Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 9 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 9 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here is अनौपचारिक पत्र कक्षा 9 in hindi to learn grammar effectively and quickly.
प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति 'हे' को कौन-कौनसे तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर :
बालिका मैना ने सेनापति 'हे' को तर्क दिया कि अंग्रेजों के विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाये हैं, वे दोषी हैं। पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है? इस महल का कोई दोष नहीं है और यह महल मुझे बहुत ही प्रिय है। आपकी पुत्री 'मेरी' से मेरी मित्रता थी, उसके साथ आप भी पहले यहाँ आया करते थे।
प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
उत्तर :
मैना उस जड़ पदार्थ महल (मकान) में ही पैदा हुई थी। उसी में पली-बढ़ी थी। उसी में उसकी बचपन की, पिता की और परिवार की यादें जुड़ी थीं। इसलिए वह उसे बहुत प्रिय था। अंगरेजों के लिए वह महल उनके दुश्मन नाना साहब की पहचान था। वे अपने दुश्मन की निशानी को मिट्टी में मिला देना चाहते थे ताकि फिर कोई अंगरेजों के खिलाफ आवाज़ न उठा सके।
प्रश्न 3.
सर टामस 'हे' के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे?
उत्तर :
सर टामस 'हे' के मैना पर दया भाव के निम्न कारण थे
प्रश्न 4.
मैना की अन्तिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भर रो ले, लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर :
अंग्रेज सरकार नाना साहब को अपना कट्टर दुश्मन मानती थी और उनका प्रत्येक स्मृति-चिह्न मिटा देना चाहती थी। जनरल अउटरम को भय था कि मैना पर दिखाई गई जरा-सी सहानुभूति से वह अंग्रेज सरकार का कोप भाजन बन सकता है, साथ ही वह मैना को तुरन्त गिरफ्तार करके सरकार से वाहवाही और पुरस्कार पाना चाहता था। इन सब कारणों से अउटरम ने मैना की इच्छा पूर्ण न होने दी और उसे बन्दी बना लिया।
प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौनसी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर :
बालिका मैना के चरित्र की सभी विशेषताएँ अतीव प्रेरणादायी हैं। हम उसके चरित्र की इन विशेषताओं को अपनाना चाहेंगे
1. देश-प्रेम-निडरता-बालिका मैना देश-प्रेमी और निडर बालिका थी। जब सेनापति 'हे' अपने सैनिकों के साथ राजमहल तोड़ने आया तब उसने निडरता के साथ उसका सामना करके राजमहल न तोड़ने की प्रार्थना की।
2. स्वगृह-प्रेम-मैना के मन में अपने गृह राजमहल के प्रति स्वाभाविक प्रेम था। वह उसके टूटने का दुःख सहन नहीं कर पायी इसलिए वह टूटे महल के ढेर पर बैठकर रोना चाहती थी। उसका स्वगृह प्रेम अनुकरणीय था।
प्रश्न 6.
'टाइम्स' पत्र ने 6 सितम्बर को लिखा था-"बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक दुर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।" इस वाक्य में भारत सरकार' से क्या आशय है?
उत्तर :
इस वाक्य में 'भारत सरकार' का आशय तत्कालीन ब्रिटिश सरकार अथवा अंगरेज़ सरकार से है।
रचना और अभिव्यक्ति -
प्रश्न 7.
स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भमिका रही होगी?
उत्तर :
स्वाधीनता आन्दोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही होगी। ऐसे लेखन से अंगरेज़ सरकार तथा उनके सैनिकों के द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों को पढ़कर लोगों के मन में अंग्ररेज़ों के प्रति नफरत एवं विद्रोह की भावना बढ़ी होगी। साथ ही स्वतन्त्रतापूर्वक सम्मानित जीवन जीने और देश को शीघ्रातिशीघ्र स्वाधीन कराने की प्रेरणा प्राप्त हुई होगी। इतिहास का अवलोकन करने से भी ज्ञात होता है कि ऐसे ही लेखन से जनता में आजादी प्राप्त करने का जोश बढ़ता गया और अनेक लोग स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने लगे। ऐसे लेखन ने जन-जागृति एवं देशभक्ति के प्रसार का काम किया।
प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर :
यह आकाशवाणी का केन्द्र है। कानपुर से हमारे संवाददाता ने अभी खबर भेजी है कि कल देर रात कानपुर किले में अंगरेज़ सेना द्वारा एक अमानवीय कृत्य किया गया। प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी नाना साहब धुन्धूपन्त की पुत्री मैना देवी को आग के हवाले कर दिया गया। बालिका मैना ने अंगरेज़ सैनिकों से अपने प्राणों की भीख माँगने से इनकार कर दिया। जनरल अउटरम ने इस कृत्य में मुख्य भूमिका निबाही और ब्रिटिश शासन का आदेश बताकर इस कुकृत्य पर लीपापोती का प्रयास किया।
कानपुर की जनता में जब अग्निकाण्ड का समाचार फैला, तो वह महल की ओर दौड़ पड़ी, परन्तु तब तक मैना का शरीर भस्म हो गया था। उस दृश्य को देखकर जनता ने इस बालिका को बलिदानी देवी मानकर प्रणाम किया और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस घटना से भारतीयों में आक्रोश-विरोध का स्वर बढ़ने लग गया। सभी अंगरेजों की घोर निन्दा कर रहे हैं।
प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारम्भिक रूप की झलक मिलती है, लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर :
