RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

RBSE Class 9 Hindi कैदी और कोकिला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी? 
उत्तर : 
अर्द्धरात्रि में कोयल की कूक सुनकर कवि सोचता है कि कोयल उसे कुछ बताना चाहती है। इसीलिए वह चीख रही है। वह जेल में बन्द कैदियों या स्वाधीनता-सेनानियों के लिए कुछ विशेष सन्देश लेकर आयी है। कवि पुनः सोचता है कि या तो वह मेरा दुःख बाँटना चाहती है या उसकी यातनाओं को देखकर आँसू बहा रही है। वह इस तरह हमें अंग्रेज-शासन के विरुद्ध क्रान्ति का सन्देश देना चाहती है। 

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प्रश्न 2. 

कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की सम्भावना बताई? 
उत्तर :
कवि ने कोकिल के बोलने के निम्नलिखित कारणों की सम्भावना व्यक्त की है -  

  1. कोयल कैदियों के मन में स्वतन्त्रता की भावना जगाने आयी है। 
  2. कवि को मिल रही यातनाओं के प्रति सहानुभूति जताने के लिए आयी है। 
  3. वह अपनी कूक के माध्यम से स्वतन्त्रता सेनानियों के लिए किसी का सन्देश दे रही है। 
  4. उसने सारे देश में क्रान्ति रूपी दावानल की ज्वालाएँ देख ली हैं। 
  5. वह रणभेरी बजाने तथा विद्रोह के बीज बोने के लिए आह्वान कर रही है। 
  6. सघन अंधकार में वह अपनी वेदना के बोझ से दबने कूकने लगी है। 

प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?। 
उत्तर : 
तत्कालीन ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है, क्योंकि वे क्रान्तिकारियों को जेल की काली दीवारों के भीतर कैद कर देते थे, वे उन्हें तरह-तरह की यातनाएँ देते थे और उनके साथ कोल्हू के बैल की तरह दुर्व्यवहार करते थे।

प्रश्न 4. 
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यन्त्रणाओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर : 
पराधीन भारत की जेलों में कैदियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं - 

  1. वहाँ कैदियों को अत्यन्त छोटी कोठरियों में रखा जाता था। 
  2. उन्हें भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था। 
  3. उनसे कठोर परिश्रम कराया जाता था। इस दृष्टि से कोल्हू खींचना, गिट्टियाँ तोड़ना, पानी चरस से खींचना तथा अन्य कठोर कार्य करवाये जाते थे। 
  4. बात-बात पर जेल के अधिकारी व पहरेदार गालियाँ देते थे, मारते-पीटते थे। 
  5. राजनैतिक कैदियों को चोरों, लुटेरों एवं बटमारों के साथ रखा जाता था। 
  6. कैदियों को अपनी बात कहने का अवसर नहीं दिया जाता था। 
  7. उनके स्वास्थ्य एवं सुख का कोई ध्यान नहीं रखा जाता था। 

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प्रश्न 5. 
भाव स्पष्ट कीजिए 
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो! 
उत्तर :
यह संसार दुःख का सागर है। यहाँ कष्ट ही कष्ट है। यदि कहीं मृदुलता और सरलता दिखलायी पड़ती है तो वह केवल कोयल के मधुर स्वर में ही है। इसलिए कोयल ही मृदुलता की रखवाली करने वाली है। अतः कवि उससे जानना चाहता है कि यहाँ कारावास में अपनी मधुर कूक के माध्यम से वह उससे क्या कहना चाहती है। 

(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
उत्तर :
पराधीनता काल में अंग्रेज जेल में कैदियों से कठोर श्रम कराते थे। उस समय कैदी के पेट पर जुआ बाँधकर कुएँ से चरस से पानी खिंचवाया जाता था। उनके साथ पशुओं जैसा क्रूर व्यवहार किया जाता था। फिर भी वह हार नहीं माना था। कवि का मानना है कि ऐसा काम करने से अंग्रेजों की अकड़ खत्म हो जायेगी और वे यहाँ से चले जायेंगे, अर्थात् ब्रिटिश शासन का अन्त हो जायेगा। 

प्रश्न 6.
अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है? 
उत्तर : 
कवि को अंदेशा है कि कोयल कैदियों पर होने वाले अत्याचारों को देखकर द्रवित हो उठी है जिसके कारण आधी रात में उसके मुखं से पगला जाने के कारण चीख निकल पड़ी है।

प्रश्न 7. 
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है? 
उत्तर : 
कवि को कोयल से ईर्ष्या इसलिए हो रही है - 

  1. कोयल का बसेरा हरी-भरी डाली पर है, पर कवि काल-कोठरी में कैद है। 
  2. कोयल विस्तृत आकाश में निर्बाध उड़ सकती है, जबकि कवि छोटी-सी कोठरी में सिमटकर बैठा है। 
  3. कोयल की तान को सुनकर लोग प्रशंसा में 'वाह' कह उठते हैं, जबकि कवि को रोना भी मना है। 

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प्रश्न 8. 
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है? 
उत्तर : 
कवि की स्मृति में यह अंकित है कि 

  1. कोयल प्रातःकाल सूर्योदय होने पर अपना मधुर गीत सुनाती थी।
  2. विन्ध्याचल के वनों में झरनों के आसपास वह गीत सुनाती थी। 
  3. तेज हवाओं के झोंकों के मध्य उसने कोयल का मधुर गान सुना था। 

कवि की स्मृति में अंकित ये गीत घायल के घावों पर मलहम लगाने का काम कर सकते हैं, क्रान्तिकारियों में जोश भर सकते हैं, परन्तु अंग्रेजों के अत्याचारों से क्षुब्ध होने से वह सारी मधुर स्मृतियों को नष्ट करना चाहती है। 

प्रश्न 9. 
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है? 
उत्तर : 
अपराधियों को नियन्त्रित रखने के लिए हथकड़ियाँ पहनाई जाती हैं, परन्तु स्वतन्त्रता सेनानियों एवं क्रान्तिकारी देशभक्तों के लिए हथकड़ियाँ गहने या अलंकरण से कम नहीं हैं। इससे उनके महान् त्याग, बलिदान एवं देशप्रेम की व्यंजना होती है। उनका सिर इनके कारण गर्व से ऊँचा उठता है और वे सहर्ष हथकड़ियाँ पहनने को तैयार रहते हैं। इससे उनमें जोश और उत्साह भर जाता है। इसी कारण हथकड़ियों को गहना कहा गया है। 

