RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

RBSE Class 9 Hindi इस जल प्रलय में Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे? 
उत्तर : 
बाढ़ की खबर सुनकर लोग नीचे का सामान ऊपर रखने लगे। जरूरी चीजों जैसे ईंधन, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी आदि का संग्रह करने लगे ताकि बाढ़ से घिर जाने पर कुछ दिनों का गुजारा चल सके। कुछ निचले इलाकों के लोग अपना सामान रिक्शा, टमटम, टेम्पो आदि में लादकर अन्यत्र ले जा रहे थे। 

प्रश्न 2. 
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था? 
उत्तर : 
लेखक ने अपने जीवन में बाढ़ के दृश्यों को कई बार देखा था और बाढ़ पीड़ितों की सहायता भी की थी लेकिन बाढ़ से स्वयं अब तक घिरा नहीं था। इसीलिए लेखक पटना में आयी बाढ़ की सही स्थिति जानने और उसका भयानक रूप देखने के लिए उत्सुक था। 

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प्रश्न 3. 
सबकी जबान पर एक ही जिज्ञासा-'पानी कहाँ तक आ गया है?' इस कथन से जनसमूह की कौनसी भावनाएं व्यक्त होती हैं?
उत्तर : 
इस कथन से जनसमूह की ये भावनाएं व्यक्त होती हैं -

  1. कहीं बाढ़ का पानी ज्यादा तो नहीं आया? (आशंका) 
  2. कितनी विकराल बाढ़ आयी होगी? (जिज्ञासा) 
  3. बाढ़ से कितनी हानि होगी, कैसे सामना करना पड़ेगा? (उत्सुकता) 
  4. बाढ़ यदि भयानक रूप धारण करे तो क्या होगा? (भय) 

प्रश्न 4. 
'मृत्यु का तरल दूत' किसे कहा गया है और क्यों? 
उत्तर : 
बाढ़ के गेरुआ-झाग-फेन से भरे पानी के तेज बहाव को 'मृत्यु का तरल दूत' कहा गया है, क्योंकि प्रतिवर्ष भीषण बाढ़ आने से हजारों प्राणियों की जीवन-लीला समाप्त हो जाती है। 

प्रश्न 5. 
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ से कुछ सुझाव दीजिए। 
उत्तर : 
बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए निम्नलिखित सुझाव कारगर हो सकते हैं 

  1. बाढ़ वाले क्षेत्रों में बड़े बाँधों का निर्माण करवाया जावे, ताकि पानी के बहाव को रोका जा सके। 
  2. बड़े बाँधों से छोटी-छोटी नहरें निकाली जावें, ताकि पानी का दबाव कम हो। 
  3. वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर भूखनन एवं अवैध कटान पर रोक लगाई जावे। 
  4. मकानों की नींवें एवं दीवारों का निर्माण मजबूत ढाँचे से किया जावे। 
  5. बाढ़-नियंत्रण विभाग द्वारा समय-समय पर आपदा की सूचना उपलब्ध कराई जावे, ताकि जन-धन की हानि न हो सके। 
  6. बाढ़ नियंत्रण विभाग को सभी संभावित खतरों से निपटने के लिए पूर्व में ही साधन तैयार रखने चाहिए ताकि जरूरत के समय उनका सदुपयोग किया जा सके। 
  7. स्वयंसेवी संस्थाओं को आपदा से निपटने के लिए बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए और सहयोग करना चाहिए। 

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प्रश्न 6.
'ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियां बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए अब बूझो!' इस कथन के द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है? 
उत्तर : 
इस कथन से लोगों की उस मानसिकता पर चोट की गई है जिसमें संकट के समय लोग एक-दूसरे की सहायता करने की बजाय केवल निहित स्वार्थों को महत्त्व देते हैं और केवल अपने ही हित-सुख की चिन्ता करते हैं। 