छात्र उपलब्ध अखबार को काटकर स्वयं करें।
(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर :
अजमेर रोड, जयपुर की पॉश कालोनी श्यामनगर के दो घरों से गुरुवार की रात करीब पच्चीस लाख रुपये का माल चोरों ने उड़ा लिया। शहर में सप्ताह भर के भीतर इस तरह की दूसरी घटना है। पुलिस के अनुसार आधी रात में चोर शान्तनु शर्मा और मनीष गुप्ता के घर में पिछवाड़े से घुसे और खिड़कियों की जालियाँ-ग्रिलें तोड़कर घरों में प्रविष्ट हुए। वहाँ से चोर कीमती आभूषणों के साथ नकद रुपये उठाकर ले गये। सुबह जाग होने पर मकान-मालिकों चोरी का पता चला। लोगों का मानना है कि यह काम कालोनी में ठेली लेकर घूमने वाले शातिर बंगलादेशी गिरोह का हैं।
प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर :
अजमेर-किशनगढ़ के बीच में एक छोटा-सा गाँव है, जिसमें ज्यादातर कच्चे मकान एवं झोंपड़े हैं। उस गाँव के एक गरीब घर में किशनी का जन्म हुआ। वह पाँचवीं तक ही स्कूल जा पायी। पिछली बार गर्मियों के दिनों में आँधी-लू के कारण सारा वातावरण तप रहा था। ऐसे में एक दिन गंगाराम के कच्चे झोंपड़े में आग लग गई। सुबह ग्यारह बजे का समय था। सब बूढ़े-बड़े लोग अपने-अपने काम पर चले गये थे। गंगाराम के घर में तीन साल का बच्चा सो रहा था।
आग लगने पर उसे चेत नहीं हुआ। कुछ बच्चों को जब पता चला कि अन्दर सोया हुआ बालक आग से घिर गया है, तो किशनी ने सभी बच्चों को आग बुझाने में लगाया, वह स्वयं साहस करके गंगाराम के झोंपड़े में गई और आग से घिरे हुए बालक को गोद में उठाकर बाहर ले आयी। इस काम में वह स्वयं भी काफी झुलस गई फिर भी उसने साहस का परिचय दिया। उसके प्रयास से आग और झोंपड़ों तक नहीं गयी। उस बालिका की बहादुरी देखकर ग्राम-प्रधान ने उसका नाम राज्य सरकार को प्रेषित किया। फलस्वरूप उसे इस गणतन्त्र दिवस पर राज्य सरकार द्वारा वीर बालिका सम्मान दिया गया है।
भाषा-अध्ययन -
प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिन्दी गद्य का प्रारम्भिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिन्दी रूप में लिखिए।
उत्तर :
कानपुर में नृशंस हत्याकाण्ड के बाद अंगरेज़-सैनिकों का दल बिठूर गया। वहाँ उन्होंने नाना साहब के राजमहल को लूटा, परन्तु उसमें थोड़ी ही सम्पत्ति अंगरेज़ों के हाथ लगी। अंगरेज़ों ने उस महल को भस्म करने का निश्चय कर वहाँ तोपें लगायीं। उसी समय महल के बरामदे में एक सुन्दर बालिका आकर खड़ी हुई। उसे देखकर अंगरेज़ सेनापति को अत्यधिक आश्चर्य हुआ, क्योंकि महल लूटते समय वह बालिका वहाँ कहीं भी नहीं दिखाई दी थी। पाठेतर सक्रियता
अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
उत्तर :
शिक्षार्थी स्वयं अध्यापक की सहायता से सूची तैयार करें।
इन पुस्तकों को पढ़िए
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ - राजमकृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली, '1857 की कहानियाँ'-ख्वाजा हसन निजामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
उत्तर :
शिक्षार्थी पुस्तकालय से लेकर इन पुस्तकों को पढ़ें। अपठित गद्यांश को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए आजाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हजार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा-"जब हम आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था।
उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हजार रुपये दिये गये हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।" मुझे याद आता है सन् 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया-"चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।"
मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नयी पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।
प्रश्न 1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया?
प्रश्न 2. दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किये गये रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया?
प्रश्न 3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं?
प्रश्न 4. आजादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा?
प्रश्न 5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौनसी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?
उत्तर :
1. कुछ सरकारों ने भाभी को पैसों से तोलना चाहा। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारासिंह ने उनके सम्मान में समारोह आयोजित किया और उन्हें इक्यावन हजार रुपये भेंट किये।
2. दुर्गा भाभी का मानना था कि आजादी की लड़ाई का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ पाना नहीं था। स्वतन्त्रता सेनानियों का उद्देश्य तो देश को आजाद कराना था। इस कारण वे स्वतन्त्रता के लिए किये गये संघर्ष का मूल्य नहीं लेना चाहती थीं।
3. दुर्गा भाभी की संसदीय राजनीति में कोई रुचि नहीं थी, इसी कारण क्रान्तिकारियों के द्वारा अनुरोध करने पर भी वह उससे दूर रही।
4. आजादी के बाद उन्होंने एक विद्यालय चलाया और नयी पीढ़ी के निर्माण के लिए अपना शेष जीवन उसी में व्यस्त रखा।
5. उनके व्यक्तित्व से हम ये विशेषताएँ अपनाना चाहेंगे
प्रश्न 1.
