Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 15 मेघ आए Textbook Exercise Questions and Answers.
प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में प्रकृति की निम्न गतिशील क्रियाओं का चित्रण हुआ है
प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं? (धूल, पेड़, नदी, लता, ताल)
उत्तर :
धूल-किशोरी लड़कियों की प्रतीक है, जो भाग-भागकर मेहमान के आने की खबर दे रही हैं। पेड़-गाँव के पुरुषों के। नदी-गाँव की युवती की। लता-नवविवाहिता, जिसका प्रवासी पति शहर से गाँव आया है। ताल-घर का अन्तरंग सदस्य। मेहमान का स्वागतकर्ता।
प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी. मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
उत्तर :
बादल रूपी मेहमान एक वर्ष बाद आया था इसलिए लता रूपी नव विवाहिता ने पेड़ रूपी किवाड़ की ओट में छिपकर देखा, क्योंकि बादल रूपी प्रियतम की दीर्घ प्रतीक्षा करने के बाद आने पर वह व्याकुल भी है और उन्हें बिना देखे रह भी नहीं पा रही है।
प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।
उत्तर :
विरहिणी नायिका को भ्रम था कि उसका नायक एक वर्ष से उसकी सुध नहीं ले रहा है, वह उसे भूल गया है। पर साल भर बाद जब शहर से प्रवासी नायक लौट आया, तो नायिका ने उससे क्षमायाचना की कि मेरे मन में आपके बारे में जो गाँठ थी, वह खुल गई है। अतएव आप मुझे क्षमा करें।
ग्रामीणों को भ्रम था कि बादल आयेंगे या नहीं, बरसेंगे या नहीं, परन्तु बादल समय पर आ गये। इसलिए ग्रामीणों के मन की गाँठें खुल गईं और वे उससे क्षमा-याचना करने लगे। बादल के नियत समय पर आने से ग्रामीणों का भ्रम समाप्त हो गया।
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, चूंघट सरके।
उत्तर :
गाँवों की युवा वधुएँ पूंघट करती हैं। जब उन्हें मेहमान के आने की सूचना मिली, तो उनके मन में उसे देखने की उत्सुकता होने लगी। वे अपनी जगह ठिठक गईं और चूंघट सरका कर तिरछी नजर से उसे देखने लगीं। नदी भी मेघ रूपी मेहमान को देखने के लिए उत्सुक थी। हवा के चलने से उसकी लहरों में परिवर्तन होने लगा, तब ऐसा लग रहा था कि मानो उसने अपना पूंघट कुछ सरका दिया और तिरछी नजरों से मेहमान (मेघ) को देख रही है।
प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर :
मेष रूपी मेहमान के आने से
प्रश्न 6.
मेघों के लिए 'बन-ठन के, सँवर के' आने की बात क्यों कहीं गई है?
उत्तर :
मेघों के लिए बन-ठन के, सँवर के आने की बात इसलिए कही गयी है, क्योंकि उनके आने से गांव वालों के मन में ठीक वैसा ही उल्लास छा जाता है जैसे किसी सजे-सँवरे दामाद के गाँव में आने पर छा जाता है।
प्रश्न 7.
कविता में आये मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
मानवीकरण के उदाहरण
रूपक के उदाहरण
1. क्षितिज अटारी गहराई।
प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कविता में ग्रामीण परिवेश में प्रचलित रीति-रिवाजों का सुन्दर चित्रण हुआ है। इसमें दर्शाया गया है कि दामाद अपनी ससुराल बन-ठनकर जाता है। दामाद का स्वागत सभी करते हैं। विवाहिता युवतियाँ प्रायः चूंघट निकालकर पुरुषों के सामने आती हैं। मेहमान के पैर धोने के लिए परात में पानी लाया जाता है। नवविवाहिता अपने पति से सबके सामने नहीं मिलती है और चूंघट की ओट में बात करती है। राजस्थान में ऐसे अतिथि का सत्कार पलक-पाँवड़े बिछाकर किया जाता है।
प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर :
आकाश में बादल का वर्णन-आकाश में नये बादल बन-ठन कर आ गये। उनके आने पर हवा सनसनाती हुई बहने लगी, तो गलियों में उसके वेग से दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं। धूल उड़ने लगी, पेड़ हिलने-डुलने लगे। तालाब में प्रसन्नता की लहरें उठने लगीं। नदी भी प्रसन्न हो गई। लताएँ बहुत व्याकुल थीं, उन्हें बादल के आने या न आने में सन्देह था, वह सन्देह दूर हुआ। क्षितिज पर बादलों की घटा छायी, बिजली चमकने लगी और रिमझिम वर्षा होने लगी।
गाँव में मेहमान का वर्णन-शहर से दामाद बन-ठनकर गाँव पहुँचा। उसके आने की खबर हवा की तरह फैली। पुरुष उसे झुककर देखने लगे तो स्त्रियाँ भी घूघट सरकाकर तिरछी नजर से देखने लगीं। किसी ने आगे बढ़कर उसका स्वागत किया, तो कोई पैर धोने के लिए पानी की परात ले आया। उसकी विरहिणी प्रियतमा को भ्रम था कि वह न जाने कब आयेगा। इसलिए वह आकुलता से सबके सामने नहीं अपितु किवाड़ की ओट में मिली। तब उसने प्रियतम से क्षमा माँगी और दोनों के मधुर-मिलन की बेला में उनके आँसू बहने लगे।
प्रश्न 10.