प्रश्न 7. 
खरीद-बिक्री बन्द हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी? 
उत्तर : 
बाढ़ आने के कारण सामान्य दुकानों पर भी खरीद-बिक्री बन्द हो गई थी। परन्तु बाढ़ का हाल जानने, उसका दृश्य देखने के लिए लोग घरों से निकल कर पान की दुकानों के आसपास एकत्र होने लगे। वहाँ पर वे पान खाने के साथ ही बाढ़ की भीषणता पर चर्चा भी करते। इस कारण पान की बिक्री अचानक बढ़ गई थी। 

प्रश्न 8. 
जब लेखक को यह एहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है, तो उसने क्या क्या प्रबन्ध किये? 
उत्तर : 
बाढ़ का पानी अपने इलाके में घुस आने की संभावना से लेखक ने गृहस्वामिनी से पूछकर गैस, कोयला, तेल आदि के साथ आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी तथा काम्पोज की गोलियों का इन्तजाम किया। इनके साथ ही उसने बाढ़ आने पर छत पर जाने का भी प्रबन्ध सुनिश्चित किया। तब वह बाढ़ का दृश्य देखने के लिए उत्सुक हो गया। 

प्रश्न 9. 
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौनसी बीमारियाँ फैलने की आशंका रहती है? 
उत्तर : 
बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में प्रायः (1) हैजा, (2) आन्त्रशोथ एवं मलेरिया फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही पकाही घाव की (पानी में पैर की अंगुलियाँ सड़ने की) बीमारी हो जाती है। 

प्रश्न 10. 
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया? 
उत्तर : 
कुत्ता स्वामिभक्त जानवर होता है और वह अपने मालिक को बहुत चाहता है। जब डॉक्टर ने कुत्ते को साथ ले जाने से मना किया, तो बीमार नौजवान नाव से तुरन्त पानी में उतर गया। तब उसका स्वामिभक्त कुत्ता भी पानी में कूद गया। इस प्रकार उन दोनों ने आपसी लगाव एवं प्रेम-भावना के वशीभूत होकर ऐसा किया।

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प्रश्न 11.
"अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं-मेरे पास।" मूवी कैमरा, टेपरिकार्डर आदि की तीव्र उत्कण्ठा होते हुए भी लेखक ने अन्त में उपर्युक्त कथन क्यों कहा? 
उत्तर : 
लेखक बाढ़ के उस भीषण दृश्य को मूवी कैमरा या टेपरिकार्डर में उतारना चाहता था, परन्तु उसके पास ये चीजें नहीं थीं। फिर उसने तुरन्त सोचकर कहा कि 'अच्छा हुआ, कुछ भी मेरे पास नहीं।' लेखक ने ऐसा इसलिए कहा कि बाढ़ का भीषण दृश्य किसी पर्यटक के लिए अवश्य रोमांचकारी हो सकता है, उसे देखकर भय एवं उत्सुकता हो सकती है। लेकिन लेखक संवेदनशील एवं भावुक व्यक्ति होने से न तो ऐसे दृश्य देख पाता है और न उसे लिख सकता है। दुःख और विपत्ति के समय पर भयानक दृश्य को वह कैद भी नहीं कर सकता था।
 
प्रश्न 12. 
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए। . 
उत्तर : 
मार्च के महीने में वासन्ती नवरात्रि के अवसर पर जोधपुर में किले के एक हिस्से में देवी-पूजन का मेला भरता है। उस मेले में काफी भीड़ रहती है। एक समाचार चैनल ने ऐसा समाचार बार-बार प्रसारित किया कि अष्टमी के दिन मेले में भगदड़ मच गई, जिससे सैकड़ों-हजारों लोग दबकर मर गये। समाचार चैनल ने एक-दो सामान्य भीड़ वाले दृश्यों का प्रसारण भी किया और घायलों एवं हताहतों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत की। इससे राजस्थान सरकार और स्थानीय जनता को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। 

