जलवायु सम्बन्धी बीमारियों से अब तक प्रभावित रहे क्षेत्रों तक प्रसार होने की सम्भावना है। वनीय आग या वनों में आग लगने की घटना में वृद्धि हुई है। विशेषकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में। आज अललीनो जैसी जलवायविक घटनाओं की बारम्बारता बढ़ रही है। जिसका मानसून एवं वैश्विक मौसम पर प्रभाव बढ़ रहा

Prasanna
Last Updated on Aug. 19, 2022, 11:21 a.m.
Published Aug. 18, 2022

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