काव्य-सौन्दर्य लिखिए
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
उत्तर :
भाव-सौन्दर्य - गाँव में मेहमान (दामाद) के आने की तुलना बादलों से की गई है। दामाद शहर से बन ठनकर आया है। इसमें बादलों के सौन्दर्य की कवि ने सुन्दर अभिव्यक्ति दी है।
शिल्प-सौन्दर्य - इसमें उत्प्रेक्षा अलंकार अनुप्रास अलंकार 'बड़े बन-ठन' के तथा मानवीकरण अलंकार बादलों पर मेहमान का आरोप करने में है। भाषा सरल, भावानुकूल एवं छन्द तुकान्त है।
रचना और अभिव्यक्ति -
प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
वर्षा के आने से पहले धरती पर तपन, लू और शुष्कता थी, जो कि वर्षा आते ही एकदम समाप्त हो गई। पहली वर्षा होने से खेतों से मिट्टी की अनोखी गन्ध आने लगी। अमराइयों एवं वनावलियों में मोर की ऊँची केका सुनाई देने लगी। जो पेड़-पौधे, खेत-बगीचे पहले मुरझा रहे थे, वे अब लहलहाने लगे और उनमें नया जीवन आने लगा।
दो-चार दिन की बरसात के बाद तो सारी धरती हरी-भरी हो गई, जगह-जगह तृण-राशि उगकर आँखों को प्रिय लगने लगी। पेड़ों के पत्ते एकदम धुल गये, बेलें ऊपर की ओर उठने लगीं। बादल कभी सघन छा जाते, गर्जते एवं बिजली चमकाते और कभी शान्त होकर आकाश में सैर करते रहते। इस कारण सूर्य कभी चमकता और कभी बादलों के पीछे छिप जाता। बरसात होने से गाँव के तालाबों एवं कुओं का जलस्तर बढ़ गया, पास में बहने वाली सूखी नदी में भी पानी का वेग चढ़ने लगा। इस तरह वर्षा के आने पर आसपास के वातावरण में अनेक परिवर्तन दिखाई दिये।
प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।
उत्तर :
पीपल का पेड़ आकार में बड़ा तथा लम्बी आयु वाला होता है। वह गांव में सभी के लिए पूज्य होता है, क्योंकि पीपल के पेड़ में सभी देवता निवास करते हैं। वह हजारों पक्षियों, कीट-पतंगों एवं अन्य जीव-जन्तुओं को आश्रय देता है और उनका पोषण करता है। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण कवि ने पीपल को बुजुर्ग कहा है।
प्रश्न 13.
कविता में मेघ को 'पाहुन' के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परम्परा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं? लिखिए।
उत्तर :
हमारे समाज में आये इस परिवर्तन के कारण निम्नलिखित हैं
भाषा अध्ययन -
प्रश्न 14.