लोग अपनों की तलाश में भगदड़ स्थल पर जाने लगे, पुलिस फोर्स एवं बड़े अधिकारी भी वहाँ पहुँचे। परन्तु जिस तरह से समाचार को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया था, वैसा कुछ नहीं निकला। चार-पाँच लोग सीढ़ियों से फिसल कर घायल हो गये थे और जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था। यह तो समाचार चैनल ने अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए ऐसा कर दिया था। बाद में सरकार की ओर से उस समाचार चैनल को इस कारण खूब फटकार लगायी गई। 

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प्रश्न 13. 
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए। 
उत्तर : 
दो साल पहले की बात है। जुलाई की अन्तिम तारीख थी, रविवार था और रात्रि के समय सारा गाँव काम धन्धे से निवृत्त होकर सोने की तैयारी कर रहा था। मैं भी अपनी पढ़ाई बन्द करके लेट गया था। तभी लगभग साढ़े नौ बजे रात बादल उमड़ने-घुमड़ने और गरजने लगे। पहले तो हल्की बूंदा-बांदी हुई, लेकिन फिर जोरदार वर्षा होने लगी। बादल चारों ओर से इस तरह उमड-घुमड के आये कि सर्वत्र पानी ही पानी हो गया। ज्यों-ज्यों समय बीता वर्षा का जोर बढ़ने लगा। 

इस तरह वर्षा को देखकर गाँव के लोगों को आशंका होने लगी थी। इसलिए सभी लोग सावधान भी हो गये थे। रात्रि करीब साढ़े बारह बजे नदी का पानी गाँव की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत हुआ। पानी का वेग लगातार बढ़ रहा था। गाँव के समझदार लोगों ने एक घण्टे पहले ही अपने बाल-बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था। परन्तु कुछ लोग काम में सफल नहीं रहे और वे बाढ़ की चपेट में आ गये। तब कुछ लोग ऊंचे पेड़ों पर चढ़ गये, कुछ लोग पक्के मकानों की छतों पर चढ़ गये। अधिकतर लोग गाँव के पंचायत भवन और स्कूल भवन में एकत्र हो गये। 

उस समय सभी को केवल अपनी सूझ रही था। रात का घनघोर अँधेरा, उसमें भय एवं त्रास से लोगों का हाहाकार, चीत्कार, घबराहट आदि से दृश्य बड़ा भयानक बन गया था। कहीं बाढ़ के वेग से पेड़ गिर रहे थे, तो कहीं कच्चे झोंपड़े बह रहे थे और कहीं बहते हुए मवेशी आत्म-रक्षार्थ व्यर्थ प्रयास कर रहे थे। सभी को इस प्राकृतिक आपदा ने विवश कर दिया था। 

ऐसी विनाश-लीला के साये में अपने पाँच वर्षीय छोटे भाई को अपनी पीठ पर बाँधकर मैं एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और सारी रात काँपते-काँपते बाढ़ की इस विनाशलीला को अपनी कातर दृष्टि से देखता रहा। उस समय मुझे बार-बार ईश्वर का ध्यान आ रहा था। इस तरह सुबह पाँच बजे वर्षा बन्द हुई, कुछ समय के बाद नदी का वेग भी कुछ कम होने लगा। लोगों ने राहत की सांस ली। कुछ समय बाद दिन का उजाला फैल गया। जो लोग इस भीषण बाढ़ से बच गये थे, वे अपने-अपने घरों को लौट आये। 

आठ बजे तक नदी का पानी एकदम उतर गया था। गाँव के अधिकतर लोगों का सामान उसमें बह गया था। मैं भी पेड़ से उतरकर घर आ गया था। हम दोनों भाइयों को सकुशल देखकर परिवार के सभी लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने बाढ़ की ऐसी भीषण स्थिति पहले कभी नहीं देखी थी। आज उस भीषण बाढ़ का स्मरण होते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लोगों को ऐसी आपदा से भगवान् बचाये।

RBSE Class 9 Hindi इस जल प्रलय में Important Questions and Answers

निबन्धात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1. 
आकाशवाणी से बाढ़ का समाचार सुनकर लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही? 
उत्तर : 
आकाशवाणी से समाचार प्रसारित हुआ कि 'पानी हमारे स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुंच चुका है और किसी भी क्षण स्टूडियो में प्रवेश कर सकता है।' इस समाचार को सुनकर लोगों की यह प्रतिक्रिया रही - 

