Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं, फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर :
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था लेकिन उनके बारे में सुना था कि वे अनपढ़ थीं लेकिन उनके मन देश-भक्ति की भावना भरी हई थी। इसी कारण उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम दिनों में अप क्रान्तिकारी प्यारेलाल शर्मा को बुलवाकर उनसे अपनी इच्छा प्रकट की थी कि वे हमारी बेटी की शादी किसी देशभक्त क्रान्तिकारी से करवाये, अंगरेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस भावना में देश की आजादी का पवित्र भाव था। जीवन भर परदे में रहकर अपनी बेटी की शादी के लिए पर-पुरुष से बात करने की हिम्मत दिखाई। इससे उनके साहसी व और मन में समायी स्वतंत्रता की भावना का सहज पता चलता है। लेखिका उनके इन्हीं गुणों से प्रभावित थीं।
प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आजादी के आन्दोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर :
लेखिका की नानी यद्यपि अनपढ़, परदा करने वाली और परम्परागत जीवन जीने वाली थी और आजादी के आन्दोलन में उनका सक्रिय योगदान नहीं था, तथापि वे आजादी का महत्त्व समझती थीं। इसलिए वे अपनी इकलौती बेटी का विवाह 'आजादी के सिपाही' किसी नौजवान से ही कराना चाहती थीं। इसी कारण अपनी मृत्यु का आभास होने पर उन्होंने पति से अपने मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलाने का आग्रह किया।
उनके आने पर लेखिका की नानी ने कहा कि "वचन दीजिए कि मेरी लड़की के लिए वर आप तय करेंगे।". "आप अपनी तरह आजादी का सिपाही ढूँढ़कर इसकी शादी करवा दीजिएगा।" इस कारण उन्होंने एक ऐसे होनहार युवक से अपनी बेटी की शादी करवा दी थी, जो आजादी के आन्दोलन में भाग लेने के अपराध में आई.सी.एस. की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था। इस प्रकार लेखिका की नानी की आजादी के आन्दोलन में परोक्ष भागीदारी रही।
प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परम्परा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर :
(क) लेखिका की माँ का व्यक्तित्व-अपने आप में असाधारण या उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और गोपनीय बात को कभी दूसरे से नहीं कहती थीं। इसके साथ ही वे स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए काम करती थीं। इसके कारण घर में उनका सम्मान होता था। घर के सभी महत्त्वपूर्ण कार्यों में उनकी राय ली जाती थी और उसी को अन्तिम माना जाता था। उनका सारा समय किताबें पढ़ने, साहित्यचर्चा करने और संगीत सुनने में बीतता था। ये उनकी चरित्रगत विशेषताएँ थीं।
(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल-लेखिका की दादी के घर का माहौल परम्परागत नहीं था, उसमें परिवार के सदस्यों को बँधी-बँधाई लीक से हटकर चलने की छूट थी। स्वयं दादी पर अपरिग्रह की सनक सवार थी। लेखिका की परदादी को लड़की-लड़के में भेदभाव नहीं था। इसी कारण जब लेखिका की माँ गर्भवती हुई, तो परदादी ने मन्दिर में जाकर भगवान् से लड़की होने की मन्नत मांगी थी।
इसी प्रकार लेखिका की दादी भी पहली मर्तबा में ही तैयार हो गई थी कि गोद में खेलेगी, तो पोती। इस प्रकार घर में वैचारिक समानता का वातावरण था। लेखिका की माँ घर का कुछ भी काम न कर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेती थी, किताबें पढ़ती थी और संगीत सुनती थी। लेखिका के दादाजी अंगरेज़ों के बड़े प्रशंसक थे। इतना सब होते हुए भी घर की स्त्रियाँ अपने तरीके से जीने के लिए स्वतन्त्र थीं।
प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी?