महल न गिराने के पीछे मैना का उद्देश्य था
(क) महल उसकी माँ की स्मृति में बना था।
(ख) महल में उसकी प्रिय सखी की यादें बसी हुई थीं।
(ग) महल उसे बहुत प्रिय था।
(घ) महल बिठूर की शान था।
उत्तर :
(ग) महल उसे बहुत प्रिय था।
प्रश्न 2.
जनरल 'हे' ने बालिका को पहचान कर रहा था
(क) यह नाना साहब की कन्या मैना है।
(ख) यह मेरी पुत्री 'मेरी' की सहेली है।
(ग) मैं इसे हृदय से चाहता हूँ।
(घ) यह निर्भीक और स्वाभिमानी है।
उत्तर :
(क) यह नाना साहब की कन्या मैना है।
प्रश्न 3.
"नाना के वंश या महल पर दया दिखाना असम्भव है।" यह कहा था
(क) सेनापति 'हे' ने
(ख) प्रधान सेनापति जनरल अउटरम ने
(ग) गवर्नर जनरल ने
(घ) अंगरेज़ सैनिक ने।
उत्तर :
(ख) प्रधान सेनापति जनरल अउटरम ने
प्रश्न 4.
लन्दन के सुप्रसिद्ध 'टाइम्स' में नाना साहब को कहा गया था
(क) विद्रोही
(ख) दुर्दान्त
(ग) पाषाण हृदय
(घ) अत्याचारी।
उत्तर :
(ख) दुर्दान्त
प्रश्न 5.
मैना की अन्तिम इच्छा थी
(क) नाना साहब से मिलने की
(ख) लॉर्ड केनिंग से बात करने की
(ग) महल के ढेर पर जी भरकर रोने की
(घ) महल में ही भस्म करने की।
उत्तर :
(ग) महल के ढेर पर जी भरकर रोने की
अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न :
निर्देश-निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उनसे सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
1. सन् 1857 ई. के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। बेटी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी। पर विद्रोह दमन करने के बाद अंगरेजों ने बड़ी क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया। उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है।
प्रश्न 1. मैना बिठूर के महल में कैसे रह गई थी?।
प्रश्न 2. मैना को अंगरेजों ने जलती आग में डाल कर क्यों भस्म कर दिया था?
प्रश्न 3. 'निरीह' शब्द का प्रयोग किसके लिए और क्यों हुआ हैं?
प्रश्न 4. पाषाण हृदय का क्या आशय है?
उत्तर :
1. सन्. 1857 के स्वतन्त्रता आन्दोलन के एकाएक असफल हो जाने के कारण नाना साहब को कानपुर छोड़कर अचानक भागना पड़ा था। इसलिए वे अपने साथ मैना को नहीं ले जा सके थे। इस कारण वह बिठूर के महल में ही रह गई थी।
2. मैना नाना साहब धुंधूपंत की निरपराध बालिका थी। उसका अपराध केवल इतना ही था कि वह नाना साहब की पुत्री थी। इसी बात का बदला लेने के लिए अंगरेज़ों ने उसे जलती आग में डालकर भस्म कर दिया था।
3. 'निरीह' शब्द का प्रयोग नाना साहब की पुत्री मैना के लिए हुआ है। मैना बेचारी स्वतन्त्रता आन्दोलन के प्रसंग से दूर थी फिर भी उस मासूम को अंगरेजों ने आग में जलाकर भस्म कर दिया था।
4. पाषाण हृदय का आशय है-कठोर हृदय वाला अत्याचारी।
2. कानपुर में भीषण हत्याकाण्ड करने के बाद अंगरेज़ों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया, पर उसमें बहुत थोड़ी सम्पत्ति अंगरेजों के हाथ लगी। इसके बाद अंगरेजों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया सैनिक दल ने जब वहाँ तोपें लगायीं, उस समय महल के बरामदे में एक अत्यन्त सुन्दर बालिका आकर खड़ी हो गयी। उसे देखकर अंगरेज सेनापति को बड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि महल लूटने के समय वह बालिका वहाँ कहीं दिखाई न दी थी।
प्रश्न 1. कानपुर में कब और कौनसा भीषण हत्याकाण्ड हुआ था?
प्रश्न 2. अंगरेज़ सैनिकों ने बिठूर की ओर क्यों प्रस्थान किया?
प्रश्न 3. अंगरेज सैनिकों ने नाना साहब के महल को क्यों भस्म करना चाहा?