  1. इस समाचार से लोगों को अनिष्ट की आशंका एवं चिन्ता होने लगी। 
  2. दुकानदारों ने हड़बड़ी में अपना सामान सँभालना प्रारम्भ किया और कुछ अपना सामान सुरक्षित जगहों पर भेजने लगे। 
  3. दुकानों पर खरीद-बिक्री बन्द हुई। केवल पान की दुकानों पर लोग बाढ़ को लेकर बातें करने लगे। 
  4. लेखक और उनके मित्र लोगों को सहज देखकर स्वयं को सँभालने लगे। 
  5. इस समाचार से लोग अधिक परेशान नहीं हुए और सहज बने रहे। 

प्रश्न 2. 
अपने फ्लैट की छत से लेखक ने बाढ़ का जो दृश्य देखा उसका वर्णन कीजिए। 
उत्तर : 
बाढ़ आने की प्रतीक्षा करते-करते जब लेखक की आँख लग गयी। ओई द्याखो-एसे गेछे जल! कह कर जब लेखक को जगाया गया। उस समय सुबह के साढ़े पांच बज रहे थे। लेखक आँखें मलता हुआ उठा। उस समय पश्चिम में थाने के सामने वाली सड़क पर झागदार लहरों वाला पानी आ रहा था। लेखक दौड़कर अपनी फ्लैट की छत पर चला गया। उसने वहाँ जाकर देखा चारों ओर चीख, पुकार, शोरगुल, कलरव तथा पानी का कलकल सुनाई दे रहा था। सामने के फुटपाथ को पार कर पानी फ्लैट के पीछे शक्तिपूर्वक बह रहा था। 

गोलंबर पार्क में चारों ओर पानी था। देखते ही देखते लेखक के मोहल्ले में चारों ओर पानी ही पानी लहरा रहा था। तब लेखक का मन करने लगा कि वह ऐसे दृश्य का फोटो खींचना चाहता है, परन्तु अपने पास न तो कैमरा है और न टेप-रिकार्डर है, कलम भी नहीं है। इस कारण लेखक विवशता का अनुभव करने लगा। 

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प्रश्न 3. 
गाँधी मैदान की ओर से जाते समय लेखक ने क्या-क्या देखा? 
उत्तर : 
लेखक बाढ़ का पानी देखने के लिए अपने मित्र के साथ रिक्शे पर बैठकर कॉफी हाउस के उसके बन्द हो जाने से वह मित्र के साथ 'अप्सरा' सिनेमा हाल के बगल में गाँधी मैदान की ओर चल पड़ा। पैलेस होटल और इण्डियन एयरलाइन्स दफ्तर के सामने पानी भर रहा था। पानी की तेज धारा पर लाल-हरे 'नियन' विज्ञापनों की परछाइयाँ सैकड़ों रंगीन साँपों के समान दिखाई दे रही थीं। गाँधी मैदान की रेलिंग के सहारे हजारों लोग खड़े होकर बाढ़ के बढ़ने का दृश्य देख रहे थे। वह दृश्य स्मृतियों के रूप में मन में भले ही उभर रहा था, परन्तु उन पर बाढ़ के पानी का गैरिक आवरण पड़ गया था। लेखक को बाढ़ के पानी के इस तरह के बहाव को देखने का यह अनुभव सर्वथा नया था। 