कविता में आये मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर :
सुधि लेना-अरे रमेश, कभी तो रिश्तेदारी में जाकर उनकी सुधि लेते रहो। गाँठ खुलना-दोनों मित्रों में कुछ दिनों से जो गाँठ पड़ गई थी वह अब खुल गई। बाँध टूटना-परीक्षाफल सुनने के लिए तो मेरी सब्र का बांध टूट गया। गरदन उचकाना-बार-बार खिड़की से दूसरों के घर में गरदन उचकाना ठीक नहीं है। तिरछी नजरों से देखना-नवेली दुलहन ने तिरछी नजरों से पति को देखकर मन्द-मन्द मुस्काने लगी।
प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर :
बयार, पाहुन, घाघरा, बाँकी, जुहार, किवार, ओट, हरसाया, परात, भरम, बरस बाद सुधि लीन्हीं।
प्रश्न 16.
'मेघ आए' कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कविता में तीन-चार तत्सम शब्द आये हैं-दामिनी, मिलन, क्षितिज और अश्रु। इसमें सामासिक शब्दों का अभाव है। अति प्रचलित एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग भावानुरूप हुआ है। इसमें देशज शब्द भी हैं। इस तरह प्रस्तुत कविता की भाषा सरल और सहज है। यथा मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के। बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की। हरसाया ताल लाया पानी परात भर के। पाठेतर सक्रियता
वसन्त ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
वसन्त ऋतु-वसन्त को ऋतुराज कहा जाता है। इस ऋतु के आगमन से शीत का प्रकोप शान्त हो जाता है; पेड़-पौधों में नव-जीवन का संचार होने लगता है। वसन्त-काल में न तो गर्मी रहती है, न सर्दी। मौसम एकदम गुलाबी हो जाता है। पेड़-पौधों में कोपलें आती हैं, कलियाँ एवं फूल खिल उठते हैं, पर्वतीय भूमि पर तो हजारों किस्म के फूल स्वयं ही खिल उठते हैं। रंगों का त्योहार होली, वसन्त पञ्चमी आदि के कारण जन-मानस में उल्लास छा जाता है। खेतों में चना-मटर पकने लगता है, गेहूँ-जौ की बालें पकने लगती हैं और सरसों के खेतों की पीली चादर सर्वत्र फैल जाती है।
बागों में आम पर बौर आ जाता है। वृक्ष नवीन पत्ते धारण कर शोभा को बिखेरने लगते हैं तो वनों में महुआ महकने लगता है। सारा वातावरण वासन्ती सुषमा से व्याप्त हो जाता है। दक्षिण की हवा मन्द-सुगन्ध बहती है, तो पूर्वा हवा का रुख भी मन्द रहता है। सभी जीवों, पशु-पक्षियों को भी वसन्त-ऋतु की मादकता का आभास हो जाता है और सभी के मानस में उल्लास, उमंग, मस्ती एवं मचलने की इच्छा समाई रहती है। वसन्त के आगमन से सब कुछ बदलकर नया हो जाता है।
प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
धिन-धिन-धा धमक-धमक मेघ बजे दामिनि यह गई दमक मेघ बजे दादुर का कण्ठ खुला मेघ बजे धरती का हृदय खुला मेघ बजे पंक बना हरिचन्दन मेघ बजे हल का है अभिनन्दन मेघ बजे धिन-धिन-धा
प्रश्न 1. 'हल का है अभिनन्दन' में किसके अभिनन्दन की बात हो रही है और क्यों?
प्रश्न 2. प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइये कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
प्रश्न 3. 'पंक बना हरिचन्दन' से क्या आशय है?
प्रश्न 4. पहली पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
प्रश्न 5. 'मेघ आए' और 'मेघ बजे' किस इन्द्रिय-बोध की ओर संकेत है?
उत्तर :
1. इसमें वर्षा और हल का अभिनन्दन की बात हो रही है। वर्षा का अभिनन्दन सभी प्राणी एवं समस्त प्रकृति करती है। वर्षा होते ही किसान हल लेकर खेतों में चला जाता है, इसलिए हल का अभिनन्दन भी किया जाता है।
2. मेघों के आने पर बिजली चमकने लगी, मेंढक बोलने लगे, धरती धुली-धुली-सी लगने लगी। चारों ओर कीचड़ दिखाई देने लगा तथा कृषक अपने हल आदि कृषि उपकरणों को ठीक करने लगे। इस तरह प्रकृति में परिवर्तन होने लगे।
3. हरिचन्दन पवित्र होता है, यह देवताओं को लगाया जाता है। प्रसाद रूप में इसे मस्तक पर लगाते हैं तथा शरीर पर लेपते हैं। वर्षा आने से खेतों में मिट्टी गीली होकर कीचड़ बन गई जो कि कृषक के शरीर पर हरिचन्दन के समान लग गई। उस उपजाऊ मिट्टी के कीचड़ से उसका तन-मन पवित्र हो गया।
4. पहली पंक्ति में वर्णावृत्ति से अनुप्रास अलंकार है।
5. मेघ आए-नेत्र इन्द्रिय-बोध (दृश्य-बोध)
मेघ बजे-कणे इन्द्रिय बोध (श्रव्य-बोध)।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
प्रश्न 1.