प्रश्न 4. अंगरेज सेनापति को आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर :
1. प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सन् 1857 में क्रान्तिकारी देशभक्तों ने कानपुर में अंगरेजों के विरुद्ध सशस्त्र आन्दोलन किया था। उसी को दबाने के लिए अंगरेज़ सैनिकों ने वहाँ पर भीषण हत्याकाण्ड किया था।
2. अंगरेज़ शासन नाना साहब धुंधूपन्त को सबसे बड़ा खतरनाक विरोधी मानता था। अतएव उन्हें पकड़ने के लिए अंगरेज़ सैनिकों ने बिठूर की ओर प्रस्थान किया।
3. अंगरेज़ सैनिकों ने नाना साहब के महल को इसलिए भस्म करना चाहा ताकि अंगरेज़ों का विरोध करने वालों का नाम-निशान तक मिट जायें।
4. अंगरेज़ सेनापति ने जब नाना साहब के महल की तलाशी ली उस समय बालिका मैना वहाँ नहीं थी। लेकिन जब महल को भस्म किया जाने लगा तो वह अचानक वहाँ प्रकट हो गयी। यह देखकर अंगरेज़ सेनापति को आश्चर्य हुआ।
3. सेनापति ने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि कर्तव्य के अनुरोध से मुझे यह मकान गिराना ही होगा। इस पर उस बालिका ने अपना परिचय बताते हुए कहा कि "मैं जानती हूँ कि आप जनरल 'हे' हैं। आपकी प्यारी कन्या मेरी में और मुझमें बहुत प्रेम-सम्बन्ध था। कई वर्ष पूर्व मेरी मेरे पास बराबर आती थी और मुझे हृदय से चाहती थी। उस समय आप भी हमारे यहाँ आते थे और मुझे अपनी पुत्री के समान ही प्यार करते थे। मालूम होता है कि आप वे सब बातें भूल गये हैं। मेरी की मृत्यु से मैं बहुत दुःखी हुई थी, उसकी एक चिट्ठी मेरे पास अब तक है।".
यह सुनकर सेनापति के होश उड़ गये। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और फिर उस बालिका को भी पहिचाना और . कहा “अरे यह तो नाना साहब की कन्या मैना है।"
प्रश्न 1. बालिका मैना के पास किसका और कौनसा स्मृति-चिह्न था?
प्रश्न 2. मैना ने सेनापति के समक्ष उसकी पुत्री के साथ सम्बन्धों की बात क्यों की?
प्रश्न 3. सेनापति ने बालिका के समक्ष दुःख क्यों प्रकट किया?
प्रश्न 4. सेनापति 'हे' के होश क्यों उड़ गये? बताइये।
उत्तर :
1. बालिका मैना के पास अंगरेज सेनापति टामस 'हे' की पुत्री 'मेरी' का एक हस्तलिखित पत्र स्मृति चिहन रूप में था। 'मेरी' उसकी सहेली थी और उसने मित्रता में वह पत्र लिखा था।
2. मैना चाहती थी कि इस तरह के सम्बन्ध बताने से सेनापति राजमहल को गिराने के उद्देश्य से विमुख हो जावेंगे और उसका प्रिय महल विनष्ट होने से बच जायेगा।
3. सेनापति ने बालिका के समक्ष दुःख इसलिए प्रकट किया कि वह उसके तर्कों और अनुरोध को सुनने के बाद मकान गिराना तो नहीं चाहता था, परन्तु वह अंगरेज़ सरकार का सेनापति था और उसे अपने कर्तव्य का पालन करना भी जरूरी था।
4. बालिका मैना ने जब 'हे' को बताया कि उसकी पुत्री 'मेरी' उसकी प्रिय सहेली थी। उसकी हस्तलिखित चिट्ठी भी उसके पास है। यह जानकर सेनापति 'हे' को आश्चर्य हुआ और उसके होश उड़ गए।
4. बडे दःख का विषय है कि भारत-सरकार आज तक उस दर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड सकी. जिस अंगरेजों के हत्याकाण्ड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे। उस दिन पॉर्लमेण्ट की 'हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स' सभा में सर टामस 'हे' की एक रिपोर्ट पर बड़ी हँसी हुई, जिसमें सर 'हे' ने नाना की कन्या पर दया दिखाने की बात लिखी थी।'हे' के लिए निश्चय ही एक कलंक की बात है-जिस नाना ने अंगरेज़ नर-नारियों का संहार किया, उसकी कन्या के लिए क्षमा ! अपना सारा जीवन युद्ध में बिताकर अन्त में वृद्धावस्था में सर टामस 'हे' एक मामूली महाराष्ट्र बालिका के सौन्दर्य पर मोहित होकर अपना कर्त्तव्य ही भूल गये।
प्रश्न 1. प्रथम वाक्य में 'भारत सरकार' से क्या तात्पर्य है?
प्रश्न 2. सेनापति 'हे' की हँसी क्यों उड़ाई गयी थी?
प्रश्न 3. "सेनापति 'हे' के लिए यह कलंक की बात है।" किसने कहा?
प्रश्न 4. अंगरेज लोग नाना साहब की बेटी मैना पर इतने कुपित क्यों थे?
