RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 5

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 5 Questions and Answers.

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RBSE Class 11 English Solutions The Guide Translation in Hindi Part 5

1. If the show was .................... enjoyment of life?" (Pages 164-166)

कठिन शब्दार्थ : expostulated (इक्सपॉस्ट्यूलेट) = सविनय आपत्ति करना, विरोध प्रकट करना। citadel (सिडल्) = नगर दुर्ग, गढ़, किला। supplicants (सप्लिकन्ट) = याचना करने वाला, प्रार्थी, याचक। bouncing (बाउन्सिङ्) = प्रसन्नचित्त और उत्साही, जिन्दा दिल, सजीव। contentment (कनटेन्टमन्ट) = मधुर सन्तुष्टि, संतोष। bullying (बुलिङ) = उस पर रोब जमाना।

हिन्दी अनुवाद-यदि शो छह बजे होता, मैं सामान्यतया नलिनी पर जोर डालता कि वह दोपहर बाद चार बजे तक आराम करे। यदि हम किसी घर में मेहमान होते थे, वह आमतौर पर वहाँ पर वहाँ की महिलाओं के साथ बैठना पसन्द करती और उनसे अन्तहीन बातें करती। परन्तु मैं उसके पास जाता और बहुत अधिक विनम्र दृढ़ता के साथ कहता, "मैं सोचता हूँ कि तुमको थोड़ी देर विश्राम करना चाहिए, पिछली रात की ट्रेन की यात्रा आरामदायक नहीं थी।" और वह वाक्य बीच में समाप्त कर देती वह वाक्य जो वह बोल रही या सुन रही थी और हमारे मेहमान घर तक आ जाती थी।

वह बीच में आने पर नाराज महसूस करती थी। "तुमने आकर क्यों मुझे इतने सारे लोगों के साथ से खींच लिया? क्या मैं बच्ची हूँ?" मैंने उससे सविनय आपत्ति की थी कि यह उसके स्वयं के भले के लिए मैंने ऐसा किया था। मैं जानता था यह केवल आंशिक सत्य था। यदि मैं अपने हृदय का परीक्षण करता मैं जानता कि मैंने उसे बाहर बुलाया था कि मैं उसे दूसरे लोगों के साथ आनन्द करते देखना पसन्द नहीं करता था। मैं उसे एक किले में रखना चाहता था। यदि शो के बाद में कोई ट्रेन पकड़नी होती, मैं एक कार की व्यवस्था रखता जो हमारा स्टेशन ले जाने के लिए तैयार होकर इन्तजार करती रहती थी। हम खाना खाते थे जो हम ट्रेन में सिल्वर या स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में लाते थे और हम अपना रात का भोजन अपने कम्पार्टमेन्ट के एकान्त में खाते थे। 

परन्तु यह एक संक्षिप्त, थोड़े समय का आराम था, जैसा था वह वापस शुरू होने वाला था, हम दूसरे स्टेशन पर उतरते, दूसरा प्रदर्शन का कार्यक्रम करते और वापस वहाँ से चल देते थे। जब हम किसी महत्त्वपूर्ण स्थान पर जाते थे, वह कभी-कभी किसी प्रसिद्ध मन्दिर या दुकान या किसी घूमने वाले स्थल पर ले जाने के लिए कहती थी। मैं हमेशा जवाब देता था, "हाँ, हाँ। हमें यह देखना पड़ेगा कि क्या यह कार्य इस दौरान किया जा सकता है", परन्तु यह कभी भी नहीं किया जाता था, क्योंकि मुझे हमेशा दूसरी गाड़ी पकड़नी होती थी जिससे कि आगे का कार्यक्रम किया जा सके। हम सारे दिन और दिन की समाप्ति पर भी मशीन की तरह से काम करते रहते थे-वही स्टेशन पर स्वागत, व्यवस्थापक, लोगों का सामना और चेतावनियाँ, वही पहली पंक्ति में मध्य का सोफा, भाषण और टिप्पणियाँ और मुस्कुराहटें, विनम्र बातचीत, मालाएँ और चमकदार फोटोग्राफ्स, बधाइयाँ और वापस ट्रेन पकड़ने के लिए चल देना - सबसे महत्त्वपूर्ण चीज 'चेक' को जेब में डालना। 

धीरे-धीरे मैं कहने लगा था, "नहीं, मैं त्रिची नलिनी के साथ एक कार्यक्रम के लिए जा रहा हूँ।" परन्तु "मैं रविवार को त्रिची में कार्यक्रम करूँगा, सोमवार को मेरा कार्यक्रम है.............." और तब, "मैं आपके स्थान पर नृत्य कर सकता हूँ.....।" मैं ऊँची फीस माँगता था, और इसे ले भी लेता था, भारत में किसी से भी यह सम्भव था। मैं उन लोगों के साथ व्यवहार करता था जो शो के लिए एक याचक की तरह से आते थे। मेरी मासिक आय बहुत बड़ी थी, मैं एक भारी-भरकम रकम नौकरों और अपने तौर-तरीकों पर खर्च करता था, और एक बड़ी रकम आयकर में देता था। फिर भी मैं यह पाता था कि नलिनी यह सब आराम से, निर्विकार भाव से स्वीकार करती उसमें उछलती हुई प्रसन्नता नहीं थी।

वह हमारे पुराने मकान में इतनी प्रसन्न जीव दिखती थी, उस समय भी जब मेरे मामाजी उस पर रोब जमाते थे। नलिनी प्रत्येक माला को सावधानीपूर्वक रखती थी जो वह कार्यक्रम के अन्त में प्राप्त करती थी। प्रायः वह इसे काट लेती, उस पर पानी छिड़क देती और सावधानी से बचाकर रखती थी, यहाँ तक कि जब हम ट्रेन में होते थे, तब भी। वह कहती थी माला का एक हिस्सा पकड़ लेती और इसकी खुशबू के लिए सूंघती थी, "मेरे लिए यह सारी गतिविधियों का एक उपयोगी भाग है।"

जब हम गाड़ी में होते थे तब वह यह कहती थी। मैं उससे पूछता था, "तुम ऐसा किस वजह से कहती हो?" "मुझे चमेली से प्यार है।" "उस चैक से नहीं जो इसके साथ आता है?" "किसी को इतने अधिक का क्या करना है? सारे दिन और सारे सप्ताह तुम चैक इकट्ठा करते रहते हो, और अधिक और प्रायः और अधिक। परन्तु वह समय कब आएगा जब हम इन चैकों का प्रयोग कर आनन्द लेंगे?"  "अच्छा, तुम्हारे पास एक बड़ा घर है, बड़ी कार और क्या नहीं है - क्या यह जीवन का आनन्द नहीं

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2. I don't know...........................at the current market price. (Pages 166-167)

कठिन शब्दार्थ : weariness (विअरिनस) = थकान, क्लांति । prod (प्रॉड) = धकेलना। pricked (प्रिक्ट) = चुभोना। fatiguing (फटीगङ) = गहरी थकान। shrewd (श्रुड) = समझदार, सयाना, चतुर। fondled (फॉन्डल्ड) = प्यार या कामुक भाव से किसी को छूना या सहलाना। absurd (अबसड) = बेतुका, जो बिल्कुल भी तर्कसंगत न हो। dread (ड्रेड) = अत्यधिक भय। surreptitious (सरपटिशस्) = गुप्त रीति से किया गया। reinstate (रीइनस्टेट) = किसी को उसके पूर्व पद या नौकरी पर वापस लेना।

हिन्दी अनुवाद-"मैं नहीं जानती हूँ।" वह अपने आप में रहते हुए बोली। "मैंने कितनी इच्छा की थी कि मैं भीड़ में जाऊँ, यहाँ वहाँ घूम, ऑडिटोरियम में सीट पर बैलूं, और शाम को निकल जाऊँ बिना किसी मेक अप या स्टेज के लिए ड्रेस पहने।"

कुछ खतरनाक थकान उस पर आती प्रतीत हो रही थी। मैंने सोचा कि उसे अधिक कुरेदना ठीक नहीं होगा। शायद वह कम-से-कम कार्यक्रम की व्यस्तताएँ चाहती हो, परन्तु वह सम्भव नहीं था। मैंने पूछा, "तुम यह नहीं कह रही हो कि तुम्हारे पैर दर्द कर रहे हैं, क्या तुम कह रही हो?" इसका इच्छित प्रभाव पड़ा था। यह उसके गर्व को चुभा था और वह बोली, "निश्चित रूप से नहीं। मैं प्रत्येक शो में कई घण्टों तक नाच सकती हूँ। केवल तुम मुझे रोकना चाहते हो।" "हाँ, हाँ, सही है।" मैं चीखा, "अन्यथा तुम अपने आप को थका लोगी।"

"केवल यही नहीं; तुमको ट्रेन भी पकड़नी होती है - यद्यपि क्या खो जाएगा यदि हम अगले दिन की गाड़ी पकड़ लें, मैं नहीं जानती।" मैंने उसे उसका वाक्य पूरा करने की आज्ञा नहीं दी। मैंने उसे चापलूसी से एक समझदार लड़की कहा, हँसा और जैसे इस चुटकुले का आनन्द लिया हो, प्यार से उसे सहलाया, और उसे वह विषय भुला दिया। मैंने सोचा यह विचारों की एक खतरनाक श्रृंखला है। यह अतार्किक प्रतीत हुआ कि हम कम कमाएँ इतना अधिक नहीं कि हम उसकी व्यवस्था नहीं कर सकें। मेरा दर्शन यह था कि इसके समाप्ति तक अधिकतम पैसा निचोड़ लिया जाए। हमें संसार के सारे धन की जरूरत थी। 

यदि मैं कम समृद्धशाली होता, कौन मेरी परवाह करेगा? वे मुस्कुराहटें कहा होंगी जो अब मेरा अभिवादन करती हैं जहाँ कहीं मैं जाता हूँ, और सहमतिपूर्ण सम्मान जो मेरी टिप्पणियों पर होता है जब मैं उस आदमी से कुछ कहता हूँ जो मेरी अगली कुर्सी पर बैठा रहता है, "यदि हम काम नहीं करते और कमाते नहीं है जब समय अच्छा होता है, हम एक पाप करते हैं । जब हमारा बुरा समय होता है कोई हमारी सहायता नहीं करता है।" जहाँ तक सम्भव था मैं बड़े निवेश की योजनाएँ बना रहा था - जहाँ तक हम कम मात्रा में गिन सकते थे। जैसेकि यह था, जो तरीका मैंने रहने और आवभगत का अपनाया था वह हमारे सारे स्रोतों को समाप्त कर रहा था। कभी-कभी वह कहती थी, "केवल हम दोनों पर दो हजार रुपए खर्च करना, क्या और साधारण तरीके से रहने का तरीका नहीं है?"

"वह मुझ पर छोड़ दो, हम दो हजार रुपये खर्च करते हैं क्योंकि हमें वह करने पड़ते हैं। हमें हमारी स्थिति बनाए रखनी पड़ती है।" बहुत विचार के बाद, मैंने उसके नाम से बैंक का खाता चलाया था। मैं नहीं चाहता था कि मुझे उधार देने वाले वापस मेरे पास आने लगे। मेरा स्थगन का वकील अपनी गति से आगे बढ़ रहा था, कभी-कभार मेरे पास वह हस्ताक्षरों या पैसे के लिए आता था, और बिना मुझे परेशान किए सब व्यवस्था करता था। नलिनी किसी भी चैक पर दस्तखत कर देती थी जो मैं उसे दस्तखत करने के लिए कहता था। एक बात मैं अवश्य यहाँ पर जोडूंगा, जब कभी मैं कस्बे में होता था मेरे दोस्तों का एक बड़ा समूह था  और हम ताश खेलते थे और चौबीस घण्टों तक अनवरत खेलते थे। 

मैंने इस उद्देश्य के लिए अलग से एक कमरा रखा था, मेरे दो व्यक्तिगत नौकर मुझे चाय और कॉफी परोसते थे और कभी तो उसी जगह खाना भी परोसते थे और हम गुप्त तरीके से शराब सेवन भी करते थे, यद्यपि वहाँ पर इसका प्रतिबन्ध था अच्छा, पर रोक का कानून प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं था। मैंने एक चिकित्सा प्रमाण पत्र प्राप्त करने की व्यवस्था कर ली थी कि मुझे मेरे फायदे के लिए शराब की आवश्यकता है। यद्यपि मैं स्वयं बहुत कम शराब लेता था, मैं एक गिलास व्हिस्की घण्टों तक चिपकाए रखता था।"आज्ञा-धारक" हमारी ओर एक सामाजिक परक बन गया था और महत्त्वपूर्ण लोगों को मेरी ओर आकर्षित करता था। क्योंकि आज्ञा प्राप्त करना एक कठिन कार्य था। मैं गली की खिड़की बन्द रखकर कानून के प्रति सम्मान प्रदर्शित करता था जब मैं आज्ञा नहीं प्राप्त लोगों को शराब परोसता था। हर प्रकार के आदमी मुझे 'राज' कहकर पुकारते थे और मुझसे बेहतर सम्बन्ध रखते थे। हम कभी-कभी तो दो दिन तक तीन पत्ती खेलते थे। मैं इस उद्देश्य के लिए दो हजार का चैक खुला कराता था,

और दूसरे लोगों से उम्मीद करता था कि वे समान शर्तों पर मुझसे मिलें। हर प्रकार के लोगों से अन्तरंगता के द्वारा, मैं जानता था कि सरकार में, बाजार में, दिल्ली में, रेसकोर्स में होता था और इस सप्ताह कौन क्या बनने जा रहा था। मैं एक क्षण की सूचना पर ट्रेन का आरक्षण ले सकता था, न्याय के कार्य से बुलाए गए व्यक्ति को छुड़वा सकता था, अपदस्थ अधिकारी को फिर से नौकरी दिलवा सकता था, कोऑपरेटिव चुनाव में वोट ले सकता था, समिति का सदस्य नामित कर सकता था, किसी आदमी को नौकरी दिलवा सकता था, बच्चे का स्कूल में दाखिला दिलवा सकता था, किसी अप्रसिद्ध अधिकारी को कहीं और लगवा सकता था, सभी मुझे महत्त्वपूर्ण सामाजिक सेवाएँ लगती थीं, एक प्रभाव जो कि वर्तमान बाजार की कीमतों में खरीदने योग्य था।

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3. In the glow of this........ ..............to conceal the sun. (Pages 168-169)

कठिन शब्दार्थ : embittered (इमबिटड्) = कड़वाहट भरा। preoccupation (प्रिआक्यूपेशन) = ध्यानमग्नता, किसी बात के विषय में लगातार सोचने या चिन्ता करने की मनःस्थिति। gorgeous (गाँजस) = आकर्षक, भव्य, शानदार। monograph (मॉनग्राफ) = प्रबन्ध, विनिबन्ध। impersonal (इमपस्नल) = अवैयक्तिक। speculating (स्पेक्यूलेटिङ) = अनुमान लगाना, अटकल लगाना। corpse (कॉप्स्) = शव, लाश। radiant (रेडिअन्ट्) = उल्लासपूर्ण।

हिन्दी अनुवाद-इस उल्लासपूर्ण अस्तित्व की चमक में, मैंने व्यावहारिक रूप में इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि मारको अभी है। हम मुश्किल से उसके नाम का उल्लेख करते थे। मैंने कभी इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया था कि वह अभी भी पृथ्वी पर निवास करता था, और मैं केवल आवश्यक पूर्ण सावधानी बरतता थामैं उसके घर के पास के कार्यक्रमों से बचता था। मैं उसका सामना करने के खतरे से भागना नहीं चाहता था। मुझे इसका कोई पता नहीं था कि नलिनी के मन में क्या था। मेरा विश्वास था कि वह उसके विचार पर अभी भी कड़वाहट से भर जाती थी, और शायद उसे याद नहीं करती थी। 

मैं अनुमान लगाता था कि उसके साथसाथ सम्बन्ध मद्धिम, जड़वत और अस्तित्वहीन हो चुके थे। मैंने यह भी सोचा था कि अपने नलिनी नाम के पीछे वह सुरक्षित रूप से उसकी परिधि से बाहर थी, परन्तु मैं गलत था। हम मालगुड़ी में पूरे एक सप्ताह खेले थे। डाक से एक दिन एक पुस्तक आई। आमतौर पर मैं विविध संग्रह की डाक प्राप्त करता था - विवरण पत्र, कार्यक्रम, गीत और क्या-क्या नहीं, यह सभी मेरी सचिव के द्वारा देखकर निपटा दी जाती थीं। कुछ तमिल और अंग्रेजी के विस्तृत आलेख पत्र जो नलिनी के मतलब के थे वे उसके पास भेजे जाते थे। 

मैं सिवाय कार्यक्रमों की प्रस्तुति हेतु आने वाले पत्रों के मुश्किल से किसी अन्य की तरफ देखता था और निश्चित रूप से कभी भी पुस्तकों और जर्नल्स की ओर नहीं देखता था। मैं ध्यानमग्नता वाला आदमी था और मैं आजकल यह असम्भव पाता था कि किसी पुस्तक को लेकर बैठ जाऊँ और मैंने मेरे सचिव को यह निर्देशित किया था कि वह मुझे उनके बारे में परेशान नहीं करें। परन्तु एक दिन वह एक पैकेट लाया, यह कहते हुए "श्रीमान क्या आप इसे देखेंगे। मैंने सोचा कि यह विशेष रुचि का होगा।"

उसने पुस्तक को खोला, मैंने इसे उससे छीन लिया। यह मारको द्वारा लिखी गई पुस्तक थी। एक पुस्तक जो चित्रों और टिप्पणियों से भरी हुई थी।"पेज सं. 158 देखें" एक पेन्सिल से लिखा गया सन्देश यह कह रहा था। मैंने इसे पलटा और यह वहाँ पर था, इसका शीर्षक था, "मेम्पी की गुफाओं की तस्वीरें।" पाठ के मुख्य टॉपिक पर एक लाइन थी जो कहती थी, "लेखक अपना आभार व्यक्त करते हुए श्री राजू मालगुड़ी रेल्वे स्टेशन का उसकी सहायता के लिए ऋण को स्वीकारता है।" बम्बई में प्रकाशकों की एक फर्म से यह पुस्तक आई थी, उनकी शुभेच्छाएँ उसमें थीं और लेखक के निर्देश पर भेजी गई थीं। यह एक भव्य पुस्तक थी जिसकी कीमत बीस रुपए थी, यह कला के चित्रों, दक्षिण भारत के सांस्कृतिक इतिहास पर एक प्रबन्ध था। यह सम्भवतः एक प्रसिद्ध पुस्तक थी जो इस विषय पर लिखी थी परन्तु मेरी पहुँच से पार थी।

मैंने सचिव से कहा, "मैं इसे रख लूँगा। यह सब ठीक है।" मैंने पृष्ठों को पलटा। लड़का इसे एक विशेष विषय मानकर क्यों लेकर आया था? क्या वह जानता था कौन-कौन था? या ? मैंने विचार निरस्त कर दिया था। यह अवश्य ही रहा होगा क्योंकि वह इसके नीले और स्वर्णिम बंधन और विषय-वस्तु की उत्कृष्टता की वजह से यह सोचकर लाया हो।

वह अवश्य ही डर गया था कि यदि उसने मेरा ध्यान इस ओर नहीं खींचा है, तो मैं सम्भवतया उससे एक स्पष्टीकरण माँग सकता हूँ। बस यही सब था। इसलिए मैंने कहा, "धन्यवाद, मैं इसे पढ़ लूँगा।" और तब मैं यह आश्चर्य करते हुए बैठ गया कि मुझे इसके बारे में क्या करना चाहिए। क्या मैं इसे नलिनी के पास ऊपर ले जाऊँ या? मैंने अपने आपसे कहा, "उसे इससे क्यों परेशान किया जाए? आखिरकार, यह एक अकादमिक कार्य है, जिसने उसे पर्याप्त रूप में उबाया था।" मैंने इसे वापस पुनः घुमाया, यह देखने के लिए कि क्या कोई पत्र इसके साथ संलग्न था। नहीं। यह अवैयक्तिक था। जैसे बिजली का बिल। 

मैंने पेज सं. 158 को खोला और उस टिप्पणी को फिर से पढ़ा। मेरा नाम प्रिन्ट में देखकर मैं रोमांचित हो रहा था। परन्तु उसने ऐसा क्यों किया था? मैं उसके उद्देश्यों का अनुमान लगाते हुए अपने आप में खो गया था। क्या वह अपने शब्दों को रखने के लिए यह कर रहा था क्योंकि उसने वादा किया था, या क्या यह दिखाना था कि वह मुझे इतने हल्केपन से भूल गया था? किसी भी प्रकार से, मैंने सोचा कि इस पुस्तक को अलग रख देना श्रेष्ठ रहेगा। मैं इसे अपने सबसे अधिक गुप्त और घर के सुरक्षित स्थान पर ले गया थाशराब की आलमारी, जो ताश-घर से जुड़ी थी, जिसकी चाबी मैं अपने दिल से लगाकर रखता था उस पुस्तक को नजरों से दूर लूंस दिया था, और इसे ताले में बन्द कर दिया था।

नलिनी कभी भी इसके नजदीक नहीं गई थी। मैंने यह पुस्तक कभी भी उसे नहीं बताई थी। आखिरकार मैंने अपने आप से कहा "वह इसका क्या करेगी? यह पुस्तक मुझ तक भेज दी गई है, और मेरी सेवाओं का आभार प्रदर्शन किया गया है।" परन्तु यह ऐसा था मानो कोई शव छुपा दिया था। मैं इस निर्णय पर पहुँचा कि इस संसार में कुछ भी छुपाया या दबाया नहीं जा सकता है। इस प्रकार के सारे प्रयास इस तरह के लगते हैं कि छाते से सूरज को छिपाया जा रहा हो।।

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4. Three days later Marco's..................to hide it from me? (Pages 169-170)

कठिन शब्दार्थ : epoch (ईपॉक्) = इतिहास का विशिष्ट युग या काल। clattering (क्लैटङि) = खड़खड़ाते हुए। unprecedented (अन्प्रेसिडेंटिड) = अभूतपूर्व, पहले घटित नहीं हुआ। agitation (एजिटेशन) = हलचल, आन्दोलन। averted (अवटड) = अप्रिय घटना को रोकना, टालना। lapse (लैप्स) = कमी। reclining (रिक्लाइनिङ) = अधलेटे हुए।

हिन्दी अनवाद-तीन दिनों के बाद मार्को की फोटो "इलस्ट्रेटेड वीकली ऑव बॉम्बे" के मध्य पृष्ठ पर आई थी। The Illustrated Weekly वह अखबार था जिसे नलिनी हमेशा पढ़ती थी इसमें शादियों के चित्र, कहानियाँ और निबन्ध होते थे जिनका वह आनन्द लेती थी। यह फोटोग्राफ पुस्तक चर्चा के साथ प्रकाशित हुआ था, जिसका नाम था, "भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में एक विशिष्ट युग।" मैं हॉल में बैठा अपने खातों को देख रहा था, सभी मिलने वालों से स्वतन्त्र था। मैंने तेजी से दौड़ते आते हुए कदमों की खड़खड़ाहट को सुना। मैं मुड़ा और उसे पत्रिका अपने हाथ में लेकर आते हुए देखा, वह बहुत उत्तेजना में थी। उसने कागजों को मेरे सामने डालते हुए पूछा, "क्या तुमने वह देखा था?"

