Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 11 वायुमंडल में जल Important Questions and Answers.
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वायु में उपस्थित जलवाष्प को कहा जाता है
(क) आर्द्रता
(ख) तापमान
(ग) निरपेक्ष आर्द्रता
(घ) वर्षण।
उत्तर:
(क) आर्द्रता
प्रश्न 2.
वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा कहलाती है
(क) सापेक्ष आर्द्रता
(ख) ऊर्ध्वपातन
(ग) निरपेक्ष आर्द्रता
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) निरपेक्ष आर्द्रता
प्रश्न 3.
वायु की जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि होती है
(क) तापमान स्थिर रहने पर
(ख) तापमान कम होने पर
(ग) तापमान घटने-बढ़ने पर
(घ) तापमान बढ़ने पर।
उत्तर:
(घ) तापमान बढ़ने पर।
प्रश्न 4.
पक्षाभ मेघों की ऊँचाई मिलती है
(क) 8000-12000 मी.
(ख) 4000-7000 मी.
(ग) 2000-4000 मी.
(घ) 2000 मी. से कम।
उत्तर:
(क) 8000-12000 मी.
प्रश्न 5.
विश्व में किस प्रकार की वर्षा सर्वाधिक होती है?
(क) संवहनीय
(ख) पर्वतीय
(ग) चक्रवातीय'
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) पर्वतीय
प्रश्न 6.
संवाहनिक प्रकार की वर्षा मुख्यतः होती है ?
(क) ध्रुवीय क्षेत्रों में
(ख) शीतोष्ण क्षेत्रों में
(ग) विषुवतीय क्षेत्रों में
(घ) उपोष्ण क्षेत्रों में।
उत्तर:
(ग) विषुवतीय क्षेत्रों में
प्रश्न 7.
शान्त वायु, लम्बी रातें, स्वच्छ आकाश तथा वायुमण्डल में पर्याप्त आर्द्रता होने पर पड़ता है?
(क) कोहरा
(ख) धुंध
(ग) ओस
(घ) पाला।
उत्तर:
(ग) ओस
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-
1. स्तम्भ अ (बादलों के प्रकार) |
स्तम्भ ब (ऊँचाई) |
(i) पक्षाभ मेघ |
(अ) 4000-7000 मीटर |
(ii) कपासी मेघ |
(ब) 2500-3000 मीटर |
(iii) स्तरी मेघ |
(स) धरातल के सबसे निकट |
(iv) वर्षी मेघ |
(द) $8000-12000$ मीटर |
उत्तर:
1. स्तम्भ अ (बादलों के प्रकार) |
स्तम्भ ब (ऊँचाई) |
(i) पक्षाभ मेघ |
(द) $8000-12000$ मीटर |
(ii) कपासी मेघ |
(अ) 4000-7000 मीटर |
(iii) स्तरी मेघ |
(ब) 2500-3000 मीटर |
(iv) वर्षी मेघ |
(स) धरातल के सबसे निकट |
2.
2. स्तम्भ अ (वर्षा की पेटी) |
स्तम्भ ब (अक्षांशीय विस्तार) |
(i) विषुवत रेखीय वर्षा पेटी |
(द) भूमध्य रेखा से 10^$ अक्षांशों तक |
(ii) व्यापारिक पवनों की वर्षा पेटी |
(य) 10°-20° अक्षांशों के मध्य |
(iii) उपोष्ण कटिबंधीय वर्षा पेटी |
(र) 20°-30° अक्षांशों के मध्य |
(iv) भूमध्य सागरीय वर्षा पेटी |
(स) 30°-40° अक्षांशों के मध्य |
(v) मध्य अक्षांशीय वर्षा पेटी |
(ब) 40°-60°अक्षांशों के मध्य |
(vi) धवीय निम्न वर्षा पेटी |
(अ) 60° अक्षांशों से ध्रुवों तक |
उत्तर:
2. स्तम्भ अ (वर्षा की पेटी) |
स्तम्भ ब (अक्षांशीय विस्तार) |
(i) विषुवत रेखीय वर्षा पेटी |
(द) भूमध्य रेखा से 10^$ अक्षांशों तक |
(ii) व्यापारिक पवनों की वर्षा पेटी |
(य) 10°-20° अक्षांशों के मध्य |
(iii) उपोष्ण कटिबंधीय वर्षा पेटी |
(र) 20°-30° अक्षांशों के मध्य |
(iv) भूमध्य सागरीय वर्षा पेटी |
(स) 30°-40° अक्षांशों के मध्य |
(v) मध्य अक्षांशीय वर्षा पेटी |
(ब) 40°-60°अक्षांशों के मध्य |
(vi) धवीय निम्न वर्षा पेटी |
(अ) 60° अक्षांशों से ध्रुवों तक |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए
उत्तर:
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वायुमण्डल के आयतन में जलवाष्य का कितना प्रतिशत होता है ?
उत्तर:
वायुमण्डल के आयतन में जलवाष्प का प्रतिशत 0 से 4 के मध्य होता है।
प्रश्न 2.
वायुमण्डल में जल कौन-कौन सी अवस्थाओं में उपस्थित होता है ?
उत्तर:
वायुमण्डल में जल तीन अवस्थाओं-ठोस, द्रव व गैस में उपस्थित होता है।
प्रश्न 3.
जलवाष्प किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल का सूर्यातप के प्रभाव से वाष्पीकृत होकर गैसीय अवस्था में बदलना जलवाष्प कहलाता है।
प्रश्न 4.
जल का आदान-प्रदान कैसे होता है?
उत्तर:
महासागरों, वायुमंडल व महाद्वीपों के मध्य जल का आदान-प्रदान वाष्पोत्सर्जन, वाष्पीकरण, संघनन और वर्षण के द्वारा निरन्तर होता रहता है।
प्रश्न 5.
सापेक्ष आर्द्रता क्या है ?
उत्तर:
दिये गये तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमण्डल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है।
प्रश्न 6.
ओसांक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
हवा के लिए प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्तता आती है, उसे ओसांक कहते हैं।
प्रश्न 7.
वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा क्या है ?
उत्तर:
जिस तापमान पर जल वाष्पीकृत होना शुरू हो जाता है उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
प्रश्न 8.
घनन क्या है ? इसका कारण क्या है ?
उत्तर:
जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघननं कहलाता है। ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है।
प्रश्न 9.
संघनन केन्द्रक किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब हवा में छोटे-छोटे कणों के चारों ओर ठंडा होने के कारण संघनन होता है तो इन कणों को संघनन केन्द्रक कहा जाता है।
प्रश्न 10.