उत्तर :
1. प्रथम वाक्य में आये 'भारत सरकार' से तात्पर्य उस समय की ब्रिटिश सरकार से है।
2. सेनापति 'हे' ने नाना साहब की पुत्री मैना पर दया करके उसे छोड़ देने की प्रार्थना की थी। उनकी इस प्रार्थना में दया को मूर्खता कहकर उनकी हँसी उड़ाई गयी थी।
3. "सेनापति 'हे' के लिए यह कलंक की बात है।" लंदन की 'हाउस आफ लार्ड्स' सभा के सदस्यों ने कहा।
4. अंगरेज़ लोग नाना साहब की बेटी मैना पर इसलिए कुपित थे, क्योंकि उसके पिता स्वतंत्रता-संग्राम के विद्रोही नेता थे और उन्हीं के नेतृत्व में कानपुर में अंगरेज़ों का हत्याकांड हुआ था।
5. सन् 57 के सितम्बर मास में अर्द्ध रात्रि के समय चाँदनी में एक बालिका स्वच्छ उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए नाना साहब के भग्नाविष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठी रो रही थी। पास ही जनरल अउटरम की सेना भी ठहरी थी। कुछ सैनिक रात्रि के समय रोने की आवाज सुनकर वहाँ गये। बालिका केवल रो रही थी। सैनिकों के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं देती थी।
प्रश्न 1. मैना कब और कहाँ रो रही थी?
प्रश्न 2. बालिका के रोने का प्रमुख कारण क्या था?
प्रश्न 3. अंग्रेज सैनिक बालिका के पास कैसे पहुँचे?
प्रश्न 4. बालिका अंगरेज सैनिकों के प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं दे रही थी?
उत्तर :
1. मैना सन् 57 के सितम्बर मास में अर्द्धरात्रि के समय चाँदनी में नाना साहब के भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठी हुई रो रही थी।
2. बालिका के रोने का प्रमुख कारण यह था कि वह जिस भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठी रो रही थी वह महल उसके पिताजी का था जिससे उसे बहुत प्रेम था। वह महल के टूटने पर और अपनी उजड़ी हुई जिन्दगी पर रो रही थी।
3. जिस महल को अंगरेज़ सैनिकों ने तोडा था. वह नाना साहब का था। उसी महल के पास अंगरेज़ सैनिकों का ठिकाना था। जब महल के ढेर पर बैठी मैना आधी रात्रि को रो रही थी तब उसकी रोने की आवाज सुनकर अंगरेज़ सैनिक वहाँ पहुँच गये।
4. बालिका उस भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठी हुई रो रही थी। उस समय उसे पूर्व स्मृतियाँ घेरे हुई थीं। परिणामस्वरूप वह दुःख और अवसाद की स्थिति में थी। इसलिए वह बिना भयभीत हुए भी उत्तर देने की स्थिति में नहीं थी।
6. इसके बाद कराल रूपधारी जनरल अउटरम भी वहाँ पहुँच गया। वह उसे तुरन्त पहिचानकर बोला-"ओह ! यह नाना की लड़की मैना है !" पर वह बालिका किसी ओर न देखती थी और न अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर जरा भी डरी। जनरल अउटरम ने आगे बढ़कर कहा "अंगरेज सरकार की आज्ञा से मैंने तुम्हें गिरफ्तार किया।" मैना उसके मुँह की ओर देखकर आर्त स्वर में बोली-"मुझे कुछ समय दीजिए, जिसमें आज मैं यहाँ जी भरकर रो लूँ।" पर पाषाण-हृदय वाले जनरल ने उसकी अन्तिम इच्छा भी पूरी होने न दी। उसी समय मैना के हाथ में हथकड़ी पड़ी और वह कानपुर के किले में लाकर कैद कर दी गयी।
प्रश्न 1. जनरल अउटरम को कराल रूपधारी क्यों कहा गया है?
प्रश्न 2. जनरल अउटरम ने मैना की अन्तिम इच्छा क्यों पूरी नहीं होने दी?
प्रश्न 3. अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर भी मैना क्यों नहीं डरी?
प्रश्न 4. जनरल अउटरम ने मैना के साथ कैसा बर्ताव किया?
उत्तर :
1. जनरल अउटरम सन् 1857 के आन्दोलनकारियों को सख्ती से कुचलने तथा बदले की भावना से क्रूरता दिखाने में लगा था। वह इसी निमित्त जनरल बनाकर भारत भेजा गया था। ब्रिटिश सरकार का नाना साहब से बदला लेने का तार पाकर वह क्रूर हो गया। इसीलिए उसे कराल रूपधारी जनरल कहा गया है।
2. जनरल अउटरम को यह भय था कि यदि उसने मैना को कुछ समय दे दिया, तो उसे अंगरेज सरकार का कोपभाजन बनना पड़ेगा और उसे इस कारण कठोर सजा मिल सकती है।
3. मैना अत्यन्त साहसी और निडर बालिका थी। उसे अपनी मृत्यु का जरा भी भय नहीं था। जनरल अउटरम के सैनिकों ने नाना साहब का महल नष्ट कर दिया था, मैना उसे देखकर भले ही रो रही थी, परन्तु अपने चारों ओर अंगरेज सैनिकों को देखकर वह जरा भी नहीं डर रही थी।
4. जनरल अउटरम ने मैना की अन्तिम इच्छा की कोई परवाह नहीं की। उसने तत्काल मैना के हाथ में हथकड़ी डालकर उसे कानपुर के किले में लाकर कैद कर दिया। जनरल अउटरम पाषाण-हृदय व्यक्ति था। उसने निरपराध बालिका मैना के साथ अत्यन्त बर्बरता एवं कायरतापूर्ण व्यवहार किया।
बोधात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
नाना साहब अपनी पुत्री मैना को अपने साथ क्यों न ले जा सके?