प्रश्न 10. 
'काली तू - ऐ आली।' इन पंक्तियों में 'काली' शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए। 
उत्तर : 

  1. उक्त पंक्तियों में काली शब्द की आवृत्ति विभिन्न प्रसंगों में और विभिन्न अर्थों में हुई है। इसलिए यहाँ शब्दगत यमक अलंकार का चमत्कार है। यहाँ 'काली' शब्द के विभिन्न अर्थ देखिए-
  2. जैसे काला रंग, काले कारनामे, काली काल कोठरी, काली लहर, काली कल्पना, काली कम्बल आदि। 

प्रश्न 11. 
काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए - 
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं? 
उत्तर : 
भाव-सौन्दर्य - स्वतन्त्रता-संग्राम की आग दावानल की भाँति सारे देश में फैल चुकी थी। कवि को लगता है कि कोयल ने भी इस क्रान्ति की आग को देख लिया है। 

शिल्प-सौन्दर्य - दावानल की ज्वालाएँ में रूपक अलंकार है। वैसे दावानल को स्वतन्त्रता हेतु क्रान्ति का प्रतीक बताया गया है। इसमें मानवीकरण एवं प्रश्न-शैली है। शब्दावली तत्सम-प्रधान है। 

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(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह। 
देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी! 
उत्तर : 
भाव-सौन्दर्य - कोयल का जीवन स्वतन्त्र एवं निर्बाध है, जबकि कवि का जीवन यातनापूर्ण है। कोयल अपने मधुर गीतों से सभी को प्रिय लगती है, जबकि कवि का रोना भी अपराध है। कोयल की कूक अतीव प्रेरणादायी है। 

शिल्प-सौन्दर्य - वर्णावृत्ति से अनुप्रास अलंकार है। खड़ी बोली एवं उर्दू का प्रयोग तथा मानवीकरण की योजना प्रशस्य है। रचना और अभिव्यक्ति 

प्रश्न 12. 
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा, लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?  
उत्तर : 
यह निश्चित है कि कवि ने अन्य पक्षियों के चहकने के स्वर को भी सुना होगा लेकिन उसने कोयल की ही बात इसलिए की क्योंकि कोयल का मधुर स्वर उसे प्रभावित कर गया होगा और उसकी कोमल भावनाओं को छ गया होगा। 

प्रश्न 13. 
आपके विचार में स्वतन्त्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा? 
उत्तर : 
ब्रिटिश शासन स्वतन्त्रता सेनानियों को अधिक परेशान करने के लिए ऐसा करता था। वह स्वतन्त्रता सेनानियों को नीचा दिखाना चाहता था, उन पर राजद्रोह जैसा गम्भीर अपराध लगाकर मानसिक तौर पर उन्हें कमजोर करना चाहता था। वे भारतीयों की आजादी की माँग को घोर अपराध मानते थे। इस कारण वे कठोर व्यवहार करते थे और उन्हें मानसिक स्तर पर तोड़ने की दृष्टि से उन्हें चोरों, अपराधियों आदि के साथ ही कारावास में रखते थे। 

पाठेतर सक्रियता - 

पराधीन भारत की कौन-कौनसी जेलें मशहूर थीं, उनमें स्वतन्त्रता सेनानियों को किस-किस तरह की यातनाएँ दी जाती थीं? इस बारे में जानकारी प्राप्त कर जेलों की सूची एवं स्वतन्त्रता सेनानियों के नामों को राष्ट्रीय पर्व पर भित्तिपत्रिका के रूप में प्रदर्शित करें। 
उत्तर : 
पराधीन भारत की प्रसिद्ध जेलें - 
(1) पोरबन्दर की जेल, (2) पूना की यरवदा जेल, (3) इलाहाबाद (नैनी) की जेल, (4) कोलकाता जेल, (5) अजमेर जेल, (6) देहरादून जेल, (7) पटना जेल इत्यादि। इन जेलों में कोल्हू चलाना, गिट्टियाँ तोड़ना, चक्की एवं रहँट चलाना, चरस से पानी खींचना तथा सरकारी कार्यालयों के लिए फर्नीचर, दरियाँ आदि बनाने का काम यातनापूर्वक कराया जाता था। (शेष छात्र स्वयं करें)। 

स्वतन्त्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारकर हृदय-परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। पता लगाइए कि इस दिशा में कौन-कौनसे कार्यक्रम चल रहे हैं? 
उत्तर : 
स्वतन्त्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारने के लिए अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं 

  1. जयपुर आदि शहरों में खुली जेल बनाई गई हैं। 
  2. जेलों में नशा-मुक्ति केन्द्र संचालित हो रहे हैं। 
  3. अपराधियों के हृदय-परिवर्तन के लिए समय-समय पर जेलों में धार्मिक प्रवचनों का आयोजन किया जा रहा है। 
  4. जेलों में लघु कुटीर उद्योगों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है ताकि भविष्य में वे स्वावलम्बी बन सकें। 
  5. जेलों में शिक्षा-सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। कम्प्यूटर प्रशिक्षण के कार्यक्रम चल रहे हैं। 
  6. अपराधियों के साथ मानवीय व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें आत्म-सुधार का अवसर दिया जा रहा है।

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RBSE Class 9 Hindi कैदी और कोकिला Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
'कैदी और कोकिला' कविता के माध्यम से कवि ने वर्णन किया है -
(क) भारत की पराधीनता का। 
(ख) पराधीन भारत की जेलों में स्वतंत्रता सेनानियों को दिए जाने वाले कष्टों का 
(ग) कारावास के कैदियों की स्थिति का 
(घ) जेलों में होने वाली असुविधाओं का। 
उत्तर : 
(ख) पराधीन भारत की जेलों में स्वतंत्रता सेनानियों को दिए जाने वाले कष्टों का 

प्रश्न 2. 
कोयल गाने लगी है 
(क) बसंत की मौज में आकर 
(ख) खिले हुए फूलों को देखकर 
(ग) अंग्रेज सरकार के अत्याचारों से क्षुब्ध होकर 
(घ) रात्रिकालीन मादक वातावरण को देखकर। 
उत्तर : 
(ग) अंग्रेज सरकार के अत्याचारों से क्षुब्ध होकर