मैंने उसे उचित आश्चर्य दिखाया और कहा, "अपने आपको शांत करो। बैठ जाओ।"
"यह वास्तव में बहुत बढ़िया है। वह अपने सारे जीवन इसके लिए काम करता रहा था। मुझे आश्चर्य है कि वह पुस्तक किस प्रकार की होगी।"
"ओह, यह अकादमिक है। हम इसे नहीं समझेंगे। वे लोग जो इस तरह की चीजों का ध्यान रखते हैं, यह अवश्य ही रुचिकर होगी।"
"मैं उस पुस्तक को देखना बहुत अधिक चाहती हूँ। क्या हम इसे कहीं से प्राप्त नहीं कर सकते हैं?" उसने अचानक मेरे सचिव को बुलाया। यह उसकी ओर से एक अभूतपूर्व कार्य था।"मणि" उसने कहा और उसे तस्वीर पकड़ा दी, "तुम्हें यह पुस्तक मुझे अवश्य लाकर देनी है।"

वह नजदीक आया, पद्यांश को पढ़ा, एक क्षण के लिए सोचा, मेरी ओर देखा और बोला, "ठीक है मैडम।"
मैंने उसे जल्दी से कहा, "वह पत्र जल्दी से तैयार करो, और तुम स्वयं पोस्ट ऑफिस जाओ और लेट फीस जोड़ना याद रखना।" वह चला गया था। वह अभी भी वहाँ पर बैठी थी। जब तक कि उसे मिलने वालों से मिलने के लिए नहीं बुलाया गया था, वह कभी सीढ़ियों के नीचे नहीं आई थी। वह क्या हलचल थी जो उसे ऐसा करने के लिए दबाव डाल रही थी। मैंने एक क्षण के लिए आश्चर्य किया कि क्या वह पुस्तक मुझे उसके लिए बाहर नहीं लानी चाहिए थी। परन्तु वह मुझे बहुत अधिक स्पष्टीकरण पूछती। मैंने केवल सारी चीज को दबा दिया था। वह ऊपर वापस अपने कमरे में चली गई थी। मैंने बाद में ध्यान दिया कि उसने अपने पति की फोटो को काटा और अपने ड्रेसिंग के शीशे पर उसे लगा दिया था। मैं थोड़ा सकते में आ गया था। मैं उसे एक मजाक के रूप में बनाने वाला था, परन्तु मुझे सही शब्द नहीं मिल रहे थे, इसलिए इसे अकेला छोड़ दिया था। मैं अपनी आँखें घुमा लेता था जब मैं ड्रेसिंग के शीशे के सामने से गुजरता था।

यह कस्बे में लम्बा सप्ताह था, अन्य हम पूरा सप्ताह इधर-उधर घूमने में व्यस्त रहते थे, और सम्भवतः इलस्ट्रेटड वीकली का वह अंक नहीं पढ़ पाते। तीसरे दिन, जब हम बिस्तर में थे, जो सबसे पहला प्रश्न उसने मुझसे पूछा था वह था, "तुमने वह पुस्तक कहाँ रखी है?"
"इसके बारे में तुम्हें किसने कहा?" "परेशान क्यों हो?" मैं जानती हूँ यह तुम्हारे पास आ गई है। मैं इसे देखना चाहती हूँ।
"ठीक है। मैं तुम्हें यह कल दिखा दूंगा।" स्पष्टतः मणि अवश्य ही उत्तरदायी होगा। हमारे प्रतिष्ठान में मैंने यह एक प्रथा बना दी थी कि मेरा सचिव उससे सीधा मिल सकता है, परन्तु वह प्रक्रिया टूटती जा रही थी। मैं उसे सही तरीके से दण्डित करने का निश्चय कर चुका था। वह तकिये पर अधलेटे हुए बैठ गई उसके हाथ में जर्नल था, वह पढ़ने का प्राकट्यकरण कर रही थी, परन्तु वास्तव में वह अपने आपको एक लड़ाई के लिए तैयार कर रही थी। उसने एक क्षण के लिए पढ़ने का बहाना किया और अचानक पूछा, "तुम इसे मेरे से क्यों छुपाना चाहते थे?"

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5. I was not ready..............................professional existence. (Pages 171-172)

कठिन शब्दार्थ : fancy (फैन्सि) = किसी बात की मनोनुकूल कल्पना करना। recklessly (रेकलसलि) = दुःसाहस के साथ, लापरवाही के साथ। throttle (थ्रॉटल) = गला घोंटना। appalling (अपालिङ) = भय और विस्मय उत्पन्न करने वाला। submissiveness (सबमिसिवनस) = नम्रता, दब्बूपन। seduce (सिड्युस) = फुसलाना। moron (मॉरॉन) = बुद्धू, बेवकूफ। imbecile (इमबसील) = मूर्ख व्यक्ति। bewildered (बिविल्डर्ड) = हक्का-बक्का, विस्मित और चकराया हुआ। hectic (हैटिक्) = अत्यधिक व्यस्त, प्रायः बहुत से कार्य शीघ्र करते हुए।

हिन्दी अनुवाद-मैं इसके लिए तैयार नहीं था, और इसलिए मैंने कहा, "क्या हम इस सबकी कल चर्चा नहीं कर सकते हैं? अब मुझे बहुत ज्यादा नींद आ रही है।"
वह लड़ने के लिए तैयार थी। उसने कहा था, "आप मुझसे एक शब्द में यह कह सकते हैं आपने यह क्यों किया और तुरन्त सो जाइए।"
"मैं नहीं जानता था कि यह तुमको रुचि देगा।" "क्यों नहीं? आखिरकार" "तुमने मुझे यह कहा था कि तुमने कभी भी यह नहीं सोचा था कि उसका कार्य रुचिकर था।"
"अब भी शायद मैं ऊब जाती। परन्तु जो कुछ उसके साथ हो रहा है वह मुझे रुचि देने के लिए बाध्य है। मुझे खुशी है कि अब उसने अपना एक नाम बना लिया था, यद्यपि मैं नहीं जानती हूँ कि यह सब किसकेबारे में है।"
"तुम अचानक स्वयं यह कल्पना कर रही हो कि तुमको उसमें रुचि है, बस और कुछ नहीं। परन्तु पुस्तक मेरे पास आई थी, तुम्हारे पास नहीं याद रखना।"
"क्या यह पर्याप्त कारण है कि इसे मुझसे क्यों छुपाया गया था?"
"मैं वह कर सकता हूँ जो मैं अपनी पुस्तक के साथ करना चाहूँ, मैं यह मानता हूँ? बस । अब मैं सोने जा रहा हूँ। यदि तुम पढ़ नहीं रही हो, परन्तु तुम केवल सोच रही हो, तुम ऐसा अंधेरे में भी कर सकती हो, और रोशनी बुझा सकती हो।"

मैं नहीं जानता था कि मैं इतने दुःसाहस के साथ कैसे बोला था? रोशनी बुझा दी गई थी, परन्तु मैंने पाया था कि वह बैठी हुई थी और अंधेरे में रो रही थी। मैं एक क्षण के लिए आश्चर्य करने लगा क्या मुझे क्षमा मांग कर उसे आराम देना चाहिए। परन्तु मेरी इच्छा अन्यथा हो गई थी। वह बहुत सारा दुःख इकट्ठा कर रही थी, यह मुझे लग रहा था। यह उसके लिए अच्छा होगा कि यह सब कुछ वे मेरी व्यवधान के बिना भी कर लें।... मैं मुड़ा और मैंने सोने का बहाना बताया। आधा घण्टा गुजर गया था। मैंने बत्ती जलाई, और वह वहाँ पर थी, अभी भी चुपचाप रो रही थी।

"तुमको क्या हो गया है?" "आखिर, आखिर, वह मेरा पति है।"
"बहुत बढ़िया। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जिससे तुम रोओ। तुम्हें उसकी प्रतिष्ठा से खुशी होनी चाहिए।"
"मैं खुश हूँ" वह बोली। "तब रोना बन्द. करो और सो जाओ।" "तुम्हें इससे चिढ़न क्यों होती है जब मैं उसकी बात करती हूँ।"
मैंने महसूस किया था कि सोने के प्रयास करने का कोई उपयोग नहीं है। मुझे भी इसी तरह चुनौती स्वीकार करनी पड़ेगी। मैंने जवाब दिया, "तुम पूछती हो, क्यों? क्या तुम्हें याद नहीं है कि कब और कैसे उसने तुम्हें छोड़ा था?"

"मुझे याद है और मैं इसके कम योग्य भी नहीं थी। कोई और पति मेरा गला दबा देता वहीं और उसी समय । उसने करीब एक माह तक मेरा साथ सहन किया था, यह जानने के बाद भी कि मैंने क्या किया था।"
"तुम एक घटना के बारे में दो तरीकों में बात कर रही हो। मैं नहीं जानता हूँ मुझे किसे लेना पड़ेगा।"
"मैं नहीं जानता, मैं उसके बारे में मेरे निर्णय पर गलत हो सकती हूँ। आखिरकार वह मेरे प्रति दयालु रहा है।"
"उसने तुम्हें छुआ तक नहीं।"

"क्या तुम मुझे इससे ताना दे रहे हो?" उसने अचानक दब्बूपन से पूछा । मैं उसे समझ नहीं पा रहा था। मुझे यह डराने वाला विचार महीनों-महीनों से था मैंने सोया, खाया और जीया था उसके साथ बिना उसका मन कम-से-कम समझे। उसके विचार कैसे थे? क्या वह समझदार थी या पागल थी? क्या वह झूठी थी? क्या उसने सारे इल्जाम जो उसने अपने पति पर लगाए थे जब हम पहली बार मिले थे केवल मुझे फुसलाने के लिए थे? क्या वह अब भी बहुत सारे इल्जाम मुझ पर लगाएगी अबकि वह बहुत थका देने वाली लग रही थीकहने की उस सीमा तक कि मैं एक बेवकूफ और मूर्ख व्यक्ति था? मैंने उलझा हुआ और दुःखी महसूस किया था। मैं अचानक उसके पति के लिए आए उसके प्यार को नहीं समझा था। यह अचानक-सा क्या विचार था जो अब उस पर छा रहा था। मैंने उसके लिए अपना सबसे अच्छा कार्य किया था। उसका जीवन अपने सबसे ऊँचे स्तर पर था। वह क्या था जो अभी भी उसे परेशान कर रहा था? क्या मैं इस तक पहुँच कर इसका कोई इलाज . पा सकता हूँ? मैं अपने अत्यधिक व्यावसायिक व्यस्त अस्तित्व में इसे स्वीकार कर रहा था।

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6. We must go on a holiday................from quarter to quarter.(Pages 173-174)

कठिन शब्दार्थ : viciously (विशसलि) = दुष्प्रचारिता से। solvent (सॉलवन्ट) = विलायक, अन्य पदार्थ को अपने में विलीन करने वाला तरल। knack (नैक) = कोई काम करने की नैसर्गिक या अर्जित कुशलता। paroxysm (पैरॅकसिज्म) = दौरा, आवेग, आवेश। morose (मरोस) = बदमिजाज, असौम्य। contagion (कन्टेजन) = संक्रमण फैलाने वाला रोग। chuckle (चक्ल) = मुँह बन्द करके हँसना। smirk (स्मक) = भद्दी या बनावटी मुस्कुराहट। ample (एम्पल) = विशाल, बड़ा, बहुत अधिक। slackening (स्लैकनिङ) = ढीला हो जाना या कर देना।

हिन्दी अनुवाद-"हमें अवश्य ही कहीं पर छुट्टी पर जाना चाहिए।" मैंने कहा। "कहाँ?" उसने व्यावसायिक तरीके से पूछा। मुझे झटका-सा लगा। "कहाँ?" "कहीं पर भी? किसी जगह पर?" "हम हमेशा कहीं पर जा रहे हैं। इससे क्या फर्क पड़ने जा रहा है?"

"हम जाएंगे और स्वयं ही मौजमस्ती करेंगे, अपने स्वयं के स्तर पर बिना किसी कार्यक्रम के।" ..
"मैं नहीं सोचती हूँ कि यह सम्भव होगा जब तक कि मैं बीमार नहीं हो जाऊँ या अपनी जाँघ की हड्डी नहीं तुड़वा लूँ।" उसने कहा और दुष्टता से हँसी, "क्या तुम जानते हो कि कोल्हू के बैल लगातार चक्कर काटते रहते हैं?", एक गोल घेरे में, बिना किसी शुरुआत और अन्त के? मैं बैठ गया और उससे कहा, "हम चलेंगे जितनी जल्दी वर्तमान स्वीकार किए कार्यक्रम समाप्त होते हैं उतनी ही जल्दी।"
"तीन महीनों में?" "हाँ। जब वे समाप्त हो जाएंगे हम थोड़ी देर सांस लेने के लिए रुकेंगे।"

वह इससे इतनी अविश्वसनीय लगी थी कि मैंने कहा, "अच्छा, यदि तुम्हें कोई कार्यक्रम पसन्द नहीं है, तुम हमेशा यह कह सकती हो नहीं।"
"किससे" "क्यों, अवश्य ही, मुझसे" "हाँ, यदि तुम स्वीकार करने से पहले मुझे क्या या अग्रिम राशि लेने से पर्व।" उसके साथ अवश्य ही गम्भीरता से कुछ गलत हो रहा था। मैं उसके बिस्तर के पास गया, उस पर बैठ गया, कंधे से पकड़ कर थोड़ा हिलाया सिर्फ उसे इसे व्यक्तिगत दिखाने के लिए, और पूछा, "तुम्हारे साथ क्या मामला है? क्या तुम खुश नहीं हो?"

"नहीं, मैं खुश नहीं हूँ। तुम इसके बारे में क्या करोगे?" मैंने अपनी बाहें फैलायीं। मैं वास्तव में कुछ भी नहीं कह सका था, "अच्छा, यदि तुम मुझे यह कहो क्या गलत है, मैं सहायता कर सकता हूँ। जहाँ तक मैं देख सकता हूँ, ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके बारे में तुम्हें दुःख हो रहा है - तुम प्रसिद्ध हो, तुमने धन कमाया है, तुम वही करती हो जो तुम चाहती हो। तुम नाचना चाहती थी, तुम्हारी वह इच्छा भी पूरी हो गई है।"
"इतनी पूरी हुई है कि मैं तंग आ गई हूँ", उसने टिप्पणी जोड़ी। "मैं उन तोतों में से एक तोते की तरह महसूस करती हूँ जो गाँव के मेले में पिंजरे में ले जाया जाता है, या कोई प्रदर्शित करने वाला बन्दर; जैसे कि मार्को कहा करता था

मैं हँसा। मैंने सोचा कि शब्दों से अधिक हँसना श्रेष्ठ होगा। शब्दों में से शब्द निकलते हैं, जबकि हँसना, कानफोडू हँसना, गर्जना वाला हँसना उसमें सबकुछ निगलने की अर्जित कुशलता होती है। मैंने अपने आपको हँसी के आवेग में काम करवाया। वह इस प्रकार के चेहरे से और अधिक बदमिजाज नहीं रखी जा सकती है। वर्तमान में, वह संक्रमण में पकड़ ली गई थी, एक बन्द मुँह वाली हँसी जोर की हँसी में विकसित हो गई थी, और उससे पहले को वह जान पाती क्या था क्या उसके शरीर को हँसी से प्रफुल्लित कर देता था, उसका सारा दुःख और गलत बातें हँसी में फट गई थीं। हम प्रसन्न मन की मुद्रा में चले गए थे। रात के ढाई बज रहे थे।

इस छोटे से व्यवधान के पश्चात् हमारा जीवन एक क्रम में आ गया था। तीन दिनों के ब्रेक के बाद, इस समय के दौरान मैंने अपने आपको ताशपत्ती में डुबो लिया था, उसके साथ हर चर्चा से बच रहा था, हमारा सामना कम और. कारणवश ही होता था। वह विचारमग्नता के दौर से गुजर रही थी और वह सुरक्षित था कि उसके रास्ते से दूर रहा जाए उसे और उत्साहित नहीं किया जाए। आगे के तीन महीनों के कार्यक्रम सारे महत्त्वपूर्ण थे, वे चल रहे थे जैसे चलते थे, दक्षिण भारत में नृत्य और गीत का मौसम था, जिसके लिए मैंने भारी अग्रिम राशि ली थी। हमारे पास आगे दो हजार मील का एक यात्रा कार्यक्रम था, मालगुड़ी से वापस मालगुड़ी;और यदि हम इसमें से गुजरते उसके पास इन विचारों से जीतने का बहुत अधिक समय था और तब मैं उसे और तीन महीनों के एक कार्यक्रम में धकेल सकता था। इस कार्यक्रम को धीमा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था। यह इतना अनावश्यक लग रहा था, इतना आत्मघाती। मेरी एक मात्र तकनीक उसे अच्छे मूड में रखने की थी जो मेरी श्रेष्ठ योग्यता थी तीन माह से तीन माह तक।

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7. We were getting through.............have created a mess. (Pages 174-175)

कठिन शब्दार्थ : uneventfully (अन्इवेन्टफल) = बिना घटना के, सामान्य स्थिति। accumulation (अक्यूम्यलेशन) = संचय। alias (एलिअस) = छद्म नाम, उर्फ। inexhaustible (इनिंगजासटबल) = अक्षय, जिसे समाप्त न किया जा सके। flap (फ्लैप) = केवल एक पार्श्व से जुड़ा हुआ कागज । elated (इलेटिड) = प्रफुल्लित, उल्लासित। casket (कास्किट) = लकड़ी का बक्सा, पीपा।

हिन्दी अनुवाद-हम अपने कार्यों के साथ सामान्य स्थिति में से गुजर रहे थे। हम मालगुड़ी में वापस आ गए थे। मणि कुछ दिनों के लिए दूर था और मैं व्यक्तिगत रूप से अपनी टेबल पर रखे पत्रों के ढेर में से पत्र देख रहा था। कार्यक्रम प्रस्तुत करने के पेशकश वाले पत्रों को मैं एक तरफ रख रहा था। मेरा उनको स्वीकार करने का इरादा सीधे तौर पर सही नहीं था जैसे कि मैं सामान्यतया किया करता था। मैंने महसूस किया कि उससे बात की जाए इससे पहले कि इन पत्रों का जवाब दूं। निःसन्देह, वह उनको स्वीकार करेगी, परन्तु में उसे विचार विमर्श करने की एक भावना देना चाहता था। मैं उनको छांटता हुआ जा रहा था। अचानक मैं एक पत्र तक पहुँचा जिस पर सम्बोधन "रोजी उर्फ नलिनी" था। यह किसी वकील की मद्रास की फर्म से आया था। मुझे एक क्षण के लिए आश्चर्य हुआ कि इसके साथ क्या किया जाए। वह ऊपर सीढ़ियों में कमरे में थी, शायद अपनी कभी न खत्म होने वाली पत्रिका पढ़ रही होगी। मैं पत्र को खोलने के बारे में चिन्तातुर हो गया था।

मेरी यह पत्र उसके पास ले जाने की आधी इच्छा थी - मेरा समझदार हिस्सा कह रहा था, "यह अवश्य ही उसका व्यवसाय है। वह वयस्क है जिसके अपने स्वयं के मामले भी हैं। वह स्वयं इसके साथ किस तरीके से कार्य करती है, चाहे यह कुछ भी हो।" परन्तु यह एक उड़ती हुई बुद्धि थी। यह पत्र कुछ दिनों पहले पंजीकृत डाक से आया था और उसे मणि ने प्राप्त किया था और उसे टेबल पर रख दिया था। इस पर इसके उड़ते भाग पर एक बड़ी सील लगी थी। मैंने थोड़ी देर इसे सन्देह के साथ देखा, मैंने अपने आपसे कहा कि मुझे इस मोहर से नहीं डरना चाहिए और सिर्फ इसे काट कर खोल देना चाहिए। मैं जानता था कि वह मेरे पत्रों को देखने का बुरा नहीं मानेगी। पत्र वकील के पास से आया था
 
और वह कहता था, "मैडम, हमारे ग्राहक की ओर से प्राप्त निर्देशानुसार, हम आपके हस्ताक्षरों के लिए एक प्रार्थना पत्र संलग्न कर रहे हैं, इसके द्वारा गहनों का एक बक्सा छुड़वाया जा रहा है जो कि बैंक ऑफ.......की तिजोरी में रखा गया था, जो कि बाजार में स्थित है। जब इसे हम प्राप्त कर लेंगे तो हम दूसरे हस्ताक्षर करने के लिए आगे बढ़ेंगे, जैसा कि आप जानती हैं कि जमा आप के संयुक्त नामों से है और हम बताये गए बक्से को प्राप्त कर लेंगे और आपके बीमा राशि के लिए नियत समय पर इसे आगे बढ़ा देंगे।"

मैं खुश था। इसलिए यह उसके लिए और गहने लाने वाला है? वह अवश्य ही प्रफुल्लित होगी। परन्तु यह बॉक्स कितना बड़ा होगा? इसमें रखे सामान की कीमत क्या होगी? यह प्रश्न मेरे मन में थोड़ी देर के लिए हलचल मचा रहे थे। मैं कुछ तथ्य पाने के लिए पत्र में से झांकने का प्रयास किया परन्तु वकील कुछ शब्दों को छोड़ रहा था। मैंने पत्र लिया और जाकर उसे दे रहा था। परन्तु सीढ़ियों पर मैं रुका था। मैं अपने कमरे में वापस गया और अपनी कुर्सी पर बैठ गया, यह सोचने लगा, "अच्छा, मुझे इस पर सोचना चाहिए। इसमें जल्दी कहां है?" मैंने अपने आपसे पूछा। उसने इस बॉक्स के लिए इतने अधिक समय तक इन्तजार किया था। थोड़े दिन रुक जाना कोई बड़ा मामला नहीं है। फिर भी, उसने कभी इसके बारे में नहीं बताया था, शायद उसने इस पर ध्यान नहीं दिया था। मैं इस पत्र को अपनी शराब की आलमारी तक ले गया और इसके ताला लगा दिया। अच्छी बात यह थी कि मणि वहाँ पर नहीं था। अन्यथा वह सब कुछ गड़बड़ कर देता।

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8. I had some visitors after..................grunted some reply. (Pages 175-177)

कठिन शब्दार्थ : distract (डिस्ट्रेक्ट) = किसी व्यक्ति या वस्तु से ध्यान हटाना। generosity (जेनरोसटि) = उदारता। rectitude (रेक्टिट्यूड) = ईमानदारी, साधुता, औचित्य। trigger (ट्रिग(र)) = विशेष प्रतिक्रिया या घटना का कारण बनना। crazy (क्रेजि) = सनकी, पागल, मूर्ख। awkwardness (ऑकवड्नस) = बेढंगापन। grimly (ग्रिमलि) = अनमनेपन से, विषादपूर्ण। rigorously (रिगरसलि) = परिशुद्धता के साथ। inconsequential (इनकनसिक्वेनशल्) = व्यर्थ, महत्त्वहीन, निरर्थक, तुच्छ। bustle (बसल) = हलचलल, शोर। poring over (पॉरि आव(र)) = बहुत सावधानी से पढ़ना या उसका अध्ययन करना। mystic (मिसटिक्) = रहस्य साधक। blurt out (बलट आऊट) = बिना सोचे-समझे बोल उठना।

हिन्दी अनुवाद-इसके बाद मेरे पास कुछ मिलने वालें आ गए थे। मैंने उनसे बात की और शाम को कुछ मित्रों से मिलने के लिए बाहर चला गया। मैंने कई तरीके से अपने ध्यान को हटाने का प्रयास किया, परन्तु वह पैकेट मुझे परेशान करता था। में देर से वापस घर आया। मैं ऊपर सीढ़ियों पर जाने से बचता रहा, मैंने उसकी धुंघरुओं की आवाज ऊपर सीढ़ियों पर सुनी और जान गया था कि वह अभ्यास कर रही थी। मैं अपने दफ्तर की टेबल पर शराब की आलमारी से पत्र के साथ वापस आया। मैंने इसे ध्यान से खोला और फिर से पढ़ा। मैंने संलग्न प्रार्थना पत्र को देखा। यह एक मुद्रित फॉर्म था, उसके हस्ताक्षरों के बाद मार्को के हस्ताक्षरों के लिए जाने वाला था। उस आदमी का इसे अब भेजने का क्या उद्देश्य रहा था? यह अचानक उदारता कैसे आई कि उसे पुराना बॉक्स