संघनन के पश्चात् वायुमण्डल की जलवाष्य या आर्द्रता किन-किन रूपों में से एक रूप में परिवर्तित हो सकती है ?
उत्तर:
ओस, कोहरा, तुषार एवं बादल।
प्रश्न 11.
ओस बनने हेतु आवश्यक दशा क्या है?
उत्तर:
ओसांक का जमाव बिन्दु से ऊपर होना।
प्रश्न 12.
'धूम्र कोहरा' किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जहाँ कोहरा और धुआँ सम्मिलित रूप से बनते हैं, उसे 'धूम्र कोहरा' कहते हैं।
प्रश्न 13.
कोहरा व कुहासा में एक अन्तर बताइए। उत्तर-कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है।
प्रश्न 14.
बादल किसे कहते हैं?
उत्तर:
बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होते हैं।
प्रश्न 15.
बादलों के प्रकार लिखिए। उत्तर:
प्रश्न 16.
वर्षण क्या है ?
उत्तर:
वायुमण्डल से जल की बूंदों और हिमकणों के धरातल पर गिरने को वर्षण कहते हैं।
प्रश्न 17.
वर्षण के विभिन्न रूप बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 18.
सहिम वृष्टि क्या है ?
उत्तर;
धरातल पर प्राप्त होने वाला ऐसा वर्षण जिसमें जल की बूंदों के साथ हिमकण भी मिले होते हैं सहिम वृष्टि कहलाता है।
प्रश्न 19.
ओला-पत्थर किसे कहते हैं ? अथवा ओला पड़ना क्या है ?
उत्तर:
कभी-कभी वर्षा की बूंदें बादल से मुक्त होने के बाद बर्फ के छोटे गोलाकार ठोस टुकड़ों में परिवर्तित हो जाती हैं तथा पृथ्वी की सतह तक पहुँचती हैं जिसे ओला पत्थर अथवा ओला पड़ना कहते हैं।
प्रश्न 20.
संवहनीय वर्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
हवा के गर्म होकर हल्की होने से संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठने व संघनन से जो वर्षा होती है उसे संवहनीय वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 21.
वृष्टि छाया क्षेत्र क्या है ?
उत्तर:
प्रतिपवन भाग में स्थित वह पर्वतीय क्षेत्र जिसमें औसत वर्षा सापेक्षतः कम होती है, वृष्टि छाया क्षेत्र कहलाता है।
प्रश्न 22.
स्थलकृत वर्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
पर्वतीय ढालों के सहारे होने वाली वर्षा को स्थलकृत या पर्वतीय वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 23.
चक्रवातीय वर्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियों के मिलने से उत्पन्न वातारों के बनने से होने वाली वर्षा चक्रवातीय वर्षा कहलाती है।
प्रश्न 24.
पछुवा पवनों से कहाँ वर्षा होती है?
उत्तर:
पछुवा पवनों से महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर वर्षा होती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1 प्रश्न)
प्रश्न 1.
वायुमण्डल, महासागरों एवं महाद्वीपों के मध्य जल का लगातार आदान-प्रदान किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
वायुमण्डल में आर्द्रता, जलाशयों से वाष्पीकरण एवं पौधों में वाष्पीकरण से प्राप्त होती है। इस प्रकार वायुमण्डल, महासागरों एवं महाद्वीपों के मध्य जल का लगातार आदान-प्रदान वाष्पीकरण, वाष्पोत्सर्जन, संघनन व वर्षा की प्रक्रिया के द्वारा होता रहता है।
प्रश्न 2.
निरपेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। यह वायु के प्रति इकाई आयतन में जलवाष्प का भार है जिसे ग्राम प्रति घन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। वायु द्वारा जलवाष्प को ग्रहण करने की क्षमता पूरी तरह से तापमान पर निर्भर होती है। इसी कारण पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग स्थानों पर . निरपेक्ष आर्द्रता अलग-अलग होती है।
प्रश्न 3.
संतृप्त वायु किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
एक निश्चित तापमान पर जलवाष्प से पूरी तरह पूरित हवा को संतृप्त वायु कहा जाता है। इसका आशय यह है कि इस स्थिति में दिये गये तापमान पर वायु में और अधिक आर्द्रता ग्रहण करने की क्षमता नहीं है। वायु के दिये गये प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्तता आती है, उसे ओसांक कहते हैं।
प्रश्न 4.
ऊर्ध्वपातन से क्या आशय है ?
उत्तर:
जब आर्द्र हवा ठण्डी होती है तब उसमें जलवाष्प को धारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है इसलिए अतिरिक्त जलवाष्प द्रव में संघनित हो जाती है तथा जब यह सीधे ही ठोस रूप में परिवर्तित हो जाती है तो उसे ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
प्रश्न 5.
संघनन केन्द्रक क्या होते हैं ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
स्वतन्त्र वायु में छोटे-छोटे कणों के चारों ओर ठण्डा होने के कारण संघनन होता है, तब इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केन्द्रक कहा जाता है। मुख्यतः धूल-धुआँ एवं महासागरों के नमक के कण आदि अच्छे केन्द्रक होते हैं क्योंकि ये पानी का अवशोषण कर लेते हैं।
प्रश्न 6.
संघनन किन-किन परिस्थितियों में होता है ?
अथवा
संघनन के घटित होने की अवस्थाएँ बताइए।
उत्तर:
संघनन निम्नलिखित परिस्थितियों में घटित होता है। संघनन उस समय घटित होता है जबकि
प्रश्न 7.
ओस क्या है ? इसके निर्माण की उपयुक्त दशाएँ बताइए।
उत्तर:
जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केन्द्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु; जैसे-पत्थर, घास एवं पौधों की पत्तियों की ठंडी सतहों पर पानी की बूंदों के रूप में जमा हो जाती है तो उसे ओस कहते हैं। ओस के निर्माण की उपयुक्त दशाओं में स्वच्छ आकाश, शीत हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता, ठण्डी व लम्बी रातें तथा ओसांक जमाव बिन्दु से ऊपर होना चाहिए।
प्रश्न 8.
धूम्र कोहरा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
नगरीय तथा महानगरीय क्षेत्रों में धुएँ की अधिकता के कारण वायुमण्डल में केन्द्रकों की संख्या भी बहुत अधिक रहती है। यह केन्द्रक कोहरा तथा कुहासा के बनने में मदद करते हैं। ऐसी स्थिति में नगरीय तथा महानगरीय क्षेत्रों में कोहरा तथा धुआँ सम्मिलित रूप से बनते हैं जिसे 'धूम्र कोहरा' कहा जाता है।
प्रश्न 9.