प्रश्न 4. 
लेखक मुसहरी बस्ती में क्या करने गया था? उसने वहाँ कौनसा दृश्य देखा? वर्णित कीजिए। 
उत्तर : 
लेखक मुसहरी बस्ती में सन् 1949 में महानंदा में आयी बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत बाँटने गया था। लेखक को खबर मिली थी कि मुसहरी की बस्ती के लोग कई दिनों से मछली और चूहों को झुलसा कर खा रहे हैं और किसी तरह जी रहे हैं लेकिन जब लेखक सेवा दल के साथ वहाँ पहुँचा तो उसने कुछ अलग ही दृश्य देखा कि मुसहरी बस्ती में ऊँचे पर एक मंच बना हुआ है और एक काला - कलूटा नट लाल साड़ी पहने हुए रूठी दुलहिन का अभिनय कर रहा है और पुरुष बना नट उसे मना रहा है। इस पद के साथ ही ढोलक पर द्रुत ताल बजने लगा। कीचड़- पानी में लथ पथ भूखे-प्यासे नर-नारियों के झुंड में मुक्त खिलखिलाहट लहरें लेने लगी हैं। इस दृश्य को देखकर लेखक को लगा कि हम राहत सामग्री बाँटकर भी उन्हें ऐसी हँसी नहीं दे पायेंगे। 

प्रश्न 5. 
पटना की बाढ़ में पिकनिक मनाने आए युवक-युवतियों के साथ कैसा बर्ताव हुआ और क्यों? 
उत्तर : 
सन् 1967 में पटना में भीषण बाढ़ आयी थी और पुनपुन का पानी राजेन्द्र नगर में घुस गया था। सारा इलाका जलमग्न हो गया था। तभी कुछ मनचले युवक-युवतियों की टोली सज-धज कर नाव पर सवार होकर पानी पर उतरी। नाव पर स्टोव जल रहा था और उस पर केतली रखी थी। बिस्कुट के डिब्बे खुले हुए थे। एक युवती मनमोहक अदा में नैस्कैफे का पाउडर मथ रही थी। 

दूसरी युवती रंगीन पत्रिका मस्ती से पढ़ रही थी। एक युवक घुटनों पर कोहनी रखे मनमोहक डॉयलोग बोल रहा था। ट्रांजिस्टर बज रहा था। ऊँची आवाज में गाना सुनाई पड़ रहा था-'हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का।' युवक-युवतियों का यह आनन्द उत्सव राजेन्द्र नगर के लड़कों को पसन्द नहीं आया। उन्होंने ब्लॉक की छत से इतनी किलकारियाँ, सीटियाँ और फब्तियों की बौछार की कि वे लजित हो गये। उनके लाल होंठ काले पड़ गये। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
लेखक तैरना क्यों न सीख सका? 
उत्तर : 
लेखक ने गाँव परती जमीन पर था। वहाँ जल-साधनों का अभाव था। इसलिए वह गाँव के अन्य लोगों की तरह तैरना नहीं सीख सका। 

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प्रश्न 2. 
लेखक ने बाढ़ पर कौन-कौन से रिपोर्ताज लिखे? बताइये। 
उत्तर : 
लेखक ने हाईस्कूल में पढ़ते समय 'बाढ़' पर एक लेख लिखकर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था। उसके बाद 'जय गंगा' (1947), 'डायन कोसी' (1948), 'हड्डियों का पुल' (1948) आदि छुटपुट रिपोर्ताज लिखे। 

प्रश्न 3. 
लेखक ने बाढ़ को शहरी आदमी की हैसियत से कब भोगा? 
उत्तर :
लेखक ने सन् 1967 में शहरी आदमी की हैसियत से बाढ़ को भोगा जब 18 घंटे की अविराम वृष्टि के कारण पुनपुन का पानी उसके निवास स्थल राजेन्द्र नगर में घुस आया था। 

प्रश्न 4. 
लेखक ने मुस्टंड और गँवार किसे कहा है और यह क्या बोल रहा था? 
उत्तर : 
लेखक ने दानापुर के एक ग्रामीण अधेड़जन को मुस्टंड और गँवार कहा है जो जोर-जोर से बोल रहा था "ईह ! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गये.....अब बूझो।" 

प्रश्न 5. 
पान की दुकान के सामने खड़े लोग चुपचाप होकर क्या सुन रहे थे? 
उत्तर : 
पान की दुकान के सामने खड़े लोग चुपचाप होकर यह खबर सुन रहे थे कि "पानी हमारे स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुँच गया है और किसी भी क्षण स्टूडियो में प्रवेश कर सकता है।"