उत्तर :
लेखिका की परदादी को कतार से बाहर चलने का शौक था, इस कारण वे स्वयं को सबसे अलग दिखाना चाहती थीं। समाज में अधिकतर लोगों की अभिलाषा रहती है कि घर में पहली सन्तान पुत्र हो। परन्तु परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत माँगी, क्योंकि वे पुत्री को पुत्र की अपेक्षा घर के काम में हाथ बटाने वाली तथा बड़े-बूढ़ों की सेवा करने वाली मानती थीं। परदादी का विचार होगा कि बेटी बड़ी होकर घर-परिवार को अच्छी तरह चलाती है तथा उसकी शादी पर कन्यादान करने का पुण्य भी मिलता है। बेटी जन्मजात स्नेही स्वभाव की होती है। इस कारण भी परदादी ने लड़की पैदा होने की कामना की होगी।
प्रश्न 5.
'डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है'-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
इस पाठ के आधार पर यह स्पष्ट है कि यदि कोई सगा-संबंधी गलत राह पर हो तो उसे डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव देने के बजाय उसके.साथ सहजता से ही व्यवहार करना चाहिए। लेखिका की नानी ने भी यही किया। उन्होंने अपने पति की अंगरेज़-भक्ति का न तो मुखर विरोध किया और न समर्थन किया। वे जीवनभर अपने आदर्शों पर चलती रहीं। परिणामस्वरूप समय आने पर वे मनवांछित कार्य कर सकीं।
खिका की माँ ने चोर के साथ जो सहजता का व्यवहार कर उससे उन्होंने उसकी पूरी मानसिकता को ही बदल दिया और वह चोरी छोड़कर खेती करने लगा। अतएव यह कथन सत्य है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही रास्ते पर लाया जा सकता है।
प्रश्न 6.
'शिक्षा बच्चों का जन्म-सिद्ध अधिकार है।' इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
यह बात सत्य है कि शिक्षा पाना बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसके प्रति सरकार और समाज को सजग रहना चाहिए। लेखिका ने भी बच्चों को शिक्षा दिलाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। लेखिका कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागल कोट में जब पहुँची तो वहाँ उसके दो बच्चों को पढ़ाने की समुचित व्यवस्था नहीं थी। इसलिए उसने वहाँ एक अच्छा स्कूल खोलने की कोशिश की। इसके लिए उसने प्रयास रूप में कैथोलिक बिशप से प्रार्थना की कि वह वहाँ एक स्कूल खोले। परन्तु बिशप के तैयार न होने पर लेखिका ने अपने प्रयासों से कुछ उत्साही लोगों को साथ लेकर वहाँ प्राइमरी स्कूल खुलवाया जिसमें सामान्य वर्ग के साथ अफसरों तक के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला।
प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा-भाव से देखा जाता है?
उत्तर :
श्रद्धा का आधार सद्गुण ही होते हैं? सद्गुणी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है। पाठ के आधार पर निम्नलिखित जनों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा गया लेखिका की नानी अपने जीवन में इसलिए श्रद्धेया बनीं क्योंकि उन्होंने परिवार और समाज से विरोध लेकर अपनी पुत्री का विवाह देश-प्रेमी क्रान्तिकारी से करने की बात कही।
लेखिका की परदादी इसलिए श्रद्धेया बनीं क्योंकि उन्होंने दो धोतियों से अधिक संचय न करने का संकल्प किया था। उन्होंने परम्परा के विरुद्ध लड़के की बजाय लड़की होने की मन्नत मांगी थी। लेखिका की माता इसलिए श्रद्धेया बनीं क्योंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए कार्य किया। कभी किसी से झूठ नहीं बोला और कभी किसी की गोपनीय बात किसी अन्य से नहीं कही। ये सभी जन अपने आप में सच्चे, दृढ़-निश्चयी थे इसलिए इनके प्रति श्रद्धा प्रकट की गई।
प्रश्न 8.
'सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है'-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहिन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
लेखिका और उसकी छोटी बहिन रेणु में अकेले अपने चुने रास्ते पर चलने का दृढ़ साहस था। लेखिका ने अपने साहस के बल पर बिहार के रूढ़िवादी लोगों के बीच रहकर नारी जागृति का कार्य किया। उन्होंने शादीशुदा औरतों ...... को पर-पुरुषों के साथ नाटक में काम करने के लिए प्रेरित किया। बागल कोट में बच्चों के लिए एक प्राइमरी स्कल खुलवाया। इसी प्रकार लेखिका की बहिन रेणु भी अपने हठी स्वभाव की धनी थी। वह स्कूल की बस न आने पर सबके मना करने पर भी भयंकर वर्षा के बीच पैदल ही स्कूल चली गयी। इससे सिद्ध होता है कि ये दोनों व्यक्तित्व स्वतन्त्र सोच के धनी थे और अपनी सोच के आधार पर अपनी राह पर चलने की हिम्मत रखते थे।
निबन्धात्मक प्रश्न :
प्रश्न 1.
'हमने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं पाया।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखिका की माँ भारतीय परम्परा में माँ की परम्परा निर्वहन करने वाली स्त्री नहीं थी, क्योंकि वह न तो अपने बच्चों को लाड़ करती थी, न उनके लिए खाना पकाती थी, और न अच्छी पत्नी और बहू होने की सीख देती थी। वह कुछ बीमार रहती थी और कुछ साहित्य-चर्चा एवं संगीत-चर्चा में रुचि रखने के कारण वह एक परम्परागत माँ का कर्तव्य संतान के प्रति नहीं निभा पाती थी। वह बिस्तर पर लेटे-लेटे किताब पढ़ने में अपना समय व्यतीत करती थी। उसे परिवार के किसी भी सदस्य से न तो कोई शिकायत थी और न वह किसी का अनादर करती थी। इस कारण लेखिका ने कहा कि "हमने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं पाया।"
प्रश्न 2.
'परदादी को कतार से बाहर चलने का शौक था।' पाठ के आधार पर सतर्क उत्तर दीजिए।
उत्तर :
लेखिका की परदादी का स्वभाव अपने ही ढंग का था। वह पारम्परिक परम्पराओं से हटकर चलने वाली थी। इसलिए उसने व्रत ले रखा था कि जब भी उसके पास दो साड़ियों से ज्यादा हो जाएंगी तब वह तीसरी साड़ी दान कर देगी। इस प्रकार वह स्वभाव से अपरिग्रही थी। इसी प्रकार परम्परा मन्नत न माँगने की विरोधी थी। उसने पुत्र-प्राप्ति की अपेक्षा पतोहू की पहली संतान लड़की होने की ईश्वर से मन्नत ही नहीं मांगी थी बल्कि उसका सरेआम ऐलान भी कर दिया था। इस प्रकार लेखिका की परदादी लीक से हटकर चलने वाली नारी थी।
प्रश्न 3.
लेखिका की नानी ने मरने से पहले प्यारेलाल शर्मा के समक्ष जो प्रस्ताव किया, उससे उनके किन गुणों का पता चलता है?
उत्तर :
लेखिका की नानी ने अपनी मृत्यु नजदीक मानकर अपनी पन्द्रह वर्षीया पुत्री के विवाह के लिए प्यारेलाल शर्मा के समक्ष जो प्रस्ताव किया, उससे पता चलता है कि वे मरने से पहले परदनशीं होते हुए भी मुंहजोर हो गई थीं। अपने पति के रहन-सहन को वे अंग्रेजों जैसा मानती थीं। अतः वह किसी अंग्रेज समर्थक साहब से अपनी पुत्री का विवाह नहीं चाहती थीं। वह देश की आजादी का महत्त्व समझती थीं और आजादी के सिपाहियों का जीवन अनुकरणीय मानती थीं। वह ममतामयी माँ थीं, उनमें दूरदर्शिता थी और पति का विरोध करने की शालीनता भी थी। वह साहबों के फरमाबरदारों को गुलाम जैसा मानती थीं। इस तरह लेखिका की नानी ममतामयी, स्वतन्त्र व्यक्तित्व वाली, विवेकशील, दूरदर्शी एवं सच्ची देशभक्त थीं।
प्रश्न 4.