प्रश्न 3. 
कवि ने कोयल की आवाज को 'क' कहा है क्योंकि 
(क) आवाज तीखी होने के कारण 
(ख) दुःख और वेदना की अनुभूति होने के कारण 
(ग) आवाज में भय व्याप्त होने के कारण 
(घ) आवाज में मधुरता होने के कारण। 
उत्तर : 
(ख) दुःख और वेदना की अनुभूति होने के कारण 

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प्रश्न 4. 
कवि को कारावास में सहने पड़े थे -
(क) दुःख 
(ख) कष्ट 
(ग) भूख 
(घ) अमानवीय यातनाएँ। 
उत्तर : 
(घ) अमानवीय यातनाएँ।

प्रश्न 5. 
कवि ने ब्रिटिश राज्य का गहना कहा है - 
(क) पराधीनता को 
(ख) अन्याय-अत्याचार को 
(ग) हथकड़ियों को 
(घ) उसकी अमानवीयता को। 
उत्तर : 
(ग) हथकड़ियों को

बोधात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
कवि द्वारा जेल में कोयल से ही बात करने से क्या व्यंजित हुआ है? 
उत्तर : 
कवि स्वाधीनता-सेनानी है और अंग्रेजों ने उसे जेल में डाला है। वहाँ पर अंग्रेज अधिकारी उसके साथ अनेक तरह से दुर्व्यवहार और अत्याचार करते हैं और अनेक यातनाएँ देते हैं। कोयल आधी रात में क्रान्तिकारी बन्दियों को कुछ सन्देश देना चाहती है। इसी बात का आभास होने से कवि कोयल से बात करना चाहता है। 

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प्रश्न 2. 
कविता के आधार पर बताइए कि कवि को कोयल का आधी रात में कूकने का क्या कारण प्रतीत होता है? 
उत्तर : 
कवि को कोयल का असमय ही अर्थात् आधी रात में कूकने का यह कारण प्रतीत होता है - 
1. कोयल जिस वैभव की रखवाली कर रही थी, वह लुट गया था। 
2. कोयल ने जंगल में दावानल की भीषण ज्वालाएँ देखी थीं, जिससे उसे क्रान्ति फैलने का आभास हो रहा था। 

प्रश्न 3. 
'दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखी?' इसमें 'दावानल' का प्रतीकार्थ क्या है? 
उत्तर : 
इसमें दावानल का प्रतीकार्थ देश में सर्वत्र तीव्र गति से फैलने वाली क्रान्ति है। वन में आग की लपटों की तरह देश में क्रान्ति की लपटें फैलने लगी हैं, ब्रिटिश-शासन को विनष्ट करने लगी हैं। 

प्रश्न 4. 
कैदी के रूप में कवि को जेल में क्या-क्या काम करना पड़ता है? 
उत्तर : 
कैदी के रूप में कवि को जेल में निम्नलिखित काम करना पड़ता है-

  1. उससे कोल्हू पर काम लिया जाता है। 
  2. पेट पर जूआ बाँधकर मोट से पानी खिंचवाया जाता है। 
  3. पत्थरों को तोड़कर गिट्टियाँ बनवाई.जाती हैं। 

प्रश्न 5. 
कवि और कोयल की स्थिति में क्या विषमता है? 
उत्तर : 
कवि और कोयल की स्थिति में यह विषमता है कि कोयल का जीवन स्वतन्त्र है, वह हरी-भरी डालियों पर बैठती है तथा अनन्त आकाश में विचरण करती है। इसके विपरीत कवि कारावास की एक छोटी-सी कोठरी में कैद है। उसे वहाँ घूमने-फिरने और बोलने तक की भी आजादी नहीं मिली हुई है। वह अपने मन की वेदना भी किसी से व्यक्त नहीं कर पाता है। 

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प्रश्न 6. 
कोयल अर्द्धरात्रि को क्यों चीख उठती है? 
उत्तर : 
कोयल के मन में अंग्रेजी सरकार के प्रति आक्रोश है। वह अंग्रेजों द्वारा किए जाने वाले दुर्व्यवहारों को देखकर पूरे देश को ही एक कारागार के रूप में देखती है। इसलिए अर्द्धरात्रि को चीख उठती है। 

प्रश्न 7. 
कवि को कोयल का स्वर शंखनाद जैसा प्रतीत क्यों होता है? 
उत्तर : 
कारागार में बन्द कैदी के रूप में कवि को कोयल का मधुर स्वर उसे संघर्ष की प्रेरणा देने वाला प्रतीत होता है और वह उसे देश को जगाने वाली काली माँ सी लगती है इसलिए उसका स्वर शंखनाद सा प्रतीत होता है। 

प्रश्न 8. 
कवि ने कोयल की बोली कब और कहाँ सुनी? उसे सुनकर कवि को कैसा लगा? पठित कविता के आधार पर लिखिए। 
उत्तर :
कवि जब जेल में कैद था, तब अंधेरी रात में कवि ने कोयल की बोली सुनी। जेल की चाहरदीवारी में कवि को कोयल का स्वर बहुत ही करुणाजनक तथा उत्साहवर्धक लगा। उसे लगा कि कोई हमदर्द उसे अंधेरी रात में प्रोत्साहन देने आया है। वह निराशा रूपी अंधकार में भी आशा का संचार करना चाहती है और अपनी प्रेरणाभरी कूक से कवि के मन में उत्साह जगा रही है। 

प्रश्न 9. 
कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर लिखिए कि कोकिला अंधेरे में किसे बेध रही थी और शासन की काली करनी क्या थी? 
उत्तर : 
प्रस्तुत कविता में व्यंजित हुआ है कि कोकिला अंधेरे में कवि के मन की निराशा को बेध रही थी, वह उसके मन में उत्साह जगाना चाहती थी। उस समय अंग्रेज शासकों के काले कारनामों से जेल में बंद देशभक्त निराश थे। अंग्रेज शासक जनता पर अत्याचार कर रहे थे, दासता एवं शोषण-उत्पीड़न की जंजीरों से जकड़ रहे थे। शासन की यही काली करनी थी जिससे भारतीयों का उत्पीड़न हो रहा था। 