मनोरम मेघों के आगे चलने वाले हैं
(क) ग्रामीण जन
(ख) ग्रामीण नवयुवतियाँ
(ग) मस्त वायु
(घ) आकाशचारी पक्षी।
उत्तर :
(ग) मस्त वायु
प्रश्न 2.
मेघों के स्वागत में झुक गये हैं
(क) नदी
(ख) तालाब
(ग) लताएँ
(घ) पेड़।
उत्तर :
(घ) पेड़।
प्रश्न 3.
ग्रामीणजनों को भय था
(क) बादल समय पर नहीं आयेंगे
(ख) हवा नहीं चलेगी
(ग) पाहुन नहीं आयेंगे
(घ) बिजली नहीं चमकेगी।
उत्तर :
(क) बादल समय पर नहीं आयेंगे
बोधात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
'मेघ आए बड़े बन-ठन के...'कवि ने ऐसा चित्रण करते हुए किसका रूपक उतारा है?
उत्तर :
कवि ने मेघ का ऐसा चित्रण करके शहर से आने वाले ऐसे अतिथि (दामाद) का रूपक उतारा है जो पूरी तरह सजा-सँवरा है और जिसके आगमन को लेकर सारे गाँव में बड़ी प्रतीक्षा की जा रही है तथा जिसका स्वागत करने . के लिए गाँव के सभी लोग तत्परता दिखा रहे हैं, साथ ही वे बड़ी उत्सुकता से खुशी प्रकट कर रहे हैं।
प्रश्न 2.
'दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली' इससे कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
मेघ रूपी शहरी अतिथि या दामाद काफी दिनों के बाद आया है। अतः उसे देखने के लिए गाँव की स्त्रियों ने अपने घरों के दरवाजे-खिड़कियाँ खोल दी हैं। आशय यह है कि मेघ के आने से तथा वर्षा होने से उसका आनन्द लूटने के लिए गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं। गांव के सभी लोग अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने लगे। इसी स्थिति को चित्रित करने के लिए कवि ने ऐसा कहा है।
प्रश्न 3.
'मेघ आए' कविता में ग्रामीण संस्कृति का चित्रण किस रूप में हुआ है?
उत्तर :
'मेघ आए' कविता में ग्रामीण संस्कृति का संवेदनात्मक चित्रण हुआ है। कवि ने मेघों के आने की तुलना सज-धजकर आये प्रवासी दामाद से की है। ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर सभी प्रसन्नता एवं उल्लास व्यक्त करते हैं, उसकी अगवानी करते हैं तथा पास-पड़ोस के सभी लोग उसे पूरे गांव का मेहमान मानकर स्वागत करते हैं। इस तरह कवि ने मेघों के आने का सजीव वर्णन कर ग्रामीण परिवेश का उल्लासमय वातावरण चित्रित किया है।
प्रश्न 4.
ग्रामीण परिवेश में मेघों का स्वागत किस प्रकार किया जाता है और क्यों?
उत्तर :
ग्रामीण परिवेश में किसानों का मुख्य धन्धा खेती है। उनकी खेती पर ही सारा परिवार आश्रित रहता है। इसलिए जब आषाढ़ के आसपास आकाश में मेघ छाने लगते हैं, तो किसान उनका स्वागत विशिष्ट मेहमान की तरह करते हैं। किन्हीं क्षेत्रों में तो मेघ को देवता मानकर मनौती. मनाते हैं। वस्तुतः मेघों के आने से ग्रामीण परिवेश में खुशी छा जाती है।
प्रश्न 5.