चोर माँजी की किस बात से प्रभावित हुआ और उसने क्या किया? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
लेखिका ने बताया कि घर के सब मर्द विवाह में गये थे और सभी औरतें रतजगा कर रही थीं। उस समय माँजी एक कमरे में सो रही थीं। चोर अन्दर घुसा, तो खटका सुनकर माँजी ने चोर से कहा कि वह कुएँ से पानी लाकर उसे पिलावे। जब चोर ने कहा कि वह चोर है, क्या उसके हाथ का पानी पी लोगी? तब माँजी ने सहमति दी और पानी पीकर कहा कि "एक लोटा पानी पीकर हम माँ-बेटे हुए। अब बेटा, चाहे तू चोरी कर, चाहे खेती।" माँजी ने उसे छोड़ दिया। तब चोर माँजी की उदारता, सज्जनता, आत्मीयता एवं क्षमा-भावना से प्रभावित हुआ और उनकी सदभावना देखकर उसके मन में अपने प्रति ग्लानि और माँजी के प्रति श्रद्धा जाग गयी। तब से उसने खेती का धन्धा प्रारम्भ कर दिया और सालों-साल उसी में लगा रहा।
प्रश्न 5.
लेखिका ने अपनी परदादी में जो गुण बताये उनमें से दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
लेखिका ने अपनी परदादी जो गुण बताये, उनमें से दो गुण इस प्रकार हैं
(i) ईश्वर में आस्था-लेखिका की परदादी की ईश्वर में पूरी आस्था थी। वह मन्दिर में जाकर पतोहू की पहली सन्तान लड़की होने की मन्नत माँग आयी थी।(ii) दानशीलता-परदादी ने यह व्रत ले रखा था कि उनके पास कभी दो से ज्यादा धोतियाँ हो जायेंगी तो वे तीसरी दान कर देंगी। इस तरह वे दानशील एवं अपरिग्रही थीं।
प्रश्न 6.
'मेरे संग की औरतें' पाठ के आधार पर लेखिका की नानी की चारित्रिक विशेषताओं का मूल्यांकन कीजिए। .
उत्तर :
'मेरे संग की औरतें' संस्मरणात्मक पाठ में लेखिका ने अपनी नानी के चरित्र की जिन विशेषताओं का उल्लेख किया है, उनका मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है
प्रश्न 7.
लेखिका ने बिहार के डालमिया नगर में सामाजिक चेतना जगाने का काम किस प्रकार किया?
उत्तर :
डालमिया नगर में पति-पत्नी सिनेमाहाल में अलग-अलग बैठते थे, अर्थात् सारी स्त्रियाँ एक तरफ और सारे पुरुष एक तरफ बैठते थे। लेखिका ने वहाँ के इस सामाजिक चलन को बदलने का निश्चय किया। उन्होंने साल भर तक प्रयास किया और शादीशुदा औरतों को पराए मर्दो के साथ नाटक में अभिनय करने के लिए राजी कर लिया। इस तरह जो औरतें अपने पति के साथ बैठकर फिल्में भी नहीं देख पाती थीं, वे पराए मर्दो के साथ नाटक करने लगीं। लगभग चार साल तक लेखिका ने उनके साथ अनेक नाटकों का मंचन किया और अकाल राहत कोष के लिए धन एकत्र कर सामाजिक चेतना जगाने का प्रयास किया।
प्रश्न 8.
"मैं अपनी नहीं, उन अदेवियों की बात करना चाहती हूँ"-इसमें किन अदेवियों की ओर संकेत किया गया है और उनकी किन विशेषताओं का उल्लेख किया गया है?