वापस दिया जाए? क्या वह उसके लिए जाल डाल रहा था, या यह क्या था? जैसे मैंने किया था वैसे उस आदमी को जानते हुए, मैंने यह सार निकाला कि यह उसके मामलों का सही निपटारा होने से अधिक कुछ नहीं था, यह समकक्ष था जैसे उसने अपनी किताब में मेरा आभार व्यक्त किया था। वह एक ठंडा, मशीन की ईमानदारी की तरह का था, उसके बिल क्रमानुसार थे; उसने शायद कोई समझ नहीं देखी कि रोजी के बॉक्स के लिए और अधिक उत्तरदायित्व बना था। सही तरीके से भी। रोजी के बॉक्स का सही स्थान यहाँ था।

परन्तु इसे कैसे छुड़ाया जाए? यदि रोजी. यह पत्र देखती; भगवान जानता था कि वह क्या करती। मुझे डर था कि वह इसे शान्ति से नहीं देखेगी, व्यावसायिक तरीके से। वह हर संभावना में पूरे तरीके से अपना दिमाग खो देती। वह इस पर अनियंत्रित व्याख्या प्रदर्शित करती और चिल्लाती, "देखो, वह कितना भला है!" और वह अपने को दुःखी करती और मुझसे एक लड़ाई के लिए अपने को बर्बाद करती। इसमें कोई ज्ञान नहीं था कि आजकल विशेष प्रतिक्रिया क्यों होगी। केवल उसका फोटो जो इलस्ट्रेटड वीकली में आया था उसने उसे पागल बना दिया था - उस पुस्तक की घटना के बाद मैं बहुत सावधान था। मैंने उसे पुस्तक कभी नहीं दिखाई थी।

अगले दिन मैंने उसे इसके लिए पूछने के लिए इन्तजार किया, परन्तु उसे इसे आगे कभी नहीं बताया था। मैंने सोचा यह सबसे अधिक सुरक्षित था कि इसे वहाँ पर छोड़ दिया जाए। मैं बहुत सावधान था। मैंने उसे व्यस्त और खुश रखा था, बस और कुछ नहीं। परन्तु मैं सावधान था कि हमारे बीच में बेढंगापन बढ़ रहा था और मैंने अत्यधिक सावधानी के साथ अपने आपको अलग रखा था।

मैं जानता था यदि मैं और समय की इजाजत दूंगा वह एकदम ठीक होगी। परन्तु मैंने महसूस किया था कि उसे यह पत्र दिखाना आत्मघाती होगा। वह शायद कुछ और करने से मना कर दे सिवाय उसकी भलाई के बारे मैं बात करें। या (कौन कह सकता था) वह शायद जोर डाले कि उसके स्थान के लिए अगली ट्रेन पकड़ ले, सब कुछ फैंक कर चली जाए। परन्तु इस पत्र के साथ क्या किया जा सकता था? "सिर्फ इसे व्हिस्की की बोतलों के साथ पड़ा रहने दिया जाए जब तक . कि इसे भुला न दिया जाए।" मैंने अपने आपसे कहा और विषादमय तरीके से हँसा।

पहले की तरह, भोजन के दौरान, हम पास-पास बैठ गए और इस प्रकार की वस्तुओं के बारे में बात .. करने लगे जैसे मौसम, सामान्य राजनीति, सब्जियों की कीमत और दशा और इसी तरह की अन्य बातें। मैंने यह विषय परिशुद्धता के साथ महत्त्वहीन मसलों के साथ रखा। यदि हम किसी और दिन के लिए पकड़ते, यह पूर्ण होता। तीसरे दिन हम फिर से चल पड़ेंगे और यात्रा की हलचल और गतिविधियाँ हमें परेशानी के इस व्यक्तिगत विषय से बचाएंगी। 

भोजन के बाद वह हॉल के सोफा पर पान की पत्ती चबाते हुए बैठ गई, हॉल की टेबल पर रखी पत्रिका के पृष्ठों को पलटती रही और ऊपर चली गई। मैंने राहत महसूस की, झूला सामान्य स्थिति में आ रहा था। मैंने कम समय दफ्तर में बिताया था, खातों को देख रहा था। कुछ ही सप्ताहों. में आयकर की विवरणिका भी भेजी जानी थी। मैं अपनी व्यक्तिगत खाता पुस्तक को ध्यान से देख रहा था कि मैं कहाँ खड़ा था और हमारे खर्चे के खातों को कैसे तैयार किया जाए। इस रहस्यात्मक मामले पर थोड़ी देर सोचने के बाद, मैं ऊपर गया। मैं जानता था कि मैंने उसे पर्याप्त समय दिया था कि वह किसी पुस्तक के पृष्ठों में गहराई से खो जाएगी या सो जाएगी। बात करने से बचने के लिए कुछ भी कर रहा था। मैं अपने स्वयं के दृष्टिकोण के प्रति आजकल अनिश्चित बनता जा रहा था। मुझे डर था कि मैं कहीं पत्र के बारे में बिना सोचे-समझे नहीं बोल दूं। मैंने अपना सिर तकिये पर रखा और एक ओर घूम गया इस फार्मूले के साथ, "मैं सो जाऊंगा, मैं सोचता हूँ। क्या तुम बत्ती बुझा देगी जब तुम अपना काम कर लोगी?" उसने जवाब में कुछ अपुष्ट सा कहा। 

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9. How much jewellery might...........expanding on the subject. (Pages 177-178)

कठिन शब्दार्थ : antiquated (ऐन्टिक्वेटिड) = पुरातन, अप्रचलित, गत प्रयोग। substantial (सबसटैनशल) = मात्रा में बड़ा या अधिक, अच्छा-खासा, प्रचुर। eccentric (इक्सेन्ट्रिक) = सनकी, खब्ती।

हिन्दी अनुवाद-उस बॉक्स में कितने गहने हो सकते हैं? क्या ये गहने मार्को ने उसे दिये थे या मायके से मिले थे? क्या लड़की है! उसने कभी इसके बारे में नहीं सोचा था! शायद वे बहुत पुराने थे और उसने .उनकी परवाह नहीं की थी। यदि ऐसा था वे अब तक बिक कर नकदी में बदल गए होंगे और कोई भी आयकर अधिकारी इसके अस्तित्व पर सोच भी नहीं सकेगा। शायद यह अच्छा-खासा ढेर था यदि इसे सुरक्षित रखा जाए। परन्तु कौन कह सकता था? मार्को सनकी था जो पर्याप्त अजीब बातें करता रहता था। वह इस प्रकार का आदमी था जो कि एक बेकार से पैकट को भी बैंक में रखता था क्योंकि वह करना सही था—सही-का--- म—करना—मैं गहरी नींद में सो गया था।

मध्य रात्रि के तुरन्त बाद मैं जगा। वह खर्राटे ले रही थी। एक विचार ने मुझे परेशान किया था। मैं देखना चाहता था कि क्या उसमें कोई समय सीमा लिखी थी। मान लो मैं पत्र को गुप्त रखता हूँ और कोई गंभीर स्थिति उठ जाए? मैं नीचे जाकर उस कागज को तुरन्त देखना चाहता था। परन्तु यदि मैं उठा, वह भी उठेगी और प्रश्न पूछेगी और यदि मैं इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता हूँ, क्या होगा? वह बॉक्स निरन्तर सुरक्षा में रहेगा या वकील स्मरण पत्र लिख सकता है, जो उस समय आ सकता है जब मैं बाहर जाऊं और उसके रास्ते में सरक कर आ जाए और तब प्रश्न, व्याख्याएँ, दृश्य। यह एक बड़ी समस्या पहले वाली समस्या से बड़ी समस्या साबित हो सकती थी जो मैंने सोची थी। जो कुछ उस आदमी ने किया था वह शान्त और साधारण नहीं था। यह अविश्वसनीय जटिलताओं की ओर ले जाती थी। जब मैं इस पर लगातार सोचता रहा, इसने अपने आपको श्रेष्ठ बताया जब तक कि मैंने यह नहीं महसूस किया कि मेरी जेब में एक डायनामाइट था। 

मैं उपयुक्त तरीके से पांच बजे तक सोता रहा था और तब मैंने बिस्तर छोड़ दिया था। मैं तुरन्त शराब की आलमारी तक गया, कागज को बाहर निकाला और इसे ध्यान से देखने लगा। मैंने उस कागज को ध्यान से पढ़ा, एक-एक लाइन, कई बार पढ़ा। वकील कहता था, "प्रत्येक वापसी डाक", जो मेरे मन को बीमार बना रही थी यह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण निर्देश था। मैं इसे अपने दफ्तर की डेस्क तक लेकर गया। मुझे कागज का एक टुकड़ा मिल गया और मैंने रोजी के हस्ताक्षरों का सावधानी से अभ्यास किया। हर रोज मैं उससे इतने ज्यादा चैकों और रसीदों पर दस्तखत करवाता था कि उसके हस्ताक्षर मेरे लिये नितान्त परिचित हो गये थे। तब मैंने सावधानी से प्रार्थना पत्र को फैलाया और संकेत वाली पंक्ति पर लिखा "रोजी, नलिनी!" मैंने इसे मोड़ा और पते लिखे लिफाफे में रखा जो वकील ने साथ संलग्न किया था, इसे बन्द किया और मैं अपने विस्तार की पोस्ट ऑफिस की शाखा पर जो साढ़े सात बजे खुलती थी उसकी खिड़की पर पहला आदमी था।

पोस्टमास्टर ने कहा, "इतनी जल्दी! आप स्वयं आए हैं !" "मेरा बाबू बीमार है। मैं सुबह घूमने निकला था। आप स्वयं इसे पंजीकृत कर दीजिए।" मैं स्वयं चलकर आया था कि गैराज का दरवाजा खोलने से वह जाग न जाये। मेरे पास कोई स्पष्ट विचार नहीं था कि कब और कैसे गहनों का बक्सा आएगा, परन्तु मैं रोज इसकी तलाश करता था। "डाक में कोई पार्सल है, मणि।" मैं निरन्तर पूछता था। यह लगभग एक आदत सी बन गई थी। मैं अगले दो दिनों में इसकी उम्मीद कर रहा था। इसका कोई निशान नहीं था। हम कस्बे से चार दिन के लिए बाहर जा रहे थे। जाने से पहले मैंने मणि को निर्देशित किया, "शायद कोई बीमित पैकट आ जाए। डाकिए से कहना कि वह मंगलवार तक हमारे वापस आने तक इसे अपने पास रखे। वे इस प्रकार की चीजें रखते हैं, क्या नहीं रखते हैं?"

"हाँ, श्रीमान, परन्तु यदि यह पंजीकृत पार्सल हो तो, मैं आपके लिए आपकी ओर से हस्ताक्षर कर दूंगा।"
"नहीं, नहीं। यह एक बीमित पार्सल है और इस पर हम दोनों में से किसी एक के हस्ताक्षर होना आवश्यक है। डाकिए से कहना कि वह इसे वापस मंगलवार को लाए।"
"हाँ, श्रीमान्", मणि बोला और मैं अचानक उसे छोड़कर चल दिया, अन्यथा वह इस विषय का विस्तार करना शुरू कर देता।

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10. We were back on tuesday..........................the same night. (Pages 178-180)

कठिन शब्दार्थ : hustled (हस्ल्ड) = धकेलना, रूखेपन से धक्का देना । swill (स्विल्) = ढेर सा डालकर या गुजार कर साफ करना। sinister (सिनिस्ट्(र)) = अमंगल सूचक, बुरा लगने वाला। diabolical (डाइअंबोलिकल) = अत्यन्त बुरा, अप्रिय। awful (ऑफ्ल) = बहुत बुरा, अत्यधिक अरुचिकर। logs (लॉगज्) = लकड़ी का लट्ठा। moderated (मॉडर्टड) = उग्रता में कमी होना या करना, संतुलित होना। ruse (रुज्) = छल, धोखा।

हिन्दी अनुवाद-हम मंगलवार को वापस आए थे। जिस क्षण रोजी ऊपर गई मैंने मणि से पूछा। "क्या पार्सल आ गया था?" "नहीं, श्रीमान, मैंने डाकिए का इन्तजार किया था, परन्तु यहाँ कुछ भी नहीं था।" "क्या तुमने उसे यह कहा था कि हम एक बीमित पार्सल की उम्मीद कर रहे थे?" "हाँ, श्रीमान, परन्तु वहाँ कुछ भी नहीं था।"

"अजीब!" मैं चिल्लाया, "प्रत्येक वापसी" वकील लिख चुका था। वे शायद हस्ताक्षर चाहते थे, बस और कुछ नहीं। शायद मार्को ने बॉक्स की अपने उपयुक्त योजना बनाई थी और छल करने का प्रयास किया था। परन्तु जब तक वकील का पत्र मेरे पास था, मैं उनको लटका सकता था। उनकी कोई भी चालाकी सफल नहीं होगी। मैं अपनी शराब की आलमारी के पास गया वापस पत्र को पढ़ा। उन्होंने स्वयं स्पष्ट माना है, "हम भेजने की व्यवस्था करेंगे, बीमा के अन्तर्गत......." यदि वकील के कागज में इसका अर्थ कुछ भी नहीं है, तो इसका कुछ और होने का क्या तात्पर्य था? मैंने थोड़ा परेशान महसूस किया था, परन्तु मैंने अपने मन में कहा कि यह आखिरकार खत आयेगा। बैंकों और वकीलों से आप जल्दबाजी नहीं करवा सकते हैं। उनके कार्य करने की अपनी गति होती है, उनका स्वयं का लालफीताशाही का तरीका।

इन्हीं बुद्ध देर करने वालों की वजह से ही तो देश का सर्वनाश हो रहा है। मैंने पत्र को वापस रखा और इसे सुरक्षित ताला लगा दिया। मेरी इच्छा हुई कि मुझे हर बार शराब की आलमारी तक जाना नहीं पड़ेगा मैं पत्र को पढ़ना चाहता था; नौकर, तथ्यों को जानते हुए, शायद यह सोचने लगे कि मैं हर क्षण व्हिस्की उंडेल कर आता हूँ। मेरी डेस्क पत्र के लिए सही स्थान था, परन्तु मुझे सन्देह था कि मणि शायद से देख सकता था; यदि वह मुझे पत्र को बार-बार पढ़ता हुआ पकड़ लेता है, वह निश्चित रूप से इसे देखना चाहेगा मेरी पीठ के पीछे से भी और या कोई प्रश्न पूछने का बहाना करेगा। बहुत चालाक है। वह मेरे लिए महीनों-महीनों से काम कर चुका था मेरे उसके खिलाफ कुछ भी नहीं देखा, परन्तु वह और सब मेरे चारों ओर मुझे बुरे, बदमाश और चालाक लगते थे।

उस शाम हमारा कालीपेठ का एक कार्यक्रम था, यहाँ से साठ मील दूर एक कस्बा है। आयोजक संगीतकारों के लिए एक बड़ी गाड़ी दे रहे थे, मेरे और नलिनी के लिए एक प्लाईमाउथ कार, जिससे कि हम कार्यक्रम कर सकें और उसी रात घर वापस आ जाए। यह एक जनाना अस्पताल बनाने के लिए दानदाताओं का शो था और उन्होंने सत्तर हजार रुपए इकट्ठे किए थे। टिकटों की कीमत दो सौ पचास रुपए तक पहुंच गई थी जो कि अकल्पनीय मात्रा थी और अफसरों ने व्यवसायियों, व्यापारियों को योगदान के लिए प्रेरित किया था।

व्यवसायी बिना किसी शिकायत के एक शर्त पर पैसे दे रहे थे कि उनको प्रथम पंक्ति में नजदीक की सीटें दी जाएँ। वे प्रदर्शन करने वाले के पास जहाँ तक संभव हो सके बैठना चाहते थे, उनको ध्यान दिए जाने का एक मौका था। उनके विचारों में नलिनी, नृत्य करते हुए उनकी उपस्थिति पर ध्यान दे और बाद में पूछे, "पहली पंक्ति में बैठे वे महत्त्वपूर्ण आदमी कौन थे?" बेचारे, वे मुश्किल से यह जानते थे कि नलिनी अपने श्रोताओं को कभी नहीं देखती थी। वह प्रायः टिप्पणी करती; वे मेरे लिए लकड़ी के लट्टे की तरह से थे। जब मैं नाचती हूँ मैं शायद ही किसी चेहरे को देखती हूँ। मुझे आडिटोरियम में केवल एक अंधा कुआँ दिखाई देता है, बस और कुछ नहीं।

यह एक बड़े पैमाने का शो था क्योंकि अधिकारी इसमें रुचि ले रहे थे; अफसर इसलिए रुचि ले रहे थे . क्योंकि इस स्थान का मुख्य व्यक्ति, जो इस सारे शो के पीछे था, वह राज्य केबिनेट में एक मंत्री था और यह उसके जीवन की एक महत्त्वकांक्षा थी कि वह अपने क्षेत्र में प्रथम दर्जे का मातृत्व अस्पताल बनाए। इन परिस्थितियों को जानते हुए मैंने मेरी माँग को एक हजार रुपए खर्चे के लिए संतुलित कर दी जिसका तात्पर्य था कि यह आयकर मुक्त थी। आखिरकार, मैं भी सामाजिक कारणों से योगदान दे रहा था और निश्चित रूप से हम इससे इतने बुरे तरीके से नहीं बाहर आयेंगे। परन्तु यह नलिनी के लिए एक समान था। ट्रेन से यात्रा करने के बजाय, हम कार से जा रहे थे। वह खुश थी कि हम इसी रात को घर वापस आ रहे थे।

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11. The show was held in........................you are wanted, sir". (Pages 180-181)

कठिन शब्दार्थ : pavilion (पविलिअन्) = खेल मैदान के साथ खिलाड़ियों के उपयोग के लिए बना भवन। tapestry (टैपस्ट्रि) = परदे आदि का बेलबूटेदार कपड़ा । impediments (इमपेडिमन्ट) = अड़चन, बाधा, रुकावट। gliding (ग्लाइङि) = कोमलता से फिसलना या सरकना। fanned out (फैन्ड आऊट) = फैल जाना। upturn (अपटन्) = सुधार, बढ़त। diadem (डाइअंडेम) = मुकुट, किरीट। refrain (रिफ्रेन) = कोई काम न करना elevated (एलिवेटड्) = किसी व्यक्ति या वस्तु को ऊंचा उठाना। rippled (रिपल्ड्) = लहर, उतार-चढ़ाव। wriggling (रिलिङ्) = छटपटाना, तड़पना, टेढ़े-मेढ़े घुमाना। rift (रिफ्ट) = गंभीर मतभेद, मनमुटाव। unobtrusively (अनबटूसिवलि) = ध्यान में आने से बचते हुए। बिना देखे, चुपके से।

हिन्दी अनुवाद-शो एक बहुत बड़े पवेलियन में विशेष रूप से बांस से निर्मित और नारियल चटाइयों. और खूबसूरत बेलबूटेदार कपड़ों से सजाया गया था, इसमें झण्डियां, फूल और रंगीन लाइट लगाई गई थी। स्टेज इतने खूबसूरत तरीके से सजाया गया था कि नलिनी, जो सामान्यतया सब कुछ नजरअन्दाज कर देती थी सिवाय अन्त में लगे फूलों के, वह जोर से बोली, "कितना प्यारा स्थान है। मुझे यहाँ पर नाचकर प्रसन्नता
महसूस हो रही है।" आडिटोरियम में एक हजार से ज्यादा लोग बैठे हुए थे। ... पहले की तरह मुझसे इशारा मिलने के बाद उसने अपना पहला कार्यक्रम शुरू किया। वह पीतल का एक लैम्प लेकर आई, उसने गणेशजी की प्रशंसा में गीत गाया, भगवान गणेश जो कि हाथी के सिर वाले हैं. और सभी बाधाओं को हटाने वाले हैं।

. दो घंटे बीत गए थे। वह अपना पांचवां आइटम कर रही थी-एक सर्प नृत्य, प्रायः पर्याप्त तरीके से करती थी। मुझे यह हमेशा देखना पसन्द था। यह आइटम हमेशा.मुझे रुचिकर लगता था। जब संगीतकार अपने यंत्रों को बजाते और प्रसिद्ध नागिन की धुन बजाते नलिनी, उमड़ती हुई स्टेज पर आती थी। वह अपनी अंगुलियों को धीरे-धीरे फैलाती थी और पीले रंग की धब्बेदार रोशनी, उसकी सफेद ऊपर बढ़ती अंगुलियों पर खेलती, वह उसको कोबरा के फन की भांति लगती थी : वह इस कार्य के लिए एक मुकुट पहनती थी और यह चमकता था। रोशनी बदलती, वह धीरे-धीरे फर्श पर डूबती जाती, संगीत धीरे और धीरे हो जाता और यह सुस्तपन नाग को नृत्य करवाता था - वह नाग जो शिव की जटाओं पर निवास करता था, उसकी पत्नी पार्वती की कलाई पर और हर समय चमकने वाले देवताओं के घर कैलाश में।

यह वह गीत था जो नाग को ऊंचा उठाता था और इसकी रहस्यात्मक गुणवत्ता को बाहर लाता था, इसकी लय बांधने वाली थी। यह उसका श्रेष्ठ कार्य था। उसके शरीर का प्रत्येक अंग अंगूठे से सिर तक बल खाता और इस गाने की धुन के साथ हिलता था जो कि कोबरा को इसके वर्ग से उठाता था जो कि जमीन के नीचे रेंगने वाले जीव से प्रेम और दैवीयता का जीव . बन जाता और देवताओं का गहना बनता था। - सारे नृत्य मैंने पैंतालीस मिनिट लगे, सभी श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर देखा। मैं भी इसके....आकर्षित हो गया था। वह वास्तव में इसे बहुत कम करना पसन्द करती थी। वह हमेशा कहती थी कि एक विशेष मन की आवश्यकता होती है और वह हमेशा मजाक में कहती थी कि इतना छटपटाना उसके लिए बहुत अधिक था

और वह कई दिनों तक सीधी खड़ी नहीं हो सकती थी। मैं बैठा घूरता रहा मानो कि मैं इसे पहली बार देख रहा था। पहले दिन की मेरी माँ की टिप्पणी मेरे मन में आई, "एक नागिन! सावधान रहना" मैं अपनी माँ के बारे में सोचकर दुःखी महसूस करने लगा। वह इसे देखकर कितना आनन्द लेती। वह क्या कहती यदि वह रोजी को अब यह करते देखती, उसकी चमकदार पोशाक और मुकुट में? मैं इस मतभेद पर दुःख महसूस करने
लगा जो कि मेरे और मेरी माँ के बीच में पैदा हो गया था। वह अक्सर मुझे एक पोस्टकार्ड लिखती थी और मैं उसे अब और तब थोड़ा-थोड़ा पैसा भेजता रहता था, जल्दी से कुछ पंक्तियाँ लिख देता था कि मैं ठीक था।

वह प्रायः पूछती थी कि मैं उसके लिए मकान वापस कब प्राप्त करूंगा - इसमें बहुत ज्यादा पैसा लगता और मैं अपने आपसे कहता था कि मैं जब मेरे पास थोड़ा-थोड़ा समय होगा मैं इस ओर ध्यान दूंगा। कोई बात नहीं, क्या जल्दी थी? वह गाँव में पर्याप्त खुश थी, उसका भाई उसकी अच्छी तरह से देखभाल करता था। उस दिन के उसके रोजी के प्रति किए गए व्यवहार को पूरी तरह से नहीं भूल सकता था। अब हम मधुर सम्बन्धों पर थे, परन्तु एक-दूसरे से बहुत दूर, सबसे अच्छी संभव व्यवस्था। मैं नलिनी को देख रहा था और उसी समय अपनी माँ के बारे में सोच रहा था। उसी समय संगठन का एक आदमी धड़धड़ाता हुआ मेरे पास आया और बोला, "श्रीमान, आपकी आवश्यकता है।"

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12. Who wants me........................will have to hurry. . (Pages 181-182)

कठिन शब्दार्थ : forgery (फॉजरि) = जालसाजी। ruminating (रुमिनेटिङ) = विचार करना, मनन करना। plied (प्लाइड) = लगातार सवाल पूछते रहना। verbiage (वबइज़) = वाचालता, शब्दाडम्बर, शब्द प्रपंच। numb (नम्) = सुन्न पड़ जाना।

हिन्दी अनुवाद-"मुझे कौन बुला रहा है?" "जिला पुलिस अधीक्षक" : "उससे कहो कि जैसे ही यह कार्यक्रम पूर्ण होगा मैं मिलता हूँ।" वह चला गया। जिला अधीक्षक! वह पत्ती खेलने वालों में मेरा एक दोस्त था। वह मुझसे अब मिलकर क्या चाहता है? अवश्य ही, सारे अफसर यहाँ पर थे, मंत्री का इंतजार कर रहे थे (उसके लिए एक सोफा खाली रखा गया था) और अतिरिक्त पुलिस को भीड़ और यातायात के नियंत्रण के लिए लगाया गया था। इस कार्यक्रम के बाद, लब पर्दा गिरा तालियों की तेज गर्जना हुई और मैं बाहर आया। हाँ, जिला अधीक्षक वहाँ था। वह सादा वर्दी में था। 

"नमस्कार, अधीक्षक साहब, मैं नहीं जानता था आप भी आ रहे थे, आप हमारे साथ कार में आ सकते थे।" मैंने कहा। उसने मेरी बाँह पकड़ी और मुझे एक तरफ ले गया क्योंकि वहाँ पर बहुत सारे लोग हमें देख रहे थे। हम लैम्प की तरफ बाहर अकेले स्थान पर आए और वह फुसफुसाया, "मुझे यह कहते हुए बहुत दुःख हो रहा है, परन्तु मेरे पास तुम्हारी गिरफ्तारी का वारन्ट है। यह मुख्यालय से आया है।"
बुरे भाव से हँसा, आंशिक रूप से उसका अविश्वास करते हुए। मैंने सोचा वह मजाक कर रहा था। उसने एक कागज बाहर निकाला। हाँ, यह सत्य था और मार्को की शिकायत, पर मेरी गिरफ्तारी के लिए वारन्ट था, इलजाम जालसाजी का था। जब मैं मनन करते हुए खड़ा था, निरीक्षक ने पूछा, "क्या तुमने अभी-अभी किसी कागज पर हस्ताक्षर किए थे - किसी महिला के लिए?"