बादल क्या हैं ? इसके प्रकार बताइए।
उत्तर;
संघनित जलवाष्प के विशाल समूह को बादल कहा जाता है। इनका निर्माण स्वतन्त्र वायु में जलवाष्प के संघनन के कारण होता है। बादलों का निर्माण धरातल से कुछ ऊँचाई पर होता है जिस कारण ये विभिन्न आकार के होते हैं। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व, पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों के चार प्रकार होते हैं
प्रश्न 10.
वर्षण क्या है ? उसके विभिन्न स्वरूपों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जब वायुमण्डलीय जल धरातल पर ठोस अथवा द्रव रूप में गिरता है तो उसे वर्षण कहा जाता है। वर्षण के विभिन्न स्वरूपों में वर्षा, हिमपात, सहिम वृष्टि तथा करकापात शामिल हैं। इसके अलावा बर्फ के छोटे गोलाकार ठोस टुकड़ों के धरातल पर प्राप्त होने वाले ओला पत्थर भी इसमें सम्मिलित हैं।
प्रश्न 11.
विश्व की मुख्य वर्षण प्रवृत्ति को वार्षिक वर्षण की कुल मात्रा के आधार पर बताइए।
उत्तर:
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न)
प्रश्न 1.
निरपेक्ष आर्द्रता एवं सापेक्ष आर्द्रता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निरपेक्ष आर्द्रता एवं सापेक्ष आर्द्रता में निम्नलिखित अन्तर हैं
निरपेक्ष आर्द्रता |
सापेक्ष आर्द्रता |
1. वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। |
1. दिए गए तापमान पर अपनी पूर्ण क्षमता की तुलना में वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। |
2. यह हवा के प्रति इकाई आयतन में जलवाष्प का वजन है और इसे ग्राम प्रतिघन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। |
2. इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। |
3. हवा में तापमान के बढ़ने या घटने का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वायु की आर्द्रता वही रहती है। |
3. हवा के तापमान के बदलने के साथ ही आर्द्रता को ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है। |
4. यह पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग स्थानों पर अलगअलग होती है। |
4. यह महासागरों के ऊपर सबसे अधिक एवं महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है। |
प्रश्न 2.
संघनन क्या है ? इसकी प्रक्रिया को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जलवाष्प का जल के रूप में परिवर्तित होना संघनन कहलाता है। ऊष्मा के ह्रास होने से संघनन होता है। जब आई हवा ठण्डी होती है तब उसमें जलवाष्प को धारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है तब अतिरिक्त जलवाष्प द्रव में संघनित हो जाती है तथा जब यह सीधे ठोस रूप में परिवर्तित होती है तो इसे ऊर्ध्वपातन कहते हैं। कई बार संघनन उस अवस्था में भी होता है जब आर्द्र हवा कुछ ठण्डी वस्तुओं के सम्पर्क में आती है। स्वतन्त्र वायु में छोटे-छोटे कणों के चारों ओर ठण्डा होने के कारण भी संघनन होता है। इन छोटे-छोटे कणों को संघनन केन्द्रक कहा जाता है। विशेष रूप से धूल-धुआँ तथा महासागरों के नमक के कण अच्छे केन्द्रक होते हैं क्योंकि वे पानी के अवशोषक होते हैं। इस प्रकार संघनन ठण्डा होने की मात्रा एवं हवा की सापेक्ष आर्द्रता पर निर्भर होता है। संघनन हवा के आयतन, ताप, दाब एवं आर्द्रता से प्रभावित होता है।
प्रश्न 3.
ओस एवं ओसांक में क्या अंतर है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ओस-वायुमण्डल की जलवाष्प जब संघनित होकर सूक्ष्म जलकणों के रूप में धरातल पर स्थित घास, पेड़-पौधों एवं पत्थर आदि पर जमा हो जाती है तो उसे ओस कहते हैं। ओस बनने के लिय यह आवश्यक है कि ओसांक जमाव बिन्दु से ऊपर हो। ओस बनने के लिये सबसे उपयुक्त दशाएँ स्वच्छ आकाश, शांत हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठण्डी व लम्बी रातें आदि हैं। ओसांक-वायु के दिये गये प्रतिदर्श में जिस तापमान पर संतृप्तता आती है, उस तापमान को ओसांक कहते हैं। संतृप्त वायु के कारण ही ओसांक बनता है।
प्रश्न 4.
ओस व पाले में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ओस पाले से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
ओस व पाले में निम्न अन्तर पाये जाते हैं
अन्तर का आधार |
ओस |
पाला |
1. उत्पत्ति |
ओस का निर्माण पृथ्वी तल के ठण्डे हो जाने व उसके सम्पर्क में आने वाली वायु के ताप के कम होने से होता है। |
पाले की उत्पत्ति वायु के तापमान के अत्यधिक कम होने के कारण होती है। |
2. तापमान की स्थिति |
ओस निर्माण के समय ताप कम अवश्य होता है किन्तु सदैव धनात्मक रहता है। |
पाले के निर्माण में तापमान प्राय: 0° या इससे कम हो जाता है। |
3. अवस्था |
ओस जल की तरलावस्था का प्रतीक है। |
पाला जल की ठोस अवस्था का प्रतीक है। |
4. आवश्यक दशा |
ओस बनने के लिए वायु में जलवाष्प होने के साथ ताप का इतना कम होना आवश्यक है जिससे वाष्प घनीभूत हो सके। |
पाले हेतु ताप शीघ्रता से व लम्बे समय तक गिरता रहना व ताप का हिमांक बिन्दु तक पहुँचना आवश्यक है। |
प्रश्न 5.
कोहरे एवं कुहासे में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कोहरे एवं कुहासे में निम्नलिखित अन्तर हैं-
कोहरा |
कुहासा |
(i) यह एक प्रकार का छोटा बादल है जिसका आकार पृथ्वी के धरातल के बिल्कुल नजदीक होता है। |
(i) वायुमण्डल की निचली परतों में उपस्थित जल-बूँदों की संहति को कुहासा के नाम से जाना जाता है। |
(ii) कोहरे में दृश्यता एक किमी. से भी कम होती है। |
(ii) कुहासा में दृश्यता एक किमी. से अधिक परन्तु दो किमी. से कम होती है। |
(iii) कोहरे में नमी कम होती है। |
(iii) कुहासे में नमी कोहरे की तुलना में अधिक होती है। |
(iv) कोहरा मैदानों से अधिक पाया जाता है। |
(iv) कुहासा पहाड़ों पर अधिक पाया जाता है। |
(v) गर्म हवा की धारा से ठण्डी हवा के सम्पर्क में आने पर कोहरा अधिक प्रबल होता है। |
(v) ऊपर उठती हुई गर्म हवा ढाल पर ठण्डी सतह के सम्पर्क में आने पर कुहासा अधिक प्रबल होता है। |
प्रश्न 6.