उत्तर :
इसमें लेखिका ने अपनी तीनों छोटी बहिनों को 'अदेवियाँ' कहते हुए उनके स्वभाव आदि की ओर संकेत किया है। लेखिका की तीसरे नम्बर की बहिन चित्रा खुद पढ़ने में दिलचस्पी नहीं रखती थी। उसने अपनी पसन्द के लड़के से शादी की। चौथे नम्बर की बहिन रेणु जिद्दी स्वभाव की थी। उसे पिता की कार में बैठने, परीक्षा देने में परहेज था। उसने अपने लिए नहीं, पिता की खुशी के लिए बी.ए. की परीक्षा दी। वह अपनी बातों से लोगों को हँसा देती थी। सबसे छोटी बहिन अचला ने पिता के कहे अनुसार अर्थशास्त्र में एम.ए. किया, फिर पत्रकारिता में दाखिला लिया और पिता की पसन्द से शादी कर ली। इस प्रकार लेखिका की बहिन रेणु जिद्दी स्वभाव की, चित्रा मनमौजी एवं हठी तथा अचला सरल स्वभाव की बतायी गई है।
प्रश्न 9.
'मेरे संग की औरतें' संस्मरणात्मक पाठ का मूल प्रतिपाद्य या प्रमुख उद्देश्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
'मेरे संग की औरतें' शीर्षक पाठ में लेखिका मुदला गर्ग ने अपने परिवार की औरतों को लेकर संस्मरण रूप में अपने मनोभावों का प्रकाशन किया है। इस पाठ के मूल प्रतिपाद्य या प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार स्पष्ट किये जा सकते
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
लेखिका की नानी मरने से पहले मुँहजोर क्यों हो उठी थी?
उत्तर :
लेखिका की नानी मरने से पहले मुंहजोर इसलिए हो उठी थी, क्योंकि उसे लगने लगा कि उसकी पुत्री का विवाह उनकी तरह ही किसी अंगरेज़ समर्थक से यदि करवा दिया गया तो वह भी दूसरों के इशारों पर चलने को मजबूर हो जायेगी।
प्रश्न 2.
लेखिका की नानी ने अपने अन्तिम समय में स्वतन्त्रता-सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलकर क्या कहा था और क्यों?
उत्तर :
लेखिका की नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलकर यह कहा था कि मेरी पुत्री का विवाह किसी आजादी के सिपाही को ढूँढ़कर करवा दीजिएगा क्योंकि वह यह नहीं चाहती थी कि उसकी पुत्री की शादी साहबों के फरमाबरदारों से हो।
प्रश्न 3.
'मजे की बात यह थी।' लेखिका के अनुसार मजे की बात क्या थी?
उत्तर :
मजे की बात यह थी कि हमारे देश में आजादी की जंग लड़ने वाले ही अंगरेजों के सबसे बड़े प्रशंसक थे। चाहे गाँधी-नेहरू हों या फिर मेरे पिताजी के घर वाले।
प्रश्न 4.
"हम हाथी से हल ना जुतवाया करते, हम पै बैल हैं।" यह कथन किसने, किसके लिए और क्यों कहा?
उत्तर :
यह कथन लेखिका की दादी ने लेखिका की माँ के लिए कहा है, क्योंकि लेखिका की माँ घर का काम तो दूर बच्चों के लालन-पालन में भी रुचि नहीं लेती है। ये सब कार्य घर के अन्य सदस्य ही किया करते थे।
प्रश्न 5.
लेखिका के घर में किस बात की छूट थी? उस छूट का क्या परिणाम निकला?
उत्तर :
लेखिका के घर में निजत्व बनाये रखने की छूट थी। उस छूट का यह परिणाम निकला कि लेखिका सहित तीन बहिनें और छोटा भाई लेखन क्षेत्र में आ गये।
प्रश्न 6.
लेखिका की परदादी ने क्या व्रत ले रखा था और क्यों?