"हाँ, वह व्यस्त थी। परन्तु आप इसे जालसाजी कैसे कह सकते हैं?""क्या तुमने 'for' लिखा है या केवल उसका नाम लिखा है?" वह मुझसे लगातार प्रश्न पूछता रहा। "यह एक गंभीर इल्जाम है।" वह बोला। "मुझे उम्मीद है कि तुम निकल जाओगे, परन्तु इस क्षण के लिए मुझे तुम्हें हिरासत में लेना पड़ेगा।" मैंने परिस्थिति की महत्ता को महसूस किया। मैं फुसफुसाया, "कृपया यहाँ पर ऐसी कोई बात मत बनाओ। शो के अन्त तक इन्तजार करो और तब तक हम वापस घर चलते हैं।"

"मुझे तुम्हारे साथ कार में रहना होगा और जब तुम्हें वारन्ट दे दिया जाए तुम किसी सुनिश्चितता के बन्धन की (जमानत) व्यवस्था कर सकते हो तब तक केस चलता रहेगा। वह तुम्हें स्वतंत्र कर देगा, परन्तु मुझे यह कहना पड़ेगा कि तुम्हें मेरे साथ न्यायाधीश के पास चलना होगा। वह इसे स्वीकृत करेगा। मेरे पास शक्तियाँ नहीं हैं।"  मैं वापस हॉल में अपने सोफे पर चला गया। वे मेरे लिए मेरी माला लेकर आए। कोई खड़ा हुआ और उसने नर्तकी और श्रीमान राजू के धन्यवाद में भाषण दिया कि उनकी सहायता से इकट्ठा करने वाली राशि सत्तर हजार तक पहुँची है। उसी समय उसने भारत में नृत्य के ऊपर आधारित विषय-वस्तु पर उसने बहुत अधिक शब्दाडम्बर बुन डाला।

इसके साथ ही उसने इसकी स्थिति, दर्शन और उद्देश्य को भी शामिल किया। वह लगातार बोलता गया। वह स्थानीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का अधिक सम्माननीय अध्यक्ष था या कुछ ऐसा ही। उसके भाषण के अन्त में अत्यधिक तालियाँ बजीं। उसके बाद और भाषण हुए। मैं अप्रसन्न बैठा था और मुझे कोई बात सुनाई नहीं दे रही थी। मैंने ध्यान नहीं दिया कि वे क्या कह रहे थे। मैंने यह भी ध्यान नहीं दिया कि भाषण छोटा था या लम्बा था। जब यह समाप्त हुआ, मैं नलिनी के ड्रेसिंग रूम में गया। मैंने पाया कि वह कपड़े बदल रही थी। बहुत सारी लड़कियाँ उसके चारों ओर खड़ी थीं, कुछ ऑटोग्राफ के लिए इन्तजार कर रही थीं और कुछ केवल देख रही थीं। मैंने नलिनी से कहा, "हमें जल्दी चलना होगा।"

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13. I went back to the........................ a fright ful technician. (Pages 183-184)

कठिन शब्दार्थ : composing (कम्पोजिङ) = स्वयं को नियंत्रित या संयत करना, शांत होना। churned up (चन्डअप्) = पानी, मिट्टी आदि का तेजी या उग्रता से हिलना, हिलाना। discreet (डिसक्रीट) = सावधान, सतर्क। whizzed (विज्ड) = सनसनाते हुए तेजी से निकल जाना || unperturbed (अनपटंबड) = अविचलित, शांत। bewilder (बिवाइल्डर) = उलझन और अचरज में डालना।

हिन्दी अनुवाद-मैं गलियारे में अधीक्षक के पास वापस गया, अपने भावों को शान्त करता हुआ मैं प्रसन्न और असंबंधित नजर आ रहा था। प्रथम पंक्ति के बहुत सारे लोगों ने मुझे घेर लिया अपने भावों को गहराई से विवरण के साथ व्यक्त करने के लिए। "वह अन्य दूसरों से बहुत ऊँची है।" किसी ने कहा, "मैंने आधी शताब्दी से नाचने वालों को देखा है...मैं इस प्रकार का आदमी हूँ जो अपना भोजन छोड़कर बीस मील दूर नृत्य देखने आया हूँ। परन्तु मैंने कभी ऐसा नहीं देखा है" आदि, आदि। "आप जानते हैं यह मातृ अस्पताल, अपने आप में पहले तरीके का होगा। हम इसके एक भाग का नाम नलिनी के नाम पर रखेंगे। मुझे उम्मीद है कि आप पुनः आएंगे। हम आप दोनों को इसके शुरुआत समारोह में यहाँ चाहेंगे। क्या आप हमें उसका एक फोटोग्राफ दे सकते हैं?.............हम इसे बड़ा करवाकर दीवार पर टांगेंगे........यह अन्य दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत होगी और कौन जानता है कि इस भवन में किसी ऐसे का जन्म हो जो आपकी गुणवान पत्नी के पदचिन्हों का अनुसरण करे।"

जो कुछ वे कह रहे थे मैंने उस ओर ध्यान नहीं दिया। मैं केवल सिर हिलाता रहा और अपुष्ट बोलता रहा जब तक नलिनी बाहर नहीं आ गई थी। मैं जानता था कि जो लोग मुझे घेर कर बात कर रहे हैं वे इस उम्मीद में थे कि नलिनी को एक बार नजदीक से देख लें। हमेशा की तरह, उसके पास उसकी माला थी। मैंने उसे अपनी दी। अधीक्षक बिना बाधा के हमें प्लाईमाउथ कार की ओर ले गया जो बाहर इन्तजार कर रही थी। हमें मक्खियों की तरह से भिनभिनाती कार में से पैदल चलकर जाना पड़ा था। ड्राइवर ने पकड़कर दरवाजा खोल दिया था ।

"अन्दर चलो, अन्दर चलो" मैंने अधीरता से नलिनी से कहा। मैं उसके पास बैठ गया। उसका चेहरा आंशिक रूप से पेड़ पर टंग रही गैस की रोशनी से चमक रहा था। भारी धूल हवा में थी, जो कि यातायात के द्वारा उड़ाई गई थी; सभी वाहन, कारें, बैलगाड़ियाँ और जुटका (तांगा) भीड़ की तरह जा रहे थे, पहियों की खड़खड़ाहट और बहरा कर देने वाली भोंपू की आवाज हो रही थी। कुछ पुलिस वाले थोड़ी दूर पर सावधान खड़े थे और उन्होंने अधीक्षक को हमारी कार चलने पर सैल्यूट किया। उसने ड्राइवर के आगे वाली सामने की सीट हथिया ली थी। मैंने उससे कहा, "हमारा दोस्त है, जिला अधीक्षक, वे भी हमारे साथ शहर तक चल रहे हैं।"

यह करीब दो घंटे की यात्रा थी। उसने थोडी देर के लिए शाम के बारे में बात की। मैंने उसके प्रदर्शन पर कुछ कहा। मैंने उससे कहा जो लोगों को कहा मैंने सुना था उसके सर्प नृत्य के बारे में। उसने कहा, "आप कभी इससे थकते नहीं हो।" और तब वह शांति और ऊंघने लगी, केवल हमारे गंतव्य का इन्तजार कर रही थी, जैसे ही हमारी कार सनसनाती हुई उच्च मार्ग पर जा रही थी, वह बैलों और गले में बँधी घंटियों को झनझनाहट को पीछे छोड़ती जा रही थी। "यह तुम्हारे धुंघरुओं की तरह आवाज करते हैं।" मैं धीरे से उसके कान में बोला।।

जिस क्षण हम घर पहुँचे थे, वह अधीक्षक की ओर मुस्कुराई और बड़बड़ाई, "शुभ रात्रि" और घर में गायब हो गई थी। अधीक्षक ने मुझसे कहा, "चलो अब जीप में चलें"। यह दरवाजे पर इन्तजार कर रही है। मैंने प्लाईमाऊथ को भेज दिया था। मैं बोला, "अधीक्षक जी, मैं कहता हूँ, मुझे थोड़ा सा समय दो, कृपया। मैं उसे इसके बारे में बताना चाहता हूँ।" "ठीक है। देर मत करना। हमें आफत मोल नहीं लेनी चाहिए।"

मैं ऊपर सीढ़ियों पर गया। वह मेरे पीछे आया। वह बाहर चौके पर खड़ा रहा जबकि मैं उसके कमरे में गया। उसने मुझे सुना मानो कि मैं किसी पत्थर के खम्भे से कह रहा था। अब भी मैं उसका अविचलित, स्तब्ध भाव याद कर सकता हूँ, जैसे कि वह परिस्थिति को समझने का प्रयास कर रही थी। मैंने सोचा वह टूट जाएगी। वह प्रायः छोटी बातों पर टूट जाती थी, परन्तु यह उसे शांत कर रहा था। उसने केवल कहा; मैं सारे समय यह महसूस कर रही थी तुम सही काम नहीं कर रहे हो। यह कर्म है। हम क्या कर सकते हैं? वह चौके तक बाहर आई और उसने अफसर से पूछा, "श्रीमान हम इसके बारे में क्या करें? क्या कोई और रास्ता है?" "इस क्षण मेरे पास कुछ भी नहीं है, मैडम। यह गैर जमानती वारन्ट है। परन्तु शायद कल आप इस बाध्यता के पुनर्विचार हेतु आवेदन कर सकते हो। परन्तु हम कल तक कुछ नहीं कर सकते हैं जब तक कि इसे न्यायाधीश के समक्ष नहीं ले जाया जाए।" वह अब मेरा दोस्त नहीं था, बल्कि भयंकर रूप से कानून बघारने वाला आदमी था।

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14. I HAD to spend a couple................send one of them away. (Pages 184-185)

कठिन शब्दार्थ : composure (कमपोश(र)) = संयम, शांत और आत्म नियंत्रित होने की अवस्था। scrape (स्क्रेप) = कठिन प्रयास से कुछ लेना या हांसिल करना । sepulchral (सेपलक(र)ल) = समाधि का सन्नाटा, शान्ति। snub (स्नब्) = रूखा बरताव। meekly (मीक्लि) = चुपचाप। tramp (ट्रैम्प) = बेकार आदमी, आवारा। salvaged (सैल्विज्ड) = बचाना, बचाया हुआ सामान। deigned (डेन्ड) = ऐसा काम करना कि लगे आप दूसरों पर कृपा कर रहे हैं। tingling (टिङगलिङ) = झुनझुनी चढ़ना। imperiously (इमंपिीअस्लि) = अहंकारपूर्वक, अभिमान के साथ। 

हिन्दी अनुवाद-मुझे दो दिन जेल में बिताने पड़े, हल्के अपराधियों के साथ। जिला पुलिस अधीक्षक उस समय से मेरा दोस्त नहीं रहा जब से हम केन्द्रीय पुलिस थाने में थे। उसने मुझे स्टेशन अफसर के रोज के पहरे में छोड़ दिया था। रोजी मुझे पुलिस की जेल में मिलने आई और रोई थी। मैं पहली बार अपनी आँखें फेरकर जेल के दूरस्थ कोने में बैठा था। थोड़ी देर के बाद मैं आत्मनियंत्रित हुआ और जाकर उसे अपने बैंक वाले से मिलने के लिए कहा। जो कुछ उसने पूछा, "ओह, हमारे पास इतने पैसे थे! यह सब कहाँ चले गए?" मैं तीन दिन के बाद वापस घर चला गया, परन्तु पुरानी सामान्य जिन्दगी चली गई थी। मणि एक मशीन की तरह से काम करता था, वह अपने कमरे में सिर झुकाए काम में लगा रहता था। वहां उसके पास करने के लिए कोई काम नहीं था। मेरे लिए बहुत कम पत्र आते थे। 

मकान में चारों ओर शमशान का सा सन्नाटा रहता था। नलिनी के पैर भी अब ऊपर शांत ही रहते थे। कोई मिलने वाला नहीं आता था। उसे दस हजार के जमानत का मुचलका आगे बढ़ाना था। यदि मैं आम समझ का एक साधारण आदमी की तरह जीता, तो यह धन राशि पाना ज्यादा कठिन नहीं था। जैसे कि यह था, जो कुछ मेरे पास बचा था वह कुछ मुर्खतापूर्ण शेयर के प्रमाण पत्रों में था, जिस पर बैंक कोई अग्रिम राशि नहीं देंगे और बाकी का मैंने दिखावे में खर्च कर दिया था, उसमें हमारे कार्यक्रमों के लिए गए अग्रिम भी शामिल थे।

मैंने रोजी को सुझाव दिया, "तुम क्यों नहीं अगले तीन महीने के लिए अपने कार्यक्रम कर लेती हो? हम अपनी फीस का बचा हुआ हिस्सा भी प्राप्त कर लेंगे।" मैंने उसे डिनर पर फिर कहा था क्योंकि मैं आजकल मेरा सारा समय नीचे ही बिताता था और उसे अकेला छोड़ दिया था। मैं कमरे में अकेले, उसका सामना करने का आत्मविश्वास कम पा रहा था। मैं अपने सोने का समय भी हॉल के सोफे पर ही बिताता था। उसने जवाब नहीं दिया था। मैंने अपना प्रश्न दोहराया, जिस पर वह बुदबुदायी, जब रसोइया कुछ लेने के लिए आया था, "क्या हमें यह सब रसोइए के सामने चर्चा करनी चाहिए?" मैंने इस रूखेपन को चुपचाप स्वीकार कर लिया था।

अब मैं उस तरह का था जो घर में पड़ा रहता था, जब से उसने मुझे पुलिस की पकड़ से छुड़ाया था, मालिकाना हक उसके पास चला गया था। मैं इस विचार पर अन्दर ही अन्दर गुस्सा होता था। जब इस मामले ' का पहला झटका एक और हो गया था, वह सख्त हो गई थी। वह मुझे कभी नहीं बोलती सिवाय ऐसे जैसे कि वह किसी आवारा को बचा रही थी। इसमें कुछ भी नहीं किया जा सकता था। उसे अपने सारे कागज एक साथ करके अपने सारे संसाधनों से मेरी सहायता की थी। उसने अपने सहायता करने के काम को एक शांत, व्यावसायिक तरीके से किया था। मैंने शान्ति से अपना भोजन किया। उसने भोजन के बाद थोड़ा समय हॉल में बिताने का दिखावा किया। वह आई और वहाँ पर बैठी। उसके पास सोफे पर पान के पत्तों की एक ट्रे रखी थी। मैंने इसे हटाया और उसके पास बैठने की हिम्मत की थी। उसके होठ पान के रस से लाल हो गए थे। उसका चेहरा पान के पत्तों के प्रभाव से चमक कर झुनझुनी का प्रभाव दे रहा था। उसने मेरी ओर अहंकार से देखकर पूछा, “अब, यह क्या है?" मैं मेरा मुँह खोलता उससे पहले उसने जोड़ा, "याद रखो, तुम्हें रसोइए के सामने कुछ भी नहीं बोलना है। नौकर बहुत अधिक गप्पे लगाते हैं। इस माह की पहली तारीख को मैं इनमें से एक को भेज रही हूँ।"

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15. “Wait, wait, Don't rush.. ..........business normally?" (Pages 185-187)

कठिन शब्दार्थ : overwhelmed (ओवंवेल्मड्) = अभिभूत हो जाना, पराजित कर देना। vindictive (विन्डिक्टिव्) = अकारण किसी को पीड़ित करने का इच्छुक या उसके लिए प्रयासरत, प्रतिकारी। perverse (पंवस्) = दुष्कर्म में रहने वाला, तर्क विरुद्ध या अमान्य व्यवहार करने वाला व्यक्ति। afloat (अफलोट) = अच्छी आर्थिक स्थिति में होना। perturbation (पंटबेशन) = चिन्ता या परेशानी। tantrum (टैन्ट्रम्) = आवेश, एकाएक क्रोध का विस्फोट । petulant (पेट्युलनट) = चिड़चिड़ा एवं असभ्य, तुनक मिजाज। rack (रैक) = किसी बात को सोचने या याद करने की कोशिश करना । spurned (स्पन्ड) = पेश की गई वस्तु को ठुकराना।

हिन्दी अनुवाद-"रुको, रुको । भागो मत।" मैंने शुरू किया।
"मैं किसलिए इन्तजार करूँ?" उसकी आँखें आँसुओं से चमकने लगीं, उसका नाक सरसराहट से बजा। मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकता था परन्तु केवल देख सकता था। आखिरकार, मालिकाना हक उसके पास चला गया था और यदि वह रोना उपयुक्त समझती थी, यह उसका कार्य था। उसके पास इसे जीतने की पर्याप्त ताकत थी, यदि वह इसे आवश्यक विचारती। यह मैं था जिसे सांत्वना की आवश्यकता थी। मैं अचानक स्वयं की दया से अभिभूत था। वह क्यों रोती थी? वह जेल जाने की देहरी पर नहीं थी। वह वो नहीं थी जो यहाँ-वहाँ दौड़ती आकर्षण की रचना करती और नर्तक के लिए जनता जुटाती थी; यह वह नहीं थी जो मित्रता से जाल में फंसी थी एक अधभूले व्यक्ति मार्को के द्वारा जो गुफा की चित्रकारी देखने वाला दिखता था, परन्तु जहरीला और किसी को कष्ट पहुंचाने वाला था, जैसे एक कोबरा अपने शिकार के इन्तजार में पड़ा रहता है। मैं अब देख सकता हूँ कि यह स्वीकार किए गए विचारों की श्रृंखला से गलत लाइन थी। परन्तु अब मैं इसमें क्या सहायता करता? 

यह केवल इस प्रकार बुरे व्यवहार करने वालों का विचार था और मेरी अत्यधिक स्व दया जो ... मुझे उन क्षणों में जीवित रहने के योग्य बनाती थी। किसी को अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी रखने के लिए दिए जाने वाले पैसे को सारा रखने की आवश्यकता थी। मैं दूसरों के लिए समय नहीं दे सकता था। मैं उसकी समस्याओं पर सोचने के लिए परेशान नहीं हो सकता था, उन गलत बातों की ओर जिनको वह मिलाकर ले जा रही थी, आर्थिक खालीपन उन सभी काम करने और नाचने वाले महीनों की, वह आश्चर्य जो उस पर अचानक आया था मेरी कमी........के द्वारा, क्या हम इसे न्याय कहें? नहीं, यह उससे कुछ नीचा था। एक सामान्य चरित्र की कमी! मैं इसे अब स्पष्ट देख सकता था, परन्तु उस समय मैंने अपनी शिकायतों को पकड़ रखा था और मैं इन्हें बिना चिन्ता या परेशानी के उसके भावनात्मक आवेश पर निगरानी रख सकता था। मैंने उसे पहले की तरह रोने दिया। उसने अपनी आँखें पोंछी और पूछा, "जब हम खाना खा रहे थे तब तुमने कुछ कहा था?"

"हाँ, परन्तु तुमने मुझे आगे नहीं बढ़ने दिया।" मैंने तुनक कर कहा। "मैं पूछ रहा था कि तुम क्यों नहीं अपने सारे कार्यक्रम कर लेती हो, कम से कम वे कार्यक्रम जिनके लिए हमने अग्रिम राशि प्राप्त की है।"
वह थोड़ी देर सोची रही और बोली, "मैं क्यों करूं?" "क्योंकि हमें केवल अग्रिम प्राप्त हुआ है और हमें बाकी के पूरे रुपयों की जरूरत है।" "वह सारा पैसा कहां है?" "तुम ही जानो। खाता सारा तुम्हारे नाम है और तुम बैंक की पुस्तक देख सकती हो, यदि तुम चाहो तो।" यह कहना क्रूरता थी। कोई शैतान मेरी खोपड़ी के भीतर बैठकर मुझसे यह बातें कहलवा रहा था। अचानक मुझे महसूस हुआ कि मैंने उसके लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन मेरे लिए उसके मन में कोई हमदर्दी नहीं है।

वह लगातार पेश की जा रही गलत बातों की चर्चा को ठुकरा रही थी। उसने केवल कहा, "कृपया मुझे बताओ कि वे सारे कार्यक्रम क्या हैं और मैं उनका सारा पैसा वापस लौटा दूंगी।"
"मैं जानता था कि वह एक बहादुरी का वाक्य था। वह वापस भुगतान के लिए पैसा कहाँ से पाएगी?" "क्यों तुमको चाहिए? तुम कार्यक्रम पूरे क्यों नहीं कर सकती?" - "क्या सिर्फ पैसे पर ही तुम्हारा ध्यान है? क्या तुम यह नहीं देख रहे हो कि मैं जनता का सामना नहीं कर सकती हैं?"
"क्यों नहीं? यदि मैं गिरफ्तारी के अन्तर्गत हूँ, मैं गिरफ्तार हूँ, बस और कुछ नहीं। तुम्हें तो किसी ने गिरफ्तार नहीं किया। फिर तुम अपना काम जारी क्यों नहीं रखो?"