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प्रश्न 6. 
बाढ़ के बढ़ने का समाचार सुनकर भी लेखक ने सहज होने का प्रयत्न क्यों किया? 
उत्तर : 
बाढ़ के बढ़ने का समाचार सुनकर खड़े लोगों का कलेजा धड़क उठा। उनके मन में भय बढ़ गया लेकिन अधिकतर लोग परेशान नहीं दिख रहे थे। वे शान्त और सहज थे इसलिए लेखक ने भी स्वयं को सहज बनाने की कोशिश की। 

प्रश्न 7. 
बाढ़ के बढ़ने का समाचार सुनकर मित्र से विदा लेते हुए लेखक ने क्या कहा था? 
उत्तर : 
लेखक ने मित्र से विदा लेते हुए कहा था-"पता नहीं कल हम कितने पानी में रहें।.. बहरहाल जो कम पानी में रहेगा। वह ज्यादा पानी में फँसे मित्र की सुधि लेगा।" 

प्रश्न 8. 
बाढ़ को बढ़ता देखकर पटनावासियों की क्या प्रतिक्रिया थी? 
उत्तर : 
बाढ़ को बढ़ता देखकर पटनावासी सहज थे। वे उत्साहित थे और उनके चेहरों पर हँसी थी। कुछ दुकानदार अवश्य हड़बड़ी में थे। वे अपना सामान कुछ ऊँचे स्थान पर रखने में लगे हुए थे। साथ ही कुछ लोगों के दिल की धड़कन बढ़ी हुई थी। वे हताश और निराश भी थे। 

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प्रश्न 9. 
पटना में बाढ़ आने की सूचना मिलने पर लेखक ने क्या व्यवस्था की? 
उत्तर : 
लेखक को जब पटना में बाढ़ आने की सूचना मिली, तो लेखक ने घर में ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और काम्पोज की गोलियों की व्यवस्था की, अर्थात् इनका संग्रह किया और बाढ़ अने की प्रतीक्षा करने लगा। 

प्रश्न 10. 
"पहचान लीजिए। यही है वह आम आदमी।" लेखक के अनुसार वह आम आदमी कौन था? 
उत्तर : 
जब लेखक अपने मित्र के साथ गांधी मैदान में बाढ़ का दृश्य देख रहा था तब वहीं पर एक अधेड़, गवार, मुस्टण्ड आदमी जोर-जोर से चिल्ला कर बोल रहा था। लेखक के अनुसार वह ही आम आदमी था। 

प्रश्न 11. 
"सारा शहर जगा हुआ है।" लेखक ने इसका क्या कारण बताया? 
उत्तर : 
पटना शहर में पश्चिम दिशा से बाढ़ आने की सूचना पाकर लोग भय, आशंका और अनिष्ट होने की चिन्ता से घिरे हुए थे और वे बाढ़ आने की स्थिति जान रहे थे। इस कारण सारा शहर सावधान होकर जगा हुआ था।

प्रश्न 12. 
बाढ़ पीड़ितों को सबसे अधिक किस चीज की आवश्यकता थी? 
उत्तर : 
बाढ़ पीड़ितों को सबसे अधिक आवश्यकता पकाही घाव पर लगाने वाली दवा की और दियासलाई की थी। 

प्रश्न 13.
लेखक बाढ़ के पानी से घिरे द्वीप पर क्यों नहीं गया? 
उत्तर : 
लेखक चहलकदमी करने तथा टाँगों की थकान मिटाने की चाहना रखते हुए भी द्वीप पर इसलिए नहीं गया क्योंकि वहाँ चींटी-चींटे, साँप-बिच्छु, लोमड़ी-सियार आदि एकत्र हो गए थे। 

प्रश्न 14. 
लेखक चाह कर भी अपने स्वजनों और मित्रों से बात क्यों न कर सका? 
उत्तर : 
लेखक चाह कर भी अपने स्वजनों और मित्रों से टेलीफोन बन्द होने के कारण बात नहीं कर सका।

