Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Science Chapter 18 अपशिष्ट जल की कहानी Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र के बोझ को कम करना कैसे सम्भव होगा?
उत्तर:
सामान्यतया अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का बोझ निम्न विधियों से कम किया जा सकता है -
1. खाना पकाने के तेल और वसाओं को नाली में नहीं बहाना चाहिए। ये पाइपों में कठोर पदार्थों की परत जमाकर उन्हें अवरुद्ध कर सकते हैं। खुली नाली में वसा, मृदा के रंधों को बंद कर देती है, जिससे उसकी जल को फिल्टर करने की प्रभाविता कम हो जाती है। तेल और वसाओं को कूड़ेदान में ही फेंके।
2. पेंट, विलायक, कीटनाशक, मोटर तेल, औषधियाँ आदि रसायन उन सूक्ष्म जीवों को मार सकते हैं, जो जल के शुद्धिकरण में सहायक होते हैं। इसलिए इन्हें नाली में नहीं बहाना चाहिए।
3. प्रयुक्त चाय की पत्ती, बचे हुए ठोस खाद्य पदार्थ, मृदु खिलौनों, रूई, सैनिटरी टॉवेल आदि को भी कूड़ेदान में ही फेंका जाना चाहिए। ये नालियों को अवरुद्ध कर देते हैं। ऐसे अपशिष्ट ऑक्सीजन का मुक्त प्रवाह नहीं होने देते हैं, जिससे निम्नीकरण का प्रक्रम बाधित होता है। उक्त उपाय अपनाकर अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का बोझ कम किया जा सकता है।
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प्रश्न 2.
हवाई जहाज में बाहित मल का निबटान कैसे होता है?
उत्तर:
हवाई जहाज में वाहित मल एक टैंक में एकत्र किया जाता है। फिर हवाई अड्डे पर इसका उपयुक्त विधि द्वारा निबटान किया जाता है।
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) जल को स्वच्छ करना ...................................... को दूर करने का प्रक्रम है।
(ख) घरों द्वारा निर्मुक्त किए जाने वाला अपशिष्ट जल ...................................... कहलाता है।
(ग) शुष्क ...................................... का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है।
(घ) नालियां ...................................... और ...................................... के द्वारा अवरुद्ध हो जाती हैं।
उत्तर:
(क) संदूषकों
(ख) वाहित मल
(ग) आपंक
(घ) ठोस खाद्य पदार्थों, सेनिटरी टॉवेल।
प्रश्न 2.
वाहित मल क्या है? अनुपचारित वाहित मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करना हानिकारक क्यों है? समझाइए।
उत्तर:
वाहित मल:
वाहित मल घरों, उद्योगों, अस्पतालों, कार्यालयों और अन्य उपयोगों के बाद प्रवाहित किए जाने वाला अपशिष्ट जल होता है। इसमें वर्षाजल भी सम्मिलित है, जो तेज वर्षा के समय गलियों में बहता है। सड़कों और छतों से बहकर आने वाला वर्षाजल अपने साथ हानिकारक पदार्थों को ले आता है। वाहित मल द्रवरूपी अपशिष्ट होता है।
इसमें अधिकांश जल होता है, जिसमें घुले हुए और निलंबित अपद्रव्य होते हैं। ये अपद्रव्य संदूषक कहलाते हैं। इस प्रकार वाहित मल एक जटिल मिश्रण होता है, जिसमें निलंबित वेस, कार्बनिक और अकार्बनिक अशुद्धियाँ, पोषक तत्व, मृतजीवी और रोगवाहक जीवाणु और अन्य सूक्ष्मजीव होते हैं। यही कारण है कि वाहित मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करना हानिकारक होता है।
प्रश्न 3.
तेल और वसाओं को नाली में क्यों नहीं बहाना चाहिए? समझाइए।
उत्तर:
तेल और बसाओं को नाली में बहाने पर, ये पाइपों में कठोर पदार्थों की परत जमाकर उन्हें अवरुद्ध कर सकते हैं। खली नाली में वसा, मृदा के रंधों को बंद कर देती है, जिससे उसकी जल को फिल्टर करने की प्रभाविता कम हो जाती है। इसलिए तेल और वसाओं को नाली में नहीं बहाना चाहिए।
प्रश्न 4.
अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के प्रक्रम में सम्मिलित चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने में भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रम सम्मिलित होते हैं, जो जल को संदूषित करने वाले कारकों को पृथक् करने में सहायता करते हैं। इस प्रक्रम में सम्मिलित चरण निम्न प्रकार से हैं:
1. सर्वप्रथम अपशिष्ट जल को ऊर्ध्वाधर लगी छड़ों से बने शलाका छन्ने (बार स्क्रीन) से गुजारा जाता है। इससे अपशिष्ट जल में उपस्थित कपड़ों के टुकड़े, इंडियाँ, डिब्बे, प्लास्टिक के पैकेट, नैपकिन आदि जैसे बड़े साइज के संदूषक अलग हो जाते हैं।
2. अब वाहित अपशिष्ट जल को बिट और बालू अलग करने की टंकी में ले जाया जाता है। इस टंकी में अपशिष्ट जल को कम प्रवाह से छोड़ा जाता है, जिससे उसमें उपस्थित बाल, ग्रिट और कंकड़ - पत्थर उसकी पेंदी में बैठ जाते हैं।
3. फिर जल को ढलवा पेंदी वाली टंकी में कई घंटों तक.रखा जाता है, जिससे मल जैसे ठोस उसकी तली के मध्य भाग में बैठ जाते हैं। इन अशुद्धियों को खुरच कर बाहर निकाल दिया जाता है। यह आपंक (स्लज) होता है। तेल और ग्रीस जैसी अशुद्धियों को हटाने के लिए अपमचित्र (स्किमर) का उपयोग करते हैं।
यह साफ जल 'निर्मलीकृत गल' कहलाता है। आपंक को एक पृथक् टंकी में स्थानान्तरित किया जाता है, जहाँ यह अवायवीय जीवाणुओं द्वारा अपघटित होता है। इस प्रक्रम में बायोगैस उत्पन्न होती है।
4. निर्मलीकृत जल में पंप द्वारा वायु को गुजारा जाता है, जिससे उसमें वायवीय जीवाणुओं की वृद्धि होती है। ये जीवाणु निर्मलीकृत जल में अब भी बचे हुए मानव अपशिष्ट पदार्थों, खाध अपशिष्ट, साबुन और अन्य अवांछित पदार्थों का उपभोग कर लेते हैं।
5. कई घंटों के पश्चात् जल में निलोंबत सूक्ष्मजीव टंकी की पेंदी में सक्रियित आपंक के रूप में बैठ जाते हैं। सक्रियित आपंक लगभग 97% जल है। जल को बालू बिछाकर बनाए शुष्कन तलों अथवा मशीनों द्वारा हटा दिया जाता है। उपचारित जल में अल्प मात्रा में कार्बनिक पदार्थ और निलंबित तत्व होते हैं। इसे समुद्र, नदी अथवा भूमि में विसर्जित कर दिया जाता है। प्राकृतिक प्रक्रम इसे और अधिक स्वच्छ कर देते हैं।
प्रश्न 5.
आपंक क्या है? समझाइए कि इसे कैसे उपचारित किया जाता है?
उत्तर:
1. आपंक:
वाहित अपशिष्ट जल को शोधन/ उपचार के समय जय डलवा पेंदी वाली टंकी में कई घंटों तक रखा जाता है, तब मल जैसे ठोस उसकी तली के मध्य भाग में बैठ जाते हैं। इन अशुद्धियों को खुरच कर बाहर निकाल दिया जाता है। यही आपंक (स्लज) होता हैं।
2. आपंक को उपचारित करना:
आपंक (स्लव) को एक पृथक् टंकी में स्थानान्तरित करते हैं, जहाँ यह अवायवीय जीवाणुओं द्वारा अपपटित हो जाता है। अब निर्मलीकृत जल में पंप द्वारा वायु को गुजारा जाता है; जिससे उसमें वायवीय जीवाणुओं की वृद्धि होती है। ये जीवाणु निर्मलीकृत जल में अब भी बचे हुए मानव अपशिष्ट पदार्थों, खाद्य अपशिष्ट, साबुन और अन्य अवांछित पदार्थों का उपभोग कर लेते हैं।
कई घंटों के पश्चात् जल में निलंबित सूक्ष्मजीव टंकी की पेंदी में सक्रियित आपंक (स्लज) के रूप में बैठ जाते हैं और शीर्ष भाग से जल को निकाल दिया जाता है। सक्रिमित आपंक लगभग 97% जल है। जल को बाल बिछाकर बनाए शुष्कन तलों अथवा मशीनों द्वारा हटा दिया जाता है। शुष्क आपंक का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है, जिससे कार्बनिक पदार्थ और पोषक तत्त्व पुनः मृदा में वापस चले जाते हैं।
प्रश्न 6.
अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ्य संकट है। समझाइए।
उत्तर:
अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ्य संकट है। इससे जल और मृदा प्रदूषण हो सकता है। सतह पर उपलब्ध जल और भौमजल दोनों प्रदुषित हो सकते हैं। भौमजल कुओं, नलकूपों, झरनों और अनेक नदियों के लिए जल का स्रोत है। अत: अनुपचारित मानव मल, जल जनित रोगों का सबसे सुगम पथ बन जाता है। इसमें हैजा, रायफाइड, पोलियो, मेनिन्जाइटिस, हेपैटाइटिस और पेचिश जैसे रोग सम्मिलित हैं।
प्रश्न 7.
जल को रोगाणुनाशित (रोगाणुमुक्त) करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो रसायनों के नाम बताइए।
उत्तर:
(1) क्लोरीन और (2) ओजोन।
प्रश्न 8.
अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र में शलाका छन्नों के कार्यों को समझाइए।
उत्तर:
अपशिष्ट जल उपचारित करते समय सर्वप्रथम अपशिष्ट जल को ऊभ्याधर लगी छड़ों से बने शलाका छन्ने (बार स्क्रीन) से गुजारा जाता है। इससे अपशिष्ट जल में उपस्थित कपड़ों के टुकड़े, डंडियाँ, डिब्बे, प्लास्टिक के पैकेट, नैपकिन आदि जैसे बड़े साइज के संदूषक अलग हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
स्वच्छता और रोग के बीच सम्बन्ध को समझाइए।
उत्तर:
स्वच्छता और रोग के बीच गहरा सम्बन्ध है। रोग फैलने का मुख्य कारण गन्दगी ही है। रोगाणु गन्दगी में पनपते हैं और गन्दगी के माध्यम से ही हम तक पहुंचते हैं। यदि हम स्वच्छता का ध्यान रखें, तो गन्दगी नहीं फैलेगी और रोगाणु हमारे शरीर में पहुंचकर हमें रोगग्रस्त नहीं करेंगे।
यदि हम अपने आस - पास गन्दगी, कूड़ा - करकट रखेंगे, तो उससे अनेक रोगाणु पनपेंगे। ये रोगाणु हमारे शरीर में पहुँचकर हमें विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त कर देंगे। अत: हम कह सकते हैं कि गन्दगी और स्वच्छता में व्युत्क्रम सम्बन्ध होता है। इसलिए जितनी हम स्वच्छता का ध्यान रखेंगे, उतना ही रोगों से बचे रहेंगे।
प्रश्न 10.
स्वच्छता के संदर्भ में एक सक्रिय नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
अपने पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में एक सक्रिय नागरिक के रूप में हमारी भूमिका अग्र प्रकार होगी
प्रश्न 11.
प्रस्तुत वर्ग पहेली को दिए गए संकेतों की सहायता सेल कीजिए
संकेत
बाएं से दाएं
2. बाहित मल उपचार संयंत्र से प्राप्त गैसीय उत्पाद
4. इस प्रक्रम में प्रदूषित जल से वायु को गुजारा जाता है।
7. वाहित मल ले जाने वाले पाइपों की व्यवस्था
8. उपयोग के बाद नालियों में बहता जल
ऊपर से नीचे
1. जल उपचार में रोगाणुनाशन के लिए प्रयुक्त एक रसायन
3. वह सूक्ष्मजीव, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्थों का विघटन
5. संदूषित जल
6. वह स्थान, जहाँ बाहित मल से प्रदूषक पृथक् किए
9. अनेक व्यक्ति इसका विसर्जन खुले स्थानों में करते हैं।
उत्तर:
बाएं से दाएँ
2. जैव गैस
4. वातन
7.सीवर
8. वाहित मल
ऊपर से नीचे
1. ओजोन
3. अवायवीय जीवाणु
5. अपशिष्ट जल
6. कर्वाधर शलाका
9.मल
प्रश्न 12.
ओजोन के बारे में निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
(क) यह सजीव जीवों के श्वसन के लिए अनिवार्य है।
(ख) इसका उपयोग जल को रोगाणुरहित करने के लिए किया जाता है।
(ग) यह पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है।
(घ) वायु में इसका अनुपात लगभग 3% है। इनमें से कौन से वक्तव्य सही है
(i) (क), (ख) और (ग)
(ii) (ख) और (ग)
(iii) (क) और (ग)
(iv) सभी चार
उत्तर:
(ii) (ख) और (ग)