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16. I can't, that is all.......................as I choose, that is a......as I choose, that is all." (Pages 187-188) 

कठिन शब्दार्थ : sinister (सिनिस्ट(र)) = बुरा लगने वाला, अमंगलकारी। imperiousness (इमंपिअरिअसनस) = घमण्ड, अभिमान। pact (पैक्ट) = औपचारिक समझौता। piqued (पीकट्) = खीझा, चिढ़ाया, उत्तेजित किया गया। morbid (मॉबिड) = अप्रिय वस्तुओं में रुचि रखने वाला। rambling (रैम्ब्लिङ) = बहुत लंबा और बहका भाषण। groan (ग्रोन) = दर्द में कराहना या किसी बात पर रोष प्रकट करना।। pawn (पॉन) = रेहन रखना।।

हिन्दी अनुवाद-"मैं अपना काम जारी नहीं रख सकती। बस मुझे इतना ही कहना है।" मैंने भावशून्य स्वर में पूछा "तुम्हारा भविष्य में क्या करने का प्रस्ताव है?" "शायद मैं उसके पास वापस चली जाऊँ।" "क्या तुम सोचती हो कि वह तुम्हें वापस स्वीकार कर लेगा?" "हाँ, अगर मैं नाचना छोड़ दें।" मैं एक दुष्ट हँसी हँसा "तुम हँस क्यों रहे हो?" उसने पूछा। "यदि यह केवल नाचने का प्रश्न होता, तो वह तुम्हें वापस ले लेता।"
मैं इस तरह से क्यों बात कर रहा था? इससे उसे बहुत चोट पहुंची थी। "हाँ, अब आप इस तरह की बात कहने की स्थिति में हो। वह मुझे इस देहरी पर स्वीकार नहीं करता, जिस घटना में उसके दरवाजे पर अपना जीवन समाप्त करना ज्यादा बेहतर होता।" वह एक क्षण के लिए विचारमग्न रही। इससे मुझे अत्यधिक संतुष्टि मिली कि उसका घमण्ड आखिरकार टूट गया था। 

उसने कहा, "मैं सोचता हूँ कि इस सबका सबसे श्रेष्ठ हल है जीने के इस व्यवसाय को पूर्ण कर लेना। मेरा मतलब हम दोनों। एक दर्जन नींद की गोलियाँ एक दूध के गिलास में या दो गिलासों में। कोई शायद आत्महत्या के औपचारिक समझौतों के बारे में सुनता हो। यह मुझे एक अद्भुत हल नजर दिखता है। जैसे लम्बी छुट्टी पर जा रहे हो। हम शायद एक रात बैठकर बात कर सकते और दूध के गिलास पी सकते और हम एक समस्या मुक्त संसार में जगते। मैं अभी यह सुझाव रखती, अगर मुझे यकीन होता कि तुम समझौते का पालन करोगे, परन्तु मुझे डर है कि मैं आगे बढ़ जाऊं और तुम अन्तिम क्षणों में अपना मन बदल दो।"

"ताकि मुझे तुम्हारी लाश ठिकाने लगानी पड़े?" मैंने कहा, जो सबसे खराब बात थी जो मैं कह सकता था। मैं क्यों बार-बार इस तरह से बोल रहा था? मैं सोचता हूँ कि मैं खीझा हुआ था कि वह अपना नाच जारी नहीं रखेगी, वह एक आजाद पंछी है, जबकि मैं जेल का एक पक्षी। मैंने कहा, "क्या यह अच्छा नहीं होगा कि नृत्य जारी रखा जाए इस प्रकार के अप्रिय विचारों की तुलना में?" मुझे लगा कि मुझे उसे फिर से अपने हाथों में लेना होगा, "तुम क्यों नहीं नाचोगी? क्या इसलिए कि तुम सोचती हो कि मैं तुम्हारी देखभाल करने के लिए नहीं रहूंगा? मुझे विश्वास है कि तुम व्यवस्था कर सकती हो और यह आखिरकार थोड़े समय के लिए होगा। ओह, तुम्हारे इस मामले में कुछ भी नहीं है। यह पहली बार में ही सुनवाई में खत्म हो जाएगा। तुम मेरी बात मानो। यह झूठा इल्जाम है।"

"सच?" उसने पूछा।
"वे मेरे खिलाफ क्या साबित करेंगे?" उसने इस कानूनी लम्बी बहस को केवल नजरअन्दाज कर दिया और कहा, "यदि तुम रिहा भी हो जाओ तब भी मैं जनता के सामने नहीं नाचूँगी। मैं इस सर्कस की जिन्दगी से थक चुकी हूँ।"
"तुमने स्वयं यह जिन्दगी चुनी थी।" मैंने कहा।
"लेकिन सर्कस की जिन्दगी नहीं। मैंने तो और ही सपने देखे थे। मैंने इसे कुछ भिन्न देखा था। यह सबै । कुछ तुम्हारे पुराने घर के साथ ही चला गया था।"
"ओह" मैंने रोष व्यक्त किया। "और तब तुम मुझे आराम नहीं करने दोगे। तुमने मुझे बहुत भगाया है :जनता के सामने और अब तुम यह कहती हो। मैं नहीं जानता हूँ, मैं नहीं जानता हूँ, तुम्हें संतुष्ट करना बहुत कठिन है।"
"तुम नहीं समझते!" वह चिल्लायी और उठी और ऊपर चली गई। वह कुछ सीढ़ियाँ नीचे आई, "इसका यह अर्थ नहीं है कि मैं तुम्हारी सहायता नहीं करूंगी। यदि मुझे मेरा अन्तिम हक भी गिरवी रखना पड़ेगा। मैं इसे तुम्हें जेल जाने से बचाने के लिए करूंगी। परन्तु एक बार यह समाप्त हो जाएगा, मुझे हमेशा के लिए छोड़ दो, बस मैं यही कहती हूँ। मुझे भूल जाओ। मुझे मरने या जीने के लिए छोड़ दो, जैसा कि मैंने चुना है। बस और कुछ नहीं।"

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17. She was as good as................... ...had underestimated all along. (Page 189)

कठिन शब्दार्थ : acute (अक्यूट) = बहुत गंभीर, बहुत अधिक । shepherding (शेफडिङ) = लोगों को रास्ता बताना। dearth ('डथ्) = किसी वस्तु की कमी, अपर्याप्त। plight (प्लाइट) + दुर्दशा, प्रतिकूल या कठिन दशा। find yourself in my shoes (किसी को अपनी स्थिति और दशा में पाना)। -: हिन्दी अनुवाद-वह इतनी अच्छी थी जितने उसके शब्द। एक अचानक आई गतिविधि ने उसे जकड दिया था। वह मणि की सहायता के लिए भागी। उसने अपने जवाहरात बेच दिए। वह जितनी नकद राशि इकट्ठी कर सकती थी उसने इकट्ठी की, उसने अपने शेयर उसी कीमत पर बेच दिये। उसने मणि को चारों ओर घुमाया। उसने उसे मेरे लिए बड़ा वकील करने के लिए मद्रास भेजा। जब नकद पैसे के लिए तनाव तेज हो गया और उसने पाया कि हमें अभी करने के लिए बहुत कुछ करना है, वह और अधिक व्यावहारिक मन वाली बन गई थी। उसने अपने स्वयं के शब्दों को निगला और कार्यक्रम करने लग गई, संगीतकारों को स्वयं ही रास्ता बताती, मणि की सहायता के साथ वह रेल्वे की सारी व्यवस्थाएँ करती और इसी प्रकार से आगे के कार्य करती। मैंने उस पर ताना मारा जब मैंने उसे चारों ओर जाते देखा, "तुम देखती हो, मैं तुमसे यही करवाना चाहता था।"

कार्यक्रमों की कमी नहीं थी। वास्तव में मेरी वर्तमान दुर्दशा थोड़ी अस्थायी सुस्ती के बाद, एक अतिरिक्त रुचि बनाना प्रतीत हो रहा था। आखिरकार, लोग शो का आनन्द लेना चाहते थे और वे कैसे इसका ध्यान रखते थे कि मेरे साथ क्या हुआ था? उसे उसका काम, अभ्यास और असम्बद्धता के साथ कार्यकम करते देख मुझे चोट लगती थी। मणि उसके लिए बहुत सहायक रहा था और वे जिन्होंने उसे नियंत्रित किया था उसे सारी सहायता देते थे। सब कुछ यह साबित करता था कि वह मेरे बिना श्रेष्ठतम तरीके से आगे बढ़ सकती थी। मैंने महसूस किया जैसे मणि को कहना चाहिए, "सावधान रहना, वह तुम्हें आगे ले जाती रहेगी उससे पहले कि तुम यह जान पाओगे कि तुम कहाँ हो और तब तुम अपने आपको अचानक मेरी स्थिति में पाओगे! सावधान रहना नागिन से!" 

मैं जानता था कि मेरा मन सामान्यतया या अच्छे तरीके से काम नहीं कर रहा था। मैं जानता था कि मैं उसकी आत्मनिर्भरता से ईर्ष्यालु हो रहा था। परन्तु मैं उस क्षण यह भूल गया था कि वह यह सब मेरी खातिर ही कर रही थी। मुझे डर था कि, अपने विरोधों के बावजूद भी वह नृत्य करना बन्द नहीं करेगी। वह कभी भी रुकने के योग्य नहीं होगी बल्कि दिन-प्रतिदिन उसकी स्थिति मजबूत होती जायेगी। मैं जानता था, उस रास्ते पर देखना जिस तरह वह अपना काम कर रही थी कि वह सब कुछ संभाल लेगी चाहे मैं जेल के अन्दर रहूं या बाहर; चाहे उसका पति इसे सहमति दे या नहीं। ना तो मार्को और ना ही मैं उसके जीवन में कोई स्थान रखते हैं, उसमें एक प्रबल शक्ति थी जिसकी कीमत उसने कम आँकी थी।

RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 5

18. Our lawyer had......... ...............puny and frightened. (Pages 189-190)

कठिन शब्दार्थ : noose (नूज) = फंदा। absolved (अबसॉल्वड़) = दोषमुक्त किया, निरपराध ठहराना। swindler (स्विन्डल(र)) = धोखेबाज, ठग। hooligan (हूलिगन) = उपद्रवी, दंगाई, गुण्डा। naught (ना:ट) = निकम्मा, बेकार, शून्य, कुछ नहीं। scintillated (सिन्टिल्टेड) = चमकना, चिनगारियाँ छोड़ना। elegance (एलिगन्स्) = रमणीकता। fidgeting (फिजिटिङ) = बेचैनी, ऊब के कारण हिलतेडुलते रहना। knack (नैक) = कठिन काम करने की नैसर्गिक योग्यता। wincing (विन्सिङ) = सिकुड़ जाना। foolhardy (फूलहाडि) = अनावश्यक खतरे मोल लेने वाला, दुस्साहसी। puny (प्यूनि) = दुर्बल और छोटा।

हिन्दी अनुवाद-हमारा वकील अपनी स्वयं की हैसियत सितारों की तरह से रखता था। देश के इस भाग में उसके नाम के हिज्जे अपना स्वयं का जादू रखते थे। उसने बहुत सी गर्दने बचाई थीं (कभी-कभी एक से अधिक बार) फांसी के फंदे से, उसने जालसाजों में से कुछ को दोषमुक्त कराया जनता की आँखों में और कानून की नजरों में, वह बदमाशों के पूरे एक झुण्ड को पुलिस के षडयंत्र का निर्दोष शिकारी बता सकता है। वह अभियोजन पक्ष की ओर से श्रम से निर्मित मुकदमे को शून्य बता सकता था, वह उनकी कहानी को हँसने योग्य बना सकता था, वह सबसे अधिक सावधानी से बन्द की गई गवाही को अपने अंगूठे से और अंगुलियों से पकड़कर छूमन्तर कर देता था। वह दिखावे में पुरातन पंथी दिखता था, उसका लम्बा कोट और पुरातन पंथ की धोती और पगड़ी और इस सबसे ऊपर काला रंग का चोगा।

उसकी आँखें खुशी व आत्मविश्वास के साथ चमकती थीं जब वकीलों की सभा के साथ खड़ा होकर अदालत को सम्बोधित करता था। जब जज की आँखें उसकी डेस्क पर कागजों को खोने के लिए नीचे झुकतीं, वह नसवार की एक चुटकी लेकर बड़ी अदा के साथ सूंघता था। एक बार तो हमें डर लगा कि कहीं वह यह समझकर कि हमारा केस मामूली है, केस लड़ने से इन्कार न कर दे। लेकिन नलिनी की खातिर उसने केस लड़ना स्वीकार कर लिया। एक विख्यात व्यक्ति ने दूसरे । का लिहाज किया था। जब यह खबर आई कि उसने संक्षिप्त नोट को स्वीकार कर लिया था। (इसकी हमें एक हजार रु. कीमत देनी पड़ी उससे इसे प्राप्त करने के लिए) हमने महसूस किया मानो कि मेरे खिलाफ सारा .. मुकदमा पुलिस के द्वारा माफी मांगकर यह कहते हुए कि असुविधा के लिए खेद है, कहकर छोड़ दिया गया

था। परन्तु वह महंगा थाहरबार के विमर्श हेतु काउन्टर पर नकद राशि जमा करानी पड़ती थी। वह अपने स्वयं के तरीके में एक "स्थगन वकील" था। उसके हाथ में केस आटे की तरह से होता था वह इसे गूंथ कर ऊपर-नीचे खींच सकता था। वह एक क्षण में मुकदमे को टुकड़ों में बांटता और सूक्ष्मदर्शी की तरह जाँच करने के लिए बहुत से दिनों की माँग करता था। वह अदालत को बेचैन कर देता और उन्हें उठने के योग्य कि वे भोजन कर सके उसके लायक भी नहीं छोड़ता था क्योंकि वह बिना वाक्य पूरा किए बात कर सकता था, उसके पास वाक्य को टेलीस्कोप की तरह एक वाक्य से दूसरे वाक्य में बिना सांस रोके ले जाने की अर्जित योग्यता थी।

वह सुबह की गाड़ी से आकर शाम की गाड़ी से जाता था, और उस समय तक वह न तो अदालत से दूर जाता और न उस दिन के लिए अदालत को मुकदमे को आगे प्रगति करने देता था जिससे कि एक न्यायाधीश को यह आश्चर्य होता था कि किस प्रकार से दिन स्वयं अपने आप समाप्त हो गया था। इस प्रकार से वह स्वतंत्रता की इस अवधि को लम्बा खींचकर उपलब्ध समय में अपराधी को राहत देता, इसका अन्तिम परिणाम चाहे जो कुछ निकले। परन्तु इसका तात्पर्य मुकदमे पर कम आहत और आदमी का अधिक खर्च होता था, जैसे कि उसकी कीमत एक दिन की साढ़े सात सौ रुपये होती थी और उसे रेल्वे और अन्य दूसरे खर्चे भी देने पड़ते थे और वह कभी भी अपने सहायकों को मुकदमे की सहायता के लिए लेकर नहीं आता था।

उसने मेरे मुकदमे को तीन भागों में किसी सुखान्त नाटक की तरह प्रस्तुत किया था, जिसमें मुख्य खलनायक मार्को था, वह सभ्य अस्तित्व का एक दुश्मन था। मार्को उस दिन के लिए अभियोजन पक्ष का पहला गवाह था और मैं उसे हॉल के उस पार हर आक्रमण पर सिकुड़ते हुए देख सकता था जो कि उस सितारे वकील की ओर से उस पर किए जा रहे थे। उसने अवश्य ही यह इच्छा की होगी कि इल्जाम थोपने के लिए वह पर्याप्त दुःसाहसी बना है, अवश्य ही, परन्तु वह छोटा दुर्बल और डरा हुआ दिखाई दे रहा था।

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19. The first part of the comedy...........been a little careful..... (Pages 190-192)

कठिन शब्दार्थ : privation (प्राइवेशन) = तंगी, कठिनाई, कष्ट ।.slighting (स्लाइटिङ) = असभ्यता से बर्ताव करना, सम्मान न देना, हल्का प्रयास करना । gorge (गोज्) = क्रोधित होना, नाराज होना। edifice (एडिफिस) = भव्य भवन, बड़ी शानदार इमारत। schemer (स्कीम्(र)) = षडयंत्रकारी। sinister (सिनिस्ट् (र)) = अमंगलकारी। trot out (ट्रॉट आउट) = पुरानी बात दोहराना। exonerated (इग'जॉनरेटड्) = दोषमुक्त घोषित करना। unspectacular (अन्स्पेक्टक्यूल(र्)) = अभव्य। 

हिन्दी अनुवाद-सुखान्त नाटक का पहला भाग था कि खलनायक अपनी पत्नी को पागल कर देना चाहता था; सुखान्त नाटक का दूसरा भाग था कि पत्नी उसके आक्रमण से बच गई और कठिनाई और मृत्यु के बिन्दु पर एक विनम्र मानवतावादी राजू ने बचा लिया था, जिसने अपने समय और व्यवसाय का बलिदान इस

औरत की रक्षा और इसे कला के जगत में ऊंचा उठाने के योग्य करने के लिए बलिदान दिया। उसका जीवन हमारे राष्ट्र और हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं की प्रतिष्ठा में योगदान रहा था। जब संसार में भरत नाट्य की प्यास थी, यह आदमी यहाँ अपना छोटा प्रयास कर रहा था और जब उसने अपना स्वयं का नाम बड़ा कर दिया, किसी की भूख जागी। कोई ऐसा रास्ता देना चाहता था कि इस असहाय महिला की भव्यता जो अपने जीवन में अकेली बढ़ रही थी गिरा दी जाए। सम्माननीय न्यायाधीश महोदय और तब इस षड्यंत्रकारी ने एक कागज निकाला - एक कागज जिसे भुला दिया गया था और यह छुपा हुआ पड़ा था काफी बरसों से। इस महिला को । शामिल करने में कुछ उद्देश्य थे कि इससे हस्ताक्षर करवाये जाएं - वह तर्क के अन्तिम भाग में इस पर गया था। (यह उसका यंत्र था जो कि अमंगलकारी लगता था, उसे कभी बाद में इसे वापस देने का मौका नहीं मिला।)

क्यों कोई पुराने कागज को बाहर निकालना चाहता था जो कि इन सब वर्षों में रखा गया था? उसने इसे इतने लम्बे समय तक अकेला क्यों छोड़ा था? हमारा वकील इस बिन्दु को वर्तमान में बिना टिप्पणी के छोड़ गया था। वह उस शिकारी कुत्ते की तरह लग रहा था जो कि एक लोमड़ी को सूंघ रहा था। वह कागज। सम्माननीय न्यायाधीश महोदय, बिना हस्ताक्षर वापस किया गया था। विचार शामिल होने का नहीं था और महिला उस'. तरह की भी नहीं थी कि उसे गहनों के द्वारा पकड़ा जाए, वह इस पर बहुत कम ध्यान देती थी और इस प्रकार से कागज बिना हस्ताक्षर के और वापस भेजा गया था, अच्छा व्यक्ति राजू स्वयं इसे पोस्ट ऑफिस तक लेकर गया था कि इसे वह स्वयं प्रेषित करे, जैसा कि पोस्टमास्टर इसे परीक्षण कर सकता है। 

इसलिए यह उस षड्यंत्रकारी के लिए गहरी निराशा थी जब कागज बिना हस्ताक्षरों के वापस भेजा गया था। इसलिए उन्होंने दूसरी चालाकी के बारे में सोचा - कुछ - किसी ने इस महिला के इस पर हस्ताक्षर कर दिए और इसे पुलिस तक ले गया था। यह किसने किया है यह बताने का कार्य उसका नहीं था, वह इस प्रश्न में रुचि नहीं लेता था। वह श्रेणीगत रूप में यह कहने की सीमा तक रुचिकर था कि यह उसका मुवक्किल उस काये को नहीं कर रहा था; और बिना हिचकिचाहट वह बताएगा कि उसे तत्काल रिहा कर दोषमुक्त किया जाए। - परन्तु अभियोजन पक्ष मजबूत था, यद्यपि भव्य नहीं था। 

उन्होंने मणि को बॉक्स में खड़ा कर उससे प्रश्न . पूछे और वह बहक कर बोला गया था कि मैं बेचैनी से उस पार्सल के लिए रोज तलाश करता था; पोस्टमास्टर. को भी पूछा गया और उसे स्वीकार करना पड़ा कि मैं असाधारण लगा था और अंत में हस्तलेखन विशेषज्ञ जिसने परीक्षण कर तार्किक रूप से बताया कि हाथ से लिखा मेरा था उसके पास उसके चैक के पीछे लिखे हुए मेरे हाथों से लिखे सबूतों का विस्तृत विवरण रसीदों और पत्रों पर भी था। न्यायाधीश ने मुझे दो साल के कारावास की सजा दी। हमारा सितारा वकील प्रसन्न था, कि कानून की पुस्तकों के अनुसार मुझे सात साल की सजा मिलती परन्तु उसकी अनवरतता की वजह से पांच साल कम हुए यदि मैं थोड़ा सा भी सावधान रहता................ 

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20. The star laywyer.........out their turbans.. (Page 192) 

कठिन शब्दार्थ : restricted (रेस्ट्रिकटेड) = प्रतिबन्धित। benevolent (बनेवलन्ट) = दयालु, मित्रवत। homicides (हॉमिसाइड्स) = मानव हत्यारे। respite (रेसपाइट) = थोड़े समय का विश्राम, थोड़ी फुरसत। errand (एरान्ड) = छोटे-छोटे कार्य।

हिन्दी अनुवाद-स्टार वकील इस उद्देश्य को एक बार में तुरन्त नहीं पा सका था, परन्तु बहुत महीनों की अवधि में, जब नलिनी पहले से अधिक कठोर मेहनत करती थी कि वह वकील को भी रख सके और हमारे घर की देखभाल भी कर सके। मुझे एक आदर्श कैदी माना गया था। अब मैंने महसूस किया कि लोग सामान्यतया मेरे बारे में सोचते थे .. कि मैं बेकार और अच्छा नहीं था। इसलिए नहीं कि मैं इस लेबल के योग्य था, परन्तु इसलिए कि वे मुझे हर ओर से सारे समय से गलत जगह पर देख रहे थे। मेरी प्रशंसा करने, उनको मेरे पास केन्द्रीय कारागार में आकर. . मुझे देखना चाहिए. था। इसमें कोई सन्देह नहीं कि मेरे क्रियाकलाप कुछ हद तक प्रतिबन्धित थे। मैं अपने बिस्तर से उस समय बाहर आ जाता था जब मुझे वहाँ रहना चाहिए था और वापस चला जाता था जब मुझे बाहर रहना चाहिए - यह समय सुबह पाँच और शाम के पाँच बजे का था। परन्तु इस समय के बीच में मैं अपने शो का मालिक होता था। मैं जेल के सभी विभागों में गया था एक नेक निरीक्षक की तरह से। 

सभी वार्डन के साथ मेरी पटती थी। मैं उन्हें उनके कार्यों में छोड़ देता था जब दूसरे कैदियों की निगरानी की जाती थी। मैं बुनाई विभाग और बढ़ई विभाग की निगरानी करता। चाहे वे हत्यारे या गला काटने वाले या उच्च मार्गों पर लूटने वाले थे, वे सब मुझे ध्यान से सुनते थे, मैं उनसे उनके सबसे.दुःखी मन में भी बात कर लेता था। जब थोड़ी फुरसत होती थी, मैं उनको कहानियाँ और दार्शनिक बातें और पता नहीं क्या-क्या सुनाता था। वे मुझे वडयार अर्थात् शिक्षक कहकर संदर्भ देते थे। उस भवन में पाँच सौ कैदी थे और मैं दावे के साथ उनके साथ विस्तृत रूप से ... उनमें से अधिकांश के साथ मेरी निकटता थी। अफसरों के साथ भी मेरी अच्छी पटती थी। जब जेल अधीक्षक अपने निरीक्षण पर निकलता था, मैं विशेषाधिकार प्राप्त लोगों में से एक था जो उसके पीछे चलते और उसकी टिप्पणियों को सुनते थे और मैं उसके लिए भाग कर छोटा-मोटा काम कर देता, जिससे मैं उसका प्रिय बन गया था। उसे केवल हल्के से अपने बायें ओर देखना होता था, मैं जान जाता था कि उसे क्या चाहिए था। मैं दौड़कर

उस वार्डन को बुला लेता था जिसे वह बुलाने की सोच रहा था; उसे केवल एक क्षण के लिए हिचकिचाहट होती थी और मैं जानता था कि वह सड़क पर पड़े उस कंकर को उठाकर फेंकना चाहता था। इससे वह बहुत अधिक खुश होता। इसके अलावा, मैं आगे भागने की स्थिति में होता और वार्डन को चेतावनी देता या दूसरे अन्य सहायकों को कि वह आ रहा था--और वे समय पाकर अपनी हल्की सी झपकी से उठ जाते या अपनी पगड़ियां सीधी कर लेते थे।

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21. I worked incessantly ...........prison permanently (Page 193)