उत्तर :
नाना साहब सन् 1857 के स्वतन्त्रता-संग्राम के अग्रणी नेता थे। संघर्ष के दौरान कानपुर उनका केन्द्र था। उन्हीं के नेतृत्व में कानपुर में सशस्त्र क्रान्ति हुई थी। उसमें अनेक अंगरेज़ मारे गये थे। अन्ततः स्वतंत्रता संग्राम असफल हो गया था जिसके कारण उन्हें कानपुर छोड़कर भागना पड़ा था। इस जल्दीबाजी में वे अपनी पुत्री मैना को अपने साथ नहीं ले जा पाये थे।
प्रश्न 2.
अंगरेज सैनिक नाना साहब के महल को क्यों लूटना और नष्ट करना चाहते थे?
उत्तर :
सन् 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में नाना साहब ने कानपुर में अंग्रेजों से टक्कर लेकर उन्हें काफी नुकसान पहुँचाया था। वहाँ से नाना साहब अपने महल बिठूर में गये और फिर वहाँ से किसी गुप्त स्थान पर चले गये। कानपुर में हुए हत्याकाण्ड का बदला लेने की नीयत से अंगरेज़ सैनिकों ने बिठूर में उनका महल घेरा, नाना साहब को जीवित न पकड़ पाने से खीझकर अंगरेज़ महल को लूटना और नष्ट करना चाहते थे।
प्रश्न 3.
मैना का परिचय पाकर जनरल 'हे' पर उसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : मैना का परिचय पाकर जनरल 'हे' दयाभाव से पूरित हो गया और कहा कि मैं अंगरेज़ सरकार का नौकर हूँ, उसकी आज्ञा नहीं टाल सकता। फिर भी मैं तुम्हारी रक्षा करने का प्रयत्न करूँगा। इस तरह मैना का परिचय पाकर जनरल 'हे' पर अच्छा प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 4.
सेनापति सर टामस 'हे' को मैना पर दया क्यों आयी?
उत्तर :
जब सेनापति सर टामस 'हे' अंगरेजी सरकार की आज्ञा के अनुसार बिठूर का राजमहल तोड़ने की तैयारी में थे तभी उन्होंने अपनी पुत्री 'मेरी' की सहेली बालिका मैना को राजमहल के बरामदे में खड़े देखा। उस समय उसके मुख पर गहरी करुणा थी और वह अल्पायु थी। यह देखकर 'हे' बहुत प्रभावित हुए और उनके सख्त मन में मैना के प्रति दया उमड़ आयी थी।
प्रश्न 5.
सेनापति 'हे' के जाने के बाद जनरल अउटरम ने क्या किया?
उत्तर :
सेनापति 'हे' के जाने के बाद जनरल अउटरम ने नाना साहब के महल को घेर लिया। इसकी आज्ञा पर महल का फाटक तोड़कर अंगरेज़ सैनिक भीतर घुस गये और मैना को खोजने लगे। वे महल में लूटपाट भी करते रहे, परन्तु सारे महल का कोना-कोना खोज डालने पर भी उन्हें मैना का पता नहीं लगा। इस तरह उस समय अउटरम को मैना को गिरफ्तार किये बिना जाना पड़ा।
प्रश्न 6.
सन्ध्या-समय लार्ड केनिग का जो तार आया, उसका आशय क्या था?
उत्तर :
सन्ध्या-समय अउटरम के पास गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग का एक तार आया, जिसका आशय यह था लन्दन के मन्त्रिमण्डल का यह मत है कि नाना का स्मृति-चिह्न तक मिटा दिया जाये। इसलिए वहाँ की आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता अर्थात् नाना का महल नष्ट करके हर हालत में उनकी पुत्री मैना को गिरफ्तार किया जावे।
प्रश्न 7.
महादेव चिटनवीस के 'बाखर' समाचार-पत्र में क्या खबर छपी थी? लिखिए।
उत्तर :
महादेव चिटनवीस के 'बाखर' समाचार-पत्र में खबर छपी थी कि "कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकाण्ड हो गया। नाना साहब की एक मात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गयी। भीषण अग्नि में शान्त और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सभी ने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।"
प्रश्न 8.
मैना और सेनापति 'हे' में भावनात्मक रिश्ते कैसे बने थे?
उत्तर :
मैना सेनापति 'हे' की पत्री 'मेरी' की बाल-सखी थी तथा उन दोनों का आपस में घनिष्ठ प्रेम था। स्वतंत्रता आंदोलन से काफी पहले मेरी मैना के महल में कई बार आ चुकी थी। उस समय 'हे' भी उसके साथ आया करते थे। तब वे मैना को पुत्री के समान मानते थे। परन्तु अब परिस्थितियां बदल गई थीं और हे इस बात को भूल गये थे। तब मैना ने ही अपना परिचय दिया और पिछली बातों का स्मरण कराया। 'हे' को अपनी मृत पुत्री 'मेरी' की याद आयी तो उसके मन में स्नेह भाव जागृत हुआ। तब हे मैना को अपनी बेटी के समान मानने लगा। इस तरह दोनों में भावनात्मक रिश्ते बन गये थे।
प्रश्न 9.