उत्तर :
लेखिका की परदादी अपरिग्रही थी इसलिए उन्होंने व्रत ले रखा था कि यदि उनके पास कभी दो से ज्यादा धोतियाँ हो जायेंगी तो वे तीसरी का दान कर देंगी।
प्रश्न 7.
लेखिका 15 अगस्त, 1947 के आजादी के जश्न में शामिल क्यों नहीं हो पायी थी?
उत्तर :
लेखिका 15 अगस्त, 1947 आजादी के जश्न में टाइफाइड से पीड़ित होने के कारण शामिल नहीं हो पायी थी, क्योंकि उसके चिकित्सक ने उसे बाहर जाने के लिए मना कर दिया था।
प्रश्न 8.
लेखिका ने पिताजी द्वारा दिया हुआ कौन सा उपन्यास पढ़ा था? उसका प्रतिफल लेखिका को क्या मिला?
उत्तर :
लेखिका ने पिताजी द्वारा दिया गया 'ब्रदर्स कारामजोव' उपन्यास पढ़ा था। बार-बार पढ़ने पर भी वह लेखिका के इतने ही पल्ले पड़ा कि उसका पहला अध्याय जो बच्चों पर होने वाले अत्याचार-अनाचार पर था, उसके लेखन में सहयोगी बना।
प्रश्न 9.
लेखिका की परदादी ने भगवान् से क्या मन्नत माँगी थी? उनकी माँगी मन्नत सबको चौंकाने वाली क्यों थी?
उत्तर :
लेखिका की परदादी ने भगवान् से मन्नत मांगी थी कि वह अपनी पतोहू की गोद में पहली सन्तान के रूप में लड़की दे। उसकी मन्नत सबको चौंका देने वाली इसलिए थी कि उस काल में सभी लड़की की जगह लड़के की चाहत रखते थे।
प्रश्न 10.
चोर माँ की किस बात से प्रभावित हुआ?
उत्तर :
चोर लेखिका की माँ की उदारता, सज्जनता, आत्मीयता और क्षमा भावना से प्रभावित हुआ और उनकी सद्भावना देखकर उसके मन में अपने प्रति ग्लानि और माँ के प्रति श्रद्धा जाग गयी।
प्रश्न 11.
चोर ने चोरी का धन्धा क्यों छोड़ दिया था?
उत्तर :
लेखिका की माँ ने चोर से सद्भाव से पूर्ण होकर कहा था-"अब तुम्हारी मर्जी, चाहे चोरी करो या खेती।" तब से उसने खेती करना प्रारम्भ कर दिया था और चोरी का धन्धा छोड़ दिया था।
प्रश्न 12.
लेखिका तथा उसकी बहिनें हीन-भावना की शिकार क्यों नहीं बन पायीं?
उत्तर :
लेखिका तथा उसकी बहिनों को देशभक्त माँ तथा गौरवशाली नानी का विराट् व्यक्तित्व सुनने को मिला था जिनके मन में आजादी के प्रति लगाव था। देखे और सुने इन सशक्त संस्कारों के कारण वे हीन-भावना की शिकार नहीं बन पायी थीं।
प्रश्न 13.
लेखिका की किन-किन बहिनों ने लेखन कार्य नहीं किया?
उत्तर :
लेखिका सहित पाँच बहिनों में से दो बहिनों ने लेखन कार्य नहीं किया। उन दो बहिनों के नाम चित्रा और रेणु हैं। इन दोनों के अलावा सभी बहिनों ने पूर्ण मनोयोग के साथ अचला को छोड़कर सभी ने हिन्दी में लेखन कार्य किया।
प्रश्न 14:
'लेखिका की रचनाओं को ससुराल में कोई नहीं पढ़ता था'-इस बात का लेखिका पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
लेखिका की रचनाओं को तमाम खानदान के सदस्य पढ़ा करते थे लेकिन ससुराल का कोई भी सदस्य नहीं पढ़ता। यह सोचकर लेखिका को पहले तो बुरा लगा लेकिन बाद में यह सोच कर अच्छा लगा कि चलो ससुराल में कोई उस पर आलोचना दृष्टि रखने वाला नहीं है।
प्रश्न 15.