कोहरे एवं बादलों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
कोहरे व बादलों में निम्न अन्तर मिलते हैं
अन्तर का आधार |
कोहरा |
बादल |
उत्पत्ति क्षेत्र |
इसकी उत्पत्ति धरातल के निकट होती है। |
इनकी उत्पत्ति वायुमण्डल में काफी ऊँचाई पर होती है। |
उत्पत्ति का कारण |
इसकी उत्पत्ति जलवाष्प के संघनन होने से होती है। |
बादलों की उत्पत्ति जलवाष्प से संघनन से बने कण या हिमकणों से होती है। |
प्रभाव |
कोहरे से धरातल या वायुमण्डल की दृश्यता कम हो जाती है। |
बादलों से जलवाष्प के संघनन के पश्चात वर्षण की प्रक्रिया होती है जो लाभदायक व हानिकारक भी हो सकती है। |
प्रकार |
कोहरे को हल्के कोहरे, साधारण कोहरे, सघन व अति सघन कोहरे में बाँटा गया है। |
बादलों को पक्षाभ मेघ, कपासी मेघ, स्तरी मेघ व वर्षी मेघों में बाँटा गया है। |
आवश्यक दशा |
कोहरे के निर्माण हेतु तापमान का ओसांक से नीचे गिरना तथा मन्द गति से पवन प्रवाह होना आवश्यक होता है। |
बादलों के निर्माण हेतु वाष्पीकरण के पश्चात संघनन हेतु आदर्श दशाओं का होना आवश्यक है। |
प्रश्न 7.
पक्षाभ मेघ क्या होते हैं?
अथवा
पक्षाभ मेघों की भौगोलिक स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पक्षाभ मेघ सबसे ऊपर मिलने वाले मेघ होते हैं। इन मेघों की ऊँचाई प्रायः 8000-12000 मीटर तक पायी जाती है। बारीक हिमकणों से निर्मित होने के कारण ये बिखरी हुई सफेद रुई के समान लगते हैं। इनसे मौसम प्रायः साफ व आकाश स्वच्छ रहता है। इन मेघों से वर्षा नहीं होती है। ये सफेद चादर की तरह सम्पूर्ण आकाश में फैले रहते हैं। इनके आगमन पर सूर्य तथा चन्द्रमा के चारों ओर प्रभामण्डल बन जाते हैं, जो चक्रवात आने के सूचक हैं। इस प्रकार के मेघों की आकृति छोटे-छोटे गोलों के समान या पक्षी (तीतर) के पंखों के समान होती है।
प्रश्न 8.
वर्षण की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक निश्चित स्थान पर निश्चित अवधि में वर्षामापी यन्त्र द्वारा मापी गई वर्षा की कुल मात्रा; इसमें हिम, ओले तथा बादलों से गिरने वाली बूंदें सम्मिलित होती हैं। जब वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प संघनन द्वारा तरल या ठोस अवस्था में परिवर्तित होकर धरातल पर गिरते हैं तो इसे वृष्टि या वर्षण कहते हैं। यह द्रव या ठोस अवस्था में हो सकता है। वर्षण जब पानी के रूप में होता है तो उसे वर्षा कहते हैं। जब तापमान 0°C से कम होता है तब वर्षण हिमकणों के रूप में होता है उसे हिमपात कहा जाता है। वर्षण के अन्तर्गत ओला, हिम और जल तीनों को सम्मिलित किया जा सकता है। वर्षा से साधारण अर्थ जल वर्षा से ही लिया जाता है। इसके लिए दो बातों का होना आवश्यक है-
प्रश्न 9.
संवहनीय वर्षा क्या है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
संवहनीय धाराओं के कारण ऊपर उठती हुई वायु ठण्डी होकर वर्षा करती है, इसे संवहनीय वर्षा कहते हैं। धरातल के ऊपर की वायु गर्म होकर हल्की हो जाती है तथा संवहन धाराओं द्वारा ऊपर की ओर उठने लगती है। वायुमण्डल की ऊपरी परत में पहुंचने पर यह उठी हवा फैलती है तथा तापमान के कम होने के कारण ठण्डी होती है जिसके परिणामस्वरूप इस हवा में संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी बादलों का निर्माण होता है। अनुकूल दशाएँ होने पर गरज तथा बिजली की कड़क के साथ मूसलाधार वर्षा होती है। यह वर्षा प्रायः लघु अवधि के लिये होती है। इस प्रकार की वर्षा प्रायः गर्मियों में या दिन के गर्म समय में होती है। प्राय: यह वर्षा विषुवतीय क्षेत्रों तथा विशेष रूप से उत्तरी गोलार्द्ध के महाद्वीपों के आन्तरिक भागों में प्रमुखता से देखने को मिलती है।
प्रश्न 10.
पर्वतीय व चक्रवातीय वर्षा में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पर्वतीय व चक्रवातीय वर्षा में निम्न अन्तर है
पर्वतीय वर्षा |
चक्रवातीय वर्षा |
1. इस प्रकार की वर्षा पर्वत के सहारे वाष्प से भरी वायु के ऊपर उठकर ठण्डा होकर घनीभूत होने से होती है। |
इस प्रकार की वर्षा समुद्र से होकर आने वाली जलवाष्प युक्त वायु के ठण्डी वायु के सम्पर्क में आने व गर्म वायु के ठण्डी होने से होती है। |
2. पर्वतीय वर्षा में वायु की रुकावट वाले स्थानों पर अधिक वर्षा जबकि इसके विपरीत भाग में कम वर्षा होती है। |
चक्रवातीय वर्षा हल्की फुहारों के रूप में होती है। |
3. इस प्रकार की वर्षा पर्वतीय क्षेत्रों में होती है। |
इस प्रकार की वर्षा मुख्यतः चक्रवातीय दशाओं वाले क्षेत्रों में होती है। |
4. पर्वतीय वर्षा एक स्वभाव वाली वायुराशि के ऊपर उठकर ठण्डा होने से होती है। |
चक्रवातीय वर्षा दो भिन्न-भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियों के मिलने व उनकी प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया का परिणाम होती है। |
प्रश्न 11.
