Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 9 मृदा Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
सड़क के किनारे और बगीचे से एकत्रित किए गए मदा के नमूनों में हमें प्लास्टिक की वस्तुओं और पॉलीथीन की थैलियों के कुछ टुकड़े क्यों मिलते हैं?
उत्तर:
लोग प्लास्टिक की वस्तुएँ और पॉलीथीन की पैलियों को उपयोग करने के बाद मृदा में सीधे ही फेंक देते हैं, इसलिए मृदा के एकत्रित किए गए नमूनों में हमें प्लास्टिक की वस्तुएँ और थैलियों के टुकड़े मिलते हैं।
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प्रश्न 2.
मटका और सुराही बनाने के लिए किस प्रकार की मृदा का उपयोग किया जाना चाहिए?
उत्तर:
मटका और सुराही बनाने के लिए मृण्मय मृदा का उपयोग किया जाना चाहिए।
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प्रश्न 3.
घर के फर्श तथा कच्ची सड़क के दो वर्गों में पानी के अवशोषण में अन्तर क्यों होता है?
उत्तर:
चूँकि घर का फर्श पक्का बना हुआ था। वहाँ पर पत्थर लगे हुए थे। इसलिए उस पर गिरा पानी वर्ग की सीमा से बाहर बह जाता है और अवशोषित नहीं हो पाता। परन्तु कच्ची सड़क के निर्माण में मृदा का उपयोग किया गया था, जो डाले गये पानी को अवशोषित कर लेती है। इसी कारण दोनों वर्गों में पानी के अवशोषण में अन्तर आता है।
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प्रश्न 4.
अन्तःस्त्रवण दर और जल धारण करने की क्षमता में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
अन्त:सवण दर और जल धारण क्षमता अलगअलग हैं। प्रति इकाई समय में मृदा द्वारा अवशोषित जल की मात्रा 'अंत:सवण दर' कहलाती है। जबकि जल धारण करने की क्षमता मृदा द्वारा अवशोषित किए गए कुल जल की मात्रा होती है। अन्तःसवण दर जितनी अधिक होगी, जल धारण करने की क्षमता उतनी ही कम होगी तथा अन्त: स्रवण दर जितनी कम होगी, जल धारण करने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी।
प्रश्न 1 और 2 में सबसे उपयुक्त उत्तर को चिह्नित करें।
प्रश्न 1.
शैल कणों के अतिरिक्त, मृदा में होते हैं
(क) वायु और जल
(ख) जल और पादप
(ग) खनिज, जैव पदार्थ, वायु और जल
(घ) जल, वायु और पादप
उत्तर:
(ग) खनिज, जैव पदार्थ, वायु और जल
प्रश्न 2.
जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती है
(क) बलुई मृदा में
(ख) मृण्मय मृदा में
(ग) दुमटी मृदा में
(घ) बालू और दुमट के मिश्रण में
उत्तर:
(ख) मृण्मय मृदा में
प्रश्न 3.
कॉलम A में दी गई वस्तुओं का कॉलम B में दिए गुणों से मिलान कीजिए
कॉलम A |
कॉलम B |
(क) जीवों को आवास देने |
(i) बड़े कण |
(ख) मृदा की ऊपरी परत |
(ii) सभी प्रकार की मृदा |
(ग) बलुई मृदा |
(iii) गहरे रंग की |
(घ) मृदा की मध्य परत |
(iv) सघन छोटे कण |
(च) मृण्मय मृदा |
(v) हमस की कम मात्रा |
उत्तर:
कॉलम A |
कॉलम B |
(क) जीवों को आवास देने |
(ii) सभी प्रकार की मृदा |
(ख) मृदा की ऊपरी परत |
(iii) गहरे रंग की |
(ग) बलुई मृदा |
(i) बड़े कण |
(घ) मृदा की मध्य परत |
(v) हमस की कम मात्रा |
(च) मृण्मय मृदा |
(iv) सघन छोटे कण |
प्रश्न 4.
समझाइए कि मृदा कैसे बनती है?
उत्तर:
पवन, जल और जलवायु की क्रिया से शैलों (चट्टानों) के टूटने पर मृदा का निर्माण होता है। इस प्रकार शैल कणों और बमस का मिश्रण, मृदा कहलाता है।
प्रश्न 5.
मृण्मय मृदा किस प्रकार फसलों के लिए उपयोगी है?