प्रश्न 10. 
'गिट्टी पर गान' लिखने से बन्दी कवि का क्या तात्पर्य है? 
उत्तर : 
कवि कहता है कि 'गिट्टी पर अंगुलियों ने लिखे गान!' इससे कवि का तात्पर्य है कि जेल में देशभक्त कैदियों से कठोर-से-कठोर काम करवाये जाते हैं, उनसे पत्थर की गिट्टी तोड़ने का काम कराया जाता है। इतने कष्ट मिलने पर भी कवि ने तथा देशभक्त कवियों ने हार नहीं मानी। कवि ने वहाँ पर देश-प्रेम के गीत लिखे, विदेशी शासकों की अकड कम करने का प्रयास किया। इस तरह कवि ने अपने गीतों को 'गिट्टी पर लिखे गये गान' बताया है। 

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प्रश्न 11. 
कोकिल को 'काली' की संज्ञा देना कहाँ तक उचित है? 
उत्तर :
कवि ने कोयल को 'काली' की संज्ञा दी है। काली यद्धोन्माद एवं शत्रओं का मान-मर्दन करने वाली देवी मानी जाती है। वैसे कोयल का रंग स्वाभाविक रूप से काला होता है। वह अंधेरी रात या काली रात में कवि के पास प्रेरणादायक स्वर बिखेरने आयी है। कोकिल का स्वर आजादी का प्रतीक है, जेल में बन्द देशभक्तों के मन में मुक्त होने की इच्छा का प्रतीक भी है। उसके स्वर में करुणा भी है तो उत्साह भी है। इस तरह वह कवि के साथ ही अन्य देशभक्तों को देश की मुक्ति हेतु संघर्ष करने तथा आन्दोलन छेड़ने की प्रेरणा देने वाली है। इसी आशय से कोकिल की 'काली' संज्ञा सर्वथा उचित है।

प्रश्न 12. 
"अपने चमकीले गीतों को/क्यों कर हो तैराती।" इससे कवि का क्या आशय है? 
उत्तर : 
इससे कवि का आशय है कि कोयल कवि तथा देशभक्त कैदियों के मन में संघर्ष करने तथा देशोद्धार करने का जोश जगाना चाहती है। वह चमकीले गीतों से कवि के मन को कमजोर नहीं, शक्तिशाली बनाना चाहती है, उनमें उत्साह का संचार करना चाहती है। इसीलिए कोकिल अपना स्वर बिखेरती है। 

प्रश्न 13. 
माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य के भावगत सौन्दर्य पर प्रकाश डालिये। 
उत्तर : 
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय काव्यधारा के क्रान्तिकारी एवं ओजस्वी कवि माने जाते हैं। इनकी कविताओं में राष्ट्रीयता तथा देश-प्रेम का स्वर प्रमुखता से सुनाई देता है, जिसमें देशोद्धार हेतु स्वाधीनता आन्दोलन में कूद पड़ने पर सर्वस्व न्यौछावर करने की भावना भरी हुई है। 

प्रश्न 14. 
'कैदी और कोकिला' कविता में निहित सन्देश को अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
'कैदी और कोकिला' कविता में कवि ने कोयल के माध्यम से अंग्रेज सरकार के काले कारनामे तथा कैदियों को दी जाने वाली यातनाओं से परिचित कराते हए. देशवासियों को स्वाभिमान से जीने और अंग्रेज का सन्देश दिया है। साथ ही कवि ने अपने जीवन की स्थिति को प्रस्तुत कर जनमानस के समक्ष स्वतन्त्र और परतन्त्र जीवन के अन्तर का बोध कराया है। 

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प्रश्न 15. 
'कैदी और कोकिला' कविता के आधार पर जेल में बन्द कैदी की दशा पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर : 
जेल की ऊँची दीवारों के अन्दर बनी कालकोठरी में कैदी बन्द रहते थे। उन पर हथकड़ियाँ लगी रहती थीं। उन्हें भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था और न किसी से मिलने दिया जाता था। जेल के अन्दर उनसे कठोर परिश्रम के काम कराये जाते थे, जैसे पत्थर की गिट्टियाँ तोड़ना, कोल्हू चलाना, चरसे से पानी निकालना आदि। जेल के पहरेदारों का व्यवहार उनके साथ अतीव कठोर रहता था। इस प्रकार कैदी रूप में कवि की अत्यन्त दयनीय दशा थी।
 
प्रश्न 16. 
'रोना भी है मुझे गुनाह!' इस कथन से किन स्थितियों की व्यंजना हुई है? 
उत्तर : 
इस कथन से यह व्यंजना हुई है कि स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान देशभक्त बन्दियों को ब्रिटिश सरकार अनेक यातनाएँ देती थी। उनके साथ क्रूर व्यवहार किया जाता था। बात-बात पर उन्हें गाली दी जाती थी और मारा-पीटा जाता था। उन्हें राजनीतिक बन्दी होने पर भी कोई सहूलियत नहीं दी जाती थी और उन्हें चोर-लुटेरों एवं हत्यारोपियों के साथ रखा जाता था। इस प्रकार का अमानवीय व्यवहार होने पर भी वे अपनी व्यथा-कथा किसी से नहीं कह सकते थे। इसी से कवि ने रोना भी गुनाह बताया है। 

प्रश्न 17. 
'कैदी और कोकिला' कविता में कवि ने अन्त में कोयल के समक्ष क्या भाव व्यंजित किया है? 
उत्तर : 
कवि ने कोयल के समक्ष यह भाव व्यंजित किया है कि वह कारागार में बन्द होने से शासन का विरोध नहीं कर पा रहा है। परन्तु वह कोयल से रणभेरी बजाकर देशवासियों को आजादी की लड़ाई के लिए उत्साहित करने को कहता है। वह कोयल की ओजस्वी हुँकार से जोशीली कविताएँ लिख सकता है और जेल में बन्द स्वतन्त्रता सेनानियों में जोश भर सकता है। वह अपनी रचनाओं में महात्मा गाँधी के संकल्प को पूरा करने का आत्मबल मुखरित कर सकता है। इस सम्बन्ध में वह कोयल से सहयोग की अपेक्षा भी व्यक्त करता है। 