पर्वतीय वर्षा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब संतृप्त हुई वायुराशि पर्वतीय ढाल से टकराती है तो वह ऊपर उठने के लिए मजबूर हो जाती है। इस वायुराशि के ऊपर की ओर उठने में पर्वतीय अवरोधों से विशेष सहायता मिलती है। ऊपर उठने पर यह वायुराशि फैलती है तथा उसका तापमान भी कम होने लगता है। ओसांक बिन्दु तक ठण्डी होने पर इस वायुराशि में संघनन प्रारम्भ हो जाता है जिससे बादलों का निर्माण होता है तथा वर्षा होती है। इस प्रकार की पर्वतीय वर्षा उस पर्वतीय ढाल पर अधिक होती है जिससे वह टकराती है। इस पर्वतीय ढाल को पवनमुखी ढाल कहते हैं। ये वायुराशियाँ पर्वतों के दूसरी ओर के ढाल पर नीचे उतरती हैं। इस ढाल को पवन विमुखी ढाल कहा जाता है। इन ढालों पर नीचे उतरती वायुराशि का तापमान बढ़ जाता है तथा उनकी आर्द्रता ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है। जिसके कारण पवन विमुखी या प्रति पवन ढाल शुष्क तथा वर्षाविहीन रह जाते हैं। प्रति पवन ढाल में स्थित वह क्षेत्र जो कम वर्षा प्राप्त करते हैं, उसे वृष्टि छाया प्रदेश कहा जाता है।
प्रश्न 12.
भूमध्य रेखीय वर्षा पेटी व भूमध्य सागरीय वर्षा पेटी में क्या अन्तर मिलता है?
अथवा
भूमध्य रेखीय वर्षा भूमध्यसागरीय वर्षा से भिन्न है। कैसे?
उत्तर:
भूमध्य रेखीय वर्षा पेटी |
भूमध्य सागरीय वर्षा पेटी |
1. इस पेटी की वर्षा को भूनध्य रेखीय वर्षा कहते हैं। इस पेटो में अधिक ताप की प्रापि के कारण संवहनीय वर्ण होती है। |
इस पेटी की वर्षा को भूमध्य सागरीय वर्षा कहते हैं। इस ऐेटी में शीतोष्ण कटिबन्धीय दशाओं के कारण चक्रवातीय वर्षा होती है। |
2. इस पटी में होने वाली वर्षा मूसलाधार प्रवृति की होती है। |
इस पेटी में होने वाली वर्षा हल्की फुहारों के रूप में होती है। |
3. इस पेटी में वार्षिक वर्षा का औसत 175 सेमी. से 200 सेमी. तक मिलता है। |
इस पेटी में वार्षिक वर्षा का औसत 100 सेमी. मिलता है। |
4. इस वर्षा पेटी का विस्तार मुख्यतः अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन, न्यूगिनी, फिलीपाइन्स, मेडागास्कर व इण्डोनेशिया में मिलता है। |
इस पेटी का विस्तार कैलीफोर्निया, मध्य चिली, दक्षिणी अफ्रीका का दक्षिणी-पश्चिमी भाग तथा पश्चिमी आस्ट्रेलिया के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में मिलता है। |
प्रश्न 13.
चक्रवातीय वर्षा या फ्रंटल बारी किस प्रकार होती है ?
उत्तर:
चकलातीय या फ्रंटल वर्षा-जब ठण्डी तथा गर्म वायुराशियाँ विपरीत दिशा से आकार मिलती हैं तो वे एक-दूसरे से मिश्रित नहीं होतीं वरन् एक असततता का क्षेत्र निर्मित करती हैं अर्थात् इन दोनों हवाओं के मिलन स्थल पर वाताग्र निर्मित हो जाता है। इस वाताग्र के ऊपर गर्म तथा नीचे ठण्डी वायुराशियाँ आ जाती हैं। ऊपर की गर्म हवाएँ नीचे की ठण्डी हवा तथा ऊँचाई के प्रभाव से ठण्डी होने लगती हैं तथा उनमें मन्द गति से संघनन प्रारम्भ हो जाता है। यही कारण है कि चक्रवातीय वर्षा लम्बे समय तक तथा मन्द गति से होती है। शीतोष्ण कटिबन्धों में जहाँ दो भिन्न तापमानों वाली हवाएँ मिलती हैं, इसी प्रकार की वर्षा होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संघनन के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। संघनन से अनेक प्रारूपों का निर्माण होता है जिनके प्रमुख प्रकार निम्न हैं
(i) ओस-आर्द्रता के धरातल से ऊपर हवा में संघनन केन्द्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तुओं तथा पेड़-पौधों की पत्तियों पर पानी की बूंदों के रूप में जमने की प्रक्रिया ओस कहलाती है। ओस बनने के लिए ओसांक का जमाव बिंदु से ऊपर होना आवश्यक होता है।
(ii) तुषार-जब संघनन तापमान के जमाव बिन्दु से नीचे (0° से.) चले जाने पर तुषार का निर्माण होता है। इसमें ओसांक जमाव बिन्दु पर या उसके नीचे होता है तथा अतिरिक्त नमी पानी की बूंदों की बजाय छोटे-छोटे बर्फ के रवों के रूप में जमा हो जाती है।
(iii) कोहरा व कुहासा-जब बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प से भरी हुई वायु संहति अचानक नीचे की ओर गिरती है तब छोटे-छोटे धूल के कणों के ऊपर ही संघनन की प्रक्रिया होती है तथा कोहरे का निर्माण होता है। इस प्रकार कोहरा एक धुएँ का बादल होता है। कुहासा कोहरे का विशद् रूप होता है। कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है तथा यह पहाड़ों पर अधिक मिलता है।
(iv) बादल-बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे रवों की संहति होता है जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। बादल विभिन्न आकारों के होते हैं। बादल सामान्यतयाः पक्षाभ, कपासी, स्तरी व वर्षी होते हैं।
प्रश्न 2.