बयार द्वारा मेघों का स्वागत किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर :
जब प्रथम बार बरसात के बादल आते हैं, तो उनके साथ तेज हवा भी चलती है। उस हवा से धूल उड़ती है, घरों की खिड़कियाँ खुल जाती हैं तथा सूखे तिनके-पत्ते उड़ जाते हैं। इस दृश्य को लक्ष्यकर कवि कहता है कि बादलों के आने से हवा को अतीव प्रसन्नता होती है और वह मेघ के आगे नाचती-गाती चलकर उसका स्वागत करने लगती है।
प्रश्न 6.
मेघ के आने से गाँव के वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ने लगा?
उत्तर :
मेघों के आने से गाँव का वातावरण बदलने लगता है। हवा चलने लगती है। पेड़ झुक-झुक कर हिलने लगते हैं। धूल उड़ने लगती है। बिजली चमकने लगती है और लताएं झूमने लगती हैं। रिमझिम वर्षा होने लगती है और सारा वातावरण प्रसन्नता से भरकर उल्लसित हो जाता है।
प्रश्न 7.
'बाँध टूटा झर-झर'-वह कौनसा बाँध था जो टूट गया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मेघ रूपी प्रवासी प्रियतम के आने पर प्रतीक्षा-आतुर लता रूपी नायिका ने पहले तो उलाहना दिया, फिर अपने भ्रम को लेकर क्षमा याचना की, फिर दोनों प्रेमी एक-दूसरे से मिले। उनके मिलन में अश्रुओं का बाँध टूटकर वर्षा के रूप में झर-झर बहने लगा। इस प्रकार विरहिणी नायिका के आनन्द से उद्वेलित अश्रुओं का बाँध था, वह टूट गया और वर्षा के रूप में झर-झर बहने लगा।
प्रश्न 8.
लोगों ने किसलिए अपनी खिड़कियों और दरवाजे खोल दिए?
उत्तर :
लोगों ने वर्षा रूपी शहरी मेहमान के आने पर उसकी सज-धज देखने के लिए अपने-अपने घरों की खिड़कियाँ और दरवाजे खोल दिए।
प्रश्न 9.
मेघ के आगमन से क्षितिज का कैसा दृश्य उपस्थित हुआ?
उत्तर :
बादलों के आ जाने के कारण क्षितिज रूपी अटारी के वातावरण में परिवर्तन हो गया। उस पर बादलों की घटाएँ छा गयीं। रह-रह कर बिजलियाँ चमकने लगीं। कुछ देर में ही क्षितिज रूपी अटारी का दृश्य मेघमय हो गया, फिर झर-झर वर्षा होने लगी। इस प्रकार वर्षा का दृश्य सुहावना हो गया और सभी को मनभावन लगने लगा।
प्रश्न 10.
ताल द्वारा परात भरकर पानी लाने के द्वारा कवि ने किस भारतीय ग्रामीण सांस्कृतिक परम्परा की ओर संकेत किया है?
उत्तर :
पहले हमारी ग्रामीण संस्कृति में मेहमान (दामाद) के आने पर उसके स्वागत में सर्वप्रथम पैर धोने की परम्परा थी। इस परम्परा का निर्वहन कामदार, नाई या कहार परात में जल भर कर लाते थे और पैर धोकर करते थे। पैर ' धुलाई में धोने वाले को नेग मिलता था। कवि ने यहाँ इसी भारतीय ग्रामीण सांस्कृतिक परम्परा की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 11.
मेघ के आगमन की तुलना किससे और क्यों की गई है?
उत्तर :
मेघ के आगमन की तुलना सजे-सँवरे शहरवासी अतिथि (दामाद) से की गई है। बहुत दिनों के बाद आने वाले दामाद का उसकी ससुराल में काफी इन्तजार किया जाता है, उसी प्रकार जब लोग गर्मी के महिनों में तपन से काफी व्याकुल हो जाते हैं, तो वे गर्मी से छुटकारा पाने के लिए मेघ का इन्तजार करते हैं। किसान भी फसल की बुवाई-सिंचाई के लिए वर्षा लाने वाले मेघों का इन्तजार करते हैं। इस प्रकार पाहुन (दामाद) और मेष दोनों की प्रतीक्षा बड़ी बेचैनी से की जाती है। इसी कारण मेघ की तुलना पाहुन से की गई है।
प्रश्न 12.
'मेघ आए' कविता में पीपल और ताल को किन-किन रूपों में चित्रित किया गया है?