कठिन शब्दार्थ : incessantly (इनसेसन्टलि) = अविराम, लगातार। bramble (ब्रैमबल) = झड़बेरी। shudder (शड(र)) = थरथराना, एकाएक जोर से कांपने लगना। choked (चोकट) = दम घुटना।

हिन्दी अनुवाद-मैं लगातार अधीक्षक के घर के पिछवाड़े वाले सब्जी के कार्य करता रहा। मैंने जमीन खोदी, कुएँ से पानी निकाला और सावधानी से इसकी देखभाल की थी। मैंने चारों ओर बाड़ लगाई जिसके झड़बेरी.की झाड़ियां और काटे लगाए जिससे कि मवेशी पौधों को नष्ट नहीं कर दें। मैंने बड़े-बड़े बैंगन, मटर, दाने और पत्ता गोभी उगाई। जब वे छोटी-छोटी कोंपलों के रूप में अपने डंठलों पर उगे थे, मैं उत्तेजना से भर गया। मैंने उनको विकसित होते, आकार लेते, रंग बदलते और अपने प्रारंभिक भागों को त्यागते देखा। जब फसल तैयार हो गई थी। 

मैंने उनको उनके डंठलों से प्रेम से तोड़ा, उनको धोया और मेरी जेल की जैकेट से साफ कर चमकाया, उन्हें कलात्मक रूप से बांस की बनी ट्रे पर लगाया। (मैंने बुनाई विभाग से एक ट्रे लेने की व्यवस्था कर ली थी) और औपचारिक ढंग से भीतर ले गया। जब उसने अच्छी पॉलिश किए हुए बैंगन, हरे मटर और पत्ता गोभी देखी, अधीक्षक ने मुझे लगभग अपने गले से खुशी में भरकर लगा लिया था। वह सब्जियों का प्रेमी था। वह अच्छे भोजन का प्रेमी था, जहाँ कहीं से यह आता हो। मैं इस कार्य के हर भाग को पसन्द करता था, नीला आकाश और सूर्य की धूप और मकान की छाया जिसमें मैंने बैठकर काम किया था, ठंडे पानी की छुअन, इससे मुझमें एक शानदार संवेदना उत्पन्न हुई। ओह, जीवित रहना और यह सब महसूस करना बहुत अच्छा प्रतीत होता था-ताजी खुदी हुई मिट्टी की गंध ने मुझे अत्यधिक प्रसन्नता से भर दिया था। 

यदि यही जेल जीवन था, क्यों नहीं अधिकांश लोग इसे स्वीकार करते हैं? वे इसके बारे में सोचकर थर-थर कांपते है, मानो कि यह वह स्थान है जहाँ पर आदमी के ठप्पा लग जाता है, बाँध दिया जाता है और सुबह से रात तक पीटा जाता है! मध्ययुगीन विचार है। इससे अधिक अच्छा और कोई स्थान नहीं हो सकता है, यदि आप नियमों का पालन करते हैं आप अधिक प्रशंसा पाते हैं इन ऊंची दीवारों के उस पार से भी अधिक। मुझे अपना भोजन मिल जाता था, मेरा सामाजिक जीवन दूसरे जेलवासियों और स्टाफ के सदस्यों के साथ था, पचास एकड़ के इस क्षेत्र में मैं स्वतंत्र घूमता था। अच्छा, यहाँ बहत अधिक स्थान है, जब आप इसके बारे में सोचते हैं, देखा जाये तो आम तौर पर इन्सान इससे कम जमीन में भी गुजारा करता है। 

"दीवारों को भूल जाओ और आप प्रसन्न रहेंगे।" मैं कुछ नवागन्तुकों से कहता था जो कि मन के विचारों के अधीन और थोड़े दिन चेहरा फुलाकर रहते थे। मैं अज्ञात लोगों के विचारों पर आनन्दित महसूस करता था जो कि जेल के विचार से ही डर जाते थे। हो सकता है कि वह आदमी जिसे अभी फांसी पर लटकाया जाना है उसके यही विचार नहीं हो; न उन लोगों के जो किसी के अधीन नहीं रह सकते हैं या हिंसक होते हैं । परन्तु इन लोगों के अलावा अन्य सभी यहाँ प्रसन्न रह सकते हैं। आँसुओं से मेरा गला रुंध गया था जब मुझे दो साल बाद यहाँ से जाना पड़ा और मेरी इच्छा हुई कि काश मैंने इतना रुपया वकील पर बर्बाद न किया होता। मैं जेल में स्थायी रूप से रुकने पर प्रसन्न होता।

22. The superintendent........................took it away carefully. (Pages 194-195)

कठिन शब्दार्थ : siesta (सिएस्टा) = दोपहर में खाने के बाद नींद लेना। cursory (कसरि) = तुरन्त और संक्षिप्त सरसरी। gall (गॉल्) = घृणा भरी कटुता। writhing (राइदिङ) = छटपटाना, तड़पना।

हिन्दी अनुवाद-अधीक्षक ने मुझे अपने दफ्तर में अपने व्यक्तिगत नौकर के रूप में स्थानान्तरित कर दिया था। मैंने उसकी डेस्क का चार्ज ले लिया, उसकी स्याही की दवात भर देता, उसके पेन साफ कर देता, पेन्सिल सुधार देता और उसके दरवाजे के बाहर इन्तजार करता था कि जब वह काम कर रहा हो तो कोई उसे बाधा नहीं पहंचाए। यदि वह इतना अधिक जैसा कि मैं सोचता, मैं अन्दर जाकर उसके सामने उस वार्डन को बुला लेता था जिसे वह बुलाने की सोच रहा था; उसे केवल एक क्षण के लिए हिचकिचाहट होती थी और मैं जानता था कि वह सड़क पर पड़े उस कंकर को उठाकर फेंकना चाहता था। इससे वह बहुत अधिक खुश होता। इसके अलावा, मैं आगे भागने की स्थिति में होता और वार्डन को चेतावनी देता या दूसरे अन्य सहायकों को कि वह आ रहा था--और वे समय पाकर अपनी हल्की सी झपकी से उठ जाते या अपनी पगड़ियां सीधी कर लेते थे।

23. I worked incessantly............prison permanently. (Page 193)

कठिन शब्दार्थ : incessantly (इनसेसन्टलि) = अविराम, लगातार। bramble (ब्रैमबल) = झड़बेरी। shudder (शड(र)) = थरथराना, एकाएक जोर से कांपने लगना। choked (चोकट) = दम घुटना।

हिन्दी अनुवाद-मैं लगातार अधीक्षक के घर के पिछवाड़े वाले सब्जी के कार्य करता रहा। मैंने जमीन खोदी, कुएँ से पानी निकाला और सावधानी से इसकी देखभाल की थी। मैंने चारों ओर बाड़ लगाई जिसके झड़बेरी.की झाड़ियां और काटे लगाए जिससे कि मवेशी पौधों को नष्ट नहीं कर दें। मैंने बड़े-बड़े बैंगन, मटर, दाने और पत्ता गोभी उगाई। जब वे छोटी-छोटी कोंपलों के रूप में अपने डंठलों पर उगे थे, मैं उत्तेजना से भर गया। मैंने उनको विकसित होते, आकार लेते, रंग बदलते और अपने प्रारंभिक भागों को त्यागते देखा। जब फसल तैयार हो गई थी। मैंने उनको उनके डंठलों से प्रेम से तोड़ा, उनको धोया और मेरी जेल की जैकेट से साफ कर चमकाया, उन्हें कलात्मक रूप से बांस की बनी ट्रे पर लगाया। (मैंने बुनाई विभाग से एक ट्रे लेने की व्यवस्था कर ली थी) और औपचारिक ढंग से भीतर ले गया। जब उसने अच्छी पॉलिश किए हुए बैंगन, हरे मटर और पत्ता गोभी देखी, अधीक्षक ने मुझे लगभग अपने गले से खुशी में भरकर लगा लिया था। वह सब्जियों का प्रेमी था। 

वह अच्छे भोजन का प्रेमी था, जहाँ कहीं से यह आता हो। मैं इस कार्य के हर भाग को पसन्द करता था, नीला आकाश और सूर्य की धूप और मकान की छाया जिसमें मैंने बैठकर काम किया था, ठंडे पानी की छुअन, इससे मुझमें एक शानदार संवेदना उत्पन्न हुई। ओह, जीवित रहना और यह सब महसूस करना बहुत अच्छा प्रतीत होता था-ताजी खुदी हुई मिट्टी की गंध ने मुझे अत्यधिक प्रसन्नता से भर दिया था। यदि यही जेल जीवन था, क्यों नहीं अधिकांश लोग इसे स्वीकार करते हैं? वे इसके बारे में सोचकर थर-थर कांपते है, मानो कि यह वह स्थान है जहाँ पर आदमी के ठप्पा लग जाता है, बाँध दिया जाता है और सुबह से रात तक पीटा जाता है! मध्ययुगीन विचार है। इससे अधिक अच्छा और कोई स्थान नहीं हो सकता है, यदि आप नियमों का पालन करते हैं आप अधिक प्रशंसा पाते हैं इन ऊंची दीवारों के उस पार से भी अधिक। मुझे अपना भोजन मिल जाता था, मेरा सामाजिक जीवन दूसरे जेलवासियों और स्टाफ के सदस्यों के साथ था, पचास एकड़ के इस क्षेत्र में मैं स्वतंत्र घूमता था। 

अच्छा, यहाँ बहत अधिक स्थान है, जब आप इसके बारे में सोचते हैं, देखा जाये तो आम तौर पर इन्सान इससे कम जमीन में भी गुजारा करता है। "दीवारों को भूल जाओ और आप प्रसन्न रहेंगे।" मैं कुछ नवागन्तुकों से कहता था जो कि मन के विचारों के अधीन और थोड़े दिन चेहरा फुलाकर रहते थे। मैं अज्ञात लोगों के विचारों पर आनन्दित महसूस करता था जो कि जेल के विचार से ही डर जाते थे। हो सकता है कि वह आदमी जिसे अभी फांसी पर लटकाया जाना है उसके यही विचार नहीं हो; न उन लोगों के जो किसी के अधीन नहीं रह सकते हैं या हिंसक होते हैं । परन्तु इन लोगों के अलावा अन्य सभी यहाँ प्रसन्न रह सकते हैं। आँसुओं से मेरा गला रुंध गया था जब मुझे दो साल बाद यहाँ से जाना पड़ा और मेरी इच्छा हुई कि काश मैंने इतना रुपया वकील पर बर्बाद न किया होता। मैं जेल में स्थायी रूप से रुकने पर प्रसन्न होता।

RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 5

24. The superintendent ............... took it away carefully. (Pages 194-195)

कठिन शब्दार्थ : siesta (सिएस्टा) = दोपहर में खाने के बाद नींद लेना। cursory (कसरि) = तुरन्त और संक्षिप्त सरसरी। gall (गॉल्) = घृणा भरी कटुता। writhing (राइदिङ) = छटपटाना, तड़पना।

हिन्दी अनुवाद-अधीक्षक ने मुझे अपने दफ्तर में अपने व्यक्तिगत नौकर के रूप में स्थानान्तरित कर दिया था। मैंने उसकी डेस्क का चार्ज ले लिया, उसकी स्याही की दवात भर देता, उसके पेन साफ कर देता, पेन्सिल सुधार देता और उसके दरवाजे के बाहर इन्तजार करता था कि जब वह काम कर रहा हो तो कोई उसे बाधा नहीं पहंचाए। यदि वह इतना अधिक जैसा कि मैं सोचता, मैं अन्दर जाकर उसके सामने सावधान खड़ा हो जाता, मैं बहुत चैतन्य रहता। वह मुझे फाइल के बॉक्स अपने बाहरी दफ्तर तक ले जाने के लिए दे देता था। 

मैं अन्दर फाइल के बॉक्स लाता जो कि वे वापस उसकी टेबल पर देते थे। उसकी अनुपस्थिति में अखबार आते थे-उसके पास ले जाने से पहले मैं अखबारों में नजर डाल लेता। मैं नहीं सोचता था कि उसने कभी ध्यान दिया था; वह वास्तव में अखबार को अपने बिस्तर में ही पढ़ना पसन्द ..... करता था, अपने भोजन के बाद जब वह दोपहर की नींद लेने की प्रक्रिया में होता था। मैं चुपचाप विश्व के राजनेताओं के भाषणों, पाँचवर्षीय योजना के वर्णन, मंत्री जो पुलों को खोलते थे या पुरस्कारों का वितरण करते, परमाणु विस्फोट और संसार की विपत्तियों की ओर नजर डालता था। मैं उन सबको सरसरी निगाह डालता था।

परन्तु शुक्रवार और शनिवार को मैं हिन्दू के अन्तिम पृष्ठों को घुमाता अपनी कांपती हुई अंगलियों से - इसके सबसे ऊंचे वाले हिस्से में पेज के अन्त में वही खाना प्रदर्शित करते थे, नलिनी का फोटोग्राफ होता था, उस संस्था का नाम जहाँ पर वह कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी और टिकटों की कीमतें। अभी दक्षिणी भारत के इस कोने में, अभी वहाँ, अगले सप्ताह सिलोन में (श्रीलंका) और दूसरा सप्ताह बम्बई या दिल्ली में। उसका साम्राज्य बढ़ने के बजाय घट रहा था। इसने मुझमें घृणा भर दी थी कि उसे मेरे बिना नहीं जाना चाहिए था। 

अब उस बीच वाले सोफे पर कौन बैठता होगा? बिना मेरे इशारे के छोटी अंगुली से अब कार्यक्रम कैसे प्रारम्भ होता होगा? वह अब कैसे जानती होगी कि कब रुकना था? वह शायद अब कार्यक्रम करती ही रहती होगी, जबकि अन्य दूसरे उसे बिना बुद्धि बिना रोके देखते रहते होंगे। मैं स्वयं अपने आप हँसता रहा था यह सोचकर कि वह किस प्रकार से प्रत्येक कार्यक्रम के बाद अपनी गाड़ियों को छोड़ती होगी। मैं अखबार के कागजों को केवल उसके कार्यक्रम की तिथियों को पढ़ने के लिए खोलता था और यह गणना करने के लिए कि वह कितना कमा लेती होगी। जब तक वह अपने खातों को इस अग्र विचार के साथ नहीं लिखेगी। अधिक कर निगल जाएगा जो कुछ वह कमा कर ढेर करेगी अपने शरीर के मोड़ने और छटपटाने से! मुझे मणि पर सन्देह था कि उसने मेरी जगह ले ली होगी और उसने और अधिक घृणा पैदा कर दी थी, परन्तु तथ्य यह था कि मेरे रुकने के शुरूआती महीनों में मणि मुझसे मिलने वाले दिन मिलने के लिए आया था।

मणि एकमात्र मिलने वाला था जब मैं जेल में था; सारे दोस्त और रिश्तेदार मुझे भूल गए थे। वह इसलिए आया था क्योंकि वह मेरे भविष्य से दु:खी था। उसने पर्याप्त दुःख और गंभीरता को अपने चेहरे पर ला रखा था जब वह मेरा इन्तजार कर रहा था। परन्तु जब मैंने उससे कहा, "यह बुरा स्थान नहीं है। यदि तुम भी आ सकते हो, तो तुम्हें भी यहाँ पर आना चाहिए।" वह डरा हुआ लगा और फिर मुझसे कभी मिलने नहीं आया था। परन्तु तीस मिनिट में उसने मुझे सारी खबरें दे दी थीं। नलिनी अपना सारा सामान लेकर कस्बे से बाहर चली गई थी। 

वह मद्रास में रहने लग गई थी और वह स्वयं अच्छी तरह से अपनी देखभाल कर रही थी। उसने मणि को एक हजार रुपए का उपहार दिया उस दिन जिस दिन वह गई थी। उसके पास मालाओं के गुच्छे थे जो उसे रेल्वे प्लेटफार्म पर उपहार में दिए गए थे। उसे विदा करने के लिए कितनी भीड़ जमा हुई थी? जाने से पहले उसने व्यावहारिक रूप से हमारे कर्जदारों की एक सूची बनाई और उनको पूर्णतया चुकता किया। उसने घर का सारा फर्नीचर और अन्य दूसरी वस्तुएँ नीलाम कर दी थीं। मणि ने बताया कि वह अपने साथ एकमात्र वस्तु वह पुस्तक ले गई जिसको उसने पाया था जब उसने शराब की आलमारी को तोड़कर खोला और सारी शराब को बाहर फिंकवाया। उसने पुस्तक को अन्दर छुपा पाया, इसे उठाया और इसे सावधानी से ले गई थी।

25. “That was my book...............again to hear the judgement. (Pages 195-196)

कठिन शब्दार्थ : prolonged (प्रोलॉन्ड्) = अत्यधिक लम्बा करते रहना। pledged (प्लेज्ड) = वादा करना। plight (प्लाइट) = दुर्दशा, कठिन दशा। pneumonia (न्यूमोनिया) = निमोनिया।

हिन्दी अनुवाद-"वह मेरी पुस्तक थी। वह इसे क्यों ले जा सकती है?" मैं बच्चों की तरह चिल्लाया मैंने जोड़ा, "वह इसे अपना सबसे बड़ा प्रदर्शन मानती लगती है, मैं मानता हूँ ! क्या इससे वह खुश था? या इसका कोई उपयोगी प्रभाव हुआ?" मैंने दानवता के साथ पूछा। मणि बोला, "मुकदमे के बाद, वह कार में बैठ कर घर चली गई और वह उस तक पहुँची और रेल्वे स्टेशन चली गई-वे नहीं मिले थे।" "मैं कम से कम एक बात से प्रसन्न था।" मैंने कहा। "उसमें आत्मसम्मान था और उसने उसके पैरों में गिरने का प्रयास नहीं किया।"

मणि ने जाने से पहले कहा, "मैं आपकी माँ से अभी हाल ही में मिला था वह गाँव में अच्छी तरह से रह रही है।" कोर्ट के हॉल में मेरी माँ उपस्थित थी। वह सुनवाई के अन्तिम दिन आई थी, हमारे स्थानीय "स्थगन वकील" को धन्यवाद है जो कि सामान्यतया मेरे और उसके बीच कड़ी था, जैसे कि वह निरन्तर रूप में हमारे आधे घर को परेशान करने वाले और लम्बे चलने वाले मामले को देख रहा था जो कि सेठ के सामने वादा किया गया था। वह शब्दों के पार उत्तेजित था जब मद्रास से हमारा अद्भुत वकील आया था, जिसको हमने ताज के श्रेष्ठ कमरे सुइट में रखा था।

हमारा छोटा वकील उत्तेजना में भागता दिख रहा था। वह भागकर गाँव में गया और मेरी माँ को लेकर आने की सीमा तक पहुँच गया था किस उद्देश्य से उसने यह किया था केवल वही अकेला जानता था। मेरी माँ मेरी दुर्दशा से भर गई जब मैं कटघरे पर खड़ा था, जब रोजी उसके पास कुछ शब्द कहने गई, उसकी आँखें चमकी, "अब तुम संतुष्ट हो जो कुछ तुमने उसके साथ किया है?" और वह लड़की छिटक कर चली गई। यह मेरी माँ के द्वारा स्वयं मुझे बताया गया था, जिसके पास मैं कोर्ट की अन्तराल में पहुँचा था। मेरी माँ गलियारे में खड़ी थी। उसने कभी भी अदालत के अन्दर का हॉल नहीं देखा था और वह अपने हिम्मत की भावना से भर गई थी। उसने मुझसे कहा, "तुम अपने आप पर और तुम्हारे सब जानने वालों पर क्या शर्मिन्दगी लाए हो ! मैं सोचा करती थी कि सबसे बुरी बात जो तुम्हारे साथ हो सकती थी वह थी मृत्यु, जैसे कि तुम्हें कई सप्ताहों तक निमोनिया हुआ था; परन्तु अब मेरी इच्छा है कि तुम्हारे उससे ठीक होने और इससे जाने से बेहतर........" वह अपना वाक्य पूरा नहीं कर पाई; वह रोने लगी और गलियारे में चली गई और बाहर आ गई उससे पहले कि हम निर्णय सुनने के लिए फिर से इकट्ठे हुए थे।

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26. Raju's narration concluded...............was the starting point. (Pages 196-197)

कठिन शब्दार्थ : omission (अमिशन) = चूक, छूट, रह गई। penance (पेनन्स) = प्रायश्चित। reprieve (रिप्रीव) = सजा को विराम देना। verdict (वडिक्ट्) = न्यायालय का निर्णय। wool gathering (वुल गेदरिङ) = अन्यमनस्कता, दु:चिंता । pierce (पिअस) = घुसना। shaft (शाफ्ट) = कूपक, तीर, डण्डा। obeisance (ओबेसन्स) = सम्मान, आदर। misgiving (मिसगिविङ) = संदेह।

हिन्दी अनुवाद-राजू की बात मुर्गे के बोलने के साथ समाप्त हो गई थी। वेलान बिना एक मांसपेशी घुमाए सुनता रहा, उसने अपनी पीठ प्राचीन पत्थर की सीढ़ियों के सहारे बनी रेलिंग से लगा रखी थी। राजू ने महसूस किया कि उसका गला रातभर बोलते रहने के कारण दुखने लगा था। गाँव के लोग अभी तक नहीं जागे थे । वेलान ने एक लम्बी उबासी ली और शान्त रहा। राजू ने बिना एक छोटी सी चूक के प्रत्येक विवरण के साथ अपने जन्म से लेकर जेल के गेट से बाहर आने तक को बताया था। उसने कल्पना की थी कि वेलान निराशा से खड़ा होगा और सौगन्ध से कहेगा, "और हमने तुम्हें सारे समय एक भद्र आत्मा माना! यदि तुम्हारे जैसा कोई प्रायश्चित करता है, यह थोड़ी सी बारिश को भी भगा देगी जिसकी कि हम उम्मीद करते हैं । 

चले जाओ, इससे पहले कि हम सब लालच में आकर तुम्हें बाहर फेंक दें। तुमने हमें मूर्ख बनाया था।"
राजू ने इन शब्दों के लिए इन्तजार किया मानो कि वह शब्दों को सजा के लिए विराम दे रहा था। उसने वेलान की शान्ति को चिन्ता और संदेह से देखा, मानो कि वह फिर से न्यायाधीश के निर्णय का इन्तजार कर रहा हो, दूसरी बार। न्यायाधीश यहाँ पर एक प्रकार का सख्त था उससे अधिक जिसका कि उसने अदालत के हॉल में सामना किया था। वेलान शान्त रहा - इतना शान्त कि राजू को डर लगा कि वह गहरी नींद में सो गया था। राजू ने पूछा, "अब तुमने मुझे पूरी तरह से सुन लिया है?" उस वकील की तरह से जो कि वकील के संदेहभरी बातों पर अन्यमनस्कता रखता है। "हाँ, स्वामी।"

राजू को झटका लगा कि उसे अभी भी 'स्वामी' से संबोधित किया जा रहा था। वेलान को थोड़ा दुःख हो रहा था कि उसे इस प्रकार के प्रश्न का जवाब देना पड़ रहा था।"स्वामी, मैं नहीं जानता हूँ कि तुमने मुझे यह सब क्यों कहा है। आपकी बहुत मेहरबानी है कि आपने अपने विनम्र सेवक को इतनी देर तक सम्बोधित किया है।" प्रत्येक सम्मानजनक शब्द जो यह आदमी प्रयोग में ला रहा था राजू को एक तीर की तरह से भेद रहा था।"वह मुझे नहीं छोड़ेगा।" राजू ने आराम के साथ सोचा। "यह आदमी मुझे समाप्त कर देगा इससे पहले कि मैं जान जाता कि मैं कहाँ हूँ।"