बादल (मेघ) क्या होते हैं ? बादलों को वर्गीकृत कर उनका विवरण दीजिए।
उत्तर:
बादल (मेघ) -कोहरे की तुलना में धरातल से अधिक ऊँचाई पर छोटी बूँदों या बर्फ के रवों का समूह जो स्वतन्त्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं, बादल कहलाते हैं। चूँकि बादलों का निर्माण धरातल से कुछ ऊँचाई पर होता है, इसलिये यह विभिन्न आकार के होते हैं। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व, पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को निम्न चार रूपों में वर्गीकृत किया जाता है-
(1) पक्षाभ मेघ-पक्षाभ मेघ धरातल से सबसे अधिक ऊँचाई ( 8000 से 12000 मीटर) पर निर्मित होते हैं। यह पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं। धरातल से देखने पर यह बादल किसी पक्षी के पंखों सृदश्य दिखायी देते हैं। ये हमेशा सफेद रंग के होते हैं।
(2) कपासी मेघ-यह मेघ धरातल से प्राय: 4000 से 7000 मीटर की ऊँचाई पर बनते हैं तथा धरातल से देखने पर रुई के समान दिखायी पड़ते हैं। यह मेघ छितरे तथा इधर-उधर बिखरे देखे जा सकते हैं। ये चपटे आधार वाले होते हैं।
(3) स्तरी मेघ-ये परतदार बादल होते हैं। जोकि आकाश के बहुत बड़े भाग पर फैले रहते हैं। यह बादल सामान्यतः या तो अलग-अलग तापमानों पर हवा के आपस में मिलने से या ऊष्मा में ह्रास से बनते हैं।
(4) वर्षा मेघ-वर्षा मेघ काले या स्लेटी रंग के होते हैं। यह वायुमण्डल के मध्य स्तरों या पृथ्वी के धरातल के काफी समीप बनते हैं। ये सूर्य की किरणों के लिये बहुत ही अपारदर्शी होते हैं। कभी-कभी ये बादल धरातल से इतने नजदीक होते हैं कि वे धरातल को छूते हुए प्रतीत होते हैं। उक्त चार मूल बादल मिलकर निम्नलिखित रूपों के बादलों का निर्माण करते हैंऊँचे बादल-पक्षाभ, पक्षाभ स्तरी तथा पक्षाभ कपासी। मध्य ऊँचाई के बादल-स्तरी मध्य तथा कपासी मध्य। कम ऊँचाई के बादल-स्तरी कपासी, स्तरी वर्षा मेघ एवं कपासी मेघ ।
प्रश्न 3.
उत्पत्ति के आधार पर वर्षा के प्रकारों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
उत्पत्ति के आधार पर-वर्षा को प्रमुख तीन प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है
(1) संवहनीय वर्षा-संवहनीय धाराओं के कारण ऊपर उठती हुई वायु ठण्डी होकर वर्षा करती है तो इसे संवहनीय वर्षा कहते हैं। धरातल के ऊपर की वायु गर्म होकर हल्की हो जाती है तथा संवहन धाराओं द्वारा ऊपर की ओर उठने लगती है। वायुमण्डल की ऊपरी परत में पहुँचने पर यह ऊपर उठी हुई हवा फैलती है तथा तापमान के कम होने के कारण ठण्डी होती है जिसके परिणामस्वरूप इस हवा में संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी बादलों का निर्माण होता है। अनुकूल दशाएँ होने पर गरज तथा बिजली की कड़क के साथ मूसलाधार वर्षा होती है। यह वर्षा प्रायः लघु अवधि के लिये होती है। इस प्रकार की वर्षा प्रायः गर्मियों में या दिन के गर्म समय में होती है। प्रायः यह वर्षा विषुवतीय क्षेत्रों तथा विशेष रूप से उत्तरी गोलार्द्ध के महाद्वीपों के आन्तरिक बादल भागों में मुख्य रूप से देखने को मिलती है।
(2) पर्वतीय वर्षा-जब संतृप्त हुई वायुराशि पर्वतीय ढाल से टकराती है तो वह ऊपर उठने के लिए मजबूर हो जाती है तथा वर्षा करती है। इसे पर्वतीय वर्षा कहते हैं। इस वायुराशि के ऊपर की ओर उठने में पर्वतीय अवरोधों से विशेष सहायता मिलती है। ऊपर उठने पर यह वायुराशि फैलती है तथा उसका तापमान भी कम होने लगता है। ओसांक बिन्दु तक ठण्डी होने पर इस वायुराशि में संघनन प्रारम्भ हो जाता है जिससे बादलों का निर्माण होता है तथा वर्षा होती है। इस प्रकार की पर्वतीय वर्षा उस पर्वतीय ढाल पर अधिक होती है जिससे वह टकराती है। इस पर्वतीय ढाल पृथ्वी का धरातल को पवनमुखी ढाल कहते हैं। ये वायुराशियाँ पर्वतों के दूसरी ओर के ढाल पर नीचे उतरती हैं। इस ढाल को पवन चित्र-संवहनीय वर्षा विमुखी ढाल कहा जाता है। इन ढालों पर नीचे उतरती वायुराशि का तापमान बढ़ जाता है तथा उनकी आर्द्रता ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है। जिसके कारण पवन विमुखी या प्रति पवन ढाल शुष्क तथा वर्षाविहीन रह जाते हैं। प्रति पवन ढाल में स्थित वह क्षेत्र जो कम वर्षा प्राप्त करते हैं, उसे वृष्टि छाया प्रदेश कहा जाता है।
(3) चक्रवातीय वर्षा या फ्रंटल वर्षाचक्रवातों द्वारा होने वाली वर्षा को चक्रवातीय या फ्रंटल वर्षा कहते हैं। जब ठण्डी तथा गर्म वायुराशियाँ विपरीत दिशा से आकर मिलती हैं तो वे एक-दूसरे से मिश्रित नहीं होतीं वरन् एक असततता का क्षेत्र निर्मित करती हैं, अर्थात् इन दोनों हवाओं के मिलन स्थल पर वाताग्र निर्मित हो जाता है। इस वाताग्र के ऊपर गर्म तथा नीचे ठण्डी वायुराशियाँ आ जाती हैं। ऊपर की गर्म हवाएँ नीचे की ठण्डी हवा तथा ऊँचाई के प्रभाव से ठण्डी होने लगती हैं तथा उनमें मन्द गति से संघनन प्रारम्भ हो जाता है। यही कारण है कि चक्रवातीय वर्षा लम्बे समय तक तथा मन्द गति से होती है। शीतोष्ण कटिबन्धों में जहाँ दो भिन्न तापमानों वाली हवाएँ मिलती हैं, वहाँ इसी प्रकार की वर्षा होती है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वायु में जलवाष्प की अधिकतम मात्रा होती है?
(क) 2%
(ख) 6%
(ग) 8%
(घ) 5%
उत्तर:
(क) 2%
प्रश्न 2.