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प्रश्न 18. 
कवि आजादी के गीत गाने वाली कोयल के माध्यम से क्या कहना चाहता है? 
उत्तर : 
कवि ने कोयल को स्वाधीनता-संग्राम में ओजस्वी स्वर भरने वाली बताया है। उस समय सारे भारत में पराधीनता से मुक्ति पाने की प्रबल भावना जाग गई थी। एक प्रकार से मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी ऐसा प्रयास कर रहे थे। इसी आशय से कवि कोयल के स्वर से क्रान्ति की ज्वाला फैलने का सन्देश सुनकर कहना चाहता है कि ऐसी ज्वाला दावानल का रूप ले तथा ब्रिटिश शासन का विनाश कर दे। स्वाधीनता सेनानियों के त्याग, बलिदान एवं संघर्ष को देखकर कोयल अंग्रेजों के प्रति विद्रोह के बीज बो रही है, उसका यह कार्य अतीव प्रेरणादायी है। इसलिए कोयल अपने चमकीले स्वर को सब ओर फैलाती रहे। 

प्रश्न 19. 
'कैदी और कोकिला' कविता का प्रतिपाद्य या मूलभाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
'कैदी और कोकिला' कविता में कवि ने स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में जेल में बन्द रहने का कटु अनुभव व्यक्त किया है। उस समय ब्रिटिश शासन का आचरण अत्यन्त क्रूर था। जेल में कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। फिर भी सब ओर स्वतन्त्रता-संग्राम का जोश फैल रहा था। ऐसे विदेशी शासन के प्रति आक्रोश व्यक्त कर कवि ने यह भाव व्यक्त किया है कि यह मधुर गीत गाने का समय नहीं, बल्कि मुक्ति के गीत गाने का समय है। देशवासियों को देशहित में त्याग-बलिदान के लिए तैयार रहने का अवसर है।

कैदी और कोकिला Summary in Hindi

कवि-परिचय - राष्ट्रीय चेतना के प्रखर कवि माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में सन् 1889 में हुआ। मात्र सोलह वर्ष की अवस्था में शिक्षक बने। बाद में अध्यापन कार्य त्यागकर 'प्रभा' पत्रिका का सम्पादन किया। सन् 1968 में इनका देहान्त हो गया। इन्होंने पर्याप्त मात्रा में काव्य रचना की। इन्हें पद्मभूषण एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

पाठ-परिचय - पाठ्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित अतीव प्रसिद्ध कविता 'कैदी और कोकिला' संकलित है। यह कविता भारतीय स्वाधीनता सेनानियों के साथ जेल में किये गये दुर्व्यवहारों और यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है। जेल के एकाकी एवं उदासी भरे वातावरण में रात्रि में जब कोयल अपने मन का दुःख एवं असन्तोष व्यक्त कर स्वाधीनता सेनानियों की मुक्ति का गीत सुनाती है, तो लोगों में अंग्रेजों की अधीनता से मुक्त होने की भावना प्रबल बन जाती है। ऐसे में कवि कोयल को लक्ष्यकर अपनी भावना का प्रकाशन करता है। 

भावार्थ एवं अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न 

कैदी और कोकिला 

1. क्या गाती हो? 
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो! 
क्या लाती हो? 
सन्देशा किसका है? 
कोकिल बोलो तो! 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • रह-रह जाती = चुप हो जाती।
  • कोकिल = कोयल। 

भावार्थ : स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने से कवि को कारागार में जाना पड़ा। तब एक रात उसे वहाँ पर कोयल की कूक सुनाई पड़ती है। वह कहता है कि तुम रात में ही क्यों गाती हो? तुम फिर रह-रह अर्थात् कुछ क्षणों के बाद चुप क्यों हो जाती हो? हे कोयल, बोलो। तुम क्रान्तिकारी देशभक्तों को किसका सन्देश लाती हो? स्वाधीनता संग्राम के कैदियों को तुम क्या सन्देश देती हो? हे कोयल, तुम स्पष्टतया बोलो। 

प्रश्न 1. कोयल अर्द्धरात्रि में क्यों गाने लगती है? 
प्रश्न 2. कवि कहाँ रहकर कोयल से प्रश्न करता है?
प्रश्न 3. 'कैदी और कोकिला' कविता में कोकिला को किसका प्रतीक बताया गया है? 
प्रश्न 4. काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
1. कोयल देखती है कि स्वाधीनता आन्दोलन में भाग लेने वाले भारतीयों को कैद में डालकर अंग्रेज सरकार अत्याचार एवं दमन का व्यवहार करती है, उन्हें कठोर यातनाएँ देती है। अतः यह देखकर कोयल दु:खी होकर संवेदना रूप में गाने लगती है, अंग्रेजों के विरुद्ध चीखने लगती है। 

2. कवि कारागार में रहते हुए कोयल से प्रश्न करता है। वह अपनी कोठरी में बैठा हुआ कोयल का गीत सुनकर जिज्ञासा भी प्रकट करता है। 

3. प्रस्तुत कविता में कोकिला को स्वतन्त्रतापूर्वक जीवनयापन करने वाले तथा कैदियों के प्रति सद्भावना रखने वाले लोगों का प्रतीक बताया गया है। अर्थात् वह स्वतंत्रता का प्रतीक है। 

4. स्वतन्त्रता आन्दोलन काल में कारागार में बन्द कवि अपनी कोठरी में कोयल की कूक सुनकर जिज्ञासा भाव से पूरित होकर उससे पूछने लगता है कि कोयल तुम कूक कर चुप हो जाती हो और फिर कूकने लगती हो। इसके माध्यम से किसका सन्देश सुनाती हो? 

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

2. ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को नहीं देते पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना।
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली, 
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली? 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • बटमारों = लुटेरों। 
  • डेरे में = रहने के स्थान पर। 
  • तम = अँधेरा। 
  • हिमकर = चन्द्रमा। 
  • कालिमामयी - अंधकार से व्याप्त। 
  • आली = सखी। 

भावार्थ : कवि अपने और जेल में बन्द अन्य कैदियों के सम्बन्ध में कोयल से कहता है कि हम क्रान्तिकारी देशभक्त इस जेल की ऊँची काली दीवारों के घेरे में कैद हैं। वस्तुतः यह स्थान तो उनका निवास है जो डाकू, चोर, लुटेरे जैसे अपराधी हैं। जेल में पेट भरकर भोजन नहीं दिया जाता है, जिससे हमें न तो जीने देते हैं और न मरने देते हैं। हम तो यहाँ तड़पते रहते हैं। यहाँ पर अंग्रेज सरकार का हम पर रात-दिन कड़ा पहरा रहता है। अंग्रेज शासन का प्रभाव गहरे अन्धकार के समान है। चन्द्रमा भी अस्त हो गया है, अब हम निराश होकर काली रात में जी रहे हैं। ऐसे में हे काली कोयल, तुम क्यों जाग गई हो? 