उत्तर :
'मेघ आए' कविता में पीपल को बुजुर्ग पेड़ के रूप में चित्रित किया गया है जो कि बड़े आदर से आगे बढ़कर मेहमान की अगवानी करता है। ताल को ऐसा व्यक्ति बताया है जो पाहुन (दामाद) को आया देखकर प्रसन्न होता है और उसके पैर धुलवाने के लिए परात लेकर खड़ा रहता है। अर्थात् पीपल का पेड़ तथा ताल दोनों को आये हुए अतिथि का स्वागत-सत्कार करने वाला चित्रित किया गया है।
प्रश्न 13.
'मेघ आए' कविता में मेहमान को आया देखकर लता को क्या-क्या प्रतिक्रिया करते दिखाया गया है?
अथवा
लता का मानवीकरण कर उससे क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करायी गई है?
उत्तर :
'मेघ आए' कविता में लता को नवविवाहिता या नायिका का रूप दिया गया है, जो साल भर से अपने प्रवासी प्रियतम (मेघ) का इन्तजार कर रही है। जब मेघ रूपी प्रियतम आता है, तो लता सिहर उठती है, वह लाज के मारे दरवाजे की ओट में (पेड़ की टहनियों में) छिप जाती है। वह बड़े-बूढों के सामने प्रियतम मेघ के पास जाने में शर्म महसूस करती है या मान करने से स्वयं सामने नहीं जाती है। उस समय उसमें व्याकुलता और नाराजगी दोनों है। वह सालभर बाद आये प्रियतम से मिलने को आतुर भी है, तो कुछ रुष्ट भी है। इसी से ओट में खड़ी होकर प्रियतम को देख रही है।
प्रश्न 14.
'मिलन के अश्रु ढरके' से कवि क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
'मेघ आए' कविता में कवि ने यह भाव व्यक्त किया है कि सालभर तक इन्तजार करने के बाद प्रवासी प्रियतम अपनी विरहिणी नायिका से मिलने आया। तब व्याकुल लता रूपी नायिका ने उसे उलाहना दिया कि 'बरस बाद सुधि लीन्ही'। साथ ही उसने अपने मन के भ्रम के मिट जाने पर प्रसन्नता भी व्यक्त की और वह खुशी से प्रियतम से मिली। मिलन के उस मधुर-क्षण में उसके नेत्रों से खुशी के अश्रु बहने लगे अर्थात् उसने अपनी खुशी प्रकट की।
प्रश्न 15.
'गाँठ खुल गई अब भरम की'-लोगों का भ्रम क्या था जो टूट गया? 'मेघ आए' कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
ग्रीष्मकाल के बाद सभी जीव बेचैनी से वर्षा का इन्तजार करने लगे। परन्तु मेघों के आने में कुछ विलम्ब हो गया। तब सभी के मन में यह भ्रम उत्पन्न हो गया कि इस बार मेघ आयेंगे या नहीं आयेंगे, वर्षा होगी या नहीं होगी? लोगों का यह भ्रम चल ही रहा था कि तभी मेघ आ गये। इसलिए उनके भ्रम की गाँठ खुल गई, अर्थात् लोगों का भ्रम टूट गया।
प्रश्न 16.
मेघ के आने पर पेड़ अपनी प्रसन्नता कैसे व्यक्त करने लगे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि वर्णन करते हुए बताता है कि जब पेड़ों के पास से बयार चलने लगी तो उन्हें मेघ के आने की खबर मिल गई। उससे वे बहुत प्रसन्न हो गये। तब पेड़ अपनी गर्दन उचकाकर मेघ को देखने की कोशिश करने लगे। फिर वे प्रसन्नता से कुछ झुक गये और मेघ रूपी मेहमान के प्रति शिष्टाचार व्यक्त करने लगे। वे मेघ के स्वागत में अपनी डालियाँ हिलाने-डुलाने लगे, साथ ही आदर से उसे निहारने लगे।
कवि-परिचय - 'नयी कविता' के सशक्त कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म बस्ती (उ.प्र.) में सन् 1927
में हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद ये कुछ दिनों तक आकाशवाणी में सहायक प्रोड्यूसर रहे। फिर 'दिनमान' पत्रिका के उपसम्पादक एवं चर्चित 'पराग' बाल-पत्रिका के सम्पादक बने। 'काठ की घण्टियाँ', 'बाँस का पुल', 'एक सूनी नाव', 'गर्म हवाएँ', 'कुआनो नदी' इत्यादि इनके काव्य-संग्रह हैं। इन्होंने कहानी, उपन्यास, निबन्ध एवं बाल-साहित्य प्रचुर मात्रा में लिखा। इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 1983 में उनका निधन हो गया।
पाठ-परिचय - पाठ में सर्वेश्वरजी की 'मेघ आए' शीर्षक कविता संकलित है। इसमें उन्होंने मेघों के आने की तुलना सजकर आये प्रवासी अतिथि (दामाद) से की है। ग्रामीण परिवेश में मेघों के आने से सर्वत्र उल्लास छा जाता है, इसी प्रकार वहाँ के परिवेश में दामाद के आने से आनन्दमय अनुभूति होती है। कवि ने इसी भाव का सजीव एवं आकर्षक वर्णन किया है।
भावार्थ एवं अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न
मेघ आए
1. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के!