शीतकाल में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में वर्षा होने का प्रमुख कारण है
(क) आई.टी.सी. जेड. की वापसी
(ख) पश्चिमी विक्षोभ
(ग) लौटता मानसून
(घ) चक्रवाती दशाएँ
उत्तर:
(घ) चक्रवाती दशाएँ
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रदेशों में से किसमें शीतऋतु में मुख्यतः वर्षा होती है?
(क) मानसूनी प्रदेश
(ख) उत्तर-पश्चिमी यूरोपीय प्रदेश
(ग) भूमध्य सागरीय प्रदेश
(घ) सवाना घासभूमि प्रदेश।
उत्तर:
(ग) भूमध्य सागरीय प्रदेश
प्रश्न 4.
बादलों की रचना के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा मुख्य कारक है।
(क) धूल कण
(ख) धुआँ
(ग) गैसें
(घ) जलवाष्प।
उत्तर:
(घ) जलवाष्प।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित केन्द्रों में से कौन-सा सबसे कम वार्षिक वर्षण प्राप्त करता है?
(क) जोधपुर
(ख) लेह
(ग) नागपुर
(घ) दिल्ली।
उत्तर:
(ख) लेह
प्रश्न 6.
निम्न में से कौन संघनन के लिए आवश्यक शर्त नहीं है?
(क) संतृप्तता
ख) सतह .
(ग) अधिक ऊँचाई
(घ) जलवाष्प।
उत्तर:
(ग) अधिक ऊँचाई
प्रश्न 7.
वृष्टि-पोषित और वृष्टि छाया क्षेत्र किसकी विशेषता है?
(क) चक्रवातीय वर्षा
(ख) संवहनीय वर्षा
(ग) पर्वतकृत वर्षा
(घ) तापीय वर्षा ।
उत्तर:
(ग) पर्वतकृत वर्षा
प्रश्न 8.
कथन (A) : शुष्कता मरुस्थलों की विशिष्ट विशेषता होती है।
कारण (R): मरुस्थलों में कम वर्षा एवं उच्च वाष्पीकरण होता है।
कूट :
(क) A तथा R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
(ख) A तथा R दोनों सही हैं परन्तु R, A की सही व्याख्या नहीं है
(ग) A सही है परन्तु R गलत है।
(घ) A गलत है परन्तु R सही है।
उत्तर:
(क) A तथा R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है
प्रश्न 9.
भारत के निम्नांकित में से किस राज्य में न्यूनतम औसत वार्षिक वर्षा होती है?
(क) हिमाचल प्रदेश
(ख) जम्मू-कश्मीर
(ग) उड़ीसा
(घ) मध्य प्रदेश।
उत्तर:
(ख) जम्मू-कश्मीर
प्रश्न 10.
संवहनीय वर्षा प्रायः प्रतिदिन कहाँ होती है ?
(क) ध्रुवीय प्रदेश
(ख) मरुस्थलीय प्रदेश
(ग) शीतोष्ण प्रदेश
(घ) विषुवतीय प्रदेश।
उत्तर:
(घ) विषुवतीय प्रदेश।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से एक अवक्षेपण का रूप नहीं है
(क) फुहार
(ख) ओला
(ग) कोहरा
(घ) सहिम वृष्टि।
उत्तर:
(ग) कोहरा
प्रश्न 12.
सूची-I (मेघ) तथा सूची-II(लक्षण) का सुमेल कीजिए तथा नीचे दी गई सांकेतिक संज्ञा का उपयोग करते हुए सही उत्तर का चयन कीजिए।
सूची-I (मेघ) |
सूची- II (लक्षण) |
(i) पक्षाभ |
(a) वर्षा करने वाले |
(ii) स्तरी |
(b) परों जैसी आकृति |
(iii) वर्षा मेघ |
(c) लम्बवत् बढ़ता हुआ |
(iv) कपासी |
(d) क्षितिज रेखा के समानान्तर |
|
(i) |
(ii) |
(iii) |
(iv) |
(क) |
(b) |
(a) |
(d) |
(c) |
(ख) |
(c) |
(d) |
(a) |
(b) |
(ग) |
(b) |
(d) |
(a) |
(c) |
(घ) |
(c) |
(a) |
(d) |
(b) |
उत्तर:
(ग),(b),(d),(a),(c)
प्रश्न 13.
सापेक्ष आर्द्रता से अभिप्राय है
(क) वातावरण में निरपेक्ष मात्रा में जलवाष्प का होना
(ख) वातावरण में आर्द्रताग्राही नाभिक का होना
(ग) संतृप्त वाष्प दबाव
(घ) किसी निश्चित तापमान पर वायु में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा इसी तापमान पर पूर्णतः संतृप्त के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के बीच का अनुपात।
उत्तर:
(घ) किसी निश्चित तापमान पर वायु में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा इसी तापमान पर पूर्णतः संतृप्त के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के बीच का अनुपात।
प्रश्न 14.
वर्षण के वैश्विक वितरण' का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल में जलवाष्प के द्रवण से उत्पन्न नमी जो बादलों में संचित हो जाती है तथा पृथ्वी पर वर्षा, हिम, ओले या ओस आदि के रूप में गिरती है, वर्षण कहलाती है।
वर्षण के कुल पाँच प्रकार हैं-बूंदें, तीव्र वर्षा, ओले, हिमवर्षा, हिमपात। - वर्षा की क्रिया तीन प्रकार से होती है- संवहनीय वर्षा, चक्रवातीय वर्षा एवं पर्वतीय वर्षा। अधिकांश मौसम व जलवायु वैज्ञानिकों ने वर्षा की मात्रा के आधार पर किए गए वैश्विक वितरण का ही अधिक समर्थन किया है।
वर्षा की मात्रा के आधार पर विश्व को तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1. अधिकतम वर्षा वाले क्षेत्र-विश्व के ऐसे क्षेत्र जहाँ 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है, इसके अन्तर्गत सम्मिलित किए जाते हैं। इन क्षेत्रों में अन्तर उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र, मध्य अक्षांशीय पश्चिमी तटीय क्षेत्र, मानसून एशिया आदि प्रमुख हैं।
2. मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र-ये साधारण वर्षा वाले क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में औसत वार्षिक वर्षा 100 से 200 सेमी. के मध्य होती है। विश्व में मध्यम वर्षण के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं-उपोष्ण कटिबंधीय पूर्वी क्षेत्र, उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र एवं भूमध्य मरुस्थलीय क्षेत्र।
3. निम्न वर्षा वाले क्षेत्र-विश्व के ऐसे क्षेत्र जहाँ वर्षा 25 से 50 सेमी. के मध्य तथा इसमें भी कम होती है इसके अन्तर्गत सम्मिलित हैं। निम्न वर्षा वाले क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विश्व के तीन क्षेत्र हैं-उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाबपेटी, मध्य अक्षांशीय महाद्वीपों के आन्तरिक भाग एवं ध्रुवीय भाग।
प्रश्न 15.