प्रश्न 1. कवि कोयल से क्या प्रश्न करता है? 
प्रश्न 2. कवि को कारागार में किनके साथ रखा गया था? 
प्रश्न 3. जेल में कवि के साथ कैसा व्यवहार किया गया? 
प्रश्न 4. 'हिमकर निराश कर चला' का आशय क्या है? 
उत्तर : 
1. कवि कोयल से प्रश्न करता है कि असमय अर्थात् रात में जागकर क्यों करुण क्रन्दन कर रही है? इसका क्या कारण है? 
2. कवि राजनीतिक कैदी था, परन्तु उसे चोर, डाकू आदि भयंकर अपराधी कैदियों के साथ रखा गया था। 
3. जेल में कवि को अन्य कैदियों के साथ ही कोठरी में कैद किया गया। उसको भरपेट भोजन नहीं दिया गया और उसके साथ कठोरता का व्यवहार किया गया। 
4. उस समय रात्रि का घना अंधकार फैला था। जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को अनेक कष्ट दिये जा रहे थे। उन अत्याचारों को देखकर अब चन्द्रमा भी निराश होकर चला गया था-अस्त हो गया था। इस प्रकार वहाँ का वातावरण निराशामय हो गया था। 

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3. क्यों हूक पड़ी? 
वेदना बोझ वाली-सी; 
कोकिल बोलो तो! 
क्या लूटा? 
मृदुल वैभव की 
रखवाली-सी 
कोकिल बोलो तो! 
क्या हुई बावली? 
अर्द्धरात्रि को चीखी, 
कोकिल बोलो तो! 
किस दावानल की 
ज्वालाएँ हैं दीखीं? 
कोकिल बोलो तो! 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • हूक पड़ी = दर्द के स्वर में रो पड़ी। 
  • मृदुल = मधुर। 
  • वैभव = धन-दौलत।
  • बावली = पागल। 
  • दावानल = जंगल में अपने आप फैलने वाली आग। 
  • ज्वालाएँ = आग की लपटें। 

भावार्थ : कवि माखनलाल चतुर्वेदी कोयल से पूछता है कि हे कोयल, इस अँधेरी रात में जब सारा संसार सो रहा है, तब तुम भारी वेदना के बोझ से दर्द के स्वर में क्यों रो पड़ी हो? तुम मधुर वैभव की रखवाली करती-सी कूकी हो तो बताओ कि असल में उस खजाने से क्या लुट गया है? तुम आधी रात में चीख रही हो, क्या पगला गई हो? या तुमने दावानल की तेज लपटें उठती हुई देखी हैं। क्या इसी कारण से तुम चीख रही हो? हे कोयल, तुम अपने चीखने का कारण बताओ। 

प्रश्न 1. 'वेदना बोझ वाली-सी' से क्या अभिप्राय है? 
प्रश्न 2. 'क्या हुई बावली'-कवि ने ऐसा क्यों कहा? 
प्रश्न 3. 'दावानल की ज्वालाएँ' का आशय बताइये। 
प्रश्न 4. 'मृदुल वैभव की रखवाली-सी' कवि ने किसे और क्यों कहा है? 
उत्तर : 
1. उस समय देश अंग्रेजों का गुलाम था, परतन्त्रता की अनेक यन्त्रणाओं से देशवासी परेशान थे। देश की परतन्त्रता .का वह दुःख भारी बोझ के समक्ष कष्टदायी था। 
2. कोयल आधी रात में जोर से कूक रही थी। वह देश की परतन्त्रता एवं जेल में बन्द स्वाधीनता सेनानियों की कष्टमय जिन्दगी को देखकर काफी दुःखी थी। इस असह्य दुःख-वेदना के कारण ही वह बावली-सी चीखने लगी थी। 
3. जंगल में अपने आप सुलगने वाली भयंकर आग को दावानल कहते हैं। प्रस्तुत कविता में कैदियों को दी जाने वाली भयानक यातनाओं को कवि ने 'दावानल की ज्वालाएँ' कहा है। 
4. कोयल को कवि ने 'मृदुल वैभव की रखवाली-सी' कहा है, क्योंकि वह अपने कोमल कंठ से माधुर्य और सरसता की रक्षा करती है और इस संसार के लिए मृदुता बचाए रखती है। 

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4. क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना? 
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना, 
कोल्हू का चर्रक चूँ? जीवन की तान, 
गिट्टी पर अंगुलियों ने लिखे गान! 
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, 
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ। 
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली, 
इसलिए रात में गजब ढा रही आली? 
इस शान्त समय में, 
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो? 
कोकिल बोलो तो! 
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज 
इस भाँति बो रही क्यों हो? 
कोकिल बोलो तो! 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • जंजीरों का गहना = हथकड़ियाँ। 
  • र्रक चूँ = कोल्हू के लोहे के भारी पहियों के चलने से उत्पन्न आवाज।
  • मोट = चरस, चमड़े का एक बड़ा थैला-सा जिससे कुएँ से पानी निकाला जाता है। 
  • जूआ = हल या गाड़ी खींचते समय बैलों के कन्धों पर रखी जाने वाली लकड़ी। 
  • ब्रिटिश अकड़ = अंग्रेजों का अहंकार। 
  • गजब ढा रही = आश्चर्यजनक कार्य कर रही। 
  • विद्रोह-बीज = स्वतन्त्रता-संग्राम के लिए ब्रिटिश-विरोधी प्रखर भावना। 

भावार्थ : स्वतन्त्रता आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने से कवि तथा अन्य क्रान्तिकारी देशभक्तों को अंग्रेज सरकार ने जेलों में डाल दिया था और उन्हें अनेक कठोर यातनाएँ दी गई थीं। फिर भी वे साहसपूर्वक सब कुछ सहन करते रहे। इसी सन्दर्भ में कवि कहता है कि हे कोयल, क्या तुम अर्द्धरात्रि के समय इसलिए क्रन्दन कर रही हो कि हमारे शरीर पर पड़ी ये बेड़ियाँ (जंजीरों के गहने) तुम नहीं देख सकती? ये हम स्वाधीनता सेनानियों के लिए हथकड़ियाँ नहीं हैं, अपितु ये ब्रिटिश-राज द्वारा दिये गये गहने हैं।