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूघट सरके।
मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के।
कठिन-शब्दार्थ :
भावार्थ : कवि सर्वेश्वर वर्णन करते हुए कहते हैं कि बादल रूपी प्रवासी मेहमान बड़े सज-धजकर आ गए हैं। उन बादलों की सूचना देने वाली हवा उनके आगे नाचती-गाती चली आ रही है। उसके आने से मकानों के बन्द दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी हैं। ऐसा लगता है कि शहर से आये मेहमान (दामाद) को देखने के लिए गली-गली में बन्द दरवाजे एवं खिड़कियाँ खोली जा रही हैं, ताकि घरों के लोग इस शहरी मेहमान को देख सकें। इस तरह मेघ गाँव में मेहमान की तरह सज-धजकर आ गया है।
कवि कहता है कि बादलों के आने की सूचना हवा से मिल जाने पर पेड़ भी खुशी से झूम रहे हैं और सिर झुकाकर देखते हुए फिर गर्दन ऊँची कर रहे हैं । अर्थात् हवा के चलने से पेड़ कुछ झुक रहे हैं, फिर सीधे हो रहे हैं। इस तरह वे व्याकुलता से बार-बार अपनी गर्दन उचकाकर देख रहे हैं । आँधी चलने से गलियों की धूल उठकर अन्यत्र जाने लगी, इससे ऐसा लग रहा है कि जैसे गाँव की कोई लड़की अपना घाघरा उठाये भागी जा रही है। नदी कुछ रुककर बादलों को उसी प्रकार देखने लगी, जिस प्रकार गाँव की कोई स्त्री मेहमान को देखने के लिए अपने पूंघट को थोड़ा-सा हटाकर और लज्जा सहित नेत्रों को कुछ तिरछा करके देखने लगी हो। इस प्रकार बादल मेहमान के रूप में सज-धजकर गाँव में आ गये हैं।
प्रश्न 1. मेघों की तुलना पाहुन से क्यों की गई है? बताइये।
प्रश्न 2. 'पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के' का भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 3. गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने को लेकर कवि ने क्या कल्पना की है?
प्रश्न 4. हवा किस प्रकार चली?