वायुमण्डलीय आर्द्रता के विभिन्न प्रकारों और उनके सम्बद्ध रूपों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं। यद्यपि वायुमण्डल में इसकी मात्रा 0 से 4 प्रतिशत के मध्य ही होती है फिर भी मौसम व जलवायु के निर्धारण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जलवाष्प की यह मात्रा स्थान एवं समय के अनुसार परिवर्तनशील भी रहती है। स्थल की अपेक्षा सागरों पर वाष्पीकरण अधिक होता है। एक निश्चित तापमान पर एक घन मीटर वायु जितने ग्राम जलवाष्प अवशोषित कर सकती है, उसे वायु की आर्द्रता सामर्थ्य कहते हैं। जब किसी वायु में उसकी क्षमता के बराबर जलवाष्प हो तो उसे संतृप्त वायु कहते हैं। वायु की आर्द्रता तापमान में वृद्धि के साथ-साथ बढ़ती जाती है। जिस न्यूनतम तापमान पर कोई वायु संतृप्त हो जाए तो उसे ओसांक बिन्दु के नाम से जाना जाता है। - वायुमण्डलीय आर्द्रता को तीन रूपों में प्रकट करते हैं
(i) निरपेक्ष आर्द्रता-वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। यह हवा के प्रति इकाई आयतन में जलवाष्प का वजन है। इसे ग्राम प्रतिघन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। हवा के तापमान के बढ़ने या घटने से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वायु की आर्द्रता वही रहती है। यह पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होती है।
(ii) सापेक्ष आर्द्रता-दिए गए तापमान पर अपनी पूर्ण क्षमता की तुलना में वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। यह महासागरों के ऊपर सबसे अधिक तथा महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है।
(iii) विशिष्ट आर्द्रता-वायु के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आर्द्रता कहते हैं। इसे ग्राम प्रति किलोग्राम में व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 16.
पृथ्वी की सतह से वर्षण के प्रकारों और वितरण का ब्यौरा दीजिए।
अथवा
भूतल पर विभिन्न प्रकार की वृष्टि के वितरण प्रतिरूपों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
द्रव या ठोस रूप में पृथ्वी पर गिरने वाले जल को वर्षण के रूप में परिभाषित किया जाता है। वर्षण का पहला चरण संघनन है। संघनन की प्रक्रिया जलवाष्प से द्रवीभूत होने की प्रक्रिया को सम्मिलित करती है जबकि वर्षण के अन्तर्गत जल वर्षा, हिमपात, ओला, सहिम वृष्टि आदि में सम्मिलित करते हैं।
वर्षा (वृष्टि) के प्रकार-वर्षण के तीन प्रकार हैं
1. संवहनीय वर्षा-सूर्यातप के कारण धरातल के अत्यधिक गर्म होने पर, उसके सम्पर्क में आने वाली हवा संवहन धाराओं के द्वारा ऊपर की ओर उठने लगती है। वायुमण्डल की ऊपरी परत में पहुंचने पर यह उठी हवा फैलती है तथा तापमान के कम होने के कारण ठंडी होती है। फलस्वरूप इस हवा में संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी बादलों का निर्माण होता है। अनुकूल दशाएँ होने पर गरज व बिजली की चमक के मध्य मूसलाधार वर्षा होने लगती है। इस प्रकार की वर्षा भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दोपहर के पश्चात् प्रतिदिन होती है।
2. पर्वतीय वर्षा-जब संतृप्त हुई वायुराशि पर्वतीय ढाल से टकराती है तो वह ऊपर उठने के लिए मजबूर हो जाती है। इस वायुराशि के ऊपर की ओर उठने से पर्वतीय अवरोधों से विशेष सहायता मिलती है। ऊपर उठने पर यह वायुराशि फैलती है तथा उसका तापमान भी कम होने लगता है। ओसांक बिन्दु तक ठण्डी होने पर इस वायुराशि में संघनन प्रारम्भ हो जाता है जिससे बादलों का निर्माण होता है और वर्षा होती है।
3. चक्रवातीय वर्षा-जब ठण्डी व गर्म वायुराशियाँ विपरीत दिशा से आकर मिलती हैं, तो वह एक-दूसरे से मिश्रित नहीं होती वरन एक असततता का क्षेत्र निर्मित करती है अर्थात् इन दोनों हवाओं के मिलन स्थल पर वाताग्र निर्मित हो जाता है। इस वातान के ऊपर गर्म तथा नीचे ठण्डी वायुराशियाँ आ जाती हैं। ऊपर की गर्म हवाएँ नीचे की ठण्डी हवा एवं ऊँचाई के प्रभाव से ठण्डी होने लगती है तथा उनमें मंद गति से संघनन प्रारम्भ हो जाता है तथा वर्षा होने लगती है। वर्षण का वितरण-समस्त पृथ्वी पर वर्षा की औसत मात्रा 97 सेमी. है परन्तु इसमें बहुत अधिक स्थैतिक विविधता पायी जाती है। यह मात्रा भी वर्षभर समान नहीं होती है। वर्षा के वितरण को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है
प्रश्न 17.
निरपेक्ष आर्द्रता (उत्तर 20 शब्दों में दें)
उत्तर:
वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे ग्राम प्रति घन मीटर में प्रदर्शित किया जाता है। निरपेक्ष आर्द्रता व तापमान में अनुकूल सम्बन्ध होता है।
प्रश्न 18.
वर्षण तथा वर्षा में अन्तर।
उत्तर:
वायुमण्डल में जलवाष्प के द्रवण से उत्पन्न नमी जो बादलों में संचित हो जाती है और पृथ्वी पर वर्षा हिम, ओले आदि के रूप में गिरती है, वर्षण कहलाती है। जबकि बादलों से पृथ्वी पर गिरने वाली जल की बूंदों को वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 19.
सापेक्षिक आर्द्रता।
उत्तर:
दिए गए तापमान पर अपनी पूर्ण क्षमता की तुलना में वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्षिक आर्द्रता कहा जाता है।
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