उत्तर:
मृण्मय मृदा के कण बहुत छोटे होते हैं। इस कारण ये आपस में जुड़े रहते हैं। परस्पर जुड़े रहने के कारण इनके बीच रिक्त स्थान बहुत कम होता है। इनके कणों के बीच के सूक्ष्म स्थानों में जल रुक जाता है। इस कारण मृण्मय मृदा की जल धारण क्षमता बहुत अधिक होती है। अतः जिन फसलों को अधिक जल की आवश्यकता होती है, उनके लिए यह मृदा उपयुक्त होती है।
प्रश्न 6.
मृण्मय मृदा और बलुई मृदा के बीच अंतर बताइए।
उत्तर:
मृण्मय मृदा और बलुई मृदा के बीच अंतर:
मृण्मय मृदा |
बलुई मृदा |
(i) इसकी अन्तःसवण दर न्यून होती है। |
(i) इसकी अन्तःस्रवण दर अधिक होती है। |
(ii) इसकी जल धारण क्षमता उच्च होती है। |
(ii) इसकी जल धारण क्षमता निम्न होती है। |
(iii) इसके कण सूक्ष्म (बारीक) होते हैं। |
(iii) इसके कण बड़े होते हैं। |
प्रश्न 7.
मृदा की अनुप्रस्थ काट का चित्र बनाइए और विभिन्न परतों को नामांकित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
रजिया ने खेत में अन्तःस्रवण की दर से सम्बन्धित एक प्रयोग किया। उसने देखा कि उसके द्वारा लिए गए मृदा के नमूने में से 200 m.जल को अन्तःस्रवण करने में 40 मिनट लगे। अन्तःस्रवण दर परिकलित कीजिए।
उत्तर:
अन्तःलवण दर (mL/min) =
प्रश्नानुसार,
जल की मात्रा = 200 ml.
अन्त:स्त्रवण में लगा समय = 40 min
अतः अनःसवग दर (mL/min) = \(\frac{200(\mathrm{~mL})}{40(\mathrm{~min})}\)
= 5 mL/min
प्रश्न 9.
समझाइए कि मृदा प्रदूषण और मृदा अपरदन को किस प्रकार रोका जा सकता है?
उत्तर:
1. मृदा प्रदूषण की रोकथाम:
पॉलीथीन की थैलियाँ और प्लास्टिक, मृदा को प्रदूषित करते हैं। ये मृदा में रहने वाले जीवों को भी हानि पहुंचाते हैं। इसलिए पॉलीथीन की थैलियों और प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार के अपशिष्ट पदार्थ, रसायन तथा पीड़कनाशी मृदा को प्रदूषित करते हैं। ऐसे अपशिष्ट पदार्थों और रसायनों को मृदा में निर्मुक्त करने से पहले उन्हें उपचारित किया जाना चाहिए। पीडकनाशियों का उपयोग कम से कम किया जाना चाहिए। इस प्रकार हम मृदा प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
2. मृदा अपरदन की रोकथाम:
जल, पवन अथवा अर्फ द्वारा मृदा की ऊपरी सतह का हटना, 'अपरदन' कहलाता है। मृदा का अपरदन मरुस्थल अथवा बंजर भूमि जैसे स्थानों पर अधिक होता है, जहाँ कि सतह पर बहुत कम अथवा कोई बनस्पति नहीं होती है। चूंकि पादपों की अनुपस्थिति में मृदा ढीली हो जाती है, इसलिए मृदा का अपरदन शीघ्र हो जाता है। अतः वृक्षों की कटाई और वनोन्मूलन को रोका जाना चाहिए और हरित क्षेत्रों को बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिए ताकि मृदा का अपरदन कम से कम हो।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित वर्ग पहेली को दिए गए संकेतों की सहायता से हल कीजिए
सीधे
1. इसके अने थैलों के अपशिष्ट से मृदा का प्रदूषण होता है।
2. इस प्रकार की मृदा में सूक्ष्म कणों का अनुपात अपेक्षाकृत अधिक होता है।
4. इस प्रकार की मृदा में सूक्ष्म तथा बड़े कणों की मात्रा लगभग समान होती है।
5. मदा परिच्छेदिका की निम्नतम परत।
8. बनस्पति न होने पर यह मृदा को उड़ा ले जाती है।
9. इस प्रकार की मृदा सुवातिल एवं शुष्क होती है।
10. किसी मृदा द्वारा पानी को रोकने की क्षमता।
ऊपर से नीचे
2. भूमि की ऊपरी परत, जो पौधों को आधार प्रदान करती है।
3. पवन तथा प्रवाही जल के कारण मृदा पर प्रभाव।
6. मृदा में जल के अवशोषण की प्रक्रिया।
7. किसी स्थान की मृदा की काट परिच्छेदिका।