उत्तर :
1. गाँवों में कृषक-समाज वर्षा के लिए मेघों के आने की बेचैनी से प्रतीक्षा करता है और जब दूर से आकाश में मेघ-घटाएँ दिखाई देती हैं, तो गाँव में प्रसन्नता का संचार होने लगता है। इसी प्रकार जब प्रवासी दामाद - ससुराल में आता है, तो सभी को प्रसन्नता होती है और सब उसके आगमन को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। इसी कारण मेघों की तुलना पाहुन से की गई है।
2. गाँव के रहन-सहन और शहर के रहन-सहन में अन्तर होता है। गाँवों के लोगों में शहरों के प्रति अधिक उत्सुकता रहती है। इसीलिए जब पहली बार बादल आये, तो गाँव के लोगों में उनके प्रति ऐसी उत्सुकता जागी, जैसे शहरी मेहमान के आने पर जगती है।
3. मनोरम मेघों को देखने के लिए गली-गली में दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं। इस सम्बन्ध में कवि ने यह कल्पना की है कि प्रवासी बादल रूपी मेहमान (दामाद) के आने की सचना मिलने से गाँव के लोगों में उत्सकता जागी। मेहमान को देखकर उससे स्वागत-सत्कार की बातें कर सकें, इस दृष्टि से लोगों ने दरवाजे-खिड़कियाँ खोल दीं।
4. हवा मेघ रूपी पाहुन के आगे-आगे नाचती-गाती हुई चली।
2. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
'बरस बाद सुधि लीन्हीं' -
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवरे के।
क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
'क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की',
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
कठिन-शब्दार्थ :
भावार्थ : कवि कहता है कि सजे-धजे मेहमान के रूप में बादल को आया देखकर बढे पीपल ने पीपल ने गाँव के बजर्ग.. सम्मानित व्यक्ति के रूप में इस मेहमान का अभिवादन या स्वागत किया। गर्मी से व्याकुल लता ने दरवाजे की ओट में होकर उलाहना देते हुए कहा कि तुम्हें पूरे एक साल बाद मेरी याद आयी। मेघ को सज-धजकर आये मेहमान रूप में देखकर तालाब प्रसन्न हो उठा और वह परात में पानी भरकर (मेहमान के पैर धोने हेतु) लाया।
आकाश में उमड़ते हुए बादलों को देखकर कवि कहता है कि उसी समय क्षितिज रूपी अटारी पर मेघ छाने लगे मध्य में बिजली चमकने लगी। अब तक लोगों को भ्रम था कि पता नहीं बादल आयेंगे या नहीं, अबकी बार बरसेंगे या नहीं। परन्तु बिजली चमकने से अब वह भ्रम दूर हो गया। साथ ही प्रवासी मेहमान (दामाद) के अटारी पर पहुंचते ही उसकी नायिका का भी भ्रम समाप्त हो गया। तब उसने मेहमान से कहा कि 'आपके आगमन को लेकर मेरे मन में जो भ्रम था, अब वह मिट गया है। आप मुझे माफ कर दें।' यह सुनते ही मेहमान (बादल) के सब्र का बाँध टूट गया और उस मिलन-वेला में प्रिया-प्रिय के नेत्रों से अश्रुपात होने लगा, अर्थात् मूसलाधार वर्षा होने लगी। इस प्रकार मेघ बन-ठनकर मेहमान की तरह गाँव में आये।
प्रश्न 1. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर किसका स्वागत किया और क्यों?
प्रश्न 2. 'बरस बाद सुधि लीन्हीं'-किवाड़ की ओट लिए लता ने ऐसा क्यों कहा?
प्रश्न 3. ताल पानी की परात लेकर क्यों आया?
प्रश्न 4. भ्रम की कौन-सी गाँठ खुल गई है, जिसके लिए क्षमा मांगी गई है?
उत्तर :
1. बढे पीपल ने गाँव का बजर्ग और सम्मानित व्यक्ति होने के नाते. मेहमान रूप में पधारे मेघ का स्वागत किया। क्योंकि बादल ऐसा प्रवासी मेहमान था, जो एक वर्ष बाद आया था। सब लोग उसके आगमन की प्रतीक्षा में थे। जब वह आया तो सम्मान की दृष्टि से उसका स्वागत किया गया।
2. वर्षा ऋतु या बरसात साल में एक बार आती है। लता रूपी नायिका कुछ लजित होकर, किवाड़ की ओट लिए अपने प्रवासी मेहमान (नायक) से बोली कि तुम्हें पूरे एक वर्ष बाद हमारी याद आयी है। लता रूपी युवती ने बादल रूपी प्रिय से हृदयगत शिकायत या उलाहने के रूप में ऐसा कहा।
3. भारत की प्राचीन संस्कृति में घर आये मेहमान के पैर धोने की परम्परा प्रचलित रही। आज भी देश के कुछ भागों में मेहमान के पैर धोए जाते हैं, मेहमान यदि दामाद हो, तो फिर उसे पूज्य माना जाता है। तालाब भी प्रसन्न होकर मेहमान रूप में आये मेघ के पैर धोने के लिए पानी की परात लेकर आया।
4. गाँव के लोगों को मेहमान रूपी बादलों के समय पर आने और बरसने को लेकर भ्रम था, परन्तु बादल ठीक समय पर आ गये। इस कारण गाँव वालों की और लता रूपी नायिका की यह भ्रान्ति मिट गई, उनका भ्रम समाप्त हो गया। इसी निमित्त मेहमान से मिलने पर क्षमायाचना की गई है।