नाना साहब के राजमहल में पहुँचकर अंग्रेजों ने क्या किया और क्यों?
उत्तर :
सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कानपुर में अनेक अंग्रेज मारे गए थे। अंग्रेज सेनाधिकारी इस हत्याकांड से काफी क्रुद्ध थे। ब्रिटिश सरकार बदले की भावना से भरी हुई थी। इस कारण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार का आदेश था कि जिस नाना साहब के इशारों पर वह हत्याकांड हुआ उनका सर्वनाश किया जाए। उनकी कोई भी निशानी न रहे, उनके सभी सगे-सम्बन्धियों को मार दिया जाए। इसीलिए अंग्रेजों ने उनके बिठूर वाले राजमहल को तोड़ दिया।
प्रश्न 10.
बिठूर के राजमहल और नाना के स्मृति-चिह्न को मिटाने का आदेश किसने और क्यों दिया?
उत्तर :
बिठूर के राजमहल और नाना के स्मृति-चिह्न को मिटा डालने का आदेश तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड केनिंग ने तार भेजकर दिया। उसने लन्दन के मन्त्रिमण्डल की इच्छा के अनुसार यह आदेश दिया। क्योंकि सन् 1857 के स्वतन्त्रता आंदोलन में नाना साहब के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने कानपुर में अनेक अंग्रेज नर-नारियों को मार दिया था। उस घटन से ब्रिटिश सरकार कुपित थी। इसी कारण वे उस हत्याकांड का बदला लेना चाहते थे और नाना को सर्वस्व विनाश का दण्ड देना चाहते थे।
प्रश्न 11.
जनरल अउटरम किस बात से हैरान था, उसने मैना के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर :
जनरल अउटरम ने जब नाना साहब के महल को तोपों से उडाने का निश्चय किया. तभी उसने देखा कि नाना साहब की पुत्री मैना महल के बरामदे में आकर खड़ी हो गई। सारे महल की तलाशी लेने पर मैना नहीं मिली थी परन्तु अब वह सहसा कहाँ से सामने आ गई, इस बात से अउटरम हैरान था। उसने मैना के साथ क्रूरता का व्यवहार किया। उसने मैना को कैद में डाला और फिर आग में जलाकर मारने का आदेश दिया।
प्रश्न 12.
चारों ओर से सैनिकों से घिरी अकेली मैना जरा भी क्यों नहीं डरी?
उत्तर :
मैना प्रसिद्ध क्रान्तिकारी नाना साहब की इकलौती पत्री थी। उसमें अपने पिता के समान साहस एवं निडरता का गुण कूट-कूट कर भरा हुआ था। वह अंग्रेज सरकार के दमन-शोषण से दबे भारत को आजादी दिलाने में अपने प्राणों का मोह नहीं रखती थी। उसका सारा परिवार एवं परिजन उससे अलग हो गये थे, वे सब स्वतन्त्रता संग्राम में भाग ले रहे थे। इस बात का विचार कर अंग्रेज सैनिकों से घिरी होने पर भी मैना जरा भी नहीं डरी और न घबरायी।
प्रश्न 13.
लन्दन से टाइम्स-पत्र में प्रकाशित लेख में क्या लिखा गया था?
उत्तर :
लन्दन से प्रकाशित लेख में लिखा गया था कि "बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक भी उस दुर्दान्त नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंगरेजों के हत्याकाण्ड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगें।" इसी प्रकार उस लेख में 'हाउस ऑफ लार्ड्स' सभा में सर टामस हे की रिपोर्ट को लेकर उसकी हँसी उड़ाने का समाचार छपा था और मैना को लेकर सर हे पर गलत आरोप लगाया गया था।
प्रश्न 14.
'नाना साहब की पुत्री मैना देवी को भस्म कर दिया गया'-पाठ से मैना के जीवन-प्रसंग से क्या सन्देश व्यक्त हुआ है? .
उत्तर :
प्रस्तुत पाठ में सन् 1857 की क्रान्ति में प्राणों का उत्सर्ग करने वालों का संक्षेप में वर्णन किया गया है। मातृभूमि की स्वतन्त्रता के लिए नाना साहब का परिवार समर्पित रहा। मैना उनकी अल्पवयस्क पुत्री थी, परन्तु उसने भी अपने पिता की तरह अंग्रेजों का विरोध किया और अन्त में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। इस प्रसंग से यह सन्देश व्यक्त हुआ है कि हमें देश की स्वतन्त्रता की रक्षा करनी चाहिए, देश के प्रति विद्रोह या विश्वासघात नहीं करना चाहिए और तन-मन-धन से युवकों को देश-सेवा में समर्पित रहना चाहिए।
प्रश्न 15.
मैना की अन्तिम इच्छा क्या थी, जिसे अंग्रेज-जनरल पूरा न कर सका?