अर्थात् इन हथकड़ियों एवं जंजीरों से हम क्रान्तिकारियों की शोभा बढ़ रही है। हमें जेल में कोल्हू खींचना पड़ता है, उसकी चर्रक-यूँ की आवाज को हम जीवन का संगीत मानते हैं। पत्थरों को तोड़कर हम गिट्टियाँ बनाते हैं, उन गिट्टियों पर मानो हमारी अंगुलियाँ गीत लिखती हैं। जेल में मैं पेट पर जुआ बाँधकर मोट या चरस को खींचता हूँ और कुएँ से पानी निकालता हूँ।

कुएँ से पानी निकालने से हम ब्रिटिश-राज के अहंकार के कुएँ को खाली कर रहे हैं। इस तरह अब अंग्रेजों की अकड़ धीरे-धीरे कम हो रही है। हे कोयल! तुम्हें पता है कि दिन में हम क्रान्तिकारियों को घोर यातनाएँ दी जाती हैं, उस समय अंग्रेजों से किसी करुणा की आशा नहीं की जा सकती है। इसी कारण तुम दिन की अपेक्षा आधी रात में कूक कर अतीव आश्चर्यजनक कार्य कर रही हो। अर्थात् हमारे घावों पर मलहम लगाने का काम करने के लिए तुमने यह उचित समय चुना है। 

हे कोयल, अगर यह बात नहीं है, तो इस अर्द्धरात्रि के शान्त समय में, अन्धकार को चीरती हुई क्यों करुण-क्रन्दन कर रही हो? हे कोयल, तुम्हें क्यों पीड़ा हो रही है? तुम इस तरह करुणामयी कूक के द्वारा हमारे हृदय में चुपचाप क्रान्ति क बाज क्या बो रही हो, क्यों इस तरह स्वाधीनता-संघर्ष की गुपचुप तैयारी में संलग्न हो रही हो? कोयल, तुम कुछ तो बताओ! 

प्रश्न 1. कवि ने हथकड़ियों को ब्रिटिश-राज का गहना किस कारण बताया है? 
प्रश्न 2. ब्रिटिश अकड़ का कुआँ कौन खाली कर रहे थे? 
प्रश्न 3. कोयल रात में गजब क्यों ढा रही है? बताइए।
प्रश्न 4. रात में विद्रोह के बीज कौन बो रही है? 
उत्तर : 
1. गहना अर्थात् आभूषणों से हाथ, पैरों आदि की शोभा बढ़ती है। क्रान्तिकारियों को हथकड़ियाँ कष्टदायी नहीं लगीं, इस कारण उन्हें ब्रिटिश राज का दिया हुआ गहना बताया है। 
2. क्रान्तिकारी देशभक्त एवं स्वतन्त्रता सेनानी जो कारागार में बन्द थे, वे ब्रिटिश शासन का प्रबल विरोध कर उसकी अकड़ का कुआँ खाली कर रहे थे। 
3. दिन में तो कैदियों को अनेक यातनाएँ दी जाती थीं, कठोर श्रम का काम कराया जाता था। इसलिए रात में वह कवि के दुःखभरे हृदय पर मलहम लगाने आई है। कवि को उसके सहानुभूति भरे स्वर से संघर्ष करने की बराबर प्रेरणा मिल रही है। इसी दृष्टि से कोयल रात में आश्चर्यजनक काम करने लगी है। 
4. कोयल रात में करुणा कूक के द्वारा स्वाधीनता-सेनानियों के हृदय में चुपचाप विद्रोह के बीज बो रही है। 

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5. काली तू, रजनी भी काली, 
शासन की करनी भी काली, 
काली लहर कल्पना काली, 
मेरी काल-कोठरी काली, 
टोपी काली, कमली काली, 
मेरी लौह-श्रृंखला काली, 
पहरे की हुंकृति की ब्याली, 
तिस पर है गाली, ए आली! 
इस काले संकट-सागर पर 
मरने की, मदमाती! 
कोकिल बोलो तो! 
अपने चमकीले गीतों को 
क्योंकर हो तैराती! 
कोकिल बोलो तो! 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • रजनी = रात। 
  • शासन = अंग्रेज राजा। 
  • करनी = करतूतें। 
  • काल-कोठरी = गम्भीर अपराधी के लिए बनी जेल की अंधेरी कोठरी। 
  • कमली = कम्बल। 
  • लौह-श्रृंखला = लोहे की साँकल। 
  • हुंकृति = हुंकार। 
  • व्याली = साँपिन। 
  • संकट-सागर = भयंकर मुसीबत।
  • मदमाती = मस्ती से भरी हुई। 

भावार्थ : कैदी रूप में कवि कोयल से कहता है कि इस समय सब तरह अंधकार की कालिमा छायी हुई है, तुम काली हो, रात भी काली है और अंग्रेजों की करतूतें भी काली हैं। देश में निराशा रूपी काली लहर फैली हुई है और मन में काली (बुरी) कल्पनाएँ उठ रही हैं। हमारी टोपी और कम्बल का रंग भी काला है। हमारी हथकड़ियाँ या बेड़ियाँ भी काले रंग की हैं। जेल में पहरेदारों की हुंकार भी साँपिन की तरह काली-जहरीली है। उस पर ये लोग बात-बात पर गालियाँ देते हैं। 

कवि कहता है कि हे कोयल, इस समय अपार संकट सामने खड़ा है, इस मुश्किल की घड़ी में तुम मरने को उद्यत क्यों दिखाई देती हो? तुम यहाँ पर हम क्रान्तिकारियों के मस्ती भरे गीत क्यों सुनती हो? तुम भी तो मस्ती से भरी हुई दिखाई देती हो। तुम चमकीले अर्थात् आशा और उत्साह से भरपूर गीतों को क्यों इस कारागार के पास तैरा रही हो? रात्रि में कारागार के समीप क्यों घूम-फिरकर ओज-तेज. का संचार कर रही हो? हे कोयल, तुम कुछ स्पष्ट कहो, कुछ तो बोलो। 