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प्रश्न 15. 
मुसहरी जाति के बलवाही नृत्य को देखकर लेखक का मन क्यों प्रसन्न हो गया था? 
उत्तर : 
मुसहरी जाति के बलवाही नृत्य को देखकर लेखक का मन इसलिए प्रसन्न हो गया कि कीचड़-पानी में लथपथ भूखे-प्यासे नर-नारियों के झुण्ड में उनकी उन्मुक्त हँसी ही उन्हें बाढ़ की उस विपदा में भी नया जीवन दे रही थी।

इस जल प्रलय में Summary in Hindi

लेखक-परिचय - प्रसिद्ध कहानी-लेखक फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म गाँव औराही हिंगना, जिला पूर्णिया (बिहार) में सन 1921 में हआ। स्कली शिक्षा नेपाल में प्राप्त कर सन. 1942 में स्वतंत्रता आन्दोलन के सेनानी रहे। इनका निधन सन् 1977 में हुआ। इनके द्वारा रचित अनेक आंचलिक कहानियाँ अतीव प्रसिद्ध हैं। इनके कहानी संग्रह, उपन्यास एवं रिपोर्ताज अपनी भाषा-शैली की विशिष्टता के लिए अनुपम माने जाते हैं। 

पाठसार - प्रस्तुत रिपोर्ताज में लेखक ने सन् 1967 में पटना में आयी बाढ़ के भयानक दृश्यों को घटनावार प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। उस समय लेखक पटना के गोलंबर इलाके में रहता था। लगातार अठारह घण्टे वर्षा होने से पटना का पश्चिमी क्षेत्र पानी में डूब गया था। बाढ़ आने के कारण लोगों ने अपने-अपने घरों में खाने पीने की जरूरी चीजों का इन्तजाम कर दिया था। लेखक अपने एक मित्र के साथ दिन में बाढ़ का जायजा लेने। 

काफी हाउस तक गया। वहाँ से लौटते समय लेखक ने अफरा-तफरी का माहौल देखा। वह मैगज़ीन कार्नर से कुछ पत्रिकाएँ लेकर घर लौटा। गोलंबर में जनसम्पर्क की गाड़ियों से लोगों को सावधान रहने की घोषणाएं की जा रही थीं। सम्भावना के अनुसार उस क्षेत्र में बाढ़ का पानी बारह बजे रात तक आ सकता था। 

इस कारण लेखक रात में सो नहीं सका। सुबह पांच बजे बाढ़ का पानी उस इलाके में आ गया था। उससे चारों ओर शोर हो रहा था, बाढ़ का पानी सब जगह भर गया था। लेखक उस दृश्य को मूवी कैमरे या टेपरिकार्डर में कैद करना चाहता था, परन्तु उसके पास ये चीजें नहीं थीं। उसकी कलम भी चोरी चली गई थी। वह बाढ़ के रोमांचक दृश्य को देखता रहा। 

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कठिन-शब्दार्थ : 

  • पनाह = शरण। 
  • सपाट = समतल। 
  • भंसने = फंसने।
  • अविराम = लगातार।
  • प्लावित = डूब गए। 
  • अनर्गल = निरर्थक। 
  • स्वगतोक्ति = अपने आप को कही गयी बात।
  • एरिया = क्षेत्र। 
  • अस्फुट = अस्पष्ट। 
  • पटनियाँ = पटना के निवासी। 
  • उत्कर्ण = कान लगाकर, ध्यानपूर्वक। 
  • मुहर्रमी = दुःखी, निराशापूरित। 
  • अलमस्त = पूरी तरह से। 
  • मस्त। कुकुर = कुत्ता। 
  • नटुआ = नट, कलाकार। 
  • झिझिर = जल-विहार। 
  • वाल्यूम = आवाज। 
  • परि टुंग फुग = आवाज। 
  • डोली = मुंडेर। 
  • रव = ध्वनि। 
  • रेला = धक्का, बहाव।
Prasanna
Last Updated on May 16, 2022, 12:11 p.m.
Published May 16, 2022