गहरे विचार के बाद, न्यायाधीश अपनी सीट से उठा। "मैं गाँव में अपने सुबह के नित्य कर्म करने जा रहा हूँ। मैं बाद में आऊंगा और मैं कभी भी एक शब्द भी किसी को भी नहीं कहँगा जो कुछ मैंने सुना है।" उसने नाटकीय अन्दाज में अपना सीना ठोका। "यह नीचे चला गया है और यह यहाँ पर रहेगा।" इसके साथ, उसने एक गहरा आदर व्यक्त किया और सीढ़ियों से नीचे चला गया और नदी की मिट्टी के उस पार।
एक भटकता हुआ अखबार का संवाददाता जो गाँव में खबर चुनने के लिए आया था। सरकार ने एक आयोग को भेजा था जो कि अकाल की दशा बताएगा, पूछेगा और उपाय सुझाएगा और इसके साथ अखबार का संवाददाता आया था। भटकते समय उसने स्वामीजी के बारे में सुना, नदी के उस पार मन्दिर तक गया और उसने मद्रास में अपने अखबार में एक तार भेजा, जो कि भारत के सभी कस्बों में भेजा जाता था। "पवित्र आदमी का सूखे की समाप्ति के लिए प्रायश्चित" इस शीर्षक से और तब एक संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया हुआ था। यह शुरुआती बिन्दु था। 

27. Public interest was roused...........into his inner sanctum. (Pages 197-198)

कठिन शब्दार्थ : besieged (बिसीजड) = घेराबन्दी की। presumably (प्रिज्यूमबलि) = संभवतः। avocations (एवोकेशन) = पेशा, व्यवसाय | hum (हम्) = निरन्तर नीची हल्की आवाज करना। pervading (पवेडिङ) = सर्वत्र फैल जाना, व्याप्त होना। curls (कलस्) = गुच्छे। saffron (सेफ्रन) = केशर। palmyra (पैलमाइर) = ताड़, खजूर।

हिन्दी अनुवाद-जनता की रुचि जाग उठी। अखबार के दफ्तर की और अधिक खबरों के लिए घेराबन्दी की गई। उन्होंने संवाददाता को वापस जाने का आदेश दिया। उसने दूसरा टेलीग्राम भेजा जिसमें लिखा, "उपवास का पांचवां दिन।" उसने दृश्य का वर्णन किया : कैसे स्वामी नदी के किनारे आता है, इसके स्रोत की ओर मुँह करता है, घुटनों तक गहरे पानी में खड़ा रहता था, सुबह छः बजे से आठ बजे तक, अपने होठों से कुछ बुदबुदाता था, उसकी आँखें बन्द होती थीं, संभवतः उसके हाथ भगवान को नमस्कार की मुद्रा में बन्द होते थे। घुटनों तक गहरा पानी मिलना कठिन था, परन्तु गाँववालों ने एक कृत्रिम स्रोत बना दिया, जब यह नहीं भरता था, वे दूर के कुओं से पानी लाकर इसे भरते थे, जिससे कि इस आदमी को हमेशा घुटनों तक गहरा पानी खड़े रहने को मिल जाए। 

वह पवित्र आदमी वहाँ दो घंटों तक खड़ा रहता था, तब वह सीढ़ियों पर धीरे-धीरे चढ़ता और मंदिर के स्तम्भाकार हॉल में एक चटाई पर लेट जाता था, जबकि उसके भक्त लगातार उसे पंखा झूलते रहते थे। वह मुश्किल से किसी की ओर देखता था, यद्यपि उसके चारों ओर एक बड़ी सारी भीड़ रहती थी। वह पूर्णतया उपवास पर था। वह लेट कर अपनी आँखें बन्द कर लेता था जिससे कि उसका प्रायश्चित पूर्णतः सफल रहे। उसी उद्देश्य के लिए वह सारी शक्ति का संरक्षण करता था। जब वह पानी में नहीं खड़ा रहता था, वह गहरे ध्यान में होता था। गाँव वालों ने अपने सामान्य व्यवसाय एक तरफ रख दिए थे कि वे हर समय इस महान आत्मा के पास रह सके। जब वह सोता रहता था वे वहीं पर रहते थे, उसकी सुरक्षा करते थे और यद्यपि वहाँ मेले के आकार की भीड़ थी, यह पूर्णतः शान्त रहती थी।

परन्तु हर दिन भीड़ बढ़ रही थी। एक सप्ताह में वहाँ स्थायी गुनगुनाहट उस स्थान पर फैल गयी थी। बच्चे चिल्लाते और खेलते रहते थे, औरतें अपनी टोकरियों में बर्तन, ईंधन, भोजन सामग्री और पका हुआ भोजन अपने पुरुषों और बच्चों के लिए लाती थीं। नदी के तट के सहारे-सहारे धुएं के छोटे छोटे गुच्छे उठते रहते थे, यह नदी के दोनों सामने और इस ढलान पर मौजूद थे। यह पिकनिक के झुण्ड से अटा पड़ा था, औरतों की चमकीले तेज रंगों की साड़ियाँ सूर्य की तेज रोशनी में चमकती रहती थीं, पुरुषों के कपड़े भी उत्साह के वस्त्र ही होते थे। बैलों को उनकी गाड़ियों से खोल दिया जाता था जब वे पेड़ के नीचे अपना चारा खा रहे होते थे तब उनकी घंटियाँ बजती थीं। लोग छोटे-छोटे पानी के गड्ढों के चारों ओर भिनभिनाते रहते थे।

राजू उन्हें अपने स्तम्भाकार हॉल में से देखता था जब कभी वह अपनी आँखें खोलता था। वह जानता था इस धुएँ का क्या मतलब था, वह जाना था कि वे स्वयं खा रहे और आनन्द कर रहे थे। उसे आश्चर्य होता था कि वे क्या खा रहे होते थे-चावल जो कि केशर की एक चुटकी के साथ उबाले जाते थे, पिघलता घी और सब्जियाँ क्या थीं? शायद इस सूखे में कोई सब्जी नहीं उगेगी। वह दृश्य उसे परेशान करता था।
यह वास्तव में उसके उपवास का चौथा दिन था। सौभाग्य से, पहले दिन उसने कुछ भोजन छुपा लिया था, पहले दिन का बचा हुआ था, यह सबसे अन्दर के गर्भगृह में ऐल्यूमीनियम के बर्तन में खम्भे के पीछे रखा था-कुछ चावल छाछ के साथ मिले हुए थे और सब्जियों के कुछ टुकड़े डाल रखे थे। सौभाग्य से, वह पहले दिन के अन्त में प्रायश्चित और उपवास के बाद थोड़ा सा अकेलापन उसे मिल गया था, रात को देर से। उस समय भीड़ इतनी भारी नहीं थी। वेलान को घर पर कुछ काम था और वह चला गया था, स्वामी की सेवा में दो को छोड़कर गया था। स्वामी स्तम्भाकार हॉल में चटाई पर लेटा था, दो गाँव वाले देख रहे थे और विशाल खजूर का पंखा उसके चेहरे पर झल रहे थे। वह पूरे दिन के उपवास से स्वयं को कमजोर महसूस कर रहा था। उसने अचानक उनको कहा, "यदि तुम चाहो तो सो जाओ; मैं वापस आता हूँ।" और वह व्यावसायिक अन्दाज में उठकर अन्दर के गर्भ गृह में चला गया था।

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28. "I don't have to tell..................in that head of your, Sir !" (Pages 199-200)

कठिन शब्दार्थ : indignant (इनडिगनन्ट) = नापसन्द या प्रतिकूल बात से बहुत रुष्ट या क्रुद्ध, आहत । appeased (अपीज्ट) = अभीष्ट वस्तु देकर शान्त करना या संतुष्ट करना। rinse (रिन्स) = पानी से धोना, खंगालना। doomed (डूमड) = जिसका विनाश होना निश्चित है। austerity (ऑस्टेरटि) = संयम, कठोरता, आडम्बरहीनता। sneaked (स्नीक्ट) = आँख बचाकर चोरी चोरी करना। larder (लार्ड(र)) = खाद्य भण्डार। caustically (कॉस्टिकलि) = तीक्ष्ण, कटु रूप से, निंदात्मक। pampering (पेम्परिङ) = बहुत अच्छी देखभाल करना।

हिन्दी अनुवाद-"मुझे साथियों को यह बताने की जरूरत नहीं है कि मैं कहाँ जा रहा हूँ और कितनी देर में मैं नजरों से दूर चला जाऊँगा।" उसने शेष महसूस किया। उसने अपना निजीपन खो दिया था। लोग हर समय निगरानी रखते, घूरते, तीक्ष्ण निगाहें, मानो कि मैं कोई चोर हूँ। मन्दिर के अन्दर वाले भाग में उसने तेजी से आले में अपना हाथ घुसेड़ा और एल्यूमीनियम का बर्तन बाहर निकाला। वह चौक के पीछे बैठ गया, तीन और चार मुट्ठी भर कर अपना भोजन निगल गया, कम से कम संभव शोर कर रहा था। यह बासी, सूखा और दो दिन पुराना सख्त चावल था; इसका स्वाद अजीब था परन्तु यह उसकी भूख शान्त कर रहा था। उसने इसे पानी से धोया। वह पिछवाड़े में गया और बिना शोर किए कुल्ला किया वह नहीं चाहता था कि वापस चटाई पर लेटते वक्त उसके मुँह से भोजन की गन्ध आए।

चटाई पर लेटे हुए वह सोचने लगा। वह सारी चीजों से तंग आ गया था। जब सभा में भीड़ ज्यादा हुई हो, क्या वह ऊंचे चबूतरे पर खड़ा होकर चिल्लाकर यह नहीं कह सकता है, “तुम सब बाहर जाओ और मुझे अकेला छोड़ दो। मैं वह आदमी नहीं जो तुम्हें बचाऊं। इस पृथ्वी पर कोई ताकत तुम्हें नहीं बचा सकती है यदि तुम्हारा विनाश निश्चित है। तुम मुझे अपने उपवास और कठोरता से क्यों परेशान करते हो?"
यह सहायता नहीं करेगा। वे इसका आनन्द एक मजाक के रूप में लें। उसकी पीठ के पीछे दीवार थी, वहाँ और कोई वापसी नहीं थी। इस वास्तवीकरण ने उसकी सहायता इस प्रयास से गुजरने में दी थोड़े और आराम के साथ यह उसके प्रायश्चित के दूसरे दिन की बात थी। 

एक बार फिर से वह पानी में खड़ा था, पहाड़ी की ओर मुँह करके बुदबुदाया और उसने देखा कि हर जगह पिकनिक मनाने आए समूह देखकर आनन्द ले रहे थे। रात को उसने वेलान को थोड़ी देर के लिए छोड़ा और चुपके से अन्दर एल्यूमीनियम के बर्तन में बचे हुए भोजन को तलाशा। यह काम उसने हताश भाव में किया था। वह अच्छी तरह जानता था कि वह पहली रात ही सारा बर्तन खाली कर चुका था। फिर भी बचकाने ढंग से वह किसी चमत्कार की आशा कर रहा था।"जब वे मुझसे हर प्रकार के चमत्कार को करवाना चाहते हैं, क्यों नहीं मैं अपने एल्यूमीनियम के बर्तन से इसे शुरू करूँ?" उसने सतर्कता से चिन्तन किया। उसे कमजोरी महसूस हुई। वह अपने खाद्य भण्डार के खालीपन पर बहुत क्रोधित था। 

उसने एक क्षण के लिए आश्चर्य किया कि यदि वह वेलान से एक बार गहरे तरीके से प्रार्थना करे कि उसे खा लेने दो-और केवल वही ध्यान दे। वह कैसे उसे बचा सकता है? वेलान को जानना चाहिए था, फिर भी वह मूर्ख यह सोचना नहीं छोड़ेगा कि वह रक्षक था। उसने एल्यूमीनियम का बर्तन जोर से बहुत खीझ में पटका और वापस अपनी चटाई पर चला गया। क्या होता यदि बर्तन टूट जाता तो? इसका कोई और उपयोग नहीं होगा। एक खाली बर्तन की देखभाल करने की क्या आवश्यकता है? जब वह बैठा, वेलान ने सम्मान से पूछा, "मालिक, वह शोर कैसा था?" "एक खाली बर्तन।" क्या तुमने वह कहावत नहीं सुनी, "थोथा चना बाजे घणा?" वेलान ने स्वयं को विनम्र हँसी हँसने दी और उसने प्रशंसा से घोषणा की, "कितने अच्छे विचार और दर्शन आपने अपने दिमाग में इकट्ठे कर रखे हैं, श्रीमान!' 

29. Raju almost glared.........take away from me.” (Pages 200-201) 

कठिन शब्दार्थ : ripped open (रिप्ड ऑपन) = काटकर खोलना। snuffboxes (स्नफ् बॉक्सिज) = नसवार सूंघने की डिबिया । hushed up (हश्ट अप) = लोगों से जानकारी छिपाना, मामले को दबा देना। trinkets (ट्रिङकिट्स) = सस्ता गहना। morbid (मॉबिड) = अप्रिय वस्तुओं में रुचि रखने वाला। hunched (हन्चट) = कुबड़ निकालकर बैठना। hankering (हैं करिङ) = प्रायः किसी वस्तु को बहुत अधिक चाहना। persistence (पसिस्टन्स) = दृढ़ता, आग्रह । vindictive (विन्डिक्टिव) = अकारण किसी को दु:खी करने वाला, प्रतिकारी । ordeal (ऑडील) = अग्नि परीक्षा, अत्यन्त अप्रिय या कठिन अनुभव। sprightly (स्प्राइटलि) = ऊर्जावान, जोशीला। litany (लिटनि) = माला, प्रार्थना की माला।

हिन्दी अनुवाद-राजू ने लगभग उसे घूरा । यह एकमात्र व्यक्ति उसकी वर्तमान स्थिति की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार था। वह क्यों नहीं दूर चला जाता है और उसे अकेला छोड़ देता है? यह कितनी बुद्धिमता की योजना होती यदि मगरमच्छ उसे पकड़ लेता। जब वह नदी पार कर रहा था! परन्तु वह बेचारा पुराना जीव, जो कि अब तक लगभग एक कहानी था, उसका निर्जलीकरण हो गया था। जब उसका पेट काटकर खोला गया। उन्होंने उसमें दस हजार रुपए की कीमत का गहना पाया था।

क्या इसका यह मतलब था कि मगरमच्छ केवल महिलाओं को ही खाता था? नहीं, कुछ नसवार की डिबियाँ और कानों की बालियाँ जो पुरुष पहनते थे वे भी पाई गई थीं। उस दिन का प्रश्न था; इस सारे खजाने के योग्य कौन था? गाँव वाले अपनी जानकारियाँ छिपा कर रखते थे। वे सरकार को इसकी गंध भी नहीं पड़ने देते हैं और आकर यह दावा करते हैं, जैसे कि यह सारा खजाना दफन किए हुए था। वे केवल कुछ सस्ते गहने निकालकर देते हैं जो कि मगरमच्छ के पेट में पाए गए थे। यद्यपि जिस आदमी ने इसे काटा था उसने सारा गहना हथिया लिया था। उसे अपने बाकी के जीवन में कोई समस्या नहीं होगी। कौन उसे मगरमच्छ को काटकर खोलने की आज्ञा देगा? कौन कह सकता था? इस प्रकार की परिस्थितियों में लोग अनुमति का इन्तजार नहीं करते हैं। इस प्रकार से मगरमच्छ के बारे में सारी बातें चली गई थीं जब उसे मरा हुआ पाया गया था।

वेलान, उसे पंखा झलते हुए सो गया था उसने अपनी बैठक दुगुनी कर दी थी अपने हाथ में पंखा लेकर बैठने की। राज, जो कि जागृत अवस्था में लेट रहा था, उसे अपने मन को भटकने दिया और अप्रिय और सनकी विचारों की गहराइयों को छूने दिया। वह अब इस आदमी की झलक से छू गया था जो अपनी सीट में कुबड़ निकाल कर बैठा था। यह बेचारा अत्यधिक उत्साही और तनाव में था कि यह प्रायश्चित सफलता को प्राप्त करे, इस महान व्यक्ति को हर प्रकार का आराम दिया जाए-अवश्य ही, सिवाय भोजन। इस बेचारे दैत्य को क्यों नहीं एक मौका दे देते हैं? राजू ने अपने आप से यह कहा, "भोजन के पीछे चाह रखने के बजाय जो कोई कहीं से भी पा लेता है। उसे भोजन के विचारों की निरन्तरता पर बहुत गुस्सा महसूस हुआ था। अकारण दु:खी करने के समझौते के इस प्रकार पर उसने अपने आपसे कहा, "मैं भोजन के सभी विचारों को दूर भगा दूंगा, अगले दस दिनों के लिए मैं सारे विचारों को हटा दूंगा जो कि मेरी जीभ और पेट के बारे में मुझमें उठते इस समझौते से उसे एक विशेष शक्ति मिली। उसने इन पंक्तियों पर विकास करना शुरू किया, "यदि भोजन को छोड़कर मैं पेड़ों को खिलने में सहायता कर सकता हूँ और घास को उगा सकता हूँ क्यों नहीं इसे पूरी

तरह से किया जाए?" अपने जीवन में पहली बार वह एक अच्छा प्रयास कर रहा था, पहली बार वह पूर्ण उपयोग के रोमांच को सीख रहा था, पैसे और प्यार के अलावा। पहली बार वह कोई ऐसा काम कर रहा था जिसमें वह व्यक्तिगत रूप से आनन्द नहीं लेता था। उसने अचानक इतना उत्साही महसूस किया कि उसे एक .. नयी शक्ति मिली इस अग्नि परीक्षा में गुजरने की। उपवास का चौथा दिन उसने ऊर्जावान पाया। वह नदी तक गया, अपनी आखें बन्द कर नदी की धारा को मुंह कर खड़ा रहा, उसने प्रार्थना की माला दोहराई। यह एक याचना से अधिक कुछ नहीं था कि वह भगवान से बारिश भेजने और मानवता को बचाने के लिए कह रहा था। यह किसी लयबद्ध उच्चारण में व्यवस्थित की गई थी जिसने उसके अंगों और सजगता को झपकियाँ देकर सुला दिया था, जिससे कि जब वह बार-बार इसे दोहराता उसके चारों ओर का संसार खाली हो जाता। वह लगभग नारी संवेदना खो देता था, सिवाय उसके घुटनों की सुन्नता के, जो कि ठंडे पानी के लगातार सम्पर्क से थी। भोजन की कमी ने उसे उड़ने की एक विशेष भावना प्रदान की, जिसको उसने आनन्द लिया, जिसकी पृष्ठभूमि में यह विचार था, "यह आनन्द कुछ है, वेलान मुझसे यह नहीं ले जा सकता है।"

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30. The hum of humanity..................reed whistles and sweets. (Pages 201-202)

कठिन शब्दार्थ : inverse (इनवस) = उल्टा। proportion (प्रपॉशन) = पूर्ण का एक भाग या अंश। repercussion (रीपकशन) = दुष्प्रभाव या दुष्परिणाम। congregated (कॉङ्ग्रीगेटड) = एकत्रित होना। porcelain (पॉसलिन) = चीनी मिट्टी के कप। coaxed (कॉक्सट) = खुशामद। inoculate (इनॉक्युलेट) = टीका लगाना। withering (विदरिङ्) = अवज्ञापूर्ण, तिरस्कार भरा | periphery (परिफरि) = परिधि, क्षेत्र विशेष का बाहरी हिस्सा। reed (रीड्) = सरकंडा।

हिन्दी अनुवाद-मानवता की गुनगुनाहट चारों ओर बढ़ती जा रही थी। चारों ओर के प्रति उसकी जागरूकता धीरे-धीरे एक उल्टे अंश में कम होती जा रही थी। वह इसके बारे में जागरूक नहीं था, परन्तु संसार चारों ओर से जोर लगा रहा था। भटकते हुए संवाददाता की कलम ने एक चालाकी की। इसके दुष्परिणाम दूर-दूर तक चारों ओर फैल गए थे। सबसे पहले रेल्वे को इस दबाव का एहसास हुआ। उनको भीड़ के लिए विशेष रेलगाड़ियों को चलाना पड़ा। उस भीड़ के लिए जो मालगुड़ी जा रही थी। लोग पायदान पर और डिब्बों की छतों पर यात्रा कर रहे थे। छोटा-सा मालगुड़ी का स्टेशन यात्रियों से भर गया था। बसें स्टेशन के बाहर खड़ी थीं, कंडक्टर चिल्ला रहे थे, "मंगला के लिए विशेष जा रही है, जल्दी करें, जल्दी करें।" लोग स्टेशन से बसों तक दौड़ते और करीब-करीब एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते। गफूर की टैक्सी एक दिन में दर्जन बार आना- जाना करती थी और भीड़ मंगला नदी के चारों ओर इकट्ठी हो गई थी। लोग समूह में किनारे की मिट्टी पर बैठते थे। इसकी सीढ़ियों और पत्थरों तक बैठते, सामने वाले किनारे पर दूर तक बैठे, जहाँ कहीं वे अपने आपको बैठा सकते थे।

देश के इस भाग में कभी इतनी भीड़ नहीं देखी गई थी। रातों-रात दुकानें खुल गईं मानो कोई जादू हो, बांस के खम्भों पर छत पर छान, रंगीन सोड़ा की बोतलें, केलों के गुच्छे और नारियल की टाफियाँ प्रदर्शित की गई थीं। टी बोर्ड ने एक बड़ी दुकान लगा रखी थी और इसके पोस्टर, हरे चाय के पौधे ढलान के सहारे-सहारे नीले पर्वतों पर, वे मन्दिर की दीवार के चारों ओर चिपकाए गए थे (लोग इन भागों में बहुत ज्यादा कॉफी और बहुत कम चाय पीते थे) इसने चाय का एक हिस्सा लगा रखा था और लोगों को फ्री चाय चीनी मिट्टी के कपों में डाल कर सारा-सारा दिन पिलाते थे। लोग इसके चारों ओर मक्खियों की तरह से भिनभिनाते थे और मक्खियाँ सभी चाय और चीनी के प्यालों पर भिनभिनाती थीं। मक्खियों की उपस्थिति स्वास्थ्य विभाग को लेकर आई जिनको कि इस बिना पानी वाले भीड़ भरे क्षेत्र में किसी महामारी फैलाने का डर था। 

खाकी कपड़े वाले स्वास्थ्य निरीक्षकों ने हर इंच पर DDT का छिड़काव करवाया और हाथ में सुई लेकर, लोगों की टीका लगाने के लिए खुशामद करते थे कि वे हैजा, मलेरिया और अन्य बीमारियों के लिए टीके लगवाएं। कुछ युवा लड़के सिर्फ आनन्द के कारण अपनी पेशियों को खोल देते, जबकि एक बड़ी भीड़ खड़ी होकर उनको देखती थी। मन्दिर की दीवार के आखिर में एक खाली स्थान था जहाँ उन्होंने जमीन को साफ कर लिया और बैठ कर फिल्म शो देखने की जगह बना दी और जब अंधेरा हो जाता तो वे फिल्म शो देखते थे। वे लोगों को इस ओर आकर्षित करते थे और ग्रामोफोन पर प्रसिद्ध हिट गीत लाउडस्पीकर पर बजाते थे जो कि पेड़ के उपरी सिरे पर बांधा जाता था। पुरुष-स्त्री और बच्चे फिल्म शो देखने के लिए भीड़ के रूप में अन्दर आते थे जो कि सारी

मच्छरों, मलेरिया, प्लेग और तपेदिक और BCG के टीकाकरण के बारे में होती थी। जब मच्छरों का एक भारी समूह मलेरिया के कारणों पर दिखाया जाता, एक किसान को यह कहते हुए सुना गया, "इतने बड़े मच्छर! इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि लोग मलेरिया से इन भागों में ग्रसित हो जाएंगे। हमारे स्वयं के मच्छर इतने छोटे.. हैं कि वे नुकसानकारक नहीं हैं।" जो कि मलेरिया पर व्याख्याता को अवसाद में ला देते थे कि वह दस मिनटों तक चुप रहता। जब वे स्वास्थ्य के साथ काम कर लेते, वे कुछ भारत सरकार की फिल्में बांधों, नदी घाटियों और विभिन्न प्रोजेक्ट पर दिखाते, जिसमें मंत्री भाषण देते थे। परिधि के बाहर बहुत दूर, एक आदमी ने जुआ खेलने का एक स्थान खोला जिस पर लक्ष्य कारक बोर्ड लगाया और उसने एक बच्चों का झूला भी खड़ा किया जो सारे दिन शोर करता रहता था। बहुत से फेरी वाले अन्दर-बाहर आते-जाते थे जो कि गुब्बारे, सरकंडे की सीटियां और मिठाइयाँ बेचते थे।

31. A large crowd always.....................harmonium and tabala. (Pages 202-204)

कठिन शब्दार्थ : wreck (रेक) = बर्बाद कर देना। respite (रेसपाइट) = थोड़े समय का विश्राम, थोड़ी फुरसत। profound (प्रफाउन्ड) = अत्यधिक, प्रबल, हार्दिक। awe (ऑ) = भय या प्रशंसा से प्रेरित आदरभाव। sprinkled (स्प्रिन्क्ल्ड् ) = छिड़कना, बुरकना, छिड़काव करना।

हिन्दी अनुवाद-एक बड़ी भीड़ हमेशा चारों ओर खड़ी रहती और संत को गहरे आश्चर्य के साथ देखती थी। वे उसके पैरों पर पानी को स्पर्श कराते और इसे अपने सिर पर छिड़कते। वे अन्तहीन वहाँ खड़े रहते थे, जब तक कि उत्सवों का मालिक, वेलान, उन्हें आगे बढ़ने की प्रार्थना नहीं करता था। "कृपया चले जाइए। स्वामी को ताजा हवा चाहिए। यदि आपने दर्शन कर लिए हैं, आगे बढ़िए और दूसरों को भी करने दीजिए। स्वार्थी मत बनिए।" और तब लोग आगे बढ़ते और अपने आप में कई तरीकों से आनन्द लेते थे।

जब स्वामी अन्दर जाते और हाल में चटाई पर लेट जाते वे वापस उसकी ओर देखने के लिए आते और चारों ओर खड़े रहते जब तक वेलान उनको फिर से नहीं कहता कि वे आगे बढ़ते रहें। कुछ लोगों को चटाई के किनारे बैठने का विशेषाधिकार मिला उस महान आदमी के बहुत पास। उनमें से एक स्कूल का शिक्षक था, जिसने सारे टेलीग्राम और पत्रों का जिम्मा ले लिया जो कि बरसते हुए आ रहे थे, वे देश के हर कोने से स्वामी की सफलता के लिए सद्भावना व्यक्त करते थे। मंगला में आमतौर पर पोस्ट ऑफिस उस पोस्टमेन के साथ था जो सप्ताह में एक बार आता था, और जब टेलीग्राम आता इसे अरुणा में प्राप्त किया जाता था, एक थोड़ा सा बड़ा गाँव नदी के रास्ते पर सात मील दूर और वहाँ पर इसे रखते थे जब तक कोई इसे मंगला पर लेने के लिए नहीं जाता था। 

परन्तु अब उस छोटे से टेलीग्राफ कार्यालय को कोई आराम नहीं था - रात और दिन संदेश बरसते थे, पता या सिर्फ, "स्वामीजी" बस और कुछ नहीं। ये हर घंटे ढेर होते जाते और उनको विशेष संदेशवाहक द्वारा भेजा जाता था। आने वाले टेलीग्राम के अतिरिक्त, बहुत से टेलीग्राम जाने वाले भी थे। वह स्थान समाचार पत्र संवाददाताओं से भरा पड़ा था, जो प्रत्येक घंटे की अपनी खबरें संसार के सारे अखबारों को भेजते थे। वे एक आक्रामक समूह था और वह छोटा सा टेलीग्राफ मास्टर उनसे डरा हुआ था। वे उसकी खिड़की बजाते और चिल्लाते "अत्यन्त आवश्यक!" वे पैकेट, फिल्म के पैकेट और फोटोग्राफ बाहर निकालते और उसे एकदम से प्रेषित करने के लिए कहते थे। वे चिल्लाते थे, "अत्यन्त आवश्यक, अत्यन्त आवश्यक। यदि यह पैकेट आज मेरे दफ्तर नहीं पहुंचता है तो......" और ये उसे भावी जीवन पर डरा देने वाली धमकियाँ देते और हर प्रकार की डराने वाली बातें कहते थे।

"प्रेस, अत्यन्त आवश्यक।""प्रेस, अत्यन्त आवश्यक।" वे चिल्लाते रहते जब तक वे उस आदमी को हताशा से बर्बाद नहीं कर देते। उसने अपने बच्चों से वादा किया था कि वह उनको स्वामीजी से मिलाने ले जाएगा। बच्चे चिल्लाते थे, "वे अली बाबा की फिल्म भी दिखा रहे हैं, एक दोस्त ने मुझे बताया था।" परन्तु उस आदमी को उसके बच्चों से किया वादा पूरा करने का कोई समय नहीं दिया गया। जब अखबार के लोग थोड़ी फुरसत देते तो आने वाले संदेशों से चाबियाँ खड़खड़ करती थीं। तब से उसने एक बहुत ही शान्तिपूर्वक शानदार जीवन जिया था और वर्तमान का तनाव उसकी पेशियों को खींच रहा था। उसने एक sos अपने सारे अफसरों को भेजा जब कभी उसे सांस लेने का समय मिलता, “आज दो सौ संदेश भेज रहा हूँ। आराम चाहता हूँ" सड़कें यातायात से रुकी पड़ी थीं, गांव की बैलगाड़ियाँ, बसें और साईकिलें, जीपें और अन्य साधन सभी प्रकार के और सभी युगों के थे। पदयात्री अपने हाथों में फलों का उपहार और टोकरियाँ लेकर चींटियों की तरह से सड़कें पार कर रहे थे मानो कि वे गुड़ पर चढ़ रही हों। स्वामी के नजदीक बैठे लोगों के संगीत के स्वर हवा में गूंज रहे थे। वे लोग हारमोनियम और तबले के साथ भक्ति के गीत गा रहे थे।

RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 5

32. The busiest man here was.................do you like it here ? (Pages 204-205)

कठिन शब्दार्थ : trailer (ट्रेल(र)) = किसी वाहन द्वारा खींची जाने वाली डिब्बेदार गाड़ी।। mop (मॉप) = लंबे उंडे वाला ब्रश । tousled (टाउजल्ड) = अस्तव्यस्त, बिखरे बाल। hibiscus (हिबिस्कस) = गुडहल। strode (स्ट्रॉड) = लम्बे डग भरना। recumbent (रिकम्बेन्ट) = लेटा हुआ, निष्क्रिय। affably (ऐफबलि) = मिलनसारिता, सौजन्यपूर्वक। vantage (वान्टिज) = स्थान जहाँ से कोई वस्तु अच्छी तरह से दिखाई दे।

हिन्दी अनुवाद-यहाँ पर सबसे व्यस्त आदमी एक अमेरिकन था, उसने कार्डरॉप पेन्ट पर एक पतली बुश शर्ट पहनी थी। वह जीप में आया था जिसके पीछे एक डिब्बाबन्द गाड़ी लगी थी, जो धूल सनी, खुरदरी थी और उसके बाल उलझे थे। उपवास के दसवें दिन वह दोपहर बाद एक बजे आया था और तुरन्त काम पर लग गया था। उसने मद्रास से एक दुभाषिया ले लिया था और सीधा वहाँ से गाड़ी में आ रहा था, पूरे तीन सौ पचहतर मील की यात्रा थी। उसने सब कुछ एकतरफ रखा और तुरन्त ही सारे दृश्य का जिम्मा ले लिया। 

उसने केवल एक क्षण के लिए चारों ओर देखा, अपनी जीप को चलाकर सीधा मन्दिर के पीछे गुडहल की झाड़ी तक लाया। वह कूदा और सबको पीछे छोड़ता सीधा आगे बढ़ा उस स्तम्भाकार हॉल की ओर। वह निष्क्रिय स्वामीजी की ओर बढ़ा और दोनों हाथ जोड़ लिए, वह बड़बड़ाया "नमस्ते......." भारतीय नमस्कार, जो उसने उस क्षण सीख लिया था जब वह भारत में उतरा था। उसने स्थानीय तौर-तरीकों को सीखा। राजू ने रुचि के साथ उसे देखा - बड़ा, गुलाबी चेहरे वाला जो उसकी दिनचर्या में एक नया परिवर्तन लाएगा। वह गुलाबी चेहरे वाला नीचे झुका और स्कूल मास्टर से पूछा जो स्वामी के पास बैठा था, "क्या मैं उससे अंग्रेजी में बात कर सकता हूँ?" "हाँ, वह अंग्रेजी जानता है।"

वह आदमी चटाई के किनारे स्वयं झुका और कठिनाई के साथ फर्श पर बैठ गया, भारतीय अन्दाज में पालथी मारकर । वह स्वामी को कहने के लिए नीचे झुका, "मैं जेम्स जे. मलोन हूँ। मैं केलिफोर्निया से आया हूँ। मेरा व्यवसाय टेलीविजन शो और फिल्म उत्पादन करना है। मैं इस विषय पर फिल्माने के लिए आया हूँ, इसे अपने देश वापस ले जाऊँगा और वहाँ लोगों को दिखाऊँगा। मेरी जेब में नई दिल्ली से अनुमति इस प्रोजेक्ट के लिए है। क्या मैं आपकी अनुमति ले सकता हूँ?"

राजू ने इस पर सोचा और शान्ति से सिर हिलाया।
"ओ के। बहुत सारा धन्यवाद। मैं आपको बाधा नहीं पहुँचाऊँगा परन्तु मुझे आपकी तस्वीरें लेने दीजिए। क्या यह आपको परेशान करेगी यदि मैं यहाँ से कुछ चीजें हटा दूं और केवल और लाइट लगा दूं?"
"नहीं, तुम अपना काम कर सकते हो" संत ने कहा।

वह आदमी अत्यधिक व्यस्त हो गया। वह अपने पैरों पर उछला और डिब्बाबन्द गाड़ी को अपनी स्थिति में लाया और उसने जनरेटर शुरू किया। इसकी घर्राहट में बाकी सारी आवाजें डूब गईं। यह पुरुष, स्त्री और बच्चों की भीड़ ले आया जो कि आनन्द के लिए देख रहे थे। शिविर के अन्य दूसरे आकर्षण फीके हो गए थे। जैसे मलोन तारों को खींचता, एक बड़ी भीड़ उसके पीछे चलती। उसने मिलनसारिता से उनकी ओर देखकर हँसा और अपना कार्य करने लगा। वेलान और एक और दो दूसरे भीड़ में से दौड़े, वे चिल्ला रहे थे, "क्या यह कोई मछली बाजार है? 

हटो, सभी लोग हट जाएं जिनको यहाँ पर कोई काम नहीं है।" परन्तु उसके आदेशों से कोई भी प्रभावित नहीं हुआ। वे खम्भों और चौकियों पर चढ़ गए और हर प्रकार के स्थानों को पकड़ लिया कि वे देखने की स्थिति में आ जाएं। मलोन ने बिना किसी पर ध्यान दिए अपना काम किया। अंत में, जब उसकी लाइट तैयार हो गई. वह अपना कैमरा लाया और उसने मन्दिर और लोगों की तस्वीरें लीं और स्वामीजी की कई कोणों और दरियों से तस्वीरें लीं। "स्वामी, मुझे दुःख है, यदि यह रोशनी ज्यादा तेज है।" जब उसने तस्वीरें लेने का काम पूरा किया, वह एक माइक्रोफोन लेकर आया, इसे स्वामी के चेहरे के पास रखा और बोला, "हमें बात करनी चाहिए। ठीक है? आप मुझे बताइए आपको यहाँ कैसा लगता है?" 

33. "I am only doing what .................... there is any trouble. (Pages 205-207)

कठिन शब्दार्थ : vigorously (विगसलि) = जोरदार ढंग से, जोश के साथ। distraught (डिस्ट्राट) = बहुत व्याकुल। dread (ड्रेड) = अत्यधिक भय। systolic (सिसटॉलिक) = हृदय के सिकुड़न से संबंधित।
हिन्दी अनुवाद-"मैं केवल वही कर रहा हूँ जो मुझे करना है, बस। मेरी पसन्द-नापसन्द का कोई मतलब नहीं है।"

"आप कितने समय से अब तक बिना भोजन के हैं?" "दस दिनों से" "क्या आप कमजोरी महसूस करते हैं?" "हाँ" "आप अपना उपवास कब तोड़ रहे हैं?" "बारहवें दिन" "क्या आप उम्मीद करते हैं कि तब तक बारिश हो जाएगी?" "क्यों नहीं?" "क्या उपवास सभी युद्धों को खत्म कर सकता है और विश्व शान्ति ला सकता है?"
"हाँ"
"क्या आप उपवास सबके लिए श्रेष्ठ बताते हैं?" "हाँ" "जाति व्यवस्था के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या यह मजबूत है?" "हाँ" "क्या आप हमें अपने पूर्व जीवन के बारे में कुछ बताएंगे?" "आप मुझसे क्या कहलवाना चाहते हैं?" "अ......उदाहरण के लिए, क्या आप हमेशा से योगी रहे हैं?" "हाँ, कम या बेशी"
यह स्वामी के लिए बहुत कठिन था कि वह बातों का प्रवाह जारी रख सके। वह थका हुआ महसूस करने लगा और वापस लेट गया। वेलान और दूसरे लोगों ने चिन्हित भाव के साथ उसे देखा। स्कूल शिक्षक ने कहा, "ये थक गये हैं।"

"अच्छा, मैं अनुमान लगाता हूँ कि उसे थोड़ी देर विश्राम करने दें। मुझे अफसोस है कि मैंने आपको तंग किया।"
स्वामी अपनी आँखें बन्द करके लेट गया। कुछ चिकित्सक, सरकार द्वारा लगाए गए थे कि वे निगरानी रखें और सूचना देवें, वे स्वामी के पास गए, उन्होंने उसकी धड़कन और दिल को जांचा। उन्होंने उसकी चटाई पर सीधे लेटने में सहायता की। एक भारी चुप्पी भीड़ पर छा गई। वेलान ने अपना पंखा पहले से अधिक शक्ति के साथ चलाया। वह व्याकुल और दु:खी दिखाई दे रहा था। वास्तव में, वह सहानुभूतिपूर्वक उपवास कर रहा था, वह अब वैकल्पिक दिनों पर खाना खाता था, अपने भोजन को बिना नमक के उबले हुए मटर तक सीमित कर रखा था। वह थका हुआ लग रहा था। उसने मालिक से कहा, "एक दिन और। मैं नहीं जानता वह कैसे इसे सहन कर रहा है। मैं सोच कर डरता हूँ वह कैसे दूसरे दिनों में से निकल आया है।"

मेलोन ने अपने आपको इन्तजार करवाया। उसने चिकित्सक की ओर देखा और पूछा, "आप उसे कैसा पा रहे हैं?"
"बहत सन्तोषजनक नहीं। ब्लडप्रेशर 200 तक पहँच गया है। हमें संदेह है कि उसकी किडनी में से एक खराब हो गई है। बदन में पेशाब का जहर पैदा होने लगा है। हम उसे थोड़ा थोड़ा नमक का पानी और ग्लुकोज दे रहे हैं। उसका जीवन देश के लिए मूल्यवान है।"

"क्या आप उसके स्वास्थ्य के बारे में कुछ शब्द कहेंगे?" मलोन ने पूछा, अपना माइक्रोफोन आगे बढ़ाया। वह उकेरे हुए हाथी के सिर पर बैठा था जो कि स्तम्भाकार हॉल को सजा रहा था।
चिकित्सकों ने एक-दूसरे की ओर घबराहट से देखा और बोले, "नहीं, हम सरकारी कर्मचारी हैं। हम यह बिना आज्ञा नहीं कर सकते हैं। हमारी सूचनाएँ केवल मुख्यालय से जारी होती हैं। हम उन्हें सीधा नहीं दे सकते हैं।"
"ठीक है, मैं आपके रिवाजों को चोट नहीं पहुँचाऊंगा।" उसने अपनी घड़ी की ओर देखा और बोला, "मैं अनुमान लगाता हूँ कि आज के लिए काम पूर्ण हुआ।" वह विद्यालय शिक्षक के पास गया और बोला, "मुझे बताइए कि वह कल किस समय नदी में कदम रखेगा?"

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"सुबह छः बजे।"
"क्या आप आकर मुझे वह स्थान बता सकते हैं?" विद्यालय शिक्षक उठा और उसे अपने साथ ले गया। उस आदमी ने कहा, "इन्तजार करो, इन्तजार करो। आप उसे नहीं समझने पर ध्यान नहीं देंगे एक क्षण के लिए। मुझे बताओ वह कहाँ से शुरू करता है, वह कैसे जाता है और वह कहाँ रुकता है और खड़ा होता
शिक्षक हिचकिचाया, उसे महात्मा की नकल करने में संकोच हो रहा था। अमेरिकन ने उस पर जोर डाला। "आओ, जरा मेरी मदद करो। मैं ध्यान रखंगा यदि कोई समस्या होती है तो।"

34. The teacher started from..............he sagged down. (Pages 207-209)

कठिन शब्दार्थ : puffing (पफिङ) = धुएं की फूंक। rattle (रैटल) = खड़खड़ाना। ditches (डिचेड) = सड़क के खड्ढे । trebled (ट्रेबल्ड) = तिगुना हो जाना। cordon (कॉडन) = सुरक्षा के लिए डाला गया घेरा। imperative (इम्परेटिव) = आवश्यक। solemn (सोलम्) = अति गंभीर। ponted (पान्टेड) = हांफना। illuminate (इल्यूमिनेट) = प्रकाश से आलोकित करना। flop down (फ्लॉप डाउन) = लापरवाही से बगैर संभले गिर जाना । sagged down (सेग्ड डाउन) = झुक जाना, लटक जाना।

हिन्दी अनुवाद-शिक्षक ने चौके से प्रारम्भ किया। "वह यहाँ से शुरू करता है। अब मेरे पीछे आओ।" उसने नदी के नीचे तक का सारा रास्ता दिखाया और वह स्थान भी जहाँ स्वामी रुक कर प्रार्थना करता था, दो घंटे तक पानी में खड़ा रहता था। भीड़ रुचि के साथ हर इंच पर उसकी हलचल का अनुसरण कर रही थी और भीड़ में किसी ने मजाक किया, "ओह! शिक्षक भी तपस्या करेगा और उपवास रखेगा!" और वे सारे हँसे। .
मलोन बीच-बीच में भीड़ की ओर देखकर मुस्करा देता था यद्यपि वह नहीं जानता था कि वे क्या कह रहे थे। उसने उस स्थान का निरीक्षण कई कोणों से किया, जनरेटर से दूरी को नापा, विद्यालय शिक्षक से हाथ मिलाया और वापस अपनी जीप में चला गया। "कल सुबह आपसे मिलता हूँ।" वह अत्यधिक शोर और इंजन से धुआँ निकाल कर गाड़ी चलाता हुआ चला गया, जैसे कि उसकी जीप खड़खड़ाहट करती हुई बड़े खड्ढ़ों और सड़क के छोटे गड्ढ़ों के ऊपर से गुडहल की झाड़ी के उस पार से चली गई, जब तक कि वह रोड पर नहीं चढ़ी थी। 

ग्यारहवें दिन की सुबह, भीड़ सारी रात उमड़ती रही, लगभग यह स्वयं तिगुनी हो गई क्योंकि यह उसके उपवास का अंतिम दिन था। सारी रात लोगों की आवाजें सुनी जा सकती थीं और वाहनों की खड़खड़ाहट जो सड़क और रास्ते पर खड़खड़ाते थे। वेलान और उसके सहायकों के एक समूह ने एक घेरा बनाया और भीड़ को स्तम्भाकार-हॉल से दूर रखा। उन्होंने कहा, "स्वामी को श्वांस लेने के लिए ताजी हवा चाहिए। यही केवल एक चीज है जिसे वह अब ले सकता है। हवा को मत रोको। प्रत्येक व्यक्ति उनका दर्शन नदी पर कर सकता है। मैं वादा करता हूँ। अब आप जाइए। वह आराम कर रहे हैं।" यह सारी रात की निगरानी थी। असंख्य लालटेन और लैम्प आर-पार रोशनी कर झाड़ियों, पेड़ों और दीवारों की छाया से हतप्रभ कर रही थी। सुबह साढ़े पांच बजे चिकित्सकों ने स्वामी का परीक्षण किया। उन्होंने लिखा और एक समाचार पर हस्ताक्षर किए जो कह रहा था, "स्वामी की दशा गंभीर है। ग्लुकोज और नमकीन पानी से मना करता है।

उपवास तुरन्त तोड़ना चाहिए।" सलाह प्रक्रिया हेतु उन्होंने एक आदमी को भेजा जो दौड़ता हुआ उनके मुख्यालय तक टेलीग्राम भेजने गया। यह उच्च प्राथमिकता वाला सरकारी टेलीग्राम था और एक घंटे के अन्दर जवाब आया, "यह आवश्यक है कि स्वामी को बचाया जाए। उसे सर्वश्रेष्ठ तरीके से प्रेरित करो कि वह सहयोग करे। जीवन का खतरा नहीं ले। उसे ग्लुकोज और नमकीन पानी देने का प्रयास करें। स्वामी को प्रेरित करें कि शीघ्रता से वापस अपनी स्थिति पर आए।" वे उसके पास बैठ गए और उन्होंने उसे सन्देश पढ़कर सुनाया। वह इस पर मुस्कुराया। उसने वेलान को नजदीक आने के लिए बुलाया। चिकित्सकों ने प्रार्थना की, "उससे कहो कि वह अपने आपको बचाए। कृपया आप अपना श्रेष्ठ प्रयास करें। वह बहुत कमजोर है।" वेलान स्वामी के नजदीक जाकर झुका और बोला, "चिकित्सक कहते हैं-"

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जवाब में राजू ने उस आदमी से और नीचे झुकने को कहा और वह फुसफुसाया, "मुझे मेरे पैरों पर खड़ा होने में सहायता करो।" और उसकी बाँह पकड़ ली और अपने आपको उठाया। वह अपने पैरों पर खड़ा हुआ। उसे वेलान और दूसरे के द्वारा प्रत्येक तरफ से पकड़ा जाना था। अत्यधिक शान्ति में भीड़ ने उसका अनुसरण किया। प्रत्येक उसके पीछे शान्त और गंभीर कदमों से चल रहा था। पूर्वी आकाश लाल था। शिविर में अभी भी बहुत सारे लोग सो रहे थे। राजू चल नहीं सकता था, परन्तु उसने अपने स्वयं पर जोर डाला कि उसे इसी तरह से खींच कर ले जाया जाए। वह एक प्रयास के साथ हांफने लगा। वह नदी की सीढ़ियों के नीचे गहरा उतरा,

हर सीढ़ी पर सांस लेने के लिए रुकता और अंत में पानी के पास पहुंच गया। उसने इसमें कदम रखा, अपनी आँखें बन्द कर लीं, वह पर्वत की ओर मुड़ा, उसके होठ प्रार्थना बुदबुदा रहे थे। वेलान और दूसरे ने उसे प्रत्येक भुजा से पकड़ रखा था। सुबह का सूरज अब बाहर आ गया था; रोशनी की तेज धारा उसके चारों ओर चमक रही थी। राजू को उसके पैरों पर खड़ा रखना कठिन था जैसे कि यह उसकी आदत थी कि वह गिर जाता। उन्होंने उसे पकड़ रखा था जैसे कि कसी बच्चे को पकड़ रखा हो । राजू ने अपनी आँखें खोली, चारों ओर देखा और कहा, "वेलान पहाड़ों पर बारिश हो रही है। मैं महसूस कर सकता हूँ कि यह मेरे पैरों के नीचे आ रही है, मेरे पैरों के ऊपर तक आ गई है." वह नीचे की ओर झुकने लगा था।
 

Bhagya
Last Updated on Aug. 24, 2022, 2:58 p.m.
Published Aug. 24, 2022