उत्तर :
मैना की अन्तिम इच्छा यह थी कि वह अपने टूटे हुए राजमहल के ढेर पर बैठकर थोड़ी देर जीभर रो ले। उस समय अपने प्रिय महल के विध्वंस को देखकर उसका मन भारी हो रहा था। वह रोकर अपना दिल हल्का करना चाहती थी। इसी से उसने अंग्रेज जनरल अउटरम को अपनी इच्छा बतायी। परन्तु कठोर हृदय वाले जनरल अउटरम ने उसकी इस छोटी-सी अन्तिम इच्छा को भी पूरा नहीं किया। उसने मैना को तुरन्त हथकड़ी डालकर गिरफ्तार किया और कानपुर के किले में लाकर कैद कर लिया।
प्रश्न 16.
बालिका मैना सैनिकों के प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं दे रही थी?
उत्तर :
अंग्रेज-सेना ने अपने सेनापति के आदेश पर महल को तोप-गोलों से विध्वस्त कर दिया था। उस समय बालिका मैना शत्रुओं से घिरी हुई तथा अकेली पड़ गई थी। तब वह अपने पिता के महल के खण्डहर पर बैठकर केवल रो रही थी। सैनिक उससे लगातार प्रश्न कर रहे थे, रोने का कारण पूछ रहे थे। सैनिक उसे पूरी तरह नहीं पहचान पाये थे। स्वयं को अकेली मानकर मैना कुछ घबरा गयी थी और अनिश्चय की स्थिति होने से वह उत्तर नहीं दे पा रही थी।
प्रश्न 17.
नाना धुंधूपन्त कौन थे? उनके बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
उत्तर :
नाना धुंधूपन्त बिठूर के पेशवा थे। वे सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे और उन्होंने कानपुर में अंग्रेज-सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, उस संघर्ष में अनेक अंग्रेज मारे गये थे। रानी लक्ष्मीबाई तथा अन्य क्रान्तिकारियों के साथ मिलकर नाना साहब ने क्रान्ति का सूत्रपात किया था। परन्तु कानपुर में उनका संघर्ष असफल रहा, तो बिठूर भागे और वहाँ से भी उन्हें भागना पड़ा। जल्दबाजी में वे अपनी कन्या मैना को साथ नहीं ले जा सके।
प्रश्न 18.
बालिका मैना के जीवन से क्या शिक्षा मिलती है? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
बालिका मैना निडर एवं साहसी थी। वह मित्रता का महत्त्व जानती थी और जड़-चेतन का अन्तर समझती थी। उसने अकेली होने पर भी अंग्रेज सेनापति से साहसपूर्वक बातें कीं तथा सेनापति 'हे' के हृदय में सहानुभूति एवं दया-भाव जगाया। अन्त में सरल एवं शान्त रहकर अग्नि की लपटों में अपना बलिदान कर दिया। इस तरह मैना के जीवन से हमें देशभक्ति, साहस, त्याग और बलिदान के साथ मानवीय गुणों को अपनाने की शिक्षा मिलती है।
लेखिका-परिचय - चपला देवी के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। ये द्विवेदी युग की लेखिका थीं। स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान अनेक महिलाओं ने भी अपने लेखन से आन्दोलनकारियों में जोश का संचार किया। चपला देवी ने यद्यपि बहुत कम लिखा, पर जितना भी लिखा, वह विशिष्ट माना जाता है
पाठ-सार - प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम अर्थात् सन् सत्तावन की क्रान्ति के असफल रहने पर अंगरेज़ों ने विद्रोही| नेता नाना साहब धुंधूपन्त के कानपुर के महल को लूटकर नष्ट कर दिया था। नाना साहब बिठूर से भागते समय जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ में न ले जा सके। जब अंगरेज सेनापति ने बिठूर के महल पर गोले बरसाने का निश्चय किया, तभी बालिका मैना महल के बरामदे में आयी और उसने गोले बरसाने से मना किया। मैना ने सेनापति से कहा कि आप जनरल 'हे' हैं और आपकी पुत्री 'मेरी' मुझे हृदय से चाहती थी।
उसने मृत्यु से पूर्व एक चिट्ठी दी थी जो मेरे पास है। तब सेनापति 'हे' ने महल को बचाने के लिए प्रधान सेनापति जनरल अउटरम से बात की, उन्होंने गवर्नर जनरल को इस सम्बन्ध में तार भेजा, परन्तु अंगरेज़ शासकों ने क्रूरता का परिचय देते हुए महल को तोड़ने का आदेश दिया। सैनिकों ने महल को नष्ट कर डाला और मैना को गिरफ्तार करके कानपुर के किले में बन्द कर लिया। मैना ने गिरफ्तार होने से पूर्व अउटरम से जी भर रो लेने की प्रार्थना की, पर उसकी वह इच्छा भी पूरी नहीं हुई। अगले दिन समाचार-पत्र 'बाखर' में छपा कि "कल कानपुर के किले में भीषण हत्याकाण्ड हुआ। नाना साहब की एकमात्र कन्या ना धधकती आग में जलाकर भस्म कर दी गयी। उस अनुपमा बालिका को जलती देख सबने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।"
कठिन-शब्दार्थ :