प्रश्न 1. पद्यांश में 'काली' शब्द का बार-बार प्रयोग क्यों किया गया है? 
प्रश्न 2. 'काले संकट-सागर' से कवि का आशय क्या है? 
प्रश्न 3. जेल के पहरेदारों का व्यवहार कैसा है? 
प्रश्न 4. 'चमकीले गीतों' से क्या अभिप्राय है? बताइए। 
उत्तर : 
1. कवि बताना चाहता है कि परतन्त्र भारत में सर्वत्र निराशा रूपी अन्धकार व्याप्त है। प्रत्येक वस्तु काली है, काली करतूतों के कारण अन्याय, अत्याचार, दमन एवं उत्पीड़न से भारतीयों को कष्ट झेलने पड़ रहे हैं। संकटों का सागर भी काला दिखाई दे रहा है। इस तरह निराशा, कष्ट, वेदना एवं समय की विकटता आदि की व्यंजना करने के लिए 'काली' शब्द का बार-बार प्रयोग किया गया है। 

2. इससे कवि का आशय यह है कि जेल के अन्दर अंग्रेज अफसर स्वाधीनता- सेनानियों एवं क्रान्तिकारियों के . साथ अमानवीय बर्ताव करते हैं, वे उन्हें कठोर यातनाएँ देते हैं। जेल से बाहर आम जनता पर नाना प्रकार के अत्याचार एवं दमन करके उनका जीवन नारकीय बना दिया है। इससे भयानक संकट का काल आ गया है। 

3. कैदियों पर पहरेदारी में नियुक्त अंग्रेज अमानवीय व्यवहार करते हैं। वे कैदियों को अनेक तरह से यातनाएँ देते हैं तथा बात-बात पर गाली भी देते रहते हैं। 

4. कारागार में अँधेरा व्याप्त है, वहाँ पर कैद स्वाधीनता-सेनानियों के मन में भी कुछ अनिश्चय की स्थिति है। ऐसे में कोयल की कूक से उनमें कुछ आशा और उत्साह का संचार हो रहा है। इसी विशेषता से कोयल की कूक को चमकीले गीत कहा गया है। 

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6. तुझे मिली हरियाली डाली, 
मुझे नसीब कोठरी काली! 
तेरा नभ-नभ में संचार 
मेरा दस फुट का संसार! 
तेरे गीत कहावें वाह, 
रोना भी मुझे गुनाह! 
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी! 
इस हुंकृति पर, 
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ? 
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर, 
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ! 
कोकिल बोलो तो! 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • नसीब = भाग्य। 
  • नभ = आकाश। 
  • कहावें = कहलाते हैं। 
  • वाह = प्रशंसात्मक। 
  • गुनाह = अपराध। 
  • विषमता = असमानता। 
  • रणभेरी = युद्ध का नगाड़ा। 
  • हुंकृति = हुंकार, गर्जना। 
  • कृति = रचना। 
  • मोहन = मोहनदास कर्मचन्द गाँधी। 
  • आसव = तरल पदार्थ, रस, मदिरा। 

भावार्थ : अपनी तुलना कोयल से करता हुआ कवि कहता है कि हे कोयल, तुझे तो रहने-बैठने के लिए हरी भरी टहनी मिली है, पर मेरे भाग्य में जेल की यह काल कोठरी है, तू असीम आकाश में घूमती-फिरती है, परन्तु मेरी दुनिया दस फुट के कमरे में अर्थात् जेल की छोटी कोठरी में सिमट गई है। तेरे मधुर गीत (कूक) को सुनकर लोग प्रशंसा में वाह-वाह कहते हैं और मेरे लिए तो रोना भी अपराध या पाप है। हम दोनों में इतनी विषमता है, यह देखकर भी तुम युद्ध का नगाड़ा बजा रही हो, अथात् हमें स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए संघर्षरत रहने के आश्चर्यजनक है। 

हे कोयल, तुम्हारी इस हुंकार को सुनकर मैं पूछना चाहता हूँ कि अपनी रचना से मैं और क्या कर सकता हूँ? कोयल तुम मुझे बताओ। मोहनदास कर्मचन्द गाँधी अर्थात् महात्मा गाँधी ने देश को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए जो दृढ़ संकल्प लिया उसे पूरा करने के लिए मैं अपने प्राणों का आसव किसमें भर दूं, अर्थात् अपनी प्राणशक्ति किसे दे दूँ? हे कोयल, तुम कुछ तो बताओ और कुछ तो इस विषय में बोलो।

प्रश्न 1. 'मेरा दस फुट का संसार' से क्या आशय है? 
प्रश्न 2. 'रोना भी है मुझे गुनाह!' इससे कवि की किस दशा का पता चलता है? 
प्रश्न 3. कवि किस हुंकृति की बात कर रहा है? 
प्रश्न 4. 'प्राणों का आसव' से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर : 
1. कवि जेल की जिस काल-कोठरी में रह रहा है, उसका क्षेत्रफल एकदम कम है। वह सिर्फ दस फुट लम्बी-चौड़ी है और कवि को उसी में सिमटकर रहना पड़ता है। 'मेरा दस फुट का संसार' का यही आशय है। 

2. इससे कवि की उस स्थिति के बारे में पता चलता है कि वह जेल में रोकर भी अपने हृदय की वेदना को कम नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसा करने से लोग उसे कमजोर समझेंगे और क्रान्तिकारी देशभक्तों का इस तरह रोना या अपनी कमजोरी दिखाना देश-हित में नहीं रहेगा। जेल में रोने से उस पर कोई दया नहीं करेगा, अपितु उसे दोषी ही मानेगा। 

3. कवि कोयल की उस हुंकृति की बात कर रहा है, जिसके द्वारा वह जेल में बन्द स्वतन्त्रता सेनानियों तथा पराधीन भारतीयों में क्रान्ति की ज्वाला धधका देना चाहती है। 

4. इसका आशय है प्राणशक्ति। देश को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए सभी क्रान्तिकारियों, स्वाधीनता-सेनानियों तथा देशवासियों में प्रखर भावना का प्रसार हो, प्राणशक्ति का संचार हो तथा प्राणों के उत्सर्ग की प्रबल भावना बनी रहे। 

Prasanna
Last Updated on May 17, 2022, 9:42 a.m.
Published May 13, 2022