पिताजी द्वारा भेजी गाड़ी जब बस अड्डे से रेणु को लेने जाती थी तब वह गाड़ी में बैठकर आने से इनकार क्यों कर देती थी?
उत्तर :
पिताजी द्वारा रेणु को लाने भेजी गयी गाड़ी पर बैठकर आने से इनकार इसलिए कर देती थी, क्योंकि वह उस व्यवस्था को सामंतशाही की प्रतीक मानती थी जिसके वह खिलाफ थी।
प्रश्न 16.
लेखिका के पिताजी अपनी बेटियों को स्कूल से लाने के लिए गाड़ी क्यों भेजते थे?
उत्तर :
लेखिका के पिताजी अपनी बेटियों को स्कूल से लाने के लिए दो कारणों से गाड़ी भेजते थे - (i) एक तो वे लड़कियों को बहुत लाड़ करते थे। (ii) दूसरे वे रसोइए को जल्दी फ़ारिंग करने की इच्छा से पूरित होते थे।
प्रश्न 17.
रेणु के व्यक्तित्व की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
रेणु के व्यक्तित्व की प्रमुख दो विशेषताएँ थीं-(1) वह अडियल स्वभाव की थी और (2) सत्यवादी थी।
प्रश्न 18.
चित्रा के इम्तिहान में कम अंक क्यों आते थे?
उत्तर :
चित्रा खुद पढ़ने से ज्यादा दूसरों को पढ़ाने में दिलचस्पी ज्यादा रखती थी। इसलिए इम्तिहान में उसके कम अंक आते थे।
प्रश्न 19.
"एक बात हममें एकसी रही।" लेखिका की बहनों में एकसमान बात क्या थी?
उत्तर :
लेखिका की सभी बहिनें लीक से हटकर चलने वाली थीं। सभी ने शादी करके उसे निभाया। बात चाहे तलाक तक पहुँच गयी हो परन्तु वैसा किया नहीं। वे अपने मर्दो के साथ हमेशा पत्नियों की ही तरह रहीं।
प्रश्न 20.
बिहार जाकर लेखिका ने कौनसा साहसिक कार्य किया?
उत्तर :
उन्होंने वहाँ की महिलाओं को हिम्मत दी जो महिलाएँ पिक्चर देखने में भी अपने-अपने पतियों से दूर बैठती थीं, उन्हें इस बात के लिए तैयार किया कि वे पराये पुरुषों के साथ नाटक में अभिनय करें। यह साहसिक कार्य कर नारी-चेतना जगाने का प्रयास किया।
प्रश्न 21.
लेखिका के पिता आई. सी. एस. परीक्षा में क्यों नहीं बैठ पाये थे?
उत्तर :
लेखिका के पिता क्रान्तिकारी विचारधारा के व्यक्ति थे। आजादी की लडाई में भाग लेने के कारण वे . तत्कालीन नियमों के अनुसार आई. सी. एस. परीक्षा में नहीं बैठ पाये थे।
प्रश्न 22.
'मेरी लड़की के लिए वर आप तय करेंगे।' लेखिका की नानी ने स्वतन्त्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से ऐसा क्यों कहा? बताइये।
उत्तर :
लेखिका की नानी ने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि उनके बैरिस्टर पति अपनी सोच और रहन-सहन के अनुसार ही अपनी पुत्री का विवाह करना चाहेंगे जबकि वे अपने मन में आजादी के प्रति गहरी आस्था और सोच रखती थी इसलिए वे अपनी पुत्री का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से करवाना चाहती थीं।
प्रश्न 23.
कर्नाटक के बिशप ने किस कारण स्कूल खोलने से मना किया? क्या उसकी वह सोच उचित थी?
उत्तर :
कर्नाटक का बिशप क्रिश्चियनों की पढ़ाई के लिए ही स्कूल खोलना चाहता था, उसने अन्य धर्म के लोगों के लिए स्कूल खोलने से मना किया। वह ईसाइयों की सुविधा का पक्षपाती था, अर्थात् धर्म के नाम पर ही स्कल खोलना चाहता था। उसकी ऐसी सोच सर्वथा अनचित थी।
प्रश्न 24.
लेखिका की दादी के उदार दृष्टिकोण तथा परम्परा-विरोधी स्वभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
उदार दृष्टिकोण-लेखिका की परदादी लड़के-लड़की में कोई भेद नहीं करती थी। उसी से वह पतोहू की पहली सन्तान को लेकर उदार दृष्टिकोण रखती थी तथा उसने सरेआम इस बात की घोषणा भी कर दी थी।
लेखिका-परिचय - समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य की अग्रणी लेखिका मृदुला गर्ग का जन्म सन् 1938 में कोलकाता में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. किया था। विभिन्न नगरों में रहने के बाद सन् 1974 से दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न रहकर अनेक कहानियों की रचना की। इन्होंने उपन्यास एवं निबन्ध भी लिखे हैं। सम्प्रति ये लेखन कर्म में प्रवृत्त हैं।
पाठ-सार - 'मेरे संग की औरतें' शीर्षक कहानी में लेखिका ने सर्वप्रथम अपनी नानी की कहानी प्रस्तुत की। लेखिका की माँ की शादी होने से पहले ही उसकी नानी की मृत्यु हो गई थी। इस कारण लेखिका अपनी नानी को न देख सकी, परन्तु बाद में माँ से उसके विषय में सुनकर लेखिका को वास्तविकता ज्ञात हुई। नानी अनपढ़ थी, जबकि नाना विलायत से बैरिस्ट्री की डिग्री लेकर आये थे। नानी की इच्छानुसार लेखिका की माँ की शादी सुशिक्षित, गरीब एवं आजादी के सैनिक के साथ हुई।
इस कारण उन्हें सादा जीवन जीना पड़ा। लेखिका ने बताया कि उसकी माँ अपनी बीमारी एवं अरुचि के कारण घर का काम नहीं करती थीं। वह किताबें पढ़ने या संगीत सुनने में रुचि रखती थीं। लेखिका की परदादी लीक से हटकर थीं। उन्होंने अपनी बहू के गर्भवती होने पर मन्दिर में जाकर भगवान् से लड़की पैदा होने की मन्नत मांगी थी। शायद उसका ही असर हुआ कि घर में पाँच कन्याएँ एक के बाद एक पैदा हुईं। लेखिका की परदादी ने एक चोर को सुधार दिया था।
लेखिका स्वतंत्रता - प्राप्ति के दिन बुखार से पीड़ित रही। इस कारण वह इण्डिया गेट के जश्न में नहीं जा सकीं। लेखिका की चारों बहनें भी लीक से हट कर चलती रहीं। इनका छोटा भाई राजीव हिन्दी में लेखन-कार्य करने लगा। शादी के बाद लेखिका को पहले तो बिहार के एक कस्बे में रहना पड़ा, फिर कर्नाटक के बागलकोट कस्बे में रहीं। वहाँ पर उन्होंने 'अंग्रेजी-हिन्दी-कन्नड़' तीन भाषाएँ पढ़ाने वाला स्कूल खोला। लेखिका की छोटी बहिन रेणु हठी स्वभाव की थी। वह एक बार भारी वर्षा होने पर भी अकेली ही स्कूल गई और लबालब पानी में पैदल चलकर घर लौटी। उस दिन का स्मरण कर लेखिका सोचने लगी कि रेणु को तब कैसा अनुभव हुआ होगा? वस्तुतः अकेलेपन का मजा कुछ और ही है।
कठिन-